जानें सिल्क से जुड़ी ये खास बातें

सिल्क एक ऐसा सदाबहार फैब्रिक है, जो न सिर्फ महिलाओं की पहली पसंद है बल्कि पुरुषों में भी इस का आकर्षण कम नहीं है. सिल्क जैसी गरिमा, लावण्य और खूबसूरती किसी और कपड़े में नहीं है. प्राकृतिक एवं पर्यावरण मित्र होने के कारण यह अन्य कृत्रिम कपड़ों से बेहतर है.

एक समय था जब सिल्क केवल रईसों की ही पहुंच में था, पर 1990 के शुरुआती दौर में सैंडवाश्ड सिल्क के आगमन ने इसे मध्यवर्गीय लोगों तक पहुंचा दिया. सिल्क के क्षेत्र में कई प्रयोग भी किए गए और इसे कौटन, लिनेन, ऊन और यहां तक कि पोलिस्टर के साथ भी मिक्स किया गया. इस प्रकार बने कृत्रिम फैब्रिक्स को लोकप्रियता भी मिली.

क्या है सिल्क

सिल्क यानी रेशम रेशमकीट द्वारा निर्मित कोसों के तंतुओं से तैयार होता है. प्राकृतिक चमकदमक, रंगाई के लिए अनुकूल, हलका, जाड़े में गरमी तथा ग्रीष्म में ठंडक पहुंचाना, उत्कृष्ट वस्त्र विन्यास आदि इस के कुछ विशेष गुण हैं.

रेशमकीटों से रेशम प्राप्त करना एक बेहद लंबी व जटिल प्रक्रिया है. रेशम कीट एक विशेष किस्म के कागज पर अंडे देते हैं. उन अंडों में से निकलने वाले कीड़ों को ताजा शहतूत की पत्तियां खिला कर पाला जाता है. लगभग 35 दिनों बाद ये कीड़े अपने चारों तरफ एक खोल बनाना शुरू करते हैं. जब खोल पूरी तरह बन जाता है तो कीड़ा इसी में बंद हो जाता है. फिर इन कीड़ों को मार कर ऊपरी खोल से रेशम प्राप्त किया जाता है.

1 किलो ग्राम सिल्क बनाने के लिए 3,000 रेशमकीटों द्वारा लगभग 104 किलोग्राम शहतूत की पत्तियां खाना आवश्यक है.

रेशम की किस्में

हर रेशम शहतूत भोजी रेशमकीटों से उत्पन्न नहीं होता. गैर शहतूती रेशम की भी व्यापक श्रेणी है. कुछ प्रमुख किस्म के रेशम हैं शहतूत, तसर, एरी तथा मूंगा. शहतूत रेशम हलका तथा बेहद मुलायम होता है तथा बाजार में उपलब्ध रेशम के अधिकांश उत्पाद इसी से तैयार किए जाते हैं, वहीं तसर, एरी तथा मूंगा वन्य रेशम की श्रेणी में आते हैं.

फैशनेबल बनाए सिल्क

भारत के लगभग हर प्रदेश में सिल्क पर बुनाई करने वाले कारीगर उपलब्ध हैं. कांचीवरम, वाराणसी, मैसूर धर्मावरम आदि भारत के पारंपरिक रेशम बुनाई केंद्र हैं तथा इन स्थानों पर बनने वाली साडि़यां अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए विख्यात हैं. पुरुषों में भी सिल्क की शर्ट, टाई व स्कार्फ का खासा क्रेज है. एक सिंपल से सूट के साथ पहनी गई सिल्क की टाई व शर्ट व्यक्तित्व में चार चांद लगा देती है.

आजकल घर की साजसज्जा में भी सिल्क का बेहद फैशन है. सिल्क के परदे, कुशन कवर, बेडे कवर, बेड शीट्स, टौप कवर, टेबल क्लाथ विभिन्न डिजाइनों व कीमतों में उपलब्ध हैं.

सिल्क की देखभाल

सिल्क की धुलाई के लिए कठोर जल व डिटरजेंट  का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे ड्राईक्लीन कराना ही सब से अच्छा विकल्प है, पर रा सिल्क, चाइना सिल्क, इंडिया सिल्क, पोंगी, शांतुंग, तसर आदि को घर पर ही धोया जा सकता है. धुलाई के बाद कपड़े को एक टौवल में लपेट दें ताकि इस में से अतिरिक्त नमी निकल जाए. सिल्क को हमेशा छाया में ही सुखाएं. अंतिम धुलाई के लिए ठंडे पानी में सिट्रिक या एसिटिक अम्ल की कुछ बूंदें मिलाएं. प्रेस करते समय प्रेस का तापमान सिल्क पर सेट कर लें तथा प्रेस करने से पहले इस पर पानी न छिड़कें, वरना कपड़ों पर पानी के धब्बे आ जाएंगे. यदि कपड़ा गीला है तो उसे उलटा कर के प्रेस करें.

स्टोरेज

सिल्क के वस्त्रों को कौटन के कपड़े में लपेट कर रखें तो ये ज्यादा समय तक टिकेंगे. इन्हें कभी भी प्लास्टिक की थैली या बक्से में न रखें. इस से ये पीले पड़ जाएंगे या फिर इन में कीड़े लग जाएंगे. थोड़ेथोड़े समय बाद इन की तह खोल कर उलटीपलटती रहें. सिल्क वस्त्रों के बीच में सिलिका की पुडि़या रखें और लकड़ी से सीधे संपर्क में भी न रखें. यदि आप ने काफी समय तक सिल्क के वस्त्र नहीं पहने हैं तो उन्हें हवा में फैला दें और हलके हाथों से ब्रश मार दें.सिल्क चूंकि अन्य वस्त्रों के मुकाबले महंगा होता है. अत: इसे हमेशा किसी अच्छी व विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें. इस की शुद्धता हेतु सिल्क मार्क का ध्यान रखें.

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बढ़ते वजन से हैं परेशान

अकसर कोई अपने बढ़ते वजन को ले कर परेशान रहता है तो कोई अपने दुबलेपन के कारण. उन की समझ में नहीं आता कि उन का आहार कैसा हो. अगर आप के समक्ष भी यह परेशानी है तो परेशान न हों. इस संबंध में डाइटीशियन श्रेया कत्याल से की गई बातचीत पर गौर फरमाएं:

आहार का मतलब क्या है?

आहार का मतलब भोजन का स्वस्थ तरीका है, जिस में सभी पोषक तत्त्व मौजूद हों.

अच्छा भोजन व बुरा भोजन क्या है?

भोजन अच्छाबुरा नहीं होता है. हम कैसे, कब, क्या और कितना खाते हैं, वह उसे अच्छा या बुरा बनाता है. इसलिए व्यक्ति को सब कुछ खाना चाहिए, परंतु कम मात्रा में. खानेपीने की इच्छा का दमन करना शरीर से धोखा करना है.

स्वस्थ तरीके से इंसान 1 महीने में कितना वजन कम कर सकता है?

यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है. स्वस्थ तरीके से 1 महीने में औसतन कम से कम 3-4 किलोग्राम तक (1 किलोग्राम प्रति हफ्ते) वजन कम किया जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा 8 किलोग्राम तक. वजन में कमी के साथसाथ जीवनशैली में परिवर्तन भी जरूरी होता है.

क्या स्वस्थ आहारशैली छोड़ने के बाद वजन फिर बढ़ जाएगा?

स्वस्थ तरीके से वजन में कमी लाने पर यह स्थिति आहार में परिवर्तन के बाद भी बनी रहती है. बावजूद इस के वजन में कमी तभी बनी रह सकती है, जब आप का ध्येय जीवनशैली में परिवर्तन हो. इसलिए जब आप एक बार आहार प्रबंधन के साथ सकारात्मक तौर पर जीवनशैली में परिवर्तन कर लेते हैं, तो आहारशैली से हटने के बावजूद आप अपनी यथास्थिति बनाए रख सकते हैं.

क्या आप वजन कम करने के लिए किसी खुराक, दवा आदि की सलाह देती हैं?

मैं वजन कम करने के लिए खुराक, दवा या किसी कृत्रिम तरीके पर भरोसा नहीं करती, क्योंकि लंबे अंतराल में इन चीजों के दुष्परिणाम सामने आते हैं.

ब्लड ग्रुप आधारित आहारशैली कितनी प्रभावी है और आप किस आधार पर आहार योजना तैयार करती हैं?

ए ब्लड ग्रुप आधारित आहारशैली एक सीमा तक ही सफल है. यह 100% सफल नहीं होती. यह प्रभावी तो है और इस के सकारात्मक परिणाम भी दिखते हैं, परंतु यह सभी लोगों पर पूरी तरह लागू नहीं की जा सकती. लोगों के लिए आहार योजना तैयार करते वक्त मैं उन के ब्लड ग्रुप को ध्यान में तो रखती हूं, परंतु वह पूरी तरह ब्लड ग्रुप पर आधारित नहीं होती. व्यक्ति विशेष की पसंदनापसंद व प्राथमिकता, दिनचर्या, जीवनशैली आदि आहार योजना बनाते वक्त अहम भूमिका निभाते हैं.

आमतौर पर यह कहा जाता है कि परहेज वाली आहारशैली के पश्चात त्वचा निष्प्रभाव हो जाती है. इस में कितनी सचाई है?

आहार योजना का पालन सिर्फ अतिरिक्त कैलोरी को खत्म करने के लिए नहीं किया जाता, बल्कि आप की संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है. संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए पोषक तत्त्वों की सही खुराक लेना सुनिश्चित करने के लिए पूरे दिन के दौरान 5-6 बार भोजन करने की योजना तैयार की जाती है ताकि चयापचय प्रक्रिया मजबूत हो सके और आप ज्यादा ऊर्जावान महसूस कर सकें. स्वस्थ वसा को आप के आहार में शामिल किया जाता है तथा अस्वास्थ्यकर वसा को हटाया जाता है.

वजन कम करने के लिए क्या मिठाई खाना छोड़ना जरूरी है?

मिठाई पसंद करने वालों के लिए मेरा उत्तर न में है. हम एक निश्चित अंतराल के लिए आहार योजना का पालन कर सकते हैं और अपने पसंदीदा व्यंजन को हमेशा के लिए नहीं छोड़ सकते. इसलिए आप को जो पसंद है, खाएं परंतु सही ढंग व सही समय पर खाएं. एक वक्त के आहार के तौर पर मिठाई लें न कि खाना खाने के पश्चात मिठाई खाएं.

क्या रात्रि भोजन 8 बजे से पहले कर लेना चाहिए या फिर बगैर नमक का डिनर लेना चाहिए?

आप ने जितना वजन घटाया है, ऐसा नहीं है कि बगैर नमक का डिनर उसे हमेशा बनाए रखेगा, बल्कि त्याग किए हुए पानी के वजन को ही स्थिर रखेगा. इसलिए मैं नियमित तौर पर बगैर नमक के डिनर के पक्ष में नहीं हूं. इस के अलावा, कोई भी व्यक्ति बहुत लंबे समय तक बगैर नमक के डिनर या 8 बजे से पहले डिनर लेना जारी नहीं रख पाएगा. मैं ऐसी कोई सलाह नहीं देती, जिस पर लंबे समय तक अमल न किया जा सके. इसलिए सही वक्त पर डिनर लें ताकि डिनर व बिस्तर पर जाने के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतराल हो.

क्या आहार योजना के साथ कोई कसरत भी जरूरी है?

वजन में कमी लाने के मामले में 70% तक आहार और 30% तक कसरत की भूमिका मानी जाती है. इस के अलावा चूंकि वजन कम करने के प्रयास के दौरान जीवनशैली में परिवर्तन जरूरी होता है, इसलिए कुछ बुनियादी व्यायाम भी जरूरी हैं, क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों की जीवनशैली श्रमहीन हो चुकी है. व्यायाम हमारी चयापचय की प्रक्रिया को सुदृढ़ करता है तथा वजन कम होने की प्रक्रिया को गति प्रदान करता है.

