‘‘मैं नहीं जानती कि हाई हील का आविष्कार किस ने किया था, पर सभी महिलाएं उस के प्रति कृतज्ञ हैं,’’ मर्लिन मुनरो का यह वाक्य हाई हील के प्रति महिलाओं का पैशन दर्शाता है. इतिहास साक्षी है कि स्त्रीपुरुष सभी ने हाई हील को पसंद किया है. सुपर मौडल वैरोनिका वैब ने कहा है कि हाई हील नितंबों को ऊंचा उठा देती है, जिस से टांगों की लंबाई ज्यादा लगने के कारण व्यक्तित्व और भी आकर्षक बन जाता है.
माना यह भी जाता है कि अगर मौडल बनना है, तो हाई हील पहनने की प्रैक्टिस जरूरी है. लेकिन हाल ही में हुए विल्स लाइफस्टाइल इंडिया फैशन वीक में कुछ डिजाइनर्स ने इस बात को मिथ्या सिद्ध कर दिया. इस के लिए उन्होंने अपनी कुछ मौडल्स को रैंप पर नंगे पांव चला दिया. पिछले वर्ष मेलबर्न में हुए फैशन फैस्टिवल में कुछ मौडल्स ने तो रैंप पर चलते हुए बीच में ही अपनी हाई हील उतार डालीं, क्योंकि वे चलने में असहज हो रही थीं.
क्या कहते हैं डिजाइनर
डिजाइनर अनुपमा दयाल का कहना है कि हील पहन कर चलना ही फैशन का प्रतीक नहीं है, इसलिए उन्होंने अपनी मौडल्स को सहजतापूर्वक चलने की आजादी दे दी.एक और डिजाइनर परोमिता बनर्जी कहती हैं कि फैशन का मतलब हर समय तकलीफ पाना नहीं है.
यह सच है कि सौंदर्य व आकर्षण बढ़ाने में हाई हील फुटवियर विशेष भूमिका निभाता है, पर हैल्थ की दृष्टि से इस के दुष्परिणाम को अनदेखा नहीं करना चाहिए. ऐक्सपर्ट कहते हैं कि हाई हील रैग्युलर बेसिस पर पहनने वाली महिलाओं को कुछ वर्षों के उपरांत स्लिप डिस्क, घुटनों की आर्थ्राइटिस और तलुवों में सूजन होने के बहुत चांस हो जाते हैं.
सीनियर कंसलटैंट, और्थोपैडिक और जोड़ों को रिप्लेस करने वाले सर्जन राजीव के. शर्मा ने बताया कि 1 माह में हाई हील के दुष्परिणाम से पीडि़त करीब 25 पेशैंट उन के पास आते हैं. अगर आप हील पहनना शुरू करना चाहती हैं, तो शुरू में मजबूत एड़ी वाली तथा स्टै्रप वाली सैंडल ही चुनें ताकि आप की एड़ी व तलुवों पर तनाव न आए.
डा. राजीव के अनुसार, हमारे चलनेदौड़ने से घुटनों पर ही पूरा जोर पड़ता है. माना कि पौइंटेड शूज या सैंडल पहनने से स्टाइल व सौंदर्य बढ़ता है पर उन को पहनने की आदत घुटनों के टिशूज को नुकसान पहुंचाती है. फिर यही एक बड़ी समस्या बन जाती है. डा. राकेश आजाद के अनुसार, लंबी महिलाओं को हाई हील ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है. चूंकि लंबी महिलाओं की टांगें लंबी होती हैं, इसलिए उन की सैंटर औफ ग्रैविटी ऊंची होती है. ऐसे में हाई हील पहनने पर चलने में असंतुलित होने के ज्यादा चांस हो जाते हैं. परिणामस्वरूप मोच आने के खतरे के साथसाथ उन की पिंडलियों में तनाव व दर्द भी रह सकता है.
साथ ही उन्होंने कहा कि इस का तात्पर्य यह नहीं है कि लंबी महिलाएं हाई हील कभी न पहनें. विशेष अवसरों पर या कुछ देर के लिए वे सावधानी बरतते हुए अपना शौक पूरा कर सकती हैं.
एक सर्वे के अनुसार 57% हाई हील पहनने वाली महिलाओं को गंभीर दर्द रहता है. हड्डी के जोड़ों में बहुत तनाव होने के कारण जोड़ों का मूवमैंट थम जाता है, जिस के कारण गठिया जैसी बीमारी हो सकती है. पैरों के अंगूठों पर भी खराब असर पड़ता है. कभी पैर मुड़ने से मोच के साथ लिगामैंट्स को भी नुकसान पहुंचता है. स्लिप होने पर एड़ी व टखने में भी विकृति आने का खतरा हो सकता है.
उम्र का कितना फैक्टर
फिटनैस ऐक्सपर्ट नीरज मेहता कहते हैं कि इस में उम्र की बात नहीं होती, क्योंकि मेरे पास 50 वर्ष की उम्र की महिला से ले कर 20-30 वर्ष की करीब 5-6 महिलाएं हर माह सलाह लेने आती हैं. दूसरी ओर डा. रामचंद्रन का कहना है कि यंग ऐज में हाई हील पहनने के उतने दुष्परिणाम नहीं होते, फिर भी हील पहनते समय ऐज व वेट फैक्टर अवश्य माने रखता है. इस के अलावा हर बौडी की अपनी क्षमता होती है. साथ ही यह भी सच है कि छोटी हील पहनने पर प्राकृतिक चाल रहती है. साथ ही छोटे कद की महिला पर हाई हील का उतना स्ट्रेन नहीं पड़ता, जितना लंबे कद की महिला पर पड़ता है.
हाई हील पहनने से पैरों के अंगूठों में दर्द, पैरों के बीच वाले हिस्से में दर्द और एड़ी, टखने, घुटने, कूल्हे, पीठ तथा सिर में भी दर्द रह सकता है. ऐसी कोई भी परेशानी होने पर सावधान हो जाएं. डाक्टरी सलाह लें और हाई हील न पहनें.