ब्रेकअप : जमूरे का खेल नहीं  

लेखिका- स्नेहा सिंह 

“हम ने अपने संबंधों पर काफी सोचाविचारा. काफी सोचने के बाद हमें ऐसा लगा कि हम एक साथ आगे नहीं बढ़ सकते, इसलिए हम ने इस संबंध को खत्म करने का निर्णय लिया.” मेलिंडा से अलग होने के बाद बिल गेट्स ने यह ट्वीट किया था. एक संबंध का यह एक अद्भुत एक्जिट नोट था. जिसमें कोई एलिगेंस नहीं था. कोई शिकायत नहीं थी. मात्र समझदारी थी. बिल गेट्स के इस ट्वीट के बाद सभी ने मिल कर उनके टूट ग्ए संबंध का पिष्टपेषण किया. किसी ने कहा कि उन दोनों के बीच अनबन इस हद तक बढ़ गई थी कि उनके पास अलग होने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं था.किसी ने यह भी कहा कि बिल गेट्स का किसी दूसरी महिला के साथ अफेयर था. किसी नै मेलिंडा को मिलने वाली भारी भरकम एलिमनी की रकम में रुचि दिखाई. हमने जेफ बेजोस के मामले में भी कुछ ऐसा ही सोचाविचारा था. हम टूटते हुए संबंधों के बारे में कुछ ऐसा ही सोचते हैं. टूटता हुआ संबंध कोई जमूरे का खेल नहीं. टूटता हुआ संबंध मेले में लगा कोई चरखी वाला झूला भी नही है कि जिसका मन हो, वह आ कर उसके हिंडोले में बैठ कर झूल ले. टूटता हुआ संबंध मल्टीप्लेक्स की स्क्रीन पर लगी कोई फिल्म भी नही है. ये वे संबंध हैं, जिन्हें बचाने के लिए भावनाएं भी मदद में नहीं आतीं. यह वह संबंध है, जिसका अस्तित्व पहले की तरह अनिवार्य नहीं रहा. ‘तुम्हारे बिना जी नहीं सकता”,  इस पूरे वाक्य से ‘नहीं’ शब्द गायब हो गया है. यह संबंध अब न फेविकोल से चिपकाया जा सकता है और न सेलोटेप से जोड़ा जा सकता है और न ही स्टेपलर से इकट्ठा किया जा सकता है. ब्रेनडेड आदमी के वेंटिलेटर का स्विच बंद कर दिया जाए तो उसकी कोई चर्चा नहीं होती, सिर्फ आंसू होते हैं, स्तब्धता होती है और मौन होता है. दो व्यक्ति जब एकदूसरे से अलग होने का निर्णय लेते हैं तो उनके दर्द के बारे में सोचना चाहिए. उनके अलग होने के कारण के बारे में भी नही.

हमारे यहां जितनी धूमधाम से शादी की जाती है, उतने ही शोरशराबे के साथ अलगाव भी होते हैं. शादी में हम डेकोरेशन के बारे में, चढ़ाव में आए गहनों के बारे में, खाने के बारे में,  लड़की द्वारा पहनी गई साड़ी के बारे में बातें करते हैं. जबकि अलगाव के समय ‘सास बहुत जबरदस्त थी, पति से कोई लड़की नियमित मिलने आती थी, लड़की का पूरा कैरियर ही बरबाद कर दिया, बच्चों से कोई लगाव नहीं था, वह थी ही ऐसी, खाना भी बनाने नहीं आता था, आदि बातें करते हैं. ब्रेकअप दो लोगों के बीच घटने वाली व्यक्तिगत घटना है और इसे हमें व्यक्तिगत ही रहने देना चाहिए. दो लोग एकदूसरे से ऊब जाते हैं, तब ऐसा होता है. साथ चलने का वादा कर के कोई एक पीछे रह जाता है, तब ऐसा होता है. वेवलेंथ मैच नहीं होता, अपेक्षाएं अधूरी रह गईं हों, उद्देश्य बदल गया हो, रास्ते अलग हो गए हों, दो लोगों के बीच कोई तीसरा आ गया हो, कारण कोई भी हो, उनसे हमारा कोई सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ने वाला है. दस साल, बीस साल या पच्चीस साल साथ रहने के बावजूद ऐसी कोई जबरदस्ती नहीं है कि आगे भी साथ ही रहना है. बच्चे हैं, इसलिए अलग नहीं हो सकते, इस तरह का भी कोई बंधन नहीं बांध सकता. हाथ से कांच की बरनी छूट जाए तो वह आवाज के साथ बिखर गए कांच के टुकड़ों को इकट्ठा करने लगेंगे तो हाथ लहूलुहान हो जाएगा. मानलीजिए कि कांच के टुकड़े इकट्ठा कर भी लेंगे तो उससे पहले जैसी बरनी बन तो नहीं सकती न. इसलिए वे टुकड़े लगे नहीं,  हाथ के बजाय झाड़ू से कचरा उठाने वाली ट्रे से उन टुकड़ों को उठा कर कचरे के डिब्बे में डालना चाहिए. संबंधों का भी कुछ ऐसा ही है.

शादी मंडप में होती है, पर अलगाव कोर्ट में लेना पड़ता है. पंडितजी के मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुआ विवाह वकीलों की दलील और संपत्ति के बंटवारे के साथ पूरा हो जाता है. सड़ गए संबंधों की अपेक्षा मर चुकी अपेक्षाएं, रुढ़िया गई इच्छाएं अधिक बदबू मारने लगती हैं. रोमांचित करने वाला स्पर्श छाती में नश्तर की तरह चुभने लगता है. जो आदमी एक साथ  एक घर में, चार-छह दीवालों के बीच कुछ सालों तक जिए हों, उन सालों को अब भुला देना है. कुछ भी ‘वर्कआउट’ न कर सकने की असफलता काटने दौड़ती है. संतानों को अब हिस्से में मिलना है. आदतें बदलनी हैं, जो आसान नहीं है. आदमी अस्पताल में, घर में, कमरे में, अकेले या चार लोगों के बीच से गुजर जाता हो, पर विवाह कभी रसोई में, कभी बैडरूम में, कभी ड्राइंगरूम में, कभी छींटवाली चादर पर, कभी बाथरूम में, कभी होटल में अनगिनत बार टूटता है. सुबह की गुडमार्निंग से ले कर रात की गुडनाइट की किस के बीच फैली विवाह की मर गई भावनाओं की चिता पर सुला कर देना होता है और सीने के किसी एक कोने में एकदम अकेले चुपचाप उसका मातम मनाना होता है.

मेलिंडा ने जब विवाह किया होगा, तब दिल में सिर्फ बिल गेट्स के लिए ही जगह रही होगी. बिल गेट्स ने भी मेलिंडा को दिल में बसा कर विवाह किया होगा. उस समय उनके लिए न पैसे का महत्व रहा होगा न लाइफस्टाइल का. तब जब ये लोग अलग हुए तो हम पैसे की या लाइफस्टाइल की बात क्यों करते हैं? हम भावनाओं के बारे में क्योँ नहीं बात करते? हर ब्रेकअप चर्चा का विषय क्यों बन जाता है. हर ब्रेकअप को हम सनसनीखेज क्यों बना देते हैं?

हमें ब्रेकअप के बारे में सोचना सीखना होगा. हमें समझना होगा कि आदमी मर जाता है तो हम शोक संवेदना व्यक्त करने जाते हैं. अगर संबंध मर जाए तो हम उसकी संवेदना व्यक्त करने नहीं जा सकते? हमें यह भी समझना होगा कि आदमी मर जाता है तो हम पूछते हैं कि ‘क्या हुआ था?’ तो क्या संबंध मर जाता है तो हमें यह पूछने का अधिकार नहीं है कि ‘क्या हुआ था?’

Anupamaa: काव्या ने किया परेशान तो समर ने ऐसे लिया बदला

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिसका असर सीरियल की टीआरपी में भी देखने को मिल रहा है. वहीं सीरियल की कहानी की बात करें तो काव्या, शाह परिवार के हर सदस्य को परेशान करती नजर आती है. इसी बीच समर, काव्या को सबक सिखाता नजर आया. आइए आपको दिखाते हैं फनी वीडियो की झलक….

काव्या ने किया समर को परेशान

सीरियल अनुपमा के सेट पर मस्ती का माहौल भी देखने को मिलता रहता है. दरअसल, हाल ही में काव्या यानी मदालसा शर्मा ने एक वीडियो फैंस के साथ शेयर किया है, जिसमें वह समर यानी पारस कलनावत को परेशान करती नजर आ रही हैं. वहीं इस बात से परेशान होकर समर, काव्या को सबक सिखाता हुआ नजर आ रहा है.

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अनुपमा के सेट पर है बौंडिंग

सीरियल अनुपमा की कहानी में भले ही काव्या की हर किसी से लड़ाई रहती है. लेकिन औफस्क्रीन सेट पर मदालसा शर्मा हमेशा बौंडिग बनाते हुए दिखती हैं. वनराज यानी सुधांशू पांडे संग वह जहां फोटोज शेयर करती नजर आती हैं. वहीं फैंस को उनकी ये फोटोज काफी पसंद आती हैं. वहीं इससे पहले मदालसा शर्मा ने हाल ही में नंदिनी यानी अनघा भोसले संग एक वीडियो शेयर की थी, जिसमें वह नंदिनी से पोछा लगवाते हुए सास की तरह नजर आ रही हैं. वहीं ये वीडियो देखकर फैंस का मजेदार रिएक्शन भी देखने को मिला था.

सीरियल में आएगा नया ट्विस्ट

अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो जल्द सीरियल में अनुपमा का स्टूडियो और वनराज का नया कौफी शौप खुलने वाला है, जिसके चलते सीरियल में सेलिब्रेशन का माहौल भी देखने को मिलेगा. हालांकि काव्या की पाखी के मन में लगाई हुई आग उसे अनुपमा के खिलाफ करती नजर आएगी. हालांकि वनराज इस मामले में अनुपमा का साथ देता हुआ नजर आएगा.

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रिसेप्शन में छाया Rahul Vaidya-Disha Parmar का रोमांटिक डांस, Aly-Jasmin की शानदार एंट्री

बिग बौस 14 फेम राहुल वैद्य  (Rahul Vaidya) और एक्ट्रेस दिशा परमार 16 जुलाई को शादी के बंधन में बंध चुके हैं. वहीं दोनों की शादी की फोटोज सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. इसी बीच राहुल और दिशा के रिसेप्शन पार्टी की फोटोज और वीडियोज भी आ गई हैं, जिनमें कपल के अलावा टीवी की दुनिया के कई सितारे नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं दिशा परमार और राहुल वैद्य के ग्रैंड रिसेप्शन पार्टी की झलक…

 राहुल वैद्य ने किया वाइफ के साथ डांस

 

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जहां फोटोशूट करवाते समय राहुल वैद्य वाइफ दिशा परमार को किस करते नजर आए तो वहीं रिसेप्शन के मौके पर दोनों कपल एक-दूसरे के साथ रोमांटिक डांस करते दिखे, जिसे देखकर फैंस दोनों के जोड़ी को परफेक्ट बता रहे हैं.

 

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कपल ने काटा केक

 

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रिसेप्शन पार्टी के सेलिब्रेशन में राहुल वैद्य और दिशा परमार केक काटते हुए भी नजर आए. वहीं पूरी पार्टी में दोनों एक दूसरे का हाथ थामे दिखे. वहीं दोनों के चेहरे पर खुशी देखने लायक थी.

