थोड़ी सी जमीं थोड़ा आसमां- भाग 2: क्या थी कविता की कहानी

शाम के नारंगी रंग, स्याह रंग ले चुके थे. आकाश में तारों का झुरमुट झिलमिलाने लगा था, पर रंजन नहीं आया. अकेली बैठी कविता फोन की ओर देख रही थी. तभी फोन की घंटी बजी, ‘‘हैलो, कविता, राघव बोल रहा हूं, कैसी हो? और रंजन कहां है?’’

‘‘वह तो अब तक आफिस से नहीं लौटे.’’

‘‘चलो, आता ही होगा, तुम अपना और रंजन का खयाल रखना.’’

‘‘जी,’’ कहते हुए कविता ने फोन रख दिया.

न चाहते हुए भी कविता दोनों भाइयों की तुलना कर बैठी, कितना फर्क है दोनों में. एक नदी सा शांत तो दूसरा सागर सा गरजता हुआ. मेरी शादी रंजन से नहीं राघव से हुई होती तो…वह चौंक पड़ी, यह कैसा अजीब विचार आ गया उस के मन में और क्यों?

तभी रंजन घर में दाखिल हुआ. कविता ने घड़ी की ओर देखा तो रात के 10 बज चुके थे.

‘‘कविता, मुझे खाना दे दो, मैं बहुत थक गया हूं, सोना चाहता हूं.’’

कविता ने चौंक कर कहा, ‘‘मैं ने तो खाना बनाया ही नहीं.’’

‘‘क्यों…’’ रंजन ने पूछा.

‘‘तुम्हीं तो कह कर गए थे न कि खाना मत बनाना, कहीं बाहर चलेंगे.’’

‘‘ओह, मुझे तो इस का ध्यान ही नहीं रहा…आज तो मैं इतना थका हूं कि कहीं जाना नहीं हो सकता. चलो, तुम जल्दी से मेरे लिए कुछ बना दो,’’ इतना कह कर रंजन कमरे की ओर बढ़ गया और कविता अपना होंठ काट कर रसोई में चली गई.

एक सप्ताह में ही कविता अकेलेपन से घबरा उठी. रंजन रोज घर से जल्दी जाता और बहुत देर से वापस आता. कभी थकान से चूर हो कर सो जाता तो कभी अपने शरीर की जरूरत पूरी कर के. जब यह सब कविता के लिए असहाय हो जाता तो वह अनायास ही राघव की यादों में खो जाती. राघव ने उस से कहा था कि जब बहुत परेशान हो और किसी काम में मन न लगे तो वह करो जो तुम्हें सब से अच्छा लगता हो, यह तुम्हें मन और तन की सारी परेशानियों से मुक्त कर देगा. वह यही करती और सारीसारी शाम नाचते हुए बिता देती थी.

एक शाम रंजन को जल्दी घर आया देख कविता खुशी से चहक कर बोली, ‘‘अरे, आज तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए? क्या मेरे बिना मन नहीं लग रहा था?’’

रंजन ने हंस कर कहा, ‘‘ज्यादा खुश मत हो और जल्दी से मेरा सामान पैक कर दो, आफिस के काम से मुझे आज शाम क ो ही दिल्ली जाना है.’’

कविता मायूस हो कर बोली, ‘‘रंजन, तुम भूल गए क्या, कल हमारी शादी की सालगिरह है.’’

रंजन अपने सिर पर हाथ मारते हुए बोला, ‘‘ओह…मैं तो भूल ही गया था, कोई बात नहीं, मेरे वापस आने पर हम सालगिरह मना लेंगे.’’

कविता ने पति को मनाते हुए कहा, ‘‘आप प्लीज, मत जाओ, मैं घर में अकेली कैसे रहूंगी?’’

रंजन ने झल्लाते हुए कहा, ‘‘तुम कोई छोटी सी बच्ची नहीं हो, जो अकेली नहीं रह सकतीं, मेरा जाना जरूरी है.’’

रंजन को जाना था सो वह चला गया. कविता अपनी उम्मीदों और सपनों के साथ अकेली रह गई. सालगिरह के दिन राघव ने फोन किया तो कविता की बुझी आवाज को भांपते हुए उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ, कविता, तुम उदास हो? रंजन कहां है?’’

राघव की बातें सुन कर कविता बोली, ‘‘वह आफिस के काम से दिल्ली गए हैं.’’

कविता को धैर्य बंधाते हुए राघव ने कहा, ‘‘तुम परेशान मत हो, मैं और मां कल ही वापस आ रहे हैं.’’

अगली शाम ही राघव और मां को घर के दरवाजे पर देख कविता खिल उठी. सामान रखते हुए राघव बोले, ‘‘कैसी हो कविता?’’ तो कविता ने उन के जाने के बाद रंजन से हुई सारी बातें बता दीं. राघव एक लंबी सांस ले कर बोले, ‘‘मैं तो यहां से यह सोच कर गया था कि इस तरह तुम दोनों को करीब आने का मौका मिलेगा, पर यहां तो सारा मामला ही उलटा दिखता है.’’

कविता ने चौंक कर कहा, ‘‘इस का मतलब आप बिना कारण यहां से गए थे? अब आप मुझे अकेला छोड़ कर कभी मत जाना. आप के होने से मुझे यह एहसास तो रहता है कि कोई तो है, जिस से मैं अपनी बात कह सकती हूं.’’

‘‘अच्छा बाबा, नहीं जाऊं गा.’’

कविता ने हंस कर कहा, ‘‘पर इस बार जाने की सजा मिलेगी आप को.’’

‘‘वह क्या?’’

‘‘आज आप को हमें आइसक्रीम खिलानी होगी.’’

उस शाम बहुत अरसे बाद कविता खुल कर हंसी थी. वह अपने को बहुत हलका महसूस कर रही थी. दोचार दिन में रंजन भी वापस आ गया. आते ही उस ने कविता को मनाने के लिए एक शानदार पार्टी दी. अब वह कविता को भी वक्त देने लगा था. कविता को लगा मानो अचानक सारे काले बादल कहीं खो गए और कुनकुनी धूप खिल आई हो.

तभी एक शाम आफिस से आते ही रंजन ने कहा, ‘‘कविता, मेरा सामान पैक कर दो. मुझे आफिस के काम से लंदन जाना है.’’

कविता ने खुश हो कर पूछा, ‘‘अरे, वाह, कितने दिन के लिए?’’

रंजन नजरें झुका कर बोला, ‘‘6 माह के लिए.’’

कविता के साथ राघव और मां भी अवाक् रह गए.

मां ने रंजन से कहा भी कि 6 माह बहुत होते हैं बेटा, कविता को इस वक्त तेरी जरूरत है और तू जाने की बात कर रहा है, ऐसा कर, इसे भी साथ ले जा.

रंजन ने झल्ला कर कहा, ‘‘ओह मां, मैं वहां घूमने नहीं जा रहा हूं, कविता वहां क्या करेगी? और फिर 6 माह कैसे बीत गए पता भी नहीं चलेगा.’’

कविता कमरे में जा कर शांत स्वर में बोली, ‘‘रंजन, प्लीज मत जाओ. इस वक्त मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है.’’

‘‘क्यों, इस वक्त में क्या खास है?’’

कविता ने सकुचाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं.’’

रंजन चौंक कर बोला, ‘‘क्या… इतनी जल्दी…’’ फिर कुछ पल खामोश रह कर उस ने कहा, ‘‘सौरी कविता, इस के लिए मैं तैयार नहीं था, लेकिन अब किया क्या जा सकता है.’’

कविता रंजन के सीने पर अपना सिर टिकाती हुई बोली, ‘‘तभी तो कह रही हूं कि मुझे छोड़ कर मत जाओ.’’

रंजन ने उसे अपने से अलग किया और फिर बोला, ‘‘तुम अकेली कहां हो कविता, यहां तुम्हारा ध्यान रखने को मां हैं, भैया हैं.’’

कविता ने चिढ़ते हुए कहा, ‘‘तुम क्यों नहीं समझते कि औरत का घर परिवार उस के पति से होता है, वही न हो तो क्या घर, क्या घर वाले? तुम्हारी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता, रंजन.’’

‘‘तुम्हारे साथ बिताने को तो सारी उम्र पड़ी है, कविता,’’ रंजन बोला, ‘‘पर विदेश जाने का यह मौका फिर नहीं आएगा.’’

इस के बाद कविता कठपुतली की तरह रंजन का सारा काम करती रही, पर उस से एक बार भी रुकने को नहीं कहा. रंजन को एअरपोर्ट छोड़ने भी राघव अकेले ही गए थे. रंजन के जाने के बाद कविता सारा दिन काम करती और खुश रहने का दिखावा करती पर उस की आंखों की उदासी को भांप कर राघव उस से कहते, ‘‘कविता, तुम मां बनने वाली हो, ऐसे समय में तो तुम्हें सदा खुश रहना चाहिए. तुम उदास रहोगी तो बच्चे की सेहत पर इस का असर पड़ेगा.’’

जवाब में कविता हंस कर कहती, ‘‘खुश तो हूं, आप नाहक मेरे लिए परेशान रहते हैं.’’

मां और राघव भरसक कोशिश करते कि कविता को खुश रखें, पर रंजन की कमी को वे पूरा नहीं कर सकते थे. राघव कविता के मुंह से निकली हर इच्छा को तुरंत पूरी करते. इस तरह कविता को खुश रखने की कोशिश में वह कब उस को चाहने लगे, उन्हें खुद पता नहीं चला.

वार पर वार- भाग 2: नमिता की हिम्मत देख क्यों चौंक गया भूषण राज

नमिता किस मुसीबत में फंस गई थी? क्या करे, क्या न करे? वह रातदिन सोचती रहती. जब से भूषण राज ने उस की पीठ को सहलाना शुरू किया था और उस के गालों को उंगलियों के बीच फंसा कर कभी धीरे से तो कभी जोर से चिकोटी काट लेता था, तब से वह और ज्यादा डरने लगी थी.

भूषण राज जब इस तरह की हरकतें करता तो नमिता अपने शरीर को मेज पर टिका देती कि कहीं उस के हाथ उस गोलाइयों को न लपक लें. वह हर मुमकिन कोशिश करती कि भूषण राज उस के साथ कोई गलत हरकत न करने पाए, पर शिकारी भेडि़ए के पंजे अकसर उस के कोमल बदन को खरोंच देते.

एक दिन तो हद हो गई. भूषण राज ने उस के दोनों गालों पर हाथ फिराते हुए आगे की तरफ से ठोढ़ी और गरदन को सहलाना शुरू कर दिया, फिर धीरेधीरे हाथों को आगे बढ़ाते हुए उस के गालों की तरफ झुक आया. जब उस की गरम सांसें नमिता के बाएं गाल से टकराईं तो वह चौंकी, झटके से बाईं तरफ मुड़ी तो भूषण राज का मुंह सीधे उस के होंठों से जा लगा.

उस ने भूखे भेडि़ए की तरह नमिता के दोनों होंठ अपने मुंह में भर लिए. इसी हड़बड़ी में उस के हाथ नमिता की छाती को मसलने लगे. पलभर के लिए वह हैरान सी रह गई. जब उस की समझ में आया तो उस ने झटका दे कर अपनेआप को छुड़ाया और धक्का दे कर उसे पीछे किया.

भूषण राज पीछे हटते हुए मेज से टकराया और गिरतेगिरते बचा.

नमिता कमरे से बाहर जा चुकी थी. अपनी सांसें काबू करने में उसे बहुत देर लगी. उस की आंखों के सामने अंधेरा सा छा गया था. उस का दिल और दिमाग दोनों सुन्न से हो गए थे. कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?

उधर भूषण राज अपनी सांसों को काबू में करते हुए मन ही मन खुश हो रहा था कि एक मंजिल उस ने हासिल कर ली थी, अब आखिरी मंजिल हासिल करने में कितनी देर लग सकती थी.

नमिता के पास अब 2 ही रास्ते बचे थे. या तो वह नौकरी छोड़ देती या भूषण राज के साथ समझौता कर उस के साथ नाजायज रिश्ता बना लेती. पहला रास्ता आसान नहीं था और दूसरा रास्ता अपनाने से न केवल बदनामी होती, बल्कि उस की जिंदगी भी तबाह हो सकती थी.

भूषण राज उस का ही नहीं, पूरे औफिस का बौस था. नमिता को अब जब भी बौस उसे अपने कमरे में बुलाता, जानबूझ कर देरी से जाती. बारबार कहने के बावजूद भी नमिता कुरसी पर नहीं बैठती, बल्कि खड़ी ही रहती, ताकि जैसे ही बौस अपनी कुरसी से उठ कर खड़ा हो और उस की तरफ बढ़े, वह दरवाजे की तरफ सरक जाए.

भूषण राज चालाक भेडि़या था. उस ने अपना पैतरा बदला. अब वह नमिता को किसी सैक्शन से कोई फाइल ले कर आने के लिए कहता. वह फाइल को ले कर आती तो कहता, ‘‘देखो, इस में एक लैटर लगा होगा… पिछले महीने हम ने मुंबई औफिस से कुछ जानकारी मांगी थी. उस का जवाब अभी तक नहीं आया है. एक रिमाइंडर बना कर लाओ… बना लोगी?’’ वह थोड़ी तेज आवाज में कहता, जैसे धमकी दे रहा हो.

नमिता जानती थी कि भूषण राज जानबूझ कर उसे तंग करने के लिए यह काम सौंप रहा था, ताकि काम न कर पाने के चलते वह उसे डांटडपट सके.

‘‘मैं कर लूंगी सर,’’ कहते हुए वह बाहर निकल गई.

भूषण राज अपनी कुटिल मुसकान के साथ मन ही मन सोच रहा था, ‘कहां तक उड़ोगी मुझ से? पंख काट कर रख दूंगा.’

नमिता ने सब्र से काम लिया. वह संबंधित अनुभाग के अधीक्षक के पास गई और अपनी समस्या बताई. कार्यालय अधीक्षक समझदार था. उस ने नमिता का रिमाइंडर तैयार करा दिया. वह खुशी खुशी फाइल के साथ रिमाइंडर ले कर भूषण राज के चैंबर में घुसी. वह किसी फाइल पर झुका हुआ था, चश्मा नाक पर लटका कर उस ने आंखें उठाईं और त्योरियां चढ़ा कर पूछा, ‘‘तो रिमाइंडर बन गया?’’

‘‘जी सर, देख लीजिए,’’ नमिता आत्मविश्वास से बोली. उस की अंगरेजी और टाइपिंग दोनों अच्छी थीं. भूषण राज ने सरसरी तौर पर लैटर को देखा और घुड़क कर बोला, ‘‘तो ऐसे बनाया जाता है रिमाइंडर? तुम्हें कोई अक्ल भी है.

‘‘यह देखो, यह फिगर गलत है. यह कौलम तो बिलकुल सही नहीं बना है. इस का प्रेजेंटेशन ठीक नहीं है… और यह कौन से फौंट में टाइप किया है… जाओ, दोबारा से बना कर लाओ, वरना समझ लो, अभी प्रोबेशन में हो.

‘‘मन लगा कर काम करो, वरना जिंदगीभर इसी ग्रेड में पड़ी रहोगी. कभी प्रमोशन नहीं मिलेगा.’’

नमिता कुछ देर तो सहमी खड़ी रही. उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि ड्राफ्ट में क्या गलती थी. वह तकरीबन रोंआसी हो गई. 2 साल तक भूषण राज ने भले ही उस से एक पैसे का काम नहीं लिया था, पर बातें बहुत मीठी की थीं. अब अचानक उस के बरताव में आए इस बदलाव से नमिता हैरान थी.

अब यह रोज का नियम बन गया था. भूषण राज नमिता को रोज कोई न कोई मुश्किल काम बता देता. वह सही ढंग से काम कर भी देती, तब भी उस के काम में नुक्स निकालता, जोरजोर से सब के सामने उसे डांटता, उस को जलील करता.

‘‘तो यह है तुम्हारी परेशानी की वजह,’’ प्रीति ने लंबी सांस ले कर कहा, ‘‘समस्या बड़ी है… तो क्या सोचा है तुम ने? क्या तुम समझती हो कि इस तरह की लड़ाई से तुम खुद को बचा पाओगी? नामुमकिन है… मैं ने इस दफ्तर में तकरीबन 10 साल गुजारे हैं. मैं उस की एकएक हरकत से वाकिफ हूं.

‘‘मैं जब यहां आई थी, तब शादीशुदा थी. वह केवल कुंआरी लड़कियों पर नजर डालता है. 10 सालों में मैं ने बहुतकुछ देखा है… कितनी लड़कियों को मैं ने यहीं पर हालात से समझौता करते हुए देखा है, कितनी तो जबरदस्ती उस की हवस का शिकार हुई हैं.’’

‘‘मेरे लिए यह अच्छी नौकरी और इज्जत दोनों ही जरूरी हैं. मैं दोनों में से किसी को खोना नहीं चाहती. नौकरी जाने से मेरे मांबाप, भाई और बहन की जिंदगी पर असर पड़ेगा. इज्जत खो दी, तो फिर मेरे जीने का क्या मकसद…’’ नमिता की आवाज में हताशा टपक रही थी.

प्रीति ने उस के हाथ को थामते हुए कहा, ‘‘इस तरह निराश होने से काम नहीं चलेगा. क्या तुम किसी लड़के को प्यार करती हो?’’

नमिता ने चौंकती नजरों से प्रीति को देखा. उस के इस अचानक किए गए सवाल का मतलब वह नहीं समझी, फिर सिर झुका कर बोली, ‘‘उस हद तक नहीं कि उस से शादी कर लूं. कालेज में इस तरह के प्यार हो जाते हैं, जिन का कोई गंभीर मतलब नहीं होता. बस, एकदूसरे के प्रति खिंचाव होता है. ऐसा ही पहले कुछ था… 2 लड़कों के साथ, पर अब नहीं, लेकिन आप ने क्यों पूछा?’’

‘‘यही कि शिद्दत से किसी को प्यार करने वाली लड़की के कदम जल्दी किसी और राह पर नहीं चलते. मैं ऐसा समझ रही थी, शायद तुम अपने प्यार की खातिर भूषण राज के मनमुताबिक नरमदिल नहीं हो पा रही हो, वरना रुपएपैसे के साथसाथ जवानी का मजा कौन लड़की नहीं उठाना चाहती.’’

नमिता के सीने पर जैसे किसी ने घूंसा मार दिया हो. वह कराहते हुए बोली, ‘‘तो क्या मैं भूषण राज के नीचे लेट जाती?

क्या किसी को प्यार न करने वाली लड़की इज्जतदार नहीं होती?’

प्रीति आगे बोली, ‘‘अगर तुम्हारी नौकरी बनी रहेगी तो सारी सुखसुविधाएं तुम्हारे कदमों में बिछी रहेंगी. तुम्हारी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. अच्छे घर में शादी हो जाएगी. और क्या चाहिए तुम्हें?’’

Festive Special: न्यूड मेकअप का है ट्रैंड

लेखिका- आश्मीन मुंजाल

यह जरूरी नहीं है कि आप फुल मेकअप से ही सुंदर दिखेंगी. कम मेकअप में भी आप की सुंदरता सब को आकर्षित कर सकती है. न्यूड मेकअप आप की त्वचा को इवनटोन रखता है, जिस से चेहरा निखर कर सामने आता है. मेकअप बेस जितना न्यूट्रल होगा आप उतनी ही खूबसूरत लगेंगी.

चीक्स मेकअप

टोनर है जरूरी:

अपने चेहरे को फेस वाश से धो कर कौटन बौल को टोनर में भिगो कर उस से चेहरे को पोंछें. मेकअप से पहले जितना जरूरी फेस वाश करना होता है उतना ही जरूरी उस पर टोनर लगाना भी होता है. टोनर लगाने से चेहरे का मेकअप बरकरार रहता है और वह फैलता भी नहीं है.

फाउंडेशन का चयन:

फाउंडेशन का चयन अपनी स्किन टोन के हिसाब से करना चाहिए. हमेशा अपनी स्किन से मैच करता फाउंडेशन ही चुनें. हर 5 साल में स्किन टोन बदलती है. यानी आप को हर 5 साल में अपनी स्किन टोन के अनुसार अलग फाउंडेशन की जरूरत होती है. इसी तरह फाउंडेशन लगाने के बाद इसे ब्रश से एकसमान करना चाहिए. ताकि स्किन पर एकसमान रंगत दे. फाउंडेशन अपने चेहरे के रंग से एक शेड हलका यूज करें. इस से चेहरा नैचुरल लगेगा. इस के साथ ही कौंपैक्ट भी फाउंडेशन के रंग का ही यूज करें.

कंसीलर पर हमेशा ध्यान दें:

कंसीलर से चेहरे के दागधब्बों और मुंहासों को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही यह चेहरे पर दिखने वाली उम्र की रेखाओं को भी छिपाता है. इस का इस्तेमाल सिर्फ इन चीजों को छिपाने के लिए ही करें और स्किन कौंप्लैक्शन से मैच करता टू वे केक लगाएं. टू वे केक को शरीर के अन्य खुले भागों जैसे कि गरदन, पीठ, कानों एवं कानों के पीछे भी लगाएं.

ब्लशर:

चीक्स पर दिन के समय रोजी ब्लशर यूज न करें. इसे रात में लगाएं और वह भी नाक से डेढ़ से 2 इंच की दूरी से लगाना शुरू करें. दिन में गुलाबी गालों पर खूबसूरती की छटा बिखेरने के लिए अपनी स्किन टोन से मैच करता बहुत ही लाइट ब्लश औन लगाना चाहिए. इस से मेकअप नैचुरल दिखता है.

आई मेकअप

आईशैडो:

दिन में डार्क कलर का आईशैडो मेकअप को बहुत हैवी बना देता है, इसलिए हमेशा न्यूड या न्यूट्रल कलर का आईशैडो लगाएं. यह नैचुरल भी लगता है और क्लासी भी. मेकअप को नैचुरल दिखाने के लिए लाइट ब्राउन कलर से आंखों को डीप सैट कर के नैचुरल ब्राउन कलर का आईशैडो लगाएं. अगर आप को झुर्रियों की भी शिकायत है तो क्रीम आईशैडो इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उस की जगह पाउडर आईशैडो का इस्तेमाल करें. यह आप के लिए काफी अच्छा रहेगा. शिमर आईशैडो का प्रयोग न करें. यदि आईब्रोज के नीचे हाईलाइट करना चाहती हैं, तो क्रीम कलर से हाईलाइट कर सकती हैं.

आईलाइनर या मसकारा:

सुबह के समय कोशिश करें आईलाइनर या मसकारा आंखों के ऊपर और नीचे एकसाथ न लगाएं. एक पतली सी आईलाइनर या काजल की रेखा खींच सकती हैं. डार्क कलर के आईलाइनर को आंखों की लोअरलिड में लगाने से बचें. इस से आंखें थकीथकी सी लगने लगती हैं. इन की जगह व्हाइट या न्यूड कलर के शेड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं.

शेप डिफाइन करने के लिए आईलाइनर की जगह आईलैश ज्वौइनर का इस्तेमाल करें, क्योंकि यह दिखाई भी नहीं देता है और आंखों की शेप भी हाईलाइट करता है. आंखों में काजल जरूर लगाएं. इस से आंखें प्यारी और कजरारी दिखती हैं. लेकिन यदि पलकें हलकी हैं और आप उन्हें घना दिखाना चाहती हैं, तो लैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर लें. उस के बाद उन पर ट्रांसपैरेंट मसकारा का सिंगल कोट लगाएं.

आईब्रो पैंसिल:

आईब्रो पैंसिल या आईब्रो कलर से आईब्रोज को शेप दे सकती हैं. आईब्रो पैंसिल हमेशा लाइट कलर की लें जो आप की आईब्रोज के कलर से हलकी हो. अगर आप बहुत गोरी हैं, तो शेड एक रंग गहरा होना चाहिए. आईब्रो पैंसिल्स कई रंगों में उपलब्ध हैं. वैक्स टच वाली पैंसिल लगाने में बहुत आसान होती है और नैचुरल लुक भी देती है.

लिप मेकअप

अगर आप चाहती हैं कि आप की लिपस्टिक भी लंबे समय तक टिकी रहे तो इस के लिए लिपस्टिक लगाने से पहले कंसीलर का इस्तेमाल करना चाहिए. उस के बाद जिस रंग की लिपस्टिक लगाना चाहती हैं लगाएं, लेकिन उस से पहले लिप लाइनर से लिप्स पर आउटलाइन कर लें. ऐसा करने पर लिप्स काफी आकर्षक लगेंगे और लिपस्टिक भी लंबे समय तक टिकी रहेगी.

यदि लिप्स नैचुरली पिंक हैं, तो उन पर केवल ट्रांसपैरेंट लिप ग्लौस लगाएं. यदि ऐसा नहीं है तो होंठों पर बहुत ही लाइट कलर जैसे कि बबलगम पिंक, पीच पिंक, लेस पिंक या कैमियो पिंक कलर की लिपस्टिक लगाएं. टिशू पेपर से ब्लौट कर लें और फिर ऊपर से हलका सा ट्रांसपैरेंट लिप ग्लौस लगा लें. इस से लिप्स नैचुरल पिंक एवं ग्लौसी नजर आएंगे.

तो गर्लफ्रैंड खुश हो जाएगी

पढ़ाई लिखाई और ऐग्जाम्स के बाद अगर किशोरों की सब से बड़ी कोई परेशानी है तो वह है गर्लफ्रैंड को खुश रखना. बेचारे अपनी तरफ से खूब कोशिश करते हैं कि गर्लफ्रैंड खुश रहे, लेकिन फिर भी जरा सी चूक होते ही गर्लफ्रैंड मुंह फुला लेती है. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो जरा गौर फरमाएं इन अचूक नुसखों पर जो आप की गर्लफ्रैंड का दिल जीतने में मददगार साबित होंगे.

–  अपनी गर्लफ्रैंड की पसंदीदा चीजों व चाहतों की एक लिस्ट बनाएं. व्यवहार विशेषज्ञों का मानना है कि लड़कियों को ऐसी चीजें बहुत याद रहती हैं लेकिन लड़के भूल जाते हैं. इसलिए आप हाथोंहाथ नोट कर लेंगे तो खास मौकों पर उसे गिफ्ट देने में आसानी रहेगी और वह अपनी मनपसंद चीज पा कर बेहद खुश हो जाएगी.

–  गर्लफ्रैंड की कोई फ्रैंड साथ हो या उस से मिलने आई हो तो उस से बस, हायहैलो ही करें. ज्यादा हाहा, हीही करने की जरूरत नहीं. फ्लर्ट करने की तो भूल कर भी कोशिश न करें. उस के जाने के बाद अपनी गर्लफ्रैंड से कहें, क्या पकाऊ है यार. यकीन मानिए आप की गर्लफ्रैंड फूली नहीं समाएगी.

–  गर्लफ्रैंड से कभी हलकीफुलकी बहस हो जाए, तो अगले दिन उसे सौरी कहें और पूछें, ‘तुम कल बुरा तो नहीं मान गई? क्या बताऊं, कल मेरा मूड ठीक नहीं था.’

यकीन मानिए उस का दिल पिघल जाएगा, यह सोच कर कि आप वाकई उस की परवा करते हैं. कई बार गर्लफ्रैंड किसी छोटीमोटी बात को भूल जाती है या इग्नोर कर देती है और आप उस के लिए भी सौरी कहते हैं, तब तो वह आप से और भी ज्यादा इंप्रैस हो जाती है.

–  जब कभी वह अपनी किसी समस्या या किसी के साथ हुए विवाद की चर्चा आप के साथ करे, तो धैर्यपूर्वक, पूरी सहानुभूति से उस की बात सुनें. अगर आप को कहीं उस की गलती लगे, तो भी उस वक्त ऐसा न कहें उसे अपनी बात शेयर करने और उसे सुना कर मन हलका करने वाला चाहिए होता है न कि उस की कमी ढूंढ़ने वाला. उसे कहें, ‘मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं. जब भी मेरी जरूरत हो, याद करना तुम आधी रात को कौल करोगी तो भी मैं हाजिर हो जाऊंगा.’ समस्या का हल करने में पूरी शिद्दत से उस की मदद करें. ऐसे समय में वह आप को ‘कौल मी’ का मैसेज दे तो तुरंत कौल बैक करें.

–  अगर कभी आप का गर्लफ्रैंड से झगड़ा हो जाए, वह रूठी हो और आप का फोन रिसीव न कर रही हो या फिर मैसेज का जवाब न दे रही हो, तो सोशल मीडिया पर उस की तारीफ करते हुए कोई रोमांटिक पोस्ट भेज दें. अगर आप चाहते हैं कि इसे सब न देखें, तो प्राइवेसी सैटिंग पर लगा दें. यकीन मानिए, वह आप से भले बातचीत न कर रही हो लेकिन सोशल मीडिया पर आप की गतिविधियों पर पूरी नजर रखती है. अपनी तारीफ सुनते ही उस का गुस्सा काफूर हो जाएगा.

–  जैसे कि युवक किसी सुंदर युवती को देख कर घूरने लगते हैं ऐसा आप के साथ हो और आप की गर्लफ्रैंड आप को रंगेहाथों पकड़ ले, तो फुरती से काम लीजिए और कहिए शायद स्कूल में मेरे साथ पढ़ती थी. कितनी मोटी और मैच्योर हो गई है या फिर ‘यह ड्रैस अगर तुम ने पहनी होती तो कितनी अच्छी लगती.’

जब भी गर्लफ्रैंड कोई नई ड्रैस ट्राई करे तो तारीफ करते हुए कहें, ‘क्या बात है यार, आजकल डाइटिंग पर हो क्या? बड़ी स्लिमट्रिम लग रही हो.’ गर्लफ्रैंड ऊपर से भले ही कुछ न कहे, लेकिन मन ही मन खुश हो जाएगी.

–  गर्लफ्रैंड ने कोई नया कोर्स शुरू किया है या जौब में कोई प्रोजैक्ट हाथ में लिया है तो उस में दिलचस्पी दिखाएं. उस की मदद करने की कोशिश करें या उस प्रौपर व्यक्ति के बारे में उसे बताएं जो उस के लिए मददगार साबित हो सकता है. आप को मदद की इतनी कोशिश करते देख उसे यकीनन बहुत अच्छा लगेगा और वह आप के इस अपनेपन की मुरीद हो जाएगी.

–  गर्लफ्रैंड का मूड उखड़ा हुआ या उसे उदास देखें, तो उस की हर बात में हां कह दें. उस स्थिति में उस से उलझना ठीक नहीं बल्कि उस से उदासी या नाराजगी का कारण पूछते हुए कहें कि तुम तो कभी ऐसे उदास रहती ही नहीं, किसी ने तुम्हें परेशान किया है क्या?

–  गर्लफ्रैंड की आलोचना करने से बचें. अगर आप को उस की कोई कमी बतानी भी है, तो भी उस की तारीफ करते हुए कहें, ‘तुम वाकई आज के हिसाब से बहुत इनोसैंट हो, लेकिन लोग तुम्हें ठीक से समझते नहीं.’

–  गर्लफ्रैंड डै्रस खरीदते समय जब आप की चौइस पूछे तो कभी भी ऐसा न कहें, ‘देख लो, तुम को जो पसंद हो. दोनों ही ठीक हैं.’ ऐसे जवाब से वह झुंझला जाएगी. बेहिचक दोनों में से किसी एक ड्रैस को छांट कर अलग करें और कहें, ‘वैसे तो दोनों ड्रैस अच्छी हैं, लेकिन यह तुम पर सौ फीसदी सूट कर रही है.’

–  अगर आप उस का बर्थडे भूल गए हैं और अचानक दोपहर या शाम को याद आता है, तो कौल भूल से भी न करें. वह भड़क जाएगी कि तुम्हें शाम को मेरा बर्थ डे याद आया क्या? बल्कि संभव हो तो उस के लिए एक सरप्राइज पार्टी और्गेनाइज करें. उस की फ्रैंड्स और म्यूचुअल फ्रैंड्स को खबर दें या फिर उस के गिफ्ट और खानेपीने का सामान ले कर दलबल सहित उस के घर पहुंच जाएं या उसे किसी रेस्तरां में इनवाइट करें. वह खुश हो जाएगी कि आप उस की इतनी परवा करते हैं. इस से आप के रिश्ते में और मिठास आ जाएगी.

कुछ दिनों से मेरी शेविंग वाली स्किन खुरदुरी और काली दिखने लगी है?

सवाल-

मैं वैक्सिंग के दर्द और उस में लगने वाले समय से बचने के लिए रेजर का इस्तेमाल करती हूं. कुछ दिनों से मेरी शेविंग वाली स्किन खुरदुरी और काली दिखने लगी है. क्या शेविंग करना बंद कर देना चाहिए?

जवाब-

शेविंग के दौरान कुछ बातों का खयाल रखा जाए तो स्किन को कोई हानि नहीं होती. लिहाजा, शेविंग से जुड़ी ये सावधानियां जरूर रखें. अनवांटेड हेयर हटाने के लिए रेजर यूज करने से पहले शेविंग क्रीम यूज करें. ऐसा न करने से स्किन डैमेज होती है, उस में रैडनैस आ जाती है, रेजर बर्न्स हो जाते हैं, जिस से स्किन रफ और ड्राई हो जाती है. बौडी हेयर शेव करने से पहले ऐक्सफौलिएट करना जरूरी है ताकि डैड स्किन सैल्स हट जाएं. ऐसा करने से स्किन तो स्मूथ बनेगी ही, किसी तरह का कट या रैडनैस भी नहीं होगी.स्किन की स्मूथनैस और हाइजीन को को बरकरार रखने के लिए बेहद जरूरी है कि आप नियमित रेजर यूज करें. शेविंग के दौरान जो पहली चीज करनी चाहिए वह यह है कि हेयर ग्रोथ की दिशा में अनचाहे बालों को शेव करें और उस के बाद विपरीत दिशा में शेविंग के बाद मौइस्चराइजेशन लगाना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह स्किन को आराम पहुंचाता है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Festive Special: घर पर बनाएं सोया बिरयानी

अक्सर लोगों के सामने बिरयानी का नाम लिया जाए तो वह नौनवेज बिरयानी को खाना पसंद करते हैं, लेकिन जो लोग वेजीटेरियन हैं कि वह बिरयानी का मजा नहीं ले सकते. इसीलिए आज हम आपको सोया बिरयानी के बारे में बताएंगे, जिससे आपके घर वाले वेज बिरयानी खाने पर मजबूर हो जाएंगे.

हमें चाहिए

बासमती चावल – 1 1/2 कप,

सोयाबीन – 01 कप,

प्याज – 01 (कटा हुआ),

दही – 02 बड़े चम्मच,

लाल मिर्च पाउडर – 02 छोटे चम्मच,

हल्दी पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच,

बिरयानी मसाला – 01 छोटा चम्मच,

तेल – 02 बड़े चम्मच,

अदरक-लहसुन पेस्ट – 01 छोटा चम्मच,

पुदीना पत्ता – 1/4 कप (कटी हुई),

धनिया पत्ती – 1/4 कप (कटी हुई),

लौंग – 03 नग,- तेज पत्ता_Cassia – 02,

दालचीनी – 01 टुकड़ा,

नमक – स्वादानुसार

बनाने का तरीका

– सबसे पहले सोयाबीन को गर्म पानी में 1/2 घंटा भि‍गो दें, फिर उसे एक उबाल आने तक पकाएं. इसके बाद सोयाबीन को ठंडा कर लें.

– ठंडी होने पर सोयाबीन का पानी निचोड़ लें, फिर उसमें लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर और नमक मिला दें. और उसे 15 मिनट के लिए ढक कर रख दें. अब तवा गर्म करें और उसपर सोयाबीन को भून लें.

– कड़ाई में तेल गर्म करें और उसमें दालचीनी, तेजपत्ता और लौंग डालें. एक मिनट बाद अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें और एक मिनट तक भूनें. इसके बाद प्याज डालें और उसे सुनहरा होने तक भूनें.

– प्याज भुन जाने पर उसमें पुदीना डालें और तीस सेकेंड तक भून लें. इसके बाद कड़ाही में दही, लाल मिर्च, हल्दी और बिरयानी मसाला पाउडर डालें और अच्छी तरह से भूनें.

– इसके बाद कड़ाही में दो कप पानी डालें और उसमें एक उबाल आने दें. उबाल आने के बाद कड़ाही में चावल और धनिया डालें और मिला लें. उसके बाद कड़ाही को ढ़क दें और मध्यम आंच पर पकाएं.

– जब चावल आधा पक जाए, तो उसमें सोयाबीन डाल दें और उसे ढक कर मध्यम आंच पर 6-7 मिनट तक पकाएं. फिर गैस बंद कर दें.

Festive Special: फैस्टिवल के रंग वुडन क्राफ्ट के संग

अवंतिका की समझ में नहीं आ रहा था कि इस बार फैस्टिव सीजन में फ्रैंड्स के बीच आइकोनिक होस्टर कैसे बने? इस के लिए उसे अनूठे उपहार भी चुनने थे ताकि फ्रैंड्स सर्कल में उस का इंप्रैशन बना रहे. उस ने कई सारे गिफ्ट कौर्नर्स, इंपोरियम, आर्ट ऐंड क्राफ्ट सैंटर्स के चक्कर काटे पर कुछ ढंग का नहीं सूझा.

एक दिन इस संबंध में बात करने पर अवंतिका की फ्रैंड आयशा ने सुझाया, ‘‘इस बार वुडन आइटम्स ट्राई क्यों नहीं करती? लुक में भी मस्त और ट्रैंड में भी फर्स्ट और फिर देने वाले पर इंप्रैशन बने वह अलग से.’’

अवंतिका को आयशा का यह आइडिया एकदम परफैक्ट लगा. अत: उस ने फटाफट पास के ही वुडन क्राफ्ट इंपोरियम में जा कर फैस्टिव सीजन के लिए खूब सारी खरीदारी की. अब वह संतुष्ट भी थी और खुश भी.

इस बार आप भी पीछे न रहें. वुडन आर्ट ऐंड क्राफ्ट शोपीस का चलन आजकल तेजी से बढ़ रहा है. ये न केवल लुक में यूनीक हैं, बल्कि बजट में भी आसानी से आ जाते हैं. हर बार वही कांच, क्रिस्टल या मैटल के उपहार देने के बजाय इस बार कुछ डिफरैंट ट्राई करें. यकीनन आप के दोस्तों को आप का यह गिफ्ट हैंपर भाएगा. बाजार में वुडन क्राफ्ट की ढेरों वैराइटी मौजूद है, जिस में आप को अपनी चौइश का बहुत कुछ मिल जाएगा. महंगे व उबाऊ गिफ्ट्स को आज वुडन क्राफ्ट बखूबी रिप्लेस कर रहा है.

क्या चुनें?

वुडन आर्ट शोपीसों की एक वाइड रेंज बाजार में मौजद है, लेकिन कहीं से भी न खरीदें. किसी विश्वसनीय इंपोरियम से ही खरीदें. गूगल पर सर्च कर ऐसे किसी इंपोरियम या आर्ट गैलरी का पता कर सकती हैं.

अगर किसी फीमेल फ्रैंड को गिफ्ट करना है, तो आजकल वुडन ज्वैलरी बौक्स, रिंग कैबिनेट, वुडन वैनिटी बौक्स, बैंगल्स बौक्स आदि काफी चलन में हैं. अपनी फ्रैंड की चौइस व जरूरत के हिसाब से इन में से कुछ भी चुन सकती हैं.

अगर बात मेल फ्रैंड को गिफ्ट करने की हो तो वुडन पैन स्डैंड, वुडन पियानो, वुडन टी कोस्टर, वुडन टेबल वाच, वुडन कैलेंडर, कार्ड होल्डर, वुडन क्लौक आदि चुन सकती हैं. ये अलग-अलग शेप्स व डिजाइनों में मार्केट में उपलब्ध हैं. इन में

प्लेन मीनाकारी व कट वर्क के औप्शन भी मौजूद हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

– वुडन शोपीसों की अपर पौलिश जरूर चैक करें. ओल्ड व रिजैक्टेड पीसों की पौलिश उड़ चुकी होती है. कई बार शौपर इन की रीपैकिंग कर देते हैं. शोपीस लेते वक्त आउटर लेयर पौलिशिंग जरूर चैक कर लें.

– रफ वुडन सरफेश, क्रैक्स व कट की समस्या आम है, इसलिए आइटम लेते वक्त क्रैक्स व टियरनैस की भीतरबाहर से अच्छी तरह जांच कर लें.

– स्मौल साइज वाले ज्यादातर शोपीसों को गोंद या फैविकौल से चिपका कर आकार दिया जाता है. पुराना हो जाने के कारण कई बार जोड़ खिसकने लगते हैं और उन के बीच गैप आ जाता है. ऐसे में इन गैपों की जांच जरूर कर लें. कोशिश करें कि स्क्रू, पेच से जोड़ी गई आइटम्स ही लें. वे टिकाऊ होती हैं.

– सस्ते दाम पर आकर्षित न हों, अगर क्वालिटी अच्छी है तो प्राइस से समझौता न करें.

Festive Special: बजट में ब्यूटी शौपिंग टिप्स

त्योहारों का सीजन आ चुका है और मार्केट में ब्यूटी प्रोडक्ट्स की धूम मची हुई है. अलगअलग ब्रैंड्स लुभावने औफर्स से सब को आकर्षित कर रहे हैं क्योंकि त्योहारों के सीजन में हर महिला अपनेआप को खूबसूरत दिखाने के लिए मार्केट में आए हर ब्यूटी प्रोडक्ट को ट्राई करना चाहती है. ऐसे में आप के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आप कौन से ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदें, किन बातों का ध्यान रखें, कब खरीदें, कहां से खरीदना ज्यादा उपयुक्त है ताकि आप की सुंदरता में चार चांद भी लग जाएं और साथ ही आप का बजट भी कंट्रोल में रहे.

तो आइए, जानते हैं कुछ खास टिप्स के  बारे में:

लिपकेयर

लिप्स को फैस्टिवल के लिए तैयार करने की तरफ आप का कोई ध्यान ही नहीं है तो थोड़ा ध्यान इस ओर भी लगाएं क्योंकि पूरे चेहरे की जान होती है लिपस्टिक और चाहे आप कितने भी अच्छे आउटफिट्स पहन लें, लेकिन लिप्स को यों ही फीकाफीका छोड़ दिया तो न तो आप के आउटफिट्स पर किसी का ध्यान जाएगा और न आप में वह अट्रैक्शन नजर आएगा.

तो हम आप को बताते हैं टौप लिपस्टिक ब्रैंड्स के बारे में, जिन्हें आप स्मार्टली खरीद कर खुद को स्मार्ट लुक दे सकती हैं.

टौप 5 लिपस्टिक ब्रैंड्स इन ट्रैंड्स:

हम यहां बात कर रहे हैं मैट से ले कर हाई शाइन फिनिश लिपस्टिक की, जिन्हें आप अपनी पसंद के हिसाब से चूज करें और फिर उन्हें लगा कर फैस्टिवल पर दिखें सैक्सी. अरे भई, सैक्सी सिर्फ फिगर से नहीं बल्कि लिप्स से भी दिख सकती हैं. लैक्मे 9 टू 5 मैट लिप कलर, इस में हैं सैक्सी कलर्स चूज करने के औप्शंस. नायका सो मैट लिपस्टिक, जिस के रैड व क्रंची कलर आप के लिप्स पर क्रंच लाने के साथसाथ काफी पौकेट फ्रैंडली भी हैं.

लैक्मे एब्सोल्यूट मसाबा रेंज, जिस के  10 से ज्यादा शेड्स उपलब्ध होने के साथ  इंडियन स्किन के लिए परफैक्ट हैं. वहीं शुगर  की लिक्विड लिपस्टिक परफैक्ट भी है और  बजट में भी है, जिसे आप नायका की साइट से डिस्काउंट्स पर खरीद सकती हैं.

नेलकेयर

जब है ड्रैस रैडी तो नेल्स को ट्रैंडी नेलपौलिश या नेल आर्ट से दें स्टाइलिश लुक  वह भी घर बैठे.

नेलपौलिश इन ट्रैंड्स: जब नेलपौलिश खरीदें, तो सब से पहले अपने माइंड को सैट कर लें कि आप को मैट या फिर ग्लौसी नेलपौलिश कौन सी खरीदनी है क्योंकि दोनों ही आजकल ट्रैंड में चल रही हैं. रही बात कलर्स की तो उस में हम आप की हैल्प करेंगे टौप ट्रैंडी कलर्स बता कर जो हर ड्रैस व हर स्किन टोन पर सूट करेंगे, जिन्हें आप को अपनी फैवरिट साइट से चूज करने में आसानी होगी.

अगर आप ग्लिटर नेलपेंट लगाने की शौकीन हैं तो स्विस ब्यूटी हाई शाइन ग्लिटर नेलपौलिश खरीदने के औप्शन को चूज कर सकती हैं. जूसी रैड कलर, जो हर किसी की फैवरिट लिस्ट में शामिल होता है क्योंकि इस से हाथ खिल जो उठते हैं. इस के लिए आप नायका, रैवलोन व कलरबार जैसे ब्रैंड्स को चूज कर सकती हैं. रौयल डार्क टील कलर आप के हाथों को रौयल लुक देने का काम करेगा.

इस का लैक्मे 9 टू 5 में अच्छाखासा कलैक्शन है. वहीं मिल्क चौकलेट कलर, जो हाथों को और ब्राइट बनाने का काम करता है. इस के लिए फेसेस कनाडा, लैक्मे जैसे ब्रैंड को चूज कर के अमेजन, नायका से इसे स्मार्टली खरीद सकती हैं. इन दिनों बरगंडी कलर भी काफी डिमांड में है. आप औनलाइन 3डी नेल आर्ट स्टीकर से खुद घर बैठे नेल आर्ट का लुत्फ भी उठा सकती हैं.

फेसकेयर

फेस पर कुछ ही घंटों में ग्लो लाने के लिए परफैक्ट हैं कुछ स्किन प्रोडक्ट्स, जिन्हें लगाएं और थोड़ी ही देर में देखें स्किन पर कमाल का असर.

ट्रैंड में हैं काफी: चारकोल फेस मास्क, जितना इस मास्क का इन दिनों नाम है, उतना ही यह स्किन पर अच्छा असर भी देता है खासकर  मामा एअर्थ का ष्३ फेस मास्क, जिस में है चारकोल, कौफी व क्ले, जो स्किन की सारी गंदगी को मिनटों में निकाल कर ग्लोइंग स्किन देने का काम करता है. वहीं आप इस का उबटन फेस स्क्रब भी खरीद सकती हैं.

यह चेहरे को क्लीन करने के साथसाथ ब्राइडल जैसा ग्लो मिनटों में देने का काम करता है. तभी तो है नाम उबटन फेस स्क्रब. और अगर आप फेस मास्क नहीं खरीदना चाहतीं तो आप सारा का डीटेन पैक खरीद लें क्योंकि यह आप के फेस को पार्टी, फैस्टिव के लिए  झट से क्लीन, स्मूद व ग्लोइंग बना देगा. इसे आप फैस्टिव सीजन में हैवी डिस्काउंट के साथ खरीद कर स्किन को ग्लोइंग बना सकती हैं.

मेकअप किट में ये हैं क्या

हो सकता है कि आप मेकअप की शौकीन हों भी या नहीं, लेकिन फैस्टिवल्स पर तो थोड़ाबहुत मेकअप अच्छा लगता ही है क्योंकि उस के बिना लुक फीकाफीका सा जो लगता है. और अलग दिखने के लिए त्योहारों पर थोड़ा अलग बनना भी जरूरी होता है और इस में कुछ मेकअप प्रोडक्ट्स का अहम रोल होता है जो तुरंत आप की स्किन पर ग्लो लाने के साथसाथ आप के पूरे फेस के लुक को ही बदलने का काम करेंगे.

फैशन में इन: प्राइमर और फाउंडेशन स्किन पर स्मूद बेस बनाने के साथसाथ कौंप्लैक्शन को ब्राइट बनाने का भी काम करते हैं. लेकिन स्मार्ट बाई करना है तो स्मार्ट बन कर आप अलगअलग इन्हें न खरीदें बल्कि लैक्मे का 9 टू 5 प्राइमर+मैट पाउडर फाउंडेशन कौंपैक्ट खरीदें जो दोनों का काम कर के आप के फेस को ओवर नहीं बनाता, बल्कि नैचुरल टचअप देने का काम करता है. आंखों को स्विस ब्यूटी की 9 कलर आईशैडो किट से संवारें.

ये काफी सस्ती है, जिसे आप ब्लशर के तौर पर भी इस्तेमाल कर के इस का मल्टीपर्पज इस्तेमाल कर सकती हैं. इन्हें आप औनलाइन ब्यूटी साइट्स से सस्ते में खरीद सकती हैं क्योंकि फैस्टिवल्स के आसपास औनलाइन साइट्स काफी डिस्काउंट देती हैं.

हेयरकेयर

फैस्टिवल्स पर बालों को और स्टाइलिश बनाएं इन ब्यूटी प्रोडक्ट्स से.

फौर नौर्मल हेयर: अगर आप फैस्टिवल्स पर स्ट्रेट और स्मूद बाल चाहती हैं तो ट्राई करें मामा अर्थ का राइस वंडर वाटर विद केराटिन. यह बालों की फ्रिजीनैस को कम कर उन्हें ज्यादा शाइनी बनाने का काम करता है और वह भी आप के बजट में.

ट्रैंडी लुक: अगर आप अपने बालों को कलर या फिर हाईलाइट करना चाहती हैं तो ट्राई करें ट्रैंड में चल रहे चौकलेट ऐंड कैरामेल बलायाग, लाइट ब्राउन हेयर, रैडिश ब्राउन हाईलाइट, पार्टिकल कैरामेल हाईलाइट, डार्क चौकलेट लोक्स, ब्रैंड हेयर कलर, ब्लीच हेयर, ब्राउन हेयर कलर, ब्लैक कलर विद डार्क कौपर हाईलाइट, शाइनी रोजवुड हाईलाइट्स, गोल्डन हाईलाइट्स इत्यादि.

  5 पौइंट्स

– आप अगर लिक्विड लिपस्टिक खरीद रही हैं तो उसे मल्टीपर्पज के तौर पर आईशैडो के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

– आईशैडो को ब्लशर की तरह और ब्लशर को आईशैडो की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

– जैल काजल से लाइनर, बिंदी भी लगा सकती हैं.

– लिपस्टिक को आप ब्लशर के लिए भी यूज कर सकती हैं.

– लिप बाम से भी आप चीक्स पर शाइन ला सकती हैं.

जरूरी बात

स्किन टाइप की तरह स्किन टोन की सही जानकारी होना बहुत जरूरी है. स्किन टोन  3 तरह के होते हैं, कूल, वार्म व न्यूट्रल. अगर आप की कलाई की नसें ब्लू हों तो स्किन टोन कूल है, अगर नसें ग्रीन हों तो स्किन टोन वार्म है और अगर दोनों में से कुछ सम झ नहीं आ रहा तो इस का मतलब आप की स्किन टोन न्यूट्रल है. इसी के हिसाब से स्किन प्रोडक्ट्स को खरीदें.

 किन बातों का ध्यान रखें

– जब भी कोई ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदें, तो अपनी स्किन टोन का ध्यान जरूर रखें.

– एक्सपायरी डेट चैक कर के ही ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदें.

– चाहे बात हो औफलाइन की या औनलाइन की, जहां से प्रोडक्ट अच्छा व सस्ता मिले, वहीं से खरीदें.

– प्रोडक्ट्स के रिव्यु चैक करने के बाद  ही खरीदें.

– अगर कोई नया प्रोडक्ट इस्तेमाल करने की सोच रही हैं तो अगर संभव हो तो उस  का सैंपल या फिर उस का छोटा पैक ही पहले खरीदें.

– प्रोडक्ट की रिटर्न पौलिसी के बारे में  जरूर जानें.

– हमेशा मल्टीपर्पज कौस्मैटिक ही खरीदने पर जोर देना चाहिए.

– हमेशा सील पैक प्रोडक्ट ही खरीदें.

– ब्यूटी प्रोडक्ट्स विश्वसनीय दुकान या साइट से ही खरीदें.

फिल्म के विरोध के बारे में क्या कहते है निर्देशक लेखक कमल पांडे

फिल्म राइटर से निर्देशक बनेकमल पाण्डे उत्तरप्रदेश के चित्रकूट के एक छोटे से गांव से है, उन्हें बचपन से ही फिल्म इंडस्ट्री में कुछ करने की इच्छा थी. उन्होंने बहुत संघर्ष कर अपनी मुकाम हासिल की है. उनके इस संघर्ष में उनकी पत्नी रिया पांडे का हमेशा साथ रहा है. उनके दो बच्चे आरव पांडे और विहान पांडे है. पत्नी एक इंटीरियर डिज़ाइनर है. निर्देशक कमल को गृहशोभा की कहानियां, ब्यूटी, फैशन और सोच से जुड़े लेख बहुत पसंद है. इस ग्रुप की मनोहर कहानियां को भी खूब पढ़ते है.

कमल पांडे ने फिल्म साहेब बीबी और गैंग्स्टर रिटर्न्स, शादी में जरुर आना और हिट टीवी शो न आना इस देश लाडो आदि कई फिल्में और सीरियल को लिखा है. करीब 20 साल से उनकी डायरेक्टर बनने की इच्छा को अंत में एक कहानी फिल्म ‘जहाँ चार यार’ को डायरेक्ट करने का मौका मिला. एक निर्देशक के रूप में कमल की ये एक डेब्यू फिल्म है, जिसे उन्होंने बहुत मेहनत से लिखा और बनाया है. 60 प्रतिशत फिल्म लखनऊ में और बाकी गोवा में शूट किया गया हैं, क्योंकि टीम के कई लोगों को कोविड पोजीटीव हो गया था, जिससे बीच में शूट को रोकना पड़ा था.

गलत नहीं होती विचारधारा

कमल की इस फिल्म को पर्दे पर आने के लिए कुछ लोगों ने विरोध किया है, क्योंकि इसमें अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने काम किया है और स्वरा हमेशा सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने की वजह से कंट्रोवर्सी की शिकार हुई है. कमल कहते है कि अभिनेत्री स्वरा से काफी कंट्रोवर्सी जुडी हुई है, लेकिन उन्हें लेकर फिल्म फिल्म बनाने में कोई मुश्किल नहीं आई और जब मैं उन्हें कास्ट कर रहा था, तो कई लोगों ने उन्हें फिल्म में लेने से मना तक किया था, पर मेरे हिसाब से हर व्यक्ति की एक विचारधारा होती है. स्वरा की एक सोच समाज और राजनीति को लेकर है और वह अच्छा अभिनय भी करती है. मैने विचारधारा को साथ में लेकर चलने वाले को गलत नहीं समझता. फिल्म की कहानी को सभी दर्शक पसंद करेंगे और स्वरा की इमेज इसमें सामने नहीं आएगी.

नहीं मिलती तवज्जों घरेलू काम को

कमल कहते है कि बचपन से ही मैने अपने घरो या कहीं जाने पर महिलाओं की ऐसी दशा देखा है, महिलाएं पूरे घर को देखती है, लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं होता. सुबह 4 बजे उठकर घर के पूरे काम काज निपटाना और देर रात तक सब खत्म कर सोने जाना, ये सब देखते हुए मुझे लगता था कि महिलाओं का काम को थैंकलेस लाइफ कहा जा सकता है. इस विषय पर फिल्में नहीं बनी है, इसलिए मैंने इस विषय पर लिखना शुरू कर दिया. इसमें मैंने उन महिलाओं पर अधिक फोकस किया, जिनके बच्चे बड़े हो चुके है, पति अपनी कमाई में व्यस्त है और महिलाये घर पर अकेली लाइफ बिता रही है. ये कहानी बहुत पहले से मेरे दिमाग में थी, पर मैंने लॉकडाउन में इसे लिखकर पूरा किया और सौन्दर्य प्रोडक्शन हाउस में ले गया. उनको कहानी सुनाने के बाद उन्हें पसंद आई और उन्होंने मुझे इस फिल्म को बनाने की स्वीकृति दी, क्योंकि मैने उनके लिए फिल्म ‘शादी में जरुर आना’ लिख चुका था, उन्हें मेरी चॉइस पता था. इसलिए उन्हें आगे आकर इस फिल्म को बनाने में किसी प्रकार की झिझक नहीं थी.

निर्देशक बनने में लगा समय

कमल हंसते हुए कहते है कि शुरू से ही मैं राइटर और डायरेक्टर बनना चाहता था. मैं चित्रकूट के गांव मौऊ शिबो में जन्मा और बड़ा हुआ. इसके बाद इलाहाबाद और दिल्ली से पढाई की और मुंबई आ गया, मैं शुरू से ही लेखक और निर्देशक बनना था. निर्देशक की जर्नी तय करने में समय लगा पर मैंने लिखना पहले से ही शुरू कर दिया था.

मिला सहयोग

निर्देशक कमल का कहना है कि मुंबई में आने की वजह निर्माता नीरजा गुलेरी थी, जिन्होंने चन्द्रकान्ता बनाया था. उनके कई शोज चल रहे थे और उनके लेखक कमलेश्वर से मेरी बातचीत होती थी और मैं कमलेश्वर की वजह से ही नीरजा गुलेरी की शो के लिए कुछ लिखने के लिए मुंबई आया. पहला शो मेरा ‘युग’ था, जो डीडीमेट्रो पर आता था और बहुत सफल शो बनी थी. वहां से मेरा काम शुरू हुआ, जिसमे पहली फिल्म ‘शक्ति’ थी. उसके बाद रण, शो ‘ना आना इस देश लाडो’ आदि कई शोज भी लिखे है.

मिली प्रेरणा

निर्देशक आगे कहते है कि क्रिएटिव फील्ड में मेरे दादा अवधि में कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद कवितायें लिखते है. वह मेरे मन में आ गयी थी और मैंने करीब 12 साल से ही कवितायें और गीत लिखना शुरू कर दिया था. मेरे कई गीत छपे है. पहले मैं सीरियस गीत लिखता था. इसके बाद कहानियां लिखना शुरू किया. गीत मैं अभी भी लिखता हूं, लेकिन पढने का काम साइड में रह गया है. साहित्य का पाठक हूं.

मिला सहयोग

परिवार की प्रतिक्रिया कैसी रही पूछने पर वे बताते हैकि मेरे पिता देवनारायण पांडे मेरी बहुत कम उम्र में गुजर चुके थे, माँ कमला पांडे और बड़े भाई ने मेरी शिक्षा पूरी करवाई है. मैं दिल्ली आईएएस बनने आया था, लेकिन उसी बीच में मैंने लिखना भी जारी रखा, क्योंकि मुझे फिल्में लिखना और बनाना है. असल में मैंने बहुत पहले एक फिल्म ‘पथेर पांचाली’ दूरदर्शन पर देखा था. उसे देखने के बाद लगा कि मैं भी ऐसी कहानियां कह सकता हूं, जीवन से जुडी कहानी. मैं इसलिए मुंबई आया. दिल्ली से जब मैंने भाई को अपनी इच्छा को बताई, तो उन्होंने मुझे सोच-समझकर फैसला करने की सलाह दिया.

काम मिलना कठिन

मैं मुंबई साल1998 में आया और अपनी पढाई पूरी करने के लिए वापस दिल्ली गया, लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया वापस आ गया. साल 2000 से मैं मुंबई में हूं. बड़ा ब्रेक मुझे ‘युग’ में मिला था. आउटसाइडर होने की वजह से बड़े प्रोडक्शन हाउस में एंट्री मिलना मुश्किल होता है, लेकिन मेरे मन में विश्वास था कि मैं अच्छा लिखता हूं और मेरी कहानी को लोग सुनना पसंद करते है. आउटसाइडर होने की वजह मुझे यहाँ तक पहुँचने में इतना समय लग गया. मैंने बिना किसी गॉडफादर, सोर्स या सपोर्ट के मैने अपनी जगह बनाई है. नए डायरेक्टर को मनपसंद कलाकारों को लेकर फिल्म बनाना बहुत कठिन होता है. मुझे शुरू में कठिनाइयाँ आई, लेकिन मेरी स्क्रिप्ट सुनने के बाद स्वरा ने तुरंत हाँ कह दी. इसके बाद सभी राजी हो गए. फिल्म ‘शादी में जरुर आना’ काफी पसंद की गयी थी, इससे कलाकार को निर्देशक पर विश्वासहो जाता है.

रिलीज का है डर

फिल्म रिलीज का डर बना हुआ है, क्योंकि कौन सी गैंग या लोग फिल्म की बहिष्कार के लिए पर्दे के पीछे से काम कर रही है, पता नहीं होता. उसी के बीच से अच्छी फिल्म अपनी जगह बनाएगी और लोगों तक पहुंचेगी. उम्मीद है फिल्म समय पर ही रिलीज होगी.

फिल्मो से गायब मनोरंजन

ओटीटी फिल्मों से मनोरंजन गायब है, हर फिल्म को रियल कहकर मारधाड़, हिंसा, सेक्स आदि जमकर डाल दिया जाता है, इस बारें में कमल कहते है कि मेरी राय में हिंदी सिनेमा बहुत अधिक हॉलीवुड से प्रेरित हो चुकी है. लोगों ने एक-एक पॉकेट्स में कहानियां बनानी शुरू कर दी है, जिसमे थ्रिलर, क्राइम थ्रिलर, साइकोलोजिकल थ्रिलर जैसी नाम दे दिया है. पहले जो हिंदी मनोरंजक फिल्मे बनती थी, उसका बीच में अभाव हो गया था. मैं मानता हूं कि रियलिटी कैसी भी हो,वह मैजिकल होनी चाहिए. जादुई यथार्थ को सिनेमा में क्रिएट करनी होगी, ताकि चीजे रियल होने के साथ-साथ ऑथेंटिक और आँखों को अच्छी भी लगे. मैं ऐसी फिल्मे बनाना चाहता हूं, जो मनोरंजन के साथ दिल को छुए भी. इसके अलावा मैं अभिनेता कार्तिक आर्यन और रणवीरसिंह के साथ काम करना चाहता हूं.

गुटबाजी का खतरा

फिल्म इंडस्ट्री में गुटबाजी का सिनेमा पर प्रभाव के बारें में पूछने पर कमल कहते है कि इसका प्रभाव फिल्म इंडस्ट्री पर बहुत पड़ा है. करन जौहर के ग्रुप में कोई घुस नहीं सकता. यशराज तक पहुंचना हर व्यक्ति के लिए बहुत मुश्किल है. बड़े हाउसेस आउटसाइडर की पहुँच से बाहर है. प्रतिभा की वजह से अगर मौका मिला भी है, तो उन्हें बाहर किसी के साथ काम करने नहीं देते. ये बहुत ही गलत नजरिया है, जिसे इंडस्ट्री भुगत रही है.

Brahmastra Movie Review: कंफ्यूज करती है आलिया-रणबीर की ‘ब्रह्मास्त्र’

रेटिंग: एक़ स्टार

निर्माता: धर्मा प्रोडक्शंस

लेखक व निर्देशक: अयान मुखर्जी

कलाकारः अमिताभ बच्चन,रणबीर कपूर,आलिया भट्ट,मौनी रौय, नागार्जुन,डिंपल कापड़िया, शाहरुख खान व अन्य.

अवधिः दो घंटे 47 मिनट

जब फिल्मकार किसी खास अजेंडे व डर के साथ कोई फिल्म बनाता है,तो वह रचनात्मकता के साथ ही सिनेमा को भी बर्बाद करता है.ऐसा ही कुछ फिल्मकार अयान मुखर्जी ने अपनी नई फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्र’’ के साथ किया है. धर्म,भारतीय मैथेलौजी, देवताओं के अस्त्र ब्रम्हास्त्र की वैदिक ताकतों के साथ प्यार का घालमेल कर फिल्म कें अंत में ‘प्यार की ताकत को ही ब्रम्हास्त्र बताकर फिल्मकार खुद पूरी तरह से कन्फ्यूज्ड हो गए हैं.

काजोल के चचेरे भाई और बंगला अभिनेता देव मुखर्जी के बेटे और मशहूर निर्माता निर्देशक शशधर मुखर्जी के पोते अयान मुखर्जी ने बतौर स्वतंत्र निर्देशक 2009 में फिल्म ‘‘वेक अप सिड’’ बनायी थी.जिसे काफी पसंद किया गया था. इसके बाद 2013 में अयान मुखर्जी ने बतौर लेखक व निर्देशक फिल्म ‘‘यह जवानी है दीवानी’’ बनायी थी. रणबीर कपूर के अभिनय से सजी इस फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली थी. चालिस करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म ने

319 करोड़ रूपए कमाए थे. उसके बाद अयान मुखर्जी ने रणबीर कपूर को ही लेकर हौलीवुड फिल्म ‘‘अवेंजर्स’’ को टक्कर देने के लिए तीन भाग वाली फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्र’’ का निर्माण शुरू किया था, जिसका पहले नाम था-‘‘ड्रैगन’’. पिछले नौ

वर्ष के अंतराल में इस फिल्म के कथानक में कई बार बदलाव किए गए और फिल्म को कई बार रीशूट/ दोबारा फिल्माया गया. ऐसा उन्होने क्यों किया,यह तो वही जाने. पर ‘‘ब्रम्हास्त्र भाग एक -शिवा’’ देखकर अहसास होता है कि अयान मुखर्जी ने इस फिल्म को एक खास अजेंडें के साथ बनाना शुरू किया था, मगर 2014 में सरकार बदलने के साथ जिस तरह से देश में बदलाव आते गए, उसके अनुरूप डर कर वह अपने अजेंडें के साथ ही धर्म को भी बेचने का प्रयास किया. इस तरह 410 करोड़ में बनी ‘ब्रम्हास्त्ऱ भाग एक शिवा’’ एक ऐसी खिचड़ी बन गयी, जिसमें न कोई स्वाद रहा और ही इसके खाने यानी कि फिल्म को देखने से मनोरंजन की भूख ही मिटती है.बल्कि फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्र’’ को देखना पैसे की बर्बादी व मानसिक यातना ही है. फिल्म की कहानी व पटकथा पूरी तरह से भ्रमित करती है. शायद खुद फिल्म सर्जक भी भूल गए कि वह दर्शकों से क्या कहना चाहते हैं.

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कहानीः

फिल्म की शुरूआत में सूत्रधार की आवाज आती है,जो कि बताता है कि हजारों वर्ष पहले पूरे ब्रम्हांड को सुरक्षित रखने के लिए योगी मुनियों ने ‘ब्रम्हास्त्र’ की रचना की थी.कालांतर में इसके तीन टुकड़े हो गए.इन तीनों टुकड़ों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी ब्रम्हास को दी गयी.‘ब्रम्हास’ एक मठ है,जिसके मुखिया गुरू (अमिताभ बच्चन) के अंदर कई लोग हैं. जो कि वर्तमान समय में समाज में अलग अलग रूप में कार्यरत है. गुरू हर सदस्य को कुछ शिक्षा व कुछ

शक्तियां देकर ‘ब्रम्हास्त्र’ के तीनों टुकड़ों की सुरक्षा के साथ अपने काम को करते रहने के लिए समाज में भेजते रहते हैं,पर वह अपनी दिव्यशक्ति के बल पर हर किसी के संपर्क में बने रहते हैं.

पूरी कहानी शिवा (रणबीर कपूर) और ब्रम्हास्त्र की है. शिवा एक अनाथ लड़का है, जो कि एक ईवेंट कंपनी के साथ डी जे के रूप में काम करता है.फिल्म की शुरूआत होती है ब्रम्हास्त्र के ही सदस्य व वैज्ञानिक मोहन (शाहरुख खान) की आधुनिक प्रयोगशाला में जुनून के कुछ गुंडों के पहुंचने से, जो उससे ब्रम्हास्त्र की मांग कर रहे हैं. वैज्ञानिक मोहन और उन दो गुंडो के बीच युद्ध होता है. दोेनों के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं. पर अंततः मोहन की मौत हो जाती है.

खबर आती है कि मोहन ने अपनी बालकनी से कूदकर आत्महत्या कर ली और मोहन की शक्तिशाली पायल पर काली शक्तियों का कब्जा हो जाता है. इसके बाद गणेश उत्सव में अपने साथियों के साथ शिवा नृत्य करते हुए नजर आता है. फिर विशाल दशहरे के आयोजन में शिवा की नजर एक अमीर लड़की ईशा (आलिया भट्ट) पर पड़ती है. दोनों के बीच पहली नजर में ही प्यार हो जाता है. उसके बाद एक अमीर की जन्मदिन पार्टी में नाटकीय ढंग से शिवा व ईशा मिलती है. फिर ईशा,शिवा के साथ अनथालय के बच्चे के जन्मदिन मनाने के लिए जाती है.

यहां दर्शकों को अहसास होता है कि शिवा के पास ऐसी ताकत है, जिससे उसे पता चलता रहता है कि कब क्या होने वाला है. बच्चे का जन्मदिन मनाते हुए शिवा को सपने में दिखता है कि मोहन भार्गव की कुछ शैतानी शक्तियों ने हत्या की है. यही नहीं आगे उनके इरादे और भी खतरनाक हैं. उसके बाद शिवा, ईशा की एक पार्टी में जाता है. उसे अहसास होता है कि पार्टी में एक कलाकार है, जिसे दो गुंडे मारना चाहते हैं. वह ईशा से कहता है कि उस कलाकार को बचाना है.

वह कलाकार की तलाश करते हैं और उसे सवाधान करते हैं, पर गुंडे पहुंच जाते हैं. इनके पास अद्भुत अस्त्रों की ताकत है. अंततः वह कलाकार अपने पास के ब्रम्हास्त्र के एक टुकड़े को शिवा व ईशा को देते हुए कहता है कि वह दोनो इसे ब्रम्हास्त्र के मठ के गुरू तक सुरक्षित पहुंचा दे. इसी बीच जुनून व उसके गुंडे भी इनका पीछा करते हैं. दोनो सुरक्षित ब्रम्हास्त्र के मठ में पहुंच जाते हैं. जहां शिवा को अपने माता पिता अमृता व देव के बारे में पता चलता है.

अब शिवा व ईशा भी ब्रम्हास्त्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले लेते हैं. काली शक्ति जुनून व उसके शातिर बदमाशों से युद्ध चलता है. पर पहली लड़ाई जीत जाते हैं.

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लेखन व निर्देशनः

‘ब्रम्हास्त्र’ में फिल्मकार ने पहली बार बहुत बड़े स्तर पर वीएफएक्स के माध्यम से कहानी को गढ़ने का प्रयास किया है. मगर कई जगहों पर वीएफएक्स भी अति बोझिल लगता है. थ्री डी में फिल्म का इंटरवल से पहले का हिस्सा कुछ उम्मीदें बढ़ाता है. इंटरवल से पहले फिल्मसर्जक ने गणेश उत्सव व दशहरे के माध्यम से धर्म को बेचने के सारे उपक्रम कर लिए हैं.

मगर भद्दे लेखन से युक्त कहानी व पटकथा अति कमजोर और दिग्भ्रमित करने वाली है. वैज्ञानिक का किरदार निभाने वाले अभिनेता शाहरुख खान के साथ के एक्शन दृश्य अति धीमे व कमजोर हैं. यह कहीं से प्रभावित नहीं करते. तो शुरूआत में ही दर्शक को निराशा हाथ लगती है.

फिर इंटरवल तक प्रेम कहानी कुछ हद तक दर्शकों को बांधकर रखती है, मगर इंटरवल के बाद फिल्मकार अपनी फिल्म से पकड़ पूरी तरह से खो देते हैं. शिवा व ईशा की प्रेम कहानी का ‘ब्रम्हास्त्र’ की कहानी के साथ कोई संबंध नजर नहीं आता.

अयान मुखर्जी ने मार्वल व अवेंजर्स की नकल करने का असफल प्रयास किया है. यदि बुरे लोगों के पास सुपर पावर की ताकत है, तो वह मानव निर्मित मशीनगनों का उपयोग क्यों करते हैं?

शिवा का अग्नि (अग्नि) के साथ एक अजीब संबंध समझ से परे हैं. बताया गया कि वह अग्निअस्त्र का वाहक है. फिल्म का क्लायमेक्स देखकर दर्शक अपना सिर पकड़ कर बैठ जाता है.

कम से कम अयान मुखर्जी से इतने घटिया क्लायमेक्स की उम्मीद नहीं थी, पर जो फिल्मकार अपनी कहानी व पटकथा पर अपना नियंत्रण न रख पाया हो, वह क्लायमेक्स कैसे अच्छा गढ़ता. फिल्म में सिर्फ कमियां व गड़बड़ियां ही हैं.

फिल्म के संवाद औसत दर्जे से भी कमतर हैं. शिवा के संवादों की शुरुआत में ‘टपोरी‘ शब्द है. आखिर इस तरह के शब्द कहां से आते हैं. शिवा, ईशा से कहता है- ‘‘‘जल गई तुम मेरे प्यार में‘’’ और आलिया कहती है-‘‘कबकी’’.. अब इन संवादों को किस श्रेणी में रखा जाए.

कुल मिलाकर फिल्म ‘‘‘ब्रह्मास्त्र पार्ट वन-शिवा’’ कुछ फैंटसी, कुछ माइथोलॉजिकल, कुछ प्रेम कहानी, वानर अस्त्र, नंदी अस्त्र, अग्नि अस्त्र, कुछ एडवेंचर, कुछ देसी सुपरहीरो और कुछ धर्म बेचने की कवायद का कचूमर ही है. फिल्मकार ने बहुत बड़े पंडाल में गणेशोत्सव,दुर्गा उत्सव/ नवरात्रि, दशहरा, दीवाली उत्सव वगैरह सब कुछ दिखा डाला.

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अभिनयः

ईशा के किरदार में आलिया भट्ट का अभिनय ठीक ठाक है. शिवा के किरदार में रणबीर कपूर प्रभावित नहीं करते. लेकिन आलिया व रणबीर के बीच कोई केमिस्ट्री नजर ही नहीं आती.

अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान व नागार्जुन जैसे मंजे हुए कलाकारों की प्रतिभा को जाया किया गया है. जुनून के किरदार में मौनी रौय का अभिनय ठीक ठाक ही है.

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