अनाम रिश्ता: भाग 3- क्या मानसी को मिला नीरस का साथ

5 साल का अबोध बकुल भला क्या निर्णय लेता पापा 7-8 लोगों को ले कर आए. लंबी बैठक होती रही. जिन के भविष्य का फैसला होना था, उन की इच्छाअनिच्छा से किसी को कोई मतलब नहीं था. वे सब आपस में बुरी तरह उलझे हुए थे. जोरजोर से कहासुनी हो रही थी. पापा का कहना था कि उन्होंने मानसी को एक किलोग्राम सोने के जवर दिए थे. वह उस का स्त्रीधन है. आप को देना पड़ेगा. शादी में क्व4 करोड़ खर्च हुए थे, उस की भरपाई कैसे होगी?

अखिल पापाजी कह रहे थे, ‘‘यहां पर हम लोग उसे बेटी को तरह रख रहे हैं और इसे कोई बिजनैस करवा देंगे आखिर में वह मेरे वारिस की मां है, इसलिए इन लोगों को यहीं रहना होगा. जैसे पहले रहती थी वैसे रहे… जैसे मेरी ईशा वैसे यह मेरी तीसरी बेटी है.’’

नौबत यहां तक आ गई कि गालीगलौज और हाथापाई की स्थिति बन गई थी और मेरे पापा घमंड में बोले, ‘‘अखिल, कमीने, तेरा पाला जैसे रईस से पड़ा है, तेरे मुंह पर मैं मारता हूं सारा पैसा, सोना. तू पहले भी भिखमंगा था. शादी के नाम पर कहता रहा मुझे गाड़ी दो, सोना दो, कैश दो… नीच कहीं का.’’

पापा को अपने पैसे का गुरूर था और उन का अपना बचपना… बकुल को पापा ने अपनी गोद में उठाया और उन की उंगली पकड़ कर मैं बाहर गाड़ी में बैठ कर आगरा आ गई.

आगरा रहते भी 2 साल बीत गए थे. पापा ने एक साधारण परिवार के लड़के को पैसे का लालच दे कर उन के साथ शादी करने को राजी कर लिया. उस का नाम पीयूष था. वह भरतपुर में रहता था और वह इंश्योरैंस का काम करता था. इसी सिलसिले में वह पापा के पास आया करता और अपने को बैंक में कैशियर हूं, बताया करता. बकुल के लिए कभी चौकलेट तो कभी गेम वगैरह दे कर जाता. फिर धीरेधीरे उन के साथ भी मिलनाजुलना होने लगा. वह उन्हें भी लंच पर ले जाता. भविष्य को ले कर बातें करता. प्यार भरी बातें फोन पर भी होतीं. उस की आकर्षक पर्सनैलिटी की वे दीवानी होती जा रही थीं. उस के प्यार में वे अंधी हो रही थीं.

पीयूष ने कहा कि उन की मां बैड पर हैं, इसलिए वे चाहती हैं कि जल्दी से शादी कर ले, तो वे बहू को देख लें और उन्हें तो साथ में पोता भी मिल रहा है. पीयूष और बकुल के बीच जो ट्यूनिंग थी उस से वे आश्वस्त हो गई थी कि बकुल को पापा मिल जाएगा और उन के जीवन में फिर से खुशियां दस्तक दे देगी… उन के जीवन का अधूरापन भी समाप्त हो जाएगा. वे सादे ढंग से मंदिर शादी करना चाहती थीं, परंतु पीयूष की मां अपने बेटे को दूल्हे के वेष में देखने का सपना पूरा करना चाहती थीं.

फिर से वही धूमधाम हुई और वे पीयूष की दुलहनिया बन कर उस के घर पहुंच गईं. कुछ महीनों तक तो सबकुछ ठीकठाक रहा, लेकिन वे समझ गई थीं कि वह ठगी जा चुकी हैं. उन्हें बाद में मालूम हुआ कि पापा ने क्व20 लाख का लालच दिया था, इसलिए उस ने शादी की थी.

कुछ दिनों के बाद ही पीयूष दारू के नशे में रात में देर से आने लगा. नशे में बोलता कि तू तो जूठन है. तुझे छूने में घिन आती है. रोज रात को गालीगलौज करता. सुबह उठ कर झड़ू बरतन, नाश्ता, खाना बनाना, उन के लिए बहुत मुश्किल था. सबकुछ करने के बाद भी पीयूष की मां चिल्लातीं, ‘‘अपशकुनी एक को तो खा गई अब क्या मेरे लाल को भी खाएगी क्या.’’

पीयूष अपने साथ उन्हें मां के घर ले कर जाता और थोड़ी देर में लौटा लाता. पापा से कह कर उन्होंने एक नौकरानी बुलवाई, तो पीयूष के आत्मसम्मान को चोट पहुंची और वह नाराज हो उठा क्योंकि उस के मन में चोर था कि यहां की सब बातें नौकरानी के द्वारा मानसी के मातापिता तक पहुंच जाएंगी. इसीलिए पीयूष ने उसे तुरंत भगा दिया.

पीयूष की मां पैरालाइज्ड थीं. उन्हें नहलाना, गंदगी साफ करना जैसे काम उन के लिए बहुत कष्टदाई थे, परंतु 1 साल तक उस नर्क में गुजर करने की कोशिश करती रही थीं.

पीयूष ने झठ बोला था. वह बैंक में नौकरी नहीं करता था. उस ने पापा से दौलत ऐंठने के लिए शादी का ड्रामा रचा था. नन्हा बकुल पीयूष को देखते ही सहम जाता था, एक दिन वे बकुल को पढ़ा रही थीं कि नशे में झमता हुआ वह आ गया और बकुल को गाली दे कर उस की किताब उठा कर हवा में उछाल दी. फिर उसे जोर से धक्का देते हुए गालियों की बौछार कर दी. वे तेजी से उठीं और पीयूष के समने खड़ी हो कर बोली, ‘‘खबरदार यदि मेरे बेटे के साथ बदतमीजी की या उस पर हाथ उठाया तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

वह न जाने किस नशे में डूबा हुआ था सो उस ने उन्हें भी जोर का धक्का दे दिया, ‘‘मुझ से मुंहजोरी करेगी… तेरी ऐसी दशा करूंगा कि सारा घमंड चूर हो जाएगा.’’

उन्होंने दीवार का सहारा ले कर अपने को गिरने से बचा लिया, परंतु उस दिन पीयूष की बदतमीजी और गालियां उन के लिए सहना मुश्किल हो गया.

बकुल उन की बांहों के घेरे में देर घंटों तक सिसकता रहा. वे भी कमरा बंद कर के आंसू बहाती रहीं.

सुबह हमेशा की तरह पीयूष उन के पैर पकड़ कर माफी मांगता रहा. लेकिन अब उन्होंने फैसला कर लिया था इस नर्कभरी जिंदगी से मुक्त होने का. अगले दिन मुंह अंधेरे बकुल का सामान एक बैग में रख कर वे भरतपुर से आगरा आने वाली बस में बैठ गई.

उस दिन एक नई मानसी ने जन्म लिया था. उन्होंने तय कर लिया था कि अब वे

अपने जीवन के निर्णय स्वयं किया करेंगी.

वे क्रोध में धधकती हुई अपने घर पहुंचीं और अपने पापा पर बरस पड़ी, ‘‘पापा, आप ने अपने पैसे के घमंड में मेरी जिंदगी को तमाशा बना कर रख दिया है. एक लालची को आप ने क्व20 लाख दे कर मेरे जीवन का सौदा कर दिया. अब किसी दूसरे ने आप से ज्यादा मोटी नोटों की गड्डी उस के मुंह पर मार दी और बस वह उन के सामने कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगा. पापा आप ने न ही पीयूष के बारे में कुछ ठीक से पता लगाया और न ही ढंग से उस का घर देखा. उस की चिकनीचुपड़ी बातों में आप फंस गए. उस ने दूसरे के घर को अपना घर बताया. बस आप ने झटपट अपनी बेटी उसे सौंप दी. आप ने अपने पैसे के बलबूते बेटी को उस के हवाले कर के उस की जिंदगी को तमाशा बना कर रख दिया.’’

‘‘बस बहुत हुआ. अब आगे कोई तमाशा नहीं होगा. मैं पीयूष के बच्चे को जेल की हवा खिलाऊंगा देखती जाओ… कमीना कहीं का.’’

‘‘पापा भैया की शादी होने वाली है , इसलिए मैं कमला नगर वाले फ्लैट में अकेली

रहा करूंगी.’’

उन की बात सुन कर मम्मीपापा कसमसाए थे लेकिन अब उन की हिम्मत नहीं थी कि वह बोलें. उन की सहायता के लिए सेविका लक्ष्मी भी आ गई थी.

बकुल 5वीं कक्षा में आ गया था. उसे पढ़ालिखा कर अच्छा इंसान बनाना ही उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था, परंतु अभी तो नियति को उन के हिस्से के बहुत सारे पन्ने लिखने बाकी थे.

उन्होंने एक बुटीक खोल लिया और उस में मन लगाने लगी थीं. बुटीक चल नहीं पा रहा था. अत: उन का बुटीक से भी मन उचटता जा रहा था.

