अपहरण नहीं हरण : भाग 1- क्या हरिराम के जुल्मों से छूट पाई मुनिया?

लेखक- जीतेंद्र मोहन भटनागर 

हरीराम उर्फ हरिया मुनिया का हाथ पकड़ कर तकरीबन खींचता हुआ राहत शिविर से बाहर आया. कई हफ्तों से उस जैसे कई मजदूरों को उन शिविर में ला कर पटक दिया गया था. न तो खानेपीने का उचित इंतजाम था, न जलपान कराने की कोई फिक्र. शौचालयों की साफसफाई का कोई इंतजाम नहीं.

2 बड़े हालनुमा कमरों में दरी पर पड़े मजदूर लगातार माइक पर सुनते रहते थे, ‘प्रदेश सरकार आप सब के लिए बसों का इंतजाम करने में जुटी हुई है. इंतजाम होते ही आप सब को अपनेअपने प्रदेश भेज दिया जाएगा. कृपया साफसफाई का ध्यान रखें और एकदूसरे से दूरदूर रहें.’ कोरोना की तबाही के मद्देनजर लौकडाउन का ऐलान किया जा चुका था. फैक्टरिया बंद होनी शुरू हो गई थीं.

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फैक्टरी मुलाजिमों से उन के कमरे खाली करा के उन्हें गेट से बाहर कर दिया गया था. वहां से वे पैदल ही अपनाअपना बोरियाबिस्तर समेट कर राहत शिविरों तक चल कर आए थे. जिस ऊन फैक्टरी में हरीराम उर्फ हरिया काम करता था और अभी 2 साल पहले वह अपने से 12 साल छोटी मुनिया को गांव से ब्याह कर लाया था, वह मुनिया चाहती और हरिया की बात मान कर फैक्टरी के मैनेजर के घर रुक जाती तो शायद आज हफ्तेभर से इस राहत केंद्र में उन्हें मच्छरों की भिनभिन न सुननी पड़ती. पर मुनिया जिद पर अड़ गई थी, ‘‘जब सब अपनेअपने गांव जा रहे हैं, तो हम भी यहां नहीं रहेंगे. मुझे तो गांव जाना है.’’

उस रात हरीराम जब मुनिया की जिद को न तोड़ सका, तो उस ने मुनिया को मारना शुरू कर दिया, लेकिन पिटने पर भी मुनिया ने जिद नहीं छोड़ी, तो हरीराम हार गया. उस की सांसें फूलने लगीं. उसे लगातार खांसी आनी शुरू हो गई. अपनी हार और कमजोरी को छिपाने के लिए उस ने कोने में पड़ी हुई शराब की बोतल निकाली.

बड़ेबड़े घूंट भरे, फिर बीड़ी का बंडल खोल कर एक बीड़ी सुलगाई और सामने घर का सामान समेटती मुनिया को गरियाता रहा, ‘‘करमजली, जब से शादी कर के लाया हूं, चैन से नहीं रहने दिया इस चुड़ैल ने…’’ बड़बड़ाते हुए वह न जाने कब बिना खाना खाए बिस्तर पर ही लुढ़क गया, पता ही नहीं चला. मुनिया ने एक अटैची और एक बक्से के अलावा बाकी सामान गठरी में बांधा और खाना खा कर बची रोटियां और अचार को छोटी पोटली में समेट कर खुद भी लेट गई.

मुनिया के दिमाग में पिछले 2 सालों का बीता समय और नामर्द से हरीराम के बेहूदे बरताव के साथसाथ फैक्टरी के मैनेजर का गंदा चेहरा भी घूम गया. उस का मन करता कि वह यहां से कहीं दूर भाग जाए, पर हिम्मत नहीं जुटा पाई. बेहद नफरत करने लगी थी वह हरीराम से. उसे हरीराम के शराबी दोस्तों खासकर मैनेजर का अपने घर आनाजाना बिलकुल भी पसंद नहीं था, वह इस का विरोध करती तो भले ही हरीराम से पिटती, पर जब उस ने हार नहीं मानी तो हरीराम को ही समझौता करना पड़ा.

मुनिया इन 2 सालों में फैक्टरी मैनेजर के हावभाव और उसे घूरने के अंदाज से परिचित हो चुकी थी. उधर हरीराम जानता था कि जो सुखसुविधाएं उसे यहां मिलती हैं, वे गांव में कहां? फिर मैनेजर भी उस का कितना खयाल रखता है. मैनेजर का वह इसलिए भी एहसानमंद था कि शादी से कुछ समय पहले ही उन की उस फैक्टरी में काम करते हुए, सांसों द्वारा शरीर में जमने वाले रुई के रेशों ने उस के फेफड़ों को संक्रमित कर डाला था और जब उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी, तब इसी मैनेजर ने फैक्टरी मालिक से सिफारिश कर के उस का उचित इलाज कराया था, फिर ठीक होने के बाद उसे प्रोडक्शन से हटा कर पैकिंग महकमे में भेज दिया था.

उन्हीं दिनों फैक्टरी से छुट्टी ले कर हरीराम अपने गांव आया था, जहां आननफानन वह मुनिया से शादी कर के उसे अपने साथ फैक्टरी के कमरे में ले आया था. मुनिया की बिलकुल भी इच्छा नहीं थी हरीराम से शादी करने की. 8वीं जमात पास कर के वह घर में बैठी थी. वह चाहती थी कि और पढ़े, लेकिन 8वीं से आगे की पढ़ाई के लिए दूर तहसील वाले इंटर स्कूल में दाखिला करा पाना उस के बापू श्रीधर के बस में नहीं था. भला दूसरों के खेतों को बंटाई पर जोतने वाला श्रीधर उसे आगे पढ़ाता भी तो कैसे?

उधर मां अपने दमे की बीमारी से परेशान रातरातभर खांसा करती. न खुद सोती, न किसी को सोने देती. 8वीं पास मुनिया उसे शादी लायक दिखाई देने लगी थी. वह अकसर श्रीधर से कह बैठती, ‘‘अरे मुनिया के बापू, अपनी जवान हो गई छोकरी को कब तक घर में बैठाए रखोगे… कोई लड़का ढूंढ़ो और हमारी सांस उखड़ने से पहले इस के हाथ पीले कर दो.’’ मुनिया के शरीर की उठान ही कुछ ऐसी थी कि वह अपनी उम्र से बड़ी दिखती थी.

आंखें खूब बड़ीबड़ी और उन में वह हमेशा काजल डाले रखती. गांव के माहौल में सरसों के तेल से सींचे काले बाल. हफ्ते में वह एक बार ही बालों में जम कर तेल लगाती, फिर उन्हें अगले दिन रीठे के पानी से धोती और जब वह काले घने लंबे बालों की  2 चोटियां बना कर आईने में अपना चेहरा देखती, तो खुद ही मुग्ध हो उठती. आईने के सामने खड़े हो कर अपनी देह को देखना उसे बहुत पसंद था. उसे लगता था कि कुछ आकर्षण सा है उस के शरीर में, पर मां को उस का यों आईने के सामने देर तक खड़े रहना बिलकुल पसंद नहीं था.

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2 चोटियां गूंथने के बाद मुनिया कुछ लटें अपनी दोनों हथेलियों की मदद से माथे पर गिराती और आंखों में मोटा सा काजल लगा कर झट आईने के सामने अपनी छवि को निहार कर हट जाती, फिर घर के कामों में जुट पड़ती. साफसफाई, चौकाबतरन, कपड़ों की धुलाई, खाना बनाना, सब उसी के जिम्मे तो था. मां तो बीमार ही रहती थी. उन्हीं दिनों जब हरीराम गांव आया हुआ था, तो किसी ने श्रीधर को बताया कि वह इस बार शादी कर के और दुलहन ले कर ही शहर जाएगा, तो उस ने कोशिश कर के मुनिया से हरीराम की शादी को अंजाम दे ही दिया.

मुनिया ने भरपूर विरोध किया, पर मां की कसम ने उसे मजबूर कर दिया. मुनिया की शादी के तकरीबन  4 महीने बाद ही मुनिया की मां चल बसी और श्रीधर भी ज्यादा दिन जी नहीं पाया.  मां के मरने की खबर तो हरीराम ने उसे दे दी थी, पर बहुत कहने पर भी उसे गांव नहीं ले कर गया. वही हरीराम मुनिया का हाथ पकड़े जब राहत केंद्र से बाहर आया तो सामने 8-10 बसें कतार में आ कर खड़ी हो गई थीं.

अब इन में से मध्य प्रदेश की ओर जाने वाली बस कौन सी है, यह हरीराम  को समझ में नहीं आ रहा था. उस ने गुस्से में मुनिया की चोटी को अपने दाएं हाथ में भर कर जोरों से खींचा, फिर चिल्लाया, ‘‘उस डंडा लिए खाकी वरदी वाले से पूछती क्यों नहीं? पूछ कौन सी बस हमारे प्रदेश की तरफ जाएगी…’’ अचानक चोटी के खिंचने के दर्द से मुनिया चीख उठी. मुनिया ने एक हाथ में अटैची पकड़ी हुई थी और दूसरे में बक्सा. हरीराम के बाएं कंधे पर हलकी गठरी थी और उसी हाथ में उस ने बालटी पकड़ी हुई थी. हरिया का दायां हाथ खाली था, जिस से वह चोटी खींच सका.

सभी घर लौटने वाले मजदूरों में अपनीअपनी बस पकड़ने की आपाधापी मची हुई थी. ज्यादातर बसों के गेट पर अंदर घुस कर बैठने की जैसे लड़ाई चल रही थी. लाउडस्पीकर पर क्या बोला  जा रहा है, किसी की समझ में नहीं आ रहा था. चारों ओर अफरातफरी का माहौल था. ड्यूटी पर लगे लोग जैसे अंधेबहरे थे. किसी के भी सवाल का जवाब देने से कतराने की कोशिश करते हुए वे उन्हें अगली खिड़की पर भेज देते. परेशान हरीराम ने इस बार मुनिया की गरदन अपने चंगुल में ले कर हलके से दबाते हुए कहा, ‘‘पूछती क्यों नहीं? बस भर जाएगी तब पूछेगी क्या.’’ लेकिन इस बार मुनिया ने अटैची और बक्सा जोरों से जमीन पर पटके और खाली हुए अपने दाएं हाथ से हरीराम के हाथ को इतनी जोर से झटक कर दूर हटाया कि वह गिरतेगिरते बचा.

उस की खांसी फिर उखड़ गई. उस ने लगातार खांसना शुरू कर दिया. उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए मुनिया चिल्लाई, ‘‘तुम्हारे मुंह में जबान नहीं है क्या? हम नहीं पूछेंगे, तुम्हीं पूछो…’’ मुनिया इतनी जोर से चीखी थी कि आसपास के सभी इधर से उधर भटकते लोग उस की तरफ घूम पड़े और वह वरदी वाला उन्हीं के पास आ कर अपना डंडा जमीन पर पटकते हुए बोला, ‘‘क्या बात है? क्यों झगड़ रहे हो? पता है, यहां तेज चिल्लाना मना है. अंदर बंद कर दिए जाओगे.’’ ‘‘अरे भई, समझ में नहीं आ रहा है कि मध्य प्रदेश की तरफ कौन सी बस जाएगी,’’ हरीराम ने ही अपनी खांसी को काबू में करते हुए पूछा.

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सिपाही तो खुद ही अनजान था. उसे क्या पता कि कौन सी बस किधर जाएगी. उसे तो एक कमजोर से डंडे के सहारे भीड़ को काबू करने की जिम्मेदारी मिली थी और वह खुद ही नहीं समझ पा रहा था कि इस जिम्मेदारी को कैसे निभाए. तभी उसी भीड़ में से कोई बोल पड़ा, ‘‘वह जो लाल रंग वाली, नीली पट्टी की बस देख रहे हो, वह जा रही है तुम्हारे प्रदेश की तरफ.’’ मुनिया और हरीराम ने अपनेअपने हाथों का सामान उठाया और उधर लपक गए, जिधर वह बस खड़ी थी. उस खटारा सी दिखने वाली सरकारी बस में कई मजदूर घुस कर बैठ चुके थे. अंदर ज्यादातर सीटों की रैक्सीन उखड़ी पड़ी थी. फोम नदारद थी. एकाध सीटों के नीचे लगी छतों के नटबोल्ट ढीले पड़े थे.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

ऐसे ही सही: भाग 2- क्यों संगीता को सपना जैसा देखना चाहता था

उन की कमर से नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो चुका था. पेशाब की थैली लगी हुई थी. उन की पत्नी सपना भी ऐसी स्थिति में नहीं थीं कि उन से कोई बात की जा सके. जिसे सारी उम्र पति की ऐसी हालत का सामना करना हो, भीतरबाहर के सारे काम उन्हें स्वयं करने हों, इन सब से बदतर पति को खींच कर उठाना, मलमूत्र साफ करना, शेव और ब्रश के लिए सबकुछ बिस्तर पर ही देना और गंदगी को साफ करना हो, उस की हालत क्या होगी.

मैं उन के पास जा कर बैठ गया. चेहरे पर गहन उदासी छाई हुई थी. मुझे देखते हुए बोले, ‘‘आप यदि उस दिन न होते तो शायद मेरी जिंदगी भी बदतर हालत में होती.’’

‘‘नहीं सर. मैं तो सामने से गुजर रहा था…और मैं ने जो कुछ भी किया बस, मानवता के नाते किया है.’’

‘‘ऐसी जिंदगी भी किस काम की जो ताउम्र मोहताज बन कर काटनी पडे़. मैं तो अब किसी काम का नहीं रहा,’’ कहतेकहते वह रोने लगे तो उन की पत्नी आ कर उन के पास बैठ गईं.

माहौल को हलका करने के लिए मैं ने पूछा, ‘‘आप लोगों के लिए चायनाश्ता आदि ला दूं क्या?’’

सपना पति की तरफ देख कर बोलीं, ‘‘जब इन्होंने खाना नहीं खाया तो मैं कैसे मुंह लगा सकती हूं.’’

‘‘ये दकियानूसी बातें छोड़ो. जो होना था वह हो चुका. पी लो. सुबह से कुछ खाया भी तो नहीं,’’ वह बोले.

‘‘तो फिर मैं ला देता हूं,’’ कह कर मैं चला गया. उन के अलावा 1-2 और भी व्यक्ति वहां बैठे थे. थोड़ी देर में जब मैं वहां चाय ले कर पहुंचा तो वे सब धीरेधीरे सुबक रहे थे.

मैं ने थर्मस से सब के लिए चाय डाली और वितरित की. मैं ने शर्माजी को चाय देते हुए कहा, ‘‘आप को कोई परहेज तो बताया होगा.’’

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‘‘कुछ भी नहीं. आधे शरीर के अलावा सबकुछ ठीक है. बस, इतना हलका खाना है कि पेट साफ रहे,’’ फिर पत्नी की तरफ देख कर कहने लगे, ‘‘इन को चाय के पैसे तो दे दो…पहले भी न जाने कितना…’’

‘‘क्यों शर्मिंदा करते हैं, सर. यह कोई इतनी बड़ी रकम तो है नहीं.’’

बातोंबातों में मैं ने अपना संक्षिप्त परिचय दिया और उन्होंने अपना. पता चला कि वह एक प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान में ऊंचे ओहदे पर हैं. कुछ माह पहले ही उन का तबादला इस शहर में हुआ था. मूल रूप से वह लखनऊ के रहने वाले हैं.

‘‘अब क्या करेंगे आप? वापस घर जाएंगे?’’ मैं ने पूछा.

‘‘मैं वापस जा कर किसी के तरस का पात्र नहीं बनना चाहता. रिश्तेदारनातेदार और दोस्तों के पास रहने से तो अच्छा है कि यहीं पूरी जिंदगी काट दूं. नियमानुसार मैं विकलांग घोषित कर दिया जाऊंगा और सरकार मुझे नौकरी से रिटायर कर देगी.’’

‘‘पर पेंशन तो मिलेगी न?’’ मैं ने पूछा.

‘‘वह तो मिलेगी ही. मैं तो सपना से भी कह रहा था कि अब उसे कोई नौकरी कर लेनी चाहिए.’’

‘‘आप को यों अकेला छोड़ कर,’’ वह रोंआसी सी हो कर बोलीं, ‘‘जो ठीक से करवट भी नहीं बदल सकता है. हमेशा ही जिसे सहारे की जरूरत हो.’’

‘‘तो क्या तुम सारी उम्र मेरे साथ गांधारी की तरह पास बैठेबैठे गुजार दोगी. यहां रहोगी तो मुझे लाचार देखतेदेखते परेशान होगी. कहीं काम पर जाने लगोगी तो मन बहल जाएगा,’’ कह कर वह मेरी तरफ देखने लगे.

मैं वहां से जाने को हुआ तो शर्माजी बोले, ‘‘अच्छा, आते रहिएगा. मेरा मन भी बहल जाएगा.’’

दिन बीतते गए. इसी बीच मेरे संबंध अपनी पत्नी संगीता के साथ बद से बदतर होते चले गए. मैं लाख कोशिश करता कि उस से कोई बात न करूं पर उसे तो जैसे मेरी हर बात पर एतराज था. उस की मां की दखलंदाजी ने उसे और भी निर्भीक और बेबाक बना दिया था. मैं इतना सामर्थ्यवान भी नहीं था कि उस की हर इच्छा पूरी कर सकूं. यह मेरा एक ऐसा दर्द था जो किसी से बांटा भी नहीं जा सकता था.

एक दिन हमारे बडे़ साहब अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने मलयेशिया जाना चाहते थे. उन्होंने मुझे बुला कर पासपोर्ट बनवाने का काम सौंप दिया. मैं ने एम.जी. रोड पर एक एजेंट से बात की, जो ऐसे काम करवाता था. उस एजेंट ने बताया कि यदि मैं किसी राजपत्रित अधिकारी से फार्म साइन करवा दूं तो यह पासपोर्ट जल्दी बन सकता है. अचानक मुझे शर्माजी का ध्यान आया और मैं सारे फार्म ले कर उन के घर गया और अपनी समस्या रखी.

‘‘मैं तो अब रिटायर हो चुका हूं. इसलिए फार्म पर साइन नहीं कर सकता,’’ उन्होंने अपनी मजबूरी जतला दी.

‘‘सर, आप किसी को तो जानते होंगे. शायद आप का कोई कुलीग या…’’ तब तक सपनाजी भीतर से आ गईं और कहने लगीं, ‘‘मैं कुछ दिनों से आप को बहुत याद कर रही थी. मेरे पास आप का कोई नंबर तो था नहीं. दरअसल, इन की गाड़ी तो पूरी तरह से खराब हो चुकी है. यदि वह ठीक हो सके तो मैं भी गाड़ी चलाना सीख लूं. आखिर, अब सब काम तो मुझे ही करने पडे़ंगे. यदि आप किसी मैकेनिक से कह कर इन की गाड़ी चलाने लायक बनवा सकें तो मुझे बहुत खुशी होगी.’’

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‘‘क्या आप के पास गाड़ी के इंश्योरेंस पेपर हैं?’’ मैं ने पूछा तो उन्होंने सारे कागज मेरे सामने रख दिए. मैं ने एकएक कर के सब को ध्यान से देखा फिर कहा, ‘‘मैडम, इस गाड़ी का तो आप को क्लेम भी मिल सकता है. मैं आप को कुछ और फार्म दे रहा हूं. शर्माजी से इन पर हस्ताक्षर करवा दीजिए, तब तक मैं गाड़ी को किसी वर्कशाप में ले जाने का बंदोबस्त करता हूं.’’

इस दौरान शर्माजी पासपोर्ट के फार्म को ध्यान से देखते रहे. मेरी ओर देख कर वह बोले, ‘‘वैसे यह फार्म अधूरा भरा हुआ है. पिछले पेज पर एक साइन बाकी है और इस के साथ पते का प्रूफ भी नहीं. किस ने भरा है यह फार्म?’’

‘‘सर, एक ट्रेवल एजेंट से भरवाया है. वह इन कामों में माहिर है.’’

‘‘कोई फीस भी दी है?’’ उन्होंने फार्म पर नजर डालते हुए पूछा.

‘‘500 रुपए और इसे भेजेगा भी वही,’’ मैं ने कहा.

‘‘500 रुपए?’’ वह आश्चर्य से बोले, ‘‘आप लोग पढ़ेलिखे हो कर भी एजेंटों के चक्कर में फंस जाते हैं. इस के तो केवल 50 रुपए स्पीडपोस्ट से खर्च होंगे. आप को क्या लगता है वह पासपोर्ट आफिस जा कर कुछ करेगा? इस से तो मुझे 300 रुपए दो मैं दिन में कई फार्म भर दूं.’’

मेरे दिमाग में यह आइडिया घर कर गया. यदि इस प्रकार के फार्म शर्माजी भर सकें तो उन की अतिरिक्त आय के साथसाथ व्यस्त रहने का बहाना भी मिल जाएगा. आज कई ऐसे महत्त्वपूर्ण काम हैं जो इन फार्मों पर ही टिके होते हैं. नए कनेक्शन, बैंकों से लोन, नए खाते खुलवाना, प्रार्थनापत्र, टेलीफोन और मोबाइल आदि के प्रार्थनापत्र यदि पूरे और प्रभावशाली ढंग से लिखे हों तो कई काम बन सकते हैं. मुझे खामोश और चिंतामग्न देख कर वह बोले, ‘‘अच्छा, आप परेशान मत होइए…मैं अपने एक कलीग मदन नागपाल को फोन कर देता हूं. आप का काम हो जाएगा. अब तो आप खुश हैं न.’’

मैं ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ‘‘मैं सोच रहा था कि यदि आप फार्म भरने का काम कर सकें तो…’’ इतना कह कर मैं ने अपने मन की बात उन्हें समझाई. सपनाजी भी पास बैठी हुई थीं. वह उछल कर बोलीं, ‘‘यह तो काफी ठीक रहेगा. इन का दिल भी लगा रहेगा और अतिरिक्त आय के स्रोत भी.’’

इतना सुनना था कि शर्माजी अपनी पत्नी पर फट पडे़, ‘‘तो क्या मैं इन कामों के लिए ही रह गया हूं. एक अपाहिज व्यक्ति से तुम लोग यह काम कराओगे.’’ मैं एकदम सहम गया. पता नहीं कब कौन सी बात शर्माजी को चुभ जाए.

‘‘आप अपनेआप को अपाहिज क्यों समझ रहे हैं. ये ठीक ही तो कह रहे हैं. आप ही तो कहते थे कि घर बैठा परेशान हो जाता हूं. जब आप स्वयं को व्यस्त रखेंगे तो सबकुछ ठीक हो जाएगा,’’ फिर मेरी तरफ देखते हुए सपनाजी बोलीं, ‘‘आप इन के लिए काम ढूंढि़ए. एक पढ़ेलिखे राजपत्रित अधिकारी के विचारों में और कलम में दम तो होता ही है.’’

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सपनाजी जैसे ही खामोश हुईं, मैं वहां से उठ गया. मैं तो वहां से उठने का बहाना ढूंढ़ ही रहा था. वह मुझे गेट तक छोड़ने आईं.

हमारे बडे़ साहब के परिवार के पासपोर्ट बन कर आ गए. वह मेरे इस काम से बहुत खुश हुए. उन के बच्चों की छुट्टियां नजदीक आ रही थीं. उन्होंने मुझे वह पासपोर्ट दे कर वीजा लगवाने के लिए कहा. मैं इस बारे में सिर्फ इतना जानता था कि वीजा लगवाने के लिए संबंधित दूतावास में व्यक्तिगत रूप से जाना पड़ता है. उन को तो मीटिंग से फुरसत नहीं थी इसलिए अपनी कार दे कर पत्नी और बच्चों को ले जाने को कहा.

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Top 10 Best Hair Care Tips In Hindi: बालों की देखभाल के Top 10 टिप्स हिंदी में

Hair Care Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Hair Care Tips in Hindi 2021. इन हेयर केयर टिप्स के साथ आप फेस्टिवल में अपने लुक को चार चांद लगा सकती हैं और बेजान और खूबसूरत बालों को एक नई पहचान दे सकती हैं. इन Hair Care Tips से आप घर बैठे अपना प्रौफेशनल और होममेड टिप्स से हेयर केयर कैसे करें. इस बारे में जानेंगे. अगर आपको भी है फेस्टिव में लंबे खूबसूरत बालों के साथ नए-नए हेयरस्टाइल ट्राय करने हैं तो बालों को ऐसे करें हेयर केयर. अगर लोगों की तारीफ पाना चाहते हैं तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Hair Care Tips in Hindi.

1. रोशेल छाबड़ा से जानें हेयर केयर के बारें में

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किसी भी मौसम में हेयर और स्किन केयर एक गंभीर समस्या है, क्योंकि सही केयर से ही आप की खूबसूरती बनी रहती है, जो आज ज़माने की मांग है. इस दिशा में हायजिन रिसर्च इंस्टिट्यूट’ की ‘प्रोफेशनल हेड (स्ट्रीक्स प्रोफेशनल) रोशेल छाबड़ा ने बहुत अच्छा काम किया है. उन्होंने ब्यूटी, सैलून और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता को लोगों तक पहुँचाने में सबसे आगे रही है. उन्होंने हर नई उत्पाद को वैज्ञानिक रूप से जांच कर उसे देश-विदेश में लॉन्ग टर्म मार्केटिंग की नीति को भी विकसित किया है.

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2. बॉलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन से जानें हेयर केयर के सीक्रेट टिप्स

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बॉलीवुड एक्‍ट्रेस रवीना टंडन आए दिन इंस्‍टाग्राम पर स्‍किन या हेयर केयर से टिप्स बताती हैं, जिसे वह खुद भी इस्‍तेमाल करती हैं. हाल ही में, अभिनेत्री ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया, जहां उन्होंने बालों को मजबूत करने और बालों को झड़ने से रोकने की न सिर्फ बात की बल्‍कि होममेड हेयर मास्‍क के बारे में भी बताया. वीडियो में, रवीना टंडन ने बताया कि कैसे आंवला और दूध का उपयोग करके होममेड हेयर पैक बनाया जाता है.

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3. Monsoon Special: हेयर केयर है जरुरी

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मानसून में बालों की देखभाल करना एक चुनौती होती है. मौसम के साथ-साथ हेयर केयर रिजीम भी बदलता रहता है. मानसून में नमी की मात्रा हवा में बहुत होती है, जिससे केश चिपचिपे हो जाते है, क्योंकि अधिक गर्मी और नमी से बाल फ्रीजी हो जाते है, ऐसे में झड़ने लगते है. अभी सेमी लॉक डाउन में आधे से अधिक महिलाएं घर से काम कर रही है, ऐसे में हेयर केयर पर उनका ध्यान कम हो रहा है, जबकि उन्हें और अधिक ध्यान देना चाहिए, ताकि हेयर की सुन्दरता बनी रहे. इस बारें में बीब्लंट की फाउंडर एंड क्रिएटिव डायरेक्टर हेयर एक्सपर्ट अधूना भबानी कहती है कि मानसून में बालों की देखभाल अन्य किसी भी मौसम के मुकाबले अधिक करनी पड़ती है, जो मुश्किल नहीं. कुछ साधारण सुझाव से आप चिपचिपी और फ्रीजी हेयर से मानसून में बच सकते है, जो निम्न है,

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4. 8 टिप्स: सैलून जैसी हेयर केयर अब घर पर

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मौनसून के सीजन में बारिश में भीगना सभी को पसंद होता है. लेकिन यह बारिश हमारे बालों को डल, बेजान और रूखा भी बना देती है. ऐसे में हमें बालों की खास केयर की जरूरत होती है. हम सभी जानते हैं कि इस समय सैलून का रुख करना सही नहीं है. ऐसे में जब आप के बालों को केयर की जरूरत हो तब आप सैलून जैसा ट्रीटमैंट घर पर भी ले सकती हैं. इस से न सिर्फआप के बाल खूबसूरत बनेंगे, बल्कि आप सेफ भी रहेंगी और पैसों की भी बचत होगी. तो आइए जानते हैं कैसे करें घर पर बालों की केयर:

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5. डेली हेयर केयर: पाएं लंबे और खूबसूरत बाल

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बालों की समस्या ऐसी है जिससे आज लगभग हर इंसान जूझ रहा है. भागदौड़ भरी जिंदगी और प्रदूषण ने सेहत के साथ साथ हमारे बालों पर भी बुरा प्रभाव डाला है. ऐसे में जहां हम अपनी सेहत के लिए इतना कुछ करते हैं वहीं हमें अपने बालों की सेहत के लिए भी कुछ समय जरूर निकालना चाहिए. दिल्ली के अनवाइंड सैलून की हेयर एंड स्किन एक्सपर्ट नीति चोपड़ा बताती हैं कि अगर हम रुटीन में छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें तो बालों की टूटने व झड़ने संबंधी कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं. जैसे- हम सब अपने बाल धोते हैं लेकिन हर कोई अपने बालों की कंडिशनिंग नहीं करता जोकि बहुत जरूरी है. वहीं कुछ लोग बालों से शैंपू को भी ठीक तरीके से वॉश नहीं करते.

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6. इन 4 टिप्स से करें बालों की नैचुरल केयर

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खूबसूरती निखारने में खूबसूरत बालों का अहम रोल होता है. ऐसे में जरूरत है बालों की नैचुरल ब्यूटी को बरकरार रखने के लिए पौष्टिकता से भरपूर डाइट लेने के साथ-साथ नैचुरल चीजों के इस्तेमाल. तो जानते हैं कि आपके शैंपू में कौनकौन से इंग्रीडिएंट्स हों, जो आपके बालों की हैल्थ का ध्यान रखें.

1. आंवला दे बालों को स्ट्रैंथ

आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत होने के साथ एंटीऔक्सीडैंट्स से?भरपूर होता है. जिससे न सिर्फ पाचनतंत्र, लिवर की हैल्थ दुरुस्त होती है बल्कि यह बालों की ग्रोथ व उनकी हैल्थ के लिए भी बहुत जरूरी माना जाता है क्योंकि आंवला में मौजूद फैटी एसिड्स फॉलिकल्स तक पहुंच कर बालों को सॉफ्ट, शाइनिंग व उन्हें वौल्यूम देने का काम करते हैं. साथ ही इसमें आयरन व कैरोटीन कंटैंट बालों की ग्रोथ के लिए लाभकारी माना जाता है. इससे बालों को स्ट्रैंथ मिलती है.

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7. खूबसूरत बालों के लिए दही से बनाएं हेयर मास्क

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बालों में दही का इस्तेमाल हमारी दादीनानी भी अपनी दादीनानी के समय से करती आई हैं. आमतौर पर इसे सिर से डैंड्रफ और खुजली को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस के और भी अनेक फायदे हैं. दही विटामिन बी5 और डी से भरपूर होता है, इस में फैटी एसिड्स की भी अधिक मात्रा होती है जिस से यह बालों को स्मूथ और फ्रिज फ्री बनाता है. साथ ही, इस में जिंक, मैगनीशियम और पोटेशियम भी होता था. तो देर किस बात की, आइए जाने बालों में दही लगाने के कुछ तरीके.

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8. Monsoon Special: इन 6 टिप्स से करें बालों की केयर

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डर्मालिंक्स, गाजियाबाद की ट्राइकोलौजिस्ट डाक्टर विदूषी जैन का कहना है कि लगभग 90% महिलाओं में मौनसून के मौसम में बालों की समस्या 30 से 40% तक बढ़ जाती है. वैसे तो 100 बालों तक गिरना आम बात है, लेकिन मौनसून के मौसम में यह संख्या 250 तक पहुंच जाती है, जिस का मुख्य कारण मौसम में उमस के कारण स्कैल्प में पसीने का रिसना, रूसी और ऐसिडिक बारिश का पानी भी हो सकता है. बहुत ज्यादा नमी के अलावा इन दिनों फंगल इन्फैक्शन का खतरा सब से ज्यादा होता है. वैसे तो फंगल इन्फैक्शन जानलेवा नहीं होता है, लेकिन अगर उस का उपचार ठीक समय पर ढंग से न किया जाए तो गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है.

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9. 5 टिप्स: चंपी करें और पाएं हेल्दी हेयर

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आजकल लोग अपनी बौडी और अपने बालों की केयर की बजाय मेकअप का ख्याल रखते हैं, जिससे हमारी बौडी और बालों को नुकसान होता है. बाल हमारी ब्यूटी का हिस्सा है. शाइनी और मजबूत बालों के लिए लोग चंपी करना पसंद करते हैं. सिर दर्द हो या थकान चंपी बालों के लिए बेस्ट औप्शन माना जाता है, लेकिन इन सभी से हटकर भी चंपी के कुछ और फायदें हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगें.

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10. DIY हेयर मास्क से बनाए बालों को खूबसूरत

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हम अकसर बालों को खूबसूरत दिखाने के लिए अलगअलग हेयर स्टाइल बनाते हैं, जिस के लिए हीटिंग मशीन और कैमिकल प्रौडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है. हीट और कैमिकल प्रौडक्ट के इस्तेमाल से बाल रूखे और बेजान दिखने लगते हैं. इसलिए बालों को हमेशा एक्सट्रा केयर की जरूरत होती है.

बालों को एक्सट्रा केयर देने के लिए आप DIY हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकतीं हैं. हेयर मास्क डैमेज्ड हेयर को ठीक करने में मदद करता है, बालों की चमक बरकरार रखता है. इस के इस्तेमाल से बाल हेल्दी भी नजर आने लगते हैं.

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Imlie बनेगी आदित्य के बच्चे की मां, मालिनी को लगेगा झटका

स्टार प्लस का सीरियल ‘इमली’ (Imlie)  फैंस के दिलों पर राज कर रहा है. दरअसल, मालिनी की प्रैग्नेंसी की न्यूज से इमली और आदित्य की जिंदगी में गलतफहमियां बढ़ गई हैं, जिसके चलते सीरियल की कहानी और भी दिलचस्प हो गई है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में इमली की एक खबर मालिनी और आदित्य को झटका देने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वापस घर लौटी इमली

 

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अब तक आपने देखा कि मालिनी (Malini) त्रिपाठी हाउस में रहने के लिए आती है, जिसके चलते वह इमली से अपनी प्रैग्नेंसी का नाटक करके सारा काम करवाती हैं. हालांकि इमली को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन वह इमली के खिलाफ चाल चलती रहती है. इसी बीच गुंडों के चंगुल से निकलकर इमली घर वापस लौट आती है, जिसे देखकर मालिनी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है. वहीं इमली (Imlie) अकेले में मालिनी (Malini) से कहती है कि वह जानती है कि उसकी किडनैपिंग के पीछे किसका हाथ है, जिसे सुनकर वह हैरान रह जाती है.

 

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मां बनने वाली है इमली

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि इमली (Imlie) दोबारा कॉलेज जाने लगेगी. जहां वह कौम्पटिशन में हिस्सा लेने की तैयारी करेगी. इस दौरान उसे कई प्रौब्लम का सामना करना पड़ेगा. दूसरी तरफ आदित्य, इमली से माफी मांगने की कोशिश भी करता नजर आएगा. लेकिन मालिनी पूरी कोशिश करेगी कि इमली को उसकी जिंदगी से दूर कर पाए, जिसके चलते वह नई  चाल चलेगी. इसी बीच इमली भी मालिनी को झटका देगी और उससे कहेगी कि वह भी मां बनने वाली है, जिसे सुनकर मालिनी के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. वहीं इसी के चलते वह इमली को जान से मारने की कोशिश भी करती नजर आएगी.

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अनुज को होगा Anupama से दिल की बात ना कहने का पछतावा, करेगा ये फैसला

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और सुधांशू पांडे (Shudhanshu Pandey) स्टारर सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) इन दिनों दर्शकों के बीच धमाल मचा रहा है. जहां अनुज कपाड़िया की अनुपमा से दोस्ती वनराज को खल रही है तो वहीं राखी दवे भी अनुपमा से बदला लेने की तैयारी करने वाली है, जिसके चलते सीरियल की कहानी में मजेदार ट्विस्ट आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

राखी दवे पर बरसी अनुपमा

अब तक आपने देखा कि अनुपमा और अनुज की दोस्ती देखकर वनराज लगातार ताने मारते नजर आ रहा है. इसी बीच वह काव्या को छोड़ मुंबई से वनराज, अनुपमा के साथ वापस शाह हाउस पहुंचता है. जहां पर राखी दवे, बा और शाह परिवार को परेशान करते हुए नजर आती है, जिसे देखकर अनुपमा और वनराज का खून खौल उठता है. वहीं राखी दवे पर बरसते हुए अनुपमा, अनुज कपाड़िया से मिला चेक राखी दवे की नेम प्लेट के साथ उसे सौंप देती है, जिसे देखकर राखी दवे का खून खौलता है. इतना ही नहीं अनुपमा राखी दवे को घर से निकलने के लिए भी कह देती है.

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अनुज होगा परेशान

 

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जहां परिवार के लिए अनुपमा फर्ज निभाती नजर आएगी तो वहीं अनुपमा के लिए अनुज परेशान होता नजर आएगा. दरअसल, अनुज, अनुपमा के कैरेक्टर पर उठते सवालों के कारण परेशान होगा. वहीं डीके से अपने दिल की बात कहेगा कि अगर सालों पहले उसने अनुपमा को अपने दिल की बात और प्यार का इजहार कर दिया होता तो आज अनुपमा क्वीन की तरह रह रही होती. दूसरी तरफ एक बार फिर वनराज अनुपमा को उसके रिश्ते के लिए ताना देगा. हालांकि वह इन सब बातों पर रिएक्शन नहीं देगी. लेकिन अनुज से मिलते वक्त उसके चेहरे पर तनाव देखने को मिलेगा, जिसे देखकर अनुज, अनुपमा से उसके परेशान होने की वजह पूछेगा. इसी बीच अनुज, अनुपमा को खुश करने के लिए एक फैसला लेगा और उसे ऐसा गिफ्ट देगा, जिसे देखकर अनुपमा बेहद खुश होगी. दरअसल, वह अनुपमा को एक कार्ड सौंपेगा, जिसमें भूमि पूजन के लिए अनुपमा और अनुज का नाम छपा होगा, जिसे देखकर वह इमोशनल हो जाएगी.

 

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3 सखियां

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जिद्दी बच्चे को बनाएं समझदार

कुछ दिन पहले हमारे घर मेहमान आए थे. साथ में उन का 6 साल का बेटा नंदन भी था. उस ने आइसक्रीम की मांग की जबकि वह जाड़े का मौसम था. मेरे मना करने पर उस ने गुस्से में खाने की मेज पर रखी कीमती प्लेटें तोड़ दीं और अपनी मां के आगे लोटलोट कर आइसक्रीम की जिद करने लगा. मु  झे उस की यह हरकत बहुत नागवार गुजरी. मेरा बच्चा होता तो मैं कब का उस की पिटाई कर देती, मगर वह मेहमान था, इसलिए चुप रह गई. मु  झे अचरज तो तब हुआ जब उस की इस तोड़फोड़ को शरारत मान कर उस की मां मुसकराती रही.

अचानक मेरे मुंह से निकल गया कि बच्चे को इतनी छूट नहीं देनी चाहिए कि वह अपनी जिद की वजह से तोड़फोड़ करने लगे या दूसरों के आगे शर्मिंदा करे.

तब मेरी रिश्तेदार ने प्यार से बच्चे को गोद में लेते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं बहनजी, मेरे इकलौते बच्चे ने कुछ तोड़ दिया तो क्या हुआ? हम आप के घर में ये प्लेटें भिजवा देंगे. इस के पापा अपने लाडले के लिए ही तो कमाते हैं.’’

उन की बात सुन कर मैं सम  झ गई कि बच्चे के जिद्दी होने का कुसूरवार वह बच्चा नहीं, बल्कि उस के मातापिता हैं, जिन्होंने उसे इतना सिर पर चढ़ा रखा है. दरअसल, हमारे समाज में ऐसे मातापिता भी होते हैं जिन के लिए अपने बच्चों से प्यारा कोई नहीं होता. गलती अपने बच्चे की हो, लेकिन उस के लिए अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से भी   झगड़ पड़ते हैं. जब मातापिता अपने बच्चे की हर उचितअनुचित मांग पूरी करते हों तो परिणाम यह होता है कि बच्चा जिद्दी हो जाता है. बच्चे को बिगाड़ने और जिद्दी बनाने में मातापिता की भूमिका सब से ज्यादा होती है. दरअसल, यह एक तरह से उन की परवरिश की असफलता का सूचक होता है.

ध्यान रखें

यहां उल्लेखनीय बात यह है कि ऐसे बच्चे जो बचपन से जिद्दी होते हैं आगे चल कर अपना स्वभाव नहीं बदल पाते. मातापिता प्यारदुलार में उन की जिद पूरी करते रहते हैं पर समाज उन्हें सहन नहीं कर पाता. ऐसे बच्चे बड़े हो कर क्रोधी और   झगड़ालू स्वभाव के हो जाते हैं. इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप के बच्चे का भविष्य खुशहाल रहे और जीवनभर व्यवहार कुशल बना रहे तो आप उसे जिद्दी बनने से रोकें.

मातापिता यह सोच कर कि बच्चा गुस्सा हो जाएगा, उस की मांग पूरी कर देते हैं. लेकिन फिर बच्चे को ऐसा ही करने के आदत लग जाती है. वह रो कर अथवा नाराजगी दिखा कर अपनी मांगों को मनवाना सीख जाता है. मान लीजिए आप बाजार से चौकलेट ले कर आते हैं. घर में 3 बच्चे हैं आप सभी को 1-1 चौकलेट देते हैं पर आप का बच्चा एक और चौकलेट मांगने लगता है और न मिलने पर गुस्सा हो कर एक कोने में बैठ जाता है. आप उसे खुश करने के लिए उस की मांग पूरी कर देते हैं. ऐसे में बच्चा मन ही मन में मुसकराता है क्योंकि वह आप की कमजोरी पकड़ लेता है और अपनी हर मांग पूरी कराने का उसे हथियार मिल जाता है. वह सम  झ जाता है कि आप उसे रोता हुआ नहीं देख सकते.

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बच्चों के जिद्दी होने की वजह

मातापिता का व्यवहार: अगर पेरैंट्स बच्चे के साथ सही से व्यवहार नहीं करते और उसे बातबात पर डांटतेफटकारते रहते हैं तो वह जिद्दी हो सकता है. अभिभावकों का बच्चे के साथ रिश्ता उस के दिमाग पर असर डालता है. बच्चे को नजरअंदाज करना और उस की बातों को अनसुना करना भी उसे जिद्दी बना सकता है. ऐसे में वह पेरैंट्स का ध्यान खींचने के लिए इस तरह की हरकतें करता है. यही नहीं पेरैंट्स द्वारा अपने बच्चे को हद से ज्यादा प्यार करना भी उसे जिद्दी बना देता है.

परिवेश: छोटे बच्चों के जिद्दी होने का कारण कोई शारीरिक समस्या, भूख लगना या फिर अपनी ओर सब का आर्कषण खींचने का मकसद हो सकता है. मगर बड़े होते बच्चे के जिद्दी होने के पीछे अकसर पारिवारिक परिवेश, ज्यादा लाड़प्यार, हर समय की डांटफटकार या फिर पढ़ाई का अनावश्यक दबाव होता है.

शारीरिक शोषण: कई बार कुछ बच्चों को अपने जीवन में शारीरिक शोषण जैसी अप्रिय घटनाओं से गुजरना पड़ता है जिस बारे में उन के मातापिता को भी पता नहीं होता है. ऐसी घटनाओं का बच्चों के मन पर काफी बुरा असर पड़ता है. ऐसे बच्चे लोगों से कटने लगते हैं, चिड़चिड़े रहने लगते हैं और मातापिता की बातों को मानने से इनकार करना शुरू कर देते हैं. वे हर बात पर जिद करते हैं या फिर खामोश हो जाते हैं.

तनाव: बच्चों को स्कूल, दोस्तों या घर से मिलने वाला तनाव भी जिद्दी बनाता है. वे ऐसा व्यवहार करने लगते हैं कि उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है.

गर्भावस्था के दौरान स्मोकिंग: कभीकभी बच्चों के जिद्दी होने के पीछे मां का गर्भधारण करने के बाद सिगरेट और अलकोहल का सेवन करना भी वजह बन जाता है.

मातापिता को क्या करना चाहिए

दिल्ली में रहने वाली 36 साल की प्रिया गोयल बताती हैं, ‘‘पिछले दिनों मेरी एक सहेली अपने बेटे प्रत्यूष को ले कर मु  झ से मिलने मेरे घर आई. प्रत्यूष दिनभर मेरी बेटी की साइकिल चलाता रहा. लौटते समय वह साइकिल पर जम कर बैठ गया और उसे अपने घर ले जाने की जिद्द करने लगा. उस की मां ने थोड़ी सख्ती से काम लिया और उस से कहा कि वह बात नहीं मानेगा तो उसे अपने घर वापस नहीं ले जाएगी. बच्चे ने तुरंत साइकिल छोड़ दी और मां की गोद में आ गया.’’

बच्चा जिद्दी न बने इस के लिए कभीकभी हमें सख्ती भी करनी चाहिए. बचपन से ही बच्चों को आदत डलवाएं कि उन की हर जिद पूरी नहीं की जाएगी और वे न मानें तो उन्हें डांट भी पड़ सकती है.

सम  झना होगा जिद्दी बच्चों का मनोविज्ञान

पेरैंट्स के लिए यह जरूरी है कि वे अपने बच्चे को सम  झें. दरअसल, बच्चा पहले ही अपने मन में यह विचार कर लेता है कि अगर वह अपने पिता से इस बारे में बात करेगा तो उन का जवाब क्या होगा और मां से बोलेगा तो वे कैसी प्रतिक्रिया देंगी. बच्चा अपनी पिछली सारी हरकतों और उन के परिणाम के बारे में सोच कर ही नई हरकत करता है. ऐसे में मातापिता को भी पहले से सम  झ कर रिएक्शन देना होगा कि बच्चे को सही बातें कैसे सिखाएं. साधारण रूप में बच्चा मां के आगे ही जिद करता है या फिर मेहमानों के आगे भी वह जिद करने लगता है क्योंकि उन्हें पता होता है कि इस वक्त उस की जिद मान ली जाएगी.

ध्यान रखें आप को उस की गलत हरकतों पर ज्यादा नहीं चिल्लाना चाहिए खासकर दूसरों के सामने डांटनाडपटना या मारना नहीं चाहिए. आखिर उस की भी इज्जत है वरना वह आप को परेशान करने के लिए उस हरकत को दोहरा सकता है.

जिद्दी बच्चों को कैसे संभालें

येल यूनिवर्सिटी की सर्टिफाइड ऐक्सपर्ट सागरी गोंगाला के अनुसार जिद्दी बच्चे बहुत ज्यादा सैंसिटिव होते हैं. वे इस बात के प्रति बहुत सैंसिटिव होते कि आप उन्हें कैसे ट्रीट कर रहे हैं. इसलिए अपनी टोन, बौडी लैंग्वेज और शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दीजिए. आप से बात करते समय यदि वे कंफर्टेबल महसूस करेंगे तो उन का व्यवहार आप के प्रति अच्छा होगा. मगर कंफर्टेबल महसूस कराने के लिए कभीकभी उन के साथ फन ऐक्टिविटीज में भी शामिल हों.

उसे सुनें और संवाद स्थापित करें

अगर आप चाहते हैं कि आप का बच्चा आप की बात माने तो पहले आप उस की बात सुनें. ध्यान रखें एक जिद्दी बच्चे की सोच काफी मजबूत होती है. वह अपना पक्ष रखने के लिए बहस करना चाहता है. अगर उसे लगता है कि उस की बात सुनी नहीं जा रही तो उस की जिद और बढ़ जाती है. अगर बच्चा कुछ करने से मना कर रहा है तो पहले यह सम  झने का प्रयास करें कि वह ऐसा क्यों कह रहा है. हो सकता है उस की जिद सही हो.

अपने बच्चे के साथ कनैक्ट करें

अपने बच्चे पर कोई काम करने को दबाव न डालें. जब आप बच्चे पर दबाव डालते हैं तो एकदम से उस का विरोध और बढ़ जाता है और वह वही करता है जो वह करना चाहता है. सब से अच्छा है कि आप बच्चे को सम  झने का प्रयास करें. जब आप बच्चे को एहसास दिलाएंगे कि आप उस की केयर करते हैं, आप उस के बारे में सोच रहे हैं, वह जो चाहता है उसे पूरा कर रहे हैं तो वह भी आप की बात मानेगा.

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उसे औप्शन दें

आप सीधे अगर बच्चे को मना कर देंगे कि यह नहीं करना है या वैसा करने पर उसे सजा मिलेगी तो वह उस बात का विरोध करेगा. इस के विपरीत अगर आप उसे सम  झाते हुए औप्शन दें तो वह बात मानेगा. उदाहरण के लिए आप अपने बच्चे को अगर यह कहेंगे कि 9 बजे सो जाओ तो वह सीधा मना कर देगा. मगर यदि आप यह कहेंगे कि चलो सोने चलते हैं और आज तुम्हें शेर वाली कहानी सुननी है या राजकुमार वाली, बताओ तुम्हें कौन से कहानी सुननी है? ऐसे में बच्चा कभी भी मना नहीं करेगा, बल्कि आप के पास खुशीखुशी सोने आ जाएगा.

सही उदाहरण पेश करें

बच्चा जैसा देखता है वैसा ही करता है. इसलिए आप को यह सुनिश्चित करना होगा कि आप उसे सही माहौल दें. अगर आप घर के बड़ेबुजुर्ग पर किसी बात को ले कर चिल्ला रहे हैं तो आप का बच्चा भी वही सीखेगा. ऐसे में आप को जिद्दी बच्चे को संभालने के लिए अपने घर का माहौल ऐसा बनाना होगा जिस से वह सम  झ सके कि बड़ों की बातों को मानना चाहिए.

प्रशंसा करें

बच्चों को सिर्फ डांटने और नियमकायदे बताने की जगह अच्छे कामों के लिए उन की प्रशंसा भी करें. इस से उन का मनोबल बढ़ेगा और वे जिद्दी बनने के बजाय मेहनत करना सीखेंगे. मेहमानों और अन्य लोगों के सामने भी उन के बारे में अच्छा कहें. इस से वे आप के लिए जुड़ाव महसूस करेंगे.

जिद पूरी न करें: अकसर जिद पूरी होने के कारण बच्चे अधिक जिद्दी हो जाते हैं. बच्चों को यह एहसास दिलाएं कि उन की जिद हमेशा पूरी नहीं की जा सकती. अगर आप का बच्चा किसी दुकान में या किसी और के घर जा कर किसी खिलौने की मांग करता है और खिलौना न मिलने पर चीखनेचिल्लाने लगता है तो उस की ओर ध्यान ही न दें. इस से बच्चे को यह सम  झ आ जाएगा कि उस की जिद से उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला है.

कभीकभी सजा भी दें

बच्चों को अनुशासित रखने के लिए नियम बनाने की बहुत जरूरत होती है. अगर वे कुछ गलत करते हैं या जिद करते हुए उलटासीधा व्यवहार करते हैं तो उन्हें सजा देने से न चूकें. आप उन्हें पहले से ही बता दें कि अगर ऐसा किया तो इस तरह के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. जैसे मान लीजिए कि बच्चा सोने के समय टीवी देखने की जिद कर रहा है तो उसे पता होना चाहिए कि ऐसा करने पर उसे कई दिनों तक टीवी में पसंदीदा प्रोग्राम देखने को नहीं मिलेगा. बच्चे को सजा देने का मतलब यह नहीं है कि आप उस पर चिल्लाएं या उस की पिटाई करें, बल्कि उसे किसी चीज या सुविधा से वंचित कर के भी आप उसे सजा दे सकते हैं.

  बच्चों की अलगअलग तरह की जिद

अगर बच्चों की एक जिद पूरी हो जाती है तो वे दूसरी जिद करने लगते हैं. जब मातापिता इसे भी पूरी कर देते हैं तो वे तीसरी जिद पकड़ कर बैठ जाते हैं यानी बच्चों की जिद का अंत नहीं होता. जिद कई चीजों को ले कर हो सकती है. उन्हें कैसे टैकल करना है यह सम  झना जरूरी है.

मोबाइल की जिद: बच्चे अकसर बड़ों को मोबाइल इस्तेमाल करते देख उस की मांग करने लगते हैं. ऐसे में आप को बच्चों को सम  झाना चाहिए कि यह उन के काम की चीज नहीं है. अगर वे रोने और चिल्लाने लगें तो भी उन्हें मोबाइल न दें. इस से वे सम  झ जाएंगे कि उन के रोने और चिल्लाने से उन्हें मोबाइल नहीं मिलने वाला. अगर आप उन की जिद पूरी करने के लिए उन्हें कुछ देर के लिए मोबाइल दे देंगे तो इस से उन की जिद करने की आदत और बढ़ जाएगी. कई मातापिता बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल पकड़ा देते हैं. ऐसे में स्वाभाविक है कि थोड़े बड़े होते ही वे अपने लिए एक अलग और बढि़या मोबाइल खरीदने की जिद करने लगते हैं.

जंक फूड खाने की जिद: बच्चे अकसर घर का खाना खाने में नखरे दिखाते हैं और रैस्टोरैंट से कुछ अच्छा या जंक फूड मंगाने की जिद करने लगते हैं. ऐसे में आप उन्हें अपने साथ बैठा कर थोड़ाथोड़ा घर का बना खाना खिलाने की आदत डालें. उन्हें हरी सब्जियां और पौष्टिक खाना खिलाएं. किचन में ऐक्सपैरिमैंट करें. इस से वे जिद करना कम कर देंगे और घर का बना खाना भी स्वाद से खाना सीख जाएंगे.

अधिक जेबखर्च की जिद: कभी चौकलेट, कभी पिज्जा, कभी आइसक्रीम तो कभी कुरकुरे खाने के लिए बच्चे अकसर पैसों की जिद करते हैं. आप उन की इस जिद को भूल कर भी पूरा न करें. यह जिद उन्हें कई बुरी आदतों की ओर धकेल सकती है. कोशिश करें कि बच्चों को पैसा देने की जगह लंच में कुछ स्वादिष्ठ चीजें पैक कर दें ताकि उन्हें जेब खर्च की जरूरत न पड़े.

नए खिलौने या गैजेट्स की जिद: पासपड़ोस के बच्चों के पास या टीवी में आने वाले विज्ञापनों को देख कर बच्चे अकसर नए खिलौने या गैजेट्स खरीदने की जिद करते हैं. ऐसे में आप उन्हें इन चीजों के बजाय उन के दिमागी विकास और पढ़ाई से संबंधित चीजें या किताबें ला कर दे सकते हैं. शतरंज, बैडमिंटन जैसे स्पोर्ट्स खेलने को प्रोत्साहित कर सकते हैं.

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पढ़ाई न करने की जिद: अकसर बच्चे अपने होम वर्क से भागने की कोशिश करते हैं और न पढ़ने के लिए बहाने बनाते हैं. बहाने नहीं माने जाएं तो वे जिद पर बैठ जाते हैं कि आज पढ़ना ही नहीं है. ऐसे में आप को बैठ कर सम  झना चाहिए कि आखिर वे पढ़ाई से जी क्यों चुरा रहे हैं. उन्हें अगर क्लास में कुछ सम  झने में दिक्कत आई है तो आप उन्हें सम  झा कर उन की समस्या का समाधान कर सकते हैं.

  जिद्दी बच्चे प्रोफैशनल लाइफ में हो सकते हैं ज्यादा सक्सैसफुल

बच्चों के जिद्दी स्वभाव और भविष्य में कैरियर के क्षेत्र में उन की परफौर्मैंस में कोई संबंध है या नहीं इस संदर्भ में 2015 में एक अध्ययन किया गया. यह अध्ययन ‘नैशनल लाइब्रेरी औफ मैडिसिन’ में पब्लिश किया गया था. इस के मुताबिक जिद्दी बच्चे भविष्य में ज्यादा सफल होते हैं. जो बच्चे कम उम्र में नियमों को तोड़ने में माहिर होते हैं वे बड़े हो कर पैसे भी उतना ही ज्यादा कमाते हैं और अपने दोस्तों के मुकाबले ज्यादा सफल होते हैं. यानी जिद्दी स्वभाव उन का एक सकारात्मक गुण माना जा सकता है.

शोधकर्ताओं ने 742 बच्चों पर अध्ययन किया. ये 8 से 12 वर्ष की उम्र के थे. उन के कुछ स्वाभाविक गुणों को देखा गया जैसे वे पढ़ाई में कितने गंभीर हैं, उन की कर्तव्यनिष्ठा, योग्यता और टीचर या पेरैंट्स की बात मानने की आदत आदि को ध्यान में रखा गया. जब 40 साल बाद शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि वे अब कहां पहुंचे और क्या बने तो एक बहुत ही आश्चर्यजनक ट्रैंड उभर कर सामने आया.

अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे बचपन में पेरैंट्स और टीचर की आज्ञा नहीं मानते थे, उन की बातों और नियमों का उल्लंघन करते थे और बहस करते थे, वे बड़े हो कर ज्यादा सफल और संपन्न जिंदगी जी रहे हैं. दूसरों के मुकाबले उन की सैलरी भी काफी अच्छी है.

दरअसल, जिद्दी बच्चों के अंदर कुछ विशेषताएं ऐसी होती हैं जो उन्हें खास बनाती हैं. मसलन वे कभी गिव अप नहीं करते, सामने परिस्थिति कितनी ही कठिन क्यों न हो वे अपनी बात पर टिके रहते हैं और कभी कुछ करने की ठान लें तो कर के गुजरते हैं. उन के अंदर हौसला और साहस कूटकूट कर भरा होता है. वे खुद से हर बात सीखने की कोशिश करते हैं. अगर उन्हें लगता है कि वे सही हैं तो अपनी बात मनवाने के लिए किसी से भी उल  झ पड़ते हैं. ये विशेषताएं प्रोफैशनल लाइफ में सफल होने में उन की मददगार बनती हैं.

मगर बात जब सामान्य जीवन की आती है तो कोई नहीं चाहता कि उन का बच्चा जिद्दी या क्रोधी स्वभाव का हो क्योंकि जिद करने की आदत कई बार बच्चे के साथसाथ उस के पेरैंट्स के लिए भी भारी पड़ जाती है. अकसर बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए पेरैंट्स से जिद करते हैं. कई बार जब उन की बात नहीं मानी जाती तो वे रूठ जाते हैं और बातचीत बंद कर देते हैं. कुछ बच्चे विद्रोही भी हो जाते हैं. यह स्थिति किसी भी मातापिता के लिए असहनीय होती है.

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सेक्सुअली और मेंटली शोषण को बढ़ावा देती है,चाइल्ड मैरिज- कृति भारती

कृति भारती ( समाज सेविका, सारथी ट्रस्ट)

राजस्थान सरकार नेपिछले दिनों चाइल्ड मैरिज के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बताया. जिसमें बाल विवाह होने पर एक महीने के अंदर इसे पंजीकरण करना पड़ेगा. इसे विधान सभा में विरोध होने के साथ-साथ कानून की भी चुनौती मिली है. नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स का कहना है कि 18 साल से कम उम्र में विवाह को मान्यता देने को वे कानूनन विरोध करेंगे और रिव्यु की सिफारिश करेंगे. सारथी ट्रस्ट की कृति भारती, भारत की पहली विवाह विच्छेद करवाने वाली सोशल वर्कर है और उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. उन्होंने आजतक करीब 43 लड़कियों की विवाह विच्छेद करवाया है और1500 चाइल्ड मैरिज को रुकवाया है, लेकिन सरकार द्वारा बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बना देने को एक गलत निर्णय मानतीहै.

मिलेगा बढ़ावा बाल विवाह

कृति आगे कहती है कि राजस्थान चाइल्ड मैरिज के लिए बदनाम है और अनल्मेंट भी यहाँ सभी राज्यों से अधिक हुआ है. अनल्मेंट से पहले वकील,एक्टिविस्ट, सामाजिक कार्यकर्त्ता, विक्टिम आदि जो लोग इस काम में प्रभावित होते है, उन्हें पूछकर उनकी चुनौतियों को जानकर इसे लागू करना चाहिए. देखा जाय तो ये भारत में तालिबान शासन की तरह दिया गया निर्देश है. राजस्थान सरकार का बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन को मान्यता देना सामाजिक सुधार नहीं, राजनीतिक लालच है,क्योंकि बाल विवाह एक संगीन अपराध की श्रेणी में आता है और संज्ञेय अपराध को रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं दिया जासकता. ये किसी व्यक्ति के अपराध करने पर उसे मान्यता देने जैसा है, जिसमे अपराधी सजा नहीं, बल्कि पुरस्कृत करने योग्य है. अनल्मेंट अर्थात चाइल्ड मैरिज कैंसलेशन यानि चाइल्ड मैरिज को कानूनन कैंसल करवाना.

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कानून में संशोधन है जरुरी

आगे कानून के संशोधन के बारें में कृति का कहना है कि दिल्ली में हुए निर्भया काण्ड के 16 साल के अपराधी को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत उसे बाल सुधार गृह भेजा गया, जबकि उसने सबसे घिनौना काम किया और बाल अपराधी के उम्र को कम किये जाने के लिए पूरे देश ने आन्दोलन किया, पर कुछ आगे नहीं हुआ और वह जेल से निकल कर सुरक्षित बैठा है. चाइल्ड मैरिज को मान्यता देने से अब माता-पिता बच्चों के मैरिज को रजिस्ट्रेशन कर कागज अपने पास रखेंगे, ऐसे में बड़ी होकर किसी लड़की को अपने पति से विवाह विच्छेद ,किसी संगीन कारणों से लेना है, तो उसे कोर्ट के रजिस्ट्रेशनपेपर मांगने पर उसे आसानी से मिल पाना असंभव होगा, क्योंकि कम उम्र में शादी होने पर उसके कागजात पेरेंट्स के पास होते है. ऐसे में किसी लड़की को अनल्मेंट के लिए पेपर नहीं मिल सकता और लड़कियां उसी हालत में रहने के लिए मजबूर होगी. अनल्मेंट अब आसान नहीं, कठिन बनाया जा रहा है.

होता है अपराधी का रजिस्ट्रेशन

इसके अलवा सरकार इस दिशा में एक सर्वे कर डार्क ज़ोन, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन को पता कर आगे बढ़ेगी, लेकिन ये करना आसान नहीं, क्योंकि इससे लोग सच्चाई नहीं बताएँगे. मनोवैज्ञानिक स्तर पर बात करने से भी चाइल्ड मैरिज कहाँ अधिक और कहाँ कम है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.चाइल्ड मैरिज के अपराध को रजिस्टर करना ठीक नहीं. मैंने कई बार वर्कशॉप में पीड़ित लड़कियों को बताया है कि अगर आप किसी से अन्ल्मेंट की बात नहीं कह पा रही हो, तो सरकारी प्रतिनिधि से कहे. इससे उनकी समस्या का हल मिलेगा, लेकिन इसमें समस्या यह है कि यहाँ एक व्यक्ति शादी की पंजीकरण करता है तो दूसरा विवाह विच्छेद के लिए काम करता है. येरजिस्ट्रेशन केवल चाइल्ड मैरिज की नहीं, बल्कि सेक्सुअली प्रताड़ित करने वाले, बलात्कारी और घरेलू झगड़े को पंजीकरण करना है. सरकार अनाल्मेंटको मुश्किल बना कर खुद की पीठ थपथपा रहे है.

बदलाव नहीं चाहते

कृति आगे कहती है कि असल में पूरे राजस्थान में जाति पंचायत है, जोहर समुदाय की अलग-अलग जाति पंचायत होती है,इसमें अधिकतर सीनियर सिटीजन मुखिया या समुदाय प्रमुख होते है. ये उस कम्युनिटी की बॉडी होती है, ये लोग खुद को कोर्ट और जज समझते है. ये लोग कभी भी चाइल्ड मैरिज को ख़त्म होते देखना नहीं चाहते. ये किसी भी पार्टी के लिए वोट बैंक होते है, क्योंकि उनके मुखिया के कहने पर पूरा गांव उसे वोट देते है. ये सभी जातियों में होती है और चाइल्ड मैरिज को वे अपनी परंपरा समझते है. यहाँ लड़कियों को बोझ समझा जाता है, उनके अनुसार सही उम्र में लड़की की शादी करना अनिवार्य होता है, ताकि रेप और लव मैरिज होने से बचा जा सकेगा और परिवार का मुंह भी काला नहीं होगा. इसमें वे आज के ज़माने में लड़कियों के आत्मनिर्भर होने को सही मानने में असमर्थ होते है. वे बदलाव पसंद नहीं करते. ऐसे बिल को पास कर देने से विक्टिम को अधिक परेशानी न्याय मिलने में होगी.

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अनाल्मेंट में होगी परेशानी

पूरी दुनिया चाइल्ड मैरिज को हटाना चाहती है, जबकि ये इसे प्रमोट कर रही है. बाल विवाह को एक बाररजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आगे किसी प्रकार की कार्यवाही सरकार के विरुद्ध करना बहुत मुश्किल होता है. मैं एक समाज सुधारक की तरह सही को सही और गलत को गलत कहना पसंद करती हूँ. चाइल्ड मैरिज में बच्चियों का अधिक शोषण होता है. इन बेड़ियों का टूटना जरुरी है, क्योंकि इससे डोमेस्टिक वायलेंस अधिक होता है. लड़कियों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. चाइल्ड ट्राफिकिंग बढती है. अनाल्मेंट की प्रक्रिया भी कठिन होगी, क्योंकि लड़कियों के पास अगर मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नहीं होगा, तो वे एनाल्मेंट नहीं कर सकती, क्योंकि एक्ट के तहत पेरेंट्स ही चाइल्ड मैरिज को रजिस्ट्रेशन करवा सकते है.

होता है जाति से निकाला

अपने एक अनुभव के बारें में कृति कहती है कि एक बच्ची ने चाइल्ड मैरिज को इनकार किया, तो जाति पंचायत ने उस लड़की से ससुराल जाने या 16 लाख का दंड भरने को कहा, ऐसा न करने पर पूरे परिवार को जाति से निकाल कर हुक्का-पानी बंद करने की धमकी दी. जाति पंचायत के निर्देश की वजह से परिवारके किसी भी सदस्य को कुएं से पानी न भरने देना, राशन न मिलना, किसी के घर आना – जाना बंद कर देना आदि सब मना हो जाता है. कई बार ये परिवार राज्य छोड़ देने के लिए विवश हो जाते है.

इसके अलावा बाड़मेर की एक लड़की को अनल्मेंट के लिए मैंने रात के 4 बजे रेस्क्यू कर जोधपुर लाई, क्योंकि उसके पिता मर्डर के आरोपी थे और मैरिज के समय की कोई सबूत मेरे पास नहीं थी, जज मुझे उसकी चाइल्ड मैरिज की सबूत लाने को कह रहा था. इस काम में किसी का सहयोग नहीं था, कोई बयान नहीं दे रहा था, क्योंकि उसके पिता ने गोली मारने की धमकी दे रखी थी. बहुत मुश्किल से उसका अनाल्मेंट करवाया गया. इसलिए राज्य सरकार का बाल विवाह को पंजीकरणकरवाने की एक्ट एक घटिया निर्णय है.

शादी के 10 साल बाद भी मां बनने के सुख से वंचित हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मेरी उम्र 38 साल है. शादी को 10 साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन मां बनने के सुख से वंचित हूं. डाक्टर ने बताया कि मेरे अंडे कमजोर हैं. इसी वजह से एक बार मेरा 3 माह का गर्भ भी गिर चुका है. बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
इस उम्र में गर्भधारण करना आमतौर पर थोड़ा मुश्किल हो जाता है. आप का 3 माह का गर्भ गिरना भी यही साबित करता है कि आप के अंडे कमजोर हैं. लेकिन आप को निराश होने की आवश्यकता नहीं है. अगर आप के पति में कोई कमी नहीं है तो आप एग डोनेशन तकनीक का सहारा ले सकती हैं. किसी अन्य महिला के अंडे आप के गर्भाशय में ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं. इस के लिए आवश्यक है कि उक्त महिला शादीशुदा हो और बच्चे को जन्म दे चुकी हो.

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पीसीओडी की समस्या और निदान

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर देती हैं, जिस का खमियाजा उन्हें विवाह के बाद भुगतना पड़ता है. लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के बाद अपने स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है. महिलाओं के चेहरे पर बाल उग आना, बारबार मुहांसे होना, पिगमैंटेशन, अनियमित रूप से पीरियड्स का होना और गर्भधारण में मुश्किल होना महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है.

चिकित्सकीय भाषा में महिलाओं की इस समस्या को पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यानी पीसीओडी के नाम से जाना जाता है. इस समस्या के होेने पर महिलाओं, खासकर कुंआरी लड़कियों को समय रहते चिकित्सकीय जांच करानी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर महिलाओं की ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर तो पड़ता ही है साथ ही, आगे चल कर उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

आज करीब 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं जबकि चिकित्सकों का मानना है कि इस बीमारी की शिकार महिलाओं की संख्या इस से कई गुना अधिक है. उचित ज्ञान न होने व पूर्ण चिकित्सकीय जांच न होने की वजह से महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं.

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पीसीओडी बीमारी के बारे में गाइनीकोलौजिस्ट डा. शिखा सिंह का कहना है कि यह एक हार्मोनल डिसऔर्डर है. पीरियड्स के पहले और बाद में महिलाओं के शरीर में बहुत तेजी से हार्मोन में बदलाव आते हैं जो कई बार इस बीमारी का रूप ले लेते हैं.

डा. शिखा की मानें तो हर महीने महिलाओं की दाईं और बाईं ओवरी में पीरियड्स के बाद दूसरे दिन से अंडे बनने शुरू हो जाते हैं. ये अंडे 14-15 दिनों में पूरी तरह से बन कर 18-19 मिलीमीटर साइज के हो जाते हैं. इस के बाद अंडे फूट कर खुद फेलोपियन ट्यूब्स में चले जाते हैं और अंडे फूटने के 14वें दिन महिला को पीरियड शुरू हो जाता है लेकिन कुछ महिलाओं, जिन्हें पीसीओडी की समस्या है, में अंडे तो बनते हैं पर फूट नहीं पाते जिस की वजह से उन्हें पीरियड नहीं आता.

आगे उन का कहना है कि ऐसी महिलाओं को 2 से 3 महीनों तक पीरियड नहीं आने की शिकायत रहती है, जिस की सब से बड़ी वजह है कि फूटे अंडे ओवरी में ही रहते हैं और एक के बाद एक उन से सिस्ट बनती चली जाती हैं. लगातार सिस्ट बनते रहने से ओवरी भारी लगनी शुरू हो जाती है. इसी ओवरी को पोलीसिस्टिक ओवरी कहते हैं.

इतना ही नहीं, इस के कारण ओवरी के बाहर की कवरिंग कुछ समय बाद सख्त होनी शुरू हो जाती है. सिस्ट के ओवरी के अंदर होने के कारण ओवरी का साइज धीरेधीरे बढ़ना शुरू हो जाता है. ये सिस्ट ट्यूमर तो नहीं होतीं पर इन से ओवरी सिस्टिक हो चुकी होती है, जिस से अल्ट्रासाउंड कराने पर कभी ये सिस्ट दिखाई देती हैं तो कभी नहीं. दरअसल, अंडों के ओवरी में लगातार फूटने के चलते ओवरी में जाल बनना शुरू हो जाता है. धीरेधीरे ओवरी के अंदर जालों का गुच्छा बन जाता है. इसलिए सिस्ट का पूरी तरह से पता नहीं चल पाता है.

डा. शिखा के मुताबिक पीसीओडी होने के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है लेकिन चिकित्सकों की राय में लाइफस्टाइल में बदलाव, आनुवंशिकी व जैनेटिक फैक्टर का होना मुख्य वजहें हैं.

क्या हैं सिस्ट के लक्षण

ओवरी में बिना अंडों के न फूटने की वजह से जो सिस्ट बनती हैं उन में एक तरल पदार्थ भरा होता है. यह तरल पदार्थ पुरुषों में पाया जाने वाला हार्मोन एंड्रोजन होता है, क्योंकि लगातार सिस्ट बनती रहती हैं तो महिलाओं में इस हार्मोन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जिस की वजह से युवतियों के शरीर पर पुरुषों की तरह बाल उगने लगते हैं. इसे हरस्यूटिज्म कहते हैं. इस तरह महिलाओं के चेहरे, पेट और जांघों पर बाल उगने लगते हैं.

एंड्रोजन की अधिकता के कारण शरीर की शुगर इस्तेमाल करने की क्षमता भी दिनप्रतिदिन कम होती जाती है, जिस की वजह से शुगर का स्तर भी बढ़ता चला जाता है, जिस से खून में वसा की मात्रा बढ़नी शुरू हो जाती है और यही वसा महिलाओं में मोटापे का कारण बनती है.

मोटापा अधिक होने के कारण महिलाओं में इस्ट्रोजन नामक हार्मोन ज्यादा बनने की संभावना बढ़ जाती है. इस स्थिति में लिपिड लेवल भी बढ़ा हुआ होता है जिस की वजह से ब्लड वैसल्स में फैट सैल्स बढ़ जाते हैं और ब्लड की नलियों में चिपक कर उन्हें संकीर्ण बना देते हैं. ये सैल्स ब्लड सप्लाई करने वाली नलियों को ब्लौक भी कर देते हैं.

महिलाओं में इस्ट्रोजन अधिक मात्रा में बनता है तो ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन भी ज्यादा बनता है, जिस की वजह से माहवारी में अनियमितता पाई जाती है. साथ ही, काफी दिनों तक इस्ट्रोजन ही बनता जाता है और उसे बैलेंस करने वाला प्रोजैस्ट्रोन बन नहीं पाता. यदि गर्भाशय में इस्ट्रोजन बहुत दिनों तक काम करता है, तो महिलाओं को यूटेराइन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.

अगर किसी महिला में पीसीओडी के लक्षण हैं तो उसे इस बीमारी की जांच के लिए पैल्विक अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए. इस के अलावा हार्मोनल और लिपिड टैस्ट होते हैं. हार्मोन के सीरम स्तर पर ग्लूकोज टौलरैंस आदि की जांच की जाती है. इस से बौडी में ग्लूकोज की सही मात्रा की जानकारी मिल जाती है.

16 से 18 साल की लड़की के पीरियड अनियमित होने पर उस का इतना ही इलाज किया जाता है कि पीरियड्स नौर्मल हो जाएं. जिस तरह से हर महीने कौंट्रासैप्टिव दिए जाते हैं उसी तरह से उसे कौंबिनैशन हार्मोन की दवाएं दी जाती हैं. डा. शिखा ने बताया कि सामान्य रूप से एक लड़की को 11 साल की उम्र में पीरियड्स होने लगते हैं. पीरियड शुरू होने के 4-5 साल बाद यदि वह अनियमित होने लगे तो डाक्टरी सलाह और जांच करा लेनी चाहिए.

पीसीओडी से पीडि़त युवती की शादी हो जाने पर उसे पीरियड की अनियमितता और गर्भधारण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इस स्थिति में उस की माहवारी को नियमित करने और अंडा समय पर पक सके, इस का इलाज किया जाता है.

इस के अलावा इन महिलाओं की गर्भधारण के दौरान अन्य गर्भवती महिलाओं की तुलना में ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है क्योंकि इन में गर्भपात की आशंका बहुत ज्यादा बनी रहती है. इसलिए गर्भधारण करने के 3 महीने तक यदि गर्भ ठहरा रहता है तो फिर वे एक सामान्य महिला की तरह रह सकती हैं. इस के बाद डिलीवरी में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आती है.

पीसीओडी की शिकार महिलाओं में बारबार गर्भपात के आसार ज्यादा होते हैं. इसलिए यदि कोई बड़ी उम्र की महिला गर्भवती होती है तो हो सकता है वह प्रीडायबिटिक हो. ऐसी स्थिति में महिलाओं को चाहिए कि समयसमय पर डायबिटीज की जांच कराती रहें और यदि किसी महिला का वजन अधिक है तो उसे व्यायाम और अन्य शारीरिक कसरत से अपना वजन घटाना चाहिए ताकि गर्भधारण के दौरान महिला और उस के गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्याओं से दोचार न होना पड़े.

इन महिलाओं को दिन में एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचना चाहिए. ज्यादा खाना खाने के बजाय उन्हें बारबार थोड़ीथोड़ी मात्रा में खाना खाना चाहिए. वे कम कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त भोजन लें, मीठी चीजों से परहेज करें ताकि शरीर में इंसुलिन का स्तर अधिक न हो. ऐसी तमाम बातों का ध्यान रख कर पीसीओडी से ग्रस्त महिला गर्भवती हो कर मां बनने का सुख प्राप्त कर सकती है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

वारिस : भाग 3- सुरजीत के घर में कौन थी वह औरत

नरेंद्र के इस सवाल पर उस की मां बुरी तरह से चौंक गईं और पल भर में ही मां का चेहरा आशंकाओें के बादलों में घिरा नजर आने लगा.

‘‘तू यह सब क्यों पूछ रहा है?’’ नरेंद्र को बांह से पकड़ झंझोड़ते हुए मां ने पूछा.

‘‘सुरजीत के घर में उस का बापू  एक कुदेसन ले आया है. लोग कहते हैं हमारे घर में रहने वाली यह औरत भी एक ‘कुदेसन’ है. क्या लोग ठीक कहते हैं, मां?’’

नरेंद्र का यह सवाल पूछना था कि एकाएक आवेश में मां ने उस के गाल पर चांटा जड़ दिया और उस को अपने से परे धकेलती हुई बोलीं, ‘‘तेरे इन बेकार के सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं है. वैसे भी तू स्कूल पढ़ने के लिए जाता है या लोगों से ऐसीवैसी बातें सुनने? तेरी ऐसी बातों में पड़ने की उम्र नहीं. इसलिए खबरदार, जो दोबारा इस तरह की  बातें कभी घर में कीं तो मैं तेरे बापू से तेरी शिकायत कर दूंगी.’’

नरेंद्र को अपने सवाल का जवाब तो नहीं मिला मगर अपने सवाल पर मां का इस प्रकार आपे से बाहर होना भी उस की समझ में नहीं आया.

ऐसा लगता था कि उस के सवाल से मां किसी कारण डर गईं और यह डर मां की आखों में उसे साफ नजर आता था.

नरेंद्र के मां से पूछे इस सवाल ने घर के शांत वातावरण में एक ज्वारभाटा ला दिया. मां और बापू के परस्पर व्यवहार में तलखी बढ़ गई थी और सिमरन बूआ तलख होते मां और बापू के रिश्ते में बीचबचाव की कोशिश करती थीं.

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मां और बापू के रिश्ते में बढ़ती तलखी की वजह कोने में बनी कोठरी में रहने वाली वह औरत ही थी जिस के बारे में अमली चाचा का कहना था कि वह एक ‘कुदेसन’ है.

मां अब उस औरत को घर से निकालना चाहती हैं. नरेंद्र ने मां को इस बारे में बापू से कहते भी सुना. नरेंद्र को ऐसा लगा कि मां को कोई डर सताने लगा है.

बापू मां के कहने पर उस औरत को घर से निकालने को तैयार नहीं हैं.

नरेंद्र ने बापू को मां से कहते सुना था, ‘‘इतनी निर्मम और स्वार्थी मत बनो, इनसानियत भी कोई चीज होती है. वह लाचार और बेसहारा है. कहां जाएगी?’’

‘‘कहीं भी जाए मगर मैं अब उस को इस घर में एक पल भी देखना नहीं चाहती हूं. नरेंद्र भी इस के बारे में सवाल पूछने लगा है. उस के सवालों से मुझ को डर लगने लगा है. कहीं उस को असलियत मालूम हो गई तो क्या होगा?’’ मां की बेचैन आवाज में साफ कोई डर था.

‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा. तुम बेकार में किसी वहम का शिकार हो गई हो. हमें इतना कठोर और एहसानफरामोश नहीं होना चाहिए. इस को घर से निकालने से पहले जरा सोचो कि इस ने हमें क्या दिया और बदले में हम से क्या लिया? सिर छिपाने के लिए एक छत और दो वक्त की रोटी. क्या इतने में भी हमें यह महंगी लगने लगी है? जरा कल्पना करो, इस घर को एक वारिस नहीं मिलता तो क्या होता? एक औरत हो कर भी तुम ने दूसरी औरत का दर्द कभी नहीं समझा. तुम को डर है उस औलाद के छिनने का, जिस ने तुम्हारी कोख से जन्म नहीं लिया. जरा इस औरत के बारे में सोचो जो अपनी कोख से जन्म देने वाली औलाद को भी अपने सीने से लगाने को तरसती रही. जन्म देते ही उस के बच्चे को इसलिए उस से जुदा कर दिया गया ताकि लोगों को यह लगे कि उस की मां तुम हो, तुम ने ही उस को जन्म दिया है. इस बेचारी ने हमेशा अपनी जबान बंद रखी है. तुम्हारे डर से यह कभी अपने बच्चे को भी जी भर के देख तक नहीं सकी.

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‘‘इस घर में वह तुम्हारी रजामंदी से ही आई थी. हम दोनों का स्वार्थ था इस को लाने में. मुझ को अपने बाप की जमीनजायदाद में से अपना हिस्सा लेने के लिए एक वारिस चाहिए था और तुम को एक बच्चा. इस ने हम दोनों की ही इच्छा पूरी की. इस घर की चारदीवारी में क्या हुआ था यह कोई बाहरी व्यक्ति नहीं जानता. बच्चे को जन्म इस ने दिया, मगर लोगों ने समझा तुम मां बनी हो. कितना नाटक करना पड़ा था, एक झूठ को सच बनाने के लिए. जो औरत केवल दो वक्त की रोटी और एक छत के लालच में अपने सारे रिश्तों को छोड़ मेरा दामन थाम इस अनजान जगह पर चली आई, जिस को हम ने अपने मतलब के लिए इस्तेमाल किया, पर उस ने न कभी कोई शिकायत की और न ही कुछ मांगा. ऐसी बेजबान, बेसहारा और मजबूर को घर से निकालने का अपराध न तो मैं कर सकता हूं और न ही चाहूंगा कि तुम करो. किसी की बद्दुआ लेना ठीक नहीं.’’

नरेंद्र को लगा था कि बापू के समझाने से बिफरी हुई मां शांत पड़ गई थीं.

लेकिन नरेंद्र उन की बातों को सुनने के बाद अशांत हो गया था.

जानेअनजाने में उस के अपने जन्म के साथ जुड़ा एक रहस्य भी उजागर हो गया था.

अमली चाचा जो बतलाने में झिझक गया था वह भी शायद इसी रहस्य से जुड़ा था.

अब नरेंद्र की समझ में आने लगा था कि घर में रह रही वह औरत जोकि अमली चाचा के अनुसार एक ‘कुदेसन’ थी, दूर से क्यों उस को प्यार और हसरत की नजरों से देखती थी? क्यों जरा सा मौका मिलते ही वह उस को अपने सीने से चिपका कर चूमती और रोती थी? वह उस को जन्म देने वाली उस की असली मां थी.

नरेंद्र बेचैन हो उठा. उस के कदम बरबस उस कोठरी की तरफ बढ़ चले, जिस के अंदर जाने की इजाजत उस को कभी नहीं दी गई थी. उस कोठरी के अंदर वर्षों से बेजबान और मजबूर ममता कैद थी. उस ममता की मुक्ति का समय अब आ गया था. आखिर उस का बेटा अब किशोर से जवान हो गया था.

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