बहन का सुहाग: भाग 1- क्या रिया अपनी बहन का घर बर्बाद कर पाई

लेखकनीरज कुमार मिश्रा

आनंद रंजन अर्बन बैंक में क्लर्क थे. उन की आमदनी ठीकठाक ही थी. घर में सुघड़ पत्नी के अलावा 2 बेटियां और 1 बेटा बस इतना सा ही परिवार था आनंद रंजन का.

गांव में अम्मांबाबूजी बड़े भाई के साथ रहते थे, इसलिए उन की तरफ की जिम्मेदारियों से आनंद मुक्त थे, हां… पर गांव में हर महीने पैसे जरूर भेज दिया करते थे.

वैसे तो आनंद रंजन का किसी के साथ कोई मनमुटाव नहीं था. सब के साथ उन का मृदु स्वभाव उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बनाए रखता था, चाहे बैंक का काम हो या सामाजिक काम, सब में आगे बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे वे. साथ ही साथ अपने परिवार को आनंद रंजन पूरा समय भी देते थे. जहां हमारे देश में एक लड़के को ही वंश चलाने के लिए जरूरी माना जाता है और लड़कियों के बजाय लोग लड़कों को वरीयता देते हैं, वहीं आनंद की दोनों बेटियां, बड़ी बेटी निहारिका और छोटी बेटी रिया उन की आंखों का तारा थीं. बड़ी बेटी सीधीसादी और छोटी बेटी रिया थोड़ी चंचल थी.

आनंद रंजन बेटे और बेटियों दोनों को समान रूप से ही प्यार करते थे और यही वजह है कि जब बड़ी बेटी को इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ जाने की बात आई, तो आनंद रंजन सहर्ष ही बेटी को लखनऊ भेजने के लिए मान गए थे और लखनऊ विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए खुद वे अपनी बेटी निहारिका के साथ कई बार लखनऊ आएगए.

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निहारिका को लखनऊ विश्वविद्यालय में एडमिशन मिल गया था और उस के रहने का इंतजाम भी आनंद रंजन ने एक पेइंग गेस्ट के तौर पर करा दिया था.

एक छोटे से कसबे से आई निहारिका एक बड़े शहर में आ कर पढ़ाई कर रही थी. एक नए माहौल, एक नए शहर ने उस की आंखों में और भी उत्साह भर दिया था.

यूनिवर्सिटी में आटोरिकशा ले कर पढ़ने जाना और वहां से आ कर रूममेट्स के साथ में मिलनाजुलना, निहारिका के मन में एक नया आत्मविश्वास जगा रहा था.

वैसे तो यूनिवर्सिटी में रैगिंग पर पूरी तरह से बैन लगा हुआ था, पर फिर भी सीनियर छात्र नए छात्रछात्राओं से चुहलबाजी करने से बाज नहीं आते थे.

‘‘ऐ… हां… तुम… इधर आओ…‘‘ अपनी क्लास के बाहर निकल कर जाते हुए निहारिका के कानों में एक भारी आवाज पड़ी.

एक बार तो निहारिका ने कुछ ध्यान नहीं दिया, पर दोबारा वही आवाज उसे ही टारगेट कर के आई तो निहारिका पलटी. उस ने देखा कि क्लास के बाहर बरामदे में 5-6 लड़कों का एक ग्रुप खड़ा हुआ था. उस में खड़ा एक दाढ़ी वाला लड़का उंगली से निहारिका को पास आने का इशारा कर रहा था.

यह देख निहारिका ऊपर से नीचे तक कांप उठी थी. उस ने यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने से पहले विद्यार्थियों की रैगिंग के बारे में खूब सुन रखा था.

‘तो क्या ये लोग मेरी रैगिंग लेंगे…? क्या कहेंगे मुझ से ये…? मैं क्या कह पाऊंगी इन से…?‘ मन में इसी तरह की बातें सोचते हुए निहारिका उन लड़कों के पास जा पहुंची.

‘‘क्या नाम है तुम्हारा?”

‘‘ज… ज… जी… निहारिका.‘‘

‘‘हां, तो… इधर निहारो ना… इधर… उधर कहां ताक रही हो… जरा हम भी तो जानें कि इस बार कैसेकैसे चेहरे आए हैं बीए प्रथम वर्ष में,‘‘ दाढ़ी वाला लड़का बोला.

हलक तक सूख गया था निहारिका का. उन लड़कों की चुभती नजरें निहारिका के पूरे बदन पर घूम रही थीं. अपनी किताबों को अपने सीने से और कस कर चिपटा लिया था निहारिका ने.

‘‘अरे, तनिक ऊपर भी देखो न, नीचेनीचे ही नजरें गड़ाए रहोगे, तो गरदन में दर्द हो जाएगा,‘‘ उस ग्रुप में से दूसरा लड़का बोला.

निहारिका पत्थर हो गई थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि इन लड़कों को क्या जवाब दे. निश्चित रूप से इन लड़कों को पढ़ाई से कोई लेनादेना नहीं था. ये तो शोहदे थे जो नई लड़कियों को छेड़ने का काम करते थे.

‘‘अरे क्या बात है… क्यों छेड़ रहे हो… इस अकेली लड़की को भैया,‘‘ एक आवाज ने उन लड़कों को डिस्टर्ब किया और वे सारे लड़के वास्तव में डिस्टर्ब तो हो ही गए थे, क्योंकि राजवीर सिंह अपने दोस्तों के साथ वहां पहुंचा था और उस अकेली लड़की की रैगिंग होता देख उसे बचाने की नीयत से वहां आया था.

‘‘और तुम… जा सकती हो  यहां से… कोई तुम्हें परेशान नहीं करेगा,’’ राजवीर की कड़क आवाज निहारिका के कानों से टकराई थी.

निहारिका ने सिर घुमा कर देखा तो एक लड़का, जिस की आंखें इस समय उन लड़कों को घूर रही थीं, निहारिका तुरंत ही वहां से लंबे कदमों से चल दी थी. जातेजाते उस के कान में उस लड़के की आवाज पड़ी थी, जो उन शोहदों से कह रहा था, ‘‘खबरदार, किसी फ्रेशर को छेड़ा तो ठीक नहीं होगा… ये कल्चर हमारे लिए सही नहीं है.‘‘

निहारिका मन ही मन उस अचानक से मदद के लिए आए लड़के का धन्यवाद कर रही थी और यह भी सोच रही थी कि कितनी मूर्ख है वह, जो उस लड़के को थैंक्स भी नहीं कह पाई… चलो, कोई बात नहीं, दोबारा मिलने पर जरूर कह देगी.

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उस को थैंक्स कहने का मौका अगले ही दिन मिल गया, जब निहारिका क्लास खत्म कर के निकल रही थी. तब वही आवाज उस के कानों से टकराई, ‘‘अरे मैडम, आज किसी ने आप को छेड़ा तो नहीं ना.‘‘

देखा तो कल मदद करने वाला लड़का ही अपने दोनों हाथों को नमस्ते की शक्ल में जोड़ कर खड़ा हुआ था और निहारिका की आंखों में देख कर मुसकराए जा रहा था.

‘‘ज… जी, नहीं… पर कल जो आप ने मेरी मदद की, उस का बहुत शुक्रिया.‘‘

‘‘शुक्रिया की कोई बात नहीं… आगे से अगर आप को कोई भी मदद चाहिए हो तो आप मुझे तुरंत ही याद कर सकती हैं… ये मेरा कार्ड है… इस पर मेरा फोन नंबर भी है,‘‘ एक सुनहरा कार्ड आगे बढाते हुए उस लड़के ने कहा.

कार्ड पर नजर डालते हुए निहारिका ने देखा, ‘राजवीर सिंह, बीए तृतीय वर्ष.’

राजवीर एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखता था और उस ने एडमिशन तो विश्वविद्यालय में ले रखा था, पर उस का उद्देश्य प्रदेश की राजनीति तक पहुंचने का था और इसीलिए पढ़ाई के साथ ही उस ने छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के लिए तैयारी शुरू कर दी थी.

निहारिका इतना तो समझ गई थी कि पढ़ाई संबंधी कामों में यह लड़का भले काम न आए, पर विश्वविद्यालय में एक पहचान बनाने के लिए इस का साथ अगर मिल जाए तो कोई बुराई  भी नहीं है.

तय समय पर विश्वविद्यालय में चुनाव हुए, जिस में राजवीर सिंह की भारी मतों से जीत हुई और अब वह कैंपस में जम कर नेतागीरी करने लगा.

