Save Water : जिस तरह साल दर साल गरमी का पारा बढ़ता जा रहा है, उसी तरह पानी घरों में कम आता है. कई बार तो कईकई दिनों तक पानी नहीं आता. ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम पानी को बरबाद होने से बचाएं और उस का उपयोग सही तरीके से करें.
हमलोग रोज कई घंटे अपने पौधों को पानी देते हैं और गाड़ियों को धोने में जाने कितना पानी यों ही सड़कों पर बहा देते हैं. एक ओर पानी की बरबादी के नजारे आम हैं, तो दूसरी ओर दूरदराज से पानी लाने का संघर्ष भी नजर आता है.
नलकूप, कुएं और जलाशय सूख रहे हैं. साल में एक बार जब विश्व जल संरक्षण दिवस के मौके पर फिर से सेमिनार होंगे. तभी हम लोगों को पानी का महत्त्व याद दिलाया जाएगा. उस के बाद फिर से हम लोग सब भूल जाते हैं और उसी तरह बिना सोचेसमझे पानी की बरबादी में लग जाते हैं. हमें लगता है कि भला अकेले हमारे पानी बचाने से क्या होगा.
क्या कहती है रिसर्च
क्या आप जानते हैं कि पूरे उत्तर भारत में 1951-2021 की अवधि के दौरान मौनसून के मौसम (जून से सितंबर) में बारिश में 8.5% की कमी आई है?
इस बारे में हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के शोधार्थियों के एक दल ने कहा कि मौनसून के दौरान कम बारिश होने और सर्दियों के दौरान तापमान बढ़ने के कारण सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ेगी और इस के कारण ग्राउंड वाटर रिचार्ज में कमी आएगी, जिस से उत्तर भारत में पहले से ही कम हो रहे भूजल संसाधन पर और अधिक दबाव पड़ेगा. हालांकि यह स्थिति लगभग हर शहर की है.
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) के अनुसार, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भूजल स्तर में सालाना 10-20 सेंटीमीटर की गिरावट देखी जा रही है. 2017 के संसाधन मूल्यांकन में 9 जिले (आगरा, अमरोहा, फिरोजाबाद, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, संभल और शामली) अत्यधिक दोहन की श्रेणी में थे, जहां दोहन 100% से अधिक था.
गाजियाबाद में यह 128% तक पहुंच गया है. पिछले 5 साल (2020-2025) के लिए ब्लौकवार आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 900 ब्लौक में भूजल का दोहन गंभीर हो चुका है. भूजल स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है. अनुमान है कि गंगा बेसिन के क्षेत्रों में दोहन 70% की सुरक्षित सीमा को पार कर चुका है.
कई रिसर्च में कहा जा रहा है कि भारतीय शहरों में भूजल यानी ग्राउंड वाटर के खत्म हो जाने की संभावना है. अगर ऐसा हुआ तो इस से करीब 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे. गौर करने वाली बात तो यह है कि इन शहरों में चैन्नई और दिल्ली जैसे देशों के नाम शामिल हैं, जोकि जल संकट का सामना कर रहे हैं.
पानी न होने की कल्पना तक हम नहीं कर सकते
अब आप जरा एक बार खुद सोचिए की गरमी के मौसम में पानी न मिले, इस बात की कल्पना क्या आप कर सकते हैं, शायद नहीं. यही वजह थी कि जो पुराने लोग थे या बुजुर्ग कहें वे हर चीज की बचत कर के चलते थे. किसी भी चीज को व्यर्थ बरबाद नहीं करते थे, चाहे वह धन हो, भोजन हो या पानी.
तब ट्यूबवेल और नल का समय नहीं था. वे कुएं से पानी लाते थे और कुएं के आसपास भी ऐसे गड्ढा बना दिया जाता था, जो वहां उपयोग होने वाला पानी से भर जाए जिस में पशुपक्षी पानी पी सकें. पर आधुनिकता के युग में पानी का अव्यय भोजन को बनाने से ले कर हर जगह बहुत होने लगा है.
पानी की बचत करने के लिए एक सार्थक प्रयास की आवश्यकता होती है और वह सार्थक प्रयास घर से ही शुरू किया जा सकता है. आप को जितना पानी की आवश्यकता है, चाहे नहाने में, कपड़े धोने में या पीने में उतना ही उपयोग करें .
खाना पकाते समय भी व्यर्थ का पानी न बहाएं. ऐसी छोटीछोटी कोशिशों से हम पानी की बचत कर सकते हैं. आप ने देखा होगा कि आएदिन आसपास लोग गाड़ी धोते दिखाई दे जाएंगे, मकान धोते दिखाई दे जाएंगे और तो और सड़क पर पानी डालते दिखाई दे जाएंगे. यदि हम इस तरह की व्यर्थ बह जा रहे पानी को रोक सकें तो यह भी एक सार्थक प्रयास हो सकता है .
आइए, जानें अपने घर पर ही छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर कैसे पानी को वैस्ट होने से बचाएं :
फिश ऐक्वेरियम के पानी को रीयूज करें
फिश ऐक्वेरियम के पानी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम और अमोनियम आदि तत्त्व होते हैं. यह एक नैचुरल फर्टिलाइजर है. इसलिए इस पानी को चैंज करते समय फेंकने के बजाए अपने घर के पेड़पौधों में डालें. इस से पानी की भी बचत होगी और ऊपर से यह पानी पौधों के लिए अच्छा भी रहेगा. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि इस पानी में नमक नहीं मिला होना चाहिए.
पौधों को पानी देने के लिए वाटरिंग कैन का प्रयोग
यदि हम पौधों को बाल्टी या मग की मदद से पानी देते हैं तो पानी का उपयोग ज्यादा होता है. वहीं अगर हम पानी देने के लिए वाटरिंग कैन का प्रयोग करते हैं तो पानी की काफी बचत कर सकते हैं.
