इस ड्रैस में Janhvi Kapoor को कॉम्पीटिशन देती दिखीं Nikki Tamboli

बॉलीवुड हो या टीवी, एक्ट्रेसेस फैशन के मामले में हर वक्त सुर्खियों में रहते हैं. वहीं कई बार एक्ट्रेसेस के लुक कौपी भी होते हुए नजर आते हैं. वहीं अब इस लिस्ट में एक्ट्रेस निक्की तम्बोली (Nikki Tamboli) का नाम भी शामिल होता नजर आ रहा है. दरअसल, हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर (Jahnvi Kapoor) की ड्रैस को निक्की तम्बोली कौपी करती नजर आईं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

जाह्नवी कपूर का लुक हुआ कौपी

 

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एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर का इंडियन हो या वेस्टर्न हर लुक फैंस को पसंद आता है, जिसके चलते एक्ट्रेस भी सोशलमीडिया के जरिए अपने लुक्स को शेयर करती नजर आती हैं. वहीं बीते दिनों जाह्नवी कपूर ने अपनी एक सिल्वर कलर की मिरर ड्रैस फैंस के साथ शेयर की थीं. जाह्नवी की ये ड्रैस और लुक फैंस को काफी पसंद आया था और वह सोशलमीडिया पर सुर्खियों में भी रही थीं.

 

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निक्की तम्बोली का लुक भी है लाजवाब

 

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दूसरी तरफ, बिग बौस 14 फेम एक्ट्रेस निक्की तम्बोली ने हाल ही में एक फोटोशूट करवाया है, जिसमें वह एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर की तरह ड्रैस पहने नजर आ रही हैं. दरअसल, फोटोज में एक्ट्रेस निक्की तम्बोली गोल्डन कलर की मिरर वर्क वाली थाई स्लिट ड्रैस पहने नजर आ रही हैं. निक्की तम्बोली का ये लुक देखकर फैंस उनकी तारीफ करते नजर आ रहे हैं. वहीं उनकी फिटनेस के कायल हो रहे हैं.

 

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सुर्खियों में रहती हैं निक्की

 

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बता दें, एक्ट्रेस निक्की तम्बोली जहां हौट फोटोज के चलते सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं तो वहीं अपनी और प्रतीक सहजपाल की कैमेस्ट्री के चलते भी सुर्खियां बटोरती नजर आती हैं. दरअसल, बीते दिनों एक रियलिटी शो में नजर आने वाले ये स्टार की कैमेस्ट्री फैंस को काफी पसंद आई थी.

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मशरूम उगाने के काम पर लोग पागल कहते थे- अनीता देवी

बिहार का नालंदा जिला ऐतिहासिक धरोहरों और उच्च शिक्षा के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में विश्वप्रसिद्ध है. बड़ेबड़े महापुरुषों का नाम इस जिले से जुड़ा है. आजकल इस जिले से जो नाम सब से ज्यादा चर्चा में है, वह है अनीता देवी का. नालंदा जिले के चंडीपुर प्रखंड स्थित अनंतपुर गांव की अनीता देवी कर्मठता और आत्मविश्वास की अनूठी मिसाल हैं. उन्होंने अपने काम की बदौलत न सिर्फ अपनी और अपने परिवार की, बल्कि क्षेत्र की हजारों औरतों की जिंदगी भी बदल दी है.

अनीता देवी आज मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन चुकी हैं और इस काम में अभूतपूर्व सफलता अर्जित करने के बाद वे मछली पालन, मधुमक्खी पालन, मुरगी पालन के साथसाथ पारंपारिक खेती भी कर रही हैं.

हताशा ने दी हिम्मत

बात 2010 की है, जब पढ़ीलिखी अनीता देवी के सामने बच्चों को पालने और अच्छी शिक्षा देने का सवाल खड़ा हो गया. उन की ससुराल के लोग खेती करते थे, मगर उस में आमदनी कम थी. सिर्फ खेती से घर और बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना संभव नहीं था. घर में मातापिता, 3 बच्चे, पति और वह स्वयं मिला कर 7 प्राणियों का खर्च था, जो मात्र 3 एकड़ की खेती से पूरा नहीं पड़ता था.

अनीता के पति संजय कुमार को जब उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी शहर में नौकरी नहीं मिली तो हताश हो कर वे गांव लौट आए और घर वालों के साथ खेती करने लगे. मगर अनीता देवी हताश होने वालों में नहीं थीं. वे गृह विज्ञान में स्नातक थीं और चाहती थीं कि उन के तीनों बच्चे भी उच्च शिक्षा पाएं. इसलिए उन्होंने खुद कुछ नया करने की ठान ली.

उन्हीं दिनों उन के जिले में हरनौत कृषि विज्ञान केंद्र पर एक कृषि मेला लगा. पति के साथ वे भी वहां गईं. वहां उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से मशरूम की खेती के विषय में सुना. अनीता को मशरूम की खेती फायदे का सौदा लगी और फिर वैज्ञानिकों से इस पर काफी देर तक सवालजवाब करती रहीं. घर लौटतेलौटते अनीता ने ठान लिया था कि वे मशरूम उगाने का काम करेंगी.

मशरूम उत्पादन के विषय में अनीता ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने लगीं. पति संजय ने उन का हौसला बढ़ाया तो मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग लेने वे उत्तराखंड स्थित पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय गईं और वहां मशरूम उत्पादन से संबंधित हर तकनीक समझ. इस के बाद उन्होंने समस्तीपुर में डा. राजेंद्र प्रसाद कृषि यूनिवर्सिटी से भी मशरूम के बारे में ट्रेनिंग ली.

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शुरू हुआ मशरूम लेडी का सफर

ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने सब से पहले छोटे पैमाने पर आयस्टर मशरूम और उस के बाद बटन मशरूम का उत्पादन शुरू किया. अनीता को इस में लागत भी ज्यादा नहीं लगानी पड़ी क्योंकि उन के खेतों से निकलने वाले कचरे से ही मशरूम पैदा हो रही थी. उन के पति संजय उस की पैकिंग कर के बाजार में बेचने का काम करने लगे. इस से रोज उन को कुछ अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी. धीरेधीरे उन्होंने अधिक क्षेत्र में उत्पादन शुरू किया और अधिक मात्रा में मशरूम पैदा होने लगी. तब अनीता ने अपने साथ गांव की कुछ और महिलाओं को भी जोड़ लिया.

अनीता बताती हैं, ‘‘शुरू में मैं अपने पति के साथ सभी किसान मेलों, बिहार दिवस, जिलों के स्थापना दिवस, यूनिवर्सिटी में होने वाले प्रोग्रामों आदि में हिस्सा लेने जाती थी. वहां मैं मशरूम से बने व्यंजन का स्वाद लोगों को चखाती थी और मशरूम के प्रति उन्हें जागरूक करती थी. लोगों को मशरूम का स्वाद बहुत अच्छा लगा. वे मशरूम को नौनवेज समझ कर खाते थे. धीरेधीरे लोग हमारा उत्पाद खरीदने लगे. मंडी में भी यह बहुतायत में बिकने लगी. फिर हम ने बहुत से होटलों से संपर्क किया, जहां हमारा माल जाने लगा. धीरेधीरे छोटा सा धंधा बड़ा आकार लेने लगा. अब मेरे पति रोजाना मंडी में बड़ी मात्रा में मशरूम पहुंचाने लगे हैं.’’

जब आसपास के गांव से भी महिलाएं और पुरुष अनीता के काम को देखने और उस से जुड़ने के लिए आने लगे तो पति की मदद से उन्होंने मशरूम उत्पादन की एक कंपनी बना ली- ‘माधोपुर फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड.’

मुनाफा भी रोजगार भी

आज इस कंपनी में 5 हजार महिलाएं कार्यरत हैं. 12 साल के अथक परिश्रम के बाद आज इस कंपनी से अनिता को 15 से 20 लाख रुपए साल की आमदनी होने लगी है. वे प्रतिदिन 300 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर रही हैं.

अनीता देवी कहती हैं, ‘‘जिस समय मैं ने मशरूम उगाने का काम शुरू किया था, तो उस समय गांव के लोग मुझे पागल कहते थे. मगर आज वही लोग मेरे अनुयायी बन गए हैं. आज इस बिजनैस से मेरे परिवार की हालत सुधर गयी है. आज मेरे बच्चे उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं. मेरी बेटी ने पटना यूनिवर्सिटी से एम.कौम. किया है.

‘‘एक बेटा परास्नातक कर रहा है और छोटा बिहार ऐग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में स्नातक की पढ़ाई कर रहा है. ईमानदारी, कर्मठता और कठोर श्रम की बदौलत लोग मुझे जानते हैं.’’

-नसीम अंसारी कोचर 

‘‘पहले मैं ने 2 मशीनों से काम शुरू किया. अब मेरे पास 10 मशीनें हैं. कपड़ों के और्डर इतने आने लगे कि समय मिलना मुश्किल हो गया…’’

योगिता मिलिंद दांडेकर

‘‘एक महिला को परिवार संभालते हुए काम करना आसान नहीं होता, बहुत सारी समस्याएं आती हैं. मैं काम करना चाहती थी, पर 4 साल के बेटे को देखने वाला कोई नहीं था. मैं ने कालेज के दौरान सिलाई सीख ली थी, लेकिन उसे कैसे व्यवसाय के रूप में बदला जाए, यह समझना मुश्किल था. कोई कहता कि यह काम आसान नहीं है, तो कोई कहता कि यह तुम से नहीं हो पाएगा.

‘‘मैं दुविधा में थी. पति मिलिंद दांडेकर से पूछने पर उन्होंने सलाह दी कि मैं अपने मन की सुन कर काम शुरू करूं. अत: मैं ने अपने मन की बात सुनी और काम पर लग गई. मैं खुश हूं कि उस दिन का मेरा निर्णय सही रहा और आज मैं यहां तक पहुंच गई,’’ यह कहना है अलीबाग के पास पेजारी गांव की महिला उद्यमी योगिता मिलिंद दांडेकर का, जो 2 बच्चों तन्मय और रिम्सी की मां भी हैं.

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शुरू करना था मुश्किल

योगिता कहती हैं, ‘‘मैं पहले सर्विस करती थी, लेकिन एक दिन मुझे लगा कि मैं काम के साथ बच्चे नहीं संभाल पा रही हूं. मेरा लड़का 4 साल का था और उसे संभालने वाला कोई नहीं था. यह अच्छी बात थी कि कालेज के दौरान मैं ने टेलरिंग और ब्यूटिशियन का कोर्स कर लिया था. आर्ट वर्क भी मुझे आता था, इसलिए सोचा घर बैठ कर ही कुछ काम करूं क्योंकि परिवार को कुछ आमदनी की जरूरत है. मेरे पति मुंबई की जेट्टी में काम करते है. मैं अपने कपड़े हमेशा खुद ही सिलती थी.

‘‘एक दिन मेरी एक जानपहचान की महिला ने मेरा ब्लाउज देख कर सिलाई शुरू करने का सुझव दिया. उस दिन मैं ने निश्चय किया और सब से पहले टेलरिंग का काम शुरू किया. इस से आसपास के औरतों से मेरी जानपहचान बढ़ने लगी. जो भी मेरे पास आती, मैं उस का फोन नंबर सेव किया. फिर कुछ नया सिलने पर उन्हें व्हाट्सऐप पर भेज देती थी. इस से कई महिलाएं मुझे सिलने देने के लिए कपडे़ देने लगीं. पहले मैं ने घर में दुकान ली. फिर जब कमाई बढ़ी तो बाहर एक दुकान ले ली.’’

योगिता का टेलरिंग का काम 2009 से पूरी तरह से शुरू हो चुका था. वे कहती हैं, ‘‘इस से मेरी दुनिया पूरी तरह बदल गई. अपने काम में मैं ने उन महिलाओं को जोड़ा, जिन की काम करने की इच्छा थी. कई महिलाएं आगे आईं. जिसे जो काम करना आता था उसे मैं ने वही काम करने दिया. मसलन, साड़ी फाल, बीडिंग, हुक, बटन लगाना, तुरपाई करना आदि. इस से सभी महिलाएं कुछ आमदनी करने लगीं. ये महिलाएं अपने खाली समय में मेरे पास आती थीं. कुछ को टेलरिंग पसंद थी, तो उन्हें मैं ने सिलाई सिखाई, जिस से वे कपड़े भी सिलने लगीं.

‘‘औरतों को देख कर लड़कियां भी मेरे पास सिलाई सीखने के लिए आने लगीं. इस से वे भी मेरे साथ जुड़ती चली गईं और एक बड़ी टीम बन गई. मुझे कभी अपने कपड़ों की विज्ञापन देने की जरूरत नहीं पड़ी. शुरुआत मेरी एक डिजाइनर ब्लाउज से हुई, जिसे देख महिलाओं ने खुद की ब्लाउज सिलवाने को दिए. इस से मुझे बहुत पौपुलैरिटी मिली क्योंकि हर ब्लाउज की डिजाइन अलग थी और शादी में आने वाले सभी लोगों ने मेरे सिले ब्लाउजों की तारीफ की. इस से मुझे और काम मिलने लगा.

और काम ने पकड़ी रफ्तार

योगिता आगे कहती हैं, ‘‘पहले मैं ने 2 मशीनों से काम शुरू किया. अब मेरे पास 10 मशीनें हैं. कपड़ों के और्डर इतने आने लगे कि समय मिलना मुश्किल हो गया. 1 महीने तक का काम पैंडिंग होने लगा. इस दौरान मुझे पता चला कि मेरे गांव के डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्री सैंटर बैंक से व्यवसाय के लिए लोन मिलता है, लेकिन उस के लिए व्यवसाय की एक ट्रेनिंग लेनी पड़ती है, जहां व्यवसाय को बढ़ाना, खुद के मार्केटिंग स्किल को विकसित करने आदि की ट्रेनिंग दी जाती है. मैं ने ट्रेनिंग ली, जिस से मेरे काम में तेजी आ गई. मैं ने लोन भी अपनी बलबूते पर लिया था.’’

आत्मनिर्भर होना जरूरी

योगिता का कहना है, ‘‘सिलाई के अलावा मैं ने रोटी बनाने का भी काम शुरू किया है क्योंकि मैं ने देखा है कि हर होटल और रेस्तरां में गेहूं के आटे की रोटियां, चावल की रोटियां, काले या रैड चावल की रोटियों की सप्लाई की जाती है. यह अच्छा व्यवसाय है. मैं ने रोटियों का कम मूल्य रखा, जिस से मेरा सामान जल्दी बिक जाता. मैं ने क्वालिटी पर अधिक ध्यान दिया.

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मैं ने लोन से एक रोटी मेकर खरीदी है, जो 1 घंटे में 150 रोटियां बना सकता है. मैं पास के होटलों और रेस्तराओं में सप्लाई करती हूं. इसे करने का उद्देश्य मेरे साथ काम कर रही महिलाओं को थोडा अधिक वेतन देना है.

इस के अलावा कोविड-19 में मैं ने कोविड पीडि़तों के लिए हर संभव सहायता की है, जिस में डाक्टर से ले कर खानपान सभी पर मैं ने ध्यान दिया है. आज कई परिवार ऐसे भी हैं, जिन के कमाने वाले ही कोविड की भेंट चढ़ गए. इसलिए हर महिला को कमाना जरूरी है ताकि वह किसी भी आपदा से निकल सके. आज महिलाओं का भी वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होना आवश्यक है.

Summer Special: ड्रिंक में बनाएं Virgin Mojito

गर्मी मे कुछ ठंडा-ठंडा पीना सबको बहुत पसंद होता है. ऐसे में वर्जिन मोहितो के होते हुए कुछ और क्यों पीना?? नाम पर मत जाइए जनाब और इस गर्मी इसे आजमाईए. यह एक मॉकटेल है जो 5 सामग्री से बनता है, चीनी, नींबू, सोडा, पुदीना, बर्फ. इस पेय मे चीनी की मिठास, पुदीने का स्वाद आता है. आज हम वर्जिन मोहितो बनाने की विधि जानते हैं.

सामग्री

चीनी या पोलो (पेपर मिंट की गोली) – स्वादानुसार

नींबू – 4

Limca या Sprite या सोडा – 1 बोतल ( 250 ml )

पुदीना – 10 पत्ते

बर्फ – कुचली बर्फ

नमक – स्वादानुसार

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विधि

– नींबू को छोटे टुकड़ों मे काट लीजिये और बीज वाला भाग निकाल दीजिये.

– जग मे चीनी या पोलो या पेपर मिंट की गोलियां, नींबू और पुदीने की पत्तियां डालकर अच्छे से घोल लीजिये.

– अब कुचली हुई बर्फ और नींबू का रस डाल दीजिये.

– उपर से Sprite या Limca या सोडा डाल दे और नमक डालकर अच्छे से मिक्स कर लीजिये.

(चाहे तो आप और पुदीना डाल सकते है)

– जग मे बर्फ के टुकड़े डाल लीजिये.

आपका वर्जिन मोहितो  बनकर तैयार है, इसे ठंडा पीये.

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कामयाबी की पहली शर्त

अगर आप को जीवन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो रास्ता कितना भी कठिन हो आप उसे तय अवश्य कर सकती हैं. एक युवती तभी सफल हो सकती है जब उसे अपनी क्षमता के बारे में पूरी जानकारी हो और अपने काम पर पूरी तरह फोकस्ड हो.

पुरुषों के साथ उद्योग के क्षेत्र में काम करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता जा रहा हो. अब और ज्यादा युवतियां अपना खुद का काम शुरू कर रही हैं. महिला हो या पुरुष दोनों की जर्नी शुरू में बराबर की होती है, जिस के लिए दोनों को परिवार का सहयोग जरूरी है. कई बार आप ऐसी परिस्थितियों में पड़ जाते हैं जब आप चाह कर भी वह काम नहीं कर पाते क्योंकि पिता या पत्नी या फिर भाईबहन विरोध करते हैं.

ऐसे में युवती को देखना है कि करना क्या है. कई ऐसी युवतियां हैं जिन्हें काम करने की आजादी तो है पर अगर समय से देर तक उन्हें काम करना पड़े तो उन के पति या बच्चे सहयोग नहीं देते. ऐसे में उन्हें सोचना पड़ता है कि आखिर उन के जीवन में क्या जरूरी है परिवार या कैरियर.

डबल इनकम

यही वजह है कि आज की बहुत युवतियां अच्छा कमाती हैं तो शादी नहीं करना चाहतीं जिम्मेदारी नहीं लेना चाहतीं. वे इन सुखों का त्याग अपने कैरियर के लिए करती हैं क्योंकि आज के जमाने में वित्तीय मजबूती उन के लिए परिवार से भी अधिक जरूरी है. इस का फैसला हर युवती को खुद लेना पड़ता है. डबल इनकम उन के जीवन में अच्छा सुख दे सकती है, यह उन्हें अपने पति और परिवार को समझेना पड़ता है. कई बार तो बात बन जाती है पर कई बार उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ती है.

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व्यवसायी परिवार से निकली और व्यवसायी परिवार में शादी हुई युवतियों को यह समस्या कम झेलनी पड़ती है क्योंकि ससुराल वाले समझेते हैं कि सफलता के लिए कितनी मेहनत करनी होती है और मां, सास, बहन या जेठानी साथ दे देते हैं.

अगर कोई युवती किसी अनूठे व्यवसाय में है जिस में कम महिलाएं हैं तो समस्या बढ़ जाती है. उसे पता रखना होता है कि कल क्या करना है और वह उसे करे.

हर कामकाजी युवती को हर उम्र में खूबसूरत दिखना चाहिए. जब भी समय मिले वह ‘स्पा’ में जाए. शारीरिक व मानसिक व्यायाम करे. तनावमुक्त और ऐनर्जेटिक रहे.

ऐसे मिलेगी सफलता

जो अपने खुद के बिजनैस में हैं वे अभी रिटायर्ड नहीं होते. हमेशा आगे काम करते जाना उद्देश्य होना चाहिए. नई जैनरेशन और पुरानी जैनरेशन के बीच तालमेल बैठा कर रखना जरूरी है. नई जैनरेशन हर काम को अलग तरीके से लेती है. पुरानी जेनरेशन की महिलाओं के नामों को धैर्य से सुनना चाहिए.

अपनी विचारधारा में परिवर्तन करना चाहिए ताकि मनमुटाव न हो क्योंकि कई बातें नई जैनरेशन की सही होती है जबकि कुछ बातें पुरानी. दोनों के मिश्रण से जो परिणाम सामने आता है वह हमेशा अच्छा ही होता है.

ध्यान रखें कि सफलता वह है जिस से व्यक्ति को खुशी मिले. जब भी कोई काम करें तो कैसे करना है और कितनी खुशी आप को उस से मिल रही है सोच सकेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी. सफलता एक दिन में कभी नहीं मिलती.

आज की युवतियां उद्योग के क्षेत्र में बहुत सफल हो सकती हैं क्योंकि आज की टैक्नोलौजी जैंडर नहीं पूछती.

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बदला है नजरिया

वैसे भी आज लोगों का नजरिया युवाओं के लिए बदला है. हमारे देश में अगर महिला औथौरिटी के साथ है तो उसे बहुत सम्मान मिलता है. यही वजह है कि भारत की राजनीति में भी ममता बनर्जी और प्रियंका गांधी वाड्रा जैसी महिलाएं काफी संख्या में हैं. आज उद्योगों में भी महिलाएं हैं बहुत बड़े घरानों की और नई पीढ़ी की बेटियां भी लगातार काम पर आ रही हैं.

आम महिला की तरह फैशन, ज्वैलरी, खाना सब पसंद करें. अपना फैमिनिज्म न छोड़ें. संगीत सुनें और किताबें अवश्य पढ़ें. पति और बच्चों के साथ समय अवश्य बिताएं. सासससुर और अपने मांबाप की बराबर देखभाल भी करें. 24 घंटे काम करना सफलता की पहली शर्त है.

शाह हाउस से उठेगी Anupama की डोली, बा करेगी ये काम

सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां अनुज (Gaurav Khanna) अपनी शादी को लेकर खुश है तो वहीं अनुपमा (Rupali Ganguly) को बा, वनराज, तोषू, पाखी औऱ किंजल की मां राखी ताने मारते नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बार अनुपमा के साथ बापूजी भी अपनी आवाज उठाते नजर आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे(Anupama  Upcoming Episode)…

तोषू-पाखी को ये बात कहती है अनुपमा

अब तक आपने देखा कि तोषू और पाखी, अनुपमा पर शर्मिंदा होने की बात कहते हैं, जिसका करारा जवाब देते हुए अनुपमा कहती है कि जब उसने अपने होने वाले बच्चे को मनहूस कहा था तो तब वह शर्मिंदा नहीं हुई. वहीं पाखी से कहती है कि जब वह छोड़कर गई थी तब वह शर्मिंदा नहीं हुई तो आज उसकी खुशियों में वह शर्मिंदा क्यों हो रहे हैं.

 

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राखी पर बरसेगी अनुपमा

परिवार के तानों का जवाब देती अनुपमा इस बार किंजल की मां राखी को सबक सिखाती नजर आएगी. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में राखी, अनुपमा को ताना मारेगी, जिसके जवाब में अनुपमा, उसे चुप रहने की हिदायत देते हुए कहेगी कि वह  खुद अपने पति प्रमोद का सम्मान नहीं करती है और उन्हें सबके सामने अपमानित करती है, जिसके कारण उन्होंने कई दिनों से वनवास में छोड़ दिया, वह आज उसे नैतिकता सिखाना चाहती है. अनुपमा की ये बात सुनकर राखी गुस्से में नजर आएगी. वहीं पूरा परिवार जहां अनुपमा के खिलाफ होगा तो वहीं बापूजी, समर, किंजल और मामा जी उसके लिए तालियां बजाते नजर आएंगे.

बापूजी करवाएंगे अनुपमा की शादी

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि बापूजी पूरे शाह परिवार के सामने ऐलान करेंगे कि उनकी बेटी अनुपमा की शादी उनके घर यानी शाह हाउस से होगा, जिसके चलते वह शंख बजाते नजर आएंगे. वहीं बापूजी का ऐलान सुनकर बा रोते हुए अनुपमा को शाप देगी कि अगर अनुपमा शादी करेगी, तो उसकी शादी के दौरान कोई ना कोई अनहोनी जरुर होगी. बा की बात सुनकर अनुपमा समेत पूरा परिवार हैरान रह जाएगा.

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OSCAR AWARD 2022: ‘थप्पड़’ कांड ने रंग में डाला भंग

पूरे विश्व के सिनेमा जगत में ‘‘ऑस्कर अवार्ड’’ से बड़ा कोई अवार्ड नही माना जाता. सिनेमा से जुड़ा हर शख्स ‘ऑस्कर अवार्ड’ का ही सपना देखता रहता है. अफसोस हर किसी का सपना पूरा नही हो पाता है. ऐसे ही प्रतिष्ठित ऑस्कर अवार्ड के 94 वें संस्करण का आयोजन 27 मार्च को डॉल्बी थिएटर,लॉस एंजेल्स,अमरीका में संपन्न हुआ. लेकिन इस वर्ष का ऑस्कर अवार्ड समारोह ने न सिर्फ एक नए इतिहास को रचा,बल्कि कई सवाल भी उठा दिए हैं. इस समारोह के दौरान घटी शर्मनाक घटनाक्रम ने कलाकार विरादरी को शर्मसार करने के साथ ही ‘पितृसत्तात्मक सोच’ को भी उजागर कर दिया.  इस समारोह में फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड’’ के लिए हौलीवुड अभिनेता विल स्मिथ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया. फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड‘‘ में टेनिस के महान खिलाड़ी वीनस और सेरेना विलियम्स के हार्ड-ड्राइविंग पिता रिचर्ड विलियम्स के किरदार को विल स्मिथ ने अपने अभिनय कौशल से परदे पर साकार कर ऑस्कर की ज्यूरी का दिल जीता है. लेकिन मंच पर जाकर विल स्मिथ अपना यह पुरस्कार ग्रहण करते उससे पहले ही एक नाटकीय व अनहोनी घटनाक्रम घटित हो गया. कार्यक्रम  का संचालन कर रहे अभिनेता क्रिस रॉक ने लोगों का मनोेरंजन करने के ही क्रम में एलोपेसिया से ग्रसित विल स्मिथ की पत्नी जैडा पैंकेट स्मिथ के बालों को लेकर टिप्पणी कर दी. इस टिप्पणी को विल स्मिथ बर्दाश्त न कर सके और वह तुरंत मंच पर गए तथा क्रिस रॉक को झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ दिया. इस थप्पड़ की गूंज से पूरा विश्व हिल गया. इस पत्थर की गॅूंज से सेायाल मीडिया पर भी हंगामा बरपा. तमाम लोगों ने इस कृत्य की घोर निंदा की. कुछ लोगों ने क्रिस रॉक को खरी खोटी सुनाई,तो कुछ ने विल स्मिथ की आलोचना की.

पहले तो लोगों को लगा कि यह थप्पड़ भी इस समारोह की लिचाी हुई पटकथा का ही हिस्सा हे. मगर जब क्रिस रॉक्स को थप्पड़ मारने के बाद अपनी कुर्सी पर बैठने के बाद भी विल स्मिथ का गुस्सा शांत नहीं हुआ और क्रिस रॉक्स पर चिल्लाते हुए कहा-‘‘मेरी पत्नी का नाम अपने कमबख्त मुंह से मत निकालना. . ,‘‘तब लोगों को इस कांड की गहराई का अहसास हुआ. यह एक अलग बात है कि बाद में मंच पर जाकर अपना ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेता’ का पुरस्कार लेने के बाद विल स्मिथ ने ऑस्कर के पीछे गैर-लाभकारी अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज और अपने साथी नामांकित लोगों से अपने कारनामें व गुस्से के लिए माफी मांगी. लेकिन अपने गुस्से की वजह को सही ठहराते हुए काफी कुछ कहा. उन्होंने आगे कहा-‘लोगो से मिल रहा प्यार आपको पागलपन वाली हकरतें करने के लिए उकसाता है.  मगर हम जो करते हैं,उसे करने के लिए हमें दुव्र्यवहार सहन करने में सक्षम होना चाहिए. आपके बारे में लाग पागलपन की बातें करे,तो उसे सहने में सक्षम होना चाहिए. इस व्यवसाय में आपको लोगों का अनादर भी सहन करने में सक्षम होना चाहिए.  और आपको मुस्कुराना होगा, आपको यह दिखावा करना होगा कि यह ठीक है. ‘‘

विल स्मिथ का सोशल मीडिया पर माफीनामाः

 

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विल स्मिथ ने ऑस्कर में कॉमेडियन क्रिस रॉक को थप्पड़मारने के बाद सोशल मीडिया पर माफीनामा पोस्ट किया. उन्होंने अपने बयान में कहा-‘‘मेरा बर्ताव. . . अस्वीकार्य और अनुचित था. जेडा की बीमारी पर मजाक मैं सहन नहीं कर पाया और भावुक होकर प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी. मैं आपसे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगना चाहता हूं क्रिस. . . मैं गलत था. ‘‘

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कौन है क्रिस रॉक

विल स्मिथ से थप्पड़ खाने वाले हास्य अभिनेता क्रिस रॉक से भारतीय दर्शक ज्यादा परिचित नही है.  ‘मेन इन बैल्क’ सीरीज में क्रिस ने अभिनय किया था और उनके अभिनय को काफी सराहा गया था.

विश्व में अलग अलग राय

पूरे विश्व में इस थप्पड़ कांड को लेकर लोग बंटे हुए नजर आ रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि कलाकार को दयालु,विनम्र व संजीदा होना चाहिए. इसलिए विश्व सिनेमा जगत के इतने बड़े मंच से अभिनेता विल स्मिथ का क्रिस रॉक्स को थप्पड़ जड़ना शोभा नही देता.

केतकी जानी ने भी विरोध जतायाः

लेकिन पूरे विश्व में एलोपेसिया के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए प्रयासरत और एलोपेसिया ग्रसित होते हुए भी ‘विश्व सुंदरी’ सहित कई पुरस्कार जीत चुकी पुणे निवासी केतकी जानी ने क्रिस रॉक्स की काफी आलोचना की. केतकी जानी के जीवन और एलोपेसिया को खुलकर स्वीकार करने को लेकर ‘अग्निजा’ नामक किताब भी बाजार में आ चुकी है. केतकी जानी कहती हैं-‘‘ ‘‘ऑस्कर में जो थप्पड़ की घटना घटी,उसकी गूँज पूरी दुनिया में सुनायी दे रही है. यह आवाज एलोपेसिया यानी कि गंजापन को जोक मजाक करने की बात समझने वाले लोगों के कान में ताउम्र रहनी चाहिए, जिससे वह दोबारा पब्लिक प्लेटफार्म पर इस तरह का तंज ना कसे. एलोपेसिया व टकले लोंगों से संबंधित जोक्स भी सोशल मीडिया पर पोस्ट ना करे. अभी कुछ ही दिन पहले एलोपेसिया से संबंधित जोक की वजह से सिर्फ 11 साल की रियो नामक लड़की ने आत्महत्या की है और अब यह घटना. . . ’’

 

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कुछ लोगों को क्रिस रॉक द्वारा जैडा पैंकिट स्मिथ का मजाक उड़ाना इसलिए भी गलत लगा क्यांेकि वह मानते हैं कि  एलोपेसिया, शारीरिक विकलांगता से कमतर नही है.  और वर्तमान समय में कितने लोग शारीरिक विकलांग होते हुए भी समाज में एक से एक मानक स्थापित कर रहे हैं! कुछ लड़कियंा व औरतें महज ‘एलोपेसिया से ग्रसित होने पर समाज के तानों से उबकर आत्महत्याएं भी कर रही हैं.  मगर जैदा पिंकेट स्मिथ ने तो कई बार टीवी पर भी आकर एलोपेसिया की वजह से अपने बालों के झड़ने को लेकर खुलकर बात कर चुकी हैं. ऐसे में विश्व के अति प्रतिष्ठित मंच से उनका मजाक उड़ाया जाना लोगों को रास नही आ रहा है.

क्रिस रॉक को थप्पड़ जड़ने के बाद विल स्मिथ को ऑस्कर से बाहर क्यों नहीं किया गया?

विल स्मिथ द्वारा क्रिस रॉक का थप्पड़ मारने के घटनाक्रम पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर विल स्मिथ को तुरंत वहंा से बाहर क्यों नही किया गया. सूत्रों की माने तो इस घटनाक्रम के बाद ‘ऑस्कर’के लोगों ने गुप्त बैठक की. सूत्र कादावा  है कि इस वास्तविक घटनाक्रम के घटित होने की किसी को भी अंदेशा नही था. थप्पड़ कांड से पहले उन्हें ‘‘किंग रिचर्ड‘‘ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार लेने के लिए बुलाया जा चुका था और उन्हे पुरस्कार देने के बाद तुरंत समारोह का समापन हो गया.

जबकि एक अन्य इंसान के अनुसार इस समारोह के आयोजक नहीं चाहते थे कि सुरक्षा की दृष्टि से एक लोकप्रिय फिल्म अभिनेता  को उनकी सीट से हटाया जाए,और वह भी तब जब स्मिथ समर्थकों ने उनकी पत्नी जैडा पिंकेट स्मिथ की सुरक्षा व सम्मान को लेकर पर सवाल उठाया हो. जैडा के गंजे सिर के बारे में रॉक का मजाक भी गलत था. क्यांेकि टेलीप्रॉम्प्टर पर उन्हे दिखायी गयी पटकथा में ऐसा कुछ नहीं था. इस तरह आयोजकों के भी क्रिस की ही गलती मानी.

उधर कुछ लोगों का दावा ‘‘ऑस्कर’’ इस पर अपनी राय जाहिर करेगा. अंदेशा है कि विल स्मिथ एक बार फिर से माफी मांग सकते हैं. सूत्रों का दावा है कि आस्कर अकादमी  इस संबंध में विल स्मिथ से जवाब मांग सकती है,पर उनका ऑस्कर अवार्ड रद्द किए जाने की संभावना कम ही हैं.

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पुलिस में शिकायत दर्ज नही हुई

थप्पड़ कांड सोशल मीडिया से लेकर विश्व भर के फिल्म जगत में चचा का विषय बना हुआ है. मगर क्रिस रॉक्स ने विल स्मिथ के खिलाफ लॉस एंजिल्स पुलिस विभाग में कोई शिकायत दर्ज न कराकर अपनेबड़प्पन का परिचय दिया है.

जबकि ऑस्कर अकादमी की तरफ से इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा गया कि-‘‘किसी भी रूप की हिंसा की निंदा नहीं करता. ‘‘इसके बजाय शाम के विजेताओं का जश्न मनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहता था. मगर रॉक और स्मिथ का यह संघर्ष हर जगह चर्चा में रहा.

क्या कहा बौलीवुड के सितारों नेः

हौलीवुड अभिनेता विल स्मिथ द्वारा ऑस्कर अवॉर्ड्स में क्रिस रॉक को थप्पड़ जमड़ने को लेकर बौलीवुड में भी प्रतिक्रिया हुई है.

बौलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री व अभिनेता स्व.  रिषि कपूर की पत्नी नीतू कपूर ने इस घटना को अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा-‘और वह कहते हैं कि महिलाएं अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पातीं. ’जबकि अभिनेता एक्टर वरुण धवन ने फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- ‘वाह, यह उम्मीद नहीं थी. . ’’वहीं सलमान खान, कंगना रणौत, केआरके, एकता कपूर जैसे कई सितारे विल स्मिथ के थप्पड़ कांड को सही ठहरा रहे हैं.

दक्षिण से भी आयी आवाजः

प्रसिद्ध तमिल फिल्म निर्माता एस. आर.  प्रभु ने विल स्मिथ व क्रिस रॉक के बीच हुई थप्पड़ मारने की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना पुरस्कार समारोहों के व्यावसायीकरण का परिणाम थी. ’’

ऑस्कर में हुए विवाद के बाद विल स्मिथ और रॉक को मिला 114 करोड़ रुपये का ऑफरः यूट्यूबर ने की बॉक्सिंग मैच की पेशकश

ऑस्कर समारोह में विल स्मिथ द्वारा रॉक को थप्पड़ जड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वारयल होने के बाद बॉक्सिंग फील्ड में सनसनी बनकर उभरे यूट्यूबर जेक पॉल ने दोनों अभिनेताओं के बीच मैच कराने का ऑफर दिया है. उन्होनेे ‘विल स्मिथ बनाम क्रिस रॉक बॉक्सिंग मैच’ कराने की बात की है.

इसके बाद ‘द इंप्रैक्टिकल जोकर्स‘ के लिए लोकप्रिय अभिनेता साल वल्कानो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर अपने अनुयायियों से यह अनुमान लगाने का आव्हान किया कि जेक पॉल, स्मिथ और रॉक के बीच मैच के लिए कितना धन प्रस्तावित करेंगें. अभिनेता ने लिखा, ‘‘जेक पॉल एक बॉक्सिंग पीपीवी के लिए क्रिस रॉक और विल स्मिथ को कितना ऑफर करेंगे?‘‘इसके जवाब में 25 वर्षीय यूट्यूबर जेक पॉल ने स्मिथ और रॉक दोनों को बॉक्सिंग मैच के लिए 114 करोड़ रुपये देने की पेशकश कर दी. उन्होंने अपने अंडरकार्ड पर मैच की तारीख का भी सुझाव दिया है. जेक पॉल लिखते हैं, ‘‘मैं विल स्मिथ और क्रिस रॉक को 114-114 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हूं. लेट्स डू इट इन अगस्त मेरे अंडरकार्ड पर मिलते हैं. ‘‘

विल स्मिथ का मजाक उड़ाने पर  सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे धर्मा प्रोडक्शंस के      अधिकारी व फिल्म निर्माता

जब बौलीवुड में सभी विल स्मिथ के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं,वहीं फिल्म निर्माता व धर्मा प्रोडक्शन से जुड़े सोमेन मित्रा ने विल स्मिथ को ट्ोल किया. सोमेन ने ट्वीट करते हुए लिखा- जमाने भर से वह कहते रहे ‘ ऑस्कर सो व्हाइट ’रुव्ेबंतैवॅीपजम, अब समझ आया कि आखिर यह इतना अच्छा क्यों था. लिखने वाला कहीं दूर बहुत दूर जाकर छिप गया है. . . ’’ सोमेन के कहने का आशय यह है कि विल स्मिथ जैसे अश्वेत लोगों को ऑस्कर में न बुलाया जाना ही ठीक था. यानी कि उन्होने रंग भेद को हवा देने का प्रयास किया.

मगर सोमेन का दांव उलटा पड़ गया. लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. एक यूजर ने लिखा- यह इंसान करण जौहर की कंपनी धर्मा में शीर्ष पद पर है. याद रखें कि बॉलीवुड फिल्मों में ‘कालापन‘ आकस्मिक नहीं है. ’एक अन्य यूजर ने लिखा- ‘यह वही लोग हैं,जो कहते फिरते हैं, ‘‘कमबख्त भारतीय लोग, अंग्रेजों ने कम से कम 50 साल पहले भारत में ट्रेन तो चला दी. ‘‘

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ऑस्कर 2022 के कुछ ऐतिहासिक पलः

यूं तो ‘ऑस्कर 2022’ को थप्पड़ कांड के लिए ही सदैव याद किया जाएगा. मगर सोमवार को आयोजित 94वे संस्करण में निम्नलिखित ऐतिहासिक पल भी थे. .

अवॉर्ड सेरेमनी के दौरान बेनेडिक्ट कंबरबैच, जेसन मोमोआ और जेमी ली कर्टिस आदि ने यूक्रेनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए नीले रंग की रिबन पहनी थी. इसके साथ ही यूक्रेन में मरने वालों और सीमाओं के भीतर आक्रमण, संघर्ष व पूर्वाग्रह का सामना करने वालों के लिए मौन भी रखा गया था.

‘‘द पावर ऑफ द डॉग‘‘ की निर्देशक जेन कैंपियन सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीतने वाली तीसरी महिला बनीं.

अरियाना डिबोस को फिल्म ‘‘वेस्ट साइड स्टोरी’’के सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का ऑस्कर मिला है. यह उनका पहला नॉमिनेशन और अवॉर्ड है.

फिल्म ‘‘कोडा’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली ट्रॉय कोत्सुर ऑस्कर जीतने वाले पहले बधिर व्यक्ति बने.

बाक्स आयटमः दो

2022 में इन्हें मिला ऑस्कर

1- सर्वश्रेष्ठ अभिनेताः

फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड’’ के लिए हौलीवुड अभिनेता विल स्मिथ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया. फिल्म ‘‘किंग रिचर्ड‘‘ में टेनिस के महान खिलाड़ी वीनस और सेरेना विलियम्स के हार्ड-ड्राइविंग पिता रिचर्ड विलियम्स के किरदार को विल स्मिथ ने अपने अभिनय कौशल से परदे पर साकार कर ऑस्कर की ज्यूरी का दिल जीता है.

2- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रीः

फिल्म ‘‘द आइज ऑफ टैमी फेय‘‘ में टेलीविजनवादी टैमी फेय बेकर के किरदार में बेहतरीन अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जेसिका चैस्टन को मिला. अपने पुरस्कार को स्वीकार करते हुए चेस्टेन ने बकर के समलैंगिक पुरुषों और एड्स रोगियों को चैंपियन बनाने के इतिहास का हवाला दिया,जब इंजील समुदाय के कई सदस्यों ने एक ही तरह की स्वीकृति नहीं दिखाई.

चेस्टन ने आगे कहा- ‘‘संयुक्त राज्य अमरीका में आत्महत्या मौत का प्रमुख कारण है. इस कहानी के साथ लोग रिलेट करते है. मैने भरी रिलेट किया. विशेष रूप से एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्य, जो अक्सर अपने साथियों के साथ बाहर ऐसा महसूस करते हैं. हमें भेदभावपूर्ण और कट्टर कानून का सामना करना पड़ रहा है,जो हमें और विभाजित करने के एकमात्र लक्ष्य के साथ हमारे देश को व्यापक बना रहा है.  दुनिया भर में निर्दोष नागरिकों के साथ हिंसा और घृणात्मक अपराध हो रहे हैं. ऐसे समय में मैं टैमी के बारे में सोचती हूं. ’’

3-सर्वश्रेष्ठ फिल्म – ‘कोडा‘

4-सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्रीः

फिल्म ‘‘वेस्ट साइड स्टोरी‘‘ में भावुक अनीता की भूमिका निभाने के लिए एरियाना डिबोस को सर्वश्रेष् ठ सहअभिनेत्री का पुरसकार मिला. यह वह भूमिका है,जिसने लोकप्रिय संगीत के 1961 के फिल्म संस्करण में रीटा मोरेनो को उनके काम के लिए समान पुरस्कार जीता था. इस पुरस्कार को जीतकार डीबोस ने इतिहास रचा है. वह ऑस्कर जीतने वाली पहली क्वीर एफ्रो-लैटिना अभिनेत्री बन गयी

5-सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फीचर – द समर ऑफ सोल

6-फैंस च्वाइस अवॉर्ड- हुमा कुरैशी की फिल्म ‘आर्मी ऑफ द डेड‘

7-सर्वश्रेष्ठ कैमरामैनःड्यून

8-सर्वश्रेष्ठ निर्देशकः जेन कैंपियन

9-सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फीचर फिल्म

एन्कैंटो

10-सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्मः

जापान की ड्राइव माई कार

11-सर्वश्रेष्ठ मूल गीतः नो टाइम टू डाई द्वारा बिली इलिश और फिनीस ओ‘कोनेल

12-सर्वश्रेष्ठ मूल संगीत स्कोरः ड्यून

13-सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथाःबेलफास्ट

14-सर्वश्रेष्ठ अनुकूलित पटकथाःकोडा

15-सर्वश्रेष्ठ लघु वृत्तचित्रः बास्केटबॉल की रानी

16-सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड लघु फिल्मः

विंडशील्ड वाइपर

17-बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्मः लांग अलविदा

18-सर्वश्रेष्ठ पोशाक डिजाइनः क्रूएला

19-सर्वश्रेष्ठ मेकअप और हेयर स्टाइलिंग -फिल्म ‘‘आइज आफ टैमी फेय’’

20-सर्वश्रेष्ठ फिल्म संपादनः ड्यून

21-सर्वश्रेष्ठ उत्पादन डिजाइनः ड्यून

22-सर्वश्रेष्ठ दृश्य प्रभावः ड्यून

23- सर्वश्रेष्ठ ध्वनिःड्यून

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ब्रशिंग से पाएं Soft Skin

त्वचा लचीली रहे तो झुर्रियां बहुत देर से पड़ती हैं. इस के लिए न्यूयार्क की एनलीज हेगन का कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ चेहरे की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. जिस के चलते चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं, साथ ही चेहरे की चमक कम होने लगती है. लेकिन त्वचा को यदि खूबसूरत और रेशमी रखना है तो इस के लिए त्वचा पर चिपकी गंदगी और तेल को साफ करना जरूरी है. हमारी त्वचा में निरंतर नई कोशिकाएं उत्पन्न होती रहती हैं और पुरानी निकल जाती हैं. इन्हीं मृत कोशिकाओं की सफाई यदि त्वचा से नहीं की जाती है तो ये रोमछिद्रों को बंद कर देती है. परिणामस्वरूप त्वचा पर ब्लैकहैड्स और दूसरे दागधब्बे दिखाई देने लगते हैं. इस से त्वचा सांवली और मुरझाई हुई लगती है, साथ ही बढ़ती उम्र त्वचा की रौनक और कसावट दोनों को ही कम कर देती है.

अपनी त्वचा को रेशमी और स्वस्थ बनाए रखने के लिए हफ्ते में 2 बार ब्रशिंग करें जिस से मृत कोशिकाएं निकलेंगी और त्वचा के रोमरोम की सफाई होगी. दरअसल, दिन भर की दौड़धूप व ज्यादा काम के कारण आप का ऊर्जा स्तर शून्य हो जाता है. इस स्थिति से बचने के लिए डिटोक्स अपनाना जरूरी है. डिटोक्स सफाई की नई प्रक्रिया है, जिस के जरिए शरीर की सफाई तो होती है, साथ ही दिमाग भी तरोताजा हो जाता है. इस के लिए रात को सोने से पहले अपनी त्वचा पर हलके हाथों से ब्रश चलाएं. ध्यान रखें कि त्वचा सूखी होनी चाहिए.

हमेशा नहाने से पहले त्वचा पर ब्रश करें.

ब्रश की शुरुआत अपने पैरों से करें. पंजे, एड़ी और फिर पैर के आगे और पीछे की तरफ लंबाई में ब्रश चलाएं.

ब्रश चलाने का सही तरीका होता है नीचे से ऊपर की तरफ.

पैरों के बाद अपने नितंबों पर अच्छी तरह ब्रश चलाएं.

अब हाथों और बांहों से ब्रश को ऊपर की तरफ चलाते हुए बगलों की तरफ आएं.

फिर कंधे और छाती से नीचे की तरफ ब्रश चलाएं.

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गरदन के पीछे वाले हिस्से में नीचे की तरफ ब्रश चलाएं.

 पेट पर ब्रश चलाने का सही तरीका यहहै कि ब्रश को धीरेधीरे क्लाकवाइज यानी घड़ी की सूई की तरह गोलगोल चलाएं.

अब 2 बूंदें रोजमेरी के तेल मिले हुए पानी से नहाएं.

इस के आधे घंटे बाद ठंडे पानी से नहाएं.

खास सावधानी

बौडी ब्रशिंग के लिए उचित प्रकार केलूफे का प्रयोग करें. बाजार में ब्रशिंग के लिए तुरई के पारंपरिक लूफे के अलावा नायलोन के लूफे भी मिल जाएंगे.

लूफे का इस्तेमाल हमेशा दबाव के साथ करें. पर अधिक दबाव डालने से त्वचा पर झुर्रियां पड़ सकती हैं.

बौडी पैक लगाने के बाद लूफे का इस्तेमाल करने से पहले पैक को एक बार शावर बाथ से गीला कर लें. लूफे से बहुत दबाव के साथ छुड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

एक्सफोलिएशन

इसी तरह त्वचा की मृत कोशिकाओं की सफाई का सब से आसान तरीका एक्सफोलिएशन है. एक्सफोलिएट करने से पहले निम्न सावधानियां रखना जरूरी है :

त्वचा को किसी माइल्ड साबुन से अच्छी धो लें ताकि पहले से त्वचा पर लगी क्रीम या अन्य पदार्थ त्वचा से चिपके नरह जाएं.

स्क्रब करने के दौरान त्वचा को हलका गीला अवश्य करें, क्योंकि सूखी त्वचा पर स्क्रब करने से त्वचा को नुकसान पहुंचता है.

चेहरे से मृत त्वचा हटाने के लिए सर्कुलर मूवमेंट का प्रयोग करें.

स्क्रब के बाद चेहरे पर मास्चराइजर जरूर लगाएं.

एक्सफोलिएशन के लिए अल्कोहल बेस्ड एस्ट्रिंजेंट भी उपलब्ध हैं.

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Single Woman: हिम्मत से लिखी खुद की दास्तां

जयपुर की अंजलि, अरुणा और मंजू हो या फिर बीते जमाने की सीता, कुंती, मरियम… पुराने जमाने से ले कर आधुनिक जमाने के इस लंबे सफर में अकेली औरत ने हमेशा संघर्ष, शक्ति और दमदख का ऐसा परिचय दिया है कि अकेले दम पर अगली जैनरेशन तक तैयार कर दी.

कवि रवींद्रनाथ टैगौर की रचना ‘एकला चालो रे…’ लगता है जैसे इन्हीं महिलाओं के साहस को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए लिखी गई हो. गीत की अगली पंक्तियों में है कि यदि आप की पुकार पर भी कोई नहीं आता है, तो आप अकेली ही चलें.

बहुत सी महिलाओं ने कभी भी नहीं चाहा था कि सिंगल पेरैंटिंग की जिम्मेदारी उन पर पड़े, लेकिन जब हालात ने उन्हें इस राह पर ला खड़ा किया तो उन्होंने पूरी हिम्मत और लगन से बच्चों की परिवरिश का जिम्मा उठाया बच्चों को एहसास कराए बिना कि उन्होंने जिस कश्ती को तैराया है, वह अनगिनत हिचकोलों से गुजरी है.

आत्मविश्वास है सब से बड़ी पूंजी

शादी के 11 साल में ही डिवोर्स का दंश झेल मंदबुद्धि एक युवती ने बच्चों के लिए काम करना शुरू किया. वह कहती है, ‘‘मैं आज में जीती हूं, हर दिन मेरे लिए नया होता है. अलग होने का फैसला काफी दर्दभरा था, लेकिन कई चीजें होती हैं जो ज्यादा लंबी नहीं चल सकतीं.’’

डिवोर्स के बाद उस ने ग्रैजुएशन किया. टीचिंग की, लौ किया. आत्मविश्वास में कभी कमी नहीं आने दी. दृढ़ रही और लोगों की बातों को कभी दिल से नहीं लगाया. अपने बच्चे के लिए किसी की यहां तक कि अपने पेरैंट्स तक की मदद नहीं ली और न उस के पिता से कोई लालनपालन का क्लेम लिया. उसे लगा कि  उस से बढ़ कर दूसरे लोग कहीं ज्यादा दुखी हैं. अपने लिए तो सभी जीते हैं, उस ने दूसरों के लिए जीना सीखा.

औरत को कभी अपनेआप को कमजोर नहीं समझना चाहिए. खुद में आत्मविश्वास है तो आगे बढ़ने से आप को कोई नहीं रोक सकता. किसी से कोई उम्मीद नहीं रखें क्योंकि जब उम्मीदें टूटती हैं तो दर्द ज्यादा होता है. जहां तक समाज के नजरिए की बात है, तो मुश्किल पलों में हमदर्दी दिखाने वाले खूब लोग होते हैं, लेकिन आप का संबल रीना दत्त, अमृता सिंह जैसे कई नाम हैं, जो मां के साहस और क्षमता के प्रतीक हैं.

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एकल अभिभावक की जिम्मेदारी

आमिर खान और सैफ अली जब अन्यत्र गए तो बच्चों की परवरिश का बीड़ा मां ने उठाया. आमिर ने जहां डेढ़ दशक से भी ज्यादा पुराना दांपत्य खत्म किया, वहीं सैफ  अली ने 1 दशक पुराने दांपत्य से किनारा कर लिया. रीना दत्त बेटे जुनैद और आयशा को ले कर ससम्मान अलग हो गई. उधर अमृता सिंह सारा और इब्राहिम को बड़ा करने में जुट गई.

रीना हो या अमृता, दोनों की ओर से कभी कोई बयानबाजी नहीं हुई, जबकि सक्रिय मीडिया हमेशा ऐसे बयानों की तलाश में फन फैलाए रखता है. ये औरतें काबिल ए तारीफ हैं क्योंकि ये झकी और गिड़गिड़ाई नहीं. सम्मान बरकरार रखते हुए बच्चों के लालनपालन में जुटी रहीं.

एक और अभिनेत्री है सुष्मिता सेन. बिटिया गोद ले कर उन्होंने एक नई परंपरा रची है. उन्होंने बता दिया कि स्त्री ममता से सराबोर है, इस के लिए उसे शादी का सार्टिफिकेट नहीं चाहिए.

जयपुर भी ऐसी अनेक महिलाओं का साक्षी है, जो अपने बूते पर एकल अभिभावक की जिम्मेदारी निबाह रही हैं. पुराने जमाने की पूरी दास्तां भी एक ही स्याही से लिखी हुई मालूम होती है.

सीता ने अंत तक अपना आत्मसम्मान व स्वाभिमान नहीं खोया हालांकि आज उन्हें राम की मात्र पत्नी के तौर पर जाना जाता है. वाल्मीकि रामायण को पढ़ने पर ही सीता का व्यक्तित्व सामने आ जाता है पर रामचरित्रमानस में तुलसीदास ने उन्हें वह स्थान नहीं दिया.

बूआओंमौसियों से अलग

‘‘मैं औरत के लिए बनाई गई सदियों पुरानी छवि में भरोसा नहीं करती. मैं आज की उस औरत की प्रतिनिधि हूं, जो अपने विकल्प खुद चुनती है, जो अपनी पसंद के रास्तों का चुनाव करने के लिए खुद को स्वतंत्र मानती है. अपनी तरह रह पाने की आजादी मुझे भाती है. मैं खुश हूं और यदि लोग इस बारे में अलग सोचते हैं, तो मुझे परवाह नहीं,’’ यह कहना है जयपुर में विज्ञापन एजेंसी में काम करने वाली एक कर्मठ प्रोडक्शन डिजाइनर का. 46 साल की इस महिला ने अविवाहित रहने का फैसला किया है.

ऐसा फैसला करने वालों का एक ऐसा जहान है, जहां अकेले रहने को एकाकी नहीं माना जाता. जहां के बाशिंदे समाज से कट कर, अपने अकेलेपन पर आंसू नहीं बहाते, बल्कि समाज से पूरा भावनात्मक, व्यावहारिक लगाव रखते हुए अपने चुने विकल्प का आनंद लेते हैं. ये सभी शिक्षित, समझदार और संवेदनशील भी हैं. बस, अकेले रहना चाहते हैं. ये पुराने जमाने की अविवाहित बूआओं, मौसियों से अलग हैं. इन के अकेले रहने के गहरे माने हैं.

इन के पास दोस्तों की एक पूरी ब्रिगेड है, रिश्ते भी हैं, लेकिन और लोगों से ये अलग हैं. इन के लिए जो बातें माने रखती हैं, मसलन- आत्मसम्मान, विश्वास और सृजनात्मकता, उन का इन के रिश्तों से कोई तअल्लुक  नहीं है.

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मुश्किलें तो हैं

एक सवाल अब भी वहीं है कि अकेले रहने वाले क्या पारिवारिक जिम्मेदारियों से बचने के लिए यह रास्ता चुनते हैं? लेकिन यह रास्ता चुनना आसान नहीं है. जो इसे चुनते हैं उन से पूछिए. महज जिम्मेदारियां ही नहीं, आमतौर पर अकेली महिलाओं को बिना सोचेसमझे पथभ्रष्ट, जिद्दी, रहस्यमयी जैसी उपाधियों से नवाज दिया जाता है. पुरुषों की दुनिया में अकेले रहती औरत के नैतिक व्यक्तित्व पर भी प्रश्नचिह्न लगाना सहज हो जाता है. इस से बड़ी अजीबोगरीब स्थितियां भी जन्म लेती हैं.

प्रियांशी जो 49 साल की एक सामाजिक सलाहकार हैं, का कहना है- अकेली युवती के लिए नए शहर में मकान की तलाश करना एक बड़ी मुश्किल होती है. उसे अपनी आयु से ले कर खानपान की आदतों, आय तथा मिलनेजुलने वालों तक का हिसाबकिताब देना पड़ता है, तब भी अविश्वास की तलवार तो लटकी ही रहती है. अकेली युवती के रहनसहन, उस के तौरतरीकों, मित्रों, यहां तक कि उस के विचारों तक पर उंगली उठाना हर इंसान अपना अधिकार समझता है. यह मान लेना तो सब से आसान है कि अकेली युवती अनुशासित जिंदगी तो क्या जीती होगी? सारा दिन बाहर घूमती होती, घर पर खाना थोड़े ही बनाती होगी वगैरहवगैरह. शादी जैसे पारिवारिक समागम में उसे बड़ीबूढि़यों द्वारा ‘बेचारी’ कह कर बुलाया जाता है. उसे अधूरा माना जाता है.

जयपुर की रहने वाली पल्लवी का कहना है, ‘‘मैं दूसरों से अलग रहने या कट जाने के लिए अकेली नहीं रहती. पर ऐसा होता है कि कई बार मैं अपने आसपास किसी को नहीं चाहती. शादीशुदा लोगों के जीवन में भी ऐसे लमहे तो आते ही होंगे.’’

42 साल की सिया पेशे से मुर्तीकार है और अकसर विदेशी दौरों पर रहती है. जब देश में होती है, तो फुरसत के लमहे मातापिता के साथ बिताती है. वह कहती है, ‘‘मुझे घूमने का शौक है. काम ने मुझे इस का मौका दिया है. किसी एक जगह पर रुक जाने वाली जिंदगी मैं जी ही नहीं सकती. महज रस्म के लिए शादी करने वाली बात कभी दिमाग में आई ही नहीं.’’

44 साल की सुषमा जोकि मार्केटिंग कंसल्टैंट है और अकेले रह कर खुश भी है, का मानना है, ‘‘शादीशुदा जिंदगी के सारे पहलुओं पर गौर करने के बाद मैं ने अकेले रहने का फैसला किया था क्योंकि मेरी अहमियतें कुछ और थीं. अपने कैरियर पर ध्यान देने का समय शायद नहीं मिल पाता. मैं उन औरतों के बिलकुल भी खिलाफ नहीं हूं जो एक सफल पत्नी व मां बनने की आकांक्षा रखती है.’’

‘‘ऐसा नहीं है कि आप दुनिया से कट जाते हैं और आप के पास कोई रिश्ता नहीं बचता निभाने के लिए. आप को मां बनने के लिए किसी पुरुष की मदद की भी जरूरत नहीं है,’’ यह कहना है 43 साल की अंजू का, जिस ने 8 माह पहले ही 2 साल की श्रेया को गोद लिया है. अंजू 2 लोगों के नए परिवार में काफी खुश है.

मानसिकता में बदलाव

लोगों की मानसिकता में बदलाव आ रहा है और इस का श्रेय जाता है- स्त्री शिक्षा और समाज में आज जो इन का जगह बनी है, उस को. आज कम से कम शहरी क्षेत्रों में स्त्री का अलग रहना उस की मजबूरी नहीं, बल्कि मरजी समझ जाने लगा है. अब लोगों को यह समझने में आसानी होती है कि  फलां लड़की ने शादी इसलिए नहीं कि होगी क्योंकि वह घर और दफ्तर साथ में नहीं संभाल सकती थी.

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अकेले हम तो क्या गम

कोई अकेले अपनी जिंदगी बिता रही है, इस का एक कारण यह है कि वह अपनी पहचान नहीं खोना चाहती. अकेले जिंदगी का सफर तय करने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या का एक बड़ा कारण है उन्हें अपने मित्रों और परिवार वालों का भरपूर प्यार, सहयोग और सम्मान मिलना.

बहुतों ने तो सिंगल लाइफ के अलावा दूसरी लाइफ  के बारे में सोचा तक नहीं. उन्हें कभी

ऐसा महसूस भी नहीं हुआ कि वे अकेली हैं. उन के दोस्तों और परिवार वालों ने हमेशा उन्हें सपोर्ट किया और हर मौके को उन्होंने उन के साथ ऐंजौय किया.

अगर अकेली हैं तो गर्व से कहें ‘‘मैं अकेली हूं, इस का मुझे कोई दुखतकलीफ नहीं है. मैं मानती हूं कि शादी करना मेरी पहचान नहीं है. मैं इस से कहीं ज्यादा अपनी आजादी और रुचियों को अहमियत देती हूं.’’

शहरी आबोहवा और तेजी से आए लाइफस्टाइल में बदलाव ने भी सिंगल वूमन कंसैप्ट को आगे बढ़ाया है. आज लोगों के जीने का तरीका बदल गया है. आज अकेली रहने वाली महिला हो या पुरुष वास्तव में अकेले नहीं हैं. वे एकदूसरे के घर जाते, गपशप करते हैं. यही वजह है कि उन्हें शादी करने और गृहस्थी बसाने की जरूरत ही महसूस नहीं होती.

Summer Special: डिनर में बनाएं पनीर अफगानी

डिनर हो या लंच, महिलाओं के लिए क्या बनाऊ का यक्ष प्रश्न हमेशा बना रहता है. इसके अतिरिक्त जब कोई मेहमान आता है तो भी यही प्रश्न रहता है कि ऐसा क्या बनाया जाये जिसे बनाना भी आसान हो और सबको पसंद भी आये. पनीर आमतौर पर सभी को पसंद होता है, साथ ही सब्जियों में अपना विशेष स्थान  भी रखता है. पनीर से डेजर्ट, स्टार्टर, और मेन कोर्स तक में प्रयोग किया जाता है. पनीर केल्शियम का प्रचुर स्रोत होने के साथ साथ विटामिन, प्रोटीन और ओमेगा 3 भी भरपूर होता है. आज हम आपको पनीर से बनने वाली एक सब्जी बनाना बता रहे हैं जिसे आप आसानी से बना सकते हैं. इसे आप किसी पार्टी में बनाकर भी वाहवाही प्राप्त कर सकते हैं तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए            4

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाईप                    वेज

सामग्री (मेरिनेशन के लिए)

ताजा पनीर                        250 ग्राम

हंग कर्ड(गाढ़ा दही)             1/2 कप

दरदरी कुटी काली मिर्च        1/4 टीस्पून

नमक                                 1/4 टीस्पून

बेसन                                  1/4 टीस्पून

भुना जीरा पाउडर               1/4 टीस्पून

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सामग्री (सफेद पेस्ट के लिए)

तेल                          1 टीस्पून

प्याज                         1

बादाम                         4

काजू                           6

मगज के बीज                    1 टेबलस्पून

हरी इलायची                     2

सामग्री( ग्रेवी के लिए)

तेल                            1 टेबलस्पून

जीरा                           1/4 टीस्पून

गर्म मसाला                  1/2 टीस्पून

हरी मिर्च                             4

अदरक, लहसुन पेस्ट              1 टीस्पून

नमक                          स्वादानुसार

कसूरी मैथी                     1 टीस्पून

केसर के धागे                  5-6

विधि

पनीर को चौकोर टुकड़ों में काट लें. मेरीनेशन की समस्त सामग्री को एक कटोरे में डालकर अच्छी तरह चलायें. अब इसमें पनीर के टुकड़े डालकर चलायें और ढककर आधे घंटे के लिए रख दें.

सफेद पेस्ट बनाने के लिए एक पैन में तेल डालकर प्याज को हल्का सा भूनकर काजू, बादाम, मगज के बीज और हरी इलायची को भी भूनकर एक प्लेट में निकाल लें और जब यह ठंडे हो जाये तो आधे कप पानी के साथ पीस लें.

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एक पैन में तेल गर्म करके जीरा तड़काकर हरी मिर्च, अदरक, लहसुन के पेस्ट को धीमी आंच पर भूनकर सफेद पेस्ट को डालकर अच्छी तरह चलायें. कसूरी मैथी, नमक, और केसर के धागे डालकर धीमी आंच पर पकाएं. जब मसाला पैन के किनारे छोड़ने लगे तो पनीर और 1 कप पानी डालकर 5 से 10 मिनट तक पकाएं. हरे धनिया से गार्निश करके सर्व करें.

ऐसे दें स्मोकी फ्लेवर

गैस पर कोयला को गर्म करके एक कटोरी में रखें ऊपर से 1 चम्मच घी डालकर कटोरी को तैयार सब्जी में रखकर ढक दें. 2-3 मिनट बाद ढक्कन हटा दें.

ट्रांसप्लांट से क्या लिवर कैंसर से छुटकारा मिल जाएगा?

सवाल-

मैं लिवर कैंसर की तीसरी स्टेज से गुजर रहा हूं. क्या इस अवस्था में लिवर ट्रांसप्लांट संभव है और क्या इस से कैंसर से छुटकारा मिल जाएगा?

जवाब-

लिवर कैंसर 2 प्रकार का होता है – प्राइमरी एवं सैकंडरी. अधिकतर लिवर कैंसर शरीर के किसी अन्य हिस्से में पनपता है और फिर लिवर तक (सैकंडरी/मैटास्टैटिक) फैल जाता है, जबकि प्राथमिक लिवर कैंसर खुद लिवर में पनपता है और फिर लिवर के बाहर फैलता है. लिवर प्रत्यारोपण का विकल्प सिर्फ प्राइमरी लिवर कैंसर और वह भी केवल लिवर तक सीमित छोटे ट्यूमरों वाले मामलों में अपनाया जा सकता है.

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भारत में लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया में प्रगति के साथ आज न सिर्फ मरीज लंबे जीवन का आनंद ले सकता है बल्कि सर्जरी के बाद उसके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती है.

कई पत्रिकाओं में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, जीवित डोनर लिवर प्रत्यारोपण से गुज़रने वाले 15% से अधिक मरीज विदेशों से होते हैं. फेफड़ों की बीमारियों में वृद्धि और बढ़ती जागरुकता के साथ लगभग 85% डोनर जीवित होते हैं. इससे आकर्षित होकर मिडल ईस्ट, पाकिस्तान, श्री लंका, बांग्लादेश और म्यांमार आदि विदेशों से लोग लिवर ट्रांसप्लान्ट के लिए भारत आते हैं. आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 200 ट्रांसप्लान्ट किए जाते हैं और अबतक लगभग 2500 जीवित डोनर ट्रांसप्लान्ट किए जा चुके हैं.

जीवित या मृतक डोनर वह है जो अपना लिवर मरीज को दान करता है. भारत में अबतक का सबसे बड़ा विकास यह हुआ है कि अब मृत डोनर के अंगों को मशीन में संरक्षित किया जा सकता है. शरीर से निकाले गए अंगो को कोल्ड स्टोरेज में सीमीत समय के लिए ही रखा जा सकता है और लिवर को डोनर के शरीर से निकालने के 12 घंटो के अंदर ही प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए. जबकि मशीन संरक्षित लिवर की बात करें तो पंप के जरिए खून का बहाव जारी रहता है जिससे लिवर सामान्य स्थिति में रहकर पित्त का उत्पादन कर पाता है.”

भारत में यह तकनीक एक लोकप्रिय प्रक्रिया बन गई है. लिवर के केवल खराब भाग को प्रत्यारोपित किए जाने के कारण लिवर डोनेशन बिल्कुल सुरक्षित हो गया है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- भारत में अधिक सुरक्षित है जीवित डोनर लिवर ट्रांसप्लान्ट

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