तो आसान होगी तलाक के बाद दूसरी शादी

2017 में पति अरबाज खान से तलाक ले चुकी फिल्म अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा ने हाल ही में अपने 17 वर्षीय बेटे अरहान का जन्मदिन मनाया. 46 वर्षीय मलाइका फिलहाल अपने बौयफ्रैंड अर्जुन कपूर के साथ रिलेशनशिप में हैं और दोनों जल्द ही शादी प्लान करने की सोच रहे हैं.

एक वैबसाइट को दिए इंटरव्यू में मलाइका ने बताया कि तलाक के बाद दोबारा प्यार पाना उन के लिए बहुत खास है. उन के मुताबिक यह एक कमाल की फीलिंग है क्योंकि जब शादी टूट रही थी, वे नहीं जानती थीं कि दूसरी बार उन्हें इस रिश्ते में जाना है या नहीं. बहरहाल उन्हें खुशी है कि उन्होंने अपनेआप को दोबारा यह मौका दिया और सही फैसला लिया. उन के अनुसार तलाक के बाद दूसरी शादी एक औरत का नितांत निजी निर्णय है जिस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

यह सही है कि तलाक के बाद किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव आ जाता है खासकर औरतों की जिंदगी तो लगभग पूरी तरह से बदल जाती है क्योंकि संबंधविच्छेद द्वारा पति की ओर से मिलने वाली तकलीफों से तो वे आजाद हो जाती हैं परंतु दूसरी परेशानियां इस कदर बढ़ जाती हैं मानो ंिंजदगी में कोई भूचाल आ गया हो. ऐसे में तलाकशुदा स्त्री अगर दूसरी शादी के बारे में सोचती है तो यकीनन उस की दिक्कतें और बढ़ जाती हैं.

आज के दौर में तेजी से होते तलाक इतना गंभीर विषय नहीं जितना कि इस के बाद तलाकशुदा स्त्री की जिंदगी में होने वाली परेशानियां हैं. निम्न केस इस मसले पर महत्त्वूपर्ण प्रकाश डाल सकते हैं:

नीरा के तलाक को 2 साल हो चुके हैं. पति की बेवफाई ने उसे जिंदगी के मझधार पर ला कर खड़ा कर दिया है. 15 वर्षीय बेटी शैली की मां नीरा को अब बेटी के साथ ही अपने भविष्य की भी चिंता सता रही है. तलाक की कानूनी प्रक्रिया में उलझ कर उस ने एक तरफ जहां समय की बरबादी झेली है वहीं दूसरी ओर अपना मानसिक सुकून भी खोया है. फिलहाल वह एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी कर रही है. लेकिन भविष्य की असुरक्षा कई बार उस के मन को बेचैन कर देती है. वह दूसरी शादी की इच्छुक है, मगर जानती है कि दूसरी शादी का यह सफर उतना आसान भी नहीं.

पिंक सिटी जयपुर की निवासी कोमल गुप्ता के तलाक की मुख्य वजह उस के पति का हिंसक रवैया था. यहां तक कि अंतरंग पलों में भी उसे अपने पति के वहशीपन को झेलना पड़ता था. तलाक की बोझिल प्रक्रियाओं से गुजरती कोमल भीतर ही भीतर टूट चुकी है. उसे अब किसी सहारे की दरकार है. मगर 8 साल के बच्चे आशू के साथ उसे कोई अपना सकेगा, इस पर उसे संशय है.

नीरा और कोमल की तरह कई महिलाएं हैं, जो किसी न किसी मजबूरी के चलते पति से तलाक ले कर अलग तो हो गई हैं, किंतु आगे की जिंदगी का सफर उन के लिए बेहद दुष्कर प्रतीत होता है. वे बच्चों के भविष्य के साथसाथ अपने भविष्य के प्रति भी शंकित हैं.

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तलाक के बाद होने वाली परेशानियां

हेयदृष्टि वाली सामाजिक मानसिकता:

भले ही हमारा सामाज आज तकनीकी ज्ञान व रहनसहन, पहनावे आदि से काफी आधुनिक हो चुका है पर सच तो यह है कि उस की सोच आज भी सदियों पुरानी है. यही कारण है कि तलाकशुदा महिलाओं को आज भी हेयदृष्टि से देखा जाता है फिर चाहे वह किसी भी वर्ग से क्यों न हो. उसे तेजतर्रार, बेशर्म व चालाक औरत की पदवी दी जाती है मानो उस ने बड़ी खुशी से अपने पति से तलाक का चुनाव किया हो.

व्यक्तिगत जीवन में ताकझांक:

समाज में स्त्रीपुरुष के दोहरे मानदंड के चलते अकसर स्त्रियों को ही तलाक के लिए पूर्णरूपेण दोषी करार दिया जाता है. उन की तकलीफ समझना तो दूर लोग उन पर तंज कसने से भी बाज नहीं आते. तलाक को ले कर गाहेबगाहे उन्हें पासपड़ोस, नातेरिश्तेदारों के कटाक्षों का सामना करना पड़ता है. वैसे भी हमारा तथाकथित सभ्य समाज एक पुरुष के मुकाबले स्त्री के व्यक्तिगत जीवन में ज्यादा दिलचस्पी रखता है. ऐसे में जाहिर सी बात है उस की पर्सनल लाइफ में लोगों की ताकझांक अधिक कुतूहल और चर्चा का विषय बन जाती है.

आर्थिक निर्भरता:

चूंकि आज भी ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से पति पर ही निर्भर हैं लिहाजा तलाक के बाद भी अपने भरणपोषण के लिए उन्हें अपने पति की ओर देखना पड़ता है. कोर्ट द्वारा पति से दिलवाया गया गुजाराभत्ता कई बार उन के खर्चों के लिए नाकाफी होता है.

शारीरिक व मानसिक शोषण:

तलाकशुदा औरतों का उन के वर्कप्लेस पर शारीरिक व मानसिक शोषण होने की बहुत गुंजाइश होती है. पुरुषप्रधान समाज होने से बिना मर्र्द वाले घर की औरतें सभी के लिए आसान शिकार मानी जाती हैं, जिन्हें थोड़ी सी हमदर्दी दिखा कर कोई भी बड़ी सहजता से हासिल कर सकता है. लिहाजा घर में नातेरिश्तेदार तथा बाहर बौस की ललचाई नजरें तलाकशुदा स्त्री पर विचरती ही रहती हैं. इस तरह महिलाओं को हर कदम फूंकफूंक कर रखना पड़ता है.

बढ़ती जिम्मेदारियां:

जिस तरह 2 पहियों की गाड़ी अपने बोझ को आसानी से उठा पाने में सक्षम होती है उसी तरह पतिपत्नी भी मिल कर सहजता से अपनी गृहस्थी की गाड़ी को चला लेते हैं जबकि अकेली स्त्री के लिए गृहस्थी की पूरी जिम्मेदारियां संभालना इतना आसान नहीं है. घरबाहर के काम, बच्चों की परवरिश, आमदनी का जुगाड़ करतेकरते उस की हालत खराब होने लगती है. ऐसे में बढ़ती जिम्मेदारियों का दबाव उस के तलाकशुदा जीवन को मुश्किलों में डाल देता है.

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दूसरी शादी में आने वाली अड़चनें:

पुरुषवादी सोच का गुलाम हमारा समाज आज भी तलाकशुदा स्त्री को संदेह की नजर से देखता है. इसलिए उस के साथ वैवाहिक संबंध जोड़ने से पहले अपने स्तर पर तलाक के कारणों की जांचपड़ताल की जाती है कि तलाक का जो कारण था वह वाजिब था या नहीं. ऐसे में तलाकशुदा महिला के चरित्र पर भी कई सवाल उठ खड़े होते हैं जिन से उस की परेशानियां बढ़ जाना लाजिम है.

मगर कहते हैं जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों की क्या गिनती यानी जब तलाक लेने का तय कर ही लिया तो उस के बाद आने वाली मुश्किलों से घबराना कैसा.

शादी के 7 सालों बाद अपने पति से तलाक ले चुकी रीना तलाक के बाद की जिंदगी पर खुल कर अपने विचारों को साझा करती है. उस के मुताबिक तलाक के बाद का जीवन कठिन है पर नामुमकिन नहीं. वैसे भी तलाक से पहले उस का जीवन एक दर्दभरी दास्तां के अलावा कुछ नहीं था. पति और ससुराल वालों ने उस का व बच्ची का जीना मुहाल कर रखा था. वह कभी अपने पति के पास लौटने को तैयार नहीं है. अपनी 6 साल की बच्ची के साथ अपने जीवन को खुशीखुशी जीना चाहती है. रीना दूसरी शादी की भी इच्छा रखती है बशर्ते उस की बच्ची को पिता का प्यार मिले. पर शादी के नाम पर अपनी स्वतंत्रता को गिरवी रख देना अब उसे गवारा नहीं है.