क्लौथ वाशिंग के पानी को फेकें नहीं
कई बार जब हम मशीन के बजाए हाथ से कपड़े धोते हैं तो उस पानी को बार बार फेंकते रहते हैं, लेकिन ऐसा करने के बजाए हम इस पानी से बाथरूम, बालकनी धो सकते हैं. यह पानी पौट में भी डाला जा सकता है.
लो फ्लश टौयलेट लगवाएं
आजकल मौडर्न टौयलेट्स में डबल फ्लश सिस्टम मौजूद होता है जोकि पानी की बड़ी मात्रा को बचाने में मदद करते हैं. इस से आप हर रोज कई लीटर पानी बचा सकते हैं. यदि आप नया टौयलेट लगवाने में खर्चा नहीं कर सकते हैं तो अपने पुराने स्टाइल वाले टौयलेट के लिए वाटर सैविंग बैग ले आएं.
किचन में भी पानी को करें रीयूज
जिस पानी में आप ने चावल उबाले हैं, आप उस पानी में सब्जी भी बौयल कर सकते हैं या फिर उस पानी को दाल और सब्जी बनाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यह पौष्टिक ही होगा.
इसी तरह सब्जियों को उबलने के बाद बचे हुए पानी को फेंकें नहीं बल्कि उस पानी से आटा मांङ लें या फिर उस में और सब्जियां मिला कर सूप बना लें. इस से पानी भी सेव होगा और खाना ज्यादा पौष्टिक भी बनाएगा.
आरओ (RO) से निकलने वाले पानी का रीयूज करें
आरओ में से 1 लीटर पानी फिल्टर होने पर 3 लीटर वैस्ट पानी निकलता है. इस के पाइप को हम वाश बेसिन के अंदर डाल देते हैं जिस से यह पानी सीधा नाली में जाकर बरबाद होता रहता है. लेकिन अगर हम चाहें तो इस के पाइप को एक बाल्टी में लगा सकते हैं. इस के बाद जब बाल्टी भर जाए तो पानी से बालकनी की धुलाई, गाड़ी की धुलाई आदि कर सकते हैं.
ब्रश करते समय नल को बंद रखें
कई लोगों की आदत होती है कि वे ब्रश करते समय नल को बंद ही नहीं करते और इस वजह से काफी पानी बरबाद हो जाता है. इसलिए अपनी यह आदत बना लें कि या तो ब्रश करने के लिए एक मग में पानी लें या फिर बारबार नल बंद करने की आदत बना लें. ऐसा कर के आप बहुत सा पानी बचा सकते हैं.
वाशिंग मशीन को पूरा भर कर ही कपडे धोएं
कई बार हम थोड़ेथोड़े कपड़े मशीन में डाल कर धोते हैं. इस से पानी की बहुत बरबादी होती है. लेकिन अगर हम एक ही बार में पूरी मशीन भर कर कपड़े धोएं तो पानी कम खर्च होता है. इसलिए सभी गंदे कपड़ों को एकसाथ इकट्ठा कर के ही धोएं. कपड़े धोने में कम पानी की जरूरत वाला साबुन या डिटर्जेंट या पाउडर उपयोग में लाएं.
बर्तन धोने का साबुन ऐसा हो जिस में कम पानी की जरूरत हो
ऐसे बर्तन धोने का साबुन, लिक्विड या पाउडर इस्तेमाल करें, जिस में कम पानी की जरूरत हो. बर्तन धोने के पानी की निकासी किचन गार्डन की तरफ रखें ताकि वहां फलों, सब्जियों के पौधों को पानी मिलता रहे .
कार या स्कूटर को ऐसे साफ करें
कार या स्कूटर को नल के पानी से नहीं नहलाएं. इन्हें 2-3 गीले कपङे से एक या अधिक बार साफ करें. हर बार पोंछने के लिए नया साफ गीला कपड़ा उपयोग करें.
वाटर लीकेज को सही कराएं
हम अकसर हमारे घर में हो रहे वाटर लीकेज को इग्नोर कर देते हैं लेकिन हम यह नहीं सोचते कि उस कारण से बहुत सारा पानी हर रोज बरबाद चला जाता है. किचन में या वाशरूम में अकसर नल लीक हो जाता है. इन्हें तुरंत फिक्स कराएं. बिना आवाज के टपकने वाले फ्लश टैंक से प्रतिदिन 30-500 गैलन पानी बरबाद हो सकता है.
पब्लिक प्लेस की लीकेज की कंप्लेंट करें
सिर्फ घरों के ही नहीं बल्कि पब्लिक पार्क, गली, मोहल्ले, अस्पतालों, स्कूल और भी ऐसी किसी जगहों में नल की टोटियां खराब हों या पाइप लीक हो रहा हो, तो उस के बारे में संबंधित विभाग में सूचना दें. इस से हजारों लीटर पानी की बरबादी को रोका जा सकता है.
पौधों को पानी कुछ ऐसे दें
गार्डन में दिन के बजाए रात में पानी देना सही होता है. इस से पानी का वाष्पीकरण नहीं हो पाता. कम पानी से ही सिंचाई भी हो जाती है और पेड़पौधे सूखते भी नहीं.
पौधों को अधिक पानी न दें और न ही इतनी तेजी से दें कि पौधे की मिट्टी उतनी जल्दी पानी को सोख न पाए. यदि पानी बाग से बह कर किनारे के चलने वाले रास्ते तक पहुंच रहा है तो पानी डालने का समय कम करें या पौधों को पानी 2 बार डालें जिस से पानी को जमीन में सोख जाने का समय मिल जाए.