जब फ्लर्ट करने लगे मां का फ्रैंड  

20वर्षीय सेजल अपनी मां शेफाली के बौयफ्रैंड राजीव मलिक से बेहद परेशान है. 45 वर्षीय शेफाली 10 साल से अपने पति रवि से अलग रह रही हैं. ऐसे में पुरुषों का आनाजाना उस की जिंदगी में लगा रहता है. राजीव मलिक शेफाली के घरबाहर दोनों के काम देखता है और इस कारण राजीव का हस्तक्षेप शेफाली की जिंदगी में बढ़ने लगा था. हद तो तब हो गई जब राजीव 48 वर्ष की उम्र में भी खुलेआम सेजल से फ्लर्ट करने लगा था.

कभी पीठ पर चपत लगा देता, कभी गालों को प्यार से छूना, कभी सेजल के बौयफ्रैंड्स के बारे में तहकीकात करना इत्यादि से सेजल के साथ ये सब उस की अपनी सगी मां के सामने हो रहा था जो मूर्खों की तरह अपने बौयफ्रैंड के ऊपर आंखें मूंद कर विश्वास कर बैठी थी. सेजल एक अजीब सी कशमकश से गुजर रही है. उसे सम झ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, किस के साथ अपनी बात सा झा करे?

सेजल ने जब यह बात अपने बौयफ्रैंड संचित को बताई तो उस ने सेजल को सपोर्ट न कर के इस बात का फायदा उठाया. एक तरफ संचित तो दूसरी तरफ राजीव, सेजल का इन दोनों के बाद पुरुषों से विश्वास ही उठ गया है. काश सेजल ने बात अपनी मौसी या नानी को बताई होती.

उधर काशवी के मम्मी के दोस्त आलोक अंकल कब अंकल की परिधि से निकल कर कब उस के जीवन में आ गए खुद काशवी भी न जान पाई थी. आलोक अंकल का खुल कर पैसा खर्च करना, रातदिन उस से चैट करना सबकुछ काशवी को पसंद आता था. काशवी की मम्मी रश्मि उधर  यह सोच कर खुशी थी कि उन की बेटी को फ्रैंड फिलौसफर और गाइड मिल गया है. आलोक को और क्या चाहिए एक तरफ रश्मि की दोस्ती और दूसरी तरफ काशवी की अल्हड़ता.

काशवी के साथ छिछोरेबाजी करते हुए आलोक को यह भी याद नहीं रहता कि उस की अपनी बेटी काशवी की ही  हमउम्र है.

मगर कुछ लड़कियां सम झदार भी होती हैं. जब बिनायक ने अपनी फ्रैंड सुमेधा की बेटी पलक के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश की तो पलक ने भी अपना काम निकाला और जैसे ही विनायक ने फ्लर्टिंग के नाम पर सीमा लांघनी चाही तो पलक ने बड़ी होशयारी से अपनी मम्मी सुमेधा को आगे कर दिया. विनायक और सुमेधा आज भी दोस्त हैं, परंतु विनायक अब भूल कर भी पलक के आसपास नहीं फटकते हैं.

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आज के आधुनिक युग की ये कुछ  अलग किस्म की समस्याएं हैं. जब महिलापुरुष एकसाथ काम करेंगे तो स्वाभाविक सी बात है  कि उन में दोस्ती भी होगी और ये पुरुष मित्र घर भी आएंगेजाएंगे.

मगर इन पुरुष मित्रों की सोच कैसी है यह आप की मम्मी या आप को भी नहीं पता होता है. इसलिए अगर आप की मम्मी का पुरुष मित्र आप से फ्लर्टिंग करने की कोशिश करे तो उसे हलके में न लें. आप आज की पढ़ीलिखी स्वतंत्र युवा हैं. हलकेफुलके मजाक और भोंडे़ मजाक में फर्क करना सीखें.

मौसी या आंटी को बनाएं राजदार

आप की मौसी या आंटी को आप से अधिक जिंदगी के अनुभव हैं. वे अपने अनुभवों के आधार पर अवश्य ही आप को सही सलाह देंगी. अपने तक ही ऐसी बात को सीमित रखें, बातचीत अवश्य करें.

फ्रैंड के बच्चों से कर लें दोस्ती

यदि मम्मी के फ्रैंड अपनी सीमा रेखा को भूलने की कोशिश करें तो उन्हें मर्यादा में रखने के लिए उन के बच्चों से दोस्ती कर लें. उन के घर जाएं, उन के परिवार को अपने घर पर बुलाएं.

अपने पापा को भी साथ ले कर जाना मत भूलें. जैसे ही परिवार की बात आती है अच्छेअच्छे सूरमाओं के पसीने छूट जाते हैं. वे भूल से भी आप को तंग नहीं करेंगे.

गलत बात का करें विरोध

बहुत बार देखने में आता है कि हम  अपने बड़ों की गलत बात को जानबू झ कर नजरअंदाज कर देते हैं. इस के पीछे बस उन की उम्र का लिहाज होता है, परंतु ये आप के मम्मी  या पापा नहीं हैं कि आप को उन का लिहाज करना पड़े. उन की गलत बात का डट कर  विरोध करें और अगर जरूरी लगे तो अपनी  मम्मी को भी उन के फ्रैंड के व्यवहार से अवगत अवश्य कराएं.

लक्ष्मण रेखा खींच कर रखें

अपनी मम्मी के फ्रैंड से बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है, परंतु अपने व्यवहार को मर्यादित रखें. अगर आप खुद ही फौर्मल रहेंगी तो आप के अंकल भी कैजुअल नहीं हो पाएंगे. हलकाफुलका मजाक करने में बुराई नहीं है पर इन हलकेफुलके पलों में यह याद रखें कि आप की मम्मी भी शामिल हो.

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दिखाएं उम्र का आईना

यह सब से अचूक और कारगर उपाय है, जो कभी खाली नहीं जाता है. अगर मम्मी के फ्रैंड ज्यादा तफरीह करने की कोशिश करें तो उन्हें उन की उम्र का आईना दिखाने से गुरेज न करें. अपने को उम्रदराज मनाना किसी को भी पसंद नहीं है. एक बार आप अपने और उन के बीच उम्र का फासला महसूस करवाएंगी तो भूल से भी वे दोबारा आसपास नहीं फटकेंगे.

पसीने के कारण मेरे बालों में बदबू आने लगती है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 24 वर्षीय कालेजगोइंग गर्ल हूं. मेरी समस्या यह है कि मु झे पसीना बहुत आता है. सिर में इतना पसीना आता है कि बाल चिपचिपे हो जाते हैं और यदि शैंपू न किया हो तो पसीने की गंध आती है. समस्या तब आती है जब मु झे बौयफ्रैंड से मिलने जाना होता है. उसे मेरे बालों से कोई बदबू न आए, इसलिए बालों पर परफ्यूम स्प्रे कर लेती हूं. क्या ऐसा करने से मेरे बाल खराब हो जाएंगे?

जवाब-

जी हां, बौडी परफ्यूम में कुछ अल्कोहल की मात्रा होती है जो बालों को रूखा और फ्रीजी बना सकती है. आजकल बाजार में हेयरपरफ्यूम या हेयरमिस्ट उपलब्ध हैं. बेहतर रिजल्ट के लिए आप अपने बालों के साथसाथ स्कैल्प पर भी थोड़ा सा हेयरपरफ्यूम स्प्रे करें. इस से आप के बालों को थोड़ा हाईड्रेशन मिलेगा और भीनीभीनी खुशबू तो आएगी ही.

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लंबे-खूबसूरत और काले बाल किसे पसंद नहीं आते…लेकिन लाइफस्टाइल और सही देखभाल के अभाव में अक्सर हमें बालों से जुड़ी किसी न किसी परेशानी को फेस करना पड़ता ही है. महंगे हेयर ट्रीटमेंट और कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल के बावजूद हमें इन परेशानियों से छुटकारा नहीं मिलता.

इसके अलावा बहुत अधिक केमिकल इस्तेमाल करने से भी बाल खराब हो जाते हैं. ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप नेचुरल तरीके अपनाए. बहुत से ऐसे कुदरती उपाय हैं जिनकी मदद से आप बालों से जुड़ी परेशानियों को दूर कर सकते हैं. आमतौर पर लोगों को बालों से जुड़ी तीन तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रूखे-बेजान बाल, रूसी और ग्रोथ की समस्या…

आमतौर पर इन परेशानियों के लिए अलग-अलग उपाय बताए जाते हैं लेकिन आलू एक ऐसी चीज है, जिसके इस्तेमाल से आप इन सभी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं. आलू में शहद, दही और नींबू मिलाकर आप अलग-अलग समस्याओं से मुक्त‍ि पा सकते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- बालों की प्रौब्लम्स के लिए ट्राय करें आलू के ये टिप्स

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Monsoon Special: होंठों को भी चाहिए देखभाल, अपनाएं ये 5 ईजी टिप्स

जिस तरह बारिश के दिनों में आप अपनी स्किन और बालों का ध्यान रखते हैं कुछ उसी तरह आपके होंठ भी मांगते हैं बारिश के मौसम में एक्स्ट्रा केयर. आपकी मुस्कुराहट में चार चांद लगा देने वाले आपके लिप्स मानसून में अपनी रौनक खो सकते हैं. जानना चाहते हैं कैसे आप अपने लिप्स को हर मौसम में सॉफ्ट और टैनफ्री रख सकते हैं? इन कुछ बातों का ध्यान रख कर आप अपने लिप्स की ड्रॉयनेस और पिगमेंटेशन से छुटकारा पा सकते हैं-

1. स्क्रबिंग से करें शुरुआत:

लिप्स की स्क्रबिंग करते समय हमेशा याद रखें कि आप ओवर-एक्सफोलिएट या हार्श स्क्रबिंग न करें उससे आपकी होंठों की स्किन को नुकसान हो सकता है. अपना पसंदीदा लिप बाम लें और उसे अपने होंठों पर लगाएं. लिप बाम को थोड़ी सी मात्रा

अपने होंठों पर लगाने के  बाद उसे टूथब्रश से सर्कुलर मोशन में थोड़ी देर के लिए रगड़ें. यह आपके होंठों से डेड स्किन सेल्स निकलने का सबसे अच्छा तरीका है.

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2. मॉइस्चराइज करना ना भूलें:

एक्सफोलिएट/स्क्रबिंग करने के ठीक बाद मॉइस्चराइज करना बिलकुल ना भूलें. फटे होंठों से ब्लीडिंग भी हो सकती है जो कि हम सभी जानते हैं कि कितनी असहज होती है, इसलिए, अपने बैग में हमेशा एक लिप बाम रखें क्योंकि वो आपके काफी काम आएगा. अपने होंठों को साफ्ट रखने के लिए बार-बार लिप बाम लगाएं ताकि वह सूखे ना. नेचुरल फ्रूट लिप बाम जैसे अयूर हर्बल्स लिप बाम आपको एक्स्ट्रा केयर और पोषण देने में मदद करते हैं साथ ही साथ आपके पसंदीदा फ्लेवरस में भी आते हैं.

3. मेकअप से नुकसान:

अपने चेहरे से मेकअप को हटाए बिना बिस्तर पर जाने का बिलकुल ना सोचें. आपके होंठों पर लंबे समय तक केमिकल्स की मौजूदगी उन्हें डल बना सकती है और इसकी वजह से आपके होंठ फट भी सकते हैं. स्मोकिंग भी होंठों के काले होने और पिगमेंटेशन का एक मुख्य कारण है.

4. पानी है जरूरी:

हम अच्छी तरह जानते हैं कि आप अपने आस-पास के लोगों से यह सुनकर ऊब गए हैं, लेकिन किसी भी चीज को ठीक करने के लिए पानी पीना जरूरी है. अपने होंठों को मुलायम और सुंदर बनाए रखने के लिए रेगुलर इंटरवल्स में खूब सारा पानी पीएं. यह आपको अंदर-बाहर दोनों से हाइड्रेटेड और हैल्थी रखेगा.

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5. होंठों की मसाज करें:

अपने होंठों की मसाज करके आप अपने होंठों की डलनेस से छुटकारा पा सकते हैं, या तो गुलाब जल के साथ या अपनी पसंद के तेल के साथ अपने होंठों पर सर्कुलर मोशन में हलके हाथों से मसाज करें. इससे आपके लिप्स का ब्लड फ्लो बढ़ेगा और आपको मिलेंगे फुलर दिखने वाले, सॉफ्ट और लाल होंठ.

पत्नी हो तो ऐसी

पत्नी वह होती है जो पति के अधूरे काम जान जोखिम में डाल कर भी पूरे कर ले. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो अबे की पत्नी एकी अबे ने शिंजो के प्रधानमंत्रीकाल में कोई लंबीचौड़ी हेराफेरी की थी. तोशियो अकागी जो एकी अबे के कारनामों को जानता था एक दस्तावेज तैयार कर रहा था, जिस में एकी अबे की एक स्कूल के पास की जमीन सस्ते दामों पर खरीद लेने के सुबूत थे. तोशियो अकागी पर दबाव पड़ा कि वे दस्तावेज गुप्त रखे जाएं और

2018 में दबाव न सह पाने पर उस ने आत्महत्या कर ली. अपनी पत्नी मसाको अकागी को यह बात तोशियो ने बता दी थी और तोशियो की मृत्यु के बाद मसाको उन दस्तावेजों को पब्लिक कराने की मुहिम में जुट गई. प्रधानमंत्री की पत्नी के खिलाफ सुबूतों को ढूंढ़ना और उस मुद्दे के पीछे पड़ना आसान नहीं है खासतौर पर तब जब शिंजो अबे सब से लंबे समय तक जापान का प्रधानमंत्री रहा हो. उस के हाथ कितने लंबे होंगे इस का अंदाजा लगाया जा सकता है.

