TMKOC: Jethalal की बेटी बनेगी दुल्हनिया, दयाबेन भी होंगी शामिल!

तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो दर्शकों के बीच छाया रहता है. वहीं इसके किरदार का नाम फैंस के जबान पर रहता है, जिसके चलते फैंस उनसे जुड़ी खबरें जानने के लिए बेताब रहते हैं. इसी बीच खबरे हैं कि जेठालाल यानी दिलीप जोशी की बेटी नियति की शादी होने वाली है, जिसके चलते सोशलमीडिया पर फोटोज वायरल हो गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बेटी की शादी का किया बड़ा आयोजन

दरअसल, खबरों की मानें तो दिलीप जोशी की बेटी नियती की शादी मुंबई के फेमस ताज होटल में 11 दिसंबर को होने वाली है. जिसके चलते दिलीप जोशी तैयारियों में जुटे हुए नजर आ रहे हैं. वहीं दिलीप जोशी ने शादी का न्योता अपने शो की पूरी टीम को दे दिया है. वहीं इसमें दयाबेन के रोल में नजर आ चुकी दिशा वकानी और शो के प्रौड्यूसर असित मोदी का भी नाम शामिल है. हालांकि कहा जा रहा है कि दिशा वकानी शादी में शामिल नहीं होंगे. लेकिन वह दिलीप और उनकी बेटी से घर पर जाकर मिलेंगी.

 

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मेहंदी में जमकर नाचे जेठालाल

 

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दूसरी तरफ सोशलमीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही हैं, जिसमें दिलीप जोशी ढोल बजाते हुए डांस करते नजर आ रहे हैं. वहीं इसमें उनका साथ दोस्त देते नजर आ रहे हैं. हालांकि इस वीडियो में दिलीप जोशी की खुशी देखने लायक है.

जेठालाल के रोल से जीत रहे फैंस का दिल

 

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बात करें दिलीप जोशी कई बौलीवुड फिल्मों में काम कर चुके हैं. लेकिन फैंस उन्हें जेठालाल के रुप में जानना पसंद करते हैं. वहीं उनकी दयाबेन यानी दिशा वकानी के साथ कैमेस्ट्री को लेकर सभी कायल हैं. इसी के चलते सोशलमीडिया पर अक्सर उनके किरदार जेठालाल से जुड़े हुए मीम्स वायरल होते रहते हैं.

 

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शादी के बंधन में बंधे Katrina Kaif और Vicky Kaushal, Royal Wedding की फोटोज हुई वायरल

हिंदी सिनेमा की अभिनेत्री कैटरिना कैफ और अभिनेता विक्की कौशल 9 दिसम्बर 2021 को राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित सिक्स सेंसस बरवाड़ा फोर्ट में परिणय सूत्र में बंध गए. ये एक रॉयल थीम में की गई शादी है, जिसमें कैटरिना डोली में और विक्की सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर शादी के मंडप पहुंचे. खबरों की मानें तो,कपल दो रीति-रिवाज के अनुसार एक साथ अपने जीवन की शुरुआत करने जा रहे है.

शांत, हंसमुख विक्की और कैट एक दूसरे को दो साल से डेट कर रहे थे, लेकिन इसकी भनक कभी नहीं लगी. कई बार मिडिया को इसकी भनक लगी और इसकी सच्चाई जानने की कोशिश करने पर भी दोनों ने इस राज को दबाये रखा और हंसकर टाल दिया. दोनों के नजदीकियां लॉकडाउन के दौरान बढ़ी और दोनों बॉलीवुड की विवाहित कपल की श्रेणी में शामिल हो चुके है.

 

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एक इंटरव्यू में विकी कौशल ने कहा था कि जब उन्हें कोई प्यार करने वाला सच्चा साथी मिलेगा, तभी वह डेट और शादी करेगा. कैटरिना कैफ से भी उनकी शादी के बारें में पूछे जाने पर उसने जोर से हँसते हुए कहा था कि अभी मैं शादी तक सिंगल हूँ और जब शादी करुँगी, सबको सूचित भी करुँगी, इसलिए सभी प्रशंसक को इंतजार करना पड़ेगा. बात सही थी अभिनेत्री ने बहुत ही धूमधाम से शाही अंदाज में शादी की. कैटरिना कैफ की शादी की ऑउटफिट फेमस सेलेब्रिटी डिजाइनर सब्यसाची ने किया है.

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दोनों परिवारों के सदस्यों और करीबी दोस्तों के साथ मेहंदी औरसंगीत खास बनाने के लिए नेहा कक्कड़, हार्डी संधू, रोहनप्रीत आदि भी शामिल हुए. सूत्रों की माने तो इस शादी में 120 मेहमान शामिल हुए, जिसमे अधिकतर सेलेब्रिटी ही रहे,सभी ने पति-पत्नी को दिल से आशीर्वाद दिया. कैटरीना कैफ ने पारंपरिक उत्तर भारतीय दुल्हन की तरह नजर आई उन्होंने अपनी शादी के लिए पिंक कलर का खूबसूरत लहंगा पहना था, जिसमें शानदार एंब्रॉयडरी की गई थी, इसके साथ कैटरीना कैफ के बालों में गजरा सजा हुआ था, उन्होंने अपने लहंगे को चूड़ा, नथ, मांग टीका समेत पूरे सोलह श्रृंगार के साथ विवाह किया.

 

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कैटरीना कैफ और विक्की कौशल शादी के बाद दोनों फिल्मों के सेट पर वापस लौटेंगे. प्रोजेक्ट्स पूरे करने के बाद कैटरीना कैफ और विक्की कौशल मालदीव्स हनीमून मनाने जाएंगे. हनीमून के बाद कैटरीना कैफ और विक्की कौशल फिर से अपने प्रोफेशनल लाइफ में बिजी हो जाएंगे.

कैटरीना जहाँ हिंदी फिल्म जगत की पॉपुलर एक्ट्रेस की श्रेणी में जानी जाती है. वहीं व‍िक्‍की कौशल इंडस्‍ट्री के उभरते नाम है, उन्होंने मसान, उरी व शहीद उधम स‍िंह जैसी फ‍िल्‍मों से खुद को सिद्ध किया है.

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विवाह बाद प्रेम में कटौती नहीं

विवाह के बाद पुरुषों की प्रेमभावना कुंद हो जाने पर अधिकांश महिलाएं खुद को छला हुआ महसूस करती हैं, जबकि पुरुष भी ऐसा ही महसूस करते हैं. अकसर महिलाएं शिकायत करती हुई कहती हैं कि जैसे ही कोई महिला किसी पुरुष के प्रति प्रेम में प्रतिबद्घ होती है वैसे ही उन की प्रेमभावना स्त्री के प्रति खत्म हो जाती है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू के जानेमाने समाजशास्त्री डा. अमित कुमार शर्मा का कहना है, ‘‘कुछ प्राकृतिक गुणों के कारण स्त्रियों के प्रति पुरुषों की प्रेमभावना अधिक समय तक सशक्त नहीं रह पाती है जिस के कारण महिलाएं खुद को उपेक्षित और छला हुआ अनुभव करती हैं और ऐसे क्षणों की तलाश में रहती हैं कि जब पुरुष उन के प्रति आकर्षित हो. लेकिन पहले जैसी आसक्ति व प्रेमाभिव्यक्ति हो पाना संभव नहीं हो पाता.’’

