कुंआ ठाकुर का: क्या कभी बच पाई झुमकी

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

“तुम्हारे कष्टों का हल तब ही मिलेगा, जब तुम हमारे साथ भाग कर शहर चलोगी, वरना रोज़ रात की यही कहानी रहेगी तुम्हारे साथ,” कलुआ ने झुमकी को बांहों में लेते कहा.

“हां रे, मन तो हमारा भी यही कहता है कि अब हम वापस घर न जाएं लेकिन अगर न गए तो हमारा बाप हमारी मां को भूखा मार डालेगा,” झुमकी ने एक सर्द आह भरते हुए कहा.

“तेरा बाप, छी, मुझे तो घिन आती है तेरे बाप के नाम से. भला कोई बाप अपनी बीवी और बेटी से ऐसा काम भी करा सकता है? वह कम्बख्त मर जाए तो ही अच्छा है,” कलुआ ने गुस्से से कहा.

“ऐसा मत कहो. वह मेरा बाप है. मेरी मां उसी के नाम का सिंदूर लगाती है. और तुम क्या समझते हो, अगर अम्मा या मैं ने उस की बात मानने से इनकार किया तो, पहले तो वह गालीगलौच करता है और फिर कहता है कि हम लोग ने नीच जाति वाले घर में पैदा हो कर गलती कर दी है और अब ये सब करना तो हमारे करम में लिखा है. हम जब तक जिंदा रहेंगे तब तक हमें ये ही सब करना पड़ेगा,” सिसक उठी थी झुमकी.

झुमकी के बदन पर नोचनेखसोटने के निशान बने हुए थे. उन्हें प्यार से सहलाते हुए कलुआ  बोला, “हां, हम तुम्हारी इतनी मदद कर सकते हैं कि तुम्हें यहां  से खूब दूर अपने साथ शहर ले जाएं और वहां हम दोनों मजदूरी कर के अपना पेट पालें. तभी तुम इस नरक से मुक्ति पा सकती हो,” झुमकी को बांहों में समेट लिया  था कलुआ ने.

झुमकी की उम्र 20 बरस थी. छरहरी काया, पतली नाक और चेहरे का रंग ऐसा जैसे कि तांबा और सोना आपस में  घोल कर उस के चेहरे पर लगा दिया गया हो.

झुमकी के बाप को शराब की लत लग गई थी. गांव के पंडित और ठाकुर उसे शराब पिलाते और  बदले में वह अपनी पत्नी को इन लोगों का बिस्तर गरम करने के लिए भेज देता. दिनभर दूसरों के खेत और अपने घर के चूल्हेचौके में जान खपाने के बाद जब झुमकी की मां ज़रा आराम करने जा रही होती, तभी नशे में धुत हो कर झुमकी का बाप आता और झुमकी की अम्मा  को इन रसूखदार लोगों के यहां जाने को कहता. विरोध करने पर उन्हें उन की नीची जाति का हवाला देता और कहता कि ऐसा करना तो उन के समय में ही लिखा है. इसलिए उन्हें ये सब तो करना ही पड़ेगा. झुमकी की अम्मा समझ जाती कि उस की इज़्ज़त को तो पहले ही शराब पी कर  बेच आया है, इसलिए मन मार कर उन लोगों के बिस्तर पर रौंदी जाने के लिए चली जाती.

झुमकी जैसे ही 13 साल की हुई, तो ठाकुर ने तुरंत ही अपनी गिद्ध दृष्टि उस पर जमा दी और झुमकी के बाप से मांग करी कि आज के बाद वह अपनी पत्नी को नहीं, बल्कि झुमकी को उस के पास भेजा करेगा  और झुमकी को खुद ठाकुर के पास पहुंचा कर आया था झुमकी का बाप.

एक बार ऐसा हुआ, तो फिर तो मानो यह चलन हो गया. जब भी ठाकुरबाम्हन लोगों का मन होता, बुलवा भेजते झुमकी को और रातरातभर रौंदते उस के नाज़ुक जिस्म को.

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वह तो उस दिन झुमकी ने गांव की नदी में डूब कर आत्महत्या ही कर ली   होती, अगर उस मल्लाह के लड़के कलुआ ने उसे सही समय पर बचाया न होता. कलुआ ने जान बचाने के बाद जब जरा डांट और जरा पुचकार से झुमकी से ऐसा करने का कारण पूछा तो कलुआ के प्यार के आगे उस की आंसू की धारा बह निकली और रोरो कर  सब बता दिया कलुआ को.

“हम नीच जात के हैं, तो भला इस में हमारा का दोष है. और अगर वे लोग बाम्हन और ठाकुर हैं तो वे हमारे साथ जो चाहे, कर सकते हैं का?” झुमकी के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कलुआ के पास.

झुमकी को कलुआ से थोड़ा  स्नेह मिला और इस स्नेह में उसे वासना के कीड़े नहीं दिखाई दिए. तो, मन ही मन वह उसे अपना सबकुछ मान बैठी थी. कलुआ भी तो झुमकी पर ही जान न्योछावर किए रहता था. पर उसे ऐसे झुमकी का बाह्मन और ठाकुर द्वारा शोषण किया जाना पसंद नहीं था और इसीलिए वह शहर जाने की ज़िद करता था पर हर बार झुमकी अपनी मां की दुहाई दे कर बात टाल जाती थी.

लेकिन, कल जब झुमकी दालान में बैठी अपने शरीर पर रात में आई खरोंचों पर कड़वा तेल का लेप लगा रही थी, तभी झुमकी की अम्मा आई और बोली, “बिटिया, हम तुम को जने हैं, इसलिए तुम्हारा दर्द सब से अच्छी तरह जानते हैं. और यह भी जानते हैं कि वह कलुआ तुम्हें पसंद करता है. तुम अगर यहां गांव में ही रह गई, तो इसी तरह  पिसती रहोगी. शायद, नीच जाति में पैदा होना ही हमारा कुसूर बन गया है. पर अगर सच में ही जीना चाहती तो यहां से कहीं और भाग जाओ और हमारी  चिंता मत करो. हम तो बस काट ही लेंगे अपना जीवन. पर तुम्हारे सामने अभी पूरा जीवन है, तू यहां रह गई तो ये मांस के भेड़िए तुझे रोज़ रात में नोचेंगे. इसलिए चली जा यहां से, चली जा…”

अभी  झुमकी की मां उसे समझा ही रही थी कि झुमकी का बाप अंदर आ गया. उस ने सारी बातें सुन ली थीं, बोला, “हां, झुमकी ज़रूर जाएगी पर कलुआ के साथ नहीं, बल्कि संजय कुमार के साथ. मैं ने  इस की शादी संजय कुमार के साथ तय कर दी है. चल री झुमकी, जल्दी तैयार हो जा. तेरा दूल्हा  बाहर बैठा हुआ है.”

यह कैसी  शादी थी, न बरात, न धूम, न नाच, न गाना.

झुमकी और उस की मां समझ गई थीं कि झुमकी का सौदा कर डाला गया है. पर झुमकी के लिए आगे कुंआ और पीछे खाई जैसी हालत थी. फिर भी उस के मन में एक दूल्हे के नाम से यह उम्म्मीद जगी कि यहां रोज़रोज़ इज़्ज़त नीलाम होने से तो कुछ सही ही रहेगा कि किसी एक मर्द से बंध कर रहे.

और इसी उम्मीद में झुमकी उस आदमी के साथ चली गई. जाते समय झुमकी का मन तो भारी  था पर इतनी खुशी ज़रूर थी कि उसे बेचने के बदले में उस के पिता को जो पैसे मिल जाएंगे उन के बदले वह कुछ दिन आराम से शराब पी सकेगा.

और इस तरह बिहार के एक गांव से चल कर झुमकी उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में पहुंच गई.

“यह रहा हमारा कमरा,” संजय ने एक छोटे से कमरे में घुसते हुए कहा.

उस कमरे में कोई भी बिस्तर नहीं था, सिर्फ एक गद्दे पर चादर डाल कर उसे लेटने की जगह में तबदील कर दिया गया था. और इस समय उस गददे पर  2 आदमी बैठे हुए झुमकी को फाड़खाने की नज़रों से देख रहे थे.

“अरे, इन से शरमाने की ज़रूरत नहीं है. ये दोनों हमारे बड़े भाई हैं- विजय भैया और मनोज भैया. हम लोग  मजदूरी करते हैं और ये दोनों भी हमारे साथ इसी कमरे में रहते हैं. और एक बात बता  दें तुम्हें कि तुम्हें हमारे साथसाथ इन का भी ध्यान रखना होगा,” संजय कुमार ने ज़मीन पर बैठते हुए कहा.

“हम भाइयों ने दिन बांट रखे हैं. हफ्ते के पहले 2 दिन तुम को बड़े भैया के साथ सोना होगा और उसके बाद के 2 दिन तुम  मझले भैया के साथ सोओगी और मैं सब से छोटा हूं, इसलिए सब से बाद में मेरा नंबर आएगा.  तुम को शर्म न आए, इस के लिए हम बीच में एक परदा डाल लेंगे,” संजय ने बड़ी सहजता से ये सारी बातें कह डाली थीं.

“क….क्या मतलब,” चौंक उठी थी झुमकी.

“यही कि हम 3 भाई हैं और हमारे आगेपीछे माईबाप कोई नहीं हैं जो हम लोगों का ब्याह करवा सके  और न ही हम लोगों के पास इतना पैसा है कि हम लोग अलगअलग रहें और अपने लिए अलगअलग बीवी रख सकें. इसीलिए हम ने 3 भाइयों के बीच में एक ही बीवी खरीद कर रखने का प्लान  बनाया.”

