निहत्थों पर वार करना कायरता है

पिछले कुछ सालों से कश्मीर एक बार फिर देश के सैलानियों के लिए एक स्पौट बन रहा था, खासतौर पर सर्दियों में जब गुलमर्ग पर पूरी तरह बर्फ पड़ जाती थी और स्कीइंग और एलैजिंग का मजा लूटा जा सकता था. अब लगता है कि एक बार फिर कश्मीर हिंदूमुसलिम विवाद में फंस रहा है.

भारत सरकार ने बड़ी आनबानशान से कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करते हुए उसे उपराज्यपाल के अंतर्गत डाल दिया और संविधान के अनुच्छेद 370 को संशोधित करते हुए ऐलान कर डाला कि कश्मीर अब पूरी  तरह भारत का हिस्सा हो गया. पर मईजून माह में ताबड़तोड़ आतंकवादी हमलों ने फिर उन पुराने दहशत भरे दिनों को वापस ला दिया जब देश के बाहरी इलाकों के लोग कश्मीर में व्यापार तक करने जाने से घबराते थे.

आतंकवादी चुनचुन कर देश के बाहरी इलाकों से आए लोगों को मार रहे हैं. एक महिला टीचर और एक युवा नवविवाहित बैंक मैनेजर की मौत ने फिर से कश्मीर को पराया बना डाला है. जो सरकार समर्थक पहले व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर पर कश्मीर में प्लौट खरीदने की बातें कर रहे थे अब न जाने कौन से कुओं में छिप गए हैं.

किसी प्रदेश, किसी जाति, किसी धर्म को दुश्मन मान कर चलने वाली नीति असल में बेहद खतरनाक है. आज के शहरी जीवन में सब लोगों को एकदूसरे के साथ रहने की आदत डालनी होगी क्योंकि शहरी अर्थव्यवस्था सैकड़ों तरह के लोगों के सम्मिलित कामों का परिणाम होती है.

हर महल्ले में, हर सोसाइटी में, हर गली में हर तरह के लोग रहें, शांति से रहें और मिलजुल कर रहें तो ही यह भरोसा रह सकता है कि चाहे कश्मीर में हों या नागालैंड में, आप के साथ भेदभाव नहीं होगा. यहां तो सरकार की शह पर हर गली में जाति और धर्म की लाइनें खींची जा रही हैं ताकि लोग आपस में विभाजित रह कर या तो सरकार के जूते धोएं या अपने लोगों से संरक्षण मांगने के लिए अपनी अलग बस्तियां बनाएं.

जब हम दिल्ली के जाकिर नगर और शाहीन बाग को पराया मानने लगेंगे तो कश्मीर को कैसे अपनाएंगे?

सैलानी अलगअलग इलाकों को एकसाथ जोड़ने का बड़ा काम करते हैं. वे ही एक देश की अखंडता के सब से बड़े सूत्र हैं, सरकार की ब्यूरोक्रेसी या पुलिस व फौज नहीं.

कश्मीरी आतंकवादी इस बात को समझते हैं और इसलिए इस बार निशाने पर बाहर से आए लोगों को ले रहे हैं और परिणाम है कि घर और परिवार सरकारी नीतियों के शिकार हो रहे हैं. निहत्थों पर वार करना कायरता है और उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार अपने देश की जनता से किए वादे को पूरा करेगी और पृथ्वी पर बसे स्वर्ग को हर भारतीय के लिए खोले रखेगी.

Raksha bandhan Special: ये हैं 7 लेटैस्ट आईलाइनर स्टाइल

अगर आप भी फैशन के साथ कदम से कदम मिला कर चलना पसंद करती हैं, तो रैग्युलर आईलाइनर स्टाइल को अलविदा कह कर आजमाएं आईलाइनर के लेटैस्ट स्टाइल्स और कहलाएं फैशन आईकोन. इन दिनों आईलाइनर के कौन से स्टाइल ट्रैंड में हैं, जानते हैं मेकअप आर्टिस्ट मनीष केरकर से :

फ्लोरल आईलाइनर

आई मेकअप को सुपर कूल लुक देने के लिए फ्लोरल आईलाइनर अच्छा औप्शन है. आई मेकअप के लिए ज्यादातर ब्लैक या ब्राउन शेड का आईलाइनर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फ्लोरल आईलाइनर स्टाइल में व्हाइट से ले कर यलो, पिंक, रैड, पर्पल जैसे बोल्ड शेड्स का जम कर इस्तेमाल होता है.

इन कलरफुल आईलाइनर्स से पलकों पर अलगअलग फ्लौवर्स की डिजाइन बनाई जाती है. इसलिए इसे फ्लोरल आईलाइनर स्टाइल कहते हैं. पूरी पलकों पर या फिर दोनों पलकों के अगले और पिछले छोर पर फ्लौवर्स की डिजाइन बना सकती हैं. आईलाइनर का यह स्टाइल डे पार्टी के लिए बिलकुल परफैक्ट है. फ्लोरल डिजाइन को सही शेप देने के लिए पैन और लिक्विड आईलाइनर का इस्तेमाल करें.

क्रिस्टल आईलाइनर

आप के डिजाइनर आउटफिट को टक्कर देने के लिए क्रिस्टल आईलाइनर हाल ही में फैशन में इन हुआ है. इस के लिए सब से पहले ब्लैक, ब्राउन, ब्लू या आउटफिट से मैच करता किसी भी एक शेड का आईलाइनर ऊपरनीचे दोनों तरफ पलकों पर लगाएं. अच्छे रिजल्ट के लिए लिक्विड आईलाइनर का इस्तेमाल करें.

जब यह सूख कर अच्छी तरह सैट हो जाए तो आईलाइनर के ठीक आसपास या ऊपर गोल्डन या सिल्वर शेड की छोटी बिंदियां कतार में चिपकाती जाएं. इस से आप के आईलाइनर को क्रिस्टल इफैक्ट मिलेगा और लाइट पड़ते ही आप का आई मेकअप चमकने लगेगा. शादीब्याह जैसे मौके के साथसाथ नाइट पार्टी, फंक्शन के लिए भी क्रिस्टल आईलाइनर स्टाइल बैस्ट है.

स्टिक औन आईलाइनर

अगर आप भी आईलाइनर के अलगअलग शेड्स और शेप्स ट्राई करना चाहती हैं, लेकिन बिना किसी प्रोफैशनल की सहायता से खुद अलग स्टाइल में आई मेकअप लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं या फिर आईलाइनर को सही शेप नहीं दे पातीं, तो समझ लीजिए कि स्टिक औन आईलाइनर खास आप के लिए ही है.

बाजार में उपलब्ध अलगअलग शेड्स, शेप्स और डिजाइन के स्टिक औन आईलाइनर्स लगा कर आप अपने आई मेकअप को आकर्षक लुक दे सकती हैं. इस के लिए आप को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. सिर्फ आईलाइनर स्टिकर को पलकों पर सही जगह अच्छी तरह चिपकाना होता है. स्टिक औन आईलाइनर डे के बजाय नाइट पार्टी में ज्यादा अट्रैक्टिव नजर आता है.

कैंडी केन आईलाइनर

अगर आप मस्ती या हौलिडे मूड में हैं और अपने आई मेकअप को जरा अलग लुक देना चाहती हैं तो कैंडी केन आईलाइनर से अपने आई मेकअप को कैंडी लुक दे सकती हैं. इस आईलाइनर स्टाइल के लिए आप को बहुत कुछ नहीं करना है. बस व्हाइट और रैड शेड का पैंसिल, लिक्विड, पैन आईलाइनर, जो मन करे खरीदें. अब ऊपर की पलकों पर पहले व्हाइट शेड का आईलाइनर लगाएं, उस पर रैड शेड के आईलाइनर से थोड़ीथोड़ी दूरी पर क्रौस लाइन बनाती जाएं.

डे पार्टी या गैटटुगैदर में फंकी लुक के लिए कैंडी केन आईलाइनर लगा सकती हैं. ब्यूटीफुल लुक के कैंडी केन आईलाइनर तभी लगाएं जब आप के आउटफिट का कलर व्हाइट या रैड अथवा व्हाइट ऐंड रैड हो.

बबल आईलाइनर

अगर आप रोजरोज स्ट्रेट आईलाइनर लगा कर ऊब गई हैं तो अब ट्राई करें बबल आईलाइनर. स्ट्रेट की तरह बबल आईलाइनर भी आप रोजाना लगा सकती हैं. इस के लिए आप को अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है. रोजाना इस्तेमाल करने वाले ब्लैक जैल या लिक्विड आईलाइनर को स्ट्रेट न लगा कर डौटडौट लगा कर बबल की तरह बनाएं ताकि वह सीधी लाइन न लग कर बबल की तरह ऊपरनीचे नजर आए.

आप चाहें तो बबल के ठीक बीच में व्हाइट पैन आईलाइनर से डौट बना कर उसे और भी आकर्षक लुक दे सकती हैं. बबल आईलाइनर स्टाइल डेली लगा सकती हैं और ये रैग्युलर आउटफिट पर भी मैच करता है.

रिबन आईलाइनर

स्ट्रेट, राउंड और फिश कट के अलावा कोई और आईलाइनर स्टाइल ट्राई करना चाहती हैं, तो आजमाइए रिबन आईलाइनर स्टाइल. इस के लिए ऊपर की पलकों पर ब्लैक लिक्विड या जैल आईलाइनर लगाएं. आकर्षक लुक के लिए लाइनर थोड़ा चौड़ा रखें. अब निचली पलकों पर ब्लैक और ब्राउन के अलावा किसी भी शेड का पैन आईलाइनर लगाएं और पिछले छोर पर पहुंचते ही उसे रिबन की तरह ऊपर लगे ब्लैक आईलाइनर पर लपेटते हुए घुमाएं.

रिबन आईलाइनर स्टाइल को आप किसी खास मौके के अलावा रैग्युलर डेज में भी लगा सकती हैं. इंडियन के मुकाबले यह वैस्टर्न वियर के साथ ज्यादा स्टाइलिश नजर आता है.

ग्लिटर आईलाइनर

ग्लिटर लिपस्टिक, ग्लिटर आईशैडो और ग्लिटर हेयर हाईलाइटर के साथ ही ग्लिटर आईलाइनर भी इन दिनों डिमांड में है. यह इंडियन और वैस्टर्न दोनों ही आउटफिट पर सूट करता है. इसे सिर्फ ऊपर या ऊपरनीचे दोनों पलकों पर लगाया जा सकता है. सिर्फ ग्लिटर आईलाइनर या फिर ब्लैक, ब्राउन, ब्लू जैसे दूसरे शेड का आईलाइनर लगा कर उस के ऊपर भी ग्लिटर आईलाइनर लगा सकती हैं.

सिल्वर, गोल्डन के साथसाथ पिंक, ब्लू, पर्पल, रैड, यलो जैसे शेड्स में भी ग्लिटर आईलाइनर उपलब्ध हैं. अट्रैक्टिव इफैक्ट के लिए जैल आईलाइनर यूज करें. नाइट पार्टी या फंक्शन में आई मेकअप को हाईलाइट करने के लिए ग्लिटर आईलाइनर स्टाइल से बढि़या औप्शन और कोई नहीं है.

अधूरी मौत- भाग 4: शीतल का खेल जब उस पर पड़ा भारी

बंगले की गली से निकल कर जैसे ही वह मुख्य सड़क पर आने को हुई तो कार की हैडलाइट सामने खड़े बाइक सवार पर पड़ी. उस बाइक सवार की शक्ल हूबहू अनल के जैसी थी.

अनल…अनल कैसे हो सकता है. ओहो तो वीर ने उसे डराने के लिए यहां तक रच डाला कि अनल का हमशक्ल रास्ते में खड़ा कर दिया. अपने आप से बात करते हुए शीतल बोली,  ‘‘हद है कमीनेपन की.’’

‘‘जी मैडम, कुछ बोला आप ने?’’ ड्राइवर ने पूछा.

‘‘नहीं कुछ नहीं. चलते रहो.’’ शीतल बोली.

‘‘मैडम, मैं कल की छुट्टी लूंगा.’’ ड्राइवर बोला.

‘‘क्यों?’’ शीतल ने पूछा.

‘‘मेरी पत्नी को झाड़फूंक करवाने ले जाना है.’’ ड्राइवर बोला, ‘‘उस पर ऊपर की हवा का असर है.’’

‘‘अरे भूतप्रेत, चुड़ैल वगैरह कुछ नहीं होता. फालतू पैसा मत बरबाद करो.’’ शीतल ने सीख दी.

‘‘नहीं मैडम, अगर मरने वाले की कोई इच्छा अधूरी रह जाए तो वह इच्छापूर्ति के लिए भटकती रहती है. उसे भी मुक्त करा दिया जाना चाहिए.’’ ड्राइवर बोला.

‘‘अधूरी इच्छा?’’ बोलने के साथ ही शीतल को याद आया कि अनल की मौत भी तो एक अधूरी इच्छा के साथ हुई है. तो अभी जो दिखाई पड़ा, वह अनल ही था? अनल ही साए के माध्यम से उसे अपने पास बुला रहा था? उस के प्राइवेट नंबर पर काल कर रहा था? पिछले 12 घंटों से जीने की हिम्मत बटोरने वाली शीतल पर एक बार फिर डर का साया छाने लगा था.

क्लब की किसी भी एक्टिविटी में उस का दिल नहीं लगा. आज वह इस डर से क्लब से जल्दी निकल गई कि दिखाई देने वाला व्यक्ति कहीं सचमुच अनल तो नहीं. अभी कार क्लब के गेट के बाहर निकली ही थी कि शीतल की नजर एक बार फिर बाइक पर बैठे अनल पर पड़ी, जो उसे बायबाय करते हुए जा रहा था. लेकिन इस बार उस ने रंगीन नहीं एकदम सफेद कपड़े पहने थे.

‘‘ड्राइवर उस बाइक का पीछा करो.’’ पसीने में नहाई शीतल बोली. उस की आवाज अटक रही थी घबराहट के मारे.

‘‘बाइक? कौन सी बाइक मैडम?’’ ड्राइवर ने पूछा.

‘‘अरे, वही बाइक जो वह सफेद कपड़े पहने आदमी चला रहा है.’’ शीतल कुछ साहस बटोर कर बोली.

‘‘मैडम मुझे न तो कोई बाइक दिखाई पड़ रही है, न कोई इस तरह का आदमी. और जिस तरफ आप जाने का बोल रही हैं, वह रास्ता तो श्मशान की तरफ जाता है. आप तो जानती ही हैं, मैं अपने घर में इस तरह की एक परेशानी से जूझ रहा हूं. इसीलिए इस वक्त इतनी रात को मैं उधर जाने की हिम्मत नहीं कर सकता.’’ ड्राइवर ने जवाब दिया.

अब शीतल का डर और भी अधिक बढ़ गया. वह समझ चुकी थी, उसे जो दिखाई दे रहा है वह अनल का साया ही है. अब उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह पंक्तियों की आवाज भी अनल की ही थी. क्या चाहता है अनल का साया उस से?

शीतल अभी यह सब सोच ही रही थी कि कार बंगले के उस मोड़ पर आ गई, जहां उस ने जाते समय अनल को बाइक पर देखा था. उस ने गौर से देखा उस मोड़ पर अभी भी एक बाइक पर कोई खड़ा है. अबकी बार कार की हैडलाइट सीधे खड़े हुए आदमी के चेहरे पर पड़ी.

उसे देख कर शीतल का चेहरा पीला पड़ गया. उसे लगा जैसे उस का खून पानी हो गया है, शरीर ठंडा पड़ गया है. वह अनल ही था. वही सफेद कपड़े पहने हुए था.

‘‘देखो भैया, उस मोड़ पर बाइक पर एक आदमी खड़ा है सफेद कपड़े पहन कर.’’ डर से कांपती हुई शीतल बोली.

‘‘नहीं मैडम, जिसे आप सफेद कपड़ों में आदमी बता रहीं हैं वो वास्तव में एक बाइक वाली कंपनी के विज्ञापन का साइन बोर्ड है जो आज ही लगा है.’’ ड्राइवर ने कहा और गाड़ी बंगले की तरफ मोड़ दी.

ड्राइवर की बात सुन कर फुल स्पीड में चल रहे एयर कंडीशन के बावजूद शीतल को इतना पसीना आया कि उस के पैरों में कस कर बंधी सैंडल में से उस के पंजे फिसलने लगे, कदम लड़खड़ाने लगे.

वह लड़खड़ाते कदमों से ड्राइवर के सहारे बंगले में दाखिल हुई. और ड्राइंगरूम के सोफे  पर बैठ गई. वह सोच ही रही थी कि अपने बैडरूम में जाए या नहीं. तभी शीतल अचानक बजी डोरबेल की आवाज से डर गई. किसी अनहोनी की आशंका से पसीनेपसीने होने लगी.

शीतल उठ कर बाहर जाना नहीं चाहती थी. वह ड्राइंगरूम की खिड़की से देखने लगी.

चौकीदार ने मेन गेट पर बने स्लाइडिंग विंडो से देखने की कोशिश की, मगर उसे कोई दिखाई नहीं दिया. अत: वह छोटा गेट खोल कर बाहर देखने लगा. ज्यों ही उस ने गेट खोला शीतल को सामने के लैंपपोस्ट के नीचे खड़ा अनल दिखाई दिया. इस बार उस ने काले रंग के कपड़े पहने हुए थे और वह दोनों बाहें फैलाए हुए था. चौकीदार उसे देखे बिना ही सड़क पर अपनी लाठी फटकारने लगा और जोरों से विसलिंग करने लगा.

इस का मतलब था कि चौकीदार को अनल दिखाई नहीं पड़ा. इसीलिए वह उस से बात न कर के जमीन पर लाठी फटकार कर अपनी ड्यूटी की खानापूर्ति कर रहा था.

शीतल सोचने लगी उस दिन अगर उस की इच्छापूर्ति कर देती तो शायद अनल इस रूप में नहीं आता और उसे इस तरह डर कर नहीं रहना पड़ता. कल ड्राइवर के साथ वह भी उस झाड़फूंक करने वाले ओझा के पास जाएगी. पुलिस से शिकायत करने से कुछ नहीं होगा.

शीतल अभी पूरी तरह से निर्णय ले भी नहीं पाई थी कि मोबाइल पर आई काल की रिंग से डर कर वह दोहरी हो गई. उस के हाथपैर कांपने लगे. वह जानती थी कि इस समय फोन करने वाला कौन होगा.

उस ने हिम्मत कर के मोबाइल की स्क्रीन पर देखा. इस बार किसी का नंबर डिसप्ले हो रहा था. नंबर अनजाना जरूर था, मगर यह नंबर उस के लिए एक प्रमाण बन सकता है. यही सोच कर उस ने फोन उठा लिया. उसे विश्वास था कि उसे फिर वही पंक्तियां सुनने को मिलेंगी.

लेकिन उस का अनुमान गलत निकला.

‘‘हैलो शीतू?’’ उधर से आवाज आई.

‘‘क..क..कौन हो तुम?’’ शीतल बहुत हिम्मत कर के अपनी घबराहट पर नियंत्रण रखते हुए बोली.

‘‘तुम्हें शीतू कौन बुला सकता है. कमाल हो गया, तुम अपने पति की आवाज तक नहीं पहचान पा रही हो. अरे भई, मैं तुम्हारा पति अनल बोल रहा हूं.’’ उधर से आवाज आई.

‘‘तु..तु…तुम तो मर गए थे न?’’ शीतल ने हकलाते हुए पूछा.

‘‘हां, मगर मेरी वह अधूरी मौत थी, इट वाज जस्ट ऐन इनकंपलीट डेथ. क्योंकि मैं अपनी एक अधूरी इच्छा के साथ मर गया था. इस कारण मुझे तुम से मिलने वापस आना पड़ा.’’ अनल बोला.

‘‘तुम अपनी इच्छापूर्ति के लिए सीधे घर पर भी आ सकते थे. मुझे इस तरह परेशान करने की क्या जरूरत है?’’ शीतल सहमे हुए स्वर में बोली.

‘‘देखो शीतू, मैं अब आत्मा बन चुका हूं और आत्मा कभी भी उस जगह पर नहीं जाती, जहां पर भगवान रहते हैं. पिताजी ने बंगला बनवाते समय हर कमरे में भगवान की एकएक मूर्ति लगाई थी. यही मूर्तियां मुझे तुम से मिलने से रोकती हैं. लेकिन मैं तुम से आखिरी बार मिल कर जाना चाहता हूं. बस मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दो.’’ उधर से अनल अनुरोध करता हुआ बोला.

‘‘मगर एक आत्मा और शरीर का मिलन कैसे होगा?’’ शीतल ने पूछा.

‘‘मैं एक शरीर धारण करूंगा, जो सिर्फ तुम को दिखाई देगा और किसी को नहीं. जैसे आज ड्राइवर व चौकीदार को दिखाई नहीं दिया.’’ अनल ने जवाब दिया.

इक घड़ी दीवार की- भाग 1: क्या थी चेष्ठा की कहानी

दोपहर का समय था. सात्वत दिल्ली के रिंग रोड से अपनी कार मोड़ कर बाईं ओर डब्लू.एच.ओ. भवन के नजदीक पहुंचा ही था कि पल भर को उस की नजर उस ओर मुड़ी और उसी पल स्वत: उस का पैर तेजी से ब्रेक पर पड़ा और कार चीत्कार करती हुई रुक गई.

सात्वत झटके से कार का दरवाजा खोल कर उतरा और तेजी से बाईं ओर भागा. वह भवन के आगे शीशे के दरवाजे तक पहुंच चुकी थी. सात्वत इतनी दूर से भी वर्षों बाद उसे देख कर पहचान गया था…शक की कोई गुंजाइश नहीं थी. वह चेष्टा ही थी…वही लंबा, छरहरा बदन, गर्दन तक कटे बाल, वही हलके कदमों वाली चाल. पलभर को ही दिखाई दी, किंतु वही आंखें, वही नाक और होंठ…शर्तिया वही है. वह तेजी से उधर बढ़ना चाहता था कि अचानक खयाल आया, उस की कार बीच रोड पर खड़ी है और सीट पर उस का लैपटाप, मोबाइल और हैंड बैग रखा है.

सात्वत ने फौरन जा कर कार को बाईं ओर लगाया, शीशा चढ़ा कर गाड़ी लौक की फिर दौड़ता हुआ डब्लू.एच.ओ. भवन की ओर गया. जब तक वह गेट के पास पहुंचा चेष्टा ओझल हो चुकी थी. शीशे के द्वार के बाहर वह पल भर रुका तो द्वार अपनेआप खुल गया. वह तेजी से लौबी के अंदर गया और चारों ओर देखने लगा. वह कहीं नहीं थी. शायद वह भवन के अंदर चली गई थी. तब तक एक वरदीधारी उस के पास आया और बोला, ‘‘आप कौन हैं? क्या चाहिए?’’

उसे खामोश पा कर उस ने फिर कहा, ‘‘प्लीज, रिसेप्शन पर जाइए,’’ और एक ओर इशारा किया.

सात्वत ने रिसेप्शन पर जा कर वहां बैठी महिला से इस तरह आने के लिए माफी मांगी फिर बोला, ‘‘मैडम, वह लड़की जो अभीअभी अंदर आई थी, वह किधर गई?’’

महिला ने उसे ऊपर से नीचे तक गौर  से देखा फिर अंगरेजी में पूछा, ‘‘आप को क्या काम है?’’

सात्वत ने कहा, ‘‘मैं उसे जानता हूं, उस से मिलना चाहता हूं, उस से पुरानी जानपहचान है.’’

रिसेप्शन पर बैठी युवती ने दृढ़ स्वर में कहा, ‘‘आप बिना पूर्व समय लिए यहां किसी से नहीं मिल सकते.’’

सात्वत ने अनुरोध भरे स्वर में कहा, ‘‘मैडम, मुझे यहां आप के आफिस में किसी से नहीं मिलना है. अभी जो लेडी यहां अंदर आई हैं मैं केवल उन से मिलना चाहता हूं. मैडम, मेरा उन से मिलना बहुत जरूरी है.’’

उस महिला और गार्ड के चेहरों पर हठ और आक्रोश के भाव को देख कर सात्वत समझ गया कि उन से कुछ भी अनुरोध करना बेकार है. वह कोई अनावश्यक सीन नहीं खड़ा करना चाहता था इसलिए ‘आई एम सौरी’ बोल कर बाहर आ गया.

सात्वत धीरेधीरे चलता हुआ, अपनी कार के पास आ गया और गेट खोल कर अंदर बैठ गया. उस ने शीशा नीचे किया और सेल फोन निकाल कर अपने आफिस फोन किया. उस ने अपनी सेक्रेटरी को कहा, ‘‘कुछ जरूरी काम से मुझे आने में देर हो जाएगी…चीफ को खबर कर देना.’’

वह कार में बैठा डब्लू.एच.ओ. बिल्ंिडग की ओर देखता हुआ सोचने लगा कि चेष्टा को तो पूना में होना चाहिए, यहां दिल्ली में क्या कर रही है. हो सकता है, उस के पति का ट्रांसफर हो गया हो. 5 साल पहले, पटना छोड़ने के बाद सात्वत ने पहली बार चेष्टा की झलक देखी. हालांकि बीते 5 साल में वह अपने मन में चेष्टा को हमेशा से देखता आया है.

सात्वत की चेष्टा से मुलाकात पटना में 7 साल पहले हुई थी और उस के बाद ही दोनों गहरे दोस्त हो गए थे और कुछ ही दिनों में दोनों एकदूसरे को चाहने भी लगे थे. हालांकि दोनों के स्टेटस में बहुत अंतर था.

सात्वत छोटी जाति का था और चेष्टा ऊंची जाति की. एक निम्न- मध्यवर्गीय परिवार का सात्वत गांव से पटना पढ़ने आया था. चेष्टा के पिता आई.जी. पुलिस थे और पटना की एक पौश कालोनी में उन का बड़ा भव्य मकान था. चेष्टा की शुरू से ही शिक्षा पटना में हुई थी. फिर भी दोनों में कुछ समानताएं थीं. मसलन, दोनों पढ़ने में तेज थे और दोनों को एथलेटिक का शौक था. दोनों की मुलाकात दौड़ के मैदान में ही हुई थी. चेष्टा 100 और 200 मीटर की दौड़ में चैंपियन थी और सात्वत मिडिल डिस्टेंस दौड़ में हमेशा प्रथम आता था. शाम को दोनों अकसर साइंस कालिज के मैदान में साथसाथ प्रैक्टिस करते थे.

विश्वविद्यालय एथलेटिक प्रति- योगिताओं में दोनों कानपुर, बंगलौर और कोलकाता गए थे. इस दौरान दोनों काफी घनिष्ठ मित्र हो गए थे किंतु सात्वत हकीकत को जानता था. अपने और चेष्टा के बीच के वर्गों की दूरी को वह पहचानता था. उस ने सोचा था, चेष्टा के साथ उस की शादी का एक ही उपाय है कि वह जल्दी से किसी अच्छी नौकरी में लग जाए, पर्याप्त कमाने लगे. हो सकता है तब चेष्टा के पिता जाति को नजर- अंदाज कर विवाह के लिए राजी हो जाएं. इसलिए उस ने और भी मेहनत से पढ़ना शुरू किया. एम.एससी. में टौप करने के बाद ही उस ने अच्छी नौकरी की तलाश शुरू की.

अपने एक प्रोफेसर के सुझाव पर उस ने दिल्ली की एक मल्टीनेशनल फर्म में ईमेल से अपना आवेदन और सी.वी. भेज दिया था. प्रारंभिक वेतन 40 हजार रुपए था. इंटरव्यू के लिए उसे बुलावा आ गया था और जैसेतैसे कर वह दिल्ली पहुंचा था. फर्म के आफिस में इंटरव्यू के लिए अंदर जाने से पहले उसे लगा था कि वह बेकार आया…ये लोग शायद उसे बाहर से ही भगा देंगे.

इंटरव्यू कार्ड दिखाने पर उसे अंदर ले जा कर बैठाया गया. वह चुपचाप, दुबका, सिकुड़ा रिसेप्शन में बैठा रहा. एक चपरासी एक ट्रे में पानी का गिलास ले कर लोगों को पिलाते हुए घूम रहा था पर उसे पानी पीने में भी संकोच महसूस हो रहा था. खैर, उस का नाम पुकारा गया और उसे घोर आश्चर्य हुआ जब 5 मिनट के बाद ही उसे चुन लिया गया. चीफ आफिसर ने उस से कहा था कि वह बाहर लौबी में बैठ कर चाय पीए. उसे 1 घंटे के अंदर ही नियुक्तिपत्र मिल जाएगा. आज ही ज्वाइन कर लो, कल से 1 महीने की ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी.

उसे पटना वापस जाने की इजाजत नहीं मिली. फर्म के एक बड़े अधिकारी ने पी.ए. को बुला कर कहा था, ‘‘इन साहब के लिए कंपनी के गेस्ट हाउस में एक कमरा बुक करा दो,’’ उस के बाद उसे कैशियर से 10 हजार का एडवांस दिला कर कहा गया, ‘‘कंपनी की गाड़ी से मार्केट चले जाओ और अपने लिए कुछ कपड़े खरीद लो.’’

सबकुछ इतनी जल्दी और तेजी से हुआ कि उसे कुछ सोचने का मौका ही नहीं मिला. चंद घंटों में ही सात्वत का जीवन बदल गया. सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक लगातार ट्रेनिंग. आज 5 साल बाद उस का वेतन 2 लाख रुपए प्रतिमाह हो गया है. उस ने अपना फ्लैट खरीद लिया है.

इक घड़ी दीवार की- भाग 4: क्या थी चेष्ठा की कहानी

चेष्टा अचानक चुप हो गई. सात्वत नीचे की ओर देखता हुआ चुपचाप बैठा रहा. उस के बदन में हलका कंपन हो रहा था. उसे लग रहा था मानो सांस लेने में कठिनाई हो रही है और गले से आवाज नहीं निकल रही है. चेष्टा की आवाज सुन कर उस ने चौंक कर उस की ओर देखा.

‘‘उस ने दूसरी शादी कर ली. न जाने क्या हुआ होगा. मैं ने आंख मूंद कर पेपर्स पर हस्ताक्षर कर दिए. मुझे कुछ भी नहीं चाहिए था, केवल छुटकारा, घिन लगती थी कुछ भी संपर्क रखने में. धीरेधीरे मन लग गया. यहां लोग बहुत सपोर्ट करते हैं. पूरे देश में घूम कर टे्रनिंग और काउंसलिंग करती हूं. यहां रेगुलर काम करती हूं. यह संस्था भी एन.जी.ओ. चलाती है. सरकार और डब्लू.एच.ओ. का सपोर्ट है. यहां एड्स से मरे मांबाप के अनाथ बच्चे रहते हैं. एच.आई.वी. निगेटिव और पाजिटिव दोनों बच्चे. जो पाजिटिव हैं उन के ट्रीटमेंट और रिहैबिलिटेशन का भी प्रोग्राम है. जो निगेटिव हैं, तकदीर वाले, वे कम से कम पहले की तरह फुटपाथ पर तो नहीं हैं.’’

चेष्टा चुप हो गई और खिड़की से बाहर देखने लगी. सात्वत ने उस की ओर देखा तो वह मुसकराई. सात्वत को लगा मानो धूमिल होते कमरे में अचानक रोशनी फैल गई है.

‘‘जानते हो सात्वत, जब हम लोगों ने पहले यहां काम शुरू किया था तो एक हफ्ते के बाद ही सब महल्ले वालों ने हमें घेर लिया और हल्ला करने लगे कि इन बच्चों को यहां से हटाओ. हमारे बच्चों में भी एच.आई.वी. एड्स फैल जाएगा. क्या तुम यह कल्पना कर सकते हो कि दिल्ली में ये सब पढ़ेलिखे, नौकरीपेशा वाले लोग हैं. हमें पुलिस की मदद लेनी पड़ी. फिर हम लोगों ने फेज वाइज सभी महल्ले वालों को बुला कर सेमिनार किया, उन्हें टे्रनिंग दी, लिटरेचर दिया, एड्स के बारे में पूरी तरह से बतलाया. तब वे सहमत हुए कि इन बच्चों से उन के बच्चों को कोई भी खतरा नहीं है. अब तो कुछ लोग मदद भी करने लगे हैं.’’

सात्वत ने अपनी आंखों को मल कर उन पर छाए अंधेरे को कुछ दूर करने की कोशिश की और खिड़की के बाहर देखा, ‘‘यहां स्कूल है? बच्चे पढ़ते हैं? कोई शोर नहीं है.’’

चेष्टा मुसकराई, ‘‘सभी बच्चे क्लास में हैं. इसलिए दिखाई नहीं दिए,’’ फिर उस ने घड़ी की ओर देखा, ‘‘कुछ देर में क्लास खत्म हो जाएगी, तब देखना.’’

‘‘अभी कैसी हो? क्या कोई दवा…’’

‘‘नहीं, अभी तक मेडिसिन, एंटी रेट्रोवायरल थेरैपी की जरूरत नहीं पड़ी. हर 6 महीने पर ब्लड टेस्ट कराना पड़ता है. मेरा सी.डी. फोर काउंट 300-400 के ऊपर ही रहता है. हां, कुछ एहतियात लेने पड़ते हैं. ज्यादा धूप, ज्यादा ठंड में नहीं जा सकती. बरसात में पानी से भीगने से बचना पड़ता है. केयर करनी पड़ती है कि कोई इन्फेक्शन न लगे.’’

चेष्टा चुप हो गई मानो थक गई हो. सात्वत भी सुस्त, थका, आहत, आक्रांत, खिड़की के बाहर देखता रहा. फिर उस ने फुसफुसा कर कहा, ‘‘गलती हो गई… बहुत बड़ी भूल हो गई.’’

चेष्टा ने दर्दभरी सर्द आवाज में कहा, ‘‘भूल हो गई मुझ से. इनसान की एक भूल उस की पूरी जिंदगी को बरबाद कर देती है और कभीकभी तो कई जिंदगियों को बरबाद कर देती है, लेकिन अब मुझे एक ही बात का बहुत अफसोस होता है. अगर पहली पे्रगनेंसी में मेरा समय पर टेस्ट हो जाता तो प्रौपर केयर और इलाज से मुझे एक बच्चा लड़का या लड़की स्वस्थ पैदा होता और फिर मैं उस के सहारे अपनी जिंदगी काट लेती. अब दिन भर काम करने के बाद घर लौटती हूं तो घर सूनासूना लगता है. एक दीवार घड़ी के अलावा मेरा कोई इंतजार नहीं करता.’’

कमरे से उजाला चुपचाप निकल गया था पर खिड़की के बाहर अभी भी हलकी रोशनी थी. चेष्टा सहज होती हुई सामान्य स्वर में बोली, ‘‘जानते हो, सात्वत, ऐसा बहुत हो रहा है. आजकल लड़कों की देर से शादी होती है, उन का तरहतरह का कांटेक्ट होता है. कई एच.आई.वी. पौजिटिव हो जाते हैं. शादी होती है, अपनी पत्नी को इन्फेक्ट करते हैं और अकसर ब्लेम पत्नी पर लगता है. गरीबों में तो और भी है, उन्हें जानकारी भी नहीं है. वे अपने गांव से बाहर बहुत दूर शहर में जा कर नौकरी करते हैं. सालसाल भर घर नहीं आते और जब आते हैं तो एच.आई.वी. के साथ आते हैं और पत्नी को प्रभावित करते हैं.’’

चेष्टा ने अचानक चुप हो कर सात्वत की ओर देखा, ‘‘आई एम सौरी, मैं ही बोलती जा रही हूं. तुम कैसे हो? क्या कर रहे हो? शादी कब हुई? बच्चे…’’

सात्वत उस की बात नहीं सुन पा रहा था. ध्वनि कानों से टकरा तो रही थी पर शब्द नहीं बन रहे थे. दिमाग में शून्य सा जम गया था. उस ने चौंक कर बाहर देखा…बच्चों का हुजूम मैदान में निकल रहा था. उन का समवेत स्वर उमड़ कर अंदर आया, उसे चेतन करता हुआ.

सात्वत ने सिर को झटका दिया, मानो विचारों के घने जाल को तोड़ कर अपनी बंद चेतना को आजाद कर रहा हो. चेष्टा का अंतिम वाक्य उस के मानस पटल पर दस्तक देता रहा. उस ने चेष्टा की ओर देखा, ‘‘शादी? नहीं, कभी सोचा नहीं…केवल एक बार सोचा था…भूल हो गई. उस के बाद किसी से भी…कोई इच्छा नहीं रही.’’

चेष्टा की आंखों में आश्चर्य के साथ गहरी वेदना झलकी, ‘‘अभी तक शादी नहीं की?’’

सात्वत ने कहा, ‘‘नहीं की…तुम… तुम मुझ से शादी करोगी?’’

चेष्टा के पोरपोर झंकृत हो उठे. एक लहर सी पूरे बदन में फैल गई. संवेदनाओं और भावनाओं के घने बादल उमड़ कर आंखों से बह निकले. अंतर से एक आह उभरी. उस ने कंपित हो कर कहा, ‘‘मेरी जिंदगी तो बरबाद हो ही चुकी है. अब तुम्हारी जिंदगी भी बरबाद हो…नहीं.’’

सात्वत ने आगे झुक कर कहा, ‘‘तुम्हारे मना करने पर मेरी जिंदगी अब कभी आबाद नहीं होगी, यह तो तुम जानती हो.’’

चेष्टा ने बुझे स्वर में कहा, ‘‘जानते हो क्या कह रहे हो? मुझे कोई बच्चा नहीं हो सकता.’’

सात्वत ने चेष्टा की ओर सजग दृष्टि से देखा, ‘‘जानता हूं…हम बच्चा गोद लेंगे. वरना मुझे भी एक दीवार की घड़ी के सहारे ही जिंदगी गुजारनी होगी. हां, तुम्हारा साथ मेरी जिंदगी में खुशी ला सकता है.’’

चेष्टा देर तक खामोश रही तो सात्वत उठ कर खड़ा हो गया. उस ने कहा, ‘‘अब तो जा रहा हूं. कल आऊंगा, इसी समय तुम्हारा जवाब सुनने.’’

खुद को आइटम गर्ल नही मानती सपना चौधरी, पढ़ें खबर

पिछले डेढ़ दो माह से महाराष्ट् की राजनीति में जिस तरह की उथलपुथल हुई है, जिस तरह से विधायकों के अपराध व रिसोर्ट में ठहराने की घटनाएं घटी हैं, वह सब वकील से अभिनेता व फिल्म निर्माता  बने अमित कुमार की राजनीतिक व्यंग प्रधान फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र‘‘ का हिस्सा है. अगर फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ दो माह पहले प्रदर्शित हो जाती तो लोग कहते कि महाराष्ट् के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस फिल्म से प्रेरणा लेकर यह कदम उठाया है. वैसे अभय निहलानी निर्देशित फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ केे तमाम दृश्य देश के कई राज्यों में पिछले कुछ वर्षों से देश के कई राज्यों में लोकतंत्र बचाने के नाम हुए घटनाक्रमों की याद ही दिलाते हैं.  फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ की विषयवस्तु को बेहतर तरीके से फिल्म में राज्य की मुख्यमंत्री का किरदार निभा रही  ईशा कोपिकर के संवादों ‘‘राजनीति में मौका देखकर धोखा देना चाहिए. ‘‘ या फिर ‘जिसे शर्म आती है, उसे राजनीति नहीं आती. ‘‘से समझा जा सकता है.

अभय निहलानी निर्देशित इस फिल्म में वकील के किरदार में अमित कुमार तथा मुख्यमंत्री के किरदार में ईशा कोप्पीकर हैं.  फिल्म के अन्य कलाकारों में रवि किशन,  सपना चैधरी,  स्नेहा उल्लाल,  कृष्णा अभिषेक,  अली असगर,  मनोज जोशी का समावेश है. फिल्म के लेखक संजय छैल, संगीतकार ललित पंडित हैं.

वकालत करते करते अब अभिनेता व निर्माता बन चुके अमित  कुमार ने ‘‘जुरिच मीडिया हाउस एलएलपी’’ के बैनर तले बनी राजनीतिक व्यंग व हास्य प्रधान फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र‘‘ के ट्रेलर और संगीत को लांच करने के लिए हाल ही में मुम्बई के द क्लब में भव्य समारोह का आयोजन किया. जहां मुख्य अतिथि के रूप में जैकी श्रॉफ व जावेद अख्तर के अलावा मेहमान के तौर पर पूनम ढिल्लो,  कश्मीरा शाह, अमर उपाध्याय सहित कई हस्तियां मौजूद रहीं.  तो वहीं संगीतकार ललित पंडित,  गायक शान,  अभिजीत भट्टाचार्य, अमृता फडणवीस और ब्राइट आउटडोर के योगेश लखानी भी उपस्थित रहे.

फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ में विधायकों की खरीद फरोख्त पर केंद्रित आइटम नंबर पर हरियाणवी डांसर सपना चैधरी अपने नृत्य का जलवा दिखाते हुए नजर आएंगी. फिल्म में यह गाना उस वक्त आता है जब कुछ विधायकों को एक रिसोर्ट में बंद करके रखा गया है. मजेदार बात यह है कि सपना चैधरी खुद को ‘‘आइटम गर्ल’’नही मानती. सपना चैधरी ने खुद कहा-‘‘मैं आइटम गर्ल नही हॅॅंू. मैं सपना चैधरी हॅूं. जो लाग मुझे आइटम गर्ल कहते हैं, उन्हे अपने कान नाक व आंख का इलाज करना चाहिए. मैं लोगों की सोच नही बदल सकती. मेरी सोच मेरी है और उनकी सोच उनकी है. मैं दूसरोे की सोच नही बदल सकती. पर हकीकत तो हकीकत है. मैं अंदर व बाहर से सपना चोधरी हॅूं, इसे कोई नही बदल सकता. इस राजनीतिक व्यंग वाली फिल्म में मेरा गाना सिच्युएशनल गाना है. जो कि कहानी में ट्विस्ट लाता है. ’’

फिल्म में सपना चैधरी के आइटम नम्बर का जिक्र करते हुए अमित कुमार कहा-‘‘फिल्म में एक सिचुएशन आती है जहां कुछ एमएलए को एक रिसॉर्ट में बंद कर दिए गए हैं. वहां पर एक गाने की जरूरत थी और उसके लिए हम सभी के जेहन में सपना चैधरी का नाम आया.  उनको जब गाने के बारे में बताया तो वह तुरंत तैयार हो गई और उन्होंने कोरोना काल मे भी मंुबई आकर इस गाने के लिए शूटिंग की थी. ’’

फिल्म में कृष्णा अभिषेक पर भी एक खास गाना फिल्माया गया है. इस गाने केे संदर्भ में कृष्णा अभिषेक कहते हैं-‘‘यह एक माइंड ब्लोइंग गाना है,  यह मेरे फेवरेट गीतों में से एक है. मैं डांस करने के लिए हमेशा आगे रहता हूँ, क्योंकि मुझे डांस बेहद पसंद है, यह मेरा पैशन है. यह गाना मुझे जैसे ही अॉफर हुआ मैंने तुरंत हामी भर दी क्योंकि यह एक कमाल का डांस नम्बर है. ’’

