माइग्रेन सताए तो करें ये उपाय

30 वर्षीय रेहाना पब्लिशिंग हाउस में ऐडिटर हैं. उन्हें भयंकर सिरदर्द रहता है, लेकिन उन्होंने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया. शुरुआती वर्षों में यह सिरदर्द भयंकर तो था, लेकिन कभीकभी ही उभरता था. मगर फिर सप्ताह में 3 बार उभरने लगा. कई बार तो दर्द बरदाश्त से बाहर हो जाता. फिर जब वे डाक्टर से मिलीं तो उन्होंने बताया कि आप क्रोनिक माइगे्रन से पीडि़त हैं. माइग्रेन के सिरदर्द की सही वजह तो नहीं बताई जा सकती, लेकिन माना जाता है कि मस्तिष्क की असामान्य गतिविधियां स्नायु के सिगनल्स को प्रभावित करती हैं. मस्तिष्क की रक्तनलिकाएं इसे और तीव्र कर सकती हैं. यह डिसऔर्डर लगातार स्थिति बिगाड़ने वाला होता है, जिस से प्रभावित व्यक्ति की जिंदगी अस्तव्यस्त हो जाती है. इस के बावजूद बहुत सारे लोग चिकित्सकीय सलाह नहीं लेते.

क्रोनिक माइग्रेन की स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए. चिकित्सकीय सहायता, पौष्टिक खानपान व लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से माइग्रेन की स्थिति पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है.

माइग्रेन का दौरा

माइग्रेन का दर्द बढ़ाने में कई कारक जिम्मेदार होते हैं. मसलन, हारमोनल बदलाव, नींद की कमी, अनियमित खानपान, ऐसिडिटी, अवसाद और धूप में रहना. कुछ महिलाओं को हारमोनल कारणों से मासिकधर्म के समय माइग्रेन का दौरा पड़ता है, जबकि कुछ लोगों को तेज रोशनी, ट्रैफिक के शोरशराबे और तीखी गंध के कारण इस स्थिति से गुजरना पड़ता है. खानेपीने की कुछ चीजों से भी माइगे्रन की संभावना बढ़ती है.

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तनाव और माइग्रेन

माइग्रेन की समस्या मस्तिष्क के स्नायु से शुरू होती है. मस्तिष्क में किसी तरह का बड़ा दबाव मस्तिष्क की गतिविधियों को सक्रिय करते हुए सिरदर्द की स्थिति में ला सकता है. अत: तनाव से यथासंभव बचना चाहिए ताकि हमारे शरीर और मस्तिष्क पर उस का कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े. महिलाओं को अकसर कई तरह की जिम्मेदारियां एकसाथ पूरी करनी पड़ती हैं. अपने कैरियर से जुड़े कामकाज के अलावा उन्हें परिवार की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है. ऐसी स्थिति में वे बहुत ज्यादा काम के दबाव की स्थिति से गुजरती हैं, इसलिए माइगे्रन उन में ज्यादा पाया जाता है.

नींद का अभाव, भोजन से वंचित रहना, चिंता आदि कारणों से भी तनाव बढ़ता है और यह माइग्रेन के सिरदर्द का कारण बनता है. कई बार दर्दनिवारक दवा के ज्यादा इस्तेमाल से भी बारबार सिरदर्द उभरता है. कुछ समय बाद ये दर्दनिवारक दवाएं दर्द मिटाने में बेअसर हो जाती हैं. इस के अलावा लंबे समय तक दर्दनिवारक दवाओं का इस्तेमाल सिरदर्द के साथसाथ किडनी, लिवर और पेट पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालने लगता है.

उपचार

शुरुआती स्तर के दर्द से नजात दिलाने के लिए डाक्टर अकसर माइगे्रन के बचावकारी इलाज पर ध्यान देते हैं और माइग्रेन के दौरे से उन्हें दूर रखते हैं. स्ट्रैस की स्थिति को बचावकारी उपायों से ही प्रबंधित किया जा सकता है. इस के समाधान में पौष्टिक भोजन सप्लिमैंट, व्यायाम, लाइफस्टाइल में बदलाव माइगे्रन के दौरे को टालने के उपाय हैं. यदि आप धूप के प्रति संवेदनशील हैं तो तेज धूप में न निकलें. कुछ लोगों पर ये उपचार पद्धतियां कारगर होती हैं और इन से उन के जीवन में व्यापक बदलाव आ जाता. हालांकि क्रोनिक माइग्रेन से पीडि़त कुछ लोगों पर ऐसी परंपरागत पद्धतियों का कोई असर नहीं होता. ऐसे लोगों के लिए ओनाबोटुलिनम टौक्सिन टाइप ए का इंजैक्शन ही राहत देता है. ऐसे वयस्क मरीजों को रोग से नजात दिलाने के लिए इस दवा को अमेरिकी फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी मिली है. जो महीने में 15 या इस से अधिक दिनों तक सिरदर्द की समस्या से पीडि़त रहते हैं, उन्हें यह दवा गंभीर दर्द से राहत दिलाने में कारगर है.

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यह दवा स्नायु के उन संकेतकों को अस्थायी रूप से अवरुद्ध करने का काम करती है, जिन से बेचैनी और दर्द बढ़ाने वाले रसायन प्रवाहित होते हैं. इस दवा का असर कई महीनों तक रहता है. 3 महीनों के अंतराल पर नियमित रूप से इस का इंजैक्शन लेने वाले मरीजों में आश्चर्यजनक सुधार आ सकता है. ओनाबोटुलिनम टौक्सिन टाइप ए इंजैक्शन सिर के पास के कुछ खास बिंदुओं पर लगाए जाते हैं और ये निपुण चिकित्सकों द्वारा ही लगाए जाते हैं. स्ट्रैस मैनेजमैंट भी एक महत्त्वपूर्ण उपाय है, जिसे बेहद तनावपूर्ण जीवनशैली जीने वालों को अपनाना चाहिए. सक्रिय रहें, पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी से तनाव और बढ़ता है. तनाव से राहत दिलाने में व्यायाम की भी अहम भूमिका होती है. आराम दिलाने वाले व्यायाम करने की प्रक्रिया अपनाएं, जिन से आप को तनाव से मुकाबला करने में मदद करेगी.       

– डाक्टर राजशेखर रेड्डी 
मैक्स हौस्पिटल, नई दिल्ली

नारों से काम नहीं चलता

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ‘लडक़ी हूं लडक़ी शक्ति हूं’ और 40 प्रतिशत सीटों पर औरतों को खड़ा करने का कांग्रेस का महिलाओं को पौवर देने का एक्सपैरियमैंट बुरी तरफ फेल हुआ. कांग्रेस को 2.3′ वोट मिले जबकि वोटरों में औरतों ने आदमियों से ज्यादा वोट दिए. नतीजा बताता है कि सिर्फ मरों से काम नहीं चलता. जमीन पर कुछ करने से काम चलता है और न कांग्रेस के शीर्ष नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी और न ही उन के ठाठबाठी दूसरे नेताओं के बस के जमीनी थपेड़े की आदत हैं.

औरतों को सरकार से चाहत भी शिकायत नहीं है, ऐसा नहीं है पर उन्हें भरोसा नहीं है कि कांग्रेस औरतों और लड़कियों के लिए लडऩे का मूड बना कर रख रही है. मेराथन कराने में कुछ ज्यादा नहीं होता. यह तो खेल भर है. औरतों को तो जरूरत है किसी ध्यान रखने वाले की जो उन संकरी मैली बदबूदार गलियों में जा सके जहां औरतों को रोज हजार आफतें सहनी पड़ती है.

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जो दल जीत रहे हैं उन की खासियत यही है कि नारों के साथसाथ वे अपनी बात कोनेकोने में पहुंचाते हैं. उन के कार्यकर्ता कर्मठ हैं और पीढिय़ों से घर बैठे खाने के आदी नहीं हैं. लड़कियों की मुसीबतें आज भी हजार हैं. कहने को उन्हें पढऩे की औपरच्यूनिटी मिल रही है पर असल में यह आधीअधूरी है. केवल बहुत ऊंचे पैसे वालों के घरों की लड़कियों के छोड़ दें तो बाकि के पास आज भी सैनेटरी पैड के लिए पैसे जुटाने तक में दिक्कत होती है. ‘लडक़ी हूं लड़ सकती हूं’ का नारा तो तब कामयाब होगा जब यह लड़ाई विधानसभा की सीटों के लिए नहीं घर में बराबरी का दर्जा पाने, सही हवा, सही आजादी के लिए हो.

कांग्रेस के पास अपना मैसेज ले जाने वालों की फौज है अब. भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हर मंदिर के सामने बैठा है, एक नहीं दसियों हैं. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भी है जो अपनी जमीनों की देखभाल के लिए लाठियां लिए खड़े हैं. कांग्रेस लड़कियों का नाम ले कर लड़ी और उस ने लड़कियों को हरवा दिया. उस ने तो इस इशू को ही खत्म कर दिया.

लड़कियों के लिए किसी को कुछ करना चाहिए. भाजपा का तो सिद्धांत पौराणिक ग्रंथों से आता है और समाजवादियों का गांवों के रीतिरिवाजों से. दोनों ये लड़कियों की कोई जगह नहीं. रही कसर कांग्रेस ने मामले उठा कर उसे लेकर कर पूरी कर दी.

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फूलप्रूफ फार्मूला: भाग 1- क्या हो पाई अपूर्वा औऱ रजत की शादी

औफिस से लौटने में कुछ देर हो गई थी लेकिन बच्चों ने मुंह फुलाने के बजाय चहकते हुए उस का स्वागत किया.

‘‘मम्मा, दिल्ली से रजत अंकल आए हैं, हमें उन के साथ खेलने में बड़ा मजा आ रहा है. आप भी हमारे कमरे में आ जाओ,’’ कह कर प्रणव और प्रभव अपने कमरे में भाग गए.

‘‘आ गई बेटी तू, रजत बड़ी देर से तेरे इंतजार में इन दोनों की शरारतें झेल रहा है,’’ मां ने बगैर रसोई से बाहर आए कहा.

हालांकि दिल्ली रिश्तेदारों से अटी पड़ी थी लेकिन अभी तक किसी रजत से तो कोई रिश्ता जुड़ा नहीं था. पापा और बच्चों के साथ एक सुदर्शन युवक कैरम खेल रहा था. अपूर्वा को याद नहीं आया कि उस ने उसे पहले कभी देखा है. अपूर्वा को देखते ही युवक शालीनता से खड़ा हो गया लेकिन इस से पहले कि वह कुछ बोलता, प्रभवप्रणव चिल्लाए, ‘‘आप गेम बीच में छोड़ कर नहीं जा सकते, अंकल. बैठ जाइए.’’

‘‘इन की बात मान लेने में ही इज्जत है बरखुरदार. जब तक यह खेल खत्म होता है, तू भी फे्रश हो ले बेटी. रजत को हम ने रात के खाने तक रुकने को मना लिया है,’’ विद्याभूषण चहके.

‘‘वैसे मैं अपूर्वाजी का सिर खाए बगैर जाने वाला भी नहीं था,’’ रजत ने हंसते हुए कहा.

‘किस खुशी में भई?’ अपूर्वा पूछना चाह कर भी न पूछ सकी और मुसकरा कर अपने कमरे में आ गई.

जब वह फे्रश हो कर बाहर आई तो बाई चाय ले कर आ गई. चाय की प्याली ले कर वह ड्राइंगरूम की बालकनी में आ गई.

‘‘मे आई ज्वाइन यू?’’ कुछ देर के बाद रजत ने आ कर पूछा.

‘‘प्लीज,’’ अपूर्वा ने कुरसी की ओर इशारा किया.

‘‘नाम तो आप सुन ही चुकी हैं, काम निखिला के साथ करता हूं. यहां हमारे बैंक की शाखा खुल रही है इसलिए उसी सिलसिले में आया हूं. आप का पता निखिला…’’

‘‘निखिला?’’ अपूर्वा ने भौंहें चढ़ाईं.

‘‘निखिला जोशी, आप की मौसेरी बहन.’’

‘‘ओह निक्की, मधु मौसी की बेटी,’’ अपूर्वा ने खिसिया कर कहा, ‘‘कई साल हो गए मिले हुए इसलिए एकदम पहचान नहीं सकी और उस ने मेरा पता भी याद रखा.’’

‘‘अतापता ही नहीं निखिला को तो आप के बारे में सब याद है. अकसर आप लोगों की बातें करती रहती है.’’

‘‘मेरी तो खैर क्या बात करेगी, हां, बच्चों की शरारतों के बारे में शायद मां ने मौसी को बताया हो.’’

‘‘लेकिन निखिला तो आप के बचपन से चल रहे फेयरी टेल रोमांस, शादी और फिर शहजादे के मेढक बनने वाले दुखद अंत की बात करती रहती है,’’ रजत ने बेझिझक स्वर में कहा.

‘‘कमाल है, जहां हम नहीं पहुंचे, हमारे चर्चे जा पहुंचे. वैसे उसे कुछ खास मालूम नहीं होगा…’’

‘‘जितना भी मालूम है उस की वजह से उस ने कभी शादी न करने का फैसला किया है,’’ रजत ने बात काटी.

अपूर्वा ने चौंक कर रजत की ओर देखा, ‘तो यह वजह है मुझ से मिलने आने की.’

‘‘बगैर असलियत जाने या मुझ से मिले, ऐसा फैसला लेना तो सरासर हिमाकत है. मैं ने समीर को इसलिए छोड़ा था क्योंकि उस का दोमुंहा व्यक्तित्व था, सब के सामने कुछ और, और अकेले में कुछ और. अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण भी वह पूर्वाग्रहों से ग्रस्त था जो शादी के बाद एकांत मिलते ही उभरने लगे थे.

‘‘वह बेहद बददिमाग था और गुस्से में उत्तेजित हो कर कुछ भी बोल और कर सकता था. गुस्से का आवेग शांत होते ही वह अपने व्यवहार पर बहुत लज्जित होता था, पश्चात्ताप करता था लेकिन इलाज के लिए मनोचिकित्सक के पास जाने से कतराता था. यह जानने के बावजूद कि मेरे गर्भ में 2 बच्चे हैं, मैं ने गर्भपात नहीं करवाया. क्योंकि मैं ने सोचा कि बाप बनने के बाद शायद अपनी जिम्मेदारियां समझ कर वह अपना इलाज करवा ले. बच्चों से बेहद लगाव होने के बावजूद समीर का व्यवहार नहीं बदला.

‘‘इस से पहले कि बच्चे उस के गुस्से का शिकार बनते और किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होते, मैं समीर से अलग हो गई. मेरी खुद की तो बढि़या नौकरी है ही और मांपापा का संरक्षण भी, इसलिए मुझे कोई परेशानी नहीं है. समीर एक मानसिक रोगी है इसलिए बजाय नफरत के मुझे उस से हमदर्दी है. न ही मेरे दिल में पुरुषों, प्यार या शादी को ले कर कोई कड़वाहट है तो फिर निक्की किस खुशी में मेरे नाम पर शहीद हो रही है?’’ अपूर्वा ने हंसते हुए पूछा.

रजत हंस पड़ा, ‘‘यह तो निखिला ही बता सकती है.’’

‘‘मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से कोई जिंदगी में गलत फैसले ले. मेरा निखिला से मिलना बहुत जरूरी है.’’

‘‘लेकिन यह जरूरी नहीं है कि निखिला आप की बातों पर विश्वास करे.’’

‘‘जरूर करेगी जब उसे पता चलेगा कि मैं दूसरी शादी करने को तैयार हूं मगर ऐसे आदमी से जो मेरे बच्चों को एक सुरक्षित, खुशहाल पारिवारिक जीवन दे सके, क्योंकि भौतिक सुविधाओं और नानानानी के लाड़प्यार के अलावा एक पिता का संरक्षण, अनुशासन और स्नेह बच्चों के व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है.’’

रजत ने एक गहरी सांस ली और बोला, ‘‘आप ठीक कहती हैं. पिता का अभाव क्या होता है, यह मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूं. पापा मेरे जन्म से पहले ही गुजर गए थे. पैसे की कोई कमी नहीं थी, चाचा और मामा वगैरा ने संरक्षण और भरपूर प्यार दिया लेकिन जिन पापा को कभी मैं ने देखा ही नहीं उन के बगैर आज भी मुझे अपना जीवन अधूरा लगता है.’’

‘‘ऐसा लगना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन में प्रत्येक रिश्ते की अपनी अलग ऊष्मा, अलग अहमियत होती है और कड़वाहट किस रिश्ते में नहीं आती? सगे बहनभाई एकदूसरे के जानी दुश्मन बन जाते हैं लेकिन एक भाई के धोखा देने पर दूसरे भाई से तो कोई मुंह नहीं मोड़ता, फिर पतिपत्नी के अलगाव को ले कर इतना होहल्ला क्यों?’’

‘‘निखिला का कहना है कि आप की प्रेम कहानी का दुखद अंत देख कर उस का प्यारमोहब्बत पर से विश्वास उठ गया है.’’

‘‘अकसर अखबारों में घर के पुराने नौकरों की गद्दारी की खबरें छपती रहती हैं लेकिन उन को पढ़ कर लोग नौकर रखना तो नहीं छोड़ते, न ही बीमारी के डर से बाजार का खाना?’’ अपूर्वा हंसी, ‘‘फिक्र मत करो, मैं निखिला को समीर के व्यवहार और अपने अलगाव की वजह समझा कर उस का फैसला बदलवा दूंगी.’’

‘‘कोशिश करता हूं कि अगले टूर पर निखिला को साथ ले आऊं.’’

‘‘नहीं ला सके तो बच्चों की छुट्टियों में मैं दिल्ली आ जाऊंगी.’’

तभी नौकर खाने के लिए बुलाने आ गया.

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लौट जाओ शैली: भाग 2- विनीत ने क्या किया था

लेखिका- विनिता राहुरीकर

सच तो यह था कि शैली अब यह महसूस करने लगी थी कि विनीत जीवन में उसे क्या दे पाएगा? वह उस से शादी तो करेगी नहीं. ऐसे वह सिर्फ उस की प्रेमिका बन कर कैसे सारी उम्र गुजार दे? विनीत के साथ उस का क्या भविष्य होगा? आकाश दिखने में अच्छा है और अच्छी नौकरी भी है. अच्छी कार में आता है तो जाहिर है पैसे वाला ही होगा. शैली भी आकाश में अपनी खुली दिलचस्पी दिखाने लगी. हां, वह यह ध्यान जरूर रखती कि ये सारी बातें विनीत की जानकारी में न आ जाएं, क्योंकि वह आकाश के बारे में सब कुछ जानने और उस की तरफ से पक्का आश्वासन मिलने तक विनीत के मन में अपने प्रति व्यर्थ का कोई संशय पैदा नहीं करना चाहती थी.

मौका देख कर शैली आकाश के साथ बाहर भी जाने लगी. अब शैली को इंतजार था आकाश के प्यार का इजहार करने और शादी का वादा करने का.

अब उसे दोपहर में विनीत का इंतजार नहीं रहता था, बल्कि विनीत के आ जाने से उसे कोफ्त ही होती थी. अकसर वह दोपहर और रात में आकाश के साथ उस की कार या बाइक पर घूमती या दोनों किसी दूर और एकांत जगह पर जा कर बैठे रहते. विनीत के पूछने पर वह यह बहाना बना देती कि किसी सहेली के साथ गई थी. आकाश से एकांत में मिलने पर शैली का मन मचलने लगता था, लेकिन आकाश का मर्यादित व्यवहार देख कर उसे अपने ऊपर संयम रखना पड़ता था. आकाश कभी उसे हाथ तक न लगाता. अत: शैली को भी अपनी उच्छृंखल मनोवृत्तियों को काबू में रखना पड़ता ताकि आकाश के मन में उसे ले कर कोई गलत धारणा न बैठ जाए. वह नहीं चाहती थी कि किसी भी तरह से आकाश के मन में उस के उन्मुक्त आचरण को ले कर कोई संशय उभरे और वह उसे छोड़ दे. इसलिए आकाश के सामने वह अपनेआप को सौम्य, शालीन और मर्यादा में रहने वाली दिखाने की हर संभव चेष्टा करती.

आखिर करीब 3 महीने साथसाथ कुछ समय बिता लेने के बाद आकाश ने शैली के प्रति अपनी चाहत का इजहार कर ही दिया. शैली उस दिन बहुत खुश थी. आकाश के दिए लाल गुलाब को हाथ में लिए वह देर तक अपने सुनहरे भविष्य के सपनों में खोई रही. अब उसे विनीत की ‘कीप’ बनी रहने की कोई जरूरत नहीं है, अब वह आकाश की ब्याहता पत्नी बनेगी.

अगले दिन आकाश उसे अपने मातापिता से मिलवाने ले जाने वाला था. उस ने अपने मातापिता को शैली के बारे में बताया था. वे और आकाश की दोनों बहनें शैली से मिलने के लिए अत्यंत उत्सुक थीं. शैली उस दिन बहुत अच्छी तरह से तैयार हुई. वह आकाश के सामने किसी भी कीमत पर उन्नीस नहीं दिखना चाहती थी. वह आकाश के परिवार पर अपना पूरा प्रभाव जमाना चाहती थी कि वह आकाश से किसी माने में कम नहीं है.

शैली आकाश को बाइक पर आते देख कर ताला लगा कर नीचे उतर आई. उसे बाइक पर आया देख शैली को थोड़ा अखर गया कि आज तो इसे कार से आना चाहिए था.

‘‘आज तुम कार से नहीं आए. अपनी होने वाली पत्नी को तो तुम्हें अपने मातापिता से मिलवाले कार से ले जाना चाहिए था न,’’ शैली ने ठुनकते हुए आकाश से कहा.

‘‘अरे वह कार तो अनिल की है. अपनी सवारी तो यही है मैडम,’’ आकाश हंसते हुए बोला, ‘‘दरअसल, मुझे ड्राइविंग का बहुत शौक है, इसलिए उस की कार हमेशा मैं ही चलाता हूं. अभी तो मेरे पास कार नहीं है पर तुम चिंता क्यों करती हो. हम दोनों मिल कर जल्दी ही कार भी ले लेंगे,’’ आकाश ने सहज रूप से कहा पर शैली का मन बुझ गया. हालांकि आकाश ने अपने बारे में कभी कुछ बढ़ाचढ़ा कर नहीं बताया तब भी शैली मान कर चली थी कि वह बहुत पैसे वाला और कारबंगले वाला है.

10 मिनट में ही वे दोनों आकाश के घर पहुंच गए. घर देख कर शैली का मन और खराब हो गया. वह तो सोच रही थी कि आकाश हाईफाई लग्जूरियस बंगले में रहता होगा, लेकिन यहां तो एक अत्यंत साधारण सा, पुराना सा मकान है. कालोनी भी पौश नहीं थी, साधारण मध्यवर्गीय लोगों के ही घर थे चारों ओर.

शैली भारी मन और बोझिल कदमों से आकाश के साथ घर में गई. ड्राइंगरूम की साजसज्जा अत्यंत साधारण थी. फर्नीचर भी पुराना था. वह जिस चमकदमक और ग्लैमर की उम्मीद लगाए बैठी थी, स्थिति उस से बिलकुल विपरीत थी. आकाश के घर वाले, मातापिता और दोनों बहनें उस से अत्यंत उत्साह से मिलीं. उन्होंने मन लगा कर शैली की आवभगत की, लेकिन शैली पूरे समय अपनी बातों का सिर्फ हांहां में जवाब देती रही. उस का दम घुट रहा था उस परिवेश में. वह जल्द से जल्द वहां से निकल जाना चाहती थी.

2 घंटे बाद आकाश उसे ले कर चला और उसे उस के घर छोड़ने से पहले एक रैस्टोरैंट ले गया. आकाश के घर से निकल कर शैली ने खुली हवा में आ कर ऐसे चैन की सांस ली जैसे वह जेल से छूटी हो. दोनों एक कोने वाली टेबल पर जा कर बैठ गए.

‘‘कैसा लगा तुम्हें मेरा परिवार, मम्मीपापा और बहनें?’’ आकाश ने उत्साह से शैली से पूछा और शैली उस की बात का कुछ जवाब देती इस से पहले ही वह बताने लगा कि उस के मातापिता और बहनें कितने अच्छी हैं. उसे कितना प्यार करते हैं सभी और शैली को भी कितने प्यार से रखेंगे वगैरह.

शैली अंदर ही अंदर कसमसा रही थी. वह आकाश से प्यार भी करती थी और उस के पुराने घर में बुझी हुई मध्यवर्गीय जिंदगी भी जीना नहीं चाहती थी. अजीब सी कशमकश में घिरी थी वह. आकाश ने भी भांप लिया कि उस के परिवार से मिल कर शैली खास खुश नहीं है.

‘‘आकाश, तुम तो इतना पैसा कमाते हो फिर ऐसे पुराने घर में क्यों रहते हो और अपनी कार क्यों नहीं खरीदते?’’ आखिर शैली के मन की बात उस की जबान पर आ ही गई.

‘‘ओहो इतनी सी बात को मन में पकड़ कर बैठी हो. खरीद लेंगे डियर वे दोनों चीजें. दरअसल, साल भर हुआ है पापा की बाईपास सर्जरी हुए. उस में काफी पैसा खर्च हुआ. मेरी पढ़ाई में भी बहुत पैसा लग गया और अब एक बहन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है और दूसरी पूना के प्रतिष्ठित कालेज से एमबीए करना चाह रही है. इन दोनों का खर्च कुल मिला कर क्व8-10 लाख हो जाएगा. फिर दोनों का विवाह करना है. पर तुम क्यों चिंता करती हो, हम दोनों मिल कर सब ठीक कर लेंगे. घरगाड़ी सब आ जाएगा. हां, कुछ साल लगेंगे,’’ आकाश ने बड़े प्यार और विश्वास से शैली की ओर देखते हुए कहा.

उस दिन शैली ने बात आगे नहीं बढ़ाई और घर आ गई. दूसरे दिन उस ने सारी बात पूनम को बताई.

‘‘आकाश जिस तरह से हर चीज खरीदने में ‘हमहम’ कह रहा था उस से तो साफ जाहिर है कि वह मेरे पैसों का उपयोग अपना घर चलाने में करना चाहता है,’’ शैली ने कहा.

‘‘मेरा से तेरा मतलब क्या? शादी के बाद तो वह तुम दोनों का होगा न?’’ पूनम ने सहज स्वर में कहा.

‘‘कम औन यार, अगर पैसा मैं उसे दे दूं घर या कार खरीदने के लिए तो मेरे पास क्या बचेगा? मैं क्या अपनी लाइफ ऐंजौय कर पाऊंगी?’’ शैली का स्वर तल्ख था.

‘‘ये क्या तेरामेरा कर रही है. घर तो तेरा ही होगा. कार में भी तो तू ही घूमेगी न,’’ पूनम ने उसे समझाया.‘‘क्यों उस का बड़ा कुनबा नहीं है क्या? अगर मैं अपने पैसों से घर खरीद भी लूं तो मुझे उस घर में क्या मिलेगा एक कमरा और क्या?’’ शैली ने भुनभुनाते हुए कहा.

‘‘इतनी स्वार्थी न बन शैली. अफसोस है कि तू इतनी संकीर्ण विचारों की है. दरअसल, तुझे उन्मुक्त जीवनशैली की आदत हो गई है, इसीलिए बस अपना सुख चाहिए घरपरिवार और रिश्ते नहीं. लेकिन एक वक्त आएगा जब तुझे परिवार और रिश्तों की तीव्र जरूरत महसूस होगी और तेरे पास कोई नहीं होगा. उस के पहले संभल जा. पैसावैसा सब ठीक है, लेकिन इस के लिए आकाश जैसे अच्छे लड़के को छोड़ देना अक्लमंदी नहीं है,’’ पूनम के स्वर में शैली के लिए तिरस्कार का भाव था.

‘‘मैं अपना पैसा उस के पिताजी की दवाओं या बहनों की पढ़ाई और शादीब्याह में खर्च कर दूं, तो बता मेरे पास जीवन का आनंद लेने के लिए क्या बचेगा? शादी को ले कर मेरे भी तो कुछ अरमान हैं वे दिन बीत जाने के बाद वापस थोड़े ही आएंगे,’’ शैली ने अपना तर्क रखा.

‘‘जैसी तेरी मरजी. सच तो यही है कि विनीत के साथ रहते हुए तू बस अपने लिए जीना सीख गई है. तुझे जीवन में और किसी से कोई लेनादेना नहीं रहा है. लेकिन विनीत पर अधिक भरोसा मत रखना. वह शादीशुदा है, अपनी पत्नी को छोड़ कर तुझे तो अपनाने से रहा. आकाश तुझे सच्चे मन से चाहता है. क्या हुआ अगर उस के साथ शुरुआती सालों में तू चकाचौंध भरी जिंदगी नहीं जी पाएगी. पर उस का भविष्य तो उज्ज्वल है,’’ पूनम ने कहा और उठ कर अपनी सीट पर वापस आ कर अपना काम करने लगी. वह जानती थी शैली की आंखों पर ग्लैमर की पट्टी चढ़ी हुई है. वह संघर्षपूर्ण जीवन या सामंजस्य के लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं होगी.

आगे पढ़ें- शैली जो आकाश के साथ रहते हुए….

Sunrise Holi Utsav में बनाइए भोपाल की प्रीता जैन की ‘तिरंगी पनीर टिक्की’ 

लेखिका- प्रीता जैन, भोपाल

सामग्री :-

शिमला मिर्च (लाल-पीली-हरी) —— एक-एक

पनीर —— 150 ग्राम

प्याज़ —— बारीक कटा हुआ

नमक —— स्वादानुसार

काला नमक —— स्वादानुसार

लाल मिर्च —— स्वादानुसार

अमचूर —— स्वादानुसार

चाट मसाला —— स्वादानुसार

हरा धनिया —— चटनी बनाने के लिए

विधि :-

सर्वप्रथम लाल-पीली-हरी शिमला मिर्च को पतले गोल स्लाइस में काट लें. अब तीनों रंग की
शिमला मिर्च के स्लाइस को आपस में इकठ्ठा करलें. फिर पनीर को घिस लें व इसमें बारीक कटा हुआ प्याज़-नमक-काला नमक-चाट मसाला व स्वादानुसार लाल मिर्च और 2-4 बूँदें अमचूर या नींबू की मिलालें.

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अब लाल शिमला मिर्च का स्लाइस लें इसमें बीच के छेदों में पनीर का मिश्रण दबाकर भरें फिर पीले रंग की शिमला मिर्च का स्लाइस इसमें जोड़ दें या एक दूसरे में फंसा दें. इसी तरह फिर हरी शिमला मिर्च का स्लाइस लें बीच में पनीर का मिश्रण दबाकर भरें और हरी के साथ लाल शिमला मिर्च का स्लाइस जोड़ दें. अब पीली शिमला मिर्च के स्लाइस में पनीर का मिश्रण भरें तो हरी शिमला मिर्च का स्लाइस जोड़ दें या एक-दूसरे में फंसा दें.

इस तरह लाल के साथ पीली तो हरे के साथ लाल तथा पीली के साथ हरी शिमला मिर्च के स्लाइस आपस में जुड़ने से रंग-बिरंगी तीनों शिमला मिर्च बड़ी सुन्दर लगती है.
अब नॉनस्टिक तवे पर जोड़े हुए स्लाइस को थोड़ा-थोड़ा तेल डालकर आगे-पीछे हल्का गुलाबी होने तक सेक लें. जब सभी जोड़े हुए स्लाइस सिक जाएं तो प्लेट में निकाल लें.

इस तरह कम मेहनत व कम समय में स्वादिष्ट तिरंगी टिक्की तैयार है इसे गर्म-गर्म हरे धनिए की चटनी के साथ ही सर्व करें और खाने का मज़ा उठाएं.

फिर देर किस बात की….. बरसात के मौसम में आज ही बनाइए यमी-यमी तिरंगी पनीर टिक्की .

Pandya Store की ‘रावी’ ने ‘शिव’ से खुलेआम किया प्यार का इजहार, देखें पोस्ट

टीवी के कलाकार अपनी पर्सनल लाइफ के चलते सुर्खियों में रहते हैं. जहां औनस्क्रीन कैमेस्ट्री फैंस का दिल जीतती है तो वहीं फैंस स्टार्स की औफस्क्रीन कैमेस्ट्री देखने के लिए बेताब रहते हैं. इसी बीच पांड्या स्टोर (Pandya Store) की रावी (Alice Kaushik) ने फैंस के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

रावी ने प्यार का किया इजहार

 

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सीरियल ‘पांड्या स्टोर’ (Pandya Store) में रावी के रोल में नजर आने वाली ​​एलिस कौशिक (Alice Kaushik) अपने औनस्क्रीन पति शिव यानी एक्टर कंवर ढिल्लों संग डेटिंग की खबरों के कारण सुर्खियों में रहती हैं. इसी बीच एक्टर कंवर ढिल्लों के बर्थडे सेलिब्रेशन के मौके पर एलिस कौशिक ने सोशल मीडिया पर फैंस के सामने प्यार का इजहार कर दिया है.

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पोस्ट में लिखी ये बात

अपने रिलेशनशिप को कूबूल करते हुए एलिस कौशिक ने कंवर ढिल्लों के बर्थडे पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘हम दोनों के मिले हुए एक साल हो गया है. उस दिन के बाद से हम दोनों ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. तुमको जानना एक खूबसूरत एहसास की तरह है. मैंने तुम्हारे साथ बहुत सी यादें बनाईं हैं, जिसके बाद अब तुम मेरी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन चुके हो. क्या तुम आगे भी मुझे इस तरह से ही सपोर्ट करोगे?’ तुम्हारे आने के बाद मुझे यकीन हुआ है कि भगवान भी मुझसे प्यार करता है. तुम मुझे बहुत परेशान करते हो लेकिन मुझे इस बात का बुरा नहीं लगता. मैं बस तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं. तुमने इस मुकाम तक आने के लिए बहुत मेहनत की है. तुम मुझे इंस्पायर करते हो.’

बता दें, सीरियल पांड्या स्टोर में रावी और शिव यानी एलिस कौशिक और कंवर ढिल्लों पति-पत्नी के रोल में नजर आते हैं. फैंस को दोनों की कैमेस्ट्री काफी पसंद आती है. वहीं एक्ट्रेस का ये पोस्ट देखने के बाद फैंस दोनों को बधाई देते नजर आ रहे हैं.

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Anupama: मालविका के धोखे से वनराज को लगी शराब की लत! वीडियो वायरल

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में वनराज (Sudhanshu Panday) की जिंदगी में मुसीबतों का दौर शुरु हो गया है. जहां काव्या और उसके रिश्ते में कड़वाहट बढ़ रही है तो वहीं मालविका ने भी वनराज का साथ छोड़ दिया है. इसी बीच सोशलमीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वनराज शराब के नशे में दिखाई दे रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

वनराज बना देवदास

हाल ही में वनराज यानी एक्टर सुधांशू पांडे ने काव्या यानी मदालसा शर्मा के साथ एक वीडियो शेयर की है, जिसमें दोनों काव्या और वनराज देवदास बने नजर आ रहे हैं और शराब पीते नजर आ रहे हैं. जबकि काव्या यानी मदालसा शर्मा उसे रोकती नजर आ रही हैं. दरअसल, मदालसा शर्मा कहती हैं कि शराब पीना छोड़ दो देव, इस पर सुधांशु कहते नजर आ रहे हैं कि नो पारो… और मना करती हैं. वनराज उन्हें ना में जवाब देते हैं, लेकिन अंत में उन्हें कॉमिक टच जोड़ते हुए सुना जा सकता है, ‘तेरे बाप की पी रहा हूं’. फैंस दोनों की इस वीडियो को काफी पसंद कर रहे हैं.

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होली का जश्न मनाते दिखे अनुपमा-अनुज

 

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जहां वनराज देवदास बने नजर आए तो वहीं अनुज यानी गौरव खन्ना और अनुपमा यानी रुपाली गांगुली होली के जश्न में डांस करते नजर आए. फैंस को दोनों की कैमेस्ट्री काफी पसंद आ रही है, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर आए दिन वीडियो शेयर करते नजर आ रहे हैं.

सीरियल में आएगा नया ट्विस्ट

 

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सीरियल के अपकमिंग ट्विस्ट की बात करें तो वनराज, अनुपमा को होली पर सबसे पहले रंग लगाने की चाल चलेगा और अनुज को चैलेंज करता हुआ नजर आएगा. हालांकि देखना होगा कि अनुज और अनुपमा कैसे वनराज को सबक सिखाते हैं.

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इन स्टाइलिंग हैक्स से कैरी करें हर रोज नए स्टनिंग लुक

आज के समय में हर लड़की स्टाइलिश और कॉन्फिडेंस दिखना पसन्द करती है, और इसके लिए वह महंगे आउटफिट से लेकर एसेसरीज में भी इनवेस्ट करने से नहीं चूकतीं. पर कभी-कभी ऐसा होता है कि हम  महंगे आउटफिट खरीद तो लेते है , पर हमें वो लुक नहीं मिल पाता , जैसा कि हमने सोचा होता है. वहीं, दूसरी ओर कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं, जो बेहद सिंपल आउटफिट पहनती हैं, लेकिन फिर भी उनसे कोई भी नजरें नहीं हटा पाता. ऐसे में अक्सर आपके मन में भी यह ख्याल आता होगा कि अन्य लड़कियां सिंपल आउटफिट में भी इतनी स्टनिंग कैसे लग सकती हैं. हो सकता है कि आपके साथ भी कभी ना कभी ऐसा हुआ हो. दरअसल, किसी भी क्लॉथ या आउटफिट को स्टाइल करने का अपना एक तरीका होता है और अगर सही हैक का सहारा लिया जाए तो इससे आपका लुक भी निखरता है. कपड़े महंगे या सस्ते, इससे बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता, बस जरूरत होती है कि आपका स्टाइलिंग का तरीका क्या है. तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे क्लॉथ स्टाइलिंग हैक्स के बारे में बताएंगे, जो आपके लुक को निखारने और स्टाइलिश दिखाने में मदद करेंगे-

एसेसरीज से करें स्टेटमेंट लुक क्रिएट

सिर्फ आउटफिट स्टाइलिंग के जरिए ही एक डिफरेंट लुक क्रिएट नहीं किया जा सकता, बल्कि जरूरी है कि आप अपनी एसेसरीज को लेकर भी थोड़ा एक्सपेरिमेंटल हों. मसलन, अगर आपने प्लेन व्हाइट शर्ट विद स्कर्ट लुक कैरीकिया है तो केजुअल्स में अपने लुक को खास बनाने के लिए आप पेंडेंट की लेयरिंग कर सकती हैं. ठीक इसी तरह, पार्टी लुक में चोकर आपके लुक को खास बनाएगा. जब तब आप अपने आउटफिट के साथ-साथ एसेसरीज के साथ भी एक्सपेरिमेंट करना नहीं सीखेंगी, तब तक आप एक परफेक्ट और यूनिक लुक क्रिएट नहीं कर पाएंगी.

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स्मार्टली चुनें प्रिंट्स व कलर्स

कई बार ऐसा भी होता है कि महिलाएं अपने लुक को अलग दिखाने के लिए बिग प्रिंट्स या नियॉन कलर्सआदि को चुन लेती हैं, लेकिन यह हर किसी पर अच्छे नहीं लगते. साथ ही इन्हें बहुत अधिक भी नहीं पहना जा सकता. इसलिए आप प्रिंट्स और कलर्स को स्मार्टली चुनें. आपके आउटफिट का कलर व प्रिंट ऐसा होना चाहिए कि आप हर बार उसके साथ एक न्यू लुक क्रिएट कर सकें और इस तरह आप केवल एक ही लुक या स्टाइल में बंधकर ना रह जाएं. इस लिहाज में आप फ्लोरल और इंडिगो जैसे मीडियम और ब्यूटीफुल प्रिंट्स चुन सकती हैं. इसके अलावा, वे सभी मौसमों में अच्छे दिखते हैं, जिसके कारण आप उन्हें बार-बार कई अलग-अलग तरीकों से कैरी कर सकती हैं.

क्वालिटी इनरवियर में करें इनवेस्ट

आमतौर पर, महिलाएं अपने आउटफिट में इनवेस्ट करना अधिक पसंद करती हैं और इनरवियर को इग्नोर कर देती हैं. लेकिन यह कई मायनों में जरूरी है. सबसे पहले, तो अगर आपके इनरवियर मसलन, ब्रा की फिटिंग सही नहीं होगी तो आपका लुक बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा. अगर वह लूज होगी तो ब्रेस्ट लटके हुए नजर आएंगे और किसी भी कपड़े में आपको वह ग्रेस नहीं मिलेगा. इसी तरह, अगर वह टाइट होगी तो साइड्स से बल्जेस नजर आएंगे, जो आपका पूरा लुक बिगाड़ देंगे.

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यह हैक भी आएगा काम

जब भी आप किसी आउटफिट को कैरी कर रही हैं तो यह अवश्य देखें कि आपकी बॉडी के प्रॉब्लम एरिया क्या हैं और उसके बाद आप कुछ इस तरह अपनी ड्रेस को सलेक्ट करें, जो लोगों का ध्यान आपके प्रॉब्लम एरिया से हटाती हों. मसलन, अगर आपका लोअर पार्ट हैवी है और आप चाहती हैं कि लोगों का ध्यान उस पर ना जाएं तो ऐसे में आप बिग चंकी नेकपीस या फिर लॉन्ग स्टेटमेंट ईयररिंग्स को कैरी कर सकती हैं. इससे हर किसी का ध्यान आपके फेस पर होगा, लोअर पार्ट पर नहीं.

दोस्ती का एक रिश्ता ऐसा भी

मेरी सहेली रागिनी मेरे घर आई हुई थी. अभी कुछ ही देर हुई होगी कि मेरी बेटी का फोन आ गया. मैं रागिनी को चाय पीने का इशारा कर बेटी के साथ तन्मयता से बातें करने लगी. हर दिन की ही तरह बेटी ने अपने दफ्तर की बातें, दोस्तों की बातें बताते, घर जा कर क्या पकाएगी इस का मेन्यू और तरीका डिस्कस करते हुए मेरा, अपने पापा, नानानानी सहित सब का हालचाल ले फोन रखा.

जैसे ही मैं ने फोन रखा कि रागिनी बोल पड़ी, ‘‘तुम्हारी बेटी तुम से कितनी बातें करती है. मेरे बेटे तो कईकई दिनों तक फोन नहीं करते हैं. मैं करती हूं तो भी हूंहां कर संक्षिप्त सा उत्तर दे कर फोन औफ कर देते हैं. लड़की है न इसलिए इतनी बातें करती है.’’

मैं ने छूटते ही कहा, ‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं है. मेरा बेटा भी तो होस्टल में रह कर पढ़ रहा है. वह भी अपनी दिन भर की बातें, पढ़ाईलिखाई के अलावा अपने दोस्तों के विषय में और अपने कैंपस में होने वाली गतिविधियों की भी जानकारी देता है. सच पूछो तो रागिनी मुझे या मेरे बच्चों को आपस में बातें करने के लिए टौपिक नहीं तलाशने होते हैं.’’

मैं रागिनी के अकेलेपन और उदासी का कारण समझ रही थी. बच्चे तो उस के भी बाहर चले गए थे पर उस का अपने बच्चों के साथ संप्रेषण का  स्तर बेहद बुरा था. उसे पता ही नहीं रहता कि उस के बच्चों के जीवन में क्या चल रहा है. बेटे उदास हैं या खुश उसे यह भी नहीं पता चल पाता. कई बार तो वह, ‘‘बेटा खाना खाया? क्या खाया?’’ से अधिक बातें कर ही नहीं पाती थी.

मैं रागिनी को बरसों से जानती हूं, तब से जब हमारे बच्चे छोटे थे. मैं जब भी रागिनी के घर जाती, देखती कि वह या तो किसी से फोन पर बातें कर रही होती या फिर कान में इयरफोन लगा अपना काम कर रही होती. उस के घर दिन भर टीवी चलता रहता था. बच्चे लगातार घंटों कार्टून चैनल देखते रहते. रागिनी या उस के पति का भी पसंदीदा टाइम पास टीवी देखना ही था. अब जब बच्चों ने बचपन में दिन का अधिकांश वक्त मातापिता से बातें किए बगैर ही बिताया था तो अचानक उन्हें सपना तो नहीं आएगा कि मातापिता से भी दिल की बातें की जा सकती हैं.

जैसा चाहे ढाल लें

वाकई यह मातापिता के लिए एक बड़ी चुनौती है कि वे अपने बच्चों के वक्त को, उन के बचपन को किस दिशा में खर्च कर रहे हैं. बच्चे तो गीली मिट्टी की तरह होते हैं. उस गीली मिट्टी को अच्छे आचारव्यवहार और समझदारी की धीमी आंच में पका कर ही एक इनसान बनाया जाता है. जन्म के पहलेदूसरे महीने से शिशु अपनी मां की आवाज को पहचानने लगता है. एक तरह से बच्चा गर्भ से ही अपने मातापिता की आवाज को सुननेसमझने लगता है. इसलिए बच्चों के सामने हमेशा अच्छीअच्छी बातें करें. अनगढ़ गीली मिट्टी के बने बाल मानस को आप जैसे चाहें ढाल लें.

बाल मनोचिकित्सक मौलिक्का शर्मा बताती हैं कि जो मातापिता अपने बच्चों से शुरुआत से ही खूब बतियाते हैं, हंसते हैं हंसाते हैं, अपनी रोजमर्रा की छोटीछोटी बातें भी शेयर करते हैं, उन के बच्चों को भी आदत हो जाती है अपने मातापिता से सारी बातें शेयर करने की. और फिर यह सिलसिला बाद की जिंदगी में भी चलता रहता है. लाख व्यस्तताओं के बीच अन्य दूसरे जरूरी कामों के साथ बच्चे अपने मातापिता से जरूर बतिया लेते हैं.

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संयुक्त परिवारों में बच्चों से बातें करने, उन्हें सुनने वाले कई लोग होते हैं मातापिता से इतर, इस के विपरीत एकल परिवारों में मातापिता दोनों  अपनेअपने काम से थके होने के चलते बच्चों को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाते हैं बातचीत करनी तो दूर की बात है.

माता पिता से सीखते हैं बच्चे

होली फैमिली हौस्पिटल, बांद्रा, मुंबई के चाइल्ड साइकोलौजिस्ट डाक्टर अरमान का कहना है कि अपने बच्चों के बचपन को सकारात्मक दिशा में खर्च करना मातापिता का प्रथम कर्तव्य है. अकसर घरों में बच्चों को टीवी के सामने बैठा दिया जाता है, खानापीना खाते हुए वे घंटों कार्टून देखते रहते हैं. खुद मोबाइल, कंप्यूटर या किसी भी अन्य चीज में व्यस्त हो जाते हैं. इस दिनचर्या में बेहद औपचारिक बातों के अलावा मातापिता बच्चों से बातें नहीं करते हैं.

बच्चों के सामने बातें करना मानो आईने के समक्ष बोलना है, क्योंकि आप के बोलने की लय, स्वर, लहजा, भाषा वे सब सीखते हैं. बातचीत के वे ही पल होते हैं जब आप अपने अनुभव और विचारों से उन्हें अवगत करते हैं, अपनी सोच उन में रोपित करते हैं. जैसा इनसान उन्हें बनाना चाहते हैं वैसे भाव उन में भरते हैं.

आप जब बूढ़े हो जाएं तब भी आप के बच्चे आप से बातें करने को लालायित रहें तो इस के लिए आप को इन बातों पर अमल करना होगा:

– छोटे बच्चों को खिलातेपिलाते, मालिश करते, नहलाते यानी जब तक वह जगा रहे उस के साथ कुछ न कुछ बोलते रहें. ऐसे बच्चे जल्दी बोलना भी शुरू करते हैं.

– थोड़ा बड़ा होने पर गीत और कहानी सुनाने की आदत डालें. इस से कुछ ही वर्षों में बच्चे पठन के लिए प्रेरित होंगे. उन्हें रंगबिरंगी किताबों से लुभाएं और किताबों से दोस्ती कराने की भरसक कोशिश करें.

– टीवी चलाने के घंटे और प्रोग्राम तय करें. अनर्गल, अनगिनत वक्त तक न आप टीवी देखें और न ही बच्चों को देखने दें. यदि आप अपने मन को थोड़ा साध लेते हैं, तो यकीन मानिए आप स्वअनुशासन का एक बेहतरीन पाठ अपने बच्चों को पढ़ा देंगे.

– अपने संप्रेषण के जरीए आप छोटे बच्चों में कई अच्छे संस्कार रोपित कर सकते हैं जैसे  देश प्रेम, स्वच्छता, सच बोलना, लड़की को इज्जत देना इत्यादि. आज का आप के द्वारा रोपित बीजरूपेण संस्कार के वटवृक्ष के तले भविष्य में समाज और देश खुशहाल होगा.

– यदि छोटा बच्चा कुछ बोलता है, तो उसे ध्यान से सुनें. कई बार मातापिता बच्चों की बातों को अनसुनी करते हुए अपनी धुन में रहते हैं. अपने बच्चों की बातों को तवज्जो दें. उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि आप उन की बातों को हमेशा ध्यान से सुनेंगे चाहे कोई और सुने या नहीं.

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– लगातार संप्रेषण से ही आप बच्चे में किसी भी तरह की आ रही तबदीलियों को भांप सकेंगे. ठीक इसी तरह जब आप से अलग वह रहेगा/रहेगी तो आप की अनकही बातों को वह महसूस कर लेगा. मेरी बेटी हजारों मील दूर फोन पर मेरी आवाज से समझ जाती है कि मैं बीमार हूं, दुखी हूं या उस से कुछ छिपा रही हूं.

– बच्चों के संग बोलतेबतियाते आप दुनियादारी की कई बातें उन्हें सिखा सकते हैं. एकल परिवार में रहने वाला बच्चा भी इसी जरीए रिश्तों और समाज के तौरतरीकों से वाकिफ होता है. यदि बच्चे आप से पूरी तरह खुले रहेंगे तो आप उन्हें बैड टच गुड टच और सैक्स संबंधित ज्ञान भी आसानी से दे सकेंगे.

– सिर्फ छुट्टियों में बात करने या वक्त देने वाली सोच से आप बच्चों के कई हावभावों से अनभिज्ञ रह जाते हैं. परीक्षा की घड़ी हो या पहले प्यार का पल युवा होते बच्चे अपनी बचपन की आदतानुसार आप से शेयर करते रहेंगे. फिर दुनिया में आप से बेहतर काउंसलर उन के लिए कोई नहीं होगा.

– यकीन मानिए अपने बच्चों से बेहतर मित्र दुनिया में कोई नहीं होता है. संप्रेषण वह पुल होता है, जो आप को अपने बच्चों से जोड़े रखता है ताउम्र.

पीरियड्स अनियमित रहने की प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 वर्ष है. शुरू के 5 सालों में मेरे पीरियड्स अनियमित थे. अब यह समस्या नहीं है. 3 महीने बाद मेरा विवाह है. मेरी चिंता इस बात को ले कर है कि पहले पीरियड्स अनियमित रहने की वजह से कहीं विवाह के बाद मुझे मां बनने में अड़चन तो नहीं आएगी? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप बिलकुल परेशान न हों. किशोर उम्र के शुरू के सालों में जब शरीर सयाना होने लगता है और पीरियड्स शुरू होते हैं, उस समय मासिकधर्म के दिनों में घटतबढ़त होना आम बात है. यह घटतबढ़त शरीर के अंदर टिकटिक कर रही जैविक घड़ी की लय से जुड़ी होती है. यों देखने पर मासिकधर्म की क्रिया चाहे मामूली नजर आती हो, लेकिन उस का 28-30 दिन का लयबद्ध चक्र स्त्री के शरीर के अंदर रचीबसी खासी जटिल कैमिस्ट्री की देन होता है. इस में मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलैमस और पिट्यूटरी ग्लैंड, साथ ही पेल्विस में काम कर रही ओवरीज का सीधा हाथ होता है. उन में बनने वाले कई तरह के हारमोन ही स्त्री के भीतरी संसार की रिद्म तय करते हैं. इसी चक्र के तहत प्रजनन योग्य उम्र में आने के बाद नारी हर माह संतानबीज बीजने की तैयारी करती है और गर्भधारण न होने पर गर्भाशय की मोटी परत मासिक रक्तस्राव के रूप में प्रवाहित कर देती है.

किशोर उम्र में जब मासिकधर्म शुरू होता है, तो पहले 2, 3 या 5 सालों तक मासिकचक्र अपनी लय स्थापित नहीं कर पाता. जैसे किसी भी नए काम में पारंगत होने में समय लगता है, उसी प्रकार शरीर को भी अपनी जैविक धुरी खोजने में थोड़ा समय लगता है. खास बात यह है कि इस मासिकचक्र की अनियमितता को सामान्य शारीरिक प्रक्रिया के रूप में ही लिया जाना चाहिए. इस से विचलित नहीं होना चाहिए. अगर आप तन और मन से स्वस्थ और सामान्य हैं और आप के पति भी तो कोई कारण नहीं कि आप को संतानसुख पाने में दिक्कत हो.

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पीसीओएस यानी पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य हारमोन में अस्थिरता से जुड़ी समस्या है जो महिलाओं की प्रजनन आयु में उन के गर्भधारण में समस्या उत्पन्न करती है. यह देश में करीब 10% महिलाओं को प्रभावित करती है. पीसीओएस बीमारी में ओवरी में कई तरह के सिस्ट्स और थैलीनुमा कोष उभर जाते हैं जिन में तरल पदार्थ भरा होता है. ये शरीर के हारमोनल मार्ग को बाधित कर देते हैं जो अंडों को पैदा कर गर्भाशय को गर्भाधान के लिए तैयार करते हैं. पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन होता है. इस की अधिक मात्रा के चलते उन के शरीर में पुरुष हारमोन और ऐंड्रोजेंस के उत्पादन की मात्रा बढ़ जाती है. अत्यधिक पुरुष हारमोन इन महिलाओं में अंडे पैदा करने की प्रक्रिया को शिथिल कर देते हैं. इस का परिणाम यह होता है कि महिलाएं जिन की ओवरी में पौलीसिस्टिक सिंड्रोम होता है उन के शरीर में अंडे पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है और वे गर्भधारण नहीं कर पातीं.

यह एनोवुलेट्री बांझपन का सब से मुख्य कारण है और यदि इस का शुरू में ही इलाज न कराया जाए तो इस से महिलाओं की शारीरिक बनावट में भी खतरनाक बदलाव आ जाता है. आगे चल कर यह एक गंभीर बीमारी की शक्ल ले लेता है. इन में मधुमेह और हृदयरोग प्रमुख है.

पीसीओएस के लक्षण

मासिकधर्म संबंधी विकार. पीसीओएस ज्यादातर मासिकधर्म अवरुद्ध करता है, लेकिन मासिकधर्म संबंधी विकार भी कई प्रकार के हो सकते हैं. सब से सामान्य लक्षण मुंहासे और पुरुषों की तरह दाढ़ी उगना, वजन बढ़ना, बाल गिरना आदि हैं.

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