हालांकि अब लॉकडाउन खत्म हो चुका है. लेकिन खेल इवेंट्स का सूखा अब तक बरकरार है. तमाम जगहों पर अभी भी प्रैक्टिस के लिए स्टेडियमों और दूसरे मैदानों में प्रतिबंध है. सवाल है ऐसे में खुद को फिट रखने के लिए महिला खिलाड़ी क्या कर रही हैं? महिला खिलाड़ियों को खुद को फिट रखना इसलिए ज्यादा जरूरी होता है; क्योंकि उनका शरीर पुरुष खिलाड़ियों के मुकाबले बहुत जल्दी शेप से बाहर चला जाता है और वर्कआउट को रिस्पोंड करना छोड़ देता है. इसलिए तमाम मशहूर महिला खिलाड़ी हर दिन खुद को फिट रखने वाले वर्कआउट से जरा भी परहेज नहीं करतीं; क्योंकि उन्हें मालूम है एक बार आलस किया तो अपने कॅरियर तक से उन्हें हाथ धोना पड़ सकता है.

यही वजह है कि हर महिला खिलाड़ी पहले लाॅकडाउन और अब अघोषित सन्नाटे के दौर में अपने आपको फिट रखने के लिए जितना जरूरी है, उससे थोड़े ज्यादा ही वर्कआउट कर रही हैं. बैडमिंटन कोर्ट पर अपने स्मैस और ड्राॅप शाॅट के जरिये प्रतिद्वंदी खिलाड़ियों के छक्के छुड़ा देने वाली साइना नेहवाल इन दिनों घर में ही खोखो खेल रही हैं. यही नहीं वे घर के कई छोटे मोटे काम भी करती नजर आ रही हैं, जिन्हें आमतौर पर करने की उनके पास पहले फुर्सत नहीं होती थी. लेकिन इस सबके बीच वो अपने घर के आंगन में ही नेट लगाकर हर दिन कम से कम दो से ढाई घंटे तक बैडमिंटन की प्रैक्टिस भी करती हैं. इसके बाद उन्हें उनके घर में घंटों तक वर्कआउट करते भी देखा जा सकता है.

 

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कुछ ऐसी ही दिनचर्या इन दिनों लेडी सचिन तेंदुलकर उर्फ मिताली राज की भी है. जैसा कि उनके फैन जानते हैं कि मिताली राज को सोने का जबरदस्त रोग है. उन्हें देर तक सोने में बड़ा मजा आता है. अगर उन्हें लगातार होने वाली सीरीज के बीच कुछ दिनों की छुट्टी मिली होती तो इन दिनों वे जरूर सुबह देर तक सोया करतीं. लेकिन उन्हें मालूम है कि ये कोई चाही गई छुट्टी नहीं है बल्कि मजबूरी ने कोरोना के भय से सबको घरों में कैद कर दिया है. इसलिए वह हर सुबह सामान्य दिनों से भी पहले जगकर कई घंटे तक अपनी छत में वर्कआउट करती हैं. मालूम हो कि उन्होंने अपने घर में शानदार जिम बनवा रखा है. छत के खुल हिस्से में जब वह सूर्य नमस्कार करती हैं तो उनके कई फैन दूर अपनी छतों से दूरबीन के जरिये उन्हें देख रहे होते हैं. लेकिन इससे उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता. वो सूर्य नमस्कार के बाद हार्ड वर्कआउट शुरू करती हैं और करीब एक घंटे के वर्कआउट के बाद सूर्य नमकस्कार करते हुए इसे समाप्त करती हैं.

इसके बाद वह करीब आधे घंटे तक अपनी छत में खुले आसमान के नीचे लेटी होती हैं ताकि वर्कआउट की थकान उतार सकें. फिर वह छत में मौजूद ढेर सारे पौधों को पानी देती हैं. फिर नीचे आती हैं, अपना मनपसंद नाश्ता करती हैं और नेटफ्लिक्स पर पसंदीदा कार्यक्रम देखती हैं. लेकिन हर शाम कम से कम दो घंटे वह अपनी पार्किंग में बल्लेबाजी का अभ्यास करना नहीं भूलतीं. महिला हाॅकी खिलाड़ी सुशीला चानू कोविड-19 की आपदा के चलते मिली छुट्टियों का इस्तेमाल अपनी कमियों को सुधारने में लगातार कर रही हैं ताकि ओलंपिक खेलों के लिए चुनी गईं 24 संभावित हॉकी खिलाड़ियों से उनका चुना जाना सुनिश्चित हो. चानू हर दिन कई घंटे तक न सिर्फ अपने घर में स्टिक लेकर दौड़ते हुए मैच का अभ्यास करती हैं बल्कि वे अपने ही पिछले मैचों के तमाम वीडियो बार बार देखती हैं, जिससे कि उन्हें यह पता चले कि आखिर वो मैदान में गलतियां क्या करती हैं और उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है?

चानू यह तो नहीं कहतीं कि उन्हें अपनी तैयारियों के लिए लॉकडाउन और फिर पोस्ट लाॅकडाउन जैसे फुर्सत के पल मिले, लेकिन उनका यह कहना है कि जब हम किसी भी वजह से घरों में कैद हैं तो क्यों न इस समय का सदुपयोग अपनी चुस्ती फुर्ती को बढ़ाने में किया जाए. चानू ने अपने को फिट रखने के लिए अपने वैज्ञानिक सलाहकार वेन लोबार्ड से शारीरिक अभ्यास का चार्ट बनवाया है, जिस पर वह बेहद अनुशासन से अमल कर रही हैं.

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यह बात हम सब जानते हैं कि भले हमारे पास समय का बेहद अभाव हो, लेकिन अगर किसी भी वजह से हमें यह पता चल जाये कि हमारे पास करने के लिए काम नहीं हैं तो हमारी स्थिति उस स्थिति के मुकाबले कहीं ज्यादा खराब होती है, जब हमें सांस लेने तक की फुर्सत नहीं मिलती. इस मनोविज्ञान का असर हरके व्यक्ति पर पड़ता है. लेकिन अगर कहा जाए खिलाड़ियों पर इसका असर कुछ ज्यादा ही होता है तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगा. यह भी वजह है कि इन दिनों महिला खिलाड़ी बिना एक दिन भी नागा किये लगातार अभ्यास और वर्कआउट कर रही हैं ताकि उन्हें जंग न लगे और कोई पुरुष प्रशिक्षक उन पर यह व्यंग्य न कर सके कि थोड़े दिनों की फुर्सत में आपको हमेशा के लिए फुर्सत में बिठा दिया है.

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