Upgrade Yourself: अरे प्रशांत, जरा मेरी स्कूटी तो देख ले, बंद हो गई है. शायद, कोई तार हट गया है.

रचना, मम्मी घर पर नहीं है. मेरे लिए ज़रा औमलेट तो बना दो, बहुत देर से भूख लगी है. 

ये बातचीत एक भाई और बहन कर रहे हैं. दोनों ही अच्छी कंपनी में जौब करते हैं और शायद कुछ ही समय के बाद अपनी गृहस्थी अलग बसाने के बारे में भी सोचेंगे. लेकिन इन की बातों से तो यही लगता है कि ये दोनों ही पूरी तरह इंडिपैंडेंट नहीं हैं. शायद रचना को लगता है स्कूटी तो वह चला सकती है लेकिन उसे सही करना उस का काम नहीं है और वहीं प्रशांत को लगता है कि किचन में खाना तो बहन या लड़की ही बना सकती है, वह लड़का हो कर यह काम कैसे करे.

यहां इन दोनों की ही सोच सही नहीं है. 15 साल की उम्र के बाद दोनों ही समझदार हो गए हैं. फिर किसी भी काम को जैंडर के आधार पर डिवाइड क्यों करना? क्या यह सही है?

आप लड़के हो या लड़की, क्या दोनों को ही सब काम नहीं आने चाहिए? कल अगर आप को कहीं बाहर जा कर सैटल होने का मौका मिले तब आप क्या करेंगे?

कंपनी ने कुछ समय के लिए विदेश भेजा. तो प्रशांत वहां कुछ खा ही नहीं पाएगा क्योंकि वह तो प्योर वैजिटेरियन है और उसे घर का ही खाने की आदत है. अब वहां मम्मी और बहन तो नहीं आएंगी ये सब बनाने? फिर कैसे सर्वाइव करेगा वह वहां?

यही बात राधिका पर भी लागू होती है जिस ने पढ़ाईलिखाई और घर के काम तो सीखे लेकिन उसे इलैक्ट्रिक या फिर प्लंबर से जुड़े कोई काम नहीं आते. ऐसे में हर वक्त चाहे आप देश में हो या विदेश में, किसी पर डिपैंडेंट हो. अगर एक बल्ब भी बदलना हो तो किसी को बुलाना पड़ेगा. क्या यह सही है?

बात सिर्फ अभी की नहीं है. शादी के बाद भी हो सकता है वाइफ वर्किंग हो तो क्या वह अकेले ही हर वक्त लड़के के खानेपीने का ध्यान रखेगी?

क्या वह नहीं चाहेगी कि औफिस से आने के बाद हस्बैंड किचन में उस का हाथ बंटाए?

तब आप यह कह कर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि मुझे तो यह सब नहीं आता या मैं यह काम नहीं करूंगा? वह आप के बराबर कमा रही है, फिर वो अकेले घर-बाहर दोनों क्यों संभाले?

वहीं, अगर लड़की का हस्बैंड किसी और शहर में पोस्टेड है और लड़की बच्चों के साथ अकेले है और रात में लाइट की कोई दिक्कत होती है तो छोटामोटा बल्ब आदि बदलना, तार जोड़ना, लूज वायर सही करना आदि काम तो आना ही चाहिए. वरना फिर चाहे लड़का हो या लड़की, दोनों ही परेशानी में आ जाएंगे.

इसलिए अगर आप बड़े हो गए हैं, तो इस बात को समझें कि कोई काम लड़के या लड़की का नहीं होता, सब को सबकुछ आना चाहिए. फिर आप इन कामों के लिए कोई कोर्स करें या फिर अपने किसी फैमिली मैंबर से सीखें.

आइए जानें कैसे बने हर काम में परफैक्ट

 उन चीजों की लिस्ट बनाएं जो आप सीखना चाहते हैं : जब हम कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं तो सब से बड़ा कंफ्यूजन हमें होता है कि हमें क्या सीखना चाहिए. इस समस्या का बहुत आसान सा समाधान है. आप को उन चीजों की लिस्ट बनानी चाहिए जो आप सीखना चाहते हो. एक बार जब आप लिस्ट बना लेंगे तो आप की आधी समस्या हल हो जाएगी.

कोई काम जैंडर का मुहताज नहीं है

सब से पहले तो अपनी यह सोच बदलें कि मैं लड़का हूं और इसलिए यह नहीं करूंगा और मैं लड़की हूं तो यह मेरे बस का काम नहीं है. हर काम हर कोई कर सकता है, यह बस माइंडसेट का खेल है. एक बार सोच लिया कि मुझे सब सीखना है तो आप को उसे सीखने से कोई नहीं रोक सकता. सोचें कि हम में कोई कमी क्यों हो? जरूरत पड़ने पर हमें सबकुछ आना चाहिए.

पढ़ाई के साथ घर के कामों में भी इंट्रैस्ट लें : आजकल लड़कियां भी सोचती हैं कि घर के कामों के लिए तो मेड मिल जाएंगी और अभी मम्मी कर तो रही हैं. वैसे भी, मेरे पास इन कामों को करने का कहां टाइम है. मुझे नहीं पड़ना घरगृहस्थी के चक्करों में. बिलकुल यही सोच लड़कों की भी होती है. लेकिन जौब या पढ़ाई आदि के सिलसिले में घर से बाहर या दूसरे देश और दूसरे शहर जाना पड़ ही जाता है तब आप क्या करेंगी?

भले ही रोज इन कामों को न करें. लेकिन ऐसा भी न हो कि आप को कुछ आता ही न हो. इसलिए अपने घर में किसी काम से न अलकसाएं. आप में इतना दम तो होना ही चाहिए कि कभी मेड न आए, तो आप सब कर लें, किसी के भरोसे न बैठे रहें.

बैंक के काम, प्लंबर, इलैक्ट्रिक, शेयर मार्केट हर काम सीखें : आज जहां लड़कियां चांद तक जा पहुंच रही हैं वहां इन छोटेमोटे कामों के किए आप लड़कों का मुंह देखेंगी. सीरियसली, यकीन नहीं हो रहा. सिर्फ लड़कियां ही क्यों बहुत से लड़के भी ऐसे हैं जिन्हें कुछ नहीं आता. आप भले ही पढ़ाईलिखाई में अच्छे हों पर जिंदगी जीने के लिए पढ़ाई के अलावा भी बहुतकुछ आना चाहिए.

शौर्ट टर्म कोर्स करें : आजकल बहुत से ऐसे कोर्स होते हैं जिन्हें कर के आप बहुतकुछ सीख सकते हैं फिर वह काम चाहे पार्लर का हो, किचन का हो या फिर बाहर के अन्य दूसरे काम. वहां आप को हर चीज सिखाई जाती है. तभी तो जिंदगी जीने का मजा है और उसे आसानी से जिया भी जा सकता है. इसलिए सोचे नहीं बल्कि खुद को कुछ बेहतर बनाने की तरफ कदम बढ़ाइए.

हर काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें : अपने को कुछ कामों में फिक्स न कर लें, बल्कि हर नई चीज ट्राय करें जैसे कि भले ही आप साड़ी न पहनती हों लेकिन अगर मम्मी पहन रही हों, तो कुछ वीडियो देख कर मम्मी की नए स्टाइल में साड़ी पहनने में मदद करें. इसी तरह घर में बिजली वाला आता है, तो देखें वह कैसे क्या कर रहा है. उस में इंट्रैस्ट तो लें, आप को बिना किसी के सिखाए ही बहुतकुछ समझ में आने लगेगा. और फिर आप को आलराउंडर बनते देर नहीं लगेगी.

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