पर, राजवीर सिंह के अंदर नेता के साथसाथ एक युवा का दिल भी धड़कता था और उस युवा दिल को निहारिका पहली ही नजर में अच्छी लग गई थी. निहारिका जैसी सीधीसादी और प्रतिभाशाली लड़की जैसी ही जीवनसंगिनी की कल्पना की थी राजवीर ने.

और इसीलिए वह मौका देखते ही निहारिका के आगेपीछे डोलता रहता. अब निहारिका को आटोरिकशा की जरूरत नहीं पड़ती. वह खुद ही अपनी फौर्चूनर गाड़ी निहारिका के पास खड़ी कर उसे घर तक छोड़ने का आग्रह करता और निहारिका उस का विनम्र आग्रह टाल नहीं पाती.

आगे पढ़ें- राजवीर सिंह ने खुद ही निहारिका के…

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GHKKPM: शादी के बाद Neil ने मनाया वाइफ का बर्थडे तो Aishwarya ऐसे किया Thank You

स्टार प्लस के सीरियल गुम है किसी के प्यार में के लीड एक्टर्स नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा हाल ही में शादी के बाद सेट पर पहुंचे जहां दोनों का शानदार वेलकम हुआ. वहीं अब नील भट्ट ने अपनी वाइफ के लिए बर्थडे सेलिब्रेशन रखा था, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं ऐश्वर्या शर्मा का बर्थडे सेलिब्रेशन…

ससुराल में मनाया बर्थडे

पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा ने शादी के बाद अपने ससुराल में पहला बर्थडे मनाया. वहीं पति नील ने इसके लिए खास तैयारियां की थीं, जिसका अंदाजा हाल ही में शेयर की गई फोटोज से लगाया जा सकता है. इसके अलावा ऐश्वर्या शर्मा ने अपने दोस्तों संग बर्थडे सेलिब्रेट किया, जिसकी फोटोज और वीडियो उन्होंने अपने फैंस के लिए शेयर किया. इसी के चलते फैंस सोशलमीडिया पर ऐश्वर्या को बर्थडे विश करते नजर आ रहे हैं.

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लिप लौक की फोटोज की शेयर

 

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इसके अलावा ऐश्वर्या शर्मा ने अपने बर्थडे की कुछ फोटोज शेयर की, जिसमें वह पति नील भट्ट को किस करती नजर आ रही हैं. इन फोटोज के साथ कैप्शन में ऐश्वर्या शर्मा ने लिखा, मेरा आखिरी जन्मदिन 8 दिसंबर 2020, जो कि सीक्रेट और बहुत खास था क्योंकि हमने अपने रिश्ते के बारे में किसी को नहीं बताया था. लेकिन अब ये बर्थडे सीक्रेट नहीं है, जिसके कारण यह मेरे लिए और भी खास हो गया है, आपने मुझे सरप्राइज किया है, वह खास है और मैं बेहद खुश हूं.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं पति, जिसे कहते हुए मुझे बहुत गर्व हो रहा है. वहीं इसके साथ हार्ट इमोजी शेयर की है.

बता दें, हाल ही में विराट मिशन से वापस लौट आया है, जिसके बाद पाखी के भड़काने पर सई को विराट पर शक हो रहा है. हालांकि विराट कोशिश कर रहा है कि श्रुति की बात सई को बता सके.

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The Gopi Diaries: मिलिए गोपी से जो आपके बच्चों को ले जाएगा क्रिएटिविटी की दुनिया में

छोटे बच्चे जितने मासूम होते हैं उनका दिमाग उतना ही तेज और सीखने के लिए उत्सुक होता है, तभी तो वो हर छोटी से छोटी चीज को बड़ी बारीकी से देखते हैं और वैसा ही करने की कोशिश करते हैं. फिर चाहे मां को देखकर रसोई में काम करने की कोशिश करना या पापा की तरह न्यूज पेपर पढ़ना.

हालांकि, ये सिर्फ शुरुआत होती है लेकिन यही वो वक्त होता है जब आपको समझ आता है कि आपका बच्चा पढ़ने के लिए तैयार है. लेकिन ये काम अगर बोरिंग तरीके से होगा तो बच्चों को बिल्कुल मजा नहीं आएगा. इसलिए तो HarperCollins India लाया अपने नन्हें पाठकों और उनके पैरेंट्स के लिए The Gopi Diaries.

The Gopi Diaries किताबों की एक ऐसी सीरीज है जो छोटे बच्चों के विकास में अहम भूमिका निभाती है और उन्हें क्रिएटिविटी की एक नई दुनिया में ले जाती है.

फिर चाहे वो अल्फाबेट्स सीखना हो या नंबर्स या पैटर्न्स, Gopi Diaries में हर चीज को बेहद दिलचस्प तरीके से बताया गया है ताकि आपका बच्चा बिना बोर हुए हर मूलभूत चीजें सीख सके.

कौन है गोपी

आपको जानकर हैरानी होगी कि गोपी एक रियल कैरेक्टर है जो सुधा मूर्ति की जिंदगी का अहम हिस्सा है. सुधा मूर्ति इन्फोसिस फाउंडेशन के संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति की पत्नी और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं. इसके साथ ही वो एक फेमस राइटर भी हैं.

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गोपी उनका ही पालतू पपी है जिससे वो बेहद प्यार करती हैं तभी तो उन्होंने गोपी को अपनी किताबों का हिस्सा बनाया है और गोपी के जरिए दुनिया को कुछ नई चीजें सिखाने की कोशिश की है. जिससे लोगों ने सराहा और अपना प्यार दिया.

बच्चों का प्यारा है गोपी

ये बात तो हर कोई जानता है कि बच्चों को पेट्स से कितना लगाव होता है खासकर डॉग्स और पपीज से. ये पालतू छोटे बच्चों के पहले साथी और भरोसेमंद दोस्त होते हैं. तभी तो अगर पढ़ाई के शुरुआती दौर में गोपी जैसा कोई साथी किताबों के जरिए उन्हें नई चीजें सिखाएगा तो वो ज्यादा चाव से और मन लगाकर सीख सकेंगे.

गोपी और उसकी किताबों के बारे में ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें…  

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Anupama के कारण खतरे में पड़ेगी अनुज की जान, देखें वीडियो

सीरियल अनुपमा (Anupama) में अपकमिंग एपिसोड दिलचस्प होने वाले हैं. जहां एक तरफ अनुज (Gaurav Khanna) की लाइफ में नए शख्स की एंट्री होने वाली है तो वहीं काव्या (Madalsa Sharma) और वनराज (Sudhanshu Pandey) के रिश्ते बिगड़ते हुए नजर आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे (Anupama Serial Update) …

काव्या के साथ आया शाह परिवार

 

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अब तक आपने देखा कि वनराज के तलाक की खबर से काव्या पूरी तरह टूटी नजर आ रही है. वहीं वनराज अपनी बात पर अड़ा हुआ नजर आ रहा है. लेकिन अनुपमा के कहने पर बा बापूजी समेत पूरा परिवार काव्या के साथ खड़ा नजर आ रहा है, जिसके चलते काव्या को परिवार की अहमियत समझ आ रही है. वहीं अनुपमा और अनुज की दोस्ती और भी ज्यादा पक्की होती नजर आ रही है.

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अनुपमा से अनुज ने किया प्यार का इजहार

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि मीटिंग के लिए निकलते वक्त अनुज का बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है. हालांकि वह बच जाता है. इसी के चलते वह हर कदम पर अपने सपनों को जीनें की ठानता है और अनु के पास पहुंचता है, जिसके बाद वह अनुपमा से I love You कहता है. वहीं अनुज की बात सुनकर अनुपमा हैरान रह जाती है. हालांकि अनुज, अनुपमा को बताता है कि वह आज एक दुर्घटना से बाल-बाल बच गया, जिसके कारण उसने महसूस किया कि मौत कभी भी आ सकती है, इसलिए वह उसकी आँखों में देखकर अपने प्यार का इजहार करना चाहता है.

 

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खतरे में पड़ेगी अनुज की जान


इसके अलावा आप देखेंगे कि मीटिंग के लिए जाते समय गुंडे अनुज और अनुपमा पर हमला कर देंगे. हालांकि अनुज गुंड़ों से सब कुछ लेने की विनती करेगा और अनुपमा को हाथ न लगाने के लिए कहेगा. लेकिन गुंडे अनुपमा के गहने छीनने की कोशिश करेंगे, जिसे देखकर अनुज गुस्से में गुंडों पर हमला करेगा. हालांकि एक गुंड़ा अनुज के सिर पर वार करेगा, जिससे वह बेहोश हो जाएगा. वहीं अनुपमा (Rupali Ganguly) उसे अस्पताल ले जाएगी जहां डॉक्टर कहेगा कि अगर वह सुबह तक होश में नहीं आया तो कोमा में जा सकता है.

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24 साल तक खाद कारखाने के लिए किसी ने नहीं ली सुध

गोरखपुर खाद कारखाना, एम्स और रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के लोकार्पण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्ष के लिए नामुमकिन रहे कार्यों को पीएम मोदी ने मुमकिन बनाया है.

सीएम योगी ने कहा कि आज प्रधानमंत्री के हाथों तीन बड़ी विकास परियोजनाओं की सौगात पाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश अभिभूत और उद्वेलित होकर आनन्द का उत्सव मना रहा है. आज का यह कार्यक्रम उस सपने को साकार करने जैसा है जिसे विपक्ष ने नामुमकिन मान लिया था. गोरखपुर के खाद कारखाना का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन दशकों तक पांच सरकारों ने बंद खाद कारखाना को चलाने की हामी भरकर भी इसे असंभव मान लिया था. पर “मोदी है तो मुमकिन है” के स्थापित सत्य के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस असम्भव को भी सम्भव और नामुमकिन को मुमकिन बना दिया है. सीएम योगी ने कहा कि गोरखपुर का खाद कारखाना 10 जून 1999 को बंद हो गया था. 1990 से लेकर 2014 तक 24 वर्षों में किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली. 22 जुलाई 2016 को पीएम मोदी ने इसका शिलान्यास किया तो आज इसका उद्घाटन भी उन्हीं के करकमलों से हो रहा है. मुख्यमंत्री ने बताया कि इस खाद कारखाने की क्षमता पुराने कारखाने से चार गुना अधिक है.

इंसेफेलाइटिस से मौतों पर 40 सालों तक तमाशबीन रहीं सरकारें

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश को लेकर लगातार यही माना जाता था यह क्षेत्र बीमारू है. मलेरिया, कालाजार, इंसेफलाइटिस और अन्य विषाणु जनित रोगों से 40 सालों तक लगातार हजारों मौतें होती रही लेकिन केंद्र व राज्य सरकारें मौन धारण कर तमाशबीन बनी रहती थीं. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के प्रति संवेदना और आत्मनिर्भरता के सपनों को सजाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की परिणति से एम्स का शिलान्यास भी उन्हीं के हाथों हुआ और लोकार्पण भी. मुख्यमंत्री ने कहा कि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है और आज वह 17 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सिनेशन से आच्छादित करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान पीएम मोदी के नेतृत्व में ही चलाया गया है. कोरोना प्रबंधन को लेकर पूरी दुनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोहा माना है.

खड़ी हो रही मेडिकल कॉलेजों की लंबी श्रृंखला

सीएम योगी ने कहा कि 2014 में पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा के बड़े केंद्र के रूप में इकलौता गोरखपुर का मेडिकल कॉलेज था . आज यहां एम्स भी है और गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक भी, जिसका उद्घाटन इसी भूमि पर पीएम मोदी ने 2019 में किया था. उन्होंने कहा कि प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की लंबी श्रृंखला खड़ी हो रही है. 20 17 तक प्रदेश के निजी व सरकारी क्षेत्र में मिलाकर सिर्फ 17 मेडिकल कॉलेज थे. आज 59 जिलों में मेडिकल कॉलेज की सुविधा मिल गई है या उन पर काम चल रहा है. शेष बचे 16 जिलों के लिए भी युद्ध स्तर पर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है उन्होंने बताया कि देवरिया, सिद्धार्थनगर, बस्ती, बहराइच, अयोध्या में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ हो गया है जबकि कुशीनगर, बलरामपुर,गोंडा आदि जिलों में निर्माण कार्य शुरू हो गया है.

अब गोरखपुर में ही विश्व स्तरीय जांच की सुविधा

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गोरखपुर में इंसेफलाइटिस मरीजों के सैंपल जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी पुणे भेजे जाते थे. जब तक जांच कंफर्म होती थी तब तक मरीज या तो मर जाता था या दिव्यांगता का शिकार हो जाता था. आज पीएम के हाथों मिले आरएमआरसी की सौगात से गोरखपुर में ही विश्वस्तरीय जांच की सुविधा उपलब्ध हो गई है. कोरोना, इंसेफेलाइटिस, कालाजार, डेंगू जैसे वेक्टर डिजीज की जांच की सुविधा अब यही मिलने लगेगी.

आज मिली.परियोजनाओं की सौगात आत्मनिर्भर भारत की नई तस्वीर

सीएम योगी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव और चौरीचौरा शताब्दी महोत्सव के अवसर पर पीएम के हाथों मिली इन बड़ी परियोजनाओं की सौगात आत्मनिर्भर भारत की नई तस्वीर है. इसे प्रस्तुत करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं.

सामरोह में इनकी रही प्रमुख सहभागिता

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतन्त्र देव सिंह,  राज्य सरकार के मंत्रीगण सूर्य प्रताप शाही, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, जयप्रताप सिंह, डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी, जयप्रकाश निषाद, उपेंद्र तिवारी,श्रीराम चौहान, आनंद स्वरूप शुक्ल, राज्यसभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ल, बृजलाल, जयप्रकाश निषाद, सांसद रविकिशन शुक्ल, कमलेश पासवान, रमापति राम त्रिपाठी, जगदम्बिका पाल, हरीश द्विवेदी, विजय दूबे, रविंद्र कुशवाहा, प्रवीण निषाद, महापौर सीताराम जायसवाल, विधायकगण डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, फतेह बहादुर सिंह, महेंद्रपाल सिंह, बिपिन सिंह, संत प्रसाद, संगीता यादव, शीतल पांडेय समेत आसपास के जिलों के कई विधायक, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र सिंह आदि.

Winter Special: ईवनिंग स्नैक्स में हरे मटर से बनाएं ये डिशेज

आहार विशेषज्ञों के अनुसार लंच और डिनर में बहुत अधिक गेप नहीं होना चाहिए क्योंकि इस बीच अधिक गेप होने से डिनर तक बहुत तेज भूख लग आती है और हम डिनर का बहुत अधिक मात्रा में सेवन कर लेते हैं….जब कि डिनर बहुत हल्का होना चाहिए ताकि सोने से पूर्व उसे हमारा आहार तंत्र सुगमता से पचा ले. इसलिए शाम का नाश्ता बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि शाम में कुछ हल्का फुल्का खा लेने से हमारी भूख शांत हो जाती है और हम डिनर संतुलित मात्रा में करते हैं जिससे डिनर अच्छी तरह पच जाता है और नाश्ते के समय अच्छी भूख लगती है. आज हम आपको कुछ ईवनिंग स्नैक्स की आसान रेसिपी बता रहे हैं-

-स्टफ्ड मटर पनीर इडली

कितने लोगों के लिए              6

बनने में लगने वाला समय        30 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री (इडली के लिए )

सूजी(बारीक)                      1 कप

नमक                                  स्वादानुसार

ईनो फ्रूट साल्ट                     1 सैशे

दही                                    1 कप

तलने के लिए पर्याप्त मात्रा में तेल

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सामग्री ( भरावन के लिए)

ताजे या फ्रोजन मटर             1 कप

किसा पनीर                          1 कप

तेल                                     1 टीस्पून

जीरा                                   1/4 टीस्पून

हींग                                     चुटकी भर

बारीक कटा प्याज                1

कटी हरी मिर्च                       4

लहसुन, अदरक पेस्ट            1 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर                 1/2 टीस्पून

अमचूर पाउडर                     1/2 टीस्पून

गरम मसाला                        1/4 टीस्पून

कटा हरा धनिया                    1 टीस्पून

विधि

सूजी को दही में भिगोकर 15 मिनट के लिए रख दें. भरावन के लिए एक पैन में 1 टीस्पून तेल डालकर प्याज को सौते करके जीरा, अदरक लहसुन को भून लें. अब मटर,  नमक और 1 टीस्पून पानी डालकर 5 मिनट तक ढककर पकाएं. जब मटर गल जाए तो खोलकर 1 मिनट पकाकर पानी सुखाएं. अब मटर को मैशर से मैश करके सभी मसाले और किसा पनीर अच्छी तरह मिलाएं. हरा धनिया डालकर ठंडा होने दें.

ठंडा होने पर 1 टीस्पून मिश्रण को हथेली पर रखकर चपटा करके टिक्की जैसी तैयार कर लें.

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सूजी में आधा कप पानी, नमक और ईनो फ्रूट साल्ट डालकर अच्छी तरह मिलाएं. इडली मोल्ड को चिकना करके 1 चम्मच मिश्रण डालें, इसके ऊपर मटर पनीर की टिक्की रखकर ऊपर से पुनः 1 चम्मच मिश्रण डालकर मटर की टिक्की को पूरी तरह से कवर कर दें. इसी प्रकार सारे मोल्ड्स तैयार कर लें. अब इन्हें भाप में रखकर 10 मिनट तक पकाएं. खोलकर ठंडा होने दें. कढ़ाई में तेल को बहुत अच्छी तरह गर्म करें और ठंडी हुई इडली को सुनहरा होने तक तल लें. बीच से काटकर हरे धनिए की चटनी या टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

-हरे मटर की घुघनी

कितने लोगों के लिए                4

बनने में लगने वाला समय         20 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

उबले मटर के दाने             डेढ़ कप

उबले आलू                       2

बारीक कटे टमाटर             2

बारीक कटा प्याज              1

बारीक कटी हरी मिर्च            3

हींग                                    चुटकी भर

किसा अदरक                     1 टीस्पून

बारीक कटा लहसुन             4 कली

नमक                                 स्वादानुसार

अमचूर पाउडर                   1/2  टीस्पून

काली मिर्च पाउडर।             1/4 टीस्पून

तेल                                     1 टीस्पून

कटी हरी धनिया                    1 टीस्पून

नीबू का रस                          1 टीस्पून

विधि

आलू को छोटे टुकड़ों में काट लें. अब एक नॉनस्टिक पैन में तेल गरम करके प्याज, हींग, अदरक, लहसुन और हरी मिर्च को भून लें. अब कटे टमाटर,  आलू, मटर तथा सभी मसाले डाल दें. बिना ढके 5 मिनट तक चलाते हुए पकाएं. नीबू का रस और हरा धनिया डालकर सर्व करें.

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मेरी बीवी को कंसीव करने में दिक्कत आ रही हैं, कृपया कारण बताएं?

सवाल

मैं 35 साल का हूं और मेरी बीवी 33 साल की है. मेरी एक बेटी भी है, पर बीवी और बच्चे चाहती है. दिक्कत यह है कि अब वह पेट से नहीं हो पा रही है. मैं ने उसे महिला डाक्टर को भी दिखाया, पर सबकुछ ठीक है. फिर वह पेट से क्यों नहीं हो रही? इस बारे में आप मुझे खुल कर बताएं?

जवाब

जब बीवी में कोई कमी नहीं है, तो वह कभी न कभी जरूर दोबारा पेट से हो जाएगी. आप किसी और माहिर डाक्टर से खुद की भी जांच करा लें. आप के पास बेटी तो है ही. लिहाजा, ज्यादा परेशानी वाली बात नहीं है.

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एक दिन का बौयफ्रैंड

‘‘क्या तुम मेरे एक दिन के बौयफ्रैंड बनोगे?’’ उस लड़की के कहे ये शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे. मैं हक्काबक्का सा उस की तरफ देखने लगा. काली, लंबी जुल्फों और मुसकराते चेहरे के बीच चमकती उस की 2 आंखें मेरे दिल को धड़का गईं. एक अजनबी लड़की के मुंह से इस तरह का प्रस्ताव सुन कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी.

मैं अच्छे घर का होनहार लड़का हूं. प्यार और शादी को ले कर मेरे विचार बिलकुल स्पष्ट हैं. बहुत पहले एक बार प्यार में पड़ा था पर हमारी लव स्टोरी अधिक दिनों तक नहीं चल सकी. लड़की बेवफा निकली. वह न सिर्फ मुझे, बल्कि दुनिया छोड़ कर गई और मैं अकेला रह गया.

लाख चाह कर भी मैं उसे भुला नहीं सका. सोच लिया था कि अब अरेंज्ड मैरिज करूंगा. घर वाले जिसे पसंद करेंगे, उसे ही अपना जीवनसाथी मान लूंगा.

अगले महीने मेरी सगाई है. लड़की को मैं ने देखा नहीं है पर घर वालों को वह बहुत पसंद आई है. फिलहाल मैं अपने मामा के घर छुट्टियां बिताने आया हूं. मेरे घर पहुंचते ही सगाई की तैयारियां शुरू हो जाएंगी.

‘‘बोलो न, क्या तुम मेरे साथ..,’’ उस ने फिर अपना सवाल दोहराया.

‘‘मैं तो आप को जानता भी नहीं, फिर कैसे…’’ में उलझन में था.

‘‘जानते नहीं तभी तो एक दिन के लिए बना रही हूं, हमेशा के लिए नहीं,’’ लड़की ने अपनी बड़ीबड़ी आंखों को नचाया. ‘‘दरअसल,

2-4 महीनों में मेरी शादी हो जाएगी. मेरे घर

वाले बहुत रूढि़वादी हैं. बौयफ्रैंड तो दूर कभी मुझे किसी लड़के से दोस्ती भी नहीं करने दी. मैं ने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है. घर

वाले मेरे लिए जिसे ढूंढ़ेंगे उस से आंखें बंद कर शादी कर लूंगी. मगर मेरी सहेलियां कहती हैं कि शादी का मजा तो लव मैरिज में है, किसी को बौयफ्रैंड बना कर जिंदगी ऐंजौय करने में है. मेरी सभी सहेलियों के बौयफ्रैंड हैं. केवल मेरा ही कोई नहीं है.

‘‘यह भी सच है कि मैं बहुत संवेदनशील लड़की हूं. किसी से प्यार करूंगी तो बहुत गहराई से करूंगी. इसी वजह से इन मामलों में फंसने से डर लगता है. मैं जानती हूं कि मैं तुम्हें आजकल की लड़कियों जैसी बिलकुल नहीं लग रही होऊंगी. बट बिलीव मी, ऐसी ही हूं मैं. फिलहाल मुझे यह महसूस करना है कि बौयफ्रैंड के होने से जिंदगी कैसा रुख बदलती है, कैसा लगता है सब कुछ, बस यही देखना है मुझे. क्या तुम इस में मेरी मदद नहीं कर सकते?’’

‘‘ओके, पर कहीं मेरे मन में तुम्हारे लिए फीलिंग्स आ गईं तो?’’

‘‘तो क्या है, वन नाइट स्टैंड की तरह हमें एक दिन के इस अफेयर को भूल जाना है. यह सोच कर ही मेरे साथ आना. बस एक दिन खूब मस्ती करेंगे, घूमेंगेफिरेंगे. बोलो क्या कहते हो? वैसे भी मैं तुम से 5 साल बड़ी हूं. मैं ने तुम्हारे ड्राइविंग लाइसैंस में तुम्हारी उम्र देख ली है. यह लो. रास्ते में तुम से गिर गया था. यही लौटाने आई थी. तुम्हें देखा तो लगा कि तुम एक शरीफ लड़के हो. मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे, इसीलिए यह प्रस्ताव रखा है.’’

मैं मुसकराया. एक अजीब सा उत्साह था मेरे मन में. चेहरे पर मुसकराहट की रेखा गहरी होती गई. मैं इनकार नहीं कर सका. तुरंत हामी भरता हुआ बोला, ‘‘ठीक है, परसों सुबह 8 बजे इसी जगह आ जाना. उस दिन मैं पूरी तरह तुम्हारा बौयफ्रैंड हूं.’’

‘‘ओके थैंक्यू,’’ कह कर मुसकराती हुई वह चली गई.

घर आ कर भी मैं सारा समय उस के बारे में सोचता रहा.

2 दिन बाद तय समय पर उसी जगह पहुंचा तो देखा वह बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी.

‘‘हाय डियर,’’ कहते हुए वह करीब आ गई.

‘‘हाय,’’ मैं थोड़ा सकुचाया.

मगर उस लड़की ने झट से मेरा हाथ थाम लिया और बोली, ‘‘चलो, अब से तुम मेरे बौयफ्रैंड हुए. कोई हिचकिचाहट नहीं, खुल कर मिलो यार.’’

मैं ने खुद को समझाया, बस एक दिन. फिर कहां मैं, कहां यह. फिर हम 2 अजनबियों ने हमसफर बन कर उस एक दिन के खूबसूरत सफर की शुरुआत की. प्रिया नाम था उस का. मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था और वह मेरी बगल में बैठी थी. उस की जुल्फें हौलेहौले उस के कंधों पर लहरा रही थीं. भीनीभीनी सी उस की खुशबू मुझे आगोश में लेने लगी थी. एक अजीब सा एहसास था, जो मेरे जिस्म को महका रहा था. मैं एक गीत गुनगुनाने लगा. वह एकटक मुझे निहारती हुई बोली, ‘‘तुम तो बहुत अच्छा गाते हो.’’

‘‘हां थोड़ाबहुत गा लेता हूं… जब दिल को कोई अच्छा लगता है तो गीत खुद ब खुद होंठों पर आ जाता है.’’

मैं ने डायलौग मारा तो वह खिलखिला कर हंस पड़ी. दूधिया चांदनी सी छिटक कर उस की हंसी मेरी सांसों को छूने लगी. यह क्या हो रहा है मुझे. मैं मन ही मन सोचने लगा.

तभी उस ने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया, ‘‘माई प्रिंस चार्मिंग, हम जा कहां रहे हैं?’’

‘‘जहां तुम कहो. वैसे मैं यहां की सब से रोमांटिक जगह जानता हूं, शायद तुम भी जाना चाहोगी,’’ मेरी आवाज में भी शोखी उतर आई थी.

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‘‘श्योर, जहां तुम चाहो ले चलो. मैं ने तुम पर शतप्रतिशत विश्वास किया है.’’

‘‘पर इतने विश्वास की वजह?’’

‘‘किसीकिसी की आंखों में लिखा होता है कि वह शतप्रतिशत विश्वास के योग्य है. तभी तो पूरी दुनिया में एक तुम्हें ही चुना मैं ने अपना बौयफ्रैंड बनाने को.’’

‘‘देखो तुम मुझ से इमोशनली जुड़ने की कोशिश मत करो. बाद में दर्द होगा.’’

‘‘किसे? तुम्हें या मुझे?’’

‘‘शायद दोनों को.’’

‘‘नहीं, मैं प्रैक्टिकल हूं. मैं बस 1 दिन के लिए ही तुम से जुड़ रही हूं, क्योंकि मैं जानती हूं हमारे रिश्ते को सिर्फ इतने समय की ही मंजूरी मिली है.’’

‘‘हां, वह तो है. मैं अपने घर वालों के खिलाफ नहीं जा सकता.’’

‘‘अरे यार, खिलाफ जाने को किस ने कहा? मैं तो खुद पापा के वचन में बंधी हूं. उन के दोस्त के बेटे से शादी करने वाली हूं. 6-7 महीनों में वह इंडिया आ जाएगा और फिर चट मंगनी पट विवाह. हो सकता है मैं हमेशा के लिए पैरिस चली जाऊं,’’ उस ने सहजता से कहा.

‘‘तो क्या तुम भी ‘कुछकुछ होता है’ मूवी की सिमरन की तरह किसी अजनबी से शादी करने वाली हो, जिसे तुम ने कभी देखा भी नहीं है?’’ कहते हुए मैं ने उस की आंखों में झांका. वह हंसती हुई बोली, ‘‘हां, ऐसा ही कुछ है. पर चिंता न करो. मैं तुम्हें शाहरुख यानी राज की तरह अपनी जिंदगी में नहीं आने दूंगी. शादी तो मैं उसी से करूंगी जिस से पापा चाहते हैं.’’

‘‘तो फिर यह सब क्यों? मेरे इमोशंस के साथ क्यों खेल रही हो?’’

‘‘अरे यार, मैं कहां खेल रही हूं? फर्स्ट मीटिंग में ही मैं ने साफ कह दिया था कि हम केवल 1 दिन के रिश्ते में हैं.’’

‘‘हां वह तो है. ओके बाबा, आई ऐम सौरी. चलो आ गई हमारी मंजिल.’’

‘‘वैरी नाइस. बहुत सुंदर व्यू है,’’ कहते हुए उस के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई.

थोड़ा घूमने के बाद वह मेरे पास आती हुई बोली, ‘‘लो अब मुझे अपनी बांहों में भरो जैसे फिल्मों में करते हैं.’’

वह मेरे और करीब आ गई. उस की जुल्फें मेरे कंधों पर लहराने लगीं. लग रहा था जैसे मेरी पुरानी गर्लफ्रैंड बिंदु ही मेरे पास खड़ी है. अजीब सा आकर्षण महसूस होने लगा. मैं अलग हो गया, ‘‘नहीं, यह नहीं होगा मुझ से. किसी गैर लड़की को मैं करीब क्यों आने दूं?’’

‘‘क्यों, तुम्हें डर लग रहा है कि मैं यह वीडियो बना कर वायरल न कर दूं?’’ वह शरारत से खिलखिलाई. मैं ने मुंह बनाया, ‘‘बना लो. मुझे क्या करना है? वैसे भी मैं लड़का हूं. मेरी इज्जत थोड़े ही जा रही है.’’

‘‘वही तो मैं तुम्हें समझा रही हूं. तुम्हें क्या फर्क पड़ता है, तुम तो लड़के हो,’’ वह फिर से मुसकराई, ‘‘वैसे तुम आजकल के लड़कों जैसे बिलकुल नहीं.’’

‘‘आजकल के लड़कों से क्या मतलब है? सब एकजैसे नहीं होते.’’

‘‘वही तो बात है. इसीलिए तो तुम्हें चुना है मैं ने, क्योंकि मुझे पता था तुम मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे वरना किसी और लड़के को ऐसा मौका मिलता तो उसे लगता जैसे लौटरी लग गई हो.’’

‘‘तुम मेरे बारे में इतनी श्योर कैसे हो कि वाकई मैं शरीफ ही हूं? तुम कैसे जानती हो कि मैं कैसा हूं और कैसा नहीं हूं?’’

‘‘तुम्हारी आंखों ने सब बता दिया मेरी जान, शराफत आंखों पर लिखी होती है. तुम नहीं जानते?’’

इस लड़की की बातें पलपल मेरे दिल को धड़काने लगी थीं. बहुत अलग सी थी वह. काफी देर तक हम इधरउधर घूमते रहे. बातें करते रहे.

एक बार फिर वह मेरे करीब आती हुई बोली, ‘‘अपनी गर्लफ्रैंड को हग भी नहीं करोगे?’’ वह मेरे सीने से लग गई. लगा जैसे वह पल वहीं ठहर गया हो. कुछ देर तक हम ऐसे ही खड़े रहे. मेरी बढ़ी हुई धड़कनें शायद वह भी महसूस कर रही थी. मैं ने भी उसे आगोश में ले लिया. उस पल को ऐसा लगा जैसे आकाश और धरती एकदूसरे से मिल गए हों. कुछ पल बाद उस ने खुद को अलग किया और दूर जा कर खड़ी हो गई.

‘‘बस, कुछ और हुआ तो हमारे कदम बहक जाएंगे. चलो वापस चलते हैं,’’ वह बोली. मैं अपनेआप को संभालता हुआ बिना कुछ कहे उस के पीछेपीछे चलने लगा. मेरी सांसें रुक रही थीं. गला सूख रहा था. गाड़ी में बैठ कर मैं ने पानी की पूरी बोतल खाली कर दी.

सहसा वह हंस पड़ी, ‘‘जनाब, ऐसा लग रहा था जैसे शराब की बोतल एक बार में ही हलक के नीचे उतार रहे हो.’’

उस के बोलने का अंदाज कुछ ऐसा था कि मुझे हंसी आ गई. ‘‘सच, बहुत अच्छी हो तुम. मुझे डर है कहीं तुम से प्यार न हो जाए,’’ मैं ने कहा.

‘‘छोड़ो भी यार. मैं बड़ी हूं तुम से, इस तरह की बातें सोचना भी मत.’’

‘‘मगर मैं क्या करूं? मेरा दिल कुछ और कह रहा है और दिमाग कुछ और.’’

‘‘चलता है. तुम बस आज की सोचो और यह बताओ कि हम लंच कहां करने वाले हैं?’’

‘‘एक बेहतरीन जगह है मेरे दिमाग में. बिंदु के साथ आया था एक बार. चलो वहीं चलते हैं,’’ मैं ने वृंदावन रैस्टोरैंट की तरफ गाड़ी मोड़ते हुए कहा, ‘‘घर के खाने जैसा बढि़या स्वाद होता है यहां के खाने का और अरेंजमैंट देखो तो लगेगा ही नहीं कि रैस्टोरैंट आए हैं. गार्डन में बेंत की टेबलकुरसियां रखी हुई हैं.’’

रैस्टोरैंट पहुंच कर उत्साहित होती हुई प्रिया बोली, ‘‘सच कह रहे थे तुम. वाकई लग रहा है जैसे पार्क में बैठ कर खाना खाने वाले हैं हम… हर तरफ ग्रीनरी. सो नाइस. सजावटी पौधों के बीच बेंत की बनी डिजाइनर टेबलकुरसियों पर स्वादिष्ठ खाना, मन को बहुत सुकून देता होगा.

है न?’’

मैं खामोशी से उस का चेहरा निहारता रहा. लंच के बाद हम 2-1 जगह और गए. जी भर कर मस्ती की. अब तक हम दोनों एकदूसरे से खुल गए थे. बातें करने में भी मजा आ रहा था. दोनों ने ही एकदूसरे की कंपनी बहुत ऐंजौय की थी, एकदूसरे की पसंदनापसंद, घरपरिवार, स्कूलकालेज की कितनी ही बातें हुईं.

थोड़ीबहुत प्यार भरी बातें भी हुईं. धीरेधीरे शाम हो गई और उस के जाने का समय आ गया. मुझे लगा जैसे मेरी रूह मुझ से जुदा हो रही है, हमेशा के लिए.

‘‘कैसे रह पाऊंगा मैं तुम से मिले बिना? नहीं प्रिया, तुम्हें अपना नंबर देना होगा मुझे,’’ मैं ने व्यथित स्वर में कहा.

‘‘आर यू सीरियस?’’

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‘‘यस आई ऐम सीरियस,’’ मैं ने उस का हाथ पकड़ लिया, ‘‘मुझे नहीं लगता कि अब मैं तुम्हें भूल सकूंगा. नो प्रिया, आई थिंक आई लाइक यू वैरी मच.’’

‘‘वह डील न भूलो मयंक,’’ प्रिया ने याद दिलाया.

‘‘मगर दोस्त बन कर तो रह सकते हैं न?’’

‘‘नो, मैं कमजोर पड़ गई तो? यह रिस्क मैं नहीं उठा सकती.’’

‘‘तो ठीक है. आई विल मैरी यू,’’ मैं ने जल्दी से कहा. उस से जुदा होने के खयाल से ही मेरी आंखें भर आई थीं. एक दिन में ही जाने कैसा बंधन जोड़ लिया था उस ने कि दिल कर रहा था हमेशा के लिए वह मेरी जिंदगी में आ जाए.

वह मुझ से दूर जाती हुई बोली, ‘‘गुडबाय मयंक, मैं शादी वहीं करूंगी जहां पापा चाहते हैं. तुम्हारा कोई चांस नहीं. भूल जाना मुझे.’’ वह चली गई और मैं पत्थर की मूर्त बना उसे जाते देखता रहा. दिल भर आया था मेरा. ड्राइविंग सीट पर अकेला बैठा अचानक फफकफफक कर रो पड़ा. लगा जैसे एक बार फिर से बिंदु मुझे अकेला छोड़ कर चली गई है. जाना ही था तो फिर जरूरत क्या थी मेरी जिंदगी में आने की. किसी तरह खुद को संभालता हुआ घर लौटा. दिन का चैन, रात की नींद सब लुट चुकी थी. जाने कहां से आई थी वह और कहां चली गई थी? पर एक दिन में मेरी दुनिया पूरी तरह बदल गई थी. देवदास बन गया था मैं. इधर घर वाले मेरी सगाई की तैयारियों में लगे थे. वे मुझे उस लड़की से मिलवाने ले जाना चाहते थे, जिसे उन्होंने पसंद किया था. पर मैं ने साफ इनकार कर दिया.

‘‘मैं शादी नहीं करूंगा,’’ मेरा इतना कहना था कि घर में कुहराम मच गया.

‘‘क्यों, कोई और पसंद आ गई?’’ मां ने अलग ले जा कर पूछा.

‘‘हां.’’ मैं ने सीधा जवाब दिया.

‘‘तो ठीक है, उसी से बात करते हैं. पता और फोन नंबर दो.’’

‘‘मेरे पास कुछ नहीं है.’’

‘‘कुछ नहीं, यह कैसा प्यार है?’’ मां ने कहा.

‘‘क्या पता मां, वह क्या चाहती थी? अपना दीवाना बना लिया और अपना कोई अतापता भी नहीं दिया.’’

फिर मैं ने उन्हें सारी कहानी सुनाई तो वे खामोश रह गईं. 6 माह बीत गए. आखिर घर वालों की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा. लड़की वाले हमारे घर आए. मुझे जबरन लड़की के पास भेजा गया. उस कमरे में कोई और नहीं था. लड़की दूसरी तरफ चेहरा किए बैठी थी. मैं बहुत अजीब महसूस कर रहा था.

लड़की की तरफ देखे बगैर मैं ने कहना शुरू किया, ‘‘मैं आप को किसी भ्रम में नहीं रखना चाहता. दरअसल मैं किसी और से प्यार करने लगा हूं और अब उस के अलावा किसी से शादी का खयाल भी मुझे रास नहीं आ रहा. आई एम सौरी. आप इस रिश्ते के लिए न कह दीजिए.’’

‘‘सच में न कह दूं?’’ लड़की के स्वर मेरे कानों से टकराए तो मैं हैरान रह गया. यह तो प्रिया के स्वर थे. मैं ने लड़की की तरफ देखा तो दिल खुशी से झूम उठा. यह वाकई प्रिया ही थी.

‘‘तुम?’’

‘‘हां मैं, कोई शक?’’ वह मुसकराई.

‘‘पर वह सब क्या था प्रिया?’’

‘‘दरअसल, मैं अरेंज्ड नहीं, लव मैरिज करना चाहती थी. अत: पहले तुम से प्यार का इजहार कराया, फिर इस शादी के लिए रजामंदी दी. बताओ कैसा लगा मेरा सरप्राइज.’’

‘‘बहुत खूबसूरत,’’ मैं ने पल भर भी देर नहीं की कहने में और फिर उसे बांहों में भर लिया.

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जब खुबसूरत चेहरे से नजर हटाना हो मुश्किल  

पहले अधिकतर प्लास्टिक सर्जरी फायर वर्क्स या किसी दुर्घटना के शिकार व्यक्तियों के किसी अंग या चेहरे को फिर से नार्मल बनाने के लिए किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से ब्यूटी को एनहांस करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. ब्रिटिशएसोसिएशन ऑफ़ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स के अनुसार प्लास्टिक सर्जरी कराने वालों की संख्या बढ़ी है, इसमें वयस्कों से लेकर युवा सभी इसे करवाना चाहते है, क्योंकि उन्हें चमकती, सुरक्षित, स्वस्थ और जवां दिखने वाली त्वचा चाहिए.

ये सही है कि उम्र के बढ़ने के साथ त्वचा भी बेजान और रंगत खोने लगती है, ऐसे में सही तकनीक अपनाकर उसे कुछ हद तक ठीक या रोका जा सकता है. यही वजह है कि आज थोड़ी-थोड़ी दूरी पर एक कॉस्मेटिक सर्जन मिल जाते है, ऐसे में बिना जांच-परख के किसी भी प्लास्टिक सर्जन के पास जाने पर लेने के देने पड़ सकते है. द एस्थेटिक क्लिनिक की डॉ. रिंकी कपूर कहती है कि ये सब ठीक तरह से करवाने के लिए एक सही डॉक्टर के पास जाना जरुरी होता है, क्योंकि बढ़ते तनाव, प्रदूषण और चुनौतीपूर्ण मौसम को देखते हुए भारत में महिलाएं हमेशा अपनी त्वचा की स्थिति में सुधार करना चाहती है और सहायक तकनीकों पर खर्च करने को भी तैयार रहती है. उपभोक्ता आज इस बात की परवाह नहीं करते है कि वे अपने चेहरे पर क्या लगा रहे है, पर वेअच्छी तरह से सोच-समझकर ही विकल्प चुनते है.फेस रिजुविनेशन और सबसे अच्छा दिखने या महसूस करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है,जो निम्न है,

बोटॉक्स या फिलर्स

झुर्रियों, रेखाओं, आंखों के नीचे डार्क हिस्से को कम करने और स्किन ऐजको रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है. बोटॉक्स मांसपेशियों में उन नर्व सिग्नल्स को ब्लॉक करती है,जहां इसे इंजेक्ट किया जाता है. नर्व सिग्नल्स को बाधित करने पर इंजेक्शन वाली मांसपेशी अस्थायी रूप से ढीली पड़ जाती है. चेहरे पर इन चुनी हुई मांसपेशियों को हिलाए बिना, कुछ झुर्रियों को नरम, कमजोर या हटाया जा सकता है. इंजेक्टेबल डर्मल फिलर्स असल में जेल जैसे पदार्थ होते है, जिनमें हयालूरोनिक एसिड जैसे प्राकृतिक पदार्थ होते है, जिन्हें त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है, ताकि इसकी उपस्थिती में सुधार हो सके. झुर्रियों के लिए ये सबसे लोकप्रिय और मिनिमम इनवेसिव थिरेपी है.डर्मल फिलर्स में ऐसे तत्वहोते है, जो उम्र बढ़ने के कारण पतले या धंसे हुए क्षेत्रों को पहले की तरह बनाते है, जो अधिकतर गालों, होठों और मुंह के चारों तरफ पतले हुए त्वचा की वजह से होते है.

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उल्थेरा

त्वचा में कसाव लाने के लिएयह एक एडवांस, नॉन-सर्जिकल और नॉन-इनवेसिव तकनीक है जो फोकस्ड हाई-पावर अल्ट्रासाउंड की ऊर्जा काप्रयोग करती है, जिसका उद्देश्य चेहरे की विभिन्न गहराई पर स्किन टिश्यू को गर्म करना है. यह थिरेपी नए कोलेजन का गठन करती है जिससे नैचुरल हीलिंग प्रोसेस सक्रिय हो जाती है.इसमें त्वचा की लिफ्टिंग या कसावट का प्रभाव दिखता है, क्योंकि चेहरे, गर्दन और डेकोलेट(लो नेकलाइन )पर त्वचा में  ढीलापन  कम होने के साथ-साथ उसकी इलास्टिसिटी बढ़ जाती है. यह एक सुविधाजनक प्रक्रिया है, क्योंकि यह 30 से 90 मिनट तक ही करनी पड़ती है.इसमें किसी चीरे या जनरल एनेस्थेशिया की आवश्यकता नहीं होती है. बहुत कम तैयारी के साथ इसे किया जाता है और अधिकांश मामलों में मिनिमम या कोई रिकवरी टाइम की जरुरत नहीं पड़ती.

कार्बन डाई ऑक्साइड लेजर

त्वचाको फिर से जवां बनाने के लिएCO2 लेज़र स्किन रिसरफेसिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड लेजर (CO2) स्किन को सतह से हटाने (एब्लेटिव लेज़र) का काम करती है,जैसे किसी प्रकार का निशान, मस्से और गहरी झुर्रियों को दूर करने के साथ-साथ त्वचा में कसावट और स्किन टोन को बैलेंस करने में सहायक होता है.

एब्लेटिव लेज़र्स यानि CO2 लेज़र, त्वचा को लेसिरेट कर काम करती है. यह स्किन की पतली बाहरी परत (एपिडर्मिस) को हटाकर अंदरुनी त्वचा (डर्मिस) को गर्म करता है और नए कोलेजन फाइबर के विकास को बढ़ाता है. एपिडर्मिस ठीक होने और इस थिरेपी के बाद त्वचा साफ, चिकना और टाइट दिखाई देने लगती है.

नॉन-एब्लेटिव लेज़र, पल्स लाइट (IPL) डिवाइस, त्वचा को खराब नहीं करते है, बल्कि कोलेजन वृद्धि को प्रोत्साहित करते है, जिससे त्वचा की टोन और बनावट में सुधार होता है. यह कम इनवेसिव है और इसके ठीक होने में समय भी कम लगता है, लेकिन यह कम प्रभावी होता है. सर्जन इलाज की स्थिति और रोगी के कॉस्मेटिक लक्ष्यों के आधार पर लेजर के प्रकार का चयन करते है.

लेजर पिग्मेंटेशन

लेज़र पिग्मेंटेशन रिमूवल एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पिग्मेंटेशन और लालिमा को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसे लेज़र स्किन रिजुवेनेशन के रूप में भी जाना जाता है. यह उम्र के साथ बनने वाले धब्बे, सनस्पॉट, हाइपरपिग्मेंटेशन, फ्लैट पिग्मेंटेड. बर्थमार्क और झाईयों जैसी त्वचा पर गैरजरूरी पिग्मेंटेशन को दूर करने के लिए सबसे एडवांस ट्रीटमेंट में से एक है. लेज़र गर्म होता है और पिग्मेंट को खत्म कर देता है.फिर पिग्मेंट को आसपास की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना सतह पर खींच लिया जाता है. एक बार सतह पर खींचे जाने के बाद, पिग्मेंटेशन के घाव हल्के या सूखकर, उस जगह से निकल जाते है,जहां इसका प्रयोग किया गया है, इससे त्वचा समान टोन और रंगत के साथ निखर जाती है.

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मेसोथेरेपी

त्वचा की चमक के लिए मेसोथेरेपी एक प्रक्रिया है, जिसमें त्वचा की सतह पर छोटे इंजेक्शन लगाए जाते है.इन इंजेक्शनों में त्वचा में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य घटकों का कॉम्बिनेशन होता है, मसलन हयालूरोनिक एसिड जो उम्र के साथ कम होता जाता है. मेसोथेरेपी की इस प्रक्रिया में कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देना, झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करना है. इसके अलावा त्वचा की बनावट में सुधार, चेहरे की समरूपता और सेल्युलाईट को टारगेट करता है.इसमें इंजेक्शन अलग-अलग गहराई पर त्वचा में 1 से 4 मिलीमीटर तक दिया जाता है, लेकिन यह व्यक्ति की स्थिति और इलाज की प्रोसेस पर निर्भर करता है. कई बार डॉक्टर सुई को त्वचा में एक एंगल पर रखकर इंजेक्शन लगाते समय अपनी कलाई को फुर्ती से हटा लेता है.असल में प्रत्येक इंजेक्शन से त्वचा में सोल्यूशन की केवल एक ही छोटी बूंद अंदर जाती है.सही रिजल्ट पाने के लिए मेसोथेरेपी की कई सेशंस की आवश्यकता होती है. इसलिए डॉक्टर के पास 3 से 15 बार जाने के बाद ही सही परिणाम दिखता है.

पीलिंग ऑफ़ स्किन

त्वचा को रिजुवीनेट करने के लिएकेमिकल पील सबसे अच्छा प्रोसेस है. यह अधिकतर एजिंग फेस की त्वचा को जवां और बेजान होने से बचाती है.इससे निकलने वाली नयी स्किन आमतौर पर चिकनी और कम झुर्रीदार होती है.इस प्रोसेस का प्रयोग आमतौर पर चेहरे, गर्दन और हाथों पर, मुंह के आसपास और आंखों के नीचे की महीन रेखाएं, झुर्रियां, हल्के निशान, धब्बे आदि के लिए किया जाता है.

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मेड से निभाना है रिश्ता तो जरुर जानें ये बातें

आज के इस महंगाई युग में अधिकतर महिलाएं काम पर जाती है. इस कारण घर के कामकाज को करने के लिये घर में कामवाली बाई रखना जरूरी सा लगता है. इससे उनका काम कम हो जाए और इस कारण वह समय पर अपने औफिस या काम जा सके. लेकिन सवाल यह उठता है कि कामवाली बाई का समय पर आना और उससे काम लेना कितना मुश्किल है, ये तो आप जानते है. आज के जमाने में काम वाली बाई से काम लेना आसान काम नहीं है, इसलिये आपको काम वाली से भी काम करवाने के लिये कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए जिससे आपका भी काम हो जाए और उनको भी काम करने में परेशानी महसूस न हो. इसलिए अगर आप ये जरूरी टिप्स अपनाएंगे तो आप भी सुखी और काम वाली बाई भी सुखी.

1. सबसे पहले काम वाली बाई रखते समय और अपने व्यवहार में थोडा इंसानियत का फर्ज निभाना सीखे और थोड़ा दिल और दिमाग से सोचकर ही बात करें. कामवाली के साथ अपनापन रखें वरना वह तो एक दिन में छोड़कर चली जायेगी और इस खास बात का बखूबी ध्यान रखें की जरूरत उसको भी है पैसे की और आपको काम की तो केवल आप ही उस पर हावी न हो.

2. कामवाली बाई रखते समय सभी बातें स्पष्ट कर लें जैसे कि महीने में कितनी छुट्टी लेगी और अगर ज्यादा ली तो क्या करें. इमरजैंसी छुट्टी कैसी लेनी है उसके साथ पहले की छुट्टी मिलानी है या नही सब बातें पुरी तरह से स्पष्ट करें और ज्यादा की तो क्या पैसे काटना है या अलग से एक्स्ट्रा काम करवाना है इत्यादि इससे आप को भी टेंशन नही रहेगा.

3. अब अगर मेहमान वगैरह आने पर क्या एक्स्ट्रा पैसे देना है या नहीं सभी स्पष्ट कर लें.

4. कामवाली बाई का समय निर्धारण कर लें लेकिन एक दिन कभी देर हो जाए तो थोड़ा सा इंसानियन का फर्ज निभाए और उसकी भी बात सुने जिससे आपको पता चले कि वह सच बोल रही है या नहीं.

5. काम वाली को कभी कभी इंसानियन के नाते खाना कपड़े इत्यादि देते रहे जिससे उसे भी काम करने में अच्छा महसूस होगा. साथ में उसके बच्चों की साम्थर्य अनुसार मदद करते रहे कभी तबियत खराब होने पर उसको अपने आप ही छुट्टी का बोल दे. जिससे आपकी अच्छाई पता चलेगी. हो सकता है कभी आपकी तबियत खराब होने पर आपके व्यवहार को ध्यान मे रखकर वह भी आपके घर का एक्स्ट्रा काम अपने आप ही कर दें और छुट्टी न लें. इसलिये उसे बनाकर रखें आप भी उसकी जरूरत का ध्यान रखे और समय आने पर वह भी सोचेगी की मैडमजी ने भी मेरी सहायता की थी. तो चलों मै भी ज्यादा काम कर दू, इससे आपको भी अच्छा लगेगा .

6. कामवाली बाई से बात करते समय संयम रखे. अनापशनाप न बोले सोच-समझकर बोले. फालतू की बातें न बताये उससे उतना ही बोले जितना जरूरी हो वरना बाद में पछताना न पड़े.

7. आड़े वक्त अगर पैसे मांगती है तो ये देख लें कि कोई बहाना तो नहीं बना रही है. काफी सोचसमझकर उसकी मदद कर दें. इससे भी कामवाली से आपका अच्छा रिश्ता बनेगा.

8. अगर आपके यहां सब्जी भाजी ज्यादा है या अन्य वस्तु जो उसको ले जाने में एतराज न हो तो उसको दे दें फेंकने से तो अच्छा है किसी के पेट में चला जायेगा. परन्तु खाना अच्छा ही दे पुराना खराब हुआ न दें नहीं तो आप परेशानी में पड़ सकती हैं इसलिये अच्छा खाना ही दें

9. सबसे बड़ी बात उसके दुख में सहानुभूति के साथ खड़े रहे तो हो सकता है उसको भी लगे की आपको बिना कारण परेशान नही करना चाहिए इसलिये कहते हैं कि कर भला तो हो भला.

10. आप कभी भी अपने घर की पूरी जानकारी कामवाली बाई को न दें और उसके सामने फोन पर शिकायतों की लिस्ट न बताएं या बात करते समय ध्यान रखें की आपकी बात कोई सुन रहा है. इसलिये बात करते समय संयम से ध्यान देकर करें.

11. कामवाली बाई को चोरी का आरोप बिना सोचे समझे न लगाये. पहले घर में वह चीज अच्छी तरह देख लें या पूरे घर के सदस्यों से पूछ लें अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें और फिर भी आपको लगता है कि बाई पर आरोप लगाया जाए तो सहजता से विनम्रता से पूछकर जबाव से सतुंष्ट होने पर या न होने पर आप होशियारी के साथ उसको हटा दें. नहीं तो वह आपके घर में दूसरी बाई को लगने नही देगी और चारों तरफ आपकी बुराई करते फिरेगी सो अलग. इसलिये ये काम करते समय बड़ी सर्तकता बरतें.

12. कामवाली बाई आपको कोई इधर उधर की बातें चुगली करें तो आप पूरी तरह से विश्वास कर उस व्यक्ति के बारे में आप उसके कहने पर व्यवहार को ने बिगाड़े. वरना हो सकता है आपको पछताना पड़े. इसलिये सबसे बड़ी बात अगर वह इधर उधर की बात बताये तो उसे डांट दें कि मुझे चुगली मत बताये. कभी कभी कामवाली बाई की बातों में आकर लोग सम्बन्ध बिगाड़ बैठते हैं जो गलत है इसलिये दूसरा पक्ष सुनने के बाद ही कोई फैसला लें.

कोरोना और सिमरन

लेखक-रंगनाथ द्विवेदी 

सिमरन अपनी शादी की कुछ सालों तक कितनी खुश थी. सिद्धार्थ को अपने पति के तौर पर पाकर मानो उसने दुनिया पाली हो, लेकिन हमेशा जिंदगी का रंग एक सा नहीं रहता, उसके रंग भी बदलते रहते हैं. क्योंकि सिमरन की जिंदगी इस कायनात की आखिरी तस्वीर नहीं, इसकी और भी तस्वीरें हैं, इसके और भी रंग हैं, जो बदलते रहते हैं. कुछ ऐसा ही बदलाव उसकी जिंदगी में  कोरोना जैसी महामारी से आएगा, उसको इसकी कतई उम्मीद न थी. लेकिन किसी को दुनिया पूरी और मुकम्मल नहीं मिलती. ऐसा सिमरन के साथ भी हुआ. उसको भी उसकी दुनिया मुकम्मल नहीं मिली. कोरोना ने उसके तमाम वे  रंग छीन लिए, जो ना जाने कितनी सिमरन के रहे होंगे.

सिमरन की सारी खुशी, सारे सपने,  सारे अरमान कोरोना की भेंट चढ़ गए. उसके सारे अरमानों को कोरोना वायरस ने ना चाह कर भी हमेशा के लिए लॉकडाउन कर दिया. यह दुनिया कोरोना को परास्त कर लेगी,  लेकिन हां ना जाने मुझे जैसी कितनी सिमरन इस टीस पीड़ा और दर्द के वह जख्म हमेशा हरे रहेंगे जो कोरोना ने दिये है .अब तो  हमेशा के लिए उसके मन में अपने पति को खोने की ये  नागफनी दिल में चूभेगी और यह चुभन हमेशा सिमरन को कोरोना की याद दिलाते रहेगे और हमेशा सिमरन सिसकती रहेगी.

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सिमरन उस पल को याद कर भावुक हो उठती है , जब वे मुंबई घर से कमाने के लिए जा रहे थे तो कुछ समय निकालकर वे कमरे में जब आये तो उन्होंने अपनी सिमरन को बाहों में भरकर उसके माथे का चुंबन लिया और बड़े ही प्यार से मेरी जान कहा था तो उसे क्या पता था कि यह सिमरन की माथे भाग लिया उसके सुहाग का आखिरी चुंबन होगा. अगर वे जानती तो कभी भी उन्हें कमाने के लिए मुंबई ना जाने देती किसी न किसी तरीके से उन्हें रोक लेती लेकिन अचानक चीन से फैले कोरोना ने बहुतों को अपनी चपेट में ले लिया. उसी चपेट में सिमरन की खुशियों की दुनिया भी आ गई.

कोरोना ने बस सिमरन का सुहाग ही नही बल्कि दो मासूम बच्चो के सर से उनके पिता  का असमय साया भी छीन लिया. उनके बुढ़े माँ-बाप के सहारे की एकलौती लाठी को हमेशा के लिये तोड़ दिया. इसके साथ ही जवान बहन की शादी के लाल जोड़े भी रो उठे. कोरोना वायरस का जब तक पता चलता तब तक सिमरन की दुनिया हमेशा के लिए तबाह व बर्बाद हो गई. सिमरन को ये तकलीफ रही की वे उस समय उनके पास न थी.

अब सिमरन को अपने सुन्दर व खूबसूरत चेहरे को मेकप नही, बल्कि सिमरन को अपने पति के यादों के आंसू उसके पूरे चेहरे को सैनिटाइज कर रहे हैं. उसका अब अपने पति की यादों के कोरोना वायरस से बाहर निकल पाना या बच  पाना मुमकिन नहीं.

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आने वाला कल सिमरन के हौसले वह उसके जिम्मेदारियों का है. उसे केवल कोरोना वायरस के यादों के अलावा एक हकीकत जीना है, अपने बच्चों के लिए, बुढ़े सास-ससुर के लिए,

अपनी ननद के लिये, फिर एक लंबे अंतराल के बाद समस्त जिम्मेदारियों के इतर फिर वही याद, वही कोरोना वायरस और उसके पति का उसके माथे पर लिया हुआ आखरी चुंबन. उसके पास यही यादों की वे पूंजी होगी, जिसके सहारे वे–“अपने जिंदगी की आखिरी सांस लेगी”.

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