खुदगर्ज मां: भाग 1- क्या सही था शादी का फैसला

शादी जीवन को एक लय देती है. जैसे बिना साज के आवाज अधूरी है वैसे ही बिन शादी के जीवन अधूरा. जीवनसाथी का साथ अकेलेपन को दूर करता है.

‘‘मां, अब दोनों की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है. वैसे भी लड़के के आ जाने के बाद दोनों बेटियों के प्रति मेरा मोह भी कम हो गया है,’’ मां को नानी से यह कहते जब सुना तो मेरी आंखें भर आईं. मां का खत मिला. फोन पर तो लगभग मैं ने उन से बात ही करना बंद कर दिया था. सो, मेरी सहेली अनुराधा के हाथों उन्होंने खत भिजवाया. खत में वही पुरानी गुजारिश थी, ‘‘गीता, शादी कर लो वरना मैं चैन से मर नहीं पाऊंगी.’’ मैं मन ही मन सोचती कि मां तो हम बहनों के लिए उसी दिन मर चुकी थीं जिस दिन उन्होंने हम दोनों को अकेले छोड़ कर शादी रचा ली थी. अब अचानक उन के दिल में मेरी शादी को ले कर ममता कैसे जाग गई. मेहमान भी आ कर एक बार खबर ले लेता है मगर मां तो जैसे हमें भूल ही गई थीं. साल में एकदो बार ही उन का फोन आता. मैं करती तो भी यही कहती बिलावजह फोन कर के मुझे परेशान मत करो, गीता. अब तुम बड़ी हो गई हो. तुम्हें वहां कोई कमी नहीं है. अब उन्हें कैसे समझाती कि सब से बड़ी कमी तो उन की थी हम बहनों को. क्या कोई मां की जगह ले सकता है?

खत पढ़ कर मैं तिलमिला गई. अचानक मन अतीत के पन्नों में उलझ गया. वैसे शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जब अतीत को याद कर के मेरे आंसू न बहे हों. मगर मां जब कभी शादी का जिक्र करतीं तो अतीत का जख्म नासूर बन कर रिसने लगता. तब मैं 14 साल की थी. वहीं, मुझ से 2 साल छोटी थी मेरी बहन. उसे सभी छोटी कह कर बुलाते थे. मां ने तभी हमारा साथ छोड़ कर दूसरी शादी कर ली थी. पहले जब मैं मां के लिए रोती तो नानी यही कहतीं कि तेरी मां नौकरी के लिए दिल्ली गई है, आ जाएगी. पर मुझे क्या मालूम था कि कैसे मां और नानी ने मुझ से छल किया.

‘क्यों गई हैं?’ मेरा बालमन पूछता, ‘क्या कमी थी यहां? मामा हम सभी लोगों का खयाल रखते हैं.’ तब नानी बड़े प्यार से मुझे समझातीं, ‘बेटा, तेरे पिता कुछ करतेधरते नहीं. तभी तो तेरी मां यहां रहती है. जरा सोच, तेरे मामा भले ही कुछ नहीं कहते हों मगर तेरी मां को यह बात सालती रहती है कि वह हम पर बोझ है, इसीलिए नौकरी कर के इस बोझ को हलका करना चाहती है.’

‘वे कब आएंगी?’

‘बीचबीच में आती रहेगी. रही बात बातचीत करते रहने की, तो उस के लिए फोन है ही. तुम जब चाहो उस से बात कर सकती हो.’ सुन कर मुझे तसल्ली हुई. मैं ने आंसू पोंछे. तभी मां का फोन आया. मैं ने रोते हुए मां से शिकायत की, ‘क्यों हमें छोड़ कर चली गईं. क्या हम साथ नहीं रह सकते?’

मां ने ढांढ़स बंधाया, नानी का वास्ता दिया, ‘तुम लोगों को कोई तकलीफ नहीं होगी.’

मैं ने कहा, ‘छोटी हमेशा तुम्हारे बारे में पूछती रहती है.’

‘उसे किसी तरह संभालो. देखो, सब ठीक हो जाएगा,’ कह कर मां ने फोन काट दिया. मेरे गालों पर आंसुओं की बूंदें ढुलक आईं. बिस्तर पर पड़ कर मैं सुबकने लगी.

पूरा एक महीना हुआ मां को दिल्ली गए. ऐसे में उन को देखने की तीव्र इच्छा हो रही थी. नानी की तरफ से सिवा सांत्वना के कुछ नहीं मिलता. पूछने पर वे यही कहतीं, ‘नईनई नौकरी है, छुट्टी जल्दी नहीं मिलती. जैसे ही मिलेगी, वह तुम सब से मिलने जरूर आएगी,’ मेरे पास सिवा सुबकने के कोई हथियार नहीं था. मेरी देखादेखी छोटी भी रोने लगती. मुझ से उस की रुलाई देखी नहीं जाती थी. उसे अपनी बांहों में भर कर सहलाने का प्रयास करती ताकि उसे मां की कमी न लगे.

मां के जाने के बाद छोटी मेरे ही पास सोती. एक तरह से मैं उस की मां की भूमिका में आ गई थी. अपनी हर छोटीमोटी जरूरतों के लिए वह मेरे पास आती. एक भावनात्मक शून्यता के साथ 2 साल गुजर गए. जब भी फोन करती, मां यही कहतीं बहुत जल्द मैं तुम लोगों से मिलने बनारस आ रही हूं. मगर आती नहीं थीं. हमारा इंतजार महज भ्रम साबित हुआ. आहिस्ताआहिस्ता हम दोनों बहनें बिन मां के रहने के आदी हो गईं. मैं बीए में पहुंच गई कि एक दिन शाम को जब स्कूल से घर लौटी तो देखा मां आई हुई हैं. देख कर मेरी खुशी की सीमा न रही. मां से बिछोह की पीड़ा ने मेरे सब्र का बांध तोड़ डाला और बह निकला मेरे आंखों से आंसुओं का सैलाब जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. नानी ने संभाला.

‘अब तुम कहीं नहीं जाओगी,’ सिसकियों के बीच में मैं बोली. वे चुप रहीं. उन की चुप्पी मुझे खल गई. जहां मेरे आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे वहीं मां का तटस्थ भाव अनेक सवालों को जन्म दे रहा था. क्या यहां आ कर उन्हें अच्छा नहीं लगा? 2 साल बाद एक मां को अपने बच्चों से मिलने की जो तड़प होती है उस का मैं ने मां में अभाव देखा. शायद नानी मेरे मन में उठने वाले भावों को भांप गईं. वे मुझे बड़े प्यार से दूसरे कमरे में यह कहती हुई ले गईं कि तुम्हारी मां लंबी यात्रा कर के आई है, उसे आराम करने की जरूरत है. जो बातें करनी हों, कल कर लेना. ऐसा मैं ने पहली बार सुना. अपनी औलादों को देख कर मांबाप की सारी थकान दूर हो जाती है, यहां तो उलटा हो रहा था. मां ने न हमारा हालचाल पूछा न ही मेरी पढ़ाईलिखाई के बारे में कुछ जानने की कोशिश की.

