AC बनाता है आपको बीमार

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो एसी वाले ऑफिस में काम करके खुद को खुशनसीब समझती हैं? क्या आप जब घर में होती हैं तो उस वक्त भी एसी ऑन ही रहता है और आप ठीक उसके सामने बैठना ही पसंद करती हैं? अगर आप भी ऐसा करने वालों में से हैं तो आपको बता दें कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है और आपको अपनी इस आदत के बारे में एकबार और सोचने की जरूरत है.

एक अध्ययन में पाया गया है कि भले ही लोग एसी को लक्जरी लाइफस्टाइल से जोड़कर देखते हों लेकिन सच्चाई ये है कि एसी में 24 घंटे बैठे रहना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है.

बीते कुछ समय में एसी का इस्तेमाल अचानक से बढ़ गया है. गर्मियों में प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से धरती का तापमान इतना अधिक हो जाता है कि एसी के बिना काम भी नहीं चलता. ऐसे में जो लोग अफोर्ड कर पाते हैं वो एसी लगवाने में जरा भी देर नहीं करते हैं. रही बात ऑफिसों की तो आज के समय में ज्यादातर दफ्तरों में एसी लगा ही होता है. ये मूलभूत जरूरत हो चुकी है.

पर सोचने वाली बात ये है कि एक आर्टिफिशियल टेंपरेचर में बहुत देर तक रहना किस हद तक खतरनाक हो सकता है, इस ओर कभी भी हमारा ध्यान ही नहीं जाता है. इस टेंपरेचर के बदलाव का सबसे बुरा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है.

अगर आपको लगता है कि आप अक्सर ही बीमार पड़ने लगे हैं, तो हो न हो आपकी इस आदत ने आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर दिया है.

एसी के सामने ज्यादा वक्त बिताने से हो सकती है ये हेल्थ प्रॉब्लम्स

1. साइनस की प्रॉब्लम

प्रोफेशनल्स की मानें तो जो लोग एसी में चार या उससे अधिक घंटे रहते हैं, उनमें साइनस इंफेक्शन होने की आशंका बहुत बढ़ जाती है. दरअसल, बहुत देर तक ठंड में रहने से मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं.

ये भी पढे़ं- महिलाओं की लाइफ में मोटापे का असर

2. थकान

अगर आप एसी को बहुत लो करके सोते हैं या उसके सामने बैठते हैं तो आपको हर समय कमजोरी और थकान रहने लगेगी.

3. वायरल इंफेक्शन

बहुत अधिक देर तक एसी में बैठने से फ्रेश एयर सर्कुलेट नहीं हो पाती है. ऐसे में फ्लू, कॉमन कोल्ड जैसी बीमारियां होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है.

4. आंखों का ड्राई हो जाना

एसी में घंटों बिताने वालों में ये प्रॉब्लम सबसे ज्यादा कॉमन है. एसी में बैठने से आंखों ड्राई हो जाती हैं. एसी में बैठने का ये असर स्क‍िन पर भी नजर आता है.

5. एलर्जी

कई बार ऐसा होता है कि लोग एसी को टाइम टू टाइम साफ करना भूल जाते हैं, जिससे एसी की ठंडी हवा के साथ ही डस्ट पार्टिकल भी हवा में मिल जाते हैं. सांस लेने के दौरान ये डस्ट पार्ट‍िकल शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है.

ये भी पढ़ें- फूड सप्लिमैंट भी है जरूरी

सनराइज मसाले ‘खेलो और जीतों कंटेस्ट’

सनराइज मसाले आपके लिए लेकर आए हैं एक मजेदार कंटेस्ट जिसमें आपको देने होंगे कुछ मजेदार सवालों के जवाब. ये सवाल होंगे मसालो से जुड़े. सही जवाब देने वाले चुनिंदा विनर्स को सनराइज की तरफ से मिलेगा एक स्पेशल गिफ्ट हैंपर.

साथ ही आप भेजिए अपनी सेल्फी, जिसे आपके जवाब के साथ हम शेयर करेगे अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज पर. तो फिर देर किस बात की, अभी क्लिक कीजिए और हिस्सा लीजिए और जीतिए मजेदार ईनाम.

अपने जवाब और फोटो इस नंबर पर व्हाट्सऐप करें
हिस्सा लेने के लिए फोटो पर क्लिक करें….

पति और बेटी संग फोटो शेयर करते ही फिर ट्रोल हुई चारु असोपा

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन के भाई राजीव सेन और टीवी एक्ट्रेस चारू असोपा (Charu Asopa) इन दिनों अपनी शादीशुदा जिंदगी के कारण ट्रोलिंग का शिकार होते नजर आ रहे हैं. जहां बीते दिनों दोनों की तलाक की खबरें सुर्खियों में थीं तो वहीं अब चारु असोपा की पति संग वेकेशन की फोटोज ने फैंस को हैरान कर दिया है, जिसके चलते वह एक बार फिर ट्रोल (Charu Asopa Trolled) होती दिख रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

परिवार संग कश्मीर पहुंची चारु असोपा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu)

पिछले कुछ दिनों से जहां चारू असोपा और उनके पति राजीव सेन (Rajeev Sen) के बीच अनबन की खबरें थीं तो वहीं अब एक्ट्रेस ने अपने कश्मीर वेकेशन की फोटोज फैंस के साथ शेयर की हैं. दरअसल, चारु असोपा हाल ही में अपने पति राजीव और बेटी जियाना के साथ कश्मीर में छुट्टियां मनाने पहुंची हैं, जिसकी फोटो उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं. वहीं बताया है कि वह ट्यूलिप गार्डन में पहुंची हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu)

ये भी पढ़ें- Anupama की शादी पर भिड़ी स्टार परिवार की हसीनाएं, देखें नया प्रोमो

ट्रोलर्स ने कही ये बात

जहां चारु असोपा की फोटोज पर फैंस जमकर प्यार लुटा रहे हैं तो वहीं ट्रोलर्स दोनों के रिश्ते पर सवाल उठा रहे हैं. ट्रोलर्स का कहना है कि कपल लाइमलाइट में रहने के लिए अपने रिश्ते के बारे में अफवाह फैला रहा है. वहीं दूसरे ट्रोलर्स का कहना है कि सेलिब्रिटी लाइमलाइट में रहने के लिए कुछ ना कुछ करते रहते हैं. वहीं एक्ट्रेस की फोटोज पर ट्रोलर्स कमेंट करते नजर आ रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu)

बता दें, चारु असोपा और राजीव सेन अपनी शादी के बाद से ही सुर्खियों में रहते हैं. जहां कई बार दोनों की तलाक की खबरों ने फैंस को हिला दिया है. हालांकि दोनों की कैमेस्ट्री की भी फैंस तारीफ करते नजर आते हैं. हाल ही में एक्ट्रेस ने अपनी रोमांटिक वीडियो सोशलमीडिया पर पोस्ट की थी, जो फैंस को काफी पसंद भी आई थी.

ये भी पढ़ें- Hunarbaaz के सेट पर Bharti Singh ने किया बच्चे के नाम का खुलासा!

Anupama की शादी पर भिड़ी स्टार परिवार की हसीनाएं, देखें नया प्रोमो

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है, जिसका कारण हाल ही में अनुज संग अनुपमा का शादी का ऐलान करना है. जहां बा और वनराज समेत पूरा शाह परिवार अनुपमा के खिलाफ खड़ा हो गया है तो वहीं इस बार अनुपमा अपनी खुशी के लिए लड़ती नजर आ रही है. हालांकि इसके कारण स्टार फैमिली दो हिस्से में बंटा हुआ नजर आ रहा है, जिसका सबूत शो का नया प्रोमो है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दादी की शादी का नया प्रोमो

 

View this post on Instagram

 

A post shared by StarPlus (@starplus)

अब तक आपने देखा कि अनुपमा, अभिमन्यू और अक्षरा के फंक्शन के बाद वापस शाह हाउस लौट आई है. जहां बा, वनराज और राखी उसे #dadikishaadi का ताना मारते हुए नजर आते हैं. हालांकि इस बार अनुपमा ने अपनी खुशी चुनने का फैसला किया है. इसी बीच सीरियल का नया प्रोमो सामने आया है, जिसमें स्टार प्लस के एक्ट्रसेस अनुपमा और बा में चुनाव करती नजर आ रही है. दरअसल, प्रोमो में जहां गुम हैं किसी के प्यार में की भवानी और ये रिश्ता क्या कहलाता है की दादी, अनुपमा के दादी की उम्र में शादी के फैसले के खिलाफ बा का सपोर्ट कर रही हैं तो वहीं इमली और सई अनुपमा के साथ खड़ी नजर आ रही हैं.

ये भी पढे़ं- Hunarbaaz के सेट पर Bharti Singh ने किया बच्चे के नाम का खुलासा!

फैंस दे रहे अनुपमा का साथ

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Akshara (@anupama.yrkkh_)

इसके अलावा शो के अपकमिंग प्रोमो में अनुपमा, पूरे परिवार से कहेगी  कि उसने हमेशा परिवार के हर एक सदस्य की मांगों को पूरा किया, लेकिन अब यह काफी है. वह शादी के फैसले को लेकर गलत नहीं है और वे सभी उसके लिए एक शर्मिंदगी हैं . साथ ही वह अनुज से शादी करने की चुनौती भी देगी. ये नया प्रोमो देखने के बाद फैंस अनुपमा का साथ देते नजर आ रहे हैं. वहीं कमेंट में उसे खुश रहने के हक की बात करते नजर आ रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Muskan Singh (@anupmaa_m)

बता दें, शो में इन दिनो अनुपमा का समाज और परिवार के ताने सुनने पड़ रहे हैं, जिसका कारण उसका अनुज से शादी करने का फैसला है. हालांकि देखना होगा कि दादी की उम्र में शादी का फैसला क्या अनुपमा सही साबित होगा.

ये भी पढे़ं- औनस्क्रीन ननद के बर्थडे में रियल लाइफ पति के साथ पहुंची अनुपमा

मेरा पति सिर्फ मेरा है: भाग-1

सुबह के 6 बज गए थे. अनुषा नहाधो कर तैयार हो गई. ससुराल में उस का पहला दिन जो था, वरना घर में मजाल क्या कि वह कभी 8 बजे सुबह से पहले उठी हो.

विदाई के समय मां ने समझाया था,”बेटी, लड़कियां कितनी भी पढ़लिख जाएं उन्हें अपने संस्कार और पत्नी धर्म कभी नहीं भूलना चाहिए. सुबह जल्दी उठ कर सिर पर पल्लू रख कर रोजाना सासससुर का आशीर्वाद लेना. कभी भी पति का साथ न छोड़ना. कैसी भी परिस्थिति आ जाए धैर्य न खोना और मुंह से कभी कटु वचन न कहना.”

“जैसी आप की आज्ञा माताश्री…”

जिस अंदाज में अनुषा ने कहा था उसे सुन कर विदाई के क्षणों में भी मां के चेहरे पर हंसी आ गई थी.

अनुषा ड्रैसिंग टेबल के आगे बैठी थी. बीती रात की रौनक उस के चेहरे पर लाली बन कर बिखरी हुई थी. भीगी जुल्फें संवारते हुए प्यार भरी नजरों से उस ने बेसुध भुवन की तरफ देखा.

भुवन से वैसे तो उस की अरैंज्ड मैरिज हुई थी. मगर सगाई और शादी के बीच के समय में वे कई दफा मिले थे. इसी दरमियान उस के दिल में भुवन के लिए प्यार उमड़ पड़ा था. तभी तो शादी के समय उसे महसूस ही नहीं हुआ कि वह अरैंज्ड मैरिज कर किसी अजनबी को जीवनसाथी बना रही है. उसे लग रहा था जैसे लव मैरिज कर अपने प्रियतम के घर जा रही है.

बाल संवार कर और सिर पर पल्लू रख कर अनुषा सीढ़ियों से नीचे उतर आई. सासससुर बैठक रूम में सोफे पर बैठे अखबार पढ़ते हुए चाय की चुसकियों का आनंद ले रहे थे. अनुषा ने उन को अभिवादन किया और किचन में घुस गई. उस ने अपने हाथों से सुबह का नाश्ता तैयार कर खिलाया तो ससुर ने आशीष स्वरूप उसे हजार के 5 नोट दिए. सास ने अपने गले से सोने की चेन निकाल कर दी. तब तक भुवन भी तैयार हो कर नीचे आ चुका था.

भुवन ने अनुषा को बताया था कि अभी औफिस में कुछ जरूरी मीटिंग्स हैं इसलिए 2-3 दिन मीटिंग्स और दूसरे काम निबटा कर अगले सप्ताह दोनों हनीमून के लिए निकलेंगे. इस के लिए भुवन ने 10 दिनों की छुट्टी भी ले रखी थी.

भुवन का औफिस टाइम 10 बजे का था. औफिस ज्यादा दूर भी नहीं था और जाना भी अपनी गाड़ी से ही था. फिर भी भुवन ठीक 9 बजे घर से निकल गया तो अनुषा को कुछ अजीब लगा. मगर फिर सामान्य हो कर वह खाने की तैयारी में जुट गई.

