बात अगर फाइनेंशियल लेन-देन की की जाए तो इन दिनों क्रेडिट कार्ड ज्यादातर लोगों के लिए लाइफलाइन है. चाहे रिटेल आउटलेट से खरीदारी करनी हो, ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो, टेलीफोन या इलेक्ट्रिसिटी बिल जमा करना हो, एयर टिकट और होटल बुक करना हो. देश भर में क्रेडिट कार्ड का यूज बड़े पैमाने पर किया जाता है.
हालांकि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सोच समझ के करना चाहिए. क्रेडिट कार्ड का यूज आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है.
आपके क्रेडिट स्कोर को बेहतर बना सकता है क्रेडिट कार्ड
अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सोच समझ कर और जिम्मेदारी से करें तो क्रेडिट कार्ड आपके क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है. आप कुछ आसान तरीको को अपना कर क्रेडिट कार्ड का जिम्मेदारी से इस्तेमाल कर सकते हैं इससे अपनी सिबिल रिपोर्ट और सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर को मजबूत कर सकते हैं.
इंटरेस्ट रेट कर सकते हैं निगोशिएट
जब आप क्रेडिट कार्ड हासिल करते हैं तो आप इसके फाइन प्रिंट को अच्छी तरह से पढें. इस पर लगने वाले इंटरेस्ट रेट, ग्रेस पीरिएड की अवधि और ली जाने वाली फीस के बारे में पूरी डिटेल पता करें. बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता होता है कि इंटरेस्ट रेट निगोशिएट किया जा सकता है. ऐसे में आप क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते समय पूरी रिसर्च करें.
आप अपने क्रेडिट कार्ड बैलेंश का समय पर पेमेंट करें. आप हर माह क्रेडिट कार्ड पेमेंट का भुगतान कर क्रेडि कार्ड डेट से बच सकते हैं. इसके अलावा आप कई बारे क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन न करें . अगर आपने कई क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया है तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट के एन्क्वायरी सेक्शन में दिखेगा. इसके अलावा कई सारे क्रेडिट कार्ड को मैनेज करना मुश्किल होता है. ज्यादा संभावना है कि आप किसी क्रेडिट कार्ड के पेमेंट को मिस कर दें. इससे अनजाने ही आप डेट ट्रैप की ओर बढ़ सकते हैं.
क्रेडिट कार्ड लिमिट के अधिकतम यूज से बचें
अगर आप क्रेडिट कार्ड से ज्यादा खर्च करते हैं तो जरूरी नहीं है कि यह आपके क्रेडिट स्कोर को नकारात्मक तौर पर प्रभावित करे लेकिन आपके क्रेडिट कार्ड का बैलेंश बढ़ना आप पर रिपेमेंट बोझ बढ़ने की ओर संकेत करता है और यह आपके स्कोर को प्रभावित कर सकता है.
अपने सिबिल स्कोर पर रखें नजर
अगर आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट पर नजर रखते हैं तो आप अपने फाइनेंस का प्रबंधन बेहतर तरीके से कर पाएंगे . इसके अलावा आप संभावित आइडेंटिटी थेफ्ट और क्रेडिट रिपोर्ट में गलत सूचना को लेकर भी अलर्ट रहेंगे.
बारिश की रिमझिम फुहारके बाद सर्दी की ऋतु का आभास होने लगता है और ऐसे वतावरण में सारे त्यौहार शुरू होने लगते है, जिसमें प्रकृति से लेकर जीव-जंतु सभी खुश हो जाते है. तरह-तरह के रंग और पोशाकों से जीवन आनंदमय हो उठता है, ऐसे समय में ऍफ़डीसीआई लक्मे फैशन वीक 2021 का रंग-बिरंगे परिधान के साथ ख़त्म हुआ. कोविड की दूसरी लहर के बाद इस फैशन शो का आयोजन कुछ फिजीकलीतो कुछ डिजिटली किया गया. इसमें भाग लेने वाले नए डिज़ाइनर मनीष मल्होत्रा से लेकर पायल जैन, संयुक्ता दत्ता,गौरांग शाह, श्रुति संचेती, गौरव गुप्ता आदि के अलावा नए डिज़ाइनर को भी मौका जेन नेक्स्ट में दिया गया. सभी ने अपने ब्रांड के परिधान खूबसूरत ढंग से पेश किये. इस बार का ट्रेंड चटकदार रंगों के साथ फ्लावरी डिजाईन का है. इसके अलावा कई ऐक्ट्रेस और मॉडल्स ने भी रैंप पर जलवे बिखेरे, जिसमें अभिनेत्री करीना कपूर, मलायका अरोड़ा, दिया मिर्ज़ा, तापसी पन्नू, सोहा अली खान आदि प्रमुख रहे.
क्लाइमेट चेंज को ध्यान में रखते हुए इस बार के सभी डिजाईनरों ने सस्टेनेबल और इको फ्रेंडली ड्रेसेज को ही रैंप पर उतारने की कोशिश की है, क्योंकि सबसे अधिक वेस्ट प्रोडक्ट टेक्सटाइल इंडस्ट्री से निकलता है, जिसका सही तरह से डिस्पोज करना अभी तक संभव नहीं हो पाया है. यही वजह है कि इस बार की फैशन शो में रंगों के साथ प्रकृति को किसी न किसी रूप में शामिल किया गया है. हर शो की एक थीम होने की वजह से कपड़ों के फैशन भी उसके इर्द-गिर्द ही दिखे. इसमें हाई फैशन से लेकर आरामदायक पोशाक सभी की प्रस्तुति की गयी.
जेन नेक्स्ट में नए और यूथ डिजाईनर्स दीपित चुग और ट्विंकल हंसपाल ने अपने पार्टी वेयर और इजी टू वेअर कपड़ों का शो केस किया. दीपित ने स्टाइलिश मेंस वेअर, जिसमें कालर ब्लॉकिंग और मॉडर्न डिजाईन को अधिक महत्व दिया, जबकि ट्विंकल ने धोती की तरह ड्रेप्ड साड़ी, जिसके साथ फूल स्लीव्स ब्लाउज, जिसे आज के यूथ आसानी से कैरी कर सकती है.
आने वाली विंटर वेडिंग मौसम को देखते हुए डिज़ाइनरों ने नयी दुल्हन के लिए अलग-अलग डिजाईनों के कपड़ों को मंच पर उतारा. लाल, हल्के गुलाबी, हल्के ग्रीन आदि रंगों की लहंगा चोली पर कढ़ाई और मिरर वर्क की शोभा आकर्षक रही. प्रसिद्ध डिज़ाइनर जे जे वलाया ने तुर्की कला को भारतीय पोशाक में क्रिएट कर नववधू को एक अलग पहचान देने की कोशिश की. मॉडर्न वेडिंग और लुक को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइनर तरुण ताहिलियानी ने ‘द रियूनियनकलेक्शन’ को मॉडर्न लुक में उतारा, जिसे किसी रंग रूप या शेप वाली लड़कियां पहनकर अपनी वेडिंग को यादगार बना सकती है.
प्रसिद्ध डिज़ाइनर राजेश प्रताप सिंह ने 70 और 80 दशक के स्टाइल को नए लुक में परिवर्तित कर एक अलग पहचान दी है. डिज़ाइनर सत्यपाल की थीम ‘मास्टर्स वर्ड्स’ कलेक्शन में फैशन को थिएटर और फिल्म के मिश्रण से मेट्रो लुक को अधिक महत्व दिया गया, इसके अलावा उन्होंने अपने कपड़ों के माध्यम से इस कोविड में मारें जाने वालों को ट्रिब्यूट दिया है. इन दोनों डिजाईनरों ने सस्टेनेबल फैशन और एनवायरनमेंट फ्रेंडली फैब्रिक को अधिक महत्व दिया. उनके ड्रेसेस में पेंट, ड्रेस्ड स्कर्ट, हुडी, जम्पसूट आदि देखने को मिले, जबकि पुरुषों के लिए शर्ट, ट्राउजर्स और टी शर्ट्स थे. इसके अलावा राजेश ने अपने पोशाक में सफ़ेद, लाल, गुलाबी,हरा आदि कई रंगों को शामिल कर वाईब्रेंट लुक दिया है.
लक्मे फैशन वीक के इस मंच पर डिज़ाइनर के रूप में श्वेता नंदा के कलेक्शन पहली बार दिखी. उन्होंने डिज़ाइनर मनीषा जयसिंह के साथ मिलकर अपनी ब्रांड ‘एम्एक्सएस’ के तहत 80 के दशक की रेट्रो और स्ट्रीट वेयर लुक को फिर से रैंप पर जीवंत किया. पर्पल रेन, मियामी पिंक, नियुन येलो, यूऍफ़ओ ग्रीन आदि कई रंगों की परिधानोंके अलावा स्पोर्टी लुक वाले वस्त्रों से रैंप को कलरफुल बना दिया. इसमें सिल्क के साथ रिब्ड निट का प्रयोग किया गया, जो स्किन फ्रेंडली है.
डिज़ाइनर पायल जैन ने पोशाक में कढ़ाई को एक अलग अंदाज में पेश किया, इससे सुजनी, शिशो, राबारी आदि हस्त कला को बल मिला. इसके अलावा विलुप्त होती मिरर वर्क, लेस, पेचवर्क,टसेल, बीड वर्क आदि को रैम्प पर उन्होंने एक अलग ढंग में प्रस्तुत किया.
आज की जेनरेशन आरामदायक पोशाकों को अधिक पसंद करती है,जो जल्दी पहनी जाय, इसलिए डिज़ाइनर जोड़ी डेविड अब्राहम और राकेश ठाकोरी ने अपने लेबल ‘अब्राहम एंडठाकोरी’ के कलेक्शन को रैंप पर उतारे.इनके परिधानों में टियुनिक, पेंट, कीमोनो विथ जैकेट, रैप स्कर्ट आदि आरामदायक होने के साथ-साथ आधुनिकता को प्रदर्शित करने वाली रही.
लक्मे का ग्रैंड फिनाले में डिज़ाइनर गौरव गुप्ता ने अपने पोशाकों के माध्यम से समुद्र की कहानी कह डाली. समुद्र में हजारों रंग के जीव-जंतु और पौधे अपनी लाइफ सायकल को बिना किसी से कुछ कहेचलाते रहते है, पर मानव उनकेध्यान और आवाज को इग्नोर करता है और समुद्र दूषित होता रहता है. गौरव ने प्लास्टिक बोतल, क्रिस्प्स व बिस्किट के रैपर और समुद्री वेस्ट से इसफेब्रिक को बनाया है, जो सस्टेनेबल है. ये कलेक्शन ‘डिफाइन टू रिडिफाइन’ है जो ब्यूटी को बताता है. उनके कलेक्शन में शार्प डिटेलिंग, पावरफुल स्टाइल, बारीक व जटिल कढ़ाई और बोल्ड रंगों में मेटलिक शिमर का तालमेल था, जो समुद्री जीवन से प्रेरित था.
पतिपत्नी मिठास भरे पलों का तो सुख अनुभव करते ही हैं, खटास भी एक चुनौती की तरह उन्हें एकदूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण में रहने की प्रेरणा देती है. बिना विवाहप्रथा के दुनिया एक तमाशा बन कर रह जाती. विवाह ने स्त्रीपुरुष के संबंधों को समाज में एक स्थायी स्थान दिया है. पश्चिम में पहले पहचान और प्रेम फिर शादी, लेकिन हमारे यहां पहले शादी, फिर प्यारमोहब्बत होती थी. उत्तर में अधिकतर विवाह अभी तक अजनबी परिवारों के लड़केलड़कियों के बीच ही होते हैं. आजकल के विवाहों में अधिकतर लड़केलड़कियां एकदूसरे को पहले से ही जान जाते हैं. आपस में प्यार होता है या नहीं यह जरूरी नहीं, प्रेम विवाहों को प्राथमिकता भी दी जा रही है.
खुशी से निभे रिश्ता
विवाह चाहे किसी का भी हो, कहीं भी हो, एक बात तो तय है कि लड़के और लड़की का एकदूसरे को पहचानना निहायत जरूरी है, क्योंकि प्यारपूर्वक अपना जीवन साथसाथ, लंबे अरसे तक निभाना है. जीवन में खुशियां कहीं बाहर से नहीं टपकतीं, दोनों को मिल कर एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करते हुए सारे काम पूरे करने होते हैं. यह तभी मुमकिन है जब दोनों ऐसा चाहें. घर के किसी भी काम की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं होती. यह बात और है कि सहूलत के लिए हम कुछ काम बांट लें. समय के साथ बदलाव आ रहे हैं और खुशी है कि पति इस बात को समझने लगे हैं. मिसाल के तौर पर खाना बनाने में पत्नी की मदद करना, पत्नी की नौकरी पर एतराज न करना व घर के कामों में हाथ बंटाना इत्यादि.
मतभेद के कारणों पर नजर डालें तो पाएंगे कि ज्यादातर केसेज में या तो एकदूसरे के परिवारों को ले कर झगड़े होते हैं या पति/पत्नी के जीवन में कोई दूसरी/दूसरा आ जाती/जाता है. शादी के बाद पत्नी को सरनेम तो पति का ही लेना होता है, हालांकि कुछ पत्नियां मायके का सरनेम रिटेन करती हैं. परिवारों में अकसर यह देखा गया है कि लड़का अपने मांबाप से खुल कर अपनी पत्नी की पसंदनापसंद कह नहीं पाता. उलटे हर दफा पत्नी को ही चुप करा देता है. ऐसे में दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह समझेंगे तभी बात बनेगी. हर हालत में रिश्ता पहले पति और पत्नी का भरोसेमंद होना चाहिए, तभी वातावरण अच्छा बनता है और बच्चे अच्छे संस्कार पाते हैं.
अकसर यह देखा गया है कि मातापिता बच्चों की शादी की पहले जमाने के हिसाब से तुलना करते हैं, जो ठीक नहीं है. पहले झगड़े होने के मौके ही नहीं आते थे. पति परमेश्वर माना जाता था. जो फैसला उस ने कर दिया वही पत्नी को मान्य होता था. पर अब जमाना बदल चुका है. लड़कियां पढ़लिख कर अच्छी नौकरियां कर रही हैं और खूब पैसा कमा रही हैं. पतिपत्नी का रिश्ता ब्लड रिलेशन न होते हुए भी जीवन में सब से अधिक अहमियत रखता है. आखिर तक साथ निभाने का आश्वासन. जो लोग इस रिश्ते की अहमियत न समझ कर खिलवाड़ की तरह लेते हैं, एकदूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, उन से बड़ा बेवकूफ कोई नहीं. वहां परिवार के टूटने की नौबत आना स्वाभाविक है.
यूं तो डायबिटीज दुनिया भर में फैली है, मगर भारत आज उसका सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण 21वीं सदी की जीवनशैली है. लेकिन अगर समय रहते ही इस पर ध्यान दे दिया जाए और खान-पान में सुधार कर लिया जाए तो यह काफी हद तक कंट्रोल में रह सकती है.
करें यह उपाय
1. व्यायाम-स्टडी बताती है कि व्यायाम करने से शरीर में खून का दौरा सही रहता है और खून में शक्कर की मात्रा भी नियंत्रण में रहती है. रिजल्ट के तौर पर हाई मेटाबॉलिज़्म और मधुमेह का कम खतरा रहता है.
2. ना लें चीनी-आपको चीनी, गुड़, शहद, कोल्ड ड्रिंक्स आदि कम खानी चाहिये जिससे रक्त में शर्करा का स्तर बिल्कुल नियंत्रण में रहे. ज्यादा मीठी चीजे और मीठे पेय पदार्थों का सेवन इंसुलिन के लेवल को बढा सकता है.
3. फाइबर-खून में से शुगर को सोखने में फाइबर का महत्वपूर्ण योगदान होता है. इसलिये आपको गेहूं, ब्राउन राइस या वीट ब्रेड आदि खाना चाहिये जिससे शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल रहेगा, जिससे मधुमेह का रिस्क कम होगा.
4. ताजे फल और सब्जियां-फलों में प्राकृतिक चीनी का मिश्रण होता है और यह शरीर को हर तरह का पोषण देते हैं. ताजे फलों में विटामिन ए और सी होता है जो कि खून और हड्डियों के स्वास्थ्य को मेंटेन करता है. इसके अलावा जिंक, पोटैशियम,आयरन का भी अच्छा मेल पाया जाता है. पालक, खोभी, करेला, अरबी, लौकी आदि मधुमेह में स्वास्थ्य वर्धक होती हैं. यह कैलोरी में कम और विटामिन सी, बीटा कैरोटीन और मैगनीशियम में ज्यादा होती हैं, जिससे मधुमेह ठीक होता है.
5. ग्रीन टी-रोजाना बिना चीनी की ग्रीन टी पीजिये क्योंकि इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो कि शरीर में फ्रीरैडिकल्स से लड्राई करता है और ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन करता है.
6. कॉफी-ज्यादा कैफीन लेने से हृदय रोग की समस्या हो सकती है, लेकिन अगर यह हद में रह कर ली जाए तो काफी हद तक यह ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन कर सकती है.
7.खाने का खास ख्याल-थोड़ी-थोड़ी देर पर खाना नहीं लेते रहने से हाइपोग्लाइसेमिया होने की आशंका काफी बढ़ जाती है जिसमें शुगर 70 से भी कम हो जाती है. खाना लगभग हर ढ़ाई घंटे बाद लेते रहें. दिन भर में तीन बार खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा छह-सात बार खाएं.
8. दालचीनी-रिसर्च बताती है कि दालचीनी, शरीर की सूजन को कम करता है तथा इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है. इसको आप खाने, चाय या फिर गरम पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिक्स कर पिएं.
9. तनाव कम करें-ऑक्सीटोसिन और सेरोटिन दोनों ही नसों की कार्यक्षता पर असर डालते हैं. तनाव के समय जब एड्रानलिन का रिसाव होता है तब यह डिस्टर्ब हो जाता है, जिससे डायबिटीज का हाई रिस्क पैदा होता है.
10. उच्च प्रोटीन डाइट-जो लोग नॉन वेज खाते हैं उन्हें अपनी डाइट में लील मीट शामिल करना चाहिये. उच्च प्रोटीन डाइट खाने से शरीर में ताकत बनी रहती है क्योंकि मधुमेह रोगियों को कार्बोहाइड्रेट और हाई फैट से दूर रहने के लिये कहा गया है.
11. फास्ट फूड को कहें ना-शरीर की बुरी हालत केवल जंक फूड खाने से ही होती है. इसमें ना केवल खूब सारा नमक होता है बल्कि शक्कर और कार्बोहाइड्रेट्स तेल के रूप में होता है. यह सब आपके ब्लड शुगर लेवल को बढाते हैं.
12. नमक पर रोक-नमक की सही सीमा आपको डायबिटीज को कंट्रोल करने मे मदद करेगा. ज्यादा नमक लेने से शरीर में हार्मोनल विसंगतियों का खतरा पैदा हो जाता है. इसके यह अलावा यह टाइप 2 डायबिटीज को बढा भी सकता है.
13. खूब पानी पिएं-पानी खून में बढी शुगर को इकठ्ठा करता है जिस वजह से आपको 2.5 लीटर पानी रोजाना पीना चाहिये. इससे ना ही आपको हृदय रोग होगा और ना ही डायबिटीज.
14. सिरका-खून मे एकाग्र शुगर को सिरका खुद के साथ घोल कर हल्का कर देता है. स्टडी में बताया गया है कि भोजन करने के पहले दो चम्मच सिरका लेने से ग्लूकूज का फ्लो कम हो जाएगा.
15. सोया-डायबिटीज को कम करने के लिये सोया जादुई असर दिखाता है. इसमें मौजूद इसोफ्लावोन्स शुगर लेवल को कम कर के शरीर को प्रोषण पहुंचाता है.
कलाकारः पवन मल्होत्रा, सुप्रिया पाठक, गगन अरोड़ा, रणवीर शोरी, साहिल मेहता, परमवीर सिंह चीमा, अली मुगल, बाबला कोचर , कंवलजीत सिंह, नुपुर नागपाल, आकाशदीप साहिर, तरन बजाज, निशांत सिंह, लवली सिंह, मेहताब विर्क, रोहित खुराना, रचित बहल व अन्य
अवधिः पांच घंटे 15 मिनटः 30 से 47 मिनट के आठ एपीसोड
ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव
हर इंसान के लिए सबसे पहले अपना परिवार होता है. इंसान अपने परिवार के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए किस हद तक जा सकता है, इसी को चित्रित करते हुए कई अंतरराष्ट्ीय पुरस्कार हासिल कर चुके फिल्मकार अजीत पाल सिंह क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज ‘‘ टब्बर’’ लेकर आए हैं, जो कि 15 अक्टूबर से ओटीटी प्लेटफार्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है. पंजाबी में परिवर को टब्बर कहते हैं. इसी के साथ अजीत पाल सिंह ने इस सीरीज में एक ऐसे द्वंद का चित्रण किया है, जो अक्सर घर व हर इंसान के अंदर चलता रहता है. इस सीरीज में पत्नी सरगुन भगवान यानी कि रब पर पूरा भरोसा करती है. मगर पति ओंकार भगवान यानी कि ईश्वर यानी कि रब से नाराज है. ओंकार तय करता है कि परिवार पर आयी आफत को वह ख्ुाद ही ठीक करेगा. वह तय करता है कि मैं खुद ही अपने परिवार को बचाउंगा. मैं खुद ही तय करुॅंगा कि मेरे व मेरे परिवार के साथ क्या हो. रब कुछ नही करने वाला है.
कहानीः
कहानी का केंद्र बिंदु जालंधर, पंजाब में रह रहा ओंकार(पवन मल्होत्रा) और उसका परिवार है. ओंकार के परिवार में उसकी पत्नी सरगुन(सुप्रिया पाठक), बड़ा बेटा हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी(गगन अरोड़ा) व छोटा बेटा तेगी(साहिल मेहता) है. 12 वर्ष तक पुलिस की नौकरी करने के बाद एक हादसे के चलते पुलिस की नौकरी छोड़कर ओंकार ने अपनी किराने की दुकान खोल ली थी. अपने दोनों बेटों को बेहतर इंसान बनाने व उच्च शिक्षा देने में वह अपना सब कुछ न्योछावर करते रहते हैं. मगर तकदीर अपना खेल ख्ेालती रहती है. ओंकार ने अपने बड़े बेटे हैपी को आई पीएस अफसर बनाने के लिए उसे कोचिंग में पढ़ने के लिए दिल्ली भेजता है. जहां घर का बड़ा बेटा होने की जिम्मेदारी का अहसास कर हैप्प्ी दो माह बादकोचिंग छेाड़कर एक इंसान से कुछ कर्ज लेकर अपना व्यापार श्ुारू करता है. पर घाटा होता है और कर्ज तले दब जाता है , तब वह जालंधर वापस आता है. रास्ते में कर्ज के बोझ से छुटकारा पाने के लिए वह महीप सोढ़ी(रचित बहल ) के बैग से अपना बैग बदल लेता है. क्योंकि उसे पता चल जाता है कि महीप के बैग में पीला ड्ग्स है. मगर हैप्पी के पीछे पीछे महीप अपना बैग लेेने हैप्पी के घर आ जाता है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि हैप्पी के हाथों महीप का कत्ल हो जाता है. महीप का भाई अजीत सोढ़ी (रणवीर शोरी ) बहुत बड़ा उद्योगपति है, जो कि चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है. अब अपने बेटे हैप्पी व परिवार को सुरक्षित रखने का निर्णय लेते हुए ओंकार ऐसा निर्णय लेते हैं कि कहानी कई मोड़ों से होकर गुजरती है.
‘कर बहियां बल आपनी, छांड़ बिरानी आस. . . ’’ का संदेश देने वाली वेब सीरीज है- ‘‘टब्बर’’. जिसमें ‘‘रम्मत गम्मत’’ और ‘‘फायर इन द माउंटेंस’’ के लिए कई अंतरराष्ट्ीय पुरस्कार हासिल कर चुके निर्देशक अजीत पाल सिंह ने अपनी संवेदन शीलता को एक बार फिर उजागर किया है. फिल्मकारों के लिए अब तक पंजाब यानी कि ‘सरसों के खेत’’ही रहा है, मगर अजीत पाल सिंह ने इस वेब सीरीज में न सिर्फ पंजाब के परिवार बल्कि पंजाब के सामाजिक व राजनीतिक परिदृश्य को भी यथार्थ परक तरीके से उकेरा है. इतना ही नही फिल्मकार ने बड़ी खूबसूरती से यह संदेश भी दे दिया है कि इंसान ‘रब’ की बजाय ख्ुाद पर भरोसा कर हर मुसीबत का मुकाबला ज्यादा बेहतर ढंग से कर सकता है. निर्देशक ने सारे दृश्य इस तरह से गढ़े है कि वह कहानी व लेखक के लिखे शब्दों को बल देता है. अजीत पाल सिंह का उत्कृष्ट संवेदनशील निर्देशन इस सीरियल को उत्कृष्टता की उंचाई प्रदान करता है. यॅॅंू तो यह क्राइम थ्रिलर है, मगर फिल्मकार व लेखक ने इसमें पंजाब की जमीनी सच्चाई को पूरी इमानदारी के साथ पेश किया है. इसमें पारिवारिक रिश्ते, प्यार, दोस्ती, तनाव, ड्ग्स, ड्ग्स के चलते बर्बाद होती होनहार युवा पीढ़ी, गलत समझे जाने वाला पॉप कल्चर, पूरे संसार को जीतने की ललक के साथ ही राजनीति की बिसातों का भी चित्रण है. वेब सीरीज का अंत यानी कि आठवंे एपीसोड का अंतिम अति मार्मिक दृश्य दर्शकांे की आॅंखांे से आंसू छलका देता है. इसके बावजूद लेखक व निर्देशक ने किसी भी किरदार को सही या गलत नही ठहराया है, बल्कि दिखाया है कि आप चाहे जितना मासूम हो, पर गलती हुई है, तो उसकी सजा मिलनी ही है.
लेखक हरमन वडाला ने इसमें परिवार के अंदर भावनात्मक संघर्ष, आथर््िाक हालात के साथ प्यार को साधने के संघर्ष, का भी बाखूबी चित्रण किया है. सीमावर्ती प्रदेश पंजाब की भौगोलिक स्थिति को कहानी के एक किरदार के रूप में उकेरा है, तो वहीं कौवा और कौवे की आवाज का भी संुदर उपयोग किया गया है, जिससे कहानी समृद्ध हो जाती है.
लेकिन शुरूआत के दो एपीसोड काफी ढीले ढाले हैं. इसके अलावा कुछ दृश्य तार्किक नही लगते. इतना ही नही पलक व हैप्पी की प्रेम कहानी को अंत में लेखक व निर्देशक भूल गए.
अभिनयः
एक पिता, परिवार का मुखिया और अपने दो मासूम बेटो को हर तूफान से सुरक्षित रखने के लिए बिना ‘रब’@‘भगवान’ पर भरोसा किए अकेले ही सबसे लड़ने व नई पई योजना बनाने वाले ओंकार के अति जटिल किरदार को जीवंतता प्रदान कर अभिनेता पवन मल्होत्रा ने अपने कुशल व उत्कृष्ट अभिनय का एक बार फिर लोहा मनवाया है. पूरी वेब सीरीज को पवन मल्होत्रा अकेले अपने कंधे पर लेकर चलते हैं. पति का साथ देने व भावनात्मक स्वाद बढ़ाते हुए सरगुन के किरदार में एक बार फिर सुप्रिया पाठक ने खुद को एक बार फिर मंजी हुई अदाकारा के रूप में पेश किया है. बड़े बटेे हैप्पी के संजीदा किरदार में अभिनेता गगन अरोड़ा अपने अभिनय के चलते न सिर्फ लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, बल्कि साबित करते है कि उनके अंदर लंबी रेस का घोड़ा बनने की क्षमता है.
खुद को साबित करने के जुनून में जल रहे पुलिस वाले मासूम लक्की के किरदार में अभिनेता परमवीर सिंह चीमा भी प्रशंसा बटोर लेते हैं. कंवलजीत की प्रतिभा को जाया किया गया है. कंवलजीत ने इसमें क्यों अभिनय किया, यह समझ से परे है. तेगी के किरदार में नवोदित अभिनेता साहिल मेहता ने काफी उम्मीदें जगाई हैं.
अजीत सोढ़ी के किरदार में रणवीर शोरी ने भी अच्छा अभिनय किया है, वैसे उनके किरदार को उतनी अहमियत नही मिल पायी, जितनी मिलनी चाहिए थी. हैप्पी की प्रेमिका पलक के किरदार में नुपुर नागपाल ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है.
सीरियल गुम है किसी के प्यार में की कहानी जबरदस्त मोड़ देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ सम्राट और पाखी के रिश्ते में गलतफहमी बढ़ रही है तो वहीं विराट को अपनी गलती का एहसास हो रहा है. इसी बीच सीरियल में नई एंट्री हो गई है, जिससे सई और विराट के रिश्ते में नया मोड़ आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
अब तक आपने देखा कि सई का एक्सीडेट होने के बाद से विराट काफी परेशान है. वहीं सई पूरी कोशिश कर रही है कि वह विराट से दूर चली जाए. लेकिन विराट की मां उसे घर छोड़कर जाने के लिए मना कर देती है. क्योंकि डौक्टर का कहना है कि विराट या सई अगर एक दूसरे से दूर गए तो उन दोनों की जान को खतरा हो सकता है.
अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि विराट और उसका परिवार सई को चव्हाण निवास लेकर आएगा, जहां भवानी, निनाद और परिवार के दूसरे सदस्य उसका बड़े धूमधाम से स्वागत करेगें. हालांकि पाखी इस बात से खुश नही होगी. दूसरी तरफ विराट की मां अश्विनी परिवार के सामने घोषणा करेगी कि अब से सई और विराट अलग-अलग कमरों में रहेंगे, जिसे सुनकर सभी चौंक जाएंगे. हालांकि अश्विनी का ये फैसला विराट और सई को करीब लाने के लिए होगा.
एक तरफ जहां विराट औऱ सई, अश्विनी के फैसले से परेशान होंगे तो वहीं पाखी इस कदम से बेहद खुश होगी. हालांकि सम्राट, पाखी की खुशी को देखकर गुस्से में नजर आएगा. वहीं जल्द से जल्द घर छोड़कर पाखी से दूर जाने का फैसला करेगा. लेकिन पाखी हार नहीं मानेगी वह सम्राट को अपने साथ रहने के लिए मनाती नजर आएगी. वहीं विराट और सई एक-दूसरे के करीब आते नजर आएंगे.
स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा जोरों पर है, जिसके चलते टीआरपी चार्ट्स में सीरियल पहले नंबर पर बना हुआ है. सीरियल की बात करें पाखी के कारण अनुपमा और वनराज एक बार फिर साथ नजर आ रहे हैं. वहीं अनुज और काव्या इसके चलते परेशान दिख रहे हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में एक बार फिर वनराज की जलन सामने आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
अब तक आपने देखा कि अनुपमा, देविका और अनुज एक कुकिंग कॉम्पिटिशन करेंगे. जहां अनुपमा और अनुज जमकर मस्ती करते नजर आएंगे. वहीं इसमें उनका साथ बापूजी और किंजल देते नजर आएंगे. इसी बीच समर, नंदनी को ढूंढने की कोशिश करता है. लेकिन गुस्से में वनराज उसका साथ देने से मना कर देता है. हालांकि अनुज, समर की मदद करने की कोशिश करता है. वहीं सड़क पर बेहोश हालत में नंदनी भी मिल जाती है.
अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज के साथ समर और नंदनी घर लौटेंगे. जहां वनराज, समर पर गुस्सा निकालेगा. साथ ही अनुपमा को ब्लेम करता नजर आएगा. हालांकि अनुपमा का साथ देते हुए समर कहेगा कि उसने ही अनुपमा को मना किया था वनराज को बताने से, जिसके बाद वनराज एक बार फिर अनुज को ताना मारेगा और अनुज की तरफ ताना देते हुए अनुपमा को सुनाएगा.
दूसरी तरफ शाह परिवार दशहरे का सेलिब्रेशन मनाएगा. लेकिन इस दौरान समर पर नंदिनी के एक्स बौयफ्रेंड के गुंडे हमला कर देंगे. वहीं अनुपमा को समर के साथ कुछ बुरा होने का एहसास हो जाएगा. हालांकि अनुज, समर की जान बचाता नजर आएगा, जिसके बाद वनराज का गुस्सा एक बार फिर बढ़ जाएगा.
लीवर में छाले पड़ना यानि लीवर के कुछ भाग में पस जमा होने लगता है, जो काफी दर्दनाक होता है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं करवाया जाता तो ये जख्म फूट सकते हैं और इससे निकलने वाली गंदगी रक्त प्रवाह के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचकर उन्हें संक्रमित कर सकती है. इस संबंध में बताते हैं मणिपाल होस्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांटेशन सर्जन डाक्टर राजीव लोचन. साधारण तौर पर यह बीमारी दो प्रकार की होती है- एमिओबिक लीवर एब्सेस और पायोजेनिक लीवर एब्सेस .वैसे आपके लीवर में छाले पड़ने के कई कारण हो सकते हैं. बता दें कि एमिओबिक लीवर एब्सेस का महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह बीमारी एन्टामिबा हिस्टॉलिटिका जैसे पेरेसाइट्स के चलते होती है. इसका मतलब यह है कि लीवर के मार्ग में इंफेक्शन के चलते एमिबायासिस होता है. पायोजेनिक लीवर एब्सेस होने का प्रमुख कारण इंटेस्टाइन ट्रैक या मूत्र मार्ग का इंफेक्शन होना ही अकसर माना जाता है.
एब्सेस की बीमारी होने में उम्र भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. एमिओबिक लीवर एब्सेस की बीमारी अधिकतर अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होती है. वयस्क लोग विशेष रूप से जिन्हें मधुमेह या जिनकी कीमोथेरेपी हुई होती है , उन्हें लीवर एब्सेस होने का खतरा सबसे अधिक होता है. या फिर ऐसे व्यक्ति जिनकी प्रतिकार क्षमता कम हो या जो वजन घटाने का कोई उपचार कर रहे हैं , उन्हें भी लीवर की बीमारियां होने का खतरा सबसे अधिक हो सकता है.
कौन से प्रकार का लीवर एब्सेस है, उसकी जांच करने के बाद ही उसका पता चलता है व उसके बाद ही उस का सही इलाज करना संभव होता है.
लीवरएब्सेसहोनेकेकारण
लीवर एब्सेस होने के निर्मलिखित कारण होते हैं , जो इस प्रकार से हैं-
– पित्ताशय के मार्ग में बीमारी.
– पित्ताशय के मार्ग में कोई समस्या.
– यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
लीवरएब्सेसकीरोकथामकैसेकरें
इसके लिए पेट के निचले हिस्से में इंफेक्शन की जांच करना बहुत जरूरी होता है . क्योंकि लीवर एब्सेस होने का यह भी एक कारण हो सकता है, और इसकी रोकथाम के लिए ये जांच बहुत जरूरी होती है. विशेष रूप से बुजुर्ग़ या जिन्हें डाईबिटिज़ जैसी कोई बीमारी है , ऐसे व्यक्तियों में इसका खतरा सबसे अधिक रहता है. ओब्सक्यूअर यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन और पेल्विक सेप्सिस भी लीवर एब्सेस होने के कारण हो सकते हैं. लेकिन इसके लिए पहले सही कारण का पता लगाना बहुत जरूरी होता है, ताकि सही इलाज संभव हो सके.
लीवर में अगर किसी तरह का पस नजर आता है, तो डाक्टर जरूरी जांच कर शुरुवात में एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं , जिससे महीने भर के अंदर पस सूखने के साथ मरीज को आराम मिल जाता है. लेकिन अगर मरीज को ज्यादा दर्द व लक्षण ज्यादा गंभीर नजर आते हैं , तो किसी खास तरह की सिरिंज का इस्तेमाल करके पस को बाहर निकाला जाता है. लेकिन अगर स्तिथि ज्यादा गंभीर है और दवाओं से ही कंट्रोल करना संभव नहीं है तो सर्जरी की मदद लेकर लीवर का कुछ भाग निकालने की जरूरत होती है और फिर जल्दी घाव को भरने के लिए मरीज को साथसाथ एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है. लेकिन ये ट्रीटमेंट मरीज की स्तिथि को देखकर दिया जाता है. इस बीमारी के इलाज के लिए एचबीपी सर्जन, मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट तथा डायगोनोस्टिक और इंटरवेशनल रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञों की टीम द्वारा एक निर्णय लेना बहुत आवश्यक होता है.
पेड़-पौधे और हरियाली किसे अच्छी नहीं लगती. बारीश में नहाए पेड़ों को देखना आंखों को एक अलग तरह की राहत देता है. पेड़-पौधों के बिना हम अपनी जिन्दगी के बारे में सोच ही नहीं सकते. पेड़ों से ही हमें आहार मिलता है और पेड़ों के कारण ही हम सांसे ले पाते हैं.
आज हम आपको कुछ हर्बल पौधों के बारे में बताएंगे जिन्हें लगाकर आप अपने किचन गार्डन की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही आपके किचन में भी काम आएंगे. इन पौधों के पत्तों से आपके खाने का स्वाद तो बढ़ेगा ही साथ ही आप स्वस्थ भी रहेंगे.
1. लेमन बाम
अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं या अनिद्रा के शिकार हैं, तो लेमन बाम आपके लिए बहुत फायदेमंद है. लेमन बाम से पेट भी सही रहता है. यही नहीं, ये पौधा आपके घर की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाता है. यह पौधा एक नैचुरल पेस्ट कन्ट्रोलर है और सभी बिमारी फैलाने वाले कीटाणुओं को दूर रखता है.
इस पौधे को अच्छी क्वालिटी के मिट्टी में ही लगाना चाहिए. साथ ही नियमित तौर पर पानी भी डालना चाहिए. लेमन बाम से आप घर पर ही हर्बल चाय बना सकती हैं, इसके साथ ही यह पौधा आपके सलाद के स्वाद को दोगुना कर देता है.
आजकल कैंसर ऐसे फैल रहा है, जैसे कभी जुकाम फैलता था. थाइम कैंसर जैसी कई अन्य बीमारियों में आपको स्वस्थ रखने की क्षमता रखता है. कई तरह के बैक्टीरियल इनफेक्शन और स्कीन प्रोबलेम से भी थाइम छुटकारा दिलाता है. गले की खराश से लेकर आर्थराइटस में भी थाइम काफी फायदेमंद है.
थाइम को घर पर आसानी से उगाया जा सकता है. स्ट्यू बनाने से लेकर मटन की अलग अलग डिश के भी स्वाद में थाइम चार चांद लगा देता है.
3. रोजमेरी
रोजमेरी में आयरन, कैलशियम और विटामिन बी6 की भरपूर मात्रा होती है. रोजमेरी में ऐसे तत्व होते हैं जिससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है. इसे गमले में लगाएं और ये सुनिश्चित करें कि पौधे पर डायरेक्ट सनलाइट न पड़े.
ड्राई या फ्रेश रोजमेरी को सिजनिंग की तरह पिज्जा या पास्ता में इस्तेमाल करें.
4. पार्सले
पार्सले में विटामिन सी और के भरपूर मात्रा में मिलते हैं. किडनी स्टोन्स, कब्ज, मधुमेह के रोगियों के लिए यह बहुत फायदेमंद है.
पार्सले के बीजों को गिली मिट्टी में 7-10 इंच की दूरी ही लगाएं. पार्सले से आपके खाने का स्वाद और रंग दोनों बढ़ जाते हैं.
5. चाइव्स
चाइव्स में कैलोरी की मात्रा बहुत कम और विटामिन, ऐंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है. चाइव्स से आप सुकून की नींद सो सकती हैं.
चाइव्स को आप घर के बाहर और अंदर दोनों जगह लगा सकती हैं. ये आसानी से कहीं भी ऊग जाते हैं. पर चाइव्स में भी नियमित तौर पर पानी देना बहुत जरूरी है. सलाद में चाइव्स मिलाएं और सलाद का स्वाद बढ़ाएं.
6. मिन्ट
मिन्ट बहुत ही जरूरी हर्ब है और इसे हर किचन गार्डन में जगह मिलनी ही चाहिए. इसे गमले में या यूं ही जमीन पर लगाएं, पर इसकी नियमित देखभाल बहुत जरूरी है. इसे सूखने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता.
मिन्ट या पुदीने की चटनी तो आपने कई बार बनाई होगी. पर इससे हर्बल टी, सलाद वगैरह में भी डालकर खाया जा सकता है.
ओरिगैनो बच्चों और आपका फेवरेट है. पर यह बाजार में महंगा मिलता है. आप ओरिगैनो को अपने घर पर ही लगा सकती हैं. इस घर के बाहर लगाना ही ज्यादा बेहतर है. इस हर्ब में कमाल की खूशबू होती है.
ध्यान रहे, ओरिगैनो के पौधे में तभी पानी डालें जब इसकी मिट्टी पूरी तरह से सूख चुकि हो. पास्ता सॉस, पिज्जा, सैंडविच किसी भी ओरिगैनो डालकर खाएं.
इन हर्ब्स को अपने किचन गार्डन में ऐंट्री जरूर दें, और जब चाहें इन्हें खाने में प्रयोग करें. हर्ब्स से आपके गार्डन की सुंदरता तो बढ़ेगी ही, साथ ही आपके खाने का स्वाद भी बढ़ जाएगा.