Raksha bandhan Special: जानें मेकअप के 8 सीक्रेट्स

ऐसी कौन सी महिला होगी जो रूपमती नहीं दिखना चाहेगी. इसी प्रयत्न में महिलाएं मेकअप करती हैं, लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि कुछ युवतियां इतनी आकर्षक क्यों लगती हैं जबकि कुछ को देख कर लगता है मानो काजलपाउडर की दुकान चली आ रही हो. मनमोहक मेकअप के कुछ राज आप भी जानिए.

1. पंखुड़ी से होंठ

होंठों पर शुगर स्क्रब (एक चम्मच चीनी, शहद और जैतून का तेल) रगड़ने से उन में खून का संचार बढ़ता है और होंठ मुलायम व गुलाबी हो उठते हैं. फिर आप लिपस्टिक लगाएंगी तो लगेगा मानो मक्खन लगा रही हों. इस से लिपस्टिक अधिक देर तक टिकेगी.

2. उजला, चमकता रूप

चेहरे के जिन भागों पर रोशनी पड़ती है, उन को हाईलाइट करें, जिस से आप का रूप दमक उठेगा. इसे हैलो हाईलाइट तकनीक कहा जाता है. गालों के ऊपर, भवों के सहारे और नाक के सिरे पर हाईलाइटर पाउडर लगा कर उंगलियों को गोलाकार तरीके से घुमाते हुए फैलाएं.

3. सजग नयन

आंखों को बड़ी, जानदार व चमकदार दिखाने के लिए बाजार में उपलब्ध सफेद काजल आंखों की निचली पलकों तथा कोरों पर लगाएं. ऊपरी पलकों पर गहरे रंग का काला काजल या फिर आप की पोशाक से मेल खाता रंग जैसे हरा, नीला, सुनहरा काजल या आईलाइनर लगाएं और अंत में पलकों पर मसकारा लगाएं.

4. फोकस

आप को अपने कजरारे नयनों की ओर ध्यान आकर्षित करना है या रसीले होंठों की ओर, इस बात का निर्णय कर लें. किंतु मेकअप ऐसा हो कि इन दोनों में से किसी एक को अधिक बोल्ड बनाएं. इस के लिए आप को अपनी पोशाक का भी ध्यान रखना होगा. उदाहरणस्वरूप, यदि आप ने साधारण जींस व टौप पहना है तो होंठों को गहरा बरगेंडी रंग दें या अगर आप ने अपनी पसंदीदा काली ड्रैस पहनी है तो आंखों को काजल मसकारे से उभार लें.

5. चमकदार पोशाक तो मैट मेकअप

यदि आप की ड्रैस अधिक चमकदमक वाली है तो ऐसे में मेकअप को मैट फिनिश रखें. कपड़ों और मेकअप दोनों को ही चमचमाचम रखने से आप डिस्को बौल दिख सकती हैं. इसलिए चमकदार पोशाक के साथ मैट आईलाइनर और मैट लिपस्टिक का प्रयोग करें. इस से आप सजीली व फैशनपरस्त दिखेंगी.

6. सिंडरेला इफैक्ट का इलाज

जब पार्टी देर तक चलती हो तो मेकअप का खास खयाल रखें. आप जानती ही होंगी कि मेकअप कितना भी बढि़या हो कुछ घंटे बाद स्वयं ही गायब हो जाता है. इसी को सिंडरेला इफैक्ट कहते हैं. इस का हल भी है. गीले मेकअप के ऊपर सूखे मेकअप की तह चढ़ा लें. जैसे, आईलाइनर के ऊपर आई शैडो की लेयर, फाउंडेशन के ऊपर सूखा कौंपैक्ट तथा हाईलाइटर के ऊपर चमकदार पाउडर फिरा लें.

7. गाढ़े फाउंडेशन का खूबसूरत हल

अकसर फाउंडेशन गाढ़े होते हैं. उन के इस्तेमाल से आप का चेहरा पैन केक सा दिखने का डर रहता है. अपने फाउंडेशन को लगाने से पूर्व आप अपनी हथेलियों को सौंदर्य तेल (जैतून, लैवेंडर, लैमन आदि) की 2 बूदों से हलका गीला कर लें. सौंदर्य तेल मिलने से फाउंडेशन का गाढ़ापन कम हो जाएगा और तेल की चिकनाई से आप की त्वचा भी चमक उठेगी.

8. ब्रश भी उतने ही जरूरी

मेकअप करने के लिए सही प्रकार के ब्रश पर ध्यान देना भी उतना ही आवश्यक है जितना सही मेकअप प्रोडक्ट्स पर. ब्रश चुनने के लिए आप को थोड़ी समझदारी चाहिए, केवल महंगे ब्रश खरीदने से काम नहीं चलेगा बल्कि आप को यह जान कर खुशी होगी कि सस्ते ब्रश भी उतना ही बेहतर काम कर सकते हैं. फाउंडेशन को चेहरे पर एकसार लगाने के लिए मोटा, बढि़या स्पंज इस्तेमाल करें, चेहरे पर पाउडर लगाने के लिए मोटे ब्रश व हाईलाइटर लगाने के लिए कोणीय ब्रश लें.

तो देखा आप ने, कैसे छोटीछोटी सावधानियां साधारण से रंगरूप को उभार कर रमणीय बना सकती हैं. तो रखिए खयाल, बनिए खूबसूरत.

श्रीजा के संघर्ष और हौसले को सलाम

मां की मौत के बाद पिता भी मुंह मोड़ ले तो बच्चों का वर्तमान और भविष्य खराब हो जाना निश्चित ही है पर बिहार की श्रीजा ने 10वीं कक्षा में 99.8′ अंक ला कर मां और बाप दोनों के अभावों में मामा के घर रह कर न केवल जीना सीखा. उसे चैलेंज के रूप में ला कर दिखाया. आमतौर पर सोच यही है कि मां और बाप दोनों के जाने के बाद चाचाताऊ या मामामौसी के यहां पले बच्चे घर में नौकरों की तरह के रह जाते हैं पर सिर्फ किसान चाचा और साधारण से मामा के बल पर श्रीजा बिहार की टौपर बन गई.

श्रीजा सिर्फ 4 साल की थी जब मां की मृत्यु हो गई और कुछ समय बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली और श्रीजा व उस की छोटी बहन को नानानानी के पास छोड़ कर कभी देखभाल तक नहीं की. मामाओं ने ही उसे पाला और पढऩे के मौके दिए.

एक युग था जब सौतेले या पराए बच्चे घरों में ऐसे ही पलबढ़ जाते थे क्योंकि बहुत से बच्चे होते थे और घर भरापूरा होता था. आज जरूरतें बढ़ गईं और कम बच्चे घर में होने की वजह से हर बच्चा पूरी अटैंशन चाहता है. आज मांबाप की ज्यादा ङ्क्षजदगी छोटे बच्चों के चारों ओर घूमती है. ऐसे में जिन के मां या बाप या दोनों न हों, वे बेहद कुंठा में रहते हैं और दूसरों के मिलते प्यार को देख कर उन्हें अपने अभाव कचोटते हैं.

