संयोगिता पुराण: संगीता को किसका था इंतजार- भाग 4

तब तक नीरजा चाय बना लाई और मैं उस का सिर अपने कंधे पर टिका कर उसे सांत्वना देने लगी. अब तक हम उस की प्रेम कहानी को मजाक समझ कर हंस कर टाल देते थे पर आज अचानक लगा कि संगीता तो सचमुच गंभीर है. बात अब पृथ्वीराज के मातापिता तक पहुंच चुकी थी.

‘‘मैं तो कहती हूं कि इस प्रेमकथा को यहीं समाप्त कर दो. इसी में हम सब की भलाई है,’’ अंतत: मौन नीरजा ने तोड़ा.

‘‘क्या कह रही हो तुम? संगीता की तो जान बसती है पृथ्वीराज में,’’ सपना ने आश्चर्य प्रकट किया.

‘‘हां, पर इस के चक्कर में इस के प्रेमी की जान भी जा सकती थी… फिर क्या होता इस की जान का?’’ नीरजा की बात कड़वी जरूर थी पर थी सच.

‘‘मैं अपने फैसले स्वयं ले सकती हूं. कृपया मुझे अकेला छोड़ दो,’’ संगीता ने आंसू पोंछ लिए. अब संगीता पढ़ाई में कुछ इस तरह जुट गई कि उसे दीनदुनिया का होश ही नहीं रहा. न पहले की तरह हंसतीबोलती न हमें हंसाती.

गनीमत है कि पृथ्वीराज को अधिक चोट नहीं आई थी. फिर भी उसे कालेज आने में 6 सप्ताह लग गए.

‘‘अब तेरे पृथ्वीराज की भविष्य की क्या योजना है?’’ एक दिन सपना ने संगीता से पूछ ही लिया.

‘‘हम ने इस विषय पर बहुत बात की. पृथ्वी तो फिर से घुड़सवारी शुरू करना चाहता है पर मैं ने ही मना कर दिया,’’ संगीता गंभीरता से बोली.

‘‘पर तेरा संयोगिता वाला स्वप्न?’’ मैं ने उत्सुकतावश पूछा.

‘‘मैं अपने स्वप्न के लिए पृथ्वीराज को खोने का खतरा तो नहीं उठा सकती न. वैसे भी यह 21वीं सदी है. अब सपनों के राजकुमार घोड़े पर नहीं, बाइक पर आते हैं,’’ संगीता हंसी.

संगीता की हंसी में न जाने कैसी उदासी थी कि हम सब भी उदास हो गए पर कुछ कह कर हम उसे और उदास नहीं करना चाहते थे. संगीता अपनी पुस्तकों में डूब गई पर हम चाह कर भी अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे थे.

‘‘बेचारी संगीता, न जाने उस की खुशियों को कैसे ग्रहण लग गया,’’ सपना अचानक भावुक हो उठी.

‘‘क्या कह रही हो. संगीता की नादानी तो पृथ्वीराज को भी ले डूबी. बड़ी संयोगिता बनने चली थी. ऐतिहासिक चरित्र… मुझे तो पृथ्वीराज पर तरस आता है. संगीता प्रेम में कुएं में कूदने को कहती तो क्या कूद जाता वह?’’ नीरजा व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोली.

वार्षिक परीक्षा सिर पर थी. प्रैक्टिकल, प्रोजैक्ट और थ्यौरी की तैयारी के बीच हम संगीता की प्रेम कहानी को लगभग भूल चुके थे. अंतिम पेपर के बाद हम बसस्टैंड पर खड़े अपनी सखियों से विदा ले रहे थे. भविष्य के सपनों में डूबे सब के मन में अजीब सी उदासी थी. हमारी कुछ सहपाठिनें तो इस अवसर पर अपने आंसू रोक नहीं पा रही थीं. फूटफूट कर रो रही थीं. तभी वहां अजीब सा शोर उभरा. घोड़े की टापें सुनाई दीं. इस से पहले कि हम कुछ समझ पाते घोड़ा हमारी आंखों से ओझल हो गया.

‘पृथ्वीराज… पृथ्वीराज…’’ नीरजा चीखी पर हमारी समझ में कुछ नहीं आया.

‘‘क्या हुआ?’’ मैं ने पूछा.

‘‘होना क्या है? पृथ्वीराज संगीता को उठा ले गया. देखा नहीं? घोड़े पर आया था. नीरजा अब भी कांप रही थी,’’ हमारा डर के मारे बुरा हाल था. हम घर पहुंचे तो हांफ रहे थे. मैं तो मम्मी को देखते ही रोते हुए उन से लिपट गई. सिसकियां थीं कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थीं.

मम्मी ने हमें समझाबुझा कर शांत किया. पर जब हम ने सिसकियों के बीच टूटेफूटे शब्दों में उन्हें सारी बात बताई तो उन्होंने सिर थाम लिया.

‘‘इतनी बड़ी बात छिपा ली तुम सब ने? मेरा सिर तो सदा के लिए झुका दिया तुम ने… और वह संगीता… कितना नाज था मुझे उस पर. उस ने एक बार भी अपने मातापिता के संबंध में नहीं सोचा कि उन पर क्या बीतेगी. क्या करूं अब?’’

‘‘करना क्या है? पुलिस में रिपोर्ट लिखवाओ वरना संगीता का पता कैसे चलेगा?’’ मैं बोली.

‘‘पता है. तुम सब की होशियारी देख ली मैं ने. लड़की का मामला है, बहुत सोचसमझ कर कदम उठाना पड़ता है. पहले तो संगीता के मातापिता को सूचित करना पड़ेगा. पता नहीं बेचारों पर क्या बीतेगी. फिर जैसा वे कहेंगे वैसा ही करेंगे.’’ पर पुलिसकचहरी तक पहुंचने की नौबत नहीं आई. संगीता के मातापिता के पहुंचने से पहले ही संगीता का फोन आ गया था. इस बार दोनों को घोड़े से गिर कर चोट आई थी और दोनों ही नर्सिंगहोम में भरती थे. अब तो प्रेम कहानी ने बेहद जटिल रूप धारण कर लिया था. दोनों पक्षों के दर्जनों संबंधी आ जुटे थे और अपनाअपना पक्ष ले कर दूसरे पक्ष को दोषी ठहराने में जुटे थे. बीचबीच में हम तीनों को भी जी भर कर कोसा जाता कि हम ने सारी बात को तब तक छिपाए रखा जब तक पानी सिर से नहीं गुजर गया. हम मूर्ति बन सारी लानतें सह रह थे. अचानक एक दिन चमत्कार हो गया. न जाने कैसे दोनों पक्ष इस निर्णय पर पहुंच गए कि पृथ्वीराज और संगीता को खुला छोड़ना खतरे से खाली नहीं. अत: दोनों का विवाह ही एकमात्र समाधान है. दोनों बहुत गिड़गिड़ाए. पृथ्वीराज ने तो यहां तक कहा कि अपने पैरों पर खड़े हुए बिना वह विवाह मंडप में पैर भी नहीं रखेगा पर किसी ने दोनों की एक न सुनी और चट मंगनी पट विवाह की घोषणा कर दी. विवाह के अवसर पर पृथ्वीराज और संगीता ने लंगड़ाते हुए विवाह की रस्में पूरी कीं. स्वागत भोज के अवसर पर सपना से नहीं रहा गया. बोली, ‘‘जीजाजी, आप तो बड़े छिपेरुस्तम निकले? पैर तुड़वा लिए पर संगीता का सपना पूरा कर के ही माने.’’

‘‘यह राज की बात है किसी से कहना मत.’’

‘‘राज की बात? मैं कुछ समझी नहीं,’’ सपना बोली.

‘‘हम अपने घर वालों से विवाह की अनुमति लेने जाते तो जाति के नाम पर न जाने कितनी हायतोबा मचाते. अब देखो उन्होंने स्वयं हमें घेर कर विवाह करवा दिया,’’ पृथ्वीराज अपने विशेष अंदाज में मुसकराया. संगीता की आंखों में भी शरारत भरी मुसकान थी.

‘‘संगीता, सचमुच तुम इस खुशी की हकदार हो,’’ पहली बार नीरजा ने संगीता की प्रशंसा की. उस की आंखों में आंसू झिलमिला रहे थे.

हम उस का दर्द भलीभांति समझते थे. उस का मित्र अंकुश कब का उसे छोड़ कर किसी और के साथ प्रेम की पींगें बढ़ा रहा था. पर आज का दिन तो केवल संगीता के नाम था और हम सब कुछ भूल कर उस के विवाह का जश्न मना रहे थे.

विदाई- भाग 1: नीरज ने कविता के आखिरी दिनों में क्या किया

नीरज 3 महीने की टे्रनिंग के लिए दिल्ली से मुंबई गया था पर उसे 2 माह बाद ही वापस दिल्ली लौटना पड़ा था.

‘‘कविता की तबीयत बहुत खराब है. डा. विनिता कहती हैं कि उसे स्तन कैंसर है. तुम फौरन यहां आओ,’’ टेलीफोन पर अपने पिता से पिछली शाम हुए इस वार्त्तालाप पर नीरज को विश्वास नहीं हो रहा था.

कविता और उस की शादी हुए अभी 6 महीने भी पूरे नहीं हुए थे. सिर्फ 25-26 साल की कम उम्र में कैंसर कैसे हो गया? इस सवाल से जूझते हुए नीरज का सिर दर्द से फटने लगा था.

एअरपोर्ट से घर न जा कर नीरज सीधे डा. विनिता से मिलने पहुंचा. इस समय उस का दिल भय और चिंता से बैठा जा रहा था.

डा. विनिता ने जो बताया उसे सुन कर नीरज की आंखों से आंसू झरने लगे.

‘‘तुम्हें तो पता ही है कि कविता गर्भवती थी. उसे जिस तरह का स्तन कैंसर हुआ है, उस का गर्भ धारण करने से गहरा रिश्ता है. इस तरह का कैंसर कविता की उम्र वाली स्त्रियों को हो जाता है,’’ डा. विनिता ने गंभीर लहजे में उसे जानकारी दी.

‘‘अब उस का क्या इलाज करेंगे आप लोग?’’ अपने आंसू पोंछ कर नीरज ने कांपते स्वर में पूछा.

बेचैनी से पहलू बदलने के बाद डा. विनिता ने जवाब दिया, ‘‘नीरज, कविता का कैंसर बहुत तेजी से फैलने वाला कैंसर है. वह मेरे पास पहुंची भी देर से थी. दवाइयों और रेडियोथेरैपी से मैं उस के कैंसर के और ज्यादा फैलने की गति को ही कम कर सकती हूं, पर उसे कैंसरमुक्त करना अब संभव नहीं है.’’

‘‘यह आप क्या कह रही हैं? मेरी कविता क्या बचेगी नहीं?’’ नीरज रोंआसा हो कर बोला.

‘‘वह कुछ हफ्तों या महीनों से ज्यादा हमारे साथ नहीं रहेगी. अपनी प्यार भरी देखभाल व सेवा से तुम्हें उस के बाकी बचे दिनों को ज्यादा से ज्यादा सुखद और आरामदायक बनाने की कोशिश करनी होगी. कविता को ले कर तुम्हारे घर वालों का आपस में झगड़ना उसे बहुत दुख देगा.’’

‘‘यह लोग आपस में किस बात पर झगड़े, डाक्टर?’’ नीरज चौंका और फिर ज्यादा दुखी नजर आने लगा.

‘‘कैंसर की काली छाया ने तुम्हारे परिवार में सभी को विचलित कर दिया है. कविता इस समय अपने मायके में है. वहां पहुंचते ही तुम्हें दोनों परिवारों के बीच टकराव के कारण समझ में आ जाएंगे. तुम्हें तो इस वक्त बेहद समझदारी से काम लेना है. मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं,’’ नीरज की पीठ अपनेपन से थपथपा कर डा. विनिता ने उसे विदा किया.

ससुराल में कविता से मुलाकात करने से पहले नीरज को अपने सासससुर व साले के कड़वे, तीखे और अपमानित करने वाले शब्दों को सुनना पड़ा.

‘‘कैंसर की बीमारी से पीडि़त अपनी बेटी को मैं ने धोखे से तुम्हारे साथ बांध दिया, तुम्हारे मातापिता के इस घटिया आरोप ने मुझे बुरी तरह आहत किया है. नीरज, मैं तुम लोगों से अब कोई संबंध नहीं रखना चाहता हूं,’’ गुस्से में उस के ससुर ने अपना फैसला सुनाया.

‘‘इस कठिन समय में उन की मूर्खतापूर्ण बातों को आप दिल से मत लगाइए,’’ थकेहारे अंदाज में नीरज ने अपने ससुर से प्रार्थना की.

‘‘इस कठिन समय को गुजारने के लिए तुम सब हमें अकेले छोड़ने की कृपा करो. बस,’’ उस के साले ने नाटकीय अंदाज में अपने हाथ जोड़े.

‘‘तुम भूल रहे हो कि कविता मेरी पत्नी है.’’

‘‘आप जा कर अपने मातापिता से कह दें कि हमें उन से कैसी भी सहायता की जरूरत नहीं है. अपनी बहन का इलाज मैं अपना सबकुछ बेच कर भी कराऊंगा.’’

‘‘देखिए, आप लोगों ने आपस में एकदूसरे से झगड़ते हुए क्याक्या कहा, उस के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं. मेरी गृहस्थी उजड़ने की कगार पर आ खड़ी हुई है. कविता से मिलने को मेरा दिल तड़प रहा है…उसे मेरी…मेरे सहारे की जरूरत है. प्लीज, उसे यहां बुलाइए,’’ नीरज की आंखों से आंसू बहने लगे.

नीरज के दुख ने उन के गुस्से के उफान पर पानी के छींटे मारने का काम किया. उस की सास पास आ कर स्नेह से उस के सिर पर हाथ फेरने लगीं.

अब उन सभी की आंखों में आंसू छलक उठे.

‘‘कविता की मौसी उसे अपने साथ ले कर गई हैं. वह रात तक लौटेंगी. तुम तब तक यहां आराम कर लो,’’ उस की सास ने बताया.

अपने हाथों से मुंह कई बार पोंछ कर नीरज ने मन के बोझिलपन को दूर करने की कोशिश की. फिर उठ कर बोला, ‘‘मैं अभी घर जाता हूं. रात को लौटूंगा. कविता से कहना कि मेरे साथ घर लौटने की तैयारी कर के रखे.’’

आटोरिकशा पकड़ कर नीरज घर पहुंचा. उस का मन बुझाबुझा सा था. अपने मातापिता के रूखे स्वभाव को वह अच्छी तरह जानता था इसलिए उन्हें समझाने की उस ने कोई कोशिश भी नहीं की.

कविता की जानलेवा बीमारी की चर्चा छिड़ते ही उस की मां ने गुस्से में अपने मन की बात कही, ‘‘तेरी ससुराल वालों ने हमें ठग कर अपनी सिरदर्दी हमारे सिर पर लाद दी है, नीरज. कविता के इलाज की भागदौड़ और उस की दिनरात की सेवा हम से नहीं होगी. अब उसे अपने मायके में ही रहने दे, बेटे.’’

‘‘तेरे सासससुर ने शादी में अच्छा दहेज देने का मुझे ताना दिया है. सुन, अपनी मां से कविता के सारे जेवर ले जा कर उन्हें दे देना,’’ नीरज के पिता भी तेज गुस्से का शिकार बने हुए थे.

नीरज की छोटी बहन वंदना ने जरूर उस के साथ कुछ देर बैठ कर अपनी आंखों से आंसू बहाए पर कविता को घर लाने की बात उस ने भी अपने मुंह से नहीं निकाली.

अपने कमरे में नीरज बिना कपड़े बदले औंधे मुंह बिस्तर पर गिर पड़ा. इस समय वह अपने को बेहद अकेला महसूस कर रहा था. अपने घर व ससुराल वालों के रूखे व झगड़ालू व्यवहार से उसे गहरी शिकायत थी.

उस के अपने घर वाले बीमार कविता को घर में रखना नहीं चाहते थे और ससुराल में रहने पर नीरज का अपना दिल नहीं लगता. वह कविता के साथ रह कर कैसे यह कठिन दिन गुजारे, इस समस्या का हल खोजने को उसे काफी माथापच्ची करनी पड़ी.

उस रात कविता से नीरज करीब 2 माह बाद मिला. उसे देख कर नीरज को मन ही मन जबरदस्त झटका लगा. उस की खूबसूरत पत्नी का रंगरूप मुरझा गया था.

लुकाछिपी- भाग 4: क्या हो पाई कियारा औक अनमोल की शादी

अनमोल को पा कर कियारा बेहद खुश थी. वह अनमोल में कुछ इस तरह डूबी हुई थी कि उस ने अपना सबकुछ अनमोल पर लुटा दिया. अपनेआप को अनमोल को समर्पित दिया. अनमोल के प्यार में कियारा इस कद्र अंधी थी कि उसे अनमोल के आगे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. वह यह भी देखने को तैयार नहीं थी कि संदीप भी उस से बेइंतहा मुहब्बत करता है, लेकिन यह बात अनमोल भाप चुका था और यही वजह थी कि कियारा का संदीप से मिलना उसे पसंद नहीं था.

अकसर वीकैंड पर कियारा अनमोल के फ्लैट में रात रुक जाती या जब

भी अजय नहीं होता वह अनमोल के साथ ही रातें गुजारती. अब कियारा जल्द से जल्द अनमोल के संग ब्याह के बंधन में बंध कर अपना घर बसाना चाहती थी, इसलिए एक रात जब वह अनमोल की बांहों में अपना सिर रख कर लेटी हुई थी तो उस ने अनमोल से कहा, ‘‘अनमोल अब हमें शादी कर लेनी चाहिए.’’

यह सुनते ही अनमोल कियारा के लबों पर अपने प्यार की निशानी अंकित करते हुए बोला, ‘‘माई डियर मैं भी यही सोच रहा हूं कोई तुम्हें उड़ा कर ले जाए, उस से पहले मैं तुम्हें उड़ा ले जाऊं.’’

उस के बाद अनमोल और कियारा ने अपने घर वालों के समक्ष अपनी शादी की इच्छा जाहिर की और दोनों के ही परिवार वाले भी इस शादी के लिए सहर्ष तैयार हो गए क्योंकि दोनों एक ही बिरादरी से थे और दोनों का सामाजिक स्तर भी बराबरी का था. कुछ ही हफ्तों बाद अनमोल और कियारा की सगाई हो गई और औफिस में चल रही सारी अठखेलियां कियारा और अनमोल के सगाई के बाद समाप्त हो गईं.

सलोनी की शादी भी उस की भाभी के छोटे भाई अंशु से फिक्स हो गई. यों लग रहा था जैसे सबकुछ सही हो गया है. सभी के सपनों को पंख मिल गए थे और सभी ऊंची उड़ान भरने लगे थे, लेकिन जिंदगी जितनी सरल दिखती है उतनी आसान होती कहां है. अभी जिंदगी को अपना एक अलग ही रंग दिखाना बाकी था.

तभी एक दिन कियारा किसी से कुछ भी बताए बगैर अनमोल के फ्लैट में जा पहुंची. सगाई के बाद से अनमोल के फ्लैट की एक चाबी कियारा के पास भी थी. फ्लैट पहुंच कर जैसे ही उस ने दरवाजा खोला और कियारा की आंखों ने जो देखा उसे देख कियारा को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ. सलोनी को अनमोल की बांहों में देख कियारा स्तब्ध रह गई. उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सलोनी और अनमोल उस के साथ ऐसा करेंगे. वह जानती थी कि सलोनी हर हफ्ते बौयफ्रैंड बदलती है, लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि अनमोल और सलोनी उस की पीठ पीछे लुकाछिपी का ऐसा गंदा खेल खेल रहे हैं. वह सम झती थी कि अजय और सलोनी के बीच में कुछ है शायद इसलिए सलोनी बारबार अनमोल के फ्लैट में अजय से मिलने जाती है. उसे तो कभी भनक तक नहीं लगी कि सलोनी और अनमोल उसे धोखा दे रहे हैं.

अनमोल और सलोनी के बीच का यह दृश्य देखने के बाद कियारा वहां से उलटे पांव अपने फ्लैट पर लौट आई. यह देख अनमोल और सलोनी भी उस के पीछे भागते हुए आए.

अनमोल अपनी सफाई देते हुए बोला, ‘‘देखो कियारा मैं और सलोनी

केवल फिजिकल रिलेशनशिप में हैं और कुछ नहीं, मैं  शादी सिर्फ और सिर्फ तुम से ही करना चाहता हूं और केवल तुम से ही करूंगा, किसी और से नहीं.’’

तभी सलोनी बोली, ‘‘हां कियारा मेरे और अनमोल के बीच में कुछ नहीं है. मेरा अजय और अनमोल के साथ एकजैसा ही रिलेशन है. तू तो जानती है न मेरा ऐसा रिलेशन कितनों के साथ रहा है. मैं ने तु झ से कहा भी था कि मैं किसी के साथ भी रिलेशनशिप में रहूं पर शादी अपनी कास्ट, अपनी बिरादरी के लड़के से ही करूंगी और तु झे भी ऐसा ही करना चाहिए. मु झे देख इतनों के साथ रिलेशन में होने के बावजूद मैं शादी तो अंशु से ही कर रही हूं.’’

यह सब चल ही रहा था कि संदीप भी वहां आ गया. संदीप को देखते ही कियारा उस से लिपट गई. यह देख अनमोल का पारा चढ़ गया और वह कियारा को संदीप से अलग करते हुए बोला, ‘‘ये सब क्या है कियारा? जब तक हमारी सगाई नहीं हुई थी, तब तक तुम्हारा इस संदीप के संग बेतकल्लुफ  होना मैं बरदाश्त कर सकता था, लेकिन अब ये सब नहीं चलेगा.’’

अनमोल का इतना कहना था कि कियारा की आंखों में खून खौल गया और बोली, ‘‘तुम सगाई के बाद किसी और लड़की से हमबिस्तर हो सकते हो और मैं अपने दोस्त के गले भी नहीं लग सकती?’’

अनमोल गुस्से में बोला, ‘‘नहीं, अब तुम मेरी होने वाली पत्नी हो और मैं किसी भी हाल

में नहीं चाहूंगा तुम इस संदीप के साथ कोई

रिश्ता रखो.’’

यह सुनते ही कियारा संदीप की ओर देखने लगी. आज पहली बार संदीप की आंखों में

कियारा अपने लिए प्यार देख पाई थी. कियारा थोड़ी देर चुप रही फिर बोली, ‘‘अनमोल अभी हमारी शादी हुई नहीं है और शादी से पहले मेरी एक शर्त है.’’

अनमोल ने कहा, ‘‘कैसी शर्त?’’

संदीप और सलोनी आश्चर्य से कियारा को देखने लगे. तभी कियारा बोली, ‘‘मैं शादी से पहले एक रात संदीप के साथ अकेले गुजारना चाहती हूं.’’

कियारा का इतना कहना था कि सभी की भौंहें तन गईं. कियारा को  झं झोड़ते हुए संदीप बोला, ‘‘पागल हो गई हो क्या? कुछ भी बोल रही हो…’’

तभी अनमोल बोला, ‘‘यह कैसी बेकार की शर्त

है. यह नहीं हो सकता. मेरी होने वाली बीवी किसी

पराए मर्द के साथ रात नहीं गुजार सकती.’’

‘‘मेरा होने वाला पति अगर पराई लड़की के साथ रात गुजार सकता है तो मैं क्यों नहीं? यदि शादी होगी तो इसी शर्त पर होगी नहीं तो नहीं होगी,’’ कहते हुए कियारा ने अपनी उंगली पर पहनी सगाई की अंगूठी निकाल कर अनमोल को थमा दी.

अनमोल ने फिर आगे कुछ नहीं कहा क्योंकि उसे यह शर्त मंजूर नहीं थी. वह कियारा को छोड़ सकता था, इस शादी को भी तोड़ सकता था, लेकिन एक ऐसी लड़की से शादी करने को तैयार नहीं था जो एक रात किसी दूसरे लड़के के साथ गुजार कर आई हो. अनमोल ने शर्त मानने से मना कर दिया.

तभी कियारा बोली, ‘‘हर लड़का एक ऐसी लड़की से शादी करना चाहता है जो लड़की जिस्मानी तौर पर पाक साफ हो, चाहे उस का खुद का कितनी भी लड़कियों के साथ जिस्मानी संबंध क्यों न हो. एक लड़की कई लड़कों से संबंध रखने के बाद शादी अपनी ही जातबिरादरी और धर्म में करना चाहती है ताकि समाज में उस की मानप्रतिष्ठा बनी रहे यह कैसी दोहरी मानसिकता है? यह कैसी सोच है? मु झे इस दोहरी सोच का हिस्सा नहीं बनना.

कियारा की शर्तों पर अनमोल ने उस से शादी करने से इनकार कर दिया.

तभी संदीप बोला, ‘‘कियारा अनमोल सच कह रहा है, मैं ने आज तक तुम से यह

बात छिपाई कि मैं तुम से प्यार करता हूं. आज तुम यह बात जान चुकी हो, इसलिए पूछ रहा हूं क्या तुम एक विजातीय लड़के के संग यानी मेरे संग शादी करना चाहोगी?’’

संदीप के ऐसा कहते ही कियारा बोली, ‘‘संदीप क्या तुम यह जानते हुए भी मु झ से शादी करना चाहोगे कि मैं ने अपनी कई रातें अनमोल के साथ गुजारी हैं और मैं पाक साफ नहीं हूं?’’

‘‘प्यार तो बस प्यार होता है कियारा इस में किस ने किस के साथ रात गुजारी है यह नहीं देखा जाता, तुम ने किस के साथ कितनी रातें गुजारी हैं इस से मु झे कोई फर्क नहीं पड़ता. मन की पवित्रता ही सब से बड़ी पवित्रता है और मैं यह बहुत अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम दिल से पाक साफ हो, पवित्र हो और अपने जीवनसाथी के प्रति सदा ईमानदार थी और रहोगी. मु झे और क्या चाहिए,’’ ऐसा कहते हुए संदीप ने अपना हाथ कियारा की ओर बढ़ा दिया और कियारा ने बिना देर किए उस का हाथ थाम लिया. उस के बाद दोनों एकदूसरे की बांहों को थामे वहां से निकल गए. अनमोल और सलोनी उन्हें जाते हुए देखते रहे.

शादी के 7 साल बाद पिता बनें Dheeraj Dhoopar, पत्नी ने दिया बेटे को जन्म

पौपुलर टीवी एक्टर धीरज धूपर (Dheeraj Dhoopar) प्रौफेशनल लाइफ में जहां झलक दिखला जा 10 (Jhalak Dikhhla Jaa 10) का हिस्सा बनते नजर आने वाले हैं. तो वहीं पर्सनल लाइफ में वह बेटे के पिता बन गए हैं, जिसकी खुशखबरी उन्होंने अपने फैंस को सोशलमीडिया के जरिए दी है. आइए आपको दिखाते हैं एक्टर को स्पेशल पोस्ट…

पापा बनने पर ऐसे जाहिर की खुशी

 

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एक्टर धीरज धूपर ने अपनी वाइफ विन्नी अरोड़ा (Vinny Arora) संग एक प्यारी सी फोटो के साथ-साथ एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें लिखा है कि  हमें ये अनाउंसमेंट करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि, हमें लड़का हुआ है. 10.08.2022 माता-पिता विन्नी अरोड़ा और धीरज धूपर.” एक्टर के इस पोस्ट पर फैंस और सेलेब्स की बधाइयों का तांता लग गया है और सभी इस पोस्ट पर अपना रिएक्शन देते दिख रहे हैं.

 

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शादी के 7 साल बाद बनें पिता

 

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बीते दिनों 2 अप्रैल 2022 को एक्टर धीरज धूपर और उनकी वाइफ विन्नी अरोड़ा (Dheeraj Dhoopar And Vinny Arora Became Parents) ने रोमांटिक फोटोज शेयर करते हुए प्रैग्नेंसी की खबर फैंस के साथ शेयर की थी, जिसके बाद फैंस काफी एक्साइटेड थे. क्यों कि यह सेलेब्रिटी कपल का पहला बच्चा है. साल 2016 में शादी करने वाला ये कपल 6 साल तक एक-दूसरे को डेट कर चुका है, जिसके बाद धीरज धूपर और उनकी फैमिली के लिए यह बहुत बड़ी खुशी है.

नए शो का बनेंगे हिस्सा

 

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हाल ही में कुमकुम भाग्य सीरियल को अलविदा कहने के बाद एक्टर धीरज धूपर कलर्स टीवी के सीरियल और रियलिटी शो का हिस्सा बनते हुए दिखने वाले हैं. हाल ही में एक्टर ने सोशलमीडिया पर अपने नए रियलिटी शो झलक दिखला जा 10 का एक प्रोमो शेयर किया था, जिसमें वह डांस करते दिख रहे थे. वहीं फैंस भी उनके नए शो के लिए काफी एक्साइटेड नजर आ रहे हैं.

GHKKPM: 8 साल बाद सई या पाखी किसके साथ होगा विराट, नया प्रोमो देख चौंके फैंस

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’  (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में ट्विस्ट के चलते जहां मेकर्स ने लीप लाने का फैसला किया था तो वहीं अब 8 साल के लीप का नया प्रोमो फैंस के सामने आ गया है, जिसके चलते फैंस काफी एक्साइटेड नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin  के नए प्रोमो में खास…

बच्चों को पालती दिखी सई-पाखी

 

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हाल ही में लीप की खबरों के बीच ‘गुम है किसी के प्यार में’ के मेकर्स ने शो का नया प्रोमो रिलीज किया है. वीडियो में 8 साल के बाद सई की बेटी अपने पिता की तस्वीर बनाती दिख रही है तो वहीं पाखी का बेटा गेम खेलता नजर आ रहा है. वहीं दोनों अपने पिता का इंतजार करते दिख रहे हैं. तो दूसरी तरफ विराट बच्चों की पसंद के खिलौने लेता हुआ नजर आ रहा है. लेकिन आखिर में वह सई के पास जाता है या पाखी के पास, यह प्रोमो में नहीं दिखाया गया है, जिसके चलते फैंस काफी एक्साइटेड हैं.

 

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खुदखुशी की कोशिश करेगी पाखी

 

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सीरियल की बात करें तो अब तक आपने देखा कि किन्नरों के आने से पाखी को सई से कम अहमियत मिलने लगती है, जिसके चलते वह एक नया प्लान बनाती है और खुदखुशी करने का नाटक करती है. हालांकि सई आकर उसे रोकती है. लेकिन डौक्टर के डिप्रेशन वाली बात पर भवानी, पाखी को बच्चा संभालने की बात करती दिखेगी, जिसे सुनकर सई और विराट समेत पूरा चौह्वाण परिवार जहां हैरान होगा तो वहीं पाखी बेहद खुश नजर आएगी.

 

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पाखी को जेल भेजेगी सई

इसके अलावा आप देखेंगे कि पाखी की चालों का जवाब देते हुए सई पुलिस को बुलाएगी और सरोगेसी के मामले में पाखी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाएगी और उसे जेल भेजेगी. वहीं सई के इस फैसले से विराट नाराज होता दिखेगा. हालांकि सई, विराट को धमकी देगी कि अगर उसने इस फैसले पर पाखी का साथ दिया तो वह घर छोड़कर अपने बच्चे को साथ लेकर चली जाएगी, जिसे सुनकर विराट चौंक जाएगा.

DNA टैस्ट खोलता है कई गहरे राज

2008 में रोहित एनडी तिवारी के खिलाफ अदालत पहुंचे थे. रोहित ने दावा किया था कि वह पूर्व कांग्रेस नेता और अपनी मां उज्ज्वला शर्मा का बेटा है. एनडी तिवारी ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले को खारिज करने की गुहार भी लगाई थी हालांकि कोर्ट ने 2010 में तिवारी की इस गुहार को खारिज कर दिया था.

23 दिसंबर, 2010 को हाई कोर्ट ने सचाई जानने के लिए दोनों को डीएनए टैस्ट कराने का आदेश दिया. हालांकि एनडी तिवारी ने इस के खिलाफ भी खूब हाथपांव मारे और सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन वहां से भी उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा था.

इस के बाद उन्होंने अपना खून तो दिया, लेकिन उस के रिजल्ट को सार्वजनिक न करने की सिफारिश की थी, जिसे कोर्ट ने नहीं माना और रोहित का दावा सही निकला. डीएनए टैस्ट के बाद रोहित को बेटे का हक मिला, लेकिन दुर्भाग्यवश 39 साल की उम्र में रोहित का हृदयगति रुकने से मौत हो गई.

इस के अलावा एक बार छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में एक बेटे को पिता की पहचान जानने के लिए डीएनए टैस्ट कराना पड़ा क्योंकि पुलिस को एकसाथ 2 सड़ेगले शव छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में मिले थे. परिवार वाले उसे पहचान नहीं पा रहे थे. यह जानने के लिए पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने डीएनए टैस्ट करवाया और बाद में संबंधित शव परिवार को सौप दिया.

किया शोध

फ्रेडरिक मिशर ने 1869 में डीएनए की खोज की थी और उन्होंने इस का नाम न्यूक्लिन रखा. इस के बाद 1881 में अल्ब्रेक्ट कोसेल ने न्यूक्लिन को न्यूक्लिक एसिड की तरह पाया. तब इसे डीऔक्सीराइबोज न्यूक्लिन ऐसिड नाम दिया गया था और इसे ही डीएनए की फुलफौर्म कहा जाता है.

संरचना

डीएनए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डीऔक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डीएनए कहते हैं. इस में जैनेटिक कोड निबद्ध रहता है. डीएनए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है.

डरें नहीं डीएनए जांच से 

इस बारे में मुंबई के अपोलो स्पैक्ट्रा अस्पताल की जनरल फिजिशियन डा. छाया वजा कहती हैं कि असल में किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए कई प्रकार की जांचें की जाती हैं. इन में डीएनए जांच का नाम सुन कर अच्छेभले लोग भी डर जाते हैं. यह एक ऐसा टैस्टल है, जो हमारे जीन्स के बारे में एकदम सटीक जानकारी देता है. आज के बदलते जमाने में हत्या और बलात्कार जैसे कई अपराधों को सुलझने के लिए डीएनए परीक्षण का उपयोग किया जाता है. इसलिए ज्यादातर लोग इस के बारे में थोड़ाबहुत जानते हैं.

डीएनए क्या है

डाक्टर छाया कहती हैं कि हर व्यक्ति का डीएनए अलग होता है. डीएनए में 4 घटक होते हैं- एडेनिन (ए), थायमिन (टी), ग्वानिन (जी) और साइटोसिन (सी). यह डीएनए जांच के लिए किया जाता है. एक अपराधी का पता लगाने और मातापिता अपने हैं या नहीं यह जानने के लिए इस जांच को करना पड़ता है क्योंकि बच्चे का डीएनए उस के मातापिता से बनता है, लेकिन बच्चे और उस के मातापिता का डीएनए एकजैसा नहीं होता है, बल्कि कुछ हिस्सा मिलता हुआ हो सकता है.

एक डीएनए जांच द्वारा पितृत्व परीक्षण किया जाता है और यह लगभग 100% सटीक होता है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के बच्चे का पिता है या नहीं. डीएनए टैस्ट में चीक स्वैब या ब्लड टैस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि आप को कानूनी कारणों से परिणाम की आवश्यकता है, तो आप को चिकित्सा सैटिंग में परीक्षण करवाना चाहिए. प्रसवपूर्व पितृत्व परीक्षण, गर्भावस्था के दौरान पितृत्व का निर्धारण कर सकते हैं.

डीएनए है क्या

डीएनए एक बहुत ही साइंटिफिक टर्म है, इसलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं. व्यक्ति के शरीर में एक डीएनए कोडिंग होती है और यह कोडिंग जिस तरह से होती है, शरीर उसी तरह से बनता है अर्थात कोडिंग ही तय करती है कि बच्चे की आंखों का रंग कैसा होगा, उस की स्किन का रंग कैसा होगा, लंबाईचौड़ाई कैसी होगी, मसल्स कितनी मजबूत होंगी, बाल कैसे होंगे, सीना कितने इंच का होगा और बच्चा भविष्य में किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी का शिकार हो सकता है या नहीं आदि.

पितृत्व का निर्धारण

पितृत्व का परीक्षण बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है, लेकिन गर्भावस्था में भी यह जांच की जा सकती है. इस के 3 अलगअलग तरीके हैं:

गैर-इनवेसिव प्रीनेटल पितृत्व परीक्षण (एनआईपीपी): यह परीक्षण पहली तिमाही के दौरान गर्भवती महिला के रक्त में पाए जाने वाले भू्रण के डीएनए से किया जाता है. इसे जांचने के लिए पिता के चिक सैल के नमूने को भू्रण के डीएनए से मिलाया जाता है.

कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस): यह प्रक्रिया मां की गर्भाशय ग्रीवा या पेट के माध्यम से होती है. इस जांच के लिए मां और पिता का डीएनए मिलाया जाता है. सीवीएस आमतौर पर एक महिला के आखिरी मासिकधर्म के 10 से 13 सप्ताह के बीच होता है. इस प्रक्रिया में गर्भपात या गर्भावस्था के नुकसान का थोड़ा रिस्क होता है.

एमनियोसैंटेसिस: एमनियोसैंटेसिस के दौरान ऐक्सपर्ट थोड़ी मात्रा में एमनियोटिक फ्लूइड निकालते हैं. इस टैस्ट के लिए प्रैगनैंट मां के पेट में एक नीडल डाली जाती है, फिर प्रयोगशाला में इस फ्लूइड के सैंपल को मां और संभावित पिता के डीएनए से तुलना की जाती है. एमनियोसैंटेसिस गर्भधारण के 15 से 20 सप्ताह के बीच में किया जाता है. इस टैस्ट से मिस्कैरिज की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है.

समय डीएनए रिपोर्ट आने का

जांच कराने के लगभग 1 हफ्ते बाद डीएनए की रिपोर्ट आती है और किसी बीमारी की जांच के लिए किए जाने वाली जांच में करीब 2 से 3 हफ्ते का समय लगता है.

तरीके डीएनए टैस्ट के

व्यक्ति के शरीर से खून की कुछ बूंदें ले कर इस टैस्ट को किया जाता है. इस के अलावा मुंह से स्वाब, हेयर, स्किन आदि से भी जांच की जा सकती है. डीएनए जांच देती है परिचय मातापिता का:

– इस टैस्ट से बच्चा संबंधित मातापिता का है या नहीं यह पता लगाया जा सकता है.

– मातापिता को कोई बायोलौजिकल बीमारी अगर है, तो इस बीमारी का बच्चे में जाने की संभावना है या नहीं.

– इस टैस्ट के द्वारा व्यक्ति सगेसंबंधी और ब्लड रिलेटिव्स का पता लगा सकता है.

– क्राइम की छानबीन और आरोपी को दबोचने के लिए डीएनए टैस्ट किया जाता है.

– डीएनए टैस्ट के जरीए किसी भी व्यक्ति को किस बीमारी से खतरा है इस का पता लगाया जा सकता है.

प्रैग्नेंसी में मूड स्विंग्स से काफी परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 26 साल की और 3 महीनों से प्रैगनेंट हूं. मुझे मूड स्विंग्स की समस्या हो रही है. अगर कोई मेरी बात न सुने या मेरे मन का न हो तो मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और मैं किसी से भी लड़ने लगती हूं. यह हरकत मेरे लिए प्रौब्लम क्रिएट कर रही है. प्लीज, बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

प्रैगनैंसी के समय हारमोनल फ्लक्चुएशंस की वजह से मूड स्विंग्स होना नौर्मल है. आप अच्छी नींद लें, अपने को रैस्ट दें, माइल्ड ऐक्सरसाइजेज की मदद लें. तनाव बिलकुल न लें, अपने पार्टनर से बातें शेयर करें, उन की हैल्प लें और पौष्टिक खाना खाएं.

ये भी पढ़ें- 

आमतौर पर प्रैग्नेंसी के दौरान और बाद एक महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं. प्रैग्नेंसी के बाद स्तनों में बदलाव होता ही है. क्‍या आप जानते हैं, स्तन लोब्‍युल्‍स से बने होते हैं, जो दूध बनाने वाली ग्रंथियाँ होती है और इनमें नलिकाएँ  हुती हैं, जो दूध को निप्‍पल तक ले जाती हैं और उनके इर्द-गिर्द ग्रंथीय, नसों वाले और चर्बीदार ऊत्‍तक होते हैं. उम्र बढ़ने के साथ ग्रंथीय ऊत्‍तक का आकार घटता है. प्रैग्नेंसी के दौरान स्‍तन का विकास इस प्रक्रिया का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है, क्‍योंकि उसे शिशु के लिये दूध बनाने के लिये बदलाव से गुजरना होता है. प्रैग्नेंसी से पहले के हॉर्मोन स्‍तन के ऊतकों में बदलाव लाते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान मिलने वाले शुरूआती संकेतों में स्‍तनों को संवेदी अनुभव होना शामिल है, जो शरीर में अतिरिक्‍त हॉर्मोन्‍स के बहने से होता है.

डॉ. तनवीर औजला, सीनियर कंसल्‍टेन्‍ट ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन एवं गाइनेकलॉजिस्‍ट, मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा की बता रही हैं गर्भावस्था के दौरान स्तनों में क्या बदलाव होते है.

प्रैग्नेंसी के दौरान हमारे स्‍तनों में शिशु को दूध देने के लिये बदलाव होते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान होने वाले इन बदलावों में स्‍तनों का आकार बढ़ना और स्‍तनों तथा निप्‍पल का मुलायम या संवेदनशील होना शामिल है. इसमें निप्‍पलों और एरीयोला का रंग भी बदलता है और मोंटगोमरी ग्रंथियाँ स्‍पष्‍ट और बड़ी दिखाई देती हैं. स्‍तनों में ज्‍यादा खून आने लगता है, जिससे उनकी नसें गहरे रंग की हो जाती हैं. इस अवस्‍था में एस्‍ट्रोजेन और प्रोजेस्‍टेरॉन की मात्रा बढ़ जाती है और इन दोनों हॉर्मोन्‍स के मिलने से दूध बनने लगता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- प्रैग्नेंसी के बाद आपके ब्रैस्ट में वास्तव में क्‍या होता है

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मैडमजी: लिफाफे में क्या लिखा था

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Raksha bandhan Special: बनाएं पंजाबी भिंडी मसाला

फेस्टिव सीजन में अगर हैल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो पंजाबी भिंडी मसाला की ये आसान और हेल्दी रेसिपी आपकी फैमिली को बेहद पसंद आएगी.

सामग्री

250 ग्राम भिंडी

1 बारीक कटा प्याज

1 बारीक कटा टमाटर

1 टीस्पून अदरक-लहसुन का पेस्ट

1/2 टीस्पून हरी मिर्च का पेस्ट

1/4 टीस्पून हल्दी पाउडर

3/4 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर

3/4 टीस्पून धनिया पाउडर

1/4 टीस्पून अमचूर पाउडर

1/4 टीस्पून कसूरी मेथी

चुटकी भर गरम मसाला पाउडर

1/2 टीस्पून जीरा

तेल

नमक स्वादानुसार

गार्निशिंग के लिए धनिया

विधि

भिंडी को मध्यम आंच पर 8 मिनट तक सॉते करने के बाद प्लेट में निकाल लें. कड़ाही में जीरा भूनें. उसमें प्याज और हरी मिर्च का पेस्ट डालकर 4 मिनट तक सॉते करें.

अब उसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर 3 मिनट तक सॉते करें, फिर लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, अमचूर पाउडर और कसूरी मेथी मिलाएं.

उसमें टमाटर डालने के बाद 6-7 मिनट तक सॉते करें. ऊपर से ढक दें. भिंडी मिलाकर 10 मिनट तक पकाएं (ढक्कन हटा दें). उसमें नमक और गरम मसाला पाउडर मिलाकर गैस बंद कर दें.

सर्विंग बाउल में निकालें और धनिया से गार्निश कर गर्मागर्म सर्व करें.

अधूरी मौत- भाग 5: शीतल का खेल जब उस पर पड़ा भारी

‘‘ठीक है, बताओ कहां मिलना है?’’ शीतल ने पूछा, ‘‘मैं भी इस डरडर के जीने वाली जिंदगी से परेशान हो गई हूं.’’ शीतल ने कहा.

‘‘शहर के बाहर सुनसान पहाड़ी पर जो टीला है, उसी पर मिलते हैं, आखिरी बार.’’ अनल बोला,  ‘‘दोपहर 12 बजे.’’

‘‘ठीक है मैं आती हूं.’’ शीतल बोली.

शीतल अब निश्चिंत हो गई. वह सोचने लगी, इस स्थिति से कैसे निपटा जाए. अगर वह सचमुच एक आत्मा हुई तो..? अरे उस ने खुद ने ही तो बता दिया है कि जहां भगवान होते हैं, वहां वह ठहर ही नहीं सकता. मतलब भगवान को साथ ले जाना होगा. और अगर वह खुद कोई फ्रौड हुआ, तो अपनी आत्मरक्षा के लिए रिवौल्वर साथ ले जाऊंगी. शीतल ने निर्णय लिया.

सुबह उठ कर उस ने अपने दोनों हाथों की कलाइयों, बाजुओं, गले यहां तक कि कमर में भी भगवान के फोटो वाली लौकेट पहन लिए, ताकि वह आत्मा उसे छूने से पहले ही समाप्त हो जाए. साथ ही रिवौल्वर भी अपने पर्स में रख ली.

ड्राइवर आज छुट्टी पर था. उस ने खुद गाड़ी चलाने का निर्णय लिया. वह निर्धारित समय से 15 मिनट पहले ही सुनसान पहाड़ी पर पहुंच गई. लेकिन अनल उस से भी पहले से वहां पहुंचा हुआ था.

‘‘ऐसा लगता है, तुम सुबह से ही यहां आ गए हो.’’ शीतल अनल की तरफ देखते हुए बोली.

‘‘शीतू, मैं तो रात से ही तुम्हारे इंतजार में बैठा हूं.’’ अनल बोला.

‘‘कौन सी इच्छा पूरी करना चाहते हो अनल?’’ शीतल अपने आप को संभालती हुई बोली.

‘‘बस एक ही इच्छा है, जो मैं मर कर भी नहीं जान पाया…’’ अनल थोड़ा रुकता हुआ बड़ी संजीदगी से बोला, ‘‘…कि तुम ने मुझे उस ऊंची पहाड़ी से धक्का क्यों दिया? इस का जवाब दो, इस के बाद मैं सदासदा के लिए तुम्हारी जिंदगी से दूर चला जाऊंगा.’’

‘‘हां, तुम्हें यह जवाब जानने का पूरा हक है. और यह सुनसान जगह उस के लिए उपयुक्त भी है. अनल तुम तो मेरी पारिवारिक स्थिति अच्छी तरह से जानते ही हो. मैं बचपन से बहनों के उतारे हुए पुराने कपड़े और बचीखुची रोटियों के दम पर ही जीवित रही हूं. लेकिन किस्मत ने मुझे उस मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया, जहां मेरे चारों ओर खानेपीने और पहनने ओढ़ने की बेशुमार चीजें बिखरी पड़ी थीं.

‘‘यह सब वे खुशियां थीं जिस का इंतजार मैं पिछले 23 साल से कर रही थी. एक तुम थे कि मुझे मां बनाने पर तुले थे. और मैं जानती थी, एक बार मां बनाने के बाद मेरी सारी इच्छाएं बच्चे के नाम पर कुरबान हो जातीं. और यह भी संभव था कि एक बच्चे के 3-4 साल का होने के बाद मुझ से दूसरे बच्चे की मांग की जाती.

‘‘अब तुम ही बताओ मेरी अपनी सारी इच्छाओं का क्या होता? क्या बच्चे और परिवार के नाम पर मेरी ख्वाहिशें अधूरी नहीं रह जातीं?

‘‘मैं अपनी इच्छाओं को किसी के साथ भी बांटना नहीं चाहती थी. न तुम्हारे साथ न बच्चों के साथ. मैं भरपूर जिंदगी जीना चाहती हूं सिर्फ अपने और अपने लिए.

‘‘उस पहाड़ी को देखते ही मैं ने मन ही मन योजना बना ली थी. इसी कारण स्टाइलिश फोटो के नाम पर ऐसा पोज बनवाया, जिस से मुझे धक्का देने में आसानी हो.’’

शीतल ने अपनी योजना का खुलासा किया, ‘‘मैं अब तक इस बात को भी अच्छी तरह से समझ चुकी हूं कि तुम कोई आत्मा नहीं हो. लेकिन मैं तुम्हें इसी पल आत्मा में तब्दील कर दूंगी.’’ कहते हुए शीतल ने अपने पर्स से रिवौल्वर निकालते हुए कहा, ‘‘हां, तुम्हारी लाश पुलिस को मिल जाएगी, तो मुझे बीमे का क्लेम भी आसानी से मिल जाएगा.’’ शीतल ने आगे जोड़ा.

‘‘देखो शीतल, दोबारा ऐसी गलती मत करो. तुम्हारे पीछे पुलिस यहां पर पहुंच ही चुकी है.’’ अनल शीतल को चेताते हुए बोला.

‘‘मूर्ख, मुझे छोटा बच्चा समझ रखा है क्या? तुम कहोगे पीछे देखो और मैं पीछे देखूंगी तो मेरी पिस्तौल छीन लोगे.’’ शीतल कातिल हंसी हंसते हुए बोली.

शीतल गोली चलाती, इस से पहले ही उस के पैर के निचले हिस्से पर किसी भारी चीज से प्रहार हुआ.

‘‘आ आ आ मर गई… ’’ कहते हुए शीतल जमीन पर गिर गई और हाथों से रिवौल्वर छूट गई. उस ने पीछे पलट कर देखा तो सचमुच में पुलिस खड़ी थी और साथ में वीर भी था.

‘‘आप का कंफेशन लेने के लिए ही यह ड्रामा रचा गया था मैडम. इस सारे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी कर ली गई है. अनल ने कपड़ों में 3-4 स्पाइ कैमरे लगा रखे थे.’’ इंसपेक्टर ने कहा, ‘‘आप को कुछ जानना है?’’

‘‘हां इंसपेक्टर, मैं यह जानना चाहती हूं कि अनल का भूत कैसे पैदा किया गया? वह मेरी गैलरी में कैसे चढ़ा और उतरा? वह मेरे अलावा किसी और को दिखाई क्यों नहीं दिया?’’ शीतल ने अपनी जिज्ञासा रखी.

‘‘यह वास्तव में ठीक उसी तरह का शो था जैसा कि कई शहरों में होता है. लाइट एंड साउंड शो के जैसा लेजर लाइट से चलने वाला. इस की वीडियो अनल व वीर ने ही बनाई थी और इस का संचालन आप के बंगले के सामने बन रही एक निर्माणाधीन बिल्डिंग से किया जाता था.’’ इंसपेक्टर ने बताया, ‘‘और आप के ड्राइवर और चौकीदार तो बेचारे इस योजना में शामिल हो कर आप के साथ नमकहरामी नहीं करना चाहते थे. लेकिन जब उन्हें थाने बुलाया और पूरा मामला समझाया गया तो वह साथ देने को तैयार हो गए. ड्राइवर की आज की छुट्टी भी इसी पटकथा का एक हिस्सा है.’’

‘‘पहाड़ी पर इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद भी अनल बच कैसे गया?’’ शीतल ने हैरानी से पूछा.

‘‘यह सारी कहानी तो मिस्टर अनल ही बेहतर बता सकेंगे.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

‘‘शीतल, मैं 50 मीटर लुढ़कने के बाद खाई में उगे एक पेड़ पर अटक गया. इतना लुढ़कने और कई छोटेबड़े पत्थरों से टकराने के कारण मैं बेहोश हो गया. तुम ने लगभग 100 मीटर दूर पुलिस को घटनास्थल बताया. तुम चाहती थी कि मेरी लाश किसी भी स्थिति में न मिले.

‘‘पहले दिन पुलिस तुम्हारे बताए स्थान पर ढूंढती रही, मगर अंधेरा होने के कारण चली गई. लेकिन दूसरे दिन पुलिस ने उस पूरे इलाके में सर्चिंग की तो मैं एक पेड़ पर अटका हुआ बेहोश हालत में दिखाई दिया. चूंकि यह स्थान तुम्हारे बताए गए स्थान से काफी दूर और अलग था, अत: पुलिस को तुम पर शक पहले दिन से ही हो गया था. और वह मेरे बयान लेना चाहती थी. पुलिस ने तुम्हें बताए बिना मुझे अस्पताल में भरती करवा दिया. कुछ समय बेहोश रहने के बाद मैं कोमा में चला गया.

‘‘लगभग एक महीने के बाद मुझे होश आया और मैं ने अपना बयान पुलिस को दिया. तुम से गुनाह कबूल करवाना मुश्किल था, इसीलिए पुलिस से मिल कर यह नाटक करना पड़ा.’’ अनल ने बताया.

‘‘चलो, अब समझ में आ गया भूत जैसी कोई चीज नहीं होती.’’ शीतल बोली.

‘‘मैं ने तुम से वायदा किया था कि आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे तो यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी. मेरी अनुपस्थिति में  पिताजी का खयाल रखने के लिए बहुतबहुत धन्यवाद.’’ अनल हाथ जोड़ते हुए बोला.

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