जानें क्या है I CAN READ: आपके बच्चे की शुरुआती विकास में सहायक

बच्चों को पढ़ने के लिए जरूर प्रोत्साहित करें, पढ़ाई के कारण ही बच्चों की रोजमर्रा की जिंदगी आसान बनेगी. बच्चों की पढ़ाई को लेकर हमेशा पॉजिटिव रहें और उनकी मदद करें. इससे आपका अपने बच्चों के साथ स्ट्रॉन्ग कम्युनिकेशन बना रहेगा और उनके पढ़ने और सीखने की इच्छाशक्ति भी बढ़ती रहेगी.

इसके लिए HarperCollins Publishers India ने की है एक खास शुरुआत जिसका नाम है I Can Read! ये बच्चों (बिगनिंग रीडर्स) की रीडिंग जर्नी का सबसे अहम  हिस्सा है.

I Can Read! कैसे करता है बच्चों की मदद?

I Can Read! सीरीज की सभी किताबे उनके रीडिंग्स लेवल के आधार पर तैयार किए गए है.

फर्स्ट लेवल उन पैरेंट्स के लिए आदर्श है जो अपने बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाते हैं. जब तक कोई बच्चा तीसरे लेवल तक पहुंचता है तब तक उसे खुद से पढ़ने में सक्षम हो जाना चाहिए.

यहां पर हम आपको बता रहे हैं उन विभिन्न चरणों के बारे में जिनसे गुजरकर आपका बच्चा एक इंडिपेंडेट रीडर बनेगा…..

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माय फर्स्ट: साथ में पढ़ना

मूल भाषा, शब्द दोहराव, और मजेदार चित्रण, अपने उभरते पाठकों के साथ बांटने के लिए आदर्श…

बच्चों को अच्छा पाठक बनने में मदद करने के लिए पहला कदम है, उन्हें बोल बोल कर पढ़ाना. इस स्तर पर Biscuit और Pete the Cat: Too Cool for School जैसी किताबें हैं, जिनमें सरल शब्दावली के साथ छोटी-छोटी आर्कषक कहानियां हैं. इनमें दोहराए गए वाक्यांश युवा पाठकों को अपने माता-पिता के साथ मिलकर कुछ शब्दों को पढ़ने का मौका देते हैं. बहुत से शब्द ऐसे होते हैं, जिन्हें बच्चे आसानी से पहचान लेते हैं. साथ ही इन किताबों में शुरुआती पाठकों के लिए सक्रिय, आकर्षक कहानियां और विषय और ढेर सारे प्यारे पात्र होते हैं.

यहां देखिए I CAN READ लेवल माय फर्स्ट बुक्स की सभी किताबें

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पहला चरण: शुरुआती पढ़ाई

छोटे वाक्य, जाने पहचाने शब्द और उन बच्चों के लिए सिंपल कॉन्सेप्ट जो खुद से पढ़ने के लिए उत्सुक हैं…

पहला चरण उन पाठकों के लिए बिल्कुल सही है, जो शब्दों और वाक्यों का उच्चारण करने की शुरुआत कर रहे हैं. इस लेवल पर Danny and the Dinosaur जैसी बुक्स, जिसमें जाने पहचाने शब्दों का इस्तेमाल करके सरल वाक्यों के साथ लिखा गया है.  इस लेवल की कई बुक्स जानवरों की फोटोज से भरी हुई हैं, जिसे पढ़ने में अद्भुत रोमांच महसूस होता हैं! वहीं इसकी शब्दावली पाठकों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है. इस स्तर पर पसंदीदा कैरेक्टर की तलाश करने वाले बच्चों को Berenstain Bears और Pinkalicious जैसे और भी मजेदार किरदार मिलेंगे.

यहां देखिए I CAN READ लेवल 1 की सभी किताबें

दूसरा चरण: मदद के साथ पढ़ना

विकासशील पाठकों के लिए दिलचस्प कहानियां, लंबे वाक्य और लैंग्वेंज प्ले, उनके लिए जिन्हें अभी भी थोड़ी मदद की ज़रूरत है…

दूसरा चरण उन पाठकों के लिए है, जो पढ़ने के लिए आत्मविश्वासी तो हैं, लेकिन फिर भी उन्हें थोड़ी मदद की जरूरत पड़ती है. इस लेवल में Frog and Toad Are Friends और Amelia Bedelia जैसी किताबें शामिल हैं, जिनमें ज्यादा जटिल कथा सूत्र (स्टोरी लाइन), लंबे वाक्य और ज्यादा चुनौतीपूर्ण शब्द शामिल हैं. इसके अलावा Plants vs. Zombies; Save Your Brains! और Justice League Classic: I Am the Flash जैसी रहस्य और एडवेंचर की कहानियां इस चरण में शामिल हैं.

यहां देखिए I CAN READ लेवल 2 सभी किताबें

तीसरा चरण: अकेले पढ़ना

स्वतंत्र पाठक के लिए जटिल विषय, चुनौतीपूर्ण शब्दावली और पसंदीदा विषय…

तीसरे चरण में पाठकों के लिए कई मज़ेदार विषय शामिल हैं, जिन्हें बच्चे खुद पढ़ना पसंद करते हैं. The Drinking Gourd and Buffalo Bill और The Pony Express जैसी ऐतिहासिक कहानियों वाली किताबें इस लेवल पर पेश की जाती हैं. इसके अलावा इसमें दोस्ती, रोमांच और विज्ञान जैसे अन्य विषय भी शामिल हैं. तीसरे चरण में शामिल किताबें खुद से पढ़ने वाले पाठकों के लिए लिखी गई हैं, इनमें कठिन शब्द और ज्यादा जटिल विषय और कहानियां शामिल हैं.

यहां देखिए I CAN READ लेवल 3 की सभी किताबें

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Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में आज बनाते हैं चाउमीन

सर्दियों में कईं ऐसी चीजें हैं, जिसे खाने का मन बच्चों का ही नही बड़ों का भी करता है. अक्सर लोग बाहर का खाना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन बाहर का खाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन चाइनीज नूडल्स बाहर का ही ज्यादात्तर लोगों को पसंद आता है पर आज हम आपको घर पर रेस्टोरेंट स्टाइल चाउमीन यानी नूडल्स की रेसिपी के बारे में बताएंगे.