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संजय कुमार की बात सुन कर जब झुमकी ने 3 पतियों की बीवी बनने से इनकार किया

तो तीनों ने उस के पिता को पूरे पैसे देने की बात कह कर बारीबारी से झुमकी के साथ मुंह काला किया और बाद में तृप्त हो कर गहरी नींद में सो गए और जब वे तीनों  आधी रात के बाद नींद की आगोश में थे, तब झुमकी दबेपांव वहां से भाग निकली और ढूंढतेढांढते पुलिस स्टेशन पहुंची और थानेदार को पूरी कहानी बताई.

“अरे, तो इस में बुराई ही क्या थी. और फिर, तुम्हें तो गांव में भी ऊंची जाति के लोगों के साथ सोने की आदत थी ही. यहां भी तीनों को खुश कर के रहतीं, तो वे सब रानी बना कर रख़ते. तुम छोटी जाति वालों के साथ यही समस्या है कि ज़रा सी बात में ही शोर मचाने लगते हो. अब रात के 3 बजे तू यहां आई है और मैं ने तेरी रिपोर्ट  भी लिख ली है. अब अगर बदले में तू मुझे थोड़ा खुश कर देगी, तो तेरा कुछ घिस थोड़े ही जाएगा,” यह कह कर थानेदार ने मेज़ पर ही झुमकी को लिटा दिया और उस का बलात्कार कर डाला.

रोती रही झुमकी. आज उसे कलुआ बहुत याद आ रहा था. उस ने एक नज़र थानेदार पर डाली

जो अपनी शर्ट और पैंट को संभालने की कोशिश कर रहा था.

सुबह हो रही थी. झुमकी भारी मन से उठी और बाहर निकल गई. कमज़ोरी, थकान और अपने ऊपर हुए जुल्मों के कारण उस से चला भी न जा रहा था. झुमकी किसी तरह सड़क तक पहुंची और सड़क पर ही गिर कर बेहोश हो गई.

झुमकी को होश आया, तो उस ने अपनेआप को बिस्तर पर पाया और उस की आंखों के सामने एक युवक खड़ा मुसकरा रहा था.

युवक की आंखों पर हलके लैंस का चश्मा और चेहरे पर घनी दाढ़ी थी.

“घबराओ नहीं, तुम सुरक्षित जगह हो. तुम सड़क पर बेहोश हो गई थीं. संयोग से मैं वहीं से गुज़र रहा था. तुम्हें देखा, तो यहां ले आया.” वह युवक इतना बोल कर चुप हो गया.

झुमकी अब भी उस को प्रश्नवाचक नज़रों से देख रही थी.

“मैं एक समाजसेवक हूं. मेरा नाम मलय है  और तुम जैसे गरीब व पिछड़े लोगों की मदद करना ही मेरा काम है. थोड़ा आराम कर लो और फिर मैं तुम से पूछूंगा कि तुम्हारी यह हालत किस ने कर दी है.”

वह मुसकराता हुआ वहां से चला गया और झुमकी की देखभाल के लिए एक नर्स वहां आ गई. कुछ घंटों बाद जब मलय वहां आया तो झुमकी अपनेआपको तरोताज़ा महसूस कर रही थी और पहली बार उसे ऐसा लग रहा था कि वह सुरक्षित हाथों में है.

झुमकी ने अपने साथ बीती हुई सारी बातें मलय को बता दीं. सुन कर मलय काफी दुखी हुआ और उस को न्याय दिलाने का वादा किया.

झुमकी की सेहत भी अब ठीक हो रही थी और अब भी वह मलय के सर्वेंटरूम में ही रह रही थी.

एक रात को 10 बजे मलय उस सर्वेंटरूम में आया. वह अपने साथ एक बाम ले कर आया था.

“मेरे सिर में बहुत दर्द है, ज़रा बाम तो लगा दो झुमकी, ” मलय ने झुमकी के बिस्तर पर लेटे हुए कहा.

झुमकी बाम लगाने लगी मलय के माथे पर. मलय उसे लगातार घूरे जा रहा था. अचानक कुछ अच्छा नहीं लगा  झुमकी को.

“मैं सोच रहा हूं कि भले ही तुम नीच जाति की हो, तुम्हारे साथ इतने लोगों ने बलात्कार किया, तो ज़रूर तुम में कोई कशिश रही होगी और मुझे लगता है कि उन्होंने कोई गलती नहीं करी,” कह कर मलय चुप हो गया.

झुमकी ने बाम लगाना बंद कर दिया और दूर जाने लगी.

तभी पीछे से उस ने अपनी पीठ पर मलय का हाथ महसूस किया. वह कुछ बोल पाती, इस से पहले ही मलय ने झुमकी को पकड़ कर बिस्तर पर गिरा दिया और उस का बलात्कार कर दिया.

झुमकी एक बार फिर उस नरक के अनुभव से गुज़र रही थी. लेकिन इस बार वह सहेगी नहीं,

वह बदला लेगी. पर कैसे?

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गुस्से में झुमकी ने कोने में पड़ा हुआ एक छोटा सा चाकू उठाया और पूरी ताकत से मलय पर वार कर दिया. मलय के हाथ पर हलाकि सी खरोंच आई. मलय नशे में तो था ही, खरोंच लगने से उसे और क्रोध आ गया और उस ने अपने दोनों हाथ झुमकी के गरदन पर कस दिए और अपना दबाव बढ़ाता गया. एक समाजसेवक  बलात्कारी के साथसाथ खूनी भी बन गया था.

और झुमकी, जो एक गांव में जन्म ले कर शहर तक आई, पिता से ले कर उस के जीवन में जो भी आया उसे झुमकी में सिर्फ वासनापूर्ति का साधन दिखाई दिया. यह उस के एक औरत होने की सज़ा थी या एक गरीब होने की या एक दलित महिला होने की एक प्रश्नचिन्ह अब भी बाकी है???

Holi Special: फैमिली के लिए बनाएं करारी भिंडी

अगर आप फैमिली के लिए लंच या डिनर में टेस्टी और हेल्दी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो करारी भिंडी की रेसिपी ट्राय करना ना भूलें.

सामग्री

– 500 ग्राम भिंडी

– 2 प्याज

– 1 कप दही

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी

– 1/2 छोटा चम्मच हींग

– 1 छोटा चम्मच जीरा

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– 2-3 कलियां लहसुन

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 2 बड़े चम्मच मूंगफली पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

– तेल आवश्यकतानुसार

– नमक स्वादानुसार.

विधि

भिंडी को धोपोंछ कर लंबाई में काट लें. एक पैन में 2 बड़े चम्मच तेल गरम कर जीरा डालें. हलदी और हींग डालें. प्याज के लच्छे डाल कर कुछ गलने तक पकाएं. भिंडी डाल कर 4-5 मिनट तक लगातार चलाते हुए भिंडी को कुरकुरा होने तक पकाएं. नमक डाल आंच से उतार लें. 2 बड़े चम्मच तेल गरम करें. पिसा लहसुन, लालमिर्च पाउडर, धनिया पाउडर व हलदी डाल कर अच्छी तरह भूनें. मूंगफली का पाउडर मिलाएं. कुछ देर भूनें. दही डाल कर अच्छी तरह भुन जाने तक पकाएं. इस मसाले में भिंडी मिक्स कर अच्छी तरह मिला लें. ऊपर से धनियापत्ती बुरक कर गरमगरम परोसें.

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6 Tips: गर्मियों में ऐसे रहेगा आपका आशियाना ठंडा

इस आग बरसाते मौसम में घर और बाहर का अंतर तब कम हो जाता है, जब आपका आशियाना ठंडा नहीं हो. बेहद छोटी-छोटी चीजों से बड़ा फर्क लाया जा सकता है और भट्टी बन चुके घर को कूल किया जा सकता है. बिजली की बचत तो होगी ही क्योंकि इन उपायों से घर नैचुरली ठंडा रहेगा. कुछ ऐसे उपाए जिनसे आपका आशियाना गर्मी में रहेगा ठंड़ा.

1. छत न हो गर्म

छत का ठंडा रहना बेहद जरूरी है. कितने भी उपाय घर के अंदर कर लें लेकिन छत गर्म है तो ज्यादा फर्क नहीं महसूस कर पाएंगे. इसलिए रूफ पर पौधों का इंतजाम करें या घास लगवाएं. इससे पूरे घर का तापमान कम बना रहेगा. छत को टूटे हुए गमलों के टुकड़ों से भी कवर किया जा सकता है.

2. आस-पास हरियाली

घर के अंदर तो कुछ पौधे हों ही, आस-पास भी हरियाली बनाएं रखें. इससे आपका घर काफी ठंडा रह सकता है. अगर घर के आसपास इतनी जगह नहीं है तो हर संभव जगह पर छोटे पौधे उगाए जा सकते हैं. दीवार पर इस मौसम में बेल चढ़ाना भी मददगार होगा.

3. जमीन पर बिस्तर

कमरे में गर्म हवा ऊपर की तरफ रहती हैं. कोशिश करें कि आपके बिस्तर का लेवल नीचे हो. ऐसा करने पर गर्मी कम लगेगी. गर्मियों में ग्राऊंड फ्लोर पर सबसे ज्यादा ठंडक हो जाती है. अगर संभव हो तो इसी मंजिल पर सोने का इंतजाम करना बिजली का काफी खर्च बचा सकता है. क्योंकि एसी को भी तल मंजिल का कमरा ठंडा करने में कम देर लगेगी.

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4. चादरें हों सूती

बिस्तर पर लेटते वक्त ही महसूस हो जाता है कि चादर मौसम के लायक है या नहीं. सैटिन और पॉलिस्टर शीट का मौसम गया. कॉटन का दौर है. सूती चादरें बिछाएं. हलके रंग की शीट्स गर्मी नहीं सोखती हैं.

5. पर्दे का फर्क

परदों का सिर्फ यह काम नहीं होता कि वे घर को बाहर वालों की नजर से बचाएं. वे घर के अंदर की ठंडक को घर में ही बनाए रखने में मददगार हैं. ब्लाइंड्स या पर्दे मौसम अनुसार होने चाहिए. इन्हें बदलेंगे तो खुद फर्क महसूस करेंगे. इस मौसम में हल्का रंग काफी ठंडक पहुंचाएगा. भारी पर्दे अंदर की ठंडक को बाहर नहीं जाने देंगे इसलिए कोशिश करें कपड़ा मोटा हो.

6. चिक से मिलेगी ठंडक चकाचक

बालकनी खुली रहेगी तो गर्माहट को न्यौता देती रहेगी. बालकनी और गलियारों में बांस के चिक लगवाएं. ये चिक ऐसे हो जिन्हें आप पानी से तर कर सकें. इससे कूलर चलाने का खर्चा भी आप बचा सकते हैं.

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अब हां कह दो: क्या हुआ था नेहा के साथ

लंचके समय समीर ने नेहा के पास आ कर उसे छेड़ा, ‘‘क्या मुझ जैसे स्मार्ट बंदे को आज डिनर अकेले खाना पड़ेगा?’’

‘‘मुझे क्या पता,’’ नेहा ने लापरवाही से जवाब दिया.

‘‘मैं ने एक बढि़या रेस्तरां का पता मालूम किया है.’’

‘‘यह मुझे क्यों बता रहे हो?’’

‘‘वहां का साउथ इंडियन खाना बहुत

मशहूर है.’’

‘‘तो?’’

‘‘तो आज रात मेरे साथ वहां चलने को ‘हां’ कह दो, यार.’’

‘‘सौरी, समीर मुझे कहीं…’’

‘‘आनाजाना पसंद नहीं है, यह डायलौग मैं तुम्हारे मुंह से रोज सुनता हूं. इस बार सुर बदल कर ‘हां’ कह दो.’’

‘‘नहीं, और अब मेरा सिर खाना बंद करो,’’ नेहा ने मुसकराते हुए उसे डपट दिया.

नेहा के सामने रखी कुरसी पर बैठते हुए समीर ने आहत स्वर में पूछा, ‘‘क्या हम अच्छे दोस्त नहीं हैं?’’

‘‘वे तो हैं.’’

‘‘तब तुम मेरे साथ डिनर पर क्यों नहीं चल सकती हो?’’

‘‘वह इसलिए क्योंकि तुम दोस्ती की सीमा लांघ कर मुझे फंसाने के चक्कर में हो.’’

‘‘अगर हमारी दोस्ती प्रेम में बदल जाती है तो तुम्हें क्या ऐतराज है? आखिर एक न एक दिन तो तुम्हें किसी को जीवनसाथी बनाने का फैसला करना ही पड़ेगा न… अब मुझ से बेहतर जीवनसाथी तुम्हें कहां मिलेगा?’’ कह समीर ने बड़े स्टाइल से अपना कौलर खड़ा किया तो नेहा हंसने को मजबूर हो गई.

‘‘तो कितने बजे और कहां मिलोगी?’’ उसे हंसता देख समीर ने खुश हो सवाल किया.

‘‘कहीं नहीं.’’

‘‘अब क्या हुआ?’’ समीर ने अपना चेहरा लटका दिया.

‘‘अब यह हुआ कि मुझे लड़कियों पर लाइन मारने वाले लड़के पसंद नहीं और न ही मैं उन लड़कियों में से हूं जिन की झूठीसच्ची तारीफ कर कोईर् उन्हें अपने प्रेमजाल में फंसा ले. अब क्या तुम मेरी जान बख्शोगे?’’ नेहा ने नाटकीय अंदाज में उस के सामने हाथ जोड़ दिए.

‘‘अभी नहीं. देखो, पहली बात तो यह कि मैं लड़कियों पर नहीं, बल्कि सिर्फ 1 लड़की पर अपने प्यार का जादू चलाना चाहता हूं और दूसरी बात यह कि मैं ने कभी तुम्हारी झूठी तारीफ नहीं करी है. मेरी नजरों में तुम संसार की सब से खूबसूरत और आकर्षक लड़की हो.’’ समीर की आंखों में अपने लिए गहरी चाहत के भावों को पहचान कर नेहा कोई चटपटा या तीखा जवाब नहीं दे पाई.

गहरी सांस लेने के बाद उस ने कोमल स्वर में कहा, ‘‘समीर, तुम मेरे बारे में ज्यादा नहीं जानते हो. प्रेम और शादी दोनों के बारे में मेरे विचार अच्छे नहीं हैं. तुम दिल के अच्छे इंसान हो. जाओ किसी और लड़की का दिल जीतने की कोशिश करो. मैं तुम्हारे लिए सही जीवनसंगिनी साबित नहीं हूंगी.’’

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‘‘क्या हम इस बारे में डिनर करते हुए बातें नहीं कर सकते हैं?’’

‘‘आज मुझे अपने पापा के साथ डिनर करना है. सौरी, फिर किसी दिन…’’

‘‘तो आज अपने पापा से ही मिलवा दो, तुम्हारा हाथ मांगने के लिए. एक दिन मुझे तुम्हारे मम्मीपापा से मिलना तो पड़ेगा ही न?’’

समीर ने अपनी यह इच्छा मजाक में बताई थी पर नेहा ने अचानक निर्णय लेते हुए उस से कहा, ‘‘ओके, आज तुम मिल ही लो मेरे मम्मीपापा से. रात को 9 बजे इस पते पर पहुंच जाना,’’ कह नेहा ने एक कागज पर अपने घर का पता लिखा और हैरान नजर आ रहे समीर के हाथ में पकड़ा दिया.

‘‘थैंक यू… थैंक यू… मैं आज तुम्हारे मम्मीपापा का दिल जरूर जीत लूंगा,’’ बहुत खुश नजर आ रहे समीर ने नेहा से जोशीले अंदाज में हाथ मिलाया तो वह गहरी सांस छोड़ कर जबरदस्ती मुसकराने लगी.

रात को समीर वक्त से नेहा के घर पहुंच गया. उसे बनठन कर आया देख नेहा हंस पड़ी.

‘‘स्मार्ट लग रहा हूं न?’’ समीर ने बड़ी अदा से कहा.

‘‘बहुत,’’ नेहा फिर हंसी और उस का हाथ पकड़ कर ड्राइंगरूम की तरफ चल दी.

‘‘अब इस हाथ को कभी मत छोड़ना,’’ समीर धीमी व रोमांटिक आवाज में बोला.

‘‘शटअप,’’ नेहा ने उसे हंसते हुए डपटा और फिर वहां उपस्थित 3 व्यक्तियों से परिचय कराने को तैयार हो गई.

‘‘समीर, अपनी उम्र से 10 साल छोटी दिखने वाली ये खूबसूरत लेडी मेरी मम्मी हैं… और ये मेरे पापा हैं. आजकल इन के सिर पर चुनाव लड़ने का भूत सवार है और इसीलिए खादी का कुरतापाजामा पहने हैं… और ये मेरे स्टैप फादर अरुणजी हैं. जब मैं 12 साल की थी तब मम्मीपापा का तलाक हुआ और मेरे 13 साल की होने से पहले मम्मी ने अरुण अंकल से शादी कर ली थी. यह कोठी इन्हीं की है.

‘‘और यह समीर है…मेरे साथ काम

करता है और औफिस खत्म होने के बाद का समय भी मेरी कंपनी में बिताने की इच्छा मन में रखता है. मेरे काफी हतोत्साहित करने के बावजूद यह मुझ से शादी करने का इच्छुक है. अब आप सब एकदूसरे को समझो और परखो. तब तक मैं मेज पर खाना लगवाती हूं,’’ अपने होंठों पर व्यंग्यभरी मुसकान सजाए नेहा रसोई की तरफ चल दी.

समीर को नेहा के मातापिता के तलाक के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इस वक्त उसे यह एहसास हुआ कि नेहा की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में वह सचमुच बहुत कम जानता था.

अपने मन को हैरान होने का वक्त दिए बिना वह उन तीनों के सवालों के जवाब देने को तैयार हो गया.

नेहा की मम्मी सीमा ने उस के घर वालों के बारे में कई सवाल पूछे. वे उस के

शौक और मनोरंजन करने के तरीकों के बारे में जानकारी चाहती थीं. उन के सवाल पूछने के ढंग से समीर को जल्दी एहसास हो गया कि वह उन्हें प्रभावित करने में खास सफल नहीं हो रहा है.

नेहा के असली पिता नीरजजी ने उस के काम से जुड़े कई सवाल पूछे. वे उस की अपने भविष्य को संवारने की योजनाओं के बारे में जानने को बहुत उत्सुक थे. समीर को लगा कि वह उन का दिल जीतने में सफल रहा.

अरुण कम ही बोल रहे थे, लेकिन वहां चल रहे वार्त्तालाप में उन की पूरी दिलचस्पी है, यह तथ्य उन की चौकन्नी आंखों से साफ जाहिर हो रहा था. समीर जब भी उन की तरफ देखता

तो वे उस का हौसला बढ़ाने वाले अंदाज में मुसकरा पड़ते.

समीर ने उन सभी से भावुक लहजे में एक ही बात कई तरह से घुमाफिरा कर कही, ‘‘मैं नेहा को दिल की गहराइयों से प्यार करता हूं. आप सब उसे मेरे साथ शादी करने के लिए राजी करने में मेरी सहायता करें. मैं उसे बहुत खुश और सुखी रखने का वचन देता हूं.’’

नेहा उन सब के बीच आ कर एक बार भी नहीं बैठी. उस ने ऊंची आवाज में खाना लग जाने की सूचना दी तो सब उठ कर डाइनिंगटेबल की तरफ चल पड़े.

खाना खा कर समीर ने सब से विदा ली. नेहा के कान में उस ने फुसफसा कर इतना ही कहा, ‘‘अपनी मम्मी को तुम्हें मनाना पड़ेगा. तुम्हारे डैडी और अरुण अंकल को मैं पसंद आ गया हूं.’’

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‘‘अरुण अंकल अभी तुम्हारे साथ जाएंगे. वे जैसा कहें, तुम वैसा ही करना,’’ नेहा ने भी बहुत धीमी आवाज में जब उस से ऐसा कहा तो समीर जबरदस्त उलझन का शिकार बन गया.

‘‘मैं जरा बाजार तक जा रहा हूं,’’ ऐसा कह कर अरुण समीर की मोटरसाइकिल पर बैठ उस के साथ चले गए.

अंदर आने के बाद नेहा ने पहले डाइनिंग टेबल की सफाई करी और फिर

ड्राइंगरूम में वापस आ कर बिना कोई भूमिका बांधे अपने मातापिता से कहा, ‘‘मैं समीर से शादी करने को खास उत्सुक नहीं हूं पर वह ऐसा करने के लिए मेरी जान महीनों से खा रहा है. अब आप दोनों समीर और हमारी भावी शादी के बारे में अपनी सीधीसच्ची राय इसी समय मुझे बता दें.’’

‘‘मुझे समीर समझदार और गुणी लड़का लगा है. मेरी राय में वह अच्छा पति साबित होगा,’’ नीरज ने फौरन समीर को अपने भावी दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया.

‘‘मेरी समझ से तुम्हें जल्दबाजी में काम नहीं लेना चाहिए. जब तक तुम्हारा दिल इस

शादी के लिए पूरे जोश से हां न कहे, तब तक इंतजार करना बेहतर होगा,’’ सीमा की गंभीर आवाज में समीर के प्रति उन की नापसंदगी साफ झलक रही थी.

‘‘मम्मी, यों घुमाफिरा कर बात मत करो. साफसाफ बताओ कि समीर तुम्हें क्यों पसंद नहीं आया है?’’ नेहा ने आवाज में तीखापन पैदा कर मां को सच बोलने के लिए उकसाया.

‘‘समीर का स्वभाव ठीक ही है, पर मुझे तुम दोनों की जोड़ी नहीं जंच रही है. यह दुबला बहुत है और चश्मा भी लगाता है… पर्सनैलिटी में जान नहीं है,’’ सीमा ने अपनी आपत्तियां जाहिर कर दीं.

‘‘नेहा, तुम इस कमअक्ल की बात पर ध्यान मत देना,’’ नीरज एकदम गुस्सा हो उठे, ‘‘यह किसी इंसान की काबिलीयत उस की शारीरिक सुंदरता से ही नाप सकती है और ज्यादा गहरा देखने की समझ इस के पास नहीं है. समीर तुम्हें प्यार करता है, इस बात का इस की नजरों में कोई महत्त्व नहीं है.’’

‘‘अकेले उस के प्यार करने से क्या होगा? अरे, उस का व्यक्तित्व आकर्षक होता तो क्या हमारी नेहा उस की दीवानी न होती?’’ सीमा अपने भूतपूर्व पति से भिड़ने को फौरन तैयार ?हो गईं.

‘‘दोनों अच्छा कमा रहे हैं. मुझे विश्वास है कि नेहा को वह सुखी रखेगा.’’

‘‘पत्नी को सुखी रखने के लिए दौलत से ज्यादा आपसी समझ जरूरी है. एकदूसरे को पसंद करना महत्त्वपूर्ण है.’’

‘‘विवाहित जिंदगी में सुरक्षा और स्थिरता के लिए बैंक में मोटी रकम का होना ज्यादा जरूरी है. घर में सुखशांति हो तो प्यार और आपसी समझ अपनेआप पैदा हो जाती है.’’

‘‘तब हमारा तलाक क्यों हुआ?’’ सीमा ने चिड़ कर पूछा.

‘‘तुम्हारी एहसानफरामोशी और चरित्रहीनता के कारण,’’ नीरज ने चुभते स्वर में कहा तो सीमा की आंखों से चिनगारियां फूटने लगीं.

‘‘तुम्हारे हाथों दिनरात की बेइज्जती से

बचने के  लिए मैं ने तुम से तलाक लिया था.

तुम पैसा कमाने की मशीन थे. मेरे लिए तुम्हारे पास वक्त ही कहां था? जब भी मैं ने तुम से अपने मन की बात कहनी चाही, तुम मारपीट

कर मेरा मुंह बंद कर देते थे. हमारी शादी न

टूटती तो या तो मैं पागल हो जाती या फिर आत्महत्या कर लेती.’’

‘‘तुम्हारी ऐसी बातों पर नेहा विश्वास नहीं करती है तो क्यों अब भी झूठ बोल रही हो? सब को मालूम है कि मुझे धोखा देने के लिए तुम्हें अरुण की फिल्म स्टार जैसी शक्लसूरत ने उकसाया था. तुम्हें शरीर की सुंदरता के अलावा न पहले कुछ भाता था, न अब भाता है और इसीलिए नेहा को गलत सलाह दे रही हो? ’’

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‘‘अपने को ज्यादा होशियार मत दिखाओ…’’

करीब 15 मिनट तक नेहा ने एक शब्द नहीं बोला और वे दोनों एकदूसरे

को नीचा दिखाने की कोशिश करते खूब झगड़े.

नेहा अचानक उठी और मुख्यद्वार की तरफ बढ़ी तो दोनों झटके से खामोश हो गए.

‘‘तुम कहां जा रही हो?’’ सीमा के इस सवाल का नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया और दरवाजा खोल कर बाहर चली गई.

वह तुरंत जब अंदर आई तो उस के साथ अरुण और समीर भी थे. वह बोली, ‘‘इन दोनों ने खिड़की के बाहर खड़े हो कर आप दोनों को झगड़ते सुना है. अब मैं समीर से बात करूंगी और आप दोनों में से कोई बीच में बोला तो मैं यह घर छोड़ कर अलग रहने चली जाऊंगी,’’ मातापिता को गुस्से से घूरते हुए जब नेहा ने ऐसी चेतावनी दी तो उन दोनों की आगे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं हुई.

नेहा ने फिर समीर की तरफ घूम कर चिड़े से लहजे में कहा, ‘‘अब तो तुम समझ ही गए होंगे कि मुझे शादी करने के नाम से इतनी नफरत…इतनी ऐलर्जी क्यों है. मैं ने 12 साल की उम्र तक शायद ही कभी इन दोनों के आपसी व्यवहार में प्यार की मिठास देखी हो. जब पापा मां पर हाथ उठाते थे तो उन्हें बचाने के चक्कर मेें मैं ने अपनी बहुत पिटाई कराई थी. तलाक के बाद मम्मी सारी दुनिया के सामने यह साबित करना चाहती थीं कि मुझे अकेली भी बहुत अच्छी तरह पाल सकती हैं. मेरा कैरियर अच्छा बनाने के नाम पर इन्होंने मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत सताया था.

‘‘ये न अच्छे पतिपत्नी थे न अच्छे मातापिता हैं. इन के कारण मैं ने कभी शादी न करने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद है कि अब तुम

मेरे जीवनसाथी बनने का सपना देखना हमेशा के लिए छोड़ दोगे.’’

समीर की समझ में नहीं आया कि वह नेहा को क्या जवाब दे. सीमा और नीरज की लड़ाई ने उसे काफी ज्यादा परेशान और तनावग्रस्त कर दिया था.

उसे कुछ न कहते देख अरुण संजीदा लहजे में बोलने लगे, ‘‘तुम दोनों के साथ इस वक्त मैं अपने दिल में उठ रही कुछ बातों को बांटना चाहता हूं. शायद वे बातें तुम्हें सही फैसला लेने में सहायता करें. तलाक होने से पहले सीमा और मैं अच्छे दोस्त थे. यह अपने दुख, तनाव और परेशानियों को मेरे साथ बांटती थी. अच्छा दोस्त होने के नाते मैं इसे खुश देखना चाहता था और इसीलिए इस का मनोबल ऊंचा रखने के लिए जो संभव होता, वह खुशी से करता. सीमा को खुश रखना, उसे हंसतेमुसकुराते देखना मुझे तब भी बहुत खुशी देता था और आज भी. वह काफी मूडी इंसान है, पर इस बात से मुझे कोई फर्क

नहीं पड़ता. मैं तो उसे हर हाल में प्रसन्न देखना चाहता हूं.

‘‘मैं चाहता हूं कि तुम दोनों मेरे कुछ सवालों के जवाब ईमानदारी से दो. समीर, क्या नेहा को खुश कर के तुम्हें खुशी मिलती है?’’

‘‘बहुत ज्यादा, अंकल यह मेरी किसी बात पर हंस पड़े…मैं इस का कैसा भी काम कर पाऊं…यह मुझ से अपनेपन की मिठास के साथ बोल लेती है तो मेरा मन खुशी से नाच उठता है,’’ समीर भावुक हो उठा.

‘‘नेहा, तुम्हें समीर का कौन सा गुण सब से ज्यादा प्रभावित करता है?’’ अरुण ने कोमल स्वर में नेहा से पूछा.

कुछ देर सोचने के बाद नेहा ने छोटी सी मुसकान होंठों पर ला कर समीर की

तरफ देखते हुए जवाब दिया, ‘‘यह सिरफिरा इंसान मुझे हर हाल में हंसा सकता है. यह पूरा जोकर है.’’

‘‘मेरी तारीफ करने के लिए धन्यवाद,’’ समीर ने झुक कर नाटकीय अंदाज में नेहा को सलाम किया तो वह खुल कर हंस पड़ी.

‘‘देखा आप ने अंकल?’’

‘‘यह तुम्हें हंसा सकता है, इस बात की अहमियत को कम कर के मत आंको. नेहा तुम दोनों अच्छे दोस्त तो हो ही. इस दोस्ती की नींव को कभी कमजोर न पड़ने देने का पक्का संकल्प कर विवाहबंधन में बंध जाओ.

‘‘तुम अपने मम्मीपापा की कार्बन कौपी

नहीं हो जो अपने विवाह को सफल नहीं बना पाओगी. समीर तुम्हारा जीवनसाथी बनना चाहता है तो उसे ऐसा करने का मौका जरूर दो. शादी टूटने के कारणों की अच्छीखासी समझ तुम्हारे पास है. उस समझ के कारण शादी न करने का फैसला करने के बजाय अपनी शादी को सफल बनाना. तुम्हारी मम्मी को मैं समझाऊंगा. हम

सब का आशीर्वाद तुम दोनों को जरूर मिलेगा,’’ अरुण ने प्यार से नेहा के सिर पर हाथ रखा

और फिर समीर को खींच कर अपने सीने से

लगा लिया.

‘‘समीर के साथ शादी कर ले, मेरी

बच्ची. अकेले जिंदगी काटना बहुत कठिन है. अपने अकेलेपन से मैं इतना तंग आ चुका हूं

कि तुम्हारी मां अगर अरुण को छोड़ कर मेरे पास लौटना चाहे तो मैं इस बददिमाग औरत को फिर से अपना लूंगा,’’ नीरज के इस मजाक पर सभी हंस पड़े तो माहौल में व्याप्त तनाव छंट गया.

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‘‘यार, जल्दी से हां कहो, प्लीज. फिर हमें कल की पार्टी के बारे में चर्चा भी करनी है,’’ समीर ने अपने हाथों में नेहा के हाथ ले कर जबरदस्त आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया.

‘‘तुम किस पार्टी की बात कर रहे हो?’’ नेहा ने उलझनभरे स्वर में पूछा.

‘‘अपनी मंगेतर का औफिस वालों से परिचय कराऊंगा तो क्या वे बिना पार्टी लिए हमारी जान बख्श देंगे?’’

नेहा ने उस की आंखों की गहराई में झांका तो उसे वहां अपने लिए प्यार, सम्मान और अपनेपन के भाव साफ नजर आए. उस ने

अपने दिल की बात सुनी और फिर समीर के

गले लग कर अपनी हां कही तो उस ने भावविभोर हो कर उसे गोद में उठा लिया.

जब Tour पर हों पति

बड़े चाव से मेरे मातापिता ने मेरी शादी सुधीर से की. हमारी अरेंज मैरिज थी. घरबार और लड़का मेरे मातापिता को पसंद थे, बस सुधीर के घर वालों ने पहले ही बोल दिया था कि लड़के ने इंजीनियरिंग अभीअभी पूरी की है. जल्द ही उसे नौकरी के लिए दूसरे शहर जाना पड़ेगा. वहां सैटल होते ही आप की बेटी को भी वहां ले जाएगा. मेरे मातापिता भी राजी हो गए और मैं भी, क्योंकि मातापिता अपने बच्चे के लिए अच्छा ही सोचते हैं. लेकिन शादी होते ही सुधीर का बाहर रहना मेरी बरदाश्त के बाहर हो गया. हम दोनों में खटपट शुरू हो गई. लेकिन इस में सुधीर की कोई गलती नहीं थी. वे भी तो अपने कैरियर पर ही फोकस कर रहे थे. इसी बीच मेरी स्कूल की

एक दोस्त मिली, जिस ने मुझे कुछ ऐसी बातें समझाईं कि उन से मेरी शादीशुदा जिंदगी में बदलाव आ गया.

यदि आप के पति भी ज्यादातर टूअर पर रहते हैं या फिर कुछ समय के लिए बाहर रहने गए हैं तो कैसे आप दोनों अपनी रिलेशनशिप को मजबूत बना कर रख सकते हैं, आइए जानें:

भावनात्मक रूप से जुड़ें

जरूरी नहीं है कि जब हम आमनेसामने बैठे हों तभी अपने भाव प्रकट कर सकते हैं. जब हम एकदूसरे से दूर होते हैं तो पूरे दिन में हलकीफुलकी बात फोन पर कर के भी अपने भाव प्रकट कर सकते हैं. इस तरह की हलकीफुलकी बातचीत यह दर्शाती है कि आप एकदूसरे की बहुत परवाह करते हैं. रिश्ते को बड़ी समझदारी से निभाते हैं. पूरा दिन व्यस्त रहने के बाद यदि आप रात को थोड़ी देर एकदूसरे से फोन पर बात कर लेते हैं तो भी मन हलका हो जाता है, साथ ही आप को अकेलापन भी महसूस नहीं होता.

न हो बातचीत में लंबा गैप

यदि आपस में बातचीत किए लंबा समय हो जाता है, तो आप दोनों के बीच एक लंबा फासला आ जाता है, जिस से मनमुटाव आना स्वाभाविक है. आप रोज बात करते हैं, तो आप को एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. इसलिए जरूरी है कि आपसी बातचीत में लंबा गैप न आने दें.

एकदूसरे को समझें

किसी भी रिश्ते में फूट जरूरी नहीं कि दूर रहने से ही पड़े. यदि आप उस रिश्ते को समझेंगे नहीं तो तनाव आना ही है. ऐसे में जरूरी है कि एकदूसरे को समझने के लिए एकसाथ समय बिताएं, फिर चाहे वह फोन पर बात करने में बिताएं या ईमेल अथवा मैसेज करें. बात करते समय ध्यान दें कि साथी को किन बातों को करने से खुशी मिलती है. उन पर रिसर्च करें. अगली बार फोन पर बात करने पर उन से जुड़े टौपिक पर बात करें.

हमेशा साथ दें

ध्यान रखें कि आप का पार्टनर किसी समस्या में फंसा है, तो उसे मानसिक तौर से धैर्य बंधाएं. जितना हो सके अपना सहयोग दें, क्योंकि यदि उसे समस्याओं को अकेले झेलने की आदत हो जाएगी तो उसे आप की भी परवाह नहीं होगी. उसे ऐसे समय में खुश रहने की सलाह देते रहें. साथ ही कुछ ऐसी बातें भी करें, जिन से साथी का मूड फ्रैश हो जाए.

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विश्वास बनाए रखें

किसी भी रिश्ते में बेहद जरूरी है कि एकदूसरे पर विश्वास रखें. लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में यह थोड़ा कठिन कार्य हो जाता है, लेकिन आपसी मतभेद न हों इस का पूरा प्रयास करें. एकदूसरे पर विश्वास बनाए रखें. झूठ बोलने से कभी न कभी झूठ सामने आ ही जाता है, जो बाद में आप के रिश्ते को प्रभावित कर सकता है, इसलिए बेहतर है अपने पार्टनर को पहले ही सच बता कर चलें.

रिश्तों में बनी रहती है गरमाहट

दूर रहने पर रिश्तों में और भी अधिक मजबूती आ जाती है, क्योंकि आप को दूर रहने पर ही पता चलता है कि आप एकदूसरे से कितना प्यार करते हैं. इस के अलावा आप को मिलने का एक अलग सा उत्साह बना रहता है. घंटों साथ बैठ कर बात करने की चाहत के लिए आप तरहतरह की प्लानिंग करते रहते हैं.

कैसे रखें खुद को व्यस्त

यदि आप के हसबैंड टूअर पर या बाहर रहते हैं, तो इस तरह खुद को व्यस्त रखें:

– अपनेआप को किसी भी कार्य में व्यस्त रखें. यदि वर्किंग हैं तो बेहद अच्छी बात है और अगर नहीं हैं तो अपनी पसंद के किसी कार्य को अपना टाइमपास बना लें.

– फिट रहने की कोशिश करें. यदि आप फिट रहेंगी तो नकारात्मक विचार भी मन में नहीं आएंगे. इस के लिए शाम या सुबह थोड़ा समय अपनेआप को दें.

– क्रिएटिव बनें. कुछ अलग हट कर करें. हसबैंड के टूअर से आने से पहले घर की अच्छी तरह साफसफाई कर के रखें. इस से

उन को और आप को दोनों को अच्छा महसूस होगा.

– कुकिंग में नया ऐक्सपैरिमैंट करें जो आप के हसबैंड को पसंद हो. उन के आने पर कुछ नया बनाएंगी तो उन्हें अच्छा लगेगा.

– घिसीपिटी बातों में अपना वक्त बेकार न करें. कई लोग मनोबल को गिराने की कोशिश करते हैं. आप उन की बातों को एक कान से सुनें दूसरे से निकाल दें, जो आप को सही लगता हो, वही करें.

– यदि आप के बच्चे हैं तो उन की पढ़ाई पर ध्यान दें. बच्चों के साथ तो वैसे भी वक्त का पता  नहीं चलता है.

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लाएं कुछ नयापन

रिश्तों में मिठास और नयापन बनाए रखने के लिए पेश हैं कुछ टिप्स:

– हमेशा ध्यान रखें कि यदि आप के हसबैंड टूअर या जौब के सिलसिले में बाहर रहते हैं, तो आप उन से हमेशा सकारात्मक तरीके से ही बात करें.

– आप दोनों एकदूसरे को दिन की शुरुआत गुड मौर्निंग के मैसेज से कर सकते हैं.

– कुछ ऐसे मैसेज या टैक्स्ड एकदूसरे को भेज सकते हैं, जिन से मन खुश हो जाए.

– किसी दिन सरप्राइज दें. साथ ही बताए बिना उन के पास पहुंच जाएं. फिर देखिएगा उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा.

– विडियो चैट करें. इस से आप को लगेगा आप आमनेसामने ही बैठे हैं.

– जब आप के पति छुट्टी पर घर आ रहे हों, तो कुछ नया प्लान करें जहां आप फुरसत से एकदूसरे के लिए समय निकाल सकें.

– हमेशा शिकायतों को ही एकदूसरे के सामने न रखें. अगर शिकायत रखनी भी है, तो कुछ इस तरह कि कल तुम मुझ से बिना बात किए ही सो गए.

– एकदूसरों के परिवार की चिंता जाहिर करें. इस से महसूस होता है कि आप को एकदूसरे के पविर की भी चिंता है.

सैक्सुअल हैल्थ से जुड़ी प्रौब्लम का जवाब बताएं?

सवाल-

मुझे 3 हफ्तों से 99 से 100 डिग्री बुखार रहा. पेशाब के साथ कुछ उजला डिस्चार्ज भी होता है. पैथोलौजिस्ट ने पेशाब में संक्रमण की शंका जाहिर की है. कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

आप की मूत्रनली में संक्रमण की आशंका लगती है, इसलिए कल्चर टैस्ट के लिए पेशाब दे कर आप रिपोर्ट का इंतजार किए बगैर इलाज शुरू कर दें. आप को इलाज के अलावा भी काफी सावधानियां बरतनी होंगी, जैसेकि 24 घंटे में कम से कम डेढ़ लिटर पानी पीना, हर बार पेशाब करने के बाद जननांग को अच्छी तरह साफ करना और ब्लैडर को यथासंभव खाली रखना.

सवाल-

मैं 25 वर्षीय अविवाहिता हूं और वजन 45 किलोग्राम है. मुझे पेशाब करते समय योनिमुख में जलन महसूस होती है. खुजली नहीं होती है, लेकिन योनि से सफेद चिपचिपा सा डिस्चार्ज होता है, जिस से दुर्गंध आती है. मैं ने पेशन की पूरी माइक्रोस्कोपी करवाई है. रिपोर्ट में मेरा पीएच का स्तर 5, विशिष्ट घनत्व 1.005 था और नाइट्राइट्स तथा बिलिरुबिन नैगेटिव था. मैं ने बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए यूरिन कल्चर भी करवाया. डाक्टर ने कैंडिड क्रीम और वी वौश लिखा, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है. सलाह दें क्या करूं?

जवाब

डाक्टर ने आप को फंगल इन्फैक्शन मान कर दवा लिखी है. आप की मूत्रनली में इन्फैक्शन (यूटीआई) हो सकता है. इस संबंध में चिकित्सक से परामर्श लें. उचित दवा लेने से आप की यह समस्या जरूर दूर हो जाएगी.

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सवाल-

मेरी एक्सरे रिपोर्ट में पेशाब की थैली में 5-6 एमएम का स्टोन दिखा है, लेकिन किडनी के एक्सरे में स्टोन नहीं दिखा है. बड़ी आंत में कुछ टेढ़ापन हो गया है, जिस से मेरा पाचन गड़बड़ा गया है और कभीकभी मुझे पेट के दाहिनी ओर दर्द भी होता है. कई दवाएं ले लीं, लेकिन अभी तय नहीं कि स्टोन निकल गया है या है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

अगर आप का स्टोन मूत्रथैली और मूत्रनली के संधिस्थल पर है, तो वह स्वत: निकल जाएगा. दिन में भरपूर पानी पीएं. हर घंटे बाद 1 गिलास. भोजन करने के 2 घंटे बाद 1 गिलास पानी में साइट्रोसोडा पाउडर घोल कर रोजाना 3 बार पीएं. कुछ स्टोन एक्सरे में दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए 2 सप्ताह के बाद अल्ट्रासाउंड करा लें. अगर उस में अभी भी स्टोन दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें.

सवाल-

मैं 27 वर्षीय गृहिणी हूं. 10 वर्षों से मूत्र असंयम से परेशान हूं. छींकने, खांसने, हंसने पर भी पेशाब निकल जाता है. 2 बार यूरोडायनैमिक जांच करवा चुकी हूं. 3 महीने पहले जांच में पता चला कि ब्लैडर की मूत्रधारण क्षमता केवल 22 एमएल है. दवाएं ले रही हूं, लेकिन अभी भी पेशाब रोकना मुश्किल हो जाता है. बताएं मूत्र असंयम को कैसे ठीक करूं?

जवाब

आप के विवरण से लगता है आप बेहद कम धारण क्षमता वाले ब्लैडर के साथसाथ मिश्रित मूत्र असंयम से भी पीडि़त हैं. आप कोई ऐंटीकोलिनर्जिक दवा ले रही होंगी, जो काम नहीं कर रही है. समस्या के विस्तृत विश्लेषण, पेशाब की जांच, साइटोस्कोपी और अन्य परीक्षणों के लिए किसी मूत्र विशेषज्ञ से परामर्श करें. इस प्रकार के कम धारण क्षमता वाले ब्लैडर के मामले में टीबी जैसे पुराने संक्रमण के बारे में भी निश्चिंत हो जाना जरूरी है.

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सवाल-

मेरी पत्नी की उम्र 24 वर्ष है. उसे मूत्र संक्रमण है, जिस के कारण अकसर बुखार हो जाता है. उस के पेट में दर्द भी रहता है. साइड इफैक्ट के डर से ऐंटीबायोटिक्स लेने से वह घबराती है. बताएं क्या करें?

जवाब

यौन समागम के बाद विशेषकर नवविवाहित स्त्रियों में मूत्रनली संक्रमण होना सामान्य बात है. बारबार और देर तक यौन समागम से होने वाली जलन और खरोंच के कारण ऐसा होता है. इस के लक्षण में पेशाब करते समय जलन या पीड़ा, बारबार पेशाब लगना, पेशाब का रंग मटमैला होना, पेशाब के साथ खून और पेड़ू में दर्द होना शामिल है. यह मूत्रनली का स्थानिक संक्रमण है. संक्रमण के कारण उन का ल्यूकोसाइट बढ़ गया है और संक्रमण दूर करने के लिए उन्हें कुछ समय तक ऐंटीबायोटिक्स लेनी होगी. आप अपने डाक्टर से मूत्र संक्रमण के प्रति संवेदनशील और बिना साइड इफैक्ट वाले ऐंटीबायोटिक्स देने को कहें.

– समस्याओं के समाधान प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञा डा. उमा रानी द्वारा.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कातिल फिसलन: दारोगा राम सिंह के पास कौनसा आया था केस

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शहद से जुड़ी जान लें ये बातें

शहद एक मधुर द्रव है, जो मधुमक्खियों द्वारा पुष्पों के मकरंद को चूस कर उस में अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद छत्ते के कोषों में इकट्ठा करने से बनता है. शहद बेहद मीठा होता है. दूध के बाद शहद ही ऐसा पदार्थ है, जो उत्तम व संतुलित भोजन की श्रेणी में आता है, क्योंकि शहद में वे सभी तत्त्व पाए जाते हैं, जो संतुलित आहार में होने चाहिए. इस के बावजूद पाश्चात्य संस्कृति व आधुनिकता की अंधी दौड़ में शहद आज जनसामान्य के बीच अपनी लोकप्रियता खोता जा रहा है.

शुष्क व शीतल

शहद को मधु भी कहते हैं. आयुर्वेद में शहद को मीठा, शुष्क और शीतल होने के साथसाथ स्रावरोधी भी बताया गया है. यह वात और कफ को नियंत्रित करता है तथा रक्त व पित्त को सामान्य रखता है. आयुर्वेद में शहद को दृष्टि के लिए बहुत अच्छा माना गया है. यह प्यास को शांत करता है, कफ को बाहर निकालता है, शरीर में विषाक्तता को कम करता है और हिचकियों को रोकता है. इतना ही नहीं, शहद मूत्रमार्ग में उत्पन्न व्याधियों तथा निमोनिया, खांसी, डायरिया, दमा आदि में भी बहुत उपयोगी होता है. यह घावों के पानी को सोख कर भरण प्रक्रिया को तीव्र करता है तथा ऊतकों की वृद्धि को बढ़ाता है.

शहद में लगभग 75% शर्करा होती है, जिस में फ्रूक्टोज, ग्लूकोज, सुक्रोज, माल्टोज, लैक्टोज आदि प्रमुख हैं. शहद में जल 14 से 18% तक पाया जाता है. अन्य पदार्थों के रूप में प्रोटीन, वसा, एंजाइम तथा वाष्पशील सुगंधित पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में उपस्थित रहते हैं. यही नहीं, शहद में विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी12 तथा अल्प मात्रा में विटामिन सी, विटामिन एच और विटामिन के भी विद्यमान रहते हैं. इन के अतिरिक्त शहद में फास्फोरस, कैल्सियम, आयोडीन, आयरन भी पाए जाते हैं.

ऊर्जा से भरपूर

शहद को पूर्व पाच्य आहार भी कहते हैं, क्योंकि इस में कई प्रकार के एंजाइम मधुमक्खियों के उदर से आते हैं, जिन में से इनवर्टेज, एमाइलेज, कैटालेज, ग्लूकोज, आक्सीडेज प्रमुख हैं. ये एंजाइम उत्प्रेरक के रूप में जीवों के अंदर होने वाली रासायनिक क्रियाओं में भाग लेते हैं. पुष्पों का मकरंद मधुमक्खियों के सिर में स्थित ग्रंथियों से स्रावित एंजाइम इनवर्टेज की मदद से ग्लूकोज और फ्रूक्टोज में बदल जाता है. अत: शहद के सेवन के पश्चात आंत के ऊपर का भाग इसे अभिशोषित कर लेता है तथा यह तत्काल मस्तिष्क एवं मांसपेशियों तक जा कर ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है, जिस के कारण थकान दूर हो जाती है.

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औषधीय गुण

शहद को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है, क्योंकि शहद आर्द्रताग्राही होता है. यह घाव में मौजूद अतिरिक्त जल को सोख कर संक्रमण से बचाव करता है.

शहद का पी.एच. मान 3.29 से 4.87 के बीच होता है. ऐसा इस में उपस्थित एसिटिक, फार्मिक, लैक्टिक, टार्टरिक, फास्फोरिक, फाइटोग्लूटामिक तथा अमीनो अम्लों आदि के कारण होता है. अम्लीय होने के कारण इस में जीवाणुरोधी गुण स्वत: पाए जाते हैं.

सुबह शौच जाने से पूर्व शहद के साथ बराबर मात्रा में नीबू का रस मिला कर कुनकुने जल के साथ सेवन करने से मोटापा घटता है, कब्ज दूर होता है तथा रक्त शुद्ध होता है.

गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों द्वारा शहद का सेवन करने से पैदा होने वाला शिशु स्वस्थ तथा मानसिक दृष्टि से अन्य शिशुओं से बेहतर होता है.

त्वचा के जल जाने, कट जाने या छिल जाने पर भी शहद लगाने से लाभ मिलता है.

कंप्यूटर के सामने बैठ कर लंबे समय तक काम करने वाले व्यक्तियों को गाजर के रस के साथ 2 चम्मच शहद प्रतिदिन लेना चाहिए. इस से आंखें स्वस्थ रहती हैं तथा कार्य करते समय मन विचलित नहीं होता है.

उच्च रक्तचाप की अवस्था में लहसुन के रस के साथ बराबर मात्रा में शहद मिला कर लेने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है.

शहद का नियमित सेवन एवं उचित उपयोग शरीर को स्वस्थ, बलवान, स्फूर्तिवान एवं ऊर्जावान बना कर व्यक्ति को दीर्घ जीवन देता है. अत: सभी आयुवर्ग के लोगों को प्रतिदिन नियमित रूप से 1 चम्मच शहद का सेवन अवश्य करना चाहिए.     

शुद्ध शहद की पहचान

शहद की शुद्धता की पहचान उस के रंग, गंध तथा स्वाद को क्रमश: देख कर, सूंघ कर तथा खा कर की जा सकती है. शहद को देखने पर यदि उस में किसी प्रकार की लकीरें न दिखें, सूंघने पर शहद की गंध मिले तथा चखने पर गले में खराश महसूस न हो तो शहद शुद्ध है. बाजार में ज्यादातर शहद चाशनी मिला कर बेचा जाता है. जहां तक संभव हो सके विश्वसनीय और प्रतिष्ठित दुकानों से ही शहद खरीदना चाहिए.

कांच के 1 साफ गिलास में पानी भर कर उस में शहद की 1 बूंद टपकाएं. यदि शहद तली में बैठ जाए तो शहद शुद्ध है और यदि तली में पहुंचने से पहले ही घुल जाए या फैल जाए तो शहद अशुद्ध या मिलावट वाला है.

शुद्ध शहद देखने में पारदर्शी होता है, जबकि मिलावटी शहद शुद्ध शहद की तुलना में कम पारदर्शी होता है.

शुद्ध शहद में मक्खी गिर कर फंसती नहीं है, बल्कि फड़फड़ा कर उड़ जाती है. मिलावटी शहद में मक्खी फंसी रह जाएगी. काफी कोशिश के बाद भी उड़ नहीं सकेगी.

शहद में बताशा डालने पर यदि बताशा न पिघले तो शहद शुद्ध होगा और यदि बताशा पिघलने लगे तो शहद अशुद्ध होगा.

शुद्ध शहद आंखों में लगाने पर थोड़ी जलन होगी पर चिपचिपाहट नहीं होगी और थोड़ी देर के बाद आंखों में ठंडक का एहसास होता है.

शहद की बूंदों को किसी लकड़ी अथवा धागे पर टपका कर आग में जलाने पर यदि शहद जलने लगे तो यह शुद्ध है और यदि न जले या चटचट की आवाज के साथ धीरेधीरे जले तो मिलावटी है.

शुद्ध शहद सुगंधित होता है, ठंड में जम जाता है और गरमी में पिघल जाता है, जबकि मिलावटी शहद हर समय एक ही तरह का रहता है.

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शुद्ध शहद यदि कुत्ते के सामने रख दिया जाए तो वह सूंघ कर उसे छोड़ देगा, जबकि मिलावटी शहद को कुत्ता चाटने लगेगा.

शीशे की प्लेट में शहद टपकाने पर यदि उस की आकृति सांप की कुंडली जैसी बन जाए तो शहद शुद्ध है. मिलावटी शहद प्लेट में गिरते ही फैल जाएगा.

शुद्ध शहद का दाग कपड़ों पर नहीं लगता है, जबकि मिलावटी शहद का दाग कपड़ों पर लग जाता है.

सावधानियां

शहद को गुड़, घी, शक्कर, मिस्री, पके कटहल, तेल, मांस, मछली इत्यादि के साथ नहीं खाना चाहिए.

खुले व कई वर्ष पुराने शहद का सेवन नहीं करना चाहिए.

कांच की टूटी शीशी से निकले शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

एक ही बार में अधिक मात्रा में शहद का सेवन करने से उदरशूल होने की संभावना रहती है.

शहद को कभी भी तेज आंच पर गरम नहीं करना चाहिए और न ही गरम व मसालेदार भोज्य पदार्थों में मिलाना चाहिए. शहद में कई प्रकार के पुष्पों के पराग मौजूद होते हैं, जिन में से कुछ विषाक्त भी होते हैं. शहद को गरम करने पर या गरम भोजन में मिलाने पर विषैले परागों की विषाक्तता बढ़ जाती है, जिस से शारीरिक संतुलन में बाधा उत्पन्न होती है

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अस्तित्व: भाग 3- क्या प्रणव को हुआ गलती का एहसास

लेखक- नीलमणि शर्मा

तनु का क्रोध आज फिर अपना चरम पार करने लगा, ‘‘चुप रहिए, मैं ने पहले ही कहा था कि अब मुझ से बरदाश्त नहीं होता. ’’

‘‘कौन कहता है कि बरदाश्त करो…अब तो तुम ने मकान भी ले लिया है. जाओ…चली जाओ यहां से…मैं भूल गया था कि तुम जैसी मिडिल क्लास को कोठीबंगले रास नहीं आते. तुम्हारे लिए तो वही 2-3 कमरों का दड़बा ही ठीक है.’’

तनु इस अपमान को सह नहीं पाई और तुरंत ही अंदर जा कर अपना सूटकेस तैयार किया और वहां से निकल पड़ी. आंखों में आंसू लिए आज कोठी के फाटक को पार करते ही तनु को ऐसा लगा मानो कितने बरसों की घुटन के बाद उस ने खुली हवा में सांस ली है.

सारी रात आंखों में ही काट दी तनु ने अपने नए घर में…सुबह ही झपकी लगी कि डोरबेल से आंख खुल गई. सोचा, शायद प्रणव होंगे पर प्रोफेसर दीप्ति थी.

‘‘बाहर से ताला खुला देखा इसलिए बेल बजा दी. कब आईं आप?’’ शालीनता से पूछा था दीप्ति ने.

‘‘रात ही में.’’

‘‘ओह, अच्छा…पता ही नहीं चला. और मिस्टर राय?’’

‘‘वह बाहर गए हैं…तब तक दोचार दिन मैं यहां रह कर देखती हूं, फिर देखेंगे.’’

दीप्ति भेदभरी मुसकान से ‘बाय’ कह कर वहां से चल दी.

पूरा दिन निकल गया प्रतीक्षा में. तनु को बारबार लग रहा था प्रणव अब आए, तब आए. पर वह नहीं ही आए.

रात होतेहोते तनु ने अपने मन को समझा लिया था कि यह किस का इंतजार था मुझे? उस का जिस ने घर से निकाल दिया. अगर उन्हें आना ही होता तो मुझे निकालते ही क्यों…सचमुच मैं उन की जिंदगी का अवांछनीय अध्याय हूं. लेकिन ऐसा तो नहीं कि मैं जबरदस्ती ही उन की जिंदगी में शामिल हुई थी…

कालिज में मैं और निमिषा एक साथ पढ़ते थे. एक ही कक्षा और एक जैसी रुचियां होने के कारण हमारी शीघ्र ही दोस्ती हो गई. निमिषा और मुझ में कुछ अंतर था तो बस, यही कि वह अपनी कार से कालिज आती जिसे शोफर चलाता और बड़ी इज्जत के साथ कार का गेट खोल कर उसे उतारताबैठाता, और मैं डीटीसी की बस में सफर करती, जो सचमुच ही कभीकभी अंगरेजी भाषा का  ‘सफर’ हो जाता था. मेरा मुख्य उद्देश्य था शिक्षा के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना और निमिषा का केवल ग्रेजुएशन की डिगरी लेना. इस के बावजूद वह पढ़ाई में बहुत बुद्धिमान थी और अभी भी है…

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ग्रेजुएशन करने तक मैं कभी निमिषा के घर नहीं गई…अच्छी दोस्ती होने के बाद भी मुझे लगता कि मुझे उस से एक दूरी बनानी है…कहां वह और कहां मैं…लेकिन जब मैं ने एम.ए. का फार्म भरा तो मुझे देख उस ने भी भर दिया और इस तरह हम 2 वर्ष तक और एकसाथ हो गए. इस दौरान मुझे दोचार बार उस के घर जाने का मौका मिला. घर क्या था, महल था.

मेरी हैरानी तब और बढ़ गई जब एम.फिल. के लिए मेरे साथसाथ उस ने भी आवेदन कर दिया. मेरे पूछने पर निमिषा ने कहा था, ‘यार, मम्मीपापा शादी के लिए लड़का ढूंढ़ रहे हैं, जब तक नहीं मिलता, पढ़ लेते हैं. तेरे साथसाथ जब तक चला जाए…’ बिना किसी लक्ष्य के निमिषा मेरे साथ कदम-दर-कदम मिलाती हुई बढ़ती जा रही थी और एक दिन हम दोनों को ही लेक्चरर के लिए नियुक्त कर लिया गया.

इस खुशी में उस के घर में एक भव्य पार्टी का आयोजन किया गया था. उसी पार्टी में पहली बार उस के भाई प्रणव से मेरी मुलाकात हुई. बाद में मुझे पता चला कि उस दिन पार्टी में मेरे रूपसौंदर्य से प्रभावित हो कर निमिषा के मम्मीपापा ने निमिषा की शादी के बाद मुझे अपनी बहू बनाने पर विचार किया, जिस पर अंतिम मोहर मेरे घर वालों को लगानी थी जो इस रिश्ते से मन में खुश भी थे और उन की शानोशौकत से भयभीत भी.

इस सब में लगभग एक साल का समय लगा. प्रणव कई बार मुझ से मिले, वह जानते थे कि मैं एक आम भारतीय समाज की उपज हूं…शानोशौकत मेरे खून में नहीं…लेकिन शादी के पहले मेरी यही बातें, मेरी सादगी, उन्हें अच्छी लगती थी, जो उन की सोसाइटी में पाई जाने वाली लड़कियों से मुझे अलग करती थी.

तनु को यहां रहते एक महीना हो चुका था. कुछ दिन तो दरवाजे की हर घंटी पर वह प्रणव की उम्मीद लगाती, लेकिन उम्मीदें होती ही टूटने के लिए हैं. इस अकेलेपन को तनु समझ ही नहीं पा रही थी. कभी तो अपने छोटे से घर में 55 वर्षीय प्रोफेसर डा. तनुश्री राय का मन कालिज गर्ल की तरह कुलाचें मार रहा होता कि यहां यह मिरर वर्क वाली वाल हैंगिंग सही लगेगी…और यह स्टूल यहां…नहीं…इसे इस कोने में रख देती हूं.

घर में कपडे़ की वाल हैंगिंग लगाते समय तनु को याद आया जब वह जनपथ से यह खरीद कर लाई थी और उसे ड्राइंग रूम में लगाने लगी तो प्रणव ने कैसे डांट कर मना कर दिया था कि यह सौ रुपल्ली का घटिया सा कपडे़ का टुकड़ा यहां लगाओगी…इस का पोंछा बना लो…वही ठीक रहेगा…नहीं तो अपने जैसी ही किसी को भेंट दे देना.

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तनु अब अपनी इच्छा से हर चीज सजा रही थी. कोई मीनमेख निकालने वाला या उस का हाथ रोकने वाला नहीं था, लेकिन फिर भी जीवन को किसी रीतेपन ने अपने घेरे में घेर लिया था.

कालिज की फाइनल परीक्षाएं समाप्त हो चुकी थीं. सभी कहीं न कहीं जाने की तैयारियों में थे. प्रणव के साथ मैं भी हमेशा इन दिनों बाहर चली जाया करती थी…सोच कर अचानक तनु को याद आया कि बेटा  ‘यश’ के पास जाना चाहिए…उस की शादी पर तो नहीं जा पाई थी…फिर वहीं से बेटी के पास भी हो कर आऊंगी.

बस, तुरतफुरत बेटे को फोन किया और अपनी तैयारियों में लग गई. कितनी प्रसन्नता झलक रही थी यश की आवाज में. और 3 दिन बाद ही अमेरिका से हवाई जहाज का टिकट भी भेज दिया था.

फ्लाइट का समय हो रहा था… ड्राइवर सामान नीचे ले जा चुका था, तनु हाथ में चाबी ले कर बाहर निकलने को ही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई, उफ, इस समय कौन होगा. देखा, दरवाजे पर प्रणव खड़े हैं.

क्षण भर को तो तनु किंकर्तव्य- विमूढ़ हो गई. उफ, 2 महीनों में ही यह क्या हो गया प्रणव को. मानो बरसों के मरीज हों.

‘‘कहीं जा रही हो क्या?’’ प्रणव ने उस की तंद्रा तोड़ते हुए पूछा.

‘‘हां, यश के पास…पर आप अंदर तो आओ.’’

‘‘अंदर बैठा कर तनु प्रणव के लिए पानी लेने को मुड़ी ही थी कि उस ने तनु का हाथ पकड़ लिया, ‘‘तनु, मुझे माफ नहीं करोगी. इन 2 महीनों में ही मुझे अपने झूठे अहम का एहसास हो गया. जिस प्यार और सम्मान की तुम अधिकारिणी थीं, तुम्हें वह नहीं दे पाया. अपने  ‘स्वाभिमान’ के आवरण में घिरा हुआ मैं तुम्हारे अस्तित्व को पहचान ही नहीं पाया. मैं भूल गया कि तुम से ही मेरा अस्तित्व है. मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूं…यह सच है तनु, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं…पहले भी करता था पर अपने अहम के कारण कहा नहीं, आज कहता हूं तनु, तुम्हारे बिना मैं मर जाऊंगा…मुझे माफ कर दो और अपने घर चलो. बहू को पहली बार अपने घर बुलाने के लिए उस के स्वागत की तैयारी भी तो करनी है…मुझे एक मौका दो अपनी गलती सुधारने का.’’

तनु बुढ़ापे में पहली बार अपने पति के प्यार से सराबोर खुशी के आंसू पोंछती हुई अपने बेटे को अपने न आ पाने की सूचना देने के लिए फोन करने लगा.

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Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में बनाइए टेस्टी सांभर

आपने कई बार बाहर restaurants में सांभर खाया होगा पर अक्सर जब हम इसे घर पर बनाते है तो ओरिजिनल टेस्ट नहीं आ पाता.  तो चलिए आज मै आपको बिलकुल साउथ इंडियन टाइप सांभर बनाना बताएंगे. इस तरह सांभर बनाने के बाद आपके साउथ इंडियन फ़ूड का स्वाद दोगुना हो जायेगा.

कितने लोगो के लिए: 3 से 4

कितना समय:20 से 25 मिनट

मील टाइप:वेज

हमें चाहिए-

तेल –1 टेबल स्पून

अरहर की दाल-1 छोटा कप

लौकी- 1 ½  कप छोटे टुकड़े में कटी हुई

बैगन – 1 कप छोटे टुकड़े में कटा हुआ

गाज़र- ¼ कप छोटे टुकड़े में कटी हुई

सहजन की फली-4 से 5  टुकड़े 3 इंच की लम्बाई में कटे हुए (ऑप्शनल)

टमाटर- 1 मध्यम

प्याज़- 1 बड़े आकार का

सांभर पाउडर- 2 छोटे चम्मच

इमली का पेस्ट-1 बड़ा चम्मच (अगर आपके पास इमली नहीं है तो आप अमचूर पाउडर या नीम्बू भी इस्तेमाल कर सकते है)

राई –1 छोटा चम्मच

करी पत्ता-7 से 8

कड़ी लाल मिर्च -2 से 3

हींग-1 चुटकी भर

बनाने का तरीका –

सबसे पहले दाल को अच्छे से धोकर कुकर में दाल दीजिये.  अब कुकर में कटी हुई लौकी, बैगन,सहजन की फली  और नमक भी  डाल दीजिये. आप चाहे तो और भी कोई सब्जी ऐड कर सकते हैं. इसके  बाद  1 से 1 1/2 गिलास पानी डाल कर इसको 4 से 5 सीटी आने तक पकने दीजिये. अब गैस को बंद कर दीजिये और भाप खत्म हो जाने के बाद इसको किसी बर्तन में निकाल लीजिये.

अब 1/2 कप गर्म पानी में इमली को दाल कर भिगो दीजिये. फिर थोड़ी देर बाद उसके बीज हटाकर उसका पल्प निकाल लीजिये. अब एक कढाई में तेल गर्म कीजिये. अब उसमे तेल डालिए. तेल गर्म हो जाने के बाद उसमे राई डाल कर उसको चटकने दीजिये. अब उसमे करी पत्ता और खड़ी लाल मिर्च डाल दीजिये. अब उसमे कटी हुई प्याज़ डालकर उसको लाल होने तक भूनिए. इसके बाद उसमे टमाटर डालकर उसको भी पकने दीजिये.

जब टमाटर पक जाये तब उसमे कटी हुई गाज़र डाल दीजिये और उसको अच्छे से पका लीजिये. अब उसमे सांभर मसाला डाल दीजिये और उसको अच्छे से मिला दीजिये. अब ऊपर से उसमे पकी हुई दाल और सब्जियों का मिश्रण डाल दीजिये जिसे हमने कुकर में पकाया था.  और इमली का पल्प भी मिला दीजिये.

अब उसको अच्छे से पकने दीजिये.  अगर आपको थोडा सांभर पतला चाहिए तो उसमे अपने हिसाब से गर्म पानी मिला लीजिये. 7 से 8 मिनट पकने के बाद गैस बंद कर दीजिये. आप चाहे तो आप ऊपर से एक बार और राई और करी पत्ते का  तड़का लगा सकते है.

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