फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला त्योहार होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं और एक दूसरे को प्यार के रंग लगाते हैं लेकिन अब इन रंगों में केमिकल की मिलावट हो चुकी है. इस समय बाजार में जो रंग बिक रहे हैं, उनमें अधिकतर केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है और ऐसे में कोरोना वाइरस के प्रकोप से डरे लोग, होली खेले तो कैसे खेले इस बारे में बता रहीं हैं सिल्वरीन सैलून & ब्यूटी अकादमी ब्यूटी एक्सपर्ट पूर्णिमा गोयल.

1. घर पर ही बनाये प्राकृतिक रंग

इस साल जहां तक संभव है भीड़ भाड़ में होली खेलने से बचें और यदि मनानी ही हो तो अपने क्लोज सर्कल, परिवार के लोगों और बहुत ही क्लोज मित्रों के साथ होली मनायें , वायरस के प्रकोप के चलते आपको यह सावधानी बरतने की ज़रूरत है. और अब जब आप अपने दोस्तों के साथ होली खेलें तब इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है की आप केमिकल युक्त रंगो आदि के प्रयोग से बचें. बाजार में केमिकल युक्त रंग जगह जगह पर आसानी से मिल रहे हैं. पहले के मुकाबले आज रासायनिक की अपेक्षा लोगों के पास प्राकृतिक और जैविक रंगों के विकल्प मौजूद हैं. फिर भी अगर आपको आर्गेनिक और नेचुरल रंग मिलने में दिक्कत हो रही है तो आप यह प्राकृतिक रंग आप आसानी से घर पर बना सकते हैं.

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2. पोस्ट होली हेयर केयर

होली के रंगों से आपके बाल और स्किन दोनों पर ही विपरीत प्रभाव पड़ता है. बालों के अतिरिक्त आपकी स्काल्प जो काफी, सेंसिटिव होती है उस पर भी रसायन युक्त रंग कोटिंग बना देते हैं जिससे स्काल्प इचिंग, डैंड्रफ आदि की समस्या हो जाती है. इसके अलावा जिन लोगो की स्किन संवेदनशील है या वो स्किन एलर्जी और सिरोसिस जैसी स्किन की समस्या से पीड़ित हैं उनके लिए ये रंग और अधिक नुकसानदायक होते हैं. ऐसे लोगों को त्योहार से कम से कम 15 दिन पहले precautionary मेसर्स लेने चाहिए. उन्हें अपने स्नान में टी ट्री आयल या लैवेंडर आयल का उपयोग करना चाहिए, यह ना केवल रंगो के दुष्प्रभाव बल्कि स्किन इन्फेक्शन से भी प्रोटेक्ट करेगा. आम तौर पर लोग अपने बालों में जमा होने वाले रंगों को हटाने के लिए हार्ड शैम्पू, ब्लीचिंग और केमिकल युक्त पैक्स लगा लेते हैं, लेकिन यह बालों और स्कैल्प को गंभीर नुक्सान पहुंचा सकता है और रसायन आपकी स्किन को संक्रमण प्रोन कर देते हैं.

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