तलाकशुदा होना कोई गुनाह नहीं. किसी वाजिब कारण से यदि आप ने तलाक ले ही लिया है तो जिंदगी को बदनुमा दाग की तरह नहीं बल्कि प्रकृति की अनमोल देन मान कर जीएं. अपने सकारात्मक रवैए से आने वाली चुनौतियों का हंस कर मुकाबला करें और अबला नहीं बल्कि सबला बन कर समाज में अपने वजूद, अपनी गरिमा को बनाएं. निम्न उपाय इस काम में आप की सहायता कर सकते हैं:

भविष्य की प्राथमिकताएं तय करना:

बिना किसी दबाव के अपने भविष्य की प्राथमिकताओं को तय करें. याद रखें जिंदगी आप की है तो उसे जीने का सलीका और तरीका भी आप का ही होगा. सोचसमझ कर जिंदगी को दूसरा मौका दें और बिना घबराए अपने लक्ष्य की ओर चलने का प्रयास करें.

सकारात्मक सोच हो भविष्य की:

कभीकभी ऐसा होता है कि 2 व्यक्ति एकसाथ नहीं रह पाते, मगर इस का मतलब यह तो नहीं कि जिंदगी खत्म हो चुकी है. जिंदगी हमेशा दूसरा मौका देती है और वह भी पहले से बेहतर. अत: लोग क्या कहेंगे इस बात को दिल से निकाल दें और उन के द्वारा की जा रहीं टीकाटिप्पणियों पर ध्यान न दें क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना. अत: सकारात्मक हो कर जीवन को नए सिरे से जीने की कोशिश करें.

आत्मनिर्भर बनें:

आर्थिक रूप से अपने आप को मजबूत बनाने की कोशिश करें. अपनी पढ़ाई व प्रतिभा अनुसार रोजगार के अवसर तलाशें और अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास करें.

बच्चे के साथ मजबूत ब्रैंड:

कितनी भी परेशानियां हों बच्चे को नजरअंदाज न करें. उस के साथ खुशियों भरे पल जरूर बिताएं. इस से बच्चे के साथ आप का रिश्ता भी मजबूत होगा और आप स्वयं सकारात्मक ऊर्जा से भर उठेंगी. कोईर् भी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले बच्चों को विश्वास में लेना जरूरी है अन्यथा उन का रोष या उदासीनता आप के किसी भी निर्णय पर भारी पड़ सकती है. अत: बच्चों के साथ मजबूत बौंड बनाएं.

आत्मविश्वास बढ़ाएं:

आप ने कुछ गलत नहीं किया बल्कि आप के साथ जो गलत हो रहा था आप ने उस का विरोध कर अपना मानसिक बल दिखाया है. भले ही समाज कुछ देर से आप के नजरिए को सही माने मगर आप स्वयं हमेशा अपने साथ खड़ी रहें अर्थात अपने को बेवजह के आरोपों और दोषों से मुक्त कर खुली हवा में सांस लें और अपने हर फैसले पर विश्वास रखें.

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करिए वही जो आप को लगता है सही:

तलाक के बाद अकेले रहना है या खुद को दूसरा मौका दे कर शादी करनी है आप का अपना फैसला होना चाहिए. कठिनाइयों के डर से पीछे न हटें बल्कि पूरी मुस्तैदी से उठ खड़ी हों अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान करने हेतु क्योंकि लोग भी उन्हीं का साथ देते हैं जो अपने लिए खड़े होने का जज्बा रखते हैं. इसलिए यदि आप हैं तैयार तो आसान होगा तलाक के बाद दूसरी शादी का सफर भी.

Festive Season में यूं सजाएं घर

त्योहारों की बात हो और घर को सजाने का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि त्योहारों के लिए बाहर जा कर शौपिंग करने व घर को सजाने से न सिर्फ हमारा मूड ठीक होता है, बल्कि घर भी खूबसूरत बनता है. लेकिन इन त्योहारों पर आप को थोड़ा संभलना होगा और अपने कदमों को घर तक ही सीमित रख कर   घर के नए मेकओवर के बारे में सोचना होगा क्योंकि तीसरी लहर की चेतावनी जो है.

ऐसे में हम आप को कुछ टिप्स बताते हैं, जिन से आप भी सुरक्षित व आप घर बैठे अपने घर को खूबसूरत बना कर उसे सैंटर औफ अट्रैक्शन बना सकती हैं. तो जानिए उन टिप्स के बारे में:

पोजीशन चेंज करें

जब भी घर को नया लुक देने की बात आती है तो या तो हमारे दिमाग में घर के इंटीरियर को चेंज करने की बात आती है या फिर घर में रखे फर्नीचर को बदलने के बजाय उस की जगह को बदलने की क्योंकि इस से भले ही चीजें वही होती हैं, लेकिन उन की जगह बदलने से घर फिर दोबारा से नया सा लगने लगता है. ऐसे में इन त्योहारों पर घर से बाहर जाना इतना सेफ नहीं है, तो इंटीरियर के आइडिया को इस बार छोड़ना ही आप के लिए फायदेमंद रहेगा.

ऐसे में आप अपने लिविंगरूम व बैडरूम की सैटिंग को चेंज कर के घर को दे सकती हैं नया लुक. सिर्फ सैटिंग ही चेंज न करें, बल्कि सोफे को नया लुक देने के लिए भी उस के स्टाइलिश डिजाइनर औनलाइन कवर्स खरीदें.

आजकल कुशंस का काफी ट्रैंड हैं, ऐसे में आप अपने बैड पर स्टाइलिश चादर के साथ छोटेछोटे कुशंस लगा कर रूम के लुक को चेंज करने के साथसाथ अपने बैड को भी नया लुक दे सकती हैं. बस आप को यह देखना है कि सैटिंग कैसे करें, ताकि आप का घर बड़ा भी लगे और खूबसूरत भी.

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वौल स्टीकर से सजाएं दीवारों को

अगर आप के घर की दीवारें कई जगह से गंदी हो रही हैं और आप यह सोच रही हैं कि अभी माहौल ऐसा नहीं है कि घर में सफेदी करवाई जाए तो आप घर की उन जगहों को ढकने के साथसाथ दीवारों को सुंदर दिखाने के लिए वौल स्टीकर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस के लिए औनलाइन आप को बैस्ट विकल्प मिल जाएंगे. आप दीवार के लिए आजकल ट्रैंड में चल रहे मधुबनी वौल स्टीकर, थ्री डी वौल स्टीकर, नेचर को रिप्रैजेंट करने वाले वौल स्टीकर, छोटे से ले कर बड़े वौलपेपर से आप अपने घर को खुद सजा सकती हैं.

बस जब भी इन्हें खरीदें तो साइज को अच्छे से देखने के बाद ही खरीदें. इन स्टीकर्स की खास बात यह है कि इन्हें आप खुद भी आसानी से लगा सकती हैं. ये पौकेट फ्रैंडली होने के साथसाथ आप के घर को कूल लुक देने का भी काम करते हैं.

बालकनी को सजाएं यों

अगर आप नेचर लवर हैं और आप को अपनी बालकनी को पौधों से सजाने का शोक है तो आप का यी शौक ही आप की बालकनी को इन त्योहारों पर खूबसूरत लुक देने का काम करेगा. इस के लिए आप ने जो भी गमले पहले से लगाए हुए हैं, उन्हें कलर्स से रंग कर नया लुक दे सकती हैं, जिस से आप की बालकनी खिल उठेगी. आप औनलाइन भी खूबसूरत गमले खरीद सकती हैं.

लेकिन पहले आप अपने पुराने गमलों को खूबसूरत बना कर उन्हें नया बनाने की कोशिश करें क्योंकि इस से आप का बजट भी नहीं बिगड़ेगा और आप की क्रिएटिविटी से इन त्योहारों पर आप की बालकनी को भी खूबसूरत लुक मिल जाएगा. आप अपनी बालकनी की ग्रिल्स को भी खुद से रंग कर उन्हें नया जैसा लुक दे सकती हैं. यहां तक कि आप इंडोर प्लांट लगे गमलों को खुद सजा कर लिविंगरूम की शोभा को भी बढ़ा सकती हैं.

नए परदों से नया लुक

कहते हैं कि अगर घर को नया लुक देना हो तो सब से पहले घर के परदों में बदलाव लाना चाहिए क्योंकि परदे घर में नई जान डालने का काम जो करते हैं. ऐसे में आप तुरंत औनलाइन परदे न खरीद लें, बल्कि पहले सर्च करें कि आजकल कौन से परदे ट्रैंड में चल रहे हैं. यह भी देखें कि आप के घर का इंटीरियर व वौल पेंट कैसा है कि आप के पूरे घर में एक जैसे परदे अच्छे लगेंगे या फिर कंट्रास्ट में परदे डालना ज्यादा अच्छा लगेगा.

वैसे आप को बता दें कि ज्यादा भारी व मोटे परदे एक तो आप के घर में अंधेरा रखने का काम करते हैं साथ ही इन से घर थोड़ा छोटा भी लगता है और ये ज्यादा महंगे भी होते हैं.

ऐसे में आप अपने घर में हलके, कलरफुल, मिक्समैच करते, एर्थ टोन्स, ऐक्सोटिक प्रिंट्स, पैटर्न प्रिंट्स, बोल्ड स्टेटमैंट कलर्स का चयन कर सकती हैं क्योंकि ये आंखों को अच्छा लगने के साथसाथ घर को खूबसूरत तो दिखाते ही हैं साथ ही काफी कंफर्ट फील भी देते हैं. आप अगर रूम में खूबसूरती के मकसद से ही परदे डाल रही हैं तो आप नेट, लेयर्स, रफ्ल वाले परदों का भी चुनाव कर सकते हैं.

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इन्हें खरीदने के लिए आप को मार्केट नहीं जाना, बल्कि औनलाइन इन्हें साइज के हिसाब से खरीद सकती हैं क्योंकि इस से एक तो आप को घर बैठे सामान मिल जाएगा और दूसरा पसंद नहीं आने पर इन्हें बदलने का भी औप्शन जो रहता है.

सैंटर टेबल को सजाएं रोज पेटल्स से

घर में लिविंगरूम ही वह जगह होती है, जहां लोगों का ध्यान सब से ज्यादा जाने के साथसाथ यह जगह घर की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करती हैं. ऐसे में आप को सिर्फ अपने सोफे पर ही ध्यान नहीं देना है, बल्कि सैंटर टेबल को भी सजाने की जरूरत होगी ताकि आप का कमरा पौजिटिव वाइब्स देने के साथसाथ खिल उठे. इस के लिए आप अपनी सैंटर टेबल को रोज पेटल्स से सजा सकती हैं. उस के सैंटर में कांच का छोटा सा फ्लौवर पौट लगा कर उस के आसपास गुलाब की पत्तियों से सजा सकती हैं या फिर आप टेबल पर खूबसूरत सी वुडन टोकरी ले कर उस में कलरफुल आर्टिफिशियल फ्लौवर डाल कर बीच में कैंडिल लैंप या दिया लगाएं.

यह आप की सैंटर टेबल को फ्रैश फील देने के साथसाथ त्योहारों के लिए भी रेडी करेगा. अगर आप ने लिविंगरूम में शोकेस भी रखा हुआ है तो आप उस पर छोटेछोटे शोपीस, छोटेछोटे टेडी बीयर या फिर अगर ओपन शोकेस है तो आप उस पर वाटरफौल शोपीस भी लगा सकती हैं. अगर आप इस तरह से रूम को सजाएंगी तो आप की नजर ही आप के घर से नहीं हटेगी.

लाइटिंग भी हो खास

त्योहारों पर घर व बाहर लाइटिंग का खास महत्त्व होता है. इस के लिए लोग कई दिन पहले से तैयारी करनी शुरू कर देते हैं. तो आप भी पीछे न रहें, बल्कि इन त्योहारों पर अपने घर को कम बजट में बैस्ट लाइटिंग विकल्पों के साथ सजाएं. इन के लिए आप सोलर पावर स्ट्रिंग लाइट्स लगवा सकती हैं. इस के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती है, बल्कि यह इंटरनल बैटरी से औपरेट होती हैं. ये लाइट्स बाहर की सजावट जैसे गार्डन, प्लांट्स को सजाने के लिए उपयुक्त होती हैं.

वहीं मल्टी कलर एलइडी लाइट्स से भी आप अपने घर की खूबसूरती को बढ़ा सकती हैं. आप लेजर लाइट प्रोजैक्टर से भी लाइटिंग कर सकती हैं. यहां तक कि आप लाइट फैस्टिवल पर ग्लो स्टिक्स से घर में लाइट कर सकती हैं. ये वन टाइम होती हैं. इन्हें जलाते ही ये कलरफुल स्टिक्स अपनेआप जलना शुरू हो जाती हैं.

अलग अंदाज में सजाएं मेन गेट को  

जब कोई त्योहारों पर घर में आता है तो उस की पहली नजर ही दरवाजे पर पड़ती है और इस की सजावट घर में पौजिटिविटी लाने का भी काम करती है.

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ऐसे में जब बात हो घर के मेन गेट को सजाने की तो आप हाथ से तरहतरह की चीजें बना कर उन से दरवाजे को सजा सकती हैं. आप लो बजट में भी सुंदर बंदरवाल खरीद कर अपने मैन गेट को खूबसूरत बना सकती हैं. आप मेन गेट के कौर्नर पर खूबसूरत सा फ्लौवर पौट और उस पर लाइटिंग कर के या फिर उसे रिंबस से सजा कर भी डैकोरेट कर सकती हैं. इस से आप का घर अंदर व बाहर दोनों जगहों से खूबसूरत दिखेगा.

REVIEW: साधारण लेखन व निर्देशन ‘सुमेरू’

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः पद्मसिद्ध फिल्मस

निर्देशकः अविनाश ध्यानी

कलाकारः अविनाश ध्यानी, संस्कृति भट्ट, शगुफ्ता अली, अभिषेक मंडोला,  सुरूचि सकलानी, प्रशिल रावत, सतीश शर्मा, माधवेंद्र सिंह रावत

अवधिः एक घंटा 58 मिनट

फिल्मों में अलग अलग परिवेश में प्रेम के कई रंग पेश किए जाते रहे हैं. इस बार अभिनेता, लेखक व निर्देशक अविनाश ध्यानी अपनी नई फिल्म ‘‘सुमेरू’’ में पहाड़ों में हिमस्खलन व भीषण ठंड के बीच एक अलग तरह की प्रेम कहानी के साथ पिता व पुत्र के बीच भावनात्मक संबंधो को उकेरा है. फिल्म एक अक्टूबर को महाराष्ट् और केरला के अलावा देश के अन्य हिस्सों के सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई है.

कहानीः

सूरत के उद्योगपति मल्होत्रा की बेटी सावी मल्होत्रा (संस्कृति भट्ट) की सगाई रोमी(प्रशिल रावत) से हो चुकी है. लेकिन अंदर से सावी, रोमी की हरकतों से खुश नही है. दोनों डेस्टीनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र हर्षिल में लोकेशन देखने जाते हैं. हर्ष िाल की बाजार पहुंचने पर रोमी को जगह पसंद नही आती, पर सावी को अपने मंगेतर का उस जगह फाइव स्टार होटल की तलाश की बात पसंद नहीं आती और वह रोमी को कार के पास अकेला छोड़कर पैदल चल देती है. सावी नीरस और अनपेक्षित जीवन शैली से तंग आ चुकी है और इससे मुक्त होना चाहती है. घने जंगल से गुजरते हुए सावी एक जंगली जानवर के कराहने की आवाज से डरती है और गाना गाते हुए दौड़ने लगती है, क्योंकि उसकी माँ ने उसे सिखाया था कि डर लगन पर गाना गाने से डीर दूर हो जाता है. अचानक सावी की मुलाकात एक हरियाणवी लड़के भांवर प्रताप सिंह (अविनाश ध्यानी) से होती है, जो अपने पिता के  अवशेषों की तलाश में सुमेरु नामक पर्वत की तरफ जा रहा है.

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भांवर प्रताप सिंह के पिता मांउटेरियन रहे हैं और वह हर वर्ष पहाड़ों पर ट्ैकिंग करने जाते थे. उसे उनकी अंतिम लाकेशन सुमेरू पर्वत की ही मिली है, जहां हिमस्खलन में मृत्यु हो गई थी. भांवर प्रताप सिंह , सावी को जंगल में गाना गाते हुए देख उसे भूतनी समझता है. पर दोनोें मिलते हैं और दोनों के बीच  तीखी नोकझोंक होती है. उसके बाद सावी रात भर के लिए मदद मांगती है और दोनों साथ चलने लगते हैं. सुमेरू पर्वत तक पहुॅचने तक दोनों एक दूसरे की खोज करते हैं. सावी खुद की भी तलाश कर रही है. राह में दोनों ठंड व हिमस्खलन में एक-दूसरे का भावनात्मक सहारा बनते हैं. अंततः दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं, पर इस बात को कोई स्वीकार नही करता. पिता   अवशेषों को पाने के बाद उनका वहीं अंतिम संस्कार कर दोनों वहां से वापसी करते हैं. सावी सूरत और भांवर प्रताप सिंह हरियाणा रवाना होते हैं. पर प्यार अपना रंग दिखाएगा ही.

समीक्षाः

लेखक, निर्देशक व अभिनेता अविनाश ध्यानी का लेखन व निर्देशन अति साधारण है. इस कहानी को मंुबई या दिल्ली किसी जगह की पृष्ठभूमि पर कहा जा सकता था. लेकिन उत्तराखंड का निवासी होते हुए भी अविनाश ध्यानी पहाड़,  हिस्खलन, जंगल और वहां के निवासी इन सभी को फिल्म की कहानी के साथ सही अर्थों में जोड़ नहीं पाए. जबकि गुजरात की लड़की व हरियाणा के लड़के का उन पहाडो व जंगलो में एक साथ होना जहां लगातार बर्फबारी हो रही हो, तो उनके साथ आने वाली समस्याओं, उस क्षेत्र में रहने वालों के साथ इन दो किरदारों के व्यवहार व रिश्ते सहित कहानी में कई रोचक घटनाक्रम जोड़ जा सकते थे. मगर लेखक व निर्देशक यह सब करने में चूक गए. यहां तक कि भांवर प्रातप सिंह का अपने पिता के साथ के संबधों को चित्रित करने की बजाय  महज संवादों में बयंा कर दिया गया. यह भी लेख व निर्देशक की कमजोरी है. फिल्म की गति भी काफी धीमी है. एडीटिंग टेबल पर इसे कसे जाने की जरुरत थी. फिल्म में एकरसता है. दो तीन संवादों को छोड़कर एक भी संवाद दर्शक को अपनी तरफ आकर्षित नही करते.

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अभिनयः

भांवर प्रताप सिंह के किरदार में अविनाश ध्यानी अपना प्रभाव छोड़ने में विफल रहे हैं. सावी के किरदार में  संस्कृति भट्ट खूबसूरत जरुर लगी हैं, मगर अभिनय के मसले पर उन्हें काफी मेहनत करने की जरुरत है. उनमें अभिनेत्री वाले गुण नही है. उनके चेहरे पर कोई भाव ही नही आते. केवल हंसती रहती हैं. शमैरा के छोटे किरदार में शगुफ्ता अली अपनी उपस्थिति दर्ज करा जाती हैं. अन्य सह कलाकार ठीक ठाक हैं.

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रुपाली गांगुली (Rupali Ganguli) और सुधांशू पांडे स्टारर टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी और भी ट्विस्ट एंड टर्न्स से भरने वाली है. जहां वनराज और बा, अनुज कपाड़िया (Gaurav Khanna)  को अनुपमा की जिंदगी से दूर करने का प्लान बनाएंगे तो वहीं किंजल की मां राखी दवे, अनुपमा के खिलाफ साजिश करेगी. इसी बीच सोशलमीडिया पर वायरल एक वीडियो में अनुपमा और अनुज दुनिया की चालों से बेखबर रोमांस करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

अनुपमा का पल्लू पकड़े नजर आए अनुज

 

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जल्द ही अनुपमा अपने सपनों की उड़ान भरने वाली है, जिसके चलते वह बेहद खुश है. वहीं वीडियो में अनुपमा यानी रुपाली गांगुली (Rupali Gaguli) सज-धजकर घूमती नजर आ रही हैं. वहीं इस दौरान अनुपमा के कपड़ों से मैचिंग कपड़े पहनकर अनुज यानी गौरव खन्ना (Gaurav Khanna) अनुपमा का पल्लू पकड़े नजर आ रहे हैं. इस दौरान बैकग्राउंड में फिल्म ‘शेरशाह’ का रोमांटिक सॉन्ग ‘ये रातां लंबियां लबियां रे…’ बज रहा है. अनुज-अनुपमा की ये औफस्क्रीन कैमेस्ट्री देखकर फैंस जहां दोनों की तारीफें कर रहे हैं तो वहीं सीरियल में भी ऐसा ही रोमांस दिखाने की बात करते नजर आ रहे हैं.

 

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अनुपमा की कहानी में आएंगे नए ट्विस्ट

 

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औफस्क्रीन कैमेस्ट्री से अलग सीरियल में अनुज, अनुपमा से प्यार का इजहार ना कर पाने का पछतावा करता नजर आ रहा है. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा, वनराज के तानों से तंग होगी. लेकिन अनुज उसे भूमि पूजन का कार्ड दिखाकर खुश कर देगा. वहीं दोनों इस पूजा में साथ में बैठेंगे, जिसे देखकर वनराज का खून खौल उठेगा. दूसरी तरफ समर गुंडों के बीच फंसकर मुसीबत में पड़ जाएगा. हालांकि वनराज और अनुज दोनों उसकी मदद करने की कोशिश करेंगे. अब देखना होगा कि अनुपमा की जिंदगी में और कौनसे नए ट्विस्ट दर्शकों को देखने को मिलेंगे.

 

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नही रहे Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah के नट्टू काका, 77 साल की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा

साल 2020 से लेकर 2021 तक एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से बुरी खबरों का सिलसिला जारी है. बीते साल अपनी बीमारी को लेकर सुर्खियों में रहने वाले टीवी के मशहूर सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा के नट्टू काका उर्फ घनश्याम नायक का निधन हो गया, जिसके चलते फैंस सदमें में हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

निर्माता ने दी जानकारी

दरअसल, एक्टर घनश्याम नायक 77 साल की उम्र में कैंसर से बीमार थे, जिसके चलते उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई वहीं बीते दिन उनका निधन हो गया. इस खबर की जानकारी तारक मेहता का उल्टा चश्मा के निर्माता असित मोदी ने ट्वीट कर दी. उन्होंने लिखा, ‘हमारे प्यारे नट्टू काका, हमारे साथ नहीं रहे. परम कृपालु परमेश्वर उन्हें अपने चरणो में स्थान दे और परम शांति दे. उनके परिवार को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे.नट्टू काका हम आपको नहीं भूल सकते.’ ट्विट होते ही नट्टू काका के फैंस काफी दुखी नजर आए, जिसका सोशलमीडिया पर उनके लिए शेयर किए गए पोस्ट से लगाया जा सकता है.

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टीम ने दी श्रद्धांजलि

नट्टू काका यानी घनश्याम नायक के निधन की खबर मिलते ही जहां फैंस ने उन्हें श्रद्धांजलि दी तो वहीं सीरियल के सितारे यानी बबीता जी ने भी सोशलमीडिया पर उनके लिए एक पोस्ट शेयर किया. वहीं  शो का अटूट हिस्सा रहीं दया भाभी यानी दिशा वकानी ने भी सोशल मीडिया के जरिए घनश्याम नायक को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा – ‘आप हमेशा याद आएंगे नट्टू काका, ओम शांति.’

मरते दम तक एक्टिंग से जुड़े रहना चाहते थे नट्टू काका

बीते दिनों एक इंटरव्यू में नट्टू काका यानी घनश्याम नायक ने अपनी कैंसर से लड़ने की जर्नी बताते हुए कहा था कि वह मरते वक्त मेकअप लगाकर जाना चाहते हैं, जिससे उनका एक्टिंग से प्यार साफ नजर आता है. सीरियल में उनके रोल को फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं जेठालाल संग उनकी कैमेस्ट्री के फैंस दिवाने हैं, जिसके चलते सोशलमीडिया पर अक्सर दोनों की वीडियो वायरल होती रहती है.

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उलझन: टूटती बिखरती आस्थाओं और आशाओं की कहानी

social story in hindi

False Ceiling से अपने घर को करें जगमग

“फाल्स सीलिंग” का शाब्दिक अर्थ है “बनावटी छत” अर्थात ऐसी छत जो केवल देखने के लिए हो. इसे फाल्स कहे जाने का कारण है कि इसे घर की ईंट और सीमेंट की आर सी सी से बनी वास्तविक छत के नीचे जिप्सम बोर्ड और टीन के एंगल द्वारा बनावटी रूप से बनाया जाता है. इसीलिए इसे ड्राप सीलिंग भी कहा जाता है. कुछ समय पूर्व तक इस प्रकार की सीलिंग केवल अभिजात्य वर्गीय घरों में ही बनाई जाती थी परन्तु आजकल यह हर घर के इंटीरियर का प्रमुख हिस्सा हो गईं हैं. यह सही है कि फाल्स सीलिंग घर की खूबसूरती में चार चांद लगा देतीं हैं परन्तु कई बार ये बजट में नहीं होतीं तो ऐसी स्थिति में आप केवल ड्राइंग रूम या केवल हॉल में भी फाल्स सीलिंग करवा सकते हैं. फाल्स सीलिंग की कीमत का निर्धारण प्रति स्क्वेयर फिट और डिजाइन के अनुसार होता है. अर्थात जितनी अधिक डिजाइन और जगह वाली सीलिंग उतनी अधिक कीमत.

कैसी कैसी सीलिंग

-जिप्सम फाल्स सीलिंग

एल्युमिनियम के एंगल्स के द्वारा जिप्सम के बोर्ड को छत पर फिक्स किया जाता है. ये जिप्सम सीट वजन में हल्की, साउंड प्रूफ और फायर प्रूफ होती हैं. इन सीट्स को पुट्टी  की परत से कवर करके पेंट, वाल पेपर, वुड और टेक्सचर के द्वारा सजाया जाता है. इनके अंदर कोप लाइट लगाई जाने से घर के सौंदर्य में चार चांद लग जाते हैं. वर्तमान में यह सर्वाधिक लोकप्रिय फाल्स सीलिंग है.

-वुडन फाल्स सीलिंग

इस प्रकार की सीलिंग पहाड़ी क्षेत्र में सर्दी से बचाव के लिए की जाती है.परन्तु यह खर्चीली अधिक होती है इसलिए कम प्रचलित है.

-प्लास्टर ऑफ पेरिस फाल्स सीलिंग

इस प्रकार की सीलिंग पूरी छत पर अलग से परत न बनाकर केवल बीच में और छत के किनारों पर डिजाइन बनाकर की जाती है यह बहुत कम खर्चीली होती है इसलिए कम बजट में भी आप अपने घर को इसे करवाकर सुंदर बना सकते हैं.

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क्यों कराएं फाल्स सीलिंग

-फाल्स सीलिंग करवाने से छत की ऊंचाई 4 से 5 फ़ीट तक कम हो जाती है जिससे कमरे की बीम्स, और दोष आदि पूरी तरह से छुप जाते हैं, सीलिंग में लगी कोप लाइट्स कमरे को भव्य लुक प्रदान करती हैं.

-फाल्स सीलिंग मूल छत के ऊपर एक परत प्रदान करती है जिससे छत पर धूप का सीधा प्रभाव नहीं पड़ता इससे गर्मी के मौसम में कमरे के तापमान में कमी हो जाती है और ए सी की क्षमता बढ़ जाती है.

-फाल्स रूफ में छोटी छोटी एल ई डी लाइट्स का प्रयोग किया जाता है जिससे ऊर्जा की खपत में काफी कमी हो जाती है और यह बिजली के बिल को कम कर देता है.

-सामान्य से कमरे को यदि आप एक बेहतर लुक देना चाहते हैं तो फाल्स सीलिंग अवश्य करवाएं.

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ध्यान रखने योग्य बातें

-छोटे कमरे और घर मे बहुत अधिक डिजाइन वाली फाल्स सीलिंग करवाने के स्थान पर साधारण कम डिजाइन वाली फाल्स सीलिंग करवाएं ताकि कमरा एकदम भरा भरा सा होटल जैसा न लगे.

-फाल्स सीलिंग सदैव किसी कुशल इंटीरियर डिजाइनर से ही करवाएं साथ ही सामान की क्वालिटी में कोई समझौता न करें.

-यदि आपके कमरे की छत की हाइट कम है तो अधिक लेयर्स की डिजाइन के स्थान पर सिंगल लेयर की डिजाइन बनवाएं.

-यदि दीवारों पर टेक्सचर और वाल पेपर लगवाया है तो छत का रंग सफेद ही रखें क्योंकि सफेद रंग प्रत्येक रंग के साथ मैच कर जाता है.

 (इंटीरियर डिजाइनर आशीष मालवीय से की गई बातचीत के आधार पर)

इस Festive Season डर नहीं लाएं खुशियां

त्योहार का मतलब खुशियों का समय, लेकिन पिछले साल से कोरोना के हमारे बीच में रहने की वजह से हम अपने घरों में रहने पर मजबूर हो गए हैं और अगर निकलते भी हैं तो डरडर कर. इस कारण लोगों से मिलनाजुलना न के बराबर हो गया है.

अब त्योहारों पर वह एक्साइटमैंट भी देखने को नहीं मिलता, जो पहले मिलता था. ऐसे में जरूरी हो गया है कि हम त्योहारों को खुल कर ऐंजौय करें. खुद भी पौजिटिव रहें, दूसरों में भी पौजिटिविटी का संचार करें.

तो आइए जानते हैं उन टिप्स के बारे में, जिन से आप इन त्योहारों पर अपने घर में पौजिटिव माहौल बनाए रख सकते हैं:

घर में बदलाव लाएं

त्योहारों के आने का मतलब घर की साफसफाई करने से ले कर ढेर सारी शौपिंग करना, घर के इंटीरियर में बदलाव लाना, घर व अपनों के लिए हर वह चीज खरीदना, जो घर को नया लुक देने के साथसाथ अपनों के जीवन में खुशियां लाने का भी काम करे. तो इन त्योहारों पर आप यह न सोचें कि किस को घर पर आना है या फिर ज्यादा बाहर आनाजाना तो है नहीं, बल्कि इस सोच के साथ घर को सजाएं कि इस से घर को नयापन मिलने के साथसाथ घर में आए बदलाव से आप की जिंदगी की उदासीनता पौजिटिविटी में बदलेगी.

इस के लिए आप ज्यादा बाहर न निकलें बल्कि खुद की क्रिएटिविटी से घर को सजाने के लिए छोटीछोटी चीजें बनाएं या फिर आप मार्केट से भी बजट में सजावट की चीजें खरीद सकती हैं और अगर आप काफी टाइम से घर के लिए कुछ बड़ा सामान खरीदने की सोच रही हैं और आप का बजट भी है तो इन त्योहारों पर उसे खरीद ही लें. यकीन मानिए यह बदलाव आप की जिंदगी में भी खुशियां लाने का काम करेगा.

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करें साथ सैलिब्रेट

त्योहार हों और अपनों से मिलनाजुलना न हो, तो त्योहारों का वह मजा नहीं आ पाता, जो अपनों के साथ सैलिब्रेशन में आता है. इन त्योहारों पर आप सावधानी बरत कर अपनों के साथ खुल कर त्योहारों को सैलिब्रेट करें. अगर आप व आप का परिवार जिन अपनों व दोस्तों के साथ त्योहार मनाने का प्लान कर रहा है और अगर वे फुली वैक्सिनेटेड हैं तो आप उन के साथ सावधानी बरत कर त्योहारों को सैलिब्रेट कर सकते हैं. इस दौरान खुल कर मस्ती करें, खूब सैल्फीवैल्फी लें, जम कर डांस पार्टी करें, अपनों के साथ गेम्स खेल कर त्योहारों की रात को भी रंग डालें.

पार्टी में इतनी धूम मचाएं कि आप के जीवन की सारी उदासीनता ही गायब हो जाए और आप बस इन दिनों हुए ऐंजौयमैंट को याद कर बस यही सोचें कि हर दिन ऐसा ही हो. मतलब सैलिब्रेशन में इतना दम हो कि आप को उस की याद आते ही चेहरे पर मुसकान लौट आए.

खुद को भी रंगे रंगों से

आप ने त्योहारों के लिए घर को तो सजा लिया, लेकिन फैस्टिवल वाले दिन आप का लुक फीकाफीका आप को बिलकुल भी त्योहारों का एहसास नहीं दिलवाएगा. ऐसे में घर को सजाने के साथसाथ आप को अपनी जिंदगी में रंग भरने के लिए खुश रहने के साथसाथ नए कपड़े खरीदना और खुद को सजानासंवारना होगा ताकि आप में आया नया बदलाव देख कर आप का कौन्फिडैंस बढ़े.

आप को खुद लगे कि आप त्योहारों को पूरे मन से सैलिब्रेट कर रही हैं. आप के नए आउटफिट्स पर आप का खिलाखिला चेहरा दूसरों के चेहरे पर भी मुसकान लाने का काम करेगा. आप भले ही किसी से मिलें या न मिलें, लेकिन त्योहारों पर सजनासंवरना जरूर क्योंकि यह बदलाव हमारे अंदर पौजिटिविटी लाने का काम करता है.

गिफ्ट्स से दूसरों में भी बांटें खुशियां

जब भी आप त्योहारों पर किसी के घर जाएं या फिर कोई अपना आप के घर आए तो आप उसे खाली हाथ न लौटाएं बल्कि आपस में खुशियां बांटने के लिए गिफ्ट्स का आदानप्रदान करें. भले ही गिफ्ट्स ज्यादा महंगे न हों, लेकिन ये मन को इस कदर खुशी दे जाते हैं, जिस का अंदाजा भी हम नहीं लगा पाते हैं.

गिफ्ट्स मिलने की खुशी से ले कर उन्हें खोलने व देखने की खुशी हमें अंदर तक गुड फील करवाने का काम करती है. साथ ही इस से किसी स्पैशल डे का भी एहसास होता है. आप औनलाइन भी अपनों तक गिफ्ट्स पहुंचा सकती हैं. तो फिर इन त्योहारों पर अपनों के चेहरों पर गिफ्ट्स से लाएं खुशियां.

खानपान से करें ऐंजौय

अगर आप त्योहारों पर त्योहारों जैसा फील लेना चाहती हैं तो फिर इन दिनों बनने वाले पकवानों का जम कर ऐंजौय करें. यह न सोचें कि अगर हम चार दिन तलाभुना खाना खा लेंगे तो मोटे हो जाएंगे बल्कि इन दिनों बनने वाले हर ट्रैडिशनल फूड का मजा लें. खुद भी खाएं और दूसरों को भी खिलाएं. इस से घर में खुशियों भरा माहौल रहता है.

चाहे कोरोना के कारण त्योहारों को मनाने के स्टाइल में थोड़ा बदलाव जरूर आया है, लेकिन आप त्योहारों को वैसे ही पूरी ऐनर्जी के साथ मनाएं, जैसे पहले मनाती थीं. भले ही कोई न आए, लेकिन आप अपनों के लिए बनाएं पकवान. जब घर में बनेंगे पकवान और उन्हें सब मिल बैठ कर खाएंगे, तो त्योहारों का मजा और दोगुना हो जाएगा.

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सजावट से लाएं पौजिटिविटी

अगर आप घर में एक ही चीज को सालों से देखदेख कर बोर हो गई हैं और घर में पौजिटिविटी लाना चाहती हैं तो घर में छोटीछोटी चीजों से बदलाव लाएं. जैसे कमरे की एक दीवार को हाईलाइट करें. इस से आप के पूरे रूम का लुक बदल जाएगा. वहीं घर में नयापन लाने के लिए कुशन कवर, टेबल कवर, बैडशीट को कौंबिनेशन में डालें. आप पुरानी साडि़यों से भी कुशन कवर बना सकती हैं. आप बाहर बालकनी में हैंगिंग वाले गमले लगाने के साथसाथ खाली बोतलों को भी सजा कर उन में भी पौधे लगा सकती हैं.

ऐसा करना आप को अंदर से खुशी देने के साथसाथ आप के घर में पौजिटिव ऐनर्जी लाने का काम भी करे. वहीं कमरे की दीवारें जो घर की जान होती हैं, उन्हें अपने हाथ से बनी चीजों से सजा कर  फिर से जीवंत करें.

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Asthma रोगियों को हो सकता है स्लीप एपनिया

रात को सांस लेने में तकलीफ के चलते बारबार आंख खुलने की समस्या से अगर आप परेशान हैं तो इस की वजह स्लीप एपनिया हो सकती है. इस बीमारी में रात को सोते समय ऊपरी एयरवेज ब्लौक होने से सांस लेने में परेशानी होने लगती है. इस बीमारी में सांस 10 से 20 सैकंड के बीच रुकती है. लेकिन समस्या यह है कि ऐसा रात में कई बार होता है और इस वजह से रोगी रातभर सो नहीं पाता.

रात को नींद न पूरी होने के कारण उसे दिनभर नींद की झपकियां आती रहती हैं और चिड़चिड़ाहट रहती है. इस बीमारी की वजह से दुर्घटना होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

आंकड़ों के अनुसार, औब्सट्रैक्टिव स्लीप एपनिया यानी ओएसए से 5 में से 1 वयस्क पुरुष प्रभावित है. सांस से जुड़ी बीमारियों में अस्थमा के बाद यह दूसरी ऐसी बीमारी है जिस की सब से ज्यादा पहचान हुई है. जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन की गरदन की मांसपेशियां सोते समय शिथिल हो जाती हैं जिस से एयरवेज सिकुड़ जाते हैं और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है.

ओएसए से उपजी बीमारियां

ओएसए से रोगी को डायबिटीज, हाई ब्लडप्रैशर, दिल की बीमारियां, स्ट्रोक और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ओएसए और ब्रोनकिल अस्थमा एकदूसरे से जुड़े हुए हैं.

हालिया कुछ अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों से पता चला है कि अस्थमा के रोगियों में ओएसए होने का खतरा ज्यादा रहता है. कई अस्थमा रोगियों को पता ही नहीं चलता कि वे ओएसए से पीडि़त हैं और इस वजह से वे ओएसए का इलाज नहीं कराते. इस कारण उन्हें बारबार अस्थमा का अटैक पड़ता है और लगातार दवाइयों की जरूरत रहती है. इसलिए, स्लीप एपनिया के बारे में जानना और इस का एडवांस तकनीकों से इलाज करा कर जिंदगी को बेहतर बनाना जरूरी है.

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इलाज है जरूरी

अगर स्लीप एपनिया ज्यादा गंभीर नहीं है तो लाइफस्टाइल में बदलाव कर के ठीक किया जा सकता है. इस में वजन कम करना और सोने के तरीके को बदलने जैसे जीवनशैली से जुड़े बदलाव शामिल हैं. लेकिन गंभीर मामलों में, जहां ओएसए से डायबिटीज, हाई ब्लडप्रैशर और हार्ट अटैक जैसी बीमारियां जुड़ी हों, मैडिकल की नई तकनीकों की मदद से नजात पाया जा सकता है.

अब मैडिकल टैक्नोलौजी की सहायता से ओएसए का समय पर पता लगाया जा सकता है और इस का इलाज किया जा सकता है. मैडिकल की नई तकनीकों की मदद से स्लीप एपनिया के रोगियों की एयरवेज को खोला जाता है ताकि रोगी आसानी से सांस ले कर रातभर चैन की सांस ले सके.

उपयोगी उपकरण

सीपीएपी मशीन, मुंह के उपकरण और खासतौर पर तैयार किए गए तकियों की मदद से ओएसए को नियंत्रित किया जा सकता है. आमतौर पर मेनडीबुलर एडवांसमैंट डिवाइस यानी एमएडी का इस्तेमाल किया जाता है. इसे ऊपर व नीचे के दांतों में लगा दिया जाता है और निचले जबड़ों को आगे ला कर जीभ व तालू को स्थिर रखा जाता है, जिस से सोते समय आसानी से सांस ली जा सके.

कौंटीन्यूअस पौजिटिव एयरवे प्रैशर थेरैपी यानी सीपीएपी स्लीप एपनिया के इलाज में बेहद कारगर है. इस में नाक के ऊपर मास्क लगाया जाता है, जो नाक और मुंह में प्रैशर डालता है और इस से सोते समय सांस की नलियां खुली रहती हैं.

इस के अलावा, जीभ को स्थिर रखने का उपकरण भी इस्तेमाल किया जाता है, जो एयरवेज को खोलता है. कई तरह के तकिए भी डिजाइन किए गए हैं जिन्हें सीपीएपी मशीन के साथ या इस के बिना इस्तेमाल किया जा सकता है. जिन लोगों को सीपीएपी मशीन लगाने में मुश्किल होती है, उन के लिए कुछ नर्व स्टीमुलेशन उपकरण भी उपलब्ध हैं.

साल 2014 में शोधकर्ताओं ने नया इलाज ढूंढ़ा था जिस में जब शरीर को सांस लेने की जरूरत होगी तो सैंसर तंत्रिकाओं को स्टीमुलेट करेंगे और रोगी सांस लेने में सक्षम होगा.

सर्जरी भी है विकल्प

सर्जरी की मदद से भी ओएसए का इलाज किया जाता है. इस में ऊपरी एयरवेज, मुंह के ढांचे और मोटापे के रोगियों की बेरिएट्रिक सर्जरी कर के इलाज किया जाता है. सर्जरी रोगी की स्थिति के अनुसार ही की जाती है. हाल ही में हुई नई खोजों ने सर्जरी को काफी आसान व सुरक्षित कर दिया है जिस में लेजर एसिड युविलोपेलेटोप्लौस्टी, रेडियो फ्रिक्वैंसी एबलेशन, पेलेटल इंप्लांट और ऊपरी एयरवेज मांसपेशियों में इलैक्ट्रिकल स्टीमुलेशन शामिल हैं.

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इस के अलावा, इंस्पायर नाम की थेरैपी में ब्रीदिंग सैंसर, स्टीमुलेशन लीड और छोटी बैटरी/कंप्यूटर प्रत्यारोपित किया जाता है. इस इलाज में भी काफी सफलता मिली है. सो, स्लीप एपनिया की बीमारी से जुड़े लक्षणों को पहचानें और एडवांस तकनीकों की मदद से इलाज करवाएं ताकि आप रात को चैन की नींद का लुत्फ सकें. अगर इसे सामान्य बीमारी समझ कर अनदेखा करेंगे तो बाद में यह लापरवाही बड़ी मुसीबत बन सकती है.

(लेखक नई दिल्ली स्थित नैशनल हार्ट इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसल्टैंट हैं.)

महिलाओं के खिलाफ नया हथियार रिवेंज पोर्न

यह उन दिनों की बात है जिन दिनों हाथ में कीपैड वाले फोन तो आम हो गए थे पर स्मार्ट और डिजिटल फोन न के बराबर हुआ करते थे. स्कूल टौयलेट की दीवारों पर लड़कियों के फोन नंबर लिखे होते थे. कहींकहीं स्कूल के पिछवाड़े वाले हिस्से में नाम सहित किसी लड़की की अश्लील चित्रकारी होती थी. स्कूल के ज्यादातर लड़के उन चित्रों को देख कर मादक मुसकान लिए गुजर जाया करते थे.

आमतौर पर यह हरकत 2 तरह के लड़के किया करते थे- एक वे जिन्हें उक्त लड़की बिलकुल भाव न दे रही हो और दूसरे वे जो धोखा महसूस किए लंपट आशिक की तरह लड़की से खासा नफरत कर रहे हों. लेकिन इन दोनों में ही जो बात समान थी वह यह कि ये दोनों प्रवृत्ति के लड़के यह काम लड़की से बदला लेने और उसे बदनाम करने के मकसद से किया करते थे. यह बात उस समय सामान्य तो लगती थी, पर कहीं न कहीं रिवेंज पोर्न के दायरे वाली थी.

समय बदला. युवाओं के हाथ में स्मार्ट फोन के साथसाथ इंटरनैट आया, सर्च बौक्स में डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू का औप्शन मिला तो लोग डिजिटली सोशल हो गए. छोटी दुनिया एकाएक सोशल मीडिया पर बड़ी हो गई. इस बड़ी सी आभासी दुनिया में जहां पूरे विश्व से जानकारी के आदानप्रदान के असीम विकल्प खुले, दूसरों से जुड़ने का मौका भी मिला, वहीं इस आदानप्रदान से कुछ खतरे भी पैदा हुए. इसी खतरे के तौर पर धड़ल्ले से उभरा इंटरनैट वाला रिवेंज पोर्न.

रिवेंज पोर्न के मामले

जैसाकि मरियम वैबस्टर डिक्शनरी द्वारा इसे परिभाषित किया गया, रिवेंज पोर्न- किसी व्यक्ति की अतरंग तसवीरों या क्लिपों को, विशेषरूप से बदला या उत्पीड़न के रूप में, उस व्यक्ति की सहमति के बिना औनलाइन पोस्ट करना है.

यानी किसी व्यक्ति के निजी या व्यक्तिगत पलों से जुड़ी सामग्री या अश्लील सामग्री को उस के पार्टनर या फिर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बिना अनुमति के औनलाइन इस आभासी दुनिया में सा  झा कर देना रिवेंज पोर्न या रिवेंज पोर्नोग्राफी कहलाती है. अब सवाल यह है कि हम इस मसले पर क्यों बात कर रहे हैं?

दरअसल पिछले कुछ सालों में भारत में भी इस तरह का चलन देखने में आ रहा है. सोशल मीडिया पर या पोर्न वैबसाइट पर ऐसे वीडियो या फोटो अपलोड करने की शिकायतें आ रही हैं जो बदले की भावना से किए गए हैं. ऐसी ही एक वारदात इस साल फरवरी में चेन्नई में घटी, जहां एक 29 वर्षीय हसन ने कथित तौर पर एक महिला के अश्लील वीडियो लीक किए.

दरअसल लड़की के मातापिता ने लड़कालड़की की शादी करने से इनकार कर दिया था. पुलिस के अनुसार लड़कालड़की दोनों की 2019 में सगाई हुई थी और कुछ महीने बाद उन की शादी होनी थी. परिवार वालों को लड़के के व्यवहार पर शक हुआ तो उन्होंने शादी रोक दी.

ऐसे में इस बीच जब दोनों रिश्ते में थे, तो लड़के ने उस के प्राइवेट वीडियो रिकौर्ड किए. शादी रुकने के बाद गुस्साए लड़के ने अपने दोस्तों को वे वीडियो लीक कर दिए और सोशल मीडिया पर तसवीरें पोस्ट कर दीं. इस के साथ ही गुस्साए लड़के ने लड़की के भाई को भी ये वीडियो शेयर किए, जिस के बाद लड़की के परिवार में मामला पता चला तो उन्होंने लड़के के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज की.

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ब्रेकअप का बदला

ऐसा ही एक मामला पिछले वर्ष जून माह में घटा था. मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा का था, जहां प्रेमी ने अपनी प्रेमिका से ब्रेकअप का बदला लेने के लिए उस के करीब 300 फोटो पोर्न साइट को बेचे और 1000 वीडियो पोर्न साइट पर अपलोड कर दिए.

वह रोजाना फोटो व वीडियो कई प्लेटफौर्म पर अपलोड करता था. इतना ही नहीं पेटीएम के माध्यम से फोटोवीडियो बेचता भी था. पीडि़ता ने तंग आ कर जब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तब उस लड़के को पकड़ा गया.

पुलिस के मुताबिक पूर्व प्रेमी ने प्रेमिकी से बदला लेने के लिए ऐसा किया था. यह रिवेंज पोर्न का मामला था. आरोपी के पीडि़ता के साथ 4-5 साल पहले संबंध थे. तभी आरोपी ने उस के साथ शारीरिक संबंध बना कर अश्लील वीडियो बनाए थे. उस दौरान भी आरोपी ने कई जगहों पर उस के अश्लील फोटो शेयर की थी.

पहले तो आरोपी ने लड़की को अश्लील वीडियो शेयर करने की धमकी दे कर ब्लैकमेल किया और आरोपी ने वीडियो कौल के माध्यम से भी उस का यौन शोषण किया. जब पीडि़ता ने आरोपी से बात करनी बंद कर दी तो उस ने वीडियो और फोटो पौर्न साइट पर अपलोड कर दिए.

भूल जाने का अधिकार

यही नहीं 3 मई, 2020 को उड़ीसा के जिला ढेकनाल में एक एफआईआर दर्ज हुई. यहां गिरिधरप्रसाद गांव में कार्तिक पूजा के दिन आरोपी शुभ्रांशु राउत महिला के घर पर गया. चूंकि दोनों एक ही गांव के थे और एकदूसरे के साथ पढ़ते थे, ऐसे में महिला ने शुभ्रांशु राउत को घर पर आने दिया. एफआईआर के मुताबिक, घर पर कोई नहीं है, यह जान कर शुभ्रांशु ने महिला के साथ बलात्कार किया. इस दौरान उस ने अपने मोबाइल से पीडि़ता का वीडियो बनाया और तसवीरें भी खींची.

शुभ्रांशु ने पीडि़ता को धमकी दी कि किसी से शिकायत करने पर वीडियो सार्वजनिक कर देगा. पीडि़ता का आरोप था कि इस घटना के बाद आरोपी 10 नवंबर, 2019 से लगातार धमका कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा. जब पीडि़ता ने तंग आ कर अपने मातापिता को यह बात बताई तो शुभ्रांशु ने पीडि़ता के नाम से ही फेसबुक पर एक अकाउंट बनाया और उस पर वे वीडियो और फोटो अपलोड कर दिए.

कई कोशिशों के बाद पुलिस ने अप्रैल, 2020 में मामला दर्ज किया और शुभ्रांशु को गिरफ्तार किया. उस ने उड़ीसा हाई कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इस सुनवाई के दौरान ही उड़ीसा हाई कोर्ट में जस्टिस एस के पाणिग्रही ने ‘भूल जाने के अधिकार’ का जिक्र किया.

भूल जाने का अधिकार निजता के अधिकार से इस मामले में अलग है क्योंकि जहां निजता के अधिकार में ऐसी जानकारी शामिल होती है जो सिर्फ अधिकार रखने वाले तक ही सीमित हो सकती है, जबकि भूल जाने के अधिकार में एक निश्चित समय पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी को हटाना और तीसरे पक्ष को जानकारी तक पहुंचने से रोकना भी शामिल है.

आपराधिक धमकी

ऐसे ही एक मामले में चेन्नई की एक अदालत ने दिनोंदिन अपराध के बदलते चलन पर चिंता जताई थी. मामला पिछले वर्ष नवंबर का है. 24 साल के एक शख्स को रेप और आपराधिक धमकी के आरोप में 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की.

कोर्ट ने कहा कि लड़के अपने पार्टनर के साथ बिताए अंतरंग पलों की वीडियोग्राफी कर लेते हैं और बाद में इस का इस्तेमाल धमकी देने और शोषण करने के रूप में करते हैं. कोर्ट ने कहा कि यह चलन एक नई सामाजिक बुराई है. ‘टाइम्स औफ इंडिया’ में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी 2014 में पीडि़ता के संपर्क में आया जब दोनों अंबात्तुर की एक फैक्टरी में मिले. पीडि़ता उस फैक्टरी में काम करती थी. आरोपी सुरेश एक बैंक में रिप्रैजेंटेटिव के तौर पर काम करता था और वह फैक्टरी में पीडि़ता की डिटेल्स लेने गया था.

पीडि़ता को अपना बैंक अकाउंट शुरू कराने के लिए डिटेल्स देने की जरूरत थी. पीडि़ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि आरोपी ने मोबाइल नंबर लेने के बाद लड़की को परेशान करना शुरू कर दिया. वह बात करने के लिए उस पर अकसर दबाव बनाता था.

खबर के मुताबिक, कथित तौर पर आरोपी लड़की को काम के सिलसिले में अपने घर ले आया था जहां उस ने उस के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए, जिस के वीडियो आरोपी ने रिकौर्ड कर लिए. आरोपी ने धमकी में उसे बारबार घर आने के लिए कहा और ऐसा न करने पर वीडियो क्लिप वायरल कर देने की धमकी दी. जब लड़की पेट से हो गई तब घर वालों के पता चलने पर आरोपी के खिलाफ शिकायत की गई, जिस में कोर्ट ने आरोपी सुरेश को 10 साल की सजा सुनाई.

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पहले मामले की सुनवाई

भारत में रिवेंज पोर्न का पहला मामला ‘पश्चिम बंगाल राज्य बनाम अनिमेष बौक्सी’ के रूप में 2018 में सामने आया था, जिस में आरोपी को प्राइवेट क्लिप्स और तसवीरें सोशल साइट्स पर बिना पीडि़ता की सहमति के शेयर करने के अपराध में 5 साल की कैद और क्व9 हजार का जुरमाना लगाया गया था.

दरअसल, आरोपी शादी के बहाने पीडि़ता के साथ लगातार संबंध में था. इस दौरान वह दोनों की अतरंग तसवीरें और क्लिप बनाता रहा. जब शादी की   झूठी बात पीडि़ता के सामने आई तो आरोपी तसवीरों को सोशल साइट पर अपलोड करने की धमकी देने लगा. यहां तक कि आरोपी ने लड़की के फोन का इस्तेमाल कर और तसवीरें भी जुटाईं.

बाद में जब पीडि़ता ने रिश्ता खत्म कर लड़के से पिंड छुड़ाने की बात कही, तो आरोपी ने पीडि़ता और उस के पिता की पहचान का खुलासा करते हुए उन तसवीरों को चर्चित एडल्ट वैबसाइट पर अपलोड कर दिया. इस मामले की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि पीडि़ता को बलात्कार पीडि़ता के रूप में ट्रीट किया जाए और उचित मुआवजा दिया जाए.

महिलाओं पर बढ़ते अपराध के आंकड़े

कोरोना महामारी की वजह से लगे लौकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर लोगों की सक्रियता बढ़ी. ऐसे में साइबर क्राइम के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 की तुलना में 2020 में रिवेंज पोर्न के अधिक मामले दर्ज किए गए, जबकि यह तब की बात है जब 70% पीडि़त महिलाएं इस तरह के मामले दर्ज ही नहीं करती हैं.

साइबर ऐंड लौ फाउंडेशन नामक गैरसरकारी संगठन द्वारा आयोजित एक सर्वे में पाया गया कि भारत में 13 से 45 वर्ष की आयु के 27% इंटरनैट उपयोगकर्ता रिवेंज पोर्न के ऐसे उदाहरणों के अधीन हैं.

रिवेंज पोर्न के साथ समस्या यह है कि एक बार इसे औनलाइन पोस्ट करने के बाद इसे न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी एक्सेस किया जा सकता है. इस के अतिरिक्त भले ही सामग्री को एक साइट से हटा दिया गया हो, पर इस के प्रसार को समाहित नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जिस ने सामग्री को डाउनलोड किया है, वह इसे कहीं और पुनर्प्रकाशित कर सकता है, इसलिए इंटरनैट की सामग्री के अस्तित्व को बनाए रखता है.

राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012 और 2014 के बीच अश्लील सामग्री के औनलाइन सा  झाकरण की मात्रा में क्व104 की वृद्धि हुई थी. वहीं 2010 की साइबर क्राइम रिपोर्ट से पता चला कि सिर्फ 35 फीसदी महिलाएं अपने शिकार की रिपोर्ट करती हैं.  इस में यह भी कहा गया है कि 18.3% महिलाओं को पता भी नहीं था कि उन्हें शिकार बनाया  गया है.

पिछले वर्ष ‘इंटरनैट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन औफ इंडिया’ के एक कार्यक्रम में कानून और आईटी मंत्री ने भारत में रिवेंज पोर्न की घटना के बारे में बात की. उन्होंने खुद माना की भारत में रिवेंज पोर्न की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है जो सही संकेत नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत में रिवेंज पोर्न की   झलक देखने को मिल रही है और इस में यूट्यूब जैसे प्लेटफौर्म का भी दुरुपयोग हो रहा है. मैं ने इस मुद्दे पर सुंदर पिचाई से भी बात की है.’’

महिलाओं के लिए घातक

भारत में डिजिटल पर रिवेंज पोर्न की अधिकतर घटनाएं या यों कहें कि 90 फीसदी घटनाएं महिलाओं के साथ घटती हैं. महिलाएं अपने रोजमर्रा के जीवन में हमेशा अपराध और यौन हिंसा का शिकार होती रहती हैं. इस से पहले भी रिवेंज के नाम पर एसिड अटैक, यौन हमला, हत्या जैसी वारदातें होती ही थीं. अब रिवेंज पोर्न भी महिला उत्पीड़न की पहचान बनता जा रहा है.

भारत में डिजिटलीकरण ने देश के भीतर तकनीकी शक्ति और प्रौद्योगिकी तक पहुंच में वृद्धि की है, किंतु इस आभासी दुनिया में उत्पीड़न और अपराधों के मामलों में बाद में वृद्धि हुई है. ऐसे अपराध जिन्हें साइबर अपराध कहा जाता है, यह एक बड़ी समस्या के रूप में विकसित हुए हैं जिस से देश और दुनियाभर में कानूनी तौर पर भी और न्याय दिलाने के तौर पर भी सरकारें संघर्ष कर रही हैं.

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भारत में ऐसे कई मामले उभरने लगे हैं जहां लड़की से बदला लेने के लिए रिवेंज पोर्न ने कई लड़कियों की जिंदगी तबाह कर दी है. बदला और बदनाम इन 2 बातों के इर्दगिर्द रिवेंज पोर्न की वारदात को अंजाम दिया जाता है. लड़कियों से बदला लेने का यह तरीका बहुत ज्यादा पुराना नहीं है. इस की लोकप्रियता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है और इस के कारण चिंता और बढ़ती जा रही है.

आईटी एक्ट क्या कहता है

धारा 66 ई: आईटी अधिनियम 2000 की यह धारा उस सजा से संबंधित है जहां किसी व्यक्ति की प्राइवेसी का उल्लंघन होता है. इस में किसी भी व्यक्तिकी ऐसी अतरंग तसवीरें व क्लिप खींचना, छापना और शेयर करना जिस पर उक्त व्यक्ति को आपत्ति हो वह इस धारा के तहत आती है. इस में अपराधी को

3 साल की सजा या 2 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना नहीं हो सकता है या कुछ मामलों में दोनों ही हो सकते हैं.

धारा 67 व धारा 67ए: धारा 67 के अनुसार इलैक्ट्रौनिक माध्यम से अश्लील और यौन सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने से संबंधित है, जिस में अपराधी को 3 साल तक की कैद या 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है. 67ए में दूसरे बार 5 साल की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माना है. अगर दूसरी बार अपराधी ने अपराध किया है तो सजा 7 साल तक बढ़ जाती है.

धारा 67बी: यह धारा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों से संबंधित है. यदि किसी बच्चे को शामिल करते हुए अश्लील सामग्री के प्रकाशन का ऐसा कोई कार्य किया जाता है, तो इस तरह के अपराध के लिए 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा.

महिलाओं के अश्लील चित्रण रोकने के कानूनी प्रावधान (1986)

विक्टिम इस की धारा 4 के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है जिस में पेंटिंग फोटोग्राफ या फिल्म के माध्यम से महिला का अश्लील चित्रण हो. धारा 4 का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है, जहां अपराधी को कठोर कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है.

ऐसा हो तो क्या करें

साइबर सैल पर रिपोर्ट: भारत में साइबर सैल हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद है. सभी साइबर सैल में इस से जुड़े क्राइम से निबटा जाता है. कोई भी बड़ी आसानी से इंटरनैट के माध्यम से अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. साइबर अपराध शाखाओं में उन वैबसाइटों की निगरानी के लिए कुछ तंत्र हैं जहां वीडियो अपलोड, देखे या सा  झा किए जाते हैं. शिकायत मिलने पर वे इलैक्ट्रौनिक वस्तुओं को जब्त कर लेते हैं और उन्हें फोरेंसिंक लैब में भेज देते हैं ताकि इस का पूरा इतिहास पता चल सके.

वैबसाइट या प्लेटफौर्म पर सीधी रिपोर्ट: इस में सीधे उसी वैबसाइट या माध्यम पर रिपोर्ट की जा सकती है जहां फोटो या वीडियो प्रसारित किए जा रहे हैं यह या तो स्वयं या कानूनी परामर्शदाता की सहायता से किया जा सकता है. आज सब से लोकप्रिय वैबसाइटों जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, गूगल आदि की सख्त नीतियां हैं जो न्यूडिटी पर प्रतिबंध करती हैं. ऐसी स्थितियों में यहां से डायरैक्ट रिलीफ मिल सकता है.

सभी सुबूत इकट्ठा करना: जिस ने यह किया है उस से संबंधित कोई सुबूत मिटाएं नहीं. जैसे मैसेजेस, किसी भी धमकी या ब्लैकमेलिंग संदेशों के स्क्रीन रिकौर्ड इत्यादि ताकि बाद में अपराधी के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सके.

राष्ट्रीय महिला आयोग या स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत: ऐसे मामलों में पीडि़त की ओर से कोई भी शिकायत दर्ज कर सकता है और पीडि़त को पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है. जो आरोप दायर किए जा सकते हैं, वे आईपीसी की धारा 504 और 506 के तहत लगाए गए आरोप और प्रसारित छवियों के प्रकारप्रसार पर निर्भर करते हैं. साइबर ब्लौग इंडिया जैसे कुछ विशेषज्ञ हैल्पलाइन नंबर भी हैं जो साइबर अपराध विशेषज्ञों से जोड़ सकते हैं.

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सावधानियां बरतें

खुद की अश्लील, निजी व किसी भी तरह की आपत्तिजनक सामग्री को रोकने का अब तक का सबसे अच्छा और आसान तरीका यही है कि ऐसी सामग्री पैदा होने ही न दें.

– कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर सुरक्षा सौफ्टवेयर की मदद ली जा सकती है.

– हमेशा अपने लैपटौप, मोबाइल या किसी भी डिवाइस पर स्ट्रौंग पैटर्न लगा कर रखें.

– कभी भी दूसरों से अपना पासवर्ड शेयर न करें. संभव है कि जो आप का करीबी पहले भरोसेमंद रहा हो वह बाद में न हो.

– यदि किसी करीबी के पास आप के अतरंग फोटो हैं तो उस से हटाने के लिए कहने से कभी नहीं डरना चाहिए और सुनिश्चित करें कि वे हटे या नहीं.

– जागरूकता के तहत मातापिता और स्कूल में शिक्षकों को बच्चों को सैक्सटिंग के जोखिमों से अवगत कराना चाहिए.

– ध्यान रहे कि जब आप किसी प्रकार किसी होटल, पब या माल में जाते हैं तो चेंजिंग से पहले का अच्छी तरह मुआइना कर लें.

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