विवाह के बाद पुरुषों की प्रेमभावना कुंद हो जाने पर अधिकांश महिलाएं खुद को छला हुआ महसूस करती हैं, जबकि पुरुष भी ऐसा ही महसूस करते हैं. अकसर महिलाएं शिकायत करती हुई कहती हैं कि जैसे ही कोई महिला किसी पुरुष के प्रति प्रेम में प्रतिबद्घ होती है वैसे ही उन की प्रेमभावना स्त्री के प्रति खत्म हो जाती है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू के जानेमाने समाजशास्त्री डा. अमित कुमार शर्मा का कहना है, ‘‘कुछ प्राकृतिक गुणों के कारण स्त्रियों के प्रति पुरुषों की प्रेमभावना अधिक समय तक सशक्त नहीं रह पाती है जिस के कारण महिलाएं खुद को उपेक्षित और छला हुआ अनुभव करती हैं और ऐसे क्षणों की तलाश में रहती हैं कि जब पुरुष उन के प्रति आकर्षित हो. लेकिन पहले जैसी आसक्ति व प्रेमाभिव्यक्ति हो पाना संभव नहीं हो पाता.’’

अधिकतर पुरुष, स्त्रीप्राप्ति के लिए अपनी प्रेमाभिव्यक्ति को एक हथियार के रूप में प्रयोग करते हैं. उन का यह हथियार उसी प्रकार होता है जिस तरह कोई शिकारी अपने हथियार से शिकार करने के बाद उसे खूंटी पर टांग देता है. उसी प्रकार पुरुष अपनी प्रेमाभिव्यक्ति को अपनी जेब में रख लेते हैं जब तक कि उन्हें दोबारा इस की जरूरत न पड़े. दूसरी ओर, महिलाएं आवेश में किए गए प्रेम को भी अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेती हैं.

प्रेम आनंद-प्रेम दर्द

यौवन से भरपूर 24 वर्षीय मिनीषा गुप्ता का कहना है, ‘‘प्रेम आनंद के साथ शुरू होता है और जब हम शादी कर लेते हैं तो यही प्रेम दर्द का कारण बनता है. जैसा कि मैं देख रही हूं कि हमारी शादी को मात्र 2 वर्ष हुए हैं और अभी से मेरे पति मुझे नजरअंदाज करने लगे हैं. जबकि, शादी से पहले वे मुझे दुनिया की सब से खूबसूरत युवती बताते थे. मेरे हाथों को सहलाते हुए उन्हें दुनिया के सब से मुलायम हाथ करार देते थे. वे अब मेरी भौतिक सुविधाओं का तो खयाल करते हैं लेकिन मैं उन के मुंह से प्यार के दो बोल सुनने को तरस जाती हूं.’’

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