अधिकतर पुरुष, स्त्रीप्राप्ति के लिए अपनी प्रेमाभिव्यक्ति को एक हथियार के रूप में प्रयोग करते हैं. उन का यह हथियार उसी प्रकार होता है जिस तरह कोई शिकारी अपने हथियार से शिकार करने के बाद उसे खूंटी पर टांग देता है. उसी प्रकार पुरुष अपनी प्रेमाभिव्यक्ति को अपनी जेब में रख लेते हैं जब तक कि उन्हें दोबारा इस की जरूरत न पड़े. दूसरी ओर, महिलाएं आवेश में किए गए प्रेम को भी अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेती हैं.

प्रेम आनंद-प्रेम दर्द

यौवन से भरपूर 24 वर्षीय मिनीषा गुप्ता का कहना है, ‘‘प्रेम आनंद के साथ शुरू होता है और जब हम शादी कर लेते हैं तो यही प्रेम दर्द का कारण बनता है. जैसा कि मैं देख रही हूं कि हमारी शादी को मात्र 2 वर्ष हुए हैं और अभी से मेरे पति मुझे नजरअंदाज करने लगे हैं. जबकि, शादी से पहले वे मुझे दुनिया की सब से खूबसूरत युवती बताते थे. मेरे हाथों को सहलाते हुए उन्हें दुनिया के सब से मुलायम हाथ करार देते थे. वे अब मेरी भौतिक सुविधाओं का तो खयाल करते हैं लेकिन मैं उन के मुंह से प्यार के दो बोल सुनने को तरस जाती हूं.’’

पत्नियों की यह भी एक आम शिकायत है कि उन के पति उन्हें एक साथी या पार्टनर के रूप में बहुत कम स्वीकारते हैं. अधिकतर पुरुष भावनात्मक स्तर पर बिना कुछ बांटे पति की भूमिका निभाते हैं.

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कुछ महिलाएं तो यहां तक कहती हैं कि कई पतियों को पत्नी से जुड़ी जानकारी तक नहीं होती. वे जल्दी बच्चे भी नहीं चाहते पर किसी प्रकार के गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने के प्रति भी लापरवाह होते हैं और पत्नी के गर्भवती होते ही वे अपनी दुनिया में खो जाते हैं. पत्नी को अपना ध्यान रखने की हिदायतें देने के बाद वे किसी किस्म की जिम्मेदारी नहीं बांटते.

दांपत्य जीवन

पत्नियां अब शादी को सिर्फ खाना पकाना, बच्चे पैदा करना और घरगृहस्थी संभालना मात्र ही नहीं मानतीं. लेकिन फिर भी महिलाओं के मन में यह कसक तो बनी ही रहती है कि पति शादी से वह सबकुछ पा जाता है जो वह चाहता है लेकिन उसे उस का पूरा हिस्सा ईमानदारी के साथ नहीं मिलता. जिस शारीरिक जरूरत को पति बेफिक्री व हक से प्राप्त कर लेता है जबकि पत्नी द्वारा उसी जरूरत की मांग करने पर उस को तिरस्कार से देखा जाता है.

अधिकतर महिलाएं पुरुषों की मानसिकता अब अच्छी तरह समझने लगी हैं. उन के अनुसार, भारतीय पुरुष आज भी दांपत्य रिश्तों के मामलों में आदिमानव की तरह ही हैं. जबकि पुरुषों के लिए यह समझना जरूरी है कि उन का दांपत्य जीवन और सैक्स से जुड़ी हर गतिविधि तभी सुखद व आनंददायी होगी जब वे शारीरिक व मानसिक तौर पर फिट होंगे.

आज के दौर में पति व पत्नी में शारीरिक संबंधों को खुल कर भोगने की लालसा तेज हुई है. लिहाजा, यह जरूरी है कि दांपत्य में झिझक से परे हो कर सुखों को आपस में ज्यादा से ज्यादा बांटने की कोशिश की जाए. भारतीय पुरुषों की सब से बड़ी समस्या यह है कि उन्हें एक अच्छे प्रेमी की भूमिका निभानी नहीं आती है और जो थोड़ीबहुत आती भी है वह पति के रूप में आते ही लगभग खत्म हो जाती है. पति के लिए करवाचौथ का व्रत रखने वाली, साड़ी और बिंदी में सजीसंवरी पत्नी अगर प्यार के सुख की चाहत रखती है तो वह पति की भृकुटि का निशाना बन जाती है.

एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार  67 प्रतिशत भारतीय पुरुष पत्नी के साथ शारीरिक संबंधों को ले कर ज्यादा खुदगर्ज होते हैं.

पुरुष बनाम महिला

ब्रिटेन की आर्थिक एवं सामाजिक शोध परिषद द्वारा 40 हजार गृहिणियों पर किए गए अध्ययन से भी ज्ञात होता है कि पुरुषों की अपेक्षा वे विवाह से जल्दी ऊब जाती हैं क्योंकि महिलाएं संबंध बनाने में अधिक निष्ठा से सम्मिलित होती हैं जबकि पुरुष परस्पर संबंधों में लापरवाह होने के कारण भूल जाता है कि महिला को प्रेम की भी आवश्यकता है.  पुरुष अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहते हैं कि प्रेम में कमी के लिए महिलाएं खुद दोषी हैं. क्योंकि शादी के बाद महिलाएं उतनी आकर्षक नहीं रह पातीं, जितनी वे शादी से पूर्व होती हैं. वे अपनी देखभाल उतनी नहीं करती हैं जितनी वे शादी से पूर्व करती थीं.

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इस संबंध में कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि विपरीत लिंगी को आकर्षित करने के लिए किसी प्रकार के ढोंग की आवश्यकता नहीं है. सच्चे प्रेमी भौतिक प्रेम की अपेक्षा आत्मिक प्रेम को अधिक महत्त्व देते हैं. इसलिए शारीरिक रूप से आकर्षित करने का तरीका छोड़ना आप के लिए बेहतर होगा. जिसे आप पसंद करते हो, तो, ‘जो है जैसा है’ के आधार पर करें. यदि आप की प्रेमभावना उस के प्रति वास्तविक है तो वह ऐसी नहीं होगी कि वह शादी के बाद खत्म हो जाए. असीमित और अनावश्यक उम्मीद रखने पर आप को निराश होना पड़ेगा. अपनेआप को सच्चे जीवनसाथी के रूप में ढालने के बाद ही आप उन्मुक्त हो कर एकदूसरे के साथ जीवन का आनंद ले सकते हैं.

