बहार: भाग 2- क्या पति की शराब की लत छुड़ाने में कामयाब हो पाई संगीता

लेखिका- रिचा बर्नवाल

अपने पति के कटाक्ष को नजरअंदाज कर आरती ने मुसकराते हुए संगीता से कहा, ‘‘मुझे चाट खाने का शौक था और इन्हें एसिडिटी हो जाती थी बाहर का कुछ खा कर… तुम्हें एक घटना सुनाऊं?’’

‘‘सुनाइए, मम्मी,’’ संगीता ने फौरन उत्सुकता दिखाई.

‘‘तेरे ससुर शादी की पहली सालगिरह पर मुझे आलू की टिक्की खिलाने ले गए. टिक्की की प्लेट मुझे पकड़ाते हुए बड़ी शान से बोले कि जानेमन, आज फिर से करारी टिकियों का आनंद लो. तब मैं ने चौंक कर पूछा कि मुझे आप ने पहले टिक्की कब खिलाई? इस पर जनाब बड़ी अकड़ के साथ बोले कि इतनी जल्दी भूल गई. अरे, शादी के बाद हनीमून मनाने जब मसूरी गए थे, क्या तब नहीं खिलाई थी एक प्लेट टिक्की?’’

आरती की बात पर संगीता और रवि खिलखिला कर हंसे. रमाकांत झेंपेझेंपे अंदाज में मुसकराते रहे. शरारत भरी चमक आंखें में ला कर आरती उन्हें बड़े प्यार से निहारती रहीं.

अचानक रमाकांत खड़े हुए और नाटकीय अंदाज में छाती फुलाते हुए रवि से बोले, ‘‘झठीसच्ची कहानियां सुना कर मेरी मां मेरा मजाक उड़ा रही है यह मैं बरदाश्त नहीं कर सकता.’’

‘‘आप को इस बारे में कुछ करना चाहिए, पापा,’’ रवि बड़ी कठिनाई से अपनी आवाज में गंभीरता पैदा कर पाया.

‘‘तू अभी जा और पूरे सौ रुपए की टिक्कीचाट ला कर इस के सामने रखे दे. इसे अपना पेट खराब करना है, तो मुझे क्या?’’

‘‘बात मेरी चाट की नहीं बल्कि संगीता के फिल्म न देख

पाने की चल रही थी, साहब,’’ आरती ने आंखें मटका कर उन्हें याद दिलाया.

‘‘रवि,’’ रमाकांत ने सामने बैठे बेटे को उत्तेजित लहजे में फिर से आवाज दी.

‘‘जी, पिताजी,’’ रवि ने फौरन मदारी के जमूरे वाले अंदाज में जवाब दिया.

‘‘क्या तू जिंदगीभर अपनी बहू से फिल्म न दिखाने के ताने सुन कर अपमानित होना चाहेगा?’’

‘‘बिलकुल नहीं.’’

‘‘तब 4 टिकट फिल्म के भी ले आ, मेरे लाल.’’

‘‘ले आता हूं, पर 4 टिकट क्यों?’’

‘‘हम दोनों भी इन की खुशी की खातिर 3 घंटे की यातना सह लेंगे.’’

‘‘जी,’’ रवि की आवाज कुछ कमजोर पड़ गई.

‘‘अपने घटिया मुकद्दर पर आंसू वहां लेंगे.’’

‘‘जी.’’

‘‘कभीकभी आंसू बहाना आंखों के लिए अच्छा होता है, बेटे.’’

‘‘जी.’’

‘‘जा फिर चाट और टिकट

ले आ.’’

‘‘लाइए, पैसे दीजिए.’’

‘‘अरे, अभी तू खर्च कर दे. मैं बाद में दे दूंगा.’’

‘‘उधार नहीं चलेगा.’’

‘‘मेरे पास सिर्फ 2-2 हजार के नोट हैं.’’

‘‘मैं तुड़ा देता हूं.’’

‘‘मुझ पर विश्वास नहीं तुझे?’’

रवि मुसकराता हुआ खामोश खड़ा रहा. तभी संगीता और आरती ने ‘‘कंजूस… कंजूस,’’ का नारा बारबार लगाना शुरू कर दिया.

रमाकांत ने उन्हें नकली गुस्से से घूरा, पर उन पर कोई असर नहीं हुआ. तब वे अचानक मुसकराए और फिर अपने पर्स से निकाल कर उन्होंने 5 सौ के 2 नोट रवि को पकड़ा दिए.

संगीता और आरती अपनी जीत पर खुश हो कर खूब जोर से हंसीं. उन की हंसी में रवि और रमाकांत भी शामिल हुए.

उस रात संगीता और रवि एकदूसरे की बांहों में कैद हो कर गहरी नींद सोए. उन का वाह रविवार बड़ा अच्छा गुजरा था. एक लंबे समय के बाद रवि ने दिल की गहराइयों से संगीता को प्रेम किया था. प्रेम से मिली तृप्ति के बाद उन्हें गहरी नींद तो आनी ही थी.

अगले दिन सुबह 6 बजे

के करीब रसोई से आ रही खटपट की आवाजें सुन कर संगीता की नींद टूटी. वह देर तक सोने की आदी थी. नींद जल्दी खुल जाए

तो उसे सिरदर्द पूरा दिन परेशान करता था.

सुबह बैड टी उसे रवि ही

7 बजे के बाद पिलाता था. उसे अपनी बगल में लेटा देख संगीता ने अंदाजा लगाया कि उस के सासससुर रसोई में कुछ कर रहे हैं.

संगीता उठे या लेटी रहे की उलझन को सुलझ नहीं पाई थी कि तभी आरती ने शयनकक्ष का दरवाजा खटखटाया.

दरवाजा खोलने पर उस ने अपनी सास को

चाय की ट्रे हाथ में लिए खड़ा पाया.

‘‘रवि को उठा दो बहू और दोनों चाय पी लो. आज की चाय तुम्हारे ससुर ने बनाई है. वे नाश्ता बनाने के मूड में भी हैं,’’ ट्रे संगीता के हाथों में पकड़ा कर आरती उलटे पैर वापस चली गईं.

संगीता मन ही मन कुढ़ गई. रवि को जागा हुआ देख उस ने मुंह फुला कर कहा, ‘‘नींद टूट जाने से सारा दिन मेरा सिरदर्द से फटता रहेगा. अपने मातापिता से कहो मुझे जल्दी न उठाया करें.’’

रवि ने हाथ बढ़ा कर चाय का गिलास उठाया और सोचपूर्ण लहजे में बोला, ‘‘पापा को तो चाय तब बनानी नहीं आती थी. फिर वे आज नाश्ता बनाएंगे? यह चक्कर कुछ समझ में नहीं आया.’’

संगीता और सोना चाहती थी, पर वैसा कर नहीं सकी. रमाकांत और आरती ने रसोई में खटरपटर मचा कर उसे दबाव में डाल दिया था. बहू होने के नाते रसोई में जाना अब उस की मजबूरी थी.

चाय पीने के बाद जब संगीता रसोई में पहुंची, तब रवि उस के पीछपीछे था.

रसोई में रमाकांत पोहा बनाने की तैयारी में लगे थे. आरती एक तरफ स्टूल पर बैठी अखबार पढ़ रही थीं.

उन दोनों के पैर छूने के बाद संगीता ने जबरन मुसकराते हुए कहा, ‘‘पापा, आप यह क्या कर रहे हैं? पोहा मैं तैयार करती हूं… आप कुछ देर बाहर घूम आइए.’’

रमाकांत ने हंस कर कहा, ‘‘तेरी सास

से मैं ने 2-4 चीजें बनानी

सीखी हैं. ये सब करना मुझे अब बड़ा अच्छा लगता है. बाहर घूमने का काम आज तुम और रवि कर आओ.’’

‘‘मां, पापा ने रसोई के काम कब सीख लिए और उन्हें ऐसा करने की जरूरत क्या आ पड़ी थी?’’ रवि ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘तेरे पिता की जिद के आगे किसी की चलती है क्या? पतिपत्नी को घरगृहस्थी की जिम्मेदारियां आपस में मिलजुल कर निभानी चाहिए, यह भूत इन के सिर पर अचानक कोविड-19 के लौकडाउन के दौरान चढ़ा और सिर्फ सप्ताहभर में पोहा, आमलेट, उपमा, सूजी की खीर, सादे परांठे और आलू की सूखी सब्जी बनाना सीख कर ही माने,’’ आरती ने रमाकांत को प्यार से निहारते हुए जवाब दिया.

‘‘यह तो कमाल हो गया,’’ रवि की आंखों में प्रशंसा के भाव उभरे.

‘‘जब तक मैं यहां हूं, तुम सब को नाश्ता कराना अब मेरा काम है,’’ रमाकांत ने जोशीले अंदाज में कहा.

‘‘आज पोहा खा कर ही हमें मालूम पड़ेगा कि रोजरोज आप का बनाया नाश्ता हम झेल पाएंगे या नहीं,’’ अपने इस मजाक पर सिर्फ रवि ही खुद हंसा.

‘‘आप रसोई में काम करें, यह ठीक नहीं है,’’ संगीता ने हरीमिर्च काट रहे रमाकांत के हाथ से चाकू लेने की कोशिश करी.

‘‘छोड़ न, बहू,’’ आरती ने उठ कर उस का हाथ पकड़ा और कहा, ‘‘ये रवि करेगा अपने पिता की सहायता. चल तू और मैं कुछ देर सामने वाले पार्क में घूम आएं. बड़ा सुंदर बना हुआ है पार्क.’’

संगीता ‘न… न,’ करती रही, पर आरती उसे घुमाने के लिए घर से बाहर ले ही गईं. इधर रमाकांत ने रवि को जबरदस्ती अपनी बगल में खड़ा कर पोहा बनाने की विधि सिखाई.

आगे पढ़ें- अचानक आरती ताली बजाती हुई…

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क्या आप गईं है फूलों की घाटी चमोली में, अगर नहीं तो जरूर जाएं

हम में से कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें नेचर और वाइल्डलाइफ के बारे में जानने का बड़ा शौक होता है. उन्हें किसी हिल स्टेशन या बीच पर घूमने से ज्यादा पेड़-पौधे, फूल, पक्षी देखने में मजा आता है, अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं, तो हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तराखंड की ऐसी खूबसूरत जगह के बारे में जहां जाकर आपका मूड फ्रेश हो जाएगा. आज हम आपको सैर करवाएंगे चमोली की. चमोली जनपद की प्रसिद्ध तीर्थ स्थली बद्रीनाथ धाम के पास गंधमादन पर्वत पर स्थित फूलों की घाटी या वैली औफ फ्लावर्स. आइए जानते हैं यहां क्या है खास.

सांखरी जोहर

पुरौला से आगे है सांखरी जोहर की दून का बेस कैंप है. यहां तक बसें और टैक्सियां आती हैं. इसके बाद शुरू होती है लगभग 35 किमी. की ट्रैकिंग यानी पद यात्रा. यह खांई बद्दान क्षेत्र कहलाता है और यहां के सीधे-सादे निवासी अब भी आधुनिक सुख-सुविधाओं से वंचित हैं. सांखरी में आपको पोर्टर और गाइड मिल जाएंगे और आप रात्रि विश्राम के बाद सुबह अपनी रोमांचक यात्रा शुरू कर सकती हैं.

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गोपेश्वर

गोपेश्वंर शहर में तथा इसके आस-पास बहुत सारे मंदिर है. यहां के प्रमुख आकर्षण केन्दों में पुराना शिव मंदिर, वैतामी कुंड आदि है.

फूलों की घाटी

प्राकृतिक प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग के समान है. इस स्थान की खोज फ्रेंक स्मिथ और आर.एल. होल्डवर्थ ने 1930 में की थी. इस घाटी में सबसे अधिक संख्या में जंगली फूलों की किस्में देखी जा सकती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा के लिए यहां से संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे. इस घाटी में पौधों की 521 किस्में हैं. 1982 में इस जगह को राष्ट्रीय उद्दान के रूप में घोषित कर दिया गया था. इसके अलावा यहां आपको कई जानवर जैसे, काला भालू, हिरण, भूरा भालू, तेंदुए, चीता आदि देखने को मिल जाएंगें.

कैसे पहुंचे

सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोलीग्रांड है. यह चमोली से 221 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल और अल्मोड़ा सभी जगह से चमोली के लिए बसें चलती है.

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#aliakishaadi: फैशन के मामले में आलिया को टक्कर देती हैं नीतू कपूर

बौलीवुड एक्ट्रेस नीतू कपूर जल्द ही सास बनने वाली हैं. आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की शादी के रस्में शुरु होने के बाद से नीतू कपूर काफी एक्टिव नजर आ रही हैं. वहीं उनके लुक्स भी सोशलमीडिया पर वायरल हो रहे हैं. दरअसल, नीतू कपूर के लुक्स की बात करें तो वे अपने टाइम की खूबसूरत एक्ट्रेसेस में से एक रह चुकी है और आज भी उनका इंडियन से लेकर वेस्टर्न तक का फैशन वर्किंग वूमन और लेडिज के बीच काफी पौपुलर है. इसलिए आज हम आपको उनके कुछ लुक्स के बारे में बताएंगे. जिन्हें आप किसी भी पार्टी या आउटिंग के लिए अपना सकते हैं.

रियलिटी शो में दिखा रही हैं लुक्स के जलवे

 

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इन दिनों टीवी रियलिटी शो Dance Deewane Juniors में नजर आ रही हैं, जिसमें वह इंडियन और वेस्टर्न लुक से फैंस का दिल जीत रही हैं. शरारा हो या सूट, हर लुक में नीतू कपूर बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

 

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 नीतू का सिंपल लुक है परफेक्ट

 

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नीतू कपूर अपने सिंपल फैशन के लिए जानी जाती हैं. उनकी सिंपल वाइट टौप और ग्रीन पैंट आपके लुक को कम्पलीट करने के लिए बेस्ट है. आप नीतू कपूर के इस लुक को औफिस के लिए ट्राय कर सकते हैं.

 

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So many memories dances weddings with @masterjirocks was quite a reunion reminiscing ????

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ग्रीन लुक है पार्टी के लिए परफेक्ट

 

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Congratulations Shweta ?? outstanding collection ?? #shwetabachchan#mxsworld

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ग्रीन लुक मौनसून के लिए परफेक्ट है. मौनसून में आजकल लोगों को ब्राइट कलर ज्यादा पसंद आते हैं. अगर आप भी मौनसून में कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. सिंपल ग्रीन टौप विद ग्रीन पैंट के साथ हिल्स आपके लुक को पार्टी के लिए परफेक्ट बनाएगा.

मौनसून में शौर्ट्स लुक है परफेक्ट 

 

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Acha chalte hain ??will miss the madness ❤️??

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अगर आप मौनसून में कहीं beach पर या कहीं घूमने का प्लैन कर रहें हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. सिंपल शर्ट के साथ ब्राउन शौर्ट्स और उससे मैचिंग के शूज आपको कम्फरटेबल का एहसास दिलाएगा.

 ब्लैक लुक औफिस या फौर्मल गैदरिंग के लिए है परफेक्ट

 

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Super time @kapilsharma show !!!great talent ?? never laughed so much ?????

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नीतू कपूर का ब्लैक पैंट और बो के साथ चेक शर्ट आपके लिए परफेक्ट लुक है. ये लुक आप अपने औफिस या किसी सिंपल फौर्मल गैदरिंग के लिए ट्राय कर सकते हैं. ये लुक सिंपल के साथ-साथ एलिगेंट भी है.

Summer Special: फैमिली को परोसें अनार की चटनी

अनार सेहत के लिए फायदेमंद होता है, जिसका जूस या दाने निकालकर खाए जाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी अनार की चटनी ट्राय की है. आइए आपको बताते हैं अनार की चटनी की आसान रेसिपी.

सामग्री

– 500 ग्राम अनारदाना

– 70 ग्राम चीनी

– 1 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– नमक स्वादानुसार.

विधि

थोड़ा सा अनारदाना अलग रख दें, बाकी का जूस निकाल लें. एक पैन में अनार का जूस और चीनी डाल कर धीमी आंच पर अनार का जूस आधा होने तक पकाएं. अब इस में बाकी सारी सामग्री डाल कर उबाल लें. अलग से रखा अनारदाना डाल कर आंच बंद कर दें. ठंडा कर जार में भर फ्रिज में रखें व फिर रोटी या परांठे के साथ सर्व करें.

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बादाम तेल के 11 फायदे

बादाम सेहत और खूबसूरती दोनों के लिए फायदेमंद होता है. बादाम का तेल भी कई तरह से फायदे पहुंचाता है. बादाम में 44% तेल होता है, जिसे कोल्ड प्रैस कर के निकाला जाता है. बादाम के तेल में ऐंटीइनफ्लैमेटरी, इम्यूनिटी बूस्टिंग सहित कई गुण होते हैं. इस में विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है. पोषक तत्त्वों से भरपूर बादाम का तेल कई बीमारियों से दूर रखता है. बादाम तेल से बच्चों की मालिश की जाए तो उन का शारीरिक विकास तेजी से होता है.

