Parenting Tips : इस संसार में बेटी के लिए मातापिता का रिश्ता सब से प्यारा रिश्ता है और कोई भी दूसरा उन की जगह नहीं ले सकता है. हर मां दिल से यह चाहती है कि उस की बेटी ससुराल में खुश रहे इसलिए वह बचपन से ही उसे अच्छे संस्कार देती है. यदि बेटी मां की आंख का तारा होती है तो पिता के लिए उस का अभिमान भी होती है. एक बेटी को सब से ज्यादा प्यार और गर्व अपने पेरैंट्स पर होता है. इस के पीछे उन का अनकंडीशंड लव होता है जो किसी को भी उस के मां या पापा से बेहतर नहीं होने देता.
जब एक लड़की शादी के बाद ससुराल जाती है तो उस के ऊपर बहुत सी जिम्मेदारियां आ जाती हैं. जहां पहले वह आजाद पंछी की तरह थी वहीं अब उसे अपने इर्दगिर्द जिम्मेदारियां और ससुराल वालों के साथ पति की आंखों में उस से हजारों अपेक्षाएं दिखाई पड़ती हैं, जिन्हें वह अपने तरीके से पूरा करना चाहती है. उस की आंखों के सामने अपनी मां का तौरतरीका घूमता रहता है.
रिया के मायके में मेड 8 बजे नाश्ता मेज पर लगा देती थी और वह मम्मीपापा के साथ में नाश्ता करती थी. यहां ससुराल में पहले सुबह नहाना फिर पूजा, उस के बाद किचन में नाश्ता बनाना. उस ने मुश्किल से ससुराल में 1 महीना काटा फिर वह पति ओम के साथ मुंबई आ गई लेकिन ओम तो यहां भी उस से अपनी मां की तरह सुबह नहाना, पूजा करना तब किचन में जाना. रिया अपनी तरह से जीना चाहती थी. इस के लिए वह बहुत मुश्किल से पति ओम को राजी कर पाई थी.
डाक से जरूरी प्यार
हालांकि लड़की की शादी के बाद सिचुएशन में काफी बदलाव आ जाता है, उसे ससुराल की जिम्मेदारियां निभानी होती है परंतु पेरैंट्स को वह आसानी से नहीं भूल पाती है. वैसे तो शादी के बाद उस का लाइफ पार्टनर उस के लिए बहुत अहमियत रखता है लेकिन वह पार्टनर को भी अपने पेरैंट्स से ऊपर नहीं मान पाती है. बेटी अपने पार्टनर में अपने पिता के गुण देखने की कोशिश करती है.
35 वर्षीय रुचि मेहरा जो मुंबई में रहती हैं पति राघव की आदतों से परेशान रहती है, राघव औफिस से आने के बाद जूते कहीं, मोजे कहीं फेंक कर चाय की फरमाइश कर देता है. बस वह चिढ़ जाती है. उस ने अपने पापा को मम्मी के लिए अकसर चाय बना कर देते देखा है, इसलिए वह भी चाहती है कि चलो रोज न सही कभीकभी तो राघव उस के लिए चाय बना ही सकता है और अपने सामान को सही ढंग से तो रख ही सकता है.
बस इसी वजह से अकसर नोकझोंक होतेहोते रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती जा रही थी. उस ने अपनी मां को सब चीजें करीने से निश्चित जगह पर साफसफाई से रखते देखा है, तो वह भी अपने घर में वैसा ही करना चाहती है, जबकि राघव सब चीजें लापरवाही से इधरउधर फेंक देता है. बैड पर गीला तौलिया देखते ही उस का मूड खराब हो जाता है.
कई बार रुचि उस की इन्हीं आदतों के कारण उस से लड़ने लगती है लेकिन राघव के कान पकड़ कर मासूम सा चेहरा बना कर सौरी बोलने पर वह मुसकराने से अपने को नहीं रोक पाती.
बेटी और उस का माइका
बेटी के लिए उस का मायका पावरहाउस की तरह होता है, जहां से लड़की को हमेशा ऐनर्जी मिलती रहती है. उस की मां उस के लिए चाइल्डहुड बडीज होते हैं, जिसे वह कभी नहीं भुला पाती. मांपापा उस की लाइफ का सपोर्ट सिस्टम होते हैं. शादी के बाद भी किसी भी तनाव या परेशानी होने पर वह अपना मन हलका कर लेती है और उन से मदद की आशा भी रखती है.
पुणे की 28 वर्षीय पूर्वी मेहरा ने पंजाब के अभय के साथ लव मैरिज कर ली थी. रईस परिवार की बेटी के लिए छोटे से घर में रहना और उस की छोटी सी तनख्वाह में गुजर करना मुश्किल हो रहा था. उस के पिता से बेटी का दुख देखा नहीं गया. उन्होंने बेटी के अकाउंट में बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी और गाड़ी भी भेज दी. अभय को यह अपना अपमान महसूस हुआ. बस दोनों के आपसी संबंध बिगड़ गए और अंतत: पूर्वी का आपसी सहमति से तलाक हो गया.