आज बच्चों की जरूरतें बढ़ गई हैं. हैंड मी डाउन यानी उतारे हुए कपड़े पहनने की परंपरा समाप्त होने लगी है. मोबाइल, बदलती किताबें, कोङ्क्षचग, ट्यूटर, पीटीए मीङ्क्षटगों, पिकनिकें, स्कूल ट्रिप, फिल्म, रेस्ट्रा आदि मौजूद नहीं हैं आकर्षक हैं और हरेक को अट्रैक्ट करते हैं. ऐसे में जो उन घरों में पल रहे हैं जहां अगर छत और खाना मिल भी रहा हो तो प्यार और मनुहार का हक न मिले तो बहुत खलता है.

गनीमत है श्रीजा के मामा चंदन और उनके भाई ने श्रीजा और उस की बहन को ढंग से रखा और आज उन का स्थान समाज में ऊंचा है.

असल में पराए बच्चों को अपनाना और उन को पूरा प्यार देना, लाखों करोड़ों के दान से ज्यादा है पर हमारी संस्कृति में भाग्य में लिखा हुआ है कि मान्यता इतनी है कि सगेसंबंधी भी प्यार व सहारे के मारों की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं यह सोच कर कि चाहे अबोध बच्चे ही क्यों न हों, अगर मां और बाप न हों तो वे पिछले जन्मों के कर्मों का फल भोग रहे हैं. उन की जिम्मेदारी नहीं है.

पराए बच्चों को पालना एक अजीब सुख देता है. अपने बच्चों के साथ जब दूसरे भी हों और खुश हो तो ही जीवन संपूर्ण होता है. इसीलिए आज दुनियाभर में गोद लेने वालोंं  की कतारें लगी हैं और लोग बच्चों को गरीब इलाकों से गोद ले रहे हैं चाहे उन की शक्ल, रंग, कद अलग क्यों न हो. ये बच्चे अपने पालने वाले मांबाप से खुश रहते हैं. नाराज तो पादरी पंडे होते हैं जिन्हें लगता है कि इन बच्चों पर उन का अधिकार है और अगर वे…….., मदरसों और चर्चों में होती तो सेवा करते और उन के नाम पर भक्तों का बहका कर पैसे वसूल किया जाता. अनाथालय सदियों से अपनी क्रूरता के लिए जाने जाते हैं. सरकारों द्वार चलाए जा रहे बालगृहों में बेहद लापरवाही और सैक्सुअल शोषण होता है. मामाचाचा के हाथों फिर भी जीवन सुरक्षित है और श्रीजा ने साबित किया है कि ऐसे तनाव में प्रतिभा निखर कर आती है.

औनलाइन फ्रैंड: रिया ने कौनसी बेवकूफी की थी

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स्पाइनल स्टेनोसिस के इलाज के औप्शन कौनसे हैं?

सवाल-

मैं 52 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मुझे स्पाइनल स्टेनोसिस डायग्नोज हुआ है. मैं जानना चाहती हूं कि यह समस्या क्या है और इस के उपचार के कौनकौन से विकल्प उपलब्ध हैं?

जवाब-

स्पाइन में स्पाइनल कार्ड और उस से निकलने वाली तंत्रिकाओं के लिए स्थान होते हैं. ये तंत्रिकाएं संकेतों और संदेशों को मस्तिष्क से शरीर में और शरीर के विभिन्न भागों से मस्तिष्क में पहुंचाती हैं. जब ये स्थान सिकुड़ जाते हैं तब हड्डियों के कारण ये तंत्रिकाएं दब सकती हैं. इस के कारण दर्द हो सकता है, झनझनी आ सकती है या सुन्नपन हो सकता है अथवा मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है. स्पाइनल स्टेनोसिस का सब से प्रमुख कारण औस्टियोअर्थ्राइटिस है. दवा और फिजियोथेरैपी से इसे ठीक करने का प्रयास किया जाता है. स्थिति गंभीर होने पर सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है ताकि तंत्रिकाओं के लिए स्थान बनाया जा सके.

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स्पाइनल इंजरी किसी के भी जीवन की त्रासदपूर्ण घटना हो सकती है. इस से व्यक्ति एक तरह से लकवाग्रस्त हो सकता है. इंजरी जब गरदन में हो तो इस से टेट्राप्लेजिया हो सकता है. यदि इंजरी गरदन के नीचे हो तो इस से पाराप्लेजिया यानी दोनों टांगों और इंजरी से निचले धड़ में लकवा हो सकता है. केंद्रीय स्नायुतंत्र का हिस्सा होने के कारण स्पाइनल कौर्ड की सेहत पर ही पूरे शरीर की सेहत निर्भर करती है. इंजरी से यौन सक्रियता भी प्रभावित हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी ऊंचाई से गिरने, सड़क दुर्घटना, हिंसक या खेल की घटनाओं के कारण हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी के नौनट्रोमेटिक कारणों में स्पाइन और ट्यूमर के टीबी जैसे संक्रमण शामिल हैं.

यौन सक्रियता जरूरी

स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति को यथासंभव आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से में यौन स्वास्थ्य पर चर्चा करना हमेशा वर्जित विषय माना जाता रहा है, इसलिए इस विषय पर बात करने से लोग कतराते हैं और मरीज खामोशी से इसे सहता रहता है. शिक्षा, ज्ञान और जागरूकता के अभाव में लोग ऐसे मरीजों के बारे में यह समझने लगते हैं कि वे यौनेच्छा एवं यौन उत्कंठा से पीडि़त हैं. लेकिन सच यह है कि सामान्य व्यक्ति की तरह ही स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति के लिए भी यौन सक्रियता उतनी ही जरूरी है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- स्पाइनल इंजरी और मैरिड लाइफ

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

दिल वर्सेस दौलत- भाग 2: क्या पूरा हुआ लाली और अबीर का प्यार

अगले दिन लाली के मातापिता ने बेटी को सामने बैठा उस से अबीर के रिश्ते को ले कर अपने खयालात शेयर किए.

लाली के पिता ने लाली से कहा, ‘सब से पहले तो तुम मु झे यह बताओ, अबीर के बारे में तुम्हारी क्या राय है?’

‘पापा, वह एक सीधासादा, बेहद सैंटीमैंटल और सुल झा हुआ लड़का लगा मु झे. यह निश्चित मानिए, वह कभी दुख नहीं देगा मु झे. मेरी हर बात मानता है. बेहद केयरिंग है. दादागीरी, ईगो, गुस्से जैसी कोई नैगेटिव बात मु झे उस में नजर नहीं आई. मु झे यकीन है, उस के साथ हंसीखुशी जिंदगी बीत जाएगी. सो, मु झे इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं.’

तभी लाली की मां बोल पड़ीं, ‘लेकिन, मु झे औब्जेक्शन है.’

‘यह क्या कह रही हैं मम्मा? हम दोनों अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. अब मैं इस रिश्ते से अपने कदम वापस नहीं खींच सकती. आखिर बात क्या है? आप ने ही तो कहा था, मु झे अपना लाइफपार्टनर चुनने की पूरीपूरी आजादी होगी. फिर, अब आप यह क्या कह रही हैं?’

‘लाली, मैं तुम्हारी मां हूं. तुम्हारा भला ही सोचूंगी. मेरे खयाल से तुम्हें यह शादी कतई नहीं करनी चाहिए.’

‘मौम, सीधेसीधे मुद्दे पर आएं, पहेलियां न बु झाएं.’

‘तो सुनो, एक तो उन का स्टेटस, स्टैंडर्ड हम से बहुत कमतर है. पैसे की बहुत खींचातानी लगी मु झे उन के घर में. क्यों जी, आप ने देखा नहीं, शाम को दादी ने अबीर से कहा, एसी बंद कर दे. सुबह से चल रहा है. आज तो सुबह से मीटर भाग रहा होगा. तौबा उन के यहां तो एसी चलाने पर भी रोकटोक है.

‘फिर दूसरी बात, मु झे अबीर की दादी बहुत डौमिनेटिंग लगीं. बातबात पर अपनी बहू पर रोब जमा रही थीं. अबीर की मां बेचारी चुपचाप मुंह सीए हुए उन के हुक्म की तामील में जुटी हुई थी. दादी मेरे सामने ही बहू से फुसफुसाने लगी थीं, बहू मीठे में गाजर का हलवा ही बना लेती. नाहक इतनी महंगी दुकान से इतना महंगी मूंग की दाल का हलवा और काजू की बर्फी मंगवाई. शायद कल हमारे सामने हमें इंप्रैस करने के लिए ही इतनी वैराइटी का खानापीना परोसा था. मु झे नहीं लगता यह उन का असली चेहरा है.’

‘अरे मां, आप भी न, राई का पहाड़ बना देती हैं. ऐसा कुछ नहीं है. खातेपीते लोग हैं. अबीर के पापा ऐसे कोई गएगुजरे भी नहीं. क्लास वन सरकारी अफसर हैं. हां, हम जैसे पैसेवाले नहीं हैं. इस से क्या फर्क पड़ता है?’

‘लेकिन मैं सोच रही हूं अगर अबीर भी दादी की तरह हुआ तो क्या तू खर्चे को ले कर उस की तरफ से किसी भी तरह की टोकाटाकी सह पाएगी? खुद कमाएगी नहीं, खर्चे के लिए अबीर का मुंह देखेगी. याद रख लड़की, बच्चे अपने बड़ेबुजुर्गों से ही आदतें विरासत में पाते हैं. अबीर ने भी अगर तेरे खर्चे पर बंदिशें लगाईं तो क्या करेगी? सोच जरा.’

‘अरे मां, क्या फुजूल की हाइपोथेटिकल बातें कर रही हैं? क्यों लगाएगा वह मु झ पर इतनी बंदिशें? इतना बढि़या पैकेज है उस का. फिर अबीर मु झे अपनी दादी के बारे में बताता रहता है. कहता है, वे बहुत स्नेही हैं. पहली बार जब वे लोग हमारे घर आए थे, दादी ने मु झे कितनी गर्माहट से अपने सीने से चिपकाया था. मेरे हाथों को चूमा था.’

‘तो लाली बेटा, तुम ने पूरापूरा मन बना लिया है कि तुम अबीर से ही शादी करना चाहती हो. सोच लो बेटा, तुम्हारी मम्मा की बातों में भी वजन है. ये पूरी तरह से गलत नहीं. उन के और हमारे घर के रहनसहन में मु झे भी बहुत अंतर लगा. तुम कैसे ऐडजस्ट करोगी?’’ पापा ने कहा था.

‘अरे पापा, मैं सब ऐडजस्ट कर लूंगी. जिंदगी तो मु झे अबीर के साथ काटनी है न. और वह बेहद अच्छा व जैनुइन लड़का है. कोई नशा नहीं है उस में. मैं ने सोच लिया है, मैं अबीर से ही शादी करूंगी.’

‘लाली बेटा, यह क्या कह रही हो? मैं ने दुनिया देखी है. तुम तो अभी बच्ची हो. यह सीने से चिपकाना, आशीष देना, चुम्माचाटी थोड़े दिनों के शादी से पहले के चोंचले हैं. बाद में तो, बस, उन की रोकटोक, हेकड़ी और बंधन रह जाएंगे. फिर रोती झींकती मत आना मेरे पास कि आज सास ने यह कह दिया और दादी सास ने यह कह दिया.

‘और एक बात जो मु झे खाए जा रही है वह है उन का टू बैडरूम का दड़बेनुमा फ्लैट. हर बार त्योहार के मौके पर तु झे ससुराल तो जाना ही पड़ेगा. एक बैडरूम में अबीर के पेरैंट्स रहते हैं, दूसरे में उस की दादी. फिर तू कहां रहेगी? तेरे हिस्से में ड्राइंगरूम ही आएगा? न न न, शादी के बाद मेरी नईनवेली लाडो को अपना अलग एक कमरा भी नसीब न हो, यह मु झे बिलकुल बरदाश्त नहीं होगा.

‘सम झा कर बेटा, हमारे सामने यह खानदान एक चिंदी खानदान है. कदमकदम पर तु झे इस वजह से बहू के तौर पर बहुत स्ट्रगल करनी पड़ेगी. न न, कोई और लड़का देखते हैं तेरे लिए. गलती कर दी हम ने, तु झे अबीर से मिलाने से पहले हमें उन का घरबार देख कर आना चाहिए था. खैर, अभी भी देर नहीं हुई है. मेरी बिट्टो के लिए लड़कों की कोई कमी है क्या?’

‘अरे मम्मा, आप मेरी बात नहीं सम झ रहीं हैं. इन कुछ दिनों में मैं अबीर को पसंद करने लगी हूं. उसे अब मैं अपनी जिंदगी में वह जगह दे चुकी हूं जो किसी और को दे पाना मेरी लिए नामुमकिन होगा. अब मैं अबीर के बिना नहीं रह सकती. मैं उस से इमोशनली अटैच्ड हो गई हूं.’

‘यह क्या नासम झी की बातें कर रही है, लाली? तू तो मेरी इतनी सम झदार बेटी है. मु झे तु झ से यह उम्मीद न थी. जिंदगी में सक्सैसफुल होने के लिए प्रैक्टिकल बनना पड़ता है. कोरी भावनाओं से जिंदगी नहीं चला करती, बेटा. बात सम झ. इमोशंस में बह कर आज अगर तू ने यह शादी कर ली तो भविष्य में बहुत दुख पाएगी. तु झे खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी नहीं मारने दूंगी. मैं ने बहुत सोचा इस बारे में, लेकिन इस रिश्ते के लिए मेरा मन हरगिज नहीं मान रहा.’

