Top 10 Best Mother’s Day Story in Hindi: टॉप 10 बेस्ट मदर्स डे कहानियां हिंदी में

Mother’s Day Story in Hindi: परिवार हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है. लेकिन उसकी सबसे अहम कड़ी मां होती है, जो बच्चो और अपनी फैमिली को जोड़कर रखने का काम करती है. साथ ही बिना किसी के स्वार्थ के परिवार हर अच्छे-बुरे वक्त में साथ खड़ी होती है. इसीलिए इस मदर्स डे के मौके पर आज हम आपके लिए लेकर आये हैं गृहशोभा की 10 Best Mother’s Day Story in Hindi. मां के बलिदान और प्यार की दिलचस्प कहानियां, जो आपके दिल को छू लेगी. साथ ही आपको इन Mother’s Day Story से आपको कई तरह की सीख भी मिलेगी, जो आपके रिश्तों को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौकिन हैं तो पढ़िए Grihshobha की Best Mother’s Day Story in Hindi 2022.

1. Mother’s Day Special: और प्यार जीत गया

story in hindi

मातापिता की जिद की वजह से देवयानी की शादी उस के प्रेमी अविनाश से नहीं हो पाई थी. जब यही स्थिति उस की बेटी आलिया के समक्ष आ खड़ी हुई तो क्या देवयानी उसे उस का प्यार दिलवा पाई…

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

2. Mother’s Day Special: मां का दिल- क्या वक्त के साथ बदल सकता है मां का प्यार?

story in hindi

एक मां का बच्चे के लिए प्यार कभी नहीं बदलता भले ही वक्त या परिस्थितियां कितनी भी क्यों न बदल जाएं.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

3. Mother’s Day Special: बिट्टू: नौकरीपेशा मां का दर्द

story in hindi

इधर बिट्टू मां का प्यार पाने को तरस रहा था, उधर अनिता चाह कर भी बिट्टू को अपना प्यार नहीं दे पा रही थी. बिट्टू था कि हर रोज एक नया बखेड़ा खड़ा कर देता था.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

4. Mother’s Day Special: थैंक्यू मां

story in hindi

पूजा की मां क्यों ममता के लिए तरसती थी. क्या उनकी ममता पूरी तरह तृप्त हो पाई?

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

5. Mother’s Day Special: ममता का आंगन

story in hindi

नए घर में पहुंचकर निशा को बहुत प्यार सम्मान मिला. शुरू के कुछ दिनों में उसे किसी भी काम में हाथ नहीं लगाने दिया.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

6. Mother’s Day Special: मुक्ति : मां के मनोभावों से अनभिज्ञ नहीं था सुनील

story in hindi

मां के मनोभावों से अनभिज्ञ नहीं था सुनील. बावजूद इस के ऐसी क्या मजबूरी थी कि उस ने मां के प्रति अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लिया था. मुक्ति के लिए मां आखिरी सांस तक लड़ती रहीं.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

7. Mother’s Day Special: सैल्फी- आखिर क्या था बेटी के लिए निशि का डर?

story in hindi

अपनी युवा होती बेटी कुहू को ले कर निशि के मन में एक अजीब से डर का भाव बना रहता था. क्या अपनी सहेली स्नेहा से मिल कर उस का डर खत्म हुआ…

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

8. Mother’s Day Special: मेरी मां के नाम

story in hindi

मां ने सदा सीख दी थी कि ‘अपनी हर सफलता के पीछे दूसरों का योगदान मानो’. मां की यह बात मैं ने हमेशा याद रखी और सफलता की सीढि़यां चढ़ती गईं जिस का सारा श्रेय जाता है मेरी मां को.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

9.Mother’s Day Special: यह कैसी मां- क्या सच थीं मां के लिए की गई माया के पिता की बातें

story in hindi

माया अपने पिता के मुंह से अपनी मां के बारे में सुन कर सन्न रह गई थी. एक पत्नी अपने पति के साथ ऐसा व्यवहार भी कर सकती है, माया को यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन हकीकत यही थी.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें…

10. Mother’s Day Special: रिश्तों की कसौटी-जब बेटी को पता चले मां के प्रेम संबंध का सच

story in hindi

मेरी एड़िया काली पड़ने लग गई हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

गरमी के मौसम में चप्पलें पहने की वजह से मेरी एडि़यां काली पड़ने लग गई हैं. अगर मैं अच्छी तरह से साबुन लगा कर साफ करती हूं तो भी कुछ कालापन रह जाता है. साथ में हलकाहलका दर्द थोड़ेथोड़े समय पर महसूस होता है जैसेकि पस पड़ गई हो. कुछ दरारें भी पड़ जाती हैं.

जवाब-

एडि़यों को साफ करने के लिए खास तरह के सौफ्ट स्क्रबर का इस्तेमाल होता है. आप इस से हलकेहलके अपनी एडि़यों को साफ करें. इस से एडि़यां सौफ्ट भी रहेंगी और दरारें भी नहीं पड़ेंगी. इस के अलावा किसी सैलून में पैडीक्योर करवा लें. घर में भी खुद पैडीक्योर कर सकती हैं. इस के लिए 1/2 कप कुनकुने पानी में 1 चम्मच शैंपू, 1 बड़ा चम्मच नमक व थोड़ा सा कोई ऐंटीसैप्टिक लोशन डाल लें. 10 मिनट तक पैरों को इस पानी में भिगोए रखें. फिर प्यूमिक स्टोन से हलकेहलके रगड़ कर साफ पानी से धो लें. पैरों को सुखा कर किसी क्रीम से थोड़ी देर मसाज करें. अगर रात को पैडीक्योर करती हैं तो कोई कौटन की सौक्स कुछ देर तक पहन कर रख सकती हैं जिस से पैर सौफ्ट बने रहेंगे और साफ भी रहेंगे. कभीकभार पैरों पर ब्लीच करना भी अच्छा रहता है. इससे पैरों का रंग एकदम गोरा हो जाता है.

-समस्याओं के समाधान

ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा

ये भी पढ़ें- हल्की आईलैशेज से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

ये भी पढ़ें- 

बदलते मौसम में हम अपने चेहरे और हाथों की स्किन का तो खूब खयाल रखते हैं, लेकिन अकसर यह भूल जाते हैं कि हमारी पर्सनैलिटी में जितनी इंपौर्टैंस चेहरे और हाथों की खूबसूरती की है उतने ही अहम हमारे पैर भी हैं, जिन पर मौसम की मार सब से पहले पड़ती है, लेकिन हम उन्हीं को अपनी टेक केयर लिस्ट में सब से आखिर में रखते हैं. नतीजा यह होता है कि हमारी एडि़यां फट जाती हैं, पैर बेजान नजर आने लगते हैं.