इस फिल्म से बौलीवुड में बतौर अभिनेता अपने कैरियर की नई शुरुआत कर रहे अमित कुमार इस अवसर पर कहा- ‘‘अदालत में तो हम वकील के रूप में काम करते हैं. मगर फिल्म में बतौर वकील अभिनय करना काफी चुनौतीपूर्ण था. कोविड के दौरान हमने शूटिंग की. हम काफी समय से फिल्म बनाने का सोच रहे थे, लेकिन कोई कहानी मुझे पसन्द नहीं आ रही थी.  फिर लेखक संजय छैल ने मुझे एक कहानी की आईडिया दिया. यह वही कहानी है , जिसकी झलक हमने हाल ही में महाराष्ट्र की राजनीति में घटित होते हुए देखा. इस फिल्म की कहानी हमने डेढ़ साल पहले सोची थी. यह इत्तेफाक है कि हमारी कल्पना हकीकत में बदल गई. हमारी फिल्म के संवाद वर्तमान समय के हालातों पर है. मसलन-‘‘सीएम के बेटे को उसी तरह  फंासया गया है, जैसे आजकल सेलेब्रिटी के बच्चों को फंसाया जा रहा है. ‘‘ ’’

फिल्म में मुख्यमंत्री का किरदार निभाने वाली अदाकारा ईशा कोपिकर ने कहा-‘‘ मैने इस पॉलिटिकल सटायर वाली फिल्म में मुख्यमंत्री का किरदार निभाया है. यह गंभीर फिल्म नही, बल्कि यथार्थ परक सिनेमा है. और इसमें एक संदेश भी है. इसका स्क्रीनप्ले बहुत ही फनी है. यह आपको ‘जाने भी दो यारों’ की याद दिला देगी. ’’

लुकाछिपी- भाग 2: क्या हो पाई कियारा औक अनमोल की शादी

वरुण सुनते ही कियारा चिढ़ गई और सलोनी पर गुस्सा करती हुई बोली, ‘‘वरुण के साथ गई थी. तू पागल हो गई है क्या? वह शादीशुदा है और तू उस के साथ…’’

‘‘अरे यार कियारा तू ही तो कहती है न खुश होने का अधिकार सब को है और जिस काम को कर के खुशी मिलती है वह काम कर लेना चाहिए. तो मैं तेरा ही रूल तो फौलो कर रही हूं,’’ सलोनी बेपरवाह होती हुई बोली.

‘‘लेकिन मैं यह भी कहती हूं कि ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिस से किसी को दुख या नुकसान हो, तु झे यह बात याद नहीं,’’ कियारा थोड़ा चिढ़ती हुई बोली.

‘‘वरुण के साथ मेरे मूवी देखने से या उस के साथ डिनर करने से भला किस को दुख होने वाला है या फिर किस को नुकसान होने वाला है और तु झे क्यों बुरा लग रहा है? तेरे तो बहुत चाहने वाले हैं. तू तो जिस के साथ चाहे उस के साथ यह सब कर सकती है, लेकिन तु झे तो यह सब करना नहीं है फिर तू क्यों इतनी दुखी और परेशान हो रही है?’’ सलोनी अपने कंधे ऊंचकाती हुई बोली.

‘‘मैं परेशान इसलिए हूं क्योंकि तू ने मु झ से कहा था तू अपनी भाभी के छोटे भाई अंशु को पसंद करती है और उस से शादी करना चाहती है, फिर तू वरुण के साथ क्यों घूम रही और जरा सोच वरुण की वाइफ को पता चलेगा कि उस का पति उसे छोड़ कर तेरे साथ मूवी देखने और डिनर करने गया था तो उसे कितना दुख होगा और इस का असर उन के वैवाहिक जीवन पर भी पड़ सकता है,’’ कियारा सलोनी को सम झाती हुई बोली.

‘‘अरे यार ऐसा कुछ नहीं होगा. पहली बात तो उस की वाइफ को कभी कुछ पता ही नहीं चलेगा. मैं और वरुण रिलेशनशिप में हैं और हमारे बीच यह सब 6 महीने से चल रहा है. मेरी रूममेट हो कर तु झे कभी पता चला? औफिस में हम सब साथ रहते हैं. औफिस में अब तक किसी को पता चला? नहीं न तो उस की बीवी को कैसे पता चलेगा और कौन सी मु झे वरुण से शादी करनी है. रही बात अंशु की तो वह कभी जान ही नहीं पाएगा कि मैं यहां क्या कर रही हूं क्योंकि मैं तेरी तरह हर किसी से फ्री हो कर बात नहीं करती. मैं एक सीधी सादी कम बोलने वाली लड़की हूं.’’

सलोनी का एक और नया रूप देख कर कियारा हैरान थी. उस ने सलोनी से कुछ नहीं कहा. चुपचाप खाना खाश्स और सो गई. सुबह जब वह उठी तो उस ने देखा सलोनी दोनों के लिए चाय बना रही है. चाय बनाने के बाद दोनों ने साथ में चाय पी, लेकिन कियारा शांत रही. सलोनी चाय पीते वक्त कियारा से बात करने का प्रयास करती रही, लेकिन कियारा ने कुछ नहीं कहा.

उस के बाद वक्त पर तैयार हो कर दोनों औफिस भी आ गए. दोनों के बीच कतई असामानता थी उस के बावजूद कियारा के लिए सलोनी केवल उस की एक रूममेट नहीं उस की सहेली भी थी, जिसे वह अपने दिल की हर बात बताती, भले सलोनी उस से कई बात छिपा जाती थी. कियारा नहीं चाहती थी कि सलोनी कोई भी ऐसा काम करे जो गलत हो.

औफिस आने के बाद दोनों अपनेअपने काम में लग गईं. कियारा अपने काम में व्यस्त थी कि तभी वरुण उस के समीप आ कर बैठ गया. कियारा उसे अनदेखा कर अपने काम में लगी रही.

तभी वरुण बोला, ‘‘तुम अपनेआप को क्या सम झती हो. तुम सलोनी की लाइफ को कंट्रोल करने की कोशिश क्यों कर रही हो? वह मेरे साथ घूमे या फिर जिस के साथ चाहे उस के साथ घूमेंफिरे, तुम कौन होती हो उसे मना करने वाली? तुम खुद तो सब के साथ हंसहंस कर बातें कर सकती हो और वह मेरे साथ कहीं जा भी नहीं सकती… तुम उसे रोकनाटोकना बंद करो वरना…’’

वरुण का इतना कहना था कि कियारा  कंप्यूटर स्क्रीन पर से अपनी नजरें हटाती हुई बोली, ‘‘वरना क्या? क्या कर लोगे तुम? मु झे तुम से कोई लेनादेना नहीं है. सलोनी मेरी फ्रैंड है और उसे सहीगलत बताना मेरा फर्ज है. वह माने या न माने यह उस की मरजी. यह मेरे और उस के बीच की बात है. तुम इन सब में मत पड़ो तो अच्छा होगा वरना तुम मु झे बहुत अच्छी तरह से जानते हो, मैं अभी जोरजोर से चिल्ला कर सब को बता दूंगी कि शादीशुदा हो कर तुम्हारा अफेयर चल रहा है और तुम्हारे घर जा कर तुम्हारी बीवी को तुम्हारे सारे कारनामे बता दूंगी, फिर सोचो तुम्हारी साफसुथरी, सभ्य पुरुष की इमेज का क्या होगा जो तुम ने इस औफिस और अपने घर में बना रखी है.’’

कियारा का इतना कहना था की वरुण के माथे पर पसीना आ गया और वह चलता बना. कियारा इन 2 सालों में इतना तो जान चुकी थी कि जो जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है. यहां ज्यादातर लोगों के चेहरे पर मुखौटे होते हैं और मुखौटे के पीछे का असली चेहरा बिलकुल अलग.

वरुण के जाते ही सलोनी आ गई और कियारा से बोली, ‘‘यह वरुण तेरे पास क्यों आया था.’’

कियारा ने सलोनी को घूर कर देखा फिर बोली, ‘‘तेरे लिए. तू ने कल रात हमारे बीच हुई सारी बातें उसे बता जो दीं.’’

सलोनी नजरें चुराती हुई बोली, ‘‘नहीं ऐसी बात नहीं है. मैं ने तो बस वरुण से इतना कहा कि तुम मु झ से बात नहीं कर रही हो,’’ फिर धीरे से सलोनी बोली, ‘‘कियारा सच बता वरुण तेरे पास क्यो आया था. कहीं तेरा और वरुण का भी…’’ कहते हुए सलोनी रुक गई.

कियारा गुस्से में बोली, ‘‘मैं तु झे कैसे सम झाऊं कि मेरा न वरुण के साथ कोई संबंध है और न ही किसी और के साथ, हां मैं मानती हूं कि मैं सब से हंस कर घुलमिल कर बात करती हूं. इस का अर्थ यह कतई नहीं है कि मेरा किसी के साथ कोई संबंध है.’’

कियारा के ऐसा कहने पर सलोनी वहां से चली गई और कियारा यह सोचने लगी कि आखिर लोगों की मानसिकता इतनी संकीर्ण क्यों है? क्यों हरकोई यह सम झ लेता है कि जो लड़की सभी से फ्रीली बात करती है, हंसती, मुसकराती है वह चालू ही होगी या अवश्य ही उस का किसी न किसी के साथ कोई संबंध होगा ही और जो कम बोलती है सब के सामने छुईमुई बनी रहती है उस का किसी से कोई संबंध हो ही नहीं सकता.

इसी तरह से हर दिन अपने पीछे एक नई कहानी गढ़ते हुए गुजर रही थी. हरकोई बस कियारा को पाना चाहता था, लेकिन कियारा किसी के हाथ नहीं आ रही थी और सलोनी कपड़ों की तरह अपने बौयफ्रैंड बदल रही थी. जब भी कोई कियारा को पाने के अपने मंसूबे में नाकामयाब होता, वह कियारा को ही भलाबुरा कहने लगता और उस में ही कई खोट निकालने लगता बिलकुल वैसे ही जैसे अंगूर को न पा कर लोमड़ी कहती फिरती कि अंगूर खट्टे हैं.

कियारा से संबंध जोड़ने में असफल हुए लड़के व पुरुष सलोनी को आजमाते और सलोनी उसे एक अवसर के रूप में लेती और उस का भरपूर आनंद उठाती. साथ ही साथ सलोनी हरेक के संग सारी हदें लांघने में भी पीछे नहीं रहती. अब कियारा भी सलोनी से कुछ कहना या उसे सम झाना छोड़ चुकी थी, लेकिन दोनों के बीच दोस्ती अब भी बरकरार थी.

अचानक एक दिन औफिस के किसी काम से कियारा को अपने ही विभाग के दूसरे अनुभाग में जाना पड़ा, जहां उस की मुलाकात अनमोल नाम के एक ऐसे शख्स से हुई जिस से मिल कर कियारा को पहली बार लगा कि उस व्यक्ति ने उसे गलत नजरों से नहीं देखा और कियारा अपना दिल उसी पल उसे दे बैठी.

काला अतीत- भाग 1: क्या देवेन का पूरा हुआ बदला

सुबह सुबह काम की ऐसी मारामारी रहती है कि अखबार पढ़ना तो दूर की बात, पलट कर देखने तक का टाइम नहीं होता मेरे पास. बच्चों को स्कूल और देवेन को औफिस भेज कर मुझे खुद अपने औफिस के लिए भागना पड़ता है. शाम को औफिस से आतेआते बहुत थक जाती हूं. फिर रात के खाने की तैयारी, बच्चों का होमवर्क कराने में कुछ याद ही नहीं रहता कि अपने लिए भी कुछ करना है. एक संडे ही मिलता है जिस में मैं अपने लिए कुछ कर पाती हूं.

आज संडे था इसलिए मैं आराम से मैं अखबार के साथ चाय का मजा ले रही थीं. तभी एक न्यूज पढ़ कर शौक्ड रह गई. लिखा था एक पति ने इसलिए अपनी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि शादी के पहले उस का बलात्कार हुआ था.

मुझे अखबार में आंख गड़ाए देख देवेन ने पूछा कि ऐसा क्या लिखा है अखबार में, जो मैं चाय पीना भी भूल गई. चाय एकदम ठंडी हो चुकी थी सो मैं ने एक घूंट में ही सारी चाय खत्म की और बोली, ‘‘देखो न देवेन, कैसा जमाना आ गया. एक पति ने इसलिए अपनी पत्नी को धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि शादी से पहले उस का बलात्कार हुआ था. पति को लगा उस की पत्नी ने उस से झूठ कहा. उसे धोखे में रखा आज तक.

‘‘उस की नजर में वह अपवित्र है, इसलिए अब वह उसे तलाक देना चाहता है. लेकिन बताओ जरा, इस में उस औरत का क्या दोष? क्या उस ने जानबूझ कर अपना बलात्कार करवाया? यह सोच कर नहीं बताया होगा कि कहीं उस का पति उसे छोड़ न दे और हादसा तो किसी के साथ भी हो सकता है न देवेन, लेकिन वह अपवित्र कैसे बन गई? फिर तो वह बलात्कारी भी अपवित्र हुआ.’’

‘‘सही बात है. और फिर गड़े मुरदे उखाड़ने का क्या फायदा,’’ चाय का घूंट भरते हुए देवेन बोले.

‘‘सच बोलूं, तो लोग भले ही ज्यादा पढ़लिख गए हैं, देश तरक्की कर रहा है, पर कुछ लोगों की सोच आज भी वहीं के वहीं है दकियानूसी और फिर इस में उस औरत का क्या दोष है? दोषी तो वह बलात्कारी हुआ न? उसे पकड़ कर मारो, जेल में डालो उसे.

‘‘मगर यहां गुनहगार को नहीं, बल्कि पीडि़ता को सजा दी जा रहा है जो सरासर गलत है.’’

मेरी बात से सहमति जताते हुए देवेन बोले कि मैं बिलकुल सही बोल रही हूं. देवेन की

सोच पर मुझे गर्व हुआ. लगा मैं कितनी खुशहाल औरत हूं जो मुझे देवेन जैसे पति मिले. कितने उच्च विचार हैं इन के. लेकिन फिर लगा, हैं तो ये भी मर्द ही न. दूसरों के लिए बोलना आसान होता है, लेकिन बात जब खुद पर आती है तो लोगों के लिए पचाना मुश्किल हो जाता है.

मैं ने देवेन का मन टटोलते हुए पूछा, ‘‘देवेन, अच्छा एक बात बताओ. इस आदमी की जगह अगर तुम होते, तो क्या करते?’’

अचानक से ऐसे सवाल से देवेन मुझे अचकचा कर देखने लगे.

‘‘मेरे कहने का मतलब है कि अगर कल को तुम्हें पता चल जाए कि शादी से पहले मेरा बलात्कार हुआ था और मैं ने तुम से वह बात छिपा कर रखी, तो तुम्हारा क्या रिएक्शन होगा? क्या तुम भी मुझे घर से बाहर निकाल दोगे? तलाक दे दोगे मुझे?’’

मेरी बात पर देवेन खाली कप को गोलगोल घुमाने लगे. शायद सोच रहे हों मेरी बात का क्या जवाब दिया जाए. फिर मेरी तरफ देख कर एक गहरी सांस छोड़ते हुए बोले, ‘‘पहले तुम बताओ कि अगर कल को तुम्हें पता चल जाए कि शादी से पहले मेरा किसी औरत से संबंध था, तो तुम क्या करोगी? मुझे इस घर से बाहर निकाल दोगी या तलाक दे दोगी मुझे.’’

देवेन ने तो मेरे सवालों में मुझे ही उलझा दिया.

बोलो कि चुप क्यों हो गई मैडम? देवेन मुसकराए और फिर वही सवाल दोहराया कि अगर उन के अतीत के बारे में मुझे पता चल जाए, तो क्या मैं उन्हें छोड़ दूंगी? अलग हो जाऊंगी उन से?

‘‘सच में बड़े चालाक हो तुम,’’ मैं हंसी, ‘‘तुम ने तो मेरी बातों में मुझे ही उलझा दिया देवेन,’’ पीछे से देवेन के गले में बांहें डालते हुए मैं बोली, ‘‘मैं तुम्हें तलाक नहीं दूंगी क्योंकि वह शादी के पहले की बात थी और पहले तुम क्या थे, किस के साथ तुम्हारा संबंध था, नहीं था, इस बात से मुझे कुछ लेनादेना नहीं है.’’

मेरी बात पर देवेन हंसते हुए मेरे हाथों को चूम कर बोले कि तो फिर उन का भी यही जवाब है और इसी बात पर 1-1 कप चाय और हो जाए.

मैं चाय बना ही रही थी कि दोनों बच्चे अतुल्य और मिक्की आंखें मींचते हुए ‘मम्मामम्मा कह मेरे पीछे हो लिए. उन्हें पुचकारते हुए मैं चाय ले कर देवेन के पास पहुंच गई. बच्चे पूछने लगे कि आज हम कहां घूमने चलेंगे तो मैं ने उन्हें जल्दी से तैयार होने को कहा और खुद किचन में चली गई.

नाश्ता करने के बाद हमेशा की तरह हम कहीं बाहर घूमने निकल पड़े. एक संडे ही तो मिलता जब हम रिलैक्स हो कर कहीं घूम सकते हैं, शौपिंग कर सकते हैं. कोरोना के मामले भले ही कम हो गए हैं, पर अभी भी कहीं बाहर खाने में डर तो लगता ही है. इसलिए मैं ने घर से ही कुछ नाश्ता बना कर और बिस्कुट, नमकीन, चिप्स वगैरह बैग में रख लिए थे ताकि बाहर से कुछ खरीदना न पड़े. बच्चे हैं, थोड़ीथोड़ी देर पर भूख लगती रहती है.

शहर की भीड़भाड़ से दूर हम एक शांत जगह चादर बिछा कर बैठ गए. बच्चे खेलने में व्यस्त हो गए और हम बातों में. कुछ देर बाद देवेन भी बच्चों के साथ बच्चे बन कर क्रिकेट में हाथ आजमाने लगे और मैं बैठी उन्हें खेलते देख यह सोचने लगी कि भले ही देवेन ने कह दिया कि मेरे अतीत से उन का कुछ लेनादेना नहीं है, लेकिन जानती हूं कि सचाई जानने के बाद उन के दिल में भी मेरे लिए वह प्यार और इज्जत न होगी, जो आज है.

कहीं पढ़ा था कि मर्द पजैसिव और शक्की मिजाज के होते हैं. वे कभी बरदाश्त नहीं कर सकते. एक पत्नी अपने पति की लाख गलतियों को माफ कर सकती है, पर पति अपनी पत्नी की एक भी गलती को सहन नहीं कर पाता. गाहेबगाहे उसी बात को ले कर ताना मारना, जलील करना, नीचा दिखाना और फिर अंत में छोड़ देना.

मेरी सहेली रचना के साथ क्या हुआ. भावनाओं में बह कर बेचारी ने सुहागरात पर अपने पति के सामने अपने प्रेमी का जिक्र कर दिया. यह भी बता दिया कि वह भी उस पर जान छिड़कता था. दोनों शादी करना चाहते थे, मगर उन के परिवार वाले राजी नहीं हुए.

रचना के पति ने कितनी चालाकी से उसे विश्वास में ले कर कहा था कि अब हम दोनों एक हैं, तो हमारे बीच कोई राज नहीं रहनी चाहिए. तब रचना ने 1-1 कर अपनी पूरी प्रेम कहानी पति को सुना दी. सुन कर उस समय तो उस के पति ने कोई रिएक्ट नहीं किया, पर कहीं न कहीं उस के अहं को ठेस पहुंची थी और जिस का बदला वह धीरेधीरे रचना को प्रताडि़त कर लेने लगा. बातबात पर उस पर शक करता. कहीं जाती तो उस के पीछे जासूस छोड़ देता. छिपछिप कर उस का फोन चैक करता. कहीं न कहीं उस के दिमाग में यह बात बैठ गई थी कि आज भी रचना को अपने पुराने प्रेमी से संबंध हैं और दोनों उस की पीठ पीछे रंगरलियां मनाते हैं, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था. मगर उसी बात को ले कर वह रचना से झगड़ा करता. शराब के नशे में गालियां बकता, मारता और उस के मांबाप को कोसता कि अपनी चरित्रहीन बेटी उस के पल्ले बांध दी.

कहते हैं दुनिया में हर मरज की दवा है, पर शक की कोई दवा नहीं. पति के खराब व्यवहार के कारण रचना का जीवन नर्क बन चुका था और फिर एक रोज अजिज आ कर उस ने अपने पति से तलाक ले लिया और आज अकेले ही अपने दोनों बच्चों को पाल रही है, जबकि उस के पति के खुद कई औरतों से संबंध रह चुके थे. लेकिन रचना ने कभी उसे इस बात के लिए नहीं कोसा.

GHKKPM: लीप के बाद सई और पाखी के बच्चों की होगी एंट्री, ये दो एक्टर निभाएंगे किरदार!

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में एक के बाद एक नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां मेकर्स ने हाल ही में 3 इडियट्स वाला सीन की तरह पाखी की डिलीवरी हुई थी तो वहीं अब शो में जल्द ही लंबे लीप की खबरें सुर्खियों में हैं. दरअसल, अब ट्रोलिंग के बाद मेकर्स ने सीरियल की कहानी में नया ट्विस्ट लाने का फैसला किया है, जिसके चलते शो में दो नए कलाकारों की एंट्री होने वाली है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दो किरदारों की होगी एंट्री

खबरों की मानें तो 8 लीप के बाद मेकर्स सीरियल में विराट, पाखी और सई के बच्चों पर फोकस करते हुए नजर आने वाले हैं, जिसके चलते सई की बेटी और पाखी का बेटा नजर आएगा. वहीं इन किरदारों को चाइल्ड आर्टिस्ट आरिया सकारिया (Aria Sakaria) और तन्मय ऋषि निभाते हुए नजर आने वाले हैं. हालांकि देखना होगा कि मेकर्स का ये नया ट्विस्ट दर्शकों का दिल जीत पाता है या नहीं.

सीरियल में पाखी की आएगी शामत

सीरियल में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि बारिश में परिवार और सई फंसने के कारण विराट पाखी की डिलीवरी करवाता है, जिसके चलते पाखी के बेटे का जन्म होता है और पूरा चौह्वाण परिवार खुश होता है. वहीं सई भी पाखी की गलतियां भुलाकार उसे माफ करने का फैसला करती है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में सीरियल में नया बवाल होने वाला है. दरअसल, सई को पाखी के सरोगेसी के सच के बारे में पता चल जाएगा और वह विराट के लाख मनाने के बावजूद पाखी को जेल भेज देगी.

बता दें, सीरियल का नया प्रोमो देखने के बाद फैंस विराट के किरदार को ट्रोल करते दिखे थे. दरअसल, फैंस का कहना है कि सई को जेल भेजते वक्त विराट फर्ज निभा रहा था. और पाखी को जेल जाते देख वह सई से उसे माफ करने की बात कहता दिख रहा है. इसी ट्रैक के चलते विराट का किरदार निभाने वाले एक्टर नील भट्ट को भी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है.

Anupama के बाद Jhalak Dikhhla Jaa 10 में नजर आए पारस कलनावत, देखें प्रोमो

हाल ही में अनुपमा के मेकर्स द्वारा समर यानी पारस कलनावत को शो से बाहर करने के कारण फैंस काफी नाराज थे. हालांकि अब एक्टर पारस कलनावत ने अपने नए शो की झलक फैंस को दिखा दी है, जिसके चलते वह सुर्खियों में आ गए हैं. आइए आपको दिखाते हैं रिएलिटी शो झलक दिखला जा 10 (Jhalak Dikhhla Jaa 10 Promo) के प्रोमो की झलक…

डांस करते दिखे पारस

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ColorsTV (@colorstv)

हाल ही में झलक दिखला जा 10 के मेकर्स ने शो के कुछ प्रतियोगियों के प्रोमो फैंस के साथ शेयर किए हैं, जिसमें एक्टर पारस कलनावत का नाम भी शामिल हैं. शो के प्रोमो में अनुपमा के समर यानी पारस कलनावत डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. बीते दिनों अनुपमा से निकलने के बाद फैंस के लिए पारस कलनावत का ये प्रोमो बेहद खास है. वहीं लोग उन्हें सोशलमीडिया के जरिए बधाई देते दिख रहे हैं.

Shilpa Shinde भी आई नजर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ColorsTV (@colorstv)

पारस कलनावत के अलावा मेकर्स ने कुछ और प्रोमो शेयर किए हैं, जिसमें भाभी जी घर पर हैं और बिग बॉस 11 की विनर शिल्पा शिंदे (Shilpa Shinde) और टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक निया शर्मा भी नजर आ रही हैं. एक्ट्रेस Shilpa Shinde पिंक कलर के सूट में जहां ठुमके लगा रही हैं तो वहीं टीवी की नागिन निया शर्मा अपने खूबसूरत डांस से फैंस का दिल जीत रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ColorsTV (@colorstv)

 ये सितारे भी आ सकते हैं नजर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ColorsTV (@colorstv)

इन तीन नामों के अलावा एक्टर धीरज धूपर भी जहां प्रोमो में ठुमके लगाते दिख रहे हैं तो वहीं इमली फेम एक्टर गशमीर महाजनी का नाम भी शो में हिस्सा लेने वाले प्रतियोगियों के लिए सामने आ रहा है, जिसके चलते इस बार झलक दिखला जा 10 को देखने के लिए फैंस बेताब दिख रहे हैं.

बता दें, पारस कलनावत इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ और अनुपमा के सितारों से जुड़े बयानों के कारण सुर्खियों में हैं. हालांकि देखना होगा कि अब वह अपने नए शो से कितना दिल जीतते हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें