Family Story in Hindi: परिवार हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है, जो हर सुख-दुख में आपका सपोर्ट सिस्टम बनती है. साथ ही बिना किसी के स्वार्थ के आपका परिवार साथ खड़ा रहता है. इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आये हैं गृहशोभा की 10 Best Family Story in Hindi. रिश्तों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जो आपके दिल को छू लेगी. इन Family Story से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके रिश्ते को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौक तो पढ़िए Grihshobha की Best Family Story in Hindi.
1. थोड़ा दूर थोड़ा पास : शादी के बाद क्या हुआ तन्वी के साथ
पढ़ीलिखी मौडर्न तन्वी को ब्याह कर विजित उसे अपने घर तो ले आया मगर फिर घर में अजीबोगरीब घटनाएं होने लगीं और फिर एक दिन…
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2. घूंघट में घोटाला: दुल्हन का चेहरा देख रामसागर को क्यों लगा झटका
रामसागर ने बमुश्किल नजरें उठायीं. लड़की के सिर पर गुलाबी पल्ला था. आधा चेहरा ही रामसागर को नजर आया. चांद सा. बिल्कुल गोरा-गोरा. रामसागर ने धीरे से गर्दन हिला कर अपनी रजामंदी जाहिर कर दी.
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3. बंदिनी: रेखा ने कौनसी कीमत चुकाई थी कीमत
बंदिनी समान जीवन जीना और फिर मृत्यु को गले लगाना ही रेखा की नियति बन गई थी. पर जिस रिहाई की कीमत रेखा ने चुकाई थी, क्या वह उसे कभी मिल पाई?
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4. लड़की: क्या परिवार की मर्जी ने बर्बाद कर दी बेटी वीणा की जिंदगी
मां हो कर मैं ने अपने बेटों को लाड़ दिया और बेटी को तिरस्कार. बेटों को स्वच्छंदता दी और बेटी को पाबंदियों का पिंजरा. उस के हर अरमान व फैसलों पर कुठाराघात किया. हमारी परवरिश के चलते ही शायद आज वीणा की जिंदगी इस झंझावत में उलझ गई थी. सारा दोष मेरा ही था.
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5. सिसकता शैशव: मातापिता के झगड़े में पिसा अमान का बचपन
मासूम सा बचपन, मन में अनगिनत सवाल. सब अनबुझे. अमान का अबोध बचपन मातापिता के झगड़े के बीच में पिस कर रह गया. उस के सिसकने, रोने को कोई भी समझ नहीं पा रहा था .
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6.एक से बढ़कर एक: दामाद सुदेश ने कैसे बदली ससुरजी की सोच
दकियानूसी खयाल के अपने ससुरजी को जगाने के लिए दामाद सुदेश ने ऐसी कौन सी युक्ति निकाली कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी…
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7. शरशय्या: त्याग और धोखे के बीच फंसी एक अनाम रिश्ते की कहानी
कौन सा था वो अनाम रिश्ता जिसे वो इला से छिपा रहा था ताकि उन का रिश्ता लहूलुहान न हो.
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8.उस रात: कौनसा हादसे के शिकार हुए थे राकेश और सलोनी
2 महीने बीत जाने के बाद भी जब राकेश व सलोनी का कुछ पता नहीं चला तो सभी ने यह समझ लिया कि वे दोनों किसी दूसरे शहर में जा कर पतिपत्नी की तरह रह रहे होंगे.
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9.अपनी ही दुश्मन: कविता के वैवाहिक जीवन में जल्दबाजी कैसे बनी मुसीबत
कविता भी एकदम गजब लड़की थी. उसे हर बात की जल्दी रहती थी. बचपन में उसे जितनी जल्दी खेल शुरू करने की रहती थी, उतनी ही जल्दी उस खेल को खत्म कर के दूसरा शुरू करने की रहती थी.
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10. कभी नहीं: क्या गायत्री को समझ आई मां की अहमियत
किसी तरह भावी सास को विदा तो कर दिया गायत्री ने परंतु मन में भीतर कहीं दूर तक अपराधबोध सालने लगा, कैसी पागल है वह और स्वार्थी भी, जो अपना प्रेमी तलाशती रही उस इंसान में जो अपना विश्वास टूट जाने पर उस के पास आया था.