 

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अली गोनी समेत पहुंचे कई सितारे

 

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राहुल वैद्य और दिशा परमार की शानदार रिसेप्शन पार्टी में अली गोनी और जैस्मिन भसीन भी कपल बनकर धासू एंट्री करते हुए दिखे. वहीं इस दौरान ये कपल मैचिंग आउटफिट में नजर आया. दूसरी तरफ राहुल वैद्य के खतरों के खिलाड़ी 11 के दोस्त श्वेता तिवारी, विशाल आदित्य सिंह और अर्जुन बिजलानी साथ में ठुमके लगाते दिखे.  इसके अलावा सना मकबूल, अनुष्का सेन भी पार्टी में पहुंचे.

 

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शादी में दिशा को देखते रह गए थे राहुल

 

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नेशनल टेलीविजन पर अपने प्यार का इजहार करने वाले सिंगर राहुल वैद्य अपनी दुल्हन दिशा को शादी के जोड़े में देखते ही रह गए थे. वहीं दिशा के लुक की बात करें तो रानी पिंक कलर के जोड़े में दिशा बेहद खूबसूरत लग रही हैं.वहीं इस दौरान उनके खास दोस्त अली गोनी भी नजर आए, जो दुल्हे संग पोज देते हुए दिखे थे.

 

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All Video Credits- Viral Bhayani

दुनिया में कट्टरपंथी कानून

गुजराती खून में क्या आजादी छीनने की कोई कला होती है या यह केवल एक संयोग है कि भारत के गुजराती गृहमंत्री और इंग्लैंड में भारतीय मूल की गृहमंत्री प्रीति पटेल एक तरह से कट्टरपंथी कानूनों के समर्थक है. पश्चिमी देश अब तक दुनिया भर में सताए गए लोगों के लिए पनाह देने के लिए जाने जाते रहे हैं पर वे लोग जो खुद पनाह ले कर आए थे, नए को आने से रोकने के कानून बना रहे हैं, प्रीति पटेल एक कानून बनवा रही है कि इंग्लैंड में जो भी व्यक्ति इस कारण कदम रखता है कि उसे अपने देश के जुल्मों से बचना है, उसे अपराधी माना जाएगा अगर उस ने पहले से इजाजत नहीं थी.

इस का अर्थ है कि जो कही सताया जा रहा है वह पहले से पत्र लिखना शुरू करे कि हे प्रीति पटेल ये अपने देश में पीडि़त हूं मुझे शरण दे. कौन देश ऐसे व्यक्ति को आजाद घूमने देगा? लोग तरहतरह के बहाने बना कर पश्चिमी देशों में वैधअवैध तरीकों से घुसते हैं और फिर अपने देश के सिस्टम के पीडि़त होने की दुहाई दी है.

यह हर देश का फर्ज है कि कहीं भी सताए लोगों को अपने यहां पनाह दे. लोग कट्टर तानाशाहों से बचने के लिए ही कम कट्टर तानाशाही देशों में जाते रहे हैं. प्रीति पटेल भी उन में से है जिन का परिवार अपना मूल देश छोड़ कर गया था.

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यह ठीक है कि पनाह मांगने वालों में से बहुत से अपराधी भी होते हैं जो अपने मूल देश के कानूनों की गिरफ्त से बचने के लिए भागे थे. उन्हें भी पनाह दी जानी चाहिए. यदि उन के मूल देश का कानून अनैतिक है तो वहां से भाग कर पनाह लेना गलत नहीं है. भारत तो ऐसा है जो बिना गुनाह साबित हुए 84 साल के वृद्ध को जेलों में रखना है और गर्भवती को छूट तक नहीं देता. यदि यहां से भाग कर कोई प्रीति पटेल की शरण में जाए तो क्या उसे वहां का भी अपराधी मान लिया जाए?

दुनिया अभी ऐसी नहीं है कि लोग अपनों के बीच सुरक्षित हों, भारत में रहती औरतें सब से ज्यादा असुरक्षितों में से हैं. अगर किसी लडक़ी या परिवार को आस्ट्रेलिया और अमेरिका तो दूर साउथ अफ्रीका जाने का मौका भी मिलता है तो छोडऩा नहीं है. वहां लाख खराबियां हों, कुछ मामलों में हम बहुत तंगदिल हैं. लोग यहां रहते हैं तो इसलिए कि उन्हें अपने रिश्तेदारों से प्यार है, पड़ोसियों से प्यार है, गुजराती मूल की प्रीति पटेल समझने को तैयार नहीं है.

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उसका सच: क्यों दोस्त को नहीं समझ पाया हरि

लेखिका- अरुणा सव्वरवाल

बच्चों की अच्छी हाइट के लिए अपनाएं ये टिप्स

बच्चों की हाइट में रुकावट आना माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन जाता है. वैसे तो लड़कों की हाइट 25 वर्ष तक और लड़कियों की हाइट 18 वर्ष तक बढ़ती है. ज़्यादातर बच्चों की हाइट उनके माता-पिता के अनुसार ही होती है जिसे हम जेनेटिक बोलते है, लेकिन कई बार बच्चों की हाइट माता -पिता जितनी भी नहीं बढ़ती इसकी वजह हार्मोन का ग्रोथ न होना हो सकता है.
कम हाइट के वजह से बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिलता है. कई बार कम हाइट वाला बच्चा बाकी बच्चों के सामने खुद को कमजोर समझने लगता है, ऐसा देखा भी गया है जिन बच्चों की हाइट कम होती है उन में चिढ़चिढ़ापन ज्यादा आ जाता है. अगर आप को भी अपने बच्चों के हाइट में ग्रोथ नजर नहीं आ रही तो आप इन टिप्स को जरूर अपनाएं.

एक्सरसाइज है जरूरी

बच्चों को सुबह एक्सरसाइज करवाना बहुत जरूरी है. हालांकि बच्चे सुबह उठना पसंद नहीं करते, लेकिन बच्चों के लिए आप को भी थोड़ी सी मेहनत करनी पड़ेगी. एक्सरसाइज में आप बच्चों से स्ट्रेचिंग, जमपिंग और दौड़ लगवा सकते है. बच्चों के अच्छी ग्रोथ के लिए साइकलिंग भी जरूरी है. बच्चों से सुबह शाम साइकलिंग जरूर करवाएं.

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खाने पर रखें खास ध्यान

अगर बच्चों का खानपान सही हो तो बच्चों की हाइट भी बढ़ती है और वह हेल्दी के साथ एक्टिव भी नजर आते है. इसलिए बचपन से ही बच्चों का खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते है बच्चों के ग्रोथ के लिए उन्हें क्या खिलाना चाहिए.

– बच्चों को पानी में भिगोएं हुए चने खिलाएं. आप इसको टेस्टी बनाने के लिए इसमें प्याज-टमाटर मिला कर बच्चों को टिफिन में भी दे सकती हैं.
– दूध और दूध सी बनी चीजे बच्चों को जरूर खाने को जैसे दही, मक्खन, पनीर, इत्यादि. दूध में केल्शियम की मात्रा अधिक होती है जो हड्डियां को मजबूत और उनके विकास में मदद करती है.
– बच्चों के ग्रोथ के लिए विटामिन डी भी बहुत जरूरी होता है. विटामिन डी के लिए सुबह की और शाम की धूप बहुत अच्छा माना जाता है. आप चाहे तो बच्चे को सुबह की धूप में थोड़ी देर बैठा सकती है. आप चाहे तो इसके लिए आप बच्चों को मशरूम, पनीर, सोया, बदाम और संतरा दे सकती हैं.
– बच्चों को को अंडे की ज़र्दी और हरी सब्जियों को सूप बना कर जरूर दें.

भरपूर नींद है जरूरी

अच्छे बौडी ग्रोथ के लिए भरपूर नींद लेना जरूरी है. सोने के बाद हमारे शरीर के ग्रोथ हॉर्मोन अच्छे से काम करते है. इसलिए बच्चों को सुलाने से पहले रखे इन बातों का ध्यान-
– अच्छी नींद के लिए बच्चों को ढीले कपड़े पहनने चाहिए.
– सोने से पहले हाथ-मुंह धुलवा कर सुलाना चाहिए.
– अच्छी नींद के लिए बेड साफ-सूथरा और आरामदायक होना चाहिए.

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वह मेरी दोस्त भी है : अपनी बेटी को जरूर सिखाएं ये बातें

कल रिया के घर उस की बर्थडे पार्टी में उस समय सभी का मूड खराब हो गया जब रिया की अपनी मां से बहस हो गई. बात यह थी कि रिया का अपनी सहेलियों के साथ कहीं घूमने का प्लान था. जब पार्टी के बाद वह उन के साथ जाने लगी तो मां उसे डांटते हुए बोलीं कि आजकल वह सहेलियों के साथ कुछ ज्यादा ही घूमनेफिरने लगी है. इस पर वह लगाम लगाए. आए दिन उस के देर से घर लौटने को ले कर भी वे नाराज रहतीं.

बस फिर क्या था. रिया भी मां पर बरस पड़ी, ‘‘बड़े भैया दोस्तों के साथ कितनी पार्टियों में जाते हैं. उन्हें तो आप कुछ नहीं कहतीं. अगर वे रात को किसी फ्रैंड के घर रुक भी जाते हैं, तो भी आप और पापा बुरा नहीं मानते. फिर मेरे ऊपर ही इतने प्रतिबंध क्यों? मेरा जो मन चाहेगा करूंगी,’’ कह वह सैंडल पटकती हुई सहेलियों के साथ चली गई.

इस घटना में मांबेटी का व्यवहार एकदूसरे के प्रति नकारात्मक है. मां का डांटना बेटी को रास नहीं आ रहा. उस की प्रतिक्रिया आक्रामक सी होती दिख रही है. एक मां को अपनी बेटी से बहुत आशाएं होती हैं और बेटी भी मां से स्नेह चाहती है. मांबेटी का रिश्ता इतना करीबी है कि इस की तुलना सखियों के प्रेम से की जाती है. किंतु कभीकभी गलत व्यवहार के कारण इस रिश्ते में खटास आ जाती है और फिर मतभेद बढ़ते ही जाते हैं.

कुछ मां की मानें, कुछ अपनी मनवाएं

‘मां से बढ़ कर अपने बच्चों का हितैषी कोई और नहीं होता’ यदि इस बात को हर बेटी एक जुमला न समझे और हकीकत में उन्हें अपना शुभचिंतक मान उन का कहा न टाले तो इस रिश्ते में दरार आने की संभावना समाप्त हो जाएगी. वह मां की कही बातें ध्यान से सुने और उन पर अमल भी करे. यदि कुछ बातें सही नहीं लग रही हों, तो मां के सामने अपना पक्ष रख कर अपनी बात उन तक पहुंचाए जैसे यदि मां कहती हैं कि बेटी बाहर देर तक न रहे और समय से घर आ जाए, तो इस बात को मानने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

किसी कारणवश देर होने की संभावना हो तो उन्हें सूचित कर दिया जाए. बाहर जाने पर घर में फोन के माध्यम से संपर्क में रहें. यदि मां सुरक्षा को ले कर जरूरत से ज्यादा चिंतित रहती हैं और बारबार काल करती हैं, तो उन्हें इस के लिए ऊंची आवाज में बेइज्जत करने के बजाय अपने निडर हो कर हर स्थिति का सामना करने के हौसले से परिचित करवाएं. यह मां के डर को दूर तो करेगा ही, साथ ही साथ आप के इन गुणों को जानने के बाद वे आप पर गर्व भी करेंगी. उन्हें स्त्री की स्वतंत्रता के महत्त्व से समझदरी से परिचित करवाएं.

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बेटी अपनी पसंद का मेकअप करे या कपड़े, जूतेचप्पल पहने और मां टोक दें तो उन के कारणों को जानने का प्रयास करें. यदि वे बदलते समय को समझे बिना आप को रोकती हैं तो आदर के साथ उन्हें अपनी बात समझा दें.

यदि मां सस्ते मेकअप प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल व प्रतिदिन गहरा मेकअप करने से होने वाली हानियों से आगाह करें तो उन की बात अनसुनी न करें. जब मां जान जाएगी कि बेटी उन की बातें मान रही है तो यकीनन वे ड्रैस चुनने के मामले में आप की पसंद को कभी नहीं नकारेंगी.

मां एक सच्ची मार्गदर्शक

बेटी को चाहिए कि वह कोई निर्णय लेते समय मां को उस में अवश्य शामिल करे. अपना कैरियर चुनने में भी बेटी मां की मदद ले तो निर्णय गलत साबित होने की संभावना कम से कम होती है.

अपने खर्चों के विषय में मां को समयसमय पर बताने से बेटी को इस क्षेत्र में भी सही मार्गदर्शन मिल जाएगा. रोज के खर्च के लिए जब बेटी मां से पौकेट मनी की आशा रखती है, तो मां भी यह उम्मीद करें कि वह पैसा फुजूल में खर्च नहीं होगा, तो कुछ बुरा नहीं है.

सच तो यह है कि मां के मार्गदर्शन और सहारे की बेटी को बहुत जरूरत होती है. शरीर में होने वाले हारमोनल बदलाव, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण व अच्छेबुरे स्पर्श के विषय में मां ही बता सकती हैं. बेटी को चाहिए कि वह ऐसे विषयों पर मां से बिना संकोच बात करें. इस के अलावा बलात्कार व शारीरिक शोषण जैसे मुद्दों पर भी उन से खुल कर बात करें.

सोशल मीडिया से दूरी

यदि मां चाहती हैं कि आप मोबाइल फोन और फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट व टिंडर आदि ऐप्स से दूरी रखें तो इस में गलत कुछ नहीं है. ये ऐप्स व्यक्ति को समाज के साथ जोड़ने का काम तो करते हैं, किंतु इन में बिजी होने से समय की बरबादी भी बहुत होती है. अत: इन का प्रयोग एक सीमा तक करना ही लाभप्रद है. सुरक्षा के नजरिए से भी ये कभीकभी हानिकारक साबित होते हैं.

मां की मददगार बनें

यदि मां बीमार हैं, मेहमान आए हैं या मां को कोई और काम करना है तो बेटी मदद अवश्य करे. घर के कामों में मां की मदद का अवसर हाथ से न जाने दें. यदि घर पर छोटे भाईबहन हैं तो उन के साथ समय बिताएं.

इलाहाबाद में रहने वाली 14 वर्षीय श्रुति यह सुन कर फूली न समाई कि उस के छोटे भाई कबीर को स्कूल के ‘पोइम रैसिटेशन कंपीटिशन’ में फर्स्ट प्राइज मिला है. जब श्रुति की मां रोज रात को किचन संभालती थीं, तब श्रुति कबीर को कविता बोलने का अभ्यास करवाती थी. बड़ी दीदी बन कर अपनी भैया को अच्छी बातें समझाते हुए श्रुति अनजाने में ही कई जिम्मेदारियां निभाना भी सीख गई.

किसी से तुलना कभी नहीं

यदि मां द्वारा बेटाबेटी में भेदभाव किया जा रहा हो तो उन्हें नारीशक्ति का महत्त्व समझाते हुए बेटियों का स्थान बता दें. उन्हें कोमल शब्दों का प्रयोग करते हुए याद दिलाएं कि वे भी एक स्त्री हैं और परिवार में उन का किरदार कितना अहम है. कभीकभी अपने भैया को मां द्वारा विशेष मान दिए जाने पर ईर्ष्या न करें. ‘पापा की परी’ तो आप ही रहेंगी. हां, समझदारी से लिंगभेद की समस्या का जिक्र करते हुए इस के बुरे प्रभाव जरूर गिना दें.

अकसर मां को शिकायत होती है कि बेटी अपने मित्रों को ही समय देती है, मां को नहीं. अत: मां के साथ समयसमय पर शौपिंग करने, खानेपीने या कहीं आसपास के पर्यटनस्थल पर घूमने जरूर जाएं. मां की करीबी होने पर वे घर के महत्त्वपूर्ण निर्णय में बेटी का पक्ष जानना चाहेंगी और अपने सुखदुख बेटी के साथ साझा करेंगी.

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शुभकामनाएं दे कर बन जाएं दोस्त

बेटी द्वारा दी गई शुभकामनाएं मां के लिए विशेष महत्त्व रखती हैं. अत: बेटी को चाहिए कि वह खास अवसरों पर मां को विश करना न भूलें. ये खास अवसर नया साल, बर्थडे या मम्मी की मैरिज ऐनिवर्सरी हो सकते हैं.

झूठ न बोलें

मां से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए. यदि कभी झूठ बोला और मां को पता लग गया तो सौरी बोल कर मन में निश्चय कर लें कि मां के साथ भविष्य में ऐसा धोखा कभी नहीं करेंगी.

आराधना अपने बौयफ्रैंड मनन को ले कर अपनी मां से झूठ बोलती रही. अपने सहेली से मिलने के बहाने वह रोज मनन से मिलने चली जाती. यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक मनन का धोखेबाज चरित्र उस के सामने नहीं आ गया. वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए आराधना पर दबाव डालने लगा. यही नहीं, दोनों के अफेयर को ले कर मुंह न खोलने के बदले वह रुपयों की मांग भी करने लगा और इस कारण आराधना ने घर से पैसे भी चुरा लिए.

आखिर तंग आ कर उस ने मां को डरते हुए इस बात की जानकारी दी. मां थोड़ा नाराज तो हुईं, पर उन्होंने मनन के घर वालों से उस की शिकायत कर उसे भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी के साथ पुलिस का भय भी दिखा दिया. आराधना ने तब राहत की सांस ली और आने वाले समय में अपनी मां से सब सच बोलने का निर्णय किया. वह जान चुकी थी कि मां को पहले ही सबकुछ सच बता दिया होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.

माई मौम इज द बैस्ट

यदि आप अपने मित्रों, रिश्तेदारों व पड़ोसियों के सामने मां की डांट को भुला कर उन के द्वारा की जा रही मेहनत और त्याग को देखेंगी तो सचमुच आप को लगेगा माई मौम इज द बैस्ट.

एक मां और बेटी का रिश्ता सब रिश्तों से अलग, बेजोड़ होता है. बेटी के रूप में मां अपने बचपन को फिर से जीती है.

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Beauty Tips: ग्लोइंग स्किन के लिए बेसन का करें इस्तेमाल

त्वचा के लिए बेसन के फायदे कमाल के होते हैं. उबटन के रूप में बेसन का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है. बेसन को आप कई तरह से इस्तेमाल में ला सकती हैं.

औयली स्किन पर कमाल

अगर आप चेहरे पर बारबार औयल आने से परेशान हों तो बेसन और दही मिक्स कर के चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद इसे धो लें. साफ, चमकती त्वचा पर सब की निगाहें टिकी रह जाएंगी.

पल में हटाए बाल

कई लड़कियां चेहरे के अनचाहे बालों से परेशान रहती हैं. इन्हें हटाने के लिए वैक्स का सहारा लेती हैं. मगर आप नहीं जानतीं कि इस समस्या का निदान बेसन के पास भी है. इस के लिए 2 चम्मच बेसन और बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिला कर इस लेप को चेहरे पर लगाएं और हलके हाथों से मसाज करें. इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएं. अनचाहे बाल हट जाएंगे.

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टैनिंग की समस्या में फायदेमंद

टैनिंग दूर करने के लिए 1 चम्मच बेसन, चुटकीभर हल्दी, आधे नीबू का रस और थोड़े पानी को मिक्स कर लेप बनाएं. इस लेप को प्रभावित हिस्सों पर लगाएं. धीरेधीरे चेहरे का कालापन दूर हो जाएगा.

त्वचा को बनाए एकसार

बेसन हलके दागधब्बों और अनईवन स्किन टोन को दूर कर चेहरे को बेदाग बनाता है. इस के लिए 1 चम्मच बेसन में दूध और गुलाबजल डाल कर पेस्ट बनाएं. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 10 मिनट बाद पानी से धो लें.

रूखी त्वचा के लिए

सर्दियों में रूखी त्वचा यानी ड्राई स्किन की समस्या बहुत आम हो जाती है. इस के लिए बेसन में मलाई या दूध, शहद और 1 चुटकी हलदी मिलाएं और इस फेस पैक को करीब 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं. उस के बाद पानी से धो लें. त्वचा में प्राकृतिक निखार आएगा और नमी भी बरकरार रहेगी.

मुंहासे दूर करने के लिए

युवावस्था में अकसर मुंहासों की समस्या परेशान करती है. बेसन के प्रयोग से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है. चंदन बेसन और हलदी का उबटन मुंहासों को आने से रोकता है.

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खुले रोमछिद्रों के लिए

त्वचा साफ रखने व रोमछिद्रों को टाइट करने के लिहाज से भी बेसन फायदेमंद है. इसके लिए बेसन में खीरे का रस मिला कर चेहरे पर लगाएं. कुछ देर सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें.

Monsoon Special: बौलीवुड एक्ट्रेसेस की इन फ्लोरल ड्रेसेज से पाएं नया लुक

आजकल आपने मार्केट में देखा होगा फ्लोरल ड्रैसेज ट्रैंड में हैं. बौलीवुड से लेकर हौलीवुड एक्ट्रेसेस तक फ्लोरल ड्रैसेज में आए दिन दिखतीं रहती है. साथ ही गरमियों में इन ड्रैसेज का हल्का कपड़ा और पैटर्न आपको ठंडक का एहसास भी दिलाता है. इसलिए फ्लोरल पैटर्न के कपड़े आपके लिए बेस्ट औप्शन हो सकते हैं. मौनसून में खुद को आकर्षक दिखाने के लिए फ्लोरल ड्रैसेज ट्रैंड आपके बहुत काम आएगा. आज हम आपको कुछ ऐसी ही फ्लोरल ड्रैसेज ट्रैंड के बारे में बताएंगे, जो आपकी पर्सनेलिटी को और निखार देगा. तो आइये जानते है इन टिप्स के बारे में.

1 शादियों में ट्राई करें फ्लोरल प्रिंट साड़ी

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इंडियन वेयर की बात करें तो फ्लोरल प्रिंट वाली साड़ी भी खूब चल रही है. डिजाइनर साड़ी में भी आपको यह पैटर्न, प्रिंट या एंम्ब्राइडरी के रूप में देखने को मिलेगा. यह पार्टी जैसे ओकेजन के लिए एक अच्छा औप्शन है.

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2 पार्टी वियर और मौर्डन कुरती करें ट्राई

 

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मौडर्न लुक के लिए आप फ्लोरल पैटर्न वाले मौडर्न प्रिंट कुर्तियां भी ट्राई कर सकती हैं. अमेरिकन क्रेप फैब्रिक पर फ्लोरल आर्ट डिजाइन की गई. कुर्तियां पहनने में स्मार्ट लुक देती हैं. इस पैटर्न में आजकल अनारकली, कोटी व जैकेटी वाली और फ्लोरल पैटर्न शामिल करें. वौर्डरोब में स्ट्रेट कुर्तियां भी चल रही हैं.

3 फ्लोरल टौप को करें वार्डरोब में शामिल

 

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फ्लोरल पैंट विद टौप भी आप अपने वार्डरोब में शामिल कर सकती हैं. फ्लोरल प्रिंट वाली पैंट के साथ प्लेन टौप भी काफी अच्छे लगते हैं. एक्सेसरीज में आप फ्लोरल पैटर्न पर डिजाइन की गई ज्वैलरी, हैंड बैग्स और फुटवियर भी अपने कलेक्शन में शामिल करें. मल्टी कलर में डिजाइन की गई फ्लोरल प्रिंट वाली टी शर्ट भी कौलेज गोइंग गर्ल्स के लिए एक अच्छा औप्शन है.

 

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4 कौलेज गर्ल्स जरूर करें फ्लोरल ड्रैसेज ट्राई

 

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बड़े फ्लोरल पैटर्न वाली नी लैंथ ड्रैसेज भी अपने वौर्डरोब में शामिल कर सकती हैं. स्टाइल स्टेटमेंट के तौर पर फ्लोरल मैक्सी ड्रेस भी खूब पसंद की जा रही है. यह कैजुअल ड्रेसिंग और सेमी फौर्मल अवसर दोनों के लिए परफेक्ट है.

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उसका सच- भाग 1 : क्यों दोस्त को नहीं समझ पाया हरि

उस के बारे में सुन कर धक्का तो लगा, किंतु आश्चर्य नहीं हुआ. कोसता रहा खुद को कि क्यों नहीं लिया गंभीरता से उस की बातों को मैं ने?

बीता वक्त धीरेधीरे मनमस्तिष्क पर उभरने लगा था…

लगभग 6 दशक से अधिक की पहचान थी उस से. पहली कक्षा से पढ़ते रहे थे साथसाथ. दावे से कह सकता हूं कि उस के दांत साफ करने से ले कर रात को गरम प्याला दूध पीने की आदत से परिचित था. उस की सोच, उस के सपने, उस के मुख से निकलने वाला अगला शब्द तक बता सकता था मैं.

पिछली कई मुलाकातों से ऐसा लगा, शायद मैं उसे उतना नहीं जानता था जितना सोचता था. हम दोनों ने एक कालेज से इंजीनियरिंग की. समय ने दोनों को न्यूयौर्क में ला पटका. धीरेधीरे मकान भी दोनों ने न्यूयौर्क के क्वींज इलाके में ले लिए. रिटायर होने के बाद धर्मवीर 10-12 मील दूर लौंग आईलैंड के इलाके में चला गया. तब से कुछ आयु की सीमाओं और कुछ फासले के कारण हमारा मिलनाजुलना कम होता गया.

पिछले 2 वर्षों में जब भी वह मुझ से मिला, उस में पहले जैसी ऊर्जा न थी. चेहरा उस का बुझाबुझा, बासे सलाद के पत्तों की तरह. उस की आंखों में जगमगाते दीये के स्थान पर बिन तेल के बुझती बाती सी दिखाई दी, जैसे जीने की ललक ही खो दी हो. उसे जतलाने की हिम्मत नहीं पड़ी. किंतु मैं बहुत चिंतित था.

एक दिन मैं ने उस के यहां अचानक जा धमकने की सोची. घंटी बजाई, दरवाजा पूरा खोलने से पहले ही उस ने दरवाजा मेरे मुंह पर दे मारा. मैं ने अड़ंगी डालते कहा, ‘अरे यार, क्या बदतमीजी है. रिवर्स गियर में जा रहे हो क्या? लोग तो अंदर बुलाते हैं. गले मिल कर स्वागत करते हैं. चायपानी पिलाते हैं और तुम एकदम विपरीत. सठियाये अमेरिकी बन गए लगते हो. अपना चैकअप करवाओ. ये लक्षण ठीक नहीं. देख, अभी शिकायत करता हूं,’ इतना कह कर मैं ‘भाभीभाभी’ चिल्लाने लगा.

‘क्यों बेकार में चिल्ला रहा है, तेरी भाभी घर पर नहीं है.’

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‘चलो मजाक छोड़ता हूं. यह बताओ, हवाइयां क्यों उड़ी हैं? चेहरा देखा है आईने में? ऐसे दिखते हो जैसे अभीअभी तुम ने कोई डरावना सपना देख लिया हो. तुम्हारा ऐसा व्यवहार? समझ से बाहर है.’

‘बस, यार. शर्मिंदा मत करो.’

‘ठीक है. उगल डालो जल्दी से जो मन में है वरना बदहजमी हो जाएगी.’

‘कोई बात हो तो बताऊं?’ इतना कहते ही उस की आंखें भर आईं.

‘धर्मवीर, कभी ध्यान से देखा है खुद को, कितना दुबला हो गया है?’

‘दुबला नहीं, कमजोर कहो, कमजोर? कमजोर हो गया हूं.’

‘यार, कमजोर तो तू कभी नहीं था.’

‘अब हो गया हूं. कायर, गीदड़ बन गया हूं.’

‘किसी चक्करवक्कर में तो नहीं पड़ गया?’ मैं ने मजाक में कहा.

‘दिमाग तो ठीक है तेरा? तू भी वही धुन गुनगुनाने लगा. आजकल तो यह हाल है, झूठ और सच की परिभाषाएं बदल चुकी हैं. अज्ञानी ज्ञान सिखा रहा है. कौवा राग सुना रहा है. झूठों का बोलबाला है. कुकर्म खुद करते हैं, उंगली शरीफों पर उठाते हैं. तू तो जानता है, मेरा जमीर, मेरे कर्तव्य, मेरे उसूल कितने प्रिय हैं मुझे,’ इतना कहते ही उस के चेहरे पर उदासी छा गई.

‘हां, अगर ऐसी बात है तो चल, कहीं बाहर चल कर बात करते हैं.’

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धर्मवीर ने पत्नी के नाम एक नोट लिखा, चाबी जेब में डाली और दोनों बाहर चल पड़े. सर्दी का मौसम शुरू हो चुका था. न्यूयौर्क की सड़कों पर कहींकहीं बर्फ के टुकड़े दिखाई दे रहे थे. सर्द हवाएं चल रही थीं. दोनों कौफीहाउस में जा कर बैठ गए और 2 कौफी मंगवाईं.

‘धर्मवीर, अब बताओ तुम ने दरवाजा क्यों बंद किया?’

‘हरि मित्तर, बात ही कुछ ऐसी है, न तो तुम्हें समझा सकूंगा और न ही तुम समझ पाओगे. तुम्हारे आने से पहले ‘वह’ आई थी. उस की झलक पाते ही बर्फ सा जम गया था मैं. बस, दे मारा दरवाजा उस के मुंह पर. ऐसी बेरुखी? इतनी बदतमीजी? क्यों की मैं ने? यह मेरी सोच से भी बाहर है. शर्मिंदा हूं अपनी इस हरकत पर, कभी माफ नहीं कर सकूंगा स्वयं को?

‘छीछीछी, नफरत हो रही है खुद से? सोचता हूं अगर मैं उस की जगह होता तो मुझे कैसा लगता? उस क्षण बुद्धि इतनी भ्रष्ट हो गई थी कि पूछा तक नहीं कि क्या काम है? क्या चाहिए? क्यों आई हो? हो सकता है पत्नी से कोई जरूरी काम हो? जीवन के इस पड़ाव में इतनी गुस्ताखी? क्या उम्र के साथसाथ नादानियां भी बढ़ती जाती हैं? सोच की शक्ति कम हो जाती है क्या? यह दोष बुढ़ापे पर भी नहीं मढ़ सकता. शेष इंद्रियां तो अक्षत (सहीसलामत) हैं. शायद भीरु हो गया हूं. चूहा बन गया हूं. बदतमीजी एक नहीं, दो बार हुई थी. 2 मिनट बाद ‘वह’ फिर अपनी सहेली को साथ ले कर आई. हाथ में कुछ किताबें थीं. लगता था सहेली कार में बैठी थी. मैं ने फिर वही किया. दरवाजा पूरा खोलने से पहले ही उस के मुंह पर दे मारा. बचपन से सीखा है अतिथियों का सम्मान करना. अभी बड़बड़ा ही रहा था कि फिर घंटी बजी. मैं दरवाजे तक गया. दुविधा में था. हाथ कुंडी तक गया, दरवाजा खोलते ही बंद करने ही वाला था कि तुम ने अड़ंगी डाल दी.’

‘यार यह ‘वह’ ‘वह’ ही करता रहेगा या कुछ बताएगा भी कि यह ‘वह’ शै है क्या?’

‘छोड़ यार, बेवजह किसी औरत का नाम लेना मैं ठीक नहीं समझता. जब हम क्वींज छोड़ कर लौंग आइलैंड में आए, सभी पड़ोसियों ने धीरेधीरे ‘कुकीज’ आदि से अपनाअपना परिचय दिया. उन में एक पड़ोसन ‘वह’ भी थी. थोड़े ही समय में उस का सरल निश्छल व्यवहार देख कर तुम्हारी भाभी की उस से दोस्ती हो गई. उन पतिपत्नी का हमारे यहां आनाजाना शुरू हो गया. निशा से यह बरदाश्त नहीं हुआ.’

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‘यह निशा कौन है?’

‘दरअसल तुम्हारी भाभी की बचपन की सहेली है. उसी के कारण हम लौंग आइलैंड आए थे. जिस का बूटा सा कद, कसरत करने वाले गेंद की गोलाई सा शरीर और अल्पबुद्धि एवं उद्देश्य, सब के ध्यान का केंद्र बने रहना. जैसे सोने पे सुहागा. रानी मधुमक्खी निशा कैसे बरदाश्त कर सकती थी अपने राज्य क्षेत्र में किसी और का आगमन? उसे अपने क्षेत्र में खतरा लगने लगा. उस ने तुम्हारी भाभी के मस्तिष्क में शंकारूपी विष के डंक मारने शुरू कर दिए. वह विष इतना फैला कि नासूर बन गया.’

‘धर्मवीर, एक मिनट, फोन आ रहा है,’ कह कर मैं फोन सुनने लगा :

‘हां, बोलो मेमसाहब?’

‘जी, कहां रह गए. शाम को विवेक साहब के पास जाना है.’

‘ठीक है, तुम तैयार रहना. मैं 1 घंटे में पहुंच जाऊंगा.’ कह कर मैं फिर से मित्र से मुखातिब हुआ- ‘धर्मवीर, जाना पड़ेगा, हाईकमान का आदेश हुआ है. यह मोबाइल फोन भी जासूस से कम नहीं.’

आगे पढ़ें- हरि मित्तर से मिल कर धर्मवीर का मन…

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