हमें चाहिए

200 ग्राम फ्रेश नूडल्स

5 कप पानी

1 टी स्पून नमक

2 टेबल स्पून तेल

1 टी स्पून अदरक लहसुन पेस्ट

1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

1/4 कप प्याज, कटा हुआ

1/2 टी स्पून सोया सौस

1 टी स्पून नमक

1/4 कप सेलेरी , टुकड़ों में कटा हुआ

1 टी स्पून सिरका

1 टी स्पून चिली सौस

1 कप हरी और लाल शिमला मिर्च

1 मशरूम

1 कप गाजर, गुच्छा

1 हरी मिर्च, टुकड़ों में कटा हुआ

1 टेबल स्पून टोमैटो सौस

1 टेबल स्पून हरा प्याज

1 टी स्पून लहसुन, टुकड़ों में कटा हुआ

2 टी स्पून Sunrise Pure चाउ मिक्स मसाला

बनाने का तरीका

एक पैन में पानी लें, इसमें नमक और औलिव औयल डालें और उबाल आने दें. नूडल्स डालें और पकने दें, अगर वह फ्रेश हो तो हल्का पकाएं और सूखे हो तो थोड़ा और पका लें.

इसका पानी तुरंत निकाल लें और चलते पानी में ठंडा कर लें नूडल्स पूरी तरह ठंडे हो जाएंगे. नूडल्स में एक बड़ा चम्मच तेल डालें और अगर जरूरत पड़े तो नूडल्स को छलनी में ही छोड़ दें.

एक छोटे बाउल में गार्निशिंग के लिए सिरके में हरी मिर्च को भिगोकर एक तरफ रख दें. अब एक बड़े पैन में तेल गर्म करें और इसमें लहसुन, अदरक-लहसुन का पेस्ट और प्याज डालकर तेज आंच पर भूनें.

इसमें अब सेलेरी, मशरूम, लाल और हरी मिर्च के साथ गाजर डाले और अच्छे से भूनें. इसके बाद नमक, कालीमिर्च पाउडर, टोमैटो सौस, चिली सौस, सोया सौस और सिरका सब्जियों में डालें. अच्छे से मिक्स करें.

इसमें नूडल्स डालें और अच्छे से मिलाएं जब तक यह पूरी तरह मिक्स न हो जाएं. इसी के साथ चाउमीन में Sunrise Pure चाउ मिक्स मसाला डालें और अच्छी तरह मिलाएं, जिसके बाद लाल शिमला मिर्च, सिरक वाली हरी मिर्च को इस पर डालकर गार्निश करके अपनी फैमिली और बच्चों को खिलाएं.

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Kundali Bhagya से लेकर ‘गुम हैं किसी के प्यार में’ के सितारों ने कोरोना में रचाई शादी, फोटोज वायरल

कोरोना की तीसरी लहर यानी ओमीक्रॉन का कहर जहां बढ़ता जा रहा है. वहीं शादियों के सीजन की भी शुरुआत हो गई हैं. वहीं इन शादियों टीवी सेलेब्स की शादियां भी शामिल हो चुकी हैं. दरअसल, हाल ही में टीवी के 3 सेलेब्स शादी के बंधन में बंध गए हैं. वहीं इनमें कुंडली भाग्य और गुम हैं किसी के प्यार में के एक्टर्स का भी नाम शामिल है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

कुंडली भाग्य एक्ट्रेस ने की शादी

 

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कुंडली भाग्य एक्ट्रेस मानसी श्रीवास्तव ने कोरोना में लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड कपिल तेजवानी से शादी कर ली है. लाल रंग का भारी लहंगा और हेवी ज्वेलरी के साथ मानसी काफी खूबसूरत लग रही थीं. वहीं उनकी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. कोरोना के कारण शादी कम लोग नजर आए. वहीं इनमें कुंडली भाग्य के सितारे में नहीं दिखे. हालांकि रिसेप्शन में कुंडली भाग्य के लीड एक्टर धीरज धूपर मस्ती करते नजर आए.

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गुम है किसी के प्यार में एक्टर ने रचाई शादी

कुंडली भाग्य एक्ट्रेस के अलावा ‘गुम है किसी के प्यार में’ फेम ऐक्टर यश पंडित (Yash Pandit marriage photos) ने भी अपनी लौंग टाइम गर्लफ्रेंड महिमा मिश्रा से 22 जनवरी को शादी कर ली. ‘गुम है किसी के प्यार में’ सीरियल में विराट के जीजा का रोल निभाने वाले यश पंडित का फैंस को शादी में ट्रैडिशनल लुक देखने को मिला. हालांकि इस शादी में सीरियल के सितारे नदारद दिखे. वहीं बात करें तो इससे पहले नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा भी शादी के बंधन में बंध चुके हैं.

 

 

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कोरोना में हुई शादी

 

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‘एक घर बनाऊंगा’ एक्टर राहुल शर्मा (Rahul Sharma wedding photos) ने अपनी गर्लफ्रेंड नेहा शर्मा से जयपुर के एक रिजॉर्ट में शादी कर ली है दोनों की शादी की फोटोज भी सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. वहीं एक इंटरव्यू में राहुल शर्मा ने अपने हनीमून प्लानिंग के बारे में बात करते हुए कहा था कि वह कोरोना के कारण इंडिया से बाहर नहीं जाएंगे. हालांकि माहौल ठीक होने पर वह एक महीने के लिए यूरोप टूर पर जाएंगे.

 

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Virat Kohli की Copy हैं बेटी Vamika, Anushka Sharma संग सामने आई Cute फोटोज

बौलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) और क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) अपनी बेटी वामिका (Vamika Kohli) की प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखते हैं, जिसके चलते वह पूरी कोशिश करते हैं कि उसका चेहरा मीडिया या फैंस के सामने ना आए. लेकिन हाल ही में विराट कोहली के मैच के दौरान अनुष्का शर्मा ने अपनी बेटी का चेहरा फैंस को दिखा दिया हैं. वहीं वामिका की फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं वामिका की फोटोज….

बेटी वामिका का चेहरा आया सामने

 

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भारत और साउथ अफ्रीका के बीच तीसरे वनडे मुकाबले के दौरान विराट कोहली की बेटी वामिका की पहली झलक दिखाई दी. दरअसल, मैच के दौरान विराट कोहली की पत्नी यानी बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा स्टैंड्स में अपनी बेटी वामिका के साथ विराट कोहली और टीम इंडिया के लिए चीयर करती नजर आईं. वहीं इस दौरान कैमरा की नजर वामिका पर पड़ी, जो पिंक कलर की ड्रेस पहने अनुष्का शर्मा की गोद में दिखीं. वहीं विराट बेटी को हाय करते हुए भी दिखे.

 

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विराट  की कौपी हैं वामिका

वामिका कोहली की फोटोज वायरल होने के बाद जहां फैंस उसकी क्यूटनेस की तारीफें कर रहे हैं तो वहीं वह वामिका को पापा विराट की कौपी बताते नजर आ रहे हैं. इसी के साथ सोशलमीडिया पर वामिका और अनुष्का शर्मा और विराट के बचपन की फोटोज वायरल हो रही हैं.