उन्होंने एक बार यह भी नहीं कहा कि बेटे, मेरी गैरमौजूदगी में तुम लोगों को जो कष्ट हुआ उस के लिए मुझे माफ कर दो. छोटी भी लगभग उपेक्षित सी मां के पास बैठी थी. मां के व्यवहार में आए इस अप्रत्याशित परिवर्तन को ले कर मैं परेशान हो गई. बहरहाल, मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गई. वैसे भी मां के बगैर रहने की आदत हो गई थी. लेटेलेटे मन मां के ही इर्दगिर्द घूमता रहा. 2 साल बाद मिले भी तो मांबेटी अलगअलग कमरों में लेटे हुए थे. सिर्फ छोटी जिद कर के मां के पास बैठी रही.

आगे पढ़ें- एकबारगी मैं असमंजस की स्थिति में…

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस के जाल में: क्या हुआ गरिमा के साथ

कोविड के बाद एक्ट्रेसेस ने Lakme Fashion Week रैंप पर बिखेरे जलवे

पिछले दो वर्षों में कोविड वायरस ने हमारे नियमित जीवन शैली को बाधित करने के साथ-साथ हम सभी से बहुत कुछ छीन लिया है. इसमें फैशन इंडस्ट्री, जो अपने फेस्टिवल के द्वारा नई-नई ड्रेसेज से ग्राहकों को परिचय करवाती है, प्राय: खत्म होने की कगार पर थी. इससे थोडा उबरने के लिए लक्मे फैशन वीक भी तीन सीजन डिजिटल हुआ, लेकिन उसमें कपड़ो की क्वालिटी रंग और टेक्सचर को समझना मुश्किल था. ऐसे में इस बार बहुत उमंग के साथ सभी डिजाईनरों ने भाग लिया. इस बार FDCI x Lakme Fashion Week 2022का आयोजन दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 5 दिन चली, जो फिजिकल थी.

जमावड़ा बड़े डिजाईनर्स का

इसमें सभी बड़े-बड़े डिज़ाइनर्स ने भाग लिया, जिसमें तरुण तहिलियानी, मनीष मल्होत्रा, शांतनु &निखिल,अंजू मोदी, आशीष सोनी, श्रुति संचेती आदि के अलावा कुछ नए डिजाईनरों ने भी अपने खूबसूरत पोशाको से रैंप को आलोकित कर दिया,हालाँकि इस बार फैशन मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हुआ, इससे फैशन प्रिय दिल्ली वाले बहुत खुश हुए और हर दिन हर शो में विजिटर्स खचाखच भरे हुए रहे.

ध्यान प्रकृति पर

इस बार की शो में सभी डिजाईनरों ने प्रकृति और उसकी अहमियत पर अधिक ध्यान दिया जिसमें सभी ने सस्टेनेबल फैशन को जरुरी समझा, क्योंकि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इसे करना बहुत जरुरी था. राहुल मिश्रा की इटालियन एम्बेसी के साथ जुड़कर बनाए गए पोशाक डिजाईनर की प्रकृति के प्रति प्रेम को दिखाती है, जिसमे सिनिक ब्यूटी, कलर्डबीड्स और फ्लोरल डिजाईन मुख्य थे.

सोनल वर्मा की ब्रांड ‘Rara Avis ने सफ़ेद, पीला, सी ग्रीन, पर्पल आदि सभी सूदिंग कलर के अलावा फायरी रेड और रिफ्रेशिंग ग्रीन पेश किये, जो उज्बेकी फेब्रिक सिल्क और इंडियन मशरू को मिक्स कर बनाया गया आरामदायक पोशाक है, जिसे आने वाले किसी भी मौसम में किसी भी अवसर पर पहना जा सकता है. जिसमें जैकेट्स, मेक्सिस, लॉन्ग फ्रॉक आदि के साथ हल्के गहने भी थे, जो हर ड्रेस से मैच करती थी.

ये भी पढ़ें- इस ड्रैस में Janhvi Kapoor को कॉम्पीटिशन देती दिखीं Nikki Tamboli

डिज़ाइनर श्रुति संचेती की ब्रांड पिनाकल के तहत Alchemy कलेक्शन को मंच पर लाया गयाजो काबिलेतारीफ थी. इस बारें में श्रुति कहती है कि इस बार की फैशन वीक को मैंने बहुत एन्जॉय किया है, मॉडल्स को पोशाक, केश, मेकअप, हेयर आदि के साथरैंप पर उतारना एक अलग बात होती है, इसमें सब लाइव होती है, जिससे किसी भी गलती पकड़ में आ जाती है. 10 मिनट के इस समय में फेब्रिक, फिनिशिंग, रंग सबकुछ सामने दिखता है. इसलिए इसे फ्लालेस बनाया जाता है, इसमें डिज़ाइनर की कैपबिलिटी भी सामने होती है. डिजिटल में व्यवसाय करना मुश्किल होता है. टाइमलेस, सीजन फ्लूइड, अच्छे कपडे आज की मांग है और पेंड़ेमिक ने ये सबको सीखा दिया हैकि आजकल सबकुछ अनस्टेबल हो चुका है, कब क्या हो, किसी को पता नहीं. इसलिए सभी ने इस बार सस्टेनेबल फैशन और अच्छे कपड़ों पर अधिक जोर दिया है,जिसमें कारीगर की मजदूरी, ओरगेनिक रंग, सही टिकाऊ फेब्रिक आदि सब इसके अंतर्गत आते है. जिससे लोग उसे सालों तक पहन सकते है और बाद में माँ अपनी बेटी को भी दे सकें, ताकि ये सालों साल तक नयी लगे. इसके अलावा मैंने इंडियन आउट फिट के साथ वेस्टर्न का मिश्रण किया है, जिसमें एकतार की कढ़ाई, उदयपुर की रॉयल कढ़ाई, पीटा वर्क, जो महेश्वरी सिल्क और चंदेरी फेब्रिक पर बनी थी ये 10 साल बाद भी बिना सोचे पहनी जा सकती है. रंग मेरे कलेक्शन में अधिक रहते है. सफ़ेद से शुरू कर रस्ट, ब्लूज, पिंक, रानी, ओरेंज आदि सभी रंग, जो इंडियन और ग्लोबल के लिए भी सही होता है. इसमें साड़ी, कुर्ता, पैजामा, जैकेट घाघरा चोली, आदि  है.