बेटियां तो विवाह के बाद भी मां के दिल से जुड़ी रहती हैं. उच्च शिक्षा के बाद बेटी के जीवन के अध्यायों से कन्यादान, पराया धन व विदाई जैसे शब्दों को अब भूल जाने की जरूरत है. शिक्षा बराबरी के दरवाजे खोलती है. बेटी को कभी भी कम न आंकें, खुले मन से बेटियों को उड़ान भरने दें.
अब यह कहने की जरूरत नहीं है कि खाना बनाना सीख लो नहीं तो सास कहेगी कि मां ने तुम्हें कुछ नहीं सिखाया. आज सास भी जानती है कि बेटी पढ़ाई के बाद औफिस में इतनी बिजी रही है कि यह सब करने का अवसर ही नहीं मिला और जरूरत पड़ेगी तो वह सब कर लेगी और यह जो लौकडाउन के दौरान देखने को भी मिला कि सभी ने घर के अंदर रह कर सारे काम किए.
पहले रिश्ता
आज आवश्यकता यह है कि ससुराल वाले या पति स्वयं यह समझ लें कि पति से पहले उस की मां या पेरैंट्स हैं. आपसी रिश्ते बिगड़ने का मुख्य कारण यह मानसिकता है कि शादी के बाद मायका पराया हो गया और अब बहू पर ससुराल का हक है. पति परमेश्वर है. बाद में कोई दूसरा है, जबकि सच तो यह है कि पहले वह रिश्ता है, जिस के साथ इतने साल बिताए यदि उन्हीं के साथ रिश्ता सही से नहीं निभा पाई तो दूसरों के साथ भला क्या निभाएगी. यही वजह है कि बेटियां मन मार कर या छिप कर अपने मां या पापा की मदद करती हैं.
रावी की मां अकेली थीं और उन्हें ओबरी में सिस्ट का औपरेशन कराना था. उस ने पति के विरोध करने पर भी उन की सर्जरी करवाई और अपने घर के पास में फ्लैट में शिफ्ट कराया. सुबहशाम उन के पास जा कर हर तरह से उन की मदद करती रही. दोनों की आपस में अक्सर बहस हो जाती परंतु रावी का कहना था कि मां को इस हालत में वह अकेला कैसे छोड़ सकती है. चाहे रिश्ता टूटे तो टूटे. उसे परवाह नहीं.
आजकल एकल परिवार हैं. जहां 1 या 2 बेटी या बेटे हैं. बेटा विदेश में तो बेटी मां या पेरैंट्स को अकेले कैसे छोड़ सकती है. इसलिए अब आवश्यक है कि बिंदास हो कर अपने मन की बात कहें और करें. कुछ चीजों को पहले क्लीयर करें तब लाइफ में आगे बढें़.
इज्जत और सम्मान
नई दिल्ली की ईशा शर्मा स्पष्ट रूप से कहती हैं कि उन के मातापिता उन के लिए बैकबोन की तरह हैं. मेरे पेरैंट्स मेरे लिए पहले हैं. बाकी रिश्ते बाद में. परंतु इस का मतलब यह नहीं कि मैं पति और ससुराल वालों से प्यार नहीं करती. बेशक वे मेरे लिए बहुत इंपौर्टैंट हैं और मैं उन्हें बहुत प्यार भी करती हूं. वैसे वे भी जानते हैं कि वे मेरे पेरैंट्स के बाद आते हैं.
उत्तराखंड की 31 वर्षीय श्रेया जोशी कहती हैं कि मेरे लिए मेरे पेरैंट्स पहले हैं. उस के बाद कुछ और इसीलिए मैं ने अपने शहर शिमला के लड़के के साथ शादी की है और जब मेरा मन चाहता है तब उन से मिलने पहुंच जाती हूं और आवश्यकता पड़ने पर उन की मदद भी करती हूं .
शादी से पहले हर लड़की के मन में यह भावना रहती है कि उस का पति उस के पेरैंट्स को इज्जत दे और उन्हें अपना समझें. जब पत्नी पति के पेरैंट्स को अपना मान कर उन की जरूरतों का ध्यान रखती है तो फिर पति क्यों नहीं मान सकता? यदि पतिपत्नी दोनों एकदूसरे के पेरैंट्स को मानइज्जत देते हैं जैसाकि आजकल देखा जा रहा है तो जीवन बहुत आसान और खुशनुमा हो जाता है.
32 वर्षीय सना गांगुली कहती हैं कि यह तो सीधासीधा गिव ऐंड टेक का मामला है जब पति पत्नी के पेरैंट्स को अपना पेरैंट्स मानतेसमझते हैं तो फिर पत्नी का भी फर्ज बनता है कि वह भी पति और उन के घर वालों के बीच में न आए और किसी तरह की गलतफहमी न पैदा करे. मांबेटे के प्यार को ऐक्सैप्ट करे, उन से ईर्ष्या न करे. जब पति अपनी मां को ज्यादा अहमियत देते हैं तो उस सच को उसी तरह स्वीकार करें जैसे आप के पति ने आप के और आप के पेरैंट्स के रिश्ते को स्वीकार किया है. इस तरह से साफसाफ गिव ऐंड टेक हुआ.
प्यार और नजदीकियां
अब सिचुएशन बदल चुकी है. अब वह जमाना नहीं रहा जब बेटी के पेरैंट्स उस के घर का पानी भी नहीं पीया करते थे. अब तो बेटियां लड़कों के समान अपने पेरैंट्स की पूरी जिम्मेदारियां निभा रही हैं और ऐसा करने में उन के पति का भी पूरा सहयोग मिल रहा है.
कई बार यह भी देखा जाता है कि आप के और आप के पेरैंट्स के बीच का प्यार और नजदीकियां देख कर पति जैलस फील करते हैं परंतु उस समय आप उन्हें सम?ाएं कि उन की अहमियत भी जिंदगी में कम नहीं है. पेरैंट्स और पति दोनों का स्थान अलगअलग है.
यदि आप के पति आप के मायके के प्रति मोह को देख कर परेशान हैं तो यह आप की ड्यूटी है कि आप उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि ससुराल भी उन के लिए उतना ही अहम है जितना कि मायका. यह आप के व्यवहार में दिखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर आप वहां भी अपने रिश्ते उसी ईमानदारी के साथ निभाएंगी जितनी ईमानदारी से अपने मातापिता के साथ रिश्ता निभाती हैं.
नीना की ननद की शादी थी. उस ने अपनी बचत के रुपयों को खर्च कर के खूब धूमधाम से उस की शादी की, जबकि उस की मां को यह अच्छा नहीं लग रहा था. मगर उस ने किसी की नहीं सुनी. ससुराल में अब नीना को इतनी इज्जत और मानसम्मान मिलता है कि उस की कोई सीमा नहीं और जब उस के भाई मधुर का ऐक्सीडैंट हुआ तो वह तो सुनते ही बेहोश हो गई और हौस्पिटल ले जाना पड़ा. सबकुछ उस के ससुरालवालों ने ही संभाला था.
कुछ लड़कियां शादी के बाद भी उसी तरह से जीना चाहती हैं, जिस तरह से शादी से पहले रहती थीं परंतु शादी के बाद ऐसा संभव नहीं हो सकता. शादी के बाद लड़के और लड़की को एकसाथ रहना होता है इसलिए दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि दोनों एकदूसरे को समझें, एकदूसरे के लाइफस्टाइल के अनुरूप एडजस्ट होने की कोशिश करें.
आप के साथ शादी कर के एक लड़की अपना घरपरिवार छोड़ कर आप के घर आई है तो आप का फर्ज बनता है कि आप उस लड़की की यहां एडजस्ट होने में मदद करें. उस का खयाल रखें क्योंकि लड़की को सब से ज्यादा भरोसा अपने पति पर होता है.
ऐसे पाएं इज्जत
ससुराल वाले और पति अपनी पत्नी को थोड़ा वक्त दें नई जगह में एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगना तो स्वाभाविक ही है. कुछ लोग इतने बेसब्र होते हैं कि पहले दिन से कभी मायके को ले कर तो कभी किसी और बात को इशू बना कर बतंगड़ बना देते हैं. अब बेटियां पहले जमाने की नहीं हैं जो ससुराल वालों की उलटीसीधी बातें सुन लें. आप इज्जत देंगे तभी आप को इज्जत मिल सकती है.
लड़की ससुराल में अपने को अकेला महसूस करती है क्योंकि वह खुल कर अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाती. अरेंज्ड मैरिज में कई बार पत्नी पति से भी ज्यादा नहीं मिलीजुली होती. ऐसे में पति और ससुराल वालों का फर्ज है कि वहां के तौरतरीके खानपान समझने और अपनाने में उस की मदद करें.
गार्गी के मायके में प्याजलहसुन से भी परहेज था और ससुराल में पति नौनवेज का शौकीन. लेकिन उस को याद आया कि उस के पापा भी अपने फ्रैंड्स के साथ नौनवेज खूब स्वाद से खाया करते थे. बस उस ने पति के शौक को स्वीकार कर लिया.