रात को गजाला हानिया के पास आई और उस ने साफसाफ कह दिया कि वह अली को पसंद करती है. उस से उस की अच्छी अंडरस्टैंडिंग है, इसलिए अली के रिश्ते को मंजूरी दे दी जाए. अब हानिया की समझ में आया, इसी वजह से उस ने अमान को ‘नहीं’ कह दिया था. रूमी उस की दोस्त है. उस की अली से मुलाकात हुई होगी. दोनों एकदूसरे को पसंद करते होंगे. पर यह बात वह सलमान को बता कर बेटी को नीचा नहीं दिखाना चाहती थी. उस ने और जीशान ने अली के खानदान, उस के रखरखाव की इतनी तारीफ की कि आधेअधूरे मन से सलमान को अली के रिश्ते के लिए हां कहना पड़ा.
शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. सलमान खूब धूमधाम से शादी करना चाहता था. हानिया ने भी कपड़ेजेवर सभीकुछ बहुत कीमती व अच्छा चुना. ताकि अब उस पर कोई इलजाम न आए. सलमान सब देख कर खुश तो बहुत हुआ पर मुंह से तारीफ न की. लेकिन इतना जरूर कहा, ‘‘मैं तो अमान को बेटी देना चाहता था, खूब रईस खानदान था. मेरी बेटी ऐश करती. सब से बड़ी बात इकलौता बेटा था. सबकुछ गजाला का ही होता. पर अपनीअपनी सोच है. ठीक है अली डाक्टर है, इसलिए उसे बेटी दे दी. आज भी तुम उसे अपनी बेटी न समझ सकीं. इतने दौलतमंद घराने को छोड़ कर डाक्टर के यहां बेटी ब्याह दी.’’
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हानिया को लगा, उसे किसी ने शोलों में धकेल दिया हो. सारी उम्र की मेहनत व कुरबानी सब बेकार गई. उस ने बेबस आंखों से सलमान को देखा और सिर झुका लिया, कुछ कह कर वह बात बढ़ाना नहीं चाहती थी. जीशान भी वहीं था. वह गुस्से से होंठ काटने लगा. पर मां का खयाल कर के चुप रहा. आज तक हानिया अनुशा की जगह न ले सकी थी. मौत के 17-18 साल बाद भी अनुशा उस के दिल पर राज कर रही थी. शादी खूब अच्छे से हो गई. सभी रिश्तेदारों, मेहमानों ने खूब तारीफ की. हर किसी की जबान पर एक ही बात थी, ‘मां हो तो हानिया जैसी.’ इतनी तारीफें भी हानिया के होंठों पर हंसी न ला सकीं. एक रोबोट की तरह वह सारे काम निबटाती रही, मुसकरा कर लोगों से मिलती रही. विदाई से पहले उसे गजाला के पास बैठने का वक्त मिला. जैसे ही वह मां के गले लगी, बिलखबिलख कर रो पड़ी और दोनों हाथ जोड़ कर गजाला कहने लगी, ‘‘अम्मी, मुझे माफ कर दीजिए, आप ने मेरे लिए जो किया वह सगी मां भी नहीं कर सकती. आप ने मेरे लिए कितने उलाहने, कितने ताने, कितनी बातें सहीं. मेरी वजह से आप की जिंदगी एक अजाब बन गई. सिर्फ मेरी वजह से आप ने जीशान को होस्टल भेज दिया, अपनी ममता का गला घोंट दिया. अम्मी, मैं किसकिस बात के लिए आप से माफी मांगूं? मेरी अली से शादी पर भी कैसेकैसे इलजाम पापा ने आप पर लगाए. आप तो पापा की मरजी के अनुसार अमान से ही मेरी शादी पर राजी थीं. पर मेरे कहने पर मेरी पसंद पर आप को अपनी राय बदलनी पड़ी. और मेरा दिल रखने के लिए आप ने अली का नाम लिया. पापा आप से नाराज भी हुए पर मेरी खातिर आप अपनी बात पर अड़ी रहीं. अम्मी, मैं कैसे इतने एहसान उतार पाऊंगी? आप ने सगी मां से बढ़ कर मेरे लिए किया है.’’ एक बार फिर वह सिसक उठी. हानिया उसे चुप कराने लगी.
सलमान जो बेटी से मिलने कमरे में आ रहा था, बेटी की आवाज, ‘‘अम्मी, मुझे माफ कर दो…’’ सुन कर बाहर ही रुक गया. बेटी के मुंह से हकीकत और मां की तारीफ सुन कर जैसे वह शर्म से पानीपानी हो रहा था. उस ने हानिया के साथ क्याक्या न जुल्म किए, कितना अपमान किया, कैसेकैसे इलजाम न लगाए पर वह खामोश, सब सुनती रही, सहती रही. सलमान बेटी के मुंह से अली के बारे में सुन कर बहुत शर्मिंदा हुआ. इस के लिए भी उस ने हानिया को दोष दिया था. सच में हानिया ने सलमान और गजाला के लिए अपनी परवा न की. घर का माहौल न बिगड़े, उस ने मासूम बच्चे को होस्टल भेज दिया. कैसी अंधी मुहब्बत थी सलमान की अनुशा और गजाला के लिए कि वह जीतीजागती चाहने वाली बीवी की मुहब्बत पैरों तले रौंदता रहा और मरी हुई बीवी का दम भरता रहा. आज उसे एहसास हो रहा था, हानिया उस के लिए कितनी जरूरी है. कितनी अच्छी तरह उस ने उस की गृहस्थी चलाई. दिल में हानिया की मुहब्बत तो सिर उभार रही थी, चाहत तो कब से पनप रही थी पर वह मानने को राजी न था. अपनी गलती, अपने जुल्म, अपनी लापरवाही पर उसे बड़ी शर्मिंदगी हो रही थी. उस ने इरादा कर लिया कि वह जल्द ही हानिया से अपनी गलतियों की माफी मांग लेगा. उसे उस का सही मुकाम व इज्जत देगा. जो तकलीफें उस ने उठाई हैं उतने ही सुख उसे देगा.
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हानिया उसी वक्त गजाला को समझाती हुई दरवाजे से बाहर ला रही थी. सलमान ने आगे बढ़ कर बेटी को गले लगाया. गजाला बाप से मिल कर फूटफूट कर रोई. सलमान भी रो पड़े, दिल भारी हो गया. विदाई के बाद घर में बेहद सन्नाटा हो गया. एक अजीब सी उदासी पसर गई. मंजूर और फैमिली दूसरे दिन जाने वाले थे. हानिया घर समेट रही थी, पता नहीं कब सोई. दूसरे दिन सुबह सलमान की आंख देर से खुली. नाश्ते की टेबल पर सब उन का इंतजार कर रहे थे. नाश्ता कर के सब बातें करते रहे. मंजूर वगैरा अपनी तैयारी करने के लिए उठ गए. सलमान उठ कर अपने कमरे में आया. कमरा हमेशा की तरह साफसुथरा महकता हुआ मिला. उस का दिल खुश हो गया. उसे याद आया, ‘हानिया कितनी ही थकी हुई हो, कितनी ही देर से सोई हो पर सवेरे कमरा इसी तरह चमकतादमकता मिलता था.’ उस ने सोचा कि आज वह हानिया का खूब शुक्रिया अदा करेगा. तारीफ कर के उस का जी खुश कर देगा.
हानिया उसी वक्त सूटकेस खींचती स्टोर से बाहर निकली और सलमान के सामने खड़ी हो गई. उस की आंखों में निश्चय की चमक और विश्वास था. उस ने धीरेधीरे बात कहना शुरू किया, ‘‘सलमान, आज आप से मुझे जरूरी बात करनी है. आप ने शादी की पहली रात ही मुझे बता दिया था कि आप सिर्फ गजाला के लिए मुझे ब्याह कर लाए हैं. उस के बाद भी कभी आप ने मुझे गजाला की मां नहीं समझा. शक और वहम आप को भरमाते रहे. आप ने कभी भी मुझे बीवी की इज्जत और मुहब्बत नहीं दी. ‘‘अब आप की बेटी इस घर से विदा हो गई है. मेरी जिम्मेदारी खत्म हो गई. अब आप को और आप के घर को मेरी जरूरत नहीं है. मैं अपनी अम्मी के साथ जा रही हूं. इतने अरसे तक मैं ने अपने बेटे को खुद से दूर रखा. उसे मां की मुहब्बत से वंचित रखा. अब मैं उस के पास रह कर उस का पूरा हक अदा करूंगी. मेरा उस के प्रति भी कोई फर्ज है जो मैं पूरा करना चाहती हूं. उस के हिस्से की मुहब्बत उसे दूंगी. आप अब मुझे इजाजत दीजिए.’’ सलमान को लगा जैसे किसी ने उस के पांवों के नीचे से जमीन खींच ली हो. वह अब हानिया के बिना जिंदगी गुजारने की सोच भी नहीं सकता था. वह जल्दी से बोल उठा, ‘‘हानिया, मेरी बात सुनो, मैं अपनी गलतियों पर शर्मिंदा हूं. मैं मानता हूं मैं ने तुम्हारे साथ बहुत ज्यादती की है. पर मुझे इस तरह छोड़ कर न जाओ. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है.’’
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हानिया ने अटल लहजे में जवाब दिया, ‘‘जब मुझे आप की जरूरत थी तब आप ने साथ न दिया. अब मुझे आदत हो चुकी है. मैं ने फैसला कर लिया है, मैं जीशान के पास रहूंगी. मैं जा रही हूं. अब मुझे आप की कोई दलील रोक नहीं सकेगी.’’ यह कह कर, सूटकेस ले कर वह कमरे से बाहर निकल गई. बाहर मंजूर, जीशान सभी तैयार खड़े थे. वह उन लोगों के साथ गाड़ी में बैठ गई. सलमान देखता रह गया.