श्रेया कत्याल, डाइटीशियन

Food Special: फैमिली के लिए बनाएं चटपटी चाइनीज भेल

भेलपुरी किसे पसंद नहीं होता है. आज हम आपको चायनीज भेल बनाने की रेसिपी बताएंगे. मुरमुरे से ना बनने वाला, इस अनोखे चायनीज भेल को तले हुए नूडल्स से बनाकर, रंग-बिरंगी सब्जियों के साथ मिलाकर और करारी हरी प्याज से सजाकर बनाया जाता है.

विभिन्न प्रकार के सॉस की संतुलित मात्रा इस भेल को चटपटे तरह से बांधकर रखने मे मदद करता है. इस नाश्ते को परोसने के तुरंत पहले बनाएं, क्योंकि तले हुए नूडल्स कुछ ही समय में नरम होने लगते हैं.

सामग्री

3 कप तले हुए नूडल्स

1 टेबल-स्पून तेल

2 टी-स्पून बारीक कटा हुआ लहसुन

एक चौथाई कप बारीक कटी हुई हरी प्याज का सफेद भाग और पत्ते आधा कप पतली स्लाईस्ड

शिमला मिर्च आधा कप पतले लंबे कटे

गाजर आधा कप पतली लंबी कटी हुई

पत्तागोभी

एक चौथाई कप सेजवान सॉस

एक चौथाई कप टमॅटो केचप

नमक स्वादानुसार

विधि

एक चौड़े नॉन-स्टिक पैन में तेल गरम करें, लहसुन डालकर तेज आंच पर कुछ सेकन्ड तक भुन लें. हरी प्याज का सफेद भाग और पत्ते, शिमला मिर्च, गाजर और पत्तागोभी डालकर, तेज आंच पर 30 सेकन्ड तक भुन लें.

सेजवान सॉस, टमॅटो केचप और नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें और तेज आंच पर कुछ सेकन्ड तक भुन लें.

आंच से हठाकर एक गहरे बाउल में निकाल लें. तले हुए नूडल्स डालकर हल्के हाथों से मिला लें. हरी प्याज का सफेद भाग और पत्ते से सजाकर तुरंत परोसें.

मेरी सहेली ने मुंहासे पर टूथपेस्ट लगाने की सलाह दी है?

सवाल-

मुझे अकसर मुंहासे होते हैं. मेरी सहेली ने उन पर टूथपेस्ट लगाने की सलाह दी है. क्या टूथपेस्ट लगाना सुरक्षित है?

जवाब-

नहीं, माना कि टूथपेस्ट में बेकिंग सोडा, हाइड्रोजन पैरोक्साइड, अलकोहल आदि पाए जाते हैं, जो मुंहासों को सुखा कर जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं, बावजूद इस के इन से स्किन ऐलर्जी होने का खतरा रहता है. इस से चेहरे की त्वचा पर खुजली और जलन होने की संभावना होती है. बड़े मुंहासों पर टूथपेस्ट लगाने से वे जल्दी सूखने तो लगते हैं, लेकिन इस से स्किन काफी ड्राई हो जाती है. मुंहासों पर टूथपेस्ट लगाने से त्वचा पर गहरा निशान भी पड़ सकता है. अत: मुंहासों पर टूथपेस्ट लगाने से बचें.

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महिला की इनर ब्यूटी के साथ-साथ आउटर ब्यूटी भी बहुत मायने रखती है. क्योंकि सबसे पहले लोग आउटर ब्यूटी से ही रूबरू होते हैं उसके बाद इनर ब्यूटी को जानने का मौका मिलता है. सोचिए अगर आपका चेहरा डल, पिम्पल्स से भरा हुआ होता तो क्या आप कोन्फिडेंस के साथ खुद को दूसरों के सामने पे्रजेंट कर पाती? नहीं न. क्योंकि आप का सारा फोकस आपके चेहरे पर जो होगा कि लोग आपके चेहरे को देख कर क्या

सोच रहे होंगे. ऐसे में स्पावेक आपकी इस मुश्किल को आसान बनाने का काम करेगा, जिससे आपकी स्किन प्रोब्लम फ्री होकर फ्रेश व हैल्दी बनेगी.

स्पावेक, जिसकी शुरुआत जापान से हुई थी, समय-समय पर आधुनिक जैपनीज तकनीक पर आधारित विभिन्न तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स लौंच करता रहता है. जो यूनिक होने के कारण काफी डिमांड में रहते हैं.

अभी हाल में स्पावेक ने पिम्पल सोलुशन प्यूरीफाईंग सीरम लौंच कर के ब्यूटी के क्षेत्र में एक बेहतरीन प्रोडक्ट लौंच किया है, जो आपकी त्वचा को करे साफ और बनाए रखे उसकी ताजगी, जिससे आपको मिले कोन्फिडेंस आगे बढ़ते रहने का, खूबसूरती के साथ.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- मुंहासे कम आत्मविश्वास ज्यादा 

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

GHKKPM: पाखी के साथ नई शुरुआत करेगा विराट तो होगा सई और सवी का सामना

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में 8 साल के लीप के बाद दर्शकों को सई और विराट की कहानी पसंद आ रही हैं. हालांकि पाखी के विराट की जिंदगी में आने से फैंस काफी परेशान हैं. हालांकि जल्द ही सई, विराट और पाखी का आमना-सामना होने वाला है, जिसके बाद इन तीनों की जिंदगी बदल जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin Written Update In Hindi)…

शो का नया प्रोमो आया सामने

 

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हाल ही में जहां सई और विराट अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए हैं तो वहीं मेकर्स ने अब दोनों को आमने सामने लाने का फैसला कर लिया है, जिसके चलते नया प्रोमो शेयर किया है, जिसमें सई जहां विनायक के साथ दिख रही है तो वहीं सवी, विराट और पाखी के साथ नजर आ रहे हैं. दरअसल, प्रोमो में सवि, पाखी और विराट को उसकी मां से मिलवाने ले जा रही है तो वहीं विनायक भी अपने पापा से सई को मिलवाने ले जाता दिख रहा है. शो का नया प्रोमो देखकर फैंस काफी एक्साइटेड नजर आ रहे हैं.

पाखी को पत्नी का दर्जा देगा विराट

 

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दूसरी तरफ मेकर्स ने एक और अपकमिंग प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें सई की यादों से निकलकर विराट, पाखी के साथ नए रिश्ते की शुरुआत करता दिख रहा है. दरअसल, प्रोमो में विराट पाखी से मिलकर अपने रिश्ते के बारे में बात करता है और कहता है कि उसने उसे अपनी पत्नी के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया, जबकि वह उसके लिए हर फर्ज निभाती है. साथ ही पाखी से अपनी अज्ञानता के लिए माफी मांगता है और उसे भरोसा दिलाता है कि सई को भूलकर पाखी के साथ एक नई शुरुआत करेगा. जबकि सई, उषा से कहती दिख रही है कि विराट ने उसे कभी ढूंढने की कोशिश नहीं की. हालांकि उषा सवाल करती है कि अगर वह उसके सामने आ गया तो वह क्या करेगी?

विनायक का सच आया सामने

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अश्विनी, विनायक के गोद लेने का सच पाखी से बोलेगी और ये भी कहेगी कि सई और विनायक की मौत के बाद विराट की जिम्मेदारी उसने संभाली है और अब उसे विराट का दिल जीतना होगा. दूसरी तरफ, भवानी, विराट से दूसरे बच्चे की प्लानिंग के लिए कहती दिखेगी.

Anupama को तोषू के अफेयर का सच बताएगी राखी दवे! किंजल का टूटेगा घर

सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों खुशियों का माहौल देखने को मिल रहा है. हालांकि इन दिनों किंजल यानी एक्ट्रेस निधि शाह के शो छोड़ने की खबरें जोरों पर हैं. लेकिन अभी तक मेकर्स ने इस खबर पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है. वहीं खबरों के बीच सीरियल में नए ट्विस्ट का प्रोमो फैंस के साथ जरुर शेयर कर दिया है, जिसके चलते शाह फैमिली में बवाल देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Anupama Written Update In Hindi)…

अनुज को भड़काएगी बरखा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अंकुश और बरखा, अनुपमा के शाह परिवार के साथ होने का फायदा उठाएंगे और अनुज को भड़काने की कोशिश करेंगे. दरअसल, अनुज, किंजल की बेटी होने की खबर अंकुश और बरखा को देगा. जहां अंकुश, बरखा के कहने पर एक बार फिर अनुज से माफी मांगेगा और उसका शुक्रिया करेगा. इसी के साथ अनुपमा पर ताना कसते हुए बरखा कहेगी कि अनुपमा के ना होने पर उसे खाना और दवाई कौन देगा. हालांकि अनुज जवाब देगा कि अनुपमा कुछ नहीं भूलती और उन्हें उसके बारे में कुछ नहीं बोलना चाहिए, जिसे सुनकर दोनों चुप हो जाएंगे.

 

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राखी दवे को आएगा गुस्सा

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि किंजल की मां राखी दवे अपने पोते से मिलने पहुंचेगी. जहां वह उसे पकड़कर इमोशनल हो जाएगी और तोषु के बारे में सवाल करेगी. वहीं अनुपमा, राखी दवे का गुस्सा समझ जाएगी और उससे तोषु पर गुस्से की वजह पूछेगी और राखी दवे उसे सच बताने की कोशिश करेगी. हालांकि खबरों की मानें तो राखी दवे, अनुपमा को तोषू के अफेयर की जानकारी देगी, जिसके बाद अनुपमा का गुस्सा बढ़ जाएगा.

किंजल की हुई बेटी

 

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अब तक आपने देखा कि किंजल की बेटी होने की खबर से पूरा शाह परिवार खुश होता है. वहीं अनुपमा, अनुज को बेटी होने की खबर सुनाती हुई दिखती है. हालांकि वनराज के साथ देख अनुज को जलन महसूस होती है. लेकिन वह कुछ नहीं कहता. दूसरी तरफ, लाख कोशिशों के बावजूद तोशू का फोन नहीं लगता. दूसरी तरफ बा परदादी बनने की खुश जाहिर करती दिखती है.

सीलन- भाग 1: दकियानूसी सोच से छटपटाती नवेली

नवेली ने जैसे ही फोन नीचे रखा, उस का दिल धकधक कर रहा था. मोहित की हर बात उसे दूसरी दुनिया की तरफ खींच रही थी. नवेली को विश्वास नहीं हो रहा था कि मोहित जैसा हैंडसम और इतना अच्छा लड़का उस के लिए दीवाना हो सकता है.

नवेली खुशी में गुनगुना रही थी कि तभी उस के पापा अनिल बोले, “नवी, क्या बात हुई?”

नवेली इतराते हुए बोली,  “कुछ खास नहीं. बस यों ही.”

तभी नवेली की मम्मी राशि बोली, “अरे नवी, अपनी आदत के अनुसार अपना तन, मन और धन मत न्यौछावर कर देना. थोड़ा सोचसमझ कर फैसला लेना.”

नवेली झुंझलाते हुए बोली, “मम्मी, मोहित से आप की पसंद से ही शादी कर रही हूं. अब भी दिक्कत है?”

राशि साड़ी का पल्ला ठीक करते हुए बोली, “नवी, तुम्हें कोई दिक्कत ना हो, इसलिए बोलती हूं.”

नवेली 22 वर्ष की सुंदर युवती थी. अपने मातापिता की वह इकलौती बेटी है. नवेली के मम्मीपापा बहुत ही लिबरल विचारों के हैं. उन्होंने अपनी बेटी पर कभी कोई रोकाटोकी नहीं की थी. नवेली के मम्मीपापा

अपनी अपनी दुनिया में व्यस्त थे. नवेली के छोटे कपड़ों पर उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी और ना ही उन्हें नवेली के बोयफ्रैंड्स पर कोई एतराज होता था. नवेली को अपने मम्मीपापा, मम्मीपापा कम फ्रैंड्स ज्यादा लगते थे.

नवेली को अंदर से खालीपन लगता था. नवेली को एक भरापूरा परिवार चाहिए था, पर उस की जिंदगी में थी ढेर सारी फ्रीडम और अकेलापन. एक के बाद एक बोयफ्रैंड्स नवेली की जिंदगी में आते गए, मगर हर लड़के को नवेली के विचार बेहद बचकाने और भावुक लगते थे. उस के सभी बोयफ्रैंड्स नवेली की तरफ आकर्षित थे. मगर प्यार से उन्हें कोई सरोकार न था. आज की युवा पीढ़ी की तरह उन के लिए भी प्यार का मतलब था घूमनाफिरना, पार्टी  और सैक्स करना. हर लड़का कमिटमेंट से दूर भागता था.

नवेली की जिंदगी में सबकुछ था, पर नहीं था तो बस एक ठहराव.

उसी प्यार भरे ठहराव की तलाश में जब नवेली ने 22 वर्ष की उम्र में ही शादी करने की इच्छा जताई, तो

पहले तो राशि और अनिल ने ध्यान ही नहीं दिया था. मगर जब एक रोज नवेली ने खुले शब्दों में अपने मम्मीपापा से यह बात कही, तो अनिल ने शादी की वैबसाइट पर नवेली का प्रोफाइल डाल दिया था. एक हफ्ते में ही नवेली के प्रोफाइल पर 10 से भी अधिक प्रपोजल आ गए थे. हमेशा की तरह फैसला नवेली के हाथों में था.

नवेली सभी प्रोफाइल्स को चेक कर रही थी. कहीं पर हाइट कम थी, तो कहीं पर परिवार ही अधूरा था. तभी नवेली की निगाह एक प्रोफाइल पर रुक गई. खिलता हुआ गोरा रंग, ऊंचा लंबा कद, एथेलेटिक बदन, गहरी काली आंखें और बेहद प्यारी मुसकान. नाम था मोहित और वह दिल्ली में रहता था. एनुअल इनकम 70 लाख रुपए के आसपास थी.

नवेली ने अपने पापा को मोहित के बारे में बताया और फिर दोनों परिवार ने एकदूसरे के बारे में जानकारी एकत्रित कर ली थी.

नवेली के पापा की संपन्नता और नवेली का भोलापन मोहित के परिवार को भा गया था, तो वहीं मोहित की

इनकम, पढ़ाई और उस का भरापूरा परिवार नवेली को पसंद आ गया था.

मोहित के परिवार में उस के मम्मीपापा के अलावा उस की छोटी बहन शिप्रा भी थी. मगर मोहित के सभी

रिश्तेदार आसपास ही रहते थे, पूरा परिवार एक गुलदस्ते की तरह एकसाथ प्यार में बंधा हुआ था.

मोहित की बातों से नवेली को लगता, शायद उस की तलाश खत्म हो गई है. मोहित को सैक्स से अधिक वैल्यूज में इंटरैस्ट था. दोनों की फोन पर घंटों बातें होती थीं.

मोहित का परिवार जुलाई की एक अलसायी हुई दोपहर में नवेली से मिलने आया था. मोहित के पापा नवेली को बेहद सुलझे हुए लगे, तो उस की मम्मी कल्पना भी उसे बेहद ममतामयी लगी.

नवेली ने अपनी मम्मी को कभी अस्तपस्त नहीं देखा था. वह हमेशा टिपटौप रहती थीं, वही हाल उस के पापा अनिल का भी था. अकसर लोग नवेली को उन की बेटी नहीं छोटी बहन मानते थे. इस कारण नवेली को अंदर से बेहद कोफ्त होती थी. उसे मम्मीपापा जैसे दिखने वाले मम्मीपापा चाहिए थे. आज नवेली को लग रहा था कि उस का सपना शायद पूरा हो जाएगा.

नवेली ने बेहद सोचसमझ कर सफेट कुरता और पलाजो पहना था, सफेद जमीन पर लाल और हरे फूल उस कुरते के साथसाथ नवेली को भी ताजगी दे रहे थे. अपने सुनहले घुंघराले बाल उस ने यों ही खुले छोड़ दिए थे. चांदी के झुमके, आंखों में काजल और होंठों पर न्यूड लिपस्टिक सबकुछ बेहद ही मनोरम प्रतीत हो रहा था. वहीं मोहित नीली शर्ट और काली पैंट में बहुत हैंडसम लग रहा था. मोहित ने शायद आज शेव भी नहीं की थी. छोटीछोटी दाढ़ी के बाल नवेली को अपनी तरफ खींच रहे थे.

मोहित नवेली को अपने काम के बारे में बता रहा था. मोहित कह रहा था, “नवेली, मैं चाहता हूं कि तुम रानियों की तरह रहो. पैसा कमा कर लाने की जिम्मेदारी मेरी है और घरपरिवार को मैनेज करना तुम्हारी.”

नवेली आंखें बड़ीबड़ी करते हुए बोली, “तुम्हें क्या हाउसवाइफ चाहिए?”

मोहित शरारत से मुसकराते हुए बोला, “मुझे बस तुम चाहिए. तुम को मैं एक नए सांचे में ढाल लूंगा.

“मेरे विचार थोड़े पिताजी जैसे जरूर हैं, पर तुम्हें बेहद सिक्योर रखूंगा.”

नवेली की आंखों में आश्चर्य था. वह कभी भी मोहित जैसे लड़के से नहीं मिली थी.

मोहित आगे बोला, “मुझे तुम जैसी सभ्य लड़कियां पसंद हैं. मैं उन लड़कियों को नापसंद करता हूं, जो छोटेछोटे कपड़े पहन कर दूसरे लोगों को सैक्सुअली एक्साइट करती हैं.”

नवेली बोली, “मोहित, मैं तो शॉर्ट  पहनती हूं.”

मोहित बोला, “बाद में भी पहनना, मगर बस मेरे लिए.”

नवेली को लगा कि मोहित  उस को ले कर कितना संजीदा है… और लड़कों की तरह नहीं है वो.

नवेली को मोहित कुछ अलग सा लगा, मगर इस से पहले वो कुछ और समझ पाती, उस की और मोहित की मंगनी हो गई थी.

जैसे कि आमतौर पर होता है, मंगनी के बाद दिन सोना और रात चांदी हो जाती है, मगर मोहित आम लड़कों की तरह रातदिन फोन नहीं करता था. जब भी मोहित फोन करता, वो तब नवेली को दूसरी ही दुनिया में ले जाता था.

मोहित कुछ बातों में बेहद रिजिड था, इसलिए नवेली चाह कर भी मोहित से अपने अतीत की कोई भी बात नहीं बता पाती थी. मन ही मन नवेली को लगने लगा था कि वो हर स्तर पर मोहित से उन्नीस ही है. रंग, रूप, आचार, व्यवहार, हर स्तर पर मोहित उस से बीस ही है.

एक मुलाकात ऐसी भी- भाग 4: निशि का क्या था फैसला

दोस्ती होना तो लाजिमी ही था न. देखो, तुम्हारी और मिसेज सक्सेना की दोस्ती तो चंद घंटों में ही हो गई, जबकि हम तो पूरे 15 दिन साथ रहे थे. इसी दौरान एक बार मेरी तबीयत भी बिगड़ गई थी तो सक्सेना साहब ने ही मुझे संभाला था और वे सारी बातें यहां आने पर मैं ने तुम को बताई थीं.

‘‘हांहां, मुझे सब याद है,’’ मैं कुछ खोईखोई सी बोली.

‘‘उन्हीं दिनों हम दोनों, एकदूसरे के बेहद करीब आ गए थे. दोस्ती के उन्हीं लम्हों में हम ने आपस में एक वचन लिया कि समय आने पर मिशिका और पार्थ की शादी कर देंगे. आज पार्थ आई.ए.एस. हो गया है. मगर दोस्ती में किए गए वादे में कहीं कोई कमी नहीं आई है. सक्सेनाजी के पास तो अब कितने अच्छेअच्छे आफर आ रहे होंगे जबकि यह जानते हैं कि मैं ने तो जिंदगी भर शोहरत और इज्जत के अलावा कुछ नहीं कमाया. मेरे पास अपनी मिशिका को उन्हें सौंपने के अलावा और कुछ देने को नहीं है.’’

सक्सेना साहब ने जज साहब का हाथ अपने हाथों में ले लिया था और भावविह्वल हो कर बोले, ‘‘ऐसीवैसी कोई बात मत कीजिए जज साहब, नहीं तो मैं उठ कर चला जाऊंगा. जिंदगी में सबकुछ मिल जाता है, मगर दोस्ती, अच्छे लोग, अच्छा परिवार बहुत कम लोगों को मिल पाता है और हम लोग उन्हीं में से एक हैं कि हमें आप मिले हैं.’’

‘‘सुन रही हो निशि. तुम जाति- बिरादरी की बातें करती रहती हो, क्या इन से अच्छा तुम्हें मिशिका के लिए कुछ मिल पाएगा. अच्छे लोग, अच्छे रिश्ते, अच्छे परिवार इन सब से बढ़ कर न धर्म है न जाति है और न ही कुछ और. आज मैं ने बिना तुम्हारी इच्छा जाने इस रिश्ते को हां कर दी है क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं सही काम कर रहा हूं और अदालत में आएदिन परिवारों के टूटनेबिखरने के मामले मैं ने सुने और निबटाए हैं, उन में रिश्ते टूटने की वजह यह शायद ही हो कि उन की जाति अलग थी या धर्म. मुझे माफ करना निशि, तुम्हारी बेसिरपैर की बातों के लिए मैं इतना अच्छा रिश्ता नहीं ठुकरा सकता. अच्छा लड़का सोच कर ही पार्थ से मिशिका की शादी की बात खुद तुम्हारे दिमाग में आए इस के लिए ही वह मुलाकात करवाई गई और अब यह पार्टी भी रखी गई ताकि इस ड्रामे का सुखद अंत कर दिया जाए.’’

पत्नी को काफी कुछ कह कर अंत में जज साहब ने उन का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘मेरे खयाल से अब तुम्हें भी समझ जाना चाहिए कि तुम्हारी सोच बहुत संकीर्ण थी. वक्त और जमाने से हट कर थी. तुम्हारे भैया तुम्हारी बात सुन कर अपनी बेटी का जीवन बिगाड़ सकते हैं, पर मैं नहीं.’’

सभी अपनीअपनी बात कह चुके थे. मिशिका और पार्थ भी अपनी स्वीकृति दे चुके थे. अब मेरी बारी थी सो मैं ने भी हाथ जोड़ कर इस रिश्ते को अपनी स्वीकृति दे दी. मिसेज सक्सेना ने उठ कर मुझे गले लगाते हुए कहा, ‘‘बधाई हो निशिजी. सबकुछ कितनी जल्दी हो गया न. अभीअभी तो हम दोस्त बने थे और अभीअभी समधिनें. उन्होंने अपने गले में पहना एक जड़ाऊ हार उतार कर तुरंत मिशिका को पहनाते हुए कहा, ‘‘आज से तुम्हारी एक नहीं, दोदो मांएं हैं.’’

सबकुछ बहुत अच्छा लग रहा था मगर दिल में कहीं एक डर और चिंता थी, जो मुझे खुल कर खुश नहीं होने दे रही थी. क्या करूंगी, कैसे जाऊंगी भैयाभाभी के सामने. यह सोचसोच कर ही मेरी जान सूखी जा रही थी. सभी थक कर सो गए थे, मगर मेरे मन का डर और अपराधभाव मुझे सोने ही नहीं दे रहा था.

अगली सुबह काफी देर से आंखें खुल पाईं. पता नहीं कितने बजे नींद आई थी. घड़ी पर नजर पड़ी तो पूरे 10 बज रहे थे. जज साहब के कोर्ट जाने की बात दिमाग में आते ही मैं तेजी से उठी कि भाभी ने चाय के प्याले के साथ कमरे में प्रवेश किया और हंसती हुई बोलीं, ‘‘क्या निशि, इतनी बड़ी खुशखबरी है और तुम सो रही हो अब तक?’’

जिस बात के लिए मैं अब तक इतनी परेशान थी, वह इतनी आसानी से सुलझ जाएगी, मैं ने सोचा भी न था. मुझे तो अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था.

मुझे हैरान देख भाभी बोलीं, ‘‘सुबहसुबह ही ननदोईजी का फोन आ गया और फोन पर उन्होंने जब रिश्ता तय होने की बात बताई तो हम से रहा नहीं गया और आप की खुशी में खुशी मनाने चले आए. अपने जीजाजी को देखने के लिए अंतरा भी बेचैन हो रही है, शाम को वह भी यहीं आएगी. सक्सेना परिवार को भी बुला लिया है, आज का डिनर मामामामी की तरफ से शहर के सब से अच्छे होटल में…’’ भाभी बोले जा रही थीं.

मैं हैरत में पड़ी भाभी का चेहरा पढ़ने में लगी थी. मगर वहां स्नेह व प्यार के अलावा और कुछ भी नहीं था. मेरे इतना बड़ा दुख देने के बावजूद भाभी का यह व्यवहार…कुछ समझ में नहीं आया तो मैं भाभी से लिपट कर जोरजोर से रो पड़ी.

‘‘भाभी, मैं इस लायक कहां कि आप मुझे इतना प्यार दें. मैं ने आप लोगों को अपनी गलत सोच की वजह से इतना दुख पहुंचाया, मैं तो आप को अपना मुंह भी दिखाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी. मैं कितनी बुरी हूं भाभी, कितनी बुरी…’’ मेरा रुदन तेज हुआ जा रहा था और भाभी मेरी पीठ सहलाए जा रही थीं.

‘‘मत रो निशि, मत रो. अब वह भी तुम्हारा हम से अगाध प्रेम ही तो था, वरना किसी को क्या पड़ी है, अच्छा हो या बुरा हो. तुम्हें गलत लगा, इसीलिए तुम ने रोका और हमें तुम्हारी बात सही लगी इसीलिए हम ने उसे मान लिया.’’

‘‘तुम्हारी भाभी बिलकुल सही कह रही हैं निशि. जो हो गया उसे भूल जा, और दिल खोल कर आने वाली खुशियों का इंतजार कर.’’ तभी कमरे में जज साहब के संग भैया आतेआते बोले, ‘‘मेरे मन का बोझ इतनी सहजता से उतर जाएगा, सोचा नहीं था,’’ मैं ने कृतज्ञता से जज साहब को देखा जिन्होंने अपनी समझदारी से इतनी बड़ी खुशी मुझे दे दी थी. उन्होंने मेरी आंखें पढ़ लीं और मुसकरा दिए.

‘‘मगर अभी तो अंतरा का दुख है मेरे सामने. वह तो बहुत नाराज है अपनी बूआ से. उसे कैसे वापस पा सकूंगी मैं?’’

‘‘अरे, अपने बच्चे छोटेछोटे हैं. ज्यादा देर तक अपने बड़ों से नाराज नहीं रहते. मैं ने उसे समझाया है निशि, उस के मन में तुम्हारे लिए कोई गुस्सा नहीं है.’’ भैया बोले तो साथसाथ भाभी भी बोल पड़ीं, ‘‘और अभी सुबहसुबह ही तो फूफाजी से उस की ढेरों बातें हुई हैं और फूफाजी ने उस से वादा किया है कि अब चाहे उस की बूआ कुछ भी कहें, वह अपनी अंतरा की शादी उसी के संग कराएंगे जिसे वह पसंद करती है. पहले चर्च में अंतरा की उस ईसाई लड़के से शादी होगी, फिर मिशिका की मंडप के नीचे. बच्चे जितनी जल्दी गुस्सा हो जाते हैं, उतनी ही जल्दी मान भी जाते हैं निशि.’’

भाभी अपनी बात कह चुकीं तो मैं ने खुश हो कर तुरंत कहा, ‘‘और अब सब से पहले तैयार हो कर हम लोग वहां चलेंगे. मुझे भी तो अपने दूसरे दामाद को शाम के डिनर के लिए आमंत्रित करना है. उन से भी तो माफी मांगनी है, इस बुरी बूआ को.’’

एक मुलाकात ऐसी भी- भाग 3: निशि का क्या था फैसला

मेरे स्वभाव से परिचित जज साहब ने इस बात को जरा भी तूल नहीं दिया. सामान्य भाव से बोले, ‘‘अरे, निशि, जिस रास्ते जाना नहीं, उस बारे में क्या सोचना. जब हम मिशिका के लिए लड़का ढूंढ़ने निकलेंगे तो देखना लड़कों की कोई कमी नहीं आएगी. अभी तो हमारी बेटी का इंजीनियरिंग का ही एक साल बचा है फिर उसे एमबीए भी करना है. अभी कई साल हैं उस की शादी में.’’

मैं ने भी सोचा कि जज साहब सही तो कह रहे हैं. अपनी जाति में भी लड़कों की कोई कमी थोड़े ही है. अभी ऐसी जल्दी भी क्या है. अंतरा की तरह मिशिका का किसी गैर जाति में अफेयर थोड़े ही है, जो मैं इस विषय में सोचूं.

देखते ही देखते हफ्ता निकल गया. पार्टी का दिन भी आ गया. लौन में ही पार्टी का इंतजाम किया था. पहली बार मिशिका ने पार्टी का जिम्मा अपने सिर पर लिया था. बोली, ‘‘ममा, अभी परीक्षा की कोई टेंशन नहीं है, इस बार मैं देखूंगी सारा इंतजाम.’’

सुन कर पहली बार एहसास हुआ कि बेटी बड़ी हो गई है. पार्थ का खयाल एक बार फिर दिमाग में आ गया. मगर मेरी मजबूरी थी कि मैं चाह कर भी यह रिश्ता नहीं कर सकती थी. मुझे इस समय अपनी भतीजी के गुस्से में कहे शब्द याद आ रहे थे.

घर में मेहमान आने शुरू हो गए थे. मैं ने अपनी सोच को दरकिनार करने की कोशिश की और मेहमानों की आवभगत में लग गई. जज साहब के कुछ करीबी जल्दी ही आ गए थे. अत: वह उन्हें पीने व पिलाने में व्यस्त हो गए. मैं और मिशिका मेहमानों के स्वागत में लगे थे. बेटी पर बारबार नजरें जा कर ठहर जातीं क्योंकि आज वाकई वह बहुत सुंदर लग रही थी. अचानक दिल में खयाल आया कि अगर आज की पार्टी में पार्थ उसे देख ले और पसंद कर ले या उस की मम्मी ही मिशिका को अपने बेटे के लिए मांग लें तो…

अचानक ही वह परिवार आंखों के सामने आ गया. श्रीमती सक्सेना अपने पति व दोनों बेटों के साथ चेहरे पर मुसकान लिए आती दिखाई दीं. समर्थ को तो उस दिन मौल में ही देख लिया था पर पार्थ तो उस से भी चार कदम आगे था. यह लड़का इतना हैंडसम होगा यह तो मैं ने सोचा भी नहीं था. उस पर आईएएस भी. मुझे फिर लगा कि मेरी चाहत मेरी सोच पर हावी हो गई है. फिर से मेरी चाहत जोर पकड़ने लगी कि यह लड़का तो बस, मेरा दामाद हो जाए. तभी नजदीक आ कर दोनों भाइयों ने मेरे और जज साहब के पैर छुए. मन कहीं अंदर तक उन्हें अपना मान गया.

सक्सेना दंपती तो हम बड़ों के ग्रुप में शामिल हो गए और दोनों भाई, मिशिका के फें्रड्स गु्रप में.

पार्टी खूब मजेदार चली. खाना खाने के बाद सभी लोग एकएक कर जाने लगे थे. मगर सक्सेना परिवार अभी जमा हुआ था. मुझे भी उन के जाने की कहां जल्दी थी. मिशिका पार्थ के संग खड़ी कितनी अच्छी लग रही थी. मन में सचमुच ही बहुत मलाल था कि वे कायस्थ हैं.

अब तक करीब सभी मेहमान जा चुके थे. रात के 11 बज चुके थे. 30 अक्तूबर की रात, शरीर में ठंडीठंडी हवा की सिहरन सी हो उठी थी कि मिसेज सक्सेना ने, ‘‘एक कप कौफी हो जाए फिर हम भी चलेंगे,’’ कह कर अभी थोड़ा और रुकने का संकेत दिया.

‘‘अरे, क्यों नहीं, क्यों नहीं,’’ कहते हुए वेटर को 4 कप कौफी लाने का आर्डर दे दिया.

मिशिका दोनों भाइयों को अभीअभी अंदर ले गई थी. शायद अपना शानदार कमरा दिखा रही हो. लड़कियों को अपना कमरा दिखाने का बहुत क्रेज होता है.

कौफी आ गई थी. हम चारों हंसी मजाक के साथ कौफी का मजा ले रहे थे कि वह हो गया, जो मेरी सोच में तो निरंतर चल रहा था मगर हकीकत में उस का कोई अनुमान नहीं था.

सक्सेना साहब ने विनम्रता से अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘‘अगर आप लोग हमें दे सकें तो अपनी मिशिका को हमारे पार्थ के लिए दे दीजिए.’’ उन के कहने के साथ ही मिसेज सक्सेना ने भी अपने दोनों हाथ जोड़ दिए.

मैं तो स्तब्ध, भौचक्की, किंकर्तव्य- विमूढ़ सी रह गई. जज साहब ने मेरी तरफ देखा. दोचार पल यों ही खामोशी में निकल गए फिर जज साहब ने कहा, ‘‘हमें यह रिश्ता मंजूर है. पार्थ हमें भी बहुत पसंद आया है और फिर आप से अच्छा और कौन मिलेगा हमें.’’

जज साहब की हां सुन कर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि इस स्थिति में अब मैं क्या करूं? न हां करने की स्थिति में थी और न ही ना करने की. फिर कुछ सोचती सी बोली, ‘‘अरे, मिशिका से भी तो पूछना होगा न…उस की भी राय जानना जरूरी है. आप को तो पता ही है कि आजकल के बच्चे…’’

मुझे लगा कि चलो, इस बहाने कुछ तो वक्त मिलेगा सोचने का. फिर कुछ सोच कर मना कर देंगे. सही बताऊं तो भैयाभाभी, अंतरा किसी का भी सामना करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी.

मेरी इस बात को सुन कर मिसेज सक्सेना के साथ जज साहब और सक्सेना साहब दोनों हंस पड़े. इस के पहले कि मैं कुछ कह पाती, मिसेज सक्सेना अपनी हंसी रोकती हुई बोलीं, ‘‘अच्छा, पहले यह तो बताइए, आप तो राजी हैं न…’’

‘‘मैं…मैं तो…हां, और क्या. मुझे तो बहुत खुशी होगी आप से जुड़ कर,’’ मैं इस के अलावा और क्या कह सकती थी. जब जज साहब ने इस की स्वीकृति दे दी. ‘‘मगर मिशिका…’’ मैं ने फिर इस से बचने की कोशिश की.

‘‘अरे, निशिजी, मुझे तो बस, आप की ही इजाजत चाहिए थी. बाकी सब की इजाजत तो पहले से ही है,’’ इस बार सक्सेना साहब ने जिस अंदाज में कहा, मेरा चौंकना लाजिमी था. असमंजस में पड़ी बोली, ‘‘मतलब?’’

‘‘अरे, निशि, तुम्हारी और मिसेज सक्सेना की मुलाकात मौल में इसीलिए तो कराई थी कि आप दोनों में दोस्ती हो जाए, वरना तो मैं भी जा सकता था उस दिन. मैं ने तो कोर्ट में व्यस्त होने का बहाना किया था. हम लोग काफी दिनों से योजना बना रहे थे कि तुम दोनों को कैसे मिलाया जाए. सो इत्तफाक से मिशिका की गेटटूगेदर निकल आई. हालांकि मौल में मिलवाना मुश्किल था, लेकिन बच्चों ने सब मैनेज कर लिया.’’

जज साहब बोलते जा रहे थे और मैं आंखें फाड़े उन्हें सुने जा रही थी.

‘‘निशि, जब मौल से लौट कर तुम ने पार्थ के बारे में अपनी चाहत बताई तो मुझे लगा कि हमारा तीर निशाने पर लगा है. प्रकट में मैं ने तुम्हारी बात को तूल नहीं दिया था.

‘‘निशि, तुम्हें याद होगा कि 4 साल पहले मैं जब एक सेमिनार में अमेरिका गया था तो वहां उस में सक्सेना साहब भी मिले थे. भारत से जो खास लोग उस सेमिनार में भेजे गए थे, उन को एक ही होटल में ठहराया गया था और सक्सेना साहब का कमरा मेरे बगल में ही था.’’

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