‘मम्मा, यह आप क्या कह रही हैं? मैं अब इस रिश्ते में पीछे नहीं मुड़ सकती. मैं अबीर के साथ पूरी जिंदगी बिताने का वादा कर चुकी हूं. उस से प्यार करने लगी हूं. पापा, आप चुप क्यों बैठे हैं? सम झाएं न मां को. फिर मैं पक्का डिसाइड कर चुकी हूं कि मु झे अबीर से ही शादी करनी है.’

‘अरे भई, क्यों जिद कर रही हो जब यह कह रही है कि इसे अबीर से ही शादी करनी है तो क्यों बेबात अड़ंगा लगा रही हो? अबीर के साथ जिंदगी इसे बितानी है या तुम्हें?’ लाली के पिता ने कहा.

‘आप तो चुप ही रहिए इस मामले में. आप को तो दुनियादारी की सम झ है नहीं. चले हैं बेटी की हिमायत करने. मैं अच्छी तरह से सोच चुकी हूं. उस घर में शादी कर मेरी बेटी कोई सुख नहीं पाएगी. सास और ददिया सास के राज में 2 दिन में ही टेसू बहाते आ जाएगी. जाइए, आप के औफिस का टाइम हो गया. मु झे हैंडल कर लेने दीजिए यह मसला.’

इस के साथ लाली की मां ने पति को वहां से जबरन उठने के लिए विवश कर दिया और फिर बेटी से बोलीं, ‘यह क्या बेवकूफी है, लाली? यह तेरा प्यार पप्पी लव से ज्यादा और कुछ नहीं. अगर तू ने मेरी बात नहीं मानी तो सच कह रही हूं, मैं तु झ से सारे रिश्ते तोड़ लूंगी. न मैं तेरी मां, न तू मेरी बेटी. जिंदगीभर तेरी शक्ल नहीं देखूंगी. सम झ लेना, मैं तेरे लिए मर गई.’ यह कह कर लाली की मां अतीव क्रोध में पांव पटकते हुए कमरे से बाहर चली गईं.

जीवन की मुसकान- भाग 3: क्या थी रश्मि की कहानी

और उसी समय रश्मि को लगा, जैसे उस से कोई भारी भूल हो गई है. आगंतुक को देखे बिना बेढंगेपन से बोलने के बाद और आगंतुक को देख लेने के पश्चात उस के चेहरे पर अजीब सा परिवर्तन आ गया. उस की माथे की सलवटें विलीन हो गईं और उस का रौद्र रूप परिवर्तित हो कर असमंजस की स्थिति में पहुंच गया. वह आगंतुक को निहारती ही रह गई. उस की क्रुद्ध आंखें सहज हो कर आगंतुक पर जा टिकीं. वह सूरज था, उस का भाई. उस का परिवार भी इस शहर में ही रहता था. उस की शादी इसी शहर में हो गई थी, जिस परिवार के लोगों से यदाकदा वह मिल सकती थी. सच तो यह था कि परिवार के यहां होने से ही उस की हिम्मत कुछकुछ बाकी थी, नहीं तो सुंदरम के दैनिक कार्यक्रम से तो वह पूरी तरह टूट ही चुकी होती.

परिवार के किसी भी सदस्य से मिल कर उसे बेहद शांति और प्रसन्नता महसूस होती थी. किंतु इस समय ऐसी कोई बात नहीं थी कि भाई को देख कर वह प्रसन्न होती. समय आधी रात का जो था.

जैसे किसी को आशंकाओं के बादल कड़क कर भयभीत कर दें, ऐसी स्थिति से घिरी रश्मि शीघ्रता से बोल उठी, ‘‘सूरज, तुम! इतनी रात गए?’’

‘‘दीदी, दीपू की हालत बहुत खराब है. जीजाजी कहां हैं? उन से कहिए, जल्दी चलें,’’ सूरज ने डरे हुए स्वर में कहा.

‘‘क्या हुआ दीपू को?’’ रश्मि ने अपने छोटे भाई के बारे में पूछा. एकाएक उस की घबराहट बढ़ गई.

‘‘यह तो जीजाजी ही देख कर बता सकेंगे. दीदी, उन्हें जल्दी चलने को कहिए,’’ सूरज बोला, ‘‘समय बताने का भी नहीं है.’’ एकाएक रश्मि लड़खड़ा गई. कड़ाके की सर्दी में भी उस के माथे पर पसीने की बूंदें चमक उठीं. पूरा शरीर जैसे मूर्च्छित अवस्था में पहुंच गया. उस के आगे अपने भाई दीपू का चेहरा घूमने लगा, प्याराप्यारा, भोलाभाला सा वह मासूम चेहरा.

एकाएक उस ने अपने को संयत किया और पूरी शक्ति से बोलने का प्रयास करती हुई वह कह उठी, ‘‘सुनिए, कहां हैं आप? जल्दी तैयार होइए. आप ने सुना, दीपू की हालत गंभीर है. चलिए न, जल्दी कीजिए.’’

‘‘हां, हमें तुरंत चलना चाहिए,’’ सुंदरम, जो पहले से तैयार था, बोला.

कुछ ही देर बाद तीव्र गति से दौड़ रहे, सुंदरम और सूरज के स्कूटरों ने तुरंत उन्हें उन के लक्ष्य तक पहुंचा दिया. स्कूटर रोक कर सुंदरम ने तुरंत अपना बैग संभाला और शीघ्रता से अंदर की तरफ दौड़ा. पीछे से रश्मि को जो लगभग पूरे रास्ते मूर्च्छित सी सुंदरम के पीछे बैठी रही थी, सूरज ने सहारा दिया और कमरे में ले आया. सुंदरम पूरी तन्मयता से दीपू को देखने में जुट गया. यद्यपि उस के माथे पर भी पसीने की बूंदें झलक आई थीं, लेकिन उसे इस की परवा न थी. उस के हाथ सधे हुए और आंखें जौहरी बन कर अपने मरीज को जांच रही थीं. उस का दिमाग केवल अपने मरीज के बारे मेें ही विचारशील था. उसे दीपू के अलावा आसपास की किसी चीज का बोध न था.

जब तक सुंदरम दीपू को देखता रहा, रश्मि, उस की मां, बहनभाई व पिताजी सभी आशंकित से खड़े रहे. सब के सब सांस रोके सुंदरम के चेहरे के उतारचढ़ाव को देख रहे थे, जो पूरी तन्मयता से जांच कर रहा था.

दीपू को इंजैक्शन लगा कर एकाएक सुंदरम के चेहरे के हावभाव में परिवर्तन हो आया. मंदमंद मुसकराते हुए उस ने कहा, ‘‘कोई खतरा नहीं.’’ सब की सांस में सांस आई. वे निश्चिंत हो कर सुंदरम को देखने लगे. सभी के मुंह से एकदम निकला, ‘‘शुक्र है, हम तो घबरा गए थे.’’

