जानलेवा रोग पत्नी वियोग

प्यार वाकई आदमी को अंधा बना देता है. इस के चलते आदमी इतना भावुक, भयभीत और संवेदनशील हो जाता है कि फिर व्यावहारिकता और दुनियादारी नहीं सीख पाता. यही ऋषीश के साथ हुआ, जिस ने नेहा से लव मैरिज की थी. प्रेमिका को पत्नी के रूप में पा कर वह बहत खुश था. पेशे से फुटबाल कोच और ट्रेनर ऋषीश की खुशी उस वक्त और दोगुनी हो गई जब करीब डेढ़ साल पहले नेहा ने प्यारी सी गुडि़या को जन्म दिया. भोपाल के कोलार इलाके में स्थित मध्य भारत योद्धाज क्लब को हर कोई जानता है, जिस का कर्ताधर्ता ऋषीश था. हंसमुख और जिंदादिल इस खिलाड़ी से एक बार जो मिल लेता था वह उस का हो कर रह जाता था. मगर कोई नहीं जानता था कि ऊपर से खुश रहने का

नाटक करने वाला यह शख्स कुछ समय से अंदर ही अंदर बेहद घुट रहा था. ऋषीश की जिंदगी में कुछ ऐसा हो गया जिस की उम्मीद शायद खुद उसे भी न थी. गत 3 जुलाई को 32 साल के ऋषीश दुबे ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली तो जिस ने भी सुना वह खुदकुशी की वजह जान कर हैरान रह गया. ऋषीश ने पत्नी वियोग में जान दे दी. उस के मातापिता दोनों बैंक कर्मचारी हैं. उस शाम जब वे घर लौटे तो ऋषीश घर में बेहोश पड़ा था.

घबराए मातापिता तुरंत बेटे को नजदीक के अस्पताल ले गए जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मौत संदिग्ध थी इसलिए पुलिस को बुलाया गया तो पता चला कि ऋषीश ने जहर खाया था. उस की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. मगर मरने से पहले ऋषीश ने अपनी यादों का जो पोस्टमार्टम कलम से कागज पर किया वह शायद ही कभी मरे, क्योंकि वह जिस्म नहीं एहसास है. तो मैं नहीं रहूंगा

परिवार, समाज और दुनिया से विद्रोह कर नेहा से शादी करने वाला ऋषीश यों ही 3 जुलाई को हिम्मत नहीं हार गया था. हिम्मत हारने की वजह थी कभी उस की हिम्मत रही नेहा जो कुछ महीनों से उस का साथ छोड़ मायके रह रही थी. पति से विवाद होने पर पत्नी का मायके जा कर रहने लगना कोई नई बात नहीं, बल्कि एक परंपरा सी हो चली है, जिस का निर्वाह नेहा ने भी किया और जातेजाते नन्हीं बेटी को भी साथ ले गई, जिस में ऋषीश की सांसें बसती थीं.

2 महीने पहले किसी बात पर दोनों में विवाद हुआ था. यह भी कोई हैरत की बात नहीं थी, लेकिन नेहा ने ऋषीश की शिकायत थाने में कर दी. अपने सुसाइड नोट में ऋषीश ने नेहा को संबोधित करते हुए लिखा कि तुम साथ छोड़ती

हो तो मैं नहीं रहूंगा और मैं साथ छोड़ूंगा तो तुम नहीं रहोगी. 4 पेज का लंबाचौड़ा सुसाइड नोट भावुकता और विरह से भरा है, जिस का सार इन्हीं 2 पंक्तियों में समाया हुआ है. दोनों ने एकदूसरे से वादा किया था कि कुछ भी हो जाए कभी एकदूसरे के बिना नहीं रहेंगे यानी बात मिल के न होंगे जुदा आ वादा कर लें जैसी थी.

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वादा नेहा ने तोड़ा और इसे पुलिस थाने जा कर सार्वजनिक भी कर दिया तो ऋषीश का दिल टूटना स्वाभाविक बात थी. यह वही पत्नी थी जो कभी उस के दिल का चैन और रातों की नींद हुआ करती थी. एक जरा सी खटपट क्या हुई कि वह सब भूल गई. अलगाव से आत्महत्या तक

तुम ने मुझे धोखा दिया धन्यवाद… पत्नी को शादी के पहले के वादे याद दिलाने वाला ऋषीश क्या वाकई पत्नी को इतना चाहता था कि बिना उस के जिंदा नहीं रह सकता था? इस सवाल का जवाब अच्छेअच्छे दार्शनिक और मनोविज्ञानी भी शायद ही दे पाएं. ऋषीश की आत्महत्या की वजह का एक पहलू जो साफ दिखता है वह यह है कि उसे पत्नी से यह उम्मीद नहीं थी. मगर ऐसा तो कई पतियों के साथ होता है कि पत्नी किसी विवाद या झगड़े के चलते मायके जा कर रहने लगती है. लेकिन सभी पति तो पत्नी वियोग में आत्महत्या नहीं कर लेते?

तो क्या आत्महत्या कर लेने वाले पति पत्नी को इतना चाहते हैं कि उस की जुदाई बरदाश्त नहीं कर पाते? इस सवाल के जवाब हां में कम न में ज्यादा मिलते हैं, जिन की अपनी व्यक्तिगत पारिवारिक और सामाजिक वजहें हैं जो अब बढ़ रही हैं, इसलिए पत्नी वियोग के चलते पतियों द्वारा आत्महत्या करने के मामले भी बढ़ रहे हैं. सामाजिक नजरिए से देखें तो वक्त बहुत बदला है. कभी पत्नी तमाम ज्यादतियां बरदाश्त करती थी, लेकिन मायके वालों की यह नसीहत याद रखती थी कि जिस घर में डोली में बैठ कर जा रही हो वहां से अर्थी में ही निकलना.

इस नसीहत के कई माने थे, जिन में पहला अहम यह था कि बिना पति और ससुराल के औरत की जिंदगी दो कौड़ी की भी नहीं रह जाती. दूसरी वजह आर्थिक थी. समाज और रिश्तेदारी में उन महिलाओं को अच्छी निगाहों से नहीं देखा जाता था जो पति को छोड़ देती थीं या जिन्हें पति त्याग देता था. अब हालत उलट है. अब उन पतियों को अच्छी निगाहों से नहीं देखा जाता जिन की पत्नियां उन्हें छोड़ कर चली जाती हैं. पति को छोड़ना आम बात

पत्नी वियोग पहले की तरह सहज रूप से ली जाने वाली बात नहीं रह गई कि गई तो जाने दो दूसरी शादी कर लेंगे. ऐसा अब नहीं होता है, तो यह भी कहा जा सकता है कि हम एक सभ्य, अनुशासित और रिश्तों के समर्पित समाज में रहते हैं. इसी सभ्य समाज का एक उसूल यह भी है कि पत्नी अगर पति को छोड़ कर चली जाए तो पति का रहना दूभर हो जाता है. उसे कठघरे में खड़ा कर तमाम ऐसे सवाल पूछे जाते हैं कि वह घबरा उठता है. ऐसे ही कुछ कमैंट्स इस तरह हैं:

क्या उसे संतुष्ट नहीं रख पा रहे थे? क्या उस का कहीं और अफेयर था? क्या घर वाले उसे परेशान करते थे? क्या उस में कोई खोट आ गई थी? क्या यार एक औरत नहीं संभाल पाए, कैसे मर्द हो? आजकल औरतें आजादी और हालात का फायदा इसी तरह उठाती हैं. जाने दो चली गई तो भूल कर भी झुक कर बात मत करना. अब फंसो बेटा पुलिस, अदालत के चक्करों में. सुना है उस ने रिपोर्ट लिखा दी? अब कैसे कटती हैं रातें? कोई और इंतजाम हो गया क्या? कोई भी पति इन और ऐसे और दर्जनों बेहूदे सवालों से बच नहीं सकता. खासतौर से उस वक्त जब पत्नी किसी भी शर्त पर वापस आने को तैयार न हो.

क्या करे बेचारा पत्नी के वापस न आने की स्थिति में पति के पास करने के नाम पर कोई खास विकल्प नहीं रह जाते. पहला रास्ता कानून से हो कर जाता है जिस पर कोई पढ़ालिखा समझदार तो दूर अनपढ़, गंवार पति भी नहीं चलना चाहता. इस रास्ते की दुश्वारियों को झेल पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती. पत्नी को वापस लाने का कानून वजूद में है, लेकिन वह वैसा ही है जैसे दूसरे कानून हैं यानी वे होते तो हैं, लेकिन उन पर अमल करना आसान नहीं होता.

दूसरा रास्ता पत्नी को भूल जाने का है. ज्यादातर पति इसे अपनाते भी हैं, लेकिन इस विवशता और शर्त के साथ कि जब तक रिश्ता पूरी तरह यानी कानूनी रूप से टूट न जाए तब तक भजनमाला जपते रहो यानी तमाम सुखों से वंचित रहो.

तीसरा व चौथा रास्ता भी है, लेकिन वे भी कारगर नहीं. असल दिक्कत उन पतियों को होती है जो वाकई अपनी पत्नी से प्यार करते हैं. ये रास्ता नहीं ढूंढ़ते, बल्कि सीधे मंजिल पर आ पहुंचते हैं यानी खुदकुशी कर लेते हैं जैसे भोपाल के ऋषीश ने की और जैसे राजस्थान के उदयपुर के विनोद मीणा ने की थी. आत्महत्या और प्रतिशोध भी

गत 14 जुलाई को उदयपुर के गोवर्धन विलास थाना इलाके में रहने वाले विनोद का भी किसी बात पर पत्नी से विवाद हुआ तो वह भी मायके चली गई. 5 दिन विनोद ने पत्नी का इंतजार किया पर वह नहीं आई तो कुछ इस तरह आत्महत्या की कि सुनने वालों की रूह कांप गई. कोल माइंस में काम करने वाले विनोद ने खुद को डैटोनेटर बांध लिया यानी मानव बम बन गया और खुद में आग लगा ली. विनोद के शरीर के इतने चिथड़े उड़े कि उस का पोस्टमार्टम करना मुश्किल हो गया.

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विनोद के उदाहरण में प्यार कम दबाव ज्यादा है, जिस का बदला उस ने खुद से लिया. मुमकिन है विनोद को भी दूसरे आत्महत्या करने वाले पतियों की तरह पुरुषोचित अहम पर चोट लगी हो या स्वाभिमान आहत हुआ हो अथवा वह भी दुनियाजहान के संभावित सवालों का सामना करने से डर रहा हो. जो भी हो, लेकिन पत्नी वियोग में इतने घातक और हिंसक तरीके से आत्महत्या कर लेने का यह मामला अपवाद था, जिस में ऋषीश की तरह काव्य या भावुकता नहीं थी. थी तो एक खीज और बौखलाहट जो हर उस पति में होती है, जिस की पत्नी उसे घोषित तौर पर छोड़ जाती है. क्या पति इतने पजैसिव हो सकते हैं कि पत्नी वियोग में जान ही दे दें? इस का सवाल रोजाना ऐसे मामले देखने के चलते न में तो कतई नहीं दिया जा सकता.

तो फिर जाने क्यों देते हैं पत्नी वियोग में आत्महत्या मध्य प्रदेश के सागर जिले के 21 वर्षीय ब्रजलाल ने भी की थी. लेकिन यहां वजह जुदा थी. ब्रजलाल की शादी को अभी 3 महीने ही हुए थे कि उस की पत्नी अपने प्रेमी के साथ भाग गई.

ब्रजलाल के सामने चिंता या तनाव यह था कि अब किस मुंह से वह रिश्तेदारों और समाज के चुभते सवालों का सामना करेगा. हालांकि चाहता तो कर भी सकता था, लेकिन 21 साल के नौजवान से ऐसी उम्मीद लगाना व्यर्थ है कि वह दुनिया से लड़ पता. यहां वजह वियोग नहीं, बल्कि कहीं नाक थी. ब्रजलाल के पास मुकम्मल वक्त और मौका था कि वह अपनी पत्नी की करतूत और उस के मायके वालों की गलती लोगों को बताता और फिर तलाक ले कर दूसरी शादी कर लेता. यह भी लंबी प्रक्रिया होती, लेकिन इस के लिए उस के पास समय तो था पर हिम्मत, सब्र और समझदारी नहीं थी.

