रेतीली चांदी- भाग 4: क्या हुआ था मयूरी के साथ

अब मयूरी को अपनी मां व बहन की फिक्र सताने लगी थी. कहीं राहुल के गुर्गे उन्हें वहां परेशान न करें. पर चोरों के पैर ही कहां होते हैं. वहां जाने की उन की शायद ही हिम्मत होती. मां तो सोच रही होंगी, बेटी फ्रांस में आराम से अपने पति के साथ है और वह यहां पर. उन्हें हकीकत से दोचार कराना भी बहुत जरूरी था. सो, उस ने विस्तार में न जा कर संक्षेप में केवल अपनी सलामती, राहुल की असलियत व अपने सऊदी अरब में खान चाचा के परिवार के साथ रहने की पूरी खबर के साथ ही उन का पता व बाकी बाद में आ कर बताने के लिए लिख कर पत्र भेज दिया था.

रहने के लिए उसे खान चाचा ने छत दी ही थी. मयूरी अपना खर्च भी उन्हीं के ऊपर नहीं थोपना चाहती थी. सो, उस के बहुत अपील करने पर खान चाचा ने एक सीनियर डाक्टर की सिफारिश ले कर उसे अस्पताल में ही स्टोरकीपर की नौकरी दिलवा दी. जिस से उस की आर्थिक समस्या कुछ हद तक सुलझ गईर् थी. बीचबीच में वह भारतीय दूतावास से संपर्क कर के अपने पासपोर्ट आदि के बारे में पता करती रहती थी. दूतावास ने अपने लैवल पर इस पूरी घटना की छानबीन करवानी शुरू कर दी थी. घर से बाहर निकलते समय मयूरी हमेशा बुर्के में ही रहती, ताकि कहीं फिर वह उन लोगों के चंगुल में न फंस जाए.

सना से, जो लगभग उसी की हमउम्र थी, मयूरी की अच्छी दोस्ती हो गई थी. जल्द ही वे दोनों एकदूसरे की हमराज भी बन गईं. कट्टरपंथी पारिवारिक माहौल के कारण सना घर में बहुत कम बोलने वाली व धर्मभीरु लड़की मानी जाती थी. परंतु मयूरी के सामने वह अपने दिल का हर राज बेहिचक खोल देती. रूढि़वादी परंपराओं से बंधी मां के सामने जो बात वह इतने दिनों तक न कह सकी थी, मयूरी को जानते देर न ली कि वह एक मुसलिम युवक से बेइंतहा प्यार करती है और उसी से विवाह करना चाहती  है.

उस की यह बात सुन कर मयूरी पूछ उठी, ‘‘तो मुश्किल क्या है? जब तुम्हारी जातबिरादरी एक है तो खान चाचा मान ही जाएंगे.’’

‘‘नहीं मयूरी आपा, वे कभी नहीं मानेंगे. क्योंकि उन्होंने बचपन में ही मेरी शादी खालाजान के साहबजादे रशीद से तय कर दी थी. और वे अपनी जबान

के बेहद पक्के हैं. पर मुझे वह रशीद एक आंख नहीं भाता. मेरा शिराज

उस से कहीं ज्यादा हसीन और अमीर है. कहां तेल मसालों की दुकान पर बैठा गंधाता रशीद, कहां इत्र की भीनीभीनी खुशबुओं में डूबा शिराज.’’

‘‘देखो सना, जहां तक मैं खान चाचा को समझी हूं, वे बहुत ही नेक और रहमदिल इंसान हैं. जब तुम जानती हो कि वे अपनी जबान के पक्के हैं तो गलत रास्ते पर बढ़ ही क्यों रही हो? रशीद से तुम्हारी शादी उन्होंने कुछ सोचसमझ कर ही तय की होगी. खूबसूरती केवल तन की ही नहीं, मन की भी होती है. हो सकता है जो उन्होंने देखा हो, वह तुम नहीं देख पा रही हो. आखिर वे तुम्हारे पिता हैं, तुम्हारा बुरा थोड़े ही चाहेंगे,’’ मयूरी उसे समझाती हुई बोली.

‘‘क्यों, मैं क्या नन्ही बच्ची हूं. अब मैं भी बालिग हो गई हूं और हमें अपनी मरजी से शादी करने का हक है. अब्बूजान अगर जिद करेंगे तो मैं भी उन्हीं की बेटी हूं, बगावत कर दूंगी या घर से भाग कर उस से निकाह कर लूंगी.’’

उसे जनून की हद तक शिराज की दीवानी देख मयूरी मन ही मन परेशान हो उठी. पर उसे डांटती हुई बोली, ‘‘मोहब्बत का मतलब भी समझती हो, मोहब्बत ऊपर उठना सिखाती है, न कि नीचे गिरना. खबरदार, तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगी. पहले उन्हें सबकुछ सचसच बताओ और राजी करने की कोशिश करो. जिन मांबाप ने तुम्हें पालपोस कर इतना बड़ा किया है, तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी की है, घर से भाग कर उन के मुंह पर कालिख पोतते तुम्हें जरा भी शर्म न आएगी? कितने दिनों से जानती हो उसे?’’

‘‘लगभग सालभर से, वह बहुत शरीफ लड़का है आपा. खानदानी रईस है, मगर घमंड जरा भी नहीं है.’’

‘‘करता क्या है?’’ मयूरी ने उसे और कुरेदते हुए पूछा.

‘‘कई कोठियां हैं कनाड़ा, पेरिस आदि में. यहां भी 2 कोठियां हैं. उन का किराया ही काफी आ जाता है. मैं ने बताया न, खानदानी रईस है. कुछ काम करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. हर महीने जमा होने वाले किराए का ब्याज ही काफी हो जाता है,’’ वह गर्व से बोली.

‘‘यानी निठल्ला है. बापदादाओं के पैसे पर ही ऐश कर रहा है. अपना कोई कामधाम नहीं है.’’

‘‘रहने दो मयूरी आपा, अब आप भी अम्मीजान की जबान मत बोलो. एक बार मैं ने अपनी एक सहेली की आड़ ले कर इस बारे में मां से बात की थी. तब वे भी कुछ ऐसे ही बोली थीं,’’ सना रूठते हुए बोली.

तो मयूरी उसे मनाती सी बोल उठी, ‘‘अच्छा लाड़ो रानी, हमें दिखाओ तो कौन है वह? कैसा है? अच्छा लगा तो मैं खुद खान चाचा से बात करने की कोशिश करूंगी. लेकिन यह घर से भागनेवागने की बात तुम अपने जेहन से बिलकुल निकाल दो, ठीक है?’’

‘‘ठीक है, मंजूर. पर मेरे पास उस का कोई फोटो तो है नहीं. हां, आप को उस से मिलवा सकती हूं,’’ सना खुश हो कर बोली.

मयूरी ने उस से खान चाचा से बात करने के लिए कह तो दिया पर वह समझ रही थी कि ये सब कितना मुश्किल होगा. अपनी दी हुई जबान से पलटना उन के लिए मौत से कम तकलीफदेह न होगा. पर सना को भी वह इस राह पर बढ़ने से कैसे रोके?

सना तो अभी नादान है. उम्र के उस पड़ाव पर है जब मन अपने ही ख्वाबों की दुनिया में खोया रहता है. उस में किसी की दखलंदाजी उसे नागवार गुजरती है. दुनिया की ऊंचनीच से अनजान सना को शिराज पर पूरा भरोसा था. क्या पता वह रशीद से बेहतर जीवनसाथी ही साबित हो, पर खान चाचा की दी हुई जबान? एक बार वह शिराज से मिल कर उसे पूरी हालत बता कर सना को समझाने के लिए अपील तो कर ही सकती है. शायद शिराज ही मान जाए और पीछे हट जाए. तब तो कोई दिक्कत ही नहीं बचेगी. फिर वह सना को भी समझाबुझा कर खान चाचा की पसंद से ही निकाह करने के लिए राजी कर लेगी. पर शिराज उस की बात मानेगा ही क्यों…?