बता दें, क्रिकेटर विराट कोहली और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा शुरुआत से ही मीडिया और फैंस से अपील की थी कि वह अपनी बेटी की प्राइवेसी का ख्याल रखते हुए उसे मीडिया से दूर रखेंगे. लेकिन मैच के दौरान वायरल हुई फोटोज और वीडियो को देखने के बाद फैंस के मजेदार रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं. बात करें वामिका की तो वह जनवरी में ही एक साल की हुई हैं, जिसका बर्थडे सेलिब्रेशन मैच के दौरान ही मनाया गया था.

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लहंगे में हुस्न के जलवे बिखेरती दिखीं Shehnaaz Gill, फैंस हुए दीवाने

Bigg Boss 13 की कंटेस्टेंट रह चुकी एक्ट्रेस शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) एक बार फिर इंडस्ट्री में राज करने के लिए तैयार हैं. जहां बीते दिनों शहनाज गिल कलर्स के नए रियलिटी शो हुनरबाज के प्रोमो में नजर आई थीं तो वहीं हाल ही में अपने शो के प्रमोशन के दौरान इंडियन लुक में फैंस का दिल जीतती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं शहनाज गिल की लेटेस्ट फोटोज…

नए लुक के फैंस हुए दीवाने

 

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हाल ही में शहनाज गिल ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट (Shehnaaz Gill Instagram) पर कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह इंडियन लुक में नजर आ रही हैं. लुक की बात करें तो पीले रंग के लहंगे में शहनाज बेहद प्यारी लग रही हैं. वहीं फैंस उनके इस लुक की तारीफें करते नजर आ रहे हैं. हालांकि कुछ फैंस उन्हें माधुरी दीक्षित की कौपी बताते नजर आ रहे हैं.

 

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वेस्टर्न लुक भी किया था शेयर

 

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इंडियन लुक शेयर करने से पहले शहनाज गिल अपना वेस्टर्न लुक भी फैंस के साथ शेयर कर चुकी हैं. ब्लैक कलर की औफ स्लीव ड्रैस में शहनाज का हौट लुक फैंस को हैरान कर रहा था. हालांकि उनका ये वेस्टर्न लुक मशहूर फोटोग्राफर डबबू रतनानी ने क्लिक किया था. वहीं इस फोटोशूट ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं.

 

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यशराज ने फिर बनाया वीडियो

 

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इसके अलावा हाल ही में ‘त्वाडा कुत्ता टॉमी’ (Tuada Kutta Tommy) का रीमिक्स बनाने वाले यशराज मुखाटे (Yashraj Mukhate) ने शहनाज का बिग बॉस 13 के एक सीन का एक और वीडियो बनाया है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं इस वीडियो पर मजेदार रिएक्शन दे रहे हैं.

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मदहोश कर देगी सांसों की खुशबू

‘सांसों को सांसों में ढलने दो जरा, धीमी सी धड़कन को बढ़ने दो जरा, लम्हों की गुजाइश है ये पास आ जाएं, हम तुम…’

हम तुम तुम हम टीवी पर चले रहे फिल्म ‘हमतुम’ के इस गाने में सैफ अली खान और रानी मुखर्जी बहुत ही रोमांटिक अंदाज में करीब आते हुए दिलों की धड़कनें बढ़ा रहे थे. रिया को गाने सुनने का शौक नहीं था. इस गाने के बोल उसे कुछ इस कदर भा गये कि वह पूरा गाना सुनने लगी.

वह सोचने लगी कि अपने हनीमून में वह खुद भी कुछ इसी तरह खुल कर रोमांटिक होगी और पति के साथ मजे लेगी, वह अपनी शादी की सारी तैयारियां कर चुकी थी. हनीमून में क्या पहनेगी, कैसे रहेगी सब सोच लिया था.

इस गाने को सुनने के बाद रिया को लगा कि सब से जरूरी काम तो रह ही गया. वह अपनी सांसों की खुशबू को ऐसे महकाना चाहती थी कि उस का पति सांसों की खुशबू में मदहोश हो कर पूरी दुनिया भूल जाये. रिया ने कुछ समय पहले अपने दांतों में कैविटी की फिलिंग करवाई थी. इस में उसे कई बार अजीब सी गंध महसूस होती थी.

फिल्म ‘हमतुम’ के गाने को सुनने के बाद रिया को लगा कि जब तक सांसों की परेशानी दूर नहीं होगी तब तक उस की फस्ट नाइट की तैयारी अधूरी रहेगी.

बात केवल रिया की ही नहीं है. ऐसे बहुत सारे लड़केलड़कियां होते है, जो शादी की हर तैयारीकर लेंगे केवल सांसों की खुशबू की तरफ ध्यान नहीं देंगे. सही मानों में देखें तो फर्स्ट नाइट की शुरुआत सब से पहले इसी करीबी से शुरू होती है. शारीरिक संबंधों की शुरुआत ही चुबन यानी किस से होती है.

किस करते समय अगर मुंह से बदबू आती है तो रोमांस का पूरा मजा ही जाता है. ऐसा किसी के भी मुंह से आने वाली बदबू से हो सकता है. यही वजह है कि रात में सोने से पहले सौंफ, मीठा पान या इलायची खाने का रिवाज बहुत पहले से चला आ रहा है. बदलते समय में माउथ फ्रैशनर आदि से सांसों में ताजगी का एहसास हो जाता है.

फ्रैशनैस से आती है करीबी

कई विज्ञापनों में यह देखने को मिलता है कि करीब आने के लिए फ्रैशनैस की जरूरत होती है. कई विज्ञापनों में तो इस तरह से दिखाया जाता है कि फ्रैशनैस से दोस्ती और करीबी होती है. माउथवाश के विज्ञापनों में भी इस करीबी को बहुत ही सैक्सुअल तारीके से दिखाया जाता है.

इन विज्ञापनों देखने से कई बार लगता है कि फ्रैशनैस से ही रिश्ते मजबूत होते हैं, नए संबंध बनते हैं. इस तरह के विज्ञापनों को देखने से सांसों की ताजगी का एहसास हो जाता है, जिस से पता चलता है कि संबंधों में करीबी के लिए सांसों की ताजगी कितनी जरूरी होती है.

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मुंह के अंदर की सफाई

टूथपेस्ट के बिजनैस में माउथ फ्रैशनैस का बड़ा रोल होता है. हर टूथपेस्ट इस बात का प्रचारकरता है कि उस के टूटपेस्ट के प्रयोग से सांसों में जो फ्रैशनैस आएगी वह रिश्तों में आने वाली दूरियों को भी खत्म कर देगी.

‘रियलटूथ डैंटल क्लीनिक’ लखनऊ के डाक्टर अमित आनंद करते हैं, ‘‘शादी से पहले कई युवा अपनी सांसों की परेशानी ले कर आते हैं. इन में घबराहट होती है कि कहीं पहली रात को सांसों की बदबू इन के साथी के मूड को औफ न कर दे. सांसों की परेशानी के चलते इस में आत्मविश्वास की कमी आती है. आमतौर पर सांसों में बदबू के 3 कारण होते हैं- मुंह की ठीक से सफाई न होना, दांतों में सड़न और पानमसाला खाने से होने वाली गंदगी. सामान्यतौर पर डैंटल स्पा के द्वारा इसे ठीक किया जाता है.

‘‘डैंटल स्पा में मुंह के अंदर की सफाई कैमिकल से की जाती है. बाद में फ्रैशनैस के जरीए होने वाली दुर्गंध को ठीक किया जाता है. इस का असर कुछ दिनों तक रहता है. अगर डैंटल स्पा के बाद माउथ फ्रैशनैस का सही तरह से रोज प्रयोग किया जाये तो सालभर तक यह प्रभावी बना रहता है.’’

सांसों की ताजगी

डाक्टर अमित आनंद आगे कहते हैं, ‘‘कई बार हम कैविटी होने, मसूढ़ों में सूजन, खून आना और ऐसी ही तमाम अन्य बीमारियों को भूल जाते हैं. ये बीमारियां ही मुंह से दुगंर्ध आने का कारण बनती है. दांतों में होने वाली परेशानी का इलाज समय पर न किया जाए तो यह बढ़ती है और दूसरी परेशानियों को जन्म देती है.

बड़ी संख्या में लड़के पान मसाले का सेवन करते हैं. पान मसाले के सेवन से मुंह में गंदगी बढ़ती है. शादी के समय लड़के को इस बात का अफसोस होता है कि उस के मुंह से बदबू आ रही है. वह दांतों की इस गंदगी को दूर कर के सांसों में ताजगी लाना चाहता है. पहले यह संभव नहीं था मगर अब डैंटल की तमाम सुविधाएं आने के बाद दांतों की हर तरह की बीमारी को दूर कर के सांसों में तजागी लाई जा सकती है. फर्स्ट नाइट के लिए केवल लड़की ही नहीं लड़के को भी सांसों की ताजगी का खयाल रखना चाहिए. सांसों की बदबू निजी क्षणों में बाधा न बने इस का पूरा खयाल रखना चाहिए.

ट्रीटमैंट फौर ब्राइड ऐंड ग्रूम

दूल्हादुलहन की वैडिंग स्माइल के लिए कई तरह के ट्रीटमैंट उपलब्ध हैं, जिन्हें जरूरत के हिसाब से लिया जाता है. ये 4 तरह के पैकेज होते हैं:

सिल्वर पैकेज में ₹15 सौ से ₹25 सौ का खर्च होता है. इस में दांतों की स्कैलिंग और पौलिशिंग शामिल होती है.

गोल्ड पैकेज में ₹25 सौ से ₹35 सौ के बीच खर्च आता है. गोल्ड पैकेज में दांतों की स्कैलिंग और पौलिशिंग के साथसाथ ब्लीचिंग भी की जाती है.

डायमंड पैकेज में ₹9 हजार तक का खर्च आता है. इस में स्कैलिंग, पौलिशिंग और ब्लीचिंग के साथसाथ होती है.

प्लैटिनम पैकेज में ₹10 से ₹20 हजार से ऊपर खर्च आता है. इस में स्कैलिंग, पौलिशिंग, ब्लीचिंग, डैंटल ज्वेलरी के साथसाथ स्माइल डिजाइनिंग भी की जाती है.

परफैक्ट स्माइल फौर परफैक्ट डे

सांसों की खुशबू के साथ ही साथ यह भी जरूरी होता है कि उस खास दिन आप की स्माइल उन के साथ दूसरे लोगों के दिल में भी उततर जाए. शादी का यह दिन जिंदगी का सब से खास दिन होता है. ऐसे में जब आप की ड्रैस और ब्यूटी परफैक्ट रहे तो स्माइल फीकी क्यों लगे? डाक्टर अमित आनंद कहते हैं, ‘‘दुलहन ही नहीं दूल्हा भी चाहता है कि यह दिन सब से खास रहे. इस के लिए वह डैंटल डाक्टर के पास जा कर अपना सही इलाज कराता है.

सब से ज्यादा लोग चाहते हैं कि शादी के दिन उन के दांत चमकदार पौलिश किए नजर आएं. चाय, कौफी और पान मसाला से बदरंग हो चुके दांत उस दिन खराब लगते हैं. शादी करने जा रहे दूल्हादुलहन चाहते हैं कि उन के दांत पहले की तरह चमकदार दिखे.’’

कई लोगों के दांत परमानैंट गंदे होते हैं. लेजर ब्लीचिंग के द्वारा इन का इलाज किया जाता है. कुछ लोगों के मसूढ़ों में खाली जगह बन जाती है. यह भी देखने में खराब लगती है. इस का इलाज भी संभव होने लगा है.

इसी तरह मसूढ़ों का कालापन, हंसते समय मसूढ़ों का ज्यादा दिखना और टूटे दांतों का इलाज भी संभव हो गया है. इन का इलाज कराने के बाद परफैक्ट दिन पर आप की स्माइल परफैक्ट दिखेगी. शादी में हरकोई खूबसूरत दिखना चाहता है. ऐसे में मुंह की साफसफाई और दांतों को ठीक करना भी जरूरी हो जाता है.

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चमक बिखेरती डैंटल ज्वैलरी

चमकते दांतों के बीच ज्वैलरी का चलन अब तेजी से बढ़ने लगा है. क्रिस्टल सी चमक बिखेरने वाली ज्वैलरी आप की मुसकान को और भी कातिल बना देती है. यह ज्वैलरी दांतों में लगाने के बाद इसे निकाला भी जा सकता है. लगाने और निकालने का काम डैंटल ऐक्सपर्ट के द्वारा ही हो सकता है. डैंटल ज्वैलरी का चलन सभी उम्र की महिलाओं में समान रूप है.

इस ज्वैलरी की चमक स्माइल को और भी मादक बना देती है. इसे लगाने और हटाने में 15 मिनट का समय लगता है. ज्वैलरी लगाने के बाद कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. डैंटल ज्वैलरी आप की स्माइल को नया रंग देती है.

सैंसिटिव स्किन के कारण मेरे चेहरे पर मेकअप से एलर्जी हो जाती है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 22 साल है. मेरी स्किन बहुत सैंसिटिव है. मैं जब भी कोई क्रीम, मेकअप प्रोडक्ट यूज करती हूं तो मेरे फेस पर दाने निकल जाते हैं. ऐसे में मैं बहुत परेशान रहती हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप कोशिश करें कि इस्तेमाल में लाई जाने वाली क्रीम खुशबू वाली न हो. हो सकता है उस की खुशबू से आप को ऐलर्जी हो. इसलिए आप सैंसिटिव स्किन के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली क्रीम ही खरीदें. जब भी यह क्रीम यूज करें तो इसे लगाने से पहले स्किन टोनर लगा कर उसे सूखने दें. उस के बाद क्रीम लगाएं.

यदि आप को दानों की समस्या रहती है तो ब्र्रैंडेड प्राइमर का इस्तेमाल करने से आप की प्रौब्लम सौल्व हो सकती है. आप को औयल फ्री प्राइमर का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

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आज शायद ही ऐसा कोई इवेंट होगा, जहां महिलाएं मेकअप कर के न जाएं क्योंकि मेकअप भले ही थोड़ी देर के लिए, लेकिन उन की ब्यूटी और अट्रैक्शन को बढ़ाने का काम करता है और उन के चेहरे की खामियों को पूरी तरह से छिपा देता है.

लेकिन कई बार जिन ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल हम खुद के रूप को निखारने के लिए करते हैं वे असल में हमारे रूप को बिगाड़ने का काम भी करते हैं. जब तक हमें पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है.

ऐसे में जरूरी है आप को मेकअप ऐलर्जी के बारे में और प्रोडक्ट्स में कौन से इनग्रीडिऐंट्स आप की स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इस की जानकारी होना ताकि आप मेकअप ऐलर्जी से खुद को बचा सकें.

इस संबंध में जानते हैं फरीदाबाद के ‘एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज’ के डर्मैटोलौजिस्ट डाक्टर अमित बांगा से:

किसकिस से मेकअप ऐलर्जी

क्या आप के साथ भी ऐसा हुआ है कि आप ने स्किन पर मेकअप अप्लाई किया हो और अचानक स्किन पर रैड रैशेज पड़ गए हों. यही नहीं बल्कि जलन, खुजली, सूजन, दर्द इस कदर हो कि उसे सहन करना भी मुश्किल हो जाता. तब आप सोचती होंगी कि काश मैं ने मेकअप किया ही न होता. लेकिन आप को बता दें कि चेहरे पर ऐलर्जी आप को किनकिन प्रोडक्ट्स से हो सकती है.

फाउंडेशन व कंसीलर: फाउंडेशन का इस्तेमाल स्किन टोन को इंप्रूव करने व दागधब्बों को कवरअप करने के लिए किया जाता है. लेकिन क्या आप जानती हैं कि इन में ऐसे कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें ऐक्सपर्ट्स लगाने की सलाह नहीं देते हैं. लेकिन जब आप इन का रोजाना इस्तेमाल करने लगती हैं तो स्किन पर उस से ऐलर्जी हो जाती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- तो नहीं होगी मेकअप से एलर्जी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कीटाणु नहीं घर में बसे खुशियां

घर साफसुथरा हो तो उस में खुशियां थिरकती हैं, क्योंकि घर की साफसफाई का सीधा संबंध घर में रहने वालों के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है. कुछ लोग घर की खूबसूरती पर ज्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन घर के खूबसूरत होने से ज्यादा जरूरी है उस का हाइजीनिक होना. अपने घर को हाइजीनिक यानी जर्म फ्री बनाने के लिए जरूरी नहीं कि आप पूरा दिन घर की साफसफाई में लगी रहें. बस घर की उन जगहों की साफसफाई पर रोज विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जहां जर्म्स होने की ज्यादा संभावना होती है.

इंडियन मैडिकल ऐकैडमी द्वारा देश भर में 1,400 घरों में किए गए एक सर्वे के अनुसार साफसुथरे दिखने वाले घर खासतौर पर संक्रमित पाए जाते हैं. ग्लोबल हाइजीन काउंसिल के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाला तौलिया, चाकू, चौचिंग बोर्ड, सिंक, नल, डस्टबिन, दरवाजों के हैंडल, किचन काउंटर, माइक्रोवेव, बरतनों का स्टैंड आदि में कीटाणु होने की आशंका सब से अधिक होती है. इन के हाइजीन के प्रति बरती गई लापरवाही सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकती है.

जर्म फ्री रसोई

ऐरिजोना विश्वविद्यालय में माइक्रोबायलौजी के प्रोफैसर डाक्टर चुक गेरबा के अनुसार, ‘‘जब भी घर की साफसफाई की बात आती है तो टौयलेट सीट ही वह जगह होती है जिसे हम सब से ज्यादा साफ रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन किचन की साफसफाई पर उतना ध्यान नहीं देते, जबकि वहां बैक्टीरिया कहीं ज्यादा मात्रा में होते हैं.

किचन को रखें साफसुथरा कुछ ऐसे.

– किचन का तौलिया जिस से आप हाथ साफ करती हैं उस में बैक्टीरिया होने के चांसेज ज्यादा होते हैं. अत: उसे हर दूसरे दिन बदलें. उसे धोने के बाद अच्छी तरह सुखा लें.

– किचन में जूठे बरतन न रहने दें, क्योंकि उन में मौजूद भोजन के कणों में बैक्टीरिया सब से जल्दी पनपते हैं.

– किचन में सब्जियां आदि काटने के लिए प्रयोग किए जाने वाले चौपिंग बोर्ड को रोज धो कर, सुखा कर रखें.

– नल के चारों ओर, सिंक व मोरी के आसपास नमी की अधिकता होती है. वहां नियमित कीटनाशक घोल का छिड़काव करें, क्योंकि नमी वाली जगहों में बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं.

– फ्रिज में कच्चा मांस, डेयरी प्रोडक्ट्स व समुद्री भोजन को खाने की अन्य वस्तुओं से अलग रखें. फ्रिज का तापमान -5 डिग्री सैल्सियस तक रखें. कच्चा मांस व सब्जियों को छूने के बाद हाथों को किसी दूसरी चीज को छूने से पहले अच्छी तरह धो लें.

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– मिक्सर ग्राइंडर, माइक्रोवेव व स्विच बोर्ड को भी साफ रखें. इन्हें गीला न छोड़ें.

– किचन के फ्लोर को डिसइन्फैक्टैंट क्लीनर से साफ करें.

– रसोई के लिए अलग डस्टबिन रखें. उस में हमेशा पौलिथीन लगाएं. इस से कूड़ा फेंकने में आसानी होती है. डस्टबिन हमेशा ढक्कन वाली रखें.

– यदि आप कामकाजी हैं और रोजाना सफाई नहीं कर पातीं तो महीने में 1 बार पेस्ट कंट्रोल अवश्य कराएं.

बाथरूम की सफाई

बाथरूम घर का वह हिस्सा होता है, जिस का उपयोग घर का प्रत्येक सदस्य करता है. ऐसे में साफसफाई के नजरिए से उस का साफ होना बेहद जरूरी है. बाथरूम में पर्याप्त स्वच्छता न होने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. दागधब्बों रहित, चमकती टाइलों वाला बाथरूम वैसे तो साफ दिखता है. पर अगर माइक्रोस्कोप से देखा जाए तो वहां ढेरों बैक्टीरिया दिख जाएंगे. इसलिए बाथरूम को ऐसे साफ रखें: द्य परिवार का प्रत्येक सदस्य अपना अलग तौलिया इस्तेमाल करे, क्योंकि एक ही तौलिए का सभी लोगों द्वारा इस्तेमाल चर्म रोगों का कारण बन सकता है. टूथब्रश भी सभी का अलगअलग होना चाहिए वरना किसी एक के मुंह के घाव से दूसरे को संक्रमण हो सकता है. टूथब्रश को हमेशा कवर से ढक कर रखें. कौकरोच ब्रश के ब्रिसल्स पर मल से जीवाणु छोड़ सकते हैं.

– बाथरूम को गीला न छोड़ें, क्योंकि काई, फफूंदी, नमी, दरारें रोग फैलाने वाले कीटाणुओं को तेजी से आकर्षित करते हैं.

– गीले कपड़ों को खुला या बिखरा न छोड़ें, क्योंकि उन में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं.

– साबुनदानी की भी नियमित सफाई करें. किनारों पर जमने वाले साबुन पर गंदगी की परत जमने लगती है, जिस पर बैक्टीरिया पैदा होते हैं.

टौयलेट हाइजीन

ज्यादातर लोग अपने लिविंगरूम को तो साफसुथरा रखते हैं, पर टौयलेट क्लीनिंग की ओर खास ध्यान नहीं देते. जबकि परिवार के स्वास्थ्य की दृष्टि से टौयलेट का हाइजीन न होना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि परिवार के सभी सदस्यों द्वारा बारबार इस्तेमाल किए जाने के कारण यह बारबार गंदा हो जाता है और टौयलेट सीट पर बैक्टीरिया तेजी से पनपने लगते हैं. टौयलेट सीट व वह हर हिस्सा जो शरीर के संपर्क में आता है वहां रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया के होने की आशंका अधिक होती है. अत: टौयलेट को रखें ऐसे साफ:

– टौयलेट को जर्म फ्री बनाने के लिए मार्केट में मौजूद टौयलेट क्लीनर का प्रयोग करें. टौयलेट क्लीनर को टौयलेट सीट के अंदर व बाहर अच्छी तरह डाल कर लगभग आधे घंटे के लिए छोड़ दें. फिर पानी से धो लें.

– टौयलेट को साफ व फ्रैश रखने के लिए ऐसे क्लीनर का प्रयोग करें, जो जिद्दी दागों को हटा कर बैक्टीरिया का सफाया करे.

– टौयलेट को साफ व बदबूरहित रखने के लिए टैंक में टौयलेट बाउल टैबलेट्स डालें. टौयलेट को सूखा रखें. गीला रहने से कीटाणु जल्दी पैदा होते हैं.

– टौयलेट के बाहर कौमन बाथरूम स्लीपर्र्स रखें ताकि टौयलेट के कीटाणु घर की अन्य जगहों पर न पहुंचें.

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बैडरूम

आप सोच रही होंगी कि बैडरूम में जर्म्स कहां से आएंगे, इसलिए इस की खास साफसफाई की क्या जरूरत है? लेकिन यहीं आप गलत हैं. दरअसल, बैडरूम के कारपेट, कुशन कवर, परदों पर भी बैक्टीरिया अपना अड्डा बनाते हैं. और तो और आप के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले लैपटौप, टीवी के रिमोट पर भी बैक्टीरिया होते हैं, जो शरीर के संपर्क में आते हैं. साथ ही शैल्फ में रखी किताबों या शोपीसेज भी जर्म्स को आकर्षित करते हैं. अत: इन्हें समयसमय पर साफ करती रहें वरना घर के लोग ऐलर्जी के शिकार हो सकते हैं. कारपेट, बैडशीट्स, परदों की वैक्यूम क्लीनर से अच्छी तरह सफाई करें.

जब हो घर में पालतू जानवर

अगर आप ने घर में कोई पालतू जानवर पाल रखा है तो आप को होम हाइजीन की खास जरूरत है, क्योंकि कुत्ते, बिल्ली, खरगोश के फर से बच्चों और बड़ों को ऐलर्जी हो सकती है. इस के लिए उन्हें साफसुथरा रखें और उन से उचित दूरी बनाए रखें. उन के रहने व खाने का इंतजाम घर के अलग हिस्से में करें. पालतू जानवरों का ऐलर्जी वैक्सीनेशन कराएं. पालतू जानवर जर्म्स व इन्फैक्शन का खतरा बढ़ाते हैं.

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कब जागेगी जनता

अहमदाबाद म्यूनिसिपल कौरपोरेशन को फटकार लगाते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि नगर निगमों का काम यह तय करना नहीं है कि कौन क्या खाता है. कट्टर हिंदू लोग सड़कों पर मीट बेचने वालों की दुकानों को बंद करने के लिए अहमदाबाद म्यूनिसिपल कौरपोरेशन का सहारा ले रहे हैं और कमिश्नर से एक आदेश ले कर उन्होंने कई रेहडि़यों को जब्त करा दिया है.

हम क्या पहनें, क्या खाएं, क्या उत्सव मनाएं, क्या देखें, क्या न बोलें, कैसे पूजापाठ करें यह ठेका अब भगवा मंडली ने ले लिया है और हर राज्य, शहर, गांव में कुछ खाली बैठे लोग इस बात की ताक में रहते हैं कि कैसे मुसलिमों और ईसाइयों को परेशान किया जाए और कैसे सभी हिंदुओं को एक कतार में खड़ा कर के उन से एक सी ड्रिल कराई जाए. इस काम में हिंदू राज करेगा की भावना तो रहती है, साथ ही हिंदू धर्म की दुकानदारी भी चमकती है और उस के पीछे गुंडागर्दी, वेश्यावृत्ति, औरतों को उठाना, बलात्कार, लूटखसोट सब छिप जाते हैं.

गुरुग्राम में मुसलमान शुक्रवार की नमाज सड़क पर न पढ़ें, इस का लगातार आंदोलन चलाया जा रहा है जो उन लोगों द्वारा शहर की सड़कों को जन्माष्टमी, रामलीला, दुर्गापूजा, दशहरे, कांवड़ यात्रा पर बंद रखने का हक रखते हैं. कई शहरों में नवरात्रों के दिनों में मीट की ब्रिकी बंद हो जाती है, कहीं शराब की बिक्री दिखावे के लिए भी बंद करा दी जाती है. इस सब को कराने के लिए खाली बैठे निक्कमे पंडेपुजारी किस्म के लोग कुछ भक्तों को जमा कर के हल्ला करने लगते हैं और जब से राममंदिर का सुप्रीम कोर्ट का अतार्तिक फैसला रंजन गोगोई ने दिया है उन के हौसले बढ़े हुए हैं कि कानून भी उन की मुट्ठी में ही है, व्यवस्था भी.

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इस का खमियाजा हर आम घर को भुगतना पड़ता है. मीट खाना सेहत के लिए सही है या नहीं यह तो नहीं कह सकते पर लगभग 99% दुनिया की आबादी सदियों से मीट खा कर जिंदा रही है. शाकाहारी फैशन तो भारत में कहीं अहिंसा के नाम पर अपनाने को थोपा गया है या अब पर्यावरण के नाम पर कहा जा रहा है.

हिंदूवादियों ने इसे धर्म का हथियार बना लिया और साल के 365 दिनों में से सिर्फ 9 दिन मीट न खाने वाले भी अहमदाबाद में रेहडि़यों के खिलाफ एकजुट हो जाते हैं ताकि सत्ता की धांधली जमती रहे.

ये वही लोग हैं जो कहते हैं कि लड़कियां टौपजींस न पहनें, जाति और धर्म के बाहर प्रेम व विवाह न करें, वैलेंटाइन डे न मनाएं, करवाचौथ पर कुंआरियों, विधवाओं, तलाकशुदाओं को अलग रखें, शुभ कामों में विधवाओं और निपूतियों का साया न पड़ने दें. मीट या नमाज के खिलाफ हल्ला कर के तो धर्म को ही जीवनपद्धति स्रोत मानने को मजबूर करते हैं और हर थोड़े दिनों में घरों के सामने चंदे की रसीदबुक ले कर खड़े हो जाते हैं. जिस ने नहीं दिया वह पापी है, समाज का गुनहगार है. घर की औरतों को समाज में रहने के लिए उन उद्दृंडियों की बातें माननी पड़ती हैं जो गले में भगवा दुपट्टा डाले, तिलक लगा कर हर कानून की अवहेलना करने का हक रखते हैं.

अहमदाबाद म्यूनिसिपल कौरपोरेशन को पड़ी डांट सही है. उम्मीद करें कि अब जनता खुद खड़ी होगी इन धर्म के लुटेरों के खिलाफ.

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इकलौते लड़के से शादी

जैसे ही किसी की बेटी की शादी इकलौते लड़के से तय होती है, त्योंही उसे सुखसमृद्धि की गारंटी मान लिया जाता है. एक दंपती ने जब अपनी बेटी की शादी के कार्ड बांटे तो हर किसी से अपनी बेटी के ससुराल में लड़के के इकलौते होने की चर्चा जरूर की. एक संबंधी ने कहा कि तब तो उन के यहां हमारे घर जैसी रौनक नहीं होगी. हमारे यहां तो मामूली अवसर पर भी इतने लोग इकट्ठा हो जाते हैं कि घर में उत्सव जैसा माहौल बन जाता है. फिर भी वे इकलौते लड़के के गुण गाते रहे तो उस रिश्तेदार ने आक्रोश में कहा कि अगर इतना ही इकलौतेपन का क्रेज है तो अपने बेटे को भी इकलौता रहने दिया होता. तब किसी और परिवार को भी आप के इस सुख जैसा सुख मिलता.

सब कुछ इस का है

अकसर शादी की बात चलते ही लड़की वाले इसी बात को अहमियत देते हैं और लड़के वाले भी पसंद की जगह बात बनाने के लिए इस बात का सहारा लेते हैं. भले ही यह बात सच है पर इस तरह की अपेक्षा पालना अकसर अनाधिकार चेष्टा को जन्म देता है. शैलेंद्र व सीता दंपती ने जब एक ट्रस्ट बनाया तो सब दंग थे. लेकिन उन्होंने बेटे को ट्रस्टी न बनाया तो उस ने रिश्तेदारों पर अपने मातापिता को समझाने का दबाव बनाया. तब मातापिता की बातों से स्पष्ट हुआ कि बेटाबहू तो सब कुछ उन का है यह मान कर बैठे हैं. इन की कमाई बहुत है फिर भी ये हारीबीमारी तक में नहीं पूछते. पता नहीं हमारे पालनपोषण में कहां कमी रह गई. हम अपना पूरा पैसा गरीबों की शिक्षा व संस्कार पर खर्चेंगे. खैर, समय रहते बेटाबहू सुधरे तो मांबाप ने अपनी वसीयत थोड़ी बदली. उन्होंने बेटाबहू के लिए गुंजाइश निकाली, लेकिन ट्रस्ट वाला मुद्दा नहीं बदला.

सब कुछ अपना मान लेने की मानसिकता फर्ज अदायगी में बाधक है. कुमार अच्छा कमाने के बावजूद जबतब मांबाप से मोटी रकम वसूलते रहते हैं. कुछ कहने पर कहते हैं कि आगे लूं या पीछे, इस से क्या फर्क पड़ता है. सब कुछ तो मेरा ही है. मांबाप को यह पसंद नहीं. उन्होंने अब दूसरी तरह सोचना शुरू कर दिया है.

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लड़की वाले हावी

ज्यादातर परिवारों में लड़के का छोटा परिवार होने के कारण लड़की के पीहर वाले हावी हो जाते हैं. इन के यहां है ही कौन हम ही तो हैं, यही सोचते हैं वे. ऐसी स्थितियां लड़की की ससुराल में उत्साह भंग करने वाली होती है. कुसुम को बारबार सुनना पड़ता है कि हमारे घर में उसी के घर वाले नजर आते हैं. कोई मौका हो तो पूरी फौज हाजिर हो जाती है. कुसुम ने पीहर वालों को जब ताकीद कराया कि बुलाने का मतलब यह नहीं कि उन के यहां अड्डा ही जमा लिया जाए तो कहीं बात बनी. बहुत से इकलौते लड़के के मांबाप बड़े परिवार में रिश्ता कर के खुश होते हैं. उन की इच्छा रहती है कि वकत पर वे लोग उन के पास आएंजाएं. क्योंकि छोटे परिवार की कमी वे  देख चुके होते हैं. फिर भी उन के यहां डेरा जमाना कुछ लड़की वालों को नहीं जंचता. उन्हें लगता है कि लड़के वालों की पहल तथा इच्छा से उन के यहां आनाजाना अच्छा व सम्मानजनक रहता है. साथ ही बेटी या बहन को ताने या चुहलबाजी का सामना नहीं करना पड़ता.

उस पर अगर इकलौता लड़का अपनी ससुराल से ज्यादा जुड़ जाता है तो उसे अपने करीबी लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं. विजय के चचेरे भाईबहन उसे इसीलिए खरीखोटी सुनाते हैं, ‘यार अब हम हैं ही क्या? अब तो तुम्हें सिर्फ ससुराल वाले ही दिखते हैं.’ विजय को पत्नी पर गुस्सा आता है. पत्नी को पीहर वालों पर.

इकलौते नहीं रहे

एक दंपती ने इकलौते बेटे की सगाई करते ही उस से कह दिया कि अब उन्हें एक बेटी भी मिल गई है. अब वह अपनेआप को इकलौता न समझे. ये दंपती कहते हैं कि ऐसा उन्होंने बेटे की मानसिकता को ध्यान में रख कर किया. वह किसी और बच्चे को हमारी गोद में बैठा देख कर उसे मारता, रुलाता था. उस की चीजें तोड़फोड़ देता था. हम ने इस का इलाज भी कराया, फिर भी उस में वह भावना कुछ बची हुई है. एक दंपती कहते हैं कि हमारा बेटा ऐसी मनोवृत्ति का शिकार है कि उसे हमारा उसी के बेटाबेटी से प्यार करना अच्छा नहीं लगता. हम उसे कैसे ठीक करें, यह समझ में नहीं आ रहा. उसे समझाना आसान नहीं. हमारे घर में बातबात पर कलह आम बात है.

केयरिंग शेयरिंग की आदत नहीं

अकेले लड़के से शादी करना मखमली या फूल जैसी नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण है. एक तो ऐसे लड़के वैसे ही नाजों से पाले जाते हैं, उस पर इकलौते लड़कों की तो बात ही क्या है. चूंकि उन्हीं की केयर ज्यादा की जाती है, इसलिए वे दूसरों की केयर करने में उतने उत्सुक या जागरूक नहीं होते. चूंकि उन्हें सब कुछ बहुतायत में मिलता है, इसलिए शेयर करने की आदत उन में नहीं आती. इसीलिए पत्नी के रूप में ही सही, उन की ही इच्छा से कोई उन के जीवन में प्रवेश करता है, तो भी वे उतने मन से उस का स्वागत नहीं कर पाते. ऐसे व्यक्ति के जीवन में स्पेस बनाना पत्नी के लिए चुनौती होता है. एक इकलौते व्यक्ति की पत्नी बताती है कि इन्हें तो रात के अलावा मेरा कमरे में रहना तक पसंद नहीं. बस इन का मन या गरज हो तभी. भावनाओं की कद्र करना तो आता ही नहीं इन्हें. ये तो लोगों को वस्तु समझते हैं.

ऐसी ही एक और इकलौती बहू कहती है कि मैं भरेपूरे परिवार से आई और यहां एकदम अकेली पड़ गई. इन्हें ही क्या, इन के मातापिता तक को मेरा किसी से शेयर करना अच्छा नहीं लगता. किसी से बोलनाबतियाना उन्हें मुंह लगाना लगता है, लेनादेना आफत मोल लेना तथा रिश्तों की कद्र करना लिफ्ट देना. मैं ने साफ कहा कि हम अपनेअपने अंदाज से जीएं. मैं भी इंसान हूं, मेरी भी कोई सोच है. इन्हें यह सब अच्छा तो नहीं लगता पर सहन करना सीख गए हैं.

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हर इकलौता एक सा नहीं

गुड्डू भरेपूरे ससुराल को पा कर खुश है. वह मानता है कि उस के ससुराल वालों ने उस के जीवन की कमी को पूरा किया है. अपनी सालियों और पत्नी के चचेरेममेरे भाइयों तक को अपने परिवार का हिस्सा मानता है. उन से मिलने के लिए पार्टी के बहाने ढूंढ़ता है. सब उसे जीजूभाई, जीजूदादा, जीजूचाचा, जीजूमामा आदि कह कर खूब लाड़ करते हैं. उस की पत्नी इसे बावलापन समझती है. उस के सासससुर कहते हैं कि गुड्डू शुरू से ही मिलनसार है. इस ने कभी अकेला होना नहीं चाहा. बचपन में जब भी अस्पताल के सामने से निकलता, हम पर जोर देता कि जाओ, मेरे लिए खूब सारे भाईबहन ले कर आओ. हम से बारबार अकेलेपन का दुख कहता. हम ने अन्य संतानों की कोशिश की पर सफलता नहीं मिली. हमें तो पछतावा है. हम ने किसी अनाथ लड़की को गोद ले लिया होता. गुड्डू की जिंदगी में इकलौतापन मजबूरीवश आया. वह मन से इकलौता नहीं है.

इकलौतेपन को लौटरी न मान कर सहज भाव से लिया जाए. सब कुछ अपना मान कर चलना दुख बढ़ाता है. अधिकार के साथसाथ कर्तव्य भाव जिम्मेदार बनाता है. इकलौते लड़केलड़की की शादी देखने में भले अच्छी लगे पर कांटों भरे ताज जैसी होती है. क्योंकि उन्हें सहज रिश्तों में भी एकदूसरे तथा एकदूसरे के परिवारों की उपेक्षा का भाव अनुभव होता है. लड़की को इकलौते लड़के से शादी कर के केवल पत्नी बन कर ही नहीं रहना पड़ता, बल्कि उस की मां, बहन, रिश्तेदार, दोस्त व सहेली सब कुछ बन कर रहने का दायित्व भी वहन करना पड़ता है. इकलौते लड़के के नखरे भी उठाने पड़ सकते हैं. उस के मूड के अनुसार चलना पड़ सकता है. उस की इच्छाओं के आगे झुकना पड़ सकता है. पत्नी बन कर हम उस पर कब्जा नहीं जमा सकते. उस के स्वेच्छाचारी मन को जीतने के लिए कुछ खास जतन करने के लिए भी अपनेआप को तैयार करना पड़ सकता है. तभी इकलौते लड़के से शादी अच्छी तरह चल व निभ सकती है.

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