Family Love :  जब हम अपने आसपास या रिश्तेदारी में डिवोर्स जैसी कोई खबर सुनते हैं, तो उस रिश्ते को टूटने का जिम्मेदार लड़की को मानते हैं. अकसर बेटियों से उम्मीद की जाती है कि वे शादी के बाद 2 घरों को जोड़ें रखें, लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि लड़की ही क्यों लड़का क्यों नहीं इस जिम्मेदारी को निभा सकता है?

अगर लड़का एक अच्छा दामाद बन जाए तो वह ससुराल के लिए सिर्फ रिश्ते से जुड़ा नहीं, बल्कि मन से जुड़ा बेटा बन जाता है. ऐसे रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरते हैं और परिवारों को बिखरने से बचा लेते हैं.

दामाद की भूमिका केवल रिश्तों तक सीमित नहीं

जब एक पुरुष शादी करता है, तो वह केवल पति ही नहीं बनता, बल्कि परिवार का दामाद भी बन जाता है और अपने ससुराल के दुखसुख में भागीदार बनता है, तो धीरेधीरे वह दामाद नहीं, एक ‘बेटा’ बन जाता है. यही सोच आप की शादी में मजबूती लाती है.

घर टूटता है जब रिश्तों में दूरी आती है

अकसर देखा गया है कि विवाह के कुछ सालों बाद पतिपत्नी के बीच मतभेद बढ़ने लगते हैं. कई बार यह मतभेद परिवारों की वजह से भी होते हैं. ऐसे में अगर पति यानी दामाद समझदारी दिखाए और लड़की के मांबाप को अपने पेरैंट्स जैसा ट्रीटमैंट दे, तो पत्नी के मन में सम्मान और विश्वास बढ़ता है, जिस से रिश्ते मजबूत होते हैं और घर टूटने से बचता है.

बेटा नहीं बेटे जैसा बन कर निभाएं रिश्ता

एक दामाद यदि अपने ससुराल में बेटा बन कर जिम्मेदारी निभाए, मातापिता की तरह ससुरसास का खयाल रखे, तो यह रिश्ता और गहरा हो जाता है. जब बेटी देखती है कि उस का पति उस के मातापिता के लिए भी आदर रखता है, तो वह अपने रिश्ते को और अधिक संजोती है.

घर टूटते हैं जब ईगो हावी हो जाता है

दामाद अगर ईगो या बाहरीपन का भाव छोड़ कर स्नेह और समझदारी से पेश आए, तो पत्नी और उस के परिवार के साथ उस का संबंध और गहरा होता है. यही भावनात्मक जुड़ाव एक टूटते हुए घर को फिर से जोड़ सकता है.

संवाद और समझदारी है समाधान

हर रिश्ते में मतभेद होते हैं, लेकिन उन्हें कैसे संभाला जाए, यही मायने रखता है. एक दामाद अगर ससुराल में बोलचाल की पहल करता है, सलाह देता है, सहयोग करता है, तो यह ससुराल के सदस्यों के लिए भी प्रेरणादायक होता है. दामाद न केवल अपने ससुराल को जोड़ सकता है, बल्कि अपनी पत्नी के साथ अपने वैवाहिक जीवन को भी संभाल सकता है. दामाद अगर अपने रोल को समझे और निभाए, तो रिश्तों की डोर और भी मजबूत हो सकती है.

दामाद का दिल बड़ा हो तो ससुराल उस का घर बन जाता है

एक समझदार दामाद वह होता है जो सिर्फ पत्नी से प्रेम ही नहीं करता, बल्कि उस की जड़ों, उस के परिवार, उस की भावनाओं और उस के मातापिता से भी आत्मीयता रखता है. जब वह ससुराल के लोगों को अपनेपन से देखता है, तो रिश्तों में मिठास आ जाती है.

अहं से नहीं, अपनत्व से बनता है रिश्ता

अकसर रिश्ते इसलिए बिगड़ते हैं क्योंकि उन में अपनापन नहीं, अपेक्षाएं हावी होती हैं. लेकिन जब दामाद बिना किसी स्वार्थ के अपने ससुराल वालों से स्नेह करता है, तो वे भी उसे अपने बेटे की तरह अपनाते हैं. यही भावनात्मक संतुलन घर को टूटने से बचा सकता है.

दामाद का संवेदनशील होना है सब से बड़ी ताकत

एक भावुक लेकिन मजबूत पुरुष जो पत्नी के मातापिता की चिंता करता है, उन के सुखदुख में साथ खड़ा रहता है, वह दरअसल परिवार का एक अनमोल सदस्य बन जाता है. उस की यह संवेदनशीलता पत्नी को भी भावनात्मक सुरक्षा देती है, जिस से विवाह मजबूत होता है.

दामाद को समझनी होगी अपनी भूमिका

यह जरूरी है कि दामाद अपने रिश्ते की गंभीरता को समझे. अगर वह सिर्फ पति की भूमिका में सीमित रहेगा, तो रिश्ते अधूरे रहेंगे. लेकिन अगर वह बेटी से बढ़ कर रिश्ते निभाए, तो एक टूटता परिवार भी फिर से जुड़ सकता है.

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