मालती मम्मीजी का मायका आगरा में ही था. वे अकसर अपनी मां से मिलने आती रहती थीं और उन के जीवन के हर उतारचढ़ाव की जानकारी रखती थीं क्योंकि वे अपने मायके में पहले भी महीनों रहा करती थीं. वे पहले कई बार उन्हें फोन किया करतीं, लेकिन वे कभी फोन उठाया करतीं और न ही कभी मिलने गईं, जबकि वे बारबार उन से मिलने के लिए आग्रह करती रहती थीं.

एक दिन वे बकुल के लिए ढेरों सामान ले कर उन के घर आ गईं. बकुल उन से चिपट गया और दादी मैं आप के साथ चलूं कहने लगा. दादीपोते का मिलन देख उन की आंखें भी भर आईं. वे महसूस कर रही थीं कि उन की वजह से बच्चे का मासूम बचपन छिन गया है. उस के मन में अपनी दादीबाबा और बूआ लोगों के प्रति प्यार था, कहीं कोने में एक सौफ्ट सा कार्नर था.

आगे पढ़ें- अनिश्चित सी धारा में जीवन बहे…

ये भी पढ़ें- गलतफहमी: क्यों रीमा को बाहर भेजने से डरती थी मिसेज चंद्रा

ट्रोल होने पर क्यों हुई एक्ट्रेस Raima Sen को ख़ुशी, पढ़ें इंटरव्यू

हिंदी और बांग्ला फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री मुनमुन सेन की बेटी राइमा सेन एक बहुत ही खुबसूरत,हंसमुख, शालीन और मृदुभाषी अभिनेत्री है. करीब 20 सालों तक फिल्मों में काम करने के बाद अब उन्हें हिंदी और बांग्ला वेब सीरीज में काम करने की इच्छा है, क्योंकि ओटीटी की फिल्मों की कहानियाँ, वास्तविक और रियल होती है, जिसे करना उनके  लिए चुनौती होती है. उनका चेहरा बंगाल की लिजेंडअभिनेत्री और नानी सुचित्रा सेन की तरह है, इसलिए उन्हें हमेशा शालीन और चुपचाप भारतीय नारी की भूमिका ही फिल्मों में मिला करती थी.

बार-बार ट्रेडिशनल भारतीय नारी की भूमिका निभाकर परेशान हो चुकी राइमा ने एक सेक्सी फोटोशूट करवाया और डिजिटल मिडिया ट्रोल हुई पर सबसे अधिक लाइक्स मिले,जबकि पहले उन्ही फैन फोलोइंग बढ़ नहीं रही थी. फ़िल्मी माहौल में पली और बड़ी हुई राइमा सेन  शुरू से अभिनय के अलावा कुछ दूसरा काम करने के बारें में नहीं सोचा था. 17 साल की उम्र में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘गॉडमदर’ में काम शुरू किया था. उनका फ़िल्मी जीवन कमोवेश सफल रहा, लेकिन उनके निजी जीवन में सफलता नहीं मिली, उनका नाम व्यवसायी वरुण थापर, अभिनेता कुनाल कपूर और राजनेता कलिकेश नारायण सिंह देव के साथ जुड़े, पर उन्होंने अपने काम को अधिक महत्व दिया.

उनकी फिल्म माई’ रिलीज पर है,जिसमे उन्होंने नीलम की भूमिका निभाई है, आइये जाने उनके जीवन से जुडी कुछ बातें.

सवाल – आपकी जर्नी से आप कितनी संतुष्ट है, क्या कोई मलाल रह गया है?

जवाब – मैंने सारे बड़े निर्देशकों के साथ काम किया है, इसलिए किसी प्रकार की रिग्रेट अब नहीं है. इस फिल्म में नीलम की भूमिका करने के बाद, आगे दर्शक मुझे अलग भूमिका में देखना चाहे और मुझे वैसी चुनौतीपूर्ण भूमिका मिले, इसकी कोशिश रहेगी.

सवाल – किसी चरित्र को करने के बाद उससे निकलना कितना मुश्किल या आसान होता है?

जवाब – मेरे लिए निर्देशक का अच्छा होना बहुत जरुरी है, ताकि मैं उनकी आँखों से मेरी भूमिका को देख सकूँ. इस फिल्म के साथ हम सभी 2 साल तक जुड़े रहे, क्योंकि कोविड था, इसलिए इसके ख़त्म होने के बाद सभी को लगने लगा कि अब आगे क्या करें? लेकिन एक राहत थी कि फिल्म पूरी हो गयी और मैं अपने घर चली गयी. चरित्र से निकलना मुश्किल नहीं होता.

सवाल – आपका चेहरा आपकी नानी और अभिनेत्री सुचित्रा सेन से मेल खाती है, क्या इसका फायदा आपको मिला?

जवाब – 17 साल की उम्र में जब मैं अभिनय करने आई थी, तो बंगाल में मेरे ऊपर बहुत बड़ा प्रेशर, तुलना, आशाएं बहुत थी.  मैं बहुत घबरा गयी थी, क्योंकि सुचित्रा सेन की नातिन और मेरी पहली फिल्म ‘गॉडमदर’ थी, लोगों ने मुझे बहुत कुछ भला-बुरा कहा, लेकिन ‘चोखेर बाली’ फिल्म के बाद लोगों ने मुझे राइमा सेन नाम से माना.

सवाल –इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?

जवाब – मुझे कास्टिंग डायरेक्टर और निर्देशक अतुल मोंगिया के साथ काम करने की बहुत इच्छा थी और पहले मैं उनके साथ एक एक्टिंग वर्कशॉप करना चाहती थी, लेकिन उसी दौरान उनके ऑफिस से मुझे फ़ोन आया कि वे एक फिल्म ‘माई’ बनाने जा रहे है और मेरा स्क्रीन टेस्ट करना चाहते है,मुझे बहुत ख़ुशी हुई. मैं ऑफिस पहुंची और स्क्रीन टेस्ट दिया. जब मैं सेलेक्ट हुई तो मुझे स्क्रिप्ट दिया गया. मुझे मेरी भूमिका बहुत अच्छी लगी, क्योंकि पुरुषों की दुनिया में एक स्ट्रोंग महिला और मैंने ऐसी भूमिका कभी नहीं की थी.

सवाल –आपकी सीधी-सादी इमेज से निकलकर इस तरह की भूमिका को करने के लिए कितनी तैयारियां करनी पड़ी?

जवाब – 10 दिन का मैंने मैडिटेशन किया जिसमे वर्कआउट से लेकर स्क्रिप्ट को पढना एक्टिंग की प्रेक्टिस सब थी. ऐसे वर्कशॉप से अंतरात्मा में बहुत सुकून मिलता है, जिससे किरदार में जाना आसान होता है. हम सभी ने लखनऊ शूटिंग में जाने से पहले किये थे, जिसका फायदा मुझे मिला. इसके अलावा मुझे इस भूमिका में हेयर कट करवाने थे, जबकि मेरे केश तो हमेशा लम्बे ही रहे है, लेकिन हेयर कट से मेरे अंदर उस भूमिका के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस आ गया था.

सवाल – इस भूमिका से आप कितना रिलेट कर पाती है?

जवाब – नीलम की भूमिका से मैं बहुत हद तक रिलेट कर पाती हूँ, क्योंकि नीलम अपने इमोशन को कभी शो नहीं करती,केवल एक ही व्यक्ति केशव को वह अपना इमोशन जाहिर करती है. मैं भी बहुत हद तक अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं करती. इसके अलावा इतने साल काम करने के बाद भी मुझे लगता है कि मैं पुरुषों के क्षेत्र में एक महिला हूँ और मैं  पुरुषों को हैंडल करना जानती हूँ.

सवाल – क्या आप हिंदी और बांग्ला फिल्मों में कुछ अंतर महसूस करती है?

जवाब – सिर्फ भाषा अलग है, लेकिन शूटिंग एक जैसे ही है. काम वैसे ही होता है. वहां पर भी प्रेशर काम का होता है, यहाँ भी काम का प्रेशर होता है. कहानियों में बदलाव आने से सभी को अलग-अलग वेरायटी के किरदार मिलते है. किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं होती और सभी कलाकार अपनी इच्छा के अनुसार सब कर सकते है. मेरे हिसाब से यही भविष्य है.

सवाल – आप अपनी माँ मुनमुन सेन की काम से कितनी प्रभावित है, उनकी कौन सी ऐसी बात है, जिसे आप हमेशा याद रखती है?

जवाब – मेरी माँ अभी भी मेरी क्रिटिक है. जब भी मेरी सिनेमा देखती है, तो एक्टिंग सही न होने पर उसे करने का तरीका बताती है. इसके अलावा कई बांग्ला फिल्मों में मेरी माँ ने ड्रेस की स्टाइलिंग भी की है, इससे मुझे अपने चरित्र में घुसना आसान होता है.

सवाल – इतनी सारी फिल्मों में कौन सी फिल्म दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – मेरी पहली फिल्म ‘गॉडमदर’ और टर्निंग पॉइंट ‘चोखेर बाली’ थी. अभी मेरी फिल्म ‘माई’ है, जिसे लेकर मैंने 2 साल बिताया है.

सवाल – आपकी ब्यूटी मंत्र क्या है?

