अम्माजी के कान में भनक लग गई थी. वे नाराज हो उठी थीं क्योंकि उन्हें पार्वती फूटी आंख नहीं सुहाती थी जबकि सब से ज्यादा काम वह उन्हीं का करती थी. उन को रोज नहलाधुला कर उन के कपड़े धोती थी. उन के बाल बनाती थी. रोज उन के पैरों में मालिश किया करती थी. उन की नजर में वह बदचलन औरत थी. काश, उस समय वह उन की बातों पर ध्यान दे देती तो आज उसे यह दिन न देखना पड़ता. रोमेश और उस के डर से अम्माजी उसे भगा नहीं पाती थीं वरना वे उसे एक दिन न टिकने देतीं. कुछ ही दिनों में पता चला कि पूजा अपने प्रेमी के साथ, वह सोने का हार ले कर रफूचक्कर हो गई. पार्वती के रोनेधोने के कारण महेश ने शादी के लिए जोड़े हुए रुपए लड़के वालों को दे कर किसी तरह मामले को निबटाया था. परंतु बिरादरी में वह उस की बदनामी तो बहुत कर गई थी. सालभर बाद जब पूजा के बेटी हुई तो भागती हुई सब से पहले वह बेटी के पास पहुंची थी. यहांवहां भाग कर चांदी के कड़े खरीद लाई थी और 5-6 फ्रौक भी खरीद लाई थी. उस की आवाज और चेहरे से खुशी छलकी पड़ रही थी. बोली थी, ‘भाभी, हम नानी बन गए हैं. वह है तो मेरी ही नातिन.’ रीना मुसकरा कर उस को देखती रह गई थी. मन ही मन वह बोली थी, ‘कितनी भोली है बेचारी.’
उस ने पार्वती को 500 रुपए का नोट पकड़ा दिया था. उसे याद आया था कि जब ईशा के बेटा हुआ था तो वह कितनी खुश हुई थी. रोमेश औफिस से आ गए थे. उन्होंने उसे रुपए देते हुए देख लिया था. वे बोले, ‘यह बहुत चालू है. तुम्हें बेवकूफ बना कर अपना मतलब सीधा करती है.’ वह बोल पड़ी थी, ‘रहने भी दीजिए. जरूरत के समय वह हमेशा हाजिर रहती है, यह नहीं देखते आप?’
ये भी पढ़ें-अपहरण नहीं हरण : क्या हरिराम के जुल्मों से छूट पाई मुनिया?
‘ठीक है, यह तुम्हारी दुनिया है, जो ठीक समझो, करो.’ इधर महेश दूसरी औरत के चक्कर में पड़ गया था. वह रोज शराब पीने लगा था. वह पी कर देर रात में आता और हंगामा करता. अकसर पार्वती पर हाथ भी उठाने लगा था. पार्वती सुस्त और अनमनी रहने लगी थी. एक दिन रोमेश रीना से बोले थे, ‘तुम्हारी छम्मकछल्लो आजकल चुपचुप रहती है. शायद किसी परेशानी में है. पूछ लो उस से, यदि पैसों की जरूरत हो तो दे दो.’ ‘नहीं, पैसे की बात नहीं है. महेश और दीप दोनों शराब पीने लगे हैं. महेश किसी दूसरी औरत के चक्कर में भी पड़ गया है.’
रोमेश आश्चर्य से बोले थे, ‘इतनी सुंदर और सलीकेदार औरत होने के बावजूद वह दूसरी पर मुंह मार रहा है.’ पार्वती इधर काम पर आती थी, उधर महेश की प्रेमिका उस के घर पर आ जाती थी. धीरेधीरे उस की हिम्मत बढ़ गई थी. वह उस के घर में ही अपना हक जताने लगी थी. यदि वह कोई शिकायत करती तो महेश पार्वती की पिटाई कर देता था. पार्वती किसी भी तरह अपने और महेश के रिश्ते को बचाना चाहती थी. जब उस का नशा उतर जाता था तो वह पार्वती के पैरों पर गिर कर माफी मांगने लगता था. वह पिघल जाती थी. यह सिलसिला काफी दिन से चल रहा था. वह अपनी परेशानियों में उलझी हुई थी. इधर, दीप भी आवारा लड़कों के साथ चोरी, जुआ, शराब आदि का शौकीन बन गया था. पार्वती के यहांवहां छिपाए हुए पैसे वह चुपचाप गायब कर लेता था और महेश का नाम लगा कर घर में महाभारत मचवा देता था. एक बार उस के नए मोबाइल को देख कर उस ने पूछा था तो बोला, ‘हमारे मालिक ने हमें इसे ठीक करवाने के लिए दिया है.’ एक दिन दीप के पर्स में रुपयों की गड्डी को देख उस का माथा ठनका था, परंतु दीप ने उसे पट्टी पढ़ा दी थी. वह भी ममता की मारी भुलावे में आ गई थी. परंतु एक दिन वह चाल की एक लड़की को फुसला कर ले भागा था.
लड़की नाबालिग थी, उस के पिता ने पुलिस में शिकायत कर दी. पुलिस ने महेश और पार्वती को थाने में ले जा कर पिटाई की और 2 दिन के लिए बंद कर दिया था. 4-5 दिन के अंदर पुलिस ने दीप को ढूंढ़ निकाला था. नाबालिग लड़की को भगाने के जुर्म में दीप को जेल में बंद कर दिया था. महेश की प्रेमिका माधुरी ने अपनी कोशिशों से महेश को छुड़ा लिया था. पुलिस ने पार्वती को भी छोड़ दिया था. अब महेश का घर उस के लिए पराया हो चुका था. उस की सौत माधुरी का हक महेश और उस के घर दोनों पर हो गया था. पार्वती लुटीपिटी रीना के पास पहुंची थी. उस का रोनाबिलखना देख उस का दिल पिघल उठा था. रोमेश के लाख मना करने पर भी उस ने पार्वती को घर पर रख लिया था. वह बहुत खुश थी. रीना को पार्वती के घर पर रहने से बहुत आराम हो गया था. वह उस के घर व बाजार के सारे काम करती थी. उस को यहां रहते हुए लगभग 2 साल हो गए थे. अकसर वह अपने बच्चों और महेश को याद कर के आंसू बहाने लगती थी. यह देख रीना का दिल पिघल उठता था. आज इसी पार्वती की वजह से उस के घर का सुखचैन लुट गया था. शाम ढल चुकी थी. कमरे में अंधेरा छाया हुआ था. उसे बिजली जलाने का भी होश नहीं था. आज उस के जीवन में ही अंधकार छा गया था. वह जब से यहां आई, अपने मुंह में पानी की एक बूंद भी नहीं डाली थी. आज वह बहुत व्यथित थी. जीवन से निराश हो कर उस का मन फूटफूट कर रोने को हो रहा था.
ये भी पढ़ें- कैसी हो गुंजन : उस रात किशन ने ऐसा क्या किया
रोमेश की आवाज से वह वर्तमान में लौट आई थी. वे उसे मोबाइल दे कर बोले, ‘‘लो, त्रिशा का 2 बार फोन आ चुका है, कह रही है, क्या बात है? मां का फोन स्विच्ड औफ आ रहा है. उन की तबीयत तो ठीक है. सुबह यहां से गई थीं तब तो बिलकुल ठीक थीं. उन को फोन दीजिए. वे मुझ से बात करें. गुडि़या बहुत रो रही है.’’ रीना के हैलो बोलते ही त्रिशा खीझ कर बोली थी, ‘‘क्यों मां, पापा मिल गए तो मुझे और मेरी गुडि़या सब को भूल गईं. कम से कम पहुंचने की खबर तो दे देतीं.’’ रीना अपनी बेटी को जानती थी, यथासंभव अपनी आवाज को सामान्य करती हुई बोली थी, ‘‘न बेटा, फ्लाइट में फोन बंद किया था, फिर उसे औन करना ही भूल गई थी. गुडि़या को घुट्टी पिला दो और उस के पेट पर हींग मल दो. पेटदर्द से रो रही होगी,’’ उस ने फोन काट दिया था. सामने खड़े रोमेश का मुंह उतरा हुआ था. वे हाथ जोड़ कर उस से बेटी को कुछ न बताने और कान पकड़ कर माफी का इशारा कर रहे थे.
रीना कशमकश में थी. क्या उस का और रोमेश का इतना पुराना रिश्ता पलभर में टूट जाएगा? वह सिर पर हाथ रख कर चिंतित मुद्रा में ही बैठी थी. रोमेश अपने अनगढ़ हाथों से सैंडविच और दूध बना कर लाए थे, ‘‘रीना, तुम मुझे जो चाहे वह सजा दे दो, लेकिन प्लीज, पहले यह सैंडविच खा लो.’’ रीना को याद आया कि रोमेश तो डायबिटिक हैं और पिछले कई घंटों से उन्होंने कुछ नहीं खाया.
रोमेश बोले थे, ‘‘मुझे 2-3 दिन से बुखार आ रहा था. आज सुबह से मेरे सिर में बहुत दर्द भी हो रहा था, इसलिए नाश्ता भी नहीं किया था.’’ अब रीना ने सिर उठा कर रोमेश पर भरपूर निगाह डाली तो वे काफी कमजोर दिख रहे थे. उन का मासूम चेहरा डरे हुए बच्चे की तरह लग रहा था. सबकुछ भूल कर उस का दिल कसक उठा था. यदि रोमेश को कुछ हो गया तो… उस ने चुपचाप सैंडविच उठा ली थी. रोमेश ने भी सिर झुका कर सैंडविच और दूध पी लिया था. रातदिन मजाक करने वाले हंसोड़ रोमेश को चुप और गुमसुम देख उसे अटपटा लग रहा था. परंतु आज वह मन ही मन एक निश्चय कर चुकी थी. वह आहिस्ताआहिस्ता अलमारी से अपना सामान हटा कर दूसरे बैडरूम में ले जा रही थी. वह रोमेश की परछाईं से भी इस समय दूर जाना चाह रही थी. रोमेश की उदास और पनीली आंखें चारों तरफ उस का पीछा कर रही थीं. आज रीना दुनिया में बिलकुल अकेली हो चुकी है, जहां कोई ऐसा नहीं था जिस से वह अपने दर्द को कह कर अपना मन हलका कर सके. उसे घुटन महसूस हो रही थी. उस को अपनी दुनिया सूनी और वीरान लग रही थी. पीछे से रोमेश की धीमी सी आवाज उस के कानों में पड़ी थी, ‘डियर, तुम्हारे बिना मेरा टाइमपास कैसे होगा?’ आज उस के बढ़ते कदम नहीं रुके थे. वह रोमेश को अनदेखा कर के दूसरे बैडरूम की ओर चल पड़ी थी.