वातावरण को अत्यंत शीतलता प्रदान करते हुए सुंदरम ने आगे कहा, ‘‘दीपू को सर्दी लग गई है. उस की सांस सर्दी के कारण ही रुकने लगी थी. मैं ने इंजैक्शन दे दिया है. अब कोई खतरा नहीं है. किंतु…’’ रुक कर उस ने कहा, ‘‘अगर हम देर से पहुंचते तो खतरा बढ़ सकता था.’’

रश्मि दौड़ कर एकाएक सुंदरम से आवेश में लिपट गई, ‘‘सुंदरम, तुम कितने अच्छे हो. तुम ने मेरे भाई को बचा लिया, सुंदरम.’’ और सुंदरम ने मुसकरा कर उसे अपने से अलग किया जो सब के सामने ही उस से लिपट गई थी. होश में आने पर रश्मि भी कुछ झेंप गई. अगले दिन फिर रात को कौलबैल घनघनाई. रश्मि को न जाने क्यों इस बार न कोई क्रोध आया न कोई खीझ.

उस ने चुपचाप उठ कर किवाड़ खोला, ‘‘कहिए?’’

‘‘डाक्टर साहब घर पर हैं? मेरे भाई की हालत बहुत खराब है. जरा उन्हें बुला दीजिए,’’ वैसा ही धीमा और भयभीत स्वर, जैसा सूरज का था. रश्मि को एकाएक लगा, जैसे आज फिर उस का भाई बीमार है जिस के लिए सुंदरम का जाना जरूरी है. तो क्या वह आज भी सुंदरम को रोकेगी?

उसे लगा कि जिस तरह कल मेरा पूरा परिवार भयभीत था, तरहतरह की मनौतियां मन ही मन मना रहा था, सुंदरम के जल्दी पहुंच जाने की इच्छा में बेसब्री से समय बिता रहा था, उसी तरह आज भी एक पूरे परिवार की हालत है. अगर सुंदरम नहीं गया तो एक पूरे परिवार की खुशियां मिट जाएंगी. नहीं, वह अपने सुख के लिए किसी पूरे परिवार को दुख के गर्त में नहीं धकेल सकती, कदापि नहीं. उस के आगे सुंदरम की वह मुसकान खिंच गई जो कल दीपू को बचाने के बाद उस के चेहरे पर आई थी. कितनी गहरी थी वह मुसकान, कैसा संतोष, गौरव भरा था उस मुसकान में. उसे लगा कि जीवन की मुसकान तो किसी को बचा लेने मेें ही है. सच्चा जीवन वही है जो किसी को जीवन दे सके, किसी की रक्षा कर सके. वह इस मुसकान को सुंदरम से छीनने का कभी कोई प्रयास नहीं करेगी. वह अपनी जिंदगी इस तरह बनाएगी जिस से सुंदरम को रोके नहीं और अनगिनत चेहरे नवीन जीवन पा कर झिलमिला उठें. वह अपने पति की राह अब कभी नहीें रोकेगी.

रश्मि बोली, ‘‘सुनिए, जल्दी जाइए, किसी मरीज की हालत चिंताजनक है. जल्दी जाइए न, देरी न जाने क्या कर जाए?’’

‘‘अरे भई, जा रहा हूं. अपना बैग तो लेने दो,’’ सुंदरम ने बाहर निकलते हुए कहा, ‘‘कैसी अजीब हो तुम भी.’’

उस के जाने के बाद रश्मि ने टेप रिकौर्डर चालू कर दिया. आवाजें गूंजने लगीं. ‘रश्मि, आज की रात कितनी मधुर है, कितनी इच्छा होती है, यह रात लंबी, बहुत लंबी हो जाए. कभी खत्म ही न हो.’ ‘रश्मि, मैं तुम्हें बेहद चाहता हूं. सच, रश्मि, तुम से अलग हो कर भी ऐसा लगता है जैसे तुम मेरे करीब हो और तुम्हारे पास होने का एहसास मुझे जल्दी काम करने की प्रेरणा देता रहता है.’ रश्मि को लगा, सुंदरम उस के पास ही बैठा बोलता जा रहा है और वह मंत्रमुग्ध सी सुनती जा रही है. उस ने एकाएक जोर से अविनाश को सीने से लगा कर चिपटा लिया.

करण मेहरा ने Nisha Rawal पर लगाए एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप, कही ये बात

टीवी के पौपुलर सीरियल में से एक ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) फेम एक्टर करण मेहरा अपनी पर्सनल लाइफ के चलते आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. जहां बीते साल एक्टर की वाइफ निशा रावल ने घरेलू हिंसा के आरोप चर्चा में थे तो वहीं अब एक्टर ने एक्ट्रेस के अफेयर का खुलासा कर दिया है, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर छा गए हैं. आइए आपको बताते पूरी खबर…

वाइफ पर लगाए आरोप

 

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हाल ही में एक्टर करण मेहरा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी वाइफ पर जमकर आरोप लगाए हैं. दरअसल, प्रैस कौंफ्रेंस में एक्टर ने खुलासा किया है कि उनकी एक्स वाइफ का मुहबोले भाई के साथ अफेयर है. एक्टर ने कहा, ‘एक तरफ भाई-बहन का रिश्ता है और आप कन्यादान कर रहे हो. वहीं Nisha Rawal (वाइफ) का Rohit Sethia के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है, जिन्होंने उनका कन्यादान किया था.

 

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बेटे के लिए मांगी मदद

 

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वाइफ के अफेयर की बात के साथ-साथ एक्टर करण मेहरा ने बेटे काविश की कस्टडी लेने की बात भी कहीं. एक्टर ने कहा कि वह बेटे से मिलने निशा रावल (Nisha Rawal) के घर 2 नवंबर को गया था. जहां बेटे ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसके घर पर रुकने के लिए आया हूं. लेकिन मैंने मना कर दिया और अपने बेटे को कुछ सामान दिया. वहीं मेरे बेटे ने मुझे केवल 2 बातें बोली कि वह मुझे मिस करता है और मुझसे बहुत प्यार करता है. बेटे की ये बात कहते हुए एक्टर बेहद इमोशनल हो गए और  बताया कि इस कारण उन्होंने बेटे की कस्टडी लेने का फैसला किया. इसी लिए वह मीडिया के सामने मदद के लिए आगे आए हैं.

बता दें, बीते साल घरेलू हिंसा के केस में एक्टर करण मेहरा को जेल के चक्कर काटने पड़े थे. वहीं एक्टर की वाइफ ने उनपर अफेयर होने के बड़े बड़े आरोप भी लगाए थे.

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GHKKPM: पाखी को जेल जाते देख विराट ने दिया ये रिएक्शन, फूटा सई के फैंस का गुस्सा

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin)  इन दिनों लगातार सुर्खियों में बना हुआ है, जिसका कारण मेकर्स का कहानी में आया नया ट्विस्ट है. जहां बीते दिनों सरोगेसी ट्रैक के चलते सीरियल के मेकर्स ट्रोल हुए थे तो वहीं अब अपकमिंग प्रोमो के चलते विराट पर सई फैंस का गुस्सा फूट गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

पाखी को जेल भेजेगी सई

 

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सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ के मेकर्स ने शो का हाल ही में नया प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें सई को पाखी के सरोगेसी की चाल का पता चल गया है और वह उसे जेल भेजती दिख रही है. दरअसल, प्रोमो में सई ने घर में पुलिस को बुलाकर पाखी को गिरफ्तार करवा दिया है. वहीं पाखी को जेल जाते देख विराट, सई को रोकने की कोशिश कर रहा है. हालांकि इस बार सई पूरे परिवार के साथ विराट को धमकी देती हुई दिख रही है कि अगर किसी ने भी पाखी का साथ दिया तो वह अपने बच्चे को लेकर विराट की जिंदगी से बहुत दूर चली जाएगी, जिसे सुनकर सभी हैरान दिख रहे हैं.

विराट पर फूटा फैंस का गुस्सा

शो का प्रोमो देखने के बाद जहां फैंस अपकमिंग ट्विस्ट के लिए एक्साइटेड हैं तो वहीं सई के फैंस विराट को ट्रोल करते दिख रहे हैं. प्रोमो में पाखी के जेल जाने पर विराट का रिएक्शन देखकर फैंस का गुस्सा बढ़ गया है. दरअसल, ट्रोलर्स का कहना है कि सई को विराट ने जब खुद जेल भेजा था तब उसका कुछ और रिएक्शन था. वहीं पाखी के लिए प्यार उमड़ता देख फैंस विराट की क्लास लगा रहे हैं. दूसरी तरफ कुछ ट्रोलर्स का कहना है कि प्रैग्नेंट औरत को जेल कैसे भेजा जा सकता है. मेकर्स को इस ट्रैक पर शर्म आनी चाहिए.

बता दें, सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक में पाखी की डिलीवरी होते हुए दिखने वाली है, जिसके चलते विराट और सई उसकी मदद करते हुए नजर आएंगे.

संयोगिता पुराण: संगीता को किसका था इंतजार- भाग 1

बड़ेबड़ेशहरों में ऐसी छोटीछोटी घटनाएं होती रहती हैं,’’ हमारे किस नेता ने किस दारुण घटना के संबंध में यह वक्तव्य दिया था, अब ठीक से याद नहीं पड़ता. यों भी अपने नेताओं और बुद्धिजीवियों के अमूल्य वक्तव्यों के सुनने के हम इतने आदी हो गए हैं कि अब उन का कोई कथन हमें चौंकाता नहीं. पर जब हमारे छोटे से शहर में अपहरण जैसी घटना घटने की संभावना प्रतीत हो तो हम सब का चौंकना स्वाभाविक था और वह भी तब, जब वह घटना मेरी घनिष्ठ सहेली संगीता और उस के प्रेमी से संबंधित हो.

हमारे छोटे से कसबेनुमा शहर के हिसाब से हमारी सहेली संगीता कुछ अधिक ही फैशन की दीवानी थी. अपनी 18वीं सदी की मानसिकता वाले मातापिता से छिप कर वह ब्यूटीपार्लर भी जाती थी. माथे पर बड़ी अदा से गिरने वाली घुंघराली लटों को घर में घुसने से पहले पीछे खोंस लेती थी. संपन्न परिवार की 3 भाइयों की इकलौती बहन. तरहतरह के सौंदर्यप्रसाधनों के प्रयोग से उस का व्यक्तित्व निखर उठा था. घर में कड़ा ड्रैस कोड लागू होने पर भी वह विशेष अवसरों पर अतिआधुनिक छोटे परिधानों में नजर आ ही जाती थी. अभिभावकों से छिपा कर कैसे वह इन परिधानों को कालेज तक ले आती थी, यह केवल वही जानती थी. पर हम चाह कर भी उस के जैसा साहस नहीं जुटा पाते थे.

‘‘मैं अपना नाम बदलना चाहती हूं,’’ एक दिन संगीता अचानक बोली.

‘‘अपने मातापिता से पूछा है? कितना अच्छा नाम रखा है तेरा, संगीता. वे नाम बदलने की बात सुनते ही भड़क उठेंगे. वैसे कौन सा नाम रखेगी तू?’’ सपना, नीरजा और मैं ने एकसाथ पूछा.

‘‘संयोगिता. कितना अच्छा नाम है. है न? थोड़ा सा ऐतिहासिक, थोड़ा सा रोमांटिक.’’

‘‘तू कब से इतिहास में रुचि लेने लगी और अभी से रोमांस? सोचना भी मत. आंटी और अंकल घर से निकलना बंद कर देंगे.’’

‘‘निर्भय बनो, निडर बनो. डरडर कर जीना भी कोई जीना है… देखो, मैं कैसे मां और पापा को मना कर अपना नाम बदलवाती हूं.’’

मगर अपना नाम नहीं बदलवा पाई थी संगीता. आंटी के कुछ बोलने की नौबत ही नहीं आई. अंकल ने सुनते ही उस की बात को नकार दिया, ‘‘हंसीखेल है क्या नाम बदलना? कोर्टकचहरी के चक्कर लगाओ… अखबार में छपवाओ… और कोई काम नहीं है क्या? मैं इस झमेले में नहीं पड़ना चाहता और फिर संगीता नाम में बुराई क्या है? इन बेकार की बातों को भुला कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. जब देखो तब बेकार की बातें करती रहती हो.’’

‘‘क्या हुआ?’’ दूसरे दिन उस का फूला मुंह देख कर हम हंस पड़े.

‘‘यहां जान पर बनी है और तुम लोगों को हंसी आ रही है.’’

‘‘क्या हुआ तुम बताओगी नहीं तो हम जानेंगे कैसे और जानेंगे नहीं तो सहानुभूति कैसे प्रकट करेंगे?’’ हम ने हंसी दबाने का प्रयास करते हुए कहा.

‘‘पापा ने सुनते ही नाम बदलने की बात रिजैक्ट कर दी. मन की बात मन में ही रह गई. हाय, संयोगिता और पृथ्वीराज… क्या प्रेम कहानी थी… इतिहास में नाम अमर कर दिया.’’

‘‘तो तू अमर होने के लिए नाम बदलना चाहती है?’’ मैं ने गंभीरता से पूछा.

‘‘मैं तो केवल उस घटना की पुनरावृत्ति करने का सपना पूरा करना चाहती हूं,’’ वह अपनी नजरें क्षितिज के पार करते हुए पुन: अपने स्वप्नलोक में खो गई.

हम सहेलियों ने उस की स्वप्निल आंखों के सामने हाथ हिलाहिला कर उसे यथार्थ के धरातल पर उतारा और हंसतेहंसते लोटपोट हो गईं.

‘‘देख संगीता, हम से कहा तो कहा, क्योंकि हम चारों पक्की सहेलियां हैं. हम से तो तू बेधड़क अपने मन की बात कह सकती है पर और किसी के सामने यह सब मत कहना वरना पता नहीं कौन क्या समझे,’’ हम ने उसे समझाया.

‘‘तुम तीनों इस तरह मेरा उपहास नहीं उड़ा सकतीं. तुम सब शायद भूल रही कि 3 वर्ष पहले जब स्कूल के वार्षिकोत्सव में पृथ्वीराजसंयोगिता का नाटक खेला गया था तो संयोगिता का रोल मैं ने ही निभाया था.’’

‘‘तो क्या हुआ? संयोगिता का रोल करने से कोई संयोगिता नहीं बन जाती. मैं उस नाटक में पृथ्वीराज बनी थी. तो क्या मैं पृथ्वीराज बन जाऊंगी?’’ नीरजा ने कहा.

‘‘तू कौन सी मुझे घोड़े पर बैठा कर ले गई थी? नाचने वाले घोड़े पर नाचती हुई आई थी और मैं घिसटती हुई चली गई थी तेरे साथ. पर मैं ने तो अपने रोल में जान डाल दी थी. याद है मेरा परिचय दिया गया तो दर्शक खड़े हो कर देर तक तालियां बजाते रहे थे.’’

‘‘मान लिया तू बड़ी महान अभिनेत्री है, पर अभिनय और जीवन में अंतर होता है… 12वीं कक्षा फेल संयोगिता को भला कौन सा पृथ्वीराज घोड़े पर बैठा कर ले जाएगा?’’ मैं ने उसे समझाना चाहा.

‘‘क्या कह रही है तू? मैं क्या आज तक कभी फेल हुई हूं? देखना सब से ज्यादा नंबर आएंगे मेरे,’’ संगीता नाराज हो गई.

‘‘इसी तरह काल्पनिक पृथ्वीराज के सपनों में खोई रही तो फेल भी हो जाएगी… 10वीं कक्षा की बात और थी, पर इंटर को हंसीखेल मत समझ… परीक्षा में केवल 1 माह रह गया है और तू अपना और हमारा समय खराब कर रही है,’’ मैं तनिक रुष्ट स्वर में बोली.

‘‘अर्चना, तू तो दादीअम्मां की तरह बातें करने लगी है. पर तू ठीक कह रही है. पापा भी यही कह रहे थे. मुझे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए.’’

‘‘वही तो… हम चारों मिल कर पढ़ाई करते हैं. चल साथ मिल कर प्लान करते हैं कि कब और कहां साथ मिल कर परीक्षा की तैयारी करेंगे.’’

‘‘प्लान क्या करना है. प्रैक्टिकल परीक्षा होते ही परीक्षा अवकाश होने वाला है. सदा की तरह मेरे घर आ जाया करना तुम सब. मिल कर परीक्षा की तैयारी करेंगे. पर एक बात है.’’

‘‘वह क्या?’’

‘‘संयोगिता कितनी खुशहाल थी… जिंदगी कितनी रोमांटिक हुआ करती थी. संयोगिता और पृथ्वीराज, पृथ्वीराज और संयोगिता… जीवन कितना रसपूर्ण और भावुक होता था. हमारी तरह घर से स्कूल और स्कूल से घर तक ही सीमित नहीं था. संयोगिता के सपनों का राजकुमार आया और उसे घोड़े पर बैठा कर ले गया. पर ऐसा हमारे हिस्से कहां,’’ संगीता अपने कल्पनालोक में खोई हमें संबोधित कर रही थी.

‘‘बस बहुत हो गया. हमें नहीं करनी साथ मिल कर पढ़ाई वरना संगीता के साथ हम सब भी धराशायी हो जाएंगे… संगीता का पृथ्वीराज उसे ही मुबारक हो,’’ अचानक नीरजा गुस्से में बोली तो हम सब हैरान रह गए.

‘‘कैसी बातें कर रही हो नीरजा. तुम तो हासपरिहास भी नहीं समझतीं,’’ संगीता उदास स्वर में बोली.

‘‘न समझती हूं और न ही समझना चाहती हूं. हमारे साथ पढ़ने की पहली शर्त यही है कि तू पृथ्वीराजसंयोगिता के नाम अपनी जबान पर नहीं लाएगी,’’ नीरजा ने धमकी दी.

लंबे वादविवाद और मानमनौअल के बाद संगीता सहमत हुई. सब ने अपनी सहमति दे दी. संगीता के घर के शांत वातावरण में हम सब खूब मन लगा कर पढ़ाई करते. हमारे घर पासपास होने के कारण यह काफी सुविधाजनक भी था. कुछ समय के लिए ही सही संगीता अपने स्वप्निल संसार से बाहर निकल आई थी. पर जब परीक्षाफल आया तो चौंकने की बारी हमारी थी. यद्यपि हम सभी सहेलियों के अच्छे नंबर आए थे पर संगीता पूरे बोर्ड में प्रथम थी. देखते ही देखते वह सब की आंखों का तारा बन गई.

हमारे बढि़या परीक्षाफल से प्रभावित हो कर हमारे मातापिता ने हमें पास के शहर में रह कर पढ़ने की अनुमति दे दी. उन्हें भी हमारी ही तरह यह विश्वास हो गया था कि हम एकसाथ रह कर अच्छी तरह पढ़ाई कर पाएंगे. एक किराए के घर में हमारे रहने का प्रबंध कर दिया गया. बारीबारी से हम सब की मांएं हमारी देखभाल करने और हम पर नजर रखती थीं. पर संगीता पुन: अपने सपनों में विचरण करने लगी थी.

Top 10 Raksha Bandhan Makeup Tips In Hindi: राखी पर मेकअप के टॉप 10 बेस्ट टिप्स हिंदी में

Top 10 Raksha Bandhan Makeup Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Raksha Bandhan Makeup Tips in Hindi 2022. इन मेकअप टिप्स से आप फेस्टिवल में अपने लुक में चार चांद लगा सकती हैं और फैमिली और फ्रैंडस की तारीफें बटोर सकती हैं. Raksha Bandhan की इन टॉप 10 Makeup Tips से आप घर बैठे अपना मेकअप कैसे करें और मेकअप हटाने के बाद स्किन की केयर कैसे करें इस बारे में जानेंगे. अगर आपको भी है मेकअप की शौकीन हैं और फेस्टिव सीजन में मेकअप करके लोगों की तारीफ पाना चाहते हैं तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Raksha Bandhan Makeup Tips in Hindi.