जवाब – इसमें मेरी माता-पिता को धन्यवाद् देती हूँ, उनकी जींस मुझे और मेरी बहन रिया को मिली है, किसी को कुछ लगाने की जरुरत नहीं. साधारण खान पान और नीद पूरी करने पर स्किन में चमक रहती है. इसके अलावा मैं बहुत फूडी हूँ, डाइट नहीं करती और हर तरह के व्यंजन खाती हूँ. इसलिए समय मिलने पर सप्ताह में 3 से 4 दिन जिम में अवश्य चली जाती हूँ.

सवाल – आगे कौन-कौन सी फिल्में है?

जवाब – आगे मैं एक बांग्ला वेब सीरीज ‘रक्तो करबी’ और तमिल फिल्म आगे आने वाली है.

सवाल – आपकी एक बोल्ड शूटकी वजह से कंट्रोवर्सी की शिकार बनी, इस बारें में आप क्या कहना चाहती है?

जवाब – मैंने इसे जान-बुझकर इस शूट को करवाया था, ताकि लोगों के मन की बात समझ सकूँ. कंट्रोवर्सी चाहे कितनी भी हो, लेकिन उसमें सबसे अधिक लाइक्स मिले. अब तक मैंने जितनी भी भूमिकाएं की थी, मेरे फैन्स की संख्या नहीं बढ़ी थी, लेकिन इस शूट के बाद इतनी लोगों की लाइक्स को देखकर मुझे समझ में आया कि दर्शक मुझे इस अवतार में भी देखना चाहते है. असल में कम्फर्ट जोन से निकलकर काम हमेशा करनी चाहिए.

सवाल – आजकल महिलाओं के इतनी जागरूक होने के बाद भी उनपर घरेलू हिंसा,अत्याचार बहुत दिखाई पड़ रहा है, इसकी जिम्मेदारी किसकी मानती है, समाज, परिवार या धर्म?

जवाब –असल में आज की महिलाएं आगे आकर बोल सकती है, जो पहले संभव नहीं था. उनके आवज को दबा दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता. ओटीटी ने इसकी जिम्मेदारी अच्छी तरह से ले ली है. अब महिलाएं अपनी बाते सबके सामने कह सकती है. जिम्मेदारी सभी की होती है, क्योंकि सब मिलकर ही एक बच्चे की परवरिश करते है.

सवाल – एक मेसेज मदर्स के लिए क्या देना चाहती है?

जवाब – मेरा सभी माओं से कहना है कि माँ कभी कमजोर नहीं होती. उनका प्यार उनकी जर्नी, उनका दुःख दर्द उन्हें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की साहस देती है. आजकल प्रताड़ित माताओं को कई एनजीओ की तरफ से अच्छी तरह रखा जाता है, उन्हें कई सुविधाए दी जाती है, ताकि वे कुछ कमाकर आत्मनिर्भर बने.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss OTT फेम मिलिंद गाबा ने की गर्लफ्रैंड से सगाई, फोटोज वायरल

आखिर दिल का मामला है

हमारा छोटा सा दिल हमारे शरीर का ऊर्जा स्रोत है. दिल काम कर रहा है तो हम जिंदगी जी रहे हैं. हमारा दिल प्रतिदिन करीब 1 लाख 15 हजार बार धड़कता है और करीब 2 हजार गैलन रक्त पंप करता है. जिस दिन इस दिल में तकलीफ शुरू हुई तो परेशानी आप को ही होगी.

हमारे देश में होने वाली मौतों का प्रमु ख कारण हृदय से जुड़ी बीमारियां ही हैं. हृदयरोगों के कारण मात्र 26 वर्ष की आयु में मृत्यु के आंकड़ों में 34% की वृद्धि हुई है. इसलिए इस का खास खयाल रखना जरूरी है.

दिल की तंदुरुस्ती जुड़ी होती है आप के दिमाग से, आप के खानपान और जीवनशैली से. आप क्या सोचते हैं, क्या खाते हैं और कैसे जीते हैं इस सब का सीधा असर दिल की सेहत पर पड़ता है.

आइए, जानते हैं दिल को स्वस्थ कैसे रख सकते हैं:

सक्रियता जरूरी

एक निष्क्रिय जीवनशैली जीने का अर्थ है अपने दिल की सेहत को खतरे में डालना, इसलिए आलस त्याग कर दौड़ लगाएं, वाक करें, साइक्लिंग और स्विमिंग करें. जिम जाना जरूरी नहीं पर शरीर को थकाना और पसीना लाना जरूरी है. कोई भी ऐसी ऐक्टिविटी कीजिए जिस में आप के पूरे शरीर का व्यायाम हो जाए. नियमित व्यायाम करने से दिल की बीमारियों का जोखिम कम रहता है.

न करें धूम्रपान

यदि आप अपनेआप को हृदयरोगों से दूर रखना चाहते हैं तो जरूरी यह भी है कि आज ही धूम्रपान बंद कर दें. धूम्रपान और तंबाकू का सेवन कोरोनरी हृदयरोगों के होने के सब से बड़े कारणों में से एक है. तंबाकू रक्तवाहिकाओं और हृदय को बड़ा नुकसान पहुंचाता है, इसलिए यदि आप हृदय को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आज ही धूम्रपान छोड़ दें.

रखें वजन को नियंत्रित

अधिक वजन होना हृदयरोग के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है, इसलिए रोज कसरत करना और संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी हो जाता है. मोटापे के कारण हृदय की समस्याएं अधिक होती हैं.

जीएं जिंदगी जीभर कर

जिंदगी से शिकायतें कम करें और खुल कर जीने का प्रयास अधिक करें. रोजमर्रा की जिंदगी में छोटीछोटी चीजों का आनंद लें. इस से दिल भी खुश रहेगा और आप भी. जितना हो सके मुसकराएं और ठहाके लगाएं. संगीत सुनें, किताबें पढ़ें, दोस्तों और बच्चों के साथ समय बिताएं.

शरीर में औक्सीजन की ज्यादा मात्रा पहुंचे इस के लिए गहरी सांसें लें. ये सभी आदतें तनाव और दबाव को कम करने में मदद करेंगी और आप को दिल की बीमारी से दूर रखेंगी.

अधिक फाइबर वाला खाना खाएं

हृदयरोग के खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में फाइबर खाएं. दिन में कम से कम 30 ग्राम फाइबर खाने का लक्ष्य रखें. साबूत दालें अनाज, सब्जियां जैसे गाजर, टमाटर आदि में न घुलने वाला फाइबर होता है. दलिया, सेम, लोबिया, सूखे मेवे और फल जैसे सेब, नीबू, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर होता है.

फाइबर युक्त भोजन अधिक समय तक पेट में रहता है जिस के कारण पेट भरा हुआ महसूस होता है और खाना भी कम खाया जाता है. इसी कारण वजन भी कम होता है. फाइबर युक्त भोजन पाचन के समय शरीर से वसा निकाल देता है, जिस के कारण कोलैस्ट्रौल कम होता है व हृदय अधिक तंदुरुस्त होता है.

भोजन में बढ़ाएं फायदेमंद चिकनाई

अधिक वसा वाले ज्यादा खाद्यपदार्थ खाने से रक्त में कोलैस्ट्रौल की मात्रा बढ़ सकती है. यह हृदयरोग होने के खतरे को बढ़ा सकता है. वसा की जगह फायदेमंद चिकनाई खाएं. तेल, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं और लाल मांस में नुकसानदेह चिकनाई होती है जो बुरा कोलैस्ट्रौल बढ़ा कर हृदय को अस्वस्थ करती है.

लेकिन मछली, अंडा, दालें, टोफू, किनोआ इत्यादि से पौष्टिक प्रोटीन एवं फायदेमंद चिकनाई दोनों मिलते हैं. बाजार में मिलने वाली अधिकतर खाने की वस्तुओं में अच्छा पौष्टिक तेल नहीं होता. इस कारण इन का उपयोग कम से कम करना चाहिए. चीनी एवं मैदे का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए और भोजन में पौष्टिक तत्त्व जैसे सूखे मेवे, हरी सब्जियां इत्यादि का इस्तेमाल बढ़ा देना चाहिए.

करें नमक में कटौती

सही रक्तचाप और दिल की सेहत के लिए टेबल पर रखे नमक का इस्तेमाल करने से बचें और अपने खाने में अधिक प्रयोग करने से भी बचें. एक बार जब आप बिना अतिरिक्त नमक के खाद्यपदार्थ खाने के आदी हो जाते हैं तो आप इसे पूर्णरूप से छोड़ सकते हैं. भोजन में अधिक नमक की मात्रा होने से रक्तचाप बढ़ जाता है.

इस कारण हृदय में कई बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है. खाने को अधिक स्वादिष्ठ बनाने के लिए मसाले, हरा धनिया, पुदीना आदि डालिए. इस तरह नमक की मात्रा भी कम हो जाएगी. खरीदे गए खाद्यपदार्थ के लेबल को देखें. यदि 100 ग्राम में 1.5 ग्राम नमक या 0.6 ग्राम सोडियम से अधिक होता तो उस खाद्यपदार्थ में नमक की मात्रा अधिक है. एक वयस्क को दिनभर में 6 ग्राम से कम नमक खाना चाहिए.

