Family : शादी सिर्फ 2 लोगों का ही नहीं बल्कि 2 परिवारों का भी मिलन होता है. हमारी संस्कृति में बहू से अपेक्षा होती है कि वह पति के परिवार को अपना माने लेकिन यह प्रक्रिया कई महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
कई मनोवैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया है और उन के अनुसार, आत्मसम्मान और सीमाओं को बनाए रखते हुए रिश्तों को मजबूत किया जा सकता है.
नर्मी से शुरुआत
अगर आप ससुराल वालों के साथ तालमेल बैठाना चाहती हैं तो शुरुआत में ही टकराव से बचें. छोटेछोटे हावभाव जैसे:
उन के रीतिरिवाजों और पारिवारिक मूल्यों को समझने की कोशिश करें.
शुरू में ज्यादा बदलाव की उम्मीद न रखें, पहले भरोसा बनाएं.
सीमाएं तय करें
बहू को खुद को बदलने के दबाव में नहीं आना चाहिए. अगर आप को कुछ चीजें असहज लगती हैं तो सम्मानजनक तरीके से अपनी सीमाएं तय करें, जैसे:
अगर ससुराल की कोई परंपरा आप को नहीं जंचती तो प्यार से अपनी राय रखें.
अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को नजरअंदाज न करें, चाहे वह आप की नौकरी हो या अकेले समय बिताने की इच्छा.
प्रेम की भाषा समझें
हर इंसान अपने तरीके से प्यार व्यक्त करता है. कुछ लोग शब्दों से, कुछ उपहारों से, कुछ सेवाभाव से और कुछ समय दे कर.
सासससुर की लव लैंग्वेज को सम?ाने की कोशिश करें. अगर वे सराहना पसंद करते हैं तो उन की तारीफ करें. अगर उन्हें सेवाभाव खुश करता है तो उन की सेवा करें.
असली और नकली अपनापन
जब आप खुद को किसी रिश्ते में पूरी तरह खो देती हैं तो अपनापन महसूस करने के बजाय असुरक्षा बढ़ सकती है.
शादी के बाद महिलाएं अकसर खुद को भूल जाती हैं. माना कि परिवार को अपनाना जरूरी है लेकिन यह अपनी इच्छाओं और जरूरतों को दबाने की कीमत पर नहीं होना चाहिए.
अपने विचार और भावनाएं खुल कर रखें ताकि आप ससुराल में अपनी जगह बना सकें.
हर बात पर हां कहना जरूरी नहीं. आत्मसम्मान को बनाए रखना भी जरूरी है.
हर दिन थोड़ा समय खुद के लिए निकालें,
चाहे वह योग हो, किताब पढ़ना हो या दोस्तों से बात करना.
पति के परिवार को अपनाना एक प्रक्रिया है, जिस में धैर्य, समझदारी और आत्मसम्मान की जरूरत होती है. जब आप खुद को खोए बिना परिवार में घुलनेमिलने की कोशिश करेंगी तो न सिर्फ आप का रिश्ता मजबूत होगा बल्कि आप खुद भी खुश और संतुष्ट महसूस करेंगी.