समय उन के पास नहीं होता जिन की पत्नियां कुछ या कईर् साल प्यार से गुजार चुकी होती हैं, लेकिन फिर एकाएक छोड़ कर चली जाती हैं, ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जो पति बगैर पत्नियों के नहीं रह सकते वे आखिर उन्हें जाने ही क्यों देते हैं? यह एक दुविधाभरा सवाल है, जिस में लगता नहीं कि पत्नी को चाहने वाला कोई पति जानबूझ कर उसे भगाता या जाने देता हो. तूतू, मैंमैं आम है और दांपत्य का हिस्सा भी है, लेकिन यहां आ कर पतियों की वकालत करने को मजबूर होना ही पड़ता है कि पत्नियां अपनी मनमानी के चलते जाती हैं. वे अपनी शर्तों पर जीने की जिद करने लगें तो पति बेचारे क्या करें सिवा इस के कि पहले उन्हें जाता हुए देखते रहें, फिर विरह के गीत गाएं और फिर पत्नी को बुलाएं. इस पर भी वे न आएं तो उन की जुदाई में खुदकुशी कर लें.

क्या कुछ पत्नियां पति के प्यार को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं? इस सवाल का जवाब भी साफ है कि हां करती हैं, जिस की परिणीति कभीकभी पति की आत्महत्या की शक्ल में सामने आती है. कोई पत्नी इस जिद पर अड़ जाए कि शादी के 5 साल हो गए अब मांबाप या परिवार से अलग रहने लगें तो पति का झल्लाना स्वाभाविक है कि जब सबकुछ ठीकठाक चल रहा है तो अलग क्यों होएं? इस पर पत्नी जिद करते यह शर्त थोप दे कि ठीक है अगर मांबाप से अलग नहीं हो सकते तो मैं ही चली जाती हूं. जब अक्ल ठिकाने आ जाए तो लेने आ जाना. और वह सचमुच सूटकेस उठा कर बच्चों सहित या बिना बच्चों के चली भी जाती है. पीछे छोड़ जाती है पति के लिए एक दुविधा जिस का कोई अंत या इलाज नहीं होता.

ऐसी और कई वजहें होती हैं, जिन के चलते पत्नियां आगापीछा कुछ नहीं सोच पातीं सिवा इस के कि चार दिन अकेला रहेगा तो पत्नी की कीमत समझ आ जाएगी. ये पत्नियां यह नहीं सोचतीं कि उन की कीमत तो पहले से ही पति की जिंदगी में है जिसे यों वसूला जाना घातक सिद्घ हो सकता है. इस पर भी पति न माने तो पुलिस थाने और कोर्टकचहरी की नौबत लाना पति को आत्महत्या के लिए उकसाने जैसी ही बात है.

बचें दोनों पत्नी को हाथोंहाथ लेने को तैयार बैठे मायके वाले भी बात की तह तक नहीं पहुंच पाते. बेटी या बहन जो कह देती है उसे ही सच मान बैठते हैं और उस का साथ भी यह कहते हुए देते हैं कि अच्छा यह बात है, तो हम भी अभी मरे नहीं हैं.

मरता तो वह पति है जो ससुराल वालों से यह झूठी उम्मीद लगाए रहता है कि वे बेटी की गलती को शह नहीं देंगे, बल्कि उसे समझाएंगे कि वह अपने घर जा कर रहे. वहां पति और उस के घर वालों को उस की जरूरत है. ऐसी कहासुनी तो चलती रहती है. इस की वजह से घर छोड़ आना बुद्धिमानी की बात नहीं. मगर जब ऐसा होता नहीं तो पति की रहीसही उम्मीदें भी टूट जाती हैं. भावुक किस्म के पति जो वाकई पत्नी के बगैर नहीं रह सकते उन्हें अपनी जिंदगी बेकार लगने लगती है और फिर वे जल्द ही सब का दामन छोड़ देते हैं, इसलिए थोड़े गलत तो वे भी कहे जाएंगे. पत्नी के चले जाने

पर पति थोड़ी सब्र रखें तो उन की जिंदगी बच सकती है. कई मामलों में देखा गया है कि पति अहं, स्वाभिमान या जिद को छोड़ पत्नी के मायके जा कर उस से घर चलने के लिए मिन्नतें करता है तो पत्नी के भाव और बढ़ जाते हैं और वह वहीं उस का तिरस्कार या अपमान कर देती है. ऐसी हालत में अच्छेअच्छे का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है तो फिर ऋषीश जैसों की गलती या हैसियत क्या जो प्यार के हाथों मजबूर होते हैं.

क्या करे पत्नी पत्नियों को चाहिए कि समस्या वाकई अगर कोईर् है तो उसे पति के साथ रहते ही सुलझाने की कोशिश करें, वजह पतिपत्नी दोनों वाकई एक गाड़ी के 2 पहिए होते हैं, जिन्हें घर के बाहर की लड़ाई संयुक्तरूप से लड़नी होती है. पति अगर आर्थिक, भावनात्मक या व्यक्तिगत रूप से पत्नी पर ज्यादा निर्भर है या असामान्य रूप से संवेदनशील है तो जिम्मेदारी पत्नी की बनती है कि वह उसे छोड़ कर न जाए.

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क्या किसी ऐसी जिद की सराहना की जानी चाहिए जिस के चलते पत्नी खुद अपनी ही वजह से विधवा हो रही हो. कोई भी हां नहीं कहेगा. मातापिता की भूमिका पति के घर वालों खासतौर से मांबाप को भी चाहिए कि वे ऐसे वक्त में बेटे का खास खयाल रखें बल्कि वह भावुक हो तो नजर रखें और बहू न आ रही हो तो बेटे को समझाएं कि इस में कुछ खास गलत नहीं है और न ही प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है और हो भी रही हो तो उस की कीमत बेटे की खुशी के आगे कुछ नहीं. इस तरह की बातें उसे हिम्मत देने वाली साबित होंगी. अगर इतना भी नहीं कर सकते तो उस पर ताने तो बिलकुल न कसें. पतियों को छोड़ कर चली जाने वाली पत्नियां और दुविधा में पड़े विरह में जी रहे पतियों को फिल्म ‘आप की कसम’ का यह गाना जरूर गुनगुना लेना चाहिए- ‘जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम वे फिर नहीं आते…’

पत्नी विरह प्रधान इस फिल्म में नायक बने राजेश खन्ना ने आत्महत्या तो नहीं की थी पर उस की जिंदगी किस तरह मौत से भी बदतर हो गई थी, यह फिल्म में खूबसूरती से दिखाया गया है. इसलिए पतियों को भी इस गाने का यह अंतरा याद रखना चाहिए- ‘कल तड़पना पड़े याद में जिन की, रोक लो उन को रूठ कर जाने न दो…’

कुछ सच शादी के बारे में

व्हाट्सऐप पर शादी को ले कर यह जोक काफी चर्चित हुआ, ‘जो लोग जल्दबाजी में बिना सोचेसमझे शादी का फैसला कर लेते हैं वे अपनी आगे की जिंदगी बरबाद कर लेते हैं, लेकिन जो लोग बहुत सोचसमझ कर शादी करते हैं वे भी क्या कर लेते हैं?’

सच, मजाकमजाक में इस जोक ने शादी का सच बयान कर दिया है. शादी एक जुआ ही तो है. या तो आप का चुनाव सही होगा या फिर नहीं. तो इस से पहले कि आप गठबंधन में बंधने का मन बना लें और 7 वचनों का आदानप्रदान करें, जरा इन बातों पर भी गौर कर लें जो ‘पोस्ट मैरिज बदलाव’ के बारे में हैं और जिन के बारे में आप के मातापिता, दोस्तयार, शुभचिंतक नहीं बताने वाले. अगर आप शादी का लड्डू चख चुके हैं, तो भी इन्हें पढ़ ही लीजिए ताकि आप यह सोचना बंद कर सकें कि यार हमारी रिलेशनशिप में क्या गलत है या हम दोनों में से कौन गलत है, जो गाड़ी बारबार पटरी से उतर जाती है.

जस्ट चिल, यह सब कुछ नौर्मल है, शादी के बाद आदर्श और अवश्यभावी फेज हैं ये:

शादी हर समस्या का समाधान नहीं

भारतीय समाज में शादी को कुछ इस तरह महिमामंडित किया गया है कि हम यह यकीन कर बैठते हैं कि शादी हर समस्या का रामबाण इलाज है. शादी के बाद सब कुछ अपनेआप ठीक हो जाएगा, तो कोई हैरानी की बात नहीं कि दुलहन बनी लड़की यह उम्मीद अपनी पलकों पर सजा लेती है कि उस की जिंदगी शादी के बाद जन्नत बन जाएगी. चांदी के दिन और सोने की रातें होंगी. उस का प्रिंस चार्मिंग उसे एक प्रिं्रसेस की तरह ट्रीट करेगा. बेशक कुछ हद तक ऐसा होता भी है. जिंदगी खुशनुमा होती है, बदलती है, लेकिन शादी से यह उम्मीद न रखें कि यह आप की जिंदगी की हर कमी को पूरा कर देगी, क्योंकि शादी के बाद आप को एक अदद पति ही मिलता है, अलादीन का चिराग नहीं.

दो जिस्म मगर एक जान हैं हम

यह कहना, सुनना, गुनगुनाना बेहद रोमांटिक, हसीन और सच्चा लगता है. मगर वास्तविकता में एक सक्सैसफुल मैरिज वह होती है जहां 2 अलगअलग व्यक्तित्व अपनी रिलेशनशिप को जीवंत और कामयाब बनाए रखने के लिए एकसाथ, लगातार, सामान रूप से प्रयास करते हैं. एकदूसरे के इर्दगिर्द घूमते रहना और शादी के बाद अपनी जिंदगी यह कहते बिताना कि  ‘तेरे नाम पे शुरू तेरे नाम पे खत्म’ एक बोरिंग, आउटडेटेड तरीका है मैरिड लाइफ बिताने का.

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हमेशा अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाएंगे

शादी के बाद एक वक्त ऐसा भी आएगा जब आप मानसिक धरातल पर, भावनात्मक रूप से एकदूसरे से जुड़े रहेंगे, एकदूसरे के प्रति वफादार रहेंगे, मगर हो सकता है कि आप दोनों के बीच फिजिकल अट्रैक्शन की कमी हो जाए. मतलब कि जो पति आप को पहले रितिक रोशन सा डैशिंग नजर आता था, जिस की फिजिक पर से आप की आंखें नहीं हटती थीं, वह अब आप की आंखों के आकर्षण का केंद्र बिंदु न रहे. इस की 2 वजहे हो सकती हैं. पहली शारीरिक बदलाव. जैसे वजन का बढ़ना, क्योंकि आप भी मानती होंगी कि पति के दिल का रास्ता उस के पेट से हो कर गुजरता है और आप ने यह रास्ता अपना कर उन्हें गुब्बारा बना दिया और दूसरी मानसिक बदलाव जैसे कहते हैं न, घर की मुरगी दाल बराबर, तो रोजरोज उन्हें देखने पर कुछ खास कशिश महसूस न होती हो. खैर, कारण जो भी हों, लेकिन ऐसा होने पर घबराएं नहीं. अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाने का मतलब यह हरगिज नहीं होता कि आप का प्यार खत्म हो गया है. यह शादी के बाद का एक अस्थाई दौर है. यह भी गुजर ही जाएगा.

प्यार में डूबे रहने की स्टेज की समाप्ति

हम सब जानते हैं हनीमून फ्रेज यानी हैप्पिली एवरआफ्टर अथवा लव फौरएवर के बारे में. लेकिन यह फीलिंग परमानैंट नहीं होती और कई बार तो शादी के कुछ समय बाद एक ऐसा दौर भी आ जाता है कि जब प्यार महसूस होना तो दूर आप स्वयं ही हैरान हो कर खुद से पूछ बैठते हैं कि यार मैं ने इस बंदे से शादी क्यों की? इस में ऐसा क्या खास देख लिया मैं ने?

आप के साथ भी ऐसा हो सकता है, पर रिलैक्स, हर मैरिड कपल इस दौर से कभी न कभी गुजरता है. आप भी गुजर जाएंगे. फिर वक्त बीतने पर एकदूसरे को अच्छी तरह समझने के बाद आप की शादीशुदा जिंदगी में खूबसूरत कागजी फूलों की जगह हकीकत की पथरीली, मगर ठोस जमीन पर सच्चे प्यार के फूल खिलेेंगे, जिन की खुशबू आप की जिंदगी को महका देगी.

