Yeh Rishta… से हुई Karan Kundra की छुट्टी, कार्तिक-सीरत की लाइफ से दूर होगा रणवीर

बीते दिनों सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में रणवीर के रोल में करण कुंद्रा की सीरत औऱ कार्तिक की लाइफ में एंट्री हुई थी, जिसके कारण फैंस का गुस्सा देखने को मिला था. वहीं कई बार करण कुंद्रा को ट्रोलिंग का सामना भी करना पड़ा था. इसी बीच सीरियल के सेट से कुछ फोटोज वायरल हो रही है, जिसमें करण कुंद्रा का फेयरवेल मनाया जा रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

ट्विस्ट के चलते रणवीर की हुई छुट्टी

 

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हाल ही में खबरें थीं कि शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) और मोहसिन खान (Mohsin Khan) स्टारर ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में जल्द नये ट्विस्ट के चलते करण कुंद्रा की छुट्टी हो जाएगी. इसी बीच सीरियल के सेट से वायरल फोटोज में करण कुंद्रा केक काटते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं मोहसिन खान और शिवांगी जोशी उन्हें फूलों का गुलदस्ता देते नजर आ रहे हैं.

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सेट पर मनाया करण कुंद्रा का फेयरवेल

 

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दरअसल, ये रिश्ता क्या कहलाता है के मेकर्स ने अब रणवीर के ट्रैक को खत्म करने का फैसला लिया है, जिसके चलते करण कुंद्रा ने शो को अलविदा कह दिया है. वहीं उनके सीरियल से निकलने की खबर से जहां फैंस दुखी हैं तो दूसरी तरफ नायरा कार्तिक के फैंस दोनों के बीच रोमांस देखने के लिए बेताब हैं.

बता दें, अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि रणवीर (Karan Kundrra) अपनी बीमारी की सच्चाई कार्तिक को बताते हुए उसे सीरत (Shivangi Joshi) को फिर से अपनाने के लिए कहेगा, जिसे सुनकर कार्तिक हैरान रह जाएगा. हालांकि बीमारी के चलते जब रणवीर की तबीयत खराब होगी तो वह कार्तिक से उसकी आखिरी इच्छा के तौर पर सीरत की जिम्मेदारी लेने के लिए कहेगा. देखना होगा कि कार्तिक का क्या फैसला होगा.

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शादी के बंधन में बंधे ‘जिंदगी की महक’ फेम एक्टर सिद्धार्थ सिपानी, फोटोज वायरल  

जीटीवी के सीरियल ‘‘जिंदगी की महक’’फेम अभिनेता व व्यवसायी सिद्धार्थ सिपानी ने दिल्ली में अपनी प्रेमिका अनीशा संग विवाह रचा लिया. हल्दी,  मेहंदी और अंगूठी समारोह के छोटे कार्यों के बाद,  शादी सीमित संख्या में लोगों के साथ महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए हुई. फिर भी सिद्धार्थ सिपानी की शादी में अभिनेता करण वोहरा,  शाइनी दीक्षित,  कोरियोग्राफर मुदस्सर खान भी मौजूद थे.

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अब यह शादीशुदा दंपति हनीमून मनाने के लिए गोवा जाएगा.  खुद सिद्धार्थ सिपानी कहते हैं- ‘‘शादी हर इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा है और यदि जीवन साथी के रूप में उसे सही इंसान मिल जाए, तो जिंदगी में बल्ले बल्ले हो जाता है. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही है. आखिरकार मैंने अपनी लव लाइफ अनीशा से शादी कर ली. ‘‘

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शादी व हनीमून के बाद पुनः कैरियर पर ध्यान देने की बात करते हुए सिद्धार्थ सिपानी कहतेहैं-‘‘पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना महामारी ने हम सभी को घर बैठा रखा था. पर अब मेरी जिंदगी मे सब कुछ अच्छा ही होना है. मुझे मेरी पसंदीदा व सही जीवन साथी मिल गयी. अब इस वर्ष मैं निश्चित रूप से अभिनय में वापसी करना चाहता हूं क्योंकि मैं अभिनय और अपने व्यवसाय को संतुलित करना चाहता हूं. ‘जिंदगी की महक’के बाद मैं डेली सोप नहीं कर सका. क्योंकि मैं अपने बिजनेस कमिटमेंट्स में व्यस्त था.  लेकिन अभिनय मेरा जुनून है. हाल के दिनों में मैं कुछ संगीत वीडियो का हिस्सा रहा हूं और फरिहा नामक एक वेब श्रृंखला भी की है.

विवाह के इस शुभ अवसर पर सिद्धार्थ सिपानी के माता-पिता मोती लाल सिपानी और अंजू सिपानी ने नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया.

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ज्ञातब्य है दिल्ली में जन्में व पले बढ़े मॉडल, अभिनेता व व्यवसायी सिद्धार्थ सिपानी ने 2015 में  अति लोकप्रिय पंजाबी म्यूजिक वीडियो‘‘कुड़ियो’’में सबसे पहले अभिनय कर शोहरत बटोरी थी. लेकिन सीरियल‘‘जिंदगी की महक’’ने उन्हे स्टार बना दिया. म्यूजिक वीडियो ‘तेरा कोई नी. . ’में भी उन्हें काफी पसंद किया गया.

‘नये उत्तर प्रदेश’ की परिकल्पना को साकार बनाएगा ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना की लड़ाई में जीवन बचाने के साथ लोगों की जीविका बचाने का बड़ा काम किया है. सीएम योगी के कुशल नेतृत्व ने सवा साल के दौरान प्रदेश में न तो विकास की गति को रुकने दिया और ट्रेज, टेस्ट और ट्रीट के मंत्र से कोरोना पर अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे पहले जीत हासिल की है. लॉकडाउन के दौरान भी फैक्ट्रियों को खुले रखने के साथ श्रमिकों की दी गई सहूलित सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है.

विकास की नई सोच के साथ राज्य सरकार ने प्रदेश में विकास परियोजनाओं को कोरोना काल के दौरान भी जारी रखा. जिसके परिणामस्वरूप पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का कार्य पूरा होने के कगार पर पहुंच चुका है. इसके निर्माण में 22494 करोड़ रुपए लागत आई है. देश के सबसे लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है.

घटेगी शहरों की दूरियां

10 जिलों से होकर गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे लखनऊ से गाजीपुर तक लोग भर्राटा भर सकेंगे. प्रदेश की जनता को राज्य सरकार की यह सबसे बड़ी सौगात होगी. इसके बन जाने के बाद गाजीपुर से प्रदेश की राजधानी लखनऊ की दूरी महज साढ़े तीन घंटे में तय होगी जिसको तय करने में अभी तक 8 घंटे से अधिक का समय लगता है. इतना ही नहीं गाजीपुर से दिल्ली तक की राह भी आसान हो जाएगी. महज् 10 घंटे में दिल्ली की दूरी तय की जा सकेगी.

नए भारत का नया उत्तर प्रदेश बनाने में जुटी राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास को तेज गति प्रदान करने के लिये गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिये 89 फीसदी से अधिक भूमि का क्रय भी कर लिया है. सीएम योगी जीवन और जीविका को सुरक्षित करने के लिये पूरी तनमयता से जुटे हैं. उन्होंने शनिवार को टीम-9 की बैठक में अधिकारियों को प्रदेश की महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं के बचे हुए कार्यों को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यें की गुणवत्ता एवं समयबद्धता का विशेष ध्यान रखने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिये हैं.

विकास की प्रक्रिया को निरंतर आगे बढ़ा रही राज्य सरकार प्रदेश में उद्यमियों को अधिक से अधिक निवेश के लिये आमंत्रित कर रही है. नई-नई फैक्ट्रियां स्थापित हो रही है. पिछली सरकारों के मुकाबले युवाओं को रोजगार के सबसे अधिक अवसर मिले हैँ. इसके लिये उसने राज्य में सुरक्षा का माहौल बनाने के लिये कानून का राज स्थापित करने का भी बड़ा कार्य किया है. विकास की नई सोच के साथ नौजवानों को आगे बढ़ाने वाली राज्य सरकार ने महामारी की चुनौतियों का सामना करते हुए लगातार प्रदेश को आगे बढ़ाने में जुटी हुई है.

‘यूपी’ में ‘टोक्यो ओलंपिक जागरूकता रिले’

‘खूब खेलो-खूब बढ़ो’ मिशन को लेकर यूपी में खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने वाली राज्य सरकार नई पहल करने जा रही है. उसने टोक्यो ओलंपिक खेलों में यूपी से भाग लेने जा रहे 10 खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और जनता की शुभकामनाएं उनको दिलाने के लिए ‘टोक्यो ओलंपिक जागरूकता रिले’ का आयोजन किया है.

यह रिले 18 मण्डलों और 51 जनपदों में 23 जुलाई से 04 अगस्त तक आयोजित की जाएगी. रामपुर से शुरु होकर 3625 किमी की दूरी तय करते हुए विभिन्न जिलों से होते हुए रिले 04 अगस्त को लखनऊ पहुंचेगी. यहां उसका समापन कार्यक्रम होगा.

टोक्यो ओलंपिक्स 2020-21 को और एवं इसमें भाग लेने जा रहे भारतीय दल को प्रोत्साहित करने की पहल प्रदेश में पहली बार की जा रही है. इसमें खेल विभाग, उत्तर प्रदेश ओलंपिक संघ, उत्तर प्रदेश स्पेशल ओलपिंक संघ, उत्तर प्रदेश खोखो, उत्तर प्रदेश ग्रोपलिंग संघ, खेल जगत फाउंडेशन को विभिन्न जिम्मेदारी सौंपी गई है.

टोक्यो ओलंपिक जागरूकता रिले का प्रदेश स्तरीय आयोजन यूपी सरकार का अभिनव प्रयोग साबित होगा. रिले में कोविड नियमों का पालन किया जाएगा. सीएम योगी ने प्रदेश की कमान संभालने के बाद से लगातार खिलाड़ियों की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की है. खिलाड़ियों की प्रतिभा को और निखारने और सुविधाओं को बढ़ाने का भी काम किया है.

23 जुलाई को रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर्, मुजफ्फरनगर तक, 24 जुलाई को मुज्जफरनगर से शुरु होकर सहारनपुर, शामली, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद में, 25 जुलाई को गाजियाबाद से आगे हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, हाथरस होते हुए मथुरा पहुंचेगी. 26 जुलाई को मथुरा से होकर आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, कालपी, औरैया होते हुए जालौन पहुंचेगी. जालौन से 27 जुलाई को झांसी, महोबा, बांदा, चित्रकूट जाएगी. 28 जुलाई को हमीरपुर, कानपुर, फतेहपुर, रायबरेली, 29 जुलाई को अमेठी, प्रतापगढ़, प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर जाएगी. 30 जुलाई को वाराणसी से चंदौली, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, 31 जुलाई को मऊ, देवरिया, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, अयोध्या आएगी. 01 अगस्त को अयोध्या से शुरू होकर रिले गोण्डा, बहराइच पहुंचेगी. बाराबंकी में रात्रि विश्राम के बाद 02 अगस्त को सीतापुर, 03 अगस्त को हरदोई होते हुए 04 अगस्त को लखनऊ पहूंचेगी.

लखनऊ में इस ओलंपिक रिले का समापन समारोह होगा. सीएम योगी ने दी ओलंपिक खेलों में भाग लेने जा रहे खिलाड़ियों को शुभाकामनाएं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओलंपिक खेलों में भाग लेने जा रही यूपी के खिलाड़ियों को जीत के लिये ढेर सारी शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने उनसे संवाद भी किया और उनका उत्साह बढ़ाया. यूपी से ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों में से एथलेटिक्स में मेरठ की सुश्री प्रियंका गोस्वामी, सुश्री अन्नू रानी, सीमा पूनिया और चंदौली के शिवपाल सिंह हैं. शूटिंग में मेरठ के सौरभ चौधरी, बुलंदशहर के मेराज अहमद खान भाग लेंगे. बॉक्सिंग में बुलंदशहर के सतीश कुमार, रोईंग में बुलंदशहर के अरविंद सिंह और हॉकी में मेरठ की सुश्री वन्दना कटारिया और वाराणसी के ललित कुमार उपाध्याय शामिल हैं.

धर्म और कानून की नहीं सूझबूझ की जरूरत

पतिपत्नी मतभेद होने पर कैसे अपना जीवन बरबाद करते हैं, सिर्फ दूसरे को नीचा दिखाने के लिए, उस का एक उदाहरण है जयदीप मजूमदार और भारती जायसवाल मजूमदार का. दोनों ने 2006 में विवाह किया और विवाह के बाद कुछ माह विशाखापट्टनम में रहे तो कुछ माह लुधियाना में. पति एमटैक और आर्मी औफिसर है और पत्नी उत्तराखंड के टिहरी में सरकारी कालेज में फैकल्टी मैंबर.

दोनों में 2007 से ही झगड़ा होने लगा. पति ने विशाखापट्टनम कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई तो पत्नी ने देहरादून कोर्ट में वैवाहिक रिश्तों की स्थापना के आदेश की. इस बीच पत्नी ने आर्मी के अफसरों को पत्र लिखने शुरू कर दिए कि उस का पति जयदीप उस के साथ बुरा व्यवहार करता है, तंग करता है, साथ नहीं रहता. पति का कहना था कि ये पत्र उस पर क्रूएल्टी की गिनती में आते हैं, क्योंकि इस से उस की प्रतिष्ठा पर आंच आई और उसे नीचा देखना पड़ा.

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अदालतों ने क्या कहा यह जाने बगैर बड़ा सवाल है कि 2007 से चल रहे तलाक के मामले यदि 2021 तक घसीटे जाएं तो गलती किस की है? कानून की या पतिपत्नी की शिक्षा की?

सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में निर्णय दिया कि पत्नी के लिखे पत्र क्रूएल्टी के दायरे में आते हैं और अगर किसी अदालत ने कहा कि ये पतिपत्नी के क्षणिक मतभेद हैं, गलत है. सवाल तो यह है कि क्या आर्मी औफिसर और यूनिवर्सिटी की फैकल्टी मैंबर बैठ कर फैसला नहीं कर सकते थे कि अब हमारी शादी निभ नहीं रही, हम अलग हो जाएं?

यह शादी निश्चित रूप से प्रेम विवाह होगा क्योंकि एक बंगाली है और दूसरी पंजाब या उत्तराखंड की. जब प्रेम खुद कर सकते हैं तो तलाक के लिए झगड़ने की क्या जरूरत खासतौर पर तब जब न बच्चों की कस्टडी का सवाल हो न अपार संपत्ति का? दोनों के बच्चे हुए नहीं और दोनों मध्यवर्ग के नौकरीपेशा हैं. दोनों उस तरह शिक्षा प्राप्त हैं जिसे हम शिक्षा कहते हैं.

उन्हें अगर कुछ नहीं आता तो वह है कि कैसे एकदूसरे के साथ जीएं और अगर नहीं जीना तो कैसे अलग हों? वे जीवन को समझ नहीं पा रहे. उन को जो कालेजीय शिक्षा मिली है उस में केवल यही है कि कैसे अपनी बात को ऊपर रखें और कैसे लकीर के फकीर बने रहें.

फूहड़ धार्मिक और विश्वविद्यालीय शिक्षा लोगों को रट्टू बनाती है. धर्म कहता है कि हर काम पंडित के कहे अनुसार करते चले जाओ, कालेज में पढ़ाया जाता है कि जितना लिखा है, उसे रट लो. न मौलिक ज्ञान सिखाया जा रहा है, न तर्क की पढ़ाई हो रही है, न जीवन के कालेसफेद व अन्य रंगों के बारे में कुछ बताया जा रहा है.

बेवकूफों की एक बड़ी कौम तैयार हो रही है और इस में पतिपत्नी भी शामिल हैं. क्या ये दोनों मन मार कर एकदूसरे के साथ कुढ़तेसड़ते जीते हैं या अलग होने की प्रक्रिया में वूमंस सैल, पुलिस, अदालतों के चक्कर काटते हैं?

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केरल में इसी जून के तीसरे सप्ताह में महिला आयोग की अध्यक्षा ने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि एक खुले मंच पर फोन से आई डोमैस्टिक वायलैंस की शिकायत पर इस आयोग अध्यक्षा ने पूछा कि क्या पत्नी पुलिस या वूमंस सैल में गई और इनकार करने पर कहा कि फिर सहो. लोगों को न जाने क्यों इस पर आपत्ति हुई. यह सही था कि या तो शिकायत कर के अलग रहो या फिर साथ रहो. अगर पति हिंसक है तो दुनिया की कोई ताकत पति को डांटफटकार कर ठीक नहीं कर सकती.

जीवन कैसे जीया जाए, आज उस का ज्ञान सिर्फ व्हाट्सऐप के निरर्थक मैसेजों में या धार्मिक प्रवचनों में रह गया है, जिन में औरतों को हर हाल में सरैंडर करने की सलाह ही दी जाती है.

कोई भी जोड़ा बनता तब है जब दोनों को जरूरत होती है. शादी जबरन नहीं होती. यह पारस्परिक सहयोग की नींव पर टिकी होती है पर नींव बनाने में धर्म और कानून नहीं, तर्क, सूझबूझ, जीवन की उलझनों, वैवाहिक जीवन के चैलेंज, विवाहपूर्व प्रेम, बच्चों की समस्याओं के बारे में जानना भी हो तो कहीं कुछ नहीं मिल रहा या ढूंढ़ा ही नहीं जा रहा. नतीजा है जयदीप और भारती मजूमदार जैसे झगड़े, जिन में दोनों के 10-10 लाख रुपए तो खर्च हो ही गए होंगे.

जिंदा रखें भीतर का शौक

कोरोना ने सब को घरों में बंद रहने को मजबूर कर दिया है. ऐसे में हमारे पास 2 ही रास्ते हैं या तो हर समय इस समय को ले कर शिकायतें करते रहें या फिर इस समय का ऐसा उपयोग करें कि मन खुश हो जाए. क्यों न ऐसा कोई शौक फिर अपनाएं जो बाकी दिनों की भागदौड़ में कहीं पीछे छूट गया था.

चाहे अपनी स्क्रैपबुक पर काम करना हो या अपनी गार्डनिंग स्किल्स निखारनी हों, चाहे कोई बदलाव कर के घर की सैटिंग चेंज करनी हो, बहुत सारे ऐसे शौक हैं, जिन्हें अपना कर आप इस समय को फन टाइम में बदल सकती हैं.

समय का फायदा उठाएं

अगर आप सिलना या बुनना या कढ़ाई करना जानती थीं और एक अरसे से आप से यह शौक छूट गया है तो इस समय का फायदा उठाएं, क्रौस स्टिचिंग, आर्म निटिंग, लूम निटिंग और नीडल पौइंट से आप कई तरह के प्रयोग कर सकती हैं. अपने प्रियजनों के लिए अच्छे, नए, अलग गिफ्ट्स तैयार कर के रख सकती हैं.

नेहा परेशान थी. मुंबई में अगस्त के महीने में जब उस ने एक बेटी को जन्म दिया तो लंबे लौक डाउन के चलते बेबी की कोई तैयारी ठीक से नहीं हो पाई थी. अब वायरस के डर से मार्केट जाने से बच रहे थे, बेबी के लिए छोटेछोटे कपड़े चाहिए थे. जो थे वे बारिश के चलते ठीक से सूख नहीं रहे थे.

नेहा को परेशान देख कर उस की पड़ोसिन अनीता ने कहा, ‘‘परेशान क्यों होती हो? मार्केट जा कर खतरा मोल क्यों लेना, मु झे कुछ अपने पुराने कपड़े दो, मैं उन से कुछ बना कर दे दूंगी.’’

नेहा हैरान हुई, ‘‘आप को सिलाई आती  है, आंटी?’’

‘‘आती तो थी, पर अब सालों से कोई जरूरत नहीं पड़ी तो शायद प्रैक्टिस छूट गई होगी, पर कोशिश करती हूं.’’

कुछ अलग करें

नेहा ने अनीता को पुराने कुरते और सलवारें दे दीं. अनीता के घर पर उन के पति और बेटा वर्क फ्रौम होम में व्यस्त रहते. अनीता भी आजकल बहुत बोर हो रही थी. कुछ क्रिएटिव करना चाह रही थी पर सम झ नहीं आ रहा था कि क्या करे. अब नेहा की हैल्प करने के लिए कुछ बनाने की सोचते ही वह उत्साह से भर उठी. अनीता ने अपनी सिलाई मशीन साफ की. उसे फिर से काम करने लायक बनाने में उन्हें टाइम लगा. जल्द ही उन्होंने काम शुरू कर दिया.

पति और बेटे ने भी उत्साह बढ़ाया. 2 दिन के अंदर ही उन्होंने बच्चे की जरूरत के लिए कई कुछ बना दिया. नेहा और उस के पति अनिल हैरान हो कर उन्हें थैंक्स कहते रहे. उन की परेशानी देखतेदेखते ही खत्म हो गई. अनीता खुश थी कि उन का शौक फिर से काम आया.

अनीता की मशीन क्या निकली, एक जादू की छड़ी जैसे उन के हाथ आ गई. अब तो उन्होंने अपने लिए भी पुराने कपड़ों से लेटैस्ट टौप बना लिए. एक टौप जब पहन कर सब्जी लेने गईं तो वहां मिली सहेली ने टौप की तारीफ की और अपने लिए भी उसी तरह का एक टौप बनाने का आग्रह किया.

अनीता के लिए तो यह खुशी का पल था. सहेली नीता ने एक पुराना प्लेन कुरता भिजवा दिया. नीता के लिए अनीता ने यू ट्यूब से एक कढ़ाई की डिजाइन देख कर टौप में थोड़ी कढ़ाई भी कर दी. प्लेन टौप में हलकी सी कढ़ाई करते ही टौप की सुंदरता बढ़ गई. टौप और आकर्षक, मौडर्न लगने लगा.

नीता को भिजवाया तो वह बहुत प्रभावित हुई. एक से दूसरे इंसान, फिर तीसरे तक, धीरेधीरे बिल्डिंग में आसपास अनीता के हुनर के चर्चे होने लगे. लौकडाउन में फंसे लोगों की बहुत सी जरूरतें थीं. वे बाहर नहीं निकल पा रहे थे और उन्हें ऐसी कुछ चीजों की जरूरत थी, जिन के बिना काम नहीं चल पा रहा था. अनीता के पास धीरेधीरे कुछ ऐसे काम आते गए. वे कढ़ाई भी खूब अच्छी करती.

उन्होंने कितने ही पुराने कपड़ों से नए कुशन सैट बना लिए. नए पिलो कवर्स बना लिए, काम पहले से ही आता था, गूगल और यू ट्यूब से कितनी ही मौडर्न चीजें सीखती गईं.

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ऐसे बढ़ाएं आत्मविश्वास

ऐसा समय भी आया कि लौक डाउन धीरेधीरे खुलने के बाद भी उन्होंने घर के एक कोने में अपनी जगह ऐसी बना ली जहां वे आराम से काम करतीं. समय का उन्हें पता ही नहीं चलता और अब तो वे प्रोफैशनल हो गई थीं. लोग अब नईनई चीजें खरीदने लग गए थे. उन्हें भी मार्केट जाकर बीमारी का डर रहता, साफसुथरे घर से सामान लेने में उन्हें भी आराम ही दिखता. उन का अपना घर भी नयानया बदला सा दिखता. इतने दिनों से बो िझल हुए माहौल में घर में रखी नई चीजें अच्छी लगतीं.

अपने समय को एक नई भाषा सीखने में प्रयोग में लाएं. कोई नई भाषा सीखने के कई फायदे हैं. आजकल कई ऐप्स और औनलाइन प्रोग्राम्स चलते रहते हैं, जिन से जुड़ कर आप कोई भी नई भाषा सीख सकती हैं. सोशल डिस्टैंसिंग के समय नई चीज से जुड़ना आप को एक अच्छा अनुभव देगा.

जो भाषा आप सीख रही हैं, उस भाषा में सबटाइटल्स के साथ कोई शो या मूवी देखने में आप को मजा आएगा. अगर आप को किसी म्यूजिकल इंस्ट्रूमैंट में रुचि थी, तो आप अब फिर से उस का आनंद ले सकती हैं. इस से आप की क्रिएटिविटी और मैमोरी अच्छी होगी. शुरू में मुश्किल हो सकती है पर धीरेधीरे आप का आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा.

शौक से ऐंजौय

आजकल यू ट्यूब पर आप कुछ भी सीख सकते हैं. हर चीज का स्टैप बाय स्टैप वीडियो अवेलेबल हैं. कीमती समय बेकार इधरउधर की बातों में खराब करने से कुछ नहीं होता. कुछ क्रिएटिव कर के देखें, मानसिक और आर्थिक रूप से फायदा ही फायदा होगा. कोई भी नई चीज सीखना कभी नुकसानदायक नहीं होता.

आजकल तो फ्यूजन का जमाना है, नईपुरानी चीजें मिक्स कर के कुछ भी बनाएं. महिलाओं के लिए सिलाईकढ़ाई का शौक काफी अच्छा साबित होता है क्योंकि हर महिला में यह कला थोड़ीबहुत होती ही है. बस जरूरत होती है उसे निखारने की.

बस जरूरत है शौक की

आधुनिकीकरण ने इस शौक को जिस तरह से बढ़ावा दिया है, उस से अब यह चिंता नहीं रहती कि काम चलेगा या नहीं. इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कई कोर्सेज भी हैं, जिन की ट्रेनिंग शहरों से ले कर गांवों तक दी जाती है. हालांकि अभी महामारी का समय है, ऐसे में लोग ज्यादा बाहर निकलना नहीं चाहते, लेकिन चाहें तो घर पर रह कर भी महिलाएं इस समय का भरपूर प्रयोग कर सकती हैं. वे अपने इस हुनर के लिए कोर्स या फिर किसी ट्रेनर से औनलाइन ट्रेनिंग ले सकती हैं.

इस कला को सीखने के लिए उच्च शिक्षा की जरूरत नहीं है, बस जरूरत है शौक की, लगन की. स्कोप की बात करें तो सिलाईकढ़ाई को फैशन डिजाइनिंग के अंतर्गत रखा जाता है. बौलीवुड से ले कर आम लोगों के जीवन में भी यह अपनी जगह बना चुका है. अब हरकोई स्टाइलिश दिखना चाहता है. इस के लिए पहनावे पर काफी ध्यान दिया जाने लगा है. कई महिलाएं इस कला में अपने हुनर को दिखा कर आज मशहूर फैशन डिजाइनर भी बन चुकी हैं.

कटिंग और टेलरिंग

इस फील्ड में आप कैरियर बनाना चाहती हैं तो आप को कटिंग और टेलरिंग के साथसाथ डिजाइनिंग का ज्ञान भी होना चाहिए. इस के साथ ही आप को मार्केट में आ रही कपड़ों की नएनए डिजाइनों की जानकारी और उन्हें तैयार करने का हुनर भी आना चाहिए. अब तो आप यू ट्यूब की हैल्प से बहुत कुछ सीख सकती हैं.

अकसर महिलाएं घर से बाहर जा कर सीखना नहीं चाहतीं. ऐसी स्थिति में यू ट्यूब उन के लिए सिलाईकढ़ाई सीखने का एक अच्छा माध्यम हो सकता है. यहां पर आप को अनेक प्रकार के वीडियो मिल जाएंगे. इस के अलावा आप को अगर किसी भी तरह की प्रौब्लम आती है तो आप नीचे कमैंट करके पूछ भी सकती हैं.

इस हुनर को सीखने का यह सब से सस्ता तरीका है. सब से बड़ी बात यह है कि आप यहां पर कई तरह के वीडियो देख सकती हैं जैसे आप को अगर अपने कुरते सिलने हैं तो आप कुरते सिलने के कई तरीके यहां देख सकती हैं और सबकुछ फ्री ही होगा. सिलाईकढ़ाई सीखने के बहुत फायदे हैं जैसे पैसे की बचत होती है, आप अपनी पसंद के कपडे़ सिल सकती हैं. आप को पूरी आजादी रहती है, टेलर के पास जाने में समय खराब नहीं होता है, जितनी जल्दी आप को जरूरत है, आप खुद सिल सकती हैं, टेलर तो लंबा टाइम दे देता है. यह आप की कमाई का साधन बन सकता है.

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आत्मनिर्भर होना जरूरी

एक महिला का आत्मनिर्भर होना बहुत अच्छी बात होती है. मुंबई में जन्मी फैशन डिजाइनर अनीता डोंगरे का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा. कभी उन्होंने सिलाई का बिजनैस  2 मशीनों की हैल्प से शुरू किया था, लेकिन आज पूरी दुनिया उन का नाम जानती है. उन के ब्रैंड दुनियाभर में फेमस हैं.

उन का नाम 2017 की सब से पावरफुल बिजनैस वूमंस में गिना जाता है और आज वे दुनिया की सफलतम महिलाओं की गिनती में आती हैं. उन्होंने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपनी छोटी बहन के साथ मिल कर घर की बालकनी के अंदर ही यह काम शुरू किया था.

आप भी अपने अंदर यह शौक दबने न दें. टीवी के फालतू अंधविश्वास बढ़ाने वाले प्रोग्राम देखना छोड़ कर कुछ नया सीखें, आगे बढ़ें, अपना समय कुछ सार्थक करने में लगाएं. आप को कई फायदे होंगे.

जानें क्या है फॉल्स प्रेग्नेंसी और क्यों होती है ये

फॉल्स प्रेग्नेंसी यानि की फैंटम प्रेग्नेंसी. ये स्थिति समान्य नहीं है. ऐसे में महिला को ये लगता है कि उसकी कोख में बच्चा पल रहा है. लेकिन असल में ऐसा कुछ भी नहीं होता. विज्ञान की भाषा में फॉल्स प्रेग्नेंसी को स्यूडोसाइसिस भी कहा जाता है. फॉल्स प्रेग्नेंसी के लक्षणों की बात करें, तो इसके लक्षण हुबहू प्रेग्नेसी के दौरान दिखने वाले समान्य लक्षणों के जैसे ही होते हैं. जिसमें पीरियड्स में देरी, ब्रेस में दर्द, जी मिचलाना जैसी चीजें शामिल होती हैं. जिसके चलते महिला को शक होने लगता है कि वो प्रेग्नेंट है. ऐसा सिर्फ महिला को ही नहीं बल्कि परिवार वालों को भी कन्फ्यूजन होने लगता है. अब ऐसी स्थिति से कैसे खुद को निकाला जाए और कैसे फॉल्स प्रेग्नेंसी को पहचाना जाए ये सबसे ज्यादा जरूरी है. आज का हमारा ये लेख खास इसी विषय पर आधारित है.

1. क्या है कारण?-

फॉल्स प्रेग्नेंसी को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि, इस स्थिति से मनोवैज्ञानिक तथ्य जुड़े होते हैं. ऐसे में कई ऐसे कारण हैं, जो फॉल्स प्रेग्नेंसी की सोच को जन्म देते हैं. ये कारण क्या हैं आइये जानते हैं.

• प्रेग्नेंसी की चाह-

डॉक्टर्स की मानें तो कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी की चाह इस कदर बढ़ जाती है, कि वो अपने दिमाग पर नियन्त्रण खो देती हैं और ये सोचने लगती हैं कि उनके शरीर में बदलाव हो रहे हैं. और वो बदलाव प्रेग्नेंसी की वजह से ही हैं. इस तरह के लक्षण एंडोक्राइन सिस्टम में हो रहे बदलाव के कारण होते हैं. जिसका रिजल्ट यही होता है कि उन्हें प्रेग्नेंसी की तरह ही लक्षण भी दिखने लगते हैं.

• इमोशनली स्ट्रोक-

विशेषज्ञों की मानें तो जब किसी महिला को किसी बार से इमोशनली स्ट्रोक होता है यानि कि कुछ ऐसा इससे उसके मन में गहरा असर पड़ता है, जैसे- मिसकैरेज, बच्चे की बिमारी, बाँझपन, मानसिक दबाव. ऐसे में उसके दिमाग में सिर्फ एक ही बात चलती है कि वो प्रेग्नेंट है.

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• इमोशनली स्ट्रोक-

डॉक्टर्स का कहना है कि जब कोई महिला बचपन में यौन शोषण का शिकार हुई होती है या गरीबी और शिक्षा की समस्याओं से घिरी होती है, तो उसके दिमाग में काफी असर पड़ता है. जिससे उसको इस बात का विशवास हो जाता है, कि प्रेग्नेंट है.

2 . ये भी है कारण –

महिलाओं में कुछ मेडिकल स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनकी वजह से फॉल्स प्रेग्नेंसी एक बड़ा कारण बन सकती है. इसके अलावा क्या कुछ और भी कारण है चलिए जान लेते हैं.

• महिलाओं में मोटापा, गैस की समस्या, ट्यूमर की समस्या के साथ पेट में सूजन के साथ प्रेग्नेंट होने की इच्छा फॉल्स प्रेग्नेंसी का कारण है.

• महिलाओं में कई ऐसी समस्याओं पनपने लगती हैं, जिनकी वजह से पिट्यूटरी ट्यूमर के साथ प्रेग्नेंट होने की चाह इस परिणाम का ही बड़ा कारण है.

• फॉल्स प्रेग्नेंसी में अनियमित पीरियड्स, पेट में सूजन, ब्रेस्ट साइज़ में बदलाव, निप्पलस में कड़ापन, गर्भ में हलचल होना, डिलीवरी के समय होने वाला दर्द ये भी बड़ा कारण है.

3. क्या है उपचार –

फॉल्स प्रेग्नेंसी का उपचार कैसे किया जाए ये सबसे बड़ा सवाल है. फॉल्स प्रेग्नेंसी है या नहीं, ये जानने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप अल्ट्रासाउंड और गर्भावस्था परीक्षण करवाएं. अगर रिपोर्ट निगेटिव आती है तो, और महिला इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है तब इसके निदान की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में एक मनोवैज्ञानिक चिकित्सक आपकी बेहतर मदद कर सकता है.

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फॉल्स प्रेग्नेंसी से जुड़े ऐसे कई सवाल होते हैं जो, महिलाओं के साथ परिवार वालों के दिमाग में भी घूमते रहते हैं. इसमें कुछ लक्षण असी होतेब हैं, जो शरीर में किसी बड़ी समस्या का कारण भी बन सकती है. इसके लिए आप सही सलाकार के साथ सही डॉक्टर से इलाज करवाएं. जिससे फॉल्स प्रेग्नेंसी के लक्षण अपने आप कम हो जाएंगे.

ग्लौसी स्किन के लिए जरूरी हैं ये 6 टिप्स

कोरियाई खूबसूरती पाना हर लड़की का ख्वाब होता है. बेदाग़, निखरी और नर्म स्किन के लिए महिलाएं क्या कुछ नहीं करतीं. देखा जाए तो ऐसे कई कोरियाई हैक्स हैं, जिनके बारे में अगर एक बार जानकारी हो गयी तो आपको आपकी स्किन खूबसूरत बनाने से कोई भी नहीं रोक सकता. अब आपको इसकी जानकारी कैसे मिलेगी, इसके बारे में आपको ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ऐसे कई ब्रांड हैं जो अब भारत में कोरियन ब्यूटी प्रोडक्ट्स ने अपनी नई रेंज लॉन्च की है. क्या है ये ब्यूटी रेंज इससे जानने में आपकी मदद करेगा हमारा ये खास लेख. तो चलिए फिर शुरू करते हैं.

1. वॉशक्लॉथ से करें एक्सफोलिएट –

आप एक अच्छे वॉशक्लॉथ से अपने पूरे चेहरे को अच्छे से  एक्सफोलिएट करें. इससे स्किन समय से पहले बूढ़ी नजर नहीं आती. आपको इसका इस्तेमाल गर्म पानी के साथ करना है. इससे रिजल्ट आपको काफी अच्छा नजर आएगा. आप हल्के और नरम हाथों से अपने चेहरे को एक्सफोलिएट करना होगा. इससे चेहरे की सारी गंदगी के साथ ऑयल भी बाहर निकल आता है.

 2. चारकोल वाली फेस मास्क शीट –

वैसे तो आज कल मार्केट्स में चारकोल फेस मास्क शीट काफी आसानी से मिल जाती हैं. आपको भी बाजार से अच्छे ब्रांड की चारकोल मास्क शीट खरीदनी होगी. और उसे अपनी स्किन में अच्छे से 15 से 20 मिनट तक लगा कर रखना होगा. चारकोल स्किन को डिटॉक्स और एक्सफोलिएट करने में मदद करता है. हालंकि चारकोल से स्किन में रूखापन हो सकता है. इसलिए आप चाहें तो इसे महीने में दो बार लगा सकती हैं.

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3. फेशियल एसेंस-

स्किन को टोन और हाईड्रेट करने के लिए फेशियल एसेंस काफी अच्छा विकल्प है. इससे चेहरे में नेचुरल ग्लो बढ़ता है. आप अपने चेहरे को अच्छे से धोकर उसे मॉइस्चराइज करें. चेहरे में हाइड्रेशन को लॉक करने के लिए फेशियल एसेंस लगाएं. इससे स्किन कोमल और सॉफ्ट बनती है.

4. नेचुरल लिप कलर –

एक उम्र के बाद होठों का रंग फुका पड़ने लगता है. ऐसे में होठों में नेचुरल रंग बरकरार रहे ये सबसे ज्यदा जरूरी होता है और आप नेचुरल लिप कलर का इस्तेमाल करेंगी तो उम्र भी कम नजर आएगी.

5. लिप ऑयल –

लिप आयल में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होता है. इसमें चिकनाहट किसी मक्खन की तरह होती है. आप इसे अपने मनपसन्द रंग के साथ ले सकती हैं. इससे होठों में चमक आती है. अगर आपके होंठ पतले हैं, और आप चाहती हैं कि आपके होंठ मोटे दिखें तो आप एवोकाडो के आयल की मसाज भी कर सकती हैं.

6. नाईट स्लीपिंग मास्क –

कहते हैं, सोते वक्त हमारी स्किन रिपेयरिंग मोड में होती है. इसलिए सोने से पहले स्किन को अच्छे से मॉइस्चराइज करने की जरूरत होती है. हो सके तो चेहरे पर स्लीपिंग मास्क लगाएं. इसका रिजल्ट आपको तब नजर आएगा जब आप सोकर उठेंगी.

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कहते हैं स्किन के मामले में ब्यूटी प्रोडक्ट्स से कभी समझौता नहीं करना चाहिए. अगर आप भी चाहती हैं, कि आपकी स्किन भी कोरियन की तरह दिखे तो आप हमारी बताई हुई कोरियन ब्यूटी रेंज को चुन सकती हैं. इससे आपको अच्छा रिजल्ट मिलेगा. इसके अलावा अगर आप स्किन सम्बन्धी ज्यादा जानकारी चाहती हैं, तो किसी स्पेशलिस्ट से भी परामर्श ले सकती हैं.

बच्चों में बढ़ता तनाव कैसे निबटें

 चाइल्ड साइकोलौजी को समझें

काउंसलर रवि कुमार सरदाना बताते हैं कि वर्तमान समय  में बच्चों के अंदर पनप रहे तनाव, अवसाद व डर को दूर करने के लिए अभिभावकों की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति कई गुणा बढ़ गई है. उन्हें बच्चों को क्वालिटी टाइम देने के लिए गैजेट्स से थोड़ी दूरी बना कर चलना होगा, तभी वे बच्चों को समझ पाएंगे व उन्हें अपनी तरफ खींच पाएंगे. आप को बच्चा बन कर उन के साथ बच्चों जैसे खेल खेलने होंगे. चाइल्ड साइकोलौजी को समझना होगा. वे बड़ों के साथ न तो ज्यादा खेलना पसंद करते हैं और न ही उन से अपनी कोई बात साझा करना चाहते हैं. ऐसे में आप को उन को समझने के लिए उन जैसा बनना होगा, उन की चीजों में दिलचस्पी लेनी होगी. बच्चों को स्ट्रैस से दूर रखने के लिए उन्हें उन सब चीजों में इन्वौल्व करें, जिन में उन की रुचि हो क्योंकि मनपसंद चीज मिलने से वे खुश रहने लगेंगे, जो उन्हें तनाव से भी दूर रखेगा और साथ ही उन की कला को भी उभारने का काम करेगा.

कोरोना के टाइम में बच्चे घरों में बंद हैं. किसी से भी नहीं मिल पा रहे हैं. दोस्तों से खुले रूप में मिलनेजुलने  पर पाबंदियां जो हैं. खुद को हर समय चारदीवारी के पीछे पा कर अकेलापन महसूस कर रहे हैं. हर समय सब के घर में रहने के कारण घर का माहौल भी काफी तनावपूर्ण होता जा रहा है. घर में छोटीछोटी बातों पर नोकझोंक बच्चों के मन पर बहुत गहरा प्रभाव डाल रही है. ऐसे में इस नए बदलाव से उन्हें बाहर निकालने की जिम्मेदारी पेरैंट्स की है ताकि यह अकेलापन उन के मन पर इतना हावी न हो जाए कि आप के लिए बाद में उन्हें संभालना मुश्किल हो जाए. इसलिए समय रहते संभल जाएं और अपने बच्चों को भी संभालें.

आइए, आप को बताते हैं कि कैसे बच्चों में बढ़ते अकेलेपन और स्ट्रैस को कम करें:

बात नहीं सुनने पर डांटनामारना

हर बात का इलाज डांटने व मारने से नहीं निकलता है. कई बार प्यार से समझाई हुई बात भी बच्चों को वह सीख दे जाती है, जिस की आप ने उम्मीद भी नहीं की होती. कुछ घरों में यह आदत होती है कि वे बच्चों के मन में अपना डर पैदा करने के लिए उन्हें छोटीछोटी बातों पर भी डांटने लगते हैं.

यहां तक कि हाथ चलाने से भी बाज नहीं आते हैं, जिस से बच्चे खुल कर न तो पेरैंट्स से अपने मन की बात कह पाते हैं और न ही खुल कर चीजें कर पाते हैं, जो धीरेधीरे उन में अकेलेपन और तनाव का कारण बनता जाता है.

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बातबात पर शिकायत की आदत

बच्चे ने छोटी सी गलती करी नहीं कि उस की शिकायत कभी फ्रैंड्स से कर दी तो कभी परिवार में सब के सामने. ऐसा कर के भले ही आप बच्चों पर अपने बड़े होने का रोब झाड़ दें, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस से उन में हीनभावना पैदा होने लगती है? वे अंदर ही अंदर आप के इन सब कृत्यों की वजह से आप से इस कदर नफरत करने लगते हैं कि वे आप को ही अपना सब से बड़ा दुश्मन मान बैठते हैं.

आप से कोई भी बात शेयर करने से अच्छा वे बात को मन में रखना या दूसरों से शेयर करना बेहतर समझते हैं.

बच्चों के सामने पेरैंट्स की लड़ाई

डेटा की मानें तो पिछले 10 सालों की तुलना में कोविड-19 महामारी के दौरान लड़ाईझगड़ों के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि काम का बढ़ता बोझ, खुल कर जीने पर पाबंदी, नौकरी से हाथ धोना या फिर पैसों की कमी, हर समय घर में रहना आदि कारणों से घर में हर समय क्लेश रहता है, जिस के कारण यहां तक नौबत आ जाती है कि पेरैंट्स एकदूसरे से बच्चों के सामने अभद्र व्यवहार करने में भी पीछे नहीं रहते हैं.

उन में यह समझ भी खत्म हो जाती है कि इस लड़ाईझगड़े का बच्चों पर क्या असर पड़ेगा. ऐसे माहौल को देख कर बच्चे सहम जाते हैं, डर जाते हैं. यहां तक कि कई बार इस से उन की मानसिक हैल्थ भी प्रभावित होती है.

डरावनी मूवीज भी डर का कारण

आज हर जगह नैगेटिव माहौल है. ऐसे में हम घर में वही सब चीजें करना पसंद करते हैं, जो हमें अच्छी लगती हैं. हो सकता है कि आप को डरावनी मूवीज बहुत पसंद हों, लेकिन बच्चों का मन बहुत कोमल होता है. उस पर डरावनी मूवीज, डरावने वीडियोज का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में अगर आप उन के सामने ये सब देखेंगे तो भले ही वे आप के साथ उसे पूरे इंटरैस्ट के साथ देखें, लेकिन हो सकता है कि उन के मन में यह डर बैठ गया हो, जो उन की रातों की नींद को चुराने के साथसाथ इस से वे तनावग्रस्त भी होने लगें.

टीचर का डर

बच्चों में पढ़ाई व टीचर का डर बहुत ज्यादा होता है और अगर टीचर का व्यवहार बच्चों के प्रति दोस्ताना नहीं होता तो बच्चे अंदर से डरेसहमे रहते हैं. उन से न तो पढ़ाई के संबंध में कुछ पूछ पाते हैं और न ही खुल कर बात कर पाते हैं. उन्हें हर समय यही लगता रहता है कि पता नहीं कब किस बात पर डांट पड़ जाएगी. यह डर उन की क्रिएटिविटी को भी दबाने का काम करता है.

यहां तक कि कई बार औनलाइन क्लास के दौरान बच्चों के साथ कोई ऐसा मजाकिया वाकेआ हो जाता है, जिसे वे मन पर ले कर तनावग्रस्त हो जाते हैं.

बातें मनवाने के लिए डर बैठाना

अधिकांश परिवारों में बच्चों को कभी खाना खिलाने के लिए, कभी पढ़ाई करने के लिए, कभी टीवी बंद करने के लिए, कभी जल्दी सोने के लिए मजाकमजाक में कभी भूत का तो कभी किसी अन्य चीज का डर बैठाया जाता है, जिस से बच्चे प्रैशर में आ कर उस काम को कर तो लेते हैं, लेकिन उन के मन में वह डर इस कदर बैठ जाता है कि वे इस के चक्कर में डरने लगते हैं, जो उन में डर को पनपने के साथसाथ धीरेधीरे उन में तनाव का कारण भी बनने लगता है.

भले ही पेरैंट्स इसे अपना सामान्य व्यवहार समझ कर ऐसा करते हों, लेकिन आप ने अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि इस का आप के बच्चों पर कितना गहरा व गंभीर प्रभाव पड़ता है.

ऐसे में आप को बताते हैं कि आप अपने बच्चों को स्ट्रैस व डर के माहौल से बाहर निकालने के लिए किन बातों को अमल में लाएं:

दोस्ताना माहौल: बच्चों के स्ट्रैस में रहने का सब से बड़ा कारण यही होता है कि उन्हें घर व बाहर अच्छा माहौल नहीं मिल पाता है. ऐसे में पेरैंट्स जो अपने बच्चों के लिए रोल मौडल होते हैं, उन्हें बच्चों को दोस्ताना माहौल देना चाहिए ताकि जब भी उन के मन में किसी बात का भार हो, किसी ने उन का दिल दुखाया हो, तो वे उन्हें अपना पहला व सच्चा दोस्त मानते हुए उन से हर बात शेयर कर पाएं. जिस से उन्हें सही रास्ता मिलने के साथसाथ उन का तनाव भी कम हो.

घर में हो पौजिटिव माहौल: सभी इस बात से परिचित हैं कि जिन घरों में बच्चों के सामने लड़ाई, अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, उन घरों के बच्चे ज्यादा डरे हुए होने के साथसाथ हो सकता है कि वे छोटी उम्र से ही आक्रामक भी हो जाएं. ऐसे में जरूरी है कि आप उन्हें घर में हैल्दी माहौल दें. उन के सामने अच्छीअच्छी बातें करें, छोटीछोटी बातों पर गुस्सा न हों, घर में हमेशा पौजिटिव माहौल बनाए रखें. किसी की भी आलोचना करने से बचें.

उन्हें खुद की बात रखने का मौका दें और उन्हें समझने की भी कोशिश करें. इस से उन में अच्छेबुरे की समझ विकसित होने के साथसाथ वे ऐसे माहौल में हमेशा खुद को खुश रख पाएंगे.

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तुलना न करें: अकसर बच्चों के आत्मसम्मान को तब ठेस पहुंचती है, जब उन की तुलना दूसरे बच्चों से की जाती है. इसलिए कभी भी उन्हें दूसरे बच्चों के सामने नीचा न दिखाएं और न ही कम नंबर लाने पर उन की तुलना दूसरे बच्चों से करें, बल्कि कम नंबर आने पर उन्हें समझाएं कि अब परेशान होने से कुछ नहीं होगा, बल्कि आगे से अच्छे तरह मन लगा कर और पढ़ाई करने की जरूरत है. हम तुम्हें हर तरह से गाइड करने के लिए हमेशा तैयार हैं. इस से उन का मनोबल बढ़ेगा.

डरावनी बातें न करें शेयर: परिवार में, दोस्तों में या फिर आसपास कई बार ऐसी घटनाएं घटित हो जाती हैं, जिन से हम बड़ों में ही इतना  डर पैदा हो जाता है कि हमें उस से बाहर निकलने में काफी वक्त लग जाता है. जरा सोचिए अगर आप का यह हाल होता है तो बच्चों का क्या होगा.

इसलिए बच्चों के सामने किसी भी तरह की दुखद घटना आदि शेयर करने से बचें और अगर किसी बहुत करीबी के साथ कुछ गलत हुआ है तो बच्चों को आप इस तरह समझाएं कि उन्हें समझ भी आ जाए और उन के मन में डर भी पैदा न हो क्योंकि बच्चे कब किस बात को किस तरह से लें, समझना मुश्किल है. ऐसे में आप की समझदारी ही यहां काम आएगी.

डर को निकालने की कोशिश: कई बार बच्चे स्कूल जाने से डरने लगते हैं, लोगों के सामने आने से कतराते हैं, अपने फैंड्स से भी दूरी बनाने लगते हैं. ऐसे में आप उन्हें डांटें नहीं, बल्कि आप की पेरैंट्स होने के नाते यह जिम्मेदारी बनती है कि आप बच्चों से इस संबंध में बात करें कि आखिर उन के डरने व लोगों को फेस नहीं करने का कारण क्या है.

अगर वजह पता चल जाए तो उस का समझदारी व प्यार से समाधान निकालने की कोशिश करें वरना आप इस संबंध में टीचर से बात करें. इस से आप अपने बच्चों की प्रौब्लम का समाधान निकाल पाएंगे और उन के मन से डर भी दूर होगा.

मोटीवेट करने वाले गेम्स: बच्चे घर में रहरह कर ऊब गए हैं, जो उन में अकेलेपन का कारण बन रहा है. ऐसे में अगर आप भी उन्हें टाइम नहीं देंगे, उन के साथ फनी ऐक्टिविटीज में शामिल नहीं होंगे, तो वे बोरियत व अकेलापन महसूस करने लगेंगे, जो उन की मैंटल हैल्थ को खराब कर सकता है. इसलिए जरूरी है कि आप उन के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं.

अगर नई चीजों को करने को ले कर उन की उत्सुकता कम होती जा रही है, तो उन्हें मोटीवेट करने के लिए उन्हें गेम्स खिलाएं ताकि जब वे अंदर से हैपी फील करने लगेंगे तो उन का मोटिवेशन भी खुदबखुद बढ़ने लगेगा.

आप भी उन्हें दोस्त मानें: अगर आप चाहते हैं कि आप के बच्चे आप के साथ हर बात शेयर करे, आप से कोई भी बात न छिपाएं तो आप को उन का दोस्त बनना होगा. इस के लिए आप उन से अपनी भी हर बात शेयर करें और उन से कहें कि यह बात मैं ने सब से पहले तुम से शेयर की है. इस से वे आप को अपना सब से अच्छा दोस्त समझने लगेंगे और अगर एक बार यह दोस्ती गहरी हो गई और इस में विश्वास ने जगह बना ली तो फिर आप के बच्चे आप को अपना बैस्ट दोस्त मानते हुए आप से हर बात शेयर करने लगेंगे.

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Monsoon Special: इन 4 टिप्स को फौलो कर रेनी सीजन में भी दिखेंगी स्टाइलिश

मानसून सीजन में अक्सर हम फैशन का ध्यान रखने के चक्कर में कोई ना कोई मुसीबत मोल ले लेते हैं. चाहे वह कपड़ा हो या जूते हर किसी का अपना महत्व होता है और इनका ध्यान ना रखा जाए तो ये आपके फैशन को खराब कर सकता है. मानसून में जरूरी है कि आप फैशन से जुड़ी कुछ बातें जान लें, जिससे आप होने वाले नुकसान से बच जाएं. आइए आपको बताते हैं मानसून में क्या पहनें और क्या नहीं.

1. आपकी फेवरेट जींस

मानसून में मौसम में जींस पहनना अच्छा आइडिया नहीं है क्योंकि ये अगर भीग गई तो जल्दी सूखेगी नहीं और अगर कीचड़-मिट्टी लग गई तो आपकी प्यारी जींस का खराब होने का डर भी तो है. ऐसे में आप जेगिंग्स ट्राई कर सकती हैं. ये पहनने में कंफर्टेबल होने के अलावा हल्की होने की वजह से जल्दी सूख भी जाती हैं.

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2.  सही फैब्रिक है जरूरी

लिनेन का कपड़ा भीगने पर बहुत भरी हो जाता है और इसी के साथ यह ट्रांसपेरेंट भी हो जाता है. इसलिए इस मौसम में लिनेन के कपड़ों को न पहनना ही बेहतर है. लिनेन के कपड़े अधिकतर हल्के रंग के होते हैं इसलिए इन पर लगा हल्का सा दाग भी खराब लगता है. मानसून में कॉटन, लिनन और शिफॉन के फैब्रिक एवॉइड करें. इस मौसम के लिए लाइक्रा, मल और पॉलिस्टर बेस्ट फैब्रिक हैं. बरसात में सफेद कपड़ों को पहनने से बचें। अच्छा रहेगा कि पेस्टल शेड्स के आउटफिट्स पहनें. व्हाइट कपड़ों पर जल्दी दाग लगते हैं, जो आसानी से नहीं जाते.

3. फुटवियर्स का भी रखें ध्यान

स्नीकर्स के अलावा बूट्स में भी लोग रेनी सीजन का ध्यान रखते हुए शूज बाय कर रहे हैं. इसमें सैंडल वाटर शूज, स्लिप औन स्लीपर्स, क्विक ड्राई एक्वा वाटर शूज, लाइटवेट फ्रेबिक शूज और नेट फ्रेबिक्स स्नीकर्स की काफी डिमांड है. इनके अलावा भी कई नए ट्रेंड्स चलन में हैं, जिन्हें अपना कर यूथ अपने आप को स्टाइलिश और कम्फर्टेबल महसूस करते हैं.

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4. लेदर बैग और कपड़े

लेदर अगर भी जाए या फिर गीला हो जाए तो सूखने में बहुत समय लगाता है साथ ही इसमें फंगस लगने का भी खतरा बढ़ जाता है. इसलिए इस मौसम में लेदर की चीजों को इस्तेमाल न ही करें तो बेहतर रहेगा.

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