तब तक कामवाली भी आ गई थी. अनुषा को ऊपर से नीचे तक तारीफ भरी नजरों से देखने के बाद धीरे से बोली,” शायद अब भुवन भैया उस नागिन के चंगुल से बच जाएंगे.”

“यह क्या कह रही हो तुम?”  कामवाली की बात पर आश्चर्य और गुस्से में अनुषा ने कहा.

वह मुसकराती हुई बोली,” बस बहुरानी कुछ ही दिनों में आप को मेरी बात का मतलब समझ आ जाएगा. 2-3 दिन इंतजार कर लो,” कह कर वह काम में लग गई.

फिर अनुषा की तारीफ करती हुई बोली,” वैसे बहुरानी बड़ी खूबसूरत हो तुम.”

अनुषा ने उस की बात अनसुनी कर दी. उस के दिमाग में तो नागिन शब्द  घूम रहा था. उसे नागिन का मतलब समझ नहीं आ रहा था.

पूरे दिन अनुषा भुवन के फोन का इंतजार करती रही. दोपहर में भुवन का फोन आया. दोनों ने आधे घंटे प्यार भरी बातें कीं. शाम में भुवन को आने में देर हुई तो अनुषा ने सास से पूछा.

सास ने निश्चिंतता भरे स्वर में कहा,”आ रहा होगा. थोड़ा औफिस के दोस्तों में बिजी होगा.”

8 बजे के करीब भुवन घर लौटा. साथ में एक महिला भी थी. लंबी, छरहरी, नजाकत और अदाओं से लबरेज व्यक्तित्व वाली उस महिला ने स्लीवलैस वनपीस ड्रैस पहन रखी थी. होंठों पर गहरी लिपस्टिक और हाई हील्स में वह किसी मौडल से कम नहीं लग रही थी. अनुषा को भरपूर निगाहों से देखने के बाद भुवन की ओर मुखातिब हुई और हंस कर बोली,” गुड चौइस. तो यह है आप की बैटर हाफ. अच्छा है.”

बिना किसी के कहे ही वह सोफे पर पसर गई. सास जल्दी से 2 गिलास शरबत ले आई. शरबत पीते हुए उस ने शरबती आवाज में कहा,” भुवन जिस दिल में मैं हूं उसे किसी और को किराए पर तो नहीं दे दोगे?”

उस महिला के मुंह से ऐसी बेतुकी बात सुन कर अनुषा की भंवें चढ़ गईं. उस ने प्रश्नवाचक नजरों से भुवन की ओर देखा और फिर सास की तरफ देखा.

सास ने नजरें नीचे कर लीं और भुवन ने बेशर्मी से हंसते हुए कहा,” यार टीना तुम्हारी मजाक करने की आदत नहीं गई.”

“मजाक कौन कर रहा है? मैं तो हकीकत बयान कर रही हूं. वैसे अनुषा तुम से मिल कर अच्छा लगा. आगे भी मुलाकातें होती रहेंगी हमारी. आखिर मैं भुवन की दोस्त जो हूं. तुम्हारी भी दोस्त हुई न. बैटर हाफ जो हो तुम उस की.”

वह बारबार बैटर हाफ शब्द पर जोर दे रही थी. अनुषा उस का मतलब अच्छी तरह समझ रही थी. टीना ने फिर से अदाएं बिखेरते हुए कहा,”आज की रात तो नींद नहीं, चैन नहीं, है न भुवन”

5 -10 मिनट रुक कर वह जाने के लिए खड़ी हो गई. भुवन उसे घर छोड़ने चला गया. अनुषा ने सास से सवाल किया,” यह कौन है मांजी जो भुवन पर इतना अधिकार दिखा रही है?”

“देखो बेटा, अब तुम भुवन की पत्नी हो इसलिए इतना तो तुम्हें जानने का हक है ही कि वह कौन थी? दरअसल, बेटा तुम्हें उस को भुवन की जिंदगी में स्वीकार करना पड़ेगा. हमारी मजबूरी है बेटा. हम सब को भी उसे स्वीकार करना पड़ा है बेटे.”

“पर क्यों सासूमां ? क्या भुवन का उस के साथ कोई रिश्ता है?”

“ऐसा कोई रिश्ता तो नहीं बहू पर बस यह जान लो कि उस के बहुत से एहसान हैं हमारे ऊपर. वैसे तो वह उस की बौस है मगर भुवन को इस मुकाम तक पहुंचाने में काफी मदद की है उस ने. अपने पावर का उपयोग कर भुवन को काफी अच्छा ओहदा दिया है. बस भुवन पसंद है उसे और कुछ नहीं.”

“इतना कम है क्या सासूमां ?”वह तो पत्नी की तरह हक दिखाती है भुवन पर.”

बहु कभीकभी हमें जिंदगी में समझौते करने पड़ते हैं. 1-2 बार भुवन ने जौब छोड़ने की भी कोशिश की. मगर उस ने आत्महत्या की धमकी दे डाली. भुवन के प्रति आकर्षित है इसलिए उस को अपने औफिस से निकलने भी नहीं देती.”

गलती किस की

देश में शिक्षा मंहगी होने लगी है. एक या दो बच्चे होने के कारण मांबाप सारी कमाई व बचत बच्चों की पढ़ाई पर लगाने लगे हैं. उन शातिरों की गिनती भी बढ़ रही है जो ऊंची शिक्षा दिलाने के नाम पर ठगी का धंधा कर रहे हैं. राजस्थान की विधानसभा में लगभग पारित होने वाले एक यूनिवर्सिटी के गठन के विधेयक को वापस लेना पड़ा जब पता चला कि जहां यूनिवर्सिटी के होने का दावा किया जा रहा था वहां तो जमीन एकदम खाली पड़ी थी.

किसी भी यूनिवर्सिटी के साथ गुरुकुल शब्द जुड़ा हो तो सब जांच करने वालों को भय लगने लगता है कि उस के पीछे अवश्य केंद्र सरकार का समर्थन होगा और फाइलों पर अनुमतियां मिलने लगती हैं. 80 एकड़ क्षेत्र में बनी होने का दावा की जाने वाली यूनिवर्सिटी की जमीन पर केवल घासफूस पाई गई.

ये भी पढे़ं- महिलाओं का शोषण

यूक्रेन से लौटे 20,000 छात्र वैसे तो किसी ठग के शिकार नहीं थे पर यह दर्शाता है कि किस तरह गांवों के लोग भी जैसेतैसे पैसा जुटा कर बच्चों को न जाने कहांकहां पढऩे को भेज रहे हैं. काठमांडू में पढ़ रहे मैडिकल के छात्रों को पढ़ाई मृत शरीर पर नहीं, प्लास्टिक की डमी पर कराई जाती है. इस से साफ है कि ऐसे डिग्री पाने वाले डाक्टर कितनों को मारेंगे और आखिरकार पढ़ाई में लगा पैसा व्यर्थ जाएगा. यह ऐडमीशन मिलने के बाद की ठगी है, जो शिक्षा दिलाने के नाम पर जम कर की जा रही है.

शिक्षा जरूरी है पर इसे निजी हाथों में सौंप कर सरकार ने एक आफत खड़ी कर दी है. सरकारी शिक्षक आलसी, बेपरवाह होते हैं, इस में संदेह नहीं है, लेकिन उन में 10 में से 2-3 अच्छे निकल आते हैं. वे छात्रों के पैसे के बदले उन्हें बहुत काबिल बना देते हैं. ऐसे शिक्षकों को लोग जीवनभर याद रखते है. शिक्षा पर खर्च तो बराबर ही होगा, चाहे सरकारी हो या निजी, पर सरकारी शिक्षा में पैसा करदाता के माध्यम से आएगा, सो, लूट के चांस नहीं होंगे.

ये भी पढ़ें- जानें पहली Trans Queen India की ट्रासजेंडर नव्या सिंह के संघर्ष की कहानी

ये जीना भी कोई जीना है लल्लू…

कोविड की वजह 10 साल का सौरभ ऑनलाइन पढाई करना तो सीख लिया है, पर अब स्कूल खुलने के बाद वह स्कूल से आकर थका हुआ महसूस करता है, मोबाइल पर गेम्स खेलने लगता है, माँ की बात सुनता ही नहीं, उसे अब किताब कॉपी लेकर पढना या लिखना मंजूर नहीं. वह कम्प्यूटर या मोबाइल पर ही पढाई करना चाहता है. उसकी माँ किंजल इसे लेकर परेशान है, कहाँ जाए और क्या करें, ताकि बच्चे की ये आदत छूट जाय. स्कूल से भी टीचर की शिकायत आ रही है, क्योंकि वह पढ़ाई में मन नहीं लगाता.

ये सही है कि कोविड ने बच्चों से लेकर वयस्कों को मानसिक और शारीरिक रूप से इतना नुकसान पहुँचाया है, जिसकी क्षतिपूर्ति करने में शायद सालों लग जायेंगे, क्योंकि कई महीनों की पूरी लॉकडाउन और किसी का घर से बाहर न निकलने का संकल्प, बच्चों और बुजुर्गों के जीवनशैली पर अब खास असर होता दिखाई पड रहा है. अभी स्कूल और कॉलेज खुल चुके है, ऐसे में बच्चों का फिर से बाहर निकल कर स्कूल जाना, पढाई करना, दोस्तों के साथ दोस्ती करना आदि के लिए फिर से उन्हें प्रयास करना पड़ेगा. बहर जाकर खेलना- कूदना तो उन्हें अब जरा भी पसंद नहीं, क्योंकि करीब दो साल बच्चों की पढाई ऑनलाइन हुई है, आब उससे निकलना उन्हें मंजूर नहीं.

इस बारें में स्टोन सफायर इंडिया की चाइल्ड एक्सपर्ट नीना सिंह कहती है कि बच्‍चे जब पज़ल्‍स, पीकाबू, घर-घर खेलने जैसी गतिविधियों में शामिल होते है, तब वे कुछ नया सोचते है,क्योंकि ये खेल एक दूसरे के साथ बातचीत से होता है. साथ ही उनका सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है. खेल-कूद बच्‍चे के विकास के लिए बहुत आवश्‍यक है, क्‍योंकि इससे वे शारीरिक रूप से मजबूत होते है और उन्‍हें कई भावनात्‍मक चीजों से निकलने का तरीका मिलता है. इसके अलावा उन्‍हें आगे चलकर दुनिया को सामना करने की सीख मिलती है. खेल-कूद से बच्‍चे को नई चीजों को सिखने में मदद मिलती है, जिससे वे मायूस नहीं होते और खुश रहते है.

प्रभाव विडियो गेम्स का

आज बच्चों के लिए वीडियो गेम्‍स का आकर्षण साउंड वैल्‍यू पर आधारित है. ये गेम्‍स मजेदार होने के साथ-साथ बहुत तेज एक्शन वाले होते है. इन गेम्‍स में दिए गए चैलेंज बच्‍चों को आकर्षित करते है, ऐसे में जब उन्हें छोटी स्‍क्रीन के सामने, कम्‍प्‍यूटर या फिर मोबाइल पर कई घंटे बिताते है, तो वे ट्रेडिशनल खिलौनों से धीरे-धीरे दूर होकर खेलना बंद कर देते है, जिससे उन्‍हें कुछ नई प्रतिभा सीखने का समय नहीं मिल पाता. लगातार कम्‍प्‍यूटर गेम्‍स  खेलने से इंस्‍टैंट एंटरटेनमेंट पाने की इच्‍छा विकसित हो जाती है. उन्‍हें लगता है कि कम्‍प्‍यूटर गेम्‍स ही मनोरंजन का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है. इससे किसी दूसरी चीज को ज्‍यादा ध्‍यान से देखने की उनकी क्षमता घटती है और उनके सुनने की शक्ति पर भी असर पड़ता है. जरूरत से ज्‍यादा गेम्‍स खेलने का असर पढ़ाई पर भी पड़ता है, बच्‍चों में तनाव, एंग्‍जाइटी और सोशल फोबिया जैसी स्थितियां देखने को मिलती है. इसके अलावा ऑनलाइन गेम्‍स पर अधिक समय बिताने से बच्‍चे के स्वास्थ्य विकास पर भी असर पड़ता है, ऐसे में माता-पिता का लक्ष्‍य यह होना चाहिए कि उनका बच्‍चा इन सब आदतों से छोड़कर मानसिक और शारीरिक विकास वाली खेल पर ध्यान दें.

ये भी पढ़ें- मौडर्न लाइफस्टाइल का हिस्सा Kitchen Gadget

विकसित होती है क्रिएटिविटी

कई बार पढाई को आसान बनाने के लिए शिक्षक संबंधित खिलौनों का इस्‍तेमाल करते है, जिससे बच्चे समझने के साथ उनकी छुपी हुई प्रतिभा को भी आगे लाने का मौका मिलता है, मसलन समस्‍या को हल करने वाले गेम्‍स, क्रिएटिविटी को बढ़ाने वाले गेम्स आदि से बच्चे कई प्रकार चीजे सीखते है. शुरू में शिशु खिलौनों के रंग और आवाज को सुनकर खेलता है. इसके बाद लाइट्स और कलर्स उन्हें समझ में आती है.

भूमिका किताबों की

किताबों से बच्‍चे में नाम को पहचानने और उन्हें पढ़ने  की रूचि विकसित  होती है. इस तरह बच्‍चे को एक पिक्‍टोरियल वर्जन मिलता है, जिससे उन्हें उस अक्षर को याद रखना आसान होता है. इसलिए ये जरुरी होता है कि बच्‍चों को  छोटी उम्र में ऐसी किताबें पढाई जाय, जिनमें हर पन्‍ने पर तस्‍वीरें और कुछ शब्‍द हों. इससे वे जानेंगे कि जिन शब्‍दों को वह सुन रहे है, वे पन्‍नों पर कैसे दिखते है. इसमें पढाई के किताब के अलावा कॉमिक बुक्स, फिक्शन वाली कहानियाँ अधिक आकर्षित करती है. जटिल बिल्डिंग सेट और ब्‍लॉक्‍स से उनकी रचनात्‍मकता और समस्‍या को हल करने के कौशल को सहयोग मिलेगा, साथ ही वे बॉक्‍स पर दी गई तस्‍वीर के अनुसार वही स्‍ट्रक्‍चर बनाने की कोशिश करेंगे या फिर कुछ दूसरी आकृति बनाने की कोशिश करेंगे.

खेलना है जरुरी

खेलने से बच्‍चे मजबूत, तंदुरुस्‍त और आत्‍मनिर्भर बनते है. यही नहीं, वे भावनात्‍मक रूप से भी विकसित होते है, इससे उनमें बचपन में होने वाला तनाव कम होता है. हालांकि, यदि बच्‍चे खेलेंगे नहीं, तो उनमें अवांछनीय और लम्बे प्रभाव नजर आ सकते है. एक अध्ययन में यह पाया गया है कि जब बच्‍चों को खेलने का मौका नहीं मिलता, तब उनके व्‍यवहार और ध्‍यान संबंधी समस्‍याओं के अधिक होने का खतरा होता है.  यदि बच्‍चों को केवल तकनीकी गेम्‍स ही खिला रहे है और उनके साथ किसी प्रकार के दूसरे गेम नहीं खेल रहे है, तो बच्‍चों को उनकी कल्‍पना, रचनात्‍मकता को पंख देने का मौका गंवा सकते है. जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए उनमें स्किल्स को विकसित करना मुश्किल होता है.

टेक्‍नोलॉजिकल खिलौने है नुकसानदायक

टेक्‍नोलॉजिकल ट्वॉएज़ बच्‍चे के मनोरंजन के लिए असाधारण विकल्‍प होते है और सभी बच्चे इसे पसंद करते है, इन खिलौनों में काफी रोशनी और तरह-तरह के मूवमेंट या आवाज होते है. इन्‍हें अधिक समय के लिए इस्‍तेमाल करने पर बच्चे को कई प्रकार के नुकसान हो सकता है, जो निम्न है,

अस्‍वस्‍थ जीवनशैली

बच्‍चे अपने रोबोट या वी-टेक टैबलेट से खेल रहे होते है, तो कई बार वे उससे घंटों खेलते रहते है,  इतनी देर तक बैठे रहने से बच्‍चों में मोटापा बढ़ सकता है और वह डायबिटीज के भी शिकार हो सकते है. बच्‍चे लगातार लंबे समय तक टैबलेट या टीवी  देखने पर उनकी आंखों को भी नुकसान हो सकता है. इसलिए, पेरेंट्स अपने बच्‍चों के टीवी देखने या मोबाइल या कम्‍प्‍यूटर पर गेम खेलने के समय को सीमित करे, ताकि बच्‍चे एक समन्वित स्‍वस्‍थ लाइफस्‍टाइल जी सकें.

ये भी पढ़ें- जरूरी है टौवेल हाइजीन

एकाकीपन   

वीडियो गेम्‍स जैसे कुछ ऑनलाइन गेम्‍स और ऐप्‍स के कारण आपके बच्‍चे के दूसरों के साथ बातचीत करना बिल्‍कुल बंद हो जाता है. लंबे समय तक वीडियो गेम खेलने से बच्चा दूसरों से दूर हो सकता है, इस तरह उसके बातचीत करने के तरीके पर असर पड़ता है। यदि पेरेंट्स यह नोटिस करते है कि उनका बच्‍चा वीडियो गेम खेलते समय खुद को अपने कमरे में ही सीमित कर रहा है तो उन्‍हें समझाकर फैमिली रूम में लायें, ताकि बच्‍चों के साथ रिश्‍ते को मजबूत  बनाना संभव हो, उन्‍हें बच्‍चे को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग होकर एक बंद कमरे में खेलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.

सामाजिकता का अभाव

बच्चों के साथ पेरेंट्स को क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए, ताकि उन्हें परिवार के लोगों से  बातचीत करना, बड़ों से बर्ताव करना सीख लें, वीडियों गेम्स खेलने पर बच्चे इतना व्यस्त हो जाते है कि बच्‍चों के साथ बातचीत शुरू करना लगभग मुश्किल ही होता है, इसलिए अपने परिवार और दोस्‍तों के साथ सामाजिक होना और उनसे बात करना बच्‍चों के लिए काफी कठिन हो जाता है.

ह्यलुरोनिक एसिड सीरम फोर फेस 

हर महिला चाहती है कि उसकी स्किन का टेक्सचर सोफ्ट , स्मूद होने के साथ हमेशा जवां नजर आए. इसके लिए कभी घरेलू टिप्स अपनाती हैं , तो कभी पार्लर का रुख करती हैं . मन में यही चाहा होती है कि उनकी स्किन बस हर दम चमकती दमकती रहे. लेकिन सिर्फ कभी कभार स्किन की देखभाल करने से स्किन की हैल्थ ठीक नहीं होती है, बल्कि उसके लिए रेगुलर स्किन को पैंपर करने की जरूरत होती है. ऐसे में लेटेस्ट स्किन केयर प्रोडक्ट में आजकल ह्यलुरोनिक एसिड सीरम काफी डिमांड में है, जो न सिर्फ स्किन को स्मूद बनाने में सक्षम है, बल्कि इसके रेगुलर इस्तेमाल करने से मात्र कुछ ही हफ्तों में स्किन अंदर से खिल भी उठती है. तो आइए जानते हैं इसके बारे में.

क्या है ह्यलुरोनिक एसिड

ह्यलुरोनिक एसिड एक हुमेक्टैंट के रूप में प्रयोग किया जाता है. जो एक ऐसा पदार्थ है , जो स्किन में पानी को होल्ड करने का काम करता है और  स्किन की आउटर लेयर को हाइड्रेट करके स्किन की रंगत को इंप्रूव करता है. जिससे स्किन ज्यादा ग्लोइंग व यूथफुल लगने लगती है. बता दें कि ह्यलुरोनिक एसिड त्वचा को संरचना देने वाला मुख्य घटक होता है. जो स्किन को प्लंप व हाइड्रेट करता है. ह्यलुरोनिक एसिड के मोलिकुलिस में ये प्रोपर्टी होती है कि वे पानी को अपने से 1000 गुना ज्यादा सोखने की क्षमता रखते हैं, जिसके कारण ये स्किन को हाइड्रेट रखते हैं.

क्या हैं इसके फायदे 

एंटी एजिंग 

आपको जानकर हैरानी होगी कि शरीर के कुल ह्यलुरोनिक एसिड का लगभग 50 पर्सेंट स्किन में मौजूद होता है. लेकिन ज्यादा यूवी किरणों के संपर्क में आने की वजह से इस मात्रा में कमी आती है, जो झुर्रियों का कारण बनती है. अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जिन भी महिलाओं ने लगातार कुछ महीनों तक ह्यलुरोनिक एसिड युक्त सीरम का इस्तेमाल किया है, उनमें झुर्रियों की समस्या बहुत कम दिखने के साथसाथ उनकी स्किन की इलास्टिसिटी भी काफी इम्प्रूव हुई है. क्योंकि इसकी हाइड्रेशन प्रोपर्टीज स्किन को ज्यादा प्लंप करने का काम करती है. और ऐसी स्किन पर झुर्रियां व फाइन की समस्या बहुत कम होती है.

ये भी पढ़ें- सांवली स्किन की करें देखभाल

अनक्लोग पोर्स 

जब स्किन की प्रोपर केयर नहीं होती है, तो स्किन पर जमी डेड स्किन सेल्स स्किन में जम कर पोर्स को क्लोग करने का काम करते हैं , जो एक्ने, ब्लैकहेड्स, वाइटहेड्स का कारण बनते हैं. लेकिन ह्यलुरोनिक एसिड में ऐसे गुण हैं , जो पोर्स को क्लोग होने से रोकने के साथ स्किन को ज्यादा क्लीन व स्मूद बनाए रखते हैं. साथ ही पोर्स के ओपन रहने से स्किन में ओक्सीजन का फ्लो आसानी से हो जाता है, जो स्किन की रौनक को बढ़ाने में भी मददगार है.

आयल को कंट्रोल करे 

जब हमारी स्किन में मोइस्चर की कमी होती है, तो वो स्किन में आयल के अत्यधिक उत्पादन का कारण बनता है. लेकिन ह्यलुरोनिक एसिड युक्त सीरम का इस्तेमाल करके आप अपनी स्किन में मोइस्चर को बढ़ाकर सीबम के उत्पादन को नियंत्रण में रख सकते हैं. ये स्किन में एक्सेस आयल, पसीना और सीबम को कम करता है, जो आपकी स्किन को ब्रेकआउटस से भी बचाने का काम करता है.

यूथफुल स्किन 

ड्राई स्किन जहां रूखी व बेजान लगती है, वहीं ऐसी स्किन ज्यादा प्रोब्लम्स की गिरफ्त में भी आती है. ऐसे में स्किन को नौरिश करने व न्यू हैल्दी स्किन सेल्स के निर्माण करने वाले इंग्रीडिएंट्स से युक्त ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना जरूरी होता है, ताकि स्किन एक्सफोलिएट होकर यंग लुक में नजर आने लगे. ऐसे में ह्यलुरोनिक एसिड सीरम को अपने स्किनकेयर रूटीन में शामिल करने से स्किन पर काफी अमेजिंग रिजल्ट देखने को मिलते हैं. क्योंकि ये स्किन को हाइड्रेट करने के साथ स्किन की हैल्थ को अंदर से इम्प्रूव करती है, जिससे धीरेधीरे स्किन डलनेस से यंग लुक में नजर आने लगती है.

डार्क स्पोट्स को कम करे 

हाइपर पिगमेंटेशन की वजह से स्किन पर डार्क स्पोट्स की समस्या देखने को मिलती है. जबकि ह्यलुरोनिक एसिड यूवी किरणों के कारण होने वाली हाइपरपिगमेंटेशन से स्किन को बचाने का काम करता है. साथ ही ये स्किन पर प्रोटेक्टिव लेयर का काम करके उसे धूलमिट्टी , पोलूशन से भी बचाकर स्किन को डार्कस्पोट्स से दूर रखता है.

बेस्ट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम 

– लोरियल पेरिस का 1.5 पर्सेंट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम सभी स्किन टाइप पर सूट करने के साथ आपकी स्किन को तुरंत फ्रेश व ग्लोइंग बनाने का काम करता है. इसका लाइटवेट फॉर्मूला स्किन में मोइस्चर को बनाए रखकर आपकी स्किन पर रेडियंट ग्लो लाने का काम करता है. साथ ही चेहरे की झुर्रियां भी धीरेधीरे कम होने लगती है. इजी टू यूज़ के साथ इजी टू अवेलेबल भी है.

– डर्मडॉक 2 पर्सेंट प्योर ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, नार्मल से ड्राई स्किन सभी के लिए परफेक्ट है. ये स्किन में तुरंत अब्सोर्ब होकर स्किन को हाइड्रेट रखता है. साथ ही ये फ्रैग्रैंस व सिलिकोन फ्री भी है. यानि बेटर रिजल्ट के साथ सेफ फोर स्किन.

– प्लम 2 पर्सेंट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, जिसका अल्ट्रा हाइड्रेटेड फेस सीरम , जो स्किन को इंस्टेंट हाइड्रेट करके स्किन को प्लंप व बाउंसी बनाने का काम करता है. ये ड्राई व इन्फ्लेमेड स्किन से भी राहत पहुंचाता है. ये सीरम काफी पौकेट फ्रैंडली भी है.

– एअर्थ rhythm का मल्टी मोलिक्युलर ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, स्किन को नौरिश करने के साथ डैमेज स्किन को रिपेयर करने का भी काम करता है. ये सीरम स्किन लेयर्स में आसानी से जाकर स्किन को डीपली हाइड्रेट करके सोफ्ट फील देने का काम करता है . ये सीरम आपको अंडर 1000 में मिल जाएगा.

– न्यूट्रोजेना का हाइड्रो बूस्ट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, जिसमें हैं 17 पर्सेंट हाइड्रेशन काम्प्लेक्स. ये ड्राई स्किन पर बहुत ही अमेजिंग रिजल्ट देता है. साथ ही आयल व फ्रेग्रेन्स फ्री होने के कारण स्किन पर किसी भी तरह की एलर्जी का डर नहीं रहता.

ये भी पढ़ें- ब्यूटी सोप से निखारें Skin

कैसे अप्लाई करें 

किसी भी ब्यूटी प्रोडक्ट का रिजल्ट तभी बेस्ट आता है जब आपकी स्किन क्लीन हो. इसलिए जरूरी है कि आप फेस सीरम को अप्लाई करने से पहले चेहरे को अच्छे से क्लीन कर लें. उसके बाद सीरम की 3 – 4 ड्रोप्स को चेहरे पर अप्लाई करें और फिर उंगलियों की मदद से पूरे फेस पर इसकी मसाज करें. इसके बाद मॉइस्चराइजर जरूर अप्लाई करें, ताकि मोइस्चर स्किन में आसानी से लौक हो सके. आप रोजाना इसे सुबह व शाम दो बार अप्लाई करके हैल्दी व हाइड्रेट स्किन पा सकती हैं.

कैसे बनें अच्छे अभिभावक

अगर कोई बच्चा कोई शरारत करे, तो मांबाप क्या करेंगे? उसे 1-2 चपत लगा देंगे, डांट देंगे या अधिक से अधिक एक समय का खाना बंद कर देंगे.

मगर जापान के टोक्यो शहर में एक मांबाप ने अपने 7 साल के बच्चे को सजा के तौर पर घने जंगल में छोड़ दिया, जहां जंगली जानवरों का बोलबाला था. मांबाप को अपनी गलती का भान तब हुआ जब 5 मिनट बाद वे वापस बच्चे को लेने पहुंचे. मगर वह कहीं नहीं मिला. 1 हफ्ते तक घने जंगल में बच्चे की तलाश की गई. पूरी दुनिया में यह खबर आग की तरह फैल गई और पेरैंट्स को खूब कोसा जाने लगा.

3 जून, 2016 को यामातो तानूका नामक यह बच्चा एक मिलिटरी कैंप में मिला. वहां उस ने एक झोंपड़ी में शरण ली थी. पानी पी कर और जमीन पर सो कर उस ने खुद को जिंदा रखा था.

एक इंटरव्यू में उस बच्चे के पिता ने रुंधे गले से कहा कि उस ने यामातो से माफी मांगी.

दरअसल, कुछ पेरैंट्स बच्चे को परफैक्ट बनाने के चक्कर में कभीकभी इतनी अधिक सख्ती कर बैठते हैं कि बाद में उन्हें पछताना पड़ता है.

2011 में एमी चुआ नाम की येल प्रोफैसर ने अपनी किताब ‘बैटल हाइम औफ द टाइगर मदर’ में टाइगर मौम की अवधारणा का जिक्र किया. टाइगर मौम पेरैंट्स से तात्पर्य ऐसे स्ट्रिक्ट और डिमांडिंग पेरैंट्स से है, जो अपने बच्चों पर हर क्षेत्र में बेहतर परफौर्मैंस देने का दबाव डालते हैं. पढ़ाई के साथसाथ दूसरे अवार्ड विनिंग क्षेत्रों में भी अव्वल रखने का प्रयास करते हैं ताकि आज के प्रतियोगी युग में बच्चे अपना स्थान सुरक्षित कर सकें.

जब टाइगर पेरैंट्स के बच्चे अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, तो वे बच्चों को भावनात्मक धमकियों के साथसाथ हलके शारीरिक दंड भी देते हैं. ऐसे पेरैंट्स बच्चों को कभी अपने फैसले स्वयं लेने की अनुमति नहीं देते.

एमी चुआ ऐसी ही स्ट्रिक्ट टाइगर मौम थी. वह स्वीकार करती है कि अपनी दोनों बेटियों लुलु और सोफिया को सब के सामने कूड़ा कहने में भी उसे कोई गुरेज नहीं था. उस का मानना है कि बच्चों की सफल परवरिश उन के मांबाप की कुशलता को दर्शाती है और बच्चों की कामयाबी मांबाप के कद को ऊंचा करती है.

य-पि आज उस की दोनों बेटियां अपने कैरियर के लिहाज से अच्छी जगह पर हैं. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतने से बच्चों को स्कूल में ऐडजस्ट करने में दिक्कत आती है. उन का आत्मविश्वास कम होता है और उन के अवसादग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है.

ये भी पढ़ें- सुख की गारंटी नहीं शादी

चाइना के हैंगझोऊ नामक स्थान पर किए गए एक यूथ सर्वे, जिस में 589 हाई और मिडिल स्कूल के बच्चों को शामिल किया गया, में पाया गया कि टाइगर मौम टाइप पेरैंटिंग लाभदायक नहीं. जरूरत से ज्यादा नियंत्रण बच्चों में हताशा पैदा कर सकता है.

सरोज सुपर स्पैश्यलिटी अस्पताल दिल्ली के डा. संदीप गोविल कहते हैं कि जब मांबाप तानाशाह की तरह बच्चों पर अपनी पसंद और अनुशासन थोपते हैं और उन्हें बोलने का मौका नहीं देते हैं, तो वे यह नहीं समझ पाते कि ऐसा कर वे अपने बच्चों का आत्मविश्वास खत्म कर रहे हैं. आप अपने बच्चों को अनुशासन में रखें, लेकिन जहां प्यार और आप के साथ की जरूरत हो, उन्हें यह उपलब्ध कराएं. चाहे प्यार हो या अनुशासन, एक सीमा निर्धारित करना बहुत जरूरी है. जब आप कोई भी चीज सीमा से अधिक करेंगे, तो उस का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. अगर बच्चे को बिहेवियर प्रौब्लम है, तो आप को इस ओर ध्यान देना होगा कि आप का अपने बच्चे से रिश्ता कैसा है.

अच्छी परवरिश वह है, जिस में सहानुभूति, ईमानदारी, आत्मविश्वास, आत्मनियंत्रण, दयालुता, सहयोग, मानवता आदि गुण विकसित हों. ऐसी परवरिश बच्चे को ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन, ईटिंग डिसऔर्डर, असामाजिक व्यवहार और नशे आदि का शिकार होने से बचाती है.

अच्छा अभिभावक बनने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

अत्यधिक अनुशासित पालनपोषण के नुकसान

डा. संदीप गोविल बताते हैं कि जो मातापिता अपने बच्चों को अत्यधिक अनुशासन में पालते हैं, वे हर चीज के लिए कड़े नियम बना देते हैं. पढ़ाई और सुरक्षा के नियम होने ठीक हैं, लेकिन अगर आप अपने बच्चे के जीवन के हर पहलू के लिए कड़े नियम बना देंगे तो निम्न समस्याएं खड़ी हो जाएंगी:

विद्रोह: जो बच्चे अत्यधिक कड़े नियमों में पलते हैं, उन्हें अपनी स्वतंत्रता नहीं मिलती, जो उन के लिए जिम्मेदार इनसान बनने के लिए जरूरी है. वे खुद कभी यह नहीं सीख पाते कि सही क्या है और गलत क्या है. उन में आंतरिक स्वअनुशासन विकसित नहीं हो पाता, क्योंकि उन्हें केवल नियमों का पालन करना सिखाया जाता है, खुद को नियंत्रित करना नहीं. ऐसे में कई बार बच्चों में विद्रोह करने की प्रवृत्ति पनपने लगती है.

संवाद की समस्या: स्ट्रिक्ट पेरैंट्स और बच्चों में संवाद की कमी होती है. जब बच्चों को इस बात का डर होता है कि यदि वे अपनी भावनाएं, विचार या कार्य अपने मातापिता से साझा करेंगे तो उन्हें डांट या मार पड़ेगी, तो ऐसे में वे उन से बातें छिपा लेते हैं. जब बच्चों के समक्ष कोई ऐसी समस्या आती है, जिस का समाधान वे स्वयं नहीं ढूंढ़ पाते तब भी वे अपने मातापिता से उस समस्या को साझा नहीं करते हैं.

निर्णय लेने की क्षमता: जो मातापिता अपने बच्चों को कड़े अनुशासन में रखते हैं, स्वयं निर्णय नहीं लेने देते वे बच्चे बड़े हो कर भी अपने निर्णय स्वयं नहीं ले पाते और अगर ले लेते हैं, तो उन पर डटे नहीं रहते. उन में हमेशा अपने से शक्तिशाली का अनुसरण करने की प्रवृत्ति विकसित हो जाती है.

ये भी पढे़ं- बौयफ्रैंड डैडी

उदाहरण प्रस्तुत करें: याद रखें, बच्चे अपने मातापिता को देख कर ही सीखते हैं. आप के कार्यों की गूंज आप के शब्दों से तेज होती है. पहले खुद अच्छे व्यवहार के द्वारा सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करें. फिर बच्चों से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करें.

अत्यधिक प्यार न दें: अत्यधिक प्यार दे कर बच्चों को बिगाड़ें नहीं, बच्चों की हर बात न मानें, क्योंकि उन की समझ विकसित नहीं हुई होती है.

हमेशा साथ होने का एहसास कराएं: बच्चों की हर जरूरत के समय उन के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से उपलब्ध रहें. लेकिन उन्हें थोड़ा स्पेस भी दें. हमेशा उन के साथ साए की तरह न रहें.

परवरिश में बदलाव लाते रहें: बच्चे जैसेजैसे बड़े होते हैं, उन के व्यवहार में बदलाव आता है. आप 3 और 13 साल के बच्चे के साथ एकसमान व्यवहार नहीं कर सकते. जैसेजैसे बच्चों के व्यवहार में बदलाव हो, उस के अनुरूप उन के साथ अपने संबंधों में बदलाव लाएं.

नियम बनाएं: प्यार के साथ अनुशासन की भी जरूरत होती है. कड़े नियम न बनाएं. लेकिन बचपन से ही उन में जिम्मेदारी की भावना विकसित करें. उन्हें आत्मनियंत्रण के गुर सिखाएं.

बच्चों को स्वतंत्रता दें: हमेशा अपनी पसंदनापसंद बच्चों पर न थोपें. उन्हें थोड़ा स्पेस दें ताकि उन का अपना व्यक्तित्व विकसित हो सके.

बच्चों से अच्छा व्यवहार करें: बच्चों से विनम्रता से बात करें. उन के विचारों को  ध्यान से सुनें. उन से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें. ध्यान रखें, आप के बच्चों के साथ आप का व्यवहार दूसरों के साथ उन के व्यवहार की आधारशिला है.

ये भी पढ़ें- क्या परफैक्ट होते हैं नुक्स निकालने वाले पति

बच्चों से ये बातें कभी न कहें

कभीकभी मातापिता बच्चों को ऐसी बातें कह देते हैं, जो उन के मन में घर कर जाती हैं, इसलिए ये बातें कहने से बचें:

– मैं जब तुम्हारी उम्र की थी तो अधिक जिम्मेदार थी.

– तुम तो हमेशा गलत फैसले लेते/लेती हो.

– तुम अपने भाई/बहन की तरह क्यों नहीं बनते?

– तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए.

– तुम्हारे जैसी औलाद होने से तो अच्छा होता मैं बेऔलाद होती.

– अपने गंदे दोस्तों का साथ छोड़ो.

गरमियों में बारबार पीलिया हो जाता है, इसका कारण बताएं?

सवाल-

मेरे पति की उम्र 45 साल के करीब हैं. उन्हें गरमी के मौसम में बारबार पीलिया हो जाता है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या इसे रोकने का कोई उपाय है?

जवाब-

आप के पति को बारबार पीलिया होना इस बात का संकेत हो सकता है कि उन का लिवर ठीक काम नहीं कर रहा अथवा उन के हैपेटोबिलिअरी सिस्टम में संक्रमण है. बारबार पीलिया होना लिवर में किसी रोग का लक्षण है. इस का कारण जानने के लिए किसी गैस्ट्रोऐंटरोलौजिस्ट से जांच करवाएं. गरमी के मौसम और मौनसून में दूषित जल व गंदे भोजन के कारण यह बीमारी होना आम बात है. अत: केवल उबला पानी पीएं और मसालेदार, तैलीय भोजन का सेवन न करें.

ये भी पढ़ें- क्या कोई ऐसी दवा है, जिससे जौ लाइन में सुधार आ सकता हो?

ये भी पढ़ें- 

दाल जैसे, राजमा, उरद, मूंग आदि में खूब सारा प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और आयरन आदि जैसे ढेर सारे पोषक तत्‍व मिले होते हैं. अगर आप वेजिटेरियन हैं तो दालों को अपने खाने में हर रोज शामिल कीजिये. आइये देखते हैं कि कौन सी दाल में कौन से गुण छुपे हुए हैं.

1. प्रोटीन का भंडार राजमा

राजमा (किडनी बीन्स) में बहुत सारा प्रोटीन होता है. यही नहीं इसमें आयरन, फौसफोरस, मैगनीशियम और विटामिन बी9 पाया जाता है. साथ ही यह सोडियम और पोटैशियम में सबसे लो आहार हैं. राजमा में सोया प्रोडक्‍ट के मुकाबले अधिक प्रोटीन होता है.

2. मसूर दाल

मसूर दाल की प्रकृति गर्म, शुष्क, रक्तवर्द्धक एवं रक्त में गाढ़ापन लाने वाली होती है. इस दाल को खाने से बहुत शक्‍ति मिलती है. दस्त, बहुमूत्र, प्रदर, कब्ज व अनियमित पाचन क्रिया में मसूर की दाल का सेवन लाभकारी होता है. सौदर्य के हिसाब से भी यह दाल बहुत उपयोगी है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- इन 5 दालों में छिपा है आप की सेहत का राज

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें