चिड़िया चुग गईं खेत: भाग 2- शादीशुदा मनोज के साथ थाईलैंड में क्या हुआ था

किसी का दर्द उस से देखा नहीं जाता था, खासतौर पर लड़कियों का. मसाज का वक्त खत्म हो गया था. मनोज केबिन से निकलने के लिए कपड़े पहनने लगा. जूली का चेहरा उदास सा था, आंखें भरी हुई थीं.

‘‘पता नहीं क्यों, आप से मिलना बहुत अच्छा लगा. आप और लोगों से बहुत अलग हैं. मैं ने सुना था कि भारतीय लोग चरित्र और मन से बहुत सच्चे और अच्छे होते हैं. आज आप के रूप में देख भी लिया.’’

मनोज अपनी तारीफ सुन कर खुश हो गया.

‘‘अब आप से फिर मुलाकात कब होगी? आप पटाया में कब तक हैं?’’ जूली ने आतुर स्वर में पूछा.

‘‘अभी तो मैं 3 दिनों तक यहीं हूं. आज मीटिंग के बाद शाम को फ्री हूं,’’ मनोज ने बताया.

जूली की आंखों में चमक आ गई, ‘‘तो आज शाम को मिल सकते हो क्या?’’ उस ने आग्रहभरे स्वर में पूछा.

‘‘हां, ठीक है. शाम को 6 बजे मिलता हूं,’’ मनोज ने कहा तो जूली खुश हो गई. उस ने मनोज का मोबाइल नंबर ले लिया और अपना उसे दे दिया. जूली से विदा हो कर मनोज बाहर आ गया.

भावेश और सुरेश पहले से ही बाहर उस की राह देख रहे थे. उसे देखते ही दोनों आपस में रहस्यमय ढंग से एकदूसरे को देख कर मुसकराए.

‘‘क्यों बे, तू तो आने को तैयार नहीं था और अब सब से ज्यादा देर अंदर तू ही बैठा रहा,’’ भावेश ने उस की चुटकी ली.

‘‘क्या कर रहा था अंदर? मालिश या और कुछ?’’ सुरेश ने आंख दबाते हुए मनोज की चुटकी ली.

मनोज झेंप गया, ‘‘अरे यार, तुम लोग जैसा समझ रहे हो वैसा कुछ नहीं है.’’

‘‘हां बेटा, हम सब समझते हैं कि कैसा है,’’ दोनों ने उसे चिढ़ाया.

तीनों वापस होटल आ गए. नहाधो कर सब बे्रकफास्ट करने पहुंचे. फिर 11 बजे से मीटिंग शुरू हो गई. 2 बजे लंच के बाद फिर से मीटिंग हुई. साढ़े 4 बजे मीटिंग खत्म होने पर मनोज अपने कमरे में आ कर बिस्तर पर औंधा पड़ गया. उसे कस कर नींद आ रही थी. अभी वह थोड़ी ही देर सोया होगा कि उस का मोबाइल बजने लगा.

फोन जूली का था. ‘‘क्या हुआ, आप सो रहे थे क्या? माफ कीजिएगा, मैं ने आप की नींद में खलल डाल दिया,’’ जूली क्षमायाचना करते हुए बोली.

‘‘अरे कोई बात नहीं, मैं बस उठ ही रहा था. कहो,’’ मनोज ने कोमल स्वर में कहा.

‘‘कुछ नहीं, मेरी ड्यूटी खत्म हो गई है. आप की याद आई तो सोचा फोन कर लूं,’’ मनोज के कोमल स्वर से उत्साहित हो कर जूली ने बात करनी शुरू की.

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दोनों इधरउधर की बातें करने लगे. बातोंबातों में जूली ने मनोज से मिलने की और कुछ वक्त उस के साथ बिताने की इच्छा जाहिर की. कुछ देर सोचने के बाद मनोज ने 15 मिनट बाद मसाज पार्लर के बाहर मिलने का वादा किया.

15 मिनट बाद नए कपड़े पहन कर और ढेर सारा डियो लगा कर मनोज सब की नजरें बचाते हुए होटल से बाहर निकला. वह नहीं चाहता था कि उस

के साथ आए लोगों में से कोई उसे देख ले और टोके, खासतौर पर भावेश और सुरेश.

जूली पार्लर के बाहर ही खड़ी थी. मनोज को देखते ही उस का चेहरा खिल गया. दोनों पास के एक रैस्टोरेंट में जा कर बैठ गए. जूली ने मनोज के परिवार के बारे में पूछना शुरू किया.

‘‘मेरे घर में पत्नी और 2 बेटे हैं.’’

‘‘क्या करते हैं आप के बेटे? कौन सी क्लास में हैं?’’ जूली के स्वर में उत्सुकता थी.

‘‘बड़ा बेटा इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में है और छोटा बेटा प्रथम वर्ष में,’’ मनोज ने बताया.

‘‘अरे, आप तो बहुत यंग दिखते हैं. आप को देख कर लगता ही नहीं है कि आप के इतने बड़े बच्चे हैं,’’ जूली आश्चर्य से बोली, ‘‘काफी मैंटेन कर के रखा है आप ने अपनेआप को.’’

‘‘थैंक्यू सो मच,’’

मनोज का चेहरा खुशी से लाल हो गया. यह पहली बार हुआ था कि किसी लड़की ने उस की तारीफ की थी.

मनोज ने जूली की इच्छानुसार 2 कोल्ड डिं्रक और 2 बर्गर का और्डर दे दिया. फिर वह जूली से परिवार के बारे में बातें करने लगा.

‘‘तुम यहीं पटाया में रहती हो क्या?’’

‘‘नहीं, मैं बैंकौक के पास एक बहुत छोटे से शहर में रहती हूं,’’ जूली ने बताया.

‘‘फिर तुम यहां पटाया में कैसे आ गई?’’ मनोज ने उत्सुकता से पूछा, ‘‘तुम्हारे घर में कौनकौन हैं?’’

‘‘मेरे घर में बूढ़े मातापिता और 2 बड़े भाई हैं. यहां पटाया में मैं अपना और मातापिता का भरणपोषण करने के लिए आई हूं,’’ जूली ने खिड़की से बाहर देखते हुए बताया.

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‘‘जब तुम्हारे 2 बड़े भाई भी हैं तो तुम्हें यहां इतनी दूर आने की क्या जरूरत थी?’’ मनोज ने आश्चर्य से पूछा.

एक गहरी सांस ले कर जूली ने विस्तार से बताना प्रारंभ किया, ‘‘मेरे दोनों बड़े भाई शादी कर के मातापिता से अलग हो गए हैं. वे घर में एक पैसा भी नहीं देते. यहां तक कि घर में आते भी नहीं हैं. मेरे पिता और मां दोनों जिंदगीभर दूसरों के खेतों में मजदूरी कर के अपना घर चलाते रहे. भाइयों की पढ़ाई और शादी में उन की सारी जमापूंजी खत्म हो गई. अब हमारे पास खाना खाने के भी लाले पड़ गए. पिता अब काफी बूढ़े हो गए हैं और अधिक मजदूरी नहीं कर सकते.’’

‘‘तो तुम ने वहीं कोई नौकरी क्यों नहीं कर ली?’’ मनोज ने सवाल किया.

‘‘पैसों की कमी के कारण पिताजी मुझे ज्यादा पढ़ा नहीं पाए. वहां ऐसी कोई नौकरी नहीं मिली जिस से गुजारे लायक कमा पाऊं. इसलिए मां ने 6 महीने पहले मुझे यहां पटाया भेज दिया ताकि मसाज का काम सीख कर पैसा कमा सकूं. वे तो मुझ से बुरा काम करने पर भी जोर दे रही हैं क्योंकि उस में पैसा बहुत मिलता है. पटाया में हजारों लड़कियों इसी काम में लगी हैं और सैलानियों से अच्?छाखासा पैसा ऐंठती हैं,’’ जूली ने तिक्त स्वर में कहा.

‘‘फिर तुम अब तक…?’’ मनोज ने उस के चेहरे पर एक भेदभरी नजर डालते हुए पूछा.

‘‘नहीं,मैं अभी तक वर्जिन (कुंआरी) हूं,’’ जूली ने तपाक से उत्तर दिया,

‘‘मैं किसी भी कीमत पर रेड जोन में नहीं जाना चाहती, चाहे मर ही क्यों न जाऊं. मैं इज्जत की जिंदगी गुजारना चाहती हूं.’’

आगे पढ़ें- जूली ने एक बार फिर से मनोज की तारीफ की तो वह…

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एक मौका और : भाग 4- हमेशा होती है अच्छाई की जीत

लेखिका- मरियम के. खान

सूटकेस में 10 हजार डौलर और अहम कागजात थे. कार उस ने क्लिनिक के गेट पर ही खड़ी कर दी. वह राहिल के साथ क्लिनिक के औफिस में आया तो ठिठक गया. सामने नर्सें, कंपाउंडर और गार्ड नीचे फर्श पर पड़े थे. डाक्टर ने राहिल की तरफ मुड़ना चाहा तो उसे कमर में चुभन का अहसास हुआ. कुछ ही देर में वह बेहोश हो गया. उस के बाद राहिल बाहर आया. बाहर वाले गार्ड को भी वह बेहोश कर के अंदर ले गया.

प्लान के मुताबिक शमा भी वहां पहुंच गई. उस ने पूछा, ‘‘सब ठीक है?’’

राहिल ने जवाब दिया, ‘‘सब पूरी तरह काबू में हैं.’’

उस ने मास्क लगा कर लोगों को एक जगह जमा कर लिया. ये वे जालिम और कातिल लोग थे, जिन्होंने मजबूर और बेबस लोगों को तड़पातड़पा कर मारा था. शमा ने पूछा, ‘‘अब इन के साथ क्या करोगे?’’

‘‘वही, जो इन्होंने दूसरों के साथ किया है,’’ राहिल आगे बोला, ‘‘चलो शमा, जल्दी आओ. हमें बाकी लोगों को यहां से आजाद करना है.’’

चाबियां राहिल के पास थीं. पहले उस ने ऊपर के कमरों के लोगों को एकएक कर आजाद किया और उन्हें धीमी आवाज में सारे हालात समझा दिए. उन्हें सलाह दी कि अपने रिश्तेदारों से बच कर किसी टीवी चैनल में चले जाओ. जब चैनल वाले तुम्हारी कहानी प्रसारित करेंगे, पुलिस खुदबखुद मदद को आ जाएगी.

सभी 17 मरीज आजाद हो गए. इन में नूर और सोहेल भी थे. सारे मरीज डरेसहमे जरूर थे लेकिन आजादी पर खुश नजर आ रहे थे. फिर राहिल औफिस में आया, जहां डा. काशान और उस के साथी बेहोश पड़े थे. उस ने सब की तलाशी ली. उन के पास हजारों रुपए मिले. वह सब उस ने अपने पास रख लिए. डा. काशान के सूटकेस से 10 हजार डौलर निकले जो उस ने सुरक्षित रख लिए. बाकी की सारी लोकल करेंसी मरीजों में बांट दी.

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सभी मरीजों के क्लिनिक से निकल जाने के बाद वह औफिस के पास वाले कमरे में आया, जहां बड़ेबड़े डिब्बे रखे थे, जिन से एक सुतली निकल कर बाहर जा रही थी. सुतली को आग दिखा कर राहिल शमा का हाथ पकड़ कर फौरन इमारत से बाहर आ गया. क्योंकि इमारत को जला कर खाक करने का इंतजाम वह पहले ही कर चुका था.

बाहर डा. काशान की कार खड़ी थी. उस ने सूटकेस उठा कर आग में फेंक दिया. कार की चाबी वह पहले ही ले चुका था. जैसे ही वे दोनों कार में बैठ कर कुछ दूर पहुंचे, बड़े जोर का धमाका हुआ. पूरी इमारत आग की लपटों में घिर गई.

नूर और सोहेल साथसाथ बाहर आए और एक तरफ चल पड़े. सोहेल ने नूर से कहा, ‘‘तुम अभी मेरे साथ चलो. दोनों सोचसमझ कर कोई कदम उठाएंगे.’’

बाकी के 15 लोग बस में बैठ कर एक टीवी चैनल के स्टूडियो की तरफ रवाना हो गए. सोहेल ने एक टैक्सी रोकी. रास्ते से कुछ खानेपीने का सामान लिया और एक शानदार बिल्डिंग के सामने उतरे. इस बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर सोहेल का एक शानदार फ्लैट था.

दरवाजे पर सोहेल ने कुछ नंबर बोल कर अनलौक कहा. दरवाजा क्लिक की आवाज के साथ खुल गया. यह आवाज से खुलने वाला दरवाजा था. दोनों ने फ्रैश हो कर खाना खाया. वहां पहुंच सोहेल ने नूर को अपनी कहानी सुनाई. पिता की जमीन पर सोहेल ने एक हौजरी की फैक्ट्री लगाई थी. धीरेधीरे उस का बिजनैस अच्छी तरह चल निकला. उस ने अपने दोनों भाइयों को भी पढ़ालिखा कर अपने साथ लगा लिया.

सोहेल आमदनी का एक चौथाई हिस्सा गरीब और मजबूर लोगों में बांट देता था और एक चौथाई अपने भाइयों को देता था, जो एक बड़ी रकम थी. पर भाइयों की नीयत बिगड़ गई. बिजनैस पर कब्जा करने के लिए उन्होंने सोहेल को नशीली चीज पिला कर उसे डा. काशान के क्लिनिक में भरती करा दिया.

उस दिन सोहेल ने इतने सालों के बाद नूर से अपनी मोहब्बत का इजहार किया. नूर ने शरमा कर सिर झुका लिया.

सारे मरीज टीवी चैनल के स्टूडियो पहुंचे और जब उन्होंने अपनी दास्तान सुनाई तो पूरे शहर में हंगामा मच गया. आईजी पुलिस ने मीडिया में खबर आते ही उन में से कुछ मरीजों के रिश्तेदारों के भागने से पहले ही दबिश डलवा कर हिरासत में ले लिया. हजारों की संख्या में लोग टीवी चैनल के स्टूडियो के सामने जमा हो गए.

आईजी ने वहां पहुंच कर वादा किया, ‘‘इन मजबूर और बेबस लोगों को जरूर इंसाफ मिलेगा. जो बीमार हैं, उन का इलाज कराया जाएगा. आरोपियों को हिरासत में लिया जा चुका है और उन के खिलाफ सख्त काररवाई की जाएगी.’’

दूसरे दिन यह सारी कहानी आम हो गई. पुलिस डा. काशान के क्लिनिक पर भी पहुंची. वहां राख और हड्डियों के अलावा कुछ नहीं मिला. क्या हुआ? कैसे हुआ? क्यों हुआ? यह किसी भी मरीज को पता नहीं था.

नूर जब दूसरे दिन भी घर नहीं पहुंची तो सफदर, असगर और हुमा बेहद परेशान हो गए. डर से उन का बुरा हाल था. तीसरे दिन उन्हें नूर का फोन आया. उस ने उन्हें एक होटल में मिलने के लिए बुलाया.

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नूर को सहीसलामत देख कर उन तीनों की हालत खराब हो गई. वे सब रोरो कर माफी मांगने लगे. नूर ने कहा, ‘‘तुम मेरी औलाद हो. मैं तुम्हें माफ करती हूं पर एक शर्त पर. कंपनी के 55 प्रतिशत शेयर मेरे पास रहेंगे और 45 प्रतिशत तुम तीनों के. अगर तुम्हें मंजूर है तो मैं घर भी तुम्हारे नाम कर देती हूं. नहीं तो अगली मुलाकात अदालत में होगी. सोचने के लिए 2 दिन का टाइम दे रही हूं.’’ यह सब सोहेल का प्लान था.

2 दिन बाद उन लोगों ने इनकार में जवाब दिया. क्योंकि 55 प्रतिशत शेयर नूर के पास होने से वह उन्हें किसी भी बात के लिए मजबूर कर सकती थी. नूर ने पूरी तैयारी की.

नूर ने सीनियर मनोचिकित्सक से दिमागी तौर पर सही होने का सर्टिफिकेट भी ले लिया. इस के बाद उस ने अदालत में केस डाल दिया. सोहेल पूरी तरह से उस के साथ था. उस के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी. एक अच्छा वकील भी उस ने कर लिया.

उस दिन अदालत में बहुत हुजूम था. नूर बहुत अच्छे से तैयार हो कर आई थी. अदालत में एक घंटे बहस चलती रही. सबूतों और दलीलों पर जज ने फैसला सुनाया कि नूर पूरी तरह से सेहतमंद है और अपनी कंपनी बहुत अच्छे से चला सकती हैं. इसलिए तीनों औलादें फैक्ट्री से बेदखल की जाती हैं. एक बात और ध्यान रखी जाए कि नूर की शिकायत पर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा.

तीनों नाकाम हो कर अदालत से बाहर निकले. पहले ही उन का इतना पैसा खर्च हो चुका था. वे पैसेपैसे को मोहताज हो गए. नूर सोहेल के साथ उस के फ्लैट में चली गई.

सोहेल ने भी अपने भाइयों को 5-5 करोड़ और घर दे कर अपने बिजनैस से अलग कर दिया. वे लोग तो इतने डरे हुए थे कि पता नहीं सोहेल उन के साथ क्या करेगा. पैसे ले कर खुशीखुशी वे अलग हो गए. दूसरे दिन शाम को चंद दोस्तों की मौजूदगी में नूर और सोहेल ने निकाह कर लिया. नूर और सोहेल की बरसों की आरजू पूरी हुई.

नूर को एक चाहने वाला जीवनसाथी मिल गया. नूर ने सोहेल से कहा, ‘‘सोहेल मेरे बच्चे अब बहुत भुगत चुके हैं. उन्हें बहुत सजा मिल चुकी है. इसलिए वह फैक्ट्री में उन के नाम कर के सुकून की जिंदगी जीना चाहती हूं.’’

फिर नूर ने उन्हें बुला कर फैक्ट्री उन के सुपुर्द कर दी. पुराने मैनेजर को बहाल कर दिया और शर्त लगा दी कि चौथाई आमदनी गरीब लोगों में बांटी जाएगी. अगर इस में जरा सी भी गलती हुई तो अंजाम के वे खुद जिम्मेदार होंगे. सारी बातें पक्के तौर पर लिखी गईं. नूर ने एक धमकी और दे दी कि कभी भी उस की और सोहेल की अननेचुरल डेथ होती है तो उस की जिम्मेदारी उन तीनों की ही होगी.

दूसरे दिन नूर और सोहेल हनीमून मनाने के लिए एक हिल स्टेशन की तरफ निकल गए. वहां पर नूर के मोबाइल में कुछ खराबी आ गई थी. माल रोड पर घूमते हुए दोनों एक मोबाइल की दुकान पर पहुंचे. दुकानदार को देख कर दोनों चौंक गए. दुकानदार का भी चेहरा उतर गया. वह जल्दी से बोला, ‘‘मैं आप की क्या खिदमत कर सकता हूं?’’

‘‘कोई अच्छा सा मोबाइल दिखाइए.’’ सोहेल ने कहा.

एक अच्छा सा मोबाइल पसंद कर के सोहेल ने पैसे देते हुए कहा, ‘‘आप हमारे एक पहचान वाले से बहुत मिल रहे हैं. क्या मैं आप नाम जान सकता हूं?’’

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‘‘मेरा नाम नजीर हसन है.’’

नूर ने सोहेल का हाथ दबाते हुए कहा, ‘‘मेरा खयाल है यह वो नहीं है. आइए चलें. शायद आप को गलतफहमी हुई है.’’

सोहेल ने बाहर निकल कर कहा, ‘‘नूर वह राहिल था.’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं. पर उसी ने तो हम सब को बचाया है. अब वह बहुत बदल गया है.’’ सोहेल ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘सच कह रही हो. उसे भी तो एक मौका मिलना चाहिए.’’

नूर और सोहेल पुरसकून हो कर वहां से चले गए एक लंबी और खुशहाल जिंदगी गुजारने के लिए.

संबंध : भाग 2- भैया-भाभी के लिए क्या रीना की सोच बदल पाई?

मां तो यहां तक कहती हैं कि दहेज भी उन्होंने मौसी को मां से बढ़ कर ही दिया था. पुराने जमाने में रिश्ते निबाहना लोग भली प्रकार जानते थे शायद. वे हमेशा नानाजी के एहसानों से दबी रहती थीं. यदाकदा अमेरिका से आ कर ढेर सारे उपहारों से हमारा घर भर देतीं. हम भाईबहन को बहुत प्यार करतीं. वे दोनों सगी बहनों से बढ़ कर थीं.

‘‘लड़की स्वभाव से सुशील है, सुंदर है और सब से बड़ी बात एमबीए है,’’ खुशी के अतिरेक में मां बही चली जा रही थीं.

‘‘तुम्हें कैसे मालूम कि वह रूपवती है?’’

मां फोटो निकाल लाई थीं. ऐसा लगा जैसे चांद धरती पर उतर आया हो, पर न जाने क्यों मेरा शंकालु हृदय इस रिश्ते को अनुमति नहीं दे रहा था.

‘‘मां, विदेश में पलीबढ़ी लड़की क्या यहां पर तारतम्य बिठा पाएगी? वहां के रहनसहन और यहां के तौरतरीकों में बहुत अंतर है.’’

‘‘तू नहीं जानती देविका का स्वभाव. मेरे ही साथ पलीबढ़ी है. उस के और मेरे संस्कारों में कोई अंतर थोड़े ही है. क्या उसे नहीं मालूम कि मैं विपिन के लिए कैसी लड़की पसंद करूंगी?’’

मैं देख रही थी भैया की भी मूक अनुमति थी इस संबंध में. बाबूजी का हस्तक्षेप सदा ही नकारात्मक रहा है ऐसे मामलों में. संबंध को स्वीकृति दे दी गई. ब्याह की तारीख 2 माह बाद दी गई थी. मांबाबूजी का विश्वास देखते ही बनता था.

मेरे जाने से जो सूनापन वहां आ गया था उसे अंजू भाभी पाट देंगी, ऐसा उन का अटूट विश्वास था. बारबार कहते, ‘जाओ, बाजार से खरीदारी कर के आओ.’ रोज मैं मां के साथ खरीदारी करती. उस के काल्पनिक गोरे रंग पर क्या फबेगा, यह सोच कर कपड़ा लिया जाता. इस घर में धनदौलत, मोटरबंगला, नौकरचाकर किसी की भी कमी नहीं थी. हीरेमोती के सैट लिए गए थे. समधियों के रहने का इंतजाम एक होटल में किया गया था. हर तरह की सुखसुविधाएं उन के लिए मुहैया थीं. मुझे भी कीमती साड़ी व जड़ाऊ सैट बाबूजी ने दिलवाया था. अश्विनी मना करते रह गए थे. मां का तर्क था कि इकलौते भाई की शादी में यह सब लेने का हक था मुझे.

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एकएक दिन युग के समान प्रतीत हो रहा था. कब वह दिन आए और मैं भाभी से मिलूं? आकांक्षाएं आसमान छू रही थीं. मां का उत्साह इकलौती बहू के प्रति देखते ही बनता था. बारबार कहतीं, ‘जोड़ी सुंदर तो लगेगी न?’ हम मुसकरा कर अपनी सहमति देते थे. विवाह का समय ज्योंज्यों नजदीक आता मांबाबूजी की बेचैनी बढ़ती जाती थी. सब काम अलगअलग लोगों में बंटा था. किसी प्रकार की कमी वह सह नहीं पा रहे थे.

भैया सदैव से अल्पभाषी रहे हैं, पर उन की उत्सुकता मां से छिपी न थी. आज भाभी और उन के पिताजी जो आ रहे थे. बारबार आंखों के सामने एक खूबसूरत चेहरा, छरहरा बदन व लंबे कद की रूपसी खड़ी हो जाती.

हम सब हवाई अड्डे पहुंच चुके थे. वहां पहुंच कर अश्विनी ने छेड़ा, ‘‘मां, अपनी बहू को कैसे पहचानोगी?’’

‘‘देविका के साथ जो सब से सुंदर लड़की होगी वही मेरी बहू है,’’ मां का अटूट विश्वास देखते ही बनता था.

उद्घोषिका ने सूचित किया, अमेरिका से आने वाला वायुयान आ गया है. उत्सुक निगाहें हर आगंतुक में भाभी को ढूंढ़ रही थीं.

सहसा मां को किसी ने अंक में भर लिया था, देविका मौसी थीं.

‘‘हमारी बहू कहां है?’’

‘‘और मेरी भाभी?’’ मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पा रही थी.

उन्होंने एक 5 फुट की लड़की को आगे कर के कहा, ‘‘यही तो है तुम्हारी बहू.’’

मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था. कहां वह फोटो वाली रूपसी और कहां यह कुम्हलाया सा चेहरा? कहीं ये मजाक तो नहीं कर रही हैं, या मैं ही कोई दुस्वप्न देख रही हूं? उस के दोनों हाथ जुड़े हुए थे, शायद कभी पक्षाघात का शिकार हुई थी. कदकाठी का पूर्ण विकास हुआ लगता ही न था.

बाबूजी संज्ञाशून्य से परिस्थिति का विवेचन कर रहे थे और भैया अपना गांभीर्य ओढ़े कभी अंजू को निहार रहे थे, कभी हम सब को. अपनी जीवनसंगिनी को इस रूप में देख कर उन की आकांक्षाओं पर बुरी तरह तुषारापात हुआ था. मां गश खा कर गिर पड़ी थीं. किसी प्रकार उन्हें उठाया. रुग्ण सी काया व संतप्त मन लिए वे कांपती रही थीं. कितने अनदेखे दंश खाए होंगे उन्होंने, यह मैं भली प्रकार से महसूस कर पा रही थी. शक्ति की स्रोत मां बुरी प्रकार से टूट चुकी थीं.

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पर ऊपरी तौर पर सभी सामान्य थे. किसी ने एक शब्द भी न कहा था. मेरा हृदय चीत्कार कर के देविका मौसी को बुराभला कहने को चाह रहा था. खूब बदला लिया था उन्होंने हम सब से अपने पर किए गए एहसानों का. जाने कब का बदला लिया था उन्होंने भैया से? किंतु मातापिता की शिक्षा के कारण कुछ भी तो अनर्गल न कहा गया था.

फोटो वाली सुंदरसलोनी अंजू की तुलना इस अपाहिज से कर के मन दुखी सा हो गया था. भविष्य की सुंदर सुनहरी हरीतिमा की कल्पना यथार्थ की धरती पर मरुभूमि की सफेदी में परिवर्तित हो गई थी. सारे बिंबप्रतिबिंब टूट पड़े थे. ऐसा प्रतीत होता था कि सामने पड़े वैभव को किसी ने कालिमा से पोत दिया हो.

समधियों को उन के रहने के स्थान पर छोड़ा गया. उन की आवभगत के लिए कुछ लोग तैनात थे. एक बात कुछ विचित्र सी लगी थी, देविका मौसी सामान्य ही थीं. उन के व्यवहार से ऐसा नहीं लगा कि उन्होंने हमारे साथ विश्वासघात किया हो.

घर आ कर हर परिचित, रिश्तेदार की जबान पर एक ही प्रश्न था, ‘बहू कैसी है?’

क्या बताते? मृत्यु के बाद का सा सन्नाटा छा गया था. ऐसा लगता, हम सब के शरीर का रक्त किसी ने चूस लिया हो. रात्रिभोज तक हम सब सामान्य थे या सामान्य होने का प्रयत्न कर रहे थे. अभी विवाह में 3 दिन का समय बाकी था. रहरह कर मां व बाबूजी पर क्रोध आ रहा था. इस नवीन विचारधारा के युग में महज फोटो देख कर ब्याह निश्चित करना कितनी बड़ी भूल थी. कुंठा कहीं दिल में कैद थी और जबान को मानो ताला लग गया था.

अगले भाग में पढ़ें- मां से भी कहा था, ‘धनदौलत तो हाथों का मैल  

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Video: अनुज की एंट्री होते ही अनुपमा को याद आया पुराना अफसाना, यूं गाने लगीं रोमांटिक गाना

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में अनुज कपाड़िया की एंट्री के बाद कहानी पूरी बदल चुकी है. जहां वनराज और काव्या पूरी कोशिश कर रहे हैं कि अनुज को अपने जाल में फंसा सके तो वहीं अनुज, अनुपमा के लिए अपने दिल में छिपा प्यार दबा नही पा रहा है. इसी बीच अनुपमा की एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें वह रोमांटिक गाना गाते नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो….

यूं रोमेंटिक हुईं अनुपमा

 

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सोशलमीडिया पर एक्टिव रहने वाली सीरियल अनुपमा की लीड एक्ट्रेस रुपाली गांगुली ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह एक पुराना रोमांटिक गाना गाती नजर आ रही हैं. वहीं फैंस को ये गाना बेहद पसंद आ रहा है. साथ ही फैंस इस गाने को अनुज कपाड़िया के लिए अनुपमा के प्यार का इजहार बता रहे हैं और जमकर वीडियो पर कमेंट कर रहे हैं.

 

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सीरियल में की तारीफ

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज कपाड़िया, अनुपमा की तारीफ करते हुए कहेगा कि पुरुषों को क्यों लगता है कि महिलाओं को जिंदगी में कुछ करने के लिए, आगे बढ़ने के लिए पुरुषों की जरूरत पड़ेगी. वह आगे कहता है कि किसी औरत को आगे बढ़न के लिए मर्द का सहारा नहीं चाहिए होता है और अनुपमा ने ये पूरी तरह साबित किया है. इसी के साथ वह अनुपमा का सपना पूरा करता भी नजर आएगा, जिसे देखने के बाद सीरियल की टीआरपी बढ़ जाएगी.

वनराज को होगी जलन


अनुज कपाड़िया और अनुपमा की नजदीकियां देखकर अपकमिंग एपिसोड में वनराज को जलन होने वाली है, जिसके चलते वह कदम कदम पर अनुज को खरी खोटी सुनाता नजर आएगा. हालांकि वनराज की इस जलन को देखकर फैंस उसे उसका सबक मिलने की बात कह रहे हैं और जमकर कोस रहे हैं.

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धारा के विपरीत: भाग 3- निष्ठा के कौनसे निर्णय का हो रहा था विरोध

दोनों घरों में कुहराम मच गया. लेकिन दोनों के दुख अलगअलग थे. एक परिवार ने अपना जवान बेटा खोया था तो दूस के का मानसम्मान और प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी. बेटी के भविष्य के बारे में सोचसोच कर निष्ठा के मांपापा घुले जा रहे थे. मृदुल के तीये की बैठक के बहाने वे उस के घर गए.

“अब क्या सांत्वना दें आप को. हम एक ही नाव के सवार हैं,” कहते हूए निष्ठा के पापा लगभग रो दिए. मां के शब्द तो पहले ही आंसुओं में बह गए थे.

“क्या करूं बहन जी, कोई दूसरा बेटा भी तो नहीं वरना निष्ठा बिटिया को बीच राह न छोड़ते,” मृदुल की मम्मी ने निष्ठा को कस कर अपने से सटा लिया.

“हम तो जीते जी मर गए. छठे महीने में बच्चा गिरवाएंगे तो बेटी से भी हाथ धो बैठेंगे,” कहती हुई निष्ठा की मां फिर से सुबकने लगी. तभी मृदुल की चचेरी भाभी वनिता सामने आई.

“बड़े पापा, यदि आप सब को ठीक लगे तो निष्ठा और मृदुल का यह बच्चा हम अपना लें. वैसे भी, हम लोग अपने बच्चे के लिए प्रयास करतेकरते थक चुके हैं और लौकडाउन खुलने के बाद कोई बच्चा गोद लेने का प्लान ही कर रहे थे.” वनिता ने अपने पति रमन की तरफ़ देखते हुए अपनी बात रखी. रमन ने भी सहमति में गरदन हिलाई तो निष्ठा की मां के चेहरे पर उम्मीद की हलकी सी रोशनी चिलकी. सब इस बदली हुई परिस्थिति पर विचार करने लगे.

अंत में तय हुआ कि निष्ठा कुछ समय अपने जौब से ब्रैक लेगी और वनिता तथा रमन के साथ बेंगलुरु जाएगी. वहीं वह अपनी संतान को जन्म देगी और एक महीने के बाद बच्चे को कानूनन वनिता को गोद दे दिया जाएगा. गोद लेने के लिए ‘सेमी ओपन अडौप्शन’ प्रक्रिया का चयन किया जाएगा जिस में बच्चे को सौंपने के बाद निष्ठा उस से नहीं मिलेगी.

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तय कार्यक्रम के अनुसार निष्ठा बेंगलुरु आ गई. उस ने मन ही मन ठान लिया था कि अब वह अपनी कोख में आकार ले रहे शिशु के प्रति किसी प्रकार की आत्मीयता नहीं रखेगी. वह अपने बढ़े हुए पेट को शरीर में पनप रही एक बड़ी गांठ के रूप में ही देखेगी जिस का कुछ समय बाद औपरेशन होना है और गांठ निकलने के बाद वह वापस अपनी सामान्य अवस्था में आ जाएगा.

वनिता और रमन निष्ठा का पूरा खयाल रख रहे थे. वे उसे खुश रखने का प्रयास करते लेकिन निष्ठा कैसे खुश हो? जबकि वह जानती थी कि इस बच्चे पर उस का अधिकार सिर्फ उसे जन्म देने तक ही है. निष्ठा इस सच को स्वीकार कर चुकी थी, शायद, इसलिए भी वह धीरेधीरे बच्चे के मोह से छूट रही थी.

डिलीवरी का समय पास आ रहा था. रमन ने एक अच्छे मैटर्निटी होम में प्रसव की व्यवस्था कर रखी थी. डाक्टर भी निष्ठा के शरीर में हो रहे परिवर्तनों पर निगाह रखे हुए थी. इन सब व्यवस्थाओं से विलग निष्ठा हर समय बालकनी में खुलने वाली खिड़की के पास बैठी बाहर शून्य में ताकती रहती.

एक दिन सुबह निष्ठा की आंख बिल्ली के शोर से खुली. उस ने उत्सुकता से बाहर देखा तो पाया कि बालकनी में एक बिल्ली अपने 3 नवजात बच्चे ले कर आई है. वे बच्चे इतने छोटे थे कि उन की आंखें तक नहीं खुली थीं. बिल्ली बारीबारी से तीनों बच्चों को चाट रही थी. वह कभी उन बच्चों को अपनी बांहों के घेरे में ले लेती तो कभी उन्हें अपनी छाती से सटा कर दूध पिलाने लगती. एक बार जब वह उन्हें अपने मुंह में दबा कर दूसरी जगह ले जाने की कोशिश कर रही थी, तो निष्ठा का दिल धक से रह गया.

‘अरे, संभाल के. कहीं चोट न लग जाए,’ सोचती हुई निष्ठा के हाथ यंत्रवत खिड़की से बाहर निकल आए. वह बिल्ली के नन्हे बच्चों को हाथ में थामने को लालायित हो उठी. फिर कुछ सोच कर खुद ही संभल गई.

उन बच्चों की धीमी सी म्याऊं इतनी प्यारी थी कि निष्ठा उस आवाज में कहीं खो सी गई. अचानक उसे लगा मानो उस के स्तनों में दूध उतर आया. इस के साथ ही उस के हाथ अपने पेट को सहलाने लगे और आंखों से पानी बहने लगा. उस की आंखें तो खिड़की से हट गईं लेकिन उस के कान वहां से नहीं हट सके. रहरह कर बालकनी से आती म्याऊं की सुरीली मोहक आवाजें उसे बेचैन किए जा रही थीं. निष्ठा ने अपने लिए रखा दूध एक कटोरे में उंडेल कर बालकनी में रख दिया.

उसी रात निष्ठा को प्रसव पीड़ा उठी. वनिता और रमन भी तो इसी घड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे. वे फ़ौरन निष्ठा को ले कर मैटर्निटी होम गए. 2 ही घंटे बाद एक नन्ही शिशु वनिता की गोद में थी. निष्ठा अभी दवाओं के असर से नीम बेहोशी में थी लेकिन उस के हाथ अपनी बगलों में इधरउधर घूमते हुए कुछ टटोल रहे थे. वनिता उस की पीड़ा समझ गई. उस ने निष्ठा के हाथों को नवजात से छुआया. निष्ठा उस कोमल स्पर्श को पाते ही स्थिर हो गई और उस छुअन को महसूस करने लगी.

शाम को जब निष्ठा को कुछ होश आया तो नर्स ने उसे बच्ची को अपना दूध पिलाने को कहा. थोड़ी कोशिश के बाद बच्ची ने अपनी मां का दूध खींचना शुरू किया. निष्ठा एक अलौकिक सुख में डूब गई. एक ऐसा अनुभव जिसे वह शब्द नहीं दे सकती थी. निष्ठा के हाथ बेटी का सिर सहलाने लगे. दूध पीते समय बच्ची के मुंह से आ रही चुसड़चुसड़ की आवाजें कमरे में बांसुरी सी बजा रही थीं. वनिता मन ही मन इस सुख की कल्पना में डूब-उतर रही थी.

4 दिनों बाद निष्ठा घर आ गई. कमरे में आते ही उस ने सब से पहले बिल्ली के कटोरे में दूध डाला. अब तक निष्ठा की मां भी अपनी बेटी की देखभाल करने के लिए बेंगलुरु आ गई थी. पूरा घर एक छोटे से शिशु के इर्दगिर्द सिमट गया. देखते ही देखते महीना होने को आया. निष्ठा के बच्ची से अलग होने का समय नजदीक आ गया. रमन गोद लेने की प्रक्रिया पूरे जोशोखरोश से निबटा रहा था. एक शाम वह औफिस से घर लौटा तो बहुत खुश मूड में था.

“मैं ने सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं. अब एकदो दिन में हमारे घर का सर्वे किया जाएगा. संतुष्टिजनक रिपोर्ट के बाद कुछ ही दिनों में यह प्यारी सी गुड़िया कानूनन वनिता की हो जाएगी.” रमन ने बच्ची को गोद में उठा कर उस का मुंह चूम लिया. सुनते ही वनिता भी खिल गई. बच्ची की नानी मुसकरा दी. किसी ने भी निष्ठा की प्रतिक्रिया की तरफ ध्यान नहीं दिया. अचानक निष्ठा उठी और उस ने रमन के हाथों से बच्ची को छीन लिया.

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“मैं अपनी बच्ची किसी को नहीं दूंगी,” निष्ठा ने कहा. उस की बात सुनते ही सब सकते में आ गए.

“क्या बकवास कर रही हो. यह सब तो पहले से ही तय था. इसी शर्त पर तो तुम्हें यहां भेजा गया था,” मां ने निष्ठा को झिंझोड़ा.

“आंटी सही कह रही हैं. यह सब तुम्हारी सहमति से ही तो हुआ है,” वनिता ने उसे याद दिलाया.

“हां, लेकिन अब मैं अपनी बच्ची को खुद पालना चाहती हूं,” निष्ठा ने बच्ची को कंधे से लगाते हुए कहा.

“पागल हो गई हो क्या? क्या तुम जानती नहीं कि तुम्हारा यह फैसला समाज के नियमों के खिलाफ है. आत्मघाती है,” मां ने उसे चेताया लेकिन निष्ठा तो कुछ भी सुनने को तैयार न थी. उस ने अपना फैसला बदलने से इनकार कर दिया. वह सब को असमंजस में छोड़ कर अपने कमरे में जा कर अपना और बेटी का सामान पैक करने लगी.

तभी बालकनी से वही मधुर म्याऊं सुनाई दी. निष्ठा ने देखा, बिल्ली के तीनों बच्चे कटोरे में रखा दूध पी रहे हैं. बिल्ली बारीबारी से तीनों को चाट रही है. निष्ठा ने भी बच्ची का माथा चूम लिया.

वह जानती थी कि उस के निर्णय का पुरजोर विरोध होगा लेकिन वह अपनी नाव को धारा के विपरीत बहाने के निर्णय पर अटल थी.

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REVIEW: महिला किरदारों की उपेक्षा है ‘पॉटलक’

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः कुणालदास गुपत,  पवनीत गखल, गौरव लुल्ला और विवेक गुप्ता

निर्देशकः राजश्री ओझा

कलाकारः किट्टू गिडवाणी,  जतिन सियाल, ईरा दुबे, सायरस सहुकार, हरमन सिंघा सलोनी खन्ना, सिद्धांत कार्णिक, शिखा तलसानिया, औरव राणा, आरवी राणा, आराध्य अजाना व अन्य.

अवधिः बीस से पच्चीस मिनट के आठ एपीसोड, लगभग तीन घंटे आठ मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव

किसी भी इंसान के हाथ की पांचों उंगलियां एक समान नही होती. मगर यह पांचो उंगलियां एक साथ आकर मुक्का अथवा चांटे के रूप में बहुत बड़ी ताकत होती हैं. इसी तरह हर परिवार में उसके सभी सदस्यों का कद, व्यवहार, सोच, समझ,  इच्छाएं अलग अलग होती हैं. इसी के चलते अक्सर परिवार का हर सदस्य एक दूसरे से प्यार करते हुए भी विखरा और अलग थलग नजर आता है. ऐसे ही विखरे परिवार के सदस्यों को एकजुट करने के लिए निर्देशक राजश्री ओझा और लेखकद्वय अश्विन लक्ष्मीनारायण व गौरव लुल्ला वेब सीरीज ‘‘पॉटलक’’लेकर आए है. दस सितंबर से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘सोनी लिव’’ पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज ‘पॉटलक’ में हास्य के साथ परिवार के सदस्यों के बीच की नोकझोक,  प्यार, समस्याओं, उलझनों व रिश्तों के नवीनीकरण का हास्यप्रदा चित्रण है.

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कहानीः

पॉटलक अंग्रेजी का शब्द है,  जिसका मतलब है कुछ परिवारों द्वारा अपनी -अपनी रसोई में खाना पकाना और फिर सभी का एक जगह पर इकट्ठा होकर मिल-जुल कर भोजन का आनंद उठाना. इतना ही नही अंग्रेजी में कहावत है -‘‘द फैमिल हू इ्ट्स टुगेदर, स्टे टुगेदर. ’’अर्थात जो परिवार साथ में बैठ कर भोजन करता है, वह(सदैव) इकट्ठा रहता है. लेकिन यह कहानी उस शास्त्री परिवार की है, जो इकट्ठा नही रहता. अवकाश प्राप्त गोविंद शास्त्री (जतिन सयाल) अपनी पत्नी प्रमिला (किटू गिडवानी) के साथ एक बड़े से घर में रहते हैं. उनके  दो बेटों की शादी हो चुकी है. बड़े बेटा विक्रांत (साइरस साहुकार) अपनी पत्नी आकांक्षा (इरा दुबे) व तीन बच्चों  नक्श, साइशा व जिया के अलग घर में रहता है. गोविंद शास्त्री का छोटा बेटा ध्रुव (हरमन सिंघा) अपनी पत्नी  निधि (सलोनी खन्ना पटेल) के साथ अलग रहता है. निधि को भोजन पकाना नही आता. उसे बच्चे पसंद नहीं और वह नौकरीपेशा है. ध्रुव की नौकरी अमेरिका में लग गई है. ध्रुव व निधि अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे हैं. गोविंद शास्त्री की बेटी प्रेरणा (शिखा तलसानिया)कोलकाता में नौकरी करती थी, मगर अब घर आ गई है.  वह लगातार लड़कों को डेट करती रहती है. कोई पसंद नहीं आता.  माता-पिता चाहते हैं कि वह सैटल हो जाए. मगर अवकाश प्राप्त करने के बाद गोविंद शास्त्री को अहसास होता है कि जब उनके बच्चे स्कूल में पढ़ते थे,  तब बच्चों के लिए उनके पास वक्त नहीं था. अब जब उनके पास वक्त है, तो उनके लिए उनके बच्चों के पास वक्त नही है कि सभी एक छत के नीचे कुछ समय एक साथ बिता सके. तभी अचानक एक दिन गोविंद शास्त्री हार्टअटैक की बीमारी की बात बताते हैं,  जिसके चलते ध्रुव अपना अमेरिका जाने का इरादा बदल देता है. उसके बाद हर सप्ताहांत पर किसी न किसी के घर पर गोविंद की राय के अनुसार पॉटलक के लिए सभी इकट्ठा होते हैं. उनके बीच पारिवारिक संबंध प्रगाढ़ होते हैं. परिणामतः छोटा भाई अपने बड़े भाई की मदद भी करता है. मगर अंततः यह धागा टूटता है और फिर. . . .

लेखन व निर्देशनः

लेखकद्वय ने सास ससुर के व्यवहार से बहू को होने वाली दिक्कतें,  बेटी की शादी की चिंता, माता-पिता की कुछ आदतों से बच्चों का खीझना, भाई-बहन की नोकझोंक सहित कई मुद्दें बिना उपदेशात्मक भाषण के रचे गए है. किरदारों की बातें पल-पल गुदगुदाती हैं. मगर यह परिवार व इसके किरदार साधारण मध्यम वर्गीय परिवार की बजाय उच्च वर्गीय परिवार यानी कि अभिजात वर्ग के हैं. जहां नया घर करोड़ में खरीदा जा सकता है. दस साल पहले निर्देशक राजश्री ओझा ने उच्च वर्ग की कहानी को फिल्म ‘‘आएशा’में पेश किया था. फिर वह अमरीका चली गयी थी. अमरीका से वापस आने पर उन्हें अभिजात वर्ग की कहानी पेश करना सहज लगा. लेकिन शुरूआती चार एपीसोड काफी ढीले ढाले हैं. इन्हें कसे जाने की जरुरत थीं. सातवां व आठवां एपीसोड जबरदस्त है, और दर्शकों को जकड़कर रख देता है. लेखक व निर्देशक ने इसमें बेवजह हिंदू मुस्लिम व उर्दू भाषा का एंगल जोड़ा है. प्रेरणा शास्त्री का किरदार अधपका सा लगता है. लेखक व निर्देशक ने महिला किरदारों की पूरी तरह से अनदेखी की है.

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अभिनयः

गोंविंद शास्त्री के किरदार में जतिन सियाल और प्रमिला शास्त्री के किरदार में किट्टू गिडवाणी अपने अभिनय का जलवा दिखाने में सफल रही हैं. आकांक्षा शास्त्री के किरदार में ईरा दुबे अपने अभिनय की छाप छोड़ती हैं. शिखा तलसानिया को अभी अपने अभिनय में निखार लाने की आवश्यकता है. आलिम के किरदार में सिद्धांत कार्णिक का अभिनय काफी सहज है. अन्य कलाकार ठीक ठाक हैं.

Funny video: सम्राट ने सई को पढ़ाई प्यार की पट्टी तो विराट को ऐसे कहा I Love You

सीरियल गुम है किसी के प्‍यार में की कहानी नया मोड़ लेती नजर आ रही है. जहां पाखी, सम्राट का सहारा लेकर विराट को अपने करीब करना चाहती है तो वहीं सई को अपने प्यार का एहसास धीरे-धीरे हो रहा है, जिसके चलते हाल ही में सम्राट उसकी मदद करता हुआ दिख रहा है. आइए आपको दिखाते हैं सई और सम्राट की फनी वीडियो की झलक…

सई ने किया प्यार का इजहार

 

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अब तक आपने देखा कि सई एक बार फिर मुश्‍किल में फंस गई है. जहां उसके कारण विराट का ट्रांसफर रुक गया है तो वहीं जन्माष्टमी के जश्न के बीच सई को अपने प्यार का एहसास होने लगा है. इसी बीच सोशलमीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें सम्राट (vikram singh), सई (ayesha singh) को विराट (neil bhatt) के लिए अपने प्यार का इजहार करने का तरीका बता रहा है. लेकिन विराट इस बात को सुन नही पाता. हालांकि ये स्टार्स की #reels है, जिसे फैंस सीरियल का आने वाला ट्विस्ट मान रहे हैं.

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 सीरियल में आएगा नया ट्विस्ट

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि चौह्वाण परिवार को सई के विराट का तबादला रुकवाने की बात पता लग जाएगी, जिसके कारण विराट काफी नाराज होगा. इसी बीच पाखी एक बार फिर विराट को भड़काने की कोशिश करते हुए कहेगी कि सई हर वक्त बस अपनी मन मर्जी करते है. किसी से नही पूछती. वहीं सई इस बात को सुन लेगी और पाखी को खरीखोटी सुनाएगी और सम्राट और अपने रिश्ते पर ध्यान देने के लिए कहेगी, जिसे सम्राट सुन लेगा. हालांकि सम्राट, विराट के ट्रांसफर रुकवाने की बात पर उसका साथ देगा.

 

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बता दें, हाल ही में विराट और पाखी यानी नील भट्ट और उनकी मंगेतर ऐश्वर्या शर्मा लौंग ड्राइव पर गए थे. जहां वह बचपन का प्यार गाने पर डांस करते नजर आए थे.

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Lakme SPF 50 बनाए स्किन को ऐसी स्मूद कि ठहर जाए खूबसूरती पर नजर 

 

ब्यूटी विद ब्रेन खूब सुना होगा.  अब खूबसूरती का नया स्लोगन है ‘ग्लोइंग और हैल्दी ब्यूटी’ यानि त्वचा की खूबसूरती के साथसाथ उसका नैचुरल टैक्सचर भी बना रहे. वुमन्स की इसी जरूरत को समझा है Lakme SPF 50 ने.  यह प्रोडक्ट आपके स्किन की नैचुरल ब्यूटी को बनाए रखने के साथ ही उसे सूरज की यूवीए और यूवीबी किरणों से प्रोटेक्ट भी करता है और भी ढेरों गुण है लैक्मे के इस प्रोडक्ट में, यहां जानें.



उम्र का बढ़ना थाम लें 

महिलाएं हमेशा यंग दिखना चाहती है. वह अपनी त्वचा पर फाइन लाइन्स को देखना नहीं चाहती है. अकसर सूरज की तेज रौशनी पड़ने से त्वचा पर झुर्रियां बनने लगती है. Lakme SPF 50 की मदद से स्किन पर बढ़ती उम्र के असर को कम किया जा सकता है. इसके अलावा यह हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करने का काम भी करता है. 

चेहरे को बनाएं सौफ्ट 

अकसर ब्यूटी प्रोडक्ट्स की वजह से त्वचा रुखे और बेजान हो जाते हैं.  लेकिन इस सनस्क्रीन प्रोडक्ट का रेगुलर इस्तेमाल करने से आपके चेहरे का नैचुरल टैक्सचर बर्बाद नहीं होता है.  यह स्किन की सौफ्टनेस को बनाए रखने का काम करता है. इसमें मौजूद मौइश्चराजिंग तत्व की वजह से चेहरे की नमी बरकरार रहती है.  यह स्किन को हाइड्रेटेड रखता है. कई दूसरे एसपीएफ प्रोडक्ट्स स्किन को रुखा बनाते हैं और इससे चेहरे में इरिटेशन और जलन होती है.

An Indian woman stands in the middle of the street outside. She is beautifully dressed.


स्मूद फिनिशिंग के लिए सबसे बढ़िया

 लैक्मे एसपीएफ 50 की एक खास बात यह भी है कि इसे लगाने के बाद यह चेहरे पर आसानी से मिक्स हो जाता है.  चेहरे को देखने से ऐसा नहीं लगता है कि कहीं इसकी मात्रा अधिक हो गई है और कहीं कम. इसकी वजह से त्वचा चिकनी और साफ नजर दिखती है.

  फैस्टिवल टाईम का बैस्ट फ्रैंड 

एक के बाद एक फैस्टिवल्स दस्तक देने वाले हैं.  ऐसे में महिलाएं हर खास मोमेंट के लिए अलग ड्रैस चूज करती है और उसी के अनुसार  मेकअप करना चाहती है.   Lakme SPF 50 की एक खास बात यह है कि यह एक परफैक्ट मेकअप बेस के रूप में काम करता है. इसकी वजह से मेकअप देर तक चेहरे पर बना रहता है और फिक्स रहता है.  जब बात मेकअप की हो रही है, तो यह जानना भी जरूरी है कि यह प्रोडक्ट ऑयल-फ्री फार्मूला  को फौलो करता है यानि आपके चेहरे पर बनने वाले औइल को कंट्रोल में रखता है.  पसीने को मेकअप का दुश्मन नहीं बनने देता है .

सभी तरह के स्किन के लिए परफैक्ट

हर महिला का स्किन डिफरैंट होता है.  किसी का बहुत ही सेंसेटिव होता है तो किसी का नौर्मल होता है.    किसी की स्किन ड्राई होती है तो किसी की औइली होती है. लैक्मे एसपीएफ 50 एक ऐसा सनस्क्रीन है जो हर महिला की स्किन को सूट करता है. यह  कहना गलत नहीं होगा कि प्रोडक्ट, स्किन की देखभाल का बैलेंस फौर्मूला है.

अनुज कपाड़िया के कारण वनराज-काव्या के रिश्ते में आएगी दरार, Anupama में आएंगे नए ट्विस्ट

सीरियल अनुपमा में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिसके चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. इस बीच सीरियल की कास्ट भी कड़ी मेहनत करती नजर आ रही है, जिसके चलते सीरियल की कहानी यानी अनुपमा की जिंदगी में जहां नए मोड़ आएंगे तो वहीं वनराज-काव्या के रिश्ते में दरार आती हुई देखने को मिलेगी.

अनुपमा और अनुज ने शेयर की यादें

 

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अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़िया संग अनुपमा को देखकर वनराज जलन महसूस कर रहा है, जिसे देखकर काव्या परेशान हैं. दरअसल, अनुपमा अपना आइडिया शेयर करती है जो कि काका जी और वनराज को काफी पसंद आता है. वहीं दोनों अकेले अपने कौलेज के दिनों की बात करते हैं,जिसके चलते वनराज काफी गुस्से में नजर आता है.

वनराज की हरकतों से परेशान अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा और अनुज को एक साथ देख वनराज गुस्से में नजर आ रहा है, जिसके चलते वह अनुपमा पर तंज कस रहा है. हालांकि अनुपमा उसे करारा जवाब दे रही है.  इसी बीच अनुज से मिलकर अनुपमा के चेहरे पर आई खुशी देखकर काव्या उसे खूब खरी खोटी सुनाती है. साथ ही उसके दिए आइडिये को पूरे परिवार के सामने वनराज-काव्या बेकार बताते हैं.

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वनराज को आएगी अनुपमा की याद

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अनुज संग डिनर पर जाएगी. जहां वह उसे खाना परोसेगी. इस दौरान राखी दवे, वनराज के कान भरेगी कि वो भी ये चीज़ें पहले कर चुका है, लेकिन अनुपमा काफी लंबा हाथ मारा है. राखी दवे कहती है कि ये दोनों बस दोस्त हैं, या उससे बढ़कर भी कुछ हैं. वहीं इन सब बातों से वनराज को अपने पुराने दिन याद आ जाएंगे.

कहानी में आएंगे नए ट्विस्ट

 

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जल्द ही अनुज कपाड़िया के साथ अनुपमा को देख वनराज उससे नफरत करने लगेगा, जिसके कारण दोनों के बीच नई दुश्मनी का आगाज होगा. वहीं इस दुश्मनी में अनुज, अनुपमा का सपना भी पूरा करता नजर आएगा, जिसे देखकर काव्या जलेगी और वनराज संग उसके रिश्ते में दरार आनी शुरु हो जाएगी.

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फैमिली और मेहमानों के लिए बनाएं मशरूम पुलाव

मेहमानों को खुश करने के लिए आप कई तरह की पकवान बनाने में लगी रहती हैं और खुद के लिए समय नहीं निकाल पाती हैं. ऐसे मौके पर आप किसी ग्रेवी वाली सब्जी के साथ मशरूम पुलाव बनाएं. यह झटपट बन भी जाएगा और आपके मेहमान भी खुश हो जाएंगे. तो चलिए हम आपको मशरूम पुलाव बनाने की रेसिपी बताते हैं.

सामग्री

1 कप बासमती चावल पानी में भिगोए हुए

100 ग्राम मशरूम कटे हुए

1 बड़ा प्याज कटा हुआ

2-3 हरीमिर्चें कटी हुई

2 छोटे चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी हुई

3 बड़े चम्मच दही

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1 बड़ा चम्मच तेल

1 टुकड़ा दालचीनी

1 तेजपत्ता

5 लौंग

4 हरी इलायची

नमक स्वादानुसार

पानी जरूरतानुसार

विधि

एक बरतन में तेल गरम कर के तेजपत्ता, लौंग, इलायची व दालचीनी भूनें. अब प्याज डाल

कर सुनहरा होने तक भूनें. फिर अदरक-लहसुन का पेस्ट, हरीमिर्च डाल कर सौते करें.

अब मशरूम, धनियापत्ती, दही डाल कर कुछ देर भूनें. फिर चावल, नमक व पानी डाल कर ढक कर पकाएं और तैयार हो जाने पर मनपसंद सलाद के साथ परोसें.

व्यंजन सहयोग: शैफ एम. रहमान

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