Winter Special: स्नैक्स में बनाएं खट्टे-मीठे चावल के पकौड़े

चावल तो आप रोज ही खाती होंगी. पर क्या आपने कभी चावल के पकौड़े खाए हैं? अकसर आपके बच्चे चावल खाने से कतराते होंगे. आपने चावल कई तरह के व्यंजन ट्राई किए होंगे ताकि आपका बच्चा चावल खाए. लेकिन हर बार आपको निराशा ही हाथ लगी होगी. इस बार आप कुछ अलग खट्टे-मीठे चावल के पकौड़े ट्राई कीजिए आपका बच्चा आसानी से इसे खाएगा.

खट्टे-मीठे चावल के पकौड़े बनाने की रेसिपी

सामग्री

पके हुए चावल 2 कप

प्याज 2

अदरक 50 ग्राम

ताजे पुदीने के पत्ते चौथाई कप

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बेसन आधा कप

नमक स्वादानुसार

हरी मिर्च बारीक कटा हुआ

चाट मसाला 1 छोटा चम्मच

विधि

प्याज, अदरक और पुदीने के पत्ते एक चॉपर में काट लें. चावल को एक बाउल में लें, उसमें डालें कटे हुए प्याज-अदरक-पुदीने के पत्ते, बेसन, नमक, हरी मिर्चें और चाट मसाला और अच्छी तरह मिला लें. इस मिक्सचर से मध्यम आकार के बॉल्स बना लें.

कढ़ाई में जरूरत के मुताबिक तेल गर्म कर लें. गरम तेल में चावल के बने बॉल्स डालकर गोल्डन और करारे होने तक तल लें. तेल से निकालकर एब्सॉरबेन्ट पेपर पर रखें. गर्मागर्म इमली की चटनी या केचअप के साथ परोसें.

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शादी से पहले कौंट्रासैप्टिव पिल लें या नहीं

किशोरावस्था में अकसर किशोर दूसरे लिंग के प्रति आकर्षित हो शारीरिक संबंध बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं. वे प्रेमालाप में सैक्स तो कर लेते हैं, परंतु अपनी अज्ञानता के चलते प्रोटैक्शन का इस्तेमाल नहीं करते जिस के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की लैंगिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 15 से 19 वर्ष की 1.6 करोड़ लड़कियां गर्भधारण कराती हैं. इस छोटी उम्र में गर्भधारण करने का सब से बड़ा कारण किशोरों का अल्पज्ञान और नामसझी है. बिना प्रोटैक्शन के किए जाने वाले सैक्स से सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शन सर्वाइकल कैंसर और हाइपरटैंशन जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है. ये बीमारियां लड़के व लड़की दोनों को हो सकती हैं.\

किशोरों में प्रैगनैंसी और असुरक्षित सैक्स से होने वाली बीमारियों को ले कर मूलचंद अस्पताल, दिल्ली की सीनियर गाईनोकोलौजिस्ट डा. मीता वर्मा से बात की. उन्होंने किशोरों के इस्तेमाल हेतु कौंट्रासैप्टिव पिल्स और उन के खतरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी:

कौंट्रासैप्टिव पिल क्या है और इसे कब व कैसे लेना चाहिए?

यह इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है. इसे पोस्ट कोर्डल और मौर्निंग आफ्टर पिल भी कहते हैं. आई पिल एक हारमोन है. इस का बैस्ट इफैक्ट तब होता है जब इसे सैक्स के 1 घंटे के आसपास लें. इसे 72 घंटों में 2 बार 24 घंटों के अंतराल में लिया जाता है. इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव की तब जरूरत होती है जब लड़की के साथ बलात्कार हुआ हो. अनचाहे गर्भ का खतरा हो या फिर कंडोम फट जाए. लोग विथड्रौल तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं. इस में यदि अंडरऐज ईजैक्यूलेशन हो गया हो तो फिर इस पिल का इस्तेमाल करते हैं. यदि पीरियड अनियमित हैं और आप सुरक्षा को ले कर चिंतित हैं तो इस स्थिति में भी इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जरूरत होती है.

यदि कोई लड़की इसे आदत बना ले तो इस के क्या विपरीत प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, इसे आदत नहीं बनाना चाहिए. इस के बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं. यदि लड़की किशोरी हो तो सब से पहले तो उसे सैक्स ऐजुकेशन होनी चाहिए. आजकल तो यह नैट में भी उपलब्ध है. 8वीं और 9वीं कक्षा की किताबों में भी इस की जानकारी दी गई है. लड़कियों को पता होना चाहिए कि यह पिल किस प्रकार काम करती है. इस की डोज हैवी होती है. हैवी डोज लेने से मासिकचक्र प्रभावित होता है. वह अनियमित हो जाता है. इस के अलावा उलटियां व चक्कर आना, स्तनों में दर्द, पेट में दर्द और असमय रक्तस्राव हो सकता है. यदि आप सैक्सुअली ऐक्टिव हैं तो आप को कौंट्रासैप्टिव का प्रयोग केवल इमरजैंसी में ही करना चाहिए. इस के साइड इफैक्ट में सब से बड़ा खतरा ट्यूब की प्रैगनैंसी का है. इसलिए यदि इमरजैंसी शब्द कहा जा रहा है तो केवल इमरजैंसी में ही प्रयोग करें. वैसे भी यह 90% ही कारगर है 100% नहीं.

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शादी से पहले इस पिल के इस्तेमाल करने पर क्या लड़की को शादी के बाद गर्भधारण करने में किसी तरह की परेशानी हो सकती है?

अगर लड़की ने लगातार दवा का इस्तेमाल किया है तो बिलकुल होगी. कभीकभार लेने पर परेशानी नहीं आएगी. यदि इस से मासिकचक्र प्रभावित हुआ है तो परेशानी होनी लाजिम है, क्योंकि आप ने ओवुलेशन प्रौसैस यानी अंडा बनने की प्रक्रिया को प्रभावित किया है. आई पिल का अधिक इस्तेमाल ट्यूब जोकि अंडे को कैच करती है की वेर्बिलिटी को रेस्ट्रेट कर देता है. ऐसे में जब आप शादी से पहले हर बार अपने ओवुलेशन को डिस्टर्ब करेंगी तो शादी के बाद गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है.

बाजार में और किस तरह की कौंट्रासैप्टिव पिल्स हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सके?

भारत में केवल पिल उपलब्ध है, जो लिवोनोगेरट्रल है. इस में एक टैबलेट 750 माइक्रोग्राम की होती है. ये 2 टैबलेट 24 घंटों के अंतराल में ली जाती हैं. भारत में 1500 माइक्रोग्राम की टैबलेट अभी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उस की डोज अत्यधिक हैवी है. आजकल इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव में एक और दवा, अंडर ट्रायल है, जिसे यूलीप्रिस्टल कहते हैं. चूंकि यह अभी अंडर ट्रायल है, इसलिए इस का प्रयोग केवल डाक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए.

क्या इस पिल के अलावा कोई दूसरा बेहतर विकल्प है?

यह पिल तो इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है ही, इस के अलावा और कई बर्थ कंट्रोल हैं. सब से अच्छा कंडोम ही है. यह बहुत सी संक्रमण वाली बीमारियों से बचाता है और इस के प्रयोग से इन्फैक्शन भी नहीं होता. इस के अलावा दूसरे बर्थ कंट्रोल ऐप्लिकेशन भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे वैजिनल टैबलेट्स. इन्हें कंडोम के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. यदि फर्टाइल पीरियड में सैक्स किया जाए तो कंडोम और वैजिनल टैबलेट, दोनों का ही प्रयोग करें. आजकल ओवुलेशन का पता लगाने के लिए किट्स भी उपलब्ध है. उन से पता लगाएं. वैजिनल टैबलेट्स और कंडोम का एकसाथ इस्तेमाल करें. इस से डबल सुरक्षा मिलेगी.

क्या कंडोम 100% सुरक्षित है?

हां, यदि इस का इस्तेमाल ठीक तरह से किया जाए तो यह बैस्ट कौंट्रासैप्शन है. लड़कियां सैक्स के दौरान वैजिनल टैबलेट्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस से सुरक्षा दोगुनी हो जाएगी.

यदि लड़की मां बनने के डर से एक की जगह 2 या 3 गोलियां खा ले तो इस के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, जो डोज जैसे लिखी है उसे वैसे ही लें. न तो दवा स्किप करें और न ही समय से पहले व ज्यादा लें. यदि आई पिल लेने के 3 हफ्ते बाद तक सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया तो ट्यूब की प्रैगनैंसी हो सकती है. यदि 3 हफ्ते बाद तक पीरियड्स न हों तो प्रैगनैंसी टैस्ट करें.

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यदि लड़की यह पिल खा कर किसी प्रकार की परेशानी महसूस करती है और घर वालों को इस बारे में न बता कर चुप रहती हैं तो क्या इस के कोई दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं?

जब कोई लड़की सैक्सुअली ऐक्टिव है और किसी लड़के के साथ सैक्स कर सकती है तो वह चुपचाप जा कर डाक्टर से कंसल्ट भी कर सकती है. यदि लड़की कमा रही है और पढ़ीलिखी है तो डाक्टर की सलाह लेने में हरज क्या है? घर वालों से तो वैसे भी किसी तरह की परेशानी नहीं छिपानी चाहिए. किसी न किसी से जरूर शेयर करनी चाहिए. यदि पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पतालों के डाक्टर फ्री सलाह देते हैं.

इस पिल से ट्यूब की प्रैगनैंसी होने का खतरा होता है जो जानलेवा हो सकता है. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सुरक्षित होने के बावजूद आई पिल से गर्भाशय के बाहर की प्रैगनैंसी हो सकती है जिस से लड़की की जान को खतरा हो सकता है.

युवाओं को सुरक्षित सैक्स संबंधी क्या सलाह देना चाहेंगी?

युवाओं को यह बताना चाहूंगी कि यदि वे 18 साल से बड़े हैं और सैक्स करते हैं तो इस में कोई बुराई नहीं है, मगर कंडोम का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. असुरक्षित सैक्स एचआईवी, एसटीआई व सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण हो सकता है. लव, अफेयर, सैक्स और फिजिकल रिलेशनशिप अपनी जगह है और सुरक्षा अपनी जगह. शरमाएं नहीं, बल्कि सही सलाह लें.

सरकारी मकान और औरतों का फैसला

एक जमाना था जब किसी भी तरह की पक्की छत लोगों को स्वीकार थी या आज लाइफ स्टाइल के साथ मजबूती और टिकाऊ भी मकान में होना जरूरी हो गया है. जहां पहले दिल्ली डेवलेपमैंट अथौरिटी के मकानों को अलाट कराने के लिए हजार तरह की सिफारिशें लगाई जाती थीं और रिश्वतें दी जाती थीं अब ये मकान लौटाए जा रहे हैं और हाल में 27′ लोगों ने अपने मकान लेने से इंकार कर दिया.

ये सरकारी मकान अब सस्ते तो नहीं रह गए थे उलटे इन की बनावट खराब है और यह पक्का है कि इनकी रखरखाव पर डीडीए कोई ध्यान न देगा क्योंकि डीडीए अपने लिए जीता है, चलता है, काम करता है. जनता के लिए नहीं. घरों के चलाने वाली औरतों ने अब खराब मकान लेने से इंकार कर दिया चाहे वे वर्षों इन का इंतजार कर चुकी हो.

आज की औरत को डीडीए ही नहीं देश भर की सरकारें कम न समझें. शिक्षा और आजादी ने उन्हें इतनी समझ दे दी है कि अकेलेे होते घरों में वे पहली धुरी हैं और उन के पति. पिता या बेटे बाद में आते हैं. घर को चलाने के लिए आवश्यकताओं की समझ उन्हें है और घर ही चुनौतियों का सामना उन्होंने ही करना है. अब वे इंकार करना जानती है और डीडीए यह सब करोड़ों का नुकसान सह कर समझ रही है.

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आज की औरतें मकान के रखरखाव पर बहुत ज्यादा चूजी होती जा रही हैं और अब जैसा है चलेगा की भावना खत्म होती जा रही है. मकानों में प्राइवेट बिल्डरों की बाढ़ आ गई है और डीडीए जैसे सरकारी संस्थाएं अब निरर्थक हो गई हैं. औरतों को अब सरकारी बाबू नहीं चाहिए जिस के सामने वे गिड़गिड़ाएं, उन्हें अब सप्लायर चाहिए जो उन की मर्जी से काम करे, जो उन की सुने और उन की शिकायत दूर करे.

सरकारी मकान तो एक उदाहरण है कि किसी की भी मोनोपोंली असल में भीषण में होती है आज यही टैक्नोलौजी में हो रहा है जिस में कुछ कंपनियों ने एकाध्धिककार कर के दिमाग और जानकारी पर वैसा ही कब्जा कर लिया है जैसा भवनों और मकानों की जमीनों पर 30 साल पहले सरकार का था. आम जनता और विशेषत औरतों की एक पीढ़ी ने बहुत बुरे मकानों में अपने जीवन के कीमती साल बर्बाद करें क्योंकि सरकार को अपनी चलाने की पड़ी थी.

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आज सरकार सुधरी है, ऐसी नहीं लगता. सरकार आज भी घरों के आसपास में ऐसा ढंग से नहीं रख पा रही है और शहर में कुछ वीआईपी इलाकों को छोडक़र सब दूसरी जगहों को बुरी तरह निग्लैक्ट किया जा रहा है क्योंकि औरतों ने राकेश टिकैत की तरह धरने देने शुरू नहीं किए हैं. अगर शाहीन बाग और किसान मोर्चो की तरह कालोनी सुधार मोर्चे लगने शुरू हो जाएं तो ही शहरी जीवन सुधरेगा. कुछ हफ्तों की मेहनत बाकी जीवन को सुधार देगी.

इन टिप्स को आजमाएं और घर में ही अदरक उगाएं

अगर आप अदरक की चाय पीने की शौकीन हैं या अदरक सब्जी में डालकर खाना पसंद करती हैं तो सावधान हो जाइये, हो सकता है कि आप जहर खा रही हों. देश की सबसे बड़ी आजादपुर मंडी के आसपास 6 अदरक गोदामों पर छापे मारकर दिल्ली प्रशासन ने करीब 450 लीटर तेजाब पकड़ा है. इससे अदरक को धोकर चमकाने का काम चल रहा था.

तेजाब से चमकाया जा रहा था अदरक

मंडी में बरामद तेजाब से गंदी और भद्दे अदरक को चमकाया जा रहा था, क्योंकि बाजार में जब भी आप अदरक खरीदने जाएंगी तब आप वही अदरक खरीदेंगी जो देखने में अच्छा लग रहा हो. एक लीटर तेजाब से करीब 400 किलो अदरक धोकर चमका दी जाती है. तेजाब से धोने से उसके ऊपर का भद्दा हिस्सा या छिलका निकल जाता और अदरक चमकने लगता है.

ये खबर आग की लपटों की तरह फैल रही है. इस खबर के आते ही कई लोगों ने अदरक खाना छोड़ दिया है. लेकिन अगर आप अदरक खाने की शौकीन हैं और आपको इसकी तलब हो रही है तो चलिए आपके इस समस्या का हम समाधान कर देते हैं.

आप अदरक को अपनी सुविधानुसार खुले मैदान या गमले में उगा सकती हैं. आप घर पर अदरक उगाने के ये तरीके अपनाएं, हमारा दावा है इस अच्छी जैविक उपज के साथ ही आपकी चाय और खाने का स्वाद बढ़ जाएगा और आपकी तलब खत्म हो जाएगी.

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अदरक के प्रकंद को चुनें

सबसे पहले अदरक का अच्छा प्रकंद चुनें. यदि आप बिल्कुल नए सिरे से शुरुआत कर रही हैं तो बाजार से अदरक की जड़ ले लें. पूर्ण विकसित आंख या विकसित कलियों वाली जड़ लें. घर पर अदरक उगाने का यह सबसे अच्छा तरीका है.

गमले को तैयार करें

अगर आपके घर में बगीचे की व्यवस्था है तब तो आप इसे खुले मैदान में ही उगाएं. अगर आप गमले में ही अदरक उगाना चाहती हैं तो गहरे गमले को मिट्टी से भर लें. ढीली मिट्टी लें ताकि पानी डालने पर यह पैक नहीं हो. मिट्टी में खाद या कम्पोस्ट मिला दें. गमले में पानी का निकास एकदम सही रहना चाहिए. आप एक गमले में अदरक के तीन टुकड़े रख सकती हैं.

नमी

जब आप अदरक को जमीन पर उगा रही हैं तो धरती की नमी का फायदा उठाने के लिए उचित कदम उठायें. आप सूखी पत्तियों से इसे ढक सकती हैं. यदि आपकी मिट्टी कठोर है तो आप पानी के निकास के लिए मेड़बंदी भी कर सकती हैं.

पानी देना

अदरक के पौधे में पानी देते समय सावधानी रखें. उगाने के कुछ समय बाद धीरे और कम पानी दें. जब यह फूटता दिखे तो पानी थोड़ा ज्यादा दें. सर्दियों में जब इनका विकास कम होता है तो पानी ना दें.

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फर्टिलाइजर

जैविक खाद का प्रयोग करें। हमें जैविक अदरक उगनी है इसलिए एक हिस्सा मिट्टी और एक हिस्सा खाद मिला लें. इससे कलियां स्वस्थ और जल्दी विकसित होंगी. यदि आप इसे गमले में उगा रही हैं तो अपनी आवश्यकता अनुसार खाद मिलाएं.

तापमान

अदरक को गर्मी पसंद है. आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे यदि आप इसमें गर्मी में लगभग 75-85 °F तापमान में उगाएंगी. ठन्डे वातावरण में इनकी वृद्धि में रूकावट होगी. अदरक उगाते समय यह बात जरूर ध्यान रखें.

घुंघरू: भाग 4- राजा के बारे में क्या जान गई थी मौली

लेखक – पुष्कर पुष्प  

राजा समर सिंह को पता चला, तो वे स्वयं मौली के पास पहुंचे. उन्होंने उसे पहले प्यार से समझाने की कोशिश की, फिर भी मौली कुछ नहीं बोली, तो राजा ने गुस्से में कहा, ‘‘तुम्हें महल ला कर हम ने जो इज्जत बख्शी है, वह हर किसी को नहीं मिलती… और एक तुम हो, जो इस सब को ठोकर मारने पर तुली हो. यह जानते हुए भी कि अब तुम्हारी लाश भी राखावास नहीं लौट सकती. हां, तुम अगर चाहो, तो हम तुम्हारे वजन के बराबर धनदौलत तुम्हारे मातापिता को भेज सकते हैं. लेकिन अब तुम्हें हर हाल में हमारी बन कर हमारे लिए जीना होगा.’’

मौली को मौत का डर नहीं था. डर था तो मानू का. वह जानती थी, मानू उस के विरह में सिर पटकपटक कर जान दे देगा. उसे यह भी मालूम था कि उस की वापसी संभव नहीं है. काफी सोचविचार के बाद उस ने राजा समर सिंह के सामने प्रस्ताव रखा, ‘‘अगर आप चाहते हैं कि मैं आप के महल की शोभा बन कर रहूं, तो मेरे लिए पहाड़ों के बीचवाली उस झील के किनारे महल बनवा दीजिए, जिस के उस पार मेरा गांव है.’’

अपने इस प्रस्ताव में मौली ने 2 शर्तें भी जोड़ीं. एक यह कि जब तक महल बन कर तैयार नहीं हो जाता, राजा उसे छुएंगे तक नहीं और दूसरी यह कि महल में एक ऐसा परकोटा बनवाया जाएगा, जहां से वह हर रोज अपनी चुनरी लहराकर मानू को बता सके कि वह जिंदा है. मानू उसी के सहारे जीता रहेगा.

मौली, मानू को जान से ज्यादा चाहती है, यह बात समर सिंह को अच्छी नहीं लग रही थी. कहां एक नंगाभूखा लड़का और कहां राजमहल के सुख. लेकिन मौली की जिद के आगे वह कर भी क्या सकते थे. कुछ करते, तो मौली जान दे देती. मजबूर हो कर उन्होंने उस की शर्तें स्वीकार कर लीं.

राखावास के ठीक सामने झील के उस पार वाली पहाड़ी पर राजा ने महल बनवाना शुरू किया. बुनियाद कुछ इस तरह रखी गई कि झील का पानी महल की दीवार छूता रहे. झील के 3 ओर बड़ीबड़ी पहाडि़यां थीं. चौथी ओर वाली छोटी पहाड़ी की ढलान पर राखावास था. महल से राखावास या राखावास से महल तक आध कोस लंबी झील को पार किए बिना किसी तरह जाना संभव नहीं था.

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उन दिनों आज की तरह न साधनसुविधाएं थीं, न मार्ग. ऐसी स्थिति में चंदनगढ़ से 7 कोस दूर पहाड़ों के बीच महल बनने में समय लगना स्वाभाविक ही था. मौली इस बात को समझती थी कि यह काम एक साल से पहले पूरा नहीं हो पाएगा. और इस एक साल में मानू उस के बिना सिर पटकपटक कर जान दे देगा. लेकिन वह कर भी क्या सकती थी, राजा ने उस की सारी शर्तें पहले ही मान ली थीं.

लेकिन जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है. मोहब्बत कहीं न कहीं अपना रंग दिखा कर ही रहती है. मौली के जाने के बाद मानू सचमुच पागल हो गया था. उस का वही पागलपन उसे चंदनगढ़ खींच ले गया. मौली के घुंघरू जेब में डाले वह भूखाप्यासा, फटेहाल महीनों तक चंदनगढ़ की गलियों में घूमता रहा. जब भी उसे मौली की याद आती, जेब से घुंघरू निकाल कर आंखों से लगाता और जारजार रोने लगता. लोग उसे पागल समझ कर उस का दर्द पूछते, तो उस के मुंह से बस एक ही शब्द निकलता मौली.

मानू चंदनगढ़ आ चुका है, मौली भी इस तथ्य से अनभिज्ञ थी और समर सिंह भी. उधर मानू ने राजमहल की दीवारों से लाख सिर टकराया, पर वह मौली की एक झलक तक नहीं देख सका. महीनों यूं ही गुजर गए.

राजा समर सिंह जिस लड़की को राजनर्तकी बनाने के लिए राखावास से चंदनगढ़ लाए हैं, उस का नाम मौली है, यह बात किसी को मालूम नहीं थी. राजा स्वयं उसे मालेश्वरी कह कर पुकारते थे. उस की सेवा में दासदासियां रहती थीं. एक दिन उन्हीं में से एक दासी ने बताया, ‘‘नगर में एक दीवाना मौलीमौली पुकारता घूमता है. पता नहीं कौन है मौली, उस की मां, बहन या प्रेमिका. बेचारा पागल हो गया है उस के गम में. न खाने की सुध, न कपड़ों की. एक दिन महल के द्वार तक चला आया था, पहरेदारों ने धक्के दे कर भगा दिया. कहता था, इन्हीं दीवारों में कैद है मेरी मौली.’’

मौली ने सुना तो कलेजा धक्क से रह गया. प्राण गले में अटक गए. लगा, जैसे बेहोश हो कर गिर पड़ेगी. वह संज्ञाशून्य सी पलंग पर बैठ कर शून्य में ताकने लगी. दासी ने उस की ऐसी स्थिति देख कर पूछा, ‘‘क्या बात है? आप मेरी बात सुन कर परेशान क्यों हो गईं? आप को क्या, होगा कोई दीवाना. मैंने तो जो सुना था, आप को यूं ही बता दिया.’’

मौली ने अपने आप को लाख संभालना चाहा, लेकिन आंसू पलकों तक आ ही गए. दासी पलभर में समझ गई, जरूर कोई बात है. उस ने मौली को कुरेदना शुरू किया, तो वह न चाहते हुए भी उससे दिल का हाल कह बैठी. दासी सहृदय थी. मौली और मानू की प्रेम कहानी सुनने और उन के जुदा होने की बात सुन उसका हृदय पसीज गया. मौली ने उस से निवेदन किया कि वह किसी तरह मानू तक उस का यह संदेश पहुंचा दे कि वह उस से मिले बिना न मरेगी, न नाचेगी. वह वक्त का इंतजार करे. एक न एक दिन दोनों का मिलन होगा जरूर. जब तक मिलन नहीं होता, तब तक वह अपने आप को संभाले. प्यार में पागल बनने से कुछ नहीं मिलेगा.

दासी ने जैसेतैसे मौली का संदेश मानू तक पहुंचाया भी, लेकिन उस पर उस की बातों का कोई असर नहीं हुआ.

उन्हीं दिनों एक अंग्रेज अधिकारी को चंदनगढ़ आना था. राजा समर सिंह ने अधिकारी को खुश करने के लिए उस की खातिरदारी का पूरा इंतजाम किया. महल को विशेष रूप से सजाया गया. नाचगाने का भी प्रबंध किया गया. राजा समर सिंह चाहते थे कि मौली अपनी नृत्य कला से अंग्रेज रेजीडेंट का दिल जीते. उन्होंने इस के लिए मौली से मानमनुहार की, तो उस ने शर्त बता दी, ‘‘मानू नगर में मौजूद है, उसे बुलाना पड़ेगा. वह आ कर मेरे पैरों में घुंघरू बांध देगा, तो मैं नाचूंगी.’’

समर सिंह जानते थे कि जो बात मौली की नृत्यकला में है, वह किसी दूसरी नर्तकी के नृत्य में हो ही नहीं सकती. अंग्रेज रेजीडेंट को खुश करने की बात थी. राजा ने मौली की शर्त स्वीकार कर ली. मानू को ढुंढ़वाया गया. साफसफाई और स्नान के बाद नए कपड़े पहना कर उस का हुलिया बदला गया.

अगले दिन जब रेजीडेंट आया, तो पूरी तैयारी के बाद मौली को सभा में लाया गया. सभा में मौजूद सब लोगों की निगाहें मौली पर जमी थीं और उस की निगाहें उस सब से अनभिज्ञ मानू को खोज रही थीं. मानू सभा में आया, तो उसे देख मौली की आंखें बरस पड़ीं. मन हुआ, आगे बढ़ कर उस से लिपट जाए, लेकिन चाह कर भी वह ऐसा न कर सकी. करती, तो दोनों के प्राण संकट में पड़ जाते. उस ने लोगों की नजर बचा कर आंसू पोंछ लिए.

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आंसू मानू की आंखों में भी थे, लेकिन उसने उन्हें बाहर नहीं आने दिया. खुद को संभाल कर वह ढोलक के साथ अपने लिए नियत स्थान पर जा बैठा. मौली धीरेधीरे कदम बढ़ा कर उस के पास पहुंची, तो मानू थोड़ी देर अपलक उस के पैरों को निहारता रहा. फिर उस ने जेब से घुंघरू निकाल कर माथे से लगाए और मौली के पैरों में बांध दिए. इस बीच मौली उसे ही निहारती रही. घुंघरू बांधते वक्त मानू के आंसू पैरों पर गिरे, तो मौली की तंद्रा टूटी. मानू के दर्द का एहसास कर उस के दिल से आह भी निकली, पर उस ने उसे जैसेतैसे जज्ब कर लिया.

आगे पढ़ें-  राजा समर सिंह जानते थे कि…

बहन का सुहाग: भाग 2- क्या रिया अपनी बहन का घर बर्बाद कर पाई

लेखकनीरज कुमार मिश्रा

दोनों में नजदीकियां बढ़ गई थीं. राजवीर सिंह का रुतबा विश्वविद्यालय में काफी बढ़ चुका था और निहारिका को भी यह अच्छा लगने लगा था कि एक लड़का जो संपन्न भी है, सुंदर भी और विश्वविद्यालय में उस की अच्छीखासी धाक भी है, वह स्वयं उस के आगेपीछे रहता है.

थोड़ा समय और बीता तो राजवीर ने निहारिका से अपने मन की बात कह डाली, ‘‘देखो निहारिका, अब तक तुम मेरे बारे में सबकुछ जान चुकी हो… मेरे घर वालों से भी तुम मिल चुकी हो… मेरा घर, मेरा बैंक बैलेंस, यहां तक कि मेरी पसंदनापसंद को भी तुम बखूबी जानती हो…

“और आज मैं तुम से कहना चाहता हूं कि मैं तुम से शादी करना चाहता हूं और मैं यह भी जानता हूं कि तुम इनकार नहीं कर पाओगी.”

बदले में निहारिका सिर्फ मुसकरा कर रह गई थी.

‘‘और हां, तुम अपने मम्मीपापा की चिंता मत करो. मैं उन से भी बात कर लूंगा,‘‘ इतना कह कर राजवीर सिंह ने निहारिका के होंठों को चूमने की कोशिश की, पर निहारिका ने हर बार की तरह इस बार भी यह कह कर टाल दिया कि ये सब शादी से पहले करना अच्छा नहीं लगता.

राजवीर सिंह ने खुद ही निहारिका के घर वालों से बात की. वह एक पैसे वाले घर से ताल्लुक रखता था, जबकि निहारिका एक सामान्य घर से.
निहारिका के मम्मीपापा को भला इतने अच्छे रिश्ते से क्या आपत्ति होती और इस से पहले भी वे निहारिका के मुंह से कई बार राजवीर के लिए तारीफ सुन चुके थे. ऐसे में उन्हें रिश्ते को न कहने की कोई वजह नहीं मिली.

ग्रेजुएशन करते ही निहारिका की शादी राजवीर सिंह से तय हो गई.

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और शादी ऐसी आलीशान ढंग से हुई, जिस की चर्चा लोग महीनों तक करते रहे थे. इलाके के लोगों ने इतनी शानदार दावत कभी नहीं खाई थी. बरात में ऊंट, घोड़े और हाथी तक आए थे.

शादी के बाद निहारिका के सपनों को पंख लग गए थे. इतना अच्छा घर, सासससुर और इतना अच्छा पति मिलेगा, इस की कल्पना भी उस ने नहीं की थी.

‘‘राजवीर… जा, बहू को मंदिर ले जा और कहीं घुमा भी ले आना,‘‘ राजवीर को आवाज लगाते हुए उस की मां ने कहा.

राजवीर और निहारिका साथ घूमतेफिरते और अपने जीवन के मजे ले रहे थे. रात में वे दोनों एकदूसरे की बांहों में सोए रहते.

सैक्स के मामले में राजवीर किसी भूखे भेड़िए की तरह हो जाता था. वह निहारिका को ब्लू फिल्में दिखाता और वैसा ही करने के लिए उस पर दबाव डालता.

निहारिका को ये सब पसंद नहीं था. राजवीर के बहुत कहने पर भी वह ब्लू फिल्मों के सीन को उस के साथ नहीं कर पाती थी. कई बार तो निहारिका को ऐसा करते समय उबकाई सी आने लगती.

ये राजवीर का एक नया और अलग रूप था, जिस से निहारिका पहली बार परिचित हो रही थी.

अपनी इस समस्या के लिए निहारिका ने इंटरनैट का सहारा लिया और पाया कि कुछ पुरुषों में पोर्न देखने और वैसा ही करने की कुछ अधिक प्रवत्ति होती है और यह बिलकुल ही सहज है.

निहारिका ने सोचा कि अभी नईनई शादी हुई है, इसलिए  अधिक उत्साहित है. थोड़ा समय बीतेगा, तो वह मेरी भावनाओं को भी समझेगा, पर बेचारी निहारिका को क्या पता था कि ऐसा कभी नहीं होने वाला था.

शादी के 5 महीने बीत चुके थे. निहारिका की छोटी बहन रिया अपने पापा आनंद रंजन के साथ निहारिका से मिलने आई थी. पापा आनंद रंजन तो अपनी बेटी निहारिका से मिल कर चले गए, पर रिया निहारिका के पास ही रुक गई थी.

राजवीर सिंह ने निहारिका के पापा आनंद रंजन को बताया कि वे सब आगरा जाने का प्लान बना रहे हैं और इस में रिया भी साथ रहेगी, तो निहारिका को भी अच्छा लगेगा.

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निहारिका के पापा आनंद रंजन को कोई आपत्ति नहीं हुई.

रिया के आने के बाद तो राजवीर के चेहरे पर चमक और भी बढ़ गई थी, बढ़ती भी क्यों नहीं, दोनों का रिश्ता ही कुछ ऐसा था. अब तो दोनों में खूब चुहलबाजियां होतीं. अपने जीजा को छेड़ने का कोई भी मौका रिया अपने हाथ से जाने नहीं देती थी.

वैसे भी रिया को हमेशा से ही लड़कों के साथ उठनाबैठना, खानापीना अच्छा लगता था और अब जीजा के रूप में उसे ये सब करने के लिए एक अच्छा साथी मिल गया था.

एक रात की बात है, जब खाने के बाद रिया अपने कमरे में सोने के लिए चली गई तो उसे याद आया कि उस के मोबाइल का पावर बैंक तो जीजाजी के कमरे में ही रह गया है. अभी ज्यादा देर नहीं हुई थी, इसलिए वह अपना पावर बैंक लेने जीजाजी के कमरे के पास गई और दरवाजे के पास आ कर अचानक ही ठिठक गई. दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं था और अंदर का नजारा देख रिया रोमांचित हुए बिना न रह सकी. कमरे में जीजाजी निहारिका के अधरों का पान कर रहे थे और निहारिका भी हलकेफुलके प्रतिरोध के बाद उन का साथ दे रही थी और उन के हाथ जीजाजी के सिर के बालों में घूम रहे थे.

किसी जोड़े को इस तरह प्रेमावस्था में लिप्त देखना रिया के लिए पहला अवसर था. युवावस्था में कदम रख चुकी रिया भी उत्तेजित हो उठी थी और ऐसा नजारा उसे अच्छा भी लग रहा था और मन में देख लिए जाने का डर भी था, इसलिए वह तुरंत ही अपने कमरे में लौट आई.

कमरे में आ कर रिया ने सोने की बहुत कोशिश की, पर नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. वह बारबार करवट बदलती थी, पर उस की आंखों में दीदी और जीजाजी का आलिंगनबद्ध नजारा याद आ रहा था. मन ही मन वह अपनी शादी के लिए राजवीर सिंह जैसे गठीले बदन वाले बांके के ख्वाब देखने लगी.

किसी तरह सुबह हुई, तो सब से पहले जीजाजी उस के कमरे में आए और चहकते हुए बोले, ‘‘हैप्पी बर्थ डे रिया.‘‘

‘‘ओह… अरे जीजाजी, आप को मेरा बर्थडे कैसे पता… जरूर निहारिका  दीदी ने बताया होगा.’’

‘‘अरे नहीं भाई… तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की का बर्थडे हम कैसे भूल सकते हैं?‘‘ राजवीर की आंखों में शरारत तैर रही थी.

‘‘ओह… तो आप ने मुझ से पहले ही बाजी मार ली, रिया को हैप्पी बर्थडे विश कर के…‘‘ निहारिका ने कहा.

‘‘हां… हां… भाई, क्यों नहीं… तुम से ज्यादा हक है मेरा… आखिर जीजा हूं मैं इस का,‘‘ हंसते हुए राजवीर बोला.

कमरे में एकसाथ तीनों के हंसने की आवाजें गूंजने लगीं.

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शाम को एक बड़े होटल में केक काट कर रिया का जन्मदिन मनाया गया. बहुत बड़ी पार्टी दी थी राजवीर ने और राजनीतिक पार्टी के कई बड़े नेताओं को भी इसी बहाने पार्टी में बुलाया था.

रिया आज बहुत खूबसूरत लग रही थी. कई बार रिया को राजवीर सिंह के साथ खड़ा देख लोगों ने उसे ही मिसेज राजवीर समझ लिया और जबजब कोई रिया को मिसेज राजवीर कह कर संबोधित करता तो एक शर्म की लाली उस के चेहरे पर दौड़ जाती.

आगे पढ़ें- रात को अपने कमरे में जा कर लैपटौप…

तनाव, चिंता, अनिद्रा और दर्द से निजात दिलाए कैनबिस मेडिसिन

आज के समय में कोविड की वजह से महिलाओं पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई है. अब उन्हें घर के काम के साथ-साथ घर पर ही स्थित ऑफिस, बच्चों व परिवार, सबको संभालना पड़ता है. सभी जानते हैं कि महिला परिवार की मुख्य पिलर होती है, लेकिन वे घर परिवार की जिम्मेदारी में इस कदर उलझ कर रह जाती हैं, तब वे खुद की केयर करना भूल ही जाती हैं.

चाहे उन पर कोई ध्यान दे या न दे, उन्हें सबकी चिंता रहती है. और इसी भागदौड़ में वे अंदर से खुद को थकाथका , बीमार व तनावग्रस्त महसूस करने लगती है. छोट-छोटी बातों पर भी वे परेशान हो जाती हैं, जो सीधे तौर पर उनके तनाव को दर्शाने का काम करता है. ऐसे में हम सबकी यह जिम्मेदार है कि हम अपनी केयरगिवर की हेल्थ का पूरा ध्यान रखें और उनकी परेशान समझने की कोशिश करें. तभी परिवार खुशहाल रह पाएगा.

कोविड ने किया प्रभावित

कोविड महामारी ने वैसे तो हर किसी की शारीरिक व मानसिक हेल्थ को बिगाड़ने का काम किया है, लेकिन इससे महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं. क्योंकि काम व परिवार के हर सदस्य की केयर करने के कारण सबसे ज्यादा उनकी ही मानसिक, शारीरिक व इमोशनल हैल्थ पर असर पड़ा है. इसके वजह से उन पर तनावल, चिंता, अनिद्रा और दर्द का खतरा सबसे अधिक है. लेकिन केयर गिवर्स यानी महिलाओं के लिए ऐसे समय में दूसरों और खुद की केयर करने के प्रति बैलेंस बनाकर चलने की जरुरत है, ताकि वे तनाव, चिंता, अनिद्रा और दर्द से खुद को दूर रखकर खुद का व अपनों का अच्छे से ध्यान रख पाएं. ऐशे में सविकल्प साइंसेज की दवाएं उनकी परेशानी दूर करने में उनका साथ दे सकती हैं.

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क्या है सविकल्प साइंसेज

सविकल्प साइंसेज का मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है. इसके संस्थापक सदस्य कनाडा, स्विट्जरलैंड, अमेरिका तक में हैं. बता दें कि सविकल्प साइंसेड एक रिसर्च एंड डेवलवमेंट आधारित कैनाबिस मेडिसिन और जीवन विज्ञान कंपनी है.

यह भारच और अन्य देशों में कैनबिस मेडिसिन आधारित स्वास्थय कल्याण के मार्ग का नेतृत्व करने की तलाश में है. सविकल्प साइंसेज कैनबिस मेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य और उपचाप को बढ़ावा देने का काम करता है.

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मेडिकली व साइंटिफिकली एप्रूवड

हम सभी चाहते हैं कि हम सामान्य जीवन जिएं, लेकिन आज स्ट्रेस हम सब पर हावी है, जो ढेरों समस्याओं का कारण बन रहा है. ऐसे में सविकल्प साइंसेज आपके मन को शांत रखने के साथ-साथ आपको एक आसान सोलूशन के द्वारा तनाव, चिंता, अनिद्रा और दर्द से निजात पाने में मदद करता है. बता दें कि कैनबिस मेडिसिन बिल्कुल नई अवधारणा है, जिससे शायद आप भी अभी परिचित न भी हों. लेकिन अगर आप इसके एक बार मेडिकल लाभ जान गए तो आप अपनों व खुद की परेशानियों को दूर करने के लिए इसे अपनाएं बिना नही रह पाएंगे.

सविकल्प साइंसेज एक आधुनिक हैल्थ व वेलनेस कंपनी है, जो कई बीमारियों से राहत पहुंचाने के लिए आयुर्वेद में निहित मेडिकल कैनबिस सोलूशन पर आधारित है. कैनबिस पौधे का इस्तेमाल औषधि के रुप में किया जाता है. सविकल्प साइंसेज का मानना है कि पौधों से प्राप्त दवाएं पूरी तरह से सेफ होने के साथ आपको परेशानी से बाहर निकालने में मदद कर सकती हैं. सविकल्प साइंसेज इस दिशा में डाबर रिसर्च फाउंडेशन जैसी भारत की प्रमुख दवा अनुसंधान संस्था के साथ काम कर रहा है.

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