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पति से प्रेम का मतलब है पति के अधूरे कामों को पूरा करना और मसाको ने यह कर दिखाया. वह अकेली इस लड़ाई में लगी रही और उस के दबाव में आखिर में जून, 2021 में सरकार ने तोशियो अकागी का तैयार किया डौजियर रिलीज किया, जिस में सैकड़ों ईमेल हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी के कारनामों का परदाफाश करते हैं. तोशियो इस क्षेत्र के एक दफ्तर में अधिकारी था जहां की जमीन एकी ने खरीदी थी.

मसाको ने अपने पति की आत्महत्या के लिए सरकारी दबाव को जिम्मेदार ठहरा कर मुआवजा भी मांगा था. उस की इच्छा थी कि कोई भी सरकारी अफसर कागजी फाइलों में बंद गुप्त रहस्यों को छिपाने के लिए आत्महत्या करने को मजबूर न हो.

इस मामले ने वर्तमान प्रधानमंत्री पर दबाव बढ़ा दिया है कि मामले की फिर से जांच हो और अगर पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी ने कोई हेराफेरी की है तो सही कदम उठाया जाए.

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कहने को तो जापानी कानून की तरह हमारे यहां भी राइट टु इनफौर्मेशन कानून है पर आमतौर पर वहां से भी गोलमोल उत्तर मिलते हैं. प्रधानमंत्री केयर फंड के बारे में तो भारत सरकार ने बताने से इनकार कर दिया है, जबकि इस में जबरन पैसा डलवाया गया था पर अफसोस हमारे यहां मसाको अकागी कहां है?

मेहंदी से लेकर शादी तक, देखें राहुल वैद्य की दुल्हनिया दिशा परमार के किलर लुक्स

पौपुलर टीवी शो बिग बॉस 14 में अपने प्यार का इजहार करने वाले सिंगर राहुल वैद्य अपनी गर्लफ्रैंड और एक्ट्रेस दिशा परमार संग 16 जुलाई को शादी के बंधन में बंध गए हैं. इस दौरान उनका परिवार और करीबी दोस्त शामिल नजर आए. वहीं सोशलमीडिया पर दोनों की मेहंदी से लेकर रिसेप्शन की फोटोज ने काफी सुर्खियां बटोरी. इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं राहुल वैद्य की दुल्हनियां दिशा परमार के पूरे फंक्शन में कैरी किए हुए लुक्स की झलक, जिन्हें आप भी ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

मेंहदी में थी सिंपल अंदाज

 

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राहुल वैद्य और दिशा परमार के मेहंदी सेलिब्रेशन में कपल का सिंपल अंदाज देखने को मिला. पिंक कलर के कर्ते के साथ वाइट कलर के शरारा में दिशा परमार बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं फैंस को उनका ये लुक काफी पसंद आया था.

 शादी का रौयल अंदाज

 

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वेडिंग लुक की बात करें तो दिशा रानी पिंक कलर के जोड़े में नजर आईं, जिसके साथ कुंदन ज्वैलरी बेहद खूबसरत लग रही थी. वहीं लहंगे पर किया गया मिरर वर्क उनके लुक पर चांद लगा रहा था.

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रिसेप्शन पार्टी में छाया लुक

 

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शादी के बाद रिसेप्शन पार्टी में दिशा परमार शिमरी लुक में नजर आईं. ग्रे कलर की शिमरी साड़ी के साथ लाइट ज्वैलरी और हाथों में चूड़ा दिशा के लुक पर चार चांद लगा रहा था.

फैमिली से मिलने के लिए था खास लुक

 

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रिसेप्शन के बाद दिशा परमार और राहुल वैद्य जब अपनी फैमिली से मिलने पहुंचे तो पीले रंग के हैवी कारिगरी वाले सूट में दिशा बेहद स्टाइलिश लग रही थीं. उनका लुक फैंस को काफी पसंद आया था.

संगीत में लुक था स्टाइलिश

बाकी लुक्स से अलग शादी के बाद संगीत सेरेमनी में दिशा परमार का लुक बेहद स्टाइलिश देखने को मिला. शिमरी लहंगे में दिशा परमार बेहद स्टाइलिश अंदाज में नजर आईं. वहीं कपल का लुक एक दूसरे को कौम्पलिमेंट कर रहा था.

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कश्मीर में है एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन

कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. आप किसी भी हिलस्टेशन पर घूम लीजिए, लेकिन यहां घूमने का एक अलग ही क्रेज होता है. अगर आप अभी तक कश्मीर घूमने नहीं गए हैं, तो अप्रैल के आसपास कश्मीर घूमने की प्लानिंग कर लीजिए. आइए, जानते हैं और भी खास बातें.

सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है यहां

कश्मीर का ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है. 3 लेवल पर बना यह ट्यूलिप गार्डन 46 प्रकार के ट्यूलिप्स का घर है. इस ट्यूलिप गार्डन के बीचों-बीच गार्डन की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए कई फाउन्टेन्स भी लगाए गए हैं. गार्डन में आने वाले लोगों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है. इसलिए यहां एक छोटा-सा फूड पौइंट भी है, जहां आप कश्मीर के खास पकवान जैसे बाकरखानी, चौकलेट केक और कश्मीरी कहवा का आनंद ले सकती हैं.

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यहां ले सकती हैं नेचर का मजा

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कोकरनाग

कोकरनाग श्रीनगर से 80 और अनंतनाग से 25 किमी की दूरी पर है. यहां कश्मीर की सबसे बड़ी झील है. इसके अलावा यहां पर कई खूबसूरत मंदिर है, जिसमें से हनुमान मंदिर,सीता मंदिर,नीला नाग,गणेश मंदिर, शिव मंदिर खास है.

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हेमिस

हेमिस लद्दाख से 40 किमी की दूरी पर स्थित है, जो पर्यटकों के बीच हेमिस मठ और हेमिस नेशनल पार्क के लिए लोकप्रिय है. हेमिस का राष्ट्रीय उद्यान जो सिंधु नदी के तट पर स्थित है. यहां का एक और लोकप्रिय आकर्षण है. हेमिस राष्ट्रीय उद्यान, दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा नेशनल पार्क है, जहां बर्फ में पाए जाने वाली लिओपार्ड, हिरण, मकाऊ, लाल भेड़िया जैसे कई जानवर देखने को मिलते हैं.

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युसमर्ग

युसमर्ग श्रीनगर से लगभग 50 किमी की दूरी पर बडगाम जिले में स्थित है जो अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां पर्यटकों को घाटी के मनोरम दृश्य, बर्फ से ढकी पहाड़ की चोटियां और घास के मैदान देखने का अवसर मिलता है. पर्यटक यहां विभिन्न प्रकार की गतिविधियां जैसे ट्रेकिंग, स्कीइंग और घुड़सवारी का भी लुत्फ उठा सकती हैं.

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हाउसबोट

घरनुमा बोट यानी हाउसबोट से भरी डल झील की अपनी ही एक खूबसूरती है. रात के समय डल झील की खूबसूरती देखते ही बनती है. श्रीनगर के चिनार के पेड़ और कश्मीरी शौल और लाल चौक खासे चर्चित हैं.

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कब जाएं

वैसे तो कश्मीर कभी भी जा सकती हैं लेकिन ठंड के मौसम में यहां बर्फबारी बहुत ज्यादा होती है इसलिए उस वक्त जाने से बचें. इसके अलावा गर्मी के मौसम के लिए कश्मीर परफेक्ट चौइस है. वैसे अगर आप ट्यूलिप फेस्टिवल का आनंद भी लेना चाहती हैं, तो फेस्टिवल की तारीख जानकर ही अपनी ट्रिप प्लान करें.

कैसे पहुंचे

जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर हवाई और सड़क मार्ग से देशभर के सभी बड़े शहरों से जुड़ी हुई है. अगर आप रेल से यात्रा करना चाहती हैं तो जम्मू तक रेल सुविधा है, उसके आगे सड़क मार्ग से जाना होगा.

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Family Story In Hindi: कच्ची गली- भाग 1- खुद को बदलने पर मजबूर हो गई दामिनी

अखबार पढ़ते हुए विपिन का मुंह आज फिर लटक गया, ‘‘ये रेप की घिनौनी घटनाएं हर रोज की सुर्खियां बनती जा रही हैं.

न जाने कब हमारे देश की बेटियां सुरक्षित होंगी. अखबार के पन्ने पलटो, तो केवल जुर्म और दुखद समाचार ही सामने होते हैं.’’

‘‘अब छोडि़ए भी. समाज है, संसार है, कुछ न कुछ तो होता ही रहेगा,’’ दामिनी ने चाय का कप थमाते हुए कहा.

‘‘तुम समझती नहीं हो. मेरी चिंता केवल समाज के दायरे में नहीं, अपनी देहरी के भीतर भी लांघती है. जब घर में एक नवयौवना बेटी हो तो मातापिता को चिंता रहना स्वाभाविक है. सृष्टि बड़ी हो रही है. हमारी नजरों में भले ही वह बच्ची है और बच्ची ही रहेगी, लेकिन बाहर वालों की नजरों में वह एक वयस्क है. जब कभी मैं उसे छोड़ने उस के कालेज जाता हूं तो आसपास के लोगों की नजरों को देख कर असहज हो उठता हूं. अपनी बेटी के लिए दूसरों की नजरों में अजीब भाव देखना मेरे लिए असहनीय हो जाता है. कभीकभी मन करता है कि इस ओर से आंखें मूंद लूं, किंतु फिर विचार आता है कि शुतुरमुर्ग बनने से स्थिति बदल तो नहीं जाएगी.’’

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‘‘कितना सोचते हैं आप. अरे इन नजरों का सामना तो हर लड़की को करना ही पड़ता है. हमेशा से होता आया है और शायद सदा होता रहेगा. जब मैं पढ़ती थी तब भी गलीमहल्ले और स्कूलकालेज के लड़के फबतियां कसते थे. यहां तक कि पिताजी के कई दोस्त भी गलत नजरों से देखते थे और बहाने से छूने की कोशिश करने से बाज नहीं आते थे. आजकल की लड़कियां काफी मुखर हैं. मुझे बहुत अच्छा लगता है यह देख कर कि लड़कियां अपने खिलाफ हो रहे जुल्मों के प्रति न केवल सजग हैं बल्कि आगे बढ़ कर उन के खिलाफ आवाज भी उठाती हैं. फिर चाहे वे पुलिस में रिपोर्ट करें या सोशल मीडिया पर हंगामा करें.

‘‘यह देख कर मेरा दिल बेहद सुकून पाता है कि आजकल की लड़कियां अपनी इज्जत ढकने में नहीं, बल्कि जुल्म न सहने में विश्वास रखती हैं. हमारा जमाना होता तो किसी भी जुल्म के खिलाफ बात वहीं दफन कर दी जाती. घर के मर्दों को तो पता भी न चलता. मांएं ही चुप रहने की घुट्टी पिला दिया करती.’’

विपिन औफिस चले गए और सृष्टि कालेज. किंतु सुबह हुई बातें दामिनी के मन पर छाई रहीं. आज उसे अपने कालेज के जमाने का वह किस्सा याद हो आया जब बस के लिए उसे काफी दूर तक सुनसान सड़क पर पैदल जाना पड़ता था. नयानया कालेज जाना शुरू किया था, इसलिए  उमंग भी नई थी. कुछ सीनियर लड़कियों को लिफ्ट लेते देखा था. दामिनी और उस की सहेलियों को भी यह आइडिया अच्छा लगा. इतनी लंबी सड़क पर भरी दुपहरी की गरमी में पैदल चलने से अच्छा है कि लिफ्ट ले ली जाए.

वैसे भी इस सड़क पर चलने वाले ज्यादातर कार वाले इसी उम्मीद में रहते थे कि कालेज की लड़कियां उन से लिफ्ट ले लेंगी. अमूमन सभी को यह अंदाजा था कि इस सड़क पर लिफ्ट लेनेदेने का कल्चर है. उस दोपहर भी दामिनी और उस की सहेलियां लिफ्ट लेने की उम्मीद में सड़क पर खड़ी थीं. एक गाड़ी आ कर रुकी. दामिनी उस की आगे वाली सीट व उस की 2 सहेलियां पीछे की सीट पर बैठ गईं. चालक को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह इस गाड़ी का मालिक नहीं, ड्राइवर हो.

तीनों सहेलियां गाड़ी में चुपचाप बैठी थीं कि अचानक ड्राइवर ने अपना उलटा हाथ बढ़ा कर दामिनी के वक्षस्थल को दबोच लिया. कुछ क्षण को दामिनी हतप्रभ होने के कारण कोई प्रतिक्रिया न दे पाई. जैसे ही उसे यह आभास हुआ कि उस के साथ क्या हुआ है, उस ने प्रतिकार करते हुए वह हाथ झटक दिया और ऊंचे सुर में चिल्लाई, ‘‘गाड़ी रोको, रोको गाड़ी अभी के अभी.’’

अजीब वहशी नजरों से वह ड्राइवर दामिनी को घूरने लगा. परंतु पीछे बैठी दोनों लड़कियों के भी चिल्लाने पर उस ने गाड़ी साइड में रोक दी. आननफानन तीनों उतर कर वहां से भागी.

आज का समय होता तो दामिनी यकीनन सोशल मीडिया पर आग लगा देती. जीभर कर शोर मचाती. अपने स्मार्टफोन से संभवतया उस ड्राइवर की तसवीर भी ले चुकी होती. उस की गाड़ी का नंबर भी पुलिस में दर्ज करवाती, सो अलग. ‘इतनी हिम्मत आ गई है आजकल की बच्चियों में. शाबाश है,’ यह सोचती हुई दामिनी घर के काम निबटाने लगी. किंतु आज पुरानी यादें दिमाग पर बादल बन छा रही थीं. इसी धुंध में उसे प्रिया का किस्सा भी याद हो आया.

प्रिया उस की पक्की सहेली थी. एक शाम कालेज से घर लौटते हुए अचानक घिर आई बारिश में जब प्रिया एकाएक फंस गई तो उस ने भी लिफ्ट लेने की सोची. फर्स्ट ईयर की छात्रा में जितनी समझ हो सकती है बस उतनी ही समझ इन लड़कियों में थी. लिफ्ट के लिए रुकी हुई गाड़ी में बैठते समय प्रिया ने यह भी नहीं झांका कि कार के अंदर कौन बैठा है. बारिश से बचने के लिए जल्दी से पीछे की सीट पर बैठ गई. किंतु कार चलते ही उसे महसूस हुआ कि गाड़ी में पहले से 4 लोग बैठे हुए हैं.

प्रिया ने गाड़ी चालक से कहा, ‘‘अंकल, प्लीज मुझे अगले चौराहे पर उतार दीजिएगा. मेरा घर वहां से पास है.’’

‘‘अंकल किसे कह रही हो? हम तो आप के अंकल नहीं हैं,’’ उस के यह कहते ही जब उस के चारों साथी हंसने लगे तब प्रिया को काटो तो खून नहीं. वह बहुत घबरा गई और जोरजोर से रोने लगी. परंतु उन दिनों दुनिया इतनी खराब नहीं थी जितनी उस ने सोची थी. वे भले लोग थे जिन्होंने ऐसा केवल प्रिया को सबक सिखाने के लिए किया था. इस अनुभव से प्रिया को और उस के द्वारा यह सुनाने पर अन्य सभी सहेलियों को चौकन्ना कर दिया था.

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उन दिनों लड़कियां अपने पर्स में सेफ्टी पिन के गुच्छे रखा करती थीं ताकि जब कोई पुरुष आपत्तिजनक समीपता दिखाए तो वे उसे अपने शरीर से दूर करने में सफल हो सकें. आजकल की तरह पैपरस्प्रे तो मिलता नहीं था. आजकल की तरह कोई सेफ्टी ऐप या जीपीएस भी नहीं था. कितनी सहूलियत हो गई है आजकल लड़कियों को, सोचती हुई दामिनी घर का काम निबटा कर कुछ देर सुस्ताने लगी.

शाम को जब सृष्टि घर लौटी तो दामिनी से प्यार से कहने लगी, ‘‘इस वीकैंड आप का 50वां जन्मदिन है. बहुत स्पैशल. कुछ खास कर के सैलिब्रेट करेंगे. बताओ मम्मा, क्या चाहते हो आप? अपने जन्मदिन पर अपनी विशेष की लंबी लिस्ट बनाओ. मैं और पापा मिल कर पूरा करेंगे.’’

‘‘क्यों याद दिला रही हो कि मैं बूढ़ी हो रही हूं. 50 साल, बाप रे, यह जान कर ही बुढ़ापा दिमाग पर छाने लगा.’’

‘‘कैसी बार्ते करती हो मम्मा? अभी तो मेरी मम्मा यंग ऐंड स्वीट हैं. आप को देख कर कौन कह सकता है कि 50 साल के होने जा रहे हो,’’ सृष्टि उस का हाथ पकड़ते बोली.

‘‘ये सब तो धोखा है जो कौस्मैटिक्स की सहायता से हम औरतें खुद और दूसरों को देख कर खुश होती हैं,’’ दामिनी हंसते हुए कहने लगी.

आगे पढें- अगली सुबह दामिनी थोड़ी देर से उठी….

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‘शादी मुबारक’ से लेकर ‘शौर्य और अनोखी की कहानी’ तक, 1 साल के अंदर ही बंद हुए ये 9 TV शोज

बीते साल कई नए सीरियल्स लौंच हुए लेकिन कुछ ही सीरियल्स फैंस के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो पाए. वहीं कुछ सीरियल्स पर थोड़े ही दिनों में ताला लग गया. आइए आपको बताते हैं किन सीरियल्स को झेलनी पड़ी लौकडाउन की मार…

  1. लॉकडाउन की लवस्टोरी

बीते दिनों बौयफ्रेंड संग शादी करने वाली एक्ट्रेस सना सैय्यद का  स्टार प्लस का सीरियल लॉकडाउन की लवस्टोरी (Lockdown Ki Love Story) भी बंद हो गया. सीरियल में मोहित मलिक संग रोमांस करते हुए सना सैय्यद का सीरियल केवल 125 एपिसोड ही चल पाया, जिसके बाद मेकर्स ने शो को बंद करने का फैसला लिया.

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2. शादी मुबारक

 

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टीवी एक्टर मानव गोहिल (Manav Gohil) और रति पांडे (Rati Pandey) का स्टार प्लस पर दिखाया जाने वाला सीरियल शादी मुबारक (Shaadi Mubarak) ने औडियंस के दिल में खास जगह बना ली थी. लेकिन बावजूद इसके मेकर्स ने शो को बंद करने का फैसला लिया.

3. गुप्ता ब्रदर्स

हितेन तेजवानी के सीरियल गुप्ता ब्रदर्स (Gupta Brothers) को कम टीआरपी के चलते 4 महीने बाद ही बंद करना पड़ा था. हालांकि इसमें कई बड़े अभिनेता भी नजर आए थे.

4. सरगम की साढ़े साती

अहम रोल में नजर आने वाली अंजलि तिवारी सरगम की साढ़े साती (Sargam Ki Sadhe Satii) शो को कम टीआरपी के चलते 2 महीने में ही बंद करने का फैसला लिया गया.

5. स्टोरी 9 मंथ्स की

 

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सोनी टीवी पर लॉकडाउन के दौरान स्टोरी 9 मंथ्स की (Story 9 months ki) शो भी लॉन्च हुआ, जो कि जल्द ही बंद हो गया. हालांकि शो की कहानी औडियंस को पसंद आने लग गई थी.

 6. शौर्य और अनोखी की कहानी

 

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करणवीर शर्मा और देबात्तमा साहा के सीरियल शौर्य और अनोखी की कहानी (Shaurya Aur Anokhi Ki Kahani) बीते साल दिसम्बर में लॉन्च किया गया था. लेकिन मेकर्स ने इस सीरियल को 7 महीने में ही बंद करने का फैसला ले लिया.

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7. इश्क पर जोर नहीं

लौकडाउन के दौरान मार्च में लॉन्च किए गए सीरियल इश्क पर जोर नहीं (Ishk Par Zor Nahi) 5 महीने के अंदर ही इसे ऑफ एयर हो गया था. हालांकि लीड एक्टर का कहना था कि उन्हें लगा था कि ये शो कम से कम 9 महीने तो चलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

इसके अलावा स्टार भारत पर आने वाला शो मेरी दुर्गा (8) भी कम वक्त में ही ऑफ एयर कर दिया गया.

बता दें, लौकडाउन के कारण जैनिफर विंगेट के पौपुलर सीरियल बेहद-2 (9) के दूसरे सीजन को बंद कर दिया था. हालांकि फैंस को ये सुनकर बहुत बुरा लगा था.

यह कैसी नैतिकता

हम यह कहते नहीं अघाते कि हमारे ग्रंथों में महान भाईचारा, सदाचार, सत्य, धर्म, पूजा, यज्ञ, ज्ञान भरा पड़ा है. हर रोज सुबहसुबह से ही व्हाट्सऐप संदेश मिलने शुरू हो जाते हैं जो धर्म की खातिर कुछ भी करने का संदेश देते हैं पर धार्मिक कथाएं कैसी हैं, यह जरा सी परतें उधेड़ने पर पता चल जाता है. महाभारत में हिडिंबा की कहानी भी ऐसी ही है.

युधिष्ठिर जब जुए में दुर्योधन के हाथों राजपाट हार जाता है तो उसे मां कुंती और भाइयों के साथ वन में जाना पड़ता है. एक वन में जब वे विश्राम कर रहे होते हैं तो वन क्षेत्र के राजा हिडिंब को पता चलता है और वह अपनी बहन हिडिंबा को पता करने के लिए भेजता है कि वे लोग कितने हैं और कैसे हैं? हिडिंबा को पांडवों में से भीम बहुत पसंद आता है और उसे मारने की जगह वह भीम को ले कर भाई के पास जाती है. हिडिंब दोनों के प्रेम को स्वीकर नहीं करता तो भीम और हिडिंब में युद्ध होता है, जिस में हिडिंब मारा जाता है.

पांडवों की जान बचाने के लिए कुंती हिडिंबा को कुछ उपहार देने को कहती है तो हिडिंबा भीम को ही मांग लेती है. दोनों का विवाह हो जाता है और उन का पुत्र घटोत्कच होता है जो कुरुक्षेत्र के युद्ध में मारा जाता है.

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सवाल है, यह कैसी संस्कृति थी, जिस में भाई के हत्यारे को सहज रूप से खुद मांग कर पति बना लिया जाता है? हिडिंबा तो चलो जंगली कुल की थी पर पांडव तो धर्म के रक्षक थे. उन्हें तो मालूम होना चाहिए था कि जिस के भाई को मार डाला गया हो, उसे पत्नी कैसे बनाया जा सकता है?

यह संस्कृति आज भी हमारे यहां मौजूद है चाहे दूसरे रूपों में. औनर किलिंग में यदि घर वाले अपने बेटेबेटी की हत्या रीतिरिवाज तोड़ने पर कर देते हैं और बिना अपराबोध से रहते चले जाते हैं तो उस का कारण यही है. पौराणिक कथाओं पर आज भी समाज बुरी तरह फिदा है. प्रवचनों में भारी भीड़ जमा होती है. महाभारत धारावाही बारबार दोहराया जाता है और उसे फिर भी दर्शक मिलते हैं.

जब आप की शिक्षा में ही गलत पाठ पढ़ाया गया हो कि भाई के हत्यारे से विवाह कर लो और राज संभाल लो तो कैसी नैतिकता, कैसा रक्षाबंधन, कैसा संयुक्त परिवार और कैसी सुरक्षा?

हां, अगर तर्क के दरवाजे बंद कर के लकीर को पीटना ही महानता है तो दुनिया में हम से बढ़ कर कोई न होगा.

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रिवार्ड थेरैपी से संवारें बच्चों का भविष्य

आज जितना चुनौतीपूर्ण माहौल हमारे लिए है, उस से भी कहीं ज्यादा हमारे बच्चों के लिए है. हम तो इतने समझदार हैं कि कैसे खुद को समझना है, कैसे परिस्थितियों को हैंडल करना है, कैसे खुद को मोटीवेट करना है, हमें पता है और हम आसानी से उसे डील कर लेते हैं.

लेकिन हमारे बच्चे नहीं समझ पाते कि कैसे अलगअलग परिस्थितियों से निबटें. इस कारण वे जिद्दी व गुस्सैल हो जाते हैं. यह उन के कौन्फिडैंस को कम करता है और आगे चल कर इसी तरह के व्यवहार की वजह से वे खुद को दूसरों से कम आंकने लगते हैं.

ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने बच्चों को रिवार्ड?थेरैपी दें ताकि वे इस नैगेटिव माहौल में खुद को खुश रखने के साथसाथ कुछ नया लर्न कर पाएं. जो आगे चल कर उन के काम आए.

क्या है रिवार्ड थेरैपी

आप सोच रहे होंगे कि रिवार्ड थेरैपी होती क्या है. तो आइए इसे इस तरह जानते हैं. जब भी हमें किसी चीज के लिए रिवार्ड मिलता है, कोई हमारी पीठ थपथपाता है या फिर लोगों के सामने हमें वैलडन जैसे शब्दोें से नवाजा जाता है तो हमें बहुत ज्यादा खुशी होती है और हम इस रिवार्ड को पा कर आगे और भी अच्छा करने के बारे में सोचते हैं और पूरी मेहनत से उसे करते भी हैं.

ठीक उसी तरह से बच्चों के लिए भी यह रिवार्ड थेरैपी है, जो उन्हें नई चीजों को सिखाने के साथसाथ रिवार्ड के जरीए उन्हें आगे बढ़ाने और बेहतर काम करने व उन के कौन्फिडैंस को बढ़ाने का काम करती?है. तो जानते हैं बच्चों को रिवार्ड थेरैपी देने के लिए आप क्याक्या करें.

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मिनी शैफ को करें ऐप्रिशिएट

आज माहौल ऐसा है कि बच्चे व पेरैंट्स हर समय एकसाथ हैं. ऐसे में जब बच्चे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो उन्हें बोरियत होनी स्वाभाविक है. ऐसे में अगर वे आप के साथ किचन में आप की भले ही थोड़ीबहुत मदद करवाएं, जैसे उन्हें आप को देख कर किचन में रोटी बेलने का शौक आए तो आप उन्हें मना न करें. बल्कि अपनी देखरेख में उन्हें वह काम करने दें.

भले ही उन की रोटी गोल न बने या फिर उन के किचन में आप के साथ काम में हाथ बढ़ाने से आप का काम थोड़ा बढ़े, लेकिन आप उन्हें करने दें, क्योंकि इस से उन में किचन में काम करने की थोड़ी आदत पड़ेगी.

जब भी वे खुद से कुछ बनाएं तो उन का हौसला बढ़ाएं जैसे तुम ने तो मुझ से भी अच्छा काम किया है. आज तो हम तुम्हारी बनाई हुई रोटी ही खाएंगे और उन्हें भी मजाकमजाक में एहसास करवाएं कि जिस तरह उन्होंने उन की मेहनत की कद्र की है, उसी तरह उन्हें भी घर में बने खाने को पूरे मन से खाना चाहिए.

आप उन्हें उन की मेहनत का रिवार्ड देने के लिए उन की बनाई रोटी की पिक को अपनी फैमिली व फ्रैंड्स से शेयर करें. सब के सामने उन की तारीफ करें. इस से जब उन्हें और लोगों की भी तारीफ मिलेगी तो उन का कौन्फिडैंस बढ़ने के साथसाथ उन्हें जो खुशी मिलेगी उस का आप अंदाजा भी नहीं लगा पाएंगे. इस रिवार्ड से आगे भी वे किचन के काम में हाथ बंटाने के साथसाथ धीरेधीरे आप के काम की वैल्यू भी समझने लगेंगे.

टेबल मैनर्स पर दें प्ले गेम रिवार्ड

बच्चों को टेबल मैनर सिखाना बहुत जरूरी होता है वरना बचपन से बिगड़ी उन की यह आदत आगे चल कर उन के मजाक बनने का कारण बन सकती है. इसलिए उन्हें सिखाएं कि बच्चो अगर तुम टेबल पर मैनर्स जैसे खाने से पहले अपने हैंड्स को वाश करना, सब के आने के बाद ही खाना शुरू करना, मुंह खोल कर व आवाज निकालनिकाल कर खाना नहीं खाना, खाते वक्त गैजेट्स से दूरी बनाना, बरतनों को बजाना नहीं इत्यादि बातों का ध्यान रखोगे तो हम आप के साथ हर रोज आधा घंटा आप की पसंद की गेम खेलेंगे.

यकीन मानिए इस से आप के बच्चे खुशीखुशी इन सब चीजों को करेंगे और जब आप उन्हें खुद से इन सब चीजों को करते देखें तो उन के साथ उन की पसंद का गेम खेलने के साथसाथ सब के सामने उन्हें शाबाशी भी जरूर दें. इस से उन में टेबल मैनर्स भी डैवलप होंगे और उन का मनोबल भी बढ़ेगा.

हैल्दी हैबिट्स डालें मजेदार तरीके से

बच्चे हाथ धोने, हैल्दी फूड खाने के बढ़े चोर होते हैं. इन चीजों के लिए हर समय उन के पीछे दौड़ना ही पड़ता है और कई बार मजबूरी वश तंग आ कर हम उन्हें जो मन करता है, वही बना देते हैं, उन की मरजी का करने देते हैं. लेकिन आप के लिए जरूरी है कि आप उन्हें डांट कर नहीं बल्कि खेलखेल में मजेदार तरीके से उन में हैल्दी हैबिट्स डालें.

जैसे हाथ धोने के लिए हैंड वाश सौंग की मदद लें. उन से कहें कि इट्स टू वाश योर हैंड्स, फर्स्ट रब, रब, रब योर हैंड्स बेबी, सैकंड वाश योर हैंड्स प्रौपरली, थर्ड ड्राई योर हैंड विद टौवेल, फोर्थ जौइन अस विद योर जर्म फ्री हैंड्स.

इस तरह के फन सौंग्स बच्चों में हैंड वाश की हैबिट्स डालने का काम करेंगे. इस के लिए आप फन कलर्स व शेपस वाले सोप्स की भी मदद ले सकती हैं, क्योंकि इस तरह की चीजें बच्चों को अपनी ओर अट्रैक्ट करने का काम करती हैं. वहीं लिक्विड्स सोप्स भी बड़े काम के साबित होते हैं, क्योंकि इन की फन लुकिंग बोटल्स के साथ इन का लिक्विड टैक्स्चर बच्चों को बहुत अच्छा लगता है.

अगर बच्चे इस तरह की चीजें आप के बिना कहे खुद से करने लगें तो उन्हें रिवार्ड्स के रूप में कभी हग करें तो कभीकभार उन्हें अपने मन का भी करने दें.

उन में खानेपीने की हैल्दी हैबिट को विकसित करने के लिए आप को भी उन के साथ बच्चा बनना होगा. जैसे अगर आप ने लौकी की सब्जी बनाई है तो आप बोलें कि अगर आप मेरे साथ इसे फिनिश करोगे तो मम्मीपापा आप के साथ रन करेंगे, डांस करेंगे.

लेकिन तभी जब आप उन की सुनोगे. इस से धीरेधीरे वे खेलखेल में सबकुछ खाना सीख सकते हैं. उन की इस गुड हैबिट को टीचर्स व बच्चों के सामने भी शेयर करें ताकि अपनी इस तारीफ को सुन कर बच्चे सबकुछ फनफन में खाना सीख लें.

मिलेगा टीवी टाइम का मौका

बच्चों की पढ़ाई की चिंता हर पेरैंट्स को होती है. इसलिए हर समय उन के आगेपीछे भागते रहते हैं. कभी क्लास अटैंड करवाने के लिए तो कभी होमवर्क पूरा करवाने के लिए. ऐसे में आप उन से कहें कि अगर तुम ने अच्छे से रोज टाइम पर होमवर्क फिनिश कर लिया तो तुम्हें टीवी देखने का मौका मिलेगा. शायद ही कोई बच्चा ऐसा होगा जो इस रिवार्ड को हाथ से जाने दे. इस से बच्चे समय पर होमवर्क को कंप्लीट करने के लिए जीतोड़ मेहनत करेंगे. इस से उन में समय पर होमवर्क कंप्लीट करने की हैबिट भी डैवलप होगी और उन्हें इस के बाद टीवी के जरीए खुद का फन करने का भी मौका मिलेगा.

धीरेधीरे आप उन में इस डैवलप हुई हैबिट की चर्चा दूसरों के सामने भी करें, जिस से वे अपनी तारीफ सुन कर अपने हर काम को समय पर करने लगें. रिवार्ड के रूप में टीवी टाइम का मौका बच्चों के हाथ में उन की पसंद की चीज लगना होगा. लेकिन दिए रिवार्ड का टाइम जरूर फिक्स करें.

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क्रिएटिविटी को उभारें

बच्चों को छोटीछोटी चीजों से कुछकुछ करना अच्छा लगता है. ऐसे में यह आप की जिम्मेदारी है कि जब भी वे कुछ क्रिएटिव करें जैसे फन फैमिली फोटो बनाएं, पेपर से बोट बनाने की कोशिश करें, कलर्स से कुछकुछ बनाएं, वैजिटेबल्स से पेंटिंग बनाने की कोशिश करें, तो आप को भले ही उन का बनाया हुआ समझ न आए, लेकिन फिर भी आप उन्हें शाबाशी दें कि  उन्होंने तो यह बहुत अच्छा बनाया है. कहां से सीखा, मुझे भी सिखाना.

भले ही आप के लिए ये छोटे शब्द हों, लेकिन बच्चों के मन पर इन शब्दों का बहुत गहरा व अच्छा प्रभाव पड़ता है. इस के लिए आप उन्हें रिवार्ड के तौर पर उन की पसंद की हैल्दी डिश बना कर सर्व कर सकती हैं, जिसे देख वे फूले नहीं समाएंगे. आप उन की इस छोटी क्रिएटिविटी को हमेशा आंखों के सामने रखने के लिए चार्ट पेपर को डैकोरेट कर के उस पर इस की कटिंग लगा सकती हैं. फाइल को डैकोरेट कर के उस में इसे लगा सकती हैं.

समझदारी पर दें स्टीकर रिवार्ड

अकसर बच्चों की यह आदत होती है कि वे हर काम अपने पेरैंट्स पर छोड़ देते हैं जैसे बैड से उठे तो चादर ठीक नहीं करी, उस पर खेल कर टौएज वहीं पर रख दिए. मम्मीपापा के साथ छोटामोटा सामान उठाने में मदद नहीं की. ऐसे में उन्हें इन चीजों के बारे में समझाइए कि खुद से अपने छोटेछोटे काम करना कितना जरूरी है. इस से आप आत्मनिर्भर भी बनेंगे और आप को खुद से चीजें करने में खुशी भी मिलेगी.

आप उन्हें जैसे बैड पर छोटेछोटे कपड़ों में फोल्ड लगा कर उन्हें जगह पर रखना सिखाएं और फिर वही काम करने को कहें. सोने से पहले चादर को खुद से ठीक करने को कहें और उन के हर दिन अच्छा काम करने पर उन की पसंद का 1 स्टीकर दें. उन से कहें कि जब आप ये 6 स्टीकर्स कलैक्ट कर लेंगे तो उस दिन आप की पसंद की डिश बनाई जाएगी. इस कारण से वे खुद से ही अच्छी व समझदारी भरी चीजें करने का प्रयास करेंगे क्योंकि रिवार्ड पाने के लिए बच्चे खुद से ही अपना बैस्ट देने की कोशिश करते हैं.

आप भी इन बातों का रखें ध्यान

इस संबंध में जानते हैं मनोवैज्ञानिक अनुजा कपूर से:

उन की गलती से न हों इरिटेट: बहुत बार बच्चे कुछ नया करने के चक्कर में इतनी चीजें व इतना काम बिगाड़ कर रख देते हैं कि जिस से पेरैंट्स उन पर झुंझला जाते हैं और इस चक्कर में उन की मेहनत को भी नजरअंदाज कर देते हैं. इस से बच्चों का मनोबल कम होने के साथसाथ वे कुछ भी नया करने के बारे में कई बार सोचते हैं.

इस का प्रभाव उन की क्रिएटिविटी पर पड़ता है.  इसलिए आप उन्हें प्यार से समझाएं और उन के वर्क की सराहना जरूर करें क्योंकि आप भी तो अच्छे काम पर सराहना की उम्मीद करती होंगे.

खुद पर भी ध्यान दें: अधिकांश पेरैंट्स की यह हैबिट होती है कि वे अपने बच्चों को तो सब चीजें सिखाना चाहते हैं, लेकिन खुद ही उन बातों पर अमल नहीं करते हैं. इसलिए जिन अच्छी चीजों को आप अपने बच्चों को सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें खुद भी करें. तभी आप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगे.

उन के साथ समय बिताएं: सोचिए आप को जिस से बात करने का मन हो और वह आप को समय न दे, तो आप अधूराअधूरा महसूस करेंगे, आप को अंदर से अच्छा नहीं लगेगा. ठीक उसी तरह अगर आप बस अपने बच्चों को खुश करने के लिए उन्हें गिफ्ट्स देते रहें, लेकिन उन के मन की नहीं सुनेंगे, उन के साथ समय नहीं बिताएंगे तो उस के पास लग्जरी का सारा सामान होते हुए भी वे खुद को अकेला महसूस करेंगे, हर समय दुखी रहेंगे.

लेकिन अगर आप उन के साथ समय बिताएंगे, उन के मन की सुनेंगे या फिर उन की पसंद का काम करेंगे तो मूड को ठीक करने वाला व प्लेजर हारमोन जैसे सैरोटोनिन और डोपामाइन रिलीज होता है, जिस के कारण हम किसी भी काम को पूरी ऐक्साइटमैंट के साथ कर पाते हैं यानी ये हारमोंस मैंटल हैल्थ का ध्यान रखने का काम करते हैं और आप को खुश रखते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप अपने साथसाथ अपने बच्चों को भी खुश रखें. इस के लिए उन के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करें.

  अपनाएं ये ट्रिक्स

घर पर रहने के कारण बच्चों का ज्यादा से ज्यादा समय कभी औनलाइन क्लासेज के कारण तो कभी लैपटौप के सामने तो कभी वे खुद का ऐंटरटेनमैंट करने के लिए टीवी व फोन का सहारा लेते हैं, जिस से बच्चों को स्ट्रैस, डिप्रैशन, एडिक्शन व इमोशनल प्रौब्लम्स का सामना करना पड़ता है.

ऐसे में उन के इस स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए आप उन के साथ स्टोरी टैलिंग, डांस कंपीटिशन करें, अपनी पसंद के सब्जैक्ट पर कुछ शब्द बोलने को कहें. सब मिल कर इन गेम्स के विजेता को देने के लिए ट्रौफी बनाएं, फिर जो इस कंपीटिशन में फर्स्ट आाएगा, उसे यह ट्रौफी अपने हाथों से दें.

इस से बच्चे कभी जीत कर खुद इस ट्रौफी को हासिल करेंगे और कभी जीत का ताज अपनों को देंगे. इस से उन में अंदर से जीतने का भाव पैदा होगा और समझ विकसित होगी कि हारजीत जीवन का एक हिस्सा है. लेकिन हारने के बाद भी जीतने के लिए हमें प्रयास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए.

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  महंगे रिवार्ड न दें

भले ही आप के परिवार में पैसों की कमी न हो तो भी बच्चों को कुछ सिखाने व कुछ अच्छा काम करने पर महंगे रिवार्ड्स देने का लालच न दें, बल्कि इस के लिए ऐप्रिशिएट करने वाले वर्ड्स, उन की पसंद की डिश बनाएं, उन के साथ उन की पसंद का गेम खेलें, उन के साथ बैस्ट टाइम स्पैंड करें, सब के सामने उन के काम की सराहना करने जैसे रिवार्ड्स दें वरना महंगे रिवार्ड्स जैसे महंगा टौएज देने की लत से वे इस का मिसयूज भी कर सकते हैं, जो आगे चल कर आप के  लिए परेशानी का कारण बन सकता है.

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