भारतीय कारीगरी को आगे लाने की कोशिश

डिज़ाइनर जोड़ी नीलांजन घोष और कनिका सचदेवा की ब्रांड ‘जाजबर’ ने Wah Usta Wah ‘ समर कलेक्शन को रैंप पर उतारा. उस्ता शब्द पर्सियन वर्ड उस्ताद से निकला है, जो परसिया से होते हुए राजस्थान में बीकानेर के रॉयल परिवार महाराजा राय सिंह तक पहुंचा है. इसमें भारत और यूरोपियन स्टाइल को मिलाकर की गई कारीगरी देखने लायक थी. नीलांजन इस बारें में कहते है कि कोविड की वजह से सबकुछ लॉक हो गया था, इस फेस्टिवल के द्वारा मैंने अपने कलेक्शन को रैंप पर उतारा है. हमारे डिजाईन सबसे अलग होने की वजह हमारा ट्रेवल करना है, जिससे नए कांसेप्ट का जन्म होता है और ये कारीगरी भारत की कला को आगे ले जाने की कोशिश भी है. इस बार समर और विंटर कुछ ऐसा अलग फेब्रिक मटेरिअल देखा नहीं गया है, इससे कपड़ों और डिजाईन को लोगों तक पहुँचाना आसान था.

यूथ पॉवर

इस शो के पूरे सप्ताह के दौरान यूथ को भी अपनी कला के प्रदर्शन के लिए समय मिला, जिसमें सोहन आचार्य और श्रिया खन्ना के पोशाक ने सबका मन मोह लिया. इसके अलावा पर्ल एकादमी के छात्रों के इनोवेटिव काम सभी को आकर्षित किये, इससे ऐसे नये बडिंग डिजाईनर्स को आगे बढ़ने को अच्छा अवसरमिलता है.

ये भी पढ़ें- 5 Tips: शादी के बाद ऐसे दिखें फैशनेबल

बिग बोल्ड फैशन

इस बार ऑल ने बिग बोल्ड फैशन को रैंप पर उतारा, जिसमें ह्यूज, शानदार और चुस्ती-फुर्ती  वाले फैशन बॉडी टाइप के हिसाब से ‘टाई एंड डाई कलेक्शन’ को खूबसूरत रंगों के साथ मॉडल्स का रैंप पर चलना आकर्षक रहा.

दिखी सेलेब्स की शान

FDCI x Lakme Fashion Weeksummer collection 2022 में इस बार रैंप पर शो स्टॉपर सभी सेलेब्स ने रैम्प पर चलकर अपनी ख़ुशी जताई, क्योंकि कोविड से पूरी तरह से बाधित फैशन इंडस्ट्री फिर से एक बार चल पड़ी है. इसमें कंगना रनौत, श्रुति हसन, हुमा कुरैशी, मनोज बाजपेयी, साकिब सलीम मृणाल ठाकुर, सोहा अली खान, पूजा हेगड़े, फैशन इनफ्लुएंसर मासूम मिनावाला आदि सभी ने रैंप पर डिज़ाइनर्स के खूबसूरत ड्रेसेज पहनकर जलवे बिखेरे.

इसके अलावा लक्मे की ब्रांड एम्बेसेडर अनन्या पांडे ने पिछले साल की तरह इस साल भी ग्रैंड फिनाले को प्रभावशाली बनाया. रैम्प पर उन्होंने पहले की तरह दर्शकों को शो स्टॉपर बनकर चकित कर दिया. उन्होंने प्रसिद्ध डिज़ाइनर जोड़ी फाल्गुनी शाने पीकॉकके पोशाक में नजर आई, जो आज और आने वाले समय में भी ट्रेंड में रहेगा.

इन 5 बातों से मजबूत बनता है ननद-भाभी का रिश्ता

हमारे देश में शादी केवल दो लोगों का मेल नहीं होता है, जबकि इसे दो परिवारों का मेल माना जाता हैं. जिसमें कई नए रिश्ते बनते हैं और उनको निभाने की जिम्मेदारी भी आती हैं. खासतौर से लड़कियों को अपने नए रिश्तों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है कि किस तरह से वह उन्हें निभा पाती हैं.

ऐसा ही एक अनूठा रिश्ता होता है ननद-भाभी का जो दोस्ती के रिश्ते के लिए भी जाना जाता हैं. जी हां, अगर आप इस रिश्ते में कुछ तरीके अपनाती है तो यह रिश्ता और मजबूत होता हैं. तो आइये जानते हैं कि किस तरह से ननद-भाभी का रिश्ता बनता है मजबूत.

घर के काम में करें मदद

भले ही आप अपना काम करके फ्री हो गई हो, यह कभी मत सोचो कि यह उसका ही काम है और आप ही खत्म करें बल्कि उस वक्त उसकी काम में हाथ बटाएं और उससे बाते करें.

ननद की बाते न करें शेयर

अगर आपकी ननद आपसे फ्रैंड के तरह रहती है और आपसे सभी पर्सनल बाते शेयर करती है तो आप उसकी बातों को कभी भी घर में किसी से भी शेयर न करें. अगर आपको उनकी कुछ बातें गलत लगती हो तो आप ही उसे प्यार से समझाएं. उसे यह भी न लगे कि आप उसे रोक-टोक करती है.

nanad bhabhi relationship

ये भी पढ़ें- जब सहेली हो सैक्सी

गिफ्ट जरूर दें

गिफ्ट लेना तो सभी को बहुत पसंद होता है. अगर आप अपनी ननद को खुश करना चाहती है तो जब कभी आप मार्किट जाती है तो उसके लिए कुछ न कुछ खरीद कर जरूर लाएं. खास कर जब उसका बर्थडे हो उसे उसकी पसंद का गिफ्ट दें.

अपनी चीजें करें शेयर

अगर आप अपनी ननद को फैन बनाना चाहती है तो अपनी खरीदी कोई भी नई चीज सबसे पहले उसे ऑफर करें. जिस से उसे लगेगा कि आप उसे दिल से चाहती है और आप अपनी चीजों को पर्सनल नहीं समझती. इस तरह वह भी आपसे अपनी कोई चीज नहीं छुपाएंगी.

nanad bhabhi relationship

पति की बुराई न करें

आपके पत्ति में जितनी भी बुराईयां हो पर अपनी ननद के सामने कभी न बोलें क्योंकि कोई भी बहन अपने भाई की बुराई नहीं सुनती. वह आपकी बातें अपने भाई को बता सकती है जिससे आपके रिश्ते में दरार पड़ सकती है. इससे तो बेहतर है आप ही उन्हें शांति से समझाएं.

ये भी पढ़ें- कामयाबी की पहली शर्त

ग्रहण हट गया: क्या थी अभिजीत माथुर की कहानी

family story in hindi

Summer Special: आइस टी से पाएं हर सिप में ताजगी

मिताली के घर जब उस की सहेलियां आईं तो सब के स्वागत के लिए  उस ने विनम्रता से पूछा, ‘‘चाय लोगे या ठंडा?’’

‘‘चाय की इतनी आदत है कि बिना चाय के मन नहीं मानता और इतनी गरमी में चाय पीने की इच्छा भी नहीं होती.’’

उन के इस उत्तर का हल मिताली के पास था. अत: वह सब के लिए स्वादिष्ठ फू्रटी फ्लेवर वाली कूलकूल आइस्ड टी ले आई. फिर क्या था, महफिल में जान आ गई.

आइस्ड टी की शुरुआत 1904 में मिसूरी (अमेरिका) के सैंट लुईस वर्ल्ड फेयर में हुई थी जब  झुलसती गरमी से बचाव हेतु एक चाय के बागान के मालिक ने अपनी चाय को बर्फीले पाइपों में से निकाल कर ठंडा किया था.

आइस्ड टी के ग्रीन ऐप्पल और पीच फ्लेवर तो सब ने चखे हैं, किंतु आज बाजार में अनगिनत फ्लेवर मौजूद हैं जैसे- फ्रूटी, मैंगो, मिंट, बेसिल, बेरी, ब्लैक, व्हाइट, औरेंज, कैमोमाइल आदि.

चाय ही क्यों

चाय एक स्वास्थ्यवर्धक पेय है, जिस में काफी मात्रा में ऐंटीऔक्सीडैंट्स मौजूद होते हैं. यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाती है, साथ ही शरीर का मैटाबोलिज्म यानी चयापचय भी विकसित करती है. चाय पीने से हमारे अंदर  ऊर्जा का संचार होता है.

पसंद अपनीअपनी

इंडीगो डेलीकैटेसन के जयदीप मुखर्जी को आइस्ड टी में हर्ब मिलाना भाता है तो मिंगल टी के मालिक अमित आनंद को औरेंज और मिंट ग्रीन टी पसंद है. औरेंज में मौजूद विटामिन सी की प्रचुर मात्रा और मिंट की ठंडक व ताजगी गरमी को फटाफट भगा देती है.

वेस्टिन हैदराबाद के मुकेश शर्मा को लाइम और लैवेंडर, लैमनग्रास और हनी, ब्लैक बेरी बेसिल आदि ऐक्सोटिक स्वाद लुभाते हैं. चाहें तो आप थोड़ा सोडा, नीबू के रस की कुछ बूंदें और 1 चम्मच शहद मिला कर स्वाद को अलग स्तर पर ले जा सकती हैं.

बैस्ट आइस्ड टी रैसिपी

सब से पहले एक पतीले में 9-10 कप पानी उबाल लें. आंच से उतारने के बाद इस में 7-8 टी बैग्स डालें. आप को आइस्ड टी लाइट पसंद है या स्ट्रौंग, इस के हिसाब से टी बैग्स की मात्रा तय करें. टी बैग्स को 9-10 मिनट पानी में रहने दें. टी बैग्स हटा कर इस मिश्रण को ठंडा होने दें. ठंडा होने पर बर्फ से भरे गिलास में डाल कर परोसें.

सही नुस्खा

अगर आप लाजवाब आइस्ड टी बनाना चाहती हैं तो आप को चाहिए बेहतरीन चायपत्ती. अच्छी गुणवत्ता की चायपत्ती के साथ अगर आप अपनी आइस्ड टी को गार्निश करना चाहती हैं तो वह सामग्री तैयार रखें. चाय को उबालने और मनमाफिक मीठा करने का इंतजाम भी करना होगा. फिर आप इस से चाहे मौकटेल बनाएं या कौकटेल.

हम आप को कुछ और अच्छी रैसिपी  बताते हैं:

वैनिला आइस्ड टी चिपचिपाहट भरे मौसम में रिफ्रैश कर देने वाला पेय है खासकर तब जब आप इस में कुछ बूंदें नीबू की भी डाल दें. इसे बनाना बेहद आसान है. बहुत कम मात्रा में चायपत्ती लें और उसे पानी में उबाल लें. चीनी अपनी इच्छानुसार डालें. ठंडा करने के बाद इस  में वैनिला ऐसैंस की 2 बूंदें, कुछ बूंदें नीबू रस  की डालें, एक कांच के गिलास में डालें, बर्फ  से भरें.

फ्रूट टी बनाने के लिए जो मौसमी फल उपलब्ध हों जैसे आम, आड़ू, सेब, अंगूर, खीरा, तरबूज आदि के टुकड़े काट लें. पानी को उबाल लें, आंच से हटा कर उस में टी बैग्स डाल कर ठंडा होने दें. करीब 1/2 घंटे के बाद इस मिश्रण को किसी बड़ी शीशी में डालें, उस में कटे फल मिलाएं और स्वादानुसार चीनी या शहद मिलाएं. फ्रिज में ठंडा कर और बर्फ के साथ परोसें.

फू्रट टी के लिए आप कोई बेरी, जैसे रसभरी, स्ट्राबेरी, जामुन, शहतूत भी मिला सकती हैं.

जिंजर और हनी टी के लिए अदरक के टुकड़ों को पानी में उबाल कर थोड़ा शहद मिलाएं. अब इस में टी बैग डाल कर ठंडा करें. इस से न केवल आप को ताजगी मिलेगी, वरन यह आप के लिए ऐंटीऔक्सीडैंट का काम भी करेगी. यह आइस्ड टी शरीर के साथसाथ दिल और दिमाग को भी शांत रखेगी.

औरेंज आइस्ड टी बनाने के लिए आइस्ड टी बना कर उस में थोड़ा औरेंज जूस मिला लें. स्वाद में तो यह बेजोड़ होगी ही, साथ ही गरमियों की सुस्ती भगाने में भी उपयोगी रहेगी. चीनी और पुदीनापत्ती स्वादानुसार डाल सकती हैं.

ग्रीन आइस्ड टी के लिए आप को ग्रीन टी बैग्स चाहिए. ग्रीन टी चाहे गरम पीएं या ठंडी, स्वास्थ्यवर्धक होती है. फिटनैस के शौकीन ग्रीन टी बैग्स को आइस्ड टी में शहद के साथ मिला कर थोड़ा नीबू का रस भी डाल सकती हैं, साथ ही तुलसी या पुदीनापत्ती से गार्निशिंग करें.

थाई आइस्ड टी के लिए 2 चम्मच कोकोनट मिल्क और 1 चम्मच कंडैंस्ट मिल्क आइस्ड टी में मिला लें.

होम शैफ मालिनी साहनी सु झाती हैं कि  इसे कौकटेल बनाने के लिए इस में कोकोनट रम या स्पाइस्ड रम भी मिला सकती हैं. अमित आनंद कहते हैं कि आइस्ड टी में आप 2 चम्मच बर्बन व्हिस्की के साथ 1 चम्मच मेपल सीरप भी  मिला सकती हैं. इसे संतरे की फांकों से सजा  कर परोसें.

 कुछ नायाब कौंबिनेशन

आइस्ड टी बनाने के लिए आप को कुछ हिट स्वादों का पता होना चाहिए:

– आम की फांकों के साथ पुदीने की पत्तियों को अपनी आइस्ड टी में मिलाएंगी तो लाजवाब स्वाद आएगा.

– वैनिला ऐसैंस के साथ कुछ बूंदें नीबू की निचोड़ लें.

– ग्रीन ऐप्पल के साथ कुछ फांकें पीच की भी काट कर मिला लें.

– कैमोमाइल टी बैग्स के साथ चमेली के फूल मिलाने से गजब की खूशबूदार आइस्ड टी बन सकती है.

– फू्रट टी बनाते समय फलों के साथ मिंट लीव्स मिलाने से शीतलता और बढ़ेगी.

– तरबूज के साथ तुलसी के पत्तों वाली आइस्ड टी चिलचिलाती गरमियों के लिए सर्वोत्तम है.

बरतें ये सावधानियां

– टी बैग्स को उबले पानी में करीब  10 मिनट ही छोड़ें वरना स्वाद कड़वा हो सकता है.

– जितनी चाहिए उस से थोड़ी अधिक आइस्ड टी बना लें ताकि दोबारा पीने का मन करे तो आप फटाफट लुत्फ उठा सकें. लेकिन 24 घंटों से अधिक न रखें वरना यह टौक्सिक हो सकती है.

– फ्रिज में रखने से पहले इस मिश्रण को ठंडा होने दें.

– कुनकुनी चाय में ही मीठा मिला दें ताकि वह एकसा स्वाद दे.

Summer Special: खूबसूरती का खजाना है मध्य प्रदेश का हिल स्टेशन ‘पचमढ़ी’

इतिहास और खूबसूरती का अद्भुत रंग समेटे मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी को सतपुड़ा की रानी के नाम से भी जाना जाता है. प्रदेश के होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा की पहाडि़यों के बीच पहाड़ों और जंगलों से घिरे हिल स्टेशन पचमढ़ी में पर्यटकों को कश्मीर जैसी खूबसूरती व नेपाल की शांति मिलती है. अगर आप भी कुदरत के सौंदर्य को नजदीक से निहारना चाहते हैं तो सुकून और प्रदूषणरहित वातावरण से भरपूर पचमढ़ी एक बेहतर प्लेस है. यहां की खूबसूरती और आबोहवा सिर चढ़ कर बोलती है. खुशबूदार हवा, फाउंटेन, मनमोहक पेड़पौधे, पहाड़ और दूरदूर तक फैली हरियाली आंखों के सामने नैसर्गिक सौंदर्य का संसार प्रस्तुत करते हैं. यहां का तापमान सर्दी में 4.5 डिगरी सैल्सियस और गरमी में अधिकतम 35 डिगरी सैल्सियस होता है.

यहां आप वर्षभर किसी भी मौसम में जा सकते हैं. यहां की गुफाएं पुरातात्त्विक महत्त्व की हैं क्योंकि यहां की गुफाओं में शैलचित्र मिले हैं. यहां की प्राकृतिक संपदा को पचमढ़ी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संजोया गया है. पर्यावरण की दृष्टि से पचमढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए यहां पौलिथीन का उपयोग नहीं करने दिया जाता.

दर्शनीय स्थल

पांडव गुफा

पचमढ़ी की एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित 5 गुफाओं को पांडव गुफा के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि ये गुफाएं गुप्तकाल की हैं और इन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था. ऐसी भी मान्यता है कि 5 पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इन गुफाओं में कुछ समय बिताया था. गुफा के ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से पूरी पचमढ़ी के सौंदर्य को निहारा जा सकता है.

ये भी पढ़ें- घर के कामों में भी काम आएगी नेलपेंट

अप्सरा विहार

पांडव गुफा से आगे 30 फुट गहरा एक ताल है जहां नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है. बच्चों के साथ घूमने के लिए यह एक बेहतरीन पिकनिक स्पौट है.

रजत प्रपात

अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस प्रपात से 350 फुट की ऊंचाई से गिरता इस का पानी एकदम दूध की तरह दिखाई देता है. अपने साथ एक जोड़ा कपड़ा ले जाएं ताकि इस प्रपात में स्नान कर सकें.

हांडी खोह

300 फुट गहरी यह खाई पचमढ़ी की सब से गहरी खाई है. खाई का अंतिम छोर जंगल के ऊंचेऊंचे पेड़ों के कारण दिखाई नहीं देता. घने जंगलों में ढकी इस खाई के आसपास कलकल बहते झरनों की आवाज सुनना अद्भुत आनंद देता है. ऊपर से देखने पर एक रोमांचभरी सिहरन पैदा होती है. स्थानीय लोग इसे अंधी खोह के नाम से भी पुकारते हैं. यहां बनी रेलिंग प्लेटफौर्म से पूरी घाटी का नजारा दिखाई देता है.

धूपगढ़

धूपगढ़ सतपुड़ा रेंज की सब से ऊंची चोटी है. यहां से सनसैट का व्यू काफी सुंदर दिखाई देता है. धूपगढ़ तक जाने के लिए अंतिम 3 किलोमीटर का रास्ता काफी घुमावदार है. बादलों के बीच में ही धीरेधीरे मलिन होते सूरज को देखना एक अनोखा अनुभव होता है.

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान

524 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान की स्थापना 1981 में हुई थी. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह उद्यान जहां चीड़, देवदार, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य छोटेबड़े वृक्षों से ढका हुआ है वहीं यहां आप को बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू और रंगबिरंगे पक्षियों के भी दर्शन हो जाएंगे.

डचेश फौल्स

यह पचमढ़ी का सब से दुर्गम स्पौट है. यहां पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है. 700 मीटर का रास्ता जहां घने जंगलों के बीच से पार करना पड़ता है वहीं करीब 800 मीटर का रास्ता पहाड़ पर से सीधा ढलान का है, इसलिए काफी संभलसंभल कर चलना पड़ता है. लेकिन नीचे उतरने के बाद फौल में नहाने से सारी थकान पल में छूमंतर हो जाती है.

ये भी पढ़ें- 11 Tips: Pollution Free हो आपका घर

इस का नाम बी फौल्स इसलिए पड़ा क्योंकि पहाड़ी से गिरते समय यह झरना बिलकुल मधुमक्खी की तरह दिखता है. यहां आते समय अपने साथ स्पोर्ट्स शूज लाना न भूलें क्योंकि पहाड़ी रास्तों पर चलने के दौरान उन की जरूरत पड़ती है. यह 3 बजे बंद हो जाता है.

समुद्रतल से 1,100 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस शहर की आबादी लगभग 12 हजार है और यहां की जीवनशैली आज भी बाहरी चकाचौंध से अछूती है. प्रदूषणरहित वातावरण में कुदरत के सौंदर्य को निहारने के लिए इस छोटी सी सैरगाह में स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें. इन में कई जगह कैमरे या हैंडीकैम का शुल्क है, इसलिए गाइड से पूछ लें कि यह शुल्क कहां जमा कराया जाए.

कहां ठहरें

पचमढ़ी में ठहरने की बहुत अच्छी व्यवस्था है. मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के भी हेरिटेज होटल और गेस्ट हाउस हैं जो विभिन्न आयुवर्ग की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं.

समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा  

जंग महिला उत्पीड़न के खिलाफ :ट्रूकौलर के साथ  समाज में महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा व्यापक रूप में मौजूद है और इस के आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं इस के साझेदारों के नए आंकड़ों में यह तथ्य साफ हैं. हर 3 में से 1 महिला, यानि 736 मिलियन

महिलाएं जीवन में कभी न कभी अपने साथी के द्वारा शारीरिक या यौन शोषण अथवा गैर साथी के द्वारा यौन शोषण का शिकार होती हैं- ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं, जिन में पिछले दशक के दौरान कोई बदलाव नहीं आया है.

