Periods में क्लौट्स आने से हीमोग्लोबिन कम हो गया है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 31 साल की विवाहिता हूं. 7 महीने पहले कंडोम फट जाने से मेरा गर्भ ठहर गया था. लेकिन हम बच्चा नहीं चाहते थे, इसलिए मैं ने डी ऐंड सी करवा ली थी. सफाई के बाद मुझे अगले 15 दिन रक्तस्राव होता रहा. समस्या यह है कि तभी से मुझे मासिकधर्म के समय अधिक खून जाने लगा है, जिस में क्लौट्स भी आते हैं. मेरा हीमोग्लोबिन घट गया है और मुझे बहुत कमजोरी लगने लगी है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

मासिकधर्म के समय अधिक खून जाने के कई कारण हो सकते हैं. इन में पेड़ू की सूजन, गर्भाशय की रसौली, डिंब ग्रंथि की रसौली, एंडोमिट्रियासिस और कौपर टी वगैरह आम कारण हैं. कई शारीरिक विकार जैसे थायराइड, ऐनीमिया, रक्त कैंसर और ब्लड क्लौटिंग तत्त्वों की कमी होने से भी अधिक रक्त जा सकता है. आप की समस्या किस वजह से है, इस का पता लगाने के लिए आप किसी कुशल स्त्रीरोग विशेषज्ञा से चैकअप करवाएं. शरीर में आई खून की कमी को दूर करने के लिए अपने आहार पर विशेष ध्यान दें. कुछ महीनों के लिए आयरन और विटामिनों की पूर्ति के लिए गोली या कैप्सूल भी ले सकती हैं.

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क्या आप आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की पर्याप्त और सही मात्रा के बारे में जानते हैं. पुरुषों में हीमोग्लोबिन की सही मात्रा 14 से 17 ग्राम/100 मिली. रक्त होती है, वहीं स्त्रियों में ये मात्रा 13 से 15 ग्राम/100 मिली. रक्त होती है. शिशुओं के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा लगभग 14 से 20 ग्राम/100 मिली. रक्त होनी चाहिए.

यहां हम आपको एक बहुत ही साधारण सी बात बता देना चाहते हैं कि दिन में एक सेब अवश्य खाकर आप आपके शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर को सामान्य बनाए रख सकते हैं. इसके अलावा इन बातों का ध्यान रख कर भी आप अपने शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने से रोक सकते हैं.

स्वास्थ्यवर्ध्क गुणों से भरपूर लीची, रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया में सहायक होती है. लीची में बीटा कैरोटीन, राइबोफ्लेबिन, नियासिन और फोलेट जैसे विटामिन बी उचित मात्रा में पाया जाता है. इसमें मौजूद विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है.

शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने के लिए चुकंदर सबसे अच्छा खाद्य प्रदार्थ है. चुकंदर पोषक तत्वों की खान है. इसमें आयरन, फोलिक एसिड, फाइबर, और पोटेशियम ये सभी सही मात्रा में पाया जाता है. ये शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि करता है.

इनके अलावा अनार हीमोग्लोबिन बढ़ाने में बहुत लाभकारी होता है. अनार में आयरन और कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर जैसे तत्व होता हैं, जिनसे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में मदद मिलती है.

गुड़ का सेवन करना भी एक बेहद उत्तम तरीका है. गुड़ में आयरन फोलेट और कई विटामिन बी शामिल हैं जो हीमोग्लोबिन स्तर को बढ़ाने के लिए और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मददगार होते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- हीमोग्लोबिन की कमी को ऐसे पूरा करें

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कोरोना के बहाने: पति-पत्नी शोध का प्रबंध

‘तुम को सौगंध है कि आज मोहब्बत बंद है…’, ‘शायद मेरी शादी का खयाल दिल में आया है इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है…’ फिल्म ‘आप की कसम’ की मोहब्बत भी क्वारंटीन यानी संगरोध में हो कर बंद होगी. और फिल्म ‘सौतन’ के गीत में तो राजेश जी को पंछी अकेला देख कर चाय पर बुलाया गया था, लेकिन आजकल छींक, खांसी और किसी के नजदीक जा कर बात तक करना किसी सौतन से कम नहीं है.

जो मित्र बातबात पर मिलते ही गले लग कर हग करते थे, वह भी आजकल दूर से ही ‘नमस्ते जी’ कह कर पास से निकल जाते हैं.

अब नकारा लोगों को तो छींक मारने जैसा एक अहिंसक हथियार मिल गया है, वह अपने बौस के पास जा कर बस छींक या खांस देते हैं तो बौस खुद अपनी जेब से नया रूमाल निकाल कर दूर से पकड़ाते हुए उन्हें अपने चैंबर से बिना कुछ कहे तुरंत बाहर भेज देते हैं. खुद ही उन के घर पर रहो और ‘वर्क फ्राॅम होम’ का आर्डर भी निकाल देते हैं.

कोरोना संपर्क में आने पर मार डालता है, पत्नी संपर्क में आ कर मरने नहीं देती. जिन्हें घर से बाहर रह कर हाथ साफ करने की आदत थी, वह भी अब घर पर रह कर पत्नी से नजरें मिलते ही हाथ धोने बाशरूम में भाग जाते हैं, क्योंकि आंखों का पुराना इशारा कहीं उन्हें भावनाओं में बहा कर नजदीक ला कर गले न मिला दे.

आपने  सुना ही होगा, -‘पति, पत्नी और वो’. तो जनाब, ये कोरोना भी पति, पत्नी को ‘वो‘ की तरह ही परेशान करता है.

मगर यहां एक नई परेशानी यह है कि यह ‘वो’ ऐसी है जो किसी को भी कहीं भी दिखती ही नहीं ससुरी. अदृश्य रहती है.

कोरोना के सामने सांस लेना दूभर होता है, तो पत्नी के सामने बात करना. ऐसे में किसी की पत्नी यदि चिड़चिड़ी, तुनकमिजाज हो तो उस बेचारे को तो दूर से ही बातबात पर एक के बाद एक इतने आदेश मिलते हैं कि वह उस के आदेशानुसार प्रत्येक काम  करने के बाद खुद ही बारबार कई बार हाथ धोता है. वह सारे झूठे बरतन और बाथरूम के सेनेटरी पाॅट भी खुद धोता है. बाद में बारबार हाथ धोता है. सेनेटाइजर लगाता है, जनाब.

आजकल कोरोना ने पतियों को घर में क्वारंटाइन कर रखा है, तो पत्नियां तो पहले भी बातबात पर अपने पति से नाराज हो कर अपनेआप को धाड़ से तुनक कर शयन कक्ष में बंद कर लेतीं थीं यानी जबतब शयन कक्ष का ‘कोप पलंग’  उन्हें अपने आगोश में शांत रखता था. और फिर घर का कामकाज बेचारे पति को ही संभालना पड़ता था.

हां, यह बात अलग है कि इस बार क्वारंटाइन में रह कर समस्त पति प्रजाति अपने नाकमुंह को मास्क से ढक कर व कानों में मोबाइल का ईयर फोन ठूंस कर गीतसंगीत सुनते हुए आराम से चुपचाप एकांतवास फीलिंग में काम कर रही है. बेचारे पति जाएं भी तो जाएं कहां. घर में तुनकमिजाज पत्नी है, बाहर जानलेवा कोरोना. दोनों तरफ ही उस की जान पर बन आई है, जी. बस, उस ने अपने कोरोनाघात निरोध के लिए सेनेटाइजर की बोतल को अपनी जेब में सुरक्षित कर रखा है और दिनभर में कई बार अपने हाथों पर मल कर भविष्य हेतु पुनः समर्थ और सुरक्षित महसूस करता है.

लौकडाउन अवस्था में क्वारंटाइन में रह कर भी मोहब्बत बंद है. एकांतवास में रह कर सबकुछ डाउन है, इसलिए पहले अपनेअपने फेफड़ों और सांसों को बचाने का लगाव है. क्या करें, जान है तो जहान है, न जनाब मेरे भाई.

कोरोना से बचने का सही और सुरक्षित इलाज है कि लौकडाउन में रहते हुए पत्नी से भी 1 मीटर की शारीरिक दूरी बनानी बहुत जरूरी है.

वैसे जो समझदार अच्छे पति हैं, वह पत्नी के नजदीक खास मौके पर पहले ही सुरक्षित हो कर आते हैं या सुरक्षित साधनों को जेब में रख कर ही उन के नजदीक आते हैं. सावधानी हटी, परिवार बढ़ा का सिद्धांत यहां लगता है.

समझदार पति तो प्रत्येक माह की पहली और दूसरी तारीख को अपनी पत्नी के नजदीक बिलकुल भी नहीं फटकना चाहता. फिर भी पत्नी समझदार होती है, इसलिए वह इन दिनों में पति से ज्यादा उस के बटुए पर अपनी पैनी नजर रखती है. कार्यालय से पति बेचारे को घर पहुंचते ही अपनी तनख्वाह से हाथ धोना पड़ता है.

समझदार पत्नी कुछ रुपए तो घरेलू मासिक खर्च के नाम पर ले लेती हैं और कुछ अच्छे सौंदर्य प्रसाधनों की खरीद के नाम पर. वह बेचारा पति इसलिए भी दे देता है कि आज नहीं तो कल जब नजदीकियां बढ़ेंगी तो इन के सौंदर्य प्रसाधन काम तो मेरे ही आने हैं. वह जानता है कि अच्छा सौंदर्य प्रसाधन पत्नी के चेहरे की सुंदरता के साथसाथ पति के स्वास्थ्य को भी नुकसान नहीं पहुंचाता.

वैसे, कोराना ने परमाणु बमों की ताकत को भी बौना बना दिया. कोराना अदृश्य दानव बन कर सामने आया तो हम सब उस से बचने के लिए अपनेअपने घरों में छिपने लगे. घरों में ही रहना एकमात्र सहारा बताया गया. बाहर निकले तो हमारी सांसों पर ऐसा आक्रमण हो सकता है कि सांसें फूल कर समाप्त हो सकती हैं और हमारी विश्व रंगमंच की पात्रता एकदम समाप्त हो सकती है. रोल खत्म हो सकता है यानी खेल समाप्त न हो, इसलिए बड़ेबड़े परिवारों तक में लोग ‘दालरोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ’ को अब फोलो कर रहे हैं. यहां ’बने रहो अपनी कुटिया में वरना दिखाई दोगे लुटिया में‘ का कोरोनायुग नवसिद्धांत जगहजगह लागू हो गया है.

कुल मिला कर, हमारे फेफड़ों पर हुआ इस भयानक वायरस का आक्रमण हमें अपने परस्पर मानवीय मूल्यों, आपसी संबंधों, जीवजंतुओं, पेड़पौधों और तरहतरह के भूगर्भ वैज्ञानिकी शोध, रहस्य और विज्ञान को फिर से समझने का मौका दे गया.

आज नहीं तो कल कोरोनासुन वापस जाएंगे और हम पुनः नवसंदर्भों के साथ जीवनयापन फिर शुरू कर देगें. जो इस बार तामसिक नहीं, पवित्र और सात्विक होगा. और मेरा विश्वास है कि मेरे नव शोध प्रबंध को भी जरूर गति मिलेगी.

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खुश रहो और खुश रखो

हमारे समाज में ऐसे पुरुषों की कमी नहीं है, जो पूरी तरह से मूड के गुलाम हैं. मूड ठीक है तो अपनी पत्नी पर ऐसे प्यार लुटाएंगे, जैसे उन से ज्यादा प्यार करने वाला पति इस दुनिया में दूसरा कोई है ही नहीं. और जिन दिनों उन का मूड ठीक नहीं रहता, तो पत्नी के खिलाफ शिकायतों का वे पिटारा खोल देते हैं और तब, पत्नी से वे ऐसा बेरुखा व्यवहार करना शुरू कर देते हैं, जैसे कोई अपरिचित महिला जबरदस्ती उन के घर में घुस आई हो, जिस से बात करना भी उन्हें पसंद न हो. बारबार ऐसा व्यवहार करने वाले पति को पत्नी समझ नहीं पाती कि जब उस ने अपने जीवनसाथी का मूड खराब करने वाला कोई काम ही नहीं किया है, उन की प्रौब्लम उन के दफ्तर या कारोबार से जुड़ी है और इस प्रौब्लम में उस का कहीं कोई हाथ ही नहीं है, तो फिर वे अपने खराब मूड का शिकार उसे बना रहे हैं?

क्यों खराब मूड के चलते घर में अपनी पत्नी के साथ बेरुखे व्यवहार को सहतेसहते एक वक्त के बाद पत्नी यह बात सोचना शुरू कर देती है कि ऐसे इनसान के साथ जिंदगी के लंबे वर्ष कैसे निभाए जा सकते हैं? ऐसे में पत्नी भी तब ईंट का जवाब पत्थर से देने की तर्ज पर, पति की ही तरह, घर में पति के रहते भी पति की उपस्थिति को अनदेखा करना शुरू कर देती है या फिर पति की ही तरह चुप्पी साध लेती है. ऐसे में दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जाती हैं और ये बढ़ती दूरियां कई बार तो उन्हें संबंधविच्छेद के बारे में सोचने को भी मजबूर कर देती हैं.

बिना किसी ठोस वजह के, संबंध तोड़ने की राह पर चलने की सोचने वाले पतिपत्नी दोनों ही तब इस बात को सोचना मुनासिब नहीं समझते कि रिश्तों का टूटना बहुत दर्द देने वाला होता है और एक बार टूटने के बाद अगर फिर से जुड़ भी गए तब भी टूटने के निशान तो रह ही जाते हैं. और ये निशान आगे की जिंदगी में हर पल उन्हें याद दिलाते रहते हैं कि प्यार के रिश्ते के मामले में वे कैसे नासमझ थे और अपने ही हाथों उन्होंने अपनी जिंदगी बदमजा बना ली है. यहां कुछ ऐसे नुसखे बताए जा रहे हैं, जिन से कमजोर होते जा रहे गृहस्थ जीवन के रिश्तों को मजबूत ही नहीं, बल्कि अटूट बनाया जा सकता है.

अपनी समस्या बताएं, दूसरे की समझें

समस्या यह है कि ज्यादातर जोड़े आलोचना और शिकायत के अंतर को समझ ही नहीं पाते. किसी काम या कथन की साधारण आलोचना को भी वे अपने पर की गई गंभीर शिकायत मान कर नाराज हो जाते हैं और अपने जीवनसाथी के साथ बोलचाल बंद कर के एक चुप्पी वाला व्यवहार अपना लेते हैं. इस से रिश्तों के रस में खटास आ जाती है. जबकि वाजिब तरीका तो यह है कि अगर पति को पत्नी के और पत्नी को पति के किसी व्यवहार से समस्या है भी तो एकदूसरे की समस्या समझने से किसी समस्या को सहज ही दूर किया जा सकता है. पति व पत्नी दोनों को ही इस बात को समझना चाहिए कि चुभने वाली किसी बात से या व्यवहार से दुखी होने पर, जब आप अपनी तकलीफ बताएंगे ही नहीं तो दूसरा उस बात को कैसे समझेगा? और आगे कैसे उस चुभने वाली बातें कहने पर रोक लगा पाएगा. इसलिए आपस की छोटीमोटी बातों को धैर्य के साथ सुने व समझें.

चुप्पी को हथियार न बनाएं

चुप्पी साधने के मामले में पति लोग हमेशा अपनी पत्नियों के मुकाबले तेजी से चलते हैं. ऐसे पति गृहस्थ जीवन में आने वाली मुश्किलों को तब ऐसे निर्विकार भाव से लेना शुरू कर देते हैं, जैसे ऐसी बातों से उन का कोई सीधा सरोकार ही न हो. उन की पार्टनर अगर उन को राह पर लाने के लिए चेहरे पर मीठी चितवन ला कर बात भी करती है, तो वे ऐसे बने रहते हैं, जैसे उन्होंने कुछ देखा ही न हो. रात को बिस्तर पर भी वे पत्नी की तरफ ऐसे पीठ कर के सोना शुरू कर देते हैं, जैसे वह कोई बेगानी औरत हो. यह स्थिति बहुत ही खतरनाक होती है. ऐसी स्थिति आने पर कई बार उन की पत्नी सोचने लगती है कि उस के रूप और यौवन के दीवाने उस के पति आखिर उस के प्रति ऐसी बेरुखी क्यों दिखा रहे हैं? कहीं उन के किसी दूसरी औरत के साथ रिश्ते तो नहीं बन गए? निराधार ही सही, पर ऐसी सोच की वजह से सुखी जीवन में दरार आ सकती है. सो पति लोग चुप्पी को हथियार बनाने से बचें.

अपनी आदतों में लाएं बदलाव

पतिपत्नी दोनों में ही कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जो उन के जोड़ीदार को नापसंद होती हैं. जैसे, पति का अपना मोबाइल इधरउधर रख कर भूल जाना और पत्नी को जल्द ढूंढ़ कर देने को कहना. और न मिलने पर कहना, ‘‘यार, तुम तो मेरा कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाती हो. यहां मेरे साथ ही तुम्हारा गुजारा हो रहा है, किसी दूसरे के पल्ले पड़तीं तो तुम्हें बहुत मुश्किल होती.’’ इस के अलावा पत्नी व बच्चों के साथ रहते भी तेज गाड़ी चलाना और पत्नी के इस अनुरोध के बावजूद कि ‘धीरे चलो जी, हमारे बच्चे हमारे साथ हैं,’ अनुरोध को नजरअंदाज कर के उसी स्पीड पर गाड़ी दौड़ाते रहना. पत्नी के मना करने के बावजूद, शौपिंग के समय गैरजरूरी चीजें खरीदते जाना. ऐसी तमाम बातें पतिपत्नी के बीच मनमुटाव की वजह बन जाती हैं. बहुत सी पत्नियां भी ऐसी हैं, जो दिन में तो टीवी पर अपने मनपसंद कार्यक्रम देखती ही हैं, शाम को व रात को भी उन की कोशि  यही रहती है कि उन का पति देश और दुनिया की खबरें सुनने के बजाय, इस समय भी वही सब कुछ देखे जो उस की पत्नी को पसंद है. ऐसी बातों से आपसी चिढ़ बढ़ती है.

एकदूसरे को चिढ़ाने वाले काम करने के बजाय पतिपत्नी दोनों को ही एकदूसरे की भावनाओं को सम्मान देते हुए, अपनी आदतों में बदलाव ला कर, जीवनसंगी को खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए.

सहयोग और समझौता

इंसान का व्यवहार सब समय एक सा नहीं रहता. कभी तीखा और कभी मीठा होना तो मानव व्यवहार के अंग हैं, जो लोग जीवनसाथी के तीखे और मीठे व्यवहार को समान रूप से झेल जाते हैं, उन के जीवनसाथी उन का सम्मान कई गुना बढ़ जाता है. असल में शादी नाम है सहयोग और समझौतों का. जो लोग इस बात को समझ लेते हैं, उन के जीवन में खुशियों का संदेश देने वाली शहनाइयों की मधुर गूंज हमेशा बजती रहती है और ऐसे लोग एकदूसरे के साथ सुखपूर्वक लंबा जीवन जीते हैं. खुद खुश रहो और जीवनसाथी को खुश रखो, क्योंकि यही तो है जिंदगी.

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Summer Special: हनीमून के लिए बेस्ट हैं India के ये 10 डेस्टिनेशन

भारत में कई ऐसे लोकेशन हैं जो हनीमून कपल्स के लिए बहुत खास हैं. बीच, हिल स्टेशन और वाइल्ड लाइफ जैसी कई हनीमून स्पॉट हैं जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, शीतल हवाएं और समुद्र की लहरों से हनीमून को और यादगार बना देती हैं. अपने लाइफ पार्टनर की पसंद की जगह पर उसके साथ प्यार के अविस्मरणीय पल व्यतीत करना आपको ताउम्र याद रहेगा. अगर आपने अपने हनीमून की प्लानिंग नहीं की है या कर रहे हैं तो हनीमून डेस्टिनेशन के चुनाव में हम आपकी मदद कर देते हैं. आइए जानते हैं भारत के टॉप 10 हनीमून डेस्टिनेशंस..

1.गोवा

गोवा एक ऐसा स्थान है, जहां आप जिंदगी का भरपूर मजा ले सकते हैं. नवविवाहितों के लिए गोवा एकमात्र ऐसा हनीमून डेस्टीनेशन कहा जा सकता है जहां आप चाहें तो शांत सागरतट पर सपनों भरी दुनिया में खो जाएं. यह स्थान अपने आप में रोमांटिक और मनमोहक है.

राजधानी पणजी के निकट मीरामार बीच है जहां शाम के समय सूर्यास्त का दृश्य काफी सुकून देता है. जब रात को खुले आसमान के नीचे बीच के किनारे अपने साथी को अपनी बांहो में लेकर घूमेंगे वह पल कितना यादगार होगा. दोना पाउला, कलंगूट, अंजुना और बागा के अलावा कई अन्य बीचों की सुंदरता देखने लायक हैं.

मडगांव व वास्को डी गामा मुख्य स्टेशन हैं.

2.लक्षद्वीप

अरब सागर में स्थित छोटे द्वीप अपनी सुंदरता में अद्वितीय और आकर्षक हैं. इस जगह को वॉटर स्पोर्ट के लिए एक बेहतरीन जगह माना जाता है. यहां के द्वीप नए जोड़ों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं. लक्षद्वीप में बने रिसॉर्ट्स आपकी हनीमून को और भी बेहतर बना देंगे.

3.कन्याकुमारी

कन्याकुमारी हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम है. भिन्न सागर अपने विभिन्न रंगो से मनोरम छटा बिखेरते हैं. दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता है.

4.अंडमान निकोबार

अंडमान निकोबार को ‘गार्डेन ऑफ इडेन’ भी कहा जाता है. नारियल की सघन छाया, घने जंगल, असंख्य प्रजातियों के फूल और पक्षी, ताजी हवा प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इस द्वीप पर आप स्कूबा डाइविंग जैसे रोमांचक खेलों का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

5.पुदुच्चेरी

पुदुच्चेरी के समुद्र तट पर हनीमून मनाने वाले कुछ बेहतरीन समय एक साथ गुजार सकते हैं. पेराडाइज बीच के एक ओर छोटी खाड़ी है. यहां केवल नाव द्वारा ही जाया जा सकता है. नाव पर जाते समय पानी में डॉल्फिन के करतब देखना एक सुखद अनुभव है.

6.दार्जिलिंग

‘क्वीन ऑफ हिल्स’ के नाम से मशहूर दार्जिलिंग हमेशा से एक बेहतरीन हनीमून डेस्टिनेशन रहा है. कपल्स हनीमून के लिए आमतौर पर ठंडी जगहों का चयन करते हैं. यहां पर बर्फ से ढकी कंचनजंगा की चोटियां और प्राकृतिक सौंदर्य से लदे खूबसूरत पहाड़ आपको किसी स्वपन लोक से लगेंगे. ट्वाय ट्रेन में आप पहाड़ों और घाटियों के बीच प्रकृति के सौंदर्य को निहारते हुए सफर का आनंद ले सकते हैं. चाय के बगान और देवदार के जंगल का अति सुंदर नजारा देखा जा सकता है.

7. नैनीताल

नैनीताल में आप कम खर्च में हिल टूरिज्म का भरपूर आनंद उठा सकते हैं. नैनीताल उत्तराखंड का पहाड़ी पर्यटन स्थल है. शहर के बीचोंबीच नैनी झील इस पर्यटन स्थल में चार चांद लगा देती है. चीड़ के घने जंगल पर्यटकों का मन मोह लेते हैं. काठगोदाम और नैनीताल के बीच ज्योलीकोट स्थान पड़ता है. यहां पर दिन गरम और रातें ठंडी होती हैं. यहां भीनताल, नौकुचियाताल, माल रोड, मल्लीताल, तल्लीताल अनेक स्थान घूमने लायक हैं.

8. शिमला

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला हनीमून पर आए कपल्स के लिए बहुत ही प्यारा हिल स्टेशन है. यहां की खूबसूरती एक बार तो देखने वालों को आश्चर्यचकित कर देती है. यहां के सादगी भरे सौंदर्य में ऐसा आर्कषण है कि वापस जाने को मन ही नहीं करता. यहां पर आप बलखाती पहाड़ियों पर सुरंगों में से होते हुए ट्वाय ट्रेन का लुत्फ उठा सकते हैं. ट्वाय ट्रेन के सफर के दौरान आपको बहुत सारे हसीन नजारे दिखाई देंगे जिनको देखकर आप आश्चर्य में पड जाएंगे. माल रोड पर आप शॉपिंग का आनंद ले सकते हैं. जाखू हिल्स शिमला का सबसे ऊंचा स्थान है. यहां से पूरे शहर की खूबसूरती को देखा जा सकता है.

9. मनाली

मनाली की वादियां हनीमून कपल्स की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है. मनाली कुल्लु घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है. यहां पर आपको जंगलों से घिरी मनाली घाटी में पक्षियों का कलरव सुनाई देगा. साथ ही गिरते जलप्रपात और फलों से लदे बाग-बगीचे पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित करते हैं. कुदरत ने मनाली को सदाबहार खूबसूरती से नवाजा है. यहां हर मौसम में मस्ती, रोमांस और रोमांच का पैकेज आपको मिलेगा. मनाली का हिडिंबा मंदिर अपने चार मंजिला पैगोड़ा और लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है. सोलंग घाटी में हैंड ग्लाइडिंग के रोमांच का मजा लूटा जा सकता है.

10.केरल

केरल को कुदरत ने बड़ी खूबसूरती से संवारा है इसलिए हनीमून के लिए केरल सबसे उपयुक्त जगह है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़, मनोहारी समुद्री किनारा, नारियल और खजूर के पेड़ों के झुरमुट के बीच में से नाव पर सवारी, चारों ओर हरियाली और बेहद खूबसूरत नजारे, ये सब हैं केरल की खूबसूरती की असली पहचान. इन रुमानी नजारों में प्यार भरे दिलों की धड़कनें बढ़ना स्वाभाविक हैं.

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महंगे खिलौनों से खेल खेल में पढ़ना सीखेंगे उत्तर प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे

यूपी के आंगनबाड़ी केन्द्र बहुत जल्द प्ले स्कूलों के रूप में नजर आएंगे। यहां 03 से 06 वर्ष के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना-लिखना सिखाया जाएगा। खेलने के लिए खिलौने दिये जाएंगे जिससे केंद्र की तरफ बच्चों का आकर्षण बढेगा और उनकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी। संस्कार डालने के साथ उनके संर्वांगीण विकास के कार्यक्रम भी चालू किये जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार 16 करोड़ रुपये की लागत से ग्राम पंचायतों और शहरों में स्थित लाखों आंगनबाड़ी केन्द्रों में नन्हे-मुन्हों को प्री-स्कूल किट बांटेगी। इस प्री-स्कूल किट में खिलौने ओर शिक्षा प्रदान करने वाली लर्निंग ऐड होगी।

सरकार की योजना से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आने वाले 03-06 वर्ष के बच्चों को प्री-स्कूल किट के माध्यम से गतिविधि और खेल आधारित पूर्व शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए उन्हें चार्टर, टेबल और वॉल पेंटिंग पर बनाई हिंदी और अंग्रेजी की वर्णमाला, गिनती आदि सिखाएंगी। इसके साथ ही प्रदेश के 31 जनपदों के 6 करोड़ की लागत से आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को ईसीसीई सामग्रियां (एक्टीविटी बुक, पहल, गतिविधि कैलेण्डर) भी वितरित की जाएंगी। बाल विकास पुष्टाहार विभाग को इन कार्यक्रमों को तेजी से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लागू कराने की जिम्मेदारी गई है।

आंगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण से लाभार्थियों को एक अच्छे वातावरण में सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास भी सरकार कर रही है। इसके लिए वो आने वाले समय में 175 करोड़ रुपये से 199 आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों का शिलान्यास करेगी। जिसकी तैयारी के लिए विभाग तेजी से जुटा है। बता दें कि सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रों को सुंदर बनाने के प्रयास किये हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर फर्नीचर, पुस्तकें, खिलौने और दीवार पर पेंटिंग के कार्य कराए हैं। सरकार की योजना को सफल बनाने में सामाजिक संस्थाएं भी सहयोग में जुटी हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्राप्त करनें में काफी लाभ मिला है।

REVIEW: जानें कैसी है KGF Chapter 2

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः विजय किरगंडूर

निर्देशकः प्रशांत नील

कलाकारः यश,  श्रीनिधि शेट्टी , संजय दत्त,  प्रकाश राज, रवीना टंडन, अनंत नाग, रामचंद्र राजू,  मालविका अविनाश, अच्युत राजू,

अवधिः दो घंटे 48 मिनट

दक्षिण भारत में तमिल,  मलयालम, तेलगू और कन्नड़ यह चार भाषायी फिल्म इंडस्ट्री हैं, जिनमें से कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री सबसे कमतर यानीकि चैथे पायदान पर मानी जाती रही है. मगर 2018 में प्रदर्शित कन्नड़ स्टार यश की फिल्म ‘‘केजीएफ’’ ने  इस तथ्य को झुठला दिया था और हिंदी सहित अन्य भाषाओं में डब होकर प्रदर्शित इस फिल्म ने कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री को एक नया मुकाम दिलाया था. मगर अब अभिनेता यश और निर्देशक प्रशांत नील उसी फिल्म  का सिक्वअल ‘‘ के जी एफ चैप्टर 2’’ लेकर आए हैं, जिसने दर्शकों को घोर निराश करने के साथ ही 2018 में कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की जो ईमेज चमकी थी, उसे भी धूमिल कर दी. फिल्म महज एक गेंगस्टर @ अपराधी को ग्लोरीफाई करती हैं,  जिसके लिए जो तर्क दिए गए हैं, वह सब पूर्णरूपेण गलत है.

कहानीः

फिल्म की शुरुआत लेखक आनंद इंगलागी के बेटे विजयेंद्र इंगलागी(प्रकाश राज )से होती है,  जो कि एक टीवी चैनल की संपादक दीपा हेगड़े(मालविका अविनाश) के जोर देने पर विजयेंद्र अपने पिता की लायब्रेरी में जाकर ‘केजीएफ’के दूसरे हिस्से की कहानी तलाशकर दीपा हेगड़े को सुनाते हैं.  कहानी के अनुसार गरुड़ को मारने के बाद रॉकी(यश) केजीएफ का कार्यभार संभाल लेता है. इससे गुरु पांडियन(अच्युत कुमार),  एंड्रयूज(बी एस अविनाश) और दया(तारक ),  राजेंद्र देसाई( लक्की लक्ष्मण ) और कमल(तवाहिद राइक जमन) की झुंझलाहट बढ़ जाती है. क्योकि यह सभी केजीएफ पर शासन करने और इसकी अपार संपत्ति पर कब्जा करने की उम्मीद लगाए हुए थे. पर रॉकी तो गरीबों का मसीहा बना हुआ है. रॉकी, गरुड़ के भाई विराट और केजीएफ सिंहासन के उत्तराधिकारी को भी मार देता है. और राजेंद्र देसाई की बेटी रीना देसाई (श्रीनिधि शेट्टी) को जबरन अपने साथ रखता है. रॉकी हालांकि केजीएफ में सेना के कमांडर वानाराम को बख्श देता है. वानाराम,  पहले गुस्से में,  रॉकी से जुड़ जाता है और छोटे बच्चों को प्रशिक्षित करता है, जो क्षेत्र के नए गार्ड बन जाते हैं. रॉकी को पता चलता है कि इस क्षेत्र में कई बिना खुदाई वाली खदानें हैं और वह पुरुषों को इन जगहों से सोना निकालने का आदेश देता है. विचार यह है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक सोने की खोज की जाए. इस बीच केजीएफ के संस्थापक सूर्यवर्धन के भाई अधीरा(संजय दत्त ) को मृत मान लिया गया. पता चलता है कि वह जीवित है और बदला लेने और स्वामित्व का दावा करने के लिए केजीएफ पहुंचता है. वह चालाकी से रॉकी को केजीएफ से बाहर निकालता है और उसे गोली मार देता है. वह रॉकी को जीवित रहने देता है ताकि केजीएफ में यह बात फैले कि भयानक अधीरा पहुंच चुका है. रॉकी स्वस्थ हो जाता है.  लेकिन रॉकी को पता चलता है कि कोई भी केजीएफ से बाहर नहीं निकल सकता, क्योंकि अधीरा के आदमियों ने खदानों को घेर लिया है.  इस बीच बॉम्बे में रॉकी के पूर्व बॉस शेट्टी ने पश्चिम और दक्षिण भारत के साथी गैंगस्टरों के साथ करार किया है,  और रॉकी के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रहा है. वह दुबई के एक खूंखार गैंगस्टर इनायत खलील के साथ भी काम कर रहे हैं. इतना ही नही रॉकी का सामना प्रधान मंत्री रमिका सेन(रवीना टंडन ) से भी होता है, जो उसे खत्म करना चाहती है. अब रॉकी इन सभी तत्वों से कैसे लड़ता है, इसके लिए फिल्म देखनी पड़ेगी.

लेखन व निर्देशनः

2018 में प्रदर्शित फिल्म ‘केजीएफ’ ने कन्नड़ भाषी सिनेमा को लेकर जो उम्मीदें जगायी थीं, उसी की सिक्वअल फिल्म ‘‘के जी एफ चैप्टर 2’’ ने काला दाग लगा दिया. और इसके लिए अभिनेता यश, निर्देशक  प्रशांत नील, साउंड इंजीनियर और एडीटर सभी दोषी हैं. सीधी सपाट कहानी पेश करने की बजाय जिस तरह से कहानी में कई दूसरे ट्रैक जिस तरह से जोड़े गए हैं, वह सब  भ्रम ही पैदा करते हैं. फिल्म में प्रेम कहानी का अस्तित्व न के बराबर है. फिल्म में एक जगह रॉकी औरतों व बच्चों का सम्मान करने की बात करता है, मगर वह खुद उनका शोषण कर रहा है. रॉकी, रानी की मर्जी के विपरीत जबरन उसे अपने साथ रखता है और अंततः एक दिन रानी को उसके साथ विवाह के लिए हां करना ही पड़ता है. तो वही फिल्मकार ने एक अपराधी को ग्लोरीफाई करते हुए उसके अपराध को सही ठहराने के लिए एक कहानी गढ़ी है कि रॉकी तो महज अपनी मां का वचन पूरा करने के लिए काम कर रहा है, इसीलिए वह स्वार्र्थी भी है. इसीलिए वह अपराध कर्म करता है. क्या यह तर्क जायज है. कम से कम एक भारतीय मां हमेशा अपने बच्चों को सही राह पर चलने, जिस पर अपना हक न हो, वैसी दूसरों की फूटी कौड़ी भी न लेने की ही सलाह देती है. तो वही रॉकी बात बात में अमीर व अमीरी को कोसता है, मगर खुद गरीबों का शोषण करता है. वह गरीबों पर भावनात्मक शोषण करते हुए उनसे सोने की खान खोदकर जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा सोना निकालने का आदेश देता रहता है. अमीरों को कोसने वाला रॉकी अक्सर सूटेड बूटेड एक मॉडल की ही तरह नजर आता है. हेलीकोप्टर व हवाई जहाज से यात्रा करता है.

फिल्म के कुछ एक्शन दृश्य काफी अच्छे बन पड़े हैं.

फिल्म का पाश्र्वसंगीत बहुत ही ज्यादा कान फोड़ू है. . एडीटिंग में भी त्रुटियां हैं. कई जगहों पर फिल्म के युद्ध व एक्शन दृश्य वीडियो गेम जैसे लगते है.

लेखक व निर्देशक के दिमागी दिवालिए पन की सबसे बड़ी मिसाल भारतीय संसद का वह दृश्य है, जहां रॉकी अपने हाथ में मशीन गन थामें बेधड़क मुख्य द्वार से निडरता के साथ जाता है. उसे देखकर सारे सांसद भाग जाते हैं. प्रधानमंत्री व एक सांसद पांडियन ही रूकते हैं और रॉकी पूरी मशीनगन सांसद पांडियन पर खाली कर आराम से अपने केजीए्फ के अड्डे पर पहुॅच जाता है. माना कि यह फिल्म है और इसकी कहानी व घटनाक्रम पूरी तरह से काल्पनिक हैं. मगर कल्पना के नाम पर इस तरह के दृश्यों को कैसे जायज ठहराया जा सकता है. यह अफसोस की बात है कि यह फिल्म एक खलनायक को नायक की तरह पेया करती है, जिसका डेमोके्रसी में यकीन नही है. वह तो डेमोक्रेसी के खिलाफ बात करता है. आखिर इस तरह की फैंटसी व एक्शन प्रधान फिल्म हमें कहां ले जाना चाहती हैं?यह बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय है.

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अभिनयः

रॉकी के किरदार में यश अभिनेता कम मॉडल ही ज्यादा नजर आते हैं. उन पर सुपर स्टार का हौव्वा हावी है. प्रधानमंत्री रमिका सेन के किरदार में रवीना टंडन अपनी छाप छोड़ गयी हैं. अधीरा के किरदार में संजय दत्त कई जगह थके हुए नजर आते हैं. उनका गेटअप जरुर लाजवाब है. रीना देसाई के किरदार में श्रीनिधि के हिस्से करने को कुछ आया ही नही.

दरबदर- भाग 2: मास्साब को कौनसी सजा मिली

रेलवे अधिकारी की एकलौती बेटी के साथ मोहब्बत की पींगे बढ़ा कर सईद मास्साब ने पहले उस के साथ कोर्टमैरिज की, फिर उस के दादादादी के पास कर्नाटक जा कर निकाह किया और ससुराल वालों के चहेते दामाद बन गए. आयरीन के  अब्बू ने शहर से दूर नए विकसित इलाके में एक आलीशान डुप्लैकस घर खरीदा था. आयरीन उन्हीं के साथ रह रही थी.

लाखों की आबादी वाले शहर और 30 किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्रफल वाले शहर के आखिरी छोरों पर रहने वालों को सईद मास्साब की असलियत का पता कैसे चलता? मीठी बातों के चलते नौकरीपेशा दामाद की छानबीन करने की जरूरत ही नहीं समझी रेलवे अधिकारी ने. दक्षिण भारत में बेटी की शादी में लगने वाले लाखों के दहेज और कई तोले सोना देने से वे बच गए थे, यही क्या कम था. कहां मिलते हैं ऐसे नेक लड़के आजकल के जमाने में. जब आयरीन के अम्मीअब्बू ने सईद मास्साब के बारे में कुछ जानने की जरूरत नहीं समझी, तो मैं ने भी कुछ बतलाने की पहल नहीं की.

आयरीन की मुसकराहट अब खिलखिलाहट में बदल गई थी. अब सईद मास्साब ने उस के लिए कार खरीद दी तो वह शीशे चढ़ा कर खुद ड्राइव कर के स्कूल आने लगी. ‘बहुतबहुत प्यार करते हैं मुझे मेरे हस्बैंड. स्कूल के बाद शाम तक मेरे साथ ही रहते हैं. रात को कोचिंग क्लास पढ़ाते हैं. देररात को 30-40 किलोमीटर आनाजाना मुश्किल होता है, इसलिए शहर में ही रुक जाते हैं.’

यह सुन कर मुझे तरस आता आयरीन के भोलेपन पर. कितनी खूबसूरती से छली जाती हैं ये पढ़ीलिखी बेवकूफ औरतें? लोभी, फरेबी और मक्कार मर्द की शहद टपकती जबान से निकली कोरी जज्बाती बातों में आ कर अपना सबकुछ लुटा बैठती हैं.

सईद मास्साब ने शहर की 3 दिशाओं में 3 गृहस्थियां बसा ली थीं. दिन के चौबीस घंटों को इतनी खूबसूरती से बांटा कि किसी भी बीवी को शिकवाशिकायत तो दूर, उन के किरदार पर शक करने की गुंजाइश ही नहीं बचती. मुसलिम औरत शौहर की हर बात पत्थर की लकीर की तरह सच मान कर नेक बीवियां बने रहने की मृगतृष्णा में फंसी मास्साब की तीनों बीवियां मास्साब की ईमानदारी के प्रति पूरी तरह से संतुष्ट थीं.

मैं ने नौकरी के साथसाथ बीए की पढ़ाई पूरी कर के एमए उर्दू में ऐडमिशन ले लिया. कालेज 12 बजे लगता था. मैं स्कूल से सीधे कालेज जाने लगी. अब्बू की मौत के बाद उन की नौकरी भाई को मिल गई थी. घर के हालात सुधरने लगे थे.

रफीका मैडम एमए क्लास की लैक्चरर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की डिगरी होल्डर थीं. लंबीचौड़ी, मामूली शक्लोसूरत की तेजतर्रार रफीका मैडम को एक दिन मैं ने मौल से बाहर निकलते देखा. उन के पीछे सईद मास्साब दोनों हाथों में बड़ेबड़े प्लास्टिक बैग संभालते हुए सड़क के किनारे खड़ी कार की तरफ बढ़ रहे थे. मैं उन के बाजू से निकल गई, मगर दोनों ने मुझे पहचाना नहीं, क्योंकि मैं ने परदा कर रखा था.

अधेड़ उम्र की कमाऊ, कुंआरी लैक्चरर सईद मास्साब का नया शिकार थी. शहर से दूर यूनिवर्सिटी कैंपस में रफीका मैडम बिलकुल अकेली रहती थीं. यूनिवर्सिटी कैंपस में सिक्योरिटी इतनी सख्त थी कि परिंदा पर भी नहीं मार सकता था. सईद मास्साब का रफीका मैडम के शौहर की हैसियत से आईडैंटिटी कार्ड बन गया था, इसलिए उन का बेरोकटोक मैडम के पास आनाजाना होता रहता.

सईद मास्साब बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन के व्यक्तित्व का आकर्षण सब को बांध लेता था. लेकिन जेहन और मेहनत के साथ चापलूसी ने पहले उन्हें राज्य शिक्षा परिषद का इंस्टैटिव अवार्ड दिलवाया. फिर 2 साल बाद ही उन का नाम नैशनल अवार्ड के लिए चुन लिया गया. सईद मास्साब ने अलगअलग वक्त में एकएक कर के सभी बीवियों और बच्चों को अपनी कामयाबी के जश्न में शामिल कर के दिल खोल कर खुशियां मनाईं.

लेकिन रफीका मैडम की प्रतिक्रिया नकारात्मक रही. वे मुंहफुला कर बोलीं, उर्दू डिपार्टमैंट में रीडर की पोस्ट खाली है, मगर आप अपनी कामयाबी व शोहरत के नशे में इतने चूर हैं कि बीवी की तरक्की का खयाल ही जेहन में नहीं आता. यह नहीं कि अपने रसूख का फायदा उठा कर मेरी पोस्ंिटग करवा दें.

‘मेरे खयाल से रीडर पोस्ट के लिए आप का ऐक्सपीरियंस कम है,’ मास्साब ने सहज भाव से कह दिया.

‘अच्छा तो आप को जो खिताब मिले हैं, वे आप की काबिलीयत की वजह से मिले हैं या चमचागीरी की वजह से मिले हैं, क्या मैं नहीं जानती. और आप ने भी तो नैशनल अवार्ड के लिए मोटी रकम… खैर, इस जमाने में पैसे से क्या नहीं खरीदा जाता. यूनिवर्सिटी के वाइसचांसलर से ले कर चपरासी तक बिकते हैं. मगर मेरी तरक्की की बात तो आप सोच ही नहीं सकते,’ बड़ा बुरा सा मुंह बना कर व्यंग्य से बोलीं रफीका मैडम.

रफीका मैडम सईद मास्साब के कंधे को सीढि़यां बना कर आसमान में छेद करना चाहती थीं.

‘आप गलत कह रही हैं. मैं समाज के उन लोगों में से हूं जो मुसलमान औरतों की खुदमुख्तारी की पैरवी करते हैं. मैं भला आप की तरक्की क्यों नहीं चाहूंगा.’ मास्साब ने बात संभालने की कोशिश की लेकिन रफीका मैडम तो जैसे खार खाए बैठी थीं, चिढ़ कर बोलीं, ‘बस, रहने दीजिए, रहने दीजिए बनावटी बातें. आप मेरे लिए कुछ नहीं करेंगे. मुझे ही स्टेट एजुकेशन मिनिस्टर से मिलना पड़ेगा. आप मेरे लिए कुछ भी नहीं करेंगे, इतना मैं समझ गई हूं.’

‘क्या समझ गई हैं आप? आप समझती हैं कि मिनिस्टर इतना बड़ा बेवकूफ होगा कि आप के तजरबे की प्रोफाइल देखे बगैर आप को रीडर बना देगा. हंसीखेल है क्या. उसे भी सरकार को जवाब देना होता है. और बाई द वे, रीडर का चुनाव वाइसचासंलर एजुकेशन बोर्ड के साथ मिल कर करता है. बड़ी तीसमारखां समझती हैं अपनेआप को. हम भी देखते हैं कब तक बनती हैं आप रीडर,’ मर्दाना अहं सिर चढ़ कर बोलने लगा, ‘पैर की जूती पैर में ही रहे तो ठीक लगती है. लैक्चररशिप मिल गई तो समझती हैं बड़ा भारी तीर मार लिया. शरीफ बीवियां शौहरों की बराबरी नहीं करतीं. जरा सी छूट क्या मिल गई, लगी मर्दों के कद से कद मिलाने,’ मास्साब ने रफीका मैडम को लताड़ा.

‘माइंड योर लैंग्वेज. काबिलीयत के बल पर लैक्चरर बनी हूं. आप की तरह मिठाइयों के डब्बे और तोहफों की चमचागीरी के बलबूते पर नहीं. और हां, मैं कमाऊ औरत हूं. आप के  ऊपर डिपैंड नहीं हूं जो आप की ऊलजलूल बातें बरदाश्त कर लूं. जाइए आप, मैं अकेले भी रह सकती हूं,’ रफीका मैडम का नारीत्व और आत्मनिर्भरता का दंभ सिर चढ़ कर बोलने लगा.

‘तो ठीक है, रह लो अकेली,’ कह कर सईद मास्साब गुस्से से जूते पहन कर निकल गए उन के घर से.

सईद मास्साब की पहली और दूसरी बीवियों की बेटियां शादी के लायक हो गई थीं. उन्होंने जानबूझ कर दूसरे शहरों में रिश्ता किया और वहीं ले जा कर बेटियों का निकाह कर दिया.

बेवजह दिखावा या शोशा न करने की दलील दे कर केवल बीवियों के मायके वालों को जबरदस्त दावतें खिला कर रुखसत कर दिया.

तीसरी बीवी आयरीन निसंतान थी. खर्चीले इलाज से पता चला कि प्रजनन करने वाली गर्भाशय कि एक नली बंद है. मास्साब ने तीनों बीवियों की कमाई और जमा पूंजी से शहर से दूर 10 एकड़ जमीन खरीद कर सीनियर सैकंडरी स्कूल की तामीर का काम शुरू कर दिया. उन का लाखों का अलगअलग बैंकों में बैंकबैलेंस, शेयर, सोने की गिन्नियां लौकर्स में महफूज थीं.

सईद मास्साब का रिटायरमैंट भी गुपचुप तरीके से हो गया. खानदान में कैजुअल्टी हो गई है, हमारा जश्न मनाना इंसानियत के खिलाफ है,’ कह कर मास्साब ने बड़ी खूबसूरती से रिटायरमैंट के फंड्स का बंटवारा रोकने की सोचीसमझी प्लानिंग के तहत सारे मंसूबे हल कर दिए. तीनों बीवियों, बच्चों को अपनी बीमा पौलिसीज और जमा धनराशि से दूर रखने के लिए अपनी जायदाद का किसी को वारिस नहीं बनवाया. हां, छोटे भाई के नाम वसीयत कर के अपनी पूरी जायदाद का मालिकाना हक उसे दे दिया.

Anupama: काव्या को एक्स हस्बैंड का ताना देगा वनराज, कहेगा ये बात

सीरियल अनुपमा (Anupama) के स्टोरी ट्रैक को देखकर #maan के फैंस बेहद खुश हैं. दरअसल, सीरियल में इन दिनों अनुपमा (Rupali Ganguly) और अनुज (Gaurav Khanna) का रोमांस फैंस को काफी पसंद आ रहा है, जिसके चलते वह सुर्खियों में हैं. हालांकि वनराज और काव्या का ड्रामा देख फैंस का गुस्से में नजर आते हैं. लेकिन हाल में शो के नए प्रोमों ने फैंस को और भी ज्यादा खुश कर दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

तोषू और काव्या बने मोहरा

 

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अब तक आपने देखा कि बापूजी, समर, किंजल और देविका मिलकर अनुपमा की तारीफ करते हैं और उसे अपनी शादी में खुश रहने के लिए कहते हैं. वहीं वनराज और परितोष गुस्से में नजर आते हैं. दूसरी तरफ, राखी दवे एक बार फिर काव्या को नौकरी के बाद तलाक लेने की सलाह देती है. हालांकि राखी दवे अपना मकसद पूरा करने के लिए तोषू और काव्या को मोहरा बनाती नजर आती है.

वनराज को हो रहा है गलती का एहसास

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपनी शादी के लिए पैसे जुटा लेगी, जिसे देखकर बा बेहद खुश होगी कि उन्हें अब पैसे नहीं देने पड़ेगे. लेकिन वनराज परेशान होगा कि अनुपमा को सब जगह से पैसे मिल रहे हैं, जिसे सोचकर वनराज को बापूजी की कही बात याद आएगी कि अनुपमा एक लक्ष्मी है. इसी के साथ काव्या अपने एक्स हस्बैंड को कौल करती है, जिसे वनराज सुन लेगा.

वनराज देगा काव्या को ताना

इसके अलावा आप देखेंगे कि अनुज और अनुपमा एक साथ क्वालिटी मोमेंट शेयर करेंगे. वहीं काव्या, वनराज से पूछेगी कि क्या वह कुछ भी करने से पहले उससे पूछता है तो वनराज कहेगा कि अगर उसे कोई प्रौब्लम है, तो उसे तलाक ले लेना चाहिए और उसे छोड़ देना चाहिए क्योंकि एक बार जब उसने अनिरुद्ध को छोड़ दिया, तो वह सफल हो गया. वहीं अगर वह उसे भी छोड़ेगी तो वह कामयाब हो जाएगा.

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बौलीवुड की बिग फैट वैडिंग यानी आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की शादी (Alia Bhatt and Ranbir Kapoor Wedding) सुर्खियों में हैं. जहां पूरी बौलीवुड और टीवी इंडस्ट्री दोनों को ऑफिशियली मिस्टर एंड मिसेज कपूर बनने की बधाई दे रहे हैं तो वहीं अब कपल के एक्स रह चुके सितारों ने भी दोनों की शादी पर रिएक्शन दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दीपिका-कटरीना ने लिखी ये बात  पादुकोण

रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की शादी की फोटोज पर एक्स गर्लफ्रेंड दीपिका पादुकोण  (Deepika Padukone) ने कमेंट में लिखा, मैं उम्मीद करती हूं कि तुम दोनों का प्यार जिंदगी भर सलामत रहे. वहीं कटरीना कैफ  (Katrina Kaif) ने भी दोनों की वेडिंग फोटो स्टोरी पर शेयर करते हुए बधाई दी है. इसी के साथ लिखा कि तुम दोनों को मेरी तरफ से शुभकामनाएं. मेरी दुआ है कि तुम दोनों हमेशा ऐसे ही खुश रहो. इसके अलावा आलिया भट्ट के एक्स बौयफ्रेंड रह चुके सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) ने भी दोनों को बधाई देते हुए लिखा, बधाई हो दोस्तों. मेरी तरफ से दोनों को प्यार.

 

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(क्रेडिट- विरल भयानी)

सेलेब्स ने दी बधाई

 

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आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की शादी की फोटोज पर टीवी आर बौलीवुड के कई हस्तियों ने कमेंट करते हुए बधाई दी. वहीं शादी का हिस्सा रहे डायरेक्टर करण जौहर ने भी इमोशनल होते हुए लिखा,  लगता है कि हम ये दिन देखने के लिए ही जिंदा हैं. यहां एक बहुत ही खूबसूरत फैमिली है जिसमें इमोशन्स की कोई कमी नहीं है. मैं आज बहुत खुश हूं. मेरी डार्लिंग आलिया भट्ट आज शादी के बंधन में बंध गई है. ऊपर वाला उसे हमेशा खुश रखे. रणबीर कपूर अब से तुम मेरे दामाद हुए. बधाई हो…. अब से तुम्हारी जिंदगी में हमेशा खुशियां ही खुशियां रहेंगी. इसके अलावा मौनी रॉय, अनिल कपूर, साउथ एक्ट्रेस सामंथा और अनन्नया पांडे जैसे सितारों ने दोनों को बधाई दी हैं.

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आलिया भट्ट और रणबीर कपूर बनें पति-पत्नी 

पिछले 5 सालो तक एक दूसरे को डेटिंग करने के बाद अलिया भट्ट और रणवीर कपूर की शादी 14 अप्रैल को मुंबई में संपन्न हुई. इनके शादी के बारें में कई बार अफवाहें उडती रही, लेकिन दोनों ने कुछ न कुछ बहाना बनाकर टालते रहे, यहाँ तक की नीतू कपूर जो एक डांस रियलिटी शो की जज बनी है, उन्होंने भी एक इंटरव्यू के दौरान शादी की तारीख बताने में अनाकानी की, जबकिशादी की बात सब जानते थे.रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की शादी बांद्रा के पाली हिल स्थित ‘वास्तु’ अपार्टमेंट में हुई, जहाँ इस शादी में आने वाले गेस्ट की संख्या बहुत कम थी.

इस शादी में करीना कपूर, करिश्मा कपूर, पूजा भट्ट, आकाश अम्बानी से लेकर कई सेलेब्स ने शिरकत की थी. कपूर और भट्ट परिवार खुशी से झूम उठे है. शादी बहुत ही गुपचुप तरीके से की गई, लेकिन शादी के बाद दोनों ने मिडिया के सामने आकर कई पोज दिए. दूल्हा-दुल्हन के गेटअप में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की तस्वीरें बहुत ही सुंदर है. शादी में आलिया ने ऑफ व्हाइट लहंगा पहना, जिसे डिज़ाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने डिजाईन की थी,जिसमें तितलियां बनी हुई थी, अभी तक आलिया कई बार ऑन स्क्रीन ब्राइड बन चुकी है और ऐसे में उन्होंने अपनी शादी के लिए ट्रेडिशनल ब्राइडल कलर्स की जगह अलग लुक को चुना है.वहीं रणबीर ने व्हाइट शेरवानी पहनी, जिससेएम्ब्रॉइडरी वाली सिल्क शेरवानी के साथ अनकट डायमंड बटन लगे हुए है, इसके साथ, सिल्क ऑर्गेंजा साफा और शॉल भी रणबीर ने कैरी की है, इनकी शॉल में जरी मारोरी एम्ब्रॉयडरी है, इसी के साथ किलांगी भी सब्यसाची हेरिटेज ज्वेलरी की ही है, जिसमें अनकट डायमंड्स, पन्ना और मोती लगे है. रणबीर कपूर के वास्तु अपार्टमेंट के इस आलीशान घर में आलिया भट्ट, दुल्हन बनकर आई है, जिसे गौरी खान ने डिजाईन की है. इस अपार्टमेंट में रणबीर कपूर वर्ष 2016 में शिफ्ट हुए थे, लेकिन अबतक अपने पेरेंट्स के साथ ही रहते थे.

 

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यहाँ यह भी जान ले कि रणबीर कपूर और आलिया भट्ट ने डेटिंग से पहले दोनों ने कईयों को डेटिंग की है. आलिया से मिलने से पहले रणबीर ने कई अभिनेत्रियों के साथ डेटिंग की है, जिसमें अभिनेत्री कैटरिना कैफ से रणबीर की दोस्ती काफी सीरियस थी, दोनों ने शादी का प्लान भी बनाया था, लेकिन शादी नहीं हुई, रणबीर और दीपिका की डेटिंग बहुत गहरी थी, लेकिन यह रिश्ता शादी तक नहीं पहुंची. दीपिका ने रणबीर को विश्वासघाती कहा और कई वर्षों तक डिप्रेशन में रही.सोनम कपूर के साथ भी रणबीर कपूर का नाम जुड़ा. आलिया फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ़ द इयर’ के बाद सिद्दार्थ मल्होत्रा के साथ डेटिंग की खबरें आई.

बहरहाल आलिया और रणबीर की डेटिंग का अंत शादी के रूप में हुआ और दोनों के पति-पत्नी बनने पर उनके फैन्स काफी खुश है. सूत्रों की माने,तो कोविड और ऋषि कपूर की अचानक मृत्यु से ये शादी टल गयी थी. उन दोनों ने अपने प्यार को निर्देशक आयान मुखर्जी की फिल्म ‘ब्रह्माश्त्र’ के सेट पर खोज पाए और शादी का निश्चय किया. इस शादी से  फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ की रिलीज में कितना फायदा होगा, ये तो फिल्म की रिलीज के बाद ही पाता चलेगा.

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