भारत जैसे महान देश में आश्चर्यजनक चीजों की कमी नही है. यहां पर आपको हर जगह कोई न कोई अजब-गजब चीजें मिल ही जाएगी. आपने यहां पर ऐतेहासिक धरोहरें, मंदिर, खूबसूरत जगहों के बारें में सुना और देखा ही होगा. लेकिन आप क्या ऐसे गावों में गए हैं जो अपनी खासियतों के कारण प्रसिद्ध है. जिनके अपने खुद के नियम कानून,एकता, एक जैसे लोगों होने का कारण फेमस है. अगर आप कुछ अलग तरह का ट्रेवल एक्सपीरियंस लेना चाहते है तो एक बार इन गांवों में जरूर जाए जहां आपको कुछ हट कर देखनें को मिलेगा. जानिए भारत के ऐसे गांवों के बारे में..
ऐसा गांव जहां हर कोई संस्कृत में बोलता है
आज देश की राष्ट्र भाषा हिंदी भी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है वही कर्नाटक के शिमोगा शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर मत्तूर और होसाहल्ली, तुंग नदी के किनारे बसे इन गांवों में संस्कृत प्राचीन काल से ही बोली जाती है. यहां लगभग 90 प्रतिशत लोग संस्कृत में बात करते हैं. भाषा पर किसी धर्म और समाज का अधिकार नहीं होता तभी तो गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवार के लोग भी संस्कृत उतनी ही सहजता से बोलते हैं जैसे दूसरे लोग.
एक गांव जो हर साल कमाता है 1 अरब रुपए
यूपी का एक गांव अपनी एक खासियत की वजह से पूरे देश में पहचाना जाता है. शायद आप इस गांव को नहीं जानते होंगे. इस गांव का नाम है सलारपुर खालसा जो अमरोहा जनपद के जोया विकास खंड क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है. इस गांव की जनसंख्या 3500 है. इस गांव के फेमस होने का कारण टमाटर है. इस गांव में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. देश का शायद ही कोई कोना होगा, जहां पर सलारपुर खालसा की जमीन पर पैदा हुआ टमाटर न जाता हो.
हमशक्लों का गांव
केरल के मलप्पुरम जिले का एक गांव कोडिन्ही. इसे जुड़वों के गांव के नाम से जाना जाता है. इस समय यहां पर करीब 350 जुड़वा जोड़े रहते हैं जिनमे नवजात शिशु से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक शामिल है. विश्व स्तर की बीत करें तो हर 1000 बच्चों में 4 बच्चें जुड़वां पैदा होते है. लेकिन इस गांव में हर 1000 बच्चों पर 45 बच्चे जुड़वा पैदा होते है.
ये गांव है भगवान का बगीचा
हमारा देश में सफाई के मामले में बहुत पीछे है लेकिन हमारे देश में एक ऐसा गांव है जो एशिया का सबसे साफ़ सुथरा गांव है.. यह गांव है मोलीनॉन्ग जो मेघालय के खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट में है. सफाई के साथ-साथ यह गांव साक्षरता में भी नम्बर 1 है यहां पर 95 परिवार रहते है जिनकी जीविका का मुख्य कारण सुपारी है. इतना ही नहीं यहां के ज्यादातर लोग अंग्रेजी में बात करते है.
इस गांव में दूध दही मिलता है फ्री
आज जहां लोग किसी से पानी भी नहीं पूछते वहीं यह ऐसा गांव है जहां के लोग कभी दूध या उससे बनने वाली चीज़ो को बेचते नहीं हैं बल्कि उन लोगों को मुफ्त में दे देते हैं जिनके पास गाए या भैंस नहीं हैं. यह अनोखा गांव है गुजरात में बसा धोकड़ा गांव. यहां के एक व्यक्ति ने बताया कि उन्हें एक महीने में 7500 का दूध फ्री मिलता है.
यहां अब भी चलता है राम राज्य
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुके में शनि शिंगनापुर भारत का एक ऐसा गांव है जहां लोगों के घर में एक भी दरवाजा नहीं है यहां तक की लोगों की दुकानों में भी दरवाजे नहीं हैं, यहां पर कोई भी अपनी बहुमूल्य चीजों को ताले– चाबी में बंद करके नहीं रखता फिर भी इस गांव में आजतक कोई चोरी नही हुई. यह जगह शनि मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
एक श्राप के कारण 170 सालों से है वीरान
राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा गांव पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा है. कुलधरा गांव के हज़ारों लोग एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे और जाते-जाते यह श्राप दे गए थे कि यहां फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा. तब से यह गांव वीरान पड़ा है.
कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है. टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है. उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है.
इस गांव का कुछ भी छुआ तो 1000 रुपए का जुर्माना
भारत में एक ऐसा गांव भी है जहां बाहर से आने वाले लोगों को कुछ भी छूना मना है. यहां हर देश का कानून नहीं चलता है. मलाणा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के अति दुर्गम इलाके में है. यहां के लोग खुद को सिकंदर का वंशज मानते है. यह इकलौता गांव है जहां पर सम्राट अखबर की पूजा होती है. इस गांव की विचित्र पंरपराओे के कारण यहां हर साल हजारों संख्या में पर्यटक आते है. लेकिन वो यहां कि कोई चीज नही छू सकते है अगर छुआ तो 1000 से 25000 तक का जुर्माना लगता है.
यह गांव कहलाता है ‘मिनी लंदन’
झारखंड की राजधानी रांची से उत्तर-पश्चिम में करीब 65 किलोमीटर दूर स्थित एक कस्बा गांव है मैक्लुस्कीगंज. एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए बसाई गई दुनिया की इस बस्ती को मिनी लंदन भी कहा जाता है. पश्चिमी संस्कृति के रंग-ढंग और गोरे लोग होने के कारण इसे लंदन का सा रूप देती तो इसे लोग मिनी लंदन कहने लगे.
इंसानों की तरह मैकलुस्कीगंज को भी कभी बुरे दिन देखने पड़े थे. यहां के लोग उस दौर को भी याद करते हैं जब एक के बाद एक एंग्लो-इंडियन परिवार ये जगह छोड़ते चले गए. कुछ 20-25 परिवार रह गए, बाकी ने शहर खाली कर दिया.
इस गांव को घर की छत पर रखी पानी की टंकियों से पहचाना जाता है
पंजाब के जालंधर शहर का एक गांव उप्पलां. यहां के लोगों की पहचान उनके घरों पर बनी पानी की टंकियों से होती है. अब आप सोच रहे होंगे की पानी की टंकियों में ऐसी क्या खासियत है? यहां के मकानों की छतों पर आम वाटर टैंक नहीं है, बल्कि यहां पर शिप, हवाई जहाज़, घोडा, गुलाब, कार, बस आदि अनेकों आकर की टंकिया है.
इस गांव के अधिकतर लोग पैसा कमाने लिए विदेशों में रहते है. गांव में खास तौर पर एनआरआईज की कोठियां में छत पर इस तरह की टंकिया रखी है. अब कोठी पर रखी जाने वाली टंकियों से उसकी पहचानी जा रही हैं.