शादी के 8 साल बाद मां बनीं Kratika Sengar, शेयर किया बेटी का नाम

टीवी सीरियल ‘कसम तेरे प्यार की’ (Kasam Tere Pyaar Ki) और ‘छोटी सरदारनी’ (Choti Sarrdaarni) जैसे सीरियल्स में काम कर चुकी एक्ट्रेस कृतिका सेंगर (Kratika Sengar) ने हाल ही में अपने मैटरनिटी फोटोशूट की झलक दिखाई थी, जिसके बाद वह अपने बेबी के होने का इंतजार करते दिखीं थीं. वहीं अब उनका ये इंतजार खत्म हो गया है और वह बेटी की मां  (Kratika Sengar Daughter) बन गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

8 साल बाद पैरंट्स बने निकितन धीर और कृतिका सेंगर

 

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बीते दिन एक्ट्रेस कृतिका सेंगर और एक्टर निकितन धीर (Nikitin Dheer) ने अपनी बेटी होने की खबर को फैंस के साथ शेयर किया है. शेयर की गई फोटो में कपल ने लिखा है कि 12 मई 2022 को उनके घर बेबी गर्ल आई है. वहीं इस पोस्ट में ही उन्होंने बेटी का नाम देविका धीर बताया है. कपल के इस पोस्ट पर सेलेब्स और फैंस प्यार बरसा रहे हैं.

चर्चा में रहा मैटरनिटी फोटोशूट

 

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बीते दिनों एक्ट्रेस कृतिका सेंगर ने पति निकितन धीर के साथ मैटरनिटी फोटोशूट की झलक फैंस को दिखाई थी, जिसमें शादी के 8 साल बाद पेरेंट्स बनने की खुशी साफ झलक रही थी. दरअसल, 3 सितंबर 2014 को शादी करने वाले कृतिका और निकितन की शादी के बाद ये पहली प्रैग्नेंसी है. वहीं इस खुशी को शेयर करते हुए एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने बताया कि प्रैग्नेंसी की खबर के बाद से ही उनके घर में जश्न का माहौल है.

 

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बता दें, एक्ट्रेस कृतिका सेंगर जहां टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक हैं तो वहीं बौलीवुड एक्टर निकितन धीर कई हिट फिल्मों का हिस्सा रह चुकी हैं, जिनमें चेन्नई एक्सप्रेस, दबंग और अंतिंम जैसी फिल्मों के नाम शामिल है. वहीं एक्ट्रेस की बात करें तो वह साल 2018 से किसी टीवी सीरियल का हिस्सा नहीं रही हैं.

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Chhavi Mittal ने कैंसर सर्जरी के बाद दिखाया निशान, बयां किया दर्द

बीते दिनों टीवी एक्ट्रेस छवि मित्तल (Chhavi Mittal) ने अपने ब्रैस्ट कैंसर से जूझने की बात फैंस के साथ शेयर की थी और इससे जुड़ा अपने दर्द को फैंस के साथ बयां किया. वहीं अब एक्ट्रेस ने अपनी हाल ही में हुई ब्रैस्ट कैंसर की सर्जरी (Chhavi Mittal Breast Surgery) का निशान फैंस के साथ शेयर किया है, जिस पर फैंस अपना रिएक्शन दे रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

सर्जरी का निशान किया शेयर

 

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41 साल की उम्र में ब्रैस्ट कैंसर का दर्द झेल रहीं छवि मित्तल ने हाल ही में अपने औफिशियल इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें वह अपनी सर्जरी के बाद के निशान की फोटो के साथ अपनी आपबीती फैंस के साथ बयां कर रही हैं. एक्ट्रेस ने मैंने जो सहा है वह कल्पना से परे है. आज मैं जिम गई. जहां मैं अपना दाहिने हाथ का इस्तेमाल नहीं कर पा रही थी और ना ही तमाम कोशिशों के बावजूद वजन उठा पा रही थी. मैं पहले स्क्वैट्स, लंग्स, बल्गेरियाई स्प्लिट स्क्वैट्स, सिंगल लेग स्क्वैट्स और सूमो स्क्वैट्स करती थी. हालांकि ये मेरे पास शिकायत करने का कोई कारण नहीं है. लेकिन मैं तो अपनी बगल के सर्जरी निशान का भी कुछ नहीं कर सकती हूं. मेरी डॉक्टर मुझ पर गर्व करती हैं और मैं खुद भी.

 

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मेंटली मजबूत होने की कही बात

 

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एक्ट्रेस ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, मेरा मानना है कि मेंटली मजबूत हुए बिना आप फिजिकली मजबूत नहीं हो सकते. इसलिए मैं आज यह कदम उठाने से घबरा रही थी, मैंने खुद को अपनी मेंटली स्ट्रौंग होने का सोचा क्योंकि आप अपने दिमाग का इस्तेमाल किए बिना सचेत नहीं हो सकते, है ना? इसी के साथ एक्ट्रेस के दर्द को फैंस भी समझ रहे हैं और उन्हें हिम्मत रखने की बात कर रहे हैं.

बता दें, एक्ट्रेस छवि मित्तल पहली सेलेब्रिटी नहीं हैं, जिन्होंने कैंसर का दर्द झेला हैं. एक्ट्रेस से पहले आयुष्मान खुराना की वाइफ और एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे भी कैंसर का दर्द झेल चुके हैं, जिसके बाद वह अपनी जिंदगी की नई शुरुआत भी कर चुके हैं.

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बच्चों में डालें बचत की आदत

पटना की रहने वाली शालिनी इस बात को ले कर अकसर टैंशन में रहती हैं कि नोएडा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा उन का बेटा दिलीप हर महीने जरूरत से ज्यादा रुपए खर्च कर देता है. उस के कालेज, होस्टल और मैस की पूरे सालभर की फीस तो एक बार ही जमा कर दी जाती है. इस के बाद भी मोबाइल रिचार्ज कराने, इंटरनैट पैक डलवाने, होटलों में खाने, पिक्चर देखने और डिजाइनर कपड़े आदि खरीदने में वह 8-10 हजार रुपए अलग से खर्चकर देता है. वे बेटे के बैंक अकाउंट में इतने रुपए रख देती हैं कि वक्तबेवक्त उस के काम आ सके, लेकिन वह सारे रुपए निकाल कर अंटशंट कामों में खर्च कर डालता है. उन्होंने कई बार अपने बेटे को फुजूलखर्च बंद करने के बारे में समझाया. कई दफे शालिनी के पति ने भी बेटे को डांटफटकार लगाई, पर वह अपनी फुजूलखर्ची की आदत से बाज नहीं आ रहा है.

रांची हाईकोर्ट के वकील अभय सिन्हा इस बात को ले कर काफी परेशान रहते हैं कि शहर के ही एक मशहूर स्कूल में पढ़ रही उन की बेटी की फरमाइशों का कोई अंत नहीं है. एक फरमाइश पूरी होते ही उस की दूसरी डिमांड सामने आ जाती है. इस बारे में उन्होंने कई बार अपनी बिटिया को समझाया कि उन की आमदनी का बड़ा हिस्सा उस की स्कूल फीस और ट्यूशन फीस पर खर्च हो जाता है, इसलिए वह सोचसमझ कर ही रुपए खर्च किया करे.

उन के लाख समझाने के बावजूद वह कुछ समझने के लिए तैयार नहीं है. उस की फरमाइशों की वजह से कई बार अभय मुश्किलों में घिर चुके हैं और उस से निबटने के लिए कई बार उन्हें दोस्तों से उधार मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा.

माता पिता की परेशानी

अकसर पेरैंट्स इस बात को ले कर परेशान रहते हैं कि वे अपने बच्चों के बढ़ते जेबखर्च पर कैसे काबू रखें. हर महीने जेबखर्च की निश्चित रकम देने के बाद भी बच्चे जबतब पैसे मांगते रहते हैं. कभी बाइक मरम्मत के लिए तो कभी पैट्रोल के लिए, कभी मोबाइल फोन रिचार्ज कराने के लिए. कभी फ्रैंड्स के बर्थडे पर गिफ्ट देने के लिए तो कभी सैरसपाटे के लिए. पौकेटमनी को वे 8-10 दिनों में ही खर्च कर डालते हैं और महीने के बाकी दिनों के लिए पेरैंट्स को परेशान करते रहते हैं.

पेरैंट्स चाहते हैं कि उन के बच्चे जेबखर्च के लिए मिले पैसे पूरे महीने चलाएं और उस में से कुछ बचा कर जमा करने की आदत भी डालें, लेकिन ज्यादातर घरों में ऐसा हो नहीं पाता है.

रवि की मम्मी सीमा इस बात को ले कर बहुत चिंतित रहती थीं कि उस का बेटा पौकेटमनी को 10-12 दिनों में ही खत्म कर देता है और हमेशा कुछ न कुछ पैसे की डिमांड करता रहता है. दोस्तों के साथ फास्टफूड आदि खा कर और कभी पैंट, शर्ट, जूता, जैकेट आदि खरीद कर पौकेटमनी को तुरंत खर्च कर डालता है. पौकेटमनी से बचत की बात तो दूर, जरूरत से ज्यादा अंटशंट खर्च करने की आदत से सीमा की चिंता बढ़ती जा रही है. ऊपर से उन्हें पति की फटकार भी सुननी पड़ती है कि वे रवि को रोज पैसे दे कर बिगाड़ रही हैं.

फुजूलखर्ची पर लगाम जरूरी

बच्चों की फुजूलखर्ची और उन में बचत की आदत नहीं पैदा होने की समस्या से ज्यादातर मातापिता जूझते हैं. चार्टर्ड अकाउंटैंट श्यामबाबू शर्मा कहते हैं कि पेरैंट्स को बच्चों के बढ़ते जेबखर्च और फुजूलखर्च के अंतर को समझना पड़ेगा. बच्चों की बढ़ती आयु के साथ उन की जरूरतें भी बढ़ने लगती हैं. आज के जमाने में बाइक के लिए पैट्रोल, मोबाइल फोन, किताबें, कौपियां, इंटरनैट, सैरसपाटा, पहनावा आदि पर होने वाले खर्च को फुजूलखर्ची नहीं कह सकते. हां, इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि इन सब पर होने वाला खर्च हद से ज्यादा न हो. पार्टी, मौजमस्ती, घूमनेफिरने और पहनावे पर किए जाने वाले खर्च पर लगाम लगाने की बहुत जरूरत है. पढ़ाई छोड़ कर बच्चे दोस्ती, मटरगश्ती और फैशन की रंगीनियों में बहकें नहीं, इन सब चीजों पर अगर बच्चे ज्यादा खर्च कर रहे हों तो मातापिता को सतर्क हो जाना चाहिए.

बिहार सरकार में कभी अफसर रहे जितेंद्र सहाय कहते हैं कि अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को शुरू से ही बचत की आदत डालें, क्योंकि बचत की आदत उन की आगे की जिंदगी को आसान बना सकती है. बच्चों की आयु बढ़ने के बाद उन में बचत के प्रति समझ पैदा करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. वे बताते हैं कि नौकरी के सिलसिले में वे अकसर पटना से बाहर रहते थे. उन्होंने अपने चारों बच्चों के अकाउंट पास के बैंक में खुलवा दिए. हर महीने उन में बच्चों की जेबखर्च की रकम डाल देते हैं. जरूरत पड़ने पर बच्चे बैंक से ही पैसे निकाल कर अपना काम कर लेते हैं. इस से जहां उन के खर्च पर नियंत्रण लग सका, वहीं बच्चों में बचत की आदत भी डैवलप होती गई.

जरूरी खर्च क्या, क्यों, कब और कितना जरूरी है और फुजूलखर्च का क्या मतलब है व उस से क्याक्या नुकसान हैं? यह हर मातापिता को चाहिए कि अपने बच्चों को समझाएं. बच्चों को पैसे दे कर उस के बाद उन के द्वारा फुजूलखर्च करने पर डांटने और पीटने का कोई औचित्य ही नहीं है. आप ने पैसे दिए तभी तो बच्चे ने खर्च किए. उस के बाद हंगामा या मारपीट करने का क्या औचित्य?

स्कूल टीचर रजनी माथुर कहती हैं कि बच्चों को छोटी आयु से ही फुजूलखर्ची से होने वाले नुकसानों और बचत से होने वाले फायदों का पाठ पढ़ाना बहुत जरूरी है. बच्चे मन से चाहेंगे, तभी उन से कुछ बेहतर करवाया जा सकता है. समय गंवाने के बाद फटकार और मारपीट से न उन की फुजूलखर्ची पर नकेल कसी जा सकती है और न ही उन में बचत करने की आदत डाली जा सकती है.

बच्चों में समझ पैदा करें

अकसर यह देखनेसुनने में आता है कि कई पेरैंट्स इन सब के लिए बच्चों की पिटाई कर देते हैं. ऐसा कर के वे अपने बच्चों में खुद के प्रति नफरत और गुस्से की भावना ही पैदा कर लेते हैं जिस का बुरा असर बच्चों और पेरैंट्स दोनों पर पड़ता है. इसलिए समय रहते बच्चों में खर्च और फुजूलखर्च की समझ पैदा करें वरना बाद की हरकतें फुजूल ही साबित होती हैं. कई बार पैरेंट्स बच्चों की गैरजरूरी मांगें पूरी करते रहते हैं, जो गलत है.

आप खुद जानते हैं कि लचीले पेड़ को अपने हिसाब से मोड़ सकते हैं, तने के कठोर हो जाने के बाद उसे मोड़ने की कोशिशें बेवकूफी ही कहलाती हैं.

Anupama में एंट्री करेंगी ये दो हसीनाएं! फैशन के मामले में देंगी कड़ी टक्कर

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों शादी का धमाल देखने को मिल रहा है. जहां अनुपमा और अनुज की जल्द ही हल्दी होने वाली है तो वहीं तोषू और समर मिलकर बा और वनराज को शादी में न्योता देते हुए नजर आने वाले हैं. इसी बीच खबर है कि सीरियल में दो नई एंट्री होने वाली हैं. हालांकि अभी इस खबर पर कोई औफिशियल अनाउंसमेंट नहीं आई हैं. लेकिन हम आपको उन दो नई हसीनाओं के लुक्स दिखाने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

समर संग रोमांस कर सकती है ये एक्ट्रेस

बीते दिनों नंदिनी यानी अनघा भोसले के टीवी इंडस्ट्री छोड़ने से समर के लव लाइफ का ट्रैक खत्म हो गया था. लेकिन अब ‘धड़कन जिंदगी की’ की एक्ट्रेस अल्मा हुसैन (Alma Hussein) सीरियल में समर के साथ रोमांस करती हुई नजर आ सकती हैं. हालांकि मेकर्स ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन अगर एक्ट्रेस के इंस्टाग्राम अकाउंट को देखें तो वह अनुपमा का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. इंडियन हो या वेस्टर्न हर लुक में अल्मा बेहद खूबसूरत लगती हैं. फैंस उनके हर लुक्स पर जान छिड़कते हैं.

अनुपमा टीम को देंगी टक्कर

समर की जिंदगी में नई हसीना के अलावा अनुपमा की जिंदगी में भी नई एक्ट्रेस की एंट्री हो सकती है. दरअसल, बीते दिनों खबरे हैं कि कुमकुम भाग्य एक्ट्रेस अश्लेशा सावंत भी सीरियल में एंट्री कर सकती हैं. हालांकि अभी कोई औफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है. लेकिन फैंस उनकी एंट्री का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं सोशलमीडिया पर एक्ट्रेस के नए-नए लुक्स वायरल हो रहे हैं. फैशन के मामले में एक्ट्रेस अश्लेशा, सीरियल अनुपमा की हसीनाओं को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आने वाली हैं.


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Travel Special: चलिए टॉय ट्रेन के मजेदार सफर पर

खूबसूरत वादियों में कभी घने जंगल, तो कभी टनल और चाय के बगानों के बीच से होकर गुजरती टॉय ट्रेन की यात्रा आज भी लोगों को खूब रोमांचित करती है. अगर आप फैमिली के साथ किसी ऐसी ही यात्रा पर निकलने का प्लान बना रहे हैं, तो विश्व धरोहर में शामिल शिमला, ऊटी, माथेरन, दार्जिलिंग के टॉय ट्रेन से बेहतर और क्या हो सकता है?

कालका-शिमला टॉय ट्रेन

हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वैली हमेशा से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती रही है. लेकिन कालका-शिमला टॉय ट्रेन की बात ही कुछ और है. इसे वर्ष 2008 में यूनेस्को ने वल्र्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया था. कालका शिमला रेल का सफर 9 नवंबर, 1903 को शुरू हुआ था. कालका के बाद ट्रेन शिवालिक की पहाड़ियों के घुमावदार रास्तों से होते हुए करीब 2076 मीटर की ऊंचाई पर स्थित खूबसूरत हिल स्टेशन शिमला पहुंचती है. यह दो फीट छह इंच की नैरो गेज लेन पर चलती है.

इस रेल मार्ग में 103 सुरंगें और 861 पुल बने हुए हैं. इस मार्ग पर करीब 919 घुमाव आते हैं. कुछ मोड़ तो काफी तीखे हैं, जहां ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है. शिमला रेलवे स्टेशन की बात करें, तो छोटा, लेकिन सुंदर स्टेशन है. यहां प्लेटफॉर्म सीधे न होकर थोड़ा घूमा हुआ है. यहां से एक तरफ शिमला शहर और दूसरी तरफ घाटियों और पहाड़ियों के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं.

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (टॉय ट्रेन) को यूनेस्को ने दिसंबर 1999 में वल्र्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया था. यह न्यू जलापाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच चलती है. इसके बीच की दूरी करीब 78 किलोमीटर है. इन दोनों स्टेशनों के बीच करीब 13 स्टेशन हैं. यह पूरा सफर करीब आठ घंटे का है, लेकिन इस आठ घंटे के रोमांचक सफर को आप ताउम्र नहीं भूल पाएंगे. ट्रेन से दिखने वाले नजारे बेहद लाजवाब होते हैं. वैसे, जब तक आपने इस ट्रेन की सवारी नहीं की, आपकी दार्जिलिंग की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी.

शहर के बीचों-बीच से गुजरती यह रेल गाड़ी लहराती हुई चाय बागानों के बीच से होकर हरियाली से भरे जंगलों को पार करती हुई, पहाड़ों में बसे छोटे -छोटे गांवों से होती हुई आगे बढ़ती है. इसकी रफ्तार भी काफी कम होती है. अधिकतम रफ्तार 20 किमी. प्रति घंटा है. आप चाहें, तो दौड़ कर भी ट्रेन पकड़ सकते हैं. इस रास्ते पर पड़ने वाले स्टेशन भी आपको अंग्रेजों के जमाने की याद ताजा कराते हैं.

दार्जिलिंग से थोड़ा पहले घुम स्टेशन है, जो भारत के सबसे ऊंचाई पर स्थित रेलवे स्टेशन है. यह करीब 7407 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से आगे चलकर बतासिया लूप आता है. यहां एक शहीद स्मारक है. यहां से पूरे दार्जिलिंग का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है. इसका निर्माण 1879 और 1881 के बीच किया गया था. पहाड़ों की रानी के रूप में मशहूर दार्जिलिंग में पर्यटकों के लिए काफी कुछ है. आप दार्जिलिंग और आसपास हैप्पी वैली टी एस्टेट, बॉटनिकल गार्डन, बतासिया लूप, वॉर मेमोरियल, केबल कार, गोंपा, हिमालियन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट म्यूजियम आदि देख सकते हैं.

नीलगिरि माउंटेन रेलवे

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की तरह नीलगिरि माउंटेन रेल भी एक वल्र्ड हेरिटेज साइट है. इसी टॉय ट्रेन पर मशूहर फिल्म ‘दिल से’ के ‘ चल छइयां-छइयां’ गाने की शूटिंग हुई थी. आपको जानकर थोड़ी हैरानी भी हो सकती है कि मेट्टुपालियम-ऊटी नीलगिरि पैसेंजर ट्रेन भारत में चलने वाली सबसे धीमी ट्रेन है. यह लगभग 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. कहीं-कहीं पर तो इसकी रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो जाती है. आप चाहें, तो आराम से नीचे उतर कर कुछ देर इधर-उधर टहलकर, वापस इसमें आकर बैठ सकते हैं. मेट्टुपालियम से ऊटी के बीच नीलगिरि माउंटेन ट्रेन की यात्रा का रोमांच ही कुछ और है. इस बीच में करीब 10 रेलवे स्टेशन आते हैं.

मेट्टुपालियम के बाद टॉय ट्रेन के सफर का अंतिम पड़ाव उदगमंदलम है. यह टॉय ट्रेन हिचकोले खाते हरे-भरे जंगलों के बीच से जब ऊटी पहुंचती है, तब आप 2200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंच चुके होते हैं. मेट्टुपालियम से उदगमंदलम यानी ऊटी तक का सफर करीब 46 किलोमीटर का है. यह सफर करीब पांच घंटे में पूरा होता है. अगर इतिहास की बात करें, तो वर्ष 1891 में मेट्टुपालियम से ऊटी को जोड़ने के लिए रेल लाइन बनाने का काम शुरू हुआ था. पहाड़ों को काट कर बनाए गए इस रेल मार्ग पर 1899 में मेट्टुपालियम से कन्नूर तक ट्रेन की शुरुआत हुई. जून 1908 इस मार्ग का विस्तार उदगमंदलम यानी ऊटी तक किया गया. देश की आजादी के बाद 1951 में यह रेल मार्ग दक्षिण रेलवे का हिस्सा बना. आज भी इस टॉय ट्रेन का सुहाना सफर जारी है.

नरेल-माथेरान टॉय ट्रेन

महाराष्ट्र में स्थित माथेरान छोटा, लेकिन अद्भुत हिल स्टेशन है. यह करीब 2650 फीट की ऊंचाई पर है. नरेल से माथेरान के बीच टॉय ट्रेन के जरिए हिल टॉप की जर्नी काफी रोमांचक होती है. इस रेल मार्ग पर करीब 121 छोटे-छोटे पुल और करीब 221 मोड़ आते हैं. इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेनों की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होती है. माथेरान करीब 803 मीटर की ऊंचाई पर इस मार्ग का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है. यह रेलवे की विरासत का एक अद्भुत नमूना है.

माथेरान रेल की शुरुआत 1907 में हुई थी. बारिश के मौसम में एहतियात के तौर पर इस रेल मार्ग को बंद कर दिया जाता है. पर मौसम ठीक रहने पर एक रेलगाड़ी चलाई जाती है. माथेरन का प्राकृतिक नजारा बॉलीवुड के निर्माताओं को हमेशा से आकर्षित करता रहा है.

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Summer Special: बिना कॉस्मेटिक्स के दिखें सुंदर

आपको मेकअप प्रोडक्टस का इस्तेमाल करना चाहिए, पर इनका ज्यादा इस्तेमाल करना अपनी त्वचा से खिलवाड़ करना है.

यदि आप अपनी त्वचा से कॉस्मेटिक्स नहीं हटाती हैं तो आपके रॉम छिद्र बंद हो जाते हैं और इससे कील-मुंहासे हो सकते हैं. इसके अलावा, इन प्रोडक्टस से आपकी त्वचा ओइली भी हो जाती है. बिना कॉस्मेटिक के सुंदर दिखने के भी कई तरीके हैं. अजी मेकअप प्रोडक्टस छोड़िए, हम बताते हैं बिना मेकअप के कैसे सुंदर दिखें.

1. अपने खान-पान पर ध्यान दें

कॉस्मेटिक्स आपको केवल बाहर से सुंदर बना सकते हैं अंदर से नहीं. इसलिए अपने अंदर से खूबसूरत बनाने के लिए संतुलित भोजन करना बहुत जरूरी है. उदाहरण के लिए ओइली खाने से कील-मुहासे निकलते हैं. इसलिए खाने से पहले ध्यान दें कि क्या फायदेमंद है और क्या नहीं.

2. अपने आपको हायड्रेटिड रखें

बिना मेकअप के सुंदर दिखने का यह सबसे अच्छा तरीका है. यदि आप रोजाना 6 से 8 गिलास पानी पीती हैं तो इससे आपके शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं और आप सुंदर दिखती हैं. अपने आपको अंदर से पोषण देने के लिए पानी, जूस आदि लें.

3. त्वचा की परत उतारना (एक्सफोलिएट)

त्वचा के ऊपर कॉस्मेटिक लगाने से यह काली हो जाती है और दाग भी दिखने लगते हैं. मृत कोशिकाओं और धूल-मिट्टी से कील, मुहासे और काले धब्बे होते हैं. इससे निजात पाने के लिए सप्ताह में एक बार त्वचा को एक्सफोलिएट जरूर करें. आप इसके लिए हर्बल प्रोडक्टस इस्तेमाल कर सकती हैं या नींबू, शुगर या ओट्स का घरेलू स्क्रब इस्तेमाल कर सकती हैं.

4. टोनर इस्तेमाल करें

यह भी एक अच्छा तरीका है. एक्सफोलिएशान के बाद त्वचा के रॉम छिद्र बड़े हो जाते हैं और इनमें धूल ज्यादा जाती है. इन रॉम छिद्रों को छोटा करने के लिए टोनर का इस्तेमाल करें. टोनर आपकी त्वचा को मुलायम करते हुये उसमें कसावट भी लाता है. नीम का पानी और गुलाब जल भी अच्छे टोनर हैं.

5. मोश्चुराइजर काम में लें

आजकल के वातावरण में मोश्चुराइजर सर्दियों के साथ ही अन्य मौसम में भी काम में लें. गर्मियों में लाइट मोश्चुराइजर काम में लें. ऐसा मोश्चुराइजर खरीदें जो आपकी त्वचा को ठीक तरह सूट करे. ड्राई स्किन पर झाइयाँ जल्दी होती हैं और उम्र का असर ज्यादा होता है. इसे नम व मुलायम बनाए रखने के लिए मोश्चुराइजर का इस्तेमाल करें.

6. फेस वॉश जरूर इस्तेमाल करें

आपके चेहरे से तेल और मिट्टी हटाने के लिए इसका रोजाना इस्तेमाल करें. ब्यूटीशियन दिन में दो बार फेसवॉश इस्तेमाल करने का सुझाव देते हैं. एक बार सुबह और एक बार सोने से पहले.

7. सन स्क्रीन भी अच्छा है

चाहे फाउंडेशन ना लगाएं लेकिन सन स्क्रीन जरूर लगाएँ. यह ना केवल सूर्य की पराबैंगनी (यूवी) किरणों से आपकी रक्षा करता है बल्कि धूप की जलन से भी बचाता है.

8. अपने बाल साफ रखें

यदि आपके बाल गंदे और ओइली हैं तो आपका चेहरा भी साफ और फ्रेश नहीं दिखेगा. इसलिए शैम्पू करके अपने बाल और खोपड़ी साफ रखें. अपने बालों के अनुसार सप्ताह में दो या तीन बार शैम्पू करें.

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Summer Special: मीठे में बनाएं पनीर जलेबी

अब तक आपने पनीर से एक से बढ़कर एक टेस्टी सब्जी बनाई होगी. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं पनीर से बनने वाली जलेबी जिसे खाकर आप तो खुश होंगे, आपके मेहमान भी आपकी तारीफ किए बिना रह नहीं पाएंगे. तीज-त्योहार ही नहीं, आम दिनों में भी आप इस मिठाई को घर पर बनाकर अपने परिवारवालों को खुश कर सकती हैं.

सामग्री

फुल क्रीम दूध डेढ़ लीटर

नींबू का रस डेढ़ चम्मच

मैदा- 1 चम्मच

बेकिंग पाउडर आधा छोटा चम्मच

नमक चुटकी भर

पानी- 3 कप

चीनी- 2 कप

घी- 2 कप

विधि

एक गहरे पैन में दूध लें और मध्यम आंच पर उसे गैस पर चढ़ाकर उबाल आने दें. जब दूध में उबाल आ जाए तो उसमें नींबू का रस डाल दें. नींबू का रस डालते ही दूध फटने लगेगा. जब दूध पूरी तरह से फट जाए तो उसे छान लें. उसका पानी हटा दें और पनीर को मलमल के कपड़े में रख लें.

इस कपड़े का मुंह बांधकर इसे 2 घंटे के लिए कहीं टांग दें ताकि उसका सारा पानी निकल जाए. अब इस पनीर में मैदा, बेकिंग पाउडर और नमक मिलाकर अच्छे से मिश्रण को मिला लें.

सारे मिश्रण को मिलाकर अच्छी तरह से गूंथ लें और करीब 20 मिनट के लिए फ्रिज में रख दें. गूंथे हुए मिश्रण को बाहर निकालें और उससे लंबी-लंबी रस्सी की तरह बनाकर जलेबी का शेप दें.

अब एक कढ़ाई में घी गर्म करें. जब घी अच्छी तरह से गर्म हो जाए तो उसमें जलेबी को डालें और अच्छी तरह से फ्राई कर लें.

इस बीच चीनी की चासनी तैयार करें. इसके लिए गहरे पैन में चीनी और पानी और इसे तब तक उबालें जब तक वह गाढ़ा न हो जाए. ध्यान रखें कि चासनी न ज्यादा गाढ़ी होनी चाहिए और न ज्यादा पतली.

जब चासनी तैयार हो जाए तो गैस बंद कर दें. चीनी की चासनी में पनीर जलेबी को करीब 2-3 घंटे के लिए डालकर छोड़ दें. अब गर्मा गर्म जलेबी सर्व करें.

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लम्हों ने खता की थी: भाग 2- क्या डिप्रैशन से निकल पाई रिया

‘देखो, मैं तो सिर्फ समय काटने के लिए महिला वैलफेयर सोसायटी में बच्चों को पढ़ाने का काम करती हूं. मैं कोई समाजसेविका नहीं हूं. मगर पाटनकर साहब के औफिस जाने के बाद 8 घंटे करूं क्या, इसलिए अगर तुम्हें कोई परेशानी न हो तो बच्ची को स्कूल से लौट कर तुम्हारे आने तक मेरे साथ रहने की परमिशन दे दो. मुझे और पाटनकर साहब को अच्छा लगेगा.’

‘मैडम, देखिए आया का इंतजाम…’ रिया ने फिर कहना चाहा तो उन्होंने बीच में टोक कर कहा, ‘आया को तुम रखे रहो, वह तुम्हारे और काम कर दिया करेगी.’ सब तरह के तर्कों से परास्त हो कर रिया चलने लगी तो उन्होंने कहा, ‘रिया, तुम सीधे औफिस से आ रही हो. तुम थकी होगी. मिस्टर पाटनकर भी आ गए हैं. चाय हमारे साथ पी कर जाना.’

‘जी, सर के साथ,’ रिया ने थोड़ा संकोच से कहा तो वे बोलीं, ‘सर होंगे तुम्हारे औफिस में. रिया, तुम मेरी बेटी जैसी हो. जाओ, बाथरूम में हाथमुंह धो लो.’

उस दिन से रिया की बेटी और उन में दादीपोती का जो रिश्ता कायम हुआ उस से वे मानो इस बच्ची की सचमुच ही दादी बन गईं. मगर जब कभी बच्ची उन से अपने पापा के बारे में प्रश्न करती, तो वे बेहद मुश्किल में पड़ जाती थीं. इंस्पैक्टर को यह संक्षिप्त कहानी सुना कर वे निबटी ही थीं कि डाक्टर आ कर बोले, ‘‘देखिए, बच्ची शरीर से कम मानसिक रूप से ज्यादा आहत है. इसलिए उसे किसी ऐसे अटैंडैंट की जरूरत है जिस से वह अपनापन महसूस करती हो.’’ स्थिति को देखते हुए मिसेज पाटनकर ने बच्ची की परिचर्या का भार संभाल लिया.

करीब 4-5 घंटे गुजर गए. बच्ची होश में आते ही, उसी तरह, ‘‘मुझे पापा को ढूंढ़ने जाना है, मुझे जाने दो न प्लीज,’’ की गुहार लगाती थी.

बच्ची की हालत स्थिर देखते हुए डाक्टर ने फिर कहा, ‘‘देखिए, मैं कह चुका हूं कि बच्ची शरीर की जगह मैंटली हर्ट ज्यादा है. हम ने अभी इसे नींद का इंजैक्शन दे दिया है. यह 3-4 घंटे सोई रह सकती है. मगर बच्ची की उम्र और हालत देखते हुए हम इसे ज्यादा सुलाए रखने का जोखिम नहीं ले सकते. बेहतर यह होगा कि बच्ची को होश में आने पर इस के पापा से मिलवा दिया जाए और इस समय अगर यह संभव न हो तो उन के बारे में कुछ संतोषजनक उत्तर दिया जाए. आप बच्ची की दादी हैं, आप समझ रही हैं न?’’

अब मिसेज पाटनकर ने डाक्टर को पूरी बात बताई तो वह बोला, ‘‘हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं मगर बच्ची के पापा के विषय में आप को ही बताना पड़ेगा.’’ बच्ची को मिसेज सान्याल को सुपुर्द कर मिसेज पाटनकर रिया के वार्ड में आ गईं. रिया को होश आ गया था. वह उन्हें देखते ही बोली, ‘‘मेरी बेटी कहां है, उसे क्या हुआ है, आप कुछ बताती क्यों नहीं हैं? इतना कहते हुए वह फिर बेहोश होने लगी तो मिसेज पाटनकर उस के सिरहाने बैठ गईं और बड़े प्यार से उस का माथा सहलाने लगीं.

उन के ममतापूर्ण स्पर्श से रिया को कुछ राहत मिली. उस की चेतना लौटी. वह कुछ बोलती, इस से पहले मिसेज पाटनकर उस से बोलीं, ‘‘रिया, बच्ची को कुछ नहीं हुआ. मगर वह शरीर से ज्यादा मानसिक रूप से आहत है. अब तुम ही उसे पूरी तरह ठीक होने में मदद कर सकती हो.’’ मिसेज पाटनकर बोलते हुए लगातार रिया का माथा सहला रही थीं. रिया ने इस का कोई प्रतिवाद नहीं किया तो उन्हें लगा कि वह उन से कहीं अंतस से जुड़ती जा रही है.

थोड़ी देर में वह क्षीण स्वर में बोली, ‘‘मैं क्या कर सकती हूं?’’

‘‘देखो रिया, बच्ची अपने पापा के बारे में जानना चाहती है. हम उसे गोलमोल जवाब दे कर या उसे डांट कर चुप करा कर उस के मन में संशय व संदेह की ग्रंथि को ही जन्म दे रहे हैं. इस से उस का बालमन विद्रोही हो रहा है. मैं मानती हूं कि वह अभी इतनी परिपक्व नहीं है कि उसे तुम सबकुछ बताओ, मगर तुम एक परिपक्व उम्र की लड़की हो. तुम खुद निर्णय कर लो कि उसे क्या बताना है, कितना बताना है, कैसे बताना है. मगर बच्ची के स्वास्थ्य के लिए, उस के हित के लिए उसे कुछ तो बताना ही है. यही डाक्टर कह रहे हैं,’’ इतना कहते हुए मिसेज पाटनकर ने बड़े स्नेह से रिया को देखा तो उन्हें लगा कि वह उन के साथ अंतस से जुड़ गई है.

रिया बड़े धीमे स्वर में बोली, ‘‘अगर मैं ही यह सब कर सकती तो उसे बता ही देती न. अब आप ही मेरी कुछ मदद कीजिए न, मिसेज पाटनकर.’’

‘‘तुम मुझे कुछ बताओगी तो मैं कुछ निर्णय कर पाऊंगी न,’’ मिसेज पाटनकर ने रिया का हाथ अपने हाथ में स्नेह से थाम कर कहा.

रिया ने एक बार उन की ओर बड़ी याचनाभरी दृष्टि से देखा, फिर बोली, ‘‘आज से 7 साल पहले की बात है. मैं एमबीए कर रही थी. हमारा परिवार आम मध्य परिवारों की तरह कुछ आधुनिकता और कुछ पुरातन आदर्शों की खिचड़ी की सभ्यता वाला था. मैं ने अपनी पढ़ाई मैरिट स्कौलरशिप के आधार पर पूरी की थी. इसलिए जब एमबीए करने के लिए बेंगलुरु जाना तय किया तो मातापिता विरोध नहीं कर सके. एमबीए के दूसरे साल में मेरी दोस्ती संजय से हुई. वह भी मध्यवर्ग परिवार से था. धीरेधीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई. मगर आज लगता है कि उसे प्यार कहना गलत था. वह तो 2 जवान विपरीत लिंगी व्यक्तियों का आपस में शारीरिक रूप से अच्छा लगना मात्र था, जिस के चलते हम एकदूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा रहना चाहते थे.

‘‘5-6 महीने बीत गए तो एक दिन संजय बोला, ‘रिया, हमतुम दोनों वयस्क हैं. शिक्षित हैं और एकदूसरे को पसंद करते हैं, काफी दिन से साथसाथ घूमतेफिरते और रहते हुए एकदूसरे को अच्छी तरह समझ भी चुके हैं. यह समय हमारे कैरियर के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है. इस में क्लासैज के बाद इस तरह रोमांस के लिए मिलनेजुलने में समय बिताना दरअसल समय का ही नहीं, कैरियर भी बरबाद करना है. अब हमतुम जब एकदूसरे से इतना घुलमिल गए हैं तो होस्टल छोड़ कर किसी किराए के मकान में एकसाथ मिल कर पतिपत्नी बन कर क्यों नहीं रह लेते. आखिर प्रोजैक्ट में भी किसी पार्टनर की जरूरत होगी.’

‘‘‘मगर एमबीए के बीच में शादी, वह भी बिना घर वालों को बताए, उन की रजामंदी के…’ मैं बोली तो संजय मेरी बात बीच में ही काट कर बोला था, ‘मैं बैंडबाजे के साथ शादी करने को नहीं, हम दोनों की सहमति से आधुनिक वयस्क युवकयुवती के एक कमरे में एक छत के नीचे लिव इन रिलेशनशिप के रिश्ते में रहने की बात कर रहा हूं. इस तरह हम पतिपत्नी की तरह ही रहेंगे, मगर इस में सात जन्म तो क्या इस जन्म में भी साथ निभाने के बंधन से दोनों ही आजाद रहेंगे.’

‘‘मैं संजय के कथन से एकदम चौंकी थी. तो संजय ने कहा था, ‘तुम और्थोडौक्स मिडिल क्लास की लड़कियों की यही तो प्रौब्लम है कि तुम चाहे कितनी भी पढ़लिख लो मगर मौडर्न और फौरवर्ड नहीं बन सकतीं. तुम्हें तो ग्रेजुएशन के बाद बीएड कर के किसी स्कूल में टीचर का जौब करना चाहिए था. एमबीए में ऐडमिशन ले कर अपना समय और इस सीट पर किसी दूसरे जीनियस का फ्यूचर क्यों बरबाद कर दिया.’

‘‘उस के इस भाषण पर भी मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं देख कर वह मानो समझाइश पर उतर आया, बोला, ‘अच्छा देखो, आमतौर पर मांबाप लड़की के लिए अच्छा सा लड़का, उस का घरपरिवार, कारोबार देख कर अपने तमाम सगेसंबंधी और तामझाम जोड़ कर 8-10 दिन का वक्त और 8-10 लाख रुपए खर्च कर के जो अरेंज्ड मैरिज नाम की शादी करते हैं क्या उन सभी शादियों में पतिपत्नी में जिंदगीभर निभा पाने और सफल रहने की गारंटी होती है? नहीं होती है न. मेरी मानो तो मांबाप का अब तक का जैसेतैसे जमा किया गया रुपया, उन के भविष्य में काम आने के लिए छोड़ो. देखो, यह लिव इन रिलेशनशिप दकियानूसी शादियों के विरुद्ध एक क्रांतिकारी परिवर्तन है.

हम जैसे पढ़ेलिखे एडवांस्ड यूथ का समर्थन मिलेगा तभी इसे सामाजिक स्वीकृति मिलेगी. अब किसी को तो आगे आना होगा, तो हम ही क्यों नहीं इस रिवोल्यूशनरी चेंज के पायोनियर बनें. सो, कमऔन, बी बोल्ड, मौडर्न ऐंड फौरवर्ड. कैरियर बन जाने पर और पूरी तरह सैटल्ड हो जाने पर हम अपनी शादी डिक्लेयर कर देंगे. सो, कमऔन. वरना मुझे तो मेरे कैरियर पर ध्यान देना है. मुझे अपने कैरियर पर ध्यान देने दो.’ ‘‘एक तो संजय से मुझे गहरा लगाव हो गया था, दूसरे, मुझे उस के कथन में एक चुनौती लगी थी, अपने विचारों, अपनी मान्यताओं और अपने व्यक्तित्व के विरुद्ध. इसलिए मैं ने उस का समर्थन करते हुए उस के साथ ही अपना होस्टल छोड़ दिया और हम किराए पर एक मकान ले कर रहने लगे. ‘‘मकानमालिक एक मारवाड़ी था जिसे हम ने अपना परिचय किसी प्रोजैक्ट पर साथसाथ काम करने वाले सहयोगियों की तरह दिया. वह क्या समझा और क्या नहीं, बस उस ने किराए के एडवांस के रुपए ले व मकान में रहने की शर्तें बता कर छुट्टी पाई.

‘‘धीरेधीरे 1 साल बीत चला था. इस बीच हम ने कई बार पतिपत्नी वाले शारीरिक संबंध बनाए थे. इन्हीं में पता नहीं कब और कैसे चूक हो गई कि मैं प्रैग्नैंट हो गई. ‘‘मैं ने संजय को यह खबर बड़े उत्साह से दी मगर वह सुन कर एकदम खीझ गया और बोला, ‘मैं तो समझ रहा था कि तुम पढ़ीलिखी समझदार लड़की हो. कुछ कंट्रासैप्टिव पिल्स वगैरह इस्तेमाल करती रही होगी. तुम तो आम अनपढ़ औरतों जैसी निकलीं. अब फटाफट किसी मैटरनिटी होम में जा कर एमटीपी करा डालो. बच्चे पैदा करने के लिए और मां बनने के लिए जिंदगी पड़ी है. अगले महीने कुछ मल्टीनैशनल कंपनी के प्रतिनिधि कैंपस सिलैक्शन के लिए आएंगे इसलिए एमटीपी इस सप्ताह करा लो.’

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बिजली कहीं गिरी असर कहीं और हुआ- भाग 2: कौन थी खुशबू

इस तरह के विचार मन में आने के बाद शारदा कोशिश करने के बाद भी खुशबू के प्रति अपने व्यवहार को सामान्य नहीं कर पा रही थीं. यह बात जैसे आहिस्ताआहिस्ता शारदा के मन में घर बना रही थी कि 7 वर्ष पहले शायद नर्सिंगहोम में उस के बच्चे को भी बदल कर किसी दूसरे को दे दिया गया. अगर ऐसा हुआ था तो उस ने अवश्य एक बेटे को ही जन्म दिया होगा.

मन में उठने वाले इन विचारों ने जैसे शारदा के जीवन का सारा सुखचैन ही छीन लिया.

अपने मन में चल रहे विचारों के मंथन को शारदा अपने पति रमाकांत से छिपा नहीं सकी थी. उन ने बोलीं कि मैं ने भी तो अपने तीसरे बच्चे को इसी नर्सिंगहोम में जन्म दिया था. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि औरों की तरह मैं ने भी कहीं धोखा ही खाया हो? खुशबू वास्तव में हमारी बच्ची न हो?’’

शारदा की बात सुन रमाकांत स्तब्ध रह गए, ‘‘उन्हें इस तरह की बातें नहीं सोचनी चाहिए. ऐसी बातों का अब कोई मतलब नहीं. 7 साल बीत चुके हैं. ऐसी बातें सोचने से हमारी ही परेशानी बढ़ेगी,’’ रमाकांत ने उन्हें सम झाने की कोशिश की.

‘‘मैं चाह कर भी इस शक को अपने मन से निकाल नहीं  सकती. क्या तुम्हें नहीं लगता कि 7 साल पहले हमारे साथ जो कुछ भी हुआ था अजीब हुआ था? अपने दिल पर जरा हाथ रख कर कहो मैं जो भी कह रही हूं गलत कह रही हूं? तुम कह सकते हो कि पंडित और ज्योतिषयों ठोंग करते हैं. उन की बातें  झूठी होती हैं. मगर क्या मशीनें भी  झूठ बोलती हैं? मैडिकल साइंस भी अंधी है?’’

‘‘तुम्हारी इन सारी बातों के मेरे पास जवाब नहीं शारदा, मगर मैं तुम से इतना ही पूछना चाहता हूं कि गड़े मुरदे को उखाड़ने से क्या फायदा होगा? मैं मानता हूं नर्सिंगहोम में बहुत से लोगों के साथ धोखा हुआ, मगर इस बात का कोई सुबूत हम लोगों के पास नहीं कि उन लोगों में हम शामिल थे ही. बेकार मन में वहम पालो कि खुशबू हमारी बेटी नहीं.’’

‘‘यह वहम नहीं, एक हकीकत हो सकती है,’’ शारदा ने शब्दों पर जोर देते हुए शारदा ने कहा.

‘‘मैं तुम्हारी बात मान भी लूं, तो इस हकीकत को साबित कौन करेगा? रमाकांत का लहजा तलख हो गया.

‘‘हमें पुलिस से संपर्क करना चाहिए.’’

‘‘क्या पुलिस इस बात का फैसला करेगी कि खुशबू हमारी बेटी है या नहीं?’’

‘‘तुम हमेशा मेरी बात का उलट मतलब निकालते हो, पुलिस सारे मामले की जांच कर रही है. वह इस मामलें में हमारी मदद कर सकती है,’’ शारदा ने कहा. उन के स्वर में बेसब्री थी.

‘‘तुम्हारे कहने का मतलब यह है कि हम अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारें. पुलिस के पास जाए और उस से कहें कि हमें शक है कि खुशबू हमारी बेटी नहीं, नर्सिंगहोम वालों ने बेइमानी  कर के हमारे बच्चे को भी बदल दिया था. जानती हो इस के बाद क्या होगा? पुलिस इस मामले में हमें जांच का आश्वासन देगी, मगर इस के साथ ही वह एक काम और भी करेगी और खुशबू को हम से छीन किसी अनाथालय में भेज देगी. वह तब तक उसी अनाथालय में रहेगी जब तक पुलिस की जांच पूरी नहीं हो जाती. इस के साथ ही अगर तुम्हारे शक के मुताबिक पुलिस की जांच में यह साबित हो जाए कि नर्सिंगहोम वालों ने हमारा बच्चा भी बदला था तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि खुशबू के बदले में हमें कोई दूसरा बच्चा मिल ही जाएगा. अगर तुम इन सब चीजों का सामना करने के लिए तैयार हो तो मैं पुलिस स्टेशन चलने को तैयार हूं,’’ रमाकांत ने पत्नी को गहरी नजरों से देखते हुए कहा.

इस पर शारदा मानो धर्मसंकट में पड़ती हुई नजर आईं. इस के बाद पुलिस के पास जाने की बात शारदा ने पति से नहीं की. हां पंडित रामकुमार तिवारी से जरूर जिक्र किया, पर पुलिस के पास जाने को उस ने भी मना किया.

बिना कुछ हासिल किए ही कोई चीज गंवाने का रिस्क उठाने की हिम्मत शारदा में नहीं थी. अपने शक के कारण पुलिस के पास जाने का खयाल तो शारदा ने फिलहाल मन से निकाल दिया, मगर इस से उस के मन में जैसे घर बना चुका वहम नहीं निकला कि  वह भी नर्सिंगहोम वालों के धोखे की शिकार है.

शारदा के मन के वहम ने मासूम खुशबू के जीवन को बहुत ही उदास बना डाला था. वह मम्मी में पहले वाला प्यार ढूंढ़ती नजर आती थी जो उसे नहीं मिलता था. मम्मी के व्यवहार की बेरुखी देख मासूम खुशबू यह भी नहीं सम झ पाती कि उस से गलती क्या हुई है?

रमाकांत खुशबू के पति शारदा के बदले व्यवहार से परेशान थे, पर समस्या के तत्काल समाधान का रास्ता नहीं सू झ रहा था.

सारी कशमकश के बीच एक नई बात कह कर शारदा ने रमाकांत के लिए एक नया सिरदर्द पैदा कर दिया.

डीएनए के माने वास्तव में क्या थे और वह क्या था यह तो शारदा को मालूम नहीं था, मगर पंडित रामकुमार तिवारी के कहने पर और टीवी पर खबरें सुनने से उन्हें इतना अवश्य मालूम था कि उन के टैस्ट से किसी भी बच्चे के असली मांबाप का पता लगाया जा सकता है.

शारदा ने रमाकांत से कहा, ‘‘पंडितजी कह रहे थे कि एक टैस्ट होना है जिस से किसी भी बच्चे के असली मांबाप के बारे में बिलकुल सही ढंग से जाना जा सकता है. मैं ने मोबाइल पर पढ़ा था, डीएनए या ऐसा ही कोई मिलताजुलता नाम था इस टैस्ट का. क्यों न हम भी अपना व खुशबू का टैस्ट करवा लें? उस से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. पंडितजी ने एक लैब का कार्ड भी दिया है कि वह उन की जानपहचान की है.

शारदा की बात सुन रमाकांत कुछ पलों के लिए तो हक्काबक्का रह गए.

वे नहीं जानते थे कि  खुशबू को ले कर शारदा की सोच इस हद तक चली गई है.

‘‘इस टैस्ट को क्या तुम ने कोई मजाक सम झा है? इस पर बहुत पैसा खर्च होगा,’’ रमाकांत ने शारदा को टालने की गरज से कहा.

‘‘चाहे जितना भी खर्च आए करो, मगर किसी तरह भी मु झे मेरी दिनरात की दिमागी तकलीफ से छुटकारा दिलाओ वरना यह मु झे मार डालेगी,’’ शारदा ने कहा.

शारदा की बात से रमाकांत को लगा कि मामला एक नाजुक शक्ल ले रहा है. खुशबू को ले कर लगातार अंदर से घुल रही शारदा का तनाव खतरनाक सीमा तक बढ़ गया है. अगर जल्दी शारदा को उस की वर्तमान मनोस्थिति से बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं खोजा गया तो इस के बुरे नतीजे सामने आ सकते हैं.

रमाकांत ने इस बारे में बहुत सोचा, बहुत मंथन किया. अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शारदा को उन की वर्तमान मनोस्थिति में से निकालने के लिए  झूठ का ही सहारा लेना पड़ेगा.

तभी रमाकांत को अपने बचपन के दोस्त सतीश धवन की याद आ गई, जो डाक्टर था.

सतीश धवन अपने क्लीनिक के साथसाथ एक लैब का भी मालिक था. रमाकांत ने डाक्टर सतीश धवन से मिल कर उसे अपनी सारी समस्या बताई. रामकुमार तिवारी के दिए गए लैब के कार्ड को भी दिखाया.

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Udaariyaan: तेजो का सच जानकर लगेगा फतेह को झटका, अमरीक की होगी मौत

सीरियल उड़ारियां (Udaariyaan) की शूटिंग इन दिनों लंदन में चल रही है. दरअसल, मेकर्स इन दिनों सीरियल की कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए नए नए ट्विस्ट लाते हुए नजर आ रहे हैं. जहां एक तरफ फतेह और तेजो (Ankit Gupta And Priyanka Chahar Choudhary) को बचाते समय अमरीक की जान खतरे में पढ़ने वाली है तो वहीं तेजो फतेह को धोखा देने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अंगद चलाएगा गोली

 

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अब तक आपने देखा कि तेजो, अंगद से जान बचाकर फतेह के पास पहुंचती है. जहां वह वापस इंडिया जाने का प्लान बनाते हैं. लेकिन फतेह का प्लान फेल हो जाता है. जब अंगद तेजो को कार डिकी में किडनैप करके लेकर चला जाता है. हालांकि वह उससे लड़ने की कोशिश करती है. इसी बीच अंगद और फतेह की लड़ाई भी होती है. लेकिन अंगद, दोनों पर गोली चला देता है, जिसे देखकर जैस्मीन हैरान हो जाती है.

 

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तेजो देगी धोखा

 

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सीरियल के इस लेटेस्ट ट्रैक के बीच सीरियल के मेकर्स ने नया प्रोमो शेयर किया है, जिसमें जैस्मीन के पति अमरीक को गोली लग जाती है. वहीं तेजो, फतेह से कहती है कि वह तान्या है, जिसे सुनकर फतेह के होश उड़ जाते हैं. सीरियल का नया प्रोमो देखकर फैंस बेहद एक्साइटेड हैं औऱ सीरियल के अपकमिंग ट्विस्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

अमरीक की जाएगी जान

खबरों की मानें तो सीरियल में अमरीक की गोली लगने से जान चली जाएगी, जिसके बाद फतेह, जैस्मीन का साथ देता नजर आएगा. वहीं तेजो, फतेह से अपनी सच्चाई छिपाकर दूर जाने का फैसला करती हुई नजर आएगी. हालांकि देखना होगा कि तेजो का तान्या बनने का क्या सच होगा और क्या वह फतेह से दूर हो पाएगी.

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