बहुत से लोगों को इनकम टैक्स का नाम सुनकर ही बुखार आ जाता है. हर कोई इनकम टैक्स बचाने की कोशिश करता है. इसके लिए हर रोज नए-नए तरीके और उपाय खोजे जाते हैं, बहुत से लोगों का आधे से ज्यादा समय टैक्स बचाने की युक्ति खोजने में ही निकल जाता है.
यदि आप यहां बताए गए तरीकों से कोई इनकम हासिल करते हैं तो इसके लिए आपको एक रुपए का भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा. इस लेख में हम अपने पाठकों को कुछ इनकम पर मिलने वाले टैक्स छूट की जानकारी देने जा रहे हैं.
1. सेविंग बैंक एकाउंट पर मिलने वाला इंटरेस्ट
वर्ष 2013 में सेक्शन 80 TTA पेश किया गया, जिसमें सेविंग एकाउंट में एक वित्त वर्ष में अधिकतम 10,000 रुपए तक का इंटरेस्ट टैक्स योग्य नहीं है. इसलिए अगर सेविंग बैंक इंटरेस्ट एक साल के लिए 20,000 रुपए है तो इसमें से 10,000 रुपए टैक्स छूट के दायरे में आएगा और शेष 10,000 टैक्सेबल इनकम में जोड़ दिया जाएगा.
2. एनआरई (नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) एकाउंट पर मिलने वाला ब्याज
एनआरई एकाउंट पर मिलने वाला ब्याज भारत में 100 फीसदी टैक्स फ्री होता है. इसमें फिक्स्ड डिपॉजिट और सामान्य सेविंग एकाउंट इंटरेस्ट दोनों शामिल हैं. एनआरआई के लिए यह दोनों टैक्स फ्री होती हैं. यह एनआरआई की ओर से की गई सेविंग्स पर ब्याज कमाने का अच्छा विकल्प है. कई लोग यूएई या सिंगापुर जैसे देशों में लोन लेते है जहां ब्याज दरें 2 से 3 फीसदी होती हैं और उस राशि को भारत के एनआरई एकाउंट में जमा कर देते हैं, जिसपर उन्हें 8 फीसदी से 9 फीसदी तक का ब्याज मिलता है. एनआरई एकाउंट डिपॉजिट पर टीडीएस नहीं कटता क्योंकि इसमें किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं लगाया जाता.
3. प्रोफिट का एक हिस्सा फर्म के पार्टनर को देना
अगर पार्टनरशिप फर्म के तौर पर आपने कोई मुनाफा कमाया और उसे शेयर ऑफ प्रॉफिट के तौर कुछ हिस्सा पार्टनर को दिया जाए तो पार्टनर के लिए यह इनकम टैक्स फ्री होगी, क्योंकि कंपनी पहले ही इस पर टैक्स अदा कर चुकी होती है.
4. लाइफ इंश्योरेंस की मैच्योरिटी या फिर क्लेम राशि
लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की ओर से दी जाने वाली राशि 100 फीसदी टैक्स फ्री होती है अगर उसका प्रीमियम सम एश्योर्ड के 20 फीसदी से कम हो.
फाइनेंस एक्ट 2003 में हुए संशोधन के तहत सम एश्योर्ड के 20 फीसदी ज्यादा का प्रीमियम कर योग्य है. उदाहरण के तौर पर अगर सालाना प्रीमियम 10,000 रुपए है तो टैक्स छूट के दायरे में आने के लिए सम एश्योर्ड 50,000 रुपए का होना चाहिए.
5. नियोक्ता की ओर से दिया गया एलटीए
कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को हर वर्ष एलटीए देती हैं, जिसे कर्मचारी अपने परिवार के साथ घूमने के लिए इस्तेमाल करता है. यात्रा का प्रमाण देने पर इस राशि पर टैक्स नहीं लगता है. यदि आपकी कंपनी आपको एलटीए नहीं देती है तो आप अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा एलटीए के मद में डालने के लिए अपने नियोक्ता से कह सकते हैं. क्योंकि हम साल में कुछ पैसा यात्रा पर तो खर्च करते ही हैं.
6. वीआरएस स्कीम के तहत 5 लाख रुपए तक की राशि
अगर किसी व्यक्ति ने वीआरएस यानि कि वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम लिया है तो 5 लाख रुपए तक की प्राप्त राशि टैक्स फ्री होगी. इसके लिए सब लोग योग्य नहीं है. केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां या फिर केंद्र या राज्य सरकार की ऑथोरिटी के कर्मचारी ही योग्य है.
7. पांच साल के बाद ईपीएफ एकाउंट पर मिलने वाली राशि
ईपीएफ एकाउंट से मिलने वाली राशि टैक्स फ्री होती है, लेकिन यह सर्विस के 5 वर्ष के बाद की गई निकासी पर योग्य होता है. कई बार निवेशक अपनी नौकरी 3 से 4 साल के भीतर ही बदल लेते हैं और ईपीएफ का पैसा निकाल लेते हैं. ऐसे में उन्हें टैक्स देना पड़ता है.
8. एक साल के बाद शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर मिलने वाला प्रॉफिट
एक साल के बाद शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को बेचने पर मिलने वाला प्रॉफिट टैक्स फ्री होता है. यदि आप खरीदे गए शेयर या म्यूचुअल फंड्स को अपने पास कम से कम एक साल तक रखते हैं तो उन्हें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है. यह 100 फीसदी टैक्स फ्री होता है.
9. शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर मिलने वाला लाभांश
स्टॉक या फिर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर मिलेन वाला लाभांश टैक्स फ्री होता है. कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को लाभांश देने से पहले सरकार को डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स का भुगतान कर चुकी होती हैं. इसकी वजह से आपको कंपनी के प्रॉफिट में कम हिस्सा मिलता है, लेकिन जो भी मिलता है वह टैक्स फ्री होता है.
10. शादी पर मिलने वाले गिफ्ट्स
शादी पर उपहार के रूप में मिलने वाली राशि और कीमती चीजें भी टैक्स फ्री होती हैं. शादी पर दोस्त या रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट्स टैक्स फ्री होते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी शादी की तारीख और उपहार मिलने की तारीख एक जैसी है. आप ऐसा नहीं कर सकते कि शादी के दो साल बाद उपहार के रूप में मिली राशि पर टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते.
11. वसीयत या विरासत में मिली राशि
भारत में अभी तक किसी तरह का इनहेरिटेंस टैक्स नहीं है. मसलन, वसीयत या फिर विरासत में मिली संपत्ति या राशि टैक्स फ्री होती है. वह आपकी प्रॉपर्टी बन जाती है और उस पर केवल कमाए गए इंटरेस्ट पर ही टैक्स देना होता है.