कभीकभी पार्टनर से चिढ़, नफरत हो जाना

यहां हम नफरत शब्द का इस्तेमाल शाब्दिक रूप से नहीं कर रहे हैं. लेकिन हां एक ऐसा समय आता है जब हम उन बातों की वजह से ही अपने पार्टनर से चिढ़ने लग जाएं, जिन बातों पर फिदा हो कर से अपना जीवनसाथी चुना था या यह कह लीजिए कि उन की खूबियां ही बाद में आप को उस की खामियां लगने लगें. जैसे उस का सैंस औफ ह्यूमर, उस की हाजिरजवाबी या सब की मदद को सदा तत्पर रहना अथवा क्रिकेट, फुटबौल को ले कर छाया जनून.

फिर भी आप उन बातों को बदलने की कोशिश न करें. आप का जीवनसाथी जैसा है उसे उसी रूप में उन्हें अपनाएं. आखिरकार यह वही व्यक्ति है जिसे आप ने शिद्दत से चाहा था.

अपने पार्टनर से कैसे ट्रीट करें

यह एक और पौपुलर नोशन है. आप पति से यह उम्मीद करती हैं कि वे आप के फैवरेट रोमांटिक हीरो की तरह आप से पेश आएं. जो मौकेबेमौके प्यार भरी बातें करता, लाल गुलाब पेश करता है या मिडनाइट सरप्राइज प्लान करता है.

लेकिन एक सच यह भी है कि अगर आप अपनी शादी में रोमांस को जिंदा रखना चाहती हैं, तो अपने पति को उस तरीके से ट्रीट करें, जो तरीका आप खुद के लिए चाहती हैं. कहने का मतलब यह कि आप उन्हें वैसे सरप्राइज दीजिए, जिन्हें पाने की चाहत आप को है. उन के लिए कैंडल लाइट डिनर अरेंज करें जो आप को भी पसंद है. गुडमौर्निंग किस दीजिए रोज, जो आप खुद पाना चाहती हैं. एक बार उन्हें इस की आदत पड़ने दीजिए, फिर आप को खुद ही रिटर्न ट्रीट मिलनी शुरू हो जाएगी.

शादी हमेशा खुशियों भरी नहीं होती

यह जाननासमझना औैर स्वीकरना आवश्यक है और यह भी कि वक्त जैसेजैसे गुजरता जाएगा हमेशा कोईर् न कोई ऐसा इश्यू आप दोनों के बीच आ खड़ा होेगा, जिस पर आप एकमत नहीं होंगे. लेकिन आप को इन सब से डील करना सीखना होेगा. ऐसा बहुत बार होगा कि पार्टनर की बातें, हरकतें आप को हैरान कर दें. आप उन की मेरी मरजी वाले ट्रैक से परेशान हो जाएं, लेकिन कुछ भी हो, आप को सब्र से काम लेना होगा. कुछ वक्त लें, कुछ उन्हें दें, अपने ईगो को बीच में न आने दें. समस्या जैसी भी हो, सुलझ ही जाएगी.

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एक बच्चा टूटती शादी को नहीं बचा सकता

सच तो यह है कि एक मुश्किल दौर से गुजरते कपल के बीच एक नन्हेमुन्ने की मौजूदगी हालात, तनाव को और बढ़ा देती है. अगर आप को यह सदियों पुरानी दादी, नानी की आजमाई गोल्डन ऐडवाइज मिले कि हैव ए किड ऐंड सेव योर मैरिज यानी जल्दी से एक बच्चा प्लान करो औैर देखो कैसे सब कुछ ठीक हो जाता है, तो इस सलाह पर अमल न करें, क्योंकि यह मुश्किल का हल नहीं, बल्कि मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम साबित होगा. एक बच्चे को दुनिया में लाना बहुत बड़ा दायित्व होता है. इस का निर्णय तभी लिया जाना चाहिए जब आप दोनों उस की परवरिश के लिए पूरी तरह तैयार हों.

सच यही है कि शादी हर सवाल का जवाब नहीं होती, बल्कि यह तो अपनेआप में एक पहेली होती है, जिस का हल तभी निकलता है जब दोनों अपने अहं और स्वार्थ का त्याग कर एक इकाई बन जाते हैं.

प्यार को प्राथमिकता दें

दरअसल, पतिपत्नी के मध्य टकराव ही वैवाहिक जीवन के लिए अभिशाप बनता है. जहां ईगो का टकराव न हो, वहां वैवाहिक जीवन निरंतर सफलता के साथ चलता है. एक कारण यह भी है कि जहां अपेक्षाएं ज्यादा हों, वहां अगर उन की पूर्ति नहीं होती, तो प्रतिदिन नई समस्याएं उत्पन्न होती हैं. वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है कि परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, पतिपत्नी के मध्य प्रेम हमेशा कायम रहे. पतिपत्नी एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसलिए दोनों को ही अपने अहम के टकराव से बचना चाहिए और प्रेम के मूलमंत्र पर अमल करना चाहिए, क्योंकि दांपत्य जीवन अगर सहज नहीं है, तो पारिवारिक जीवन भी परेशानियों का केंद्र बन जाता है.

-ऋचा पांडे, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट औफ इंडिया एवं ग्लोबल ऐंबैसेडर सिरोज यूनाइटेड (यूएसए)

एकदूसरे की भावनाओं को समझें

पतिपत्नी को हमेशा एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का प्रयास करना चाहिए. जरूरी है कि वे साथ में कुछ समय बैठें, बातें करें. एकदूसरे की भावनाओं को समझें, एकदूसरे को प्रोत्साहित करें. मगर अपनी इनडीविजुअल आईडैंटिटी को भी मैंटेन रखें. दूसरे को अपने जैसा बनाने का प्रयास कतई न करें. जिंदगी के महत्त्वपूर्ण निर्णय एकदूसरे के साथ बैठ कर ही लें.

-डा. गौरव गुप्ता, मनोवैज्ञानिक, तुलसी हैल्थकेयर

शादी से जुड़े कुछ तथ्य

विवाह एक अनूठा बंधन है, जिस में 2 व्यक्ति 7 फेरे ले कर एकदूसरे के साथ सदा के लिए जुड़ जाते हैं. पर क्या वाकई यह बंधन इतना ही मजबूत होता है? या फिर कुछ ऐसे तथ्य भी हैं, जिन से आप वाकिफ नहीं. आइए, आप को रूबरू कराते हैं, शादी से जुड़े ऐसे ही तथ्यों से:

– नौकरी, बच्चे, टीवी, इंटरनैट, हौबीज व घरपरिवार की जिम्मेदारियों की वजह से एक औसत दंपती दिन में केवल 4 मिनट ही अकेले एकदूसरे के साथ वक्त बिता पाते हैं.

– 25 साल से कम उम्र में शादी होने पर तलाक का खतरा ज्यादा होता है. महिला यदि पुरुष से काफी बड़ी है, तो भी तलाक की संभावना बढ़ जाती है. जबकि पुरुष काफी बड़ा हो तो ऐसा होने की संभावना कम रहती है.

– एक व्यक्ति का शैक्षिक स्तर इस बात पर काफी प्रभाव डालता है कि वह शादी किस उम्र में करेगा. अधिक पढ़ेलिखे लोग सामान्यतया या अधिक उम्र में शादी करते हैं जबकि कम पढ़ेलिखों की शादी जल्दी होती है.

– एक अध्ययन में पाया गया है कि वे महिलाएं जिन के यहां घर के कामों का संतुलित विभाजन होता है और जिन के पति अपने हिस्से का काम बखूबी निभाते हैं, ज्यादा खुश व संतुष्ट दिखती हैं. बनिस्बत कि वे महिलाएं जिन्हें अपने पति से इस संदर्भ में शिकायत रहती है.

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– 15 साल के लंबे अध्ययन में पाया गया कि शादी से पूर्व एक व्यक्ति की प्रसन्नता का स्तर शादी के बाद उस की सफल और खुशहाल वैवाहिक जिंदगी का अच्छा सूचक है. दूसरे शब्दों में स्वयं विवाह व्यक्ति की प्रसन्नता की वजह नहीं होता.

– बर्थ और्डर भी कहीं न कहीं आप के विवाह की सफलता/असफलता निर्धारित करते हैं. सब से ज्यादा सफल शादियां वे रही हैं, जहां भाइयों में सब से बड़ी बहन की शादी बहनों में सब से छोटे भाई के साथ हुई. जबकि 2 पहली संतानों के बीच हुई शादी कम निभ पाती है.

– शादी और सगाई की अंगूठी बाएं हाथ की चौथी उंगली में पहनी जाती है. रोम में लोग यह विश्वास करते थे कि इस उंगली की एक खास वेन सीधी दिल तक जाती है.

– न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक, ठिगने व्यक्ति ज्यादा गंभीरता से शादी निभाते हैं और अपने ठिगनेपन को कंपेनसेट करने के लिए अधिक कमाते हैं.

– गरिमा पंकज 

फ्रिजिडिटी : इलाज है

कई स्त्रियां ऐसी होती हैं, जो सहवास के दौरान उत्तेजित नहीं हो पाती हैं, जिस से वे सहवास के दौरान पति को सहयोग भी नहीं दे पाती हैं. ऐसी स्त्रियां ‘फ्रिजिड’ अर्थात ‘ठंडी’ स्त्री के रूप में जानी जाती हैं. फ्रिजिड स्त्री की व्यथा को न कोई जान सकता है और न ही समझ सकता है. वह स्वयं भी इस बात को जान नहीं पाती कि वह यौन सुख से वंचित क्यों है? जिस प्रकार छप्पन पकवानों से सजी थाली का भोजन नलिका द्वारा पेट में पहुंचाए जाने पर व्यक्ति को स्वाद का पता नहीं चलता, ठीक उसी प्रकार फ्रिजिड स्त्री संतान तो उत्पन्न कर सकती है, लेकिन यौनसुख का अनुभव नहीं कर सकती. पति उस की फ्रिजिडिटी (ठंडेपन) से तंग आ कर पत्नी को मानसिक रूप से प्रताडि़त करता है और उसे शारीरिक पीड़ा भी पहुंचाता है. वह समझता है कि उस की पत्नी उसे जानबूझ कर सहयोग नहीं देती है या कोई अनैतिक संबंध रख कर उस से बेवफाई कर रही है. इस से पतिपत्नी के बीच दीवार खड़ी हो जाती है और पत्नी को स्वयं को कोसने के सिवा कोई चारा नहीं रह जाता है.

मेरे पास ऐसी कई स्त्रियां आई हैं, जिन में से कुछ की ‘केस हिस्ट्री’ आप को बताना चाहूंगा ताकि आप लोगों को फ्रिजिड स्त्रियों की व्यथा का पता चल सके. 23 वर्षीय मध्यवर्गीय वैशाली मासूमियत की प्रतीक थी. खुले दिल से हंसना, तत्परता से काम करना व कपटरहित व्यवहार उस का स्वभाव था. जब एक बड़े घराने में उस की शादी हुई तो वह खुशी से नाच उठी. उस ने सोचा कि अब उसे किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी, लेकिन कुछ दिनों में उस का यह भ्रम टूट गया. उस की हंसी, उछलकूद, सब से हिलनामिलना आदि पर पाबंदी लग गई, क्योंकि उस बड़े घराने में इसे अशिष्ट माना जाता था. हमेशा सास और ननद उस की हंसी उड़ाया करती थीं, जिस से वह धीरेधीरे स्वयं में खोने लगी. यहां तक की पति के साथ सहवास के समय पर अत्यंत आनंद के क्षणों में मुंह से निकले हुए उद्गार अथवा सिसकारी को दबाने लगी, क्योंकि उसे डर था कि पति उसे बदचलन या अशिष्ट स्त्री न समझ ले. धीरेधीरे वह भावशून्य होने लगी. बच्चे होने पर वह बच्चों में ही अधिक समय बिताने लगी और पति की मांग के कारण केवल एक फर्ज के रूप में यौन संबंध रखने लगी. वह यह भी भूल गई कि इस संबंध में सुख भी मिलता है.