1. Raksha Bandhan Special: Makeup करते वक्त रखें इन बातों का ख्याल

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क्यूटिस स्किन स्टूडियो की स्किन विशेषज्ञा डाक्टर अप्रतिम गोयल कहती हैं कि मेकअप करना तकरीबन हर महिला जानती है, लेकिन उसे आकर्षक बनाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी होता है ताकि आप सब से अलग और खूबसूरत दिखें:

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2. Raksha Bandhan Special: मेकअप से ऐसे पायें नेचुरल निखार

 Makeup Tips in Hindi

आज के समय में हर लड़की नेचुरली खूबसूरत दिखना चाहती है. जिसका सबसे बेस्ट तरीका है न्यूड मेकअप. आज के ब्यूटी ट्रेंड की बात करे तो न्यूड मेकअप लुक को ज्यादा पसंद किया जा रहा है. टीनेजर्स से लेकर ब्राइड तक इस लुक को बखूबी पसंद कर रही हैं. न्यूड मेकअप लुक में आपका चेहरा बहुत नैचुरल और ग्लोइंग दिखता है. इस लुक की खास बात है दिन हो या रात आप इस न्यूड मेकअप लुक को कभी-भी कैरी कर सकती हैं. न्यूड मेकअप लुक आपको न सिर्फ नेचुरल ब्यूटीफुल बल्कि यंग लुक भी देता है. अगर आप भी न्यूड मेकअप लुक चाहती हैं, तो आजमाएं ये कुछ खास टिप्स.

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3. Raksha Bandhan Special: इन 5 टिप्स से पाएं बेदाग चेहरा

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अकसर औयली स्किन वालों को ही पोर्स के क्लोग होने की दिक्कत होती है और जब पोर्स क्लोग होते हैं तो वे बड़े होने के साथ ज्यादा नजर आने लगते हैं. ऐसे में आप अपने चेहरे पर जो भी ब्यूटी प्रोडक्ट अप्लाई करें, देखें कि वह नौनकोमेडोगेनिक व औयल फ्री हो यानी वह प्रोडक्ट पोर्स को क्लोग नहीं करता हो. स्किन पर किसी भी तरह का कोई भी दागधब्बा किसी को भी पसंद नहीं होता है. लेकिन दागधब्बे तो दूर स्किन पर जब बड़ेबड़े ओपन पोर्स दिखाई देने लगते हैं तो स्किन का अट्रैक्शन कम होने के साथ ही वह भद्दी ही दिखने लगती है. साथ ही और ढेरों स्किन प्रौब्लम्स जैसे ऐक्ने, ब्लैकहेड्स जैसी समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं.

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4. Raksha Bandhan Special: ट्राय करें 5 फेस्टिव Beauty Hacks

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फेस्टिवल्स का समय हो और महिलाएं मेकअप न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता. इस समय तो हर महिला स्टाइलिश एथनिक ड्रेसेस और जूलरी के साथ ब्राइट मेकअप लुक को तरजीह देती है. मगर फेस्टिवल्स के दौरान काम भी बहुत बढ़ जाता है. ऐसे में स्वाभाविक है कि मेकअप के दौरान कुछ गलतियां या चूक हो जाती हैं, जिस से खूबसूरती निखारने के बजाय बिगड़ भी सकती है. आइये ऐल्प्स ब्यूटी क्लिनिक की फाउंडर भारती तनेजा से जानते हैं कि ऐसी गलतियों से कैसे बचा जा सकता है;

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5. Raksha Bandhan Special: न्यूड मेकअप लुक के 11 ट्रिक्स

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कम से कम मेकअप प्रोडक्ट्स के साथ ही मेकअप के लाइट शेड्स से बहुत कम समय में आप न्यूड मेकअप लुक पा सकती हैं. यह काफी क्लासी और सौफिस्टिकेटेड नजर आता है. खास मौकों के साथ ही औफिशियल मीटिंग्स और रैग्युलर डेज में भी न्यूड मेकअप लुक कैरी किया जा सकता है. जानते हैं न्यूड मेकअप लुक के कुछ खास ट्रिक्स.

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6. Raksha Bandhan Special: आम के इन 3 फेस पैक से पाएं नेचुरल ग्लो

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आम खाने के साथ-साथ आपके स्किन में निखार लाने के लिए भी बेहद फायदेमंद है. यह फल कई पैक्स में यह आपकी त्वचा को नई जान भी देता है. आज आपको बताते हैं ऐसे फेसपैक्स के बारे में जो आम से बनते हैं और आपकी त्वचा को खास चमक देते हैं.

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7. Raksha Bandhan Special: डस्की स्किन के लिए ट्राय करें मेकअप टिप्स

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खूबसूरत दिखने के लिए सब से जरूरी है स्वस्थ, चमकती स्किन न कि गोरा रंग. चमकती स्किन के लिए स्वस्थ जीवनशैली और खानपान, अच्छा स्वास्थ्य, गहरी नींद और मन की शांति जरूरी है.

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8. Rakhi Special: ऐसे पहचानें BB, CC और DD क्रीम्स में फर्क

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बात जब ब्यूटी कि आती है तो, महिलाएं ऐसा हर ब्यूटी प्रॉडेक्ट इस्तेमाल करने से नहीं चूकती जो उन्हें और खूबसूरत बनाए. बाजार में लगभग हर रोज महिलाओं कि जरूरत के मुताबिक नए ब्यूटी प्रॉडेक्ट्स कि भरमार होती रहती है, लेकिन ऐसे में अक्सर वे ये जांचना भूल जाती हैं कि आखिर यह कैसे काम करेगा, इसका क्या इफेक्ट होगा? और इन सब नए ब्यूटी प्रॉडेक्ट्स के चक्करों में आप मात खा जाती हैं.

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9. Rakhi Special: रेडी टू गो पार्टी मेकअप टिप्स

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अगर आपको एक बेहद खास पार्टी का हिस्सा बनना है और पार्लर बंद है. ऐसी स्थि‍ति में कोई भी परेशान हो सकता है. खासतौर पर वो महिलाएं जिन्हें मेकअप करना बिल्कुल भी नहीं आता है. पर अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. हर पार्टी के लिए पार्लर जा पाना तो संभव नहीं होता इसलिए पार्टी मेकअप के कुछ फटाफट टिप्‍स पता चल जाएं तो सारी उलझन मिनटों में सुलझ जाएगी. यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे टिप्‍स जो आपके लुक और इमेज को पार्टी में खराब नहीं होने देंगे.

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10. 9 Makeup Tips जो देंगे इस फैस्टिव सीजन आपको ग्लैमर लुक

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त्योहारों में परंपरा, उत्साह और ढेर सारी खुशियां अन्य त्योहारों की तरह ही मनाई जाती है. महिलाओं को समर्पित ये त्योहार महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खास इसलिए भी होता है, क्योंकि इस दिन उन्हें खूब सजने संवरने का मौका मिलता है. इस दिन वो मनपसंद परिधान के साथ, गहने और मेकअप का इस्तेमाल करके खुद को खूबसूरत बनाती है. आप भी ग्लैमर लुक चाहती हैं तो मेकअप से जुड़ी इन चीजों को बिलकुल मत भूलिएगा.

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Top 10 Monsoon Homecare Tips In Hindi: मौनसून में होमकेयर से जुडी खबरें हिंदी में

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