Monsoon Special: ट्राय करना ना भूलें Sandwich की ये 4 नई रेसिपी

नाश्ते में कुछ बनाने की बात आती है तो सबसे पहले दिमाग में सैंडविच का ही नाम आता है. दरअसल, सैंडविच बेहद जल्द और आसानी से बन जाने वाली रेसिपी हैं और यह खाने में भी बेहद डिलिशियस लगते हैं, इसलिए इसे नाश्ते में एक बेहतरीन विकल्प के रूप में देखा जाता है. वैसे तो देखने में बेहद लाइट होते हैं, लेकिन आपको लंबे समय तक फुल रखते हैं. इसलिए, कुछ लोग हल्की भूख लगने पर भी सैंडविच खाना पसंद करते हैं.

ब्रेड की मदद से बनने वाले सैंडविच को लोग अक्सर एक ही तरह से बनाना पसंद करते हैं. जिसके कारण उन्हें एक ही तरह के टेस्ट के कारण बोरियत होने लगती है. हो सकता है कि आप भी अपने घर में एक ही तरह से सैंडविच बनाती हों और अब कुछ नया ट्राई करना चाहती हों तो ऐसे में आप सैंडविच को एक नहीं, बल्कि कई अलग-अलग तरीकों से बनाकर देंखे. जी हां, सैंडविच को कई डिफरेंट तरीके से बनाया जा सकता है और हर बार आपको एक डिफरेंट टेस्ट मिलता है. तो चलिए आज हम आपको सैंडविच की डिफरेंट रेसिपीज के बारे में बताते है.

मसाला पाव वेज सैंडविच

अगर आपको चटपटा खाना काफी पसंद है और इसलिए आपको सैंडविच खाना बोरिंग लगता है तो एक बार मसाला पाव सैंडविच बनाकर देखिए. यकीन मानिए, यह सैंडविच निश्चित रूप से आपका पसंदीदा बन जाएगा. इस सैंडविच को बनाने के लिए आपको अपने सैंडविच को तवे पर ढेर सारे मक्खन के साथ आपको पाव सेंकना होगा और आप इसमें अपने स्वाद के अनुसार लाल मिर्च पाउडर, काली मिर्च और नमक जैसे मसाले डालें. जब आपका पाव तैयार हो जाए, तो एक टिक्की, टमाटर प्याज और कार्न शिमला मिर्च को स्लाइड्स मे काटकर मियोनिज के साथ मिक्स कर डालें और तवे पर करारा सेंडविच सेंक ले.

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दही सैंडविच

दही सेंडविच को नाश्ते में आसानी से बनाया जा सकता है. इस सैंडविच में दही के साथ-साथ कई तरह के वेजिटेबल्स को मिलाया जाता है, जिसके कारण इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है, साथ ही यह हेल्दी भी होता है. इस सैंडविच को बनाने के लिए, आपको आधा कप दही में अपनी मन पसंद सब्जियों के कुछ टुकड़े जैसे टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, प्याज या अपनी पसंद की किसी भी वेजिटेबल को डालें. इन्हें दही में मिलाएं और स्वादानुसार नमक और काली मिर्च डालें. इस मिश्रण को अपनी ब्रेड में डालकर तवे पर गोल्डन ब्राउन होने तक सेंक लीजिए. बस आपका दही सैंडविच बनकर तैयार है.

कार्न चीज सैंडविच

कॉर्न और चीज़ का काम्बीनेशन लगभग हर किसी पसंद आता है, कॉर्न और चीज़ की मदद से बना सैंडविच एक ऐसा सैंडविच है, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक के मन को भा जाएगा. क्योंकि कॉर्न के साथ चीज़ का कॉम्बिनेशन बेहद ही डिलिशियस टेस्ट देता है. इसे बनाने के लिए आपको उबले हुए कॉर्न और चीज़ की जरूरत होगी. आप अपनी पसंद के किसी भी चीज़ का उपयोग कर सकती हैं. इन दोनों को मिलाकर सैंडविच को ग्रिल कर लें.

वेजिटेबल सैंडविच

यह एक ऐसा सैंडविच है, जो यकीनन आपके टेस्ट बड को नेक्स्ट लेवल पर ले जाएगा. इसे बनाने के लिए अपनी पसंद की सब्जियां जैसे प्याज, शिमला मिर्च, मशरूम, ब्रोकली या कोई और सब्जी लें. इन्हें एक पैन में पकाएं और अपने स्वाद के अनुसार मसाले डालें. आप सब्जियों में पनीर भी डाल सकती हैं. अब, एक तवे पर अपना सब बेक करें और उस पर सब्जियां डालें. ऊपर से, आप अपनी मन पसंद चीज डाले और करारा सेंडविच सेंक लें.

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FASHION TIPS: शादी के लिए चुनें परफेक्ट लहंगा

शादी की तैयारियों दुल्‍हन की सबसे खास और अ‍हम चीज होती है इस खास दिन पहने जाने वाला जोड़ा. अगर आप भी आने वाले कुछ महीनों में दुल्‍हन बनने वाली हैं और अपनी वेडिंग ड्रेस को लेकर कंफ्यूज हैं तो यहां बताए जा रहे टिप्‍स की मदद से चुनें परफेक्ट लहंगा –

1. अपनी हाइट, वेट और कलर को सूट करने वाला डिजाइन चुनें. क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि जो लहंगा आप को खूबसूरत लग रहा हो वह पहनने पर भी उतना ही जंचे.

2. अगर आपकी हाइट अच्‍छी है लेकिन आपका वेट ज्‍यादा नहीं हैं तो आपको घेरदार लहंगा पहनना चाहिए. इससे आपकी हाइट ज्‍यादा नहीं लगेगी. वहीं अगर आपकी हाइट छोटी है और हेल्‍थ ज्‍यादा है तो घेरदार लहंगा पहनने की बात भूलकर भी न सोचें. आपके ऊपर बारीक डिजाइन वाला लहंगा अच्‍छा लगेगा.

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3. अगर आप हेल्दी हैं लेकिन आपकी हाइट अच्‍छी है तो फि‍टिंग वाला लहंगा आप पर खूब फबेगा. इससे आपका मोटापा दब जाएगा और आप थोड़ी पतली लगेंगी.

4. अगर आपका रंग गोरा है तो आप किसी भी रंग का लहंगा चुन सकती हैं. सॉफ्ट पेस्टल, पिंक, पीच या लाइट सॉफ्ट ग्रीन जैसे रंग आप पर बहुत अच्‍छे लगेंगे.

5. अगर आपका रंग गेहुंआ है तो आप इन रंगों का चुनाव कर सकती हैं जैसे, रूबी रेड, नेवी ब्लू, ऑरेंज रस्ट, गोल्डन, रॉयल ब्लू आदि. वहीं पेस्टल कलर को चुनने से बचें.

6. डस्की ब्‍यूटी पर ब्राइट कलर जैसे, मजेंटा, लाल, नारंगी आदि कलर बहुत अच्‍छे लगते हैं और अगर आप बांग्ला, साउथ इंडियन या फिर गुजराती हैं तो सफेद रंग चुनने में आपको परेशानी नहीं होगी.

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7. ध्यान रखें कि अगर लहंगा बहुत भारी वर्क वाला हो तो दुपट्टा हल्का लें. अगर दोनों भारी वर्क वाले होंगे तो आपकी ज्‍वैलरी का लुक अच्‍छा नहीं आएगा और आपका लुक बहुत भारी लगेगा. हालांकि लहंगा इतना भी भारी न खरीद लें कि आप उसे संभाल ही न पाएं.

Romantic Story: कैसा यह प्यार है -भाग 1

लेखिका- प्रेमलता यदु 

आज कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा का अंतिम पेपर था. मैं ने सारे पेपर बहुत अच्छे सौल्व किए. और तो और, मेरा फिजिक्स का पेपर भी उम्मीद से ज्यादा ही अच्छा रहा जिसे ले कर मैं वर्षभर परेशान रही, कभी समझ ही न पाई कि आखिर फिजिक्स में इतने सारे थ्योरम क्यों हैं. आज सफलतापूर्वक मेरी परीक्षा समाप्त हो गई जिस का मुझे बेसब्री से इंतजार था परंतु एग्जाम हौल से बाहर निकलते ही मेरा मन बेचैन हो उठा क्योंकि आज स्कूल में हमारा आख़री दिन था.

अब हम सभी संगीसाथी छूट जाएंगे, यह सोच कर ही हृदय की व्याकुलता बढ़ गई. क‌ई वर्षो का साथ एक क्षण में छूट जाएगा. सभी फ्रैंड अपनेअपने सपनों को पूरा करने अलगअलग दिशाओं में बंट जाएंगे. लेकिन, यह तो होना ही था. हर किसी को अपने जीवन में कुछ बनना था, एक मुकाम हासिल करना था. लेकिन मेरा सपना…मेरा सपना तो कुछ और ही था.

मैं बचपन से दादी की परियों वाली कहानियां सुनती आई थी जिन में परीलोक से सफेद घोड़े पर सवार सपनों का एक राजकुमार आता है जो राजकुमारी को अपने संग परियों के देश ले जाता है. मैं भी, बस, एक ऐसे ही राजकुमार को अपने नयनों में बसाए बैठी थी.

एक आम लड़की की भांति मैं खुली आंखों से यह सपना देखा करती, यही सोचा करती कि ग्रेजुएशन कंपलीट होते ही मेरे सपनों का राजकुमार आएगा, जिस के संग ब्याह रचा कर मैं एक हैप्पी मैरिड लाइफ़ गुजारूंगी.

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हम सभी फ्रैंड्स जुदा होने वाले थे. सभी एकदूसरे के गले लग रहे थे, टच में रहने का वादा कर रहे थे, स्लैम बुक में अपने फेवरेट हीरो, हीरोइन, फेवरेट डिशेस से ले कर अपने फास्ट और क्लोज फ्रैंड का नाम लिख रहे थे. मैं भी लिख रही थी और अपनी क्लोज फ्रेंड रूही के स्लैम बुक पर उस का नाम लिखते ही मैं रो पड़ी और वह भी अपना नाम देख मुझ से लिपट गई. फिर न जाने कितनी देर हम यों ही एकदूसरे से गले लग कर रोते रहे. फिर धीरे से रूही ने मेरे कानों में कहा- “आई होप, तेरे सपनों का राजकुमार तुझे जल्दी मिले.”

उस का इतना कहना था कि मुझे हंसी आ गई और फिर हम दोनों रोतेरोते हंस पड़े.

आज रात की ही ट्रेन से रूही अपने घर लौट रही थी क्योंकि वह होस्टलर थी और अब आगे की पढ़ाई रूही अपने ही शहर से करने वाली थी. हम कब मिलेंगे, इस बात का हमें कोई इल्म नहीं था. इसलिए रूही ने मुझ से वादा लिया कि जब भी मुझे मेरे ख्वाबों का शहजादा मिल जाएगा, मैं सब से पहले उसे ही इन्फौर्म करूंगी.

उस रोज़ हम ने सारा दिन साथ बिताया. स्कूल के सामने लगे चाट के ठेले पर हम ने मेरी पसंदीदा कटोरी चाट खाई, फिर रूही की मनपसंद तीखी वाली भेलपूरी, जिसे खाते ही कानों से धुआं और आंखों से पानी निकलने लगता लेकिन हमें तो भेल यही अच्छी लगती. उस के बाद आया पानीपूरी का नंबर और हम दोनों ने जीभर कर कभी खट्टी, कभी तीखी, कभी मीठी, कभी पुदीने वाली तो कभी दही वाली सभी प्रकार की पानीपूरियों का पूरापूरा लुत्फ़ उठाया.

घर जाने से पूर्व हम अपने स्कूल से लगे चर्च पर चले ग‌ए जहां हम अकसर जाया करते थे. वहां चर्च के भीतर जा कर मैं हमेशा की तरह रूही का नाम पुकारने लगी और उस का नाम इको होने लगा. साउंड का इस प्रकार इको होना मेरे मन को प्रफुल्लित करता और रूही को परेशान, वह बारबार मुझे ऐसा करने से रोकती और मैं उस का नाम दोहराती. जब भी हम चर्च आते, ऐसा ही करते और आज भी वही कर रहे थे. थोड़ी देर ऐसा करने के पश्चात हम घुटने टेक प्रेयर की मुद्रा में बैठ ग‌ए. एकदूसरे के लिए प्रण लिया कि सदा हमारी दोस्ती यों ही बरकरार रहे. फिर चर्च कंपाउंड में आ हम मदर मरियम के बुत को देखते रहे. मदर मरियम की गोद में यीशु को देख कर हम दोनों मंत्रमुग्ध हो गए.

चर्च से निकलने के बाद सामने ही बर्फ के गोले वाला दिख गया लेकिन तब तक हमारे पास पैसे खत्म हो चुके थे. रूही के पास केवल एक रुपए ही शेष बचा था, सो उस ने एक बर्फ का कालाखट्टा गोले का चुस्की ले लिया और हम दोनों ने मिल कर उस चुस्की का आनंद लिया. शाम होने वाली थी, मुझे घर लौटना था और रूही को होस्टल, एक बार फिर हम दोनों ने एकदूजे को गले लगा लिया और फिर हमारी आंखें नम हो गईं.

भारीमन से मैं घर लौटी तो मैं ने देखा, मेरा छोटा भाई जय अपना बैग पैक कर रहा है और अम्मा मिठाइयां बना रही है. तभी अम्मा मुझे देखते ही बरस पड़ी- “पीहू, तू अभी आ रही, मैं ने तुझ से कहा था न, एग्जाम खत्म होते ही सीधे घर आना लेकिन तुझे सुनना कहां है. ज़रूर तू अपनी उस बेस्ट फ्रैंड रूही के साथ घूम रही होगी. अच्छा अब जल्दीजल्दी मुंहहाथ धो कर किचन में आ के मेरा हाथ बंटा, कल मुंहअंधियारे ही हमें गांव निकलना है.”

यह सुनते ही मैं खुशी से उछल पड़ी और “जी अम्मा, अभी आती हूं” कह फौरन हाथमुंह धो किचन में आ अम्मा का हाथ बंटाने लगी. हर साल स्कूल की परीक्षाएं समाप्त होते एवं गरमी की छुट्टियां लगते ही हम दादी के पास गांव बलिया चले जाते. वहां चाचा का परिवार दादी के साथ रहता था. चाचा के 2 बच्चे हैं. हमारी बूआ भी अपने दोनों बच्चों के संग वहीं गांव आ जातीं. पूरा परिवार इकट्ठा होता.

सुबहसवेरे गांव के लिए निकलना है इस कल्पना मात्र से ही मन रोमांचित हो उठा और मैं सारी रात करवटें बदलते हुए सुबह होने का इंतजार करने लगी. गांव में बिताए सुनहरे लमहों को स्मरण कर आज भी वही आनंद की अनुभूति हो रही थी.

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हर साल गरमी की छुट्टियों में हम सभी बच्चे गांव में पूरा दिन धमाचौकड़ी मचाते, कभी भरी दोपहरी में बेर तोड़ने निकल जाते तो कभी किसी आम के बागीचे में घुस कर कच्चेपक्के, खट्टेमीठे, छोटेबड़े जो भी हमारे पहुंच के भीतर होता सब तोड़ लेते. कभीकभी तो पेड़ पर भी चढ़ जाते. और तो और. कच्चे रास्तों पर जानबूझ कर धूल उड़ाते हुए ऐसे चलते जैसे कोई पराक्रमी कार्य कर रहे हों.

खेतों की मेड़ों पर बनी पगडंडियों में अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा बैलेंस करते हुए गिरने से बचने का प्रयत्न करते और एकदूसरे से आगे निकल जाने की होड़ होती. मैं हमेशा सब से आगे निकल जाती. जिस दिन हम घर से बाहर नहीं जा पाते, उस रोज़ तो पूरा दिन छत पर पतंगबाजी में बीतता. दिन चाहे जैसे भी बीते लेकिन रात होते ही हम सभी बच्चे दादी को घेर कर बैठ जाते और उन से राजकुमारी, राजकुमार और परियों की कहानियां अवश्य सुनते. इन्हीं सब बातों को याद करते हुए न जाने मैं कब निद्रा की आगोश में चली गई.

खटरपटर की आवाज़ से नींद खुली तो देखा अम्मा, बाबूजी और जय सब जाग गए है. तभी अम्मा ने पुकार लगाई- “पीहू, जल्दी उठो. औटोरिकशा बस आने ही वाला है. जैसे ही मेरे कानों में यह वाक्य पड़ा, मैं फटाफट उठ कर तैयार हो गई. थोड़ी ही देर में कालोनी के चौक से औटो रिकशा भी आ गया. रिकशा चल पड़ा.

भोर की ठंडीठंडी सुहावनी पुरवा फिज़ा को खुशगवार बना रही थी. सूर्य उदय और चंद्रमा का बादलों में धीरेधीरे छिपने का यह वक्त व दो वेलाओ के संगम का यह दृश्य बड़ा ही अलौकिक और मनभावन प्रतीत हो रहा था. सिंदूरी रंग लिए हुए आसमां आकर्षक लग रहा था. कुदरत की यह चित्रकारी अद्भुत, अद्वितीय है, इस बात का एहसास मुझे इसी क्षण हुआ.

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मैं एक लड़की से शादी करना चाहता हूं, लेकिन अतीत में रेप के अपराध में जेल जा चुका हूं?

सवाल

मैं 37 वर्षीय अविवाहित डाक्टर हूं, एक सरकारी अस्पताल में कौंट्रैक्ट बेसिस पर कार्यरत हूं. मैं एक लड़की से विवाह करना चाहता हूं. समस्या यह है कि इस से पहले मैं रेप के अपराध में 5 साल की जेल की सजा भुगत चुका हूं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं जिस लड़की से विवाह करना चाहता हूं उसे इस बारे में बताऊं या नहीं. हालांकि वह और उस का परिवार अगर जांच पड़ताल करेंगे, भी तो इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं चल पाएगा. पर मुझे क्या करना चाहिए, उन्हें सब कुछ बता देना चाहिए या नहीं?

जवाब

आप का परेशान होना जायज है लेकिन इस मामले में हमारी आप को यही सलाह होगी कि जिस लड़की के साथ आप अपनी आने वाली जिंदगी गुजारना चाहते हैं, उसे अपने अतीत से अवश्य वाकिफ कराएं, फिर उस के बाद वह लड़की जो निर्णय ले, उसे आप मंजूर करें. आप उसे पूरी बात विस्तार से बताएं और वर्तमान स्थिति से भी अवगत कराएं क्योंकि यह जानना उस का हक भी है. जहां तक आप का यह समझना कि लड़की और उस के परिवार वालों को आप के अतीत के बारे में पता नहीं चलेगा, इस गलतफहमी में न रहें. ऐसी बातें छिपाए नहीं छिपतीं, इसलिए उसे यह बात कहीं और से पता चले और उस का असर आप की आने वाली जिंदगी पर पड़े, इस से बेहतर है उसे आप सबकुछ सचसच बता दें. इसी में आप की भलाई है.

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हर इंसान का एक अतीत होता है, जिससे ऐसी कई बातें जुड़ी होती हैं जो वह किसी को बताना नहीं चाहता है. खासकर जब आप किसी रिलेशनशिप में आते हैं तो अपने अतीत से जुडी कई बातें अपने पार्टनर से छिपाते हैं, जो आपके रिश्ते पर भी असर डालता है.

लेकिन कुछ बातें ऐसी होती हैं जो अपने पार्टनर के साथ जरूर शेयर की जानी चाहिए क्योंकि इससे दोनों का एक दूसरे के प्रति विश्वास और प्रेम बढ़ता है. तो आइये जानते हैं उन बातों के बारे में जो आपको अपने पार्टनर से नहीं छुपानी चाहिए.

1. रोमांटिक स्टोरी को बताएं

आप अपने पार्टनर को अपनी बीती हुई रोमांटिक स्टोरी के बारे में जरूर बताएं. ऐसा करने से आप दोनों के बीच विश्वास बढ़ेगा. लेकिन यदि आप अपनी रोमांटिक स्टोरी को अपने पार्टनर से बताती हैं तो उसका मूड तथा समय को अवश्य देख लें.

आपके तथा आपके एक्स के संबंध

कई लोग ब्रेकअप के बाद भी अपने एक्स से दोस्ती का रिलेशन बनाएं रखते हैं. यदि आपके जीवन में भी कोई ऐसा संबंध है तो उससे अपने पार्टनर को जरूर परिचित कराएं.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Romantic Story In Hindi: हमकदम- भाग 2- अनन्या की तरक्की पर क्या था पति का साथ

रात बहुत बीत चुकी थी. अनन्या की आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था. चंद्रशेखर भी करवटें बदल रहे थे. थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा, ‘अनन्या, तुम कल सुबह फार्म भर कर मुझे दे देना. मैं ने सोच लिया है कि तुम आगे जरूर पढ़ोगी.’

अनन्या को आश्चर्यमिश्रित खुशी हुई, ‘सच?’

‘हां, मैं परसों पटना जा रहा हूं, तुम्हारा फार्म भी विश्वविद्यालय में जमा करता आऊंगा.’

एक दिन चंद्रेशेखर बैंक से लौटा तो बेहद खुश था. उस ने अनन्या से कहा, ‘आज पटना से मेरे दोस्त रमेश का फोन आया था. बता रहा था कि तुम्हारा नाम प्रवेश पाने वालों की सूची में है. प्रवेश लेने की अंतिम तिथि 25 है. तुम कल से ही सामान बांधना शुरू कर दो. हमें परसों जाना है क्योंकि जल्दी पहुंच कर तुम्हारे लिए होस्टल में रहने की भी व्यवस्था करनी होगी.’

‘मैं होस्टल में रहूंगी?’ अनन्या ने पूछा, ‘घर से दूर…अकेली…क्या यहां कालिज नहीं है?’ उस ने अपने मन की बात कह ही डाली.

‘देखो, विश्वविद्यालय की बात ही अलग होती है. तुम ज्यादा सोचो मत. चलने की तैयारी करो. मैं बाबूजी को बता कर आता हूं,’ कहते हुए चंद्रशेखर बाबूजी के कमरे की ओर चला गया.

पटना आते समय अनन्या ने सासससुर के चरणस्पर्श किए तो सास ने उसे झिड़क कर कहा था, ‘जाओ बहू, बेहद कष्ट में थीं न तुम यहां…अब बाहर की दुनिया देखो और मौज करो.’

चंद्रशेखर के प्रयास से अनन्या को महिला छात्रावास में कमरा मिल गया. उसे वहां छोड़ कर आते वक्त उस ने कहा था, ‘तुम्हारे भीतर की लगन को महसूस कर के ही मैं ने अपने परिवार वालों की इच्छा के खिलाफ यह कदम उठाया है. मैं जानता हूं कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी. किसी चीज की जरूरत हो तो फोन कर देना.’

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अनन्या ने धीरे से सिर हिला दिया था. होस्टल के गेट पर खड़ी हो कर वह तब तक पति को देखती रही जब तक वह नजरों से ओझल नहीं हो गए.

उस का मन यह सोच कर दुख से भर उठा था कि उन्होंने एक बार भी पलट कर नहीं देखा. कितनी निष्ठुरता से छोड़ गए मुझे. इतना तो कह ही सकते थे न कि अनु, मुझे तुम्हारी कमी खलेगी, पर नहीं, सच में मुझ से प्यार हो तब न…

आंसू पोंछ कर वह अपने कमरे में चली आई. कुछ दिनों तक उस का मन खिन्न रहा पर धीरेधीरे सबकुछ भूल कर वह पढ़ाई में रम गई. तेज दिमाग अनन्या ने बी.ए. फाइनल की परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए.

एम.ए. में प्रवेश लेने के बाद वह कुछ दिन की छुट्टी में घर आई थी. एक दिन चंद्रशेखर ने उस से कहा, ‘एम.ए. में तुम्हें विश्वविद्यालय में पोजीशन लानी है. उस के लिए बहुत मेहनत की जरूरत है तुम्हें.’

अनु ने सोचा, छुट्टियों में घर आई हूं तब भी वही पढ़ाई की बातें, प्रेम की मीठीमीठी बातों का मधुरिम एहसास और वह दीवानापन न जाने क्यों चंद्रशेखर के मन में है ही नहीं. जब देखो पढ़ो, कैरियर बनाओ…उन्हें मुझ से जरा भी प्यार नहीं.

‘अनु, कहां खो गईं?’ चंद्रशेखर ने कहा, ‘देखो, मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं.’

चंद्रशेखर कहता जा रहा था और अनु जैसे जड़ हो गई थी. मन में विचारों का बवंडर चल रहा था, ‘क्या यही प्यार है? न रस पगे दो मीठे बोल, न मनुहार…ज्यादा खुश हुए तो गए और हिंदी साहित्य की किताब उठा कर ले आए. स्वार्थी कहीं के…’

‘अनु, मैं तुम्हें कुछ दिखा रहा हूं,’ चंद्रशेखर ने फिर कहा तो अनन्या बनावटी हंसी हंस कर बोली, ‘हां, अच्छी किताब है.’

अनन्या ने मन ही मन एक ग्रंथि पाल ली थी कि चंद्रशेखर मुझ से प्यार नहीं करते. तभी तो अपने से दूर मुझे होस्टल भेज कर भी खुश हैं. क्या प्रणय की वह स्वाभाविक आंच जो मुझे हर समय जलाती रहती है, उन्हें तनिक भी नहीं जलाती होगी? शायद नहीं, उन्हें मुझ से प्यार हो तब न…

इन्हीं दिनों अनन्या को पता चला कि वह मां बनने वाली है. पूरा परिवार खुश था. एक दिन चंद्रशेखर ने उस को समझाते हुए कहा, ‘तुम्हें बच्चे के जन्म के बाद परीक्षा देने जरूर जाना चाहिए. साल बरबाद मत करना, बीता समय फिर लौट कर नहीं आता.’

अनन्या पति के साथ कुछ दिनों के लिए मायके आई थी. एक शाम घूमने के क्रम में वह गोलगप्पे वाले खोमचे के सामने ठिठक गई तो चंद्रशेखर ने पूछ लिया, ‘क्या हुआ?’

‘मुझे गोलगप्पे खाने हैं.’

‘तुम्हारा दिमाग तो नहीं चल गया. अपना नहीं तो कम से कम बच्चे का तो खयाल करो,’ चंद्रशेखर ने गुस्से से कहा तो अनन्या पैर पटकती हुई घर चली आई.

‘आप ने एक छोटी सी बात पर मुझे इतनी बुरी तरह क्यों डांटा? एक छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते? अरमान ही रह गया कि आप कभी कोई उपहार देंगे या फिर कहीं घुमाने ले जाएंगे. मेरी खुशी से आप को क्या लेनादेना…मुझ से प्यार हो तब न. जब देखो, पढ़ो…कैरियर बनाओ, जैसे दुनिया में और कुछ है ही नहीं,’ रात में अनन्या मन की भड़ास निकालते हुए बोली.

चंद्रशेखर कुछ पलों तक अपलक पत्नी को निहारता रहा फिर संजीदा हो कर बोला, ‘तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम से प्यार नहीं करता, पतिपत्नी का रिश्ता तो प्रेम और समर्पण की डोरी से बंधा होता है.’

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‘अपनी सारी फिलासफी अपने तक ही रखिए. मैं अच्छी तरह जानती हूं कि आप मुझ से…’ ‘हांहां, मैं तुम से प्यार नहीं करता, मुझे प्रमाण देने की जरूरत नहीं है,’ चंद्रशेखर बीच में ही अनन्या की बात काट कर बोला.

एक दिन अनन्या गुडि़या जैसी बेटी की मां बन गई. जब बच्ची 3 महीने की हो गई तब चंद्रशेखर ने पत्नी से कहा कि उसे अब एम.ए. की परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए.

‘क्या मैं 6 महीने में परीक्षा की तैयारी कर पाऊंगी? सोचती हूं इस साल ड्राप कर दूं. अभी गुडि़या छोटी है.’

पत्नी की बातों को सुन कर उसे समझाते हुए चंद्रशेखर बोला, ‘देखो, अनन्या, पढ़ाईर् एक बार सिलसिला टूट जाने के बाद फिर ढंग से नहीं हो पाती. मैं गुडि़या के बारे में मां से बात करूंगा.’

अनन्या को लगा जैसे कोई मुट्ठी में ले कर उस का दिल भींच रहा हो. इतना बड़ा फैसला ऐसे सहज ढंग से सुना दिया जैसे छोटी सी बात हो. मेरी नन्ही सी बच्ची मेरे बिना कैसे रहेगी?

अनन्या की सास ने पोती को पास रखने से साफ मना कर दिया, ‘मुझे

तो माफ ही करो तुम लोग. कैसी मां है यह जो बेटी को छोड़ कर पढ़ने जाना चाहती है.’

अनन्या ने चीख कर कहना चाहा कि यह आप के बेटे की इच्छा है, मेरी नहीं पर कह नहीं पाई. एक दिन उस के पिता का फोन आया तो उस ने सारी बातें उन्हें बताते हुए पूछा, ‘अब आप ही बताइए, पापा, मैं क्या करूं?’

‘तुम गुडि़या को हमारे पास छोड़ कर होस्टल जा सकती हो बेटी, समय सब से बड़ी पूंजी है. इसे गंवाना नहीं चाहिए. मेरे खयाल से चंद्रशेखर बाबू ठीक कहते हैं,’ उस के पिता ने कहा.

अनन्या के सिर से एक बोझ सा हट गया. दूसरे ही दिन वह होस्टल जाने की तैयारी करने लगी. नन्ही सी बेटी को मायके छोड़ कर जाते समय अनन्या का दिल रोनेरोने को हो आया था पर मन को मजबूत कर वह रिकशे पर बैठ गई.

धीरेधीरे 6 माह बीत गए. अनन्या जब भी अपनी बेटी के बारे में सोचती उस का मन पढ़ाई से उचट जाता. वह इतनी भावुक हो जाती कि आंसुओं पर उस का बस नहीं रह जाता.

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ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग में यूपी ने पकड़ी रफ्तार

प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने अस्‍पतालों में सभी पुख्‍ता इंतजाम कर लिए हैं. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के हर जिले में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल में ऑक्सीजन जेनरेटर्स युद्धस्‍तर पर लगाए जा रहे हैं. अस्पतालों में नौ हजार से अधिक पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) बेड तैयार किए जा चुके हैं. योगी सरकार ने निर्णयों से प्रदेश में अब कोरोना की दूसरी लहर पूरी तौर पर नियंत्रित है. दूसरे प्रदेशों के मुकाबले ‘योगी के यूपी मॉडल’ से संक्रमण पर तेजी से लगाम लगी है. कम समय में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट जीनोम सिक्वेंसिंग की तेजी से जांच की जा रही है.

केजीएमयू लखनऊ में 109 सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई गई. प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक 107 सैंपल में कोविड की दूसरी लहर वाले पुराने डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि ही हुई है, जबकि 02 सैम्पल में कप्पा वैरिएंट पाए गए. दोनों ही वैरिएंट प्रदेश के लिए नए नहीं हैं. प्रदेश में ट्रेसिंग से संक्रमण का प्रसार भी न्यूनतम स्‍तर पर है.

जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा से लैस केन्‍द्र की होगी स्‍थापना

कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा का लगातार विस्‍तार किया जा रहा है. जल्‍द ही प्रदेश में इस सुविधा से लैस केंद्र की स्थापना भी की जाएगी. सरकार ने पहले ही प्रदेश में जीनोम  सिक्वेंसिंग के दायरे को बढ़ाते हुए बीएचयू,  केजीएमयू,  सीडीआरआई,  आईजीआईबी, राम मनोहर लोहिया संस्‍थान में जीनोम परीक्षण की व्यवस्था की है.

15 अगस्‍त तक यूपी में 536 ऑक्‍सीजन प्‍लांट होंगें क्रियाशील 

यूपी ऑक्सीजन उपलब्धता में आत्मनिर्भर हो रहा है. प्रदेश में 536 ऑक्‍सीजन प्‍लांट पर तेजी से काम किया जा रहा है जिसमें से अब तक  146 ऑक्सीजन प्लांट प्रदेश में क्रियाशील हो चुके हैं. प्रदेश में ऑक्सीजन जेनरेटर के जरिए 15 फीसदी ऑक्सीजन की 3300 बेडों पर आपूर्ति हो रही है. विभिन्न औद्योगिक समूहों की ओर से ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्‍ध कराने में  मदद की गई है. अनेक औद्योगिक समूहों व इकाइयों ने ‘हेल्थ एटीएम’ उपलब्ध कराने के लिए आगे आए हैं. इन अत्याधुनिक मशीनों के जरिए से लोग बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर , मेटाबॉलिक ऐज, बॉडी फैट, हाईड्रेशन, पल्स रेट, हाइट, मसल मास, शरीर का तापमान, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा, वजन सहित कई पैरामीटर की जांच कर सकते हैं.

जनसंख्या संतुलन के लिए समुदाय केंद्रित कार्यक्रमों की है जरूरत: सीएम योगी

करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण की जरूरतों को देखते हुए, राज्य सरकार नई जनसंख्या नीति घोषित करने वाली है. वर्ष 2021-30 की अवधि के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से एक ओर जहां परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी, वहीं, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने, नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास भी किए जाएंगे. नवीन नीति में एक अहम बिंदु 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 जारी करेंगे.

गुरुवार को लोकभवन में नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 के संबंध में प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, आबादी विस्तार के लिए गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारक है. कतिपय समुदाय में भी जनसंख्या को लेकर जागरूकता का अभाव है. ऐसे में समुदाय केंद्रित जागरूकता प्रयास की जरूरत है. प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है. अब नई नीति समय की मांग है.

प्रस्तुतिकरण के अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ सभी जरूरी प्रयास किए जाएं.जागरूकता प्रयासों के क्रम में उन्होंने स्कूलों में “हेल्थ क्लब” बनाये जाने के निर्देश भी दिए. साथ ही, डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप नवजातों, किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि नई नीति तैयार करते हुए सभी समुदायों में जनसांख्यकीय संतुलन बनाये रखने, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की सहज उपलब्धता, समुचित पोषण के माध्यम से मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक लाने का प्रयास होना चाहिए. नई नीति के उद्देश्यों में सतत विकास लक्ष्य के भावना निहित हो.

इससे पहले अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अमित मोहन प्रसाद ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रस्तावित जनसंख्या नीति प्रदेश में एनएफएचएस-04 सहित अनेक रिपोर्ट के अध्ययन के उपरांत उपरांत तैयार की जा रही है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-05 की रिपोर्ट जल्द ही जारी होने वाली है. नवीन नीति जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को तेज करने वाली होगी. इसमें 2026 और 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं.

REVIEW: जानें कैसी है जिम्मी शेरगिल और आशा नेगी की फिल्म ‘Collar Bomb’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः विक्रम मेहरा और सिद्धार्थ आनंद

निर्देशकः ज्ञानेश झोटिंग

कलाकारः जिम्मी शेरगिल, आशा नेगी, राजश्री देशपांडे, स्पर्श श्रीवास्तव,  नमन जैन व अन्य

अवधिः एक घंटा 26 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉट स्टार डिज्नी

’किसी को भी जाति-धर्म और रूप-रंग से देख कर उसके बारे में फैसला लेना गलत है. ’’ तथा ‘‘इंसान का एक गलत फैसला कितने गंभीर परिणाम दे सकता है’’इस बात को रेखांकित करने वाली रहस्य रोमांच प्र्रधान फिल्म‘‘कालर बम’’लेकर आए हैं निर्देशक ज्ञानेश झोटिंग. तीन लघु फिल्मों का लेखन व निर्देशन कर शोहरत बटोरने के बाद ज्ञानेश की बतौर निर्देशक ‘‘कॉलर बम’’ पहली फीचर फिल्म है. जो कि ‘हॉट स्टार डिजनी’पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानीः

शिमला के नजदीक सनावर के पुलिस अफसर मनोज कुमार हेसी (जिम्मी शेरगिल )अपने 12 वर्षीय बेटे अक्षय(नमन जैन ) को पढ़ने के लिए दूसरी जगह भेजना चाहते हैं, क्योंकि वह चाहते हैं कि उनका बेटा अक्षय उनसे इतनी दूर रहे कि उनके अतीत की गलती का असर अक्षय पर न पड़े. उसके बाद वह बेटे अक्षय के साथ सनावर के ‘सेंट जॉर्ज स्कूल’ जाते हैं, जहां स्कूल की एक लड़की नेहा के गायब होने और हत्या की गुत्थी सुलझाई थी और आज स्कूल में नेहा की मौत पर शोक सभा है. स्कूल के प्रिंसिपल, पुलिस अफसर मनोज की प्रशंसा करते हैं, जबकि मनोज का ज्यूनियर नेगी उन पर कटाक्ष करता है. पर सुरक्षा गार्ड नेगी को बाहर ले जाते हैं. तभी गले में विस्फोटक लटकाए आत्मघाती हमलवार शोएब अली(स्पर्श श्रीवास्तव ) हाथ में बंदूक लिए पहुंचता है. और वहां मौजूद सभी बच्चों को बंधक बना लेता है. वह घोषणा करता है कि हर मां बाप को अपने बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए किसी एक का बलिदान देना होगा.

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कुछ देर बाद वह डायरी के कुछ पन्ने पढ़ते हुए मनोज हेती से कहता है कि उन्हे एक घंटे के अंदर तीन सही जवाब ढूढ़कर इसके गले में लटक रहे  तीन बटन सही कर सभी बच्चों को जीवित बचा सकते हैं. पता चलता है कि शोएब, रीटा नामक महिला के लिए काम कर रहा है. रीटा के कहने पर ही वह मनोज हेती से कुछ टॉस्क पूरा करवा रहा है. इसी बीच शोएब एक बच्ची को मार देता है.  दूसरी तरफ यह खबर आग की तरह फैल जाती है. एएसआई सुमित्रा अपने तरीके से जांच करते हुए बरकत अली के ढाबे पर पहुंचती है, तो पता चलता है कि शोएब कुछ समय तक बरकत अली के ढाबे पर काम करता रहा है और पब्लिक उस ढाबे को आतंकी को पनाह देने वाला मानकर फूंक देती है. एएसआई सुमित्रा (आशा नेगी) ढाबा चलाने वाले बुजुर्ग बरकत अली को बचाती है और भीड़ को उकसाने वाले नेता को एक्सपोज करती है. यहां मनोज हेसी के अतीत का वह सच समाने आता है, जिसकी वजह से यह सब हो रहा होता है. सुमित्रा को सारी गलती मनोज हेती में नजर आने लगती है. लोग समझ जाते हैं कि अतीत में की गई एक भूल का बदला मनोज हेसी से लिया जा रहा है.

लेखन निर्देशनः

फिल्म ‘कालर बम’ की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कथा व पटकथा है. फिल्म का संदेश बेहतरीन है और कुछ रोमांचक दृश्य भी अच्छे गढ़े गए हैं, लेकन पूरी कहानी व पटकथा फिल्म को मटियामेट कर देती है. आत्मघाती हमलावर शर्त रखता है कि हर बच्चे के माता पिता में से किसी एक को बलिदान देना होगा, पर चंद मिनटों में कहानी पुलिस अफसर मनोज पर जाकर टिक जाती है. फिल्म का रहस्य उसी वक्त खत्म सा हो जाता है, जब शिमला के स्कूल की शिक्षक रीटा(राजश्री देशपांडे ) पहाड़ी की बजाय मराठी भाषा में गीत गाती है. फिल्म का क्लायमेक्स और अंत उत्साहित नही करता. कहानी के बीच में हो रही हत्याएं व कुछ लोगों की निजी जिंदगी, मैथ्यू नामक लड़के की  कहानी से लोगो की समझ में नही आता कि आखिर यह सब क्यों हो रहा है?हमलावर की पहली शर्त हो या मैथ्यू की जिंदगी का मसला बस कुछ बेवजह ठूंसा सा लगता है. हमलावर कौन है, क्यों है, कुछ भी स्पष्ट नही होता. कभी लगता है कि यह आतंकी हमला है और कभी हिंदू-मुस्लिम जैसा रंग दिखता है.

फिल्म के समापन के समय का संवाद -‘‘जिंदगी सिर्फ एक कड़ी है. हमारे लिए हुए फैसलो से बनी एक कड़ी. . . इंसान का एक गलत फैसला कितना गंभीर परिणाम ला सकता है. . ’’को नजरंदाज कर दे, तो फिल्म के संवाद असरदार नही है.

कैमरामैन जीतन हरमीत सिंह ने हिल स्टेशन की खूबसूरती को बेहतरीन ढग से पेश किया है.

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अभिनयः

पूरी फिल्म में जिमी शेरगिल ने शानदार अभिनय किया है. उनके करोड़ो प्रशंसक उन्हें पुलिस या फौजी वर्दी में पसंद भी करते है. नमन जैन का अभिनय भी ठीक ठाक है. उसके चेहरे के भाव काफी कुछ कह जाते हैं. राजश्री देशपांडे फिल्म में देर से सक्रिय होती हैं, पर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं. सुमित्रा के किरदार में आशा नेगी का किरदार काफी लंबा है, मगर वह अपने किरदार से न्याय नहीं कर पाती. इतना ही नही वह बोल-चाल की भाषा में पहाड़ी टोन को ठीक ढंग से नहीं पकड़ पायी. स्पर्श श्रीवास्तव बुरी तरह से निराश करते हैं. उनका चेहर हर जगह एकदम सपाट नजर आता है, जबकि उनके पास अपनी अभिनय प्रतिभा को दिखाने के भरपूर अवसर थे.

परिवार के सामने इमली से शादी करेगा आदित्य तो अपर्णा कहेगी ये बात

टीवी शो इमली (Imlie) की कहानी इन दिनों दर्शकों का दिल जीत रही है. जहां आदित्या और इमली अपने प्यार का इजहार कर चुके हैं तो वहीं मालिनी दोनों की जिंदगी से दूर हो गई है. हालांकि आदित्या का परिवार इमली को बहू मानने के लिए राजी नही हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में आदित्य एक बड़ा कदम उठाते हुए नजर आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

इमली को पत्नी मानेगा आदित्या

 

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अब तक आपने देखा कि त्रिपाठी खानदान घर की शांति के लिए हवन करवाता हुआ नजर आता है. इस बीच मालिनी की मां अनु (Jyoti Gauba) घर में हंगामा करते हुए पूरे परिवार को आदित्य और इमली की एक दूसरे को गले लगाते हुए फोटो दिखाती है, जिसे देखकर सभी हैरान हो जाते हैं. वहीं आदित्य परिवार के सामने इमली को अपनी पत्नी भी मान लेता है.

 

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परिवार के सामने आदित्य उठाएगा ये कदम

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि आदित्य और इमली का सच जानने के बाद  मां अपर्णा इस शादी को मानने से इंकार करेगी और आदित्य को थप्पड़ मारती हुई नजर आएगी. वहीं अपर्णा कहेगी कि आदित्य ने मालिनी को धोखा दिया है, जिसके बाद आदित्य सभी घरवालों के सामने इमली के साथ सात फेरे लेता दिखेगा, जिसे देखकर पूरा परिवार हैरान रह जाएगा.

 

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इमली पर बरसेगी आदित्या की मां

आदित्य के इमली से शादी करने के बाद मां अपर्णा का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुंच जाएगा और वह इमली से कहेगी कि वह उसे कभी अपनी बहू नहीं मानेगी. साथ ही ये भी कहेगी कि उससे प्यार करके उसने सबसे बड़ी भूल की है. उसे नही पता था कि वह एक नागिन को दूध पिला रही थी. वहीं अपर्णा की बात सुनते ही इमली टूट जाएगी और आदित्य उसे संभालता नजर आएगा, जिसे देखकर अपर्णा और भड़क जाएगी.

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‘बबीता जी’ की पोस्ट पर कमेंट करना ‘टप्पू’ को पड़ा भारी, ट्रोलिंग के हुए शिकार

सब टीवी का कौमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) कई सालों से दर्शकों को एंटरटेन कर रहा है. वहीं शो के कलाकार भी आज घर-घर में फेमस हैं, जिस कारण कई बार शो के सितारे ट्रोलिंग का सामना भी करते हैं. इसी बीच टप्पू (Tappu) के रोल में नजर आने वाले राज अनादकट (Raj Anadkat) इन दिनों ट्रोलिंग का शिकार हो रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

ट्रोलिंग का शिकार हुए टप्पू

टप्पू (Tappu) यानी एक्टर राज अनादकट (Raj Anadkat) ट्रोलिंग का शिकार हो गए हैं. दरअसल राज अनादकट ने हाल ही ‘तारक मेहता’ की ‘बबीता जी’ यानी मुनमुन दत्ता (Munmun Dutta) की एक फोटो पर एक कॉमेंट किया था, जिस पर जहां फैंस उनकी तारीफें कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें ट्रोल करते नजर आ रहे हैं.

 

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ट्रोलर्स ने कही ये बात

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हाल ही बबीता जी यानी मुनमुन दत्ता ने अपने इंस्टाग्राम (Munmun Dutta Instagram) अकाउंट पर अपनी एक वीडियो शेयर की थी, जिस पर टप्पू यानी राज अनादकट ने फायर इमोजी के साथ हार्ट इमोजी शेयर की थी. वहीं कॉमेंट को देखकर खरी-खोटी सुनाते हुए एक यूजर ने लिखा ‘वाह भाई आंटी पटा ली.’ वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, ‘लगता है मुनमुन दत्ता और राज अनादकट का अफेयर चल रहा है. कुछ तो शर्म करो दोनों.’

बता दें कि मुनमुन दत्ता बीते दिनों ट्रोलिंग का सामना कर चुकी हैं. वहीं उनके खिलाफ जातिवाचक शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई थी. हालांकि मुनमुन दत्ता ने अपने फैंस और लोगों से माफी भी मांगी थी, जिसके बाद फैंस का गुस्सा शांत हो गया था.

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