हालांकि महिलाओं के सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा की बात करें तो हमने इस दिशा में कुछ प्रगति की है, किंतु अभी बहुत काम करना बाकी है. विडम्बना यह है कि आदिकाल से ही इन सभी मुद्दों को समझने के बावजूद महिलाएं सदियों से पितृसत्ता का शिकार हो रही हैं.

यह शोषण आज डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी हो रहा है और बड़े पैमाने पर व्याप्त हो चुका है. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर महिलाओं के साथ होने वाले इस शोषण को समझने के लिए ट्रुकॉलर ने कई सर्वेक्षण किए हैं. हमारे सर्वेक्षण में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं: विभिन्न देशों की लाखों महिलाओं को रोज़ाना अनचाहे कॉल्स और मैसेज मिलते हैं. पांच में से चार देशों में (भारत, केन्या, इजिप्ट, ब्राज़ील) हर 9-10 में से 8 महिलाओं को शोषण करने वाले कॉल किए जाते हैं. भारत में, सर्वेक्षण की जाने वाली हर 5 में 1 महिला ने बताया कि उन्हें यौन शोषण करने वाले फोनकॉल या एसएमएस मिलते हैं.

सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि 78 फीसदी महिलाओं को सप्ताह में कम से कम एक बार तथा 9 फीसदी महिलाओं को सप्ताह में 3-4 बार इस तरह के कॉल आते हैं. भारत पहला ऐसा देश है जहां ट्रुकॉलर ने इस तरह का सर्वेक्षण किया है. कंपनी ने अध्ययन किया कि इस तरह के कॉल या मैसेज का महिलाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है.

हाल ही में भारत में, महिलाओं एवं लड़कियों के समर्थन में उठाए गए मुद्दों पर इस तरह के मानदंडों को दूर करने की बात की गई है. इस के लिए हमें सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा जैसे महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना, लिंग-सवेदी शिक्षा को बढ़ावा देना, समानता के अधिकार में पुरूषों को शामिल करना, हमें एक दायरे से बाहर जा कर इन सभी पहलुओं पर काम करना होगा.

ये भी पढ़ें- मशरूम उगाने के काम पर लोग पागल कहते थे- अनीता देवी

लिंग भेदभाव ने भारत में महिला सशक्तीकरण को प्रभावित किया है. बड़ी संख्या में संगठन, ब्राण्ड और अधिकारी इस मुद्दे के खिलाफ़ लड़ाई में आगे आए हैं.

ट्रुकॉलर के लिए, यूज़र की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है; खासतौर पर महिलाओं की सुरक्षा बहुत अधिक मायने रखती है, क्योंकि देश में ट्रुकॉलर्स के यूज़र्स की आधी संख्या महिलाओं की ही है. महिलाओं को सुरक्षित रखने और उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से ट्रुकॉलर ने आम जनता को जागरुक बनाने के लिए कई अभियानों जैसे #TakeTheRightCall और #ItsNotOk का आयोजन भी किया है.

मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए ट्रुकॉलर ने पिछले साल कम्युनिटी बेस्ड पर्सनल सेफ्टी ऐप गार्जियन्स का लॉन्च भी किया था. गार्जियन्स को एंड्रोइड के लिए गूगल प्ले स्टोर से और आईओएस के लिए एप्पल प्ले स्टोर सेvया GetGuardians.com से फ्री डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप और इसके सभी फीचर्स हमेशा पूरी तरह से निःशुल्क रहेंगे. यह व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए ट्रुकॉलर की प्रतिबद्धता को दर्शाता हैं

यह देखकर अच्छा लगता है कि आज बड़ी संख्या में महिलाएं खुद इस बदलाव के लिए आगे आ रही हैं. वैसे ज़मीनी हक़ीकत में पूरी तरह से बदलाव नहीं आया है. उदाहरण के लिए भारत में आज भी कई मौकों पर महिलाओं को अपने अधिकार नहीं मिल पाते.

आप ने अक्सर रात में महिलाओं को अकेले यात्रा करते देखा होगा. लेकिन ऐसे मामलों में उन की सुरक्षा पर खतरा मंडराता ही रहता है. ऐसे मामलो में कई बार महिलाओं का पीछा किया जाता है, अजनबी लोग उन पर भद्दी टिप्पणियां करते हैं या उनका यौन शोषण तक किया जा सकता है. यही कारण है कि एक परिवार हमेशा यही चाहता है कि महिला रात के समय घर से बाहर न रहे.

हाल ही में हर व्यक्ति महिला सशक्तीकरण के लिए आवाज़ उठाने लगा है. यह कहना गलत नहीं होगा कि महिला सशक्तीकरण आज के दौर की आवश्यकता बन चुकी है. महिलाओं को उन के अधिकार और उन की आज़ादी मिलनी ही चाहिए. उन की मांगों और ज़रूरतों को पूरा किया जाना चाहिए.

महिलाओं को भी खुल कर आगे आना होगा. अपने साथ होने वाले यौन शोषण के मामलों को दर्ज कराना होगा. फोन कॉल्स के ज़रिए किए जाने वाले शोषण की शिकायत दर्ज करनी होगी. इन सभी मुद्दों का समाधान समय की मांग है.

महिलाओं को इस के लिए प्रेरित करने के प्रयास में ट्रुकॉलर एक अभियान #ItsNotOk – Call it out  की शुरूआत करने जा रहा है, जो उन्हें ऑनलाईन एवं ऑफलाईन शोषण से निपटने में मदद करेगा.

हाल ही में उन्होंने अपने साझेदार साइबर पीस फाउन्डेशन के सहयोग से #TrueCyberSafe का लॉन्च किया था. यह अभियान देश के पांच क्षेत्रों में पंद्रह लाख लोगों को इस बारे में शिक्षित करेगा कि साइबर धोखाधड़ी को कैसे पहचानें और इस से अपने आप को कैसे सुरक्षित रखें. इस तरह के प्रशिक्षण से नागरिकों को सशक्त बनाया जा सकेगा, महिलाओं को उनके सुरक्षा अधिकारों के बारे में जागरुक बनाया जा सकेगा. यह अभियान भारत की हर लड़की को अपने अधिकारों के लिए लड़ने, शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए तैयार करेगा, उन्हें अपने अधिकारों के लिए खुलकर बात करने का आत्मविश्वास देगा.

ये भी पढ़ें- Single Woman: हिम्मत से लिखी खुद की दास्तां

ट्रुकॉलर द्वारा पेश किया गया अभियान #ItsNotOk महिलाओं को प्रेरित करेगा किः

o   आगे बढ़कर अपने जीवन की वास्तविक कहानियों को साझा करें और बताएं कि इससे उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा.

o   आम जनता को कॉल्स एवं मैसेज के ज़रिए महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण के बारे में शिक्षित करें.

o   जागरुकता बढ़ाने के लिए, उम्मीद और आश्वासन के साथ लड़ाई का मजबूत संदेश दें.

ट्रुकॉलर महिलाओं को सुरक्षा का ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना चाहता है, जिस पर वे भरोसा कर सकें, जहां वे अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें और उन्हें नुकसान पहुंचाने वाली हर संभव स्थिति से निपटने में सक्षम हों.

ट्रुकॉलर अपने इन प्रयासों का जारी रखेगा. संगठन स्थानीय कानून अधिकारियों के साथ काम करने के तरीकों पर भी विचार कर रहा है. साथ ही ऐप का इस्तेमाल करने वाली भारतीय महिलाओं को ज़्यादा से ज़्यादा सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है. ताकि हर बार फोन की घंटी बजने पर महिलाओं को डर न लगे. एक ब्राण्ड के रूप में हम उनकी सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार हैं- और इसीलिए इस दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं.

REVIEW: जानें कैसी है ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः एक्सेल इंटरटेनमेंट व मकगफिन पिक्चर्स

निर्देशकः हितेश भाटिया

कलाकारः स्व.  ऋषि कपूर,  परेश रावल, जुही चावला, सतीश कौशिक,  गुफी पेंटल, सुहेल नय्यर, तरन बजाज,  विकास मोहला, शुभंकर त्रिपाठी, इशा तलवार, आकाशदीप साबिर, संजय कोटा व अन्य.

अवधिः दो घंटे

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन प्राइम वीडियो

भारतीय सिनेमा जगत के सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता ऋषि  कपूर (1952 से 2022) हर फिल्म में अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ते रहे. उनके अभिनय से सजी यह उनकी अंतिम फिल्म है, जिसकी शूटिंग के दौरान  उनका निधन हो गया. उसके बाद इस फिल्म को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाते हुए उसी किरदार को परेश रावल ने निभाया. मगर फिल्म पुनः नही फिल्मायी गयी. बल्कि एक अनूठा प्रयोग किया गया. इस प्रयोग के तहत जिन दृश्यों को ऋषि कपूर नहीं फिल्माया जा सका था, सिर्फ उन्ही दृश्यांे को परेश रावल पर फिल्माया गया. मगर फिल्म देखते समय ऋषि कपूर की अनुपस्थिति के ेचलते कुछ हलके झटके लगते हैं, मगर मनोरंजन में कमी नही आने पाती. फिल्म वास्तव में खट्टी मीठी व नमकीन है. अवकाश प्राप्त पिता द्वारा अपने बेटे के अहसास दिलाने के संघर्ष कि वह घर में पड़े हुए फर्नीचर मात्र नही है को फिल्म में बाखूबी पेश किया गया है.

ये भी पढ़ें- Anupamaa की तरह ये Celebs भी कर चुके हैं बड़ी उम्र में से शादी

कहानीः

दिल्ली में मधुबन होम अप्लाइसेंस में कार्यरत ब्रज गोपाल शर्मा जी(स्व.  ऋषि कपूर और परेश रावल ) को जबरन वीआर एस देकर अवकाश ग्रहण करा दिया जाता है. शर्मा जी को भ्रम है कि कंपनी के एम डी सिक्का(दीपक कृपलानी) उनकी कद्र करते हैं. शर्मा जी की पत्नी सुमन का देहांत हो चुका हैं.  घर मंे दो बेटे संदीप शर्मा उर्फ रिंकू (सुहेल नय्यर ) और विंसी( तारूक रैना ) है. रिंकू किसी कंपनी में नौकरी कर रहा है और उर्मी (इशा तलवार )से रोमांस फरमा रहा है और जल्द शादी करने की योजना है. शादी के बाद अलग रहने के लिए रिंकू ने शर्मा जी से छिपाकर पंद्रह लाख रूपए देकर गुड़गांव में बिल्डर जैन(आकाशदीप शाबिर ) द्वारा बनाई जा रही इमारतो में से एक इमारत में एक फल्ैट बुक कर लिया है. छोटा बेटा विंशी बीकाम की पढ़ाई कर रहा है. दोनो बेटे अपने आप में मस्त हैं. खाना बनाने से लेकर बिजली का बिल भरने तक घर के सभी काम शर्मा जी खुद ही करते हैं.  उन्हे घर पर खाली बैठना पसंद नही. वह कई तरह के काम करने की योजना बनाते हैं, मगर हर बार रिंकू को तकलीफ है कि लोग क्या कहेंगे. किसी अन्य कंपनी में उन्हें नौकरी नही मिलती, क्योकि वहां पर युवा पीढ़ी का कब्जा है. फिर शर्मा जी अपने दोस्त चड्ढा (सतीश कौशिक) के कहने पर औरतांे की किट्टी पार्टी के दिन उनके घर जाकर खाना बनाने लगते हैं. इसी दौरान उनकी दोस्ती वीना(जुही चावला )  से हो जाती है. वीना के कहने पर वह महापौर रॉबी के यहां पार्टी में भी खाना बनाते हैं. इस तरह शर्मा जी काफी खुशहाल जिंदगी जीने लगते हैं. पर जब यह राज उनके बेटों के सामने आता है, तो रिंकू को यह बात पसंद नहीं आती. उधर बिल्डर की तरफ से रिंकू को फ्लैट का कब्जा नही मिल रहा, पता चलता है कि उसने जंगल की सरकारी जमीन पर इमारतें खड़ी कर दी हैं. फिर कहानी कई मोड़ लेती है और सुखद मोड़ पर खत्म होती है.

लेखन व निर्देशनः

जब से सरकार अर्थात सेंसर बोर्ड ने फिल्म की शुरूआत में फिल्म के कलाकारो व तकनीशियनों आदि के नाम हिंदी में देना अनिवार्य किया है, तब से हर फिल्मकार अपनी फिल्म में सभी क्रेडिट व नाम अंग्रेजी के अलावा हिंदी में देने लगे हैं, मगर इस फिल्म में हिंदी की वर्तनी की तमाम गल्तियां हैं, जो कि अखरती हैं. क्योंकि इस फिल्म का निर्माण एक्सेल इंटरटेनमेंट ने किया है, जिसके मुखिया मशहूर पटकथा लेखक व गीतकार जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर हैं.

उत्तरी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के संघर्ष के केंद्र पर बनी इस फिल्म की शुरूआत काफी धीमी है, पर जब फिल्म रफ्तार पकड़ती है, तो इंसान के रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को केंद्र में रखते हुए  रोजमर्रा की जिंदगी के छोटे छोटे मुद्दों के साथ ही मध्यमवर्गीय परिवार की औरतों से जुड़े मुद्दे, अवैध निर्माण में संलग्न बिल्डर और पुलिस की सांठ गांठ, आम इंसानों को बेवजह परेशान करने वाली पुलिस किस तरह नेता के सामने दुम हिलाती है आदि को बहुत ही सहज अंदाज में चित्रित किया गया है. औरतों के इस दर्द को भी उकेरा गया है कि पुरूष कुछ भी करें, पर औरतों को हर काम करने से पहले पुरूषों से इजाजत लेनी पड़ती है.  फिल्मकार ने मध्यमवर्गीय जीवन से जुड़े तत्वों को बड़ी खूबी से उकेरा है.

अवकाश प्राप्त पिता द्वारा अपने बेटे को इस बात का अहसास दिलाने का संघर्ष कि वह सेवा निवृत्त होने के बाद घर मंे फर्नीचर की तरह पड़ा नहीं रह सकता, बल्कि उसे भी जीवन की जरुरत है. इसे फिल्मकार बहुत ही सरल अंदाज में पेश करने में सफल रहे हैं.

बतौर निर्देशक हितेश भाटिया की यह पहली फिल्म है. उनका निर्देशन शक्तिशाली है. वैसे ऋषि कपूर और परेश रावल जैसे मंजे हुए अभिनेताओं के साथ ने उनकी परेशानी कम कर दी और वह अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम देने में सफल रहे हैं. पर कुछ जगह फिल्म में उनकी पकड़ गायब नजर आती है.

ये भी पढ़ें- शाह हाउस से उठेगी Anupama की डोली, बा करेगी ये काम

अभिनयः

इस संसार को अलविदा करने से पहले इस फिल्म में भी ऋषि कपूर अपने अभिनय की छाप छोड़ गए हैं. ऋषि कपूर के ही ब्रज गोपाल शर्मा के किरदार में परेश रावल ने जान डाल दी है. वीना के किरदार में जुही चावला अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं.

Anupamaa की तरह ये Celebs भी कर चुके हैं बड़ी उम्र में से शादी

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां अनुपमा ने अनुज से शादी करने का फैसला कर लिया है तो वहीं उसके इस फैसले से बा का पारा चढ़ गया है. दरअसल, बा का कहना है कि दादी की उम्र में शादी का फैसला सही नही हैं. लेकिन टीवी सीरियल से हटकर रियल लाइफ में कई ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने बड़ी उम्र में शादी की है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बौलीवुड की सिंगल मदर ने भी की शादी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Neena Gupta (@neena_gupta)

बौलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. एक्ट्रेस नीना गुप्ता की लाइफ से हर कोई वाकिफ है कि उनकी एक बेटी मसाबा गुप्ता है. हालांकि उन्होंने कभी शादी नहीं की थी. लेकिन साल 2002 में 6 साल रिलेशनशि में रहने के बाद एक्ट्रेस नीना ने 49 साल की उम्र में दिल्ली के एक चार्टेड अकाउंटेंट विवेक मिश्रा से शादी की थी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Neena Gupta (@neena_gupta)


ये भी पढ़ें- शाह हाउस से उठेगी Anupama की डोली, बा करेगी ये काम

सुर्खियों में रही संजय दत्त की शादी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sanjay Dutt (@duttsanjay)

बौलीवुड एक्टर संजय दत्त ने 48 साल की उम्र में 11 फरवरी 2008 को दिलनवाज शेख उर्फ मान्यता से शादी की थी. हालांकि संजय दत्त के शादी के फैसले के खिलाफ उनकी बहने थीं. लेकिन संजय दत्त ने अपनी बहन के मना करने के बावजूद एक्ट्रेस से तीसरी शादी की थी, जो कि उनसे 21 साल छोटी हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sanjay Dutt (@duttsanjay)

60 की उम्र में दुल्हन बनीं सुहासिनी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Suhasini Mulay (@mulay.suhasini)

टीवी की फेमस एक्ट्रेसेस में से एक सुहासिनी मुले ने भी 60 साल की उम्र में शादी करने का फैसला किया था. एक्ट्रेस ने 16 जनवरी  2011 में अतुल गुर्तु से शादी की थी. हालांकि यह एक्ट्रेस के पति की दूसरी शादी थी. क्योंकि उनके पहले पति का कैंसर से निधन हो गया था. वहीं इस शादी के बाद सुहासिनी मुले काफी ट्रोलिंग का शिकार हुई थीं. लेकिन दोनों ने कभी इस फैसले को नहीं बदला.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Suhasini Mulay (@mulay.suhasini)

ये भी पढ़ें- OSCAR AWARD 2022: ‘थप्पड़’ कांड ने रंग में डाला भंग

Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में आज बनाते हैं सोया चाप

नाम से ही आकर्षित करने वाला सोया चाप करी खाने में और भी ज्यादा स्वादिष्ट है. जानिए Sunrise Pure के मसालों से बनी सोया चाप करी की रेसिपी.

बनाने में समयः 30 मिनट

लोग: 4 के लिए

सामग्री:

250 ग्राम सोया चाप,

3 टमाटर,

1 अदरक,

1 हरी मिर्च,

100 ग्राम क्रीम,

3-4 टेबल स्पून तेल,

1 चुटकी हींग,

1/4 छोटी चम्मच जीरा,

बारीक कटा हुआ हरा धनिया,

1/4 छोटी चम्मच Sunrise Pure हल्दी पाउडर,

1/4 छोटी चम्मच Sunrise Pure लाल मिर्च,

1 चम्मच Sunrise Pure गरम मसाला,

छोटी चम्मच Sunrise Pure कसूरी मेथी और नमक स्वादानुसार

बनाने की विधि:

सोया चाप को 1 से 1.5 इंच के टुकड़ों में काट लीजिए. पैन में तेल गर्म करके उसमें चाप डालें और हल्का भूरा होने पर प्लेट में निकाल कर रख लीजिए.

अब टमाटर, अदरक व हरी मिर्च का पेस्ट बना लीजिए. पैन के बचे तेल में जीरा डाल दीजिए और भुनने के बाद हींग, Sunrise Pure का हल्दी पाउडर, धनियां पाउडर, कसूरी मेथी और साबुत गरम मसाले, काली मिर्च, दाल चीनी, लौंग और इलायची को छील कर डाल दीजिए. अब मसाले को हल्का-सा भूनिए, उसमें टमाटर, अदरक व हरी मिर्च का पेस्ट डालिए.

मसाले में से तेल अलग होने पर इसमें गर्म मसाला डालिए और क्रीम डालकर लगातार चलाते हुए मसाले में उबाल आने तक पकाएं. मसाले में उबाल आने पर इसमें 1/2 कप पानी डालिए और इसे लगातार चलाते हुए एक बार फिर से उबाल दिलवाएं. अब थोड़ा-सा हरा धनियां डालकर ग्रेवी में मिला दीजिए.

ग्रेवी में उबाल आने पर इसमें नमक डाल दीजिए और सोया चाप डाल कर मिक्स कर लीजिए. अब धीमी आंच पर सब्जी को ढककर 4-5 मिनट पकने दीजिए.

Sunrise Pure के प्रौडक्ट खरीदने के लिए क्लिक करें

Sunrise Pure की और रेसिपी देखने के लिए क्लिक करें

Sunrise Recipe Contests में हिस्सा लेने के लिए यहां click करें…

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें