कोचिंग का धंधा

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई पढ़ रहे 2000 भारतीय छात्रों ने चीन का किस्सा दोहराया जहां 2000 से ज्यादा भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे और कोविड के कारण उन्हें निकाल कर लाना पड़ा था. यूक्रेन में तो भारतीय छात्र मरतेमरते बचे हैं क्योंकि रूसी हमलों में किस की जान जाती, कोई नहीं कह सकता. मेडिकल की पढ़ाई करने की तलब आज भारतीय छात्रों में इतनी है कि भारत की 8000 सीटों के बाद से कहीं भी कैसी भी पढ़ाई करने चल देते थे. शातिर लोगों ने मेडिकल कालेजों में दाखिला दिलाने का छलावा कर के लूटने का पक्का धंधा भी बना लिया है.

नोएडा पुलिस ने एक गिरोह को पकड़ा जिस के फर्जी काउंसिङ्क्षलग कर के फर्जी एडमिशन ले कर दे कर 30-30 लाख तक लोगों से वसूल कर लिए. ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय और आगरा के सरोजिनी नगर मेडिकल कालेज में दाखिले के झूठे डौक्यूमेंट देकर लूटा गया.

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इसमें बड़ी गलती छात्रों और उन के मांबाप की जो हर समय यह सोचते हैं कि दलाल उन का काम कर देंगे. इस देश में लोगों को बेइमानी पर इतना विश्वास है कि वे सोचते हैं कि इस देश में सक काम पैसा फेंक कर हो सकता है. एक जने का काम चल जाए तो सौै लोग उसे अकेला रास्ता मान लेते हैं. हाल तो यहां तक है कि अगर कोई मैरिट से भी सीट पाता है तो सगेसंबंधी सोचते हैं कि यह तो दलालों के मार्फत खरीदी सीट है. झूठ पर भरोसा करने वाली जनता धर्म के नाम पर लूटे जाने पर इतनी लूटने को तैयार बैठी रहती है कि मेडिकल सीट के लिए कुछ भी दे देने को तैयार रहती है.

जो धाव यूक्रेन या वुहान ने दिखाया इस तरह के घाव यहीं भारत में रोज किए जाते हैं और लोग पट्टी बांध कर उसे छिपा कर बैठ जाते हैं. लूटे गए लोग कम ही शिकायत करते हैं क्योंकि पुलिस पहला सवाल करती है कि लूटेरों को देने का पैसा कहां से आया. इस का जवाब ज्यादातर के पास नहीं होता और इसलिए वे चुप रह जाते हैं.

कोचिंग के धंधे के साथ फर्जी एडमिशन का धंधा भी बहुत चल रहा है और अब तो शानदार औफिसों से चलता है.

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गर्भ में होने वाले बच्चों के विकार

गर्भ से ही कुछ बच्चों में उन के शरीर के अंगों में विकृतियां आने से ले कर उन की ऐक्टिविटीज और ऊर्जा तक बदलने आदि की समस्याएं शुरू हो जाती हैं. वे बच्चे जब इन स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जन्म लेते हैं तो उन्हें हम जन्मदोष कहते हैं. जन्मदोष के 4,000 से अधिक विभिन्न प्रकार हैं. इन में वे भी हैं जिन्हें ठीक करने के लिए किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं पड़ती और दूसरे वे गंभीर बीमारियां भी हैं, जिन के लिए शल्य चिकित्सा की जरूरत पड़ती है, जिस के न होने से बच्चे के अपंगता के शिकार होने की भी संभावना रहती है. एक सर्वे के अनुसार, हर 33 में से 1 बच्चा जन्मदोष के साथ पैदा होता है. उस में भी अगर कोई बच्चा कुरूप हो कर जन्म ले या उस बच्चे के शरीर का कोई अंग गायब हो, तो उसे भी संरचनात्मक जन्मदोष ही कहा जाता है. हार्ट डिफैक्ट भी संरचनात्मक जन्मदोष का एक प्रकार है, तो हड्डियों का विस्थापित होना भी.

जो लोग मातापिता बनना चाहते हैं उन्हें यह जानना जरूरी है कि कुछ जन्मदोषों को होने से रोका जा सकता है. इस के लिए गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में आयोडीन तथा फौलिक ऐसिड का सेवन करना फायदेमंद रहता है. इस से बच्चे को काफी हद तक जन्मदोषों से बचाया जा सकता है.

कारण

जन्मदोष का एक कारण तो वातावरण से संबंधित होता है यानी गर्भ के दौरान बच्चा किन कैमिकल या वायरस के संपर्क में था, तो दूसरा कारण भू्रण के जीन में कोई समस्या होना हो सकता है या हो सकता है कि दोनों ही कारण हों. अगर गर्भावस्था के दौरान महिला को किसी प्रकार का संक्रमण है तो भी बच्चा जन्मदोष के साथ पैदा हो सकता है. अन्य कारण, जिन की वजह से जन्मदोष हो सकते हैं, वे हैं रुबेला और चिकन पौक्स. अच्छी बात यह है कि ज्यादातर लोगों को इन के संक्रमण से बचने के लिए टीके लगा दिए जाते हैं, इसीलिए इस प्रकार के संक्रमण होने के खतरे कम होते हैं. गर्भवती महिला के द्वारा शराब पीने से फीटल अल्कोहल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है. इस के अलावा कुछ ऐसी दवाएं भी हैं जिन्हें लेने से बच्चे में जन्मदोष की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. डाक्टर ज्यादातर ऐसी दवाएं गर्भावस्था के दौरान देने से बचते हैं. शरीर की हर कोशिका में क्रोमोसोम्स होते हैं, जो जीन से बने होते हैं. ये किसी इंसान की अद्वितीय विशेषताओं का निर्धारण करते हैं. गर्भधारण के दौरान बच्चा मातापिता से 1-1 क्रोमोसोम जीन के साथ ग्रहण करता है. इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की गलती बच्चे में क्रोमोसोम की मात्रा को बढ़ा या घटा सकती है या इस से क्रोमोसोम्स को क्षति भी पहुंच सकती है. डाउन सिंड्रोम एक ऐसा जन्मदोष है जो क्रोमोसोम की समस्या के कारण ही होता है. यह बच्चे में 1 क्रोमोसोम के ज्यादा आने की वजह से होता है. बाकी जैनेटिक डिफैक्ट भी मातापिता के गलत जीन के मौजूद होने के कारण ही होते हैं. इस प्रक्रिया को रिसेसिव इन्हैरिटैंस कहते हैं. जन्मदोष केवल एक व्यक्ति के जीन के कारण भी संभव है जिसे डौमिनैंट इन्हैरिटैंस कहते हैं.

कुछ मेल चाइल्ड्स में केवल उन की मां के जीन से आए विकार शामिल होते हैं. इन की वजह से हेमोफिला, कलर ब्लाइंडनैस आदि की समस्या हो जाती है जिन्हें एक्स-लिंक भी कहते हैं, क्योंकि ऐसे जीन एक्स क्रोमोसोम में ही होते हैं. पुरुषों में केवल एक्स-क्रोमोसोम ही होता है जो उन्हें उन की मां से प्राप्त होता है. दूसरी ओर महिलाओं में 2 क्रोमोसोम होते हैं, जिन में से एक मां से तथा दूसरा पिता से लिया गया होता है. इसीलिए एक्स-क्रोमोसोम के जीन में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने से लड़कों पर इस का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है. वहीं लड़कियों के एक जीन में खराबी से होने तथा दूसरे के सही होने से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है.

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जैनेटिक जन्मदोष

सिस्टिक फाइब्रोसिस त्वचा की लाइनिंग में मौजूद कोशिकाओं के साथसाथ फेफड़े की ओर जाने वाले रास्ते को, पाचन तंत्र को यहां तक  कि रिप्रोडक्टिव सिस्टम को भी प्रभावित करती है. इस के कारण शरीर के इन अंगों में कफ की चिपचिपी मोटी परत बन जाती है. जिन बच्चों में सिस्टिक फाइब्रोसिस की समस्या होती है, उन्हें फेफड़े में संक्रमण, पाचनतंत्र में समस्या, कम वजन आदि की शिकायत हमेशा रहती है. फेफड़ों का ध्यान रखना, अच्छा पौष्टिक आहार लेना आदि इस समस्या का इलाज है. डाउन सिंड्रोम एक सामान्य जन्मदोष है, जो हर 800 से 1,000 में से 1 बच्चे को होता है. बच्चों में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना मां की बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती जाती है. जिन बच्चों को डाउन सिंड्रोम होता है उन में क्रोमोसोम संख्या 21 की एक कौपी अधिक होती है. दरांती सैल बीमारी लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ी बीमारी है जिस में असाधारण दरांती के आकार की कोशिका क्रौनिक ऐनीमिया को जन्म देती है, जिस से रक्त कोशिकाओं की संख्या घट जाती है तथा अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं.

सामान्य जन्मदोष

क्लेफ्ट होंठ की समस्या तब होती है जब मुंह या होंठों की कोशिकाएं अच्छे से विकसित नहीं हो पाती हैं. क्लेफ्ट लिप में ऊपर के होंठ और नाक के बीच में लंबा खुलापन होता है. क्लेफ्ट चंसंजम नाक के छेद और मुंह के अंदर के ऊपरी हिस्से के बीच के खुलेपन को कहते हैं. ये समस्याएं जन्म के बाद सर्जरी से ठीक की जा सकती हैं. क्लबफूट शब्द का इस्तेमाल पैरों के स्ट्रक्चरल डिफैक्ट के लिए किया जाता है. जिस में हड्डियां, जौइंट्स, मसल्स तथा रक्त धमनियां गलत तरह से विकसित होती हैं. यह एक सामान्य जन्मदोष है, लेकिन इस समस्या से लड़के, लड़कियों से दुगने प्रभावित होते हैं. ज्यादातर केसेज में कारण की जानकारी नहीं होती है, लेकिन कुछ केसेज में क्लबफूट एक जैनेटिक डिसऔर्डर या मां की बच्चेदानी में समस्या के कारण होता है जिस वजह से बच्चों के पैरों का विकास उतने ढंग से नहीं हो पाता है. जन्मजात हाइपोथाइरोडिज्म जो हर 3,000 से 4,000 में से एक बच्चे में पाया जाता है, तब होता है जब बच्चे में थायराइड ग्लैंड अनुपस्थित हो या जब वह अच्छे से विकसित न हुआ हो. इस बीमारी की वजह से थायराइड हारमोन में कमी आ जाती है, जो किसी भी बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अत्यधिक जरूरी होता है.

फीटल अल्कोहल सिंड्रोम की वजह से धीमा विकास, बौद्धिक अक्षमता, चेहरे में विकृति तथा नर्वस सिस्टम में समस्या आदि जैसी समस्याएं होती हैं. फीटल सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान शराब से दूरी रख कर इस समस्या से बचा जा सकता है. न्यूरल ट्यूब डिफैक्ट की समस्या गर्भावस्था के उस महीने में होती है जब गर्भ में पल रहे बच्चे का दिमागी विकास शुरू होता है. इस दौरान बच्चे के दिमाग में स्पाइनल कौर्ड विकसित होना शुरू हो जाता है, जो एक ट्यूब के रूप में तैयार होता है. अगर यह ट्यूब अच्छे से बंद न हो तो न्यूरल ट्यूब डिफैक्ट की शुरुआत होती है. यह समस्या हर 3,000 में से 1 बच्चे को होती है और इस डिफैक्ट के होने पर कुछ बच्चों की जन्म के साथ ही मृत्यु हो जाती है. गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फौलिक ऐसिड का सेवन बच्चों में न्यूरल ट्यूब डिफैक्ट की समस्या की संभावना को कम कम कर सकता है.

हार्ट डिफैक्ट की शुरुआत तब होती है जब गर्भ में बच्चे के दिल का विकास नहीं हो पाता. जतपंस डिफैक्ट व एअर वैंट्रिकुलर डिफैक्ट हार्ट डिफैक्ट के अंतर्गत ही आते हैं, जो दिल के दाएं तथा बाएं हिस्से को अलग करते हैं. हार्ट डिफैक्ट की शुरुआत तब होती है जब ट्यूब के आकार की धमनियों में बहने वाला खून गर्भावस्था के दौरान लिए जाने वाली दवाओं जैसे केपोथेरैपी ड्रग्स, थालिडोमाइड, दजोपेमप्रनतम ड्रग आदि के संपर्क में आता है. गर्भावस्था की शुरुआत के 3 महीने हार्ट डिफैक्ट के लिए बहुत संभावित होते हैं. इस के अलावा शराब का सेवन, रुबेला इन्फैक्शन, डायबिटीज आदि से भी बच्चों में हार्ट डिफैक्ट होने की संभावना बढ़ जाती है.

बच्चों में व्यवहार विकार

छोटे बच्चे नादान हो सकते हैं, बात न मानने वाले हो सकते हैं और समयसमय पर गुस्से में आ सकते हैं. ये सब साधारण बातें हैं, लेकिन कुछ बच्चों में ये बातें बहुत कठिन स्तर तक होती हैं. सब से हानिकारक व्यवहार विकारों में से एक है औपोजिटियोनाल डिफायंट डिसऔर्डर, तो दूसरा बरताव विकार और तीसरा अटैंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिसऔर्डर. इन तीनों व्यावहारिक विकारों के समान लक्षण होते हैं, इसलिए इन का पता लगा पाना बहुत ही मुश्किल होने के साथसाथ बहुत ज्यादा समय भी लेता है.

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औपोजिटियोनाल डिफायंट डिसऔर्डर

12 साल से कम का करीब हर 10 में से 1 बच्चा इस से ग्रस्त होता है और लड़कों में यह समस्या होने की संभावना लड़कियों से लगभग दोगुनी होती है. इस से ग्रस्त किसी बच्चे के ये लक्षण हो सकते हैं:

जल्दी गुस्सा होना.

जल्दी आपा खो देना.

बहस करना खासकर अपने मांबाप से.

नियमों को न मानना.

दूसरों को चिढ़ाना.

जल्दी चिढ़ जाना.

अपनी गलतियों के लिए दूसरों को दोष देना.

बरताव विकार

जिन बच्चों में बरताव विकार पाया जाता है अकसर उन्हें बुराभला कहा जाता है, क्योंकि वे बड़े जिद्दी होते हैं और नियमों को नहीं मानते. 10 साल तक के करीब 5% बच्चों में यह विकार होता है, लेकिन लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में यह ज्यादा होता है. इस विकार से जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण बातें ये हैं: कठिनाई भरी गर्भावस्था, समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन होना आदि कुछ ऐसे कारण हैं, जो आगे जा कर बच्चों में बरताव विकार लाते हैं. जिन बच्चों को बचपन से ही संभालना मुश्किल होता है जो बात नहीं मानते और हमेशा उग्र रहते हैं, उन में बरताव विकार के होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. यह बरताव पारिवारिक बरताव तथा वातावरण पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. जिन बच्चों को पढ़नेलिखने और समझने में समस्या आती है उन में इन विकारों के होने की संभावना ज्यादा होती है. कई अध्ययनों से पता चला है कि दिमाग का वह हिस्सा जहां ध्यान लगाने की शक्ति होती है वह ऐसे बच्चों में कम हता है.

लक्षण

मातापिता की बात न मानना.

ड्रग्स, सिगरेट, शराब आदि का सेवन करना.

दूसरों के लिए भावनाएं न होना.

बारबार झूठ बोलना.

लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहना.

लड़ते समय हथियार तक का इस्तेमाल करना.

चोरी करना, जानबूझ कर आग लगाना, किसी चीज को तोड़ देना, दूसरों के घर में बिना पूछे घुस जाना.

घर से भाग जाने की प्रवृत्ति.

आत्महत्या करने की कोशिश करना.

अटैंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिसऔर्डर: करीब 5% बच्चों में यह समस्या पाई जाती है और लड़कों में लड़कियों की अपेक्षा यह समस्या ज्यादा होती है.

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लक्षण

किसी एक काम में ध्यान लगा पाने में असमर्थ होना.

दूसरों से ऊंची आवाज में बात करना.

बातचीत के दौरान ओवर रिऐक्ट करना.

समस्याओं के लिए इन लोगों से संपर्क करें:

अपने फैमिली डाक्टर से.

पैडियाट्रिशयन यानी बाल रोग विशेषज्ञ से.

बाल मनोवैज्ञानिक से. 

   -डा. आशीष गुप्ता पीडिएट्रिशियन, प्राइमस सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल

सेंसिटिव स्किन से फाइट करे सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र

हर महिला चाहती है कि उसकी स्किन ग्लोइंग, अट्रैक्टिव होने के साथ हर तरह की प्रोब्लम से फ्री हो. लेकिन लाख सोचने के बावजूद भी जरूरी नहीं कि हर महिला की स्किन ठीक हो ही. क्योंकि स्किन एक प्रोटेक्टिव लेयर से बनी होती है. लेकिन मौसम में आए बदलाव, केमिकल वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स, धूलमिट्टी व गंदगी के ज्यादा संपर्क में जब हम रहते हैं तो वो हमारी स्किन की सेंसिटिविटी का कारण बनते हैं. जिससे ढेरों स्किन प्रोब्लम्स का हमें सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है सही स्किनकेयर करने के साथ सही स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की, ताकि हमेशा हमारी स्किन चमकतीदमकती रहे. ऐसे में बायोडर्मा का सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र एक ऐसा प्रोडक्ट है , जो आपकी स्किन की खास केयर करने का काम करता है. तो आइए जानते हैं , कैसे करें स्किन की केयर.

कौन से कारण है स्किन की सेंसिटिविटी के लिए जिम्मेदार

– हार्मफुल इंग्रीडिएंट्स

आए रोज या लंबे समय तक ऐसे स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने, जिसमें मिनरल ऑयल्स, सिलिकोंस व स्किन को नुकसान पहुंचाने वाले इंग्रीडिएंट्स होते हैं. इनका इस्तेमाल करने से पोर्स बंद होने के साथ स्किन पर एक्ने , जलन जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है. जिसके समाधान के लिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में इंग्रीडिएंट्स को देखकर ही प्रोडक्ट को खरीदें. कोशिश करें नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से बने प्रोडक्ट्स व माइल्ड प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करें. साथ ही रात को सोते समय मेकअप को रिमूव करना न भूलें.

– पोलुशन

चाहे हम घर में रहें या फिर बाहर निकलें , हम अपने चारों ओर पोलूशन से घिरे हुए हैं. पोलुशन के कारण न सिर्फ हमें अपनी स्किन गंदी लगती है, बल्कि प्रदूषण के कणों से जुड़े कुछ केमिकल्स त्वचा की परतों में प्रवेश कर जाते हैं , जो ओक्सिडेशन स्ट्रेस का कारण बनने के कारण हमारी स्किन बैरियर को कमजोर बनाने के साथ सूजन , एजिंग का भी कारण बनते हैं . जिससे सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र आपको फुल प्रोटेक्शन देने का काम करता है.

– गंदगी

अगर हम स्किन की हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं , तो स्किन की हालत खराब हो जाती है. जिसके कारण वह मुरझाई मुरझाई सी लगने लगती है और समय से पहले बूढ़ी नजर आने लगती है. बता दें कि आपकी स्किन केमिकल्स व रोगजनकों के खिलाफ एक नेचुरल बैरियर का काम करती है. ऐसे में अगर आप स्किन की हाइजीन यानि उसे प्रोपर रोजाना क्लीन करते हैं , तो वह त्वचा की सतह से डेड स्किन सेल्स, गंदगी व रोगाणुओं को हटाने में सक्षम बन पाती है.

– टेप वाटर

टेप वाटर बैक्टीरिया, कैल्शियम व अन्य अवशेषों से भरा होता है, जो हमारी स्किन की बाहरी परत कहे जाने वाली एपिडर्मिस को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे स्किन में जलन व एलर्जी जैसी समस्या हो सकती है. ऐसे में सही फेस क्लीन्ज़र का इस्तेमाल करके आप सेंसिटिव स्किन की प्रोब्लम से लड़ कर इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं.

– फेस मास्क

कोविड 19 वायरस के कारण जहां आज खुद को प्रोटेक्ट करने के लिए मास्क लगाना जरूरी हो गया है, वहीं ये स्किन के लिए किसी मुसीबत से कम साबित नहीं हो रहा है. क्योंकि इसके कारण चेहरे के निचले हिस्से में मुंहासों की समस्या हो जाती है, साथ ही सेंसिटिव स्किन वालों को इससे स्किन में जलन, स्किन का लाल पड़ना और यहां तक की इससे एक्जिमा की समस्या भी हो जाती है. इसके लिए फेस को क्लीन करते रहना बहुत जरूरी है , ताकि स्किन को ठंडक मिल सके.

क्या है बायोडर्मा का सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र

25 साल पहले बायोडर्मा ने एक नए उत्पाद के रूप में मिसेलर टेक्नोलोजी का अविष्कार किया, जो आज एक प्रतिष्ठित प्रोडक्ट के रूप में स्थापित हो गया है. सेंसीबायो H2O एक डर्माटोलोजिकल मिसेलर वाटर है, जो सेंसिटिव स्किन की केयर करता है. इसका यूनिक फार्मूला , स्किन के पीएच लेवल को बनाए रखकर स्किन को क्लीन व स्मूद बनाए रखने का काम करता है. बता दें कि मिसेलर टेक्नोलोजी हर तरह की अशुद्धियों और प्रदूषण कणों को प्रभावी तरीके से हटाकर स्किन को क्लीन करने में सक्षम है. इसके लिए आपको इसकी थोड़ी सी मात्रा को कॉटन में लेकर उससे सुबह और शाम चेहरे को क्लीन करना है. इसकी खास बात यह है कि इसे न तो चेहरे पर रब करना है और न ही इसके बाद चेहरे को धोने की जरूरत है. तो हुआ न इफेक्टिव व आसान तरीका. और इजी टू अवेलेबल भी.

बेसिक रूल्स फोर स्किन सेंसिटिविटी

– स्किन दिन के दौरान पर्यावरण के खिलाफ सुरक्षात्मक भूमिका निभाने के लिए खुद को तैयार करती है. इसके लिए जरूरी है कि आप रात भर की अशुद्धियो को दूर करने के लिए स्किन को जेंटल क्लीन्ज़र से क्लीन करें. ठीक इसी तरह चेहरे से दिनभर की अशुद्धियो को दूर करना बहुत जरूरी है, वरना चेहरे पर जमा गंदगी आसानी से स्किन में प्रवेश करके उसे नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए स्किन को डे व नाईट में सेंसीबायो H2O क्लीन्ज़र से क्लीन करना न भूलें.

– सेंसिटिव स्किन वालों को इस बात का ध्यान रखना है कि अगर फेस को किसी प्रोडक्ट से क्लीन करने के बाद आपको फेस पर टाइटनेस फील हो, तो इसका मतलब आप समझ जाएं कि वो प्रोडक्ट आपकी स्किन के लिए अच्छा नहीं है.

– आप सनस्क्रीन, मेकअप, क्रीम्स को कभी भी फेस पर ओवरनाईट लगाकर न सोएं. बल्कि क्लीन्ज़र से क्लीन करके स्किन को डीटोक्स करें.

– अपनी स्किन को हमेशा हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं. ताकि आपकी स्किन हेल्दी रहे.

अस्तित्व: भाग 1- क्या प्रणव को हुआ गलती का एहसास

लेखक- नीलमणि शर्मा

का लिज पहुंचते ही तनु ने आज सब से पहले स्टाफ क्वार्टर के लिए आवेदन किया. इतने साल हो गए उसे कालिज में पढ़ाते हुए, चाहती तो कभी का क्वार्टर ले सकती थी पर इतना बड़ा बंगला छोड़ कर यों स्टाफ क्वार्टर में रहने की उस ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. फिर प्रणव को भी तनु के घर आ कर रहना पसंद नहीं था. उन का अभिमान आहत होता था. उन्हें लगता कि वहां वह  ‘मिस्टर तनुश्री राय’ बन कर ही रह जाएंगे. और यह बात उन्हें कतई मंजूर न थी.

आज सुबह ही प्रणव ने उसे अपने घर से निकल जाने को कह दिया जबकि तनु को इस घर में 30 साल गुजर चुके हैं. कहने को तो प्रणव ने उसे सबकुछ दिया है, बढि़या सा घर, 2 बच्चे, जमाने की हर सुखसुविधा…लेकिन नहीं दिया तो बस, आत्मसम्मान से जीने का हक. हर अच्छी बात का श्रेय खुद लेना, तनु के हर काम में मीनमेख निकालना और बातबात पर उस को  ‘मिडिल क्लास मानसिकता’ का ताना देना, यही तो किया है प्रणव ने शुरू से अब तक. पलंग पर लेटेलेटे तनु अपने ही जीवन से जुड़ी घटनाओं का तानाबाना बुनने लगी.

इतने वर्षों से तनु को लगने लगा था कि उसे यह सब सहने की आदत सी हो गई है पर आज सुबह उस का धैर्य जवाब दे गया. जैसेजैसे उम्र बढ़ रही थी प्रणव का कहनासुनना बढ़ता जा रहा था और तनु की सहनशीलता खत्म होती जा रही थी.

तनु जानती है कि अमेरिका में रह रहे बेटे के विवाह कर लेने की खबर प्रणव बरदाश्त नहीं कर पा रहे हैं, बल्कि उन के अहम को चोट पहुंची है. अब तक हर बात का फैसला लेने का एकाधिकार उस से छिन जो गया था. प्रणव की नजरों में इस के  लिए तनु ही दोषी है. बच्चों को अच्छे संस्कार जो नहीं दे पाई है…यही तो कहते हैं प्रणव बच्चों की हर गलती या जिद पर.

जबकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि बच्चों के बारे में किसी भी तरह का निर्णय लेने का कोई अधिकार उन्होंने तनु को नहीं दिया. यहां तक कि उस के गर्भ के दौरान किस डाक्टर से चैकअप कराना है, क्या खाना है, कितना खाना है आदि बातों में भी अपनी ही मर्जी चलाता. शुरू में तो तनु को यह बात अच्छी लगी थी कि कितना केयरिंग हसबैंड मिला है लेकिन धीरेधीरे पता चला यह केयर नहीं, अपितु स्टेटस का सवाल था.

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कितना चाहा था तनु ने कि बेटी कला के क्षेत्र में नाम कमाए पर उसे डाक्टर बनाना पड़ा, क्योंकि प्रणव यही चाहते थे. बेटे को आई.ए.एस. बनाने की चाह भी तनु के मन में धरी की धरी रह गई और वह प्रणव के आदेशानुसार वैज्ञानिक ही बना, जो आजकल नासा में कार्यरत है.

ऐसा नहीं कि बच्चों की सफलता से तनु खुश नहीं है या बच्चे अपने प्राप्यों से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन यह भी सत्य है कि प्रणव इस सब से इसलिए संतुष्ट हैं कि बच्चों को इन क्षेत्रों में भेजने से वह और तनु आज सोसाइटी में सब से अलग नजर आ रहे हैं.

पूरी जिंदगी सबकुछ अपनी इच्छा और पसंद को ही सर्वश्रेष्ठ मानने की आदत होने के कारण बेटे की शादी प्रणव को अपनी हार प्रतीत हो रही है. यही हार गुस्से के रूप में पिछले एक सप्ताह से किसी न किसी कारण तनु पर निकल रही है. प्रणव को वैसे भी गुस्सा करने का कोई न कोई कारण सदा से मिलता ही रहा है.

प्रणव यह क्यों नहीं समझते कि बेटे के इस तरह विवाह कर लेने से तनु को भी तो दुख हुआ होगा. पर उन्हें उस की खुशी या दुख से कब सरोकार रहा है. जब बेटे का फोन आया था तो तनु ने कहा भी था,  ‘खुशी है कि तुम्हारी शादी होगी, लेकिन तुम अगर हमें अपनी पसंद बताते तो हम यहीं बुला कर तुम्हारी शादी करवा देते. सभी लोगों को दावत देते…वहां बहू को कैसा लगेगा, जब घर पर नई बहू का स्वागत करने वाला कोई भी नहीं होगा.’

‘क्या मौम आप भी, कोई कैसे नहीं होगा, दीदी और जीजाजी आ रहे हैं न. आप को तो पता है कि अपनी पसंद बताने पर पापा कभी नहीं होने देते यह शादी. दीदी की बार का याद नहीं है आप को. डा. सोमेश को तो दीदी ने उस तरह पसंद भी नहीं किया था. बस, पापा ने उन्हें रेस्तरां में साथ बैठे ही तो देखा था. घर में कितने दिनों तक हंगामा रहा था. दीदी ने कितना कहा था कि डा. सोमेश केवल उन के कुलीग हैं पर कभी पापा ने सुनी? उन्होंने आननफानन में कैसे अपने दोस्त के डा. बेटे के साथ शादी करवा दी. यह ठीक है कि  जीजाजी भी एकदम परफेक्ट हैं.

‘सौरी मौम, मेरी शादी के कारण आप को पापा के गुस्से का सामना करना पडे़गा. रीयली मौम, आज मैं महसूस करता हूं कि आप कैसे उन के साथ इतने वर्षों से निभा रही हैं. यू आर ग्रेट मौम…आई सेल्यूट यू…ओ.के., फोन रखता हूं. शादी की फोटो ईमेल कर दूंगा.’

तनु बेटे की इन बातों से सोच में पड़ गई. सच ही तो कहा था उस ने. लेकिन वह गुस्सा एक बार में खत्म नहीं हुआ था. पिछले एक सप्ताह से रोज ही उसे इस स्थिति से दोचार होना पड़ रहा है. सुबह यही तो हुआ था जब प्रणव ने पूछा था, ‘सुना, कल तुम निमिषा के यहां गई थीं.’

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‘हां.’

‘मुझे बताया क्यों नहीं.’

‘कल रात आप बहुत लेट आए तो ध्यान नहीं रहा.’

‘‘ध्यान नहीं रहा’ का क्या मतलब है, फोन कर के बता सकती थीं. कोई काम था वहां?’

‘निमिषा बहुत दिनों से बुला रही थी. कालिज में कल शाम की क्लास थी नहीं, सोचा उस से मिलती चलूं.’

‘तुम्हें मौका मिल गया न मुझे नीचा दिखाने का. तुम्हें शर्म नहीं आई कि बेटे ने ऐसी करतूत की और तुम रिश्तेदारी निभाती फिर रही हो.’

‘निमिषा आप की बहन होने के साथसाथ कालिज के जमाने की मेरी सहेली भी है…और रही बात बेटे की, तो उस ने शादी ही तो की है, गुनाह तो नहीं.’

‘पता है मुझे, तुम्हारी ही शह से बिगड़ा है वह. जब मां बिना पूछे काम करती है तो बेटे को कैसे रोक सकती है. भूल जाती हो तुम कि अभी मैं जिंदा हूं, इस- घर का मालिक हूं.’

‘मैं ने क्या काम किया है आप से बिना पूछे. इस घर में कोई सांस तो ले नहीं सकता बिना आप की अनुमति के…हवा भी आप से इजाजत ले कर यहां प्रवेश करती है…जिंदगी की छोटीछोटी खुशियों को भी जीने नहीं दिया…यह तो मैं ही हूं कि जो यह सब सहन करती रही….’

आगे पढ़ें- शादी के बाद कितने समय तक…

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फूलप्रूफ फार्मूला: भाग 2- क्या हो पाई अपूर्वा औऱ रजत की शादी

चलने से पहले रजत ने पूछा कि क्या वह कल फिर बच्चों से मिलने को आ सकता है और अपूर्वा के बोलने से पहले ही मांपापा ने सहर्ष सहमति दे दी. चूंकि उसे उसी रात वापस जाना था.

अगले रोज रजत अपूर्वा के लौटने से पहले ही आ कर चला गया.

‘‘कहता था 10-15 दिन बाद वह फिर आ सकता है,’’ मां ने बताया.

अपूर्वा कहतेकहते रुक गई कि हो सकता है तब उस के साथ निक्की का टूर नहीं बनता तो वह स्वयं उस से मिलने जाएगी. वह जानती थी, निक्की के फैसले के पीछे उस की व्यथाकथा ही नहीं, निक्की की अपनी अमेरिकन बैंक की नौकरी का दर्प भी था. उसे समझाना होगा कि चंद साल के बाद जब सब सहकर्मियों और दोस्तों की शादियां हो जाएंगी तो प्रभुत्व वाली नौकरी के बावजूद उसे लगने लगेगा कि वह नितांत अकेली, असहाय और अस्तित्वहीन है.

एक शाम घर लौटने पर अपूर्वा ने देखा रजत बच्चों के साथ क्रिकेट खेल रहा था. कुछ देर के बाद वह अंदर आया.

‘‘निक्की का टूर नहीं बनवा सके?’’ उस ने कुछ देर के बाद पूछा.

‘‘बनवाने की कोशिश ही नहीं की,’’ रजत ने उसांस ले कर कहा, ‘‘मुझे आप का यह तर्क समझ में आया कि बगैर आप के अलगाव की वजह जाने इतना अहम फैसला कैसे ले लिया और उस के घर वालों ने कैसे लेने दिया.’’

‘‘सही कह रहे हैं आप,’’ अपूर्वा ने बात काटी, ‘‘मां तो मधु मौसी को हरेक छोटीबड़ी बात बताती हैं. ऐसा हो ही नहीं सकता कि समीर की असलियत के बारे में उन्हें न बताया हो या मेरे लिए फिर से उपयुक्त वर तलाशने के लिए न कहा हो.’’

‘‘इस से तो यही जाहिर होता है कि निखिला शादी ही नहीं करना चाहती, आप का अलगाव महज बहाना है,’’ रजत हंसा.

‘‘प्रभुत्व वाली नौकरी मिलते ही कुछ लड़कियां और मांबाप घमंड में गलत सोचने लगते हैं. मैं मौसी और निक्की से बात करूंगी,’’ अपूर्वा ने आश्वासन के स्वर में कहा.

‘‘आप की मर्जी है. निखिला की बचकानी मनोस्थिति जानने के बाद मेरी अब उस में कोई दिलचस्पी नहीं रही है. वैसे भी वह कभी दिल्ली छोड़ना नहीं चाहती और मुझे तो जहां तरक्की मिलेगी, वहां जाऊंगा,’’ रजत मुसकराया.

‘‘बिलकुल सही एप्रोच यानी जिंदगी के प्रति सही रवैया है,’’ अपूर्वा बोली, ‘‘कितने दिन का टूर है?’’

‘‘अरे, मैं ने आप को बताया नहीं कि मेरी यहां यानी नई ब्रांच में पोस्ंिटग हो गई है.’’

‘‘जाहिर है तरक्की पर ही हुई होगी सो कुछ पार्टीवार्टी होनी चाहिए.’’

‘‘जरूर…अभी चलिए, किसी बढि़या जगह पर डिनर लेते हैं,’’ समीर फड़क कर बोला.

‘‘बाहर क्यों, घर पर ही बढि़या खाना बनवा लेते हैं.’’

‘‘आज तो बाहर ही खाएंगे. घर पर तो आप रोज ही खाती हैं और जब यहां आ गया हूं तो मैं भी अकसर ही खाया करूंगा बशर्ते आप को मेरे आने पर एतराज न हो.’’

‘‘अरे, नहीं, एतराज कैसा और हो भी तो मांपापा के सामने उस की कोई अहमियत नहीं होगी. यह बताइए, कहां चलना है ताकि उस के मुताबिक तैयार हुआ जाए.’’

‘‘वह तो आप को ही बताना पड़ेगा. कोई ऐसी जगह जहां बच्चे मौजमस्ती कर सकें.’’

‘‘हमारी मौजमस्ती तो जू या टै्रजर आईलैंड में होती है,’’ प्रभव बोला, ‘‘मगर वह तो अभी बंद होंगे.’’

‘‘अभी शौपर स्टौप खुला होगा, वहीं चलते हैं,’’ प्रणव ने कहा.

‘‘वहां तो कपड़े मिलते हैं भई और हम खाना खाने जा रहे हैं,’’ रजत हंसा.

‘‘नहीं अंकल, आप चलिए तो सही फिर देखिएगा कि वहां क्याक्या मिलता है,’’ प्रणवप्रभव दोनों बोले.

‘‘वहां मिलता तो बहुत कुछ है लेकिन सब इन के मतलब का,’’ अपूर्वा हंसी, ‘‘पिज्जा, बर्गर, आइसक्रीम या चाट.’’

‘‘अरे, वाह, चाट खाए मुद्दत हो गई… वही खाएंगे. आप को पसंद है न?’’

‘‘है तो, मगर बात तो कहीं बढि़या खाने की हो रही थी.’’

‘‘किसी और दिन, आज तो बच्चों की पसंद की जगह चलेंगे,’’ रजत ने दृढ़ता से कहा.

बाहर जाने और खाने के मौके तो अकसर ही आते रहते थे लेकिन अपूर्वा को बढि़या खाना खिलाने का मौका नहीं आया क्योंकि रजत बच्चों के बगैर कहीं जाता नहीं था और बच्चे फास्ट फूड वाली जगह जाने की ही जिद करते थे. धीरेधीरे रजत परिवार के सदस्य जैसा ही होता जा रहा था. विद्याभूषण सेवानिवृत्ति के बाद क्या करेंगे, पैसे को कहां निवेश करना होगा वगैरा अहम मुद्दों पर उस से सलाह ली जाती थी. एअरकंडीशनर की सर्विसिंग या वाशिंग मशीन की मरम्मत वह सामने बैठ कर करवाता था.

‘‘हम तुम्हें छुट्टी के रोज भी चैन से नहीं बैठने देते, किसी न किसी काम के लिए बुला ही लेते हैं,’’ एक रोज मां ने कहा.

‘‘अच्छा है, नहीं तो मुझे बिन बुलाए आना पड़ता,’’ रजत हंसा, ‘‘घर में अकेले बैठने के बजाय यहां आ कर बच्चों के साथ मन बहला लेता हूं. उन की छुट्टी भी हंसीखुशी से कट जाती है और मेरी भी. जानती हैं मां, बचपन में छुट्टी का दिन मेरे लिए बहुत बुरा होता था क्योंकि सभी दोस्त छुट्टी के रोज अपने पापा के साथ खेलते थे…किसी के पास मेरे लिए फुरसत नहीं होती थी.’’

‘‘यही सोच कर छुट्टी का दिन यह भी बच्चों के साथ गुजारते हैं मगर जितने खुश वे तुम्हारे साथ होते हैं हमारे नहीं. उम्र का फर्क बहुत माने रखता है,’’ मां ने उसांस ले कर कहा.

‘‘आप ठीक कह रही हैं. दादाजी के साथ उतना मजा नहीं आता जितना चाचाजी के आने पर या छुट्टियों में मामा के घर जाने पर आता था.’’

‘‘वह लोग तुम्हें शादी करने को नहीं कहते?’’

‘‘वही नहीं, अब तो यहां के पासपड़ोस वाले भी कहते हैं,’’ रजत हंसा, ‘‘बस, आप ही नहीं कहतीं.’’

‘‘अगर कहूं तो मानोगे?’’

‘‘यह तो आप को कहने के बाद ही पता चलेगा,’’ रजत हंसा.

इस से पहले कि मां कुछ कहतीं, प्रभवप्रणव पतंग ले कर आ गए और रजत उन के साथ व्यस्त हो गया.

रजत के जाने के बाद मां ने यह बात अपूर्वा को बताई.

‘‘कहने में क्या जाता है, कह देना था,’’ अपूर्वा हंसी.

‘‘कैसे कुछ नहीं जाता?’’ मां ने तुनक कर पूछा, ‘‘मेरी कोई इज्जत नहीं है क्या?’’

‘‘आप का खयाल है कि वह मना कर देता?’’

‘‘उस ने नहीं तू ने मना करना था क्योंकि उस ने तो तेरा हाथ मांगना था और मुझे कहना पड़ता कि मैं अपनी बेटी की तरफ से कोई फैसला नहीं कर सकती.’’

‘‘तुम कुछ ज्यादा ही अटकल लगाने लग गई हो मां. आप ने यह कैसे सोच लिया कि रजत को मुझ में दिलचस्पी है, मेरे से ज्यादा वह बच्चों और आप लोगों के साथ समय गुजारता है.’’

‘‘तुझे खुश करने के लिए. वैसे तू इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि उसे बच्चों से बहुत लगाव है.’’

‘‘वह तो है मां, लेकिन अगर यह लगाव महज मेरी खुशी के लिए है तो मेरे खुश होने के बाद यानी हमारी शादी के बाद बच्चे बहुत दुखी हो जाएंगे और वह मैं कभी बरदाश्त नहीं कर सकूंगी कि शादी के बाद रजत उन के बजाय मेरे साथ ज्यादा समय बिताए यानी इस रिश्ते से उन से रजत अंकल ही नहीं उन की मां भी छिन जाए,’’ अपूर्वा बोली, ‘‘और मुझे तो शादी अपनी नहीं बच्चों की खुशी के लिए करनी है.’’

आगे पढ़ें- मां अपूर्वा के तर्क को काट तो…

लौट जाओ शैली: भाग 1- विनीत ने क्या किया था

लेखिका- विनिता राहुरीकर

‘‘पूनम, राज को फोन कर के बता दो कि जिम का केबल टूट गया है और कोने वाली ट्रेडमिल की मोटर जल गई है. और राज आए तो क्रौस ट्रेनर के नटबोल्ट कसने को भी बोल देना. बहुत आवाज कर रहा है,’’ शैली ने कहा.

‘‘अच्छा मैं अभी फोन कर देती हूं,’’ कह कर फ्रंट डैस्क पर बैठी पूनम राज को फोन लगाने लगी. राज जिम का नियमित सर्विसमैन है. जब भी जिम के उपकरणों में कोई खराबी होती है वही आ कर ठीक करता है.

तभी जिम का मालिक विनीत आ गया. विनीत को देख कर शैली के चेहरे पर चमक आ गई. वह विनीत के केबिन में जा कर उस से बातें करने लगी. विनीत के शहर में 4 जिम थे. शैली फिजियोथेरैपिस्ट थी और ट्रेनर भी. वह विनीत को उस दिन के काम का ब्योरा देने लगी और नए ऐडमिशन के बारे में बताने लगी. विनीत प्रसन्न हो गया, क्योंकि शैली ने पिछले हफ्ते में 8 नए ऐडमिशन करवाए थे. विनीत ने उस के काम की तारीफ की तो शैली खुश हो गई. थोड़ी देर बातें करने के बाद विनीत शैली को साथ ले कर अपने दूसरे जिम की ओर चला गया. दूसरे जिम में सब जगह चक्कर लगाने के बाद विनीत और शैली केबिन में जा कर बैठ गए. विनीत घर से नाश्ता ले कर आया था. दोनों बैठ कर नाश्ता करने लगे. 1 घंटा बाद विनीत तीसरे जिम में चला गया. शैली वहीं रह गई और लोगों को ऐक्सरसाइज करने की ट्रेनिंग देने लगी. जिम बंद होने के बाद शैली घर चली गई. वह एक छोटे से बैडरूम वाले फ्लैट में किराए पर रहती थी. शैली कपड़े बदल कर सो गई क्योंकि जिम जाने के लिए वह सुबह साढ़े 4 बजे उठती थी. शाम को वह फिर जिम में चली जाती थी.

शैली सागर की रहने वाली है. उस के पिता एक स्कूल में अध्यापक हैं. शैली 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर पर है. उस से बड़ी 2 बहनें और 1 छोटा भाई है. चारों बच्चों के पालनपोषण और पढ़ाईलिखाई का खर्च उस के पिता जैसेतैसे चला रहे थे. वे शाम को ट्यूशन भी पढ़ाते. दरअसल, 2 बड़ी बहनों का विवाह करने में वे गले तक कर्ज में डूब गए थे. शैली फिजियोथेरैपिस्ट की पढ़ाई करने भोपाल आ गई. उस के पिता उस की पढ़ाई और रहने का खर्च उठाने में समर्थ नहीं थे, लेकिन महत्त्वाकांक्षी शैली ने उस तंगहाली से बाहर निकलने के लिए कमर कस ली. थोड़े पैसे ले कर वह भोपाल आ गई. यहां पार्टटाइम नौकरी कर ली और वर्किंग विमंस होस्टल में रह कर अपनी पढ़ाई भी करती रही. पढ़ाई पूरी होने के बाद शैली ने कई जगह नौकरी के लिए कोशिश की. उसी दौरान अपनी एक सहेली के साथ वह विनीत के जिम आई.

जिम के एक ट्रेनर से ही शैली को पता चला था कि विनीत को एक फिजियोथेरैपिस्ट की जरूरत है. शैली विनीत से मिली. खूबसूरत, स्मार्ट शैली के बात करने के अंदाज से विनीत काफी प्रभावित हुआ. उस ने शैली को अपने जिम में बतौर फिजियोथेरैपिस्ट नियुक्त कर लिया. चतुर और महत्त्वाकांक्षी शैली ने बहुत जल्द ही विनीत की नजरों में अपनी साख बना ली. साल भर में ही वह विनीत के चारों जिम के कई महत्त्वपूर्ण काम संभालने लगी. उस ने अपने लिए एक स्कूटी खरीद ली और होस्टल छोड़ कर यह फ्लैट किराए पर ले लिया.

विनीत अपने बहुत कुछ काम शैली को सौंप कर निश्चिंत था. कुशाग्र बुद्धि शैली बहुत जल्द मशीनों के बारे में और ट्रेनिंग के बारे में भी सीख गई. जिम पर ही नहीं उस ने विनीत के दिल पर भी कब्जा कर लिया. पहले साथ में गाड़ी में घूमना, बाहर खाना खाना. फिर एक के बाद एक सीमाएं टूटती गईं और जिस दिन शैली ने होस्टल छोड़ कर फ्लैट में शिफ्ट किया, उस दिन के बाद से तो दोनों के बीच की सारी वर्जनाएं समाप्त हो गईं. यह फ्लैट भी बहुत कम किराए पर विनीत ने ही उसे दिलवाया था. यहां दोपहर में और रात में भी विनीत का आनाजाना प्रारंभ हो गया.

लेकिन जिम की ऐनुअल पार्टी में शैली को यह जान कर गहरा धक्का लगा कि विनीत न सिर्फ शादीशुदा है वरन जल्द ही बाप भी बनने वाला है. शैली उस दिन खूब रोई. 4 दिन तक वह जिम भी नहीं गई. उस ने सागर लौट जाने का फैसला कर लिया, लेकिन तभी विनीत ने अपनी पत्नी को डिलिवरी के लिए अपने मातापिता के पास भेज दिया और छोटे बच्चे की देखभाल के बहाने उसे महीनों अपने पास रखा. इस बीच उस ने शैली को अपनी मीठी बातों से मना लिया. ‘‘मेरी किस्मत का दोष है कि तुम मुझे पहले नहीं मिलीं. प्यार तो मैं तुम से ही करता हूं. तुम मुझे छोड़ कर चली जाओगी तो मैं कैसे जिऊंगा. अगर तुम मेरे जीवन में पहले आ जातीं, तो मैं तुम से ही शादी करता. मेरा सच्चा प्यार तो तुम्हीं हो शैली,’’ वह बारबार बोला तो शैली भावनाओं में बह गई. वैसे भी वह विनीत के साथ शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत गहराई से जुड़ गई थी.

शैली की मां ने उसे बहुत बार वापस बुलाया कि पढ़ाई खत्म हो चुकी है अब वापस आ जाओ, लेकिन बड़ा शहर उस पर विनीत से रिश्ता. और इन सब से ऊपर जिम का आधुनिक व उन्मुक्त ग्लैमरस वातावरण जिन के आकर्षण में वह ऐसी फंस गई कि घर वापस जाने को तैयार नहीं होती थी. फिर दिनबदिन वह चारों जिम की जिम्मेदारियों में उलझती गई. 2 साल बाद विनीत ने अपने दोस्त की सैकंड हैंड कार शैली को दिलवा दी. अब शैली कार से आतीजाती.

जिम के दूसरे ट्रेनर और पुराने कस्टमर शैली और विनीत के रिश्ते के बारे में जानने लगे मगर दोनों को ही कोई कुछ कहता नहीं था. विनीत की प्रतिष्ठा देख कर उसे तो कोई कुछ कहने की हिम्मत करता नहीं था, लेकिन ट्रेनर लोग आपस में बातें करते समय शैली को विनीत की ‘कीप’ यानी रखैल कहते थे. पूनम जो जिम में शैली की अच्छी सहेली थी, उस ने ही यह बात उसे बताई थी. सुन कर शैली को बहुत बुरा लगा मगर करती भी क्या, बात कोई गलत तो थी नहीं, इसलिए खून का घूंट पी कर रह गई. एक दिन शैली की मां का फोन आया, ‘‘बेटा, बहुत अच्छा रिश्ता आया है. लड़का दिखने में भी बहुत अच्छा है और घरपरिवार, रुपयापैसा सब अच्छा है. बस अब तू यहां आ जा.’’

‘‘मां मैं ने कितनी बार कहा है कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती. अभी मेरी उम्र ही क्या है. अभी मुझे पढ़ने और काम करने दो प्लीज,’’ शैली ने उकताहट भरे स्वर में कहा.

‘‘अरी अभी नहीं तो क्या बुढ़ापे में शादी करेगी?’’ शैली की मां झल्ला कर बोलीं.

‘‘ओहो तुम भी मां… आजकल क्या लड़कियां इतनी जल्दी शादी करती हैं? शादी के बाद तो घरगृहस्थी में फंसे रहना है. कम से कम अभी तो मुझे चैन से और अपने मन की जिंदगी जीने दो. 2-4 साल बाद जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करूंगी,’’ शैली हर बार अपनी शादी की बात को 2-4 साल के लिए टाल कर अपनी मां को निरुत्तर कर देती.

दूसरे दिन दोपहर में शैली जिम से घर आई और नहाने गई. नहा कर वह गैलरी में खड़ी हो कर बाल सुखा रही थी कि तभी नीचे पोर्च में विनीत की कार आ कर रुकी. शैली खुश हो गई, क्योंकि आज उस ने जिम में जब पूछा तो विनीत ने मना कर दिया था आने के लिए. विनीत के बैल बजाने से पहले ही शैली ने दरवाजा खोल दिया.

‘‘क्या बात है डार्लिंग, आज तो नहाधो कर फ्रैश हो कर हमारे स्वागत के लिए खड़ी हो?’’ विनीत ने दरवाजा खुलते ही शैली की कमर में अपनी बांह का घेरा डालते हुए कहा.

‘‘चलो हटो. तुम तो आज आने वाले नहीं थे न ?’’ शैली ने बड़ी अदा से कहा.

‘‘अरे जानेमन, हम ने सोचा कि चलो आप को सरप्राइज दें. हम आप के लिए एक तोहफा लाए हैं,’’ कह कर विनीत ने नीचे जा कर 2 आदमियों की सहायता से एक टीवी ऊपर ला कर ड्राइंगरूम में रखवा दिया.

उन आदमियों के जाने के बाद विनीत ने शैली को बांहों में लेते हुए कहा, ‘‘कल मैं इस का कनैक्शन करवा दूंगा. देखा मैं तुम्हारा कितना खयाल रखता हूं. अब तुम भी मेरा थोड़ा खयाल रखो,’’ और विनीत शैली को बैडरूम में ले गया. एक दिन जिम में 2 लड़के आए. उन्होंने 3 महीने का पैकेज लिया. शैली ने दोनों का ऐडमिशन करवा लिया. एक लड़के का नाम आकाश और एक का नाम अनिल था. दूसरे दिन से अनिल और आकाश नियमित रूप से जिम आने लगे. शैली ही उन लोगों को ट्रेनिंग देती. धीरेधीरे शैली को लगने लगा कि आकाश उस में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहा है. वह कुछ भी पूछने या सिखाने के बहाने शैली को अपने आसपास ही बनाए रखता. शैली को भी आकाश अच्छा लगने लगा. वह भी उस के आसपास रहना पसंद करने लगी, क्योंकि आकाश था बहुत हैंडसम. विनीत के अलावा यदि किसी अन्य युवक ने शैली को अपनी ओर आकर्षित किया तो वह आकाश ही था.

अजंता: भाग 5- आखिर क्या हुआ पूजा के साथ

लेखक- सुधीर मौर्य

प्रशांत की बात सुन कर अजंता को तेज धक्का लगा. अजंता कुछ कह पाती उस से पहले ही प्रशांत फिर बोल उठा, ‘‘और यह लड़का क्या उलटी बात कर रहा है. अरे जो हुआ सो हुआ. अब इस लड़की की इज्जत इसी में है कि चुप रहे.’’

‘‘और इस के साथ जो अपराध हुआ उस का क्या और अपराधियों को क्या खुला छोड़ दिया जाए?’’

‘‘अरे नेता तुम हो या मैं, यह क्या नेताओं सी बातें कर रही हो,’’ प्रशांत का लहजा तल्ख हो गया.

‘‘अरे हां याद आया, आप तो नेता हैं, तो क्या आप इस पीडि़त लड़की को न्याय दिलाने में मदद नहीं करेंगे?’’ अजंता ने भी तल्ख लहजे में पूछा.

‘‘देखो अजंता, मैं आज की शाम तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं, इस के लिए तुम्हें ढूंढ़ता हुआ यहां तक आया. चलो कहीं बैठ कर डिनर करते हैं.’’

‘‘प्रशांत यह तो संवेदनहीनता है. हमें यहां रुकना चाहिए और पूजा के साथ पुलिस स्टेशन भी चलना चाहिए.’’

‘‘हमारे घर की औरतें पुलिस स्टेशन नहीं जातीं, इसलिए इस लड़की के साथ मैं तुम्हें पुलिस स्टेशन जाने की इजाजत नहीं दूंगा.

‘‘पर प्रशांत?’’

‘‘परवर कुछ नहीं अजंता, तुम मेरे साथ चलो.’’

अजंता और प्रशांत की बहस चल ही रही थी कि तभी शशांक, पूजा को वरदान सर की गाड़ी में बैठा कर 2-3 अन्य लोगों के साथ पुलिस स्टेशन निकल गया.

‘‘मुहतरमा वे लोग गए हैं पुलिस स्टेशन. वे मामला हैंडल कर लेंगे. चलो हम लोग चलते हैं,’’ प्रशांत ने कोमल अंदाज में कहा.

अजंता थकी चाल चल कार में बैठ गई. पूरा रास्ता प्रशांत बोलता रहा. उस ने कहा कलपरसों में दोनों फैमिली वाले मिल कर शादी की डेट फिक्स करने वाले हैं. अजंता पूरा रास्ता चुप रही या फिर हां हूं करती रही.

एक शानदार रैस्टोरैंट के सामने प्रशांत ने गाड़ी रोकी. अंदर आ कर उस ने खाने का और्डर दिया. अजंता क्या खाना पसंद करेगी, उस ने यह तक न पूछा. सब अपनी पसंद की डिश मंगवा लीं.

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वेटर खाना सर्व कर गया.

पहला कौर खाते हुए अजंता ने कहा, ‘‘बेचारी लड़की के साथ बड़ा अपराध हुआ है.’’

‘‘अपराध तो उस लड़के के साथ होगा जिस से इस लड़की की शादी होगी और जब उसे पता चलेगा कि कभी उस की बीवी का बलात्कार हुआ था.’’

प्रशांत की यह बात सुन कर अजंता को ऐसा लगा जैसे उस के मुंह में खाना नहीं, बल्कि कीचड़ रखा हो और उसे अभी उलटी हो जाएगी.

दूसरी घटना…

अजंता और प्रशांत की शादी की डेट फिक्स हो गई थी. दोनों परिवारों में

शादी की तैयारियां शुरू हो गई थीं. इन्विटेशन कार्ड छपने चले गए थे. प्रशांत, अजंता पर और ज्यादा अधिकार जताने लगा था. अजंता के मन में न जाने क्यों अपनी शादी को ले कर उल्लास की कोई भावना जन्म नहीं ले पा रही थी.

अपनी शादी के कार्ड अजंता ने कालेज में बांटे पर न जाने क्या सोच कर उस ने शशांक को कार्ड नहीं दिया. अजंता की शादी की डेट जानने के बाद भी शशांक पर कोई असर नहीं हुआ. वह मस्तमौला बना रहा. उसे यों मस्तमौला देख कर अजंता ने सोचा उस के प्रति शशांक के प्यार का दावा केवल आकर्षण और टाइमपास भर था.

शशांक ने पूजा की हैल्प की. उस की लड़ाई में सहायक बना. उस की कोशिशों से कालेज में ही पढ़ने वाला एक लड़का हेमंत और उस का एक दोस्त पूजा के बलात्कार के जुर्म में पकड़े गए.

एक दिन शशांक कालेज कैंटीन में अजंता को मिला तो उस ने पूछा, ‘‘क्यों मुझ से शादी करने का खयाल दिल से बायबाय हो गया?’’ अजंता ने भीतर से गंभीर हो कर किंतु बाहर से ठिठोली के अंदाज में उस से पूछा.

‘‘आप से शादी करने का खयाल तो तब भी दिल में रहेगा जब आप की शादी हो चुकी होगी मैम,’’ शशांक ने चाय मंगवाने के बाद अजंता के सवाल का जवाब दिया.

‘‘ओह, इतना प्यार करते हो मुझ से, तो मेरे बिना कैसे रह पाओगे?’’ अजंता ने चाय का घूंट भर कर पूछा.

‘‘रह लेंगे?’’ शशांक ने संक्षिप्त जवाब दिया.

‘‘बिना सहारे के?’’ अजंता ने फिर सवाल किया.

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‘‘बिना सहारे के तो मुश्किल होगा.’’

‘‘फिर किस के सहारे?’’

‘‘पूजा से शादी कर लूंगा,’’ शशांक ने गंभीरता से कहा. अजंता ने शशांक को पहली बार इतना गंभीर देखा था.

‘‘ये जानते हुए भी कि उस की इज्जत लुट चुकी है?’’ शशांक की आंखों में देखते हुए अजंता ने पूछा, ‘‘क्या ऐसी लड़की से शादी कर के तुम्हें तकलीफ नहीं होगी जो वर्जिन न हो.’’

‘‘तकलीफ कैसी? यह तो गर्व की बात होगी मैम कि एक ऐसी बहादुर लड़की मेरी बीवी है जिस ने एक सामाजिक अपराध के खिलाफ आवाज बुलंद की.’’

शशांक की बात सुन कर अजंता की आंखें शशांक के सम्मान में झुक गईं.

यह वह दौर था जब बस मोबाइल फोन लौंच ही हुए थे. प्रशांत ने शादी से एक दिन पहले ही अजंता को फोन गिफ्ट किया था. शादी लखनऊ में होने वाली थी. अजंता की फैमिली और रिश्तेदार लखनऊ आ चुके थे. दोनों फैमिली एक ही होटल में रुकी हुई थीं. शादी के लिए पूरा होटल बुक किया गया था.

शादी वाले दिन जैसेजैसे शादी की घड़ी नजदीक आ रही थी अजंता के मन में

एक कसक उठती जा रही थी. अचानक उसे खयाल आया कि उसे कम से शशांक को शादी का इन्विटेशन कार्ड तो देना ही चाहिए था.

शशांक को कार्ड न देना असल में अब अजंता को कचोट रहा था. उसे लग रहा था उस ने गलती की है. फिर अचानक उस ने अपनी गलती सुधारने का फैसला किया. अपने लेडीज पर्स में एक इन्विटेशन कार्ड रखा और होटल से बाहर निकल कर टैक्सी में बैठ गई.

प्रशांत यों ही अजंता से मिलने के लिए उस के रूम में गया. वह वहां नहीं थी. उस के मम्मीपापा से पूछा. उन्हें भी पता नहीं था. होटल में अजंता को न पा कर प्रशांत ने अजंता को

फोन किया.

पर्स से निकाल कर अजंता ने ज्यों ही फोन रिसीव किया दूसरी ओर से प्रशांत ने अधिकारपूर्वक पूछा, ‘‘कहां हो तुम?’’

‘‘एक जानने वाले को इन्विटेशन कार्ड देने जा रही हूं.’’

‘‘कोई जरूरत नहीं, वापस आ जाओ,’’ प्रशांत बोला.

‘‘अरे उसे नहीं बुलाया तो उसे बुरा लगेगा,’’ अजंता ने समझाना चाहा.

‘‘लगता है बुरा तो लगे… मैं कह रहा हूं तुम लौट आओ.’’

‘‘उसे कार्ड दे कर तुरंत आती हूं.’’

‘‘नो… जहां हो वहीं से वापस आ जाओ.’’

‘‘अरे मैं बस पहुंचने ही वाली हूं वहां.’’

‘‘यू बिच… मैं ने तुम्हारी बहुत हरकतें बरदाश्त कर लीं… अब शादी के बाद ऐसी हरकतें नहीं चलेंगी. चलो, तुरंत वापस आओ.’’

प्रशांत की गाली सुन कर अजंता को ऐसे लगा जैसे उस के कानों में किसी ने पिघला शीशा डाल दिया हो. लाइफ में पहली बार उसे किसी ने गाली दी थी और वह भी उस के होने वाले पति ने. ग्लानि से अजंता का दिल बैठ गया. उस ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया. प्रशांत ने फोन किया तो अजंता ने फिर काट दिया. उस ने फिर फोन किया तो अजंता ने फोन स्विचऔफ कर दिया. अजंता ने सोचा अगर उस ने अब एक भी शब्द इस शख्श का और सुना तो उस का वजूद ही खत्म हो जाएगा. धड़कते दिल के साथ अजंता शशांक के रूममें पहुंची.

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‘‘अरे मैम आप यहां? आज तो आप की शादी है,’’ अजंता को अपने यहां आया देख कर शशांक ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘आप के बिना मेरी शादी कैसे हो सकती है,’’ कह कर अजंता उस के रूम के भीतर आ गई.

‘‘आज सरकार कुछ बदलेबदले नजर आ रहे हैं,’’ शशांक ने शरारत से कहा तो अजंता ने पूछ लिया, ‘‘कैसे बदलेबदले?’’

‘‘आज मुझे ‘तुम’ की जगह ‘आप’ कह रही हैं आप?’’

‘‘और अगर मैं कहूं कि मैं आप को ताउम्र ‘आप’ कहना चाहती हूं तो?’’ कह अजंता ने शशांक की गहरी आंखों में झांका.

‘‘इस के लिए तमाम उम्र साथ रहना पड़ेगा मैम. क्या आप के होने वाले पति रहने देंगे?’’ शशांक की शरारत जाग उठी.

‘‘यकीनन रहने देंगे.’’

‘‘इतना यकीन?’’ शशांक ने अजंता की आंखों में झांकते हुए पूछा, ‘‘ठीक है उन से पूछ लो फिर.’’

शशांक की बात सुन कर कुछ देर के लिए खामोश रह गई अजंता. फिर उस के करीब आते हुए बोली, ‘‘क्या मुझे अपने शशांक के पास रहने देंगे आप?’’

अजंता की बात कुछ समझते, कुछ न समझते हुए शशांक ने पूछा, ‘‘मतलब मैम?’’

‘‘मतलब मैं सबकुछ छोड़ कर आई हूं आप के पास…  आज आप

की कोशिश कामयाब हो गई है, शशांक. आज मैं आप को अपने इश्क में गिरफ्तार करने आई हूं.’’

‘‘मैं तो कब से आप के इश्क में गिरफ्तार हूं मैम,’’ शशांक ने अजंता को कंधों से पकड़ कर तनिक करीब खींचा.

‘‘मैम नहीं अजंता कहो,’’ अजंता ने शशांक के सीने में मुंह छिपा कर कहा.

‘‘अजंता,’’ शशांक ने जब एक लंबी सांस ले कर कहा तो अजंता पूरी तरह से उस के गले लग गई और फिर उस के होंठों से मद्धिम स्वर में निकला, ‘‘लव यू शशांक.’’

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हम साथ साथ हैं: भाग 3- क्या जौइंट फैमिली में ढल पाई पीहू

अगले रविवार पीहू सुबह से ही चहक रही थी. हर्ष और उस के मम्मीपापा को 11 बजे आना था. रेखा चाय, नाश्ते और लंच की तैयारी कर रही थी. घर के कामकाज के लिए तो नौकर थे लेकिन खाना बनाने का काम वह खुद करती थी. नौकरों से खाना बनाना उसे पसंद नहीं था, क्योंकि नईनई डिश बनाने का शौक उसे छुटपन से रहा है.

वैसे भी, छोटी सी फैमिली के लिए खाना बनाना उस के लिए कोई मुश्किल काम नहीं था.

रेखा ने चाय के साथ के लिए स्नैक्स तो बाजार से मंगा लिए थे जैसे रसगुल्ले, ढोकला, प्याज कचौड़ी, ड्राईफ्रूट, नमकीन, काजू बिस्कुट आदि. लंच के लिए उस ने अपने हाथों से मलाई कोफ्ते, मटर पनीर, भरवां करेले, खट्टे छोले और शाही पुलाव, दहीभल्ले बनाए थे. सब तैयारी हो गई थी.

पीहू 10 बजे तैयार होने लगी थी. उस ने अपना फेवरेट पीला सूट निकाला था. नहाने के बाद वह ड्रैसिंग टेबल के सामने बैठी ही थी कि उस का मोबाइल बजा. हर्ष की कौल थी.

‘‘बोलो हर्ष.’’

‘‘पीहू, प्रोग्राम थोड़ा चेंज है.’’

‘‘क्या?’’

‘‘अरे, अभी मम्मीपापा नहीं आएंगे बल्कि मेरे साथ दोनों चाचाचाची, ताऊजीताईजी, छोटी बूआ और कुछ कजिंस भी साथ आएंगे. तुम लोगों को कोई एतराज तो नहीं?’’

‘‘अरे एतराज कैसा, यू आर मोस्ट वैलकम.’’

‘‘ओह, लव यू पीहू. ओके, तो हम 11.30 बजे तक पहुंच जाएंगे सी यू.’’

पीहू ने फटाफट से मम्मीपापा को बताया.

‘‘अरे इतने लोगों को आना था तो कल रात को बता देते, तैयारी उसी हिसाब से करते,’’ विनय झल्लाते हुए बोले.

‘‘हां, मैं खाना भी उसी हिसाब से तैयार करती,’’ रेखा भी बोली.

‘‘मम्मी और खाना बाहर से और्डर कर देना. क्या फर्क पड़ता है,’’ पीहू लापरवाही से बोली.

‘‘अच्छाअच्छा, बहस छोड़ो, सब तैयार हो जाओ. मैं देखता हूं,’’ विनय बोले.

पीहू तो अपनी मस्ती में चली गई लेकिन विनय और रेखा एकदूसरे का मुंह देखने लगे.

‘‘लो, अभी तो रिश्ता जुड़ा भी नहीं और मुसीबतें शुरू हो गईं. पता नहीं पीहू को भी यही लड़का मिला था,’’ विनय बोले.

‘‘अब एक ही बेटी है. उस की खुशी के लिए तो सब करना ही पड़ेगा,’’ रेखा ने विनय को समझाते हुए कहा.

पीहू हर्ष के कजिंस के बीच घिरी हुई थी. ड्राइंगरूम सब से भरा हुआ था. ठहाकोंकहकहों से घर गूंज रहा था. चाय, कौफी, कोल्डड्रिंक के साथ स्नैक्स का दौर चल रहा था. विनय और रेखा आराम से सोफे पर बैठे थे. नौकर छोटू के साथ हर्ष के कजिंस ने रसोई का मोरचा संभाल लिया था.

रश्मि, हर्ष की बूआ की बेटी, बोली,

‘‘आंटी, बाहर से और खाना और्डर

करने की कोई जरूरत नहीं है. मैं ने छोटू को चावल उबालने के लिए बोल दिया है. मिक्स दाल मैं ने उबलने को रख दी है और आलू उबल रहे हैं. आप कोई टैंशन मत लो. आप आराम से बैठिए, हम सब देख लेंगे. हमारी वजह से आप को कोई तकलीफ नहीं होगी.’’

‘‘हां आंटी, वह तो हर्ष भैया ने हमें पीहू भाभी के बारे में हवा नहीं लगने दी थी लेकिन तब भी शक तो हमें था. और जब पता चला कि आज आप के घर जा रहे हैं तो पीहू भाभी को देखने का मौका हम भला कैसे छोड़ सकते थे,’’ दीपा, हर्ष के चाचा की बेटी, बोली.

‘‘विनय भाई, हमारा परिवार ही हमारी पूंजी है. सब भाईबहनों में आपस में खूब स्नेहप्यार है. एकदूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. घर में हमारे तो इसी तरह धमाचौकड़ी चलती रहती है. पीहू को किसी बात की कोई दिक्कत नहीं रहेगी. इस बात से आप बेफ्रिक रहो,’’ हर्ष के ताऊजी बोले तो विनय ने कहा, ‘‘भाईसाहब, यह तो मैं देख ही रहा हूं. आज मेरे घर में त्योहार सा माहौल बना हुआ है. बच्चियों ने बिलकुल अपने घर की तरह रसोई संभाल ली है. हर्ष के भाइयों के साथ पीहू को हंसताबोलता देख रहा हूं तो ऐसा लग रहा है उस के जीवन में भाइयों की कमी अब पूरी हो जाएगी,’’ विनय ने कहा.

‘‘अंकलजी, अब पीहू भाभी को अपनी बोरियत दूर करने के लिए अकेले मौल घूमने नहीं जाना पड़ेगा,’’ हर्ष के छोटे चाचा के बेटे की बात सुन कर सभी हंस पड़े.

‘‘हांहां, तुम्हारी आइटम टोली के होते भला क्यों अब वह अकेली घूमेगी,’’ बूआ ने भी अपनी बात जोड़ी.

लंचटाइम में सब लोगों ने खूब मजे लेले कर खाना खाया. सब रेखा के खाने की तारीफ करते नहीं थके.

सबकुछ बहुत परफैक्ट रहा. तय हुआ कि शादी महीने के अंदरअंदर कर देते हैं क्योंकि हर्ष की कंपनी वाले उसे डेढ़ महीने बाद विदेश भेज रहे हैं एक महीने के लिए. हर्ष की मम्मी चाहती थीं कि पीहू भी हर्ष के साथ चली जाए.

सभी इस बात से राजी हो गए. बस, दोनों तरफ से शादी की तैयारियां शुरू हो गईं.

‘‘हर्ष, मुझे अब पता चल रहा है कि पैरोंतले पांव न पड़ना क्या होता है. सच में मैं आजकल हवा में उड़ रही हूं. मैं इतनी खुश हूं कि बता नहीं सकती. सोचा नहीं कि मुझे तुम जैसा प्यार करने वाला इतना प्यारा जीवनसाथी मिलेगा,’’ पीहू हर्ष की बांहों में समाई जा रही थी.

‘‘पीहू, मुझे तुम मिल गईं तो ऐसा लग रहा है जैसे मैं ने दुनियाजहान की खुशियां पा ली हैं. अब तो ये थोड़े से दिन भी तुम से दूर रहना मुश्किल हो रहा है,’’ हर्ष पीहू का चेहरा अपने हाथों में ले कर बोला ही था कि अचानक पीहू का मोबाइल बज उठा.

‘‘हां, मम्मी बोलो.’’

‘‘पीहू, बेटा तू कहां है,’’ रेखा बहुत घबराई सी आवाज में बोली.

‘‘क्या बात है मम्मी, जल्दी बोलो, मुझे घबराहट हो रही है.’’

‘‘पीहू, तेरे पापा को छाती में दर्द उठा था. मैं ने डाक्टर सूरज को फोन किया तो उन्होंने एंबुलैंस भेज दी. मैं तेरे पापा को ले कर हार्टकेयर अस्पताल जा रही हूं. रास्ते में हूं, तू वहीं पहुंच.’’

‘‘मम्मी, आप घबराओ मत, पापा को कुछ नहीं होगा. मैं अभी पहुंचती हूं.’’

पूरे रास्ते हर्ष पीहू को तसल्ली देता रहा. पीहू जब अस्पताल पहुंची तब तक विनय को आईसीयू में ले जा चुके थे. सीवियर हार्टअटैक आया था. रेखा रोए जा रही थी.

‘‘आंटीजी, आप बिलकुल फिक्र मत करो. हम सब हैं न, अंकल ठीक हो जाएंगे.’’

थोड़ी देर में हर्ष के मम्मीपापा भी आ गए और हर्ष की मम्मी रेखा का हाथ अपने हाथ में ले कर उसे तसल्ली देने लगीं. रेखा को ऐसा लग रहा था जैसे उस की बहन उसे तसल्ली दे रही हो.

विनय की तीनों आर्टरी में ब्लौकेज था. तुरंत औपरेशन कर दिया गया और वह सफल रहा. अभी विनय को हफ्ताभर अस्पताल में ही रहना था.

इस दौरान हर्ष के घर वाले रेखा और पीहू के साथसाथ ही रहे. डाक्टरों से बात करना, दवाइयां लाना, जरूरी पेपर्स जमा करना, सारी भागदौड़ हर्ष और उस के भाई कर रहे थे. हर्ष की बहनें पीहू और रेखा का पूरा ध्यान रख रही थीं.

एक हफ्ते बाद विनय घर आ गए.

‘‘पापा, आप को स्ट्रैस लेने की कोई जरूरत नहीं है. सब काम हो जाएंगे,’’ पीहू पापा का तकिया ठीक करते

हुए बोली.

‘‘कैसे होगा बेटा सबकुछ, शादी की तैयारियां कम जिम्मेदारी का काम नहीं. शोरूम तो एक हफ्ते से बंद ही पड़ा होगा. कितना नुकसान हो गया,’’ विनय थोड़े चिंतित हो उठे.

‘‘विनय भाईसाहब, आप सारी चिंता हमारे ऊपर छोड़ दो,’’ हर्ष के पापा बोले. उन के साथ हर्ष के चाचा और उन के दोनों बेटे तन्मय और निखिल भी थे.

‘‘आइए, आइए, बैठिए,’’ रेखा ने खड़े हो कर सब का स्वागत किया.

‘‘भाईसाहब, आप का शोरूम चकाचक चल रहा है. तन्मय और निखिल को मैं ने वहां सुपरविजन के लिए एक हफ्ते से बैठा रखा है. पीहू भी आप की तरह शोरूम को ले कर परेशान थी.

‘‘ठीक कह रहे हैं भाईसाहब, अस्पताल में भी सारी भागदौड़ हर्ष, उस के चाचाओं और बच्चों ने की. हमें तो जरा भी तकलीफ नहीं हुई. यहां तक कि घर भी हर्ष की बूआ ने संभाला और पीहू को तो हर्ष की बहनों ने बिलकुल भी अकेला नहीं छोड़ा.’’

‘‘अरे समधनजी, आप और हम सब एक परिवार हैं. अगर आप शादी की तारीख आगे बढ़ाना चाहते हैं तो हम उस के लिए तैयार हैं. यदि नहीं, तो तैयारियों की जिम्मेदारी हम पर छोड़ दीजिए. हम हैं न सब देख लेंगे. पीहू बिटिया तो उसी दिन से हमारी हो गई थी जब से आप लोगों के घर पहले दिन आए थे.

‘‘नरेश भाईसाहब, जब आप जैसे लोग हमारे साथ हैं, आप का पूरा परिवार हमारे साथ है तो मुझे किसी बात की चिंता करने की अब जरूरत ही क्या है. आज लग रहा है कि परिवार में जब सब साथसाथ होते हैं तो कंधे अपनेआप जिम्मेदारी लेने के लिए मजबूत बन

जाते हैं. मैं तो डर रहा था कि इतना

फैला हुआ परिवार, इतने रिश्तेनाते, उन्हें निभातेनिभाते मेरी पीहू घबरा जाएगी, लेकिन नहीं. इन रिश्तों से मेरी पीहू वे सब खुशियां पाएगी जो उसे बचपन से नहीं मिलीं.’’

तभी हर्ष भी आ गया, ‘‘अरे अंकलजी, यह आप क्या कर रहे हैं. डाक्टर ने आप को अभी कम बोलने को कहा है.’’

‘‘अरे भाईसाहब, अब तो घर में खुशी का माहौल होना चाहिए. बच्चों की शादी होने वाली है. नाचगाना, खानापीना सब होगा. बस, आप आराम करो और भलेचंगे हो कर सब एंजौय करो. काम हम करेंगे, क्यों बच्चो?’’ हर्ष के चाचा बोले.

खुशी के मारे पीहू और रेखा की आंखें भर आईं. हर्ष पीहू के पास आया और बोला, ‘‘तुम्हें तो पता है, मैं कितना शरीफ हूं. इस वक्त सब के सामने ज्यादा कुछ नहीं बोल सकता, न ही कर सकता हूं. पर इतना जरूर कहूंगा, हम साथसाथ हैं.’’

पीहू किसी की परवा न करते हुए हर्ष के गले लग गई.

Imlie होगी किडनैप, क्या बचा पाएगा आर्यन

स्टार प्लस के सीरियल इमली (Imlie) की कहानी में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां आर्यन (Fehmaan Khan) से शादी के बाद इमली (Sumbul Tauqeer Khan) के सामने नई मुसीबतें शुरु हो गई हैं तो वहीं आदित्य अकेला हो गया है. इसी बीच अपकमिंग एपिसोड में इमली पर मुसीबत आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Imlie Latest Update) …

इमली के लिए आर्यन उठाएगा कदम

 

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अब तक आपने देखा कि इमली और आर्यन को अलग करने के लिए नीला कुंडली का दोष बताती है. लेकिन आर्यन उसे करारा जवाब देते हुए बहुत सारे पंडित लेकर आता है नीला की बातों को झूठ साबित करता है. वहीं आदित्य की मां सगाई के लिए नर्मदा से कहती नजर आती है, जिसके कारण आदित्य काफी दुखी नजर आता है.

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आर्यन करेगा वादा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि इमली और आर्यन की सगाई के लिए त्रिपाठी परिवार उसके घर पहुंचेगा. जहां इमली, अपर्णा को शादी का सच बताने की कोशिश करेगी. लेकिन नहीं बता पाएगी. वहीं अपर्णा, आर्यन से वादा लेगी की वह इमली का पूरा ख्याल रखेगा और उसे किसी भी तरह की मुसीबत में नहीं पड़ने देगा. वहीं आर्यन और इमली को साथ देखकर गुड़िया जलन महसूस करेगी और नीला से अपने दिल की बात कहती नजर आएगी.

किडनैप होगी इमली

इसके अलावा आप देखेंगे कि आर्यन से गुड़िया की शादी करवाने के लिए नीला चाल चलेगी और इमली को किडनैप करने का प्लान बनाएगी, जिसके चलते वह इमली को एक बक्से में बंद कर देगी. हालांकि देखना होगा कि आर्यन कैसे इमली की जान बचाता है.

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62 की Neena Gupta ने शेयर की बोल्ड ड्रैस में वीडियो, ट्रोलर्स को दिया जवाब

बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता (Neena Gupta ) आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. जहां उनका फैशन चर्चा का विषय बन जाता है तो वहीं ट्रोलर्स को करारा जवाब देते हुए वह सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. इसी बीच नीना गुप्ता ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह बेझिझक बातें करती हुई नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक….

ट्रोलर्स के लिए कही ये बात

 

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हाल ही में नीना गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह अपनी हौट ड्रैस के बारे में बेझिझक मन की बातें फैन्स से शेयर करती नजर आ रही हैं. वहीं वीडियो में कहती नजर आ रही हैं कि ‘मुझे ये इसलिए पोस्ट करना है क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि जो ऐसे सेक्सी टाइप कपड़े पहनती हैं, जैसे मैंने अभी पहने हैं लोगों को लगता है कि वो ऐसे ही बेकार के होते हैं. लेकिन मैं बता दूं कि मैंने संस्कृत में एमफिल की हुई है और भी बहुत कुछ किया हुआ है. तो कपड़े से किसी को जज नहीं करना चाहिए, ट्रोल करने वालो समझ लो.’

 

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सिंगल मदर हैं नीना

 

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नीना गुप्ता ने पर्सनल लाइफ के बारे में बात करें वह क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के साथ रिलेशनशिप में रह चुकी हैं, जिनसे उनकी बेटी मसाबा गुप्ता हैं. हालांकि उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि सिंगल मदर बनने का फैसला कोई बहादुरी वाला नहीं है, जिसे सुनकर फैंस को झटका लगा था. वहीं अपनी एक बुक में भी वह कई खुलासे करती हुई नजर आ चुकी हैं.

बता दें, नीना गुप्ता बौलीवुड की कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं वहीं बधाई हो, शुभ मंगल सावधान जैसी फिल्मों के चलते वह सुर्खियों में रही हैं. हालांकि वह अपने फैशन के चलते सोशलमीडिया पर अक्सर छाई रहती हैं.

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