जिस परिवार ने विषम परिस्थितियों में उसे सहारा दिया, उस की इज्जत बनाए रखना अब उस की जिम्मेदारी हो गई थी. किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए पहले शिराज से मिलना जरूरी था.

अगले 2-3 दिनों बाद ही सना ने मयूरी को बताया कि कल वह उसे शिराज से मिलाने ले चलेगी.

‘‘कोई फोन तो आया नहीं, मिलने का प्रोग्राम कैसे तय किया?’’ बात की तह तक जाने के लिए मयूरी उत्सुक थी.

‘‘हमारी कामवाली फरीदन उसी की कोठी के पास एक गली में रहती है. जब हमें मिलना होता है, फरीदन के हाथ ही एक कागज पर जगह व समय लिख कर भेज देते हैं,’’ सना भेदभरी धीमी आवाज में उसे अपना राजदार बनाती बोली.

‘‘ओह,’’ सबकुछ जान कर मयूरी हैरान रह गई थी कि फरीदन भी इस में एक कड़ी का काम कर रही थी.

अगले दिन वे दोनों बाजार तक जाने के लिए कह कर तय जगह व समय से थोड़ा पहले पार्क में पहुंच गईं. पहले दूर से ही बिना उसे बताए शिराज को देखनेपरखने, फिर अपनी राय देने के लिए सना को समझा कर मयूरी कुछ ही दूर पड़ी दूसरी बैंच पर बैठ गई.

बुर्का पहने होने से वह आसानी से अपनी पहचान छिपाए रखे थी, सबकुछ देखती रह सकती थी. उन्हें बैठे हुए 10 मिनट ही हुए थे. जब वह सना की तरफ देख रही थी, तभी उस की साइड से एक युवक निकल कर सना की तरफ बढ़ता दिखाई दिया. शायद यही शिराज था, क्योंकि उसे देखते ही सना का चेहरा फूल सा खिल उठा था. पर अभी वह उस की पीठ ही देख पा रही थी.

रेशमी चूड़ीदार व लंबी कढ़ी हुई अचकन उस की अमीरी बयां कर रही थी. सना को आदाब करता शिराज जैसे ही उस की बगल में बैठा, उस के चेहरे पर निगाह पड़ते ही मयूरी बुरी तरह चौंक उठी, क्योंकि शिराज के भेष में राहुल उस के सामने एक लाल मखमली डब्बी खोल कर मुसकराते हुए सना को कुछ तोहफा दे रहा था.

मयूरी का दिल चाहा अभी जा कर सना को उस की असलियत बता कर उसे वहां से उठा लाए. पर उठतेउठते, ठिठक कर वह फिर बैठ गई. उस के पास शिराज के ही राहुल होने का क्या सुबूत था. इस तरह उस के कहने मात्र से सना उस पर भला क्यों यकीन करेगी. सना मानेगी नहीं और राहुल भी चौकन्ना हो जाएगा. शहर से गायब भी हो सकता है या उसी को कुछ नुकसान पहुंचा सकता है.

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रेतीली चांदी- भाग 6: क्या हुआ था मयूरी के साथ

ताला तोड़ कर जब दरवाजा खोला गया तो एक पतलासंकरा सा गलियारा अंदर जाता दिखा. कुछ पुलिस वाले उस में से होते हुए अंदर बढ़ने लगे. अंदर चारों तरफ गंदगी व सीलन की बदबू फैली थी. कुछ दूर चलने पर वह गलियारा एक छोटे से कमरे में खुला. वहां बेडि़यों में जकड़ी, कोड़ों की मार से पड़ीं नीलीलाल धारियों वाली जख्म खाई, अर्धबेहोश सी 3 युवतियां बेहद दीनहीन हालात में, ठंडे नंगे फर्श पर पड़ी मिलीं.

कमरे में लोगों ही आहट पा कर उन की आंखों में खौफ की छाया उभर आई थी. पर उन की बेडि़यां खोल, उन के हमदर्द होने का यकीन दिलाते वे लोग एकएक कर के उन्हें किसी तरह सहारा दे कर बाहर लाए. बाहर आते ही उन्होंने खाना व पानी मांगा तो तुरंत ही जूस आदि की व्यवस्था कर के खाना खिलवाया गया. उन्हें तो यह भी याद नहीं था कि कितने दिनों बाद आज उन्हें कुछ खानापीना नसीब हुआ था.

उन्हीं में से एक पांखी थी. उस का सूजा हुआ मुंह व जिस्म पर जगहजगह जलती सिगरेट से दागे जाने के अनगिनत निशान, उस पर हुए क्रूर जुल्मों की दास्तान खुद ही बयान कर रहे थे. उस के कुछ संभलने पर मयूरी उस के गले से लिपट बुदबुदा उठी, ‘‘मुझे माफ कर दो पांखी, मेरे कारण तुम्हें कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ी हैं, मुझे माफ कर दो. तुम्हारी बेटी कहां है? यहां हमें कहीं नहीं मिली?’’

‘‘बीमार पड़ गई थी इस गंध से. छुटकारा पा कर दुनिया से चली गई,’’ बुझी हुई आवाज में पांखी धीरे से बुदबुदा उठी.

‘‘ओह, आई एम सौरी. मगर इलाज नहीं कराया?’’

पर तब तक अर्धबेहोश सी पांखी फिर बेहोश हो चुकी थी. एंबुलैंस आते ही तीनों युवतियों को अस्पताल भिजवा कर उन्हें मैडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं.

गिरफ्तार लोगों से पुलिस ने अभिरक्षा में कड़ी पूछताछ शुरू कर दी थी. उन की निशानदेही पर ही भारतीय दूतावास को सूचित कर के देहरादून स्थित उन के औफिस का मैनेजर व उस का सहायक भी तुरंत वहीं गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए और औफिस सीलबंद कर दिया गया. उन पर भारत में ही मुकदमा चलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई. अब मयूरी को समझ आ रहा था कि क्यों सारा उस की छुट्टियां इतनी आसानी से सैंक्शन करवा देती थी और जो लड़कियां सारा के बहकावे में नहीं आती थीं, उन से बेहद कठोरता से काम लिया जाता था.

युवतियां बहलानेफुसलाने व बरगला

कर बेचने वालों के रैकेट का

परदाफाश होते ही उन के बचेखुचे साथी भी एक के बाद एक पकड़ लिए गए थे. जिन्हें समय से भनक लग गई वे फरार हो गए थे, परंतु उन की खोजबीन जारी थी. पूरे शहर में यह खबर आग की तरह फैल चुकी थी. अगले दिन के अखबार के मुख्यपृष्ठ की सुर्खियों में यही खबर उन लोगों की फोटो सहित छपी.

तब मयूरी, सना के सामने अखबार रखती हुई बोली, ‘‘अब देख सना, यह है तुम्हारे शिराज उर्फ मेरे राहुल की असलियत. मैं ने कहा था न, अभी सीरत परखनी बाकी है.’’

पूरी खबर पढ़ कर सना पागल सी बैठी रह गई थी. वह शिराज को क्या समझती रही और वह क्या निकला. कहीं वह उस की बातों में आ कर घर से भाग गई होती तो…? अपना संभावित हश्र सोच कर वह मन ही मन कांप उठी. एकाएक उस ने झुक कर मयूरी के पैर पकड़ लिए.

आंसूभरी आंखों से मयूरी को देखती, लरजती आवाज में बोली, ‘‘प्लीज आपा, आप घर में किसी को कुछ न बताइएगा.’’

‘‘पागल हुई है,’’ एक मीठी झिड़की देते मयूरी ने उसे उठा कर अपने पास बैठा लिया.

‘‘आप उसे पहले दिन ही पहचान गई थीं न, तभी क्यों नहीं बता दिया?’’

‘‘क्या तब तुम मेरी बात का यकीन करतीं? उलटे, उसी से सवाल करतीं,’’ मयूरी बोली.

‘‘शायद नहीं,’’ कुछ सोचती सी सना बोली.

‘‘बस, इसीलिए नहीं बताया. तब मेरे पास कोई सुबूत नहीं था. पर आज मैं तुम्हें उसी के राहुल होने का सुबूत दिखा सकती हूं,’’ कह कर मयूरी ने पिछले दिन ही पहुंचे अपनी शादी के फोटोग्राफ्स उसे दिखाए, और गौर से चेहरा देखती पूछ बैठी, ‘‘मेरे खयाल में अब तुम्हें बताने की जरूरत तो नहीं कि रशीद के बारे में तुम्हें क्या फैसला लेना है?’’

‘‘बिलकुल नहीं आपा, आप बेफिक्र रहिए. मेरी आंखें खुल गई हैं. अब्बू की जबान ही अब मेरी जिंदगी है.’’

तहखाने से बरामद युवतियों का सरकारी खर्च पर इलाज करा कर उन्हें उन की पसंद की जगह हिफाजत के साथ पहुंचवा दिया गया. पांखी को मयूरी अपने साथ ले आई. अपने भविष्य के प्रति चिंतित, निराश पांखी आत्मग्लानि में डूब गई थी. इतनी जिल्लतभरी जिंदगी जीने के बाद अब वह वापस मांबाप के पास लौटती भी है, तो क्या वे लोग उसे अपना लेंगे? पांखी के लिए यह सवाल था.

लोकलाज के बंधन ग्रामीण पर्वतीय समाज में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं. वह वापस जाने के लिए तैयार ही नहीं हो रही थी, ‘‘वापस किस मुंह से जाऊं. मैं तो बहकावे में आ कर घर से भागी थी. मांबाप के लिए तो मैं उसी दिन मर गई होऊंगी. अब वापस जा कर उन की परेशानियां और नहीं बढ़ाना चाहती.’’

‘‘घर से भागी, वह गलती तो तुम ने की ही थी. परंतु अब वापस न लौट कर एक और गलती मत करो. वे लोग तुम्हें बुराभला कहें भी, तो इसे सजा समझ कर सुन लेना. यह दुनिया भूखेभेडि़यों से भरी हुई है.’’

‘‘मुझे यकीन नहीं है कि वे लोग मुझे माफ करेंगे,’’ पांखी सिसकसिसक कर रोने लगी.

तो उसे चुप कराती मयूरी उस के आंसू पोंछती हुई बोली, ‘‘तुम घबराओ नहीं पांखी. मेरी मानो तो एक बार वहां चलो जरूर. कहो तो मैं भी तुम्हारे साथ चलूं, उन्हें समझाने की कोशिश करूंगी. अगर वे तुम्हें अपने साथ रखने को राजी नहीं हुए तो तुम मेरे साथ रहना. मैं सोच लूंगी, मेरी एक नहीं, 2 छोटी बहनें हैं.’’

मयूरी के बहुत समझाने पर पांखी को कुछ ढाढ़स बंधी.

पूरे गिरोह के खिलाफ कई पुख्ता सुबूतों व गवाहियों के आधार पर गिरोह के सदस्यों का जुर्म साबित होते देर नहीं लगी. और सब को जेल की सलाखों के पीछे उम्रकैद में डाल दिया गया

भारत में विदेश मंत्रालय के कुछ अधिकारी नकली पासपोर्ट बनाने के धंधे में शामिल पाए गए थे. वे गैरकानूनी ढंग से विदेश पहुंच चुके लोगों के पासपोर्ट जब्त कर के उन की फोटो के स्थान पर नए व्यक्ति की फोटो लगा कर फेरबदल कर देते थे, फिर वही पासपोर्ट दूसरे को दे दिया जाता था. इतने बड़े घोटाले का परदाफाश होने पर पूरा महकमा अंदर तक हिल गया था. दोषी व्यक्तियों को सस्पैंड कर देने के साथ ही उन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होने की मांग जोर पकड़ने लगी थी. इस बीच, जद्दा में मयूरी व पांखी के पासपोर्ट व वीजा आदि तैयार हो गए थे.

आखिर एक दिन वे दोनों खान चाचा के परिवार से भावभीनी विदाई ले कर, दिल में एकदूसरे की अनगिनत यादें समेटे, वापस इंडिया के लिए आसमान में उड़ चलीं. मयूरी ने शीशे से झांक कर एक आखिरी नजर नीचे डाली तो नीचे फैले विशाल समुद्र का अंतहीन रेतीला तट, सूरज की किरणों में चांदी की चादर सा चमकता नजर आ रहा था. पर आज वह इस मृगमरीचिका से दिग्भ्रमित नहीं हुई, क्योंकि वह इस रेतीली चांदी को खुद परख चुकी थी, जो, जब आंखों के सामने होती है तो मन को लुभाती है, छूनेसहेजने के लिए उद्यत कर देती है. पर उस के पास जाने पर जब वह पांव के नीचे आती है तो लहरों के बहाव के साथ पांव के नीचे से वह भी खिसक जाती है. और यदि वह हाथ में हो, तो मुट्ठी के बीच से फिसल जाती है. पीछे बचता है खाली हाथ.

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रेतीली चांदी- भाग 5: क्या हुआ था मयूरी के साथ

सना पर तो उस ने अपनी अमीरी व प्रेम का ऐसा रंग चढ़ा रखा है, जिस पर दूसरा रंग चढ़ना आसान न था. मगर अब मयूरी को जल्द ही इस का कोई हल निकालना ही था, वरना सना की जिंदगी बरबाद होते देर नहीं लगती. उसे याद आ रहा था जब मसूरी में राहुल उस से मिलता था तो इसी तरह अमीरी के दिखावे के साथसाथ बड़ी शराफत व नफासत के साथ उस से पेश आता था. उस में कोई छिछोरापन न पा कर ही मयूरी धीरेधीरे उस की हर बात पर खुद से ज्यादा यकीन करने लगी थी. यदि तब कोई उसे राहुल की असलियत बताता तो शायद वह भी उस पर यकीन न करती.

यहां तो सना उस के कहने का उलटा अर्थ भी निकाल सकती थी कि उस के पिता के एहसानों तले दबे होने से ही वह शिराज को उस की नजरों में गिरा कर रशीद से उस का निकाह कराना चाहती है. अपनी बात की सचाई साबित करने के लिए मयूरी के पास कोई पुख्ता सुबूत भी तो नहीं था, कोई फोटो तक न थी. फोटो से उसे ध्यान आया. यहां भले ही उस के पास फोटो न हो पर शादी के समय मां ने किसी से उन दोनों के कुछ फोटोज खिंचवाए थे. वहां से तो मिल ही सकते थे.

यही सब सोचतेसोचते उधेड़बुन में फंसी मयूरी को पता ही न चला कैसे आधा घंटा निकल गया. उस ने पलट कर सना की तरफ देखा. तब तक शिराज जा चुका था और सना उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही थी.

दूर से ही लाल डब्बी दिखाती आ रही सना ने पास आ कर डब्बी खोल कर डायमंड रिंग उसे दिखाते हुए बड़ी उम्मीद से उस से पूछा.

‘‘आप ने उन्हें देखा आपा? कैसे लगे?’’

‘‘हां, सूरत को ठीकठाक ही है. अभी सीरत परखनी बाकी है. एक बार और मिलना पड़ेगा,’’ उस की बात का गोलमोल जवाब देती मयूरी उसे असलियत भी तो नहीं समझा सकती थी.

एक जरूरी काम याद आने का बहाना कर के उस ने सना को घर भेज दिया और खुद हैड पोस्टऔफिस पहुंच कर जल्दी से जल्दी लौटती डाक से अपनी शादी के फोटोग्राफ्स भेजने के लिए मां को एक पत्र लिख कर वहीं पोस्ट कर दिया. पता अपने अस्पताल का दे दिया था. पत्र का जवाब आने में कम से कम 8-10 दिन तो लगने ही थे.

वहां से निकल कर वह भारतीय दूतावास के औफिस पहुंची, जहां उस ने अपना पासपोर्ट व वीजा बनवाने के लिए अप्लीकेशन दी हुई थी. भारतीय दूतावास ने भारत में विदेश मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों को इस पूरे प्रकरण की जानकारी दे दी थी जिस की उच्चस्तरीय जांच शुरू हो चुकी थी.

भारतीय दूतावास के अधिकारियों के लिए यह काफी सनसनीखेज घटना थी. क्योंकि मयूरी के अनुसार उस का पासपोर्टवीजा आदि 2 दिनों के अंदर ही तैयार हो गया था. जबकि संवैधानिक तरीके से पूरी प्रक्रिया में कम से कम 20-22 दिनों का समय लगता ही है. इस का मतलब उस ने कहीं से नकली पासपोर्ट बनवा कर पूरी यात्रा की थी और वे दोनों कहीं पकड़े भी नहीं गए. यानी कुछ बड़े अधिकारी भी इस घोटाले में कहीं न कहीं शामिल थे. फर्जी पासपोर्ट की कुछ शिकायतें पहले भी आ चुकी थीं. पर कोई पुख्ता सुबूत न होने से मामला लटका रहा. परंतु इस बार मयूरी की तरफ से रिपोर्ट कराते ही पूरा महकमा हरकत में आ गया था.

भारत में विदेश मंत्रालय को इस घोटाले की लिखित खबर मिलने पर सीबीआई को जांच सौंप दी गई. उस ने तुरंत ही देहरादून स्थित उस औफिस के बारे में छानबीन करनी शुरू कर दी. मयूरी की मां से मिल कर भी सीबीआई को अपनी तफ्तीश में काफी जानकारी मिल गई थी. शादी पर खींचे गए फोटोज से उन्हें राहुल की फोटो मिल गई. भारत में काफी जानकारी इकट्ठा कर के सीबीआई ने संबंधित अधिकारियों को पूरी रिपोर्ट भेज दी थी. जो जद्दा में काउंसलेट को स्थानांतरित करा दी गई थी. वहां की पुलिस ने इस की मदद से रैड एलर्ट घोषित करते हुए राहुल की फोटो सब थानों में भेज दी थी ताकि उसे पहचानने व पकड़ने में मदद मिल सके.

इस केस की जांच कर रहे अधिकारी को जब मयूरी ने राहुल की फोटो 8-10 दिनों में भारत से आ जाने की जानकारी दी तो उसे चकित करते हुए उन्होंने पहले ही सीबीआई द्वारा भेजी जा चुकी तसवीर उस के हाथ पर रख दी. इतनी तेजी से इन्क्वायरी होते देख उसे काफी तसल्ली हो गई थी. तभी उस ने राहुल के पकड़े जा सकने की उम्मीद का जिक्र भी कर दिया. सना का नाम बीच में लाए बिना उस ने बताया कि घर में काम करने वाली फरीदन के साथ उस ने राहुल को बाजार में देखा था. वह राहुल के सामने पड़ना नहीं चाहती थी, सो, उस समय कुछ नहीं बोली, पर फरीदन का पता वह कल तक उन्हें दे देगी, उस से राहुल का ठौरठिकाना मिल सकता है.

मयूरी को साथ ले जा कर उन लोगों ने वह भव्य इमारत भी खोज निकाली थी, जहां राहुल उसे छोड़ कर गया था. बिल्ंिडग की शिनाख्त करा के वहां खुफिया पुलिस के आदमी सादी ड्रैस में तैनात कर दिए गए थे, जो उस बंगले में हर आनेजाने वाले की कड़ी निगरानी करते थे.

घर आ कर मयूरी ने बातोंबातों में फरीदन से उस के घर का पता जान लिया था, जो उस ने फौरन अधिकारियों तक पहुंचा दिया. और उस के घर की निगरानी भी शुरू हो गई थी.

मयूरी ने सना को बिना कुछ बताए उस की तरफ से फरीदन की मारफत शिराज के पास अगले दिन उसी पार्क में आने के लिए मैसेज भिजवाया.

घर पहुंच कर फरीदन मैसेज का पुरजा राहुल को देने के लिए जैसे ही घर से निकली, बुर्कानशीं मयूरी सादे कपड़ों की पुलिस के साथ उस के पीछे चल पड़ी. गली से निकल कर वह एक मकान के सामने जा कर रुकी और दरवाजे की घंटी दबा दी. दरवाजा राहुल ने ही खोला था. फरीदन को देखते ही उसे अंदर कर के दरवाजा फिर बंद हो गया.

मयूरी से उसी के राहुल होने की शिनाख्त करा कर पुलिस वालों ने उस घर को चारों तरफ से घेर लिया. जैसे ही फरीदन ने वापस जाने के लिए कदम बाहर रखा, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही, कुछ पुलिस वाले धड़धड़ाते हुए अंदर घुस गए. पुलिस को देख राहुल ने भागने की कोशिश की किंतु जल्द ही उसे भी गिरफ्त में ले लिया गया. मकान की तलाशी लेने पर नीचे बने तहखानेनुमा स्टोर में एक युवती छिपी हुई मिली, जिसे मयूरी ने राहुल की बहन सारा के रूप में पहचान लिया, किंतु फरीदन के अनुसार, वह राहुल की प्रेमिका ऐना थी.

इधर इन लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही दूसरी टीम ने भव्य इमारत को भी घेर लिया था. और उस के चौकीदार, दरबान व कुछ कर्मचारियों के साथ ही अंदर मौजूद 2 शेखों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

इमारत से बरामद लोगों में पांखी व उस की बेटी को न पा कर मयूरी बेहद परेशान हो उठी. उस ने पांखी की बताई हुई कुछ जानकारियां अधिकारियों को बताईं, जिन के आधार पर उन्होंने पूरी इमारत का चप्पाचप्पा छान मारा, तब एक आदमकद शीशे के पीछे एक चोर दरवाजा मिला, जिस पर ताला पड़ा हुआ था.

आगे पढ़ें- गिरफ्तार लोगों से पुलिस ने…

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REVIEW: जानें कैसी है शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर की फिल्म ‘Jersey’

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः अल्लू अरविंद, दिल राजू प्रोडक्शन, सितारा इंटरटेनमेंट

लेखक व निर्देशकः गौतम तिन्नानुरी

कलाकारः शाहिद कपूर, पंकज कपूर,  मृणाल ठाकुर, रोनित कामरा,  गीतिका महेंद्रू, शिशिर शर्मा, रूद्राशीश मजुमदार व अन्य.

अवधिः दो घंटे पचास मिनट

तेलगू फिल्मकार गौतम तिन्नानुरी लिखित व निर्देशित तेलगू फिल्म ‘‘जर्सी’’ ने 2019 में सफलता  का जश्न मनाया था, जिसमें मुख्य भूमिका तेलगू सिनेमा के सुपरस्टार नानी ने निभायी थी. गौतम तुन्नारी अपनी उसी तेलगू फिल्म का हिंदी रीमेक ‘‘जर्सी’’ लेकर आए हैं, जिसमें मुख्य भूमिका शाहिद कपूर ने निभायी है. हिंदी फिल्म के संवाद सिद्धार्थ – गरिमा ने लिखे हैं. यह हिंदी रीमेक उस वक्त आयी है, जब बौलीवुड बनाम दक्षिण सिनेमा को लेकर बहस छिड़ी हुई है. फिल्म की कहानी क्रिकेट खेल की पृष्ठभूमि में पिता पुत्र, पति व पत्नी के अलावा  क्रिकेटर व उसके कोच के बीच के रिश्तों की  भावनात्मक यात्रा है.  फिल्म की कहानी उन 95 प्रतिशत असफल लोगो को ट्ब्यिूट के तौर पर  है, जिनकी कहानी बयां करने में किसी की रूचि नहीं होती.

 

कहानीः

कहानी शुरू होती है केतन तलवार द्वारा दुकान से अपने पिता पर लिखी गयी किताब ‘जर्सी’ को खरीदने से, जो कि वह इस किताब को पढ़ने के लिए बेताब एक लड़की को उपहार में दे देता है. क्योंकि दुकानों पर किताब बिक चुकी है. फिर जब वह लड़की पूछती है कि क्या वास्तव में इस किताब के नायक अर्जुन तलवार तुम्हारे पिता हैं. तब कहानी शुरू होती है चंडीगढ़ के एक सरकारी मकान से. जहां लगभग छत्तीस वर्षीय बेरोजगार अर्जुन तलवार (शाहिद कपूर) अपनी पत्नी विंद्या(  मृणाल ठाकुर ) व आठ सात वर्ष के बेटे केतन उर्फ किट्टू(रोनित कामरा ) के साथ रहते हैं. विद्या एक होटल में रिशेप्शनिस्ट हैं. किट्टू क्रिकेट खेलता है, उसे रोज सुबह उठकर खेल के मैदान पर अर्जुन लेकर जाता है. अर्जुन को क्रिकेट से जबरदस्त प्यार है. केतन के अंदर भी क्रिकेट को लेकर जुनून है. एक दिन केतन अपने पिता से जन्मदिन पर उपहार में जर्सी की मांग कर देता है. अपने बेटे को खुद से ज्यादा चाहने वाला अर्जुन क्या करे? पता चलता है कि अर्जुन कभी पंजाब टीम के सर्वाधिक सफल क्रिकेटर थे. उनके क्रिकेट खेल को देखकर मद्रासी विंद्या को उससे प्यार हुआ था और माता पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर अर्जुन से विवाह कर लिया था. पर 26 साल की उम्र मेंएक बड़ी वजह के चलते अर्जुन ने क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. इससे विंद्या व उनके कोच को तकलीफ हुई थी. उसे एफसीआई में नौकरी मिली थी, पर वहां से सस्पेंडेड चल रहे हैं और मामला कोर्ट में हैं. वकील का दावा है कि अर्जुन पचास हजार खर्च करे तो उसे एक दिन के अंदर पुनः नौकरी पर रख लिया जाएगा. पर घूस देना अर्जन को मंजूर नही. इन हालातो के चलते घर पर कर्ज हो गया है. कई माह से किराया नहीं दे पाए. उधर दुकान वाले ने कह दिया कि पांच सौ रूपए की जर्सी उधर मे नही देगा. बेटे को जर्सी दिलाने के लिए पांच सौ रूपए के लिए अर्जुन को काफी अपमानित होना पड़ता है. उधर उसके व्यवहार से पत्नी विंद्या भी झुंझलाहट में ही उससे बात करती है. सारे रास्ते बंद हैं. जन्मदिन पर बेटे को जर्र्सी न दिला पाने से वह खुद को सभी की नजरों से गिरा हुआ पाता है. फिर 36 साल की उम्र में अर्जुन पुनः क्रिकेट भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेलने के मकसद से खेल के मैदान में उतारता है. वह बेटे को कब जर्सी दिला पाएगा? भारतीय टीम के साथ क्रिकेट खेलेगा या नहीं, इन सवालों के जवाब के लिए फिल्म देखना ही बेहतर होगा.

लेखन व निर्देशनः

बेहतरीन पटकथा है, पर फिल्म में कई जगह कसावट की जरुरत थी. एडीटिंग टेबल पर इसे कसा जा सकता था. यह उनकी निर्देशकीय प्रतिभा का ही कमाल है कि उन्होने पिता पुत्र, क्रिकेटर व कोच के रिश्तों को भावनात्मक स्तर बहुत ही बेहतरीन तरीके से फिल्म में उकेरा है. क्रिकेट के खेल में जो रोमांच व रहस्य सदैव बना रहता है,  उसे निर्देशक फिल्म में पेश करने में विफल रहे हैं. क्रिकेट का रोमांच नजर नही आता. दर्शक की निगाहें क्रिकेट के मैदान की बजाय सिर्फ शाहिद के किरदार पर ही टिकी रहती हैं, यह भी निर्देशक व पटकथा की कमजोर कड़ी है. फिल्म मे जर्सी के प्रसंग को बेवजह तीस मिनट से भी अधिक समय तक खींचा गया है, इस वजह से फिल्म की लंबाई बढ़ गयी. कुछ संजीदा दृश्यों में भावनात्मक पक्ष को बनाए रखने में निर्देशक विफल रहे हैं. लेकिन निर्देशक पिता-पुत्र के बीच अपराजेय बंधन,  एक जोड़े का चट्टानी रिश्ता और अर्जन की आंतरिक यात्रा को परदे पर सही ढंग से उकेरने में सफल रहे हैं.

अभिनयः

अर्जुन के किरदार में शाहिद कपूर ने अपने अभिनय से साबित कर दिखाया कि उनके अंदर भरपूर अभिनय क्षमता है. क्रिकेट को अलविदा कहने, बेटे को जर्सी न दिला पाने की बेबसी , प्रेमिका व फिर पत्नी संग रोमांस से लेकर दोबारा क्रिकेट के मैदान में उतरने तक के भावों को अपने अभिनय से उकेर कर शाहिद कपूर ने शानदार अभिनय किया है. एक असफल क्रिकेटर व उसके अंदर के फ्रस्टे्शन को परदे पर पेश करने में शाहिद कपूर सफल रहे हैं. लेकिन कुछ दृश्यों में उनके अभिनय में ‘कबीर सिंह’ वाली झलक नजर आती है. यानी कि वह खुद को दोहराते हुए नजर आते हैं. उनके क्रिकेट कोच के किरदार में पंकज कपूर ने भी शानदार अभिनय किया है. वैसे भी पंकज कपूर दमदार अभिनेता हैं, इससे कभी कोई इंकार नहीं कर सकता. छोटे किरदार में भी मृणाल ठाकुर अपनी छाप छोड़ जाती हैं. वैसे उनके विंद्या के किरदार में कई परते हैं. बाल कलाकार रोनित कामरा का अभिनय आश्चर्य जनक है.

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जलपरी बनीं Urfi Javed, ट्रोलर्स ने दिया ‘भिखारी’ का टैग

बिग बॉस ओटीटी फेम उर्फी जावेद (Urfi Javed) आए दिन अपने फैशन के चलते सुर्खियों में रहती हैं. वहीं कई बार वह ट्रोलिंग का शिकार भी होती हैं. इसी बीच हाल ही में अपने जलपरी बनने के चलते एक बार फिर ट्रोलर्स की खरी खोटी सुनती नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

जलपरी बनीं उर्फी

 

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हाल ही में एक इवेंट में पहुंची एक्ट्रेस उर्फी जावेद  (Urfi Javed Fashion) पिंक कलर की बिकिनी के उपर  ट्रांसपेरेंट बेलबॉटम पैंट्स पहने हुए नजर आईं. वहीं हाई हिल्स पहने उर्फी मीडिया के सामने पोज देती हुई नजर आ रही हैं. हालांकि उर्फी का ये फैशन देखकर ट्रोलर्स उन्हें भिखारी का टैग देते हुए नजर आ रहे हैं.

ट्रोलर्स ने कही ये बात

 

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उर्फी जावेद के अतरंगी फैशन पर ट्रोलर्स ने उनकी टांग खीचना शुरु कर दिया है. दरअसल, एक्ट्रेस की इस लुक में सोशलमीडिया पर वीडियो वायरल हो रही है, जिस पर ट्रोलर्स कमेंट करते हुए जहां कोई उन्हें बेशर्म बता रहा है तो वहीं कोई उनके फैशन को बकवास बता रहा है. सोशलमीडिया पर कई लोग उनके इस फैशन का मजाक उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं.

कई बार हो चुकी हैं ट्रोल

 

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कभी रिविलिंग तो कभी अजीबोगरीब फैशन कैरी करने वाली उर्फी जावेद अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट कई फोटोज और वीडियोज शेयर करती रहती हैं, जिसे फैंस पसंद करते हैं. हालांकि ट्रोलर्स उन्हें ट्रोल करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते. हालांकि इससे उनकी फैन फौलोइंग पर कोई असर नहीं हुआ है. ट्रोलिंग के बावजूद एक्ट्रेस के 2.8 मिलियन फौलोवर्स हैं, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं.

 

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बता दें, उर्फ जावेद बिग बौस ओटीटी में बतौर कंटेस्टेंट नजर आ चुकी हैं. हालांकि शो के पहले हफ्ते में ही वह बाहर हो गई थी. हालांकि जीशान के साथ उनकी लड़ाई आज भी फैंस के बीच पौपुलर है.

वीडियो क्रेडिट- विरल भयानी

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Anupama की दूसरी शादी पर क्या बोला वनराज! पढ़ें खबर

सीरियल अनुपमा में इन दिनों शादी की तैयारियां देखने को मिल रही हैं. जहां अनुज और अनुपमा अपनी सगाई की तैयारी करते दिख रहे हैं तो वहीं वनराज और बा को जलन हो रही है. इसी बीच वनराज के रोल में नजर आने वाले एक्टर सुधांशू पांडे ने अनुपमा की शादी पर चुप्पी तोड़ी है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

एक्टर ने कही ये बात

 

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हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्टर सुधांशु पांडे ने अनुपमा-अनुज की शादी को सपोर्ट करते हुए कहा है कि ‘मुझे लगता है कि ये उनकी पर्सनल फैसला है. अनुपमा जैसी महिला जो कर रही है, वह उनकी अपनी इच्छा है. हालांकि कुछ लोग ऐसे होंगे जरुर होंगे, जो इस उम्र में होने जा रही अनुपमा की शादी को देखकर खुश नहीं होंगे. लेकिन सीरियल का मकसद सिर्फ इतना समझाना है कि एक महिला भी अपना अच्छा-बुरा समझ सकती है और अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेकर आगे बढ़ सकती है.’

शादी से खुश हैं #MaAn के फैंस

सीरियल में अनुपमा और अनुज की जोड़ी फैंस को काफी पसंद आ रही है, जिसके चलते फैंस ने दोनों को #MaAn हैशटैग भी दिया है. वहीं लोग अनुपमा के शादी के फैसले को सपोर्ट करते हुए भी नजर आ रहे हैं और जल्दी ही दोनों की शादी होते हुए भी देखना चाहते हैं.

काव्या मारेगी ताना

 

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जहां इन दिनों अनुज और अनुपमा अपनी खुशियों में बिजी हैं तो वहीं वनराज, काव्या और बा की जलन बढ़ती जा रही है. दरअसल, हाल ही के एपिसोड में अनुज, अनुपमा को सगाई की अंगूठी खरीदने ले जाता है. जहां वह उसे खूबसूरत सरप्राइज देता है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपनी सगाई की डायमंड रिंग  परिवार को दिखाएगी, जिसे देखकर काव्या ताना मारेगी कि वह निश्चित रूप से खुश होगी क्योंकि उसे हीरे की अंगूठी मिलेगी. हालांकि अनुपमा का साथ देते हुए किंजल का कहेगी कि अनुपमा भाग्यशाली है क्योंकि उसके पास हीरे, जैसा जीवनसाथी अनुज कपाड़िया है. किंजल की ये बात सुनकर वनराज,बा और काव्या गुस्से में नजर आएंगे.

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जब हो किडनी में पथरी की प्रौब्लम

पिछले 2 दशक के दौरान किडनी में पथरी और मूत्र रोग के इलाज में भारी विकास हुआ है. फिर भी इस बीमारी में कमी आने के बजाय लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पथरी के आपरेशन द्वारा इलाज में कई तरह की आधुनिक विधियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिस में मरीज को कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पर जहां तक इस के औषधीय इलाज की बात है तो इस के लिए चिकित्सकों को कई तरह की आधुनिक जांच, खानपान और दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है. अध्ययन, सर्वेक्षण और अनुसंधान से यह भी पता चल गया है कि शारीरिक चयापचय (मेटाबोलिज्म) की गड़बड़ी को ठीक कर और इस के लिए विभिन्न तरह की दवाआें के प्रयोग से बिना आपरेशन के ही इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है.

20 से 60 वर्ष की अवस्था के बीच करीब 15 से 18 प्रतिशत लोगों में पथरी की शिकायत मिलती है. महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में इस का प्रतिशत दोगुना देखने को मिलता है. एक पथरी होने की स्थिति में करीब 50 प्रतिशत लोगों में 7 साल के अंतराल में दूसरी पथरी होने की शिकायत मिलती है. यहां हम सब से पहले चर्चा कैल्शियम आक्जलेट की करते हैं. ज्यादातर स्थितियों में यह शारीरिक चयापचय (मेटाबोलिज्म) की गड़बड़ी के कारण होता है किंतु कई बार इस के कारणों का पता ही नहीं चल पाता. पेशाब में कैल्शियम आक्जलेट की मात्रा अधिक होने या फिर साइटे्रट की कमी के कारण इस की मात्रा मूत्र में अधिक हो जाती है जो आगे चल कर किडनी में पथरी के होने का कारण बनता है.

शरीर में इस की मात्रा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. मसलन, भोज्य पदार्थों में इस की अधिक मात्रा, आंत में इस के अवशोषण का बढ़ जाना, किडनी द्वारा इस का अवशोषण कम करना जिस की वजह से किडनी  की दीवारों में इस का जमाव बढ़ जाना. मरीज के पानी कम पीने से और किडनी द्वारा पानी का कम उत्सर्जन होने से किडनी में इस का अधिक मात्रा में जमाव होने लगता है जोकि आगे चल कर पथरी का रूप धारण करने लगता है. शरीर में पारा थार्मोन की अधिकता के चलते भी रक्त में इस की मात्रा बढ़ जाती है जो आगे चल कर पथरी बनने का कारण बनता है. शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता के कारण भी कैल्शियम नामक पथरी का निर्माण होता है. यदि खाने में अधिक मात्रा में आक्जलेट हो और आंत में सूजन की बीमारी हो तो इस का अवशोषण काफी बढ़ जाता है जिस के कारण इस तरह की पथरी होने की आशंका काफी बढ़ जाती है. खाने की वस्तुओं में साइटे्रट की कमी की वजह से यह कैल्शियम के साथ मिल कर इस के निकास को कम कर देता है जो आगे चल कर पथरी बनने का कारण बनता है.

यूरिक एसिड स्टोन का प्रतिशत अत्यधिक कम होता है और मूत्र में यूरिक एसिड के अत्यधिक स्राव होने से भी इस तरह की पथरी का निर्माण होता है.

रोग की पहचान

पथरी रोग से पीडि़त मरीज के पेट में दर्द की शिकायत होती है. पेट की बाईं या दाईं ओर स्थित किडनी में पथरी होती है, एक निश्चित स्थान में दर्द होता है. ऐसे मरीजों के मूत्र में रक्त या फिर मवाद भी पाया जाता है. इस की पहचान मूत्र की जांच से हो जाती है. इस के अलावा पेट का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड कराने या फिर एक्स्क्रीटरी यूरोग्राम कराने से भी इस बीमारी का पता चल जाता है. मूत्र में क्रिस्टल की जांच कराने पर भी इस रोग का आसानी से पता चल जाता है.

रोग का इलाज

पथरी हो जाने पर अब कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं. पथरी बहुत छोटी हो तो कुछ दवाओं के प्रयोग से भी निकल सकती है. ज्यादा संख्या में या बड़े आकार की पथरी को बिना सर्जरी किए लिथोट्रिप्सी द्वारा भी निकाला जा सकता है. इस में नियंत्रित तरीके से पथरी के शौक वेव डाल कर इतने छोटे भागों में तोड़ दिया जाता है कि वे पेशाब के साथ बह कर निकल जाएं. इस वेव का शरीर के अन्य भागों पर असर नहीं पड़ता. अधिक बड़ी पथरी होने पर सर्जरी ही अंतिम उपचार रह जाता है.जहां तक रोग से बचाव की बात है तो इस के लिए मरीज को काफी मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जानी चाहिए. प्रतिदिन इतना पानी पीएं ताकि ढाई लिटर से भी अधिक पेशाब हो. पानी पीने की क्रिया सुबह जगने से ले कर रात को सोने के पहले तक जारी  रहनी चाहिए. यहां लोगों में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि किस तरह के पानी पीने पर पथरी की शिकायत होती है तो इस का आसान सा जवाब है कि साधारणतया नल के पानी पीने से ही इस तरह के रोग होते हैं. आंकड़े बताते हैं कि काफी और जिन में कैफीन की प्रचुर मात्रा होती है जो पथरी होने की आशंका कम कर देती है और दूसरी ओर चाय इस के बनने की गति को बढ़ा देती है क्योंकि चाय में आक्जलेट की मात्रा ज्यादा होती है.

नियमित रूप से कोल्ड डिंक तथा अंगूर के रस के सेवन करने से पथरी बनने की क्रिया काफी बढ़ जाती है. नारंगी का रस और बीयर से इस के बनने की आशंका कम हो जाती है. ऐसे मरीजों को अधिक दूध पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस में कैल्शियम की ज्यादा मात्रा पाई जाती है. पथरी के मरीजों को भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम लेने की सलाह दी जाती है. 70 साल की उम्र के मरीज को 50 ग्राम से भी कम प्रोटीन भोजन में लेना चाहिए. ऐसी स्थिति में यह मूत्र में एसिड के स्राव को कम कर देता है जो आगे चल कर साइटे्रट को उत्सर्जन होने से रोकता है. इस कारण मूत्र में कैल्शियम की ज्यादा मात्रा नहीं आ पाती. फलस्वरूप पथरी बनने की आशंका स्वत: कम हो जाती है.

मांसाहारी भोजन के कम सेवन के कारण मूत्र में यूरिक एसिड की मात्रा कम हो जाती है. फलत: किडनी में कैल्शियम की पथरी की भी आशंका घट जाती है. ऐसे मरीजों को मांसाहारी भोजन को छोड़ कर शाकाहारी भोजन की सलाह दी जाती है. किडनी में पथरी होने की आशंका से बचने के लिए ऐसे मरीजों को कम मात्रा में नमक का सेवन करना चाहिए. एक वयस्क आदमी द्वारा प्रतिदिन 3 ग्राम से भी कम नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है और पथरी होने की आशंका काफी कम हो जाती है. अधिक मात्रा में साइट्रस फू्रट के सेवन से किडनी में पथरी के बनने की क्रिया काफी कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में किडनी से कैल्शियम का स्राव काफी कम हो जाता है जिस से पथरी के होने की आशंका भी काफी कम हो जाती है.

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16 Tips: अच्छा पड़ोसी बनने के गुर

शांति जीवन के लिए बहुत जरूरी है. शांति का एक पक्ष पड़ोसियों से बेहतर तालमेल के जरीए पाया जा सकता है. आप के अच्छे व्यवहार से आप के पड़ोसी सदैव आप के बन सकते हैं. जानिए अच्छे पड़ोसी बनने के गुर ताकि आप की गुडी इमेज आप को सोसायटी में सिर उठा कर जीने का अधिकार दे:

1. आप कालोनी में नए आए हैं, तो पड़ोसी के समक्ष अपनी अकड़ू इमेज न बनाएं. नई जगह पर अपनी पहचान बनाएं. इस के लिए आप को स्वयं पहल करनी होगी. यकीन मानिए आप मुसकरा कर सामने वाले से बात करेंगे, तो सामने वाला भी आप के साथ वैसे ही पेश आएगा.

2. कालोनी में नए आए हैं, तो पासपड़ोस में चेहरे पर मुसकराहट लिए नमस्तेसलाम या वैलकम गिफ्ट से जानपहचान बढ़ाएं.

3. पड़ोसी से उन का लाइफस्टाइल जानें. ऐसा करने से लड़ाईझगड़े से बचा जा सकता है. मसलन, आप के पड़ोसी नाइट शिफ्ट में काम करते हैं. ऐसे में सुबह व शाम आराम के लिहाज से उन के लिए बहुत अहम हैं. आप का बच्चा स्कूल के बाद गानेबजाने की प्रैक्टिस करता है. यह बात पड़ोसी को बताने से होने वाले झगड़े से बच जाएंगे. ऐसे में दोनों अपनीअपनी समस्या का बीच का रास्ता खोज सकते हैं.

4. आप दूसरी मंजिल पर रहते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि भारीभरकम उपकरणों के खिसकाने आदि से उपजे शोर से पहली मंजिल वाले को खीज हो सकती है. फिर खीज लड़ाईझगडे़ का रूप भी ले सकती है. ऐसे में समझदारी इसी में है कि आप भारी उपकरणों के नीचे मोटा रबर मैट बिछाएं ताकि शोर कम हो.

5. टहलने, चलने की तहजीब भी बहुत जरूरी है. खटखट की आवाज करते जूते या सैंडल किसी भी को डिस्टर्ब कर सकते हैं. अत: आज से ही अपनी कालोनी, ब्लौक या गलीमहल्ले में खटखट की आवाज करने वाले जूते या सैंडल पहनना बंद कर दें. जूतेचप्पल ऐसे हों जो आवाज न करें.

6. घर में पैट है, तो ध्यान रहे वह हमेशा चेन से बंधा रहे. कालोनी में पैट के साथ बाहर हैं, तो उसे चेन से बांध कर रखें. आप को उस से भले डर न लगता हो, लेकिन दूसरों को लग सकता है. यही नहीं, अगर पैट चेन से बंधा न हो तो किसी को काट भी सकता है, जो झगड़े की वजह बन सकता है.

7. पार्किंग ऐटिकेट्स से भी जरूर वाकिफ हों. गाड़ी, स्कूटर या बाइक ऐसे पार्क करें कि किसी का रास्ता ब्लौक न हो. किसी के घर के आगे गाड़ी पार्क न करें. पार्किंग ऐटिकेट्स से वाकिफ होने से पासपड़ोस में झगड़े से बच सकते हैं.

8. पड़ोसियों से मेलजोल बनाए रखें. स्वयं पहल कर के पड़ोसी को अपने घर चायनाश्ते पर बुलाएं. अच्छा माहौल आप को मानसिक सुकून तो प्रदान करेगा ही, जरूरत के समय आप के पड़ोसी भी आप के साथ होंगे.

9. धीमा बोलना बहुत जरूरी है. आप किसी से फोन पर बात कर रहे हैं और आप की कालोनी में महिलाएं तेज आवाज में बात कर रही हैं तो उन्हें मना करने पर झगड़ा हो सकता है. ऐसे में घर के हर छोटेबड़े सदस्य को सिखाएं कि घर, टैरेस, पार्क आदि जगहों पर धीमी आवाज में बोलें. आप की तेज आवाज दूसरे की शांति भंग कर सकती है.

10. पड़ोसियों से संवाद बनाए रखें. उन के हर सुखदुख में उन का साथ दें. समय की कमी रहती है, तो अपने पड़ोसियों से व्हाट्सऐप, फेसबुक से जुड़ें.

11. घर में पार्टी करने वाले हैं, तो पहले ही अपने पड़ोसियों को इस बारे में बता दें अन्यथा पार्टी के दौरान आप के पड़ोसी मूड खराब कर सकते हैं. पहले बताने से पड़ोसी शोरशराबा होने पर ऐडजस्ट करने की कोशिश करेंगे.

12. घर का कूड़ाकरकट डस्टबिन में डालें. यहांवहां न फेंकें. यहांवहां बिखरा कूड़ा झगड़े का कारण बन सकता है. इसी तरह कालोनी में बिखरे कूड़े को नजरअंदाज न करें. उसे उठा कर डस्टबिन में डालें. आप को देख कर दूसरे लोग भी ऐसा करेंगे यानी कालोनी साफसुथरी रहेगी.

13. आसपास के इलाके में कोई दिल दहलाने वाली घटना घटी है, तो इस बारे में पड़ोसियों से बात करें ताकि यह बात वैलफेयर ऐसोसिएशन के हैड के कानों तक पहुंच जाए और कालोनी में वैसी कोई घटना न घटे.

14. बड़ेबुजुर्गों की खैरखबर लेते रहें. कालोनी में जरूरतमंदों की सहायता करने से पीछे न हटें.

15. चौकन्ने रहें कि कहीं आप का व्यवहार, आप का रहनसहन या किसी भी प्रकार का आचरण पड़ोसी को कष्ट तो नहीं दे रहा.

16. अपने पड़ोसियों से सरलता से पूछें कि कहीं उन्हें आप की वजह से कोई दिक्कत तो नहीं. यह जान कर झगड़े की जड़ को ही नष्ट कर सकते हैं.

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मेरे पति की स्मोकिंग से क्या फेफड़ों को खतरा है?

सवाल-

मेरे पति चेन स्मोकर थे, लेकिन अब उन्होंने स्मोकिंग काफी कम कर दी है. क्या उन के लिए फेफड़ों के कैंसर का खतरा अभी भी है?

जवाब-

स्मोकिंग, लंग कैंसर का सब से प्रमुख रिस्क फैक्टर है. सिगरेट से निकलने वाले धुएं में कार्सिनोजन यानी कैंसर का कारण बनने वाले तत्त्व होते हैं जो फेफड़ों की सब से अंदरूनी परत बनाने वाली कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देते हैं. आप के पति लगातार कई वर्षों तक धूम्रपान करते रहे हैं. इस से उन के फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंच चुका होगा. इसलिए उन के लिए फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आने का खतरा धूम्रपान न करने वालों की तुलना में काफी अधिक है. जोखिम को कम करने के लिए उन्हें स्मोकिंग पूरी तरह छोड़ने और ऐसी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करें जिन से उन के फेफड़े स्वस्थ रहें.

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वैसे तो सिगरेट से कैंसर होने का पता 4 दशक पहले चल गया था पर फिर भी आज भी सिगरेट्स इस कदर पी जा रही हैं कि हर साल 70 लाख लोग केवल धूएं के

कारण मरते हैं. फ्रांस में 34% लोग सिगरेट पीते हैं और भारत में 14% सिगरेटबीड़ी के आदी हैं. भारत का आंकड़ा कम इसलिए है कि यहां पानमसाले और खैनी में मिला कर तंबाकू ज्यादा खाया जाने लगा है.

वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन का कहना है कि सीमा में भी तंबाकू सेवन उसी तरह की गलतफहमी है जैसी कि शराब के बारे में है. थोड़े से सेवन से कुछ नहीं होता, नितांत गलत है. सिगरेट बीमारियां तो पैदा करेगी चाहे एक पीओ या 20. हां, कम पीने वालों के पास पैसे हों तो वे इलाज करा लेते हैं.

वैसे भी कम पीने का दावा करने वाले जब तनाव में होते हैं तो धड़ाधड़ पीने लगते हैं. उन्हें फिर कोई रोक नहीं पाता. दुनिया भर में 28 हजार अरब रुपए सिगरेट से होने वाले रोगों के इलाजों पर खर्च करे जाते हैं और टोबैको कंपनियां और व्यावसायिक अस्पताल इस लत का जम कर लाभ उठाते हैं.

घर में सिगरेट न घुसे यह जिम्मेदारी औरतों की है. उन्हें प्रेम करते समय ही इस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. जो सिगरेट पीए वह भरोसे का नहीं क्योंकि न जाने कब वह धोखा दे जाए. फिर घर में सिगरेट पीएगा तो बाकियों यानी छोटे बच्चों तक को दुष्प्रभाव झेलना पड़ेगा.

इंडियन लुक में फैंस का दिल जीत रही हैं Yeh Rishta Kya Kehlata Hai की अक्षरा

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) की कहानी में इन दिनों अक्षरा की मुसीबतें बढ़ती नजर आ रही हैं. जहां एक तरफ उसकी जिंदगी में प्यार है तो वहीं दूसरी तरफ बहन आरोही का साथ देने के चलते वह दोराहे पर खड़ी हैं. हालांकि सीरियल से हटकर अक्षरा यानी प्रणाली राठौड़ (Pranali Rathod) अपने इंडियन लुक से फैंस का दिल जीतती नजर आ रही हैं. सीरियल में इन दिनों एक से बढ़कर एक इंडियन लुक में एक्ट्रेस फैंस को वेडिंग फैशन की टिप्स दे रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

लहंगे में शरमाती दिखीं अक्षरा

हाल ही में अक्षरा यानी प्रणाली राठौड़ ने अपनी पिंक कलर के हैवी एम्बौयडरी वाले लहंगे में कुछ फोटोज क्लिक करवाई थीं और फैंस के साथ शेयर किया था. वहीं इस लुक में वह शरमाते हुए भी नजर आईं थीं. फैंस को एक्ट्रेस का ये लुक बेहद पसंद आया था और वह सोशलमीडिया पर काफी वायरल भी हुआ था.

साउथ इंडियन लुक से जीता फैंस का दिल

लहंगे के अलावा एक्ट्रेस ने अपना साउथ इंडियन लुक भी फैंस के साथ शेयर किया था. दरअसल, एक फोटो में प्रणाली राठौड़ नीले कलरे के लौंग स्कर्ट संग पीले ब्लाउज और दुप्ट्टे में साउथ इंडियन वाइब देती नजर आईं थीं. वहीं बालों में गजरा लगाए एक्ट्रेस ने अपने इस लुक को कम्पलीट किया था.

ट्रैंडी लहंगे में आईं नजर

अक्षरा के रोल में इन दिनों प्रणाली राठौड़ नए-नए लहंगे ट्राय कर रही हैं, जिसमें वह ट्रैंड का भी पूरा ख्याल रख रही हैं. इन दिनों पेस्टल कलर के लहंगे ट्रैंड में हैं. वहीं एक्ट्रेस भी सीरियल में पेस्टल कलर के हैवी एम्ब्रैयडरी वाले लहंगे में नजर आ चुकी हैं, जो फैंस को काफी पसंद आया था.

 

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साड़ी में भी लगती हैं खूबसूरत

लहंगों के अलावा एक्ट्रेस प्रणाली राठौड़ का साड़ी कलेक्शन भी बेहद खास है. ट्रैंड रफ्फल साड़ी में एक्ट्रेस का लुक बेहद खूबसूरत है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

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