Anupamaa: काव्या संग समर ने किया रोमांस तो वनराज ने ऐसे लिया बदला

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां वनराज और अनुपमा का तलाक हो गया है तो वहीं काव्या ने अपनी शादी की तैयारियां भी शुरु कर दिया है. इसी बीच औफस्क्रीन अनुपमा के सेट पर सेलेब्स की जमकर मस्ती देखने को मिल रही है. दरअसल, हाल ही में काव्या और समर की एक डांस वीडियो वायरल हो रही है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं सीरियल अनुपमा की कास्ट के मजेदार वायरल वीडियो…

समर संग दिखीं काव्या

इन दिनों रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) स्टारर अनुपमा की शूटिंग गुजरात में हो रही है, जिसके चलते सेट पर कलाकार अपने फैंस के लिए फोटोज और वीडियो पोस्ट करते रहते हैं. इसी बीच अनुपमा के छोटे बेटे का किरदार निभाने वाले एक्टर पारस कलनावत (Paras Kalnawat) का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह अनुपमा की सौतन काव्या यानी मदालसा शर्मा (Madalsha Sharma) के साथ मस्ती करते नजर आ रहे हैं.  दरअसल, दोनों एक्टर्स ने सोशलमीडिया पर एक वीडियो पोस्ट की है, जिसमें दोनों शाहरूख खान की फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के रोमांटिक गाने ‘मनवा लागे’ पर डांस करते हुए नजर आ रहे हैं.

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वनराज और नंदिनी भी नही हैं पीछे

 

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जहां काव्या और समर ने वीडियो बनाया है तो भला वनराज कैसे पीछ रह जाते. वनराज यानी सुधांशु पांडे ने भी अपनी होने वाली छोटी बहू नंदिनी यानी अनघा भोसले संग एक वीडियो बनाया, जिसमें दोनों कौमेडी करते नजर आ रहे हैं. वहीं फैंस भी दोनों की इस वीडियो पर जमकर कमेंट कर रहे हैं.

बता दें, शो की कहानी में नया मोड़ आने वाला है. जहां अनुपमा अपनी जिंदगी में आगे बढ़कर बीमारी का सामना करती नजर आएगी तो वहीं काव्या अपनी शादी की तैयारियां करती दिखेगी, जिसके  चलते वह अनिरुद्ध से तलाक लेने के लिए भी तैयार हो गई है.

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Bodycon ड्रेस में Shehnaaz Gill ने दिखाई फिगर, फैंस ने की जमकर तारीफ

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 13 (Bigg Boss 13) में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस और सिंगर शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) इन दिनों अपने वेट ट्रांसफौर्मेशन के बाद बदले फैशन को लेकर सुर्खियों में हैं. शहनाज आए दिन अपना लेटेस्ट फैशन फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं वहीं हाल ही में Bodycon ड्रेस में शहनाज गिल जलवे बिखेरते नजर आईं थीं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं शहनाज गिल के लेटेस्ट फैशन की झलक…

ड्रैस में छाया जलवा

शहनाज गिल की लेटेस्ट फोटो में वह बौडीकौन ड्रैस में नजर आ रही हैं, जिसमें वह काफी खूबसूरत लग रही हैं. वहीं फैंस उनके इस लुक की तारीफें सोशलमीडिया पर लगातार कमेंट करते हुए कर रहे हैं. वहीं एक फैन ने अदाकारा की इस पोस्ट पर कमेंट कर ‘क्वीन ऑफ हार्ट्स’ लिखा है. जबकि फैंस उनके वेट ट्रांसफौर्मेशन की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

 

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ब्राउन ड्रैस में दिखीं शहनाज

 

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बौडीकौन ड्रैस के अलावा हाल ही में शहनाज गिल औफशोल्डर ब्राउन ड्रैस में नजर आई थीं, जिसमें उनका लुक काफी ग्लैमरस लग रहा था. फैंस को उनका ये अंदाज काफी पसंद आया था.

स्लिम फिट ड्रैसेस में आती हैं नजर

 

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वेट ट्रांसफौर्मेशन के बाद से शहनाज गिल स्लिम फिट कपड़ों में नजर आती हैं. वहीं ड्रैसेस से उनका प्यार उनकी फोटोज को देखकर लगाया जा सकता है. एक से बढ़कर एक ड्रैस में शहनाज गिल जलवे बिखेरती नजर आती हैं.

बार्बी डौल लुक की फैंस करते हैं तारीफें

 

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ड्रैसेस के अलावा हाल ही में शहनाज गिल बार्बी गर्ल जैसे लुक में नजर आई थीं. दरअसल, ब्लैक फ्रिल ड्रैस के साथ औफ शोल्डर टौप में शहनाज बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

 

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कोरोना में पत्नियों को अधिकार

एक समाजसेवी संस्था के दिल्ली के संभ्रात इलाके में सर्वे में पता चला है कि 93′ घरेलू कामगारों की नौकरी चली गई है क्योंकि अब मालकिनें कोविड के घर में घुसने के भय से किसी को नहीं आने दे नहीं रही. कई जगह तो पूरी सोसायटियों ने बाहर वालियों पर ब्रैक लगा दिया है. सिर्फ बिजली बाले और पलंबर ही बाहर से एमरजैंसी में बुलाए जा रहे हैं.

इन कामवालियों के लिए ये आफत के दिन हैं क्योंकि उन का वेतन चाहे जितना कम क्यों न हो परिवार के पेट भरने के लिए जरूरी था. इसी वेतन के सहारे लोगों ने बचत कर के छोटा टीवी खरीद लिया, मोबाइला ले लिया, 3 अच्छे कपड़े सिला लिए और बच्चे हैं तो उन्हें साफ सुधरे कपड़े पहना कर स्कूल भेज दिया. अब यह सब आय गायब हो गई हैं.

मालकिनें बहुत लालची हैं, ऐसा नहीं है, अधिकांश मालकिनों की खुद की इंकम कम हो गई है और उन्हें बचत से काम करना पड़ रहा है. काफी लोगों के व्यापार ठप्प हो गए. नौकरियों की बाढ़ खत्म हो गई और वर्क फ्रौम होम के बावजूद कटौतियां हो गईं क्योंकि व्यवसायों को भारी नुकसान हो रहे हैं. मालकिनों को खुद घर का काम करना पड़ रहा है और उन्हें कामवालियों का अभाव खल रहा है.

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एक तरह से घरेलू कामवालियों ने घरों की औरतों को निकम्मा बनाया है. 1970 के बाद जब से एकल परिवार ज्यादा बढऩे लगे घरेलू कामवालियों की जरूरत बेहताशा बढ़ गई क्योंकि एकल परिवार में आय का स्तर कुछ ज्यादा होने लगा. निठल्लों को एकल परिवारों में पनाह नहीं मिलती. औरतें खुद भी कमाने लगीं और रसोई, झाड़ूपोंछा कम योग्य कामवालियों पर आ गया पर इस से औरतों की अपनी मांसपेशियां ढुलमुल होने लगीं.

जो औरतें कमाऊ नहीं थीं वे कामवालियों के वेतन के लिए पतियों पर और ज्यादा निर्भर हो गईं. जिस मौजमस्ती के समय के वे आजादी मानती हैं असल में वह उन की सोने की जंजीर है क्योंकि जो भी पैसा कमाऊ पति हाथ पर रखता है, बदले में पूरी आजादी ले लेता है. अगर औरतें ज्यादा धाॢमक बनीं तो इसलिए कि वे मानसिक गुलामी छटपटाने लगीं और उन्हें लगा कि धर्म प्रवचन उन्हें रास्ता दिखाएंगे.

धर्म के ठेकेदारों ने इस आपदा का लाभ उठाया और औरतों को पतियों के प्रति और ज्यादा समॢपत होने का निर्देश दिया. पारिवारिक राजनीति में औरत की जगह उस सुषमा स्वराज की तरह हो गई जिस ने मोदी के रहम पर अंतिम साल गुजारे थे. विदेश मंत्री की जगह वह सिर्फ वीसा मंत्री बन कर रह गईं. घरों में पत्नियां बराबरी का स्तर खोकर केवल स्लिव की साड़ी पहने ड्राइंगरूम की सजावटी गुडिय़ा बन कर रह गईं जो न हाथपैर चलातीं न मुंह खोलतीं.

घरेलू कामवालियों ने चूंकि रसोई मुस्तैदी से संभाल ली थी, पतियों को अच्छे खाने, साफ कपड़ों और साफसुथरे घर के लिए भी पत्नी का मुंह नहीं देखना पड़ रहा था. जो सजा की स्थिति पहले रजवाड़ों में रानियों और ठकुराइनों की होती थी वह हर मध्यम वर्ग के घर में होने लगी. घरेलू कामवालियों ने एक तरह से पत्नियों की आवश्यकता 50-60′ कम कर डाली. घरवालियां घरों में फालतू की चीज बन कर रह गईं.

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कोविड ने अगर पाठ पढ़ा दिया कि घर का काम औरतों को ही नहीं, आदमियों व बच्चों को मिल कर करना चाहिए और दिन में एक घंटा यदि इस में लगाना पड़े तो इसे आफत नहीं आनंद समझा जाए. पत्नियों की हैसियत तभी रहेगी जब पति को अहसास हो कि उस के बिना जिंदगी अधूरी है, 4 दिन नहीं चलेगी. जो पति ये समझते हैं वे पत्नियों को अधिकार भी देते हैं, बराबर का भी समझते हैं और ज्यादा सुखी भी रहते हैं. इस सुख में कामवालियों का न होना ज्यादा जरूरी है, बशर्ते कि पति भी रसोई में काम करता नजर आए.

Mother’s Day Special: बच्चों को खिलाइए चॉको लावा अप्पे

चॉकलेट का नाम सुनते ही बच्चे खुशी से उछलने लगते हैं. आजकल बाजार में अनेकों ब्रांड की चॉकलेट उपलब्ध हैं. अधिक मात्रा में चॉकलेट खाने से बच्चों के दांतों में कैविटी हो जाती है और वे धीरे धीरे खराब होने लगते हैं. आजकल तो लॉक डाउन के कारण उन्हें चॉकलेट मिल भी नहीं पा रही है तो आइए आज हम आपको एक ऐसी चॉकलेटी रेसिपी बनाना बता रहे हैं जो बनाने में तो बहुत आसान है ही, साथ ही इसे खाकर बच्चे तो बहुत ही खुश हो जायेगें. तो आइए इसे कैसे बनाते हैं-

चॉको लावा अप्पे

सामग्री

सूजी/रवा                     1 कप

ताजा दही                      1 कप

पानी                            1/4 कप

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शकर                            1/4 कप

कोको पाउडर                 2 टेबलस्पून

ईनो फ्रूट साल्ट               1/2 सैशे

इलायची पाउडर             1/4 टीस्पून

डेयरी मिल्क चॉकलेट बड़ी   1

घी                                1 टेबलस्पून

विधि

सूजी को दही और पानी में घोलकर ढककर आधे घण्टे के लिए रख दें. अब इसमें शकर,  कोको पाउडर, इलायची पाउडर, और ईनो डालकर अच्छी तरह मिलाएं. अप्पे के सांचे को गर्म करके घी लगाएं और एक चम्मच तैयार मिश्रण डालकर डेयरी मिल्क का एक क्यूब रख कर ऊपर से 1 चम्मच मिश्रण पुनः डालें. ढककर एकदम धीमी आंच पर 5 मिनट पकाकर पलट दें। दोनों तरफ से सिकने पर जब आप बीच से तोड़ेंगी तो डेयरी मिल्क लावा के रूप में  निकलेगी. गर्मागर्म चॉको लावा अप्पे बच्चों को सर्व करें.

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कफ को कहें बायबाय

कफ या खांसी सांस से संबंधित लगभग सभी रोगों का आम लक्षण है. लेकिन इसे गंभीरता से लेना आवश्यक होता है, क्योंकि इस के प्रति लापरवाही करना आगे जा कर हानिकारक हो सकता है. यह कई गंभीर बीमारियों को जन्म देने में सक्षम है और यह रोग किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है. दरअसल, खांसी श्वसन नलियों की परत में उपस्थित संवेदी तंत्रिकाओं की उत्तेजना से उत्पन्न होती है औैर परिणाम के रूप में हवा उच्च दबाव से श्वसन नली से बाहर निकलती है. खांसी श्वसन तंत्र को धूल, गंदगी व कीटाणु से बचाने के लिए शरीर की रक्षात्मक क्रिया है. धूल व गंदगी श्वसन तंत्र में संक्रमण पैदा कर सकती है. खांसी आने का मतलब है कि श्वसन नलियों में कुछ अवांछित कण हैं, जो वहां नहीं होने चाहिए, जैसे धूल के कण या भोजन के कण इत्यादि. खांसी एक व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा से ली जा सकती है. लेकिन सामान्यतया यह एक अनैच्छिक प्रक्रिया है.

खांसी के कारण और प्रकार

खांसी को अवधि के अनुसार 2 प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है.

कम अवधि की खांसी: इस प्रकार की खांसी अचानक शुरू होती है पर 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाती है. इस प्रकार की खांसी के मुख्य कारण सर्दी, अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक इन्फैक्शन या ऐलर्जी, ब्रौंकाइटिस, निमोनिया, श्वसन नली में किसी वस्तु के फंस जाने से या फिर दिल का दौरा पड़ने से होती है.

लंबी या ज्यादा अवधि की खांसी: इस प्रकार की खांसी 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है. लंबी या ज्यादा अवधि की खांसी के मुख्य कारणों में धूम्रपान, सीओपीडी, दमा, टीबी, ऐलर्जी हैं.

कफ, खांसी तथा अन्य लक्षण

खांसी होने के अनेक लक्षण हैं, जो विभिन्न आयु वर्र्ग में अलगअलग होते हैं. ज्यादातर खांसी के साथ और भी लक्षण शरीर में पाए जाते हैं.

  1. कभीकभी खांसी के साथ बलगम भी निकलता तो इसे गीली खांसी कहते हैं. और अगर खांसी के साथ बलगम नहीं निकलता है तो इसे सूखी खांसी कहते हैं. बलगम युक्त खांसी आमतौर पर संक्रमण, निमोनिया या फेफड़ों के क्षय रोग आदि के कारण होती है. सूखी खांसी आमतौर पर धूम्रपान, अस्थमा, दमा या फेफड़ों के कैंसर आदि के कारण होती है.
  2. अगर खांसी के साथ बुखार, गले में दर्द या नाक से पानी आ रहा हो तो ऐसा जुकाम या सर्दी की वजह से हो सकता है. नाक का बहना व बारबार गला साफ करना पोस्ट नेजल ड्रिप की ओर संकेत करता है.
  3. मौसम में बदलाव से होने वाली खांसी व सांस लेने के साथ सीटी जैसी आवाज दमा की ओर इंगित करती है. सामान्यतया दमा के रोगियों को रात के वक्त खांसी ज्यादा आती है.
  4. छाती में जलन व ऐसिडिटी, खट्टी डकार आना, गैस्ट्रो गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लैक्स डिजीज का संकेत है. इस से भी खांसी और बलगम की समस्या हो सकती है.
  5. कुछ रोगियों में खांसी धूम्रपान की वजह से होती है.
  6. कुछ ब्लडप्रैशर कम करने वाली दवाएं भी खांसी का कारण हो सकती हैं. बलगम के साथ खून, फेफड़ों के क्षय रोग, फेफड़ों के कैंसर, निमोनिया, ब्रौंकाइटिस व फेफड़ों में मवाद पड़ जाने से आ सकता है.

सावधानी व बचाव

  1. धूल, धुआं व प्रदूषण से बचें.
  2. तेज गरमी एवं तेज ठंड में अपने स्वास्थ्य और खानपान का ध्यान रखें.
  3. वातावरण के तेजी के साथ बदलने पर सावधान रहें.
  4. रोएंदार पालतू पशुओं से दूर रहें.
  5. धूम्रपान न करें और न ही ऐसी जगह खड़े हों जहां कोई धूम्रपान कर रहा हो.
  6. खुले एवं हवादार स्थान में रहें.
  7. सोने से पूर्व गरम पानी से कुल्ला करें.
  8. जिस स्थान पर साफसफाई हो रही हो वहां से हट जाएं, क्योंकि धूल के कणों का श्वास नली में प्रवेश होने पर आप को खांसी की समस्या हो सकती है.
  9. जिस स्थान पर ताजा पेंट हुआ हो वहां भी न खड़े हों.
  10. बारिश के पानी में अधिक भीगने से बचें.
  11. खट्टी व ठंडी चीजें अधिक न खाएं.
  12. आर्द्र मौसम में सावधान रहें.
  13. डाक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं को जरूर लें.
  14. यह मिथक है कि ऐंटीबायोटिक दवा से खांसी में जल्दी राहत मिल जाती है. इसलिए ऐंटीबायोटिक दवा लेने से बचें.
  15. कफ सिरप लेने से पहले भी देखें कि वह किस तरह की खांसी के लिए है, तब ही लें. यह भी ध्यान रखें की कफ सिरप के ओवरडोज से हृदयाघात होने का खतरा होता है.
  16. सूखी खांसी है तो तरल वस्तुओं का सेवन करें.

सीओपीडी डिजीज क्या है

सीओपीडी को सामान्य भाषा में लंबी या ज्यादा अवधि की खांसी कहते हैं. यह फेफड़ों की बीमारी होती है. देश में लगभग 1.7 करोड़ लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं. इस बीमारी का सीधा संबंध शरीर में औक्सीजन के घटते प्रवाह से होता है. शरीर में औक्सीजन पहुंचाने वाले छोटेछोटे वायुतंत्रों में गड़बड़ी आने से सांस लेना तक दूभर होने लगता है. यदि आप को 2-3 महीने से लगातार खांसी और खांसी के साथ बलगम आ रहा हो तो यह सीओपीडी के लक्षण हो सकते हैं. आप को यह जान कर हैरानी होगी की सीओपीडी दुनिया में मृत्यु के 4 सब से बड़े कारणों में से एक है.

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सीओपीडी के लक्षण

  1. सुबह के वक्त खांसी आना. धीरेधीरे खांसी का बढ़ना और इस के साथ बलगम निकलना.
  2. सर्दी के मौसम में खासतौर पर यह तकलीफ बढ़ जाती है. बीमारी की तीव्रता बढ़ने के साथ ही रोगी की सांस फूलने लगती है और धीरेधीरे रोगी सामान्य कार्यों जैसे नहानाधोना, चलनाफिरना और बाथरूम जाना आदि में भी खुद को असमर्थ महसूस करता है.
  3. कभीकभी पीडि़त व्यक्ति का सीना आगे की तरफ निकल आता है. रोगी फेफड़ों के अंदर रुकी हुईर् सांस को बाहर निकालने के लिए होंठों को गोल कर मेहनत के साथ सांस बाहर निकालता है, जिसे पर्सड लिप ब्रीदिंग कहते हैं.
  4. गले की मांसपेशियां उभर आती हैं और शरीर का वजन घट जाता है.
  5. पीडि़त व्यक्ति को लेटने में परेशानी होती है. इस बीमारी के साथ हृदय रोग होने का भी खतरा बढ़ जाता है.

सीओपीडी का परीक्षण

सामान्यतया प्रारंभिक अवस्था में ऐक्सरे में फेफड़ों में कोई खराबी नजर नहीं आती, लेकिन बाद में फेफड़ों का आकार बढ़ जाता है. इस के परिणामस्वरूप दबाव पड़ने से दिल लंबा और पतले ट्यूब की तरह हो जाता है. इस रोग की सर्वश्रेष्ठ जांच स्पाइरोमेटरी या पी.एफ.टी ही है.

सीओपीडी से बचाव

सीओपीडी से बचाव का सब से अच्छा तरीका धूम्रपान रोकना है. अगर रोगी धूल या धुएं के वातावरण में रहता है तो उसे शीघ्र ही अपना वातावरण बदल देना चाहिए. प्रतिवर्ष चिकित्सक की सलाह से इन्फ्लुएंजा से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाना चाहिए. सीओपीडी के रोगियों को निमोनिया से बचाव के लिए एक बार न्यूमोकोक्कल वैक्सीन भी लगवाना चाहिए.

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हेयर रिबौंडिंग कितनी बार करवाई जा सकती है?

सवाल-

मेरी उम्र 34 साल है. मैंने 1 साल पहले हेयर रिबौंडिंग करवाई थी. अब मेरे बाल फिर से ड्राई होने लगे हैं. कृपया बताएं कि कितनी बार हेयर रिबौंडिंग करवाई जा सकती है?

जवाब-

आजकल जापानी थरमल प्रक्रिया स्ट्रैटनिंग बालों को सुलझाने का सब से लोकप्रिय तरीका बन गया है, जिसे रिबौंडिंग भी कहते हैं. पूरी रिबौंडिंग प्रक्रिया का प्रभाव 1 साल तक रहता है. इस का असर नए उगे बालों पर भी महसूस किया जा सकता है. यह बताना जरूरी है कि बालों की रिबौंडिंग बालों को सुधारने का महंगा लेकिन असरदार तरीका है.

रिबौंडिंग

सबसे पहले बालों की क्वालिटी के बारे में जानकारी होनी चाहिए यानी बाल मोटे, पतले, मीडियम, रफ या फिर डैमेज हैं, क्योंकि जो स्ट्रेट थेरैपी क्रीम इस्तेमाल की जाती है वह बालों की क्वालिटी पर निर्भर करती है. यह जान लेने के बाद बालों में अच्छी तरह शैंपू करें और फिर ड्रायर से सुखा लें.

जब बाल सूख जाएं तो आयरनिंग करें. इस के बाद स्ट्रेट थेरैपी क्रीम सैक्शन बाई सैक्शन ऊपरी बालों की लटों से ले कर नीचे की लटों तक लगाएं. 15 से 20 मिनट बाद एक बाल को खींच कर देखें. यदि बाल स्प्रिंग की तरह घूम रहा हो तो समझ लें कि सल्फर बन्स टूट गए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो 5-10 मिनट रुकें.

इस के बाद बालों को अच्छी तरह धो लें और मीडियम हीट पर ड्रायर कर लेयर बाई लेयर आयरनिंग करें. इस के तुरंत बाद न्यूट्रलाइजर सैक्शन बाई सैक्शन उसी प्रकार करें जिस प्रकार स्ट्रेट थेरैपीक्रीम अप्लाई की गई थी. इस दौरान बिलकुल भी न हिलें. 15-20 मिनट बाद बालों को अच्छी तरह धो लें. ठंडा ड्रायर करें. बाल सूख जाएं तो सीरम लगाएं और फिर मास्क.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

अंडरगारमेंट्स खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

आज भी महिलाएं मेकअप के प्रोडक्ट खरीदते समय तो बहुत सावधानी बरतती हैं लेकिन जो हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है यानी अंडर गारमेंट्स उस पर ध्यान नहीं देती. बाकी चीजों को लेते समय तो 10 दुकान घूम लेती हैं और बड़ी समझदारी से सोचसमझ कर ही शॉपिंग करती हैं लेकिन जब बात ब्रा और पैंटी की आती है तो ना जाने क्यों कुछ भी उठा लाती हैं और बाद में पछताती रहती हैं. अगर इसके पीछे की वजह आपकी झिझक है तो संभल जाइए क्योंकि इसका खामियाजा भी आपको ही भुगतना पड़ता है. अंडर गारमेंट्स भले किसी को दिखाई ना दें लेकिन इनके इस्तेमाल से ब्रेस्ट का आकार भी सही रहता है और कौन्फिडेंस भी बना रहता है.

1. गलत साइज की ब्रा पहनना है खतरनाक

गलत साइज की ब्रा/पैंटी पहनने से अच्छा है अपने अंदर की उस शर्म को खत्म करना. एक रिपोर्ट की माने तो करीब 90% महिलाएं गलत साइज की ब्रा पहनती है क्योंकि उनको मालूम ही नहीं है कि उनका सही साइज/शेप क्या है. जानकारी होगी भी कैसे, झिझक की वजह से कभी उन्होंने पता करने की कोशिश भी नहीं की. किसी ने बता दिया कि ये साइज की ब्रा आप पहन सकती हैं बस उसे आइडियल मानकर बैठ गईं. ये भी नहीं पता कि अलग-अलग ब्रांड की साइज में कितना अंतर होता है या फिर कितने महीने बाद ब्रा की साइज बदल जाती है.

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हम आपको यहां उन दो बातों के बारे में बता रहे हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी है. तो अगली बार जब आप अंडर गारमेंट्स की शॉपिंग करने जाएं तो इन्हें जरूर फौलो करें.

2. सही साइज से बनेगी बात

कुछ महिलाएं मंहंगे-महंगे आंडरगारमेंट्स को खरीद लेती हैं लेकिन साइज पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती. जिसकी वजह से या तो वे ज्यादा लूज होते हैं या फिर टाइट. टाइट ब्रा या पैंटी पहनने से हमारी हैल्थ पर बुरा असर पड़ता है. इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन के अलावा स्किन इंफेक्शन का भी खतरा रहता है. साथ ही कंधा और पीठ से संबंधित प्रौब्लम भी शुरू हो जाती है. यही नहीं गलत साइज के कारण आप ब्रैस्ट कैंसर, डाइजेशन,  हार्टबर्न, सिर दर्द और रैशेज जैसे बीमारियों से ग्रसित भी हो सकती हैं. इसलिए जब भी अंडर गारमेंट्स खरीदें अपनी साइज का अच्छी तरह पता कर लें क्योंकि समय के साथ महिलाओं के शेप में भी चेंजेज आते हैं. वहीं पैंटी खरीदते समय भी साइज का ध्यान रखना बहुत जरूरी हा क्योंकि अगर बड़ी साइज की पैंटी होगी तो वो जींस या ट्राउजर से बाहर आ जाएगी जो दिखने में बहुत भद्दी लगती है. इसलिए ऐसी पैंटी खरीदें जिसमें उपर पट्टी ना लगी हो और आपके साइज की हो. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि हर ब्रांड का साइज भी अलग-अलग हो सकता है. एख बात और ब्रा या पैंटी कभी भी ज्यादा उभार वाली नहीं लेनी चाहिए क्योंकि यह बॉडी शेप को खराब करती है और उभार वाली पैंटी सेनेटरी पैड फ्रेंडली नहीं होती है.

3. क्वालिटी से ना करें समझौता

ना जाने क्यों महिलाएं चूड़ी, झुमके और मेकअप पर तो पैसा पानी की तरह बहा देती हैं. एक के बजाय दो जोड़ी सैंडल खरीद लेती हैं लेकिन सारी कंजूसी अंडर गारमेंट्स खरीदते समय दिखानी होती है. जो चीज आपकी बौडी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होती है उसे खरीदते समय सारी बचत कर लेती हैं. हां लगभग ये बात सच है कि महिलाएं अंडर गारमेंट्स पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहती और सस्ते के चक्कर में कुछ भी उठा लाती हैं. अगर आपको अपनी हैल्थ प्यारी है तो सस्ते के चक्कर में पड़कर बेकार अंडर गारमेंट्स ना खरीदें, क्योंकि ये आपकी बौडी के सबसे करीब होते हैं. इसलिए ब्रैंडेड और अच्छी क्वालिटी के ही अंडर गारमेंट्स खरीदें. सस्ते ब्रा या पैंटी कुछ समय के लिए ठीक रह सकते हैं लेकिन कुछ समय बाद ही बेकार हो जाते हैं. प्रौडक्ट अच्छा रहेगा तो ज्यादा समय तक चलेगा भी और आपकी पर्सनैलिटी में चार चांद भी लगा देगा. वहीं कौटन या होजरी की अंडर गारमेंट्स आपके लिए बेस्ट रहेगी.

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Mother’s Day Special: सास-बहू के रिश्तों में बैलेंस के 80 टिप्स

अकसर देखा जाता है कि घर में सासबहू के झगड़े के बीच पुरुष बेचारे फंस जाते हैं और परिवार की खुशियां दांव पर लग जाती हैं. पर यदि रिश्तों को थोड़े प्यार और समझदारी से जिया जाए तो यही रिश्ते हमारी जिंदगी को खुशनुमा बना देते हैं.

जानिए, कुछ ऐसे टिप्स जो सासबहू के बीच बनाएं संतुलन रखेंगे.

कैसे बनें अच्छी बहू

1. मैरिज काउंसलर कमल खुराना के मुताबिक, बेटा, जो शुरू से ही मां के इतना करीब था कि उस का हर काम मां खुद करती थीं, वही शादी के बाद किसी और का होने लगता है. ऐसे में न चाहते हुए भी मां के दिल में असुरक्षा की भावना आ जाती है. आप अपनी सास की इस स्थिति को समझते हुए शुरू से ही उन से सदभाव का व्यवहार करेंगी तो यकीनन रिश्ते की बुनियाद मजबूत बनेगी.

2. बहू दूसरे घर से आती है. अचानक सास उसे बेटी की तरह प्यार करने लगे, यह सोचना गलत है. प्यार तो धीरेधीरे बढ़ता है. यदि आप धैर्य रखते हुए अपनी तरफ से सास को मां का प्यार और सम्मान देती रहेंगी, तो समय के साथ सास के मन में भी आप के लिए प्यार गहरा होता जाएगा.

3. सास के साथ कम्यूनिकेशन बनाए रखें. नाराज होने पर भी बातचीत बंद न करें.

4. यदि आप से कोई गलती हुई है, आप ने सास के प्रति गलत व्यवहार किया है या कोई काम गलत हो गया है तो सहजता से उसे स्वीकार करते हुए सौरी कह दें.

5. सास से यह अपेक्षा न रखें कि वे अपनी गलतियां स्वीकार कर आप से सौरी कहेंगी.

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6. अपनी कमियां और मजबूरियां सास के आगे खुल कर कहें. इस से सास भविष्य में यह सब ध्यान में रख कर ही आप से कुछ करने को कहेंगी या कोई उम्मीद रखेंगी.

7. यदि सास आप के पति से किसी घरेलू विषय पर बात कर रही हैं तो आप वहां न जाएं. कभीकभी सास और पति को अकेले में भी बातें करने दें.

8.आप का घर दूर है तो कभीकभी सास को बिना जरूरत भी सिर्फ हालचाल पूछने के लिए फोन करें. इस से उन्हें महसूस होगा कि आप को उन की भी फिक्र है.

9. सास और पति के प्रति ईमानदार रहें. शांति, सचाई और स्पष्टता के साथ उन के आगे अपनी इच्छाओं और भावनाओं को प्रकट करें.

10. सास को स्मार्ट बनाएं. नई बातें सीखने में उन की रुचि जगाएं. नई तकनीकों का प्रयोग करना सिखाएं. इस से छोटीमोटी बातों से उन का ध्यान हटा रहेगा और वे खुश रहेंगी.

11. पर्सनैलिटी, पेरैंटिंग, स्टाइल या घर की सफाई जैसे मुद्दों पर सास द्वारा आप की आलोचना किए जाने पर शिकायत ले कर पति के पास न पहुंचे, बल्कि शांति के साथ सास के समक्ष अपना पक्ष रखें और बताएं कि ऐसा क्यों है.

12. पति का सपोर्ट अपनी तरफ रखने का प्रयास करें. पतिप्रिया बनें ताकि वे सास का ध्यान आप की अच्छाइयों की तरफ दिलाने का प्रयास करते रहें.

13. अपने फैसलों पर दृढ़ रहें. सास के साथ छोटेछोटे विवादों में पड़ कर रोने या खुद को कमजोर महसूस करने से बचें. आप अपनी इज्जत करेंगी, तभी दूसरे आप की इज्जत करेंगे.

14. सास की तबीयत का खयाल रखें. उन की उम्र अधिक है. ऐसे में कमजोरी, डिप्रैशन और दूसरी तकलीफों को नजरअंदाज न करें. जरूरी हो तो जिद कर के डाक्टर के पास ले जाएं.

15.  सास से यह बात स्पष्ट करें कि वे आप के या पति के अधीन नहीं हैं, बल्कि अपनी मरजी चला सकती हैं. आप उन को आदर और सम्मान देंगी तो बदले में आप को भी प्यार मिलेगा.

16. क्रोध में आ कर सास पर चिल्लाने या उन से बातचीत बंद करने की भूल न करें, क्योंकि ऐसी घटनाएं इंसान कभी नहीं भूलता और रिश्तों में हमेशा के लिए दरार पड़ जाती है. अत: हमेशा धैर्य बनाए रखें.

17. यदि आप के मन में सास के लिए आदर भाव पैदा नहीं होता, क्योंकि वे कम पढ़ीलिखी हैं, देहाती हैं या चिड़चिड़ी अथवा बीमार हैं, तो भी कोशिश कर के उन्हें मान देना सीखें. वे कैसी भी हों, उम्र में आप से बड़ी हैं और सब से बढ़ कर, वे आप के पति की मां हैं, इसलिए आदर की पात्र हैं.

18. जरूरत पड़ने पर सास की मदद करें पर नियंत्रण करने का प्रयास न करें. उदाहरण के लिए उन्हें कुछ रुपए उधार चाहिए तो उन्हें दे दें, पर यह न सोचें कि वे आप के कहे अनुसार ही उन्हें खर्च करें.

19. अपनी सास की इच्छाओं और जरूरतों का ध्यान रखें. एक अच्छी बहू सास की इच्छाओं को मान देती है.

20. अपनी दुनिया में अपनी सास को शामिल करें. उन को साथ ले कर टहलने, योगा क्लास, आर्ट गैलरी, ब्यूटीपार्लर आदि जाएं आप उन की पसंद की जगहों पर भी जा सकती हैं. इस से रिश्ते में मजबूती और भावनात्मक लगाव बढ़ेगा.

21. पति को ले कर सास को ताने न मारें.

22. इस बात को स्वीकार कर लें कि आप दोनों के बीच उम्र में फासले की वजह से पसंद, सोच और सामाजिक मूल्यों का अंतर है. इस वजह से वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है. उन्हें प्रेम से स्वीकार करें.

23. सहेलियों के सामने सास का मजाक न उड़ाएं.

24. सास को व्यंग्यात्मक या नकारात्मक भाव वाले चुटकुले या घटनाएं न सुनाएं वरना वे उन्हें खुद से जोड़ कर झगड़ सकती हैं.

25. सास के आगे हर बात पर बहाने बनाने या अपनी बात सही साबित करने के लिए बहस करने से बचें.

26. अपनी बात पर कायम रहें पर सास को इस विषय पर भाषण दे कर या जलीकटी सुना कर गुस्सा न करें.

27. सास कुछ सिखा रही हैं तो रुचि ले कर उसे सीखें. उन्हें अच्छा लगेगा.

28. छोटीमोटी बातों को इश्यू न बनाएं. उन्हें हलके ढंग से लें.

29. यह अपेक्षा न करें कि आप की सास और पति आप का चेहरा पढ़ कर सारी बात समझ जाएंगे. उन के आगे शांति और ईमानदारी से अपनी बात रखें.

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30. बहू के तौर पर सास की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के प्रयास में खुद की पहचान बदल लेने से अच्छा है, आप जैसी हैं मूल रूप से वैसी ही रहें. थोड़ाबहुत पौजिटिव चेंज ला सकती हैं, पर जरूरत से ज्यादा खुद में बदलाव लाने का प्रयास आप के मन में असंतुष्टि और झल्लाहट भर देगा और रिश्ता ज्यादा खराब होने का भय रहेगा.

३१ अपनी सास के प्रति आलोचनात्मक रुख न रखें. बहुत सी बहुएं सास के व्यवहार के आधार पर आक्रामक/विरोधी रवैया अपना लेती हैं. जबकि सच यह है कि आप जैसा व्यवहार करेंगी, वैसा ही प्रत्युत्तर आप को मिलेगा.

३२ सास के द्वारा पति से आप की शिकायत, तुलना या आलोचना करने पर आपा न खोए वरन हर मैटर को शांति को हल करें.

३३ अपने बच्चों के आगे सास की बुराई न करें.

३४ पति के घर आते ही उन के आगे उन की मां की शिकायतों का पोथा खोल कर न बैठें. कोई भी पति ऐसी स्थिति में झल्ला उठेगा.

३५ बहुत सी बहुएं अनजाने ही अपनी मां की पक्षपाती बन सास के प्रति बेरुखी का रवैया अपना लेती हैं. मसलन, बच्चों को अपनी मां के पास तो घंटों छोड़ देती हैं पर जब सास वक्त गुजारना चाहे तो पढ़ाई आदि का बहाना बना कर दूर कर देती हैं. याद रखें, आप के बच्चों में आप की सास की जान बसती है. इसलिए बच्चों को दादीमां के पास भी थोड़े प्यार भरे लमहे गुजारने दें.

३६ पति पर थोड़ा तरस खाएं. उन्हें आप दोनों से प्यार है. हर घड़ी उन का इम्तिहान न लें. सास की प्रतियोगी बनने के बजाय उन की सहयोगी की भूमिका निभाएं.

३७ कभीकभी सास की पसंद का खाना भी बनाएं. यदि सास को किसी चीज से परहेज है तो उन के लिए अलग से खाना बनाने में नानुकुर न करें.

३८ खुद को सासू मां की जगह रख कर सोचें. उन की नजर में आप का अनुभव कम है. आप जो काम कर रही हैं, उन की नजर में वह गलत है तो स्वाभाविक है कि वे टोकेंगी. इस में बुरा मानने के बजाय प्यार से उन के आगे अपना पक्ष रखें.

३९ सास से कुछ बोलने से पहले सोचें कि आप अपनी मां से बात कर रही हैं. उसी लहजे और अंदाज में बात करें, जैसे अपनी मां से करती हैं. तब आप को यह आभास होगा कि कई दफा आप सास के प्रति उतनी कोमल नहीं होतीं, जितना आप को होना चाहिए था.

कैसे बनें अच्छी सास

४० यह स्वीकार लें कि बेटा बड़ा हो गया है. उस का अपना परिवार है, बच्चे हैं, जिन्हें वह प्यार करता है. इसलिए अब बहू का सिर्फ आप की ही नहीं, उन की भी जिम्मेदारी उठानी है.

४१ बहू को बदलने का प्रयास न करें. हर किसी का अपना व्यक्तित्व होता है.

४२ पोतेपोतियों के पालने के मुद्दे पर अकसर सासबहू में बहस होती है. आप को समझना होगा कि मां होने के नाते उसे हक है कि वह अपने बच्चों का पालनपोषण अपने ढंग से करें. बहू को जौब करने से रोकें नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का मौका दें.

४३ कभी जो प्रभुता आप के हाथ में थी, उसे खुशीखुशी बहू को सौंपें. बहू पर जिम्मेदारियां डाल कर निश्चिंत रहें. सास द्वारा अपनी सत्ता कायम रखने की चाह ही मतभेदों को जन्म देती है.

४४ बेटे को बहू के खिलाफ भड़काएं नहीं, बल्कि उन के बीच प्यार बढ़ाने और उन्हें करीब लाने का प्रयास करें. तभी घर में खुशियां फैलेंगी.

४५ इस बात को समझें कि बहू अलग सामाजिक पृष्ठभूमि, संस्कृति और रीतिरिवाजों के बीच पलबढ़ कर आई है. आप दोनों की सोच और विचारों में अंतर होगा ही, पर इस का मतलब यह नहीं कि आप उस के विचारों को बिलकुल अहमियत न दें. कुछ उस की मानें कुछ अपनी मनवाए.

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४६ पैसों के मामले में बहूबेटे को आजादी दें. उन्हें अपने ढंग से आर्थिक योजनाएं बनाने दें.

४७ बहू के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हों. पहले दिन से ही उसे किसी खास कैटेगरी गर्ल, जैसे पार्टी गर्ल, स्माल टाउन गर्ल, बेवकूफ, घमंडी या जिद्दी घोषित न करें. उसे मौका दें, खुद को प्रूव करने का.

४८ आप अपने लिए प्यारसम्मान की इच्छा रखती हैं, तो वैसा ही प्यारसम्मान आप को बहू को देना होगा.

४९ आप बहू की मां या अभिभावक नहीं हैं, इसलिए उन की तरह बहू पर और्डर न चलाएं.

५० बहू को बेटी की तरह ट्रीट करें. तभी वह भी मां की तरह आप से अपने दिल की हर बात शेयर करेगी. ऐसा होने पर रिश्ते में सदा मिठास कायम रहेगी.

५१ हर वक्त बहू की आलोचना करना छोड़ दें. वह कैसे कपड़े पहनती है, क्या खाती है, कैसा व्यवहार करती है, इन्हें डिसकस करने से अच्छा है, उस की खूबियों पर ध्यान दें. उसे अच्छा करने को प्रेरित करें.

५२ आप बहू से कुछ उलटासीधा कहेंगी तो यह बात सीधे आप के बेटे तक पहुंचेगी और आप बहू के साथसाथ बेटे की नजरों में भी गिर जाएंगी.

५३ बहू की बुराई रिश्तेदारों और पड़ोसियों में न करें, क्योंकि इस तरह घूमफिर कर बात बहू तक पहुंचेगी और स्थिति विस्फोटक हो जाएगी. पुरुष अपनी पत्नी से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, इसलिए संभव है आप का यह व्यवहार आप को उन से दूर कर दे.

५४ याद रखें, बहू आप के बेटे की जीवनसाथी है और उस की जो बातें या जरूरतें वह समझ सकती है या पूरी कर सकती है, आप नहीं कर सकतीं.

५५ बहू को अपने मामलों में फैसले लेने का हक दें. किसी भी बात पर बहू की तरफ से स्वयं निर्णय लेने की भूल न करें. उस के वजूद को स्वीकारें.

५६ अगर बहू घर गंदा रखती है तो नाकभौं सिकोड़ने के बजाय उस की मदद करें. संभव है, काम अधिक होने की वजह से वह सफाई न कर सकी हो. ऐसे में बातें सुनाने के बजाय स्वयं सफाई करने लगें. आप को काम करते देख वह खुद भी उस काम में लग जाएगी और अगली बार से कोशिश करेगी कि ऐसी नौबत ही न आए.

५७ कुछ खास मौकों पर परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ अपनी बहू के लिए भी  कोई तोहफा लें. इस से रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है.

५८ बहू को भी मान दें. कभीकभी उस की तारीफ भी करें. इस से उस के दिल में अच्छा काम करने का उत्साह बढ़ेगा.

५९ बेटेबहू के बीच झगड़ा होने पर किसी एक की साइड लेने से बचें.

६० बेटे की पुरानी गर्लफ्रैंड या पत्नी से बहू की तुलना न करें.

६१ बहूओं को यह बात चुभती है कि सास हर मिनट का हाल जानना चाहती है कि वह क्या कर रही है, उस की जिंदगी में क्या घट रहा है या रुपए कहां खर्च हो रहे हैं वगैरह. ऐसा न कर के थोड़ा स्पेस दे कर चलें. विवाहित बेटे की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा दखल न दें.

६२ बच्चों को बहू बेटे के निजी मामलों का पता करने का जरीया न बनाएं. यह हकीकत बहूबेटे के आगे आएगी तो उन की नजरों में आप का सम्मान कम हो जाएगा.

६३ अपनी बहू से बेटी की तरह व्यवहार करें. उस की राजदार और सहायक बनें. दुख, तकलीफ और संघर्ष के क्षणों में उस का साथ दें.

६४ कभीकभी बहू को प्यार से छुएं, आशीर्वाद दें, गले लगाएं. इस से वह खुद को आप के करीब महसूस करेगी.

६५ अपनी बहू पर एक मां की तरह विश्वास रखें. तभी वह बेटी की तरह आप से सब बातें खुल कर कह सकेगी.

६६ कुछ खास मसलों पर उस की सलाह भी मांगें और उसे मानें भी. बहू को यह बहुत अच्छा लगेगा.

६७ हमेशा बहू की खामियों पर ही ध्यान  न दें. उस के अच्छे पक्ष को भी देखें, क्योंकि कोई भी पूर्ण नहीं होता.

६८ बहू के साथ प्रतियोगिता की भावना न रखें, इस से सिर्फ आप दोनों के बीच तनाव बढ़ेगा.

६९ बहू की भावनाओं का भी खयाल रखें. वह बीमार है तो उस की केयर करें. ऐसी बातें दिल को छू जाती हैं.

७० अपने बेटे को घर के कामकाज में बहू की मदद करने के लिए कहें. इस से बहू के मन में आप के प्रति सम्मान कई गुना बढ़ जाएगा.

७१ यह अपेक्षा न रखें कि आप दूर रहती हैं तो बहूबेटा हर सप्ताह आप से मिलने आएंगे ही. कभीकभी वे अपनी मरजी से सप्ताहांत बिताना चाहें तो चिढ़ें नहीं.

७२ जब बेटे के घर फोन करें और फोन बहू उठाए तो तुरंत बेटे या पोते से बात करने की इच्छा न जताएं. ऐसी बातें बहू को अंदर ही अंदर चुभ जाती हैं और दूरी बढ़ती है. बेहतर होगा कि 2-4 मिनट आप बहू से हालचाल पूछें, बातें करें, फिर बेटे की खोजखबर लें.

७३ हमेशा अपने पोतेपोतियों को सुधारने के मिशन में न लगी रहें. इस से बहू को लगेगा कि आप अप्रत्यक्ष रूप से उस की पेरैंटिंग को नकार रही हैं.
७४बहूबेटा कोई योजना बनाते हैं तो उन के बीच न आएं. उन के फैसलों की भी इज्जत करें.

७५ बातबात पर बहू पर नियंत्रण रखने का प्रयास न करें. इस से बहू मन ही मन आप को दुश्मन समझने लगेगी.

७६ घर की व्यक्तिगत समस्याओं की चर्चा दूसरों के बीच न करें.

७७ घर को युद्ध का अखाड़ा बनाने से बचें. इस से नुकसान आप का ही होगा. आप का बेटा, जिसे आप प्यार करती हैं, वह भी खुश नहीं रह सकेगा. इसलिए हमेशा धैर्य से काम लें.

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७८ काम कैसे करना है, हर वक्त यह डिक्टेट न करती रहें. इस से टैंशन ही बढ़ेगी. हर इंसान दूसरे से भिन्न होता है और भिन्न तरीके से किसी काम को हैंडल करता है, इस सच को समझें.

७९ प्यार पाना है तो इसे दिखाएं भी. बहू को अपनी सपोर्ट दें. फिर देखें केसे वह आप के आगेपीछे घूमती है.

८० बहूबेटे के जीवन में बेवजह दखलंदाजी करने से बचें.

REVIEW: लालच व इमानदारी की भ्रमित कहानी ’कबाड़ द क्वाइन’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः एम बी एन इंटरटेनमेंट पा्र. लिमिटेड के लिए बब्बन नेगी व मीना नेगी

निर्देशकः वरदराज स्वामी

कलाकारः विवान शाह,जोया अफरोज, अतुल श्रीवास्तव,अभिषेक बजाज, इमरान हासनी,भगवान तिवारी,यशश्री मसुरकर व शहजाद अहमद

अवधिः दो घंटे चैदह मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः एम एक्स प्लेअर पर, 17 मई से

लालच,जरुरत,ड्ग्स की लत व इमानदारी के साथ मुगलकालीन सोने के सिक्के की चोरी और रोमांस से युक्त अजीबो गरीब कहानी को अपनी फिल्म ‘‘कबाड़ द क्वाइन’’में लेकर फिल्म सर्जक वरदराज स्वामी आए हैं. जो कि कहीं से भी आकर्षित नहीं करती.

कहानीः

फिल्म की शुरूआत होती है म्यूजियम से मुगल जमाने के सोने के सियाराम के सिक्कों की चोरी से. फिर कहानी कालेज में पहुंच जाती है,जहां बंधन(विवान शाह)और सविता (यशश्री मसुरकर) एक साथ पढ़ते हैं. बंधन पढ़ाई में तेज है,पर सविता उससे कुछ कमतर है. सविता के पिता वाघमारे (अतुल श्रीवास्तव) मोची हैं,जिनकी एक छोटी सी दुकान है. सविता आईएएस बनना चाहती है. बंधन उसकी मदद करने का वादा करता है. बंधन के पिता गजनी(शहजाद खान )का कबाड़ की छोटी सी दुकान है. गजनी अपने बेटे बंधन को कबाड़ के धंधे से दूर रखना चाहते हैं. मगर अचानक गजनी का देहांत हो जाता है और अब बीमार मॉं की देखभाल व घर के खर्च को चलाने के लिए बंधन अपने पिता के पुश्तैनी व्यापार कबाड़ की दुकान को संभाल लेता है. एक दिन उसे नदी से एक थैली मिलती है,जिसमें म्यूजियम से चुराए हुए सोने के सिक्के होते हैं,पर वह खुद उनकी कीमत से अनजान है. बंधन एक सिक्का वाघमारे को देते हुए कहता है कि इसे बेचकर कुछ रकम इकट्ठी कर लेना. इधर आईएएस की पढ़ाई करने के लिए सविता को दो लाख रूपए जमा करने हैं. मजबूरन वाघमारे वह सिक्का लेकर ज्वेलरी की दुकान पर जाता है. ज्वेलर उसे दो लाख रूपए में खरीद लेता है और डराता भी है कि वह इसके बारे में किसी से जिक्र नही करेगा. बंधन इन सिक्कों को पुलिस को देने जाता है,जहां इंस्पेक्टर बिंडोले(भगवान तिवारी  )गुंडो की पिटाई कर रहे होते हैं,यह देखकर वह डर जाता है और घर लौट आता है. एक दिन बंधन की मुलाकात बड़ी इमारत में शानो शौकत से रहने वाली रोमा(जोया अफरोज) से होती है. रोमा अपने प्रेमी सैम (अभिषेक बजाज)के साथ रहती है. दोनो गोवा से भागकर आए हैं. और दोनों ही ड्ग्स का सेवन करते हैं. मगर बंधन का दिल रोमा पर आ जाता है और वह उसे एक सिक्का उपहार में दे देता है. इस सिक्के को जब रोमा बेचती है,तो उसे पच्चीस लाख रूपए मिलते हैं. उसके बाद सैम की सलाह पर रोमा,बंधन से सारे सिक्के हासिल करने के लिए प्यार का नाटक भी करती है. पर ऐसा करते हुए रोमा को बंधन से असली प्यार हो जाता है. इधर पुलिस इंस्पेक्टर बिंडोले म्यूजियम से सिक्के चुराने वालों की तलाश कर रहा है. तो वहीं दुबई से इब्राहिम बार बार बादशाह खान(इमरान हसमी) को धमकाता रहता है कि उसे सिक्के चाहिए. कहानी कई रंग बदलती है. सविता आईएएस अफसर बन जाती है. सैम की हत्या रोमा कर देती है. रोमा की गिरफ्तारी हो जाती है. बंधन व सविता की शादी हो जाती है.

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लेखन व निर्देशनः

लेखक व निर्देशक कहानी का तना बाना बुनते हुए बुरी तरह से  मात खा गए हैं. वह द्विविधा में रहे है कि कहानी में वह बताना क्या चाहते हैं. इसी के चलते वह एक साथ त्रिकोणीय प्रेम कहानी,ड्ग्स की लत,हत्या,सोने के सिक्को की तश्करी, इमानदारी,एक दलित लड़की के आईए एस अफसर बनने सहित कई मसाले भर दिए, परिणामतः फिल्म की लंबाई बेवजह बढ़ गयी. इतना ही नही फिल्मकार पूरी तरह से हानी को कैसे व किस मुकाम पर पहुॅचाना चाहते हैं,इसे लेकर भ्रमित नजर आते हैं. फिल्मकार की अपनी कमजोरियों के चलते गरीब व दलित लड़की भी आईएएस अफसर बन सकती है,का संदेश भी लोगों तक ठीक से नही पहुॅच पाता और न ही प्रेम कहानी ही ठीक से विकसित होती है. फिल्म देखते हुए दर्शक भी भ्रमित होता रहता है कि आखिर कहानी में हो क्या रहा है? बंधन व रोमा की रोमांटिक कहानी तो कल्पना से परे नजर आती है. कई दृश्य अविश्वसनीय है. मसलन-पहले दिन जब बंधन,रोमा के आलीशान फ्लैट में कबाड़ लेने जाता है,तो वह रोमा के दरवाजा खोलने पर सीधे अंदर जाकर दरवाजा बंद कर देता है और फिर पूछता है कि कौन सा कबाड़ लेकर जाना है. फिल्म के संवाद भी असरदार नही है. इतना ही नही फिल्मसर्जक ने किरदारों के अनुरूप कलाकारों का चयन भी नही कर पाए. विवान‘शाह परदे पर गरीब,झोपड़पट्टी में रहने वाला कबाड़ी बंधन नजर ही नही आता. निर्देशक के तौर पर भी परदराज स्वामी अपना कमाल नही दिखा पाए.

अभिनयः

बंधन का किरदार निभाने वाले अभिनेता विवान शाह एक बेहतरीन अभिनेता है,मगर इस फिल्म में स्क्रैप डीलर यानी कि कबाड़ व्यापारी बंधन के किरदार में वह फिट नही बैठते हैं. फिल्मकार ने उनके ेचेहरे को मेकअप द्वारा चेहरे पर कृत्रिम डार्क टोने देने का असफल प्रयास किया है. विवान की बोली भी किरदार के साथ मेल नही खाती. रोमा के किरदार मंे जोया अफरोज कुछ जगहों पर सुंदर  नजर आयी हैं. मगर विवान शाह और जोया अफरोज के बीच रोमांटिक दृश्य काफी बनावटी व बेहूदे लगते हैं. भावनात्मक दृश्यों में जोया मात खा गयी है. अतुल श्रीवास्तव अपने किरदार संग न्याय कर गए हैं. सविता के किरदार में नजर आ रही यशश्री मसुरकर में अभिनय प्रतिभा है,मगर फिल्मकार ने उनकी प्रतिभा को जाया किया है. सैम के किरदार में अभिषेक बजाज निराश करते हैं.

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Hyundai Creta के साथ है कंफर्ट

The Nuptial Test के लिए खुद को चैलेंज करने वाला @HyundaiIndia #Creta ही है जो अपने ड्यूल टोन में लाजवाब लगता है. साथ ही हुड के नीचे मौजूद 1.4 लीटर का टर्बो पेट्रोल इंजन जो 7-स्पीड DCT के साथ गजब का है.एक झटके में 140bph की रफ्तार पकड़ ले हाईवे पर उससे बेहतर और क्या हो सकता है?

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