मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने में जुटी यूपी सरकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज अपने सरकारी आवास पर आहूत एक बैठक में में उत्तर प्रदेश की प्रगति के सम्बन्ध में भारत के सतत् विकास लक्ष्य इण्डेक्स 3.0 की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि निर्धारित 15 सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर प्रदेश तेजी से कार्य करते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. सतत् विकास लक्ष्य इण्डेक्स 2020 में उत्तर प्रदेश 60 अंकों के साथ परफॉर्मर स्टेट के रूप में आगे आया है, जबकि वर्ष 2019 व वर्ष 2018 में प्रदेश के क्रमशः 55 एवं 42 अंक थे. उन्होंने मानकों के अनुसार कार्य करते हुए इन लक्ष्यों के सम्बन्ध में और बेहतर स्कोर किए जाने पर बल दिया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अन्तर्विभागीय समन्वय एवं निरन्तर समीक्षा करते हुए सतत् विकास लक्ष्यों की पूर्ति में तेजी लायी जाए. इसके लिए सभी नोडल विभाग तथा उनके साथ लिंक किए गए विभाग सम्बन्धित फोकस सेक्टरों पर मिलकर काम करें. उन्होंने सभी सम्बन्धित विभागों को अद्यतन डाटा फीडिंग कराए जाने के निर्देश दिए. विभागीय स्तर पर सतत् विकास लक्ष्यों के सम्बन्ध में अद्यतन डाटा उपलब्ध रहे. नीति आयोग से समन्वय बनाते हुए डाटा में सुधार के प्रयास किए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तथा स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया जाए. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार हमें सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करते हुए आगे बढ़ना है. विभागीय स्तर पर लक्ष्यों का निर्धारण करते हुए उन्हें प्राप्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जाएं. उन्होंने नियोजन विभाग को लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रति माह नोडल/सम्बन्धित विभागों से रिपोर्ट प्राप्त कर इनकी गहन मॉनीटरिंग किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सतत् विकास के लक्ष्यों का लाभ वंचित वर्गों तक पहुंचाना राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है. विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति गुणवत्तापरक होनी चाहिए, तभी समाज को इनका लाभ मिलेगा.

मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित 15 एस0डी0जी0 लक्ष्यों में नो पॉवर्टी (ग्राम्य विकास विभाग), जीरो हंगर (खाद्य एवं आपूर्ति तथा कृषि विभाग), गुड हेल्थ एण्ड वेल बींग (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग), क्वॉलिटी एजुकेशन (बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग), जेण्डर इक्वॉलिटी (महिला एवं बाल विकास विभाग), क्लीन वॉटर एण्ड सैनीटेशन (सिंचाई, ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज विभाग), एफोर्डेबल एण्ड क्लीन इनर्जी (ऊर्जा विभाग), डीसेण्ट वर्क एण्ड इकोनॉमिक ग्रोथ (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग), इण्डस्ट्री इनोवेशन एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर (अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग), रिड्यूस्ड इनइक्वॉलिटीज (समाज कल्याण विभाग), सस्टेनेबल सिटीज एण्ड कम्युनिटीज (नगर विकास विभाग), रिस्पॉन्सिबल कन्जम्पशन एण्ड प्रोडक्शन (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग), क्लाइमेट एक्शन (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग), लाइफ ऑन लैण्ड (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग) तथा पीस, जस्टिस एण्ड स्ट्रॉन्ग इंस्टीट्यूशंस (गृह विभाग) की विस्तृत समीक्षा की.

बैठक में मुख्य सचिव श्री आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव नियोजन श्री सुरेश चन्द्रा, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एसपी गोयल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास श्री अरविन्द कुमार, अपर मुख्य सचिव सिंचाई श्री टी0 वेंकटेश, अपर मुख्य सचिव वित्त श्रीमती एस0 राधा चौहान, अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज श्री मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा श्रीमती आराधना शुक्ला, अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव नगर विकास श्री रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा श्री दीपक कुमार, प्रमुख सचिव खाद्य एवं आपूर्ति श्रीमती वीना कुमारी मीना, प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास श्रीमती वी. हेकाली झिमोमी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

“मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना” को बेहतर बनाने में लगी योगी सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ‘मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना’ का लाभ पात्र बालिकाओं तक पहुंचाने के लिए तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.

‘मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना’ बालिकाओं के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के स्तर में वृद्धि करने तथा उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए सहायक सिद्ध हो रही है. इस योजना के तहत अब तक 07 लाख 81 हजार बालिकाओं को लाभान्वित किया जा चुका है. उन्होंने योजना के सम्बन्ध में नियमित समीक्षा करते हुए अन्य सम्बन्धित विभागों से संवाद व समन्वय बनाकर कार्य किए जाने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर ‘मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना’ के सम्बन्ध में समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए लक्ष्य निर्धारित कर पात्र बालिकाओं तक योजना का लाभ पहुंचाया जाए. उन्होंने ग्राम पंचायतों, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, आशा वर्कर्स, अध्यापकों व प्रधानाचार्यों, बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय आदि से ‘मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना’ के सम्बन्ध में समन्वय व संवाद किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि मण्डल व जनपद स्तर पर योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के ठोस प्रयास किए जाएं. उन्होंने कहा कि मानक के अनुसार पात्र बालिकाओं तक योजना का लाभ पहुंचाने की दिशा में बेहतर रणनीति के साथ कार्य किए जाएं.

इस अवसर पर महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास श्रीमती वी0 हेकाली झिमोमी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

अनुपमा से लेकर पाखी तक, टीवी सेलेब्स पर चढ़ा इस बच्चे का बुखार

स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. वहीं सीरियल के सितारे भी सेट पर मस्ती करते नजर आ रहे हैं. हाल ही में वायरल हुआ गाना बसपन का प्यार इन दिनों अनुपमा के कलाकारों के बीच छाया हुआ है, जिसमें अलग-अलग वीडियो बनाते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं अनुपमा की वायरल वीडियो…

अनुपमा ने बा संग की मस्ती

हाल ही में सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा एक बच्चे का गाना बसपन का प्यार सेलेब्स के बीच छाया हुआ है. जहां बीते दिनों गुम है किसी के प्यार में की पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा इस Reel पर मस्ती करती नजर आईं थीं. तो वहीं अब अनुपमा एक्ट्रेस रुपाली गांगुली बा यानी अल्पना बुच संग मस्ती करती दिख रही हैं.

 

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बा संग वीडियो हुआ वायरल

 

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जिस तरह काव्या यानी मदालसा शर्मा इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. वहीं अनुपमा यानी रुपाली गांगुली भी इन दिनों मजेदार वीडियो बनाकर फैंस को एंटरटेन करती नजर आ रही हैं. कभी बा-बापूजी तो कभी वह अपने रियल लाइफ हस्बैंड संग मस्ती करते हुए नजर आई थीं, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था औऱ मजेदार रिएक्शन भी दिया था.

 

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सेलेब्स पर चढा खुमार

 

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#BaspanKaPyaar का रील्स इन दिनों सेलेब्स के बीच धमाल मचा रहा है. हर कोई इस गाने पर मजेदार रील्स बना रहे हैं. वहीं अपनी कौमेडी और गाने के लिए जानी जाने वाली एक्ट्रेस और कौमेडियन सुगंधा मिश्रा अपने पति के साथ इस वीडियो पर रील्स बनाती दिखीं. थीं वहीं फैंस को उनका ये रील्स काफी पसंद आया था.

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यूपी सरकार के पोर्टल से मिलेगी विकास को नई गति

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने up.mygov.in पोर्टल का शुभारम्भ किया. भारत सरकार के myGov पोर्टल के 07 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस पोर्टल की शुरुआत की गयी है. कार्यक्रम के दौरान  myGov  पोर्टल के 07 वर्ष पूर्ण होने पर केन्द्रित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी.

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से उत्तर प्रदेश हर क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है. myGov पोर्टल के 07 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आज भारत सरकार के सहयोग से up.mygov.in पोर्टल का शुभारम्भ किया गया. इससे प्रदेश भी केन्द्र सरकार के उलळवअ पोर्टल से जुड़ गया है. यह पोर्टल पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी की अंत्योदय की भावना के अनुसार अंतिम पायदान के व्यक्ति तक शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सहायक होगा. साथ ही, इससे राज्य सरकार को जनता के सुझावों को जानने, विभिन्न मामलांे में सहयोग प्राप्त करने तथा इनोवेशन को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 07 वर्ष पहले प्रधानमंत्री जी ने तकनीक के माध्यम से लोकतंत्र की भावनाओं को साकार करने के लिए जो कार्य प्रारम्भ किये थे, उसने न केवल अपनी पहचान बनायी, बल्कि सुशासन का लक्ष्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभायी. 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने शपथ ली थी. 26 जुलाई, 2014 को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर उन्होंने myGov पोर्टल का शुभारम्भ किया था.

यह पोर्टल लोकतंत्र की भावना के अनुरूप विभिन्न योजनाआंे में जनभागीदारी, जनता के सुझावों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. पोर्टल से 01 करोड़ 85 लाख से अधिक लोगों का जुड़ाव इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है. उन्हांेने शासन की योजनाओं से जनता को जोड़ने में पोर्टल का बेहतरीन उपयोग करने के लिए myGov पोर्टल की टीम को बधाई दी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तकनीक न केवल आमजन के जीवन में व्यापक सुधार का माध्यम बन सकती है, बल्कि लोकतंत्र की भावना को भी चरितार्थ कर सकती है. भ्रष्टाचार को समाप्त करने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उन्होंने कहा कि विगत डेढ़ वर्ष से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. कोरोना काल में तकनीक जनता को शासन की विभिन्न योजनाआंे का प्रभावी एवं पारदर्शी ढंग से लाभ पहुंचाने में सहायक सिद्ध हुई है.

राज्य सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न वितरण को ई-पॉस मशीनों से जोड़ा. इससे न केवल पहले से अधिक संख्या मंे जरुरतमन्द लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने में मदद मिली, बल्कि पारदर्शी ढंग से खाद्यान्न वितरण के कारण राज्य सरकार को 1200 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष बचत भी हो रही है. तकनीक के उपयोग से प्रदेश के राजस्व मंे भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है.

मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को up.mygov.in पोर्टल बनाने व लॉन्च करने के लिए धन्यवाद देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि यह पोर्टल निरन्तर भारत सरकार के मार्गदर्शन में आमजन की भावनाआंे के अनुरूप प्रधानमंत्री जी के मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का प्रतीक बनेगा. उन्होंने विश्वास जताया कि myGov का यू0पी0 चैप्टर भी myGov की तर्ज पर अपनी बेहतर सेवाओं के लिए जाना जाएगा.

कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि myGov देश के जनमानस के जीवन में बदलाव के लिए प्रधानमंत्री जी का एक सफल कार्यक्रम है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में myGov के उत्तर प्रदेश चैप्टर की शुरुआत के लिए शुभकामनाएं देते हुए उन्हांेने कहा कि इससे प्रदेश की जनता को विभिन्न सरकारी सेवाएं सरलता से उपलब्ध होंगी तथा समाज एवं सरकार के मध्य सामंजस्य बढ़ेगा तथा साधारण से साधारण व्यक्ति को सरकार से सीधा जुड़ने का अवसर मिलेगा.

श्री वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार समाज के गरीब, शोषित, वंचित वर्गाें के कल्याण के लिए प्रयासरत है. तकनीक के प्रयोग से अंत्योदय की सोच को साकार करने का कार्य किया जा रहा है. इस उद्देश्य से प्रधानमंत्री जी ने तकनीक के व्यापक प्रयोग को प्रोत्साहन दिया है. इसके लिए आधार, मोबाइल, मोबाइल निर्माण में तेजी, गरीब से गरीब व्यक्ति को इण्टरनेट सेवा, डिजीटल पेमेन्ट, डी0बी0टी0 आदि को बढ़ाने का प्रयास किया गया है. इन प्रयासों का उद्देश्य आम लोगों के जीवन में परिवर्तन लाना है.

वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना एवं प्रौद्योगिकी सचिव श्री अजय साहनी ने भी सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि myGov पोर्टल के माध्यम से सरकार की विभिन्न महत्वपूर्ण नीतियों पर नागरिकों की राय लेकर उनका प्रयोग किया जाता है. कोविड-19 के सम्बन्ध में जानकारी के लिए myGov पोर्टल का डैशबोर्ड सर्वाधिक फॉलो किया गया. उन्होंने कहा कि डिजीटल इण्डिया का ‘लोगो’ myGov पोर्टल द्वारा सुझाया गया था. आज यह एक जाना पहचाना ‘लोगो’ है.

कार्यक्रम का संचालन myGov के सीईओ श्री अभिषेक सिंह ने वर्चुअल माध्यम से किया.

कार्यक्रम के अन्त में अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव सूचना श्री नवनीत सहगल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में लोकतंत्र की भावना के अनुरूप शासन की योजनाओं में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए myGov पोर्टल तैयार कराया गया है. यह प्रयास किया जाएगा कि प्रदेश में भी इसी प्रकार up.mygov.in पोर्टल राज्य सरकार और नागरिकों के बीच सेतु के रूप में कार्य करे. उन्होंने भारत सरकार की myGov टीम को बहुत कम समय में पोर्टल तैयार कराने के लिए धन्यवाद देते हुए प्रदेश मंे पोर्टल के बेहतर ढंग से संचालन के लिए प्रदेश की टीम की सहायता का अनुरोध भी किया.

केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री राजीव चन्द्रशेखर भी वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में सम्मिलित हुए.

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश खन्ना, अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास श्री अरविन्द कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

Friendship Day Special: ईमानदारी की गहरी नींव पर ही टिकती है दोस्ती की बुलंद इमारत

संदीप जितने समय तक कालेज कम्पाउंड में रहता है, महेश उसके आगे-पीछे घूमता रहता है. लेकिन जैसे ही वह कालेज से बाहर जाता है महेश के मुंह से उसके लिए गालियां ही गालियां निकलती हैं. लगभग यही हाल ऐक्टिंग स्कूल की उन तीन लड़कियों की है. शीला, मीता और रोजी. तीनों की तीनों क्लास के एक लड़के राकेश ग्रोवर के इर्द गिर्द मंडराती रहती हैं. राकेश जिसको भी इशारा कर दे, वह उसकी मर्सिडीज की आगे वाली सीट में बैठने को तैयार रहती है. लेकिन इन तीनों से कोई ईमानदारी से पूछे तो इन तीनों में से राकेश को प्यार कोई नहीं करता. चाहे महेश हो या शीला, मीता और रोजी. ये सभी संदीप या राकेश के आगे-पीछे इसलिए घूमती हैं क्योंकि राकेश और संदीप बड़े घरों के बेटे हैं. इनके आगे-पीछे घूमने का मतलब खाना-पीना और मस्त रहना है. एक तरह से घूमने के ये संबंध इसी मस्ती के एवज के संबंध हैं.
लेकिन याद रखिए ये एवजी संबंध न तो लंबे समय तक चलते हैं और न ही इनमें कोई आत्मीयता होती है. दरअसल जीवन के तमाम रंग होते हैं. सुबह सोकर उठने से लेकर रात में बिस्तर पहुंचने तक न जाने कितने मोड़ आते हैं. न जाने कितने रंगों से गुजरना पड़ता है. कई बार जिंदगी चलाने के लिए कई किस्म के गणितीय संबंधों को भी निभाना पड़ता है जैसे स्वागत बाला की नौकरी के लिए होठों पर मुस्कुराहट को चिपकानी पड़ती है. ठीक उसी तरह घर और दफ्तर में कई औपचारिक रिश्तों की चादर ओढ़नी पड़ती है. ऐसा करने में कोई हर्ज नहीं है. समस्या तब आती है जब हम सब कुछ जानते-समझते हुए भी गणितीय संबंधों से संवेदनशीलता या स्थायित्व की उम्मीद करने लगते हैं.
याद रखें संबंध हमेशा आपके अपने स्वभाव के मुताबिक ही बनते हैं. इसलिए यदि आप इस मुगालते में हैं कि फलां से आपका स्वभाव मेल नहीं खाता इसके बावजूद भी वह आपका घनिष्ठ दोस्त हो सकता है या कि आपके मौके पर वह काम आ सकता है तो ऐसी अपेक्षा महज गलतफहमी भर ही होगी. आप किसी से महज फायदे के लिए कोई झूठी दोस्ती रचकर उसे संवेदनशील संबंधों का लबादा नहीं पहना सकते. दफ्तरों और कालेजों में इस तरह के गणितीय संबंध सबसे ज्यादा बनते हैं. दरअसल दफ्तरों में लोग झूठ की एक भरी-पूरी जिंदगी जिया करते हैं. आमतौर पर दफ्तरों में पुरूष कर्मचारी खासकर अपनी महिला सहकर्मियों के साथ जिस तरह से पेश आते हैं, वह उनका मूल स्वभाव नहीं होता. घरों में उनका असली रूप और स्वभाव कुछ अलग ही होता है. दफ्तरों में ज्यादा पुरूष अपनी महिला सहकर्मियों के साथ इस तरह से पेश आते हैं जैसे उनके जैसे संवेदनशील और स्त्रियों का सम्मान करने वाला आदमी दुनिया में कोई दूसरा है ही नहीं. वही पुरूष घरों में अपनी पत्नियों से इस तरह पेश आते हैं जैसे संवेदना से उनका दूर-दूर तक का कोई नाता ही न हो.
महिलाएं भी ठीक इसी तरह का व्यवहार करती हैं. दफ्तरों में वह जितनी मधुर मिश्री होती हैं, घरों में उतनी ही कर्कशा. दरअसल दफ्तरों में औरतें और पुरूष तथा कालेजों में लड़के-लड़कियां एक-दूसरे के सामने जो छवि प्रस्तुत किया करते हैं, वह नकली छवि होती है. वह तात्कालिक रिश्तों का महज गणितीय आयाम भर होता है. ऐसे रिश्ते थोड़ी ही देर या कि घरों से बाहर तक ही चल सकते हैं. क्योंकि ऐसे रिश्तों में असलियत कुछ नहीं होती. ऐसे रिश्ते महज अपने इंटरनेट के लिए होते हैं. इसलिए ऐसे रिश्तों के आधार पर कोई दीर्घकालिक फैसला नहीं लेना चाहिए.
कुछ साल पहले मुंबई की एक एजेंसी ने सर्वे कराया कि जो टाप एक्जीक्यूटिव हैं, वे अपनी महिला पर्सनल सेक्रेटरी को अपनी पत्नी के बारे में क्या बताते हैं और किस तरह बताते हैं. सर्वेक्षण में पाया गया कि 70 प्रतिशत से ज्यादा एक्जीक्यूटिव अपनी सेक्रेटरी से यही प्रदर्शित करते हैं कि उनके अपनी पत्नियों से बहुत खराब रिश्ते हैं. वे उनसे असंतुष्ट हैं. कई तो अपनी सेक्रेटरी की नजर में बेचारे बनने के लिए यह पुराना हथकंडा अपनाने से भी बाज नहीं आते कि उनकी पत्नी अक्सर बीमार रहती है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता. जो लोग अपने दफ्तरों में यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि वे अपनी पत्नी से असंतुष्ट हैं, अकसर होता उल्टा है. ऐसे लोग अपनी पत्नियों से संतुष्ट होते हैं. इनकी पत्नियां दबंग नहीं होतीं और न ही बेचारी वह अक्सर बीमार रहती हैं. दरअसल उनको इस तरह पेश करने के पीछे अपने निजी स्वार्थ होते हैं. स्वार्थ भी कोई बहुत स्थायी और व्यापक नहीं होते. कई लोग तो महज इसलिए ये सब बातें करते हैं कि उन्हें औरतों की हमदर्दी मिल जाए.
मगर सिर्फ पुरूष ही ऐसा नहीं करते औरतें भी ऐसा करती हैं. तमाम औरतें अपने दफ्तरों में कुछ खास पुरूषों की सहानुभूति हासिल करने के लिए अपने आपको यूं प्रदर्शित करती हैं जैसे उन्हें किसी जाहिल, अत्याचारी के साथ बांध दिया गया है जिसमें न तो कोई संवेदना है और न ही सुरूर या सलीका. ये सब झूठी और बनावटी बातें होती हैं. इनके जरिए महज कुछ व्यक्तिगत किस्म के फायदे लिए जा सकते हैं. बस इसके अलावा इनकी कुछ और उपयोगिता नहीं होती. इसलिए ऐसे गणितीय संबंधों से बचें.

Friendship Day Special: दोस्ती के इस ग्लोबल युग में भी खरी है बचपन की दोस्ती

आज जब कोरोना संक्रमण ने दुनियाभर को वनवास में भेज दिया है और इंट्रैक्शन के लिए सोशल मीडिया, मोबाइल, ई-मेल, स्काईप, काॅन्फ्रेंस चैटिंग जैसे अनेक साधनों के चलते एक किस्म से पूरी दुनिया से हम जुड़ गये हैं, तब भी अगर हम अपने बचपन के दोस्तों से वंचित हैं तो यह सब खाली खाली लगता है. कानपुर के अंकित भारद्वाज का जब मुंबई आईआईटी में एडमिशन हुआ तो जहां पूरा घर खुश था, रिश्तेदारों के फोन पर फोन आ रहे थे. हर तरफ से बधाइयों की बौछार हो रही थी, वहीं खुद अंकित एक अजीब सी असहजता से घिरा हुआ था. हालांकि ऊपरी तौरपर वह भी हंस-मुस्कुरा रहा था. बधाई देने वालों को थैंक यू कह रहा था. लेकिन अंदर ही अंदर वह कुछ उदास था. इस उदासी का कारण थे राजीव और लता. दरअसल वे तीनो बचपन से बारहवीं तक एक साथ पढ़े थे. एक ही मोहल्ले में एक दूसरे के इर्द-गिर्द रहने वाले तीनों हमेशा मिलकर होम वर्क करते थे. मिलकर परीक्षाओं में पढ़ाई करते थे. तीनों साथ ही खेलते भी थे. लेकिन अब पहली बार तीनों बचपन के दोस्त एक दूसरे से बिछुड़ रहे थे. राजीव का होटल मैनेजमेंट में एडमिशन हो गया था, वह बंग्लुरू की तैयारी कर रहा था, जबकि लता दिल्ली में साइकोलोजी आनर्स में एडमिशन लेने जा रही थी.

तीनों इस बिछुड़न से परेशान थे. यह बात उनके घर वाले भी जानते थे. इसलिए वे समझा भी रहे थे कि परेशान होने का कोई मतलब नहीं है, तुम सबके जल्द ही नए दोस्त बन जायेंगे. हुआ भी कुछ ऐसा ही. कम से कम अंकित के मामले में तो सौ फीसदी ऐसा ही हुआ. उसकी सॉफ्ट नेचर और पढ़ाई में होनहार होने का नतीजा यह था कि दो महीने के भीतर ही करीब-करीब क्लास का हर लड़का और लड़की उसे अपनी तरफ से बुलाने लगा था. लेकिन अंकित मुंबई से, राजीव बंग्लुरू से और लता दिल्ली से हर समय आपस में कुछ यूं जुड़े रहते, जैसे किसी डिपार्टमेंट के तीन अधिकारी अलग-अलग जगह तैनात रहकर किसी साझे मिशन में जुटे हों. तीनों को हर पल एक दूसरे की खबर रहती है. लता का सेमेस्टर कब पूरा हो रहा है, यह जितना लता को पता होता उतना ही राजीव को और अंकित आजकल क्या पढ़ रहा है, किसके साथ उसने इस हफ्ते मूवी देखी. यह सब लता और राजीव को मिनट दर मिनट के हिसाब से पता होता है. तीनों के घर वालों में से किसी को किसी के बारे में जानना होता है तो वे किसी को भी फोन कर लेते हैं. राजीव की छुट्टियां कब पड़ रही हैं, अंकित होली में कानपुर आयेगा या नहीं, यह जितना अंकित को पता होता है उतना ही राजीव और लता को भी.

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सवाल है बचपन के दोस्त इतने खास क्यों होते हैं कि हम जिंदगी में बहुत आगे निकल जाने के बाद भी उन्हें कभी नहीं भूल पाते ? इस इंटरनेट और मोबाइल के युग में जब हमारे कोई एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों और हजारों की संख्या में वर्चुअल दोस्त होते हैं, यह एक अजूबा ही है. जब इंटरनेट शुरू-शुरू में दोस्ती के एक नए युग का सूत्रपात सोशल मीडिया के जरिये कर रहा था तो तमाम समाज वैज्ञानिकों को आशंका हो रही थी कि शायद अब दोस्तियां स्थाई न रहें. क्योंकि यह पहला ऐसा युग है जब तकनीक ने हमें इंटरैक्शन की अपार सुविधा दी है. आज हम घर बैठे दुनिया के किसी भी कोने में किसी से भी दोस्ती बना सकते हैं. पहले एक शहर के दूसरे मुहल्ले के लोग भी आपस में अपरिचित होते थे और शायद सदेह आज भी हों. लेकिन इंटरनेट ने हमें आज ग्लोबल कनेक्टीविटी और वर्चुअल फ्रेंडशिप के जरिये दुनिया के चप्पे-चप्पे तक पंहुचा दिया है.

आज जब कोरोना संक्रमण ने दुनियाभर को वनवास में भेज दिया है और इंट्रैक्शन के लिए सोशल मीडिया, मोबाइल, ई-मेल, स्काईप, काॅन्फ्रेंस चैटिंग जैसे अनेक साधनों के चलते एक किस्म से पूरी दुनिया से हम जुड़ गये हैं, तब भी अगर हम अपने बचपन के दोस्तों से वंचित हैं तो यह सब खाली खाली लगता है. भले दोस्ती के लिए सारा विश्व एक गांव में तब्दील हो चुका है, तब भी बचपन की दोस्तियां न केवल जिंदा हैं बल्कि पहले से ज्यादा मजबूत और घनिष्ठ हो रही हैं. न्यूजीलैंड में काम कर रहे मथुरा के तमाम इंजीनियरों ने अपने बचपन के तमाम दोस्तों का ग्रुप बनाया हुआ है और उसी के जरिये वे आपस में आज इस तरह से जुड़े हैं, जितनी मजबूती से तो शायद बचपन में भी न जुड़े रहे हों. इंटरनेट ने बचपन की दोस्ती को उम्र भर का अभयदान दे दिया है. वास्तव में दोस्ती संबंधों की भव्य इमारत की बुनियाद है. यह इंसान के एक दूसरे के नजदीक आने की पहली मुकम्मिल भावना है. इसलिए दोस्ती किसी भी रिश्ते से ज्यादा अहम होती है. जिस भी रिश्ते में दोस्ती की बुनियाद होती है, वह हमेशा सबसे मजबूत रिश्ता होता है. दोस्ती सभी रिश्तों का मूल है. यह रिश्तों की बुनियाद ही नहीं इंसान की सकारात्मकता, उसके अंदर मौजूद मानवीयता की भी पहली शर्त है. इंसान की यह पहली भावना है जिसने बाद में रिश्ते गढ़े, परिवार रचा और फिर समाज भी. इसलिए दोस्ती इंसान होने का पहला जरूरी फर्ज है.

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बचपन की दोस्ती आज भी इतनी खरी इसलिए है क्योंकि बचपन की दोस्ती बहुत ही मासूम और ईमानदार होती है न हमें कुछ छिपाने की जरुरत पड़ती है और न ही कुछ बनाने की. बाद की तमाम दोस्तियों में एक किस्म की औपचारिकता होती है लेकिन बचपन की दोस्ती औपचारिकताओं से मुक्त होती है. बचपन की दोस्ती में इतना कुछ साझा होता है कि बाद में हम चाहे जितनी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर लें सब बौनी लगती हैं. बचपन के दोस्तों को हम मनचाहे शब्दों में संबोधित कर लेते हैं. इसीलिए दोस्ती के इस ग्लोबल युग में भी बचपन की दोस्ती सबसे खरी है.

जब माता या पिता का हो एक्सट्रा मैरिटल अफेयर

दिल्ली के एक कौलेज में छात्रों को साइकोलौजिकल सपोर्ट देने के उद्देश्य से बनाये गए क्लिनिक में काउंसलरका एक दिन किसी छात्रा द्वारा बताई गयी ऐसी समस्या से सामना हुआ जो पहले कोई और लेकर नहीं आया था. प्रौब्लम लड़की के पिता से जुड़ी थी, लेकिन वह छात्रा अपने अन्य मित्रों के समान पिता के अनुशासनपूर्ण रवैये से परेशान नहीं थी. उसकी समस्या तो यह थी कि उसके पिता अनुशासन में नहीं हैं. लड़की के अनुसार उसके पिता समाज व परिवार के क़ायदे भूलकर अपने औफ़िस की एक महिला मित्र संग अवैध सम्बन्ध बनाये हुए हैं. एक दिन जब वहछात्रा अपनी कुछ सहेलियों के साथ एक कौफ़ी शौप में पहुंची तो पिता उस युवती के साथ सटकर बैठे थे. ग़नीमत यह रही कि सखियों में से कोई भी उसके पिता को नहीं पहचानती थी, वरना छात्रा के अनुसार वह आत्महत्या ही कर लेती.

एक अन्य घटना मध्य प्रदेश की है, जहां अपने पति के मित्र से सम्बन्ध रखने पर एक मां को जान से हाथ धोना पड़ा. 15 वर्षीय बेटे को मां के विवाहेतर सम्बन्ध का पता लगा तो वह आग-बबूला हो उठा और उसने अपनी मां की हत्या कर दी.

विवाहेतर सम्बन्ध या एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर से जुड़े समाचार प्राय सुनने में आ ही जाते हैं. आज जब समाज में ‘मेरा जीवन मेरे नियम’ का चलन ज़ोर पकड़ने लगा है तो इस प्रकार की समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं. युवा हो रहे बच्चों को जब अपने माता या पिता के विवाहेतर सम्बन्ध की जानकारी होती है तो उनके दिल पर क्या गुज़रती होगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है. ऐसी परिस्थिति का सामना वे किस प्रकार करें इस पर विचार तभी हो सकता है जब उन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझ लिया जाए.

माता-पिता के एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर का बच्चों पर प्रभाव

– अभिभावक की रुचि कहीं और देखकर वे स्वयं को उपेक्षित समझने लगते हैं और हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं.

– इस प्रकार के सम्बन्धों और उसके कारण माता-पिता के बीच होने वाले विवाद से वे तनाव में आ जाते हैं औरस्वयं कोअकेलामहसूस करने लगते हैं.

– माता-पिता तो एक-दूसरे से लड़ झगड़कर अपनी बात कह सकते हैं लेकिन बच्चे की यह समस्या हो जाती है कि वह क्या करे? न तो पीड़ित अभिभावक का पक्ष ले सकता है और न ही अफ़ेयर में फंसे अभिभावक को खरी-खोटी सुना सकता है.

– माता-पिता के बीच सम्बन्ध टूट जाने का भय उसमें असुरक्षा की भावना को जन्म देता है.

– विवाहेतर सम्बन्ध बनाने वाले अभिभावकों की गतिविधियों पर प्रभावित बच्चे आते-जाते नज़र रखने लगते हैं, जिससे उनके भीतर संदेह की प्रवृत्ति घर करने लगती है.

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– मित्रों को इस बात का पता लग जाएगा तो उनकी प्रतिक्रिया न जाने क्या होगी, इस बात का भय उनको दोस्तों से दूर कर देता है और वे समाज से कटना शुरू कर देते है.

– युवा बच्चों का ध्यान अपना करियर बनाने में रहता है. इस प्रकार के सम्बन्धों के विषय में जानकर उनका मन पढ़ाई या किसी परीक्षा की तैयारी आदि में नहीं लग पाता. इसका प्रभाव उनके सम्पूर्ण जीवन पर पड़ सकता है.

– बच्चे माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं. जब उनके रिश्ते में वे किसी तीसरे का प्रवेश देखते हैं तो उनका अभिभावकों से विश्वास उठने लगता है.

– युवा हो रहे बच्चे पर कभी-कभी इस बात का प्रभाव इतना गहरा पड़ जाता है कि क्रोध के कारण उसकी प्रवृति हिंसात्मक होने लगती है.

क्या करें जब माता या पिता के हों विवाहेतर सम्बन्ध

• यह सच है कि बच्चों को इस प्रकार का आघात सहन करना भारी पड़ता है, लेकिन इसका परिणाम घर से चले जाना या पढ़ाई से दूर हो जानानहीं होना चाहिए. एक ग़लत कदम के लिए कोई दूसरा ग़लत कदम उठा लेना समझदारी नहीं.

• माता या पिता द्वारा यदि एक भूल हो गयी तो इसका यह अर्थ नहीं कि उनका अपनी संतान के प्रति स्नेह भी समाप्त हो गया. इसलिए अपने को उपेक्षित मानकर आत्महत्या करने की बात सोचना बिल्कुल ग़लत होगा.

• इस बात की चिंता कि समाज इस बारे में क्या सोचेगा, माता या पिता को भी होगी. इसलिए अभिभावकों के अवैध सम्बन्धों को लेकर बच्चों को दिन-रात इस चिंता में घुलना कम करना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे? अपने मित्रों से मिलना-जुलना उन्हें पूर्ववत जारी रखना चाहिए.

• संयम से काम लेना होगा. आवश्यकता पड़ने पर अभिभावकों को अपनी मनोदशा बताई जा सकती है. यदि साफ़-साफ़ कहने में संकोच हो तो लिखकर विनम्रतापूर्वक अपने दिल की बात बताना सही होगा.

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• मां या पिता के विषय में कुछ भी अप्रिय देखा अथवा सुना गया हो तोअपनी बातजल्दी ही पेरेंट्स तक पहुंचा देनी चाहिए. शुरू-शुरू में बच्चे द्वारा अपनी बात कह देने से एक लाभ तो यह होगा कि उस पीड़ित बच्चे के मन-मस्तिष्क में पनप रहा तनावहिंसात्मक रूप नहीं लेगा और दूसरा सम्बन्ध में लिप्त अभिभावक को संभलने में अधिक समय नहीं लगेगा.

• अपने मन की बात कह देने के बाद बच्चों को चाहिए कि इस विषय में अधिक न सोचें और चिंताग्रस्त होने के स्थान पर पढ़ाई में मन लगाकर अपने सपनों को पूरा करने में जुटे रहें. कोई भी समस्या दूर होने में कुछ समय तो लगता ही है.

यह सच है कि युवा बच्चे अपनी समझदारी दिखाते हुए विवाहेतर सम्बन्धों में रुचि ले रहे अभिभावकों को अपनी दुर्गति से परिचित करवा सकते हैं, लेकिन एक अहम् बात जो समझना आवश्यक है कि माता-पिता पेरेंट्स होने के साथ-साथ एक इंसान भी हैं और भूल तो किसी भी व्यक्ति से हो सकती है.समस्या कोई भी हो उसका समाधान ढूंढा जा सकता है. इसलिए यह याद रखना होगा कि माता या पिता को कहीं सम्बन्ध बढ़ाते देख अपना आपा खोकर कुछ भी अनुचित करने से बचना होगा.

Travel Special: धर्मशाला की ये हसीन वादियां

घूमने या सैरसपाटे की जब भी बात आती है तो शहरी आपाधापी से दूर पहाड़ों की नैसर्गिक सुंदरता सब को अपनी ओर आकर्षित करती है. इन छुट्टियों को अगर आप भी हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियों, चारों ओर हरेभरे खेत, हरियाली और कुदरती सुंदरता के बीच गुजारना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के उत्तरपूर्व में 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मशाला पर्यटन की दृष्टि से परफैक्ट डैस्टिनेशन हो सकता है. धर्मशाला की पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी छोलाधार पर्वतशृंखला इस स्थान के नैसर्गिक सौंदर्य को बढ़ाने का काम करती है. हाल के दिनों में धर्मशाला अपने सब से ऊंचे और खूबसूरत क्रिकेट मैदान के लिए भी सुर्खियों में बना हुआ है. हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों से अधिक ऊंचाई पर बसा धर्मशाला प्रकृति की गोद में शांति और सुकून से कुछ दिन बिताने के लिए बेहतरीन जगह है.

धर्मशाला शहर बहुत छोटा है और आप टहलतेघूमते इस की सैर दिन में कई बार करना चाहेंगे. इस के लिए आप धर्मशाला के ब्लोसम्स विलेज रिजौर्ट को अपने ठहरने का ठिकाना बना सकते हैं. पर्यटकों की पसंद में ऊपरी स्थान रखने वाला यह रिजौर्ट आधुनिक सुविधाओं से लैस है जहां सुसज्जित कमरे हैं जो पर्यटकों की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. बजट के अनुसार सुपीरियर, प्रीमियम और कोटेजेस के औप्शन मौजूद हैं. यहां के सुविधाजनक कमरों की खिड़की से आप धौलाधार की पहाडि़यों के नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां की साजसजावट व सुविधाएं न केवल पर्यटकों को रिलैक्स करती हैं बल्कि आसपास के स्थानों को देखने का अवसर भी प्रदान करती हैं. इस रिजौर्ट से आप आसपास के म्यूजियम, फोर्ट्स, नदियों, झरनों, वाइल्ड लाइफ पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं.

धर्मशाला चंडीगढ़ से 239 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, शिमला से 322 किलोमीटर और नई दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्थान को कांगड़ा घाटी का प्रवेशद्वार माना जाता है. ओक और शंकुधारी वृक्षों से भरे जंगलों के बीच बसा यह शहर कांगड़ा घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त धर्मशाला को ‘भारत का छोटा ल्हासा’ उपनाम से भी जाना जाता है. हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियां, देवदार के घने जंगल, सेब के बाग, झीलों व नदियों का यह शहर पर्यटकों को प्रकृति की गोद में होने का एहसास देता है.

कांगड़ा कला संग्रहालय: कला और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए यह संग्रहालय एक बेहतरीन स्थल हो सकता है. धर्मशाला के इस कला संग्रहालय में यहां के कलात्मक और सांस्कृतिक चिह्न मिलते हैं. 5वीं शताब्दी की बहुमूल्य कलाकृतियां और मूर्तियां, पेंटिंग, सिक्के, बरतन, आभूषण, मूर्तियां और शाही वस्त्रों को यहां देखा जा सकता है.

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मैकलौडगंज : अगर आप तिब्बती कला व संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो मैकलौडगंज एक बेहतरीन जगह हो सकती है. अगर आप शौपिंग का शौक रखते हैं तो यहां से सुंदर तिब्बती हस्तशिल्प, कपड़े, थांगका (एक प्रकार की सिल्क पेंटिंग) और हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं. यहां से आप हिमाचली पशमीना शाल व कारपेट, जो अपनी विशिष्टता के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित हैं, की खरीदारी कर सकते हैं. समुद्रतल से 1,030 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मैकलौडगंज एक छोटा सा कसबा है. यहां दुकानें, रेस्तरां, होटल और सड़क किनारे लगने वाले बाजार सबकुछ हैं. गरमी के मौसम में भी यहां आप ठंडक का एहसास कर सकते हैं. यहां पर्यटकों की पसंद के ठंडे पानी के झरने व झील आदि सबकुछ हैं. दूरदूर तक फैली हरियाली और पहाडि़यों के बीच बने ऊंचेनीचे घुमावदार रास्ते पर्यटकों को ट्रैकिंग के लिए प्रेरित करते हैं.

कररी : यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल व रैस्टहाउस है. यह झील अल्पाइन घास के मैदानों और पाइन के जंगलों से घिरी हुई है. कररी 1983 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हनीमून कपल्स के लिए यह बेहतरीन सैरगाह है.

मछरियल और ततवानी : मछरियल में एक खूबसूरत जलप्रपात है जबकि ततवानी गरम पानी का प्राकृतिक सोता है. ये दोनों स्थान पर्यटकों को पिकनिक मनाने का अवसर देते हैं.

कैसे जाएं

धर्मशाला जाने के लिए सड़क मार्ग सब से बेहतर रहता है लेकिन अगर आप चाहें तो वायु या रेलमार्ग से भी जा सकते हैं.

वायुमार्ग : कांगड़ा का गगल हवाई अड्डा धर्मशाला का नजदीकी एअरपोर्ट है. यह धर्मशाला से 15 किलोमीटर दूर है. यहां पहुंच कर बस या टैक्सी से धर्मशाला पहुंचा जा सकता है.

रेलमार्ग : नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट यहां से 95 किलोमीटर दूर है. पठानकोट और जोगिंदर नगर के बीच गुजरने वाली नैरोगेज रेल लाइन पर स्थित कांगड़ा स्टेशन से धर्मशाला 17 किलोमीटर दूर है.

सड़क मार्ग : चंडीगढ़, दिल्ली, होशियारपुर, मंडी आदि से हिमाचल रोड परिवहन निगम की बसें धर्मशाला के लिए नियमित रूप से चलती हैं. उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से यहां के लिए सीधी बससेवा है. दिल्ली के कश्मीरी गेट और कनाट प्लेस से आप धर्मशाला के लिए बस ले सकते हैं.

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कब जाएं

धर्मशाला में गरमी का मौसम मार्च से जून के बीच रहता है. इस दौरान यहां का तापमान 22 डिगरी सैल्सियस से 38 डिगरी सैल्सियस के बीच रहता है. इस खुशनुमा मौसम में पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद भी ले सकते हैं. मानसून के दौरान यहां भारी वर्षा होती है. सर्दी के मौसम में यहां अत्यधिक ठंड होती है और तापमान -4 डिगरी सैल्सियस के भी नीचे चला जाता है जिस के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं और विजिबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए धर्मशाला में घूमने के लिए जून से सितंबर के महीने उपयुक्त हैं.

गांव की गोरी ‘इमली’ बनी शहर की स्टाइलिश छोरी, फोटोशूट देख हैरान हुए फैंस

स्टार प्लस का सीरियल इमली इन दिनों काफी पौपुलर हो रहा है. वहीं उसकी कास्ट भी फैंस का दिल जीतने में कामयाब हो रही है, जिसके चलते सितारों की फैन फौलोइंग बढ़ती जा रही है. इसी बीच इमली की लीड एक्ट्रेस सुंबुल तौकीर खान की हाल ही में कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जिसमें उनका लुक सीरियल से हटके नजर आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं इमली के हौट अंदाज की वायरल फोटोज…

फोटोशूट में छाया जादू

 

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इन दिनों सीरियल इमली में लीड रोल अदा कर रहीं सुंबुल तौकीर खान (Sumbul Touqeer Khan) हैं, जिन्होंने हाल ही में एक फोटोशूट करवाया है. वहीं इस फोटोशूट में एक्ट्रेस सुंबुल के लुक ने फैंस को चौंका दिया था.

स्टाइलिश अंदाज में दिखीं इमली

 

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आयुष्मान खुराना की सुपर-डुपर हिट फिल्म आर्टिकल 15 में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस सुंबुल तौकीर खान के हाल ही में किए गए फोटोशूट में शौर्ट फ्लावर प्रिंट ड्रैस में नजर आ रही हैं. इसके साथ ब्लेजर में सुंबुल का लुक बेहद स्टाइलिश लग रहा है.

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18 साल की होने वाली हैं सुंबुल

 

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17 साल की सुंबुल तौकीर खान (Sumbul Touqeer Khan) जल्द ही 18वां बर्थडे मनाने वाली हैं, जिसके चलते उनके लुक के नए अंदाज नजर आ रहे हैं. वेस्टर्न लुक में सुंबुल बेहद खूबसूरत लग रही थीं. सुंबुल का हर लुक बेहद खूबसूरत लगता है, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

इमली का लुक है अलग

 

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सीरियल इमली में सुंबुल तौकीर खान के लुक की बात करें तो वह सिंपल अंदाज में नजर आती हैं. गांव की लड़की इमली का लुक ही उसे खूबसूरत बना देता है, जिसे आदित्या काफी पसंद करता है.

 

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सीरियल के अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो जल्द ही आदित्य को मालिनी की मां किडनैप करने वाली है, जिसके कारण इमली हैरान परेशान नजर आएगी.

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फैमिली को खिलाएं टेस्टी और क्रिस्पी साबूदाना वड़ा

बाहर से कुरकुरी परत वाले साबूदाना के साथ उबले आलू और दरदरी कुटी मूंगफली को मिला कर बने साबूदाना वड़ा गर्मागर्म चटनी के साथ परोसिये. सभी को ये बेहद पसंद आएगा.

हमें चाहिए

मीडियम साइज साबूदाना- 1 कप (150 ग्राम) भीगे हुए

आलू- 5 (300 ग्राम) उबले हुए

मूंगफली के दाने- ½ कप (100 ग्राम) भूने और दरदरी कुटे

हरा धनिया- 2-3 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)

नमक स्वादानुसार

हरी मिर्च- 2 (बारीक कटी हुई)

अदरक पेस्ट- 1 छोटी चम्मच

काली मिर्च- 8-10 (दरदरी कुटी हुई)

तेल- तलने के लिए

विधि

1 कप साबुदाना को धो कर 2 घंटे के लिये 1 कप पानी में भिगो दीजिए. साबूदाने को भीगोने के बाद अगर अतिरिक्त पानी दिखाई दे तो उसे हटा दीजिए. आलू को छील लीजिए और अच्छी तरह मैश कर लीजिए.

अब मैश किए हुए आलू को साबुदाना में डाल दीजिए साथ ही इसमें नमक, बारीक कटी हुई हरी मिर्च, अदरक का पेस्ट, दरदरी कुटी काली मिर्च, बारीक कटा हरा धनिया और दरदरी कुटी हुई मूंगफली डाल कर अच्छी तरह मिलने तक मिला लीजिए. वड़े बनाने के लिए मिश्रण तैयार है.

कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिए. मिश्रण से थोड़ा सा मिश्रण निकाल कर गोल कीजिये और हथेली से दबाकर चपटा करें, तैयार वड़े को प्लेट में रख दीजिए, इसी तरह से सारे मिश्रण से वड़े बना कर तैयार कर लीजिए. वड़े को गरम तेल में डालिये और साबूदाना वड़ों को पलट पलट कर सुनहरा होने तक तल लीजिये.

तले साबूदाना वड़ा किसी प्लेट में बिछे नैपकिन पेपर पर रख लीजिये. इसी तरह सारे वड़े तलकर तैयार कर लीजिए. साबूदाना वड़े तैयार हैं. गरमा गरम साबूदाना वड़े को हरे धनिये की चटनी, मीठी चटनी या टमैटो सॉसे के साथ परोसिये, और खाइये.

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