हादसे की शिकार

उर्वशी की समस्या कुछ अलग ही है. विवेक जैसे शिक्षित, सुशील और होनहार युवक से उस का विवाह हुआ था, जो उस के कालेज जीवन का प्रेमी था. विवाह से पहले उर्वशी अपने प्रेमी विवेक से मिलने के लिए हमेशा आतुर रहती थी. वह अधिक से अधिक समय उस के साथ बिताना चाहती थी. जब दोनों का विवाह हुआ तो उस रात बड़ी देर तक विवेक दोस्तों से छुटकारा नहीं पा सका. उर्वशी उस की राह देखतेदेखते थक कर अपने कमरे में सो गई. जब विवेक बहुत देर बाद कमरे में पहुंचा तो उर्वशी की सुंदरता देख कर मुग्ध हो गया. उस ने धीरे से उस का सिर उठा कर एक चुंबन ले लिया, जिस से उर्वशी घबरा कर उठ गई और सिसकसिसक कर रोने लगी. उस का सारा शरीर कांप रहा था और वह पसीने से तरबतर हो गई. यह देख कर विवेक बहुत डर गया, क्योंकि उस ने ऐसा उर्वशी को डराने के लिए नहीं किया था. वह उर्वशी से बारबार माफी मांगने लगा. थोड़ी देर बाद उर्वशी सामान्य हुई तो घबराहट के कारण हुई गलतियों पर शर्मिंदा होने लगी. जब दोनों पतिपत्नी हनीमून के लिए गए, तब सहवास के दौरान उर्वशी को निश्चेष्ट और बर्फ समान ठंडा पा कर विवेक को बहुत परेशानी हुई, क्योंकि वह तृप्ति से वंचित रह जाती थी.

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विवेक को कुछ समझ में नहीं आया कि दिन भर प्यार करने वाली उर्वशी सहवास के दौरान ऐसा बरताव क्यों करती है? डाक्टरी जांच कराने पर पता चला कि 14 साल की उम्र में जब वह मामा के घर किसी की शादी में गई थी, एक दिन दोपहर के समय वह सो गई थी, तब एक लड़का छिप कर उस के कमरे में आ गया और उस से जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा. उर्वशी ने किसी तरह वहां से भाग कर अपनी लाज बचाई. जैसेजैसे दिन बीतते गए उर्वशी उस हादसे को भूल गई, लेकिन विवेक द्वारा लिए गए प्रथम चुंबन ने उस के अवचेतन मन में छिपे इस पुराने डर को ताजा कर दिया, जिस से उस की भावनाएं आहत हुईं और वह फ्रिजिड हो गई.

शर्म व तनाव के कारण

रीता शर्मीले स्वभाव की लड़की थी. उस की सगाई सुदेश के साथ हो गई थी. एक दिन जब घर में कोई नहीं था, तो रीता को अकेली पा कर सुदेश उत्तेजित हो उठा और उस ने रीता से सहवास की मांग की, जिस से वह सहम गई. वह सोचने लगी कि यदि वह सुदेश को मना करती है तो वह नाराज हो जाएगा. अगर वह उस की बात मान लेती है तो उस की बदनामी हो जाएगी और उस के मन में गर्भवती होने का डर भी उत्पन्न हो गया. इस बीच सुदेश ने रीता के मौन को सहमति समझ कर सहवास कर ही लिया. इस के बाद रीता हताश और बेचैनी की अवस्था में मासिकधर्म की राह देख कर दिन बिताने लगी. जिस दिन रीता को मासिकधर्म शुरू हुआ उस ने चैन की सांस ली और आराम की नींद सोने लगी. लेकिन उस के कुछ समय बाद ही सुदेश ने उसे फ्रिजिड लड़की कह कर सगाई तोड़ दी. दुनिया की कोई भी स्त्री जन्म से फ्रिजिड नहीं होती. वह फ्रिजिड अपने घर के वातावरण, समाज और किसी भी हादसे के कारण जैसे- बलात्कार आदि से बन सकती है.

फ्रिजिडिटी मानसिक और शारीरिक कारणों से आती है, जिन में शारीरिक कारण तो बहुत कम होते हैं, लेकिन मानसिक कारण अधिक होते हैं. इसलिए उपरोक्त उपायों को अपना कर फ्रिजिडिटी दूर की जा सकती है और दांपत्य जीवन को सहज और सुखद बनाया जा सकता है.        

शारीरिक कारण

शारीरिक विकलांग अवस्था में योनि का न होना. वैसे यह कारण बहुत कम स्त्रियों में होता है.

दुखद यौन संबंध, योनि शोथ, गर्भाशय शोथ, रजोनिवृत्ति हो जाना, अंडाशय और यकृत रोग भी इस का कारण हो सकते हैं.

गर्भवती और गुप्तरोग हो जाने की शंकाएं भी स्त्री को फ्रिजिड बना देती हैं.

रक्तचाप कम करने वाली दवाओं का सेवन, नींद की गोलियां, ट्रैंक्विलाइजर्स और 3-4 साल से लगातार गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भी फ्रिजिडिटी उत्पन्न कर सकता है.

मानसिक कारण

जब बच्चे बचपन में अनजाने में अपने शरीर को समझने के लिए यौनांगों को छूते हैं, तब उन्हें इस के लिए डांटा जाता है और कभीकभी तो मातापिता उन्हें सजा भी दे देते हैं.

बचपन से ही कड़े अनुशासनपूर्ण माहौल में परवरिश होने के कारण, जिस में सैक्स को बुरा या गंदा मानने वाले विचारों का बच्चे के मन में घर कर जाना, बच्चों द्वारा किए गए सैक्स संबंधित सवालों का जवाब न देना या डांट देना भी फ्रिजिडिटी का कारण होता है.

भावनाओं को दबाना, लड़के और लड़की से किए जाने वाले व्यवहार में भिन्नता, जिस में लड़की की उपेक्षा करना लड़की की आयु बढ़ने पर उस में फ्रिजिडिटी उत्पन्न कर देता है. इसे मूल कारण समझा जा सकता है.

धार्मिक शिक्षा, जो सैक्स को पाप मानती है और सहवास को केवल पुत्र प्राप्ति का साधन मात्र मानती है.

कई बार पुरुष अपने शीघ्रपतन और नपुंसकता की समस्या को छिपाने के लिए भी पत्नी को फ्रिजिड कह देता है, जिस से उस का मन आहत हो उठता है और वह फ्रिजिड बन जाती है.

मानसिक रोग जैसे डिप्रैशन, तनाव, चिंता आदि भी फ्रिजिडिटी पैदा करते हैं.

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फ्रिजिडिटी दूर करने के उपाय

यदि पतिपत्नी एकदूसरे को समझने का प्रयास करें व पति अपनी पत्नी को उचित प्यार व सहयोग दे तो यह समस्या हल हो सकती है.

पत्नी के मन में भी इसे दूर करने की तीव्र इच्छा होनी चाहिए. पतिपत्नी के बीच उत्पन्न तनाव के कारणों को दूर करना चाहिए.

पतिपत्नी युगल चिकित्सा का सहारा ले कर भी इसे दूर कर सकते हैं.

प्रेम, स्पर्श, आलिंगन व रसभरी बातों से भी इसे दूर किया जा सकता है.

इस के अलावा ‘सैक्स पावर’ बढ़ाने वाली एक्सरसाइज द्वारा भी आप इसे दूर कर सकते हैं.

इस में सम्मोहन चिकित्सा बहुत ही लाभकारी होती है, जो मन में बैठे हुए अज्ञात भय को निकालती है.

Healthy रिश्ते में स्वच्छता का महत्त्व

रानी और रजनी पक्की सहेलियां हैं. दोनों मध्यवर्गीय, पढ़ीलिखी, उदार, सहिष्णु, मितव्ययी, परिवार का खयाल रखने वाली, नईनई चीजों को सीखने की इच्छुक हैं.

बस दोनों में एक ही अंतर है. यह अंतर देह प्रेम को ले कर है. एक छत के नीचे रहते हुए भी रानी और उस के पति के बीच देह प्रेम उमड़ने में काफी वक्त लगता है. महीनों यों ही निकल जाते हैं.

उधर रजनी और उस का पति हफ्ते में 1-2 बार शारीरिक निकटता जरूर पा लेते हैं. रानी इस प्रेम को गंदा भी समझती है, जबकि रजनी ऐसा नहीं सोचती है. दोनों एकदूसरे के इस अंतर को जानती हैं.

आप कहेंगे कि भला यह क्या अंतर हुआ? जी हां, यही तो बड़ा अंतर है. पिछले दिनों इस एक अंतर ने दोनों सहेलियों में कई और अंतर पैदा कर दिए थे.

इस एक अंतर से ही रानी तन को स्वच्छ रखने में संकोची हो गई थी. केवल वह ही नहीं, बल्कि उस के पति का भी यही हाल था. उसे अपने कारोबार से ही फुरसत नहीं थी. वह हर समय गुटका भी चबाता रहता था.

सैक्स सिखाए स्वच्छ रहना

उधर, रजनी नख से शिख तक हर अंग को ले कर सतर्क थी. बेहतर तालमेल, प्रेम, अंतरंगता और नियमित सहवास की वजह से रजनी को यह एहसास रहता था कि एकांत, समय और निकटता मिलने पर पति कभी भी उसे आलिंगन में भर सकता है. वह कभी भी उस के किसी भी अंग को चूम सकता है. कभी भी दोनों के यौन अंगों का मिलन हो सकता है. ऐसे में वह अंदरूनी साफसफाई को ले कर लापरवाह नहीं हो सकती थी. रजनी की तरफ से इसी प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया उस के पति को भी अंदरूनी रूप से स्वच्छ रखने में मदद करती थी.

इस एक अंतर से ही रानी अपनी देह और खानपान के प्रति भी लापरवाह हो गई थी. जब देह को निहारने वाला, देह की प्रशंसा करने वाला कोई न हो तो अकसर शादी के बाद इस तरह की लापरवाही व्यवहार में आ जाती है. रानी इस का सटीक उदाहरण थी. इस वजह से समय बीतने के साथ उस ने चरबी की कई परतों को आमंत्रण दे दिया था. उधर रजनी का खुद पर पूरा नियंत्रण था, लिहाजा वह छरहरे बदन की स्वामिनी थी.

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इस एक अंतर के कारण ही रानी एक दिन डाक्टर के सामने बैठी थी. रजनी भी साथ थी. रानी को जननांग क्षेत्र में दर्द की समस्या थी, जो काफी अरसे से चली आ रही थी. डाक्टर ने बताया कि इन्फैक्शन है. इन्फैक्शन का कारण शरीर की साफसफाई पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जाना है. साफसफाई में लापरवाही से समस्या गंभीर हो गई थी.

रानी का मामला रजनी के पति को भी पता चल गया था. वास्तव में हर वह बात जो रजनी और उस के पति में से किसी एक को पता चलती थी, वह दूसरे की जानकारी में आए बिना नहीं रहती थी. वे दोनों हर मामले पर बात करते थे. रात में जब रजनी ने पति राजेश को सारी बात बताई तो राजेश ने कहा, ‘‘तुम्हें अपनी सहेली को समझाना चाहिए कि देह प्रेम गंदी क्रिया नहीं है. मैं यह तो नहीं कहता कि ऐसे सभी विवाहित लोग जो सहवास नहीं करते, वे शरीर की साफसफाई को ले कर लापरवाह रहते होंगे, लेकिन मैं यह गारंटी से कह सकता हूं कि यदि पतिपत्नी नियमित अंतराल पर देह प्रेम करते हैं, तो दोनों ही अपने तन की स्वच्छता के प्रति लापरवाह नहीं रह सकते यानी यदि वे सहवास का आनंद लेते हैं तो वे ज्यादा स्वस्थ और स्वच्छ रहते हैं.’’

दवा है सैक्स

राजेश ने बिलकुल ठीक कहा. दरअसल, जब पतिपत्नी को यह एहसास रहता है कि वे एकदूसरे को प्यार करते हैं और उन्हें शारीरिक रूप से जल्दीजल्दी निकट आना है, तो दोनों ही स्वाभाविक रूप से अपने हर अंग की साफसफाई के प्रति सचेत रहते हैं. इस से न सिर्फ उन का व्यक्तित्व निखरता है और दोनों में प्रेम बढ़ता है, बल्कि कई रोग भी शरीर से दूर रहते हैं. इस के उलट जो दंपती शारीरिक संबंधों के प्रति उदासीन रहते हैं, वे अपनी साफसफाई के प्रति भी लापरवाह हो सकते हैं.

हम सभी जानते हैं कि वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध के 2 प्रमुख उद्देश्य होते हैं. पहला संतान की उत्पत्ति और दूसरा आनंद की प्राप्ति. लेकिन बारीकी से नजर डालें तो सहवास से एक परिणाम और निकलता है, जिसे तीसरा उद्देश्य भी बनाया जा सकता है. दरअसल, सहवास से पतिपत्नी अच्छा स्वास्थ्य भी पा सकते हैं. इसे हम यों भी कह सकते हैं कि यदि पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बन रहे हैं, तो इस बात की संभावना ज्यादा है कि वे स्वस्थ भी रहेंगे.

जी हां, पतिपत्नी के बीच सैक्स को कई तरह की दिक्कतें दूर करने की दवा बताया गया है. सैक्स को ले कर दुनिया भर में अनेक शोध किए गए हैं और किए जा रहे हैं. विभिन्न शोधों के बाद दुनिया भर के विशेषज्ञों ने सैक्स के फायदे कुछ इस तरह गिनाए हैं:

– पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बनने से तनाव और ब्लड प्रैशर नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है. तनाव में कमी आती है, तो अनेक अन्य रोग भी पास नहीं फटकते हैं.

– सप्ताह में 1-2 बार किया गया सैक्स रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

– सैक्स अपनेआप में एक शारीरिक व्यायाम है और विशेषज्ञों के अनुसार आधे घंटे का सैक्स करीब 90 कैलोरी कम करता है यानी सैक्स के जरीए वजन घटाने में भी मदद मिलती है.

– एक अध्ययन कहता है कि जो व्यक्ति हफ्ते में 1-2 बार सैक्स करते हैं उन में हार्ट अटैक की आशंका आधी रह जाती है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि शारीरिक प्यार एक तरह से भावनात्मक प्यार का ही बाहरी रूप है, इसलिए जब हम शारीरिक प्यार करते हैं, तो भावनाओं का घर यानी हमारा दिल स्वस्थ रहता है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार सैक्स, फील गुड के एहसास के साथसाथ स्वसम्मान की भावना को भी बढ़ाने में सहायक होता है.

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– शारीरिक संबंध प्रेम के हारमोन औक्सीटौसिन को बढ़ाने का काम करता है, जिस से स्त्रीपुरुष का रिश्ता मजबूत होता है.

– सैक्स शरीर के अंदर के स्वाभाविक पेनकिलर ऐंडोर्फिंस को बढ़ावा देता है, जिस से सैक्स के बाद सिरदर्द, माइग्रेन और यहां तक कि जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार जिन पुरुषों में नियमित अंतराल पर स्खलन (वीर्य का निकलना) होता रहता है, उन में ज्यादा उम्र होने पर प्रौस्टेट संबंधी समस्या या प्रौस्टेट कैंसर की आशंका काफी कम हो जाती है. यहां नियमित अंतराल से मतलब 1 हफ्ते में 1-2 बार सहवास से है.

– सैक्स नींद न आने की दिक्कत को भी दूर करता है, क्योंकि सैक्स के बाद अच्छी नींद आती है.

सहवास एक दवा है. दवा भी ऐसी जिस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं है, इसलिए पतिपत्नी को स्वस्थ रहने के लिए इस दवा का नियमित अंतराल पर सेवन अवश्य करना चाहिए.

शादी से पहले प्यार की सीमाएं

प्राय: मंगनी होते ही लड़कालड़की एकदूसरे को समझने के लिए, प्यार के सागर में गोते लगाना चाहते हैं. एक बात तो तय रहती है खासकर लड़के की ओर से, क्या फर्क पड़ता है, अब तो कुछ दिनों में हम एक होने वाले हैं, फिर क्यों न अभी साथ में घूमेंफिरें. उस की ओर से ये प्रस्ताव अकसर रहते हैं कि चलो रात में घूमने चलते हैं, लौंग ड्राइव पर चलते हैं. वैसे तो आजकल पढ़ीलिखी पीढ़ी है, अपना भलाबुरा समझ सकती है. वह जानती है उस की सीमाएं क्या हैं. भावनाओं पर अंकुश लगाना भी शायद कुछकुछ जानती है. पर क्या यह बेहतर न होगा कि जिसे जीवनसाथी चुन लिया है, उसे अपने तरीके से आप समझाएं कि मुझे आनंद के ऐसे क्षणों से पहले एकदूसरे की भावनाओं व सोच को समझने की बात ज्यादा जरूरी लगती है. मन न माने तो ऐसा कुछ भी न करें, जिस से बाद में पछतावा हो.

मेघा की शादी बहुत ही सज्जन परिवार में तय हुई. पढ़ालिखा, खातापीता परिवार था. मेघा मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे ओहदे पर थी. खुले विचारों की लड़की थी. मंगनी के होते ही लड़के के घर आनेजाने लगी. जिस बेबाकी से वह घर में आतीजाती थी, लगता था वह भूल रही थी कि वह दफ्तर में नहीं, ससुराल परिवार में है. शुरूशुरू में राहुल खुश था. साथ आताजाता, शौपिंग करता. ज्योंज्यों शादी के दिन नजदीक आते गए दूरियां और भी सिमटती जा रही थीं. एक दिन लौंग ड्राइव पर जाने के लिए मेघा ने राहुल से कहा कि क्यों न आज शाम को औफिस के बाद मैं तुम्हें ले लूं. लौंग ड्राइव पर चलेंगे. एंजौय करेंगे. पर यह क्या, यहां तो अच्छाखास रिश्ता ही फ्रीज हो चला. राहुल ने शादी से इनकार कर दिया. कार्ड बंट चुके थे, तैयारियां पूरी हो चली थीं. पर ऐसा क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ? पूछने पर नहीं बताया, बस इतना दोटूक शब्दों में कहा कि रिश्ता खत्म. बहुत बाद में जा कर किसी से सुनने में आया कि मेघा बहुत ही बेशर्म, चालू टाइप की लड़की है. राहुल ने मेघा के पर्स में लौंग ड्राइव के समय रखे कंडोम देख लिए. यह देख कर उस ने रिश्ता ही तोड़ना तय कर लिया. शायद उसे भ्रम था मेघा पहले भी ऐसे ही कई पुरुषों के साथ इस बेबाकी से पेश आ चुकी होगी. आजकल की लड़कियों में धीरेधीरे लुप्त होती जा रही लोकलाज, लज्जा की भनक भी मेघा के सरल व्यवहार में मिलने लगी थी. इन बातों की वजह से ही रिश्ता टूटने वाली बात हुई.

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कौन सी बातें जरूरी

इसलिए बेहतर है कोर्टशिप के दौरान आचरण पर, अपने तौरतरीकों पर, बौडी लैंग्वेज पर विशेष ध्यान दें. वह व्यक्ति जिस से आप घुलमिल रही हैं, भावी जीवनसाथी है, होने वाला पति है, हुआ नहीं. तर्क यह भी हो सकता है, सब कुछ साफसाफ बताना ही ठीक है. भविष्य की बुनियाद झूठ पर रखनी भी तो ठीक नहीं. लेकिन रिश्तों में मधुरता, आकर्षण बनाए रखने के लिए धैर्य की भावनाओं को वश में रखने की व उन पर अंकुश लगाने की जरूरत होती है.

प्यार में डूबें नहीं

शादी के पहले प्यार के सागर में गोते लगाना कोई अक्षम्य अपराध नहीं. मगर डूब न जाएं. कुछ ऐसे गुर जरूर सीखें कि मजे से तैर सकें. सगाई और शादी के बीच का यह समय यादगार बन जाए, पतिदेव उन पलों को याद कर सिहर उठें और आप का प्यार उन के लिए गरूर बन जाए और वे कहें, काश, वे पल लौट आएं. इस के लिए इन बातों के लिए सजग रहें- 

हो सके तो अकेले बाहर न जाएं. अपने छोटे भाईबहन को साथ रखें.

बहुत ज्यादा घुलनामिलना ठीक नहीं.

मुलाकात शौर्ट ऐंड स्वीट रहे.

घर की बातें न करें.

अभी से घर वालों में, रिश्तेदारों में मीनमेख न निकालें.

एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करें.

अनर्गल बातें न करें.

बेबाकी न करें. बेबाक को बेशर्म बनते देर नहीं लगती.

याद रहे, जहां सम्मान नहीं वहां प्यार नहीं, इसलिए रिश्तों को सम्मान दें.

कोशिश कर दिल में जगह बनाएं. घर वाले खुली बांहों से आप का स्वागत करेंगे.

मनमानी को ‘न’ कहने का कौशल सीखें.

चटोरी न बनें

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दूर रहें या पास, जगे रहें एहसास

विवाह का मकसद ही है लंबी दूरी तक एकसाथ चलते जाना, पर दूरी से विवाह और अपने फूलतेफलते कैरियर को क्यों प्रभावित होने दें? आजकल कई लड़कियां अपने लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप को अपने कैरियर के बीच में नहीं आने देना चाहतीं. इस विषय पर कुछ पत्नियों से बात की गई. उन के विचार जान कर समाज में आता बदलाव साफ दिखाई देता है.

अलग अलग रहना आसान नहीं

मुंबई की कविता टीवी सीरियल्स में काम करती हैं. 7 साल पहले उन का विवाह दिल्ली के एक बिजनैसमैन से हुआ था. वे बताती हैं, ‘‘अलगअलग रहना आसान नहीं है. बहुत धैर्य रखना पड़ता है. एकदूसरे पर विश्वास रखना पड़ता है और एकदूसरे को समझना पड़ता है. हम अकसर फोन पर ही रहते हैं. वीडियो कौल चलती रहती है. हम अपने रिश्ते को अच्छा बनाने की कोशिश करते हैं. रोज हमें एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. 2-3 महीनों बाद ही मिलना होता है. बीचबीच में काम नहीं होता तो साथ रहना होता है. जब भी हम लंबे समय बाद मिलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे खोया प्यार मिल गया हो. यहां मुंबई में मैं अपने मातापिता के साथ रहती हूं. जब मुंबई में होती हूं पति और ससुराल की हर चीज याद आती है. दिल्ली में होती हूं तो पेरैंट्स याद आते हैं.’’

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रिश्ते में विश्वास जरूरी

अंधेरी, मुंबई निवासी सीमा बंसल ने दुबई निवासी अनिल मेहरा से विवाह किया. जैसे ही सीमा ने वहां जा कर घरगृहस्थी संभाली, उन्हें मुंबई में ड्रैस डिजाइनिंग का एक नया काम मिला. तब से वे हर महीने 15 दिनों के लिए मुंबई आती हैं. सीमा ने अपने अनुभव के बारे में बताया, ‘‘अब जीवन खूबसूरत लगता है. मैं दुबई शिफ्ट कर चुकी थी, क्योंकि मुझे अपनी घरगृहस्थी पर पूरा ध्यान देना था पर मैं यह औफर लेने से खुद को रोक नहीं पाई. मेरी ससुराल वाले आधुनिक और विकसित सोच वाले हैं. वे मुझ से पारंपरिक बहू बनने की उम्मीद भी नहीं करते. अनिल मेरे सब से अच्छे दोस्त हैं. वे अच्छी तरह जानते हैं कि वे मेरे लिए सब से महत्त्वपूर्ण हैं और वे मेरी दुनिया हैं. हमारा अफेयर 2 साल चला था. तब भी ये लौंग डिस्टैंस रिलेशन ही था. असल में दूर रहने से हम एकदूसरे को और अच्छी तरह जान गए. हमारे शौक भी एकजैसे हैं और हम एकदूसरे की स्पेस का सम्मान करते हैं. हमारे रिश्ते में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग 2 ठोस चीजें हैं. जब मैं मुंबई में होती हूं, उन्हें बहुत याद करती हूं.’’

एक नया अनुभव

गीता देसाई दिल्ली में एक मौडल हैं. उन्होंने यू.एस. में रहने वाले वौलेंटियों से विवाह किया है. वे भी अब वहीं रहती हैं पर जब उन्हें कोई शो औफर होता है वे दिल्ली आ जाती हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस विवाह ने मुझे एक ताकत, एक संतुलन दिया है. अब मैं ज्यादा सेफ, रिलैक्स्ड और तनावमुक्त रहती हूं. वे बहुत अंडरस्टैंडिंग हैं. मैं अपनी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ कैसे बैलेंस करती हूं यह देख कर वे हमेशा खुश होते हैं. बहुत दिनों के बाद मिलना हमेशा एक नया अनुभव होता है. विश्वास और सम्मान लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप की 2 महत्त्वपूर्ण चीजें हैं. मैं स्वयं को खुशहाल समझती हूं. मैं कई तरह के कल्चर, परंपराओं, लोगों और लाइफस्टाइल का अनुभव कर रही हूं.’’

आपसी प्यार और सहयोग जरूरी

मुंबई की ही अभिनेत्री नीता बंसल का कहना है, ‘‘मेरे पति कोलकाता में रहते हैं. मैं ने बे्रक लेने का फैसला किया था पर मेरे पति और सासूमां ने 6 महीनों बाद काम करने की छूट दे दी. उन्होंने मुझे अपनी मरजी से काम करने के लिए कहा. उन्हीं दिनों एक सीरियल का औफर मिला तो मैं फिर मुंबई आ गई. वीडियो चैट होती रहती है. मेरे पति का भी काम से मुंबई आना होता रहता है. कभी मैं चली जाती हूं तो कभी सब को बुला लेती हूं.’’

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इन सब के विचार जानने के बाद लंबी दूरी के विवाह में सब से जरूरी चीजें हैं, आपस में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग. वैसे देखा जाए तो ये हर विवाह में जरूरी है, पर कई बार रोज साथ रह कर भी रिश्ते में खटास आ जाती है और कई बार दूर रह कर भी प्यार बना रहता है. आजकल लड़कियां भी कैरियर में कम मेहनत नहीं करतीं. ऐसे में विवाह के बाद सारी मेहनत पर पानी फिर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. ऐसी स्थिति में जीवनसाथी और ससुराल वालों का थोड़ा सहयोग मिल जाए तो वे भी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ में सफल हो कर जीवन का आनंद उठा सकती हैं. बात बस आपसी प्यार और सहयोग पर ही निर्भर करती है.

जब सताने लगे अकेलापन

रंजना का अपने पति से तलाक हो गया सुन कर धक्का लगा. 45 वर्षीय रंजना भद्र महिला है. पति, बच्चे सब सुशिक्षित. भला सा हंसताखेलता परिवार. फिर अचानक यह क्या हुआ? बाद में पता चला कि रंजना ने दूसरी शादी कर ली. दूसरा पति हर बात में उन के पहले पति से उन्नीस ही है. किसी ने बताया रंजना की मुलाकात उस व्यक्ति से फेसबुक पर हुई थी और उन्हीं के बेटे ने उन्हें बोरियत से बचाने के लिए उन का फेसबुक पर अकाउंट बनाया था. प्रारंभिक जानपहचान के बाद उन की घनिष्ठता बढ़ती गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. वह व्यक्ति भी उसी शहर का था. कभीकभी होने वाली मुलाकात एकदूसरे के बिना न रह सकने में तबदील हो गई. वह भी शादीशुदा था. इस शादी के लिए उस ने अपनी पत्नी को बड़ी रकम दे कर उस से छुटकारा पा लिया.

कुछ साल पहले तक ऐसे समाचार अखबारों में पढ़े जाते थे और वे सभी विदेशों के होते थे. तब अपने यहां की संस्कृति पर बड़ा मान होता था. लेकिन आज हमारे देश में भी यह आम बात हो गई है. हमारा सामाजिक व पारिवारिक परिवेश तेजी से बदल रहा है. इन परिवर्तनों के साथ आ रहे हैं मूल्यों और पारिवारिक व्यवस्था में बदलाव. आज संयुक्त परिवार तेजी से खत्म होते जा रहे हैं. सामाजिक व्यवस्था नौकरी पर टिकी है जिस के लिए बच्चों को घर से बाहर जाना ही होता है. पति के पास काम की व्यस्तता और बच्चों की अपनी अलग दुनिया. अत: महिलाओं के लिए घर में अकेले समय काटना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में उन का सहारा बनती है किट्टी पार्टी या फेसबुक पर होने वाली दोस्ती.

आइए जानें कुछ उन कारणों को जिन के चलते महिलाएं अकेलेपन की शिकार हो कर ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं:

संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं. एकल परिवार के बढ़ते चलन से पति व बच्चों के घर से चले जाने के बाद महिलाएं घर में अकेली होती हैं. तब उन का समय काटे नहीं कटता.

अति व्यस्तता के इस दौर में रिश्तेदारों से भी दूरी सी बन गई है. अत: उन के यहां आनाजाना, मिलनाजुलना कम हो गया है. साथ ही सहनशीलता में भी कमी आई है. इसलिए  रिश्तेदारों का कुछ कहना या सलाह देना अपनी जिंदगी में दखल लगता है, जिस से उन से दूरी बढ़ा ली जाती है.

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विश्वास की कमी के चलते सामाजिक दायरा बहुत सिमट गया है. अब पासपड़ोस पहले जैसे नहीं रह गए. पहले किस के घर कौन आ रहा है कौन जा रहा है की खबर रखी जाती थी. दिन में महिलाएं एकसाथ बैठ कर बतियाते हुए घर के काम निबटाती थीं. इस का एक बड़ा कारण दिनचर्या में बदलाव भी है. सब के घरेलू कामों का समय उन के बच्चों के अलग स्कूल टाइम, ट्यूशन की वजह से अलगअलग हो गया है.

पति की अति व्यस्तता भी इस का एक बड़ा कारण है. अब पहले जैसी 10 से 5 वाली नौकरियां नहीं रहीं. अब दिन सुबह 5 बजे से शुरू होता है, जो सब के जाने तक भागता ही रहता है. इस से पतिपत्नी को इतमीनान से साथ बैठ कर पर्याप्त समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता. कम समय में जरूरी बातें ही हो पाती हैं.

ऐसे ही पुरुषों की व्यस्तता भी बहुत बढ़ गई है. सुबह का समय भागदौड़ में और रात घर पहुंचतेपहुंचते इतनी देर हो जाती है कि कहनेसुनने के लिए समय ही नहीं बचता. इसलिए आजकल पुरुष भी अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं और औफिस में या फेसबुक पर उन की भी दोस्ती महिलाओं से बढ़ रही है जिन के साथ वे अपने मन की सारी बातें शेयर कर सकें.

यदि अकेले रहने की वजह परिवार से मनमुटाव है, तो ऐसे में पति का उदासीन रवैया भी पत्नी को आहत करने वाला होता है. उसे लगता है कि उस का पति उसे समझ नहीं पा रहा है या उस की भावनाओं की उसे कतई कद्र नहीं है. इस से पतिपत्नी के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो रहा है.

टीवी सीरियलों में आधुनिक महिलाओं के रूप में जो चारित्रिक हनन दिखाया जा रहा है उस का असर भी महिलाओं के सोचनेसमझने पर हो रहा है. अब किसी पराए व्यक्ति से बातचीत करना, दोस्ती रखना, कभी बाहर चले जाना जैसी बातें बहुत बुरी बातों में शुमार नहीं होतीं, बल्कि आज महिलाएं अकेले घर का मोरचा संभाल रही हैं. ऐसे में बाहरी लोग आसानी से उन के संपर्क में आते हैं.

पति परमेश्वर वाली पुरानी सोच बदल गई है.

इंटरनैट के द्वारा घर बैठे दुनिया भर के लोगों से संपर्क बनाया जा रहा है. ऐसे में अकेलेपन, हताशानिराशा को बांट लेने का दावा करने वाले दोस्त महिलाओं की भावनात्मक जरूरत में उन के साथी बन कर आसानी से उन के फोन नंबर, घर का पता हासिल कर उन तक पहुंच बना रहे हैं.

नौकरीपेशा महिलाएं भी घरबाहर की जिम्मेदारियां निभाते हुए इतनी अकेली पड़ जाती हैं कि ऐसे में किसी का स्नेहस्पर्श या  भावनात्मक संबल उन्हें उस की ओर आकर्षित करने के लिए काफी होता है.

अत्यधिक व्यस्तता और तनाव की वजह से पुरुषों की सैक्स इच्छा कम हो रही है. सैक्स के प्रति पुरुषों की अनिच्छा स्त्रियों में असंतोष भरती है. ऐसे में किसी और पुरुष द्वारा उन के रूपगुण की सराहना उन में नई उमंग भरती है और वे आसानी से उस की ओर आकर्षित हो जाती हैं. लेकिन क्या ऐसे विवाहेतर संबंध सच में महिलाओं या पुरुषों को भावनात्मक सुकून प्रदान कर पाते हैं? होता तो यह है कि जब ऐसे संबंध बनते हैं दिमाग पर दोहरा दबाव पड़ता है. एक ओर जहां उस व्यक्ति के बिना रहा नहीं जाता तो वहीं दूसरी ओर उस संबंध को सब से छिपा कर रखने की जद्दोजेहद भी रहती है. ऐसे में यदि कोई टोक दे कि आजकल बहुत खुश रहती हो या बहुत उदास रहती हो तो एक दबाव बनता है.

जब संबंध नएनए बनते हैं तब तो सब कुछ भलाभला सा लगता है, लेकिन समय के साथ इस में भी रूठनामनाना, बुरा लगना, दुख होना जैसी बातें शामिल होती जाती हैं. बाद में स्थिति यह हो जाती है कि न इस से छुटकारा पाना आसान होता है और न बनाए रखना, क्योंकि तब तक इतनी अंतरंग बातें सामने वाले को बताई जा चुकी होती हैं कि इस संबंध को झटके से तोड़ना कठिन हो जाता है. हर विवाहेतर संबंध की इतिश्री तलाक या दूसरे विवाह में नहीं होती. लेकिन इतना तो तय है कि ऐसे संबंध जब भी परिवार को पता चलते हैं विश्वास बुरी तरह छलनी होता है. फिर चाहे वह पति का पत्नी पर हो या पत्नी का पति पर अथवा बच्चों का मातापिता पर. बच्चों पर इस का सब से बुरा असर पड़ता है. एक ओर जहां उन का अपने मातापिता के लिए सम्मान कम होता है वहीं परिवार के टूटने की आशंका भी उन में असुरक्षा की भावना भर देती है, जिस का असर उन के भावी जीवन पर भी पड़ता है और वे आसानी से किसी पर विश्वास नहीं कर पाते.

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यदि परिवार और रिश्तेदार इसे एक भूल समझ कर माफ भी कर दें तो भी आगे की जिंदगी में एक शर्मिंदगी का एहसास बना रहता है, जो सामान्य जिंदगी बिताने में बाधा बनता है. विवाहेतर संबंध आकर्षित करते हैं, लेकिन अंत में हाथ लगती है हताशा, निराशा और टूटन. इन से बचने के लिए जरूरी है कि अकेलेपन से बचा जाए. खुद को किसी रचनात्मक कार्य में लगाया जाए. अपने पड़ोसियों से मधुर संबंध बनाए जाएं, रिश्तेदारों से मिलनाजुलना शुरू किया जाए. अपने पार्टनर से अपनी परेशानियों के बारे में खुल कर बात की जाए और अपने पूर्वाग्रह को भुला कर उन की बातें सुनी और समझी जाएं. हमारी सामाजिक व पारिवारिक व्यवस्था बहुत मजबूत और सुरक्षित है. इसे अपने बच्चों के लिए इसी रूप में संवारना हमारा कर्तव्य है. आवेश में आ कर इसे तहसनहस न करें.

एक दूसरे को समझो-समझाओ

लेखक-वीरेन्द्र बहादुर सिंह

क्या आप के वैवाहिक जीवन में नीरसता आने लगी है? क्या आप का वैवाहिक जीवन बोरिंग हो गया है? आप अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट हैं? इस तरह के तमाम सवाल हमारे मन में एठते होंगे. तो चलो आप की इस बेरंगी वैवाहिक जिंदगी को प्रेम के रंगों से सजा कर नीरसता को दूर करते हैं. इस तरह के नुस्खे आजमाते हैं, जिसके द्वारा आप के वैवाहिक जीवन से जो रोमास गायब हो गया है, नीचे दिए गए नुस्खों से संबंध को रिचार्ज करें, जिससे आप के वैवाहिक जीवन में प्यार और रोमांस घटने के बजाय बढ़ेगा और आप एक बार फिर हनीमून के लिए तैयार हो जाएं. तो आइए जानते हैं वे नुस्खेः

स्पर्श और छेड़छाड़ जरूरीः

आपकी शादी हुए कुछ साल बीत गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप दोनों के बीच छेड़छाड बंद हो जाए. बल्कि समय या एकांत मिलते ही सबकी नजरें बचा कर चोरीचुपके से अपने प्रियजन के साथ थोड़ी छेड़छाड़ कर लेनी चाहिए. हो सकता है आपकी इस पहल से वह तुम पर वारी जाएं और आपके और निकट आ जाएं.

रोकटोक बिलकुल नहींः

हर आदमी में कोई न कोई कमी होती है. इसका मतलग यह नहीें कि आप उनके हर काम में रोकटोक करे. इस रोकटोक को किनारे कर के उन्हेंअ वह काम करनके दें, जो आप को पसंद नहीं है. आप के इस बदले व्यवहार से वह खुद ही अपनी भूल को सुधारने की कोशिश अवश्य करेंगे.

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आफ हुए मूड को फिर से ऑन करेंः

अगर आफिस में अधिक काम करने से आप दोनों का मूड खराब है तो घर आ कर उसे और अधिक खराब न करें. एकदूसरे के मूड को ठीक करने की कोशिश करें. अगर लगता है कि फिर भी मूड ठीक नहीं है तो मूड के शांत होने की राह देखें और धैर्य से काम लें. हो सके तो एकदूसरे थोड़ा हंसीमजाक कर लें. इससे सारा गुस्सा गायब हो जाएगा.

व्हाट्सएप पर मैसेज और फोटो भेजेंः

शादी से पहले आप का फोन उनके मैसेज और फोटो से भरा रहता था. उस समय यह समझ में नहीं आता कि कौन सा फोटो रखें और कौन सा डिलीट कर दें. शादी होने के बाद यह सिलसिला कब बंद हो गया, पता ही नहीं चला. यदि आप चाहती हैं कि आप के मैसेज पढ़ कर और फोटो देख कर उनके चेहरे पर फिर से पहले जैसी मुसकान आ जाए तो एक बार फिर यह सिलसिला शुस् कर दें और एकदूसरे को मैसेज द्वारा अपने प्यार की गहराई का का अहसास कराएं, जिससे एक बार आप दोनों को पुराने दिनों की याद ताजा हो जाए.

डेट पर जाओः

शादी के बाद आप दोनों के दिमाग से डेट जैसा शब्द गायब हो गया है. सच है न? यदि हां तो इसे तुरंत दूर करें और अपने लिए डेट पर जाने का एक बढ़िया सा प्रोग्रम सेट करें. आप जहां पहले जाते थे, उन्हीं जगहों पर एक बार फिर जा कर पुरानी यादें ताजा करें और जिंदगी का भरपूर आनंद उठाएं.

अन्य से तुलना या बराबरी न करेंः

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि अपने पार्टनर की तुलना किसी अन्य के साथ न करें. आप के इस व्यवहार से उनके मन को ठेस पहुंच सकती है. इसलिए इस आदत को तुरंत छोड़ दें. अपने पार्टनर की तुलना किसी अन्य से करने के बजाय सब के सामने उनकी प्रशंसा करें, जिससे उनके मन और दिमाग में आप के प्रति प्रेम उपजे.

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बुराई न करेंः

हर दंपति को अपना परिवार सब से प्यारा होता है. इसलिए एकदूारे के परिवार के लिए अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें. दोनों परिवारों को ध्यान में रख कर परिजनों के बारे में एकदूसे से अच्छी आतें करें. अगर में परिवार में किसी की बात बुरी लगती है तो आपस में समझदारी से सुलझाएं.

दोस्तों के साथ समय बिताएंः

भले ही दोस्तों की लिस्ट लंबी है, पर इसका मतलब यह नहीं कि आप उउनके दोस्तों का अनादर करें. अगर आप को उनके दोस्त अच्छे नहीं लगते तो उन्हें प्रेमसे बताइए. इतना याद रखें कि दोस्तों का ले कर अपने संबंध में किसी तरह की खटास नहीं आनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें.

हर काम में सहयोग और साथ देंः

यदि आप को लगता है कि आप के पार्टनर के पास काम अधिक है तो उनके काम में सहयोग-साथ दें. ऐसा करने से उनके मन मन में आप के प्रति इज्जत और प्रेम बढ़ेगा. कोई भी काम करने में कभी हीनता का अनुभव नहीं करना चाहिए. यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम पत्नी का है, वही करेगी. इस विचार में परिवर्तन ला कर पत्नी के छोटेमोटे काम कर के उसकी मदद करेंगे तो उसका भी समय बचेगा, जिससे कामकाज की व्यस्तता और थकावट की उसकी शिकसयत कत होगी. वह भी आप के हर काम में मदद करने को तैयार रहेगी. इस तरह अगर दोनों एकदूसरे को समझ कर चलेंगे और हर काम में मदद करने की शर्म संकोच का अनुभव नहीं करेंगे तो आप के संसार चक्र की गाड़ी हमेशा प्रेमपूर्वक बिना रुके चलती रहेगी.

व्यवस्थित रहेंः

शादी के पहले और शादी के कुछ दिनों बाद तक हर युवक-युवती खुद पर ध्यान रखते हैं. पर उसके बाद खुद पर ध्यान देना कम कर देते हैं, जो गलत है. शादी के पहले जिस तरह आप दोनों सजधज कर और व्यवस्थित हो कर घूमते थे. शादी के बाद भी आप उसी तरह रहें और एकदूसरे की पसंद-नापसंद को ध्यान में रख कर अपने कपड़ों और परफ्रयूम की पसंद करें. उन्हें जो पसंद हो, उस तरह अपनेअपने लुक को सजाने की कोशिश करें, जिससे आप को उस तरह सजाधजा देख कर उनका दिल प्रेम करने को तैयार हो जाएगा. कामकाज के साथसाथ अपने व्यक्तिगत जीवन के प्रति भी सजग रहें. इस तरह अव्यवस्थित हो कर घूमने की अपेक्षा समय और स्थान के अनुरूप कपड़े पहने ओर उसी हिसाब से तेयार हो, जिससे आपकी पर्सनालिटी में चार चांद लग लग जाए.

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सरप्राइज देंः

शादी की सालगिरह और बर्थडे पर तो आप दोनों एकदूसरे को सरप्राइज देते ही होंगे. पर इसके अलावा भी सरप्राइज दी जाए तो वह आप के लिए बहुत ही अच्छी होगी. इससे उनके मन में आप के प्रति प्रेम बढ़ेगा. यह जरूरी नहीं कि सरप्राइज देने के लिए खास मौका या दिन देखा जाए. अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए इस तरह अचानक कोई सरप्राइज देने से सामने वाला हेरान रह जाएगा और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा. सरप्राइज भी ऐसी होनी चाहिए कि जिसकी उम्मीद न हों पैसे कि पैकेज टूर, मोबाइल या लैपटॉप आदि. इस तरह की सरप्राइज उन्हें हमेशा याद रहेगी.

सेक्स की पहलः

दांपत्यजीवन में हर रोग की एक ही जड़ीबूटी है सेक्स. सेक्स दांपत्यजीवन का मजबूत पाया है. इससे मुंह फेरने का मतलब दांपत्यजीवन में कड़वाहट लाना. अगर वह सेक्स के लिए पहल करते हैं तो कभीकभार आप भी पहल करें. इसमें हीनता का अनुभव करने की कोई जरूरत नहीं है. उसके बाद देखें आप की इस पहल का स्वागत कर के वह आप को कितना प्यार करते हैं.

इस तरह अपने वैवाहिक जीवन में इस तरह की छोटीछोटी बातों का ध्यान रखेंगी तो आप के वैवाहिक जीवन की गाड़ी आराम से और प्रेमपूर्वक चलती रहेगी और आप दोनों हमेशा हनीमून के लिए तेयार रहेंगे. उपर्युक्त ये सभी बातें आप के वैवाहिक जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और जरूरी हैं.

 

मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं, हम बच्चे के लिए क्या करें?

सवाल

मेरी उम्र 28 वर्ष है. मैं एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूं. मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं. हम बच्चे के लिए क्या करें?

जवाब

आप के पति की शारीरिक रचना की जांच करनी होगी. स्पर्म बैंक से स्पर्म ले कर डोनर आईयूई का रास्ता प्रभावी साबित हो सकता है. हो सकता है कि आप के पति का स्पर्म कहीं रुक रहा हो. अगर ऐसा है तो उस का भी इलाज संभव है.

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बड़े काम की है शीघ्रपतन की जानकारी

आज के दौर में हर उम्र के मर्दों में शीघ्रपतन की समस्या देखने में आ रही है. आम भाषा में इसे जल्दी पस्त हो जाना और अंगरेजी में इसे प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या अर्ली इजैकुलेशन कहा जाता है. ऐसा अकसर अंग में प्रवेश से पहले या उस के तुरंत बाद हो सकता है. इस की वजह से दोनों पार्टनर सैक्स संबंधों के लिहाज से असंतुष्ट रहते हैं.

दरअसल, शीघ्रपतन आदमियों में सैक्स की आम समस्याओं में से एक है. शायद हर मर्द अपनी जिंदगी में कभी न कभी इस परेशानी से घिरता है. अगर अंग में डालने से पहले ही मर्द का वीर्य गिर जाता है, तो ऐसे में उस जोड़े में बच्चे पैदा न होने की समस्या भी पेश आती है.

शीघ्रपतन की समस्या का असर आदमी की सैक्स लाइफ पर देखने को मिलता है. इस समस्या के चलते आदमी अपनी लाइफ पार्टनर या प्रेमिका को सैक्स सुख नहीं दे पाता. इस से नाजायज संबंध भी बन जाते हैं, जिस का नतीजा कई बार परिवार के टूटने के रूप में भी होता है.

इस समस्या के हल के लिए लोग नीमहकीमों के चंगुल में भी फंस जाते हैं, जो उन को लूटते हैं और समस्या को सुलझाने के बजाय और बढ़ा देते हैं.

ज्यादा हस्तमैथुन करने से शरीर के बायोलौजिकल क्लौक का सैट हो जाना है. इस की वजह से आदमी को क्लाइमैक्स पर पहुंचने की जल्दी होती है और वह जल्दी से जल्दी मजा पाना चाहता है.

* सैक्स के बारे में ज्यादा सोचना भी शीघ्रपतन के लिए जिम्मेदार होता है. सैक्स फैंटेसी या पोर्न फिल्में देखने से भी आदमी ज्यादा जोश में आ जाता है और जल्दी ही पस्त हो जाता है.

* शराब के ज्यादा सेवन या डायबिटीज की वजह से भी शीघ्रपतन की समस्या पैदा हो सकती है.

* सैक्स संबंध बनाने के शुरुआती दिनों में भी इस तरह की समस्या पैदा हो जाती है.

* नया पार्टनर होने के चलते जोश में जल्दी वीर्य गिर सकता है.

* जल्दी पस्त होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि जोश देने का तरीका कैसा है.

* ओरल सैक्स से भी आदमी जल्दी डिस्चार्ज हो सकता है.

क्या करें?

अगर शीघ्रपतन की समस्या आप की जिंदगी में भी तनाव की वजह बन चुकी है, तो इसे चुपचाप सहन न करते रहें, बल्कि अपने डाक्टर से मिलें. वह आप की शारीरिक जांच कर इस की वजह पता लगाने की कोशिश करेगा.

डाक्टर के साथ खुल कर अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बात करें और अगर कभी किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो उस के बारे में भी किसी तरह की जानकारी न छिपाएं.

ये उपाय भी आजमाएं

* जल्दी पस्त होना रोकने के लिए लंबी सांसें लें.

* जब भी वीर्य निकलने का समय हो, अपने साथी को लंबी सांसें लेने को कहें. इस से धड़कनों की रफ्तार कम होगी और वीर्य जल्दी नहीं निकलेगा.

* सैक्स के पहले इस प्रक्रिया के बारे में उसे अच्छे से समझाएं.

* ‘निचोड़ने की विधि’ के तहत अपने साथी के अंग को नीचे से जोर से दबाएं. ऐसा तब करें, जब आप के साथी का वीर्य निकलने वाला हो. इस से उस के अंग का इरैक्शन कम होगा और वीर्य नहीं निकलेगा.

* जल्द वीर्य को गिरने से रोकने के लिए स्टौप एंड स्टार्ट विधि अपनाएं. इस के तहत अपने साथी को 3 से 4 बार हस्तमैथुन करने के लिए कहें, जिस में वीर्य निकलने के समय पर उस का रुकना जरूरी है. इस से उसे पता चलेगा कि किस समय इजैकुलेशन होता है और वह इस पर अच्छे से काबू भी कर सकता है.

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शीघ्रपतन और दवाएं

ऐसा नहीं है कि शीघ्रपतन होने से हर किसी के मन में तनाव की भावना पैदा हो जाती है. कुछ लोग इसे ले कर ज्यादा नहीं सोचते और इस का हल अपने तरीके से निकालते हैं. लेकिन अगर आप को लगता है कि इस से आप के मजे में कमी आ रही है, तो आप जोलोफ्ट, प्रोजाक जैसी दवाओं का सेवन कर सकते हैं. ये दवाएं शीघ्रपतन रोकने में आप की मदद करती हैं व आप का साथी बिस्तर पर आने से कई घंटे पहले भी इन दवाओं का सेवन कर सकता है.

एक बार इस दवा का सेवन कर लेने पर जब आप दोनों अच्छा वक्त बिताना शुरू कर रहे हों, तो उस समय मर्द की कामुकता में इजाफा होगा. इस से न सिर्फ वीर्य निकलने से रुकेगा, बल्कि पहले के मुकाबले आप के सैक्स संबंध भी बेहतर होंगे.

इन दवाओं के सेवन के लिए बेहतर यही होगा कि आप किसी माहिर सैक्स डाक्टर से सलाह लें.

इस के अलावा जोश रोकने के लिए अंग पर लोकल एनैस्थैटिक क्रीम या स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अंग में जोश में कमी आने से वीर्य गिरने में देरी आएगी. कुछ मर्दों में कंडोम का इस्तेमाल भी इसी तरह जोश घटाने में मददगार होता है.

आमतौर पर आदमी वीर्य गिरने को कंट्रोल करना सीख लेते हैं. इस बारे में जानकारी हासिल करना और कुछ आसान उपायों को अपनाने से हालात पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक शीघ्रपतन की समस्या का जारी रखना आदमी में डिप्रैशन या एंग्जाइटी की वजह से हो सकता है. किसी मनोवैज्ञानिक से मिल कर इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है.

(लेखक दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सीनियर कंसल्टैंट हैं)

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

न करें हनीमून पर ये मिस्टेक्स

शादी तय होते ही विवेक हनीमून की कल्पना की ऊंची उड़ान भरने लगा. मन ही मन कई तरह के प्लान बनाने लगा. वह दिन भी आ गया जब वह अपनी पत्नी को ले कर हनीमून के लिए चला गया. मगर दोनों जल्द ही घर लौट आए. ऐसी क्या बात हुई कि दोनों अपने बनाए प्रोग्राम के पहले ही घर लौट आए? असल में हनीमून के दौरान विवेक से कुछ मिसटेक हो गई, जिस की वजह से हनीमून का मजा ही खराब हो गया. शादी तय होते ही लोग हनीमून के सपने देखने लगते हैं, लेकिन हनीमून के दौरान वे कुछ मिसटेक्स कर देते हैं, जिन की वजह से हनीमून का भरपूर मजा नहीं ले पाते हैं. हनीमून के दौरान कुछ जरूरी बातों पर ध्यान रख कर गलतियों से बच सकते हैं. मसलन:

कहां जाना है मिल कर करें फैसला:

हनीमून पर दो जनों को जाना होता है. इसलिए इस का फैसला एक जना न करे, कहीं ऐसा न हो आप जिस जगह पर हनीमून के लिए गए हैं, वह जगह आप के पार्टनर को पसंद न हो. मौसम के अनुसार आरामदायक, खुशनुमा व सुकून वाली जगह चुनें. पहले बजट बनाएं: हनीमून पर जाने से पहले बजट बना लें ताकि बाद में आप को परेशानी का सामना न करना पड़े, दिखावे के चक्कर में विदेश जाने या हाईफाई जगह रुकने का प्लान न बनाएं. अपनी हैसियत से अधिक बजट आप के हनीमून में बाधा डाल सकता है. अपने बजट में बनाया गया हनीमून टूअर ही हनीमून का सही आनंद देगा.

ऐडवैंचर टूअर न बनाएं:

अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर न बनाएं. कई जोड़े अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर बना लेते हैं. वे स्वयं को इतना थका लेते हैं कि बिस्तर पर जाते ही नींद के आगोश में चले जाते हैं, जिस से हनीमून का सारा मजा किरकिरा हो जाता है. फालतू बातें न करें: घूमते वक्त फालतू बातें न करें. कहीं किसी गार्डन या शांत जगह बैठ कर रोमांटिक बातें करें या आंखोंआंखों में बातें करें.

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दूसरे कपल्स को न घूरें:

देखा गया है कि अनेक लड़के हनीमून टूअर पर दूसरे कपल्स को खासकर लड़कियों कोे घूरते नजर आते हैं. असल में लड़कों की फितरत होती है लड़कियों पर नजर डालने की, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि वे बैचलर लाइफ से मैरिज लाइफ में ऐंट्री कर चुके हैं. ऐसे में जीवनसंगिनी को आप की यह आदत खटक सकती है.

मोबाइल रखें बंद:

आजकल अधिकतर लोग मोबाइल कौल, नैट या गेम पर बिजी रहते हैं. मोबाइल पर बिजी होने पर एकदूसरे पर से ध्यान हट जाता है. हनीमून के दौरान मोबाइल को पूरी तरह बंद रखें. जब घर वालों से बात करनी हो उस वक्त थोड़े समय के लिए चालू कर लें.

शूट न करें:

कुछ जोड़े इतने ऐक्साइट रहते हैं कि अपनी फर्स्ट नाइट के क्रियाकलापों को शूट कर लेते हैं. रोमांच के इन पलों को शूट करना अच्छी बात नहीं है. पिछले दिनों इंदौर का एक जोड़ा मुंबई हनीमून के लिए गया था. उन्होंने अपनी फर्स्ट नाइट की लाइव शूटिंग करनी शुरू की. उन का फोन औटो मोड पर था. ऐसे में उन की पूरी शूटिंग औनलाइन हो गई. उन के जितने फ्रैंड्स औनलाइन थे, उन्होंने इस का मजा लिया. किसी समझदार दोस्त ने उन्हें फोन कर के इस बारे में जानकारी दी तो दोनों शर्म से पानीपानी हो गए.

टीवी बंद रखें:

मोबाइल के बाद ज्यादातर लोगों को टीवी देखने का शौक होता है. हनीमून के दौरान टीवी देख कर अपने रोमांटिक पलों को कम न करें. कमरे में आने के बाद सब से पहले रिमोट कहीं छिपा दें ताकि दूसरे को टीवी चलाने का मौका न मिले.

लाइट म्यूजिक सुनें:

रोमांटिक होने के लिए गाना सुनना तो ठीक है पर उन हसीन पलों में गाना सुनना ठीक नहीं है. ऐसे मौके पर गाने सुनने से ध्यान बंट जाता है और सैक्स का मजा खराब हो जाता है. उस दौरान मदहोश कर देने वाला लाइट म्यूजिक ठीक रहेगा.

सैक्स में ही न डूबे रहें:

हनीमून की मस्ती में डूबे रहना तो अच्छी बात है पर हर वक्त सैक्स में डूबे रहना अच्छी बात नहीं है शादी के बाद सैक्स ऐंजौय का साधन जरूर है, पर इस के लिए सारी जिंदगी भी तो पड़ी है, मजा लें पर लिमिट में. तब इस का आनंद कुछ और ही होगा. पास्ट में न झांकें: विवेक और प्रतिमा हनीमून पर गए थे. रोमांच और मौजमस्ती के दौरान विवेक अपनी पत्नी के पास्ट में झांकने की कोशिश करने लगा. उस ने प्रतिमा से पूछा उस के कितने बौयफ्रैंड हैं? उन के साथ कभी बैड भी शेयर किया क्या? विवेक की बातें सुन कर उस के दिल को बड़ा धक्का लगा. उस का सारा उत्साह रफूचक्कर हो गया.

विवेक ने जब महसूस किया कि प्रतिभा उस की बात का बुरा मान गई है तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस ने प्रतिभा से माफी मांगते हुए कहा कि यह सब तो उस ने मजाक में कहा था. लेकिन प्रतिभा के दिल को गहरी चोट लगी थी. वर्षों गुजर जाने के बाद भी वह इस बात को भुला नहीं पाई. इसलिए ऐसी बातें जीवनसाथी से न करें, जिन से लाइफ टाइम आप को पछताना पड़े.

जल्दबाजी न करें:

बैड पर सैक्स ऐक्ट के समय जल्दबाजी में न रहें. आप ने सुना होगा, जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. फिर आप शैतान का काम क्यों करना चाहेंगे? बडे़ इत्मीनान से सैक्स का भरपूर आनंद लें.

सहज रहें:

इस बात से न डरें कि आगे कुछ गड़बड़ न हो जाए. डर और घबराहट की वजह से किसी प्रकार की प्रौब्लम हो सकती है. अत: बिलकुल सहज रहें. कई लड़कियां अपनेआप को शर्मीली या एकदम से बिंदास दिखाने की कोशिश करती हैं. ये दोनों ही बातें ठीक नहीं हैं. आप जीवनसाथी के सामने वैसे ही रहने की कोशिश करें जैसी आप हैं.

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नखरे न करें:

सैक्स के वक्त पति के सामने ज्यादा नखरे दिखाने की कोशिश करना ठीक नहीं है. इस से पति नाराज हो सकता है. शरमाना, इठलाना, नखरे दिखाना स्त्री के गुण हो सकते हैं, पर ऐन मौके पर नखरे दिखाने पर पति का मूड बिगड़ सकता है. अत: ऐसे मौके पर पति को भरपूर सहयोग दें.

ऐक्सपैरिमैंट न करें:

हनीमून के दौरान सैक्स संबंध को ले कर ज्यादा ऐक्सपैरिमैंट न करें. कुछ लोग दोस्तों द्वारा बताए गए टिप्स, सस्ती किताबों या वैबसाइट पर दी गई ऊलजलूल टिप्स आजमाने लगते हैं. उन बेतुके टिप्स की वजह से जीवनसाथी को परेशानी हो सकती है.

जबलपुर के एक होटल में हनीमून के दौरान एक युवक अपनी नवविवाहिता को दोनों पैरों से बांध कर उलटा लटका कर सैक्स करने की कोशिश करने लगा. किसी दोस्त ने उसे बताया था कि इस तरह से पहली बार सैक्स करने पर मजा कुछ और ही आता है. इस लटकी नवविवाहिता की सांस ऊपरनीचे होने लगी. वह तो अच्छा हुआ, युवक ने नवविवाहिता की हालत देख कर जल्दी उतार दिया. इतने में नवविवाहिता बेहोश हो गई. उस ने जल्दी से डाक्टर बुला कर सारी बात सहीसही बता दी. डाक्टर ने चैक कर के बताया, दिमाग में रक्तसंचार बढ़ जाने से वह बेहोश हो गई है. थोड़ी देर और लटकी रहती तो उस की जान भी जा सकती थी.

अच्छी तरह देख लें:

होटल कितना ही महंगा क्यों न हो, पूरे कमरे को अच्छी तरह जरूर चैक कर लें. बाथरूम, बैडरूम, आलमारी, ट्यब लाइट, स्विचबोर्ड, पंखा आदि जगहों को चैक करें. चेक करने का आसान उपाय है कि इन के पास मोबाइल ले जाएं. यदि कहीं कैमरा लगा होगा तो मोबाइल का नैटवर्क गायब हो जाएगा.

कैमरा लगा होने का पता करने के लिए दूसरा उपाय है उस रूम की सारी लाइटें बंद कर दें. फिर अपने स्मार्ट फोन का कैमरा औन करें. लेकिन फ्लैश औफ कर दें. फिर कैमरे में देखें कि कोई लाल रंग के डौट्स तो नहीं दिख रहे हैं. दिखें तो समझ जाएं कि हिडन कैमरा लगा है. इस बात का ध्यान रखें, हनीमून के लिए किसी अच्छे होटल का ही चुनाव करें. कम रेट वाले होटलों में स्पाई कैमरे लगे रहने के चांस अधिक होते हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन कम मिलता है. ऐसे में वे अलग से कुछ कमाने के चक्कर में ऐसी हरकतें कर सकते हैं.

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औफिस की चिंता:

हनीमून के दिनों में आप अपना औफिस साथ न ले जाएं. ऐसे में पूरा ध्यान नईनवेली दुलहन के बजाय औफिस या अपने बिजनैस पर रहता है. ऐसे में हनीमून का सारा मजा खराब हो जाता है. फोन अटैंड करना, मेल चैक करना, फोन कर के कर्मचारियों को निर्देश देना जैसी बातें आप की पार्टनर को डिस्टर्ब करती हैं. हनीमून के दौरान सारी बातें भूल कर अपना फोकस जीवनसाथी पर करें.

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