आप अपने पैरों का खयाल कैसे रख सकती हैं और ऐसी कौन सी चीजें हैं, जो आप के पैरों में फिर से जान डाल देंगी, यही बताने के लिए हम यह लेख आप के लिए ले कर आए हैं.

एडि़या फटने के कारण

एडि़या फटने की सब से आम वजह है मौसम का बदलना, साथ ही मौसम के अनुरूप पैरों को सही तरीके से मौइस्चराइज न करना और जब मौसम शुष्क हो जाता है तो यह परेशानी और बढ़ जाती है.

देखा जाए तो अधिकतर महिलाएं फटी एडि़यों से परेशान होती हैं, क्योंकि काम करते समय अकसर उन के पैर धूलमिट्टी का ज्यादा सामना करते हैं इस के साथ ही इन कारणों की वजह से भी एडि़यां फटती हैं:

– लंबे समय तक खड़े रहना

– नंगे पैर चलना

– खुली एडि़यों वाले सैंडल पहनना

– गरम पानी में देर तक नहाना

– कैमिकल बेस्ड साबुन का  इस्तेमाल करना – सही नाप के जूते न पहनना.

बदलते मौसम के कारण वातावरण में नमी कम होना फटी एडि़यों की आम वजह है. साथ ही बढ़ती उम्र में भी एडि़यों का फटना आम बात है. ऐसे में कई बार एडि़यां दरारों के साथ रूखी हो जाती हैं. कई मामलों में उन दरारों से खून भी रिसना शुरू हो जाता है, जो काफी दर्दनाक होता है.

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की भाव और भावना एक: सीएम योगी

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा. दोनों राज्यों के बीच तीन दशक से चले आ रहे एक विवाद का पटाक्षेप करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अलकनंदा अतिथि गृह की चाबी सौंपी तो उत्तर प्रदेशवासियों के लिए हरिद्वार में नवनिर्मित भव्य भागीरथी भवन का लोकार्पण किया.

माँ गंगा तट के पर आयोजित संपन्न कार्यक्रम को मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप बताया. उन्होंने कहा कि माँ गंगा भारत के जीवनधारा की आत्मा हैं. गंगा तब बनती है जब अलकनंदा और भागीरथी एक साथ मिलती हैं.

प्रधानमंत्री जी ने हमें विवादों को संवाद से सुलझाना सिखाया है और इसी भावना के साथ दोनों राज्यों के बीच विवादों का समाधान होना संभव हुआ.

पूज्य संतों, धर्माचार्यों, अनेक पूर्व मुख्यमंत्री गणों, उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री योगी ने दोनों राज्यों के समग्र विकास के लिए साथ-साथ मिलकर काम करने की जरूरत बताई.

उत्तराखंड को अपनी माँ और मातृभूमि कहते हुए सीएम योगी ने कहा कि उत्तराखंड में स्प्रिचुअल टूरिज्म और इको टूरिज्म की अपार सम्भावनाएं हैं. उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता सहित पूरे भारत से कौन ऐसा है जो उत्तराखंड के चार धाम का पुण्य लाभ नहीं लेना चाहता, ऐसा कोई नहीं जो हर की पैड़ी पर स्नान नहीं करना चाहता. यहां हर मौसम में पर्यटन के अवसर हैं.

चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की ओर लोग आने को उत्सुक हैं तो दूसरे सीजन में कुमाऊं, नैनीताल, झूंसी मठ से जुड़े अनेक हिल स्टेशन भी लोगों को लालायित करता है. यही नहीं, हाल के वर्षों में यहां फारेस्ट कवर भी बढ़ा है, जो इको टूरिज्म की संभावनाओं को बल देने वाला गया. सीएम योगी ने डबल इंजन की सरकार में देवभूमि उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, ऋषिकेश, आदि आध्यत्मिक स्थलों के पर्यटन विकास के लिए जारी प्रयासों की सराहना की. इन पावन स्थलों को आस्था के साथ-साथ राष्ट्रीय एकात्मता को तेज और ओज देने के केंद्र की संज्ञा देते हुए सीएम योगी ने विश्वास जताया कि यहां विकास की यह यात्रा सभी के सुख-समृद्धि का कारक बनेगी.

काशी में 50 लोग पूजन नहीं कर पाते थे, आज 50 हजार लोग होते हैं मौजूद उत्तर प्रदेश में अयोध्या दीपोत्सव, काशी देव दीपावली, बरसाना रंगोत्सव, कृष्ण जन्मोत्सव के भव्य आयोजनों की चर्चा करते हुए सीएम ने अयोध्या, काशी, शुक तीर्थ, नैमिष धाम, राजापुर, आदि पावन, आध्यत्मिक ऊर्जा के केंद्रों के समग्र विकास के कार्यक्रमों की भी जानकारी दी.

प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में काशी में श्रीकाशीविश्वनाथ धाम कॉरिडोर निर्माण के बाद बदली परिस्थितियों की चर्चा करते हुए सीएम योगी ने कहा कि जहां 50 लोग एक साथ पूजा-पाठ नहीं कर सकते थे आज 50 हजार लोग एक साथ उपस्थित रहते हैं. मुख्य पर्वों पर तो 05 लाख लोग दर्शन कर रहे हैं.

वेदालाइफ-निरामयम् में लिया आड़ू और खुमैनी का स्वाद

पौड़ी-गढ़वाल में पतंजलि योगपीठ द्वारा नवविकसित योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा की इंटीग्रेटेड थेरेपी के अत्याधुनिक केंद्र “वेदालाइफ-निरामयम्” भ्रमण के अनुभवों को भी साझा किया.

सीएम ने बताया कि वहां उन्होंने आड़ू और खुमैनी जैसे फलों का आनंद लिया. उन्होंने कहा कि एक सूखी पहाड़ी पर, जहां मोटे पत्थर हुआ करते थे, वहां 40 हजार से अधिक वृक्षों का एक मनोरम जंगल बसा दिया गया है. यह पूरा क्षेत्र किसी ऋषि की साधना स्थली लगती है. कल देश के मैदानी क्षेत्रों में जब 45℃ तापमान था तब हम लोग वहां 15℃ का आनंद ले रहे थे. सीएम योगी ने कहा कि यह केंद्र हेल्थ टूरिज्म को बढ़ावा देने के साथ ही व्यापक पैमाने पर रोजगार सृजन का कारक भी बनेगा.

वसंत आ गया- भाग 1: क्या संगीता ठीक हो पाई

ट्रिन ट्रिन…फोन की घंटी बजती जा रही थी मगर इस से बेखबर आलोक टीवी पर विश्व कप फुटबाल मैच संबंधी समाचार सुनने में व्यस्त थे. तब मैं बच्चों का नाश्ता पैक करती हुई उन पर झुंझला पड़ी, ‘‘अरे बाबा, जरा फोन तो अटेंड कीजिए, मैं फ्री नहीं हूं. ये समाचार तो दिन में न जाने कितनी बार दोहराए जाएंगे.’’

आलोक चौंकते हुए उठे और अपनी स्टाइल में फोन रिसीव किया, ‘‘हैलो…आलोक एट दिस एंड.’’

स्कूल जाते नेहा और अतुल को छोड़ने मैं बाहर की ओर चल पड़ी. दोनों को रिकशे में बिठा कर लौटी तो देखा, आलोक किसी से बात करने में जुटे थे. मुझे देखते ही बोले, ‘‘रंजू, तुम्हारा फोन है. कोई मिस्टर अनुराग हैं जो सिर्फ तुम से बात करने को बेताब हैं,’’ कह कर उन्होंने रिसीवर मुझे थमा दिया और खुद अपने छूटते समाचारों की ओर दौड़ पड़े.

मुझे कुछ याद ही नहीं आ रहा था कि कौन अनुराग है जिसे मैं जानती हूं, पर बात तो करनी ही थी सो बोल पड़ी, ‘‘हैलो, मैं रंजू बोल रही हूं…क्या मैं जान सकती हूं कि आप कौन साहब बोल रहे हैं?’’

‘‘मैं अनुराग, पहचाना मुझे? जरा दिमाग पर जोर डालना पड़ेगा. इतनी जल्दी भुला दिया मुझे?’’ फोन करने वाला जब अपना परिचय न दे कर मजाक करने लगा और पहेलियां बुझाने लगा तो मुझे बहुत गुस्सा आया कि पता नहीं कौन है जो इस तरह की बातें कर रहा है, पर आवाज कुछ जानीपहचानी सी लग रही थी. इसलिए अपनी वाणी पर अंकुश लगाती हुई मैं बोली, ‘‘माफ कीजिएगा, अब भी मैं आप को पहचान नहीं पाई.’’

‘‘मेरी प्यारी बहना, अपने सौरभ भाई की आवाज भी तुम पहचान नहीं पाओगी, ऐसा तो मैं ने सोचा ही नहीं था.’’

‘‘सौरभ भाई, आप…वाह…, तो मुझे उल्लू बनाने के लिए अपना नाम अनुराग बता रहे थे,’’ खुशी से मैं इतनी जोर से चीखी कि आलोक घबरा कर मेरे पास दौड़े चले आए.

‘‘क्या हुआ? इतनी जोर से क्यों चीखीं? कहीं छिपकली दिख गई क्या?’’

मैं इनकार में सिर हिलाती हुई हंस पड़ी, क्योंकि छिपकली देख कर भी मैं डर के मारे हमेशा चीख पड़ती हूं. फिर रिसीवर में माउथपीस पर हाथ रख कर बोली, ‘‘जरा रुकिए, अभी आ कर बताती हूं,’’ तो आलोक लौट गए.

‘‘हां, अब बताइए भाई, इतने दिनों बाद बहन की याद आई? कब आए आप स्ंिगापुर से? बाकी लोग कैसे हैं?’’ मैं ने सवालों की झड़ी लगा दी.

‘‘फिलहाल किसी के बारे में मुझे कोई खबर नहीं है, क्योंकि सब से ज्यादा मुझे सिर्फ तुम्हारी याद आई, इसलिए भारत आने के बाद सब से पहले मैं ने तुम्हें फोन किया. तुम से मिलने मैं कल ही तुम्हारे घर आ रहा हूं. पूरे 2 दिन तुम्हें बोर होना पड़ेगा. इसलिए कमर कस कर तैयार हो जाओ. बाकी बातें अब तुम्हारे घर पर ही होंगी, बाय,’’ इतना कह कर भाई ने फोन काट दिया.

सौरभ भाई कल सच में हमारे घर आने वाले हैं, सोच कर मैं खुशी से झूम उठी. 10 साल हो गए थे उन्हें देखे. आखिरी बार उन्हें अपनी शादी के वक्त देखा था.

अपने मातापिता की मैं अकेली संतान थी, पर दोनों चचेरे भाई सौरभ और सौभिक मुझ पर इतना प्यार लुटाते

थे कि मुझे कभी एहसास ही न हुआ कि मेरा अपना कोई सगा भाई या बहन नहीं है. काकाकाकी की तो मैं वैसे भी लाड़ली थी.

इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि हम भुवनेश्वर में रहते थे और काका का परिवार पुरी में. हमारा लगभग हर सप्ताह ही एकदूसरे से मिलनाजुलना हो जाता था. इसलिए 60-65 किलोमीटर की दूरी हमारे लिए कोई माने नहीं रखती थी.

मेरी सौभिक भाई से उतनी नहीं पटती थी, जितनी सौरभ भाई से. मेरे प्यारे और चहेते भैया तो सौरभ भाई ही थे. उन के अलावा समुद्र का आकर्षण ही था जो प्रत्येक सप्ताह मुझे पुरी खींच लाता था.

उन दिनों मैं दर्शनशास्त्र में एम.ए. कर रही थी इसलिए सौरभ भाई की जीवनदर्शन की गहरी बातें मुझे अच्छी लगती थीं. एक दिन वह कहने लगे, ‘रंजू, अपने भाई की एक बात गांठ बांध लो, गलती स्वीकार करने में ही समझदारी होती है. जीवन कोई कोर्ट नहीं है जहां कभीकभी गलत बात को भी तर्क द्वारा सही साबित कर दिया जाता है.’

मैं उन का मुंह ताकती रह गई तो वह आगे बोले, ‘तुम शायद ठीक से मेरी बात समझ नहीं पाईं. ठीक है, इस बात को मैं तुम्हें फिल्मी भाषा में समझाता हूं. थोड़ी देर पहले तुम ‘आनंद’ फिल्म का जिक्र कर रही थीं. मैं ने भी देख रखी है यह फिल्म. इस के एक सीन में जब अमिताभ रमेश देव से पूछता है कि तुम ने क्यों उस धनी सेठ को कोई बीमारी न होते हुए भी झूठमूठ की महंगी गोलियां दे कर एक मोटी रकम झटक ली. तो इस पर रमेश देव कहता है कि अगर ऐसे धनी लोगों को बेवकूफ बना कर मैं पैसे नहीं लूंगा तो गरीब लोगों का मुफ्त इलाज कैसे करूंगा?

‘एक नजर में रमेश देव का यह तर्क सही भी लगता है, परंतु सचाई की कसौटी पर परखा जाए तो क्या वह गलत नहीं था? अगर किसी गरीब की वह मदद करना चाहता था तो अपनी ओर से जितनी हो सके करनी चाहिए थी. इस के लिए किसी अमीर को लूटना न तो न्यायसंगत है और न ही तर्कसंगत, इसलिए ज्ञानी पुरुष गलत बात को सही साबित करने के लिए तर्क नहीं दिया करते बल्कि उस भूल को सुधारने का प्रयास करते हैं.’

एक दिन कालिज से घर लौटी तो मां एक खुशखबरी के साथ मेरा इंतजार कर रही थीं. मुझे देखते ही बोलीं, ‘सुना तू ने, तेरे काका का फोन आया था कि कल तेरे सौरभ भाई के लिए लड़की देखने कानपुर चलना है. सौरभ ने कहा है कि उसे हम सब से ज्यादा तुझ पर भरोसा है कि तू ही उस के लिए सही लड़की तलाश सकती है.’

मुझे अपनेआप पर नाज हो आया कि मेरे भाई को मुझ पर कितना यकीन है.

दूसरे दिन सौरभ भाई और सौभिक भाई के अलावा हम सब कानपुर पहुंचे तो मैं बहुत खुश थी. हम सभी को लड़की पसंद आ गई. हां, उस की उम्र जरूर मेरी मां और काकी के विचार से कुछ ज्यादा थी, पर आजकल 27 साल में शादी करना कोई खास बात नहीं होती. फिर उसे देख कर कोई 22-23 से ज्यादा की नहीं समझ सकता था.

बैठक में सब को चायनाश्ता देने और थोड़ी देर वहां बैठने के बाद जब भाभी अंदर जाने लगीं तो काकी ने मुझ से कहा, ‘रंजू, तुम अंदर जा कर संगीता के साथ बातें करो. यहां बड़ों के बीच बैठी बोर हो जाओगी. फिर हमें तो कुछ उस से पूछना है नहीं.’

मैं भी भाभी के साथ बात करना चाहती थी, इसलिए अंदर चली गई. तभी उन के  घर में भाभी के बचपन से काम करने वाली आया कमली ने उन्हें एक टेबलेट खाने को दी. मेरे कुछ पूछने से पहले की कमली बोली, ‘शायद घबराहट के मारे बेबी के सिर में कुछ दर्द सा होने लगा है. आप तो समझ ही सकती हैं क्योंकि आप भी लड़की हैं.’

इस पर मैं बोली, ‘मैं समझ सकती हूं, पर च्ंिता करने की कोई बात नहीं है. हम सब को भाभी पहले ही पसंद आ चुकी हैं.’

भाभी ने तब तल्ख स्वर में कहा था, ‘पसंद तो सभी करते हैं पर शादी कोई नहीं.’

‘पर हम तो आज सगाई भी कर के जाने वाले हैं.’ मुझे लगा कि पहले कोई रिश्ता नहीं हो पाया होगा इसलिए भाभी ऐसे बोल रही हैं.

फिर सगाई कर के ही लौटे थे. इस के 10 दिन बाद सौरभ भाई के पास एक गुमनाम फोन आया कि जिस लड़की से आप शादी करने जा रहे हैं वह एक गिरे हुए चरित्र की लड़की है. अपने स्वभाव के मुताबिक सुनीसुनाई बात पर यकीन न करते हुए भाई ने फोन करने वाले से सख्त लहजे में कहा था, ‘आप को इस विषय में च्ंिता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. उस के चरित्र के विषय में मुझे सब पता है.’

करीब एक महीने बाद ही धूमधाम से हम सब संगीता भाभी को दुलहन बना कर घर ले आए. उन के साथ दहेज में कमली भी आई थी. हमारे घर वालों ने सोचा ससुराल में भाभी को ज्यादा परेशानी न हो इस वजह से उन के मायके वालों ने उसे साथ भेजा है.

ये भी पढ़ें- अपना-अपना क्षितिज: क्या थी पिता और बेटे की कहानी

GHKKPM: छोटी ड्रेस पहनना पड़ा ‘पाखी’ को भारी, ट्रोलर्स ने दिया आंटी का टैग

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein) हाल ही में सई और विराट की शादी हुई है, जिसके चलते पाखी जलन महसूस कर रही है. वहीं भवानी को सई के खिलाफ भड़काने का मौका नहीं छोड़ रही है. लेकिन सीरियल की बजाय पर्सनल लाइफ की बात करें तो पाखी यानी एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा एक बार फिर ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ट्रोलर्स ने कहा आंटीजी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Aishwarya Sharma Bhatt (@aisharma812)

पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा ने हाल ही में पति नील भट्ट के साथ अपनी कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह ब्लैक टॉप और शिमरी शौर्ट स्कर्ट पहने हुए पोज देती नजर आ रही हैं. फोटोज को देखकर जहां एक्ट्रेस उनकी हौटनेस की तारीफ करते दिख रहे हैं तो वहीं ट्रोलर्स कपल को बुड्ढी और बुड्ढा का टैग दे रहे हैं तो वहीं एक्ट्रेस को आंटीजी बताते दिख रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sai💕 (@ayeshasinghxlove)

एक्ट्रेस को नहीं पड़ता फर्क

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Aishwarya Sharma Bhatt (@aisharma812)

ट्रोलिंग के बावजूद एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा अपनी नई नई वीडियो और फोटोज शेयर करने से नहीं कतरा रही हैं. हाल ही में एक्ट्रेस ने अपनी एक रील फैंस के साथ शेयर की है, जिसमें वह अपने को स्टार और पति नील भट्ट के साथ सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में के सेट पर मस्ती करती नजर आ रही हैं. वहीं इस वीडियो पर फैंस जमकर मजेदार रिएक्शन दे रहे हैं.

पाखी चलेगी नई चाल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by #raya_fanpage (@rayafanpagelover)

सीरियल की बात करें तो सई जहां अच्छी पत्नी और बहू बनने की कोशिश करती नजर आ रही है, जिसमें विराट उसका साथ दे रहा है तो वहीं पाखी अपनी हरकतों से बाज ना आकर भवानी को एक बार फिर सई के खिलाफ भड़का रही है. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड में पाखी, भवानी से कहेगी कि सई केवल अच्छी बहू बनने का दिखावा कर रही है, जो कुछ दिनों के लिए हैं. वहीं विराट, सई को समझाएगा और उसका साथ देता हुआ नजर आएगा.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Bavirat💞 (@sairat_tamil_fangirl)

ये भी पढ़ें- अनुपमा-अनुज की शादी के बीच रोमांस करते दिखे वनराज-काव्या, देखें वीडियो

अनुपमा-अनुज की शादी के बीच रोमांस करते दिखे वनराज-काव्या, देखें वीडियो

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) इन दिनों सोशलमीडिया पर छाया हुआ है. जहां अनुपमा और अनुज का रोमांस (Rupali Ganguly and Gaurav Khanna Romance) देखकर फैंस बेहद खुश हैं तो वहीं वनराज की जलन देखकर उसे खरीखोटी सुनाते नजर आ रहे हैं. इसी बीच सोशलमीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अनुपमा-अनुज की परवाह छोड़ वनराज, काव्या संग रोमांस (Sudhanshu Panday And Madalsa Sharma Reels) करते हुए नजर आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

वनराज-काव्या ने किया ये काम

हाल ही में सीरियल में जहां अनुपमा-अनुज की नजदीकियां देखने मिल रही है तो वहीं शूटिंग से फुरसत मिलने पर काव्या यानी मदालसा शर्मा और वनराज यानी सुधांशु पांडे रील्स बनाते नजर आ रहे हैं. दरअसल, एक्ट्रेस ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वनराज और काव्या बीच सड़क पर आशिकों की तरह रोमांस करते दिख रहे हैं. जहां वनराज, काव्या पर लाइन मारता नजर आ रहा है तो वहीं काव्या शरमाती हुई दिख रही हैं. फैंस को दोनों का ये वीडियो काफी पसंद आ रहा है और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

अनुपमा का होगा मेहंदी सेलिब्रेशन

सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो अनुपमा के बच्चे जहां अनुज को पिता मानने के लिए राजी हो गए हैं तो वहीं वनराज की जलन बढ़ती जा रही है, जिसका अंजाम सीरियल में आगे नजर आने वाला है. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में पूरा परिवार मेहंदी सेरेमनी सेलिब्रेट करता हुआ दिखेगा और इस मौके पर बौलीवुड सिंगर मीका सिंगर अपने गानों से महफिल में रंग जमाते हुए नजर आएंगे. दूसरी तरफ वनराज, अनुज को अपने साथ दूर कहीं ले जाएगा और अपनी भड़ास निकालेगा. हालांकि अनुज उसे करारा जवाब देगा. लेकिन देखना होगा कि वनराज की अगली चाल क्या होने वाली है, जिसका फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by rijyo ke gaurup (@gauravkhanna_fp)

ये भी पढ़ें- अनुज को पापा कहेंगे Anupamaa के बच्चे, वनराज का होगा बुरा हाल

हल्की आईलैशेज से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी आईलैशेज बहुत हलकी हैं. मेकअप करते वक्त जब मसकारा लगाती हूं तो थोड़ी ठीक लगती हैं वरना बहुत ही छोटी लगने की वजह से आंखों की खूबसूरती खत्म हो जाती है. ऐसा क्या करूं कि ये बड़ी, घनी व सुंदर दिखें?

जवाब-

आईलैशेज की ग्रोथ के लिए आप 1 चम्मच जैतून के तेल में कुछ ड्रौप्स कैस्टर औयल की मिला लें. इस मिक्स्चर को अपनी पलकों पर लगा कर हलके हाथ से मसाज करती रहें. ऐसा नियमित रूप से करने से पलकों की ग्रोथ में जरूर फर्क नजर आएगा. डेली बेसिस पर अपनी लैशेज को घना और लंबा दिखाने के लिए वौल्यूमाइज मसकारा लगा सकती हैं. इस से आंखें खुली हुई और बड़ी नजर आती हैं. यदि मसकारा लगाने से पहले पलकों को कर्लर से कर्ल करें और फिर मसकारा लगाएं तो पलकें ज्यादा घनी व घुमावदार दिखती हैं. आर्टिफिशियल लैशेज लगा कर भी अपनी लैशेज को बड़ा दिखा सकती हैं.

पलकों का जादू बरकरार रखने के लिए आईलैश ऐक्सटैंशन भी करवा सकती हैं. इस से पलकें घनी दिखती हैं. यह एक सेमीपरमानैंट समाधान है. इस के अंतर्गत पलकों पर 1-1 लैश चिपकाई जाती है जिस से ये बिना मसकारा लगाए लंबी व घनी दिखाई देती हैं. 20 दिन के बाद धीरेधीरे निकलने लगती हैं. आप चाहें तो हर हफ्ते कुछकुछ लैशेज जो निकली हैं उन्हें लगवा कर हमेशा खूबसूरत बनी रह सकती हैं.

ये भी पढ़ें-  ड्राय स्किन और स्किन प्रौब्लम से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

ये भी पढ़ें-  

40 पार करने का यह मतलब नहीं कि आप मेकअप से तोबा कर लें. इस उम्र में भी आप मेकअप के सही शेड्स और तकनीक का इस्तेमाल कर यंग लुक पा सकती हैं. 40+महिलाएं यंग ऐंड फ्रैश लुक के लिए क्या रखें अपने वैनिटी बौक्स में यह जानने के लिए हम ने बात की मेकअप आर्टिस्ट मनीष केरकर से.

कौन्फिडैंस बढ़ाता है मेकअप

माना कि मेकअप चेहरे की खूबसूरती बढ़ाता है, लेकिन यह भी एक सच है कि मेकअप करने से आत्मविश्वास भी दोगुना हो जाता है. जब आप कहीं सजधज कर जाती हैं और लोग आप की तारीफ करते हैं तो खुदबखुद आप की बौडी लैंग्वेज बदल जाती है क्योंकि उस समय आप खुद को कौन्फिडैंट महसूसकरती हैं. इसलिए जब भी घर से बाहर जाएं, मेकअप करना न भूलें.

मेकअप से परहेज क्यों

ज्यादातर एकल महिलाएं खासकर तलाकशुदा या विधवाएं मेकअप से परहेज करती हैं, जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. डार्क न सही, मगर मेकअप के लाइट शेड्स आप की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं. ऐसे प्रोडक्ट्स को मेकअप बौक्स में खास जगह दें. फाउंडेशन के बजाय बीबी या सीसी क्रीम लगाएं. इस से आप को नैचुरल लुक मिलेगा. होंठों पर लिप बाम लगाएं. आई मेकअप के लिए काजल का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह न भूलें कि भीड़ में अपनी मौजदूगी दर्ज कराने के लिए प्रेजैंटेबल नजर आना जरूरी है.

मौइस्चराइजर

बढ़ती उम्र के साथ त्वचा भी रूखी हो जाती है. ऐसे में त्वचा को जरूरत होती है ऐक्स्ट्रा मौइस्चराइजर की, जो त्वचा में नमी की कमी को पूरा कर सके. अत: चेहरे के रूखेपन को कम करने के लिए दिन और रात दोनों समय मौइस्चराइजर लगा कर चेहरे को मौइस्चराइज करें. इस से त्वचा मुलायम महसूस होगी और ग्लो भी करेगी.

औरतों और बच्चों को तो बख्शो

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक नैशनल लैंड मोनेटाइजेशन कौरपोरेशन बनाई है जिस का काम होगा देशभर में फैली केंद्र सरकार की जमीन का हिसाब रखना और उसे बेच देना. सरकार आजकल जनता से पैसे इकट्ठे करने में लगी है और पिछले कानूनों के बल पर कौडि़यों में पिछली सरकारों की खरीदी जमीन को अब महंगे दाम पर बेचना चाह रही है. यह पक्का है कि अब जो जमीन बिकेगी उस में घने कंक्रीट के जंगल उगेंगे और उन में से ज्यादातर शहरों, कसबों में होंगे.

सरकारी जमीन फालतू नहीं पड़ी रहे, यह सोचना वाजिब है पर उस की जगह कंक्रीट के ऊंचे मकान, दफ्तर या फैक्टरियां आ जाएं, यह गलत होगा. आज सभी शहर भीड़भाड़ व प्रदूषण से कराह रहे हैं और सरकार इस में धुएं देने वाली मशीनें लगाने की योजना बना रही है. जो लोग शहरों, कसबों में रहते हैं उन्हें राहत देने की जगह ये कदम आफत देंगे.

अच्छा तो यह होगा कि इस सारी जमीन पर पेड़ उगा कर उन्हें छोटेबड़े जंगलों में बदल दिया जाए. सरकार जंगलों का रखरखाव नहीं कर पा रही है और न ही खेती की जमीन का आज के भाव से मुआवजा दे कर वहां जंगल उगा पा रही है. इसलिए जो जमीन उस के पास है चाहे 100-200 मीटर हो या लाख 2 लाख मीटर हो वहां बने बाग और जंगल बेहद सुकून देंगे.

अब शहरीकरण तो देश का होना ही है और जमीन का बढ़ता भाव देख कर लोगों को दड़बों में रहना पड़ेगा. उन्हें उन बागों व जंगलों में सांस लेने की जगह मिल जाए तो यह सुकून वाली बात होगी. इन छोटेबड़े जंगलों से पौल्यूशन निकलेगा नहीं, खत्म होगा.

अब यह देश की औरतों पर निर्भर है कि वे इस मुद्दे को कितना समझें और कितना लैंड मोनेटाइजेशन का अर्थ समझें. आज तो यह समझ लें कि सरकारी दफ्तर के आगेपीछे खाली जगह उन्हें सांस देती है, बिक जाने के बाद इंचइंच जगह पर कुछ बहुमंजिला बन जाएगा जो गला घोंट जहर उगलेगा. आदमियों को अब फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें बच्चे नहीं पालने होते, उन के खेलने की जगह नहीं ढूंढ़नी होती. सरकार लैंड मोनेटाइजेशन नहीं कर रही, लैंडपौइजनेशन कर रही है जिस का सीधा शिकार औरतें और बच्चे होंगे.

ये भी पढ़ें- धर्म की रक्षा में अपनों की बलि

Travel Special: रोमांच से भरपूर ओडिशा

यदि आप किसी ऐसी जगह घूमने जाना चाहते हैं, जहां भीड़भाड़ से दूर शांत समुद्री किनारा हो, घने जंगल हों तथा पारंपरिक वास्तुकला के प्रतीकों की भी भरमार हो तो आप को ओडिशा जाना चाहिए. प्राचीन कला और परंपरा की विरासत से, संपन्न इस राज्य के निवासी बहुत ही मिलनसार और भले हैं.

ओडिशा के 3 प्रमुख स्थान भुवनेश्वर, पुणे तथा कोणार्क पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं. भुवनेश्वर की ख्याति सिर्फ इसलिए नहीं है कि यह ओडिशा की राजधानी है, बल्कि इसलिए भी है कि यह अपनी वास्तुकला का महत्त्वपूर्ण केंद्र है. सदियों पूर्व कोटिलिंग नाम से पहचानने वाला यह नगर मंदिरों, तालाबों और  झीलों का शहर ही कहा जाता है.

भुवनेश्वर नगर के 2 भागों में बांट कर देखा जा सकता है. प्रथम आधुनिक भुवनेश्वर और द्वितीय प्राचीन भुवनेश्वर. आधुनिक भुवनेश्वर वह है जो हाल के दशकों में राजधानी के रूप में निखर कर सामने आया है और प्राचीन भुवनेश्वर वह है जो इस आधुनिक भुवनेश्वर से थोड़ा अलग दिखता है. प्राचीन भुवनेश्वर में ही ओडिशा की संस्कृति सुरक्षित व संरक्षित देखने को मिलती है. आधुनिक भुवनेश्वर अन्य प्रदेशों की अन्य राजधानियों जैसा ही है.

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सब से बड़ा मंदिर है. इसे भुवनेश्वर मंदिर भी कहते हैं. इस का कारण यह है कि इस मंदिर में विशाल शिवलिंग है. मंदिर के प्रांगण में भगवती का भी एक मंदिर है. मंदिर का विशाल शिवलिंग ग्रेनाइट पत्थर का बना है. स्थापत्य कला की दृष्टि से यह मंदिर बेजोड़ है.

नंदन कानन पार्क

भुवनेश्वर में नंदन कानन पार्क भी है. 400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह हराभरा पार्क है जिस में छोटी सी  झील, चिडि़याघर व अभयारण्य है.

ओडिशा का राज्य संग्रहालय नए और पुराने भुवनेश्वर के मध्य बना है. इस संग्रहालय में मध्यकालीन दुर्लभ ताम्र पत्रों की पांडुलिपियां, कलाकृतियां, शिलालेख आदि का संग्रह किया गया है.

भुवनेश्वर की धौली पहाड़ी सम्राट अशोक के हृदयपरिवर्तन की कहानी कहती है. यहीं कलिंग युद्ध के बाद हृदयपरिवर्तन होने पर अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था. इस पहाड़ी पर एक शांति स्तूप बना है. स्तूप के चारों ओर बुद्ध की 4 विशाल प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं. पहाड़ी की ढलान पर मार्ग के दोनों ओर काजू के वृक्षों की हरियाली मनमोहक लगती है. पहाड़ी के निचले भाग में दूर तक नारियल के बाग फैले नजर आते हैं.

ऐतिहासिक स्थल

शिशुपालगढ़ में ओडिशा की पुरानी राजधानी थी. यह एक ऐतिहासिक स्थल है. यहां प्राचीनकाल पुरातात्विक अवशेष देखे जा सकते हैं

भुवनेश्वर में ही खंडगिरि की गुफाएं हैं. खंडगिरि जैनियों का पवित्र तीर्थ है. यहां सघन वृक्षों की बहुतायत है. पहाड़ी पर 2000 वर्र्ष पुरानी अनेक गुफाएं हैं, जिन में कभी जैन साधू निवास करते थे. यहां जैन आचार्य पारसनाथ का मंदिर है. यह मंदिर हरेभरे वृक्षों के मध्य बना है. एक ही पत्थर पर तराश कर यहां शिल्पियों ने 24 तीर्थकरों की मूर्तियां गढ़ी हैं.

खंडगिरि की पहाडि़यों के निकट ही उदयगिरि की गुफाएं हैं. उदयगिरि बौद्धों का पवित्र स्थान है. यहां बौद्धकालीन अनेक गुफाएं हैं, जिन का निर्माण पहाडि़यों को काट कर किया गया था. प्रत्येक गुफा में कई कोठरियां, आंगन और बरामदे हैं. इन में बौद्ध भिक्षु रहते थे.

जगन्नाथपुरी

यों तो पुरी की गणना भारत के चारों धामों में होती है, किंतु हरेभरे बागों, सदाबहार वनों, लहलहाती  झीलों, हिलोरें लेता समुद्र आदि ने पुरी को प्रकृति का सुंदर पर्यटन स्थल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. समुद्र तट तो विश्व के सुंदरतम समुद्र तटों में से एक है. पुरी अंधविश्वास के चलते भक्तों के आकर्षण का केंद्र है जहां पाखंड खूब फूलताफलता है.

पुरी का प्राचीन नाम पुरुषोत्तम क्षेत्र और श्री क्षेत्र भी मिलता है. 12वीं शताब्दी में नरेश चोड़गंग ने यहां जगन्नाथ का एक विशाल मंदिर बनवाया था, तभी से यह जगन्नाथ पुरी के नाम से प्रसिद्ध है, जिसे आजकल संक्षिप्त में ‘पुरी’ कहा जाता है.

जगन्नाथ मंदिर शिल्प की दृष्टि से बेहद आकर्षक एवं महत्त्वपूर्ण है, मंदिर के 4 द्वार हैं. पूरब का सिंह द्वार सब से अधिक सुंदर है जिस की दोनों ओर 2 सिंह मूर्तियां हैं. सिंह द्वार के सामने काले पत्थर का सुंदर गरुड़ स्तंभ है, जिस पर सूर्य सारथी अरुण की प्रतिमा है. मंदिर का दक्षिण में अश्व द्वार, उत्तर में हाथी द्वार और पश्चिम में बाघ द्वार है. द्वारों का नामकरण उन के निकट स्थित जानवरों की मूर्तियों के नाम पर किया गया है. मंदिर में पहले दलितों और शूद्रों का प्रवेश मना था पर अब कोई रोकटोक नहीं है.

मुख्य मंदिर के अंदर पश्चिम की ओर एक रत्नवेदी पर सुदर्शन चक्र है, स्थापत्य कला की दृष्टि से मंदिर के 4 भाग हैं- पहला भाग भोग मंडप है, दूसरा भाग नृत्य मंडप है, जहां पर भक्तगण नृत्य करते हैं, तीसरा भाग जगमोहन मंडप कहलाता है, जहां दर्शक बैठते हैं. इस मंडप की दीवारों पर नरनारी की अनेक कलाकृतियां बनी हैं. चौथा भाग मुख्य मंडप है. ये चारों मंडप परस्पर मिले हुए हैं ताकि एक से दूसरे मंडप में आसानी से प्रवेश किया जा सके. मंदिर की व्यवस्था में हजारों लोग रहते हैं और मंदिर को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों की आय होती है. मंदिर में प्रवेश करते समय पंडों के चंगुल से बच कर रहें.

सुनहरी धूप में चमकता पुरी का समुद्र तट बेहद लुभावना लगता है. यहां सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लहरों में किरणों की  िझलमिलाहट का अनोखा आनंद है.

भुवनेश्वर से पुरी के लिए बसें मिलती हैं पर टैक्सी करना ही ज्यादा ठीक है.

कोणार्क

ओडिशा के आकर्षक शांत और रेतीले समुद्र तट पर एक नदी बहती है चंद्रभाग. बलखाती चंद्रभागा के एक तट पर स्थित है कोणार्क. कोणार्क ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है.

कोणार्क का सूर्य मंदिर तो उड़ीसी शिल्प कला का चरम उत्कर्ष है, जिसे देख कर लगता है कि मानों पत्थर में जीवन का संचार कर दिया गया हो. संपूर्ण सूर्र्य मंदिर के निर्माण में सूर्र्य के पौराणिक स्वरूप की कल्पना को रूपायित किया गया है. इस मंदिर का शिलान्यास 9वीं सदी में केसरी वंश के किसी राजा ने किया था. तत्पश्चात 13वीं शताब्दी में गंगवंशीय राजा नरेश सिंह देव (प्रथम) ने उस का पुनरुद्धार करा कर वर्तमान रूप दिया था.

सूर्य मंदिर के नाट मंडप में अनेक अलंकृत मूर्तियां उकेरी गई हैं. नृत्य की मुद्रा में चित्रित इन मूर्तियों को देखकर लगता है मानों उन के पैरों के नूपुरों की ध्वनि अभीअभी स्तब्ध हुई हो. इसी मंडप में गजशादूर्ल की विचित्र रचनाएं भी दर्शनीय हैं. मंदिर के गर्भगृह में भी विभिन्न कलाकृतियां हैं, जिन में जीवजंतुओं देव, किन्नर, गंधर्व, अप्सराओं आदि की मूर्तियों के अलावा मिथुनरत नरनारी की भी उत्तेजक मुद्राएं शिल्पित की गई हैं.

अन्य उल्लेखनीय कलाकृतियों में प्रेम और युद्ध, शिकार और शिकारी, जंगली हाथियों को पकड़ना सद्शिक्षा, बालजन्म, सुरा सुंदरी आदि की आकर्षक मुद्राएं अंकित हैं. अगर गाइड अच्छा हो और बच्चे साथ न हों तो मूर्तियों का विवरण काफी रोचक हो जाता है.

कोणार्क मंदिर के निकट ही कोणार्क म्यूजियम है. इस म्यूजियम में दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रहीत किया गया है. यह म्यूजियम भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा स्थापित किया गया है.

कोणार्क के शांत रेतीले समुद्र तट पर पिकनिक का आनंद लिया जा सकता है. यह तट कोणार्क मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर है. यहां से सूर्योदय का लुभावना दृश्य देखा जा सकता है.

कैसे जाएं

भुवनेश्वर एयरपोर्ट ठीकठाक है और हर एयरलाइंस से जुड़ा है. रेल द्वारा भी पहुंचा जा सकता है. रेल पुरी तक भी जाती है. यदि पुरी उतरें तो बस द्वारा 2 घंटे में भुवनेश्वर आ सकते हैं. कोणार्क भुवनेश्वर से 65 किलोमीटर और पुरी से 35 किलोमीटर दूर है. भुवनेश्वर दिल्ली से 2063 कि.मी. चैन्नई से 1222 किलोमीटर, हैदराबाद से 1170 किलोमीटर व कोलकाता से 469 किलोमीटर दूर है. राष्ट्रीय राजमार्ग 5 द्वारा भुवनेश्वर कोलकाता, रांची, रायपुर, दुर्गापुर, विशाखापट्टनम तथा टाटानगर से जुड़ा है. आजकल सड़कें अच्छी हैं. टैक्सी करने या अपनी कार हो तो पर्यटन का आनंद कई गुना बढ़ जाता है.

ये भी पढ़ें- Travel Special: 5 रोमांटिक हनीमून डैस्टिनेशन

अशनूर कौर के18th बर्थडे पार्टी पर कुछ इस लुक में पहुंची TV हसीनाएं

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है की छोटी नायरा से लेकर पटियाला बेब्स से पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस अशनूर कौर हाल ही में 18 साल की हो गई हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में हैं. वहीं अपने बर्थडे पर खुद को दिए गिफ्ट की चर्चा सोशलमीडिया पर हो रही है. दरअसल, एक्ट्रेस ने 18 साल की उम्र में खुद की कमाई से 45 लाख की महंगी गाड़ी खरीदी है. हालांकि इस हम अशनूर की कमाई या गाड़ी की नहीं बल्कि उनकी बर्थडे पार्टी की बात करने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

अशनूर का बर्थडे में खास था अंदाज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ashnoor Kaur (@ashnoorkaur)

हाल ही में एक्ट्रेस अशनूर कौर ने अपना 18वां बर्थडे सेलिब्रेट किया था, जिसमें उनकी फैमिली के साथ-साथ टीवी इंडस्ट्री की हसीनाएं भी नजर आईं. वहीं एक से बढ़कर एक लुक में एक्ट्रेसेस के जलवे देखने को मिले. फैंस को एक्ट्रेसेस के लुक्स बेहद खूबसूरत लगे. वहीं बर्थडे गर्ल के लुक की बात करें तो पिंक कलर के गाउन में अशनूर बेहद स्टाइलिश और खूबसूरत लग रही थीं. फैंस उनके इस लुक पर फिदा हो गए हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ashnoor Kaur (@ashnoorkaur)

शिवांगी जोशी भी आईं नजर

अशनूर कौर की बर्थडे पार्टी में कई टीवी सितारे नजर आए, जिनमें एक्ट्रेस शिवांगी जोशी का नाम भी शामिल है. ब्लैक कलर के आउटफिट में एक्ट्रेस शिवांगी जोशी सिंपल लेकिन एलिगेंट लुक फ्लौंट करती दिखीं. वहीं बाकी सितारो की बात करें तो गुड्डन तुमसे ना हो पाएगा एक्ट्रेस कनिका मान भी हौट लुक में नजर आईं. ब्लैक कलर की औफ शोल्डर ड्रैस में कनिका मान अपने हुस्न के जलवे बिखेरती दिखीं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charrul Malik (@charulmalik)

बता दें, एक्ट्रेस अशनूर कौन कई टीवी सीरियल्स का हिस्सा रह चुकी हैं. लेकिन सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है और पटियाला बेब्स में अपने रोल के लिए आज भी फैंस के दिलों पर राज करती हैं और अक्सर सोशलमीडिया पर वायरल होती रहती हैं.

ये भी पढ़ें- YRKKH: अक्षरा-अभिमन्यू की शादी के बाद वायरल हुआ Shivangi Joshi का साड़ी लुक

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें