प्यार का इजहार सुन टूटेगा Anupama का दिल, खतरे में पड़ेगी अनुज की जान

सीरियल अनुपमा में इन दिनों अनुज और वनराज के बीच जंग छिड़ी हुई है, जिसका फायदा काव्या उठाती नजर आ रही है. वहीं अनुपमा इन प्रौब्लम्स में फंसती जा रही है. इसी बीच अनुपमा के सामने अनुज के प्यार का सच सामने आने वाला है, जिसके बाद सीरियल की कहानी बदल जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

तोषू पर भड़की अनुपमा

 

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अब तक आपने देखा कि तोषू की बद्तमीजी का अनुपमा करारा जवाब देती है. वह तोषू का कौलर खींचते हुए कहती है कि कि एक मां कभी गलत नहीं हो सकती क्योंकि वह जानती थी कि जब बच्चा पैदा होता है तो एक मां का दर्द क्या होता है, लेकिन जब बच्चा अपनी मां पर आरोप लगाता है तो उसका दिल टूट जाता है. साथ ही अपना पक्ष रखते हुए अनुपमा कहती है कि उसे अपने कैरेक्टर के बारे में  किसी को समझाने की जरुरत नहीं है क्योंकि वह जानती है कि वह कौन है और उसकी जगह कोई और होता तो वह उसका खून कर देती.

 

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अनुज पहुंचेगा शाह हाउस

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा के साथ बेटे तोषू का व्यवहार देखकर अनुज खुद को दोषी महसूस करता है. हालांकि अनुपमा उसे रोकने के लिए कहता है. लेकिन वह शाह हाउस जाकर वनराज और उसके परिवार को मनाने के लिए जाएगा. वहीं तोषू, वनराज को बताएगा कि उसकी सास राखी दवे ने अनु और अनुज के कारण उसे नौकरी और पेन्टहाउस से निकाल दिया है, जिसे सुनकर बा अनुज को कभी खुश ना रहने की बद्दुआ देगी. दूसरी तरफ अनुज शाह हाउस में आकर अनु के कैरेक्टर पर कीचड़ ना उछालने की विनती करता है. लेकिन वनराज की एक नहीं सुनेगा और दोनों के बीच लंबी बहस होगी और वनराज इस सारे नाटक को खत्म करने के लिए चिल्लाता है और स्वीकार करता है कि वह अनु से प्यार करता है, जिसे अनुपमा सुन लेगी.

अनुज पर होगा हमला

 

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अनुज के प्यार का इजहार सुनते है अनुपमा शाह हाउस से निकल जाएगी और रोते हुए घर पहुंचेगी. वहीं अनुज, वनराज को चेतावनी देगी कि अगर उसमें ईगो और जिद है तो वह भी इस पागलपन और उसकी जिद को तोड़ देगा, जिसके बाद अनुज शाह हाउस से निकलकर अनु को दिल की बात ना बताने का पछतावा महसूस करेगा. लेकिन अब वह अपने प्यार को बताने में देर नहीं करेगा. लेकिन अनुपमा से मिलने जाते वक्त अनुज पर कुछ गुंडे हमला कर देंगे.

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सर्द हवा झेलने को तैयार है आपकी Skin!

अक्सर जानकारी नहीं होने की वजह से हम अपनी त्वचा की सही देखभाल नहीं कर पाते. जानकारी नहीं होती है तो यह समझ भी नहीं आता है कि कब क्या करना है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि हमें यह पता हो कि हमारी त्वचा को किस मौसम में किस चीज की जरूरत है.

सर्दियां शुरू होते ही होंठ और एड़ियों का फटना, बालों में डैंड्रफ और स्किन का ड्राई होना जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं इसलिए इस समय त्वचा को खास देखभाल की जरूरत होती है. सॉफ्ट और ग्लोइंग स्किन के लिए इस मौसम में रखें इन बातों का खास ख्याल…

1. क्रीम कम व ज्यादा लगाने से स्किन की ड्राईनेस पर कोई खास इफेक्ट नहीं पड़ता. दरअसल, ठंड के कारण स्किन के भीतर ब्लड सर्कुलेशन स्लो हो जाता है. इससे बॉडी का टेंपरेचर कम हो जाता है और बॉडी सीवम का प्रॉडक्शन कम करने लगती है. सीवम हमारी तेल ग्रंथियों से निकलने वाली एक ऑयली चीज है, जो हमारी स्किन को सॉफ्ट और शाइनी बनाने में हेल्प करती है. विंटर में बॉडी टेंपरेचर कम होने से सीवम डार्क हो जाता है और वह स्किन की आउटर लेयर पर नहीं आ पाता, जिससे स्किन ड्राई हो जाती है.

2. सीवम का प्रॉडक्शन बढ़ाने का कोई खास तरीका नहीं है. ऐसे में जरूरी है बाहर से एक्स्ट्रा मॉइश्चराइजर लगाने की. इसके लिए मॉइश्चराइजर वाली कोल्ड क्रीम यूज करें. इसके लिए फेस धोते ही हल्के गीले फेस पर मॉइचराइजर यूज करें. दरअसल, स्किन ड्राई हो जाने पर मॉइचराइजर सही तरह से काम नहीं कर पाता. कोल्ड क्रीम और ऑलिव ऑयल के यूज से स्किन की ड्राईनेस काफी हद तक दूर की जा सकती है.

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3. हां, यह सच है कि विंटर का सबसे ज्यादा इफेक्ट स्किन की पहली परत यानी एपिडर्मिस पर पड़ता है. ड्राईनेस से एपिडर्मिस में सिकुड़न आती है, तो स्किन सेल्स टूटने लगते हैं. स्किन पर यह चेंज कुछ महीनों बाद ही लकीरों के रूप में दिखाई देने लगता है, जिससे फाइन लाइंस बन जाती हैं.

4. जितनी बार आप अपनी स्किन को साबुन या फेसवॉश से क्लीन करती हैं, वह उतनी ही ड्राई हो जाती है. मगर क्लीनजिंग करने से स्किन का नेचरल मॉइश्चराइज कम होता जाता है. हां, इसकी जगह लेप का यूज करें. इसके लिए दो चम्मच दूध का पाउडर और दो चम्मच चोकर और थोड़ा पानी मिलाकर लेप बना लें. इसका यूज साबुन की जगह करें. स्किन ड्राई नहीं होगी. सरसों, बादाम या ऑलिव ऑयल से बॉडी की मसाज कर थोड़ी देर धूप सेंककर गुनगुने पानी से नहा लेने से न सिर्फ बॉडी की खुश्की दूर होती है, बल्कि थकान भी खत्म होती है.

5. गलती से भी मास्क का यूज न करें. ध्यान रखें कि किसी भी तरह की पीलिंग, मास्क और एल्कोहल बेस्ड टोनर्स या एस्ट्रिंजेंट का यूज फेस की नेचरल नमी को चुरा लेता है. इसकी जगह पर क्लीजिंग मिल्क या माइल्ड फोमिंग क्लींजर, अल्कोहल रहित टोनर और डीपली हाइड्रेटिंग मास्क का यूज कर सकती हैं.

6. ऐसी सिचुएशन में लिपस्टिक का यूज भूलकर भी न करें. इससे बचने के लिए पेट्रोलियम जेली या लिप क्रीम का यूज करें. एंटी सेप्टिक लिप बाम लगाना भी फायदेमंद रहेगा. रात को सोने से पहले नाभि में एक चुटकी घी लगाएं, इससे भी होंठ नहीं फटेंगे.

7. अगर आप डैंड्रफ पर कंट्रोल नहीं करतीं, तो मौसम चाहे जो भी हो, प्रॉब्लम बढ़ती जाती है. डैंड्रफ दूर करने वाले शैंपू का यूज करें. इसके अलावा, बेसन, मुलतानी मिट्टी और नींबू का रस मिलाकर इससे बालों को धोएं.

8. अगर आप सोच रही हैं कि सर्दियों की धूप कोई नुकसान नहीं पहुंचाती, तो आप गलत सोच रही हैं. सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट रेज स्किन प्रॉब्लम्स बढ़ा सकती हैं, इसलिए धूप में बैठने से पहले सनब्लॉक क्रीम का यूज जरूरी है.

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सांवरी: गरीब की जिंदगी पर कैसे लगा लॉकडाउन?

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

सोलह साल की सांवरी, कब से दिल्ली शहर में रह रही है , उसे खुद भी याद नहीं है,जबसे होश संभाला है अपने आपको इसी ज़ुल्मी शहर में पाया है. ज़ुल्मी इसलिए है ये शहर ,क्योंकि यहाँ कोई उससे अच्छे से नहीं बोलता और कोई भी उसकी चिंता भी नहीं करता .

अच्छे घरों की लड़कियां सुंदर साफ़ कपड़ों मे जब स्कूल जा रही होती हैं तब सांवरी को भी अम्मा और पापा के साथ काम पर निकलना पड़ता है.
हाँ , काम पर ,
और सांवरी को काम की कभी कोई कमी नहीं होती ,उसके परिवार को ठेकेदार बराबर काम देता रहता है.

इस शहर में जो आसमान को चूमती हुयी इमारतें रोज़ बनती ही रहती हैं ,उन्ही इमारतों में काम करती है सांवरी और उसके पापा और अम्मा.

और इसीलिये उसके परिवार को घर की भी कोई ज़रूरत नहीं खलती ,जिस इमारत में काम किया वहीं सो गए ,फिर सुबह होने के साथ उसी इमारत मे काम करने का सिलसिला फिर शुरू .
हाँ ये अलग बात है कि जब ये इमारत बन कर तैयार हो जायेगी तब तक सांवरी और उनका परिवार कहीं और जा चुका होगा ,किसी और इमारत को बनाने के लिए .

वैसे ये बात भी सांवरी किसी को नहीं बताती कि उसकी असली उम्र सोलह साल है ,क्योंकि अगर ठेकेदार को असली उम्र बता दी न तो फिर वो सांवरी को काम से हटा देगा क्योंकि अट्ठारह साल से कम उम्र के बच्चों को ठेकेदार काम पर नहीं रखता है ,पिछली बार जो ठेकेदार था न ,तो पापा ने उसको असली उमर बता दी थे सांवरी की ,तो उसने काम से हटा दिया था सांवरी को ,और जो चार पैसे वो कमाकर लाती थी वो भी मिलने बंद हो गए थे फिर .

उस दिन के बाद सांवरी और पापा सबको अपनी उमर अट्ठारह साल ही बताते हैं .

वैसे तो इस वाली इमारत में काम करते पांच महीने हो चुके हैं पर इस ठेकेदार ने अभी तक पगार नहीं दी है ,कई बार सब मजदूरों ने मिलकर कहा भी तो बस थोड़े बहुत पैसे दे देता है और ऊपर से पैसे न आने का बहाना बना देता है .

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पर ये क्या ……आज अचानक से ये अफरा तफरी क्यों मच गयी है?
सारा काम क्यों बंद करा दिया गया है?
“चलो चलो ….आज से काम बंद हो रहा है …कोई कोरोना वायरस है …जो बीमारी फैला रहा है …इसलोये सरकार का आदेश है कि सब काम बंद रहेगा और कोई भी बाहर नहीं निकलेगा “ठेकेदार ने काम बंद करते हुए कहा

“काम बंद करें ….,पर उससे क्या होगा ? और फिर हम कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या?”
“अरे …वो सब मुझे नहीं पता ….वो सब जाकर सरकार से पूछो….फिलहाल काम बंद करने का है…” चीख पड़ा था ठेकेदार

“ठीक है ….हमारी पगार तो दे दो”एक मज़दूर बोला

“पगार कही भागी जा रही है क्या? जब काम शुरू होगा तब मिल जायेगा पगार”ठेकेदार का रुख सख्त था.

मज़दूर समझ गए थे कि इससे बहस करना बेकार है ,भारी मन से उन्होंने काम बंद कर दिया और अधबनी इमारत में जाकर सर औंधा कर के बैठ गए.

अभी कुछ ही समय हुआ था उन सबको सुस्ताते हुए कि उन लोगों के देखा कि उनकी ही तरह एक मजदूरों का टोला ,जो कहीं और काम करता था और उनके ही गांव की तरफ का लग रहा था ,वो अपना सामान सर पर रख कर तेज़ी से चला आ रहा है

“अरे अब यहाँ मत रुको ….अब अपने घर चलो …यहाँ सब खत्म हो रहा है ….काम एंड करा दिया गया है और पुलिस शहर बंद करा रही है और सुना है कोई बीमारी फ़ैल रही है जिससे आदमी तुरंत ही मर जा रहा है .
उनमें से सबसे आगे चलने वाले मज़दूर ने चेताया

सांवरी और उसके साथ वाले मज़दूर भी यह सुनकर डर गए और सबने ही घर लौट चलने की बात मान ली.

भला दिहाड़ी मजदूरों के पास सामान ही कितना होता है?
जिसके पास जो भी सामान था ,उसे बोरे में बाँध बस स्टैंड की तरफ चल पड़े सभी.

परंतु तब तक देर हो चुकी थी सरकार ने संक्रमण फैलने के डर से बस और ट्रेने सभी बंद करा दी थी.

चारो तरफ अफरा तफरी का माहौल था,पुलिस हाथों में डंडे लेकर लोगों को मार रही थी और लोगों से घर से नहीं निकलने को कह रही थी पर फिर भी ज़रूरी सामान जुटाने को लोग घर से बाहर तो निकल ही रहे थे.

“अब हम घर कैसे जाएंगे” रोने लगी थी सांवरी
“हाँ ….हम लोगों का घर तो बहुत दूर है …क्या हम सब यहीं मर जायेंगे?” एक मज़दूर बोला
“नहीं अगर मरना है …तो यहाँ परदेस मैं नहीं मरेंगे ….अपने घर ..चलने की कोशिश तो करेंगे ही और अगर इस कोशिश में मर भी गए तो कोई बात नहीं” बिहार का एक मज़दूर हिम्मत दिखाते हुए बोला

“हाँ …चलो चलते हैं और हो सकता है कि हमें रास्ते में ही कोई सवारी मिल जाए और हम घर के नज़दीक पहुच जाए”

“हाँ ये सही रहेगा….चलो…चलते हैं”
और इस तरह बिहार और उत्तरप्रदेश के कई अलग अलग इलाकों से आया हुआ ये मजदूरों का गुट लौट पड़ा अपने घर की तरफ ,
सारी दुनिया भी घूम लो पर फिर भी संकट आने पर हर व्यक्ति को अपना घर ही याद आता है.
और फिर शहर में भला इन मजदूरों को कौन खाना ,पानी पूछता
सभी को अपनी राजनीति की पडी थी .

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पुलिस सड़कों पर थी और चारो तरफ लॉकडॉउन कर दिया गया था अर्थात हर एक व्यक्ति को घर मे ही रहने था बाहर नहीं निकलना था और इसी तरह इस कोरोना वायरस से रोकथाम संभव थी.

सारे मज़दूर अपने परिवारों को साथ ले,अपने सामान को सर पर उठाये ,हाथों में पकडे ,बच्चों को सुरक्षा की नज़रिए से अपने आगे पीछे चलाते हुए ,चल पड़े थे अपने गांव की तरफ ,वहां वे कब पहुचेंगे ,कैसे पहुचेंगे ,पहुचेंगे भी या नहीं ,इन सब बातों जा उन्हें कोई भी अंदाज़ा नहीं था और ना ही शायद वो इन बातों को जानना चाहते थे.
सामने कभी न खत्म होने वाला हाईवे दिखाई दे रहा था ,फिर भी सभी मजदूरों का टोला ,मन में एक आतंक लिए चला जा रहा था सिर्फ इस उम्म्मीद में कि अगर घर पहुच गए तो सब सही हो जायेगा.

“ए क्या तुम लोगों को पता नहीं है क्या कि पूरे शहर में लॉकडाउन है और तुम लोग एक साथ ,इतना सारा सामान लिए कहाँ चले जा रहे हो “एक पुलिस वाला चिल्लाया

“जी …साहेब हम सब लोग अपने गांव की तरफ जा रहे है ….और कोई सवारी भी नहीं मिला रही है इसलिए पैदल ही चले जा रहे हैं …कभी न कभी तो पहुच ही जायेंगे” सांवरी के पापा आगे आकर बोले
” स्साले …..तुम लोगों की जान बचाने के लिए हम लोग रात दिन ड्यूटी कर रहें हैं और तुम लोग सड़क पर घूम कर हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर दे रहे हो……..

तुम लोग ऐसे नहीं मानोगे …चलो सब के सब मुर्गा बनो .. सालों ”
और पुलिस वाले ने सारे मजदूरों को सजा के तौर पर मुर्गा बनवा दिया ,सारे मज़दूर लाठी खाने के डर के आगे मुर्गा बन गए ,उन मजदूरों की औरतें और बच्चे बेबस होकर देखते ही रहे.
डर से व्याकुल ,भूख से परेशान मज़दूर फिर से पैदल चल पड़े अपने गांव की तरफ.
अब तक देश में सरकार की तरफ से इस लॉकडाऊन की हालत को सुधारने के लिए बहुत सारे प्रयास किये जा रहे थे पर मजदूरों तक तो सिर्फ पुलिस के डंडे ही आ रहे थे.
पर फिर भी उनसब ने ठान रखा था कि जब तक जान है चलते रहेंगे.

पर मनुष्य शरीर की भी एक सीमा है आओर जब उनके शरीर की चलने की सीमा समाप्त हो गयी और रात हो गयी तो सबने एक मति से वहीँ हाईवे के किनारे सोने की योजना बनाई और जिसके पास जो जो भी था वहीँ किनारे पर बिछाकर सोने की तैयारी करने लगे.

कुछ देर बाद वहां पर एक पुलिस की गाड़ी आयी जिसने उन्हें कुछ खाने के बिस्कुट दिए
जो इतने पर्याप्त तो नहीं थे कि उनकी भूख मिटा सकें पर सच्चाई तो यह थी कि उनको खाकर उन मजदूरों की भूख और भड़क गयी थी ,पर मरता क्या न करता .

बिस्कुट खाकर पानी पीकर रात भर वे सब वहीं पड़े रहे और भोर होते ही फिर चल पड़े .
सांवरी भी अपने अम्मा और पापा के साथ चली जा रही थी ,आगे जाकर थोड़ा थक गयी तो सड़क के किनारे सुस्ताने बैठ गयी .
“अरे तुम्हे भूख लगी है क्या?” अचानक से एक आदमी सांवरी के पास आकर बोला
सांवरी चुपचाप हँसे देखती रही
“देख अगर खाना चाहिए तो मेरे साथ चल मैं तुझे खाना देता हूँ ….वहाँ उधर रखा हुआ है “उस आदमी ने जोर देते हुए कहा
भूख तो लगी ही थी सांवरी को सो वह उस आदमी के साथ जाने लगी ,बेचारी को ये भी नहीं ध्यान आया कि उसके माँ और पापा मजदूरों के साथ आगे बढ़ चुके है.

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जब चलते हुए कुछ देर हो गयी तो तो सांवरी ने कहा
“कहाँ है खाना”
“हाँ इधर है …खाना ” झाड़ियों में कोई और आदमी छुपा हुआ बैठा था उसने लपककर सांवरी को पकड़ लिया और उसका मुंह दबा दिया और फिर दोनों आदमियों ने मिलकर सांवरी का बलात्कार किया और उसके विरोध करने पर उसको मारा भी .

सांवरी की दुनिया लूट चुकी थी वह रो रही थी पर वहां उसका रूदन सुनने वाला कोई भी नहीं था.
रोते रोते ही सांवरी उठी और आगे जाकर एक खाई में कूदकर उसने आत्म हत्या कर ली.

मजदूरों का काफिला आगे चलता जा रहा था , किसी ने सांवरी की फ़िक्र भी नहीं करी थी
लॉकडाऊन अब भी जारी था. ऐसे दरिंदों को पुलिस भी नहीं पहचान पा रही थी ,वे अब भी खुले सड़कों पर घूम रहे हैं. मज़दूर अब भी सड़क पर पैदल ही जा रहे थे बस सांवरी की ज़िंदगी पर ही पूरा लॉकडाउनन
लग चुका था.

आखिर कब तक: नादान उम्र का खेल

लेखक- सुबोध कुमार

राम रहमानपुर गांव सालों से गंगाजमुनी तहजीब की एक मिसाल था. इस गांव में हिंदुओं और मुसलिमों की आबादी तकरीबन बराबर थी. मंदिरमसजिद आसपास थे. होलीदीवाली, दशहरा और ईदबकरीद सब मिलजुल कर मनाते थे. रामरहमानपुर गांव में 2 जमींदारों की हवेलियां आमनेसामने थीं. दोनों जमींदारों की हैसियत बराबर थी और आसपास के गांव में बड़ी इज्जत थी. दोनों परिवारों में कई पीढि़यों से अच्छे संबंध बने हुए थे. त्योहारों में एकदसूरे के यहां आनाजाना, सुखदुख में हमेशा बराबर की साझेदारी रहती थी. ब्रजनंदनलाल की एकलौती बेटी थी, जिस का नाम पुष्पा था. जैसा उस का नाम था, वैसे ही उस के गुण थे. जो भी उसे देखता, देखता ही रह जाता था. उस की उम्र नादान थी. रस्सी कूदना, पिट्ठू खेलना उस के शौक थे. गांव के बड़े झूले पर ऊंचीऊंची पेंगे लेने के लिए वह मशहूर थी.

शौकत अली के एकलौते बेटे का नाम जावेद था. लड़कों की खूबसूरती की वह एक मिसाल था. बड़ों की इज्जत करना और सब से अदब से बात करना उस के खून में था. जावेद के चेहरे पर अभी दाढ़ीमूंछों का निशान तक नहीं था.

जावेद को क्रिकेट खेलने और पतंगबाजी करने का बहुत शौक था. जब कभी जावेद की गेंद या पतंग कट कर ब्रजनंदनलाल की हवेली में चली जाती थी, तो वह बिना झिझक दौड़ कर हवेली में चला जाता और अपनी पतंग या गेंद ढूंढ़ कर ले आता.

पुष्पा कभीकभी जावेद को चिढ़ाने के लिए गेंद या पतंग को छिपा देती थी. दोनों में खूब कहासुनी भी होती थी. आखिर में काफी मिन्नत के बाद ही जावेद को उस की गेंद या पतंग वापस मिल पाती थी. यह अल्हड़पन कुछ समय तक चलता रहा. बड़ेबुजुर्गों को इस खिलवाड़ पर कोई एतराज भी नहीं था.

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समय तो किसी के रोकने से रुकता नहीं. पुष्पा अब सयानी हो चली थी और जावेद के चेहरे पर दाढ़ीमूंछ आने लगी थीं. अब जावेद गेंद या पतंग लेने हवेली के अंदर नहीं जाता था, बल्कि हवेली के बाहर से ही आवाज दे देता था.

पुष्पा भी अब बिना झगड़ा किए नजर झुका कर गेंद या पतंग वापस कर देती थी. यह झुकी नजर कब उठी और जावेद के दिल में उतर गई, किसी को पता भी नहीं चला.

अब जावेद और पुष्पा दिल ही दिल में एकदूसरे को चाहने लगे थे. उन्हें अल्हड़ जवानी का प्यार हो गया था.

कहावत है कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. गांव में दोनों के प्यार की बातें होने लगीं और बात बड़ेबुजुर्गों तक पहुंची.

मामला गांव के 2 इज्जतदार घरानों का था. इसलिए इस के पहले कि मामला तूल पकड़े, जावेद को आगे की पढ़ाई के लिए शहर भेज दिया गया. यह सोचा गया कि वक्त के साथ इस अल्हड़ प्यार का बुखार भी उतर जाएगा, पर हुआ इस का उलटा.

जावेद पर पुष्पा के प्यार का रंग पक्का हो गया था. वह सब से छिप कर रात के अंधेरे में पुष्पा से मिलने आने लगा. लुकाछिपी का यह खेल ज्यादा दिन तक नहीं चल सका. उन की रासलीला की चर्चा आसपास के गांवों में भी होने लगी.

आसपास के गांवों की महापंचायत बुलाई गई और यह फैसला लिया गया कि गांव में अमनचैन और धार्मिक भाईचारा बनाए रखने के लिए दोनों को उन की हवेलियों में नजरबंद कर दिया जाए.

ब्रजनंदनलाल और शौकत अली को हिदायत दी गई कि बच्चों पर कड़ी नजर रखें, ताकि यह बात अब आगे न बढ़ने पाए. कड़ी सिक्योरिटी के लिए दोनों हवेलियों पर बंदूकधारी पहरेदार तैनात कर दिए गए.

अब पुष्पा और जावेद अपनी ही हवेलियों में अपने ही परिवार वालों की कैद में थे. कई दिन गुजर गए. दोनों ने खानापीना छोड़ दिया था. आखिरकार दोनों की मांओं का हित अपने बच्चों की हालत देख कर पसीज उठा. उन्होंने जातिधर्म के बंधनों से ऊपर उठ कर घर के बड़ेबुजुर्गों की नजर बचा कर गांव से दूर शहर में घर बसाने के लिए अपने बच्चों को कैद से आजाद कर दिया.

रात के अंधेरे में दोनों अपनी हवेलियों से बाहर निकल कर भागने लगे. ब्रजनंदनलाल और शौकत अली तनाव के कारण अपनी हवेलियों की छतों पर आधी रात बीतने के बाद भी टहल रहे थे. उन दोनों को रात के अंधेरे में 2 साए भागते दिखाई दिए. उन्हें चोर समझ कर दोनों जोर से चिल्लाए, पर वे दोनों साए और तेजी से भागने लगे.

ब्रजनंदनलाल और शौकत अली ने बिना देर किए चिल्लाते हुए आदेश दे दिया, ‘पहरेदारो, गोली चलाओ.’

‘धांयधांय’ गोलियां चल गईं और 2 चीखें एकसाथ सुनाई पड़ीं और फिर सन्नाटा छा गया.

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जब उन्होंने पास जा कर देखा, तो सब के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई. पुष्पा और जावेद एकदूसरे का हाथ पकड़े गोलियों से बिंधे पड़े थे. ताजा खून उन के शरीर से निकल कर एक नई प्रेमकहानी लिख रहा था.

आननफानन यह खबर दोनों हवेलियों तक पहुंच गई. पुष्पा और जावेद की मां दौड़ती हुई वहां पहुंच गईं. अपने जिगर के टुकड़ों को इस हाल में देख कर वे दोनों बेहोश हो गईं. होश में आने पर वे रोरो कर बोलीं, ‘अपने जिगर के टुकड़ों का यह हाल देख कर अब हमें भी मौत ही चाहिए.’

ऐसा कह कर उन दोनों ने पास खड़े पहरेदारों से बंदूक छीन कर अपनी छाती में गोली मार ली. यह सब इतनी तेजी से हुआ कि कोई उन को रोक भी नहीं पाया.

यह खबर आग की तरह आसपास के गांवों में पहुंच गई. हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. सवेरा हुआ, पुलिस आई और पंचनामा किया गया. एक हवेली से 2 जनाजे और दूसरी हवेली से 2 अर्थियां निकलीं और उन के पीछे हजारों की तादाद में भीड़.

अंतिम संस्कार के बाद दोनों परिवार वापस लौटे. दोनों हवेलियों के चिराग गुल हो चुके थे. अब ब्रजनंदनलाल और शौकत अली की जिंदगी में बच्चों की यादों में घुलघुल कर मरना ही बाकी बचा था.

ब्रजनंदनलाल और शौकत अली की निगाहें अचानक एकदसूरे से मिलीं, दोनों एक जगह पर ठिठक कर कुछ देर तक देखते रहे, फिर अचानक दौड़ कर एकदूसरे से लिपट कर रोने लगे.

गहरा दुख अपनों से मिल कर रोने से ही हलका होता है. बरसों का आपस का भाईचारा कब तक उन्हें दूर रख सकता था. शायद दोनों को एहसास हो रहा था कि पुरानी पीढ़ी की सोच में बदलाव की जरूरत है.

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Healthy रिश्ते में स्वच्छता का महत्त्व

रानी और रजनी पक्की सहेलियां हैं. दोनों मध्यवर्गीय, पढ़ीलिखी, उदार, सहिष्णु, मितव्ययी, परिवार का खयाल रखने वाली, नईनई चीजों को सीखने की इच्छुक हैं.

बस दोनों में एक ही अंतर है. यह अंतर देह प्रेम को ले कर है. एक छत के नीचे रहते हुए भी रानी और उस के पति के बीच देह प्रेम उमड़ने में काफी वक्त लगता है. महीनों यों ही निकल जाते हैं.

उधर रजनी और उस का पति हफ्ते में 1-2 बार शारीरिक निकटता जरूर पा लेते हैं. रानी इस प्रेम को गंदा भी समझती है, जबकि रजनी ऐसा नहीं सोचती है. दोनों एकदूसरे के इस अंतर को जानती हैं.

आप कहेंगे कि भला यह क्या अंतर हुआ? जी हां, यही तो बड़ा अंतर है. पिछले दिनों इस एक अंतर ने दोनों सहेलियों में कई और अंतर पैदा कर दिए थे.

इस एक अंतर से ही रानी तन को स्वच्छ रखने में संकोची हो गई थी. केवल वह ही नहीं, बल्कि उस के पति का भी यही हाल था. उसे अपने कारोबार से ही फुरसत नहीं थी. वह हर समय गुटका भी चबाता रहता था.

सैक्स सिखाए स्वच्छ रहना

उधर, रजनी नख से शिख तक हर अंग को ले कर सतर्क थी. बेहतर तालमेल, प्रेम, अंतरंगता और नियमित सहवास की वजह से रजनी को यह एहसास रहता था कि एकांत, समय और निकटता मिलने पर पति कभी भी उसे आलिंगन में भर सकता है. वह कभी भी उस के किसी भी अंग को चूम सकता है. कभी भी दोनों के यौन अंगों का मिलन हो सकता है. ऐसे में वह अंदरूनी साफसफाई को ले कर लापरवाह नहीं हो सकती थी. रजनी की तरफ से इसी प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया उस के पति को भी अंदरूनी रूप से स्वच्छ रखने में मदद करती थी.

इस एक अंतर से ही रानी अपनी देह और खानपान के प्रति भी लापरवाह हो गई थी. जब देह को निहारने वाला, देह की प्रशंसा करने वाला कोई न हो तो अकसर शादी के बाद इस तरह की लापरवाही व्यवहार में आ जाती है. रानी इस का सटीक उदाहरण थी. इस वजह से समय बीतने के साथ उस ने चरबी की कई परतों को आमंत्रण दे दिया था. उधर रजनी का खुद पर पूरा नियंत्रण था, लिहाजा वह छरहरे बदन की स्वामिनी थी.

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इस एक अंतर के कारण ही रानी एक दिन डाक्टर के सामने बैठी थी. रजनी भी साथ थी. रानी को जननांग क्षेत्र में दर्द की समस्या थी, जो काफी अरसे से चली आ रही थी. डाक्टर ने बताया कि इन्फैक्शन है. इन्फैक्शन का कारण शरीर की साफसफाई पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जाना है. साफसफाई में लापरवाही से समस्या गंभीर हो गई थी.

रानी का मामला रजनी के पति को भी पता चल गया था. वास्तव में हर वह बात जो रजनी और उस के पति में से किसी एक को पता चलती थी, वह दूसरे की जानकारी में आए बिना नहीं रहती थी. वे दोनों हर मामले पर बात करते थे. रात में जब रजनी ने पति राजेश को सारी बात बताई तो राजेश ने कहा, ‘‘तुम्हें अपनी सहेली को समझाना चाहिए कि देह प्रेम गंदी क्रिया नहीं है. मैं यह तो नहीं कहता कि ऐसे सभी विवाहित लोग जो सहवास नहीं करते, वे शरीर की साफसफाई को ले कर लापरवाह रहते होंगे, लेकिन मैं यह गारंटी से कह सकता हूं कि यदि पतिपत्नी नियमित अंतराल पर देह प्रेम करते हैं, तो दोनों ही अपने तन की स्वच्छता के प्रति लापरवाह नहीं रह सकते यानी यदि वे सहवास का आनंद लेते हैं तो वे ज्यादा स्वस्थ और स्वच्छ रहते हैं.’’

दवा है सैक्स

राजेश ने बिलकुल ठीक कहा. दरअसल, जब पतिपत्नी को यह एहसास रहता है कि वे एकदूसरे को प्यार करते हैं और उन्हें शारीरिक रूप से जल्दीजल्दी निकट आना है, तो दोनों ही स्वाभाविक रूप से अपने हर अंग की साफसफाई के प्रति सचेत रहते हैं. इस से न सिर्फ उन का व्यक्तित्व निखरता है और दोनों में प्रेम बढ़ता है, बल्कि कई रोग भी शरीर से दूर रहते हैं. इस के उलट जो दंपती शारीरिक संबंधों के प्रति उदासीन रहते हैं, वे अपनी साफसफाई के प्रति भी लापरवाह हो सकते हैं.

हम सभी जानते हैं कि वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध के 2 प्रमुख उद्देश्य होते हैं. पहला संतान की उत्पत्ति और दूसरा आनंद की प्राप्ति. लेकिन बारीकी से नजर डालें तो सहवास से एक परिणाम और निकलता है, जिसे तीसरा उद्देश्य भी बनाया जा सकता है. दरअसल, सहवास से पतिपत्नी अच्छा स्वास्थ्य भी पा सकते हैं. इसे हम यों भी कह सकते हैं कि यदि पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बन रहे हैं, तो इस बात की संभावना ज्यादा है कि वे स्वस्थ भी रहेंगे.

जी हां, पतिपत्नी के बीच सैक्स को कई तरह की दिक्कतें दूर करने की दवा बताया गया है. सैक्स को ले कर दुनिया भर में अनेक शोध किए गए हैं और किए जा रहे हैं. विभिन्न शोधों के बाद दुनिया भर के विशेषज्ञों ने सैक्स के फायदे कुछ इस तरह गिनाए हैं:

– पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बनने से तनाव और ब्लड प्रैशर नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है. तनाव में कमी आती है, तो अनेक अन्य रोग भी पास नहीं फटकते हैं.

– सप्ताह में 1-2 बार किया गया सैक्स रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

– सैक्स अपनेआप में एक शारीरिक व्यायाम है और विशेषज्ञों के अनुसार आधे घंटे का सैक्स करीब 90 कैलोरी कम करता है यानी सैक्स के जरीए वजन घटाने में भी मदद मिलती है.

– एक अध्ययन कहता है कि जो व्यक्ति हफ्ते में 1-2 बार सैक्स करते हैं उन में हार्ट अटैक की आशंका आधी रह जाती है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि शारीरिक प्यार एक तरह से भावनात्मक प्यार का ही बाहरी रूप है, इसलिए जब हम शारीरिक प्यार करते हैं, तो भावनाओं का घर यानी हमारा दिल स्वस्थ रहता है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार सैक्स, फील गुड के एहसास के साथसाथ स्वसम्मान की भावना को भी बढ़ाने में सहायक होता है.

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– शारीरिक संबंध प्रेम के हारमोन औक्सीटौसिन को बढ़ाने का काम करता है, जिस से स्त्रीपुरुष का रिश्ता मजबूत होता है.

– सैक्स शरीर के अंदर के स्वाभाविक पेनकिलर ऐंडोर्फिंस को बढ़ावा देता है, जिस से सैक्स के बाद सिरदर्द, माइग्रेन और यहां तक कि जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार जिन पुरुषों में नियमित अंतराल पर स्खलन (वीर्य का निकलना) होता रहता है, उन में ज्यादा उम्र होने पर प्रौस्टेट संबंधी समस्या या प्रौस्टेट कैंसर की आशंका काफी कम हो जाती है. यहां नियमित अंतराल से मतलब 1 हफ्ते में 1-2 बार सहवास से है.

– सैक्स नींद न आने की दिक्कत को भी दूर करता है, क्योंकि सैक्स के बाद अच्छी नींद आती है.

सहवास एक दवा है. दवा भी ऐसी जिस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं है, इसलिए पतिपत्नी को स्वस्थ रहने के लिए इस दवा का नियमित अंतराल पर सेवन अवश्य करना चाहिए.

जानें क्या हैं Chocolate खाने के फायदे

आमतौर पर चॉकलेट को सेहत और दांतों के लिए खतरनाक ही माना जाता है. लेकिन ये पूरा सच नहीं है. चॉकलेट खाने के बहुत से ऐसे फायदे हैं जिनके बारे में हमें पता भी नहीं होता है.

डार्क चॉकलेट में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं. कोको के बीजों से तैयार चॉकलेट, एंटी-ऑक्सीडेंट का सबसे बेहतरीन स्त्रोत है.

कई अध्ययनों में ये साबित हो चुका है कि डार्क चॉकलेट खाने से सेहत तो बेहतर होती है ही साथ ही दिल से जुड़ी बीमारियां भी दूर रहती हैं.

डार्क चॉकलेट खाने के फायदे:

1. सेहत और पौष्ट‍िक तत्वों से भरपूर है डार्क चॉकलेट

चॉकलेट में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. लेकिन सबसे जरूरी है कि आप बेहतरीन क्वालिटी की डार्क चॉकलेट ही खरीदें. चॉकलेट में एक अच्छी मात्रा में फाइबर्स भी पाए जाते हैं और ये कई प्रकार के लवणों का भी अच्छा स्त्रोत है.

डार्क चॉकलेट में फैटी एसिड भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. तुरंत एनर्जी के लिए या फिर लो ब्लड प्रेशर होने पर डार्क चॉकलेट खाना फायदेमंद है. इसमें मौजूद फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर और मैगनीज तुरंत एनर्जी देने का काम करते हैं.

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2. एंटी-ऑक्सीडेंट का बेहतरीन स्त्रोत

कोकोआ और डार्क चॉकलेट में कई प्रकार के बेहतरीन क्वालिटी वाले एंटी -ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट किसी भी दूसरे खाद्य पदार्थ में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट की तुलना में बेहतर और प्रभावी होते हैं.

3. ब्लड फ्लो और लोअर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए

कोकोआ और डार्क चॉकलेट में कई तरह के बायो-एक्ट‍िव कंपाउंड्स पाए जाते हैं. जिससे धमनियों में ब्लड फ्लो बेहतर होता है और साथ ही लो-ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम में भी फायदा होता है.

4. दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम करती है चॉकलेट

कई अध्ययनों में इस बात की पुष्ट‍ि की गई है कि डार्क चॉकलेट खाने से दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा बहुत कम हो जाता है. चॉकलेट खाने वालों को इस तरह की प्रॉब्लम कम होती हैं.

5. ब्रेन फंक्शन को बेहतर बनाने के लिए

डार्क चॉकलेट ब्रेन के फंक्शन को भी दुरस्त रखने का काम करता है. एक अध्ययन के अनुसार, पांच दिन तक लगातार डार्क चॉकलेट खाने से ब्रेन फंक्शन मजबूत होता है. इसमें मौजूद कैफीन और थियोब्रोमीन ब्रेन फंक्शन को बूस्ट करने में मददगार हैं.

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दोनों ही काली: क्यों पत्नी से मिलना चाहता था पारस

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फैशन के मामले में Yeh Rishta Kya Kehlata Hai की अक्षरा को टक्कर देती हैं आरोही, देखें फोटोज

स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल में से एक ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में हाल ही में लीप देखने को मिला है, जिसमें सीरत और कार्तिक के बच्चे बड़े हो गए हैं. वहीं इसमें लीड एक्ट्रेस के रोल में प्रणाली राठौड़ और करिश्मा सावंत (Karishma Sawant) नजर आ रही हैं, जो अक्षरा और आरोही का किरदार निभाती नजर आ रही हैं. लेकिन आज हम आपको आरोही यानी करिश्मा सावंत के लुक्स के बारे में बताएंगे, जिसमें वह अक्षरा को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं.

मौडलिंग करती हैं आरोही

 

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ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में आरोही का किरदार निभाने वाली करिश्मा सावंत 24 साल की हैं, जो एक्ट्रेस होने के साथ-साथ मॉडल भी हैं, जिसका अंदाजा उनके सोशल मीडिया अकाउंट देखकर लगाया जा सकता है. हौट अवतार हो या इंडियन, हर लुक में करिश्मा बेहद खूबसूरत लगती हैं.

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फैंस लुटाते हैं प्यार

 

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मौडलिंग के अलावा करिश्मा सावंत बचपन से ही डांस करने की शौकीन हैं, जिसके चलते वह फैंस के बीच फेमस हैं.  वहीं हर अवतार पर फैंस अपना प्यार लुटाते नजर आते हैं, जिसके कारण वह पौपुलर भी हैं.

सीरियल में दिखता है खूबसूरत अवतार

 

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सीरियल की बात करें तो आरोही के रोल में करिश्मा का लुक बेहद खास देखने को मिलता है. ड्रेसेस में वह बेहद खूबसूरत लगती है. वहीं इस लुक में वह अक्षरा यानी प्रणाली राठौड़ को टक्कर देती नजर आती हैं.

फ्लावर प्रिंटेड ड्रैस में बिखेरती हैं जलवे

 

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ड्रैसेस के कलेक्शन की बात करें तो प्रिंटेड ड्रैसेस में करिश्मा बेहद खूबसूरत लगती हैं. उनका ये अवतार फैंस को काफी पसंद आता है. साथ ही वह इस अवतार को ट्राय करते रहते हैं.

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आखिर भारत चीन से पीछे क्यों है

भारत की औरतों को चीन से ज्यादा चीनी के दामों की चिंता रहती है पर चीन का खतरा और उस से कंपीटिशन हम सब के सिर पर हर समय सवार है. वैसे तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपना कार्यकाल रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की तरह असीमित करा लिया है पर अभी

वे अपने देश और दुनिया की नजरों में खलनायक नहीं बने हैं, जबकि तुर्की के रजब तैयब एर्दोगन और रूसी राष्ट्रपति पुतिन इसी तरह के बदलाव पर लोकतंत्र के हत्यारे और दुनिया के लिए खतरा घोषित कर दिए गए हैं.

पुतिन के विपरीत शी जिनपिंग की छवि एक बेहद सौम्य व सरल से नेता की है जो संरक्षक ज्यादा लगता है, मालिक कम. चीनी नीतियां भी ऐसी ही हैं. शी जिनपिंग के रोड और बैस्ट योजना का लक्ष्य सारे देशों को एक मार्ग से जोड़ना, बहुत देशों को पसंद आया है क्योंकि बहुत से अलगथलग पड़े देश व बड़े देशों के दूर वाले इलाकों से यह मार्ग गुजरने लगा है. यह पिछले 7-8 सालों से बन रहा है और बहुत जगह असर दिख रहा है.

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चीन की प्रगति इन सालों में बेहद अच्छी रही है और चीन चाहे सैनिक तेवर दिखा रहा हो, उस की सेनाओं ने भारत के अलावा कहीं पैर नहीं पसारे हैं. साउथ सी में वह अपना प्रभुत्व जमा रहा है पर अभी तक शांतिपूर्वक है.

अब शी जिनपिंग ने पिछले 3 दशकों में सरकारी छूटों का लाभ उठा कर धन्ना सेठ बने चीनियों पर नकेल कसनी शुरू की है. चीन में भी अंबानियों और अदानियों की कमी नहीं है, जिन्होंने सिर्फपहुंच और खातों के हेरफेर से पैसा कमाया है और कम्युनिस्ट देश में कैपिटलिस्ट मौज मना रहे हैं. अलीबाबा कंपनी के जैक मा का उदाहरण सब से बड़ा है जिस के पर हाल में कुतरे गए. एक भवन निर्माण कंपनी को भी डूबने से नहीं रोका गया क्योंकि उस ने बेहद घपला कर हजारों मकान बना डाले थे. हम तो पुरानी परंपराओं को खोदखोद कर निकाल कर सिर पर मुकुट में लगा रहे हैं.

चीनी नेता अब फिर से पार्टी राज ला रहे हैं जो अच्छा साबित होगा या नहीं अभी नहीं कह सकते पर यह पक्का है कि सिरफिरे ही सही कट्टरवादी माओत्सेतुंग ने ही चीन को पुरानी परंपराओं से निकालने के लिए हर पुरानी चीज को ध्वस्त कर डाला था. जो चीन तैयार हुआ वह दुनियाभर के लिए चुनौती बन गया है.

चीन अपनी सेना को भी मजबूत कर रहा है और अपने विमानों, पनडुब्बियों, एअरक्राफ्ट कैरियरों के बेड़े तैयार कर रहा है. भारत को डराए रखने के लिए चीन भारत सीमा के निकट हवाईअड्डे और सड़कें बना रहा है बिना विदेशी यानी पश्चिमी देशों की सहायता से.

अमेरिका शी जिनपिंग के चीन से भयभीत है और इसलिए आस्ट्रेलिया, जापान और भारत के साथ एक क्वैड संधि की गई है ताकि चारों देश मिल कर चीन का सामना कर सकें. इन चारों को यह तो पक्का भरोसा है कि वे चीन को अपनी तकनीक, बाहुबल या चालबाजी से बहका नहीं सकेंगे. जापान को मालूम है कि वह अब चीन पर कब्जा नहीं कर सकता जैसा उस ने 100 साल पहले किया था.

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शी जिनपिंग का लैफ्ट टर्न वही टर्न है जो कांग्रेस अब राहुल गांधी की पहल में कर रही है. जब तक किसी देश का आम आदमी भरपेट खाना नहीं खाएगा और उसे बराबरी का एहसास नहीं होगा, वह उन्नति में सहायक नहीं होगा, अलीबाबा या अदानी या अंबानी किसी देश की उन्नति की नींव नहीं बन सकते हैं, ये परजीवी हैं जो आम जनता की रगों से खून चूसते हैं. हमारी मंदिर, हिंदूमुसलिम नीति भी वही है. शी जिनपिंग अलग दिख रहे हैं, कितने हैं, पता नहीं. हां, एक मजबूत चीन भारत के लिए लगातार खतरा रहेगा जब तक हम भी उतने ही मजबूत न हों. हमारी पूंजी तो फिलहाल प्रधानमंत्री के सपनों के संसद परिसर और राममंदिर में लग रही है.

खुल रहे हैं बच्चों के स्कूल, रखें इन बातों का खास ख्याल

मार्च 2020 में कोरोना के आगमन के बाद से ही बच्चों के स्कूलों में लगा ताला अब 19 माह बाद धीरे धीरे खुलने लगा है. यद्यपि अभी बच्चों की वैक्सीन नहीं ईजाद हुई है परन्तु चूंकि 18 वर्ष की उम्र से अधिक के सभी लोगों का वैक्सिनेशन हो चुका है तो अब स्कूलों को खोला जा रहा है. अभी कोरोना का खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है इसलिए सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है.

अब जब कि बच्चे स्कूल जाने लगे हैं तो माताओं के लिए उनकी सेहत और सुरक्षा का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक हो गया है. इस समय उनकी डाइट का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है ताकि उनका इम्यून सिस्टम मजबूत बना रहे. आज हम आपको ऐसी ही कुछ बातें बता रहे हैं जिनका ध्यान रखकर आप अपने बच्चे को सेहत और सुरक्षा दोनों ही दे सकतीं हैं.

-बच्चे के बैग में इमरजेंसी के लिए एक यूज एंड थ्रो मास्क और छोटा हैंड सेनेटाइजर रखकर बच्चे को बताएं कि रेगुलर मास्क के गुम हो जाने पर उसे इनका प्रयोग करना है.  -उसे प्रतिदिन मास्क लगाकर ही स्कूल भेजें और पेंट की जेब में हैंड सेनेटाइजर रखें  ताकि उसे प्रयोग करने में आसानी रहे.

-बच्चे को समझाएं कि वह अपना लंच दूसरों के साथ शेयर न करे, इसके अतिरिक्त उन्हें दूसरों का पानी भी न प्रयोग करने की सलाह दें.

-स्कूल में शिक्षक भी बच्चों को अनेकों सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं पर बच्चे अक्सर उन बातों पर ध्यान नहीं देते , आप अपने बच्चे को टीचर की बातों पर अमल करने की सलाह दें ताकि आपके बच्चा किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचा रहे.

-लंच में मैदा से बने मैगी, पास्ता और ब्रेड जैसे फ़ास्ट फ़ूड के स्थान पर पालक, पनीर, चुकंदर, मैथी और आलू आदि के भरवां पराठों को स्थान दें.

-सूजी से बनी रोस्टेड सेवइयों को शिमला मिर्च, गाजर, मटर आदि सब्जियों के साथ बनाकर लंच में रखें, सेवइयों के स्थान पर आप सूजी और ब्राउन राइस का भी प्रयोग कर सकतीं हैं. इससे उन्हें पौष्टिकता और टेस्ट दोनों ही  मिलेंगे.

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-डायटीशियन मेघा चंदेल के अनुसार इस समय बच्चों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन और मिनरल्स के संतुलन के साथ साथ ऐसी डाइट देना आवश्यक है जिससे उनमें ऐंटीबॉडीज बनती रहे और उनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहे.

-बच्चे के रेस्पिरेटरी तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए उबला अंडा भी दिया जा सकता है.

-राजमा, छोले, दाल या चने की स्टफिंग करके कटलेट या रोल बनाकर लंच में रखें इससे उनका पेट भी भरेगा और स्वाद भी मिल सकेगा.

-अक्सर बच्चे फल खाना पसंद नहीं करते ऐसे में आप उन्हें केवल दूध के स्थान पर फलों से बना शेक और स्मूदी दें इससे दूध के साथ साथ फलों की पौष्टिकता भी प्राप्त हो सकेगी.

-आजकल बच्चों के लंच से पूर्व मिड लंच भी होने लगा है जिसमें उन्हें  10 से 15 मिनट का ब्रेक मिलता है कुछ छुटपुट खाने के लिए, इस ब्रेक के लिए आप एक छोटे लंच बॉक्स में कुछ डॉयफ्रूट और फल रखें ताकि बच्चा कम समय में फटाफट खा सके.

-स्कूल भेजते समय प्रतिदिन बच्चों को स्कूल में सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने और हैंड हाइजीन का ध्यान रखना अवश्य बताएं ताकि उन्हें हर समय आपकी बात याद रहे.

-जहां तक सम्भव हो आप अपने बच्चे को बाजार के खाद्य पदार्थों के स्थान पर घर का बना शुद्ध, स्वादिष्ट और पौष्टिकता से भरपूर खाद्य पदार्थ ही खाने को दें ताकि वह किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचा रहे.

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