घर के खाने को दें प्राथमिकता

घर में बना भोजन अधिक पौष्टिक होता है क्योंकि आप स्वयं सब्जी, मसाले, तेल एवं पकाने की विधि का चयन करते हैं. आप खाने को ज्यादा स्वादिष्ठ बनाने के लिए उस में विभिन्न प्रकार के मसाले डाल सकते हैं और नमक एवं चीनी जैसे हानिकारक तत्त्वों की मात्रा कम कर सकते हैं और फिर घर में बना खाना सस्ता भी पड़ता है.

रक्तचाप और कोलैस्ट्रौल पर नजर

हृदय की सेहत के लिए उच्च रक्तचाप और उच्च कोलैस्ट्रौल दोनों हानिकारक होते हैं. रक्तचाप और कोलैस्ट्रौल की जांच को ट्रैक करना और निगरानी करना महत्त्वपूर्ण होता है. उच्च रक्तचाप और उच्च रक्त कोलैस्ट्रौल के स्तर से दिल का दौरा पड़ सकता है.

कोलैस्ट्रौल 2 रूपों में शरीर में मौजूद होता है- पहला एचडीएल और दूसरा एलडीएल.

एचडीएल या गुड कोलैस्ट्रौल का ज्यादातर हिस्सा प्रोटीन से बना होता है, इसलिए शरीर की विभिन्न कोशिकाओं से कोलैस्ट्रौल को लेना और उसे नष्ट करने के लिए लिवर के पास ले जाने का मुख्य कार्य गुड कोलैस्ट्रौल करता है. अगर शरीर में गुड कोलैस्ट्रौल का उच्च स्तर बना रहे तो शरीर को हृदयरोग से सुरक्षा मिलती है और अगर गुड कोलैस्ट्रौल का स्तर कम हो जाए तो कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है.

दूसरी तरफ एलडीएल या बैड कोलैस्ट्रौल का सिर्फ एकचौथाई हिस्सा ही प्रोटीन होता है और बाकी सारा फैट. वैसे तो यह क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करता है, लेकिन अगर शरीर में इस का स्तर बढ़ जाए तो यह रक्तधमनियों की अंदरूनी दीवारों में जमा होने लगता है जिस से धमनियां संकुचित होने लगती हैं और पर्याप्त रक्तप्रवाह में मुश्किल पैदा होती है जिस से हृदयरोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

कोलैस्ट्रौल बढ़ने का कारण

गलत भोजन: अगर आप ऐसे आहार का सेवन करें जिस में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक हो तो खून में एलडीएल या बैड कोलैस्ट्रौल की मात्रा बढ़ जाती है. मीट, डेयरी उत्पाद, अंडा, नारियल तेल, पाम औयल, मक्खन, चौकलेट्स, बहुत ज्यादा तलीभुनी चीजें, प्रोसैस्ड फूड और बेकरी उत्पाद इसी श्रेणी में आते हैं.

असक्रिय जीवनशैली: अगर कोई व्यक्ति अपने रोजाना की जीवनशैली में किसी तरह की शारीरिक गतिविधि न करे, हर वक्त बैठा रहे तो इस से भी खून में एलडीएल या बैड कोलैस्ट्रौल की मात्रा बढ़ जाती है और गुड कोलैस्ट्रौल यानी एचडीएल का सुरक्षात्मक प्रभाव कम होने लगता है.

बीमारियां: पीसीओएस, हाइपरथायरोइडिज्म, डायबिटीज, किडनी डिजीज, एचआईवी और औटोइम्यून बीमारियां जैसे रूमैटौइड आर्थ्राइटिस, सोरायसिस आदि की वजह से भी कोलैस्ट्रौल का लैवल बढ़ने लगता है.

कोलैस्ट्रौल कम करने के उपाय

खून में कोलैस्ट्रोल के लैवल को बढ़ने से रोकने में सब से अहम भूमिका होती है आप के भोजन की. अपने भोजन में सैचुरेटेड फैट से भरपूर चीजों का बहुत अधिक सेवन न करें. मीट, अंडा, प्रोसैस्ड फूड, डेयरी प्रोडक्ट्स आदि चीजें बहुत ज्यादा न खाएं.

डाइट से जुड़ी आदतों में बदलाव करें. फुल फैट क्रीम वाले दूध की जगह स्किम्ड मिल्क का इस्तेमाल करें, खाना पकाने के लिए वैजिटेबल औयल का इस्तेमाल करें. अपने भोजन में साबूत अनाज, मछली, नट्स, फल, सब्जियां, चिकन आदि शामिल करें. फाइबर से भरपूर चीजें खाएं और बहुत ज्यादा चीनी वाले खाद्यपदार्थों और पेयपदार्थों का सेवन न करें.

सक्रियता बनाए रखें

अगर आप दिनभर कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं तो इस से आप के खून में एचडीएल या गुड कोलैस्ट्रौल की मात्रा कम होने लगती है. हफ्ते में 3-4 बार 45 मिनट के लिए ऐरोबिक ऐक्सरसाइज करें. इस से बैड कोलैस्ट्रौल को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है. इस के अलावा वाक करें, रनिंग करें, जौगिंग करें, स्विमिंग, डांसिंग आदि भी आप को सक्रिय बनाए रखने और कोलैस्ट्रौल लैवल को कंट्रोल करने में मदद करेंगे.

अगर आप का वजन अधिक है या आप मोटापे का शिकार हैं तो इस से भी बैड कोलैस्ट्रौल या एलडीएल का लैवल बढ़ने लगता है और गुड कोलैस्ट्रौल या एचडीएल कम होने लगता है. ऐसे में अगर आप वजन कम कर लें तो इस से भी आप को काफी मदद मिल सकती है.

ये भी पढ़ें- नमक कितना ज्यादा चीनी कितनी कम

व्रत उपवास: नारायणी ने क्या किया था

family story in hindi

#aliakishaadi: ब्राइडल लुक में बेहद खूबसूरत लगती हैं आलिया, देखें झलक

बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) और रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) की शादी हो चुकी हैं. जहां बीते दिन कपल की फैमिली मेहंदी सेरेमनी (Alia-Ranbir Mehendi Ceremony) के लिए पहुंची तो वहीं संगीत की तैयारियां करती हुई नजर आई. इसी के बाद पिछले 5 सालो तक एक दूसरे को डेटिंग करने के बाद अलिया भट्ट और रणवीर कपूर की शादी 14 अप्रैल को मुंबई में सात फेरे लिए, जिसकी फोटोज वायरल हो रही हैं. इसी बीच सोशलमीडिया पर आलिया भट्ट के ब्राइडल लुक को देखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे फैंस की तम्मना पूरी हो गई है. इसी के चलते आज हम आलिया भट्ट के ब्राइडल लुक्स की झलक आपके लिए लेकर आए हैं, जो कि उनके औनस्क्रीन ब्राइडल लुक्स हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

लाइट शेड का पहना ब्राइडल लहंगा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Alia Bhatt 🤍☀️ (@aliaabhatt)

एक्ट्रेस आलिया भट्ट कई विज्ञापनों में ब्राइडल लुक शेयर कर चुकी हैं, जिनमें एक चौकलेट की एड के लिए आलिया ने लाइट शेड का ब्राइडल लहंगा पहना था. वहीं मैचिंग ज्वैलरी पहनकर आलिया बेहद खूबसूरत लग रही थीं, जिसे देखकर फैंस तारीफें करते नजर आए थे. हालांकि आलिया भट्ट का रियल लाइफ में भी ब्राइडल लहंगा लाइट शेड में नजर आया, जिस ब्राइडल लुक में आलिया एलिगेंट लग रही थीं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Alia Bhatt 🤍☀️ (@aliaabhatt)

 राजस्थानी दुल्हन भी बन चुकी हैं आलिया

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Alia Bhatt 🤍☀️ (@aliaabhatt)

लाइट शेड के अलावा एक विज्ञापन में आलिया राजस्थानी दुल्हन का आउटफिट भी ट्राय कर चुकी हैं. मल्टी कलर हैवी लहंगे के साथ राजस्थानी मांगटीका और ज्वैलरी पहने आलिया का ब्राइडल लुक बेहद खूबसूरत और स्टाइलिश लग रहा था. फैंस उनके इस लुक को कौपी करते रहते हैं.

मेहरुन लहंगा भी कर चुकी हैं ट्राय

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Alia Bhatt 🤍☀️ (@aliaabhatt)

इसके अलावा आलिया भट्ट मेहरुन कलर के ब्राइडल लहंगे में भी नजर आ चुकी हैं. एक एड में आलिया भट्ट ने हैवी ब्राइडल लहंगा कैरी किया था. वहीं इसके साथ कौंट्रास्ट में ग्रीन और गोल्ड के कौम्बिनेशन वाली ज्वैलरी पहनी थीं. हालांकि इस लुक की खास बात ये थी कि एक्ट्रेस ने इस लुक के साथ कान के झुमके नहीं पहने थे, जिसके कारण आलिया का लुक काफी सुर्खियों में रहा था.

फिल्म में बनीं सिंपल दुल्हन

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Alia Bhatt 🤍☀️ (@aliaabhatt)

लहंगों के अलावा आलिया भट्ट साड़ी में भी दुल्हन बन चुकी हैं. दरअसल, फिल्म राजी में एक्ट्रेस ने ब्राइडल लुक शेयर किया था, जिसमें वह पिंक कलर की बनारसी साड़ी में नजर आई थीं. आलिया भट्ट का ये सिंपल ब्राइडल लुक फैंस के बीच काफी छाया था. वहीं फिल्म भी हिट साबित हुई थी.

ये भी पढ़ें- #aliakishaadi: वेडिंग सीजन में ट्राय करें आलिया भट्ट के ये खूबसूरत लहंगे

Summer Special: बच्चों को पसन्द आएंगी दलिये की ये Recipe

आजकल के बच्चों को सेहतमंद खाद्य पदार्थ खिलाना बेहद मुश्किल होता है. वे पिज्जा, बर्गर, पास्ता जैसे फ़ास्ट फ़ूड तो चाव से खाते हैं पर दलिया, खिचड़ी जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाना तो जरा भी पसन्द नहीं करते परन्तु यदि पौष्टिक खाद्य पदार्थों को थोड़े से ट्विस्ट के साथ बना दिया जाए तो उन्हें पता भी नहीं चलता कि वे क्या खा रहे हैं. गेहूं से बनने वाला दलिया फाइबर, विटामिन्स, प्रोटीन, तथा कार्बोहाइड्रेट जैसे अनेकों पौष्टिक तत्वों से  भरपूर होता है, बच्चे इसे देखते ही नाक भौं सिकोड़ना प्रारम्भ कर देते हैं परन्तु आज हम दलिया से ऐसी डिशेज बनाना बता रहे हैं जिन्हें बच्चे बहुत स्वाद से खाएंगे तो आइए देखते हैं इन्हें कैसे बनाते हैं-

-दलिया चोको बाइट्स

कितने लोगों के लिए            6

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

गेहूं का दलिया                  200 ग्राम

फुल क्रीम दूध                    1 लीटर

घी                                     4 टीस्पून

गुड़                                     100 ग्राम

बारीक कटे मेवा                    1 कटोरी

इलायची पाउडर                 1/4 टीस्पून

कोको पाउडर                       2 टेबलस्पून

नारियल बुरादा                    1टेबलस्पून

पिस्ता कतरन                       1 टीस्पून

विधि

दलिये को बिना घी के किसी भारी तले की कढ़ाई में लगातार चलाते हुए भूनें जब दलिया हल्का बादामी हो जाये तो दूध डाल दें. 2 टीस्पून घी डालकर बीच बीच में चलाते हुए 5 मिनट तक पकाएं. आधा कप गुनगुने दूध में कोको पाउडर मिलाएं और दलिये में चलाते हुए मिलाएं. शकर,मेवा और  बचा हुआ घी डालकर तब तक पकाएं जब तक कि मिश्रण पैन के किनारे न छोड़ने लगे. जब मिश्रण गाढ़ा होकर बीच में इकट्ठा सा होने लगे तो एक चौकोर ट्रे में जमाएं. पिस्ता कतरन डालकर कटोरी से दबा दें. ठंडा होने पर चौकोर टुकड़ों में काटकर प्रयोग करें.

-बेक्ड चीजी दलिया उपमा

कितने लोगों के लिए             4

बनने में लगने वाला समय       20 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

गेहूं का भुना दलिया          1 कटोरी

पानी                               1 कटोरी

बारीक कटा प्याज            1

बारीक कटी गाजर             1

मटर                                1 टेबलस्पून

भुने मूंगफली दाना          1 टेबलस्पून

राई                                1/4 टीस्पून

नमक                            स्वादानुसार

मैगी मसाला                    1 टीस्पून

चिली फ्लैक्स                  1/2 टीस्पून

नीबू का रस                    1 टीस्पून

करी पत्तियां                      8-10

घी                                 1 टीस्पून

बारीक कटा हरा धनिया    1 टेबलस्पून

चीज क्यूब                     2

विधि

एक पैन में घी डालकर प्याज को सॉते करें. राई, करी पत्ता और हल्दी भूनकर सभी सब्जियां और मसाले डालकर सब्जियों के गलने तक पकाएं. अब भुना दलिया, मूंगफली दाना और पानी डालकर अच्छी तरह चलाएं और ढककर पकाएं. ध्यान रखें कि दलिया एकदम खिला खिला सा बनें. जब दलिया गल जाए तो नीबू का रस और हरा धनिया डालकर चलाएं. तैयार दलिये को एक बेकिंग डिश में डालकर चीज क्यूब्स ग्रेट करें और प्रीहीट किये ओवन में 5 मिनट तक बेक करके सर्व करें.

-दलिया पेरी पेरी मिनी इडली

कितने लोगों के लिए           6

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

गेहूं का भुना दलिया                    1 कप

रवा या बारीक सूजी                1/2 कप

दही                                       2 कप

पेरी पेरी मसाला                     1 टीस्पून

चाट मसाला                          1/2 टीस्पून

अदरक, हरी मिर्च पेस्ट          1 टीस्पून

बारीक कटा पोदीना             1 टीस्पून

ईनो फ्रूट साल्ट                     1 सैशे

घी                                       1 टीस्पून

सामग्री(बघार के लिए)

राई के दाने                          1 टीस्पून

तेल                                     1 टीस्पून

कुटी लाल मिर्च                    1/2 टीस्पून

करी पत्ता                            8-10

बारीक कटा हरा धनिया        1 टीस्पून

विधि

बनाने से आधा घण्टे पहले दलिया और सूजी को दही में मिलाकर रख दें ताकि दलिया और सूजी फूल जाए. आधे घण्टे बाद इसमें फ्रूट साल्ट को छोड़कर सभी मसाले व घी डालकर अच्छी तरह चलाएं. फ्रूट साल्ट डालकर आधा कप पानी और मिलायें. तैयार मिश्रण को मिनी इडली के सांचे में भरें और भाप में 15 से 20 मिनट तक पकाएं. ठंडा होने पर तैयार इडली को एक प्लेट में निकाल लें.गर्म तेल में बघार की समस्त सामग्री डालकर इडली पर डालें, कटे हरे धनिया और आधे टीस्पून पेरी पेरी मसाले से सजाकर सर्व करें.

ये भी पढ़ें- Summer Special: ऐसे बनाएं टेस्टी छेने की खीर

जिद और जनून ने दिलाया मुकाम: रेणु भाटिया

‘‘मैं ने दिल्ली प्रैस के लिए मौडलिंग की है…’’ जब हरियाणा महिला आयोग की नई अध्यक्षा बनी रेणु भाटिया ने इतना कहा तो मैं खुश हो उठा. कुछकुछ वैसा ही सुकून भी मिला जैसा रेणु भाटिया को अपने गृहराज्य कश्मीर के बारे में सोच और सुन कर मिलता होगा. पर 10वीं क्लास करते हुए ही हरियाणा के फरीदाबाद में ब्याही गई रेणु भाटिया का अब तक का सफर आसान भी नहीं रहा है क्योंकि उन्होंने अपने बचपन में ही मातापिता को खो दिया था.

फिल्म ‘वक्त’ और वह  हादसा

बात तब की है जब हिंदी की सुपरहिट फिल्म ‘वक्त’ ने खूबसूरत कश्मीर के सिनेमाघरों पर पहले दिन दस्तक दी थी. उस फिल्म में सुनील दत्त ने एक बड़ी गाड़ी चलाई थी, जो रेणु भाटिया के पिता की थी. पूरा परिवार इस बात से खुश था और सिनेमाघर में जा कर अपनी उस कार को बड़ी स्क्रीन पर देखना चाहता था.

ऐसा हुआ भी और जब परिवार फिल्म देख कर घर लौटा तो फिल्म ‘वक्त’ का एक खास सीन असलियत में इस परिवार पर कहर बरपा गया. जैसे फिल्म में जलजला आने पर बलराज साहनी का हंसताखेलता परिवार बिखर जाता है, कुछ वैसा ही रेणु भाटिया के घर पर भी हुआ. घर की छत गिरी और उन के मातापिता उस टूटे आशियाने में घायल हो कर हमेशा के लिए खामोश हो गए.

उस समय रेणु भटिया तीसरी क्लास में पढ़ती थीं. इस हादसे के बाद उन का लालनपालन ताऊजी ने किया और 10वीं क्लास का इम्तिहान देतेदेते उन की शादी फरीदाबाद के ओमप्रकाश भाटिया से हो गई. पर रेणु भाटिया की सोच थी कि किसी महिला का शादी कर लेना और फिर बच्चे पैदा करना ही मकसद नहीं होना चाहिए. वे अपना एक अलग मुकाम बनाना चाहती थीं, जिस में उन के पति और सास ने भरपूर सहयोग दिया खासकर उन की सास शांति देवी ने.

दिल्ली प्रैस, दूरदर्शन और मौडलिंग

रेणु भाटिया ने बताया, ‘‘एक पत्रकार के जरीए मुझे दिल्ली प्रैस के बारे में पता चला और वहां बतौर मौडल मेरे कुछ फोटो खींचे गए, जिन्हें दिल्ली प्रैस की पत्रिकाओं में इस्तेमाल किया गया. सच कहूं तो उस से पहले मुझे पता ही नहीं था कि मौडलिंग किस बला का नाम है.

‘‘इस के बाद मैं ने शौकिया मौडलिंग शुरू कर दी, पर इसे कैरियर नहीं बनाया. हां, मैं बचपन में जब दूरदर्शन देखती थी, तो न्यूज रीडर सलमा सुलतान की बहुत बड़ी फैन थी. मैं भी उन की तरह न्यूज रीडर बनना चाहती थी. पर ऐसा करने के लिए ग्रैजुएट होना जरूरी था. जब घर पर इस बारे में चर्चा की तो मेरे पति ने कहा कि दिक्कत क्या है, तुम आगे पढ़ाई करो.

‘‘फिर तो मुझ में जोश जाग गया और आगे की पढ़ाई मेरठ से पूरी की. इस के बाद मैं दूरदर्शन गई जहां सलमा सुलतानजी के अलावा कुछ और लोगों ने मेरा इंटरव्यू लिया, पर मैं रिजैक्ट हो गई, क्योंकि टैलीविजन के लिहाज से मैं खूबसूरत नहीं थी. पर मैं ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा 6 महीने बाद इंटरव्यू दिया और सलैक्ट हो गई. उस समय कोई और चैनल नहीं था, तो मैं मशहूर भी हो गई थी. तब मैं ने हरियाणा सरकार के लिए 30-40 डौक्यूमैंटरी फिल्में भी बनाई थीं.’’

राजनीति और बेनजीर भुट्टो

1994 में भारतीय जनता पार्टी ने रेणु भाटिया से संपर्क किया और नए बन रहे फरीदाबाद नगर निगम का चुनाव लड़ने का औफर दिया.

इस सिलसिले में रेणु भाटिया ने बताया, ‘‘चूंकि मैं उस समय मीडिया जगत में काफी मशहूर हो गई थी, तो मुझे लगा कि वह साड़ी बांधना, चूड़ी पहनना, बिंदी लगाना मेरे बस की बात नहीं है, तो मैं ने उस समय चुनाव नहीं लड़ा.

‘‘मगर जब 2000 में दोबारा चुनाव आया, तो मैं ने चुनाव लड़ने का मन बनाया और सब से ज्यादा वोटों से जीती. फिर 2005 में केवल एक महिला मेरे खिलाफ खड़ी हुई थीं, जिन की जमानत जब्त हुई थी. मैं फरीदाबाद की डिप्टी मेयर भी बनी थी.’’

रेणु भाटिया ने ‘भारतीय बेनजीर भुट्टो’ होने का गौरव भी हासिल किया है. इस रोचक किस्से के बारे में उन्होंने बताया, ‘‘यह वह समय था जब दूरदर्शन पर ‘तमस’ आया था और उसे ले कर कुछ राजनीतिक कंट्रोवर्सी भी हो गई थी. उसी समय किसी प्रोड्यूसर ने मेरे साथ एक फिल्म बनानी शुरू की थी, जिस में राजीव गांधी और बेनजीर भुट्टो का पुराना रिश्ता दिखाया जाना था. वे शायद कुछ ऐसा जाहिर करना चाहते थे कि अगर उन दोनों का रिश्ता हो जाता तो भारत के हालात कुछ और होते.

‘‘पर वह प्रोजैक्ट पूरा नहीं हुआ और इस बाद को शायद 2 दशक बीत गए. फिर अचानक मुझे एक दिन ‘अमर उजाला’ से फोन आया और कहा कि वे लोग अभी मुझ से मिलना चाहते हैं. उस समय मुझे बुखार था और मैं ने उन्हें अगले दिन आने को कहा. पर वे बोले कि आप पहले टीवी देखिए. मैं ने टीवी खोला तो खबरों में बेनजीर भुट्टो की हत्या का मामला दिखाया जा रहा था. तब अमर उजाला वालों ने कहा कि पाकिस्तान की बेनजीर की हत्या हुई है, हिंदुस्तान में एक बेनजीर अब भी है.

‘‘फिर वे बोले लोग कि हम आप के घर आ रहे हैं, आप सफेद सूट में बेनजीर के लुक में तैयार रहिए. हम आप का फोटो लेना चाहते हैं. अगले दिन अमर उजाला के कवर पेज की हैडलाइन थी कि एक बेनजीर हिंदुस्तान में भी है.

‘‘3-4 दिन के बाद स्टार न्यूज वालों ने मुझे ले कर बेनजीर भुट्टो पर 40 मिनट की फिल्म बनाने की पेशकश की और उस की शूटिंग भी वे पाकिस्तान के लाहौर में करना चाहते थे, पर कागजी कार्यवाही में किसी ने हमें चेताया कि असली बेनजीर मार दी गईं, नकली भी मार देंगे, तो हम ने अरावली की पहाडि़यों के आसपास ही सारी शूटिंग पूरी की.’’

महिला आयोग और बड़ी जिम्मेदारी

अब जब रेणु भाटिया हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्षा बनी हैं और उन्हें नई जिम्मेदारी दी गई है, तो उन से उम्मीदें भी काफी बढ़ गई हैं.

जब देश में महिला पुलिस थाने हैं, तो महिला आयोग जैसी संस्था की जरूरत ही क्या है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि जब हम सब लोग अपने फर्ज को समझेंगे तो हक हमें अपनेआप मिलेंगे. सच कहूं तो मैं निजी तौर पर महिला आरक्षण के खिलाफ हूं क्योंकि जो महिला खुद में सक्षम है उसे आरक्षण की कोई जरूरत नहीं है. महिला आयोग की जरूरत यहीं पर खास हो जाती है क्योंकि वह महिलाओं को और मजबूत बनाने की दिशा में काम करता है.

‘‘अमूमन आम लोगों के दिमाग में थाने का एक हौआ बना हुआ है कि वहां तो ‘एसएचओ साहब’ मिलेंगे जिस की कोई समस्या होती है, वह पहले से डरा होता है. लेकिन अगर आप को कानून की थोड़ीबहुत जानकारी है, आप बेखौफ हैं तो मुझे लगता है कि आप अपनी बात आसानी से कह सकते हैं.

‘‘महिला आयोग महिलाओं को मजबूत बनाने की प्रेरणा देता है और चूंकि महिला आयोग में महिला ही आप की फरियाद सुनती है तो थाने में किसी मर्द के सामने अपनी बात कहने से ज्यादा महिला आयोग को बताना आसान होता है.

‘‘वैसे महिला थाने भी इसी बात को ध्यान में रख कर खोले गए हैं, जहां पीडि़ताएं अपनी बात रखती भी हैं. महिला आयोग इन से सुप्रीम होता है जहां फैसले भी कराए जाते हैं और वह थानों पर निगरानी रखने का काम भी करता है.

‘‘जब आप किसी पीडि़ता को इंसाफ दिलवाते हैं, तो बहुत संतुष्टि मिलती है. हम ने दूसरे राज्यों से जबरदस्ती लाई गई महिलाओं को छुड़ा कर उन्हें वापस घर भेजा तो बड़ा सुकून मिला. एनआरआई बेटियों को इंसाफ दिलाने में बड़ी राहत मिलती है क्योंकि उन के केस बड़े पेचीदा होते हैं.

‘‘यहां मैं एक और बात कहूंगी कि महिलाओं को अपनी बात दमदार तरीके से रखनी चाहिए, फिर चाहे वे कोई भी भाषा बोलती हों. मेरा मानना है कि भले ही आप किसी वंचित परिवार से हैं और हिंदी मीडियम से पढ़ी हैं तो भी अपने को कमतर न समझें.

‘‘हाल ही में मैं ने पंजाब यूनिवर्सिटी में कानून का एक सैशन अटैंड किया था, जिस में पंजाब की एक महिला वकील ने अपनी दलील पंजाबी और हिंदी भाषा में पेश की थी और सब से बेहतर तरीके से पेश की थी.

‘‘याद रखिए किसी महिला की तरक्की में सब से बड़ी बाधा उस की खुद की कमजोरी होती है. उसे अपने पर आए कष्टों को लांघना सीखना होगा. महिला आयोग इसी बात की सीख महिलाओं को देता है. हम स्कूलकालेज में वर्कशौप चलाते हैं, लड़कियों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करते हैं.

‘‘आखिर में एक बात जरूर कहूंगी कि मैं अपने युवा समय में एथलीट रही हूं तो लड़कियों और महिलाओं से भी यही उम्मीद करना चाहूंगी कि वे किसी खिलाड़ी की तरह कसरत और खेल को अपने जीवन में थोड़ी जगह जरूर दें क्योंकि ये दोनों हमें जिंदगी की दूसरी जिम्मेदारियों से तालमेल करना सिखाते हैं.’’

ये भी पढ़ें- भारतीय होने की श्रेष्ठता का ढिंढ़ोरा

ऐसे बनाएं टीनएजर्स को जिम्मेदार

इकलौती संतान 13 वर्षीय नीलिमा जिस भी चीज की मांग करती वह मातापिता को देनी पड़ती थी वरना नीलिमा पहले तो आसपास की चीजों को पटकने लगती थी और फिर बेहोश होने लगती. परेशान हो कर मातापिता उसे डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर को पता नहीं चल पा रहा था कि वह बेहोश क्यों होती है, क्योंकि सारी जांचें करने पर भी कुछ नहीं निकला. फिर कुछ लोगों की सलाह पर मातापिता नीलिमा को मुंबई के 7 हिल्स हौस्पिटल के मनोरोग चिकित्सक डा. श्याम मिथिया के पास ले गए. पहले दिन तो उन्हें भी नीलिमा के बेहोश होने का कारण पता नहीं चल पाया, पर 1-2 दिन बाद पता चला कि उसे अगर किसी चीज के लिए मना करो तो वह बेहोश हो जाती है. लेकिन वह वास्तव में बेहोश नहीं होती, बल्कि घर वालों को डराने के लिए बेहोश होने का ड्रामा करती है ताकि उसे अपनी मनचाही चीज मिल जाए.

तब डाक्टर ने नीलिमा को बिहैवियर थेरैपी से 2 महीनों में ठीक किया. फिर मातापिता को सख्त हिदायत दी कि आइंदा यह बेहोश होने लगे तो कतई परवाह न करना. तब जा कर उस की यह आदत छूटी. 14 साल के उमेश को अगर कुछ करने को कहा जाता मसलन बिजली का बिल जमा करने, बाजार से कुछ लाने को तो वह कोई न कोई बहना बना देता. ऐसी समस्या करीबकरीब हर घर में देखने को मिल जाएगी. दरअसल, आज के युवा कोई जिम्मेदारी ही नहीं लेना चाहते. ऐसे ही युवा आगे चल कर हर तरह की जिम्मेदारी से भागते हैं. धीरेधीरे यह उन की आदत बन जाती है. फिर वे अपने मातापिता की, औफिस की, समाज की जिम्मेदारियों आदि से खुद को दूर कर लेते हैं. ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि बचपन से ही उन में जिम्मेदारियां उठाने की आदत डाली जाए. डा. श्याम कहते हैं कि बच्चे को थोड़ा बड़े होते ही जिम्मेदारियां सौंपनी शुरू कर देनी चाहिए. आजकल एकल परिवार और कम बच्चे होने की वजह से मातापिता अपने बच्चों को जरूरत से अधिक पैंपर करते हैं. जैसेकि अगर बच्चा कुछ मांगे, रोए तो मातापिता दुखी हो कर भी उस चीज को ला देते हैं.

4-5 साल की उम्र स बच्चा अपने आसपास की चीजों को औब्जर्व करना शुरू कर देता है. जैसे कि मातापिता के बात करने के तरीके को, उन के हावभाव आदि को. इसलिए बच्चे के इस उम्र में आने से पहले मातापिता अपनी आदतें सुधारें ताकि बच्चे पर उन का गलत असर न पड़े. जरूरत से अधिक प्यार और दुलार भी बच्चे को बिगाड़ता है.

पेश हैं, इस संबंध में कुछ टिप्स:

बच्चा जब स्कूल जाने लगता है, तो उसे जिम्मेदारियों का एहसास वहीं से करवाएं. जैसे अपनी कौपीकिताबों को ठीक से रखना, उन्हें गंदा न करना, क्लास में पढ़ाई गई चीजों को ठीक से नोट करना आदि. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे अपने पास बैठा कर समझाएं.

जब बच्चा टीनएज में आता है तो उस में शारीरिक बदलाव के साथसाथ मानसिक बदलाव भी शुरू हो जाते हैं. उस के मन में कई जिज्ञासाएं भी उत्पन्न होती हैं. उस समय मातापिता को उस के साथ बैठ कर उस के प्रश्नों के तार्किक रूप से उत्तर देने चाहिए. ध्यान रहे कि उस के किसी भी प्रश्न का उत्तर समझदारी से दें, हवा में न उड़ा दें, हंसे नहीं, मजाक न बनाएं, क्योंकि इस उम्र में बच्चे में ईगो आना शुरू हो जाता है. अगर आप ने उस के ईगो को हर्ट किया तो वह अपनी बात आप से शेयर करना पसंद नहीं करेगा. दोस्ती के साथ उसे उस की सीमाएं भी बताते जाएं. इस उम्र में बच्चे को अपनी यूनिफौर्म, शूज, किताबें आदि संभालने की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए.

डा. श्याम कहते हैं कि बच्चों को जिम्मेदार बनाने के लिए मातापिता को भी जिम्मेदार होना पड़ता है. कुछ टीनएज बच्चे कई बार बुरी संगत में पड़ कर नशा करने लगते हैं. अत: मातापिता को हमेशा बच्चे के हावभाव नोट करते रहना चाहिए ताकि कुछ गलत होने पर समय रहते उसे सुधारा जा सके. यह सही है कि आज के टीनएजर्स का जिम्मेदारी से परिचय कराना आसान नहीं होता. हर बात के पीछे उन के तर्क हाजिर होते हैं, लेकिन आप का प्रयास ही उन्हें बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है. इस की शुरुआत मातापिता को बच्चे के बचपन से ही कर देनी चाहिए, ताकि जिम्मेदारियां उठाना उन की आदत बन जाए. जरूरत पड़े तो इमोशन का भी सहारा लें. अगर फिर भी आप सफल नहीं हो पाते हैं, तो ऐक्सपर्ट की राय लें.

ये भी पढ़ें- मैरिड लाइफ में क्यों आ रही दूरियां

Back to Office : ऐसे बैठाएं तालमेल

कोरोना वायरस के कारण औफिस क्या बंद हुए औफिस फ्रैंड्स की आपसी बातचीत ही कम हो गई. अब सिर्फ काम के सिलसिले में ही बात होती थी. औफिस में जो ग्रुप मस्ती होती थी वह अब न तो जूम मीटिंग में थी और न ही मैसेज में वह बात थी. ऐसा एहसास हो रहा था जैसे हम अपनों से काफी दूर हो गए थे. घर से काम होने के कारण वर्कलोड भी काफी बढ़ गया था, जिस कारण औफिस फ्रैंड्स से दिन में कई बार बात जरूर होती थी, लेकिन वह बात सिर्फ काम तक ही सीमित रहती थी. न घूमनाफिरना और न वह मस्ती, हम सभी उसे मिस कर रहे थे. मन ही मन यही सोच रहे थे कि काश फिर से औफिस खुल जाएं ताकि हम वही पुरानी मस्ती फिर से कर सकें.

आखिर फिर से धीरेधीरे जीवन पटरी पर आने लगा और औफिस भी खुलने लगे. एक दिन जूम मीटिंग के जरीए बौस से पता चला कि अगले हफ्ते से औफिस खुल रहे हैं. यह खबर सुन कर ऐसा लगा कि फिर से हमें खुली हवा में सांस लेना का मौका मिल रहा है.

काम के साथसाथ हम अब अपने औफिस फ्रैंड्स के साथ मस्ती भरे पल भी बिता पाएंगे, जोकि वर्क फ्रौम होम में संभव नहीं था. ऐसे में जब फिर लौट रहे हैं औफिस के पुराने दिन तो आपस में ट्यूनिंग बैठाने के लिए फिर से दोहराएं कुछ चीजों को ताकि कुछ सालों की दूरी कुछ ही समय में फिर दूर हो सके. तो जानिए इस के लिए क्या करें:

एकदूसरे को गिफ्ट्स दें

गिफ्ट लेना किसे पसंद नहीं होता है. ऐसे में जब आप इतने लंबे समय के बाद औफिस जा रहे हैं तो मन में ऐक्साइटमैंट तो बहुत होगी ही क्योंकि इतने दिनों बाद औफिस को देखेंगे, औफिस फ्रैंड्स से मिलेंगे, उन के साथ बातें करेंगे. ऐसे में जब आप उन से मिलें तो उन्हें यह कह कर गिफ्ट दें कि यह तेरे बर्थडे का गिफ्ट है, जो मैं तुम्हें दूर रहने के कारण दे नहीं पाई थी.

इस से आप की औफिस दोस्त को एहसास होगा कि अभी भी आप को उस का खयाल है. इस से फिर दोबारा से ट्यूनिंग बैठाने में आसानी होगी या फिर आप उस की पसंद की चीज गिफ्ट में दे कर पुराने दिनों की याद को फिर से ताजा कर सकते हैं.

टी टाइम में करें मस्ती

वर्क फ्रौम होम के दौरान जिस टी टाइम को आप मिस कर रहे थे, अब उसे फिर से जी लेने का समय आ गया है क्योंकि औफिस जो खुल गया है. रामू चाय की दुकान पर औफिस वर्क से ले कर पर्सनल टौपिक्स जो शेयर होते थे. ऐसे में अब जब आप औफिस लौट रहे हैं, तो टी टाइम को ऐंजौय करना न भूलें. यह सोच कर टी टाइम को न छोड़ें कि घर में तो हम ने टी टाइम लेना ही छोड़ दिया था.

जान लें कि टी टाइम से न सिर्फ आप खुद को फ्रैश फील करेंगे बल्कि इस के बहाने औफिस दोस्तों के साथ फिर खुल कर बातचीत होगी, हंसीमजाक होगा, पुराने दिन फिर लौट आएंगे और यह टी टाइम आपस में बौंडिंग को स्ट्रौंग बनाने में मदद करेगा.

लंच टाइम में लंच भी मस्ती भी

घर में तो जब मन करा तब लंच कर लिया और यह लंच भी काम के साथसाथ एक टेबल पर या बैड पर अकेले बैठ कर कर लिया. जो न तो खाने का आनंद लेने दे रहा था और न ही इस ब्रेक में हम मस्ती कर पा रहे थे. अगर थोड़ा रिलैक्स करने का सोचा भी तो भी हाथ में फोन पर या तो फेसबुक देख रहे होते थे या फिर व्हाट्सऐप अथवा कुछ और खंगालने में लगे रहते थे जो औफिस के लंच टाइम से बिलकुल अलग था, जिसे हम घर में मिस करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे.

लेकिन अब जब आप का औफिस खुल गया है तो लंच टाइम में पहले की तरह दोस्तों के साथ कुछ ही मिनटों में लंच कर के मस्ती के लिए कभी पास की मार्केट में निकल जाओ या फिर लंच ब्रेक में मस्ती भरे पल स्पैंड करो, पुरानी यादों को बातों से ताजा करो. इस मस्ती से आप फिर से पहले की तरह एकदूसरे से जुड़ पाएंगे.

औफिस के बाद आउटिंग

पहले जब आप का औफिस खत्म हो जाता था और उस के बाद आप कभी औफिस के दोस्तों के साथ खाने के लिए कभी पास की लोकल मार्केट या फिर शौपिंग करने चले जाते थे. याद है न आप को वे दिन. लेकिन बीच में वर्क फ्रौम होम के कारण इस सब पर ब्रेक सा लग गया था.

लेकिन अब जब दोबारा औफिस जाने का मौका मिल रहा है तो औफिस वर्क के साथसाथ औफिस के बाद आउटिंग या फिर मस्ती जरूर करें. इस से एक तो औफिस के स्ट्रैस से छुटकारा मिलेगा, दूसरा आप अपने औफिस के फ्रैंड्स के साथ दिल खोल कर मस्ती भी कर पाएंगे.

बीचबीच में गौसिप

घर से जब हम काम कर रहे थे तो न तो काम का वह मजा आ रहा था क्योंकि बीचबीच में ऐंटरटेन करने वाले औफिस के दोस्त जो नहीं थे. साथ में बोरियत अलग थी. ऐसे में बैक टू औफिस आप को इस बोरियत से छुटकारा दिलाएगा क्योंकि अब काम के साथसाथ गौसिप, मस्ती, एकदूसरे की टांगखिंचाई जो होगी.

इसलिए खुद को रिफ्रैश करने के लिए काम के बीच में छोटेछोटे ब्रैक जरूर लें ताकि इस से काम के न्यू आइडियाज मिलने के साथसाथ आप थोड़ीथोड़ी देर में खुद को तरोताजा कर सकें क्योंकि सिर्फ और सिर्फ काम करते रहने से बोरियत होने के साथसाथ काम से इंटरैस्ट भी हटता है.

चटपटी बातों के लिए भी समय

वर्क फ्रौम होम जितना शुरू में अच्छा लग रहा था, उतना बाद में उस से ऊबने लगे. ऐसे में बैक टु औफिस इस बोरियत से तो आप को बाहर निकालेगा ही, साथ ही आप को औफिस के दोस्तों के साथ चटपटी बातों के लिए भी समय मिल जाएगा जैसे यार प्रिया छोटी ड्रैस में कितनी हौट लग रही है, देखो रोहन नेहा को इंप्रैस करने के लिए उस के आगेपीछे ही घूमता रहता है.

लग रहा है कि इस बार स्नेहा टारगेट को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चली जाएगी, वगैरावगैरा. ऐसी बातें भले ही हमें शोभा नहीं देती हैं, लेकिन ऐसी बातें कर के मजा बहुत आता है.

रोमांस का भी मिलेगा मौका

अरे घर में बैठ कर काम करने से हम औफिस में रोमांस को काफी मिस करते थे. अब जब किसी को देख या मिलजुल ही नहीं रहे थे तो किसी पर क्रश होना तो बहुत दूर की बात थी. ऐसे में अब जब औफिस दोबारा से खुल गए हैं तो काम, मस्ती के साथसाथ रोमांस का भी फुल मजा ले सकेंगे जो आप में नई ऊर्जा का संचार करने का काम करेगा. आप जिसे पसंद कर रहे हैं उसे देख कर काम करने का मजा ही अलग होगा. भले ही यह मस्ती के लिए हो, लेकिन आप को ऐसा कर के खुशी बहुत मिलेगी.

नए लोगों को जानने का मौका

इस दौरान बहुत से लोगों ने औफिस छोड़ा होगा व उन के बदले बहुत से नए लोगों ने औफिस जौइन किया होगा, लेकिन वर्क फ्रौम होम के कारण आप की उन नए लोगों से बौंडिंग उतनी स्ट्रौंग नहीं बन पाई होगी, जितनी दूसरे लोगों से. ऐसे में बैक टू औफिस में आप को नए लोगों को जानने, उन्हें सम झने, उन से कुछ नया सीखने का भी मौका मिलेगा, साथ ही आप भी उन्हें काम के बेहतर टिप्स दे पाएंगे जो आप लोगों को एकदूसरे के करीब लाने का काम करेगा.

मोटिवेट करें

भले ही वर्क फ्रौम होम के कारण आप सभी काफी समय तक एकदूसरे से दूर रहे हैं, लेकिन अब जब दोबारा से औफिस जाने का मौका मिल रहा है तो एकदूसरे को पहले की तरह मोटिवेट करना न भूलें. उन्हें काम में हैल्प भी करें, उन्हें गुड वर्क के लिए मोटिवेट भी करें. इस से आप सब के बीच दोबारा से स्ट्रौंग बौंडिंग बनेगी. यह आप के स्ट्रैस को भी कम करने का काम करेगा क्योंकि जब आप किसी को मोटिवेट करेंगे तो वह भी आप को प्रोत्साहित किए बिना नहीं रहेगा, जो आप की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने में मददगार साबित होगा. इस तरह आप फिर से बैक टु औफिस में ट्यूनिंग बैठा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- Summer Special: समर वेकेशन में घूम आयें यहां

Bigg Boss OTT फेम मिलिंद गाबा ने की गर्लफ्रैंड से सगाई, फोटोज वायरल

करण जौहर के रियलिटी शो ‘बिग बॉस ओटीटी’ कंटेस्टेंट  रह चुके सिंगर मिलिंद गाबा (Millind Gaba) ने हाल ही में अपनी गर्लफ्रेंड प्रिया बेनिवाल (Pria Beniwal) के साथ सगाई की है, जिसकी वीडियो और फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. वहीं खबरे हैं कि दोनों इसी महीने की 16 तारीख को शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. शादी से पहले आइए आपको दिखाते हैं गैंड सगाई की वायरल फोटोज और वीडियो…

सगाई में शामिल हुए कई सेलेब्स

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Pria Beniwal (@priabeniwal)

हाल ही में दिल्ली में मिलिंद गाबा और उनकी मंगेतर की इंगेजमेंट सेरेमनी हुई थी, जिसमें पंजाबी इंडस्ट्री के अलावा कई बड़े सितारे देखने को मिले हैं. वहीं इन सेलेब्स की लिस्ट में सपना चौधरी (Sapna Choudhary), सुयश राय, प्रिंस नरुला (Prince Narula) से लेकर गुरु रंधावा जैसे सितारों का नाम शामिल है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by MusicMG🦉 (@millindgaba)

डांस करते नजर आए सेलेब्स

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Deepak_Pb10 (@deepu.pb10)

मिलिंद गाबा और प्रिया बेनिवाल की सगाई में सेलेब्स जमकर डांस और गाना गाते नजर आएगा. दरअसल, सोशलमीडिया में वायरल वीडियो में मिलिंद गाबा ‘माय नेम इज लखन’ गाने पर दोस्तों के साथ डांस करते नजर आए तो वहीं मंगेत्तर प्रिया भी समा बांधती नजर आईं. इसके अलावा सोशलमीडिया पर मिलिंद गाबा ने अपनी सगाई की फोटोज भी फैंस के साथ शेयर की हैं, जिसमें वह मंगेत्तर प्रिया संग रोमांटक पोज देते हुए नजर आ रहे हैं. ब्लैक कलर के कोट और पैंट में जहां मिलिंद गाबा डैशिंग लग रहे हैं तो वहीं क्रीम कलर के हैवी लहंगे में प्रिया बेनिवाल बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Deepak_Pb10 (@deepu.pb10)

बता दें, मिलिंद गाबा पंजाबी इंडस्ट्री और बौलीवुड के जाने माने सिंगर हैं. वहीं वह करण जौहर के बिग बौस ओटीटी में नजर आ चुके हैं. हालांकि उनके अचानक शो से एलिमनेट होने के चलते करण जौहर भी काफी ट्रोलिंग का शिकार हुए थे. इसके अलावा शो में ही वह अपनी गर्लफ्रेंड संग रिश्ते और शादी के बारे में भी जिक्र कर चुके हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by @pankajkumawat740

ये भी पढ़ें- सई से दोबारा शादी करेगा विराट! पाखी को लगेगा झटका

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें