रेतीली चांदी- भाग 5: क्या हुआ था मयूरी के साथ

सना पर तो उस ने अपनी अमीरी व प्रेम का ऐसा रंग चढ़ा रखा है, जिस पर दूसरा रंग चढ़ना आसान न था. मगर अब मयूरी को जल्द ही इस का कोई हल निकालना ही था, वरना सना की जिंदगी बरबाद होते देर नहीं लगती. उसे याद आ रहा था जब मसूरी में राहुल उस से मिलता था तो इसी तरह अमीरी के दिखावे के साथसाथ बड़ी शराफत व नफासत के साथ उस से पेश आता था. उस में कोई छिछोरापन न पा कर ही मयूरी धीरेधीरे उस की हर बात पर खुद से ज्यादा यकीन करने लगी थी. यदि तब कोई उसे राहुल की असलियत बताता तो शायद वह भी उस पर यकीन न करती.

यहां तो सना उस के कहने का उलटा अर्थ भी निकाल सकती थी कि उस के पिता के एहसानों तले दबे होने से ही वह शिराज को उस की नजरों में गिरा कर रशीद से उस का निकाह कराना चाहती है. अपनी बात की सचाई साबित करने के लिए मयूरी के पास कोई पुख्ता सुबूत भी तो नहीं था, कोई फोटो तक न थी. फोटो से उसे ध्यान आया. यहां भले ही उस के पास फोटो न हो पर शादी के समय मां ने किसी से उन दोनों के कुछ फोटोज खिंचवाए थे. वहां से तो मिल ही सकते थे.

यही सब सोचतेसोचते उधेड़बुन में फंसी मयूरी को पता ही न चला कैसे आधा घंटा निकल गया. उस ने पलट कर सना की तरफ देखा. तब तक शिराज जा चुका था और सना उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही थी.

दूर से ही लाल डब्बी दिखाती आ रही सना ने पास आ कर डब्बी खोल कर डायमंड रिंग उसे दिखाते हुए बड़ी उम्मीद से उस से पूछा.

‘‘आप ने उन्हें देखा आपा? कैसे लगे?’’

‘‘हां, सूरत को ठीकठाक ही है. अभी सीरत परखनी बाकी है. एक बार और मिलना पड़ेगा,’’ उस की बात का गोलमोल जवाब देती मयूरी उसे असलियत भी तो नहीं समझा सकती थी.

एक जरूरी काम याद आने का बहाना कर के उस ने सना को घर भेज दिया और खुद हैड पोस्टऔफिस पहुंच कर जल्दी से जल्दी लौटती डाक से अपनी शादी के फोटोग्राफ्स भेजने के लिए मां को एक पत्र लिख कर वहीं पोस्ट कर दिया. पता अपने अस्पताल का दे दिया था. पत्र का जवाब आने में कम से कम 8-10 दिन तो लगने ही थे.

वहां से निकल कर वह भारतीय दूतावास के औफिस पहुंची, जहां उस ने अपना पासपोर्ट व वीजा बनवाने के लिए अप्लीकेशन दी हुई थी. भारतीय दूतावास ने भारत में विदेश मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों को इस पूरे प्रकरण की जानकारी दे दी थी जिस की उच्चस्तरीय जांच शुरू हो चुकी थी.

भारतीय दूतावास के अधिकारियों के लिए यह काफी सनसनीखेज घटना थी. क्योंकि मयूरी के अनुसार उस का पासपोर्टवीजा आदि 2 दिनों के अंदर ही तैयार हो गया था. जबकि संवैधानिक तरीके से पूरी प्रक्रिया में कम से कम 20-22 दिनों का समय लगता ही है. इस का मतलब उस ने कहीं से नकली पासपोर्ट बनवा कर पूरी यात्रा की थी और वे दोनों कहीं पकड़े भी नहीं गए. यानी कुछ बड़े अधिकारी भी इस घोटाले में कहीं न कहीं शामिल थे. फर्जी पासपोर्ट की कुछ शिकायतें पहले भी आ चुकी थीं. पर कोई पुख्ता सुबूत न होने से मामला लटका रहा. परंतु इस बार मयूरी की तरफ से रिपोर्ट कराते ही पूरा महकमा हरकत में आ गया था.

भारत में विदेश मंत्रालय को इस घोटाले की लिखित खबर मिलने पर सीबीआई को जांच सौंप दी गई. उस ने तुरंत ही देहरादून स्थित उस औफिस के बारे में छानबीन करनी शुरू कर दी. मयूरी की मां से मिल कर भी सीबीआई को अपनी तफ्तीश में काफी जानकारी मिल गई थी. शादी पर खींचे गए फोटोज से उन्हें राहुल की फोटो मिल गई. भारत में काफी जानकारी इकट्ठा कर के सीबीआई ने संबंधित अधिकारियों को पूरी रिपोर्ट भेज दी थी. जो जद्दा में काउंसलेट को स्थानांतरित करा दी गई थी. वहां की पुलिस ने इस की मदद से रैड एलर्ट घोषित करते हुए राहुल की फोटो सब थानों में भेज दी थी ताकि उसे पहचानने व पकड़ने में मदद मिल सके.

इस केस की जांच कर रहे अधिकारी को जब मयूरी ने राहुल की फोटो 8-10 दिनों में भारत से आ जाने की जानकारी दी तो उसे चकित करते हुए उन्होंने पहले ही सीबीआई द्वारा भेजी जा चुकी तसवीर उस के हाथ पर रख दी. इतनी तेजी से इन्क्वायरी होते देख उसे काफी तसल्ली हो गई थी. तभी उस ने राहुल के पकड़े जा सकने की उम्मीद का जिक्र भी कर दिया. सना का नाम बीच में लाए बिना उस ने बताया कि घर में काम करने वाली फरीदन के साथ उस ने राहुल को बाजार में देखा था. वह राहुल के सामने पड़ना नहीं चाहती थी, सो, उस समय कुछ नहीं बोली, पर फरीदन का पता वह कल तक उन्हें दे देगी, उस से राहुल का ठौरठिकाना मिल सकता है.

मयूरी को साथ ले जा कर उन लोगों ने वह भव्य इमारत भी खोज निकाली थी, जहां राहुल उसे छोड़ कर गया था. बिल्ंिडग की शिनाख्त करा के वहां खुफिया पुलिस के आदमी सादी ड्रैस में तैनात कर दिए गए थे, जो उस बंगले में हर आनेजाने वाले की कड़ी निगरानी करते थे.

घर आ कर मयूरी ने बातोंबातों में फरीदन से उस के घर का पता जान लिया था, जो उस ने फौरन अधिकारियों तक पहुंचा दिया. और उस के घर की निगरानी भी शुरू हो गई थी.

मयूरी ने सना को बिना कुछ बताए उस की तरफ से फरीदन की मारफत शिराज के पास अगले दिन उसी पार्क में आने के लिए मैसेज भिजवाया.

घर पहुंच कर फरीदन मैसेज का पुरजा राहुल को देने के लिए जैसे ही घर से निकली, बुर्कानशीं मयूरी सादे कपड़ों की पुलिस के साथ उस के पीछे चल पड़ी. गली से निकल कर वह एक मकान के सामने जा कर रुकी और दरवाजे की घंटी दबा दी. दरवाजा राहुल ने ही खोला था. फरीदन को देखते ही उसे अंदर कर के दरवाजा फिर बंद हो गया.

मयूरी से उसी के राहुल होने की शिनाख्त करा कर पुलिस वालों ने उस घर को चारों तरफ से घेर लिया. जैसे ही फरीदन ने वापस जाने के लिए कदम बाहर रखा, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही, कुछ पुलिस वाले धड़धड़ाते हुए अंदर घुस गए. पुलिस को देख राहुल ने भागने की कोशिश की किंतु जल्द ही उसे भी गिरफ्त में ले लिया गया. मकान की तलाशी लेने पर नीचे बने तहखानेनुमा स्टोर में एक युवती छिपी हुई मिली, जिसे मयूरी ने राहुल की बहन सारा के रूप में पहचान लिया, किंतु फरीदन के अनुसार, वह राहुल की प्रेमिका ऐना थी.

इधर इन लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही दूसरी टीम ने भव्य इमारत को भी घेर लिया था. और उस के चौकीदार, दरबान व कुछ कर्मचारियों के साथ ही अंदर मौजूद 2 शेखों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

इमारत से बरामद लोगों में पांखी व उस की बेटी को न पा कर मयूरी बेहद परेशान हो उठी. उस ने पांखी की बताई हुई कुछ जानकारियां अधिकारियों को बताईं, जिन के आधार पर उन्होंने पूरी इमारत का चप्पाचप्पा छान मारा, तब एक आदमकद शीशे के पीछे एक चोर दरवाजा मिला, जिस पर ताला पड़ा हुआ था.

आगे पढ़ें- गिरफ्तार लोगों से पुलिस ने…

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REVIEW: जानें कैसी है शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर की फिल्म ‘Jersey’

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः अल्लू अरविंद, दिल राजू प्रोडक्शन, सितारा इंटरटेनमेंट

लेखक व निर्देशकः गौतम तिन्नानुरी

कलाकारः शाहिद कपूर, पंकज कपूर,  मृणाल ठाकुर, रोनित कामरा,  गीतिका महेंद्रू, शिशिर शर्मा, रूद्राशीश मजुमदार व अन्य.

अवधिः दो घंटे पचास मिनट

तेलगू फिल्मकार गौतम तिन्नानुरी लिखित व निर्देशित तेलगू फिल्म ‘‘जर्सी’’ ने 2019 में सफलता  का जश्न मनाया था, जिसमें मुख्य भूमिका तेलगू सिनेमा के सुपरस्टार नानी ने निभायी थी. गौतम तुन्नारी अपनी उसी तेलगू फिल्म का हिंदी रीमेक ‘‘जर्सी’’ लेकर आए हैं, जिसमें मुख्य भूमिका शाहिद कपूर ने निभायी है. हिंदी फिल्म के संवाद सिद्धार्थ – गरिमा ने लिखे हैं. यह हिंदी रीमेक उस वक्त आयी है, जब बौलीवुड बनाम दक्षिण सिनेमा को लेकर बहस छिड़ी हुई है. फिल्म की कहानी क्रिकेट खेल की पृष्ठभूमि में पिता पुत्र, पति व पत्नी के अलावा  क्रिकेटर व उसके कोच के बीच के रिश्तों की  भावनात्मक यात्रा है.  फिल्म की कहानी उन 95 प्रतिशत असफल लोगो को ट्ब्यिूट के तौर पर  है, जिनकी कहानी बयां करने में किसी की रूचि नहीं होती.

 

कहानीः

कहानी शुरू होती है केतन तलवार द्वारा दुकान से अपने पिता पर लिखी गयी किताब ‘जर्सी’ को खरीदने से, जो कि वह इस किताब को पढ़ने के लिए बेताब एक लड़की को उपहार में दे देता है. क्योंकि दुकानों पर किताब बिक चुकी है. फिर जब वह लड़की पूछती है कि क्या वास्तव में इस किताब के नायक अर्जुन तलवार तुम्हारे पिता हैं. तब कहानी शुरू होती है चंडीगढ़ के एक सरकारी मकान से. जहां लगभग छत्तीस वर्षीय बेरोजगार अर्जुन तलवार (शाहिद कपूर) अपनी पत्नी विंद्या(  मृणाल ठाकुर ) व आठ सात वर्ष के बेटे केतन उर्फ किट्टू(रोनित कामरा ) के साथ रहते हैं. विद्या एक होटल में रिशेप्शनिस्ट हैं. किट्टू क्रिकेट खेलता है, उसे रोज सुबह उठकर खेल के मैदान पर अर्जुन लेकर जाता है. अर्जुन को क्रिकेट से जबरदस्त प्यार है. केतन के अंदर भी क्रिकेट को लेकर जुनून है. एक दिन केतन अपने पिता से जन्मदिन पर उपहार में जर्सी की मांग कर देता है. अपने बेटे को खुद से ज्यादा चाहने वाला अर्जुन क्या करे? पता चलता है कि अर्जुन कभी पंजाब टीम के सर्वाधिक सफल क्रिकेटर थे. उनके क्रिकेट खेल को देखकर मद्रासी विंद्या को उससे प्यार हुआ था और माता पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर अर्जुन से विवाह कर लिया था. पर 26 साल की उम्र मेंएक बड़ी वजह के चलते अर्जुन ने क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. इससे विंद्या व उनके कोच को तकलीफ हुई थी. उसे एफसीआई में नौकरी मिली थी, पर वहां से सस्पेंडेड चल रहे हैं और मामला कोर्ट में हैं. वकील का दावा है कि अर्जुन पचास हजार खर्च करे तो उसे एक दिन के अंदर पुनः नौकरी पर रख लिया जाएगा. पर घूस देना अर्जन को मंजूर नही. इन हालातो के चलते घर पर कर्ज हो गया है. कई माह से किराया नहीं दे पाए. उधर दुकान वाले ने कह दिया कि पांच सौ रूपए की जर्सी उधर मे नही देगा. बेटे को जर्सी दिलाने के लिए पांच सौ रूपए के लिए अर्जुन को काफी अपमानित होना पड़ता है. उधर उसके व्यवहार से पत्नी विंद्या भी झुंझलाहट में ही उससे बात करती है. सारे रास्ते बंद हैं. जन्मदिन पर बेटे को जर्र्सी न दिला पाने से वह खुद को सभी की नजरों से गिरा हुआ पाता है. फिर 36 साल की उम्र में अर्जुन पुनः क्रिकेट भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेलने के मकसद से खेल के मैदान में उतारता है. वह बेटे को कब जर्सी दिला पाएगा? भारतीय टीम के साथ क्रिकेट खेलेगा या नहीं, इन सवालों के जवाब के लिए फिल्म देखना ही बेहतर होगा.

लेखन व निर्देशनः

बेहतरीन पटकथा है, पर फिल्म में कई जगह कसावट की जरुरत थी. एडीटिंग टेबल पर इसे कसा जा सकता था. यह उनकी निर्देशकीय प्रतिभा का ही कमाल है कि उन्होने पिता पुत्र, क्रिकेटर व कोच के रिश्तों को भावनात्मक स्तर बहुत ही बेहतरीन तरीके से फिल्म में उकेरा है. क्रिकेट के खेल में जो रोमांच व रहस्य सदैव बना रहता है,  उसे निर्देशक फिल्म में पेश करने में विफल रहे हैं. क्रिकेट का रोमांच नजर नही आता. दर्शक की निगाहें क्रिकेट के मैदान की बजाय सिर्फ शाहिद के किरदार पर ही टिकी रहती हैं, यह भी निर्देशक व पटकथा की कमजोर कड़ी है. फिल्म मे जर्सी के प्रसंग को बेवजह तीस मिनट से भी अधिक समय तक खींचा गया है, इस वजह से फिल्म की लंबाई बढ़ गयी. कुछ संजीदा दृश्यों में भावनात्मक पक्ष को बनाए रखने में निर्देशक विफल रहे हैं. लेकिन निर्देशक पिता-पुत्र के बीच अपराजेय बंधन,  एक जोड़े का चट्टानी रिश्ता और अर्जन की आंतरिक यात्रा को परदे पर सही ढंग से उकेरने में सफल रहे हैं.

अभिनयः

अर्जुन के किरदार में शाहिद कपूर ने अपने अभिनय से साबित कर दिखाया कि उनके अंदर भरपूर अभिनय क्षमता है. क्रिकेट को अलविदा कहने, बेटे को जर्सी न दिला पाने की बेबसी , प्रेमिका व फिर पत्नी संग रोमांस से लेकर दोबारा क्रिकेट के मैदान में उतरने तक के भावों को अपने अभिनय से उकेर कर शाहिद कपूर ने शानदार अभिनय किया है. एक असफल क्रिकेटर व उसके अंदर के फ्रस्टे्शन को परदे पर पेश करने में शाहिद कपूर सफल रहे हैं. लेकिन कुछ दृश्यों में उनके अभिनय में ‘कबीर सिंह’ वाली झलक नजर आती है. यानी कि वह खुद को दोहराते हुए नजर आते हैं. उनके क्रिकेट कोच के किरदार में पंकज कपूर ने भी शानदार अभिनय किया है. वैसे भी पंकज कपूर दमदार अभिनेता हैं, इससे कभी कोई इंकार नहीं कर सकता. छोटे किरदार में भी मृणाल ठाकुर अपनी छाप छोड़ जाती हैं. वैसे उनके विंद्या के किरदार में कई परते हैं. बाल कलाकार रोनित कामरा का अभिनय आश्चर्य जनक है.

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जलपरी बनीं Urfi Javed, ट्रोलर्स ने दिया ‘भिखारी’ का टैग

बिग बॉस ओटीटी फेम उर्फी जावेद (Urfi Javed) आए दिन अपने फैशन के चलते सुर्खियों में रहती हैं. वहीं कई बार वह ट्रोलिंग का शिकार भी होती हैं. इसी बीच हाल ही में अपने जलपरी बनने के चलते एक बार फिर ट्रोलर्स की खरी खोटी सुनती नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

जलपरी बनीं उर्फी

 

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हाल ही में एक इवेंट में पहुंची एक्ट्रेस उर्फी जावेद  (Urfi Javed Fashion) पिंक कलर की बिकिनी के उपर  ट्रांसपेरेंट बेलबॉटम पैंट्स पहने हुए नजर आईं. वहीं हाई हिल्स पहने उर्फी मीडिया के सामने पोज देती हुई नजर आ रही हैं. हालांकि उर्फी का ये फैशन देखकर ट्रोलर्स उन्हें भिखारी का टैग देते हुए नजर आ रहे हैं.

ट्रोलर्स ने कही ये बात

 

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उर्फी जावेद के अतरंगी फैशन पर ट्रोलर्स ने उनकी टांग खीचना शुरु कर दिया है. दरअसल, एक्ट्रेस की इस लुक में सोशलमीडिया पर वीडियो वायरल हो रही है, जिस पर ट्रोलर्स कमेंट करते हुए जहां कोई उन्हें बेशर्म बता रहा है तो वहीं कोई उनके फैशन को बकवास बता रहा है. सोशलमीडिया पर कई लोग उनके इस फैशन का मजाक उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं.

कई बार हो चुकी हैं ट्रोल

 

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कभी रिविलिंग तो कभी अजीबोगरीब फैशन कैरी करने वाली उर्फी जावेद अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट कई फोटोज और वीडियोज शेयर करती रहती हैं, जिसे फैंस पसंद करते हैं. हालांकि ट्रोलर्स उन्हें ट्रोल करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते. हालांकि इससे उनकी फैन फौलोइंग पर कोई असर नहीं हुआ है. ट्रोलिंग के बावजूद एक्ट्रेस के 2.8 मिलियन फौलोवर्स हैं, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं.

 

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बता दें, उर्फ जावेद बिग बौस ओटीटी में बतौर कंटेस्टेंट नजर आ चुकी हैं. हालांकि शो के पहले हफ्ते में ही वह बाहर हो गई थी. हालांकि जीशान के साथ उनकी लड़ाई आज भी फैंस के बीच पौपुलर है.

वीडियो क्रेडिट- विरल भयानी

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Anupama की दूसरी शादी पर क्या बोला वनराज! पढ़ें खबर

सीरियल अनुपमा में इन दिनों शादी की तैयारियां देखने को मिल रही हैं. जहां अनुज और अनुपमा अपनी सगाई की तैयारी करते दिख रहे हैं तो वहीं वनराज और बा को जलन हो रही है. इसी बीच वनराज के रोल में नजर आने वाले एक्टर सुधांशू पांडे ने अनुपमा की शादी पर चुप्पी तोड़ी है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

एक्टर ने कही ये बात

 

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हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्टर सुधांशु पांडे ने अनुपमा-अनुज की शादी को सपोर्ट करते हुए कहा है कि ‘मुझे लगता है कि ये उनकी पर्सनल फैसला है. अनुपमा जैसी महिला जो कर रही है, वह उनकी अपनी इच्छा है. हालांकि कुछ लोग ऐसे होंगे जरुर होंगे, जो इस उम्र में होने जा रही अनुपमा की शादी को देखकर खुश नहीं होंगे. लेकिन सीरियल का मकसद सिर्फ इतना समझाना है कि एक महिला भी अपना अच्छा-बुरा समझ सकती है और अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेकर आगे बढ़ सकती है.’

शादी से खुश हैं #MaAn के फैंस

सीरियल में अनुपमा और अनुज की जोड़ी फैंस को काफी पसंद आ रही है, जिसके चलते फैंस ने दोनों को #MaAn हैशटैग भी दिया है. वहीं लोग अनुपमा के शादी के फैसले को सपोर्ट करते हुए भी नजर आ रहे हैं और जल्दी ही दोनों की शादी होते हुए भी देखना चाहते हैं.

काव्या मारेगी ताना

 

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जहां इन दिनों अनुज और अनुपमा अपनी खुशियों में बिजी हैं तो वहीं वनराज, काव्या और बा की जलन बढ़ती जा रही है. दरअसल, हाल ही के एपिसोड में अनुज, अनुपमा को सगाई की अंगूठी खरीदने ले जाता है. जहां वह उसे खूबसूरत सरप्राइज देता है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपनी सगाई की डायमंड रिंग  परिवार को दिखाएगी, जिसे देखकर काव्या ताना मारेगी कि वह निश्चित रूप से खुश होगी क्योंकि उसे हीरे की अंगूठी मिलेगी. हालांकि अनुपमा का साथ देते हुए किंजल का कहेगी कि अनुपमा भाग्यशाली है क्योंकि उसके पास हीरे, जैसा जीवनसाथी अनुज कपाड़िया है. किंजल की ये बात सुनकर वनराज,बा और काव्या गुस्से में नजर आएंगे.

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जब हो किडनी में पथरी की प्रौब्लम

पिछले 2 दशक के दौरान किडनी में पथरी और मूत्र रोग के इलाज में भारी विकास हुआ है. फिर भी इस बीमारी में कमी आने के बजाय लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पथरी के आपरेशन द्वारा इलाज में कई तरह की आधुनिक विधियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिस में मरीज को कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पर जहां तक इस के औषधीय इलाज की बात है तो इस के लिए चिकित्सकों को कई तरह की आधुनिक जांच, खानपान और दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है. अध्ययन, सर्वेक्षण और अनुसंधान से यह भी पता चल गया है कि शारीरिक चयापचय (मेटाबोलिज्म) की गड़बड़ी को ठीक कर और इस के लिए विभिन्न तरह की दवाआें के प्रयोग से बिना आपरेशन के ही इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है.

20 से 60 वर्ष की अवस्था के बीच करीब 15 से 18 प्रतिशत लोगों में पथरी की शिकायत मिलती है. महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में इस का प्रतिशत दोगुना देखने को मिलता है. एक पथरी होने की स्थिति में करीब 50 प्रतिशत लोगों में 7 साल के अंतराल में दूसरी पथरी होने की शिकायत मिलती है. यहां हम सब से पहले चर्चा कैल्शियम आक्जलेट की करते हैं. ज्यादातर स्थितियों में यह शारीरिक चयापचय (मेटाबोलिज्म) की गड़बड़ी के कारण होता है किंतु कई बार इस के कारणों का पता ही नहीं चल पाता. पेशाब में कैल्शियम आक्जलेट की मात्रा अधिक होने या फिर साइटे्रट की कमी के कारण इस की मात्रा मूत्र में अधिक हो जाती है जो आगे चल कर किडनी में पथरी के होने का कारण बनता है.

शरीर में इस की मात्रा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. मसलन, भोज्य पदार्थों में इस की अधिक मात्रा, आंत में इस के अवशोषण का बढ़ जाना, किडनी द्वारा इस का अवशोषण कम करना जिस की वजह से किडनी  की दीवारों में इस का जमाव बढ़ जाना. मरीज के पानी कम पीने से और किडनी द्वारा पानी का कम उत्सर्जन होने से किडनी में इस का अधिक मात्रा में जमाव होने लगता है जोकि आगे चल कर पथरी का रूप धारण करने लगता है. शरीर में पारा थार्मोन की अधिकता के चलते भी रक्त में इस की मात्रा बढ़ जाती है जो आगे चल कर पथरी बनने का कारण बनता है. शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता के कारण भी कैल्शियम नामक पथरी का निर्माण होता है. यदि खाने में अधिक मात्रा में आक्जलेट हो और आंत में सूजन की बीमारी हो तो इस का अवशोषण काफी बढ़ जाता है जिस के कारण इस तरह की पथरी होने की आशंका काफी बढ़ जाती है. खाने की वस्तुओं में साइटे्रट की कमी की वजह से यह कैल्शियम के साथ मिल कर इस के निकास को कम कर देता है जो आगे चल कर पथरी बनने का कारण बनता है.

यूरिक एसिड स्टोन का प्रतिशत अत्यधिक कम होता है और मूत्र में यूरिक एसिड के अत्यधिक स्राव होने से भी इस तरह की पथरी का निर्माण होता है.

रोग की पहचान

पथरी रोग से पीडि़त मरीज के पेट में दर्द की शिकायत होती है. पेट की बाईं या दाईं ओर स्थित किडनी में पथरी होती है, एक निश्चित स्थान में दर्द होता है. ऐसे मरीजों के मूत्र में रक्त या फिर मवाद भी पाया जाता है. इस की पहचान मूत्र की जांच से हो जाती है. इस के अलावा पेट का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड कराने या फिर एक्स्क्रीटरी यूरोग्राम कराने से भी इस बीमारी का पता चल जाता है. मूत्र में क्रिस्टल की जांच कराने पर भी इस रोग का आसानी से पता चल जाता है.

रोग का इलाज

पथरी हो जाने पर अब कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं. पथरी बहुत छोटी हो तो कुछ दवाओं के प्रयोग से भी निकल सकती है. ज्यादा संख्या में या बड़े आकार की पथरी को बिना सर्जरी किए लिथोट्रिप्सी द्वारा भी निकाला जा सकता है. इस में नियंत्रित तरीके से पथरी के शौक वेव डाल कर इतने छोटे भागों में तोड़ दिया जाता है कि वे पेशाब के साथ बह कर निकल जाएं. इस वेव का शरीर के अन्य भागों पर असर नहीं पड़ता. अधिक बड़ी पथरी होने पर सर्जरी ही अंतिम उपचार रह जाता है.जहां तक रोग से बचाव की बात है तो इस के लिए मरीज को काफी मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जानी चाहिए. प्रतिदिन इतना पानी पीएं ताकि ढाई लिटर से भी अधिक पेशाब हो. पानी पीने की क्रिया सुबह जगने से ले कर रात को सोने के पहले तक जारी  रहनी चाहिए. यहां लोगों में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि किस तरह के पानी पीने पर पथरी की शिकायत होती है तो इस का आसान सा जवाब है कि साधारणतया नल के पानी पीने से ही इस तरह के रोग होते हैं. आंकड़े बताते हैं कि काफी और जिन में कैफीन की प्रचुर मात्रा होती है जो पथरी होने की आशंका कम कर देती है और दूसरी ओर चाय इस के बनने की गति को बढ़ा देती है क्योंकि चाय में आक्जलेट की मात्रा ज्यादा होती है.

नियमित रूप से कोल्ड डिंक तथा अंगूर के रस के सेवन करने से पथरी बनने की क्रिया काफी बढ़ जाती है. नारंगी का रस और बीयर से इस के बनने की आशंका कम हो जाती है. ऐसे मरीजों को अधिक दूध पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस में कैल्शियम की ज्यादा मात्रा पाई जाती है. पथरी के मरीजों को भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम लेने की सलाह दी जाती है. 70 साल की उम्र के मरीज को 50 ग्राम से भी कम प्रोटीन भोजन में लेना चाहिए. ऐसी स्थिति में यह मूत्र में एसिड के स्राव को कम कर देता है जो आगे चल कर साइटे्रट को उत्सर्जन होने से रोकता है. इस कारण मूत्र में कैल्शियम की ज्यादा मात्रा नहीं आ पाती. फलस्वरूप पथरी बनने की आशंका स्वत: कम हो जाती है.

मांसाहारी भोजन के कम सेवन के कारण मूत्र में यूरिक एसिड की मात्रा कम हो जाती है. फलत: किडनी में कैल्शियम की पथरी की भी आशंका घट जाती है. ऐसे मरीजों को मांसाहारी भोजन को छोड़ कर शाकाहारी भोजन की सलाह दी जाती है. किडनी में पथरी होने की आशंका से बचने के लिए ऐसे मरीजों को कम मात्रा में नमक का सेवन करना चाहिए. एक वयस्क आदमी द्वारा प्रतिदिन 3 ग्राम से भी कम नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है और पथरी होने की आशंका काफी कम हो जाती है. अधिक मात्रा में साइट्रस फू्रट के सेवन से किडनी में पथरी के बनने की क्रिया काफी कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में किडनी से कैल्शियम का स्राव काफी कम हो जाता है जिस से पथरी के होने की आशंका भी काफी कम हो जाती है.

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16 Tips: अच्छा पड़ोसी बनने के गुर

शांति जीवन के लिए बहुत जरूरी है. शांति का एक पक्ष पड़ोसियों से बेहतर तालमेल के जरीए पाया जा सकता है. आप के अच्छे व्यवहार से आप के पड़ोसी सदैव आप के बन सकते हैं. जानिए अच्छे पड़ोसी बनने के गुर ताकि आप की गुडी इमेज आप को सोसायटी में सिर उठा कर जीने का अधिकार दे:

1. आप कालोनी में नए आए हैं, तो पड़ोसी के समक्ष अपनी अकड़ू इमेज न बनाएं. नई जगह पर अपनी पहचान बनाएं. इस के लिए आप को स्वयं पहल करनी होगी. यकीन मानिए आप मुसकरा कर सामने वाले से बात करेंगे, तो सामने वाला भी आप के साथ वैसे ही पेश आएगा.

2. कालोनी में नए आए हैं, तो पासपड़ोस में चेहरे पर मुसकराहट लिए नमस्तेसलाम या वैलकम गिफ्ट से जानपहचान बढ़ाएं.

3. पड़ोसी से उन का लाइफस्टाइल जानें. ऐसा करने से लड़ाईझगड़े से बचा जा सकता है. मसलन, आप के पड़ोसी नाइट शिफ्ट में काम करते हैं. ऐसे में सुबह व शाम आराम के लिहाज से उन के लिए बहुत अहम हैं. आप का बच्चा स्कूल के बाद गानेबजाने की प्रैक्टिस करता है. यह बात पड़ोसी को बताने से होने वाले झगड़े से बच जाएंगे. ऐसे में दोनों अपनीअपनी समस्या का बीच का रास्ता खोज सकते हैं.

4. आप दूसरी मंजिल पर रहते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि भारीभरकम उपकरणों के खिसकाने आदि से उपजे शोर से पहली मंजिल वाले को खीज हो सकती है. फिर खीज लड़ाईझगडे़ का रूप भी ले सकती है. ऐसे में समझदारी इसी में है कि आप भारी उपकरणों के नीचे मोटा रबर मैट बिछाएं ताकि शोर कम हो.

5. टहलने, चलने की तहजीब भी बहुत जरूरी है. खटखट की आवाज करते जूते या सैंडल किसी भी को डिस्टर्ब कर सकते हैं. अत: आज से ही अपनी कालोनी, ब्लौक या गलीमहल्ले में खटखट की आवाज करने वाले जूते या सैंडल पहनना बंद कर दें. जूतेचप्पल ऐसे हों जो आवाज न करें.

6. घर में पैट है, तो ध्यान रहे वह हमेशा चेन से बंधा रहे. कालोनी में पैट के साथ बाहर हैं, तो उसे चेन से बांध कर रखें. आप को उस से भले डर न लगता हो, लेकिन दूसरों को लग सकता है. यही नहीं, अगर पैट चेन से बंधा न हो तो किसी को काट भी सकता है, जो झगड़े की वजह बन सकता है.

7. पार्किंग ऐटिकेट्स से भी जरूर वाकिफ हों. गाड़ी, स्कूटर या बाइक ऐसे पार्क करें कि किसी का रास्ता ब्लौक न हो. किसी के घर के आगे गाड़ी पार्क न करें. पार्किंग ऐटिकेट्स से वाकिफ होने से पासपड़ोस में झगड़े से बच सकते हैं.

8. पड़ोसियों से मेलजोल बनाए रखें. स्वयं पहल कर के पड़ोसी को अपने घर चायनाश्ते पर बुलाएं. अच्छा माहौल आप को मानसिक सुकून तो प्रदान करेगा ही, जरूरत के समय आप के पड़ोसी भी आप के साथ होंगे.

9. धीमा बोलना बहुत जरूरी है. आप किसी से फोन पर बात कर रहे हैं और आप की कालोनी में महिलाएं तेज आवाज में बात कर रही हैं तो उन्हें मना करने पर झगड़ा हो सकता है. ऐसे में घर के हर छोटेबड़े सदस्य को सिखाएं कि घर, टैरेस, पार्क आदि जगहों पर धीमी आवाज में बोलें. आप की तेज आवाज दूसरे की शांति भंग कर सकती है.

10. पड़ोसियों से संवाद बनाए रखें. उन के हर सुखदुख में उन का साथ दें. समय की कमी रहती है, तो अपने पड़ोसियों से व्हाट्सऐप, फेसबुक से जुड़ें.

11. घर में पार्टी करने वाले हैं, तो पहले ही अपने पड़ोसियों को इस बारे में बता दें अन्यथा पार्टी के दौरान आप के पड़ोसी मूड खराब कर सकते हैं. पहले बताने से पड़ोसी शोरशराबा होने पर ऐडजस्ट करने की कोशिश करेंगे.

12. घर का कूड़ाकरकट डस्टबिन में डालें. यहांवहां न फेंकें. यहांवहां बिखरा कूड़ा झगड़े का कारण बन सकता है. इसी तरह कालोनी में बिखरे कूड़े को नजरअंदाज न करें. उसे उठा कर डस्टबिन में डालें. आप को देख कर दूसरे लोग भी ऐसा करेंगे यानी कालोनी साफसुथरी रहेगी.

13. आसपास के इलाके में कोई दिल दहलाने वाली घटना घटी है, तो इस बारे में पड़ोसियों से बात करें ताकि यह बात वैलफेयर ऐसोसिएशन के हैड के कानों तक पहुंच जाए और कालोनी में वैसी कोई घटना न घटे.

14. बड़ेबुजुर्गों की खैरखबर लेते रहें. कालोनी में जरूरतमंदों की सहायता करने से पीछे न हटें.

15. चौकन्ने रहें कि कहीं आप का व्यवहार, आप का रहनसहन या किसी भी प्रकार का आचरण पड़ोसी को कष्ट तो नहीं दे रहा.

16. अपने पड़ोसियों से सरलता से पूछें कि कहीं उन्हें आप की वजह से कोई दिक्कत तो नहीं. यह जान कर झगड़े की जड़ को ही नष्ट कर सकते हैं.

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मेरे पति की स्मोकिंग से क्या फेफड़ों को खतरा है?

सवाल-

मेरे पति चेन स्मोकर थे, लेकिन अब उन्होंने स्मोकिंग काफी कम कर दी है. क्या उन के लिए फेफड़ों के कैंसर का खतरा अभी भी है?

जवाब-

स्मोकिंग, लंग कैंसर का सब से प्रमुख रिस्क फैक्टर है. सिगरेट से निकलने वाले धुएं में कार्सिनोजन यानी कैंसर का कारण बनने वाले तत्त्व होते हैं जो फेफड़ों की सब से अंदरूनी परत बनाने वाली कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देते हैं. आप के पति लगातार कई वर्षों तक धूम्रपान करते रहे हैं. इस से उन के फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंच चुका होगा. इसलिए उन के लिए फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आने का खतरा धूम्रपान न करने वालों की तुलना में काफी अधिक है. जोखिम को कम करने के लिए उन्हें स्मोकिंग पूरी तरह छोड़ने और ऐसी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करें जिन से उन के फेफड़े स्वस्थ रहें.

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वैसे तो सिगरेट से कैंसर होने का पता 4 दशक पहले चल गया था पर फिर भी आज भी सिगरेट्स इस कदर पी जा रही हैं कि हर साल 70 लाख लोग केवल धूएं के

कारण मरते हैं. फ्रांस में 34% लोग सिगरेट पीते हैं और भारत में 14% सिगरेटबीड़ी के आदी हैं. भारत का आंकड़ा कम इसलिए है कि यहां पानमसाले और खैनी में मिला कर तंबाकू ज्यादा खाया जाने लगा है.

वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन का कहना है कि सीमा में भी तंबाकू सेवन उसी तरह की गलतफहमी है जैसी कि शराब के बारे में है. थोड़े से सेवन से कुछ नहीं होता, नितांत गलत है. सिगरेट बीमारियां तो पैदा करेगी चाहे एक पीओ या 20. हां, कम पीने वालों के पास पैसे हों तो वे इलाज करा लेते हैं.

वैसे भी कम पीने का दावा करने वाले जब तनाव में होते हैं तो धड़ाधड़ पीने लगते हैं. उन्हें फिर कोई रोक नहीं पाता. दुनिया भर में 28 हजार अरब रुपए सिगरेट से होने वाले रोगों के इलाजों पर खर्च करे जाते हैं और टोबैको कंपनियां और व्यावसायिक अस्पताल इस लत का जम कर लाभ उठाते हैं.

घर में सिगरेट न घुसे यह जिम्मेदारी औरतों की है. उन्हें प्रेम करते समय ही इस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. जो सिगरेट पीए वह भरोसे का नहीं क्योंकि न जाने कब वह धोखा दे जाए. फिर घर में सिगरेट पीएगा तो बाकियों यानी छोटे बच्चों तक को दुष्प्रभाव झेलना पड़ेगा.

इंडियन लुक में फैंस का दिल जीत रही हैं Yeh Rishta Kya Kehlata Hai की अक्षरा

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) की कहानी में इन दिनों अक्षरा की मुसीबतें बढ़ती नजर आ रही हैं. जहां एक तरफ उसकी जिंदगी में प्यार है तो वहीं दूसरी तरफ बहन आरोही का साथ देने के चलते वह दोराहे पर खड़ी हैं. हालांकि सीरियल से हटकर अक्षरा यानी प्रणाली राठौड़ (Pranali Rathod) अपने इंडियन लुक से फैंस का दिल जीतती नजर आ रही हैं. सीरियल में इन दिनों एक से बढ़कर एक इंडियन लुक में एक्ट्रेस फैंस को वेडिंग फैशन की टिप्स दे रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

लहंगे में शरमाती दिखीं अक्षरा

हाल ही में अक्षरा यानी प्रणाली राठौड़ ने अपनी पिंक कलर के हैवी एम्बौयडरी वाले लहंगे में कुछ फोटोज क्लिक करवाई थीं और फैंस के साथ शेयर किया था. वहीं इस लुक में वह शरमाते हुए भी नजर आईं थीं. फैंस को एक्ट्रेस का ये लुक बेहद पसंद आया था और वह सोशलमीडिया पर काफी वायरल भी हुआ था.

साउथ इंडियन लुक से जीता फैंस का दिल

लहंगे के अलावा एक्ट्रेस ने अपना साउथ इंडियन लुक भी फैंस के साथ शेयर किया था. दरअसल, एक फोटो में प्रणाली राठौड़ नीले कलरे के लौंग स्कर्ट संग पीले ब्लाउज और दुप्ट्टे में साउथ इंडियन वाइब देती नजर आईं थीं. वहीं बालों में गजरा लगाए एक्ट्रेस ने अपने इस लुक को कम्पलीट किया था.

ट्रैंडी लहंगे में आईं नजर

अक्षरा के रोल में इन दिनों प्रणाली राठौड़ नए-नए लहंगे ट्राय कर रही हैं, जिसमें वह ट्रैंड का भी पूरा ख्याल रख रही हैं. इन दिनों पेस्टल कलर के लहंगे ट्रैंड में हैं. वहीं एक्ट्रेस भी सीरियल में पेस्टल कलर के हैवी एम्ब्रैयडरी वाले लहंगे में नजर आ चुकी हैं, जो फैंस को काफी पसंद आया था.

 

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साड़ी में भी लगती हैं खूबसूरत

लहंगों के अलावा एक्ट्रेस प्रणाली राठौड़ का साड़ी कलेक्शन भी बेहद खास है. ट्रैंड रफ्फल साड़ी में एक्ट्रेस का लुक बेहद खूबसूरत है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

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Summer Special: शाही अंदाज में सैरसपाटा

घुमक्कड़ लोग 2 मिजाज के होते हैं. पहले वाले घुमक्कड़ पर्यटन स्थलों के सैरसपाटे से ही वास्ता रखते हैं. उन के लिए कहां रुकना है या फिर कहां खानपान होगा, ज्यादा माने नहीं रखता. जबकि दूसरे मिजाज के पर्यटक पर्यटन स्थलों को जितनी तरजीह देते हैं उतनी ही तरजीह रहने के शाही ठौर और खाने के मशहूर ठिकानों को देते हैं. दूसरे मिजाज के इन्हीं पर्यटकों के लिए लग्जरी पैकेज का चलन बना है. आमतौर पर लग्जरी पैकेज कुलीन वर्ग या कहें एलीट क्लास के लोग ही अफोर्ड कर सकते हैं क्योंकि इन में शानदार इंटरकौंटिनैंटल रेस्तरां, होटल, लग्जरी रिजौर्ट, पांचसितारा होटल शामिल होते हैं. लेकिन ऐसी कोई शर्त नहीं है कि आम मध्यमवर्गीय लोग लग्जरी पैकेज नहीं ले सकते, साल में 5 बार नहीं तो साल दो साल में 1 बार तो वे भी लग्जरी पैकेज का आनंद ले ही सकते हैं. लग्जरी पैकेज में हम आप के लिए लाए हैं कुछ चुनिंदा पर्यटन ठिकानों के बारे में जानकारीपरक फीचर, ताकि इन छुट्टियों में आप भी लग्जरी टूरिज्म का यादगार अनुभव ले सकें.

पैलेस औन व्हील्स

लग्जरी पैकेज में पैलेस औन व्हील्स एक ऐसा विकल्प है जो सफर में ही पर्यटन का इतना लुत्फ देता है कि किसी मंजिल तक जाने की जरूरत ही नहीं होती. यानी चलतेचलते ही सैर कर होटल, रेस्तरां और पर्यटन का पैकेज एकसाथ लिया जा सकता है. इसीलिए पैलेस औन व्हील्स सिर्फ देसी पर्यटकों के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानियों को भी खासा भाता है. राजामहाराजाओं की जीवनशैली और ठाटबाट के साथ राजस्थान की सैर कराने वाली आलीशान ट्रेन ने उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ लग्जरी ट्रेन का खिताब जीता है. इस ट्रेन को राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड एवं भारतीय रेलवे द्वारा संचालित किया जाता है. मेहमाननवाजी एवं परंपरागत शाही अंदाज के लिए हर कोई इस की सवारी एक बार जरूर करना चाहता है. ट्रेन में राजसी जीवनशैली के ठाट हैं तो वहीं पर्यटकों की मौडर्न जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्पा और हैल्थ क्लब, जिम आदि का भी इंतजाम है. जरा सोचिए चलती ट्रेन में प्रत्येक सैलून में वाशरूम के साथ वाटर प्यूरीफायर्स की सुविधा के साथ मनोरंजन का भी इंतजाम हो तो कौन नहीं चाहेगा कि यह सफर यों ही चलता रहे. इस गाड़ी में पांचसितारा होटल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं.

फलकनुमा पैलेस

दक्षिण भारत में अगर लग्जरी पर्यटन का मजा लेना है तो ताज फलकनुमा से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता. बजट यहां भी मोटा होगा लेकिन जिस शाही अंदाज की सुविधाएं यहां मिलती हैं उन्हें देखते हुए इसे महंगा कहना सही नहीं होगा. फलकनुमा पैलेस की हाल में चर्चा सलमान खान की बहन अर्पिता की शादी के दौरान जम कर हुई थी. वैसे फलकनुमा पैलेस अपने शाही मेहमानों के लिए काफी अरसे से मशहूर माना जाता है. यहां आ कर अगर आप को बीते दौर के निजाम या महाराजा जैसा फील हो तो आश्चर्य की बात नहीं.

इतिहास :

हैदराबाद का यह लग्जूरियस पैलेस पैगाह हैदराबाद स्टेट से ताल्लुक रखता है. इस पर बाद में निजामों ने आधिपत्य किया. 32 एकड़ में फैला यह शाही महल चारमीनार से महज 5 किलोमीटर दूर है. इसे नवाब विकार उल उमरा ने बनवाया था जो तत्कालीन हैदराबाद के प्रधानमंत्री थे. फलकनुमा यानी आसमान की तरह या आसमान का आईना. इस की रचना एक अंगरेजी शिल्पकार ने की थी. इसे कुल 9 साल में पूरा किया गया. इटैलियन पत्थर से बना यह फलकनुमा 93,971 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है. सर विकार इस स्थान को अपने निजी निवास के तौर पर प्रयोग करते थे, बाद में यह हैदराबाद के निजाम को सौंप दिया गया.

फलकनुमा पैलेस के निर्माण में इतनी अधिक लागत आई कि एक बार तो सर विकार को भी एहसास हुआ कि वे अपने लक्ष्य से कहीं ज्यादा खर्च कर चुके हैं. बाद में उन की बुद्धिमान पत्नी लेडी उल उमरा की चालाकी से उन्होंने यह पैलेस निजाम को उपहार में दे दिया जिस के बदले में उन्हें इस पर हुए खर्च का पूरा पैसा मिल गया. बाद में निजाम ने इस महल को शाही अतिथि गृह की तरह से प्रयोग करना शुरू कर दिया क्योंकि इस से पूरे शहर का नजारा देखने को मिलता था. सन 2000 तक यह पैलेस सामान्य जनता के लिए बंद था.

शाही ठाट :

वर्ष 2000 में इस को मौडिफाइड कर 2010 में पर्यटकों और शाही मेहमानों के लिए खोल दिया गया. इस के कमरों व दीवारों को फ्रांस से मंगाए गए और्नेट फर्नीचर, हाथ के काम किए गए सामान तथा ब्रोकेड से सुसज्जित किया गया. यहां बिलियर्ड्स रूम भी है जिसे कि बोरो और वाट्स ने डिजाइन किया था. इस में स्थित टेबल अपनेआप में अद्भुत है क्योंकि ऐसी 2 टेबल्स का निर्माण किया गया था जिन में से एक बकिंघम पैलेस में है तथा दूसरी यहां स्थित है. खानपान के मामलों में तो यहां निजामों वाला शाही इंतजाम है. 101 सीट्स वाला भोजनगृह है जिसे दुनिया का सब से बड़ा डाइनिंग हाल माना जाता है. यहां का दरबार हाल भी काफी आकर्षक है.

शाही होटल्स :

फलकनुमा के सभी कमरों में शाही फाइवस्टार होटल के जैसे इंतजाम हैं. इंटरनैट, बिजनैस सैंटर, जिम, पूल, बेबी सिटिंग सर्विस, ब्यूटी सैलून, कौन्फ्रैंस सर्विस, नौनस्मोकिंग रूम, कौकटेल लाउंज, जकूजी मसाज सर्विस, बौडी ट्रीटमैंट, बैंक्वेट, जेड रूम, हुक्का लाउंज, बिलियर्ड ऐंड डाइनिंग रूम जैसी शाही सुविधाएं हैं. साथ ही संगीत के विशेष कार्यक्रमों की सौगात भी है.

खानपान :

जितना शाही यह पैलेस है उतना ही शाही यहां का खानपान है. खाने के नाम पर नवाबी अंदाज में बार्बेक्यू रेस्तरां में शाही लजीज कबाब और रौयल अंदाज में बिरयानी सर्व की जाती है. जेड रूम में लंच, स्पैशल खाना, चौकलेट शैंपेन और कई रौयल डिशेज परोसी जाती हैं. वाइन लिस्ट में दुनियाभर की वाइन का इंतजाम होता है. वहीं, बे्रकफास्ट में जेड वरंदाह में परंपरागत हैदराबादी डिश, चारमीनारी ब्रेकफास्ट, टर्किश और साउथ इंडियन खाना खास है. हालांकि यह सुविधा सिर्फ विंटर्स में मिलती है. रौयल टैरेस में भी इंडियन, चाइनीज और कौंटिनैंटल की सारी डिशेज फलकनुमा के टैरेस में रौयल अंदाज में परोसी जाती हैं. हुक्का लाउंज में फ्लेवर्ड हुक्का की बेहतरीन वैराइटीज और रोमांटिक मूड का खास इंतजाम है.

कुल मिला कर इस

के होटल में लग्जरी के सारे विकल्प मौजूद हैं. कौन्फ्रैंस हाल दरबार में 500 मेहमान, जेड रूम में चायपान के लिए 40 मेहमान, राजस्थानी गार्डन में 150 मेहमान और बोर्डरूम में 17 लोगों का खास इंतजाम हर समय रहता है. होटल मैनेजमैंट की तरफ से लोकल टूर गाइड भी मुहैया कराया जाता है, जो आप को लग्जरी ठिकानों की सैर कराता है.

किराया :

ताज फलकनुमा पैलेस में शुरुआती रेट 38 हजार से 40 हजार के बीच है. बाकी टूर औपरेटर्स के जरिए इस से कम की डील भी ली जा सकती है.

कैसे पहुंचें

हैदराबाद पहुंच कर इंजन बावली पहुंच गए तो समझ लीजिए आप फलकनुमा आ गए. पास में और भी पर्यटन स्थल जैसे कि नेहरू जूलौजिकल पार्क, चारमीनार, तारामती बारादरी, सालारजंग संग्रहालय भी हैं. यानी यहां शाही रहनसहन के साथ नजदीकी पर्यटन के अड्डों का भी मजा लेना बेहद आसान है. सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से इस की दूरी 15 किलोमीटर है जबकि राजीव गांधी हवाई अड्डे से यह 17 किलोमीटर दूर है. अन्य जानकारियां इस की वैबसाइट ताज होटल्स डौट कौम पर मिल जाएंगी.

द लीला : गोआ

अकसर सैलानी गोआ जाने का मतलब वहां के बीच और आईलैंड ही मानते हैं और जब वहां के नजारे के साथ रहने के विकल्प खोजते हैं तो मुश्किल में फंस जाते हैं. कोई पेइंगगैस्ट ढूंढ़ता है तो कोई होटल के मामले में कन्फ्यूज्ड रहता है. जबकि गोआ में घूमने का मतलब ढेर सारी मस्ती, स्पा, बीच और शाही रहनसहन से है. भारत में ज्यादातर नए कपल्स हनीमून के लिए गोआ आते हैं.

लेकिन जरा सोचिए, अगर हनीमून के लिए शाही कमरा या होटल न हो तो फिर गोआ आने का मजा कैसा. इसलिए अगर अपना बजट थोड़ा सा संभाल सकते हैं तो गोआ का द लीला होटल न सिर्फ आप के हनीमून को यादगार बना सकता है बल्कि बीच और आईलैंड के बीच कमरे में रहने और शानदार सुविधाओं का यादगार तोहफा भी देता है.

शाही अंदाज

लीला होटल देशीविदेशी लोगों को लग्जरी के मामले में खासा भाता है. यह कई तरह के पैकेज देता है जो अलगअलग सीजन के हिसाब से मुफीद बैठते हैं. इस पांचसितारा होटल में 206 शानदार कमरे हैं जो वैलफर्निश्ड होने के साथसाथ वाईफाई तकनीक और अन्य आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. इन मौडर्न डिजाइन कमरों में कई क्लास हैं. मसलन, लैगून टैरेस रूम, रूम लैगून, सुइट लैगून, डीलक्स सुइट, क्लब पूल सुइट, रौयल विला आदि. लीला में खानपान के नाम पर इंडियन से ले कर इटैलियन और सभी देशों के व्यंजन मिलते हैं. जरा सोचिए, चांदनी रात में होटल के पूल एरिया में डिनर करना कितना शाही अनुभव होगा. इस के अलावा कैफे, ब्रेकफास्ट सर्विस, बार, बार्बेक्यू ग्रिल और रेस्तरां आप को लग्जरी ट्रिप का पूरा मजा देते हैं. पूल एरिया में ही डांस, मस्ती और बार का भी इंतजाम है. लीला में बौडी मसाज से ले कर स्पा, जिम और बौडी ट्रीटमैंट के भी ढेरों विकल्प मौजूद हैं.

कहां और कैसे

दक्षिण गोआ में स्थित इस होटल तक पहुंचने के लिए एअरपोर्ट से 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इस के नजदीक मोबोर बीच काफी फेमस है. अन्य जानकारी इस की वैबसाइट लीला डौट कौम पर मिल जाएगी. पैकेज : लीला में समर गेटवे औफर, समर मानसून पैकेज सीजन के मुताबिक मिलते हैं जिन का किराया, 5 हजार रुपए से शुरू हो कर 10 हजार रुपए तक चलता है. अधिक जानकारियां इस की वैबसाइट द लीला डौट कौम/गोवा होटल्स पर मिलेंगी.

अन्य सुविधाएं : अन्य सुविधाओं में बार, रेस्तरां, बार्बेक्यू, इंटरनैट, बिजनैस सैंटर, जिम, पूल, बेबी सिटिंग सर्विस, ब्यूटी सैलून, कौन्फ्रैंस सर्विस, नौन स्मोकिंग रूम, कौकटेल लाउंज, जकूजी मसाज सर्विस, बौडी ट्रीटमैंट, बैंक्वेट, जेड रूम, हुक्का लाउंज शामिल हैं.

रामनिवास बाग

जयपुर खूबसूरत बगीचों का शहर है. जयपुर में केसर क्यारी, मुगल गार्डन, कनक वृंदावन, जयनिवास उद्यान, विद्याधर का बाग, सिसोदिया रानी का बाग, परियों का बाग, फूलों की घाटी, रामनिवास बाग, सैंट्रल पार्क, स्मृति वन जलधारा, जवाहर सर्किल, स्वर्ण जयंती उद्यान आदि दर्जनों उद्यान हैं. लेकिन रामनिवास बाग सब को मात दे कर चहेता पर्यटन स्थल बन गया है. यहां के बाग शहर के सब से खूबसरत उद्यानों में से एक हैं. 

इतिहास :

रामनिवास बाग का निर्माण 1868 में जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने कराया. हवामहल का निर्माण कराने वाले महाराजा प्रतापसिंह सौंदर्योपासक थे. उन्होंने जयपुर की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए बहुत प्रयास किए जिन में उस समय का सब से खूबसूरत और विशाल उद्यान था रामनिवास बाग. राजस्थान एक कम वर्षा वाला राज्य है. इसलिए यहां के शासकों ने शहर को सुंदर बनाने और सर्वसाधारण को गरमी में विहार करने के लिए उपयुक्त स्थान देने के लिए बागबगीचों का निर्माण कराया. प्राकृतिक संतुलन के लिए भी यह जरूरी है. शाम के समय यहां राजपरिवार के सदस्य भ्रमण के लिए आते थे. अल्बर्ट हाल के स्थान पर एक केंद्रीय बड़ा गुलाब बगीचा था. हर शाम यहां विदेशी मेहमानों के परिवार और राजपरिवार के सदस्यों की मौजूदगी से खुशगवार माहौल बन जाता है. कुछ समय के लिए यह गार्डन नागरिकों के लिए भी खोला जाता था. रामनिवास बाग का निर्माण शहर को सूखे से बचाने के लिए किया गया था.

क्या है खास

रामनिवास बाग आधुनिक महानगर जयपुर के बीचोबीच है और अपने विस्तार व खूबसूरती से सभी को बहुत प्रभावित करता है. शहर के बीचोंबीच इतना बड़ा हराभरा भूभाग अपनेआप में एक मिसाल है. यह जयपुर को ग्रीन सिटी का दरजा दिलाने में अहम भूमिका निभाता है. यहां मनोरंजन के भी कई विकल्प हैं. यहां फुटबाल का एक बड़ा मैदान है. इस के अलावा इस के कई टुकड़ों में बने वर्गाकार बगीचों में नागरिकों के बैठने, सुस्ताने और आराम करने के लिए छायादार घने वृक्ष हैं. रामनिवास बाग परिसर में ही रवींद्र मंच, अल्बर्ट हाल, चिडि़याघर आदि हैं जो पर्यटकों के लिए मनोरंजन के विशेष साधन हैं.

आकर्षण :

बाग के बीचोंबीच गोलाकार सर्किल में शहर का म्यूजियम अल्बर्ट हाल स्थित है. जब रामनिवास बाग बना था तब यहां यह म्यूजियम नहीं था. बाद में महाराजा प्रतापसिंह से माधोसिंह (द्वितीय) तक के कार्यकाल में इसे बना कर तैयार किया गया. वर्तमान में अल्बर्ट हाल रामनिवास बाग की पहचान बन गया है. वहीं रवींद्र मंच रामनिवास बाग के उत्तरपूर्वी परिसर में स्थित है. रवींद्र मंच एक विशाल प्रेक्षागृह है. यह राजस्थान का सब से बड़ा प्रेक्षागृह है. समयसमय पर यहां नाटकों का मंचन किया जाता है. यहां 2 चिडि़याघर हैं. जयपुर के चिडि़याघर में दुर्लभ वन्यजीवों के साथ टाइगर का होना मुख्य आकर्षण है.

कैसे जाएं

यहां जाने के लिए जयपुर के अजमेरी गेट जाना पड़ता है. उस के पास ही यह बाग स्थित है.

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रेतीली चांदी- भाग 3: क्या हुआ था मयूरी के साथ

देहरादून से वापस लौटते ही मयूरी को मां का भेजा पत्र मिला कि उन्होंने एक अच्छे संभ्रांत परिवार में उस का रिश्ता तय कर दिया है. केवल औपचारिक तौर पर वे लोग एक बार आमनेसामने लड़की को देखना चाहते हैं. तभी वे शगुन की रस्म भी कर देंगी. सो, अगली गाड़ी से ही वह घर आ जाए.

मां का पत्र पढ़ कर मयूरी थोड़ा पसोपेश में पड़ गई. अब वह मां को अपने दिल की बात कैसे बताए कि वह केवल राहुल को चाहती है व उसी से शादी करना चाहती है. मां का पत्र राहुल व सारा ने भी पढ़ा.

राहुल के चेहरे पर कई रंग आ कर चले गए. कुछ सोच कर वह बोला, ‘देख लो, फैसला तुम्हारे हाथ में है. एक तरफ तुम्हारी पसंद का देखापरखा तुम्हारा प्यार है, दूसरी तरफ एक अनजान परिवार जिसे न तुम ने पहले देखा है न बिलकुल जानती हो. बालिग हो, अपना फैसला खुद लेने का हक है तुम्हें. हम लोग यहीं कोर्ट में विवाह कर लेते हैं, बाद में मां को बता देंगे.’

‘पर इस तरह शादी कर लेने से मां को बहुत दुख होगा. हम दोनों बहनों के लिए उन्होंने बहुत दुख उठाए है.’ मयूरी के संस्कार उसे मां से बगावत करने से रोक रहे थे, पर अमीर राहुल से विवाह होने पर सुखसुविधा संपन्न जीवनयापन की चाह मां के फैसले के उलट करने को उकसा रही थी.

राहुल द्वारा कोर्टमैरिज के लिए जोर देने पर, उस से विवाह करने की दिली इच्छा होते हुए भी, वह मां को अंधेरे में रख कर यह विवाह नहीं करना चाहती थी. उसे वह ठीक नहीं समझ रही थी. वह विवाह तो करना चाहती थी पर मां की खुशी के साथ.

आखिर सोचविचार कर, एक बार मां को मनाने की कोशिश करने के लिए वह राहुल व सारा के साथ अगले ही दिन मां के पास जा पहुंची थी. वहां राहुल ने अपना परिचय देने के साथ ही मयूरी का हाथ भी मांग लिया तो वे इस प्रस्ताव से चौंक उठी थीं, ‘कहां तुम लोग और कहां हम. रिश्ता तो बराबरी वालों में ही अच्छा रहता है.’

‘बराबरी केवल पैसों से ही थोड़े न होती है. मुझे आप की बेटी बेहद पसंद है. आप फिक्र न करें, हमें कोई दानदहेज नहीं चाहिए?  बस, अपनी बेटी 3 कपड़ों में विदा कर दीजिएगा,’ राहुल ने अपील की.

‘पर तुम्हारे मातापिता भी आ जाते, तभी बात पक्की करते,’ वे असमंजस में पड़ कर बोलीं. इतने बड़े घर से बेटी का रिश्ता मांगा जाता देख वे थोड़ी हतप्रभ थीं, साथ ही उन्हें खुशी भी थी कि बेटी इतने बड़े संपन्न घर जा कर चैन से जिंदगी बसर करेगी.

‘हमारी मौम तो अब रही नहीं. हां, डैडी हैं, पर वे इस समय बिजनैस के सिलसिले में हौंगकौंग गए हुए हैं. सो, उन का आना तो फिलहाल संभव नहीं है. अपने डैडी से मैं खुद मयूरी को मिलाने ले जाऊंगा. तभी शादी का रिसैप्शन दिया जाएगा. अभी तो बस आप इजाजत दे दीजिए, ताकि मैं मयूरी से कोर्टमैरिज कर सकूं. क्योंकि 2 दिनों बाद ही मुझे भी बिजनैस की कई मीटिंग्स अटैंड करने फ्रांस जाना है और फिर शायद जल्दी आना नहीं हो पाएगा.’

‘पर इतनी जल्दी मयूरी का पासपोर्ट वगैरह कैसे बन पाएगा?’ वसुंधरा के मुंह से निकला.

‘वह मैं अरैंज करा दूंगा. मेरी जानपहचान है.’

राहुल ने कहा तो वसुंधरा को फिर इस रिश्ते के लिए न कहने की कोई वजह नहीं दिखी. उसे सबकुछ स्वप्न सा लग रहा था. वसुंधरा अपने रीतिरिवाजों के अनुसार विवाह की रस्में पूरी करवाना चाहती थी. पर पैसे व समय दोनों की बचत करने पर जोर दे कर राहुल कोर्टमैरिज करने के फैसले पर ही अड़ा रहा और दोचार जानपहचान वालों की मौजूदगी में उन लोगों ने एक हलफनामे पर हस्ताक्षर कर के विवाह की फौर्मेलिटीज पूरी कर दीं. वसुंधरा के बहुत मना करने पर भी राहुल डेढ़ लाख रुपए अपने यहां की ‘हक’ की रस्म के नाम पर उन्हें दे ही गया.  क्रमश:

क्या जो हसीन सपने मयूरी देख रही थी वाकई पूरे होने वाले थे या कुछ ऐसा होने वाला था जो कोई सोच भी नहीं सकता था.

मयूरी को होश आया तो उस ने खुद को अस्पताल के बैड पर पाया. उस के एक हाथ में टेप से चिपकी सूई लगी हुई थी और ग्लूकोज चढ़ रहा था. उस ने धीरे से आंखें खोल एक नजर आसपास डाली पर कमजोरी के कारण फिर आंखें बंद कर लीं. कुछ पल तो उसे यह समझने में ही लग गए कि वह वहां कैसे आई…जरूर सुबह मजदूरों ने उसे बेहोश पा कर यहां अस्पताल में ला कर भरती करा दिया होगा. तभी एक नर्स आ कर उस का ब्लडप्रैशर नापने लगी तो उस की आंखें खुल गईं.

नर्स के साथ ही एक डाक्टर भी थे जो उसे होश में आया देख पूछ रहे थे, ‘‘होश आ गया आप को, अब कैसा फील कर रही हैं?’’

‘‘काफी ठीक लग रहा है, मैं यहां आई कैसे?’’

‘‘आप 2 दिनों से बेहोश पड़ी हैं…’’ उस का बीपी चैक करती नर्स ने बताया तो वह चौंक पड़ी.

‘‘2 दिनों से?’’

‘‘जी हां, 2 दिनों से,’’ इस बीच डाक्टर उस की रिपोर्ट भी पढ़ते रहे.

‘‘पर मुझे यहां लाया कौन?’’ वह कमजोर सी आवाज में पूछ उठी.

‘‘वह तो भला हो खान चाचा का, जो आप को कचरे के ढेर के पास से उठा कर यहां लाए थे. वरना कुछ भी हो सकता था. उस की बांह पर से बीपी इंस्ट्रूमैंट की पट्टी खोलती नर्स बोली.’’

‘‘खान चाचा कौन हैं? कहां हैं? वह पूरी बात जानना चाह रही थी.

‘‘हमारे अस्पताल में स्टाफ के चीफ हैं. अभी औपरेशन थिएटर में डाक्टर साहब के साथ हैं, आते ही होंगे,’’ नर्स उसे बता कर अगले मरीज के पास पहुंच गई.

थोड़ी देर बाद ही 45-50 वर्षीय, खिचड़ी बालों वाले खान चाचा, औपरेशन पूरा होने के बाद उस के पास आए. उसे होश में आया देख उन्होंने राहत की सांस ली, ‘‘शुक्र है तुम्हें होश तो आया. अब कैसी तबीयत है?’’

‘‘बहुत बेहतर, आप का शुक्रिया कैसे अदा करूं, समझ नहीं पा रही,’’ उन्हें देखती मयूरी बोल उठी.

‘‘बेटा, शुक्रिया मेरा नहीं, समय का अदा करो. हम तो समय पर पहुंच गए थे.’’

‘‘मेरे लिए तो आप ही सबकुछ बन कर आए हैं.’’

‘‘अच्छा छोड़ो, यह बताओ तुम वहां कचरे के ढेर के पास कैसे पहुंच गईं? अपने घर का पता दो, तो तुम्हारे मातापिता को सूचना दूं. परेशान हो रहे होंगे वे लोग. यह तो कहो, मेरा घर वहीं पास में ही है. अपनी नाइट ड्यूटी खत्म कर के मैं वहां से गुजर रहा था, तब तुम्हारे कराहने की आवाज सुनी व बदन में हरकत देखी तो फौरन यहां ले आया.’’

मयूरी को समझ नहीं आ रहा था कि एक अजनबी पर वह कितना यकीन करे. एक बार धोखा खा चुकी थी, अब दोबारा नहीं खाना चाहती थी. पर उस के सामने कोई चारा न था. फिर खान चाचा तो नेक बंदे लग रहे थे. वरना आजकल की स्वार्थी दुनिया में, जहां लोग अपनों की मदद करने में हिचकते हैं, उस जैसी अनजान लड़की के लिए इतनी जहमत हरगिज नहीं उठाते. सो, उस ने संक्षेप में खान चाचा को सबकुछ सचसच बता दिया. वहां से भागते हुए वह तो उस बिल्ंिडग के अंदर पहुंचते ही बेहोश हो कर गिर पड़ी थी. सुबह वहां काम करने वालों ने शायद उसे मरा हुआ समझ कर पुलिस की झंझटों से बचने के लिए थोड़ी ही दूर पर बने कचरे के डलाव के पास डाल दिया होगा.

मयूरी के साथ घटी पूरी दास्तान सुन कर खान चाचा फिक्रमंद हो गए थे. उस की तबीयत थोड़ी संभल जाने पर अस्पताल से छुट्टी करा कर वे उसे अपने साथ अपने घर ले गए, जहां उन की पत्नी साबिया बेगम व बेटी सना थीं. उन्हें पहले ही संक्षेप में सबकुछ बता कर उन्होंने मयूरी को, भारत वापस लौटने तक अपने साथ ही रखने का मशवरा कर लिया था. सो, घर में सब ने उसे हाथोंहाथ लिया. जरा भी पराएपन का एहसास नहीं होने दिया. जानपहचान वालों से उसे अपना दूर का रिश्तेदार बता दिया गया था.

अगले दिन खान चाचा ने मयूरी की तरफ से राहुल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा कर पासपोर्ट बनवाने के लिए अप्लीकेशन जमा करवा दिया. साथ ही, पूरे घटनाक्रम की एक प्रति भारतीय दूतावास को भी भेज दी.

आगे पढ़ें- रहने के लिए उसे खान चाचा ने…

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