बादाम तेल के कुछ ऐसे गुणों के बारे में जानिए जो खूबसूरती बरकरार रखने के साथसाथ आप को हैल्दी रखने में भी मदद करते हैं:

1. त्वचा के लिए फायदेमंद:

बादाम तेल का खूबसूरती निखारने में जवाब नहीं. यह चेहरे की रंगत निखारने के साथसाथ उसे ग्लो देने में भी बहुत असरदार होता है. इस से त्वचा को सही मात्रा में पोषण मिलता है, जिस से वह पहले से ज्यादा चमकदार और मुलायम हो जाती है. बादाम तेल में ग्लाइकोसाइड ऐमिगडेलिन होता है जो रफ त्वचा, झाइयों, अल्ट्रावायलेट किरणों से हुए स्किन को नुकसान आदि में फायदेमंद होता है. जिन लड़कियों को बाहर रहना पड़ता हो और स्किन सांवली या काली हो गई हो, उन के लिए बादाम तेल के निर्माता इसे फायदेमंद बताते हैं.

2. डार्क सर्कल्स के लिए फायदेमंद:

डार्क सर्कल्स जैसे समस्या से भी नजात पाने के लिए आप बादाम तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं. रात को सोने से पहले आंखों के नीचे इस तेल से मालिश करें. इस तेल से हलकी मालिश करने से बहुत फायदा मिलता है.

3. जब हो जाए टैनिंग:

विभिन्न गुणों से भरपूर है यह तेल नैचुरल सनस्क्रीन की तरह भी काम करता है. टैनिंग से बचने या टैनिंग रिमूव करने के लिए बादाम तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह सूर्य की अल्ट्रावायलैट किरणों से त्वचा की रक्षा करने में मदद करता है. सेल्स गर्ल, फिजिकल क्लासें लेने वाली टीचर्स, खेलों में काम करने वाली लड़कियों को इस तेल का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है.

4. डैंड्रफ से छुटकारा:

बादाम तेल डैड सैल्स को हटा कर डैंड्रफ से छुटकारा दिलाता है. बालों को डैंड्रफ फ्री और हैल्दी रखने के लिए इस तेल की मसाज के बाद हेयर स्टीम जरूर लें. इस से बालों की सौफ्टनैस और वौल्यूम दोनों में फर्क नजर आएगा.

5. स्प्लिट एंड्स से छुटकारा:

बालों को स्प्लिट एंड्स से छुटकारा दिलाना है तो समय पर ट्रिमिंग कराने के साथसाथ हलके गरम बादाम तेज को बालों के जड़ों और बालों के लंबाई के आखिर में लगाएं. इस से बालों का रूखापन खत्म होगा और स्प्लिट एंड्स से छुटकारा मिलेगा.

6. हृदय रोगों से सुरक्षा:

बादाम तेल में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट एलडीएल यानी खराब कोलैस्ट्रौल को कम करता है और एचडीएल यानी अच्छे कोलैस्ट्रौल को बढ़ाता है जो रक्तचाप व हृदय की समस्याओं को कम करते हैं.

7. डायबिटीज:

बादाम का तेल ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकता है.

8. वजन कम करने में सहायक:

बादाम के तेल के फायदों में वजन कम करना भी शामिल है. बादाम में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट वजन घटाने में मदद सकता है.

9. आंखों के लिए फायदेमंद:

बादाम के तेल में मिलने वाला विटामिन ई आंखों को स्वस्थ बनाने का काम करता है. बादाम के तेल में अल्फाटोकोफेरोल नामक विटामिन ई मौजूद होता है जो बूढ़ी होती आंखों की रोशनी को भी बढ़ा सकता है.

10. पाचन की समस्याओं में लाभकारी:

बादाम का तेल कब्ज, डायरिया, पेट दर्द आदि को दूर करता है.

11. बच्चों के लिए फायदेमंद:

शिशु के त्वचा के लिए बादाम तेल बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इस में विटामिन ए, बी-1, बी-2, बी-6 विटामिन ई और आवश्यक फैटी ऐसिड होते हैं, जो शिशु की त्वचा को पोषित करने के साथसाथ उस की रंगत निखारने में भी मदद करते हैं. इस से शिशु की त्वचा मुलायम रहती है.

शिशु के शारीरिक विकास के लिए बादाम तेल से नियमित मालिश करें. इस से शिशु के शरीर के मांसपेशियों को मजबूती मिलती है. सर्दियों के मौसम में तो यह और भी फायदेमंद होता है.

बादाम तेल में मौजूद औमेगा-6 फेटी ऐसिड फायदेमंद होता है. इसे आप दूध में मिला कर बच्चों को दे सकती हैं.

गर्भावती महिलाओं के लिए:

गर्भावस्था में बादाम तेल का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है. गर्भावस्था में बादाम तेल के सेवन से डिलिवरी के नौर्मल होने की संभावना बढ़ जाती है. इस में मौजूद फौलिक ऐसिड, आयरन, कैल्सियम और दूसरे पोषक तत्त्व मां और बच्चा दोनों को फायदा पहुंचाते हैं. इस में भरपूर मात्रा में आयरन होता है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने का काम करता है. इस में मौजूद कैल्सियम और मैग्नीशियम दोनों शरीर की कई आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.

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स्पीचलेस मर्डर

लेखक- निखिल अग्रवाल  

प्राची सुंदर और प्रतिभावान नाट्य कलाकार थी. उस की गलती यह थी कि वसीम से प्रेमिल रिश्ते निभाते हुए उस ने कभी उस की प्रवृत्ति को जाननेसमझने की जरूरत नहीं समझी. यही वजह थी कि ब्रेकअप के बाद भी वह सिर्फ इसलिए उस की जान का प्यासा बन कर घूमने लगा क्योंकि वह अपने साथी कलाकार और दोस्त अंकित के साथ घूमनेफिरने लगी थी. आखिर उस ने…

तारीख – 25 अप्रैल, 2019

समय – सुबह 7 बजे

घटनास्थल – यूनाइटेड वे गरबा ग्राउंड

स्थान – गुजरात का महानगर वडोदरा.

सुबह भले ही अलसाई सी थी, लेकिन सूरज ऊपर चढ़ आया था. हल्की हवा जरूर चल रही थी, लेकिन गरमी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे. कुछ लोग घरों से मौर्निंग वौक पर निकले थे तो कुछ दूध ब्रेड वगैरह लेने के लिए. कुछ लोग जब गरबा ग्राउंड के पास से निकल रहे थे तो उन की निगाह पेड़ के नीचे लेटी एक लड़की पर पड़ी. उस के आधे चेहरे पर दुपट्टा पड़ा हुआ था, जिस की वजह से चेहरा ठीक से नजर नहीं आ रहा था.

सुबहसुबह एक लड़की को इस तरह पड़ी देख लोगों के  कदम ठिठक गए. एक बुजुर्ग ने लोगों को उस के बारे में बात करते देखा तो बोले, ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो, आवाज लगाओ, ठीक होगी तो कुछ बोलेगी.’’

लोगों को बुजुर्ग की बात ठीक लगी. एक दो ने आवाज दी, ‘‘ऐ लड़की, उठो, यहां क्यों सो रही हो?’’

लेकिन लड़की में कोई हलचल नहीं हुई. दोबारा आवाज लगाने का भी कोई परिणाम नहीं निकला. यह देख लोगों ने अपनीअपनी राय देनी शुरू कर दी. कुछ कह रहे थे कि संभव है किसी नशे में हो तो कुछ की राय थी कि उस के साथ कोई अनहोनी हुई है. तभी एक आदमी ने आगे बढ़ कर लड़की के चेहरे से दुपट्टा हटा दिया. एक करवट पड़ी वह लड़की 23-24 साल की थी, देखने में सुंदर.

लड़की के शरीर पर ऐसा कोई निशान नजर नहीं आया, जिस से यह लगता कि उस के साथ कोई अनहोनी हुई है. एक व्यक्ति ने लड़की की नब्ज टटोल कर देखी, तो उस में जीवन के लक्षण नजर नहीं आए. उस का शरीर ठंडा पड़ चुका था.

वहां मौजूद लोगों ने लड़की को पहचानने की कोशिश की लेकिन कोई भी पहचान नहीं पाया. अलबत्ता एक दो लोगों ने यह जरूर कहा कि इस लड़की को कभीकभार आसपास आतेजाते देखा जरूर था. उन्होंने यह अंदेशा भी जताया कि संभव है, वह कहीं आसपास की ही रहने वाली हो.

इस बीच किसी ने मोबाइल से पुलिस को सूचना दे दी थी. कुछ ही देर में जेपी रोड थाने की पुलिस वहां पहुंच गई. पुलिस ने लड़की को हिलाडुला कर देखा. पता चला कि उस की मृत्यु हो चुकी है. उस के शरीर पर किसी तरह के हमले के निशान नहीं थे. अलबत्ता गौर से देखने पर गले पर छीनाझपटी और दबाने के निशान जरूर दिखाई दिए.

इस से यह बात साफ हो गई कि उस की हत्या गला घोंट कर की गई है. पुलिस ने सबूतों की तलाश में इधरउधर नजरें दौड़ाईं तो लाश से कुछ दूरी पर एक स्कूटी खड़ी दिखाई दी. वहीं एक लेडीज पर्स भी पड़ा था. पुलिस ने पर्स खोल कर देखा तो उस में कुछ कागज मिले, जिन से यह पता चल गया कि मृतका का नाम प्राची मौर्य है.

इस बीच वहां काफी भीड़ एकत्र हो गई थी. लड़की की हत्या की सूचना मिलने पर पुलिस के कई अफसर भी मौके पर पहुंच गए थे. भीड़ में से कुछ लोगों ने उस लड़की के शव की शिनाख्त प्राची मौर्य के रूप में कर दी. लोगों से पता चला कि प्राची पुरानी पादरा रोड पर रिलायंस मौल की गली में स्थित आर्किड बंगला में रहती थी. जहां प्राची की लाश मिली थी, उस से उस का मकान करीब 200 मीटर दूर था.

थाना जेपी रोड पुलिस हत्या का केस दर्ज करने के बाद आर्किड बंगला पहुंची और प्राची की मां यशोदा और बहन साची से पूछताछ की. सुबहसुबह पुलिस को घर पर आया देख प्राची की मां और बहन डर गए. पुलिस ने उन्हें प्राची की लाश मिलने के बारे में बता कर पूछा कि उसे कौन मार सकता है?

प्राची की मौत की खबर सुन कर उस की मां व बहन रोने लगीं. पुलिस ने उन्हें ढांढस बंधा कर प्राची के दोस्तों आदि के बारे में पूछा. पता चला कि प्राची नाट्य कलाकार थी. वह एक दिन पहले यानी 24 अप्रैल को अपने थिएटर ग्रुप के साथ वडोदरा से खंभात गई थी. वह घर पर कह कर गई थी कि आधी रात के बाद तक वडोदरा लौट आएगी.

घर वाले रातभर प्राची के घर आने का इंतजार करते रहे, लेकिन वह नहीं आई. मां यशोदा ने रात को उस के मोबाइल पर फोन भी किया, पर बात नहीं हुई. इस के बाद घर वालों ने सोचा कि संभव है रात हो जाने की वजह से प्राची का थिएटर ग्रुप खंभात में ही रुक गया हो. सुबह आ जाएगी. इसलिए वे लोग निश्चित हो कर सो गए थे.

पुलिस को प्राची की मां यशोदा और बहन साची पूछताछ में ऐसी कोई खास बात तो पता नहीं चली लेकिन उस के एकदो दोस्तों के मोबाइल नंबर जरूर मिल गए. पुलिस ने प्राची के उन दोस्तों से बात की. उन से पता चला कि प्राची वडोदरा के एप्लौस थिएटर एंड आर्ट ग्रुप में काम करती थी. एप्लौस थिएटर ग्रुप 24 अप्रैल को एक परफौरमेंस देने के लिए खंभात गया था.

खंभात वडोदरा से करीब 70 किलोमीटर दूर है. इस थिएटर ग्रुप को खंभात के औयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) के औफिसर्स क्लब ने नाटक ‘स्पीचलैस’ की परफौरमेंस देने के लिए बुलाया था. नाटक के लिए प्राची के साथ 20 कलाकारों की टीम वडोदरा से खंभात गई थी.

प्राची के दोस्तों से पता चला कि रंगकर्मियों की टीम नाटक की परफौरमेंस दे कर 24-25 अप्रैल की रात को करीब साढ़े बारह-एक बजे के बीच खंभात से वडोदरा लौट आई थी. पुलिस को प्राची के दोस्तों से यह भी पता चला कि प्राची अपने थिएटर ग्रुप के साथी अंकित के साथ अपने घर चली गई थी.

पुलिस ने प्राची के दोस्तों से अंकित का मोबाइल नंबर ले लिया. एक पुलिस टीम ने पंचनामा बना कर प्राची के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया.

पुलिस ने अंकित को फोन किया तो पता चला कि जब वह प्राची को उस के घर छोड़ने जा रहा था, तो उस का पुराना बौयफ्रैंड वसीम मिला था. वसीम और प्राची के बीच काफी कहासुनी हुई थी, झगड़ा भी हुआ था.

अंकित ने यह भी बताया कि वसीम ने प्राची पर हमला भी किया था, लेकिन उस ने प्राची को बचा लिया था. बाद में रात करीब सवा 2 बजे वह प्राची को उस की सोसाइटी के पास मेन रोड पर छोड़ कर अपने घर चला गया था.

वसीम ने प्राची के साथ झगड़ा और मारपीट की थी. यह पता चलने पर पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी. पुलिस ने प्राची के दोस्तों से वसीम के घर का पता मालूम कर लिया. एक पुलिस टीम वसीम के घर पहुंची.

वसीम के पिता सीआईएसएफ के रिटायर्ड सबइंसपेक्टर हैं. वसीम के घर वालों से पुलिस को पता चला कि वह भरूच के इंजीनियरिंग कालेज में इलेक्ट्रौनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. वह सुबह कालेज जाने की बात कह कर घर से निकल गया था.

पुलिस ने वसीम के घर से उस की एक फोटो ले ली. घर वालों से पता चला कि वसीम भरूच स्थित अपने कालेज ट्रेन द्वारा जाता है. भरूच शहर वडोदरा से करीब 70 किलोमीटर दूर है. वडोदरा से भरूच के लिए थोड़ीथोड़ी देर के अंतराल से रोजाना 45 से ज्यादा ट्रेनें हैं. इसलिए यह पता नहीं चल पाया कि वसीम कौन सी टे्रन से भरूच जाता है.

पुलिस की एक टीम तुरंत वडोदरा रेलवे स्टेशन पहुंच गई. पुलिस ने स्टेशन पर फोटो के सहारे वसीम की तलाश की. लेकिन लगातार ट्रेनों की आवाजाही और सैकड़ों यात्रियों की भीड़ में वसीम को खोजना मुश्किल था.

एक पुलिसकर्मी ने टिकट विंडो पर जा कर वहां मौजूद क्लर्क को वसीम की फोटो दिखा कर पूछा कि इस हुलिए के किसी युवक ने भरूच की टिकट ली है क्या. क्लर्क ने फोटो देख कर बताया कि कुछ देर पहले ही इस युवक ने टिकट ली थी.

इस से पुलिस को यकीन हो गया कि वसीम या तो किसी ट्रेन से भरूच के लिए निकल चुका है, या ट्रेन के इंतजार में स्टेशन पर ही होगा. पुलिस ने सब से पहले यह पता लगाया कि भरूच जाने वाली सब से पहली टे्रन कब और कौन से प्लेटफौर्म पर आएगी.

पता चला कि टे्रन आने वाली है. पुलिस टीम उस ट्रेन के आने से पहले ही प्लेटफार्म पर चारों तरफ फैल गई. फोटो के आधार पर पुलिस ने वसीम को प्लेटफौर्म पर ही पकड़ लिया.

पुलिस टीम उसे थाने ले आई और उस से पूछताछ की. पूछताछ में वसीम ने प्राची से दोस्ती होने की बात तो स्वीकार की, लेकिन उस से झगड़ा होने और उस की हत्या करने की बात से साफ इनकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो उस ने प्राची मौर्य की हत्या करने की बात कबूल कर ली.

थिएटर कलाकार की हत्या की सूचना वडोदरा महानगर के रंगकर्मियों में आग की तरह फैली. रंगकर्मियों में इस से आक्रोश छा गया. सोशल मीडिया के जरिए प्राची हत्याकांड चर्चा का विषय बन गया था.

प्राची हत्याकांड का कुछ ही घंटों में खुलासा होने पर डीसीपी (अपराध) जयदेव सिंह जडेजा ने स्वयं वसीम से पूछताछ की. पूछताछ में प्राची मौर्य की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई वह वसीम की कुंठा और बदले की आग का परिणाम निकली.

प्राची और वसीम उर्फ अरहान मलेक इंजीनियरिंग के विद्यार्थी थे. प्राची सीनियर थी और वसीम जूनियर. करीब 4 साल पहले प्राची इंजीनियरिंग के 5वें सेमेस्टर में थी. उस समय वसीम तीसरे सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहा था. वसीम ने ठीक से पढ़ाई नहीं की थी, जिस की वजह से उस की बैक लग गई थी.

इंजीनियरिंग की पढ़ाई वैसे भी काफी टफ होती है. उस पर वसीम की बैक लग गई. तो उसे पढ़ाई में पिछड़ने की चिंता होने लगी. अब उसे एक साथ 2 सेमेस्टर की परीक्षा देनी थी. वसीम ने दोस्त होने के नाते अपनी सीनियर साथी प्राची से मदद मांगी. प्राची ने आगे बढ़ कर उसे ट्यूशन देने की बात कही. वसीम भी यही चाहता था.

ट्यूशन पढ़ते पढ़ाते हुए दोनों में प्यार के बीज अंकुरित होने लगे. पहले वे कालेज के सीनियर और जूनियर स्टूडेंट होेने के नाते केवल दोस्त थे. अब वे दोस्ती से आगे बढ़ कर प्यार की पींगे बढ़ाने लगे. समय के साथ उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. यूनिवर्सिटी से निकलने के बाद दोनों पार्क में बैठ कर घंटों तक प्रेमप्यार की बातें करते. समय के साथ उन का प्यार प्रगाढ़ होता गया.

चढ़ते यौवन की उम्र ही ऐसी होती है कि अच्छाबुरा या आगेपीछे कुछ नहीं सूझता. प्राची और वसीम के साथ भी यही हुआ. एक मिनट भी एकदूसरे से जुदा नहीं होना चाहते थे. दिन में अधिकांश समय साथ बिताने के बाद भी उन का मन नहीं भरता था, तो दोनों देर रात तक चैटिंग करते थे. नित्य नियम से दोनों कम से कम 20 मिनट चैटिंग करते थे.

फिर अचानक ऐसा कुछ हुआ कि इसी साल फरवरी में प्राची और वसीम के बीच ब्रेकअप हो गया. 4 साल का प्यार एक ही झटके में परिंदों के घोंसलों के तिनकों की तरह बिखर गया. दोनों एकदूसरे से अलग हो गए. दिलों में एकदूसरे के लिए नफरत पैदा हो गई.

वसीम से अलग होने के बाद प्राची अभिनय पर ध्यान देने लगी. वह बेहतरीन ड्रामा आर्टिस्ट थी. उस की गिनती वडोदरा के मंझे हुए कलाकार के रूप में होती थी. कालेज के जमाने से ही वह नाटकों में भाग लेती थी, धीरेधीरे उस के अभिनय में निखार आ गया था.

प्राची ने अपने जीवन में खुशियों के रंग भरने के लिए करीब 2 महीने पहले एप्लौस थिएटर एंड आर्ट ग्रुप जौइन कर लिया था. वह एप्लौस के कलाकारों के साथ रंगकर्म में अभिनय करने लगी. अपने इस काम से वह पूरी तरह खुश थी और नए सिरे से अपनी जिंदगी को संवारने के बारे में सोचने लगी थी.

दूसरी ओर वसीम अपने पुराने प्यार को नहीं भूला. अलग होने के बावजूद उस ने कई बार प्राची को फोन किया. प्राची मोबाइल स्क्रीन पर वसीम का नाम देख कर ही झुंझला जाती थी. उस ने कई बार वसीम को प्यार से और कई बार फटकार कर समझाया. लेकिन वसीम ने उसे फोन करना बंद नहीं किया. थकहार कर प्राची ने वसीम का नंबर ब्लौक कर दिया.

नंबर ब्लौक कर दिए जाने के बाद वसीम गुस्से में भर उठा. वह प्राची से बदला लेने की सोचने लगा. उस ने प्राची की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी. वसीम को पता लगा कि प्राची रोजाना देर रात तक मोबाइल पर औनलाइन रहती है. इस से वसीम को शक हुआ कि प्राची अब किसी अन्य युवक के संपर्क में है.

वसीम ने प्राची के नए दोस्त के बारे में मालूमात किया. पता चला कि उस का अपने साथी कलाकार अंकित से दोस्ताना व्यवहार है. वसीम को लगा कि प्राची का अंकित से कोई चक्कर है. यह बात उसे नागवार लगी. पहले तो वह प्राची से बदला लेने की सोच रहा था. अब उस ने प्राची को ठिकाने लगाने की योजना बनाई.

प्राची एप्लौस ड्रामा स्टूडियो के थिएटर ग्रुप के साथ 24 अप्रैल को नाटक ‘स्पीचलैस’ की परफौरमेंस देने खंभात गई. वसीम ने पहले ही पता लगा लिया था कि प्राची और उस के साथी कब लौटेंगे. उस ने प्राची के रात को ही वापस लौटने की बात कंफर्म करने के लिए फेसबुक पर सर्च कर प्राची के एक साथी का नंबर हासिल किया.

फिर वसीम ने किसी कलाकार का घर वाला बन कर उस से बात की और पूछा कि आप लोग कहां हैं और कब लौटेंगे. प्राची के साथी ने जवाब दिया कि हम खंभात से वडोदरा आ रहे हैं, अभी रास्ते में हैं. रात करीब साढ़े 12 बजे के आसपास पहुंच जाएंगे.

इस पर वसीम वडोदरा में अलकापुरी इलाके में एप्लौस ड्रामा स्टूडियो के पास प्राची के आने का इंतजार करने लगा. रात करीब पौने एक बजे कलाकारों की गाड़ी अलकापुरी पहुंची. सारे कलाकार गाड़ी से उतर गए. इन में प्राची सहित कई युवतियां भी थीं. युवतियों को लेने के लिए उन के घर वाले आए थे. प्राची के साथ अंकित भी गया था, वह भी साथ लौट आया था.

प्राची की स्कूटी और अंकित की मोटरसाइकिल स्टूडियो में खड़ी थीं. दोनों ने अपनीअपनी गाडि़यां लीं. अंकित ने प्राची से कहा कि रात बहुत हो गई है. मैं तुम्हें घर छोड़ आता हूं. प्राची को अंकित से केई परेशानी नहीं थी, क्योंकि वह उस का दोस्त था. वसीम छिप कर दोनों पर नजर रखे हुए था.

दोनों अपनेअपने दुपहिया पर चल पड़े. वसीम ने अपनी गाड़ी से उन का पीछा किया. प्राची और अंकित रास्ते में रुक कर एक गार्डन में बैठ कर बातें करने लगे. दोनों को इतनी रात गए गार्डन में बैठ कर बातें करते देख वसीम को यकीन हो गया कि प्राची और अंकित के बीच प्यार की खिचड़ी पक रही है. यह देख कर वसीम आगबबूला हो उठा.

गार्डन में जा कर उस ने उन दोनों से कहा कि तुम इतनी रात गए यहां क्यों बैठे हो. इसी के साथ उस ने मोबाइल से दोनों की तसवीरें ले लीं. साथ ही कहा कि पुलिस को फोन करता हूं.

प्राची समझ गई कि ब्रेकअप होने के बावजूद वसीम अभी तक उस पर अपना हक जताता है. इसीलिए परेशान करने के मकसद से उस ने तसवीरें ली हैं, और पुलिस को बुलाने की धौंस दे रहा है.

प्राची ने वसीम को फटकारा, तो वह उस से झगड़ा करने लगा.  अंकित भी समझ गया कि वसीम के इरादे नेक नहीं है. इसलिए उस ने प्राची के साथ वहां से निकलने में ही भलाई समझी.

अंकित और प्राची गार्डन से निकल गए और अपनेअपने दुपहिया पर सवार हो कर चल दिए. रात करीब सवा 2 बजे अंकित ने प्राची को उस के घर के पास सोसायटी की बिल्डिंग के बाहर मेन रोड पर छोड़ दिया. अंकित प्राची को गुडनाइट बाय कह कर अपने घर चला गया.

अंकित के चले जाने के बाद प्राची अपने घर जाने लगी, तभी छिप कर पीछा कर रहा वसीम वहां आ गया. उस ने प्राची से पुराने प्रेम संबंध बनाए रखने की बात कहते हुए अंकित को ले कर सवाल किए. प्राची ने कहा कि मेरातुम्हारा ब्रेकअप हो चुका है. यह मेरा पर्सनल मामला है, तुम हमारे बीच में मत पड़ो और जाओ यहां से.

इस बात पर प्राची और वसीम में झगड़ा हो गया. प्राची ने गुस्से में आ कर वसीम के दो चांटे लगा दिए. इस से वसीम तिलमिला उठा. वह प्राची का गला दबाने लगा.

प्राची ने मुकाबला किया, तो उस के नाखून वसीम को चुभ गए. दोनों सड़क पर गिर गए. सड़क पर गिरते ही वसीम उस के गले को कस कर दबाने लगा. वसीम के हाथों की कसावट से प्राची बेहोश हो गई.

इस बीच एक मोटरसाइकिल सवार वहां से गुजरा तो वसीम ने खड़े हो कर मोबाइल पर बात करने का नाटक किया. बाइक सवार कुछ देर रुक कर वहां से चला गया. इस के बाद वसीम ने सड़क पर बेहोश पड़ी प्राची का गला एक बार फिर जोरों से दबाया. जब उसे लगा कि अब प्राची जीवित नहीं है. तो वह वहां से चला गया.

रास्ते में कुछ दूर जाने के बाद वसीम का दिमाग घूमा तो वह प्राची का मोबाइल उठाने के लिए वापस आया. जब वह प्राची के पास से मोबाइल उठा रहा था तो उस ने देखा कि प्राची की सांसें चल रही हैं.

इस बार उस ने प्राची के गले में पड़ा दुपट्टा निकाला और उसी से उस का गला घोंट दिया. प्राची के मरने का पक्का यकीन होने पर वसीम ने उस की लाश को घसीट कर सड़क के किनारे पेड़ और दीवार के बीच फेंक दिया. फिर उस ने उस के चेहरे पर उसी का दुपट्टा डाल दिया.

प्राची को मौत की नींद सुलाने के बाद वसीम रात करीब साढ़े 3 बजे गोरवा इलाके में स्थित अपने घर पहुंचा. घर जा कर वह अपने कमरे में सोने चला गया. लेकिन नींद नहीं आई. वह बैड पर करवटें बदलता रहा. बारबार उस के सामने प्राची का चेहरा घूमता रहा.

सुबह उठ कर वसीम नहायाधोया, फिर बैग उठा कर भरूच स्थित कालेज जाने के लिए घर से निकल गया. वडोदरा स्टेशन पहुंच कर उस ने भरूच की ट्रेन का टिकट लिया. वह ट्रेन का इंतजार कर ही रहा था कि तभी पुलिस टीम ने उसे स्टेशन पर ही दबोच लिया.

अगर पुलिस टीम 5-7 मिनट भी लेट हो जाती तो वसीम भरूच चला जाता. फिर पता नहीं कब हाथ आता और कब प्राची हत्याकांड का रहस्य उजागर हो पाता.

प्राची की मौत से रहस्य का पर्दा उठने और उस के कातिल के पकड़े जाने के बाद 26 अप्रैल को प्राची की अंतिम यात्रा के समय मां यशोदा और छोटी बहन साची के रुदन से माहौल गमगीन हो गया. मां मेरा बेटा चला गया. कह कर रो रही थी.

बहन आई लव यू, तू मत जा… कहते हुए प्राची की लाश से लिपट रही थी. मांबेटी के इस रुदन से वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू आ गए. मध्य प्रदेश में रहने वाले प्राची के पिता बेटी के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच सके थे.

(कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां) 

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थोड़ा प्यार थोड़ी तकरार

रमा जब औफिस पहुंची तो उस का मूड उखड़ा हुआ था. चेहरे पर शिकनें साफ दिखाई दे रही थीं. वह गुस्से में कीबोर्ड पर उंगलियां कुछ ज्यादा ही तेज चला रही थी.

रमा की बगल वाली कुरसी पर बैठी सुमिता ने जब रमा से उस की परेशानी की वजह जाननी चाही तो वह भावुक हो उठी, ‘‘आज फिर ओम से झगड़ा हो गया. बात छोटी सी थी, पर बहस बढ़ती चली गई. तंग आ गई हूं मैं इस रोजरोज के झगड़े से.’’

‘‘झगड़ा तो हर पतिपत्नी के बीच होता है. इस में मूड इतना खराब करने की क्या बात है? अगर इस बात को ले कर एकदूसरे से बातचीत करना बंद कर दें या घर में कलह का माहौल बन जाए, तो अवश्य ही रिश्ते में दरार आ सकती है. वैसे तो थोड़ीबहुत तकरार आम बात होती है,’’ सुमिता ने उसे समझाते हुए कहा. ‘‘कह तो तू सही रही है, क्योंकि हमारे झगड़े की वजह कुछ नहीं होती और शाम को जब हम दोनों घर पहुंचते हैं, तो सब कुछ सामान्य भी हो जाता है. पर सुबह तकरार हो जाए तो मूड खराब हो ही जाता है,’’ रमा बोली.

इस से पहले कि सुमिता कोई जवाब देती, रमा का मोबाइल बज उठा. उस के बात करने के अंदाज से सुमिता समझ गई कि उस के पति ओम का फोन है. बात करने के बाद रमा का मूड एकदम ठीक हो गया और वह सुमिता को देख कर मुसकराई.

सुमिता ने भी हंसते हुए कहा, ‘‘ऐसे ही दुखी हो जाती है. लेकिन आगे से यह बात याद रखना कि पतिपत्नी के बीच इस तरह की तकरार होती ही रहती है. अगर यह न हो तो जीवन नीरस बन जाएगा. थोड़ी तूतू, मैंमैं न हो तो जिंदगी सपाट लगने लगेगी.’ पतिपत्नी के बीच बिना किसी ठोस वजह के झगड़ा या तकरार हो जाना एक सामान्य बात है, क्योंकि 2 भिन्न विचारों वाले लोगों की सोच का टकराना कोई असहज बात नहीं है. लेकिन उस से आहत होना या अपने साथी को आहत करना अथवा उस तकरार को संबंधों में कड़वाहट लाने की वजह बनाना ठीक नहीं है. तकरार को कुछ देर बाद भूल जाएं या जिस की गलती हो वह गलती मान ले तो स्थिति सामान्य हो जाती है. वैसे भी पतिपत्नी का रिश्ता ऐसा होता है कि चाहे कितना भी झगड़ा क्यों न हो जाए, उन के बीच मनमुटाव बहुत देर तक कायम नहीं रह सकता है.

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि झगड़ना एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, इसलिए कोई भी व्यक्ति इस से अछूता नहीं रह सकता है. पति पत्नी को बर्थडे विश करना भूल गया तो तकरार हो गई. पत्नी ने पति का सूट ड्राईक्लीन करा कर नहीं रखा तो तकरार हो गई या अगर वादा कर के पति समय पर घर नहीं आया तो तकरार हो गई. यानी तकरार की अनगिनत वजहें हो सकती हैं. लेकिन तकरार इसलिए नहीं होती कि वे एकदूसरे को पसंद नहीं करते हैं, बल्कि इसलिए होती है, क्योंकि दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं.

मधुरता बनी रहती है

मनोवैज्ञानिक आराधना मलिक का कहना है कि जहां प्यार होता है, वहां अपेक्षाएं सहज ही पैदा हो जाती हैं और जब अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं तो आपस में लड़ाई हो ही जाती है, जो बहुत ही स्वाभाविक बात है. रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसा होता है कि अपनी आदतों व हरकतों से पतिपत्नी एकदूसरे को चोट पहुंचाते हैं. किंतु इस चोट का दर्द स्थायी नहीं होता है और उन दोनों के बीच इस के बावजूद मधुरता बनी रहती है

मोना और विनीत के विवाह को 13 वर्ष हो चुके हैं. वे कहते हैं, ‘‘हमारे बीच कभी झगड़ा नहीं हुआ. यहां तक कि किसी बात को ले कर तकरार भी नहीं हुई. हमें इस बात की खुशी है. जब हम दूसरे युगलों को लड़ते देखते हैं, तो हमें उन की आपसी अंडरस्टैंडिंग में कमी देख कर दुख होता है. हम ने तो विवाह के बाद ही यह तय कर लिया था कि हम दोनों एकदूसरे की जिंदगी में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, इसलिए झगड़ने की नौबत आई ही नहीं और अगर कभी आई भी तो हम ने चुपचाप उसे नजरअंदाज कर दिया.’’

इस युगल की बात सुन कर इन्हें आदर्श दंपती मानने का मन अवश्य करता है, पर इस का मतलब यह कतई नहीं लगाया जा सकता है कि इन का दांपत्यजीवन बहुत सुखद है, बल्कि इस से तो यह लगता है कि ये लोग न तो कभी आपस में लंबी बातचीत करते हैं और न ही खुल कर अपने मन की बात कह पाते हैं. बहस से बचने के लिए ये अपनी बात अपने दिल में ही रखते हैं जबकि रिश्ते में प्रगाढ़ता और मधुरता बनाए रखने के लिए तकरार या झगड़ा होना नितांत आवश्यक है.

मजबूत होता है रिश्ता

‘‘कल तो तुम अपने पति के देर से घर आने और तुम्हें तुम्हारे मायके न ले जाने की बात से इतनी नाराज थीं और आज तुम दोनों शाम को पार्क में हाथ में हाथ डाले टहल रहे हो?’’ पार्क में अपनी सहेली शारदा को अपने पति के साथ हंसहंस कर बात करते और घूमते देख कर राधा का हैरान होना स्वाभाविक था.

इस पर शारदा हंसते हुए बोली, ‘‘अरे, वह तो कल की बात थी. इस तरह की लड़ाई तो हमारे बीच अकसर हो जाती है. अब मैं अपने पति से नहीं रूठूंगी तो और किस से रूठूंगी और फिर इन्हें भी मुझे मनाने में मजा आता है. अगर इस झगड़े को गंभीरता से लेने लगूं तो 2 दिन भी साथ रहना मुश्किल हो जाएगा. मुझे तो लगता है कि इस तरह की तकरार से रिश्ता मजबूत होता है.’’

अध्ययनों से भी यह बात सामने आई है कि जो युगल झगड़ा करते हैं, उन का रिश्ता ज्यादा मजबूत होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जो युगल झगड़े से बचने की कोशिश करते हैं, उन के बीच अलगाव होने की आशंका सब से ज्यादा होती है, क्योंकि वे कभी भी उन मुद्दों को सुलझाने की कोशिश नहीं करते हैं, जिन्हें सुलझाने की आवश्यकता होती है. वे चुप रह कर जिन कुंठाओं को दबा देते हैं, बाद में वही ज्वाला बन कर फूटती हैं. समस्याएं उत्पन्न होने पर अगर वे 2 समझदार व्यक्तियों की तरह बात करें तो खाई पाटी जा सकती है.

आपसी जुड़ाव की निशानी

अगर पतिपत्नी के बीच तकरार होती रहती है, तो इसे वैचारिक भिन्नता से ज्यादा इस बात की निशानी मानना चाहिए कि उन के बीच जुड़ाव बहुत अधिक है. मनोवैज्ञानिक आराधना मलिक के अनुसार, ‘‘झगड़ा इस बात का प्रतीक होता है कि संबंधों में जीवंतता बरकरार है. वे चाहें कितना ही झगड़ें पर एकदूसरे से अलग नहीं हैं. सचाई तो यह है कि कोई भी इंसान परफैक्ट नहीं होता है. कमी हर रिश्ते की तरह पतिपत्नी के रिश्ते में भी होती है.’’

आपसी जुड़ाव तभी उत्पन्न होता है,जब एक साथी को यह पता हो कि दूसरा साथी क्या सोच रहा है या क्या महसूस कर रहा है. इस का अर्थ यह हुआ कि विचारों की भिन्नता को एकदूसरे के समक्ष लाना न कि चुप रह कर मन ही मन घुलते रहना. बोल कर, अपनी राय दे कर इस नतीजे पर पहुंचना कि क्या सही है और क्या गलत, एक स्वस्थ रिश्ते की निशानी है.

अपने साथी से मन की बात कहने में आखिर बुराई ही क्या है और अगर इस वजह से तकरार हो भी जाए तो मुद्दा सुलझ भी तो जाता है. बात चाहे छोटी ही क्यों न हो, चुप रहने के बजाय बात सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए. बहस से बचने के चक्कर में अगर झगड़ा न किया जाए तो समस्या गंभीर बन सकती है और रिश्ते में दरार भी आ सकती है.

मैरिज काउंसलर मणिका मानती हैं कि झगड़ा करना स्वास्थ्यवर्धक भी होता है और अगर उस का उपयोग ठीक तरह से किया जाए तो वह रिश्ते को पुख्ता करने और ऊर्जावान बनाने में भी सहायक होता है. पर इस का अर्थ यह नहीं है कि जब भी आप को लगे कि रिश्ते में गरमाहट की कमी हो रही है, आप झगड़ा करने लगें.

पतिपत्नी का संबंध ऐसा होता है कि उन के बीच कोई भी विवाद बहुत लंबे समय तक चल ही नहीं सकता है. इसलिए अगर तकरार हो भी गई हो तो उसे तूल न दें और न ही यह उम्मीद रखें कि साथी आप को मनाए. बिना हिचक के साथी से माफी मांग लें. इस से आप किसी भी तरह से उस की नजरों में छोटे नहीं होंगे, बल्कि आप की पहल आप के संबंधों को और प्रगाढ़ता देगी.

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मीठी अब लौट आओ: क्या किया था शर्मिला ने

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Alia Ranbir Wedding Video: शादी होते ही रोमांटिक हुए रणबीर, बीवी आलिया को यूं उठाया गोद में

5 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार 14 अप्रैल को आलिया भट्ट और रणबीर कपूर शादी के बंधंन में बंध गए हैं. दोनों की पहली वेडिंग फोटोज सामने आ गई हैं जो आलिया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की है. इन फोटो में दोनों ऑफ व्हाइट कलर के मैचिंग कपड़ों में नजर आ रहे हैं. आलिया और रणबीर एक साथ बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं.

 

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(फोटो क्रेडिट- आलिया भट्ट इंस्टाग्राम)

अपनी दुल्हन को गोद में उठाया रणबीर ने… 

 

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रणबीर-आलिया ने केक काटकर किया वेडिंग सेलिब्रेशन

 

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(फोटो-वीडियो क्रेडिट- विरल भयानी)

बता दें कि बीते रोज ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया था, जिसमें नीतू कपूर और उनकी बेटी ऋद्धिमा कपूर साहनी एक साथ सजी-धजी नजर आईं. पैपराजी ने दोनों को घेरा और कपल की शादी के बारे में बात की. इस दौरान पैपराजी ने पूछा कि अब तो बता दीजिए कि शादी कब है? इस पर नीतू और रिद्धिमा ने एक साथ बताया कि शादी कल है. कल यानी आज (गुरुवार) को रणबीर कपूर और आलिया भट्ट सात फेरे लेंगे.

खबरों की माने तो रणबीर और आलिया की शादी पंजाबी रीति-रिवाज से हुई है और इस शादी में करीब 40 मेहमान शामिल हुए.

अनाम रिश्ता: भाग 3- क्या मानसी को मिला नीरस का साथ

5 साल का अबोध बकुल भला क्या निर्णय लेता पापा 7-8 लोगों को ले कर आए. लंबी बैठक होती रही. जिन के भविष्य का फैसला होना था, उन की इच्छाअनिच्छा से किसी को कोई मतलब नहीं था. वे सब आपस में बुरी तरह उलझे हुए थे. जोरजोर से कहासुनी हो रही थी. पापा का कहना था कि उन्होंने मानसी को एक किलोग्राम सोने के जवर दिए थे. वह उस का स्त्रीधन है. आप को देना पड़ेगा. शादी में क्व4 करोड़ खर्च हुए थे, उस की भरपाई कैसे होगी?

अखिल पापाजी कह रहे थे, ‘‘यहां पर हम लोग उसे बेटी को तरह रख रहे हैं और इसे कोई बिजनैस करवा देंगे आखिर में वह मेरे वारिस की मां है, इसलिए इन लोगों को यहीं रहना होगा. जैसे पहले रहती थी वैसे रहे… जैसे मेरी ईशा वैसे यह मेरी तीसरी बेटी है.’’

नौबत यहां तक आ गई कि गालीगलौज और हाथापाई की स्थिति बन गई थी और मेरे पापा घमंड में बोले, ‘‘अखिल, कमीने, तेरा पाला जैसे रईस से पड़ा है, तेरे मुंह पर मैं मारता हूं सारा पैसा, सोना. तू पहले भी भिखमंगा था. शादी के नाम पर कहता रहा मुझे गाड़ी दो, सोना दो, कैश दो… नीच कहीं का.’’

पापा को अपने पैसे का गुरूर था और उन का अपना बचपना… बकुल को पापा ने अपनी गोद में उठाया और उन की उंगली पकड़ कर मैं बाहर गाड़ी में बैठ कर आगरा आ गई.

आगरा रहते भी 2 साल बीत गए थे. पापा ने एक साधारण परिवार के लड़के को पैसे का लालच दे कर उन के साथ शादी करने को राजी कर लिया. उस का नाम पीयूष था. वह भरतपुर में रहता था और वह इंश्योरैंस का काम करता था. इसी सिलसिले में वह पापा के पास आया करता और अपने को बैंक में कैशियर हूं, बताया करता. बकुल के लिए कभी चौकलेट तो कभी गेम वगैरह दे कर जाता. फिर धीरेधीरे उन के साथ भी मिलनाजुलना होने लगा. वह उन्हें भी लंच पर ले जाता. भविष्य को ले कर बातें करता. प्यार भरी बातें फोन पर भी होतीं. उस की आकर्षक पर्सनैलिटी की वे दीवानी होती जा रही थीं. उस के प्यार में वे अंधी हो रही थीं.

पीयूष ने कहा कि उन की मां बैड पर हैं, इसलिए वे चाहती हैं कि जल्दी से शादी कर ले, तो वे बहू को देख लें और उन्हें तो साथ में पोता भी मिल रहा है. पीयूष और बकुल के बीच जो ट्यूनिंग थी उस से वे आश्वस्त हो गई थी कि बकुल को पापा मिल जाएगा और उन के जीवन में फिर से खुशियां दस्तक दे देगी… उन के जीवन का अधूरापन भी समाप्त हो जाएगा. वे सादे ढंग से मंदिर शादी करना चाहती थीं, परंतु पीयूष की मां अपने बेटे को दूल्हे के वेष में देखने का सपना पूरा करना चाहती थीं.

फिर से वही धूमधाम हुई और वे पीयूष की दुलहनिया बन कर उस के घर पहुंच गईं. कुछ महीनों तक तो सबकुछ ठीकठाक रहा, लेकिन वे समझ गई थीं कि वह ठगी जा चुकी हैं. उन्हें बाद में मालूम हुआ कि पापा ने क्व20 लाख का लालच दिया था, इसलिए उस ने शादी की थी.

कुछ दिनों के बाद ही पीयूष दारू के नशे में रात में देर से आने लगा. नशे में बोलता कि तू तो जूठन है. तुझे छूने में घिन आती है. रोज रात को गालीगलौज करता. सुबह उठ कर झड़ू बरतन, नाश्ता, खाना बनाना, उन के लिए बहुत मुश्किल था. सबकुछ करने के बाद भी पीयूष की मां चिल्लातीं, ‘‘अपशकुनी एक को तो खा गई अब क्या मेरे लाल को भी खाएगी क्या.’’

पीयूष अपने साथ उन्हें मां के घर ले कर जाता और थोड़ी देर में लौटा लाता. पापा से कह कर उन्होंने एक नौकरानी बुलवाई, तो पीयूष के आत्मसम्मान को चोट पहुंची और वह नाराज हो उठा क्योंकि उस के मन में चोर था कि यहां की सब बातें नौकरानी के द्वारा मानसी के मातापिता तक पहुंच जाएंगी. इसीलिए पीयूष ने उसे तुरंत भगा दिया.

पीयूष की मां पैरालाइज्ड थीं. उन्हें नहलाना, गंदगी साफ करना जैसे काम उन के लिए बहुत कष्टदाई थे, परंतु 1 साल तक उस नर्क में गुजर करने की कोशिश करती रही थीं.

पीयूष ने झठ बोला था. वह बैंक में नौकरी नहीं करता था. उस ने पापा से दौलत ऐंठने के लिए शादी का ड्रामा रचा था. नन्हा बकुल पीयूष को देखते ही सहम जाता था, एक दिन वे बकुल को पढ़ा रही थीं कि नशे में झमता हुआ वह आ गया और बकुल को गाली दे कर उस की किताब उठा कर हवा में उछाल दी. फिर उसे जोर से धक्का देते हुए गालियों की बौछार कर दी. वे तेजी से उठीं और पीयूष के समने खड़ी हो कर बोली, ‘‘खबरदार यदि मेरे बेटे के साथ बदतमीजी की या उस पर हाथ उठाया तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

वह न जाने किस नशे में डूबा हुआ था सो उस ने उन्हें भी जोर का धक्का दे दिया, ‘‘मुझ से मुंहजोरी करेगी… तेरी ऐसी दशा करूंगा कि सारा घमंड चूर हो जाएगा.’’

उन्होंने दीवार का सहारा ले कर अपने को गिरने से बचा लिया, परंतु उस दिन पीयूष की बदतमीजी और गालियां उन के लिए सहना मुश्किल हो गया.

बकुल उन की बांहों के घेरे में देर घंटों तक सिसकता रहा. वे भी कमरा बंद कर के आंसू बहाती रहीं.

सुबह हमेशा की तरह पीयूष उन के पैर पकड़ कर माफी मांगता रहा. लेकिन अब उन्होंने फैसला कर लिया था इस नर्कभरी जिंदगी से मुक्त होने का. अगले दिन मुंह अंधेरे बकुल का सामान एक बैग में रख कर वे भरतपुर से आगरा आने वाली बस में बैठ गई.

उस दिन एक नई मानसी ने जन्म लिया था. उन्होंने तय कर लिया था कि अब वे

अपने जीवन के निर्णय स्वयं किया करेंगी.

वे क्रोध में धधकती हुई अपने घर पहुंचीं और अपने पापा पर बरस पड़ी, ‘‘पापा, आप ने अपने पैसे के घमंड में मेरी जिंदगी को तमाशा बना कर रख दिया है. एक लालची को आप ने क्व20 लाख दे कर मेरे जीवन का सौदा कर दिया. अब किसी दूसरे ने आप से ज्यादा मोटी नोटों की गड्डी उस के मुंह पर मार दी और बस वह उन के सामने कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगा. पापा आप ने न ही पीयूष के बारे में कुछ ठीक से पता लगाया और न ही ढंग से उस का घर देखा. उस की चिकनीचुपड़ी बातों में आप फंस गए. उस ने दूसरे के घर को अपना घर बताया. बस आप ने झटपट अपनी बेटी उसे सौंप दी. आप ने अपने पैसे के बलबूते बेटी को उस के हवाले कर के उस की जिंदगी को तमाशा बना कर रख दिया.’’

‘‘बस बहुत हुआ. अब आगे कोई तमाशा नहीं होगा. मैं पीयूष के बच्चे को जेल की हवा खिलाऊंगा देखती जाओ… कमीना कहीं का.’’

‘‘पापा भैया की शादी होने वाली है , इसलिए मैं कमला नगर वाले फ्लैट में अकेली

रहा करूंगी.’’

उन की बात सुन कर मम्मीपापा कसमसाए थे लेकिन अब उन की हिम्मत नहीं थी कि वह बोलें. उन की सहायता के लिए सेविका लक्ष्मी भी आ गई थी.

बकुल 5वीं कक्षा में आ गया था. उसे पढ़ालिखा कर अच्छा इंसान बनाना ही उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था, परंतु अभी तो नियति को उन के हिस्से के बहुत सारे पन्ने लिखने बाकी थे.

उन्होंने एक बुटीक खोल लिया और उस में मन लगाने लगी थीं. बुटीक चल नहीं पा रहा था. अत: उन का बुटीक से भी मन उचटता जा रहा था.

मालती मम्मीजी का मायका आगरा में ही था. वे अकसर अपनी मां से मिलने आती रहती थीं और उन के जीवन के हर उतारचढ़ाव की जानकारी रखती थीं क्योंकि वे अपने मायके में पहले भी महीनों रहा करती थीं. वे पहले कई बार उन्हें फोन किया करतीं, लेकिन वे कभी फोन उठाया करतीं और न ही कभी मिलने गईं, जबकि वे बारबार उन से मिलने के लिए आग्रह करती रहती थीं.

एक दिन वे बकुल के लिए ढेरों सामान ले कर उन के घर आ गईं. बकुल उन से चिपट गया और दादी मैं आप के साथ चलूं कहने लगा. दादीपोते का मिलन देख उन की आंखें भी भर आईं. वे महसूस कर रही थीं कि उन की वजह से बच्चे का मासूम बचपन छिन गया है. उस के मन में अपनी दादीबाबा और बूआ लोगों के प्रति प्यार था, कहीं कोने में एक सौफ्ट सा कार्नर था.

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