औफिस से लौट कर ऊर्जा की नजर लगातार घड़ी पर थी. उसे लग रहा था जैसे आज उस की गति बहुत धीमी है. वह चाहती थी समय जल्दी कट जाए लेकिन इस के विपरीत आज विचारों के घोड़े तेज गति से दौड़ रहे थे और घड़ी की सुइयां आगे सरकने का नाम ही नहीं ले रही थीं. उस ने जल्दी से खाना बनाया और जय का इंतजार करने लगी. उस ने आज आने में देर कर दी थी. इंतजार का समय लंबा होता जा रहा था और उस के साथ ऊर्जा की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी.
9 बजे जय औफिस से आ कर सीधे बाथरूम में घुस गया. इतनी देर में उस ने खाना लगा दिया.
फ्रैश हो कर जय सीधे खाने की मेज पर आ गया और बोला, ‘‘खाने की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है. लगता जल्दी घर आ कर मेरे लिए फुरसत से खाना बनाया है.’’
‘‘घर तो जल्दी आ गई थी लेकिन खाना बनाने के लिए नहीं किसी और परेशानी की वजह से आई थी.’’
‘‘क्या हुआ औफिस में सब ठीक तो है?’’
‘‘वहां ठीक है लेकिन यहां कुछ ठीक
नहीं है.’’
‘‘पहेलियां मत बु?ाओ. सीधे और साफ लफ्जों में बताओ बात क्या है ऊर्जा?’’
‘‘मैं प्रैगनैंट हूं जय.’’
ऊर्जा सोच रही थी यह सुनते ही उस के
हाथ खाना छोड़ कर रुक जाएंगे लेकिन ऐसा
कुछ भी नहीं हुआ और वह इत्मीनान से खाना खाता रहा.
‘‘कोई नई बात नहीं है ऊर्जा. डाक्टर से मिल कर इस मुसीबत से छुटकारा पा लेना.’’
जय की बात से ऊर्जा अंदर तक तिलमिला गई लेकिन इस समय कुछ कह कर माहौल खराब नहीं करना चाहते थी. वह सधे हुए शब्दों में बोली, ‘‘हम शादी कब कर रहे हैं जय?’’
यह सुन कर उस का हाथ मुंह तक जातेजाते रुक गया. उस ने एक गहरी नजर ऊर्जा पर डाली और बोला, ‘‘हमारे बीच में यह झंझट कहां से आ गया ऊर्जा?’’
‘‘सम?ाने की कोशिश करो जय. हम 3 साल से एकदूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं. हम दोनों एकदूसरे को अच्छे से समझते हैं. तो फिर शादी करने में क्या परेशानी है?’’
‘‘मुझे शादी का कोई शौक नहीं है. यह बात मैं ने तुम्हें साथ रहने से पहले भी बता दी थी.’’
‘‘शौक मुझे भी नहीं है लेकिन अब जरूरत बन गई है. मैं बारबार इस तरह अर्बोशन नहीं करा सकती. तकलीफ होती है मुझे अपने शरीर का एक हिस्सा काट कर फेंकने में. जो बीतती है उसे वही बता सकता है जो भुक्तभोगी होता है.’’
‘‘यह मेरी गलती से नहीं तुम्हारी लापरवाही से हुआ है.’’
‘‘अच्छा यह जिम्मेदारी भी केवल मेरी
ही है.’’
‘‘इस बार गलती तुम्हारी थी ऊर्जा. याद करो अपने जन्मदिन पर तुम इतनी खुश थीं कि सबकुछ भूल गईं.’’
जय तीखे लहजे में बोला तो अजय चुप हो गई. जय की बात अपनी जगह सही थी. बर्थडे वाले दिन उस ने कुछ ज्यादा ही पी ली थी.
जय उसे किसी तरह होटल से घर ले आया. नशे की हालत में उसे कुछ होश नहीं रहा. उस का परिणाम आज उसे भुगतना पड़ रहा था.
‘‘जो हो गया उसे छोड़ो और आने वाली समस्या के बारे में सोचो. समझने की कोशिश करो मैं बारबार ऐसा नहीं कर सकती. सच पूछो मुझे बच्चा चाहिए. मैं उस की परवरिश करना चाहती हूं.’’
‘‘यह तुम कह रही हो ऊर्जा? जब हम ने एकसाथ रहना शुरू किया था तब हमारे बीच में शादी और बच्चा जैसे लफ्ज नहीं थे. बस हमतुम और हमारी जरूरत थी. यही सोच कर मैं ने तुम्हारे साथ रहना शुरू किया था.’’
‘‘बीती बातें भूल जाओ प्लीज. 3 साल का समय गुजर गया है. अब हम एकदूसरे को इतना समझने लगे हैं कि एकदूसरे के बगैर रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते.’’
‘‘यह तुम समझती होंगी ऊर्जा मैं नहीं. तुम अब दिल से काम ले रही हो और मैं दिमाग से. ऐसे रिश्तों में दिल को बहुत दूर रखना चाहिए वरना यह जी का जंजाल बन जाता है.’’
‘‘कभी न कभी तुम शादी का फैसला करोगे ही जय. मुझ में क्या कमी है जो तुम मुझे अपना लाइफपार्टनर नहीं बना सकते?’’
ऊर्जा ने तीखे शब्दों में पूछा.
‘‘एक कमी हो तो बताऊं. हमारे इस रिश्ते में जवानी की उमंग और इच्छाएं हैं जिन्हें हम मिल कर ऐंजौय करते हैं अपेक्षाएं नहीं कि दूसरा हमारे लिए क्या करेगा. हम दोनों ने साथ रहने का निर्णय सोचसम?ा कर लिया था. मैं शादी का फंदा जीवनभर के लिए अपने गले नहीं डाल सकता. यह तुम पहले दिन से जानती थीं और आज भी मेरा फैसला अटल है.’’
‘‘यह तुम्हारा आखिरी निर्णय है?’’
‘‘यही समझ लो. तुम मुझे अच्छी लगती हो लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन पर न तुम समझौता करती हो और न मैं.अच्छा होगा कि हम इसी तरह अपनी जिंदगी गुजारें और एकदूसरे से कोई अपेक्षा न रखें.’’
‘‘मेरा निर्णय भी सुन लो. इस बार में कोई गलत काम नहीं करूंगी और इस बच्चे को जन्म दूंगी.’’
‘‘यह तुम्हारा फैसला है मेरा नहीं. मेरी सलाह मानो और इस परेशानी से जल्दी छुटकारा पा लो. इस के कारण हमें अपना रिश्ता खराब नहीं करना चाहिए.’’
‘‘अगर तुम ठंडे दिमाग से सोचो तो यही बच्चा हमारे रिश्ते को और मजबूत बना सकता है जय,’’ ऊर्जा बोली.
ऊर्जा तर्क कर के थकने लगी थी और जय रुकने का नाम नहीं ले रहा था. ऊर्जा उसे किसी तरह मना नहीं पाई थी.बहस की समाप्ति ऊर्जा के आंसुओं पर हुई लेकिन जय पर उस का भी कोई असर नहीं पड़ा. खाना खा कर वह चुपचाप बैड पर आ गया और लैपटौप खोल कर अपने काम पर लग गया. उस ने इस बारे में आगे उस से कोई बात नहीं की. ऊर्जा ने भी ठान लिया था कि इस बार वह कमजोर नहीं पड़ेगी और अपनी बात मनवा कर रहेगी.
जय शादी के लिए तैयार नहीं तो क्या हुआ? बहुत सी ऐसी औरतें हैं जिन्होंने अविवाहित रह कर बच्चे को जन्म दिया है.
वह भी ऐसा कर के दिखाएगी. आज आंखों से उस की नींद गायब थी. वह सोच रही थी शायद रात के अंधेरे में अपनी जरूरत पूरा करने के लिए जय उस की ओर रुख करेगा लेकिन
ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और सारी रात आंखों में कट गई.
सुबह ऊर्जा देर से उठी. जय बोला, ‘‘उठो ऊर्जा टाइम काफी हो गया है. तुम्हें औफिस के लिए देर हो जाएगी.’’
‘‘मैं आज औफिस नहीं जा रही हूं.’’
‘‘छोटी सी बात के लिए तुम इतनी सीरियस कैसे हो सकती हो? तुम एक आजाद ख्यालात महिला हो. इन सब बातों में तुम्हारा कभी
विश्वास नहीं था. अचानक तुम्हारा दिमाग कैसे पलट गया?’’
जय की बात का उस ने कोई उत्तर नहीं दिया. उस ने अपने लिए ब्रैड सेंकी और मक्खन के साथ खा कर निकल गया. उस के चेहरे पर उस की परेशानी का लेस मात्र भी असर नहीं था. वह सोचने लगी कि कोई व्यक्ति इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है?
हकीकत सामने थी उस से मुंह भी नहीं मोड़ा जा सकता था. वह जानती थी जय जो कुछ सोच रहा है वह अपनी जगह ठीक है.
उन दोनों की दोस्ती इसी वजह से हुई थी. ऊर्जा को दुनिया की कोई परवाह नहीं थी. जय को उस की यह बात बहुत अच्छी लगी थी. वह खुद भी रिश्तों में विश्वास नहीं करता था. वे दोनों साथ उठते, बैठते और इधरउधर घूमते. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगता था.
एक दिन जय ने हंसीमजाक में यों ही कह दिया था, ‘‘सड़कों पर घूमने से अच्छा है ऊर्जा
हम दोनों एकसाथ एक ही छत के नीचे रहें. इस से खर्चे भी बचेंगे और अपने लिए अधिक समय भी मिलेगा.’’
जय की मजाक में कही बात ऊर्जा को जंच गई. वह झट से उस के साथ रहने के लिए तैयार हो गई और बोली, ‘‘मु?ा से कोई उम्मीद मत रखना जय. मैं तुम्हारे साथ एक ही घर में लिव इन रिलेशनशिप में रह सकती हूं. मु?ो पत्नी सम?ाने की भूल मत करना.’’
‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा. ऐसे रिश्तों में
आपसी विश्वास ही सब से बड़ा होता है. अगर तुम्हें मु?ा पर विश्वास न रहे तो कभी भी छोड़ कर जा सकती हो और यही बात मुझ पर भी लागू होती है.’’
खुले विचारों के ऊर्जा और जय जल्द ही एकसाथ रहने लगे. ऊर्जा के इस निर्णय पर औफिस में बहुत कानाफूसी हुई लेकिन उस ने उन की बातों को हवा में उड़ा दिया. दोनों के औफिस अलगअलग थे इसीलिए उन के बीच का आकर्षण ज्यादा था. एक छत के नीचे दोनों की बहुत अच्छी निभ रही थी. 6 महीने की दोस्ती में ही वे एकदूसरे की पसंदनापसंद को अच्छी तरह समझने लगे. अब बाहर इधरउधर भटकने की ज्यादा जरूरत न थी. छुट्टी के दिन वे लौंग ड्राइव पर निकल जाते और सारा दिन बाहर बिता कर रात में घर लौट आते.
जिंदगी का मजा साथ रहने में था यह बात उन दोनों को अच्छे से सम?ा में आ गई थी. जब पहली बार ऊर्जा के प्रैगनैंट होने का जय को पता लगा तो बहुत चौंक गया था.
बात संभालते हुए ऊर्जा बोली, ‘‘पता नहीं कैसे यह सब हो गया? अगली बार से तुम भी इस बात का खयाल रखना.’’
ऊर्जा ने डाक्टर को अपनी समस्या बता कर उस से छुटकारा पा लिया. 2 दिन की परेशानी के बाद सबकुछ सामान्य हो गया. उन का जीवन पहले की तरह बंधनमुक्त हो कर बहुत अच्छे से कट रहा था. जय के साथ रहते हुए उसे कभी घर की याद तक न आती. वैसे भी ऊर्जा को अपने घर से कोई लगाव न था. होता भी कैसे उस की अपनी मम्मी छुटपन मैं गुजर गई थी जब वह 8 साल की थी. पापा ने घर की जरूरत को देखते हुए अपनी सहकर्मी वीरा से शादी कर ली थी. उस का पहले से घर में आनाजाना था.
ऊर्जा ने उसे मम्मी के रूप में कभी नहीं अपनाया. वीरा ने अपनी ओर से बहुत कोशिश लेकिन उसे देख कर ऊर्जा का खून खौल उठता. सबकुछ जान कर ओजस ने उसे होस्टल भेज दिया. घर पर पैसे की कमी नहीं थी. उसे भी होस्टल रास आने लगा था.
स्वभाव से उग्र होने के कारण उस के फ्रैंड्स की लिस्ट भी छोटी ही थी. देखते ही देखते उस ने इंटर पास कर लिया और इंजीनियरिंग कालेज में आ गई. छुट्टियों में घर आने के बजाय वह इधरउधर घूमना ज्यादा पसंद करती. उसे अकेले घूमने में भी कोई एतराज न था.
बीटैक करते ही उस ने एक कंपनी जौइन कर ली. औफिस के काम से उसे इधरउधर जाना पड़ता. उस के कई पुरुष मित्र थे लेकिन उस ने कभी किसी को अपने इतने नजदीक नहीं आने दिया कि वह उस के लिए अपने दिल में कुछ महसूस कर सके.
जय में कुछ बात थी. वह उस के व्यक्तित्व से ज्यादा बातों और खुलेपन से प्रभावित हो गई थी और उस के मजाक में दिए एक प्रस्ताव पर उस के साथ रहने लगी थी. ओजस यह बात जानते थे. ऊर्जा ने फोन पर पापा को यह बात बता दी थी. सुन कर उन्हें अच्छा नहीं लगा था. उन्होंने उसे समाज की दुहाइयां दीं और इस रिश्ते को शादी में बदलने के लिए दबाव डाला था लेकिन वह नहीं मानी.
पापा को दुखी देख कर दिल के किसी कोने में उसे सुकून मिल रहा था. जिस ने उस की परवाह नहीं की वह उन की भावनाओं की परवाह क्यों करे? यह बात उस का रोमरोम
चीख कर कह रहा था. पिछले साल पापा चले गए. उन के गुजरने पर वह घर आई थी. वीरा को विधवा के भेष में देख कर उसे जरा भी बुरा नहीं लगा. उसे मम्मी से पहले भी कोई उम्मीद नहीं थी. अब बीच का वह पुल भी टूट गया था जिस से वे दोनों जुड़े थे. तब से उस ने घर आना लगभग बंद ही कर दिया था. वीरा अकसर फोन करती लेकिन वह उसे उठाना तक भी जरूरी न समझती. कभी मन आया तो हैलोहाय कर देती वरना फोन पर वीरा का चेहरा देख कर उस की नफरत भड़क जाती.
आज जय के रूखे व्यवहार ने उसे अंदर तक हिला दिया था. उसे समझ नहीं आ रहा था ऐसी हालत में वह कहां जाए? खून के रिश्तों से उस ने पहले ही किनारा कर लिया था. अपना कहने के लिए उस के पास कोई भी नहीं था. दोस्त भी ऐसे थे जिन से यह बात शेयर कर वह उपहास का पात्र नहीं बनना चाहती थी. बहुत सोच कर उस ने घर जाने का मन बना लिया. दोपहर में जय के नाम एक नोट छोड़ कर वह अपना सामान समेट घर चली आई. औफिस में भी उस ने मेल से सिक लीव ले ली थी. सामान के साथ निकलते हुए उस ने एक नजर घर पर डाली और उसे अलविदा कह चली गई.
अचानक ऊर्जा को घर आया देख कर वीरा चौंक गई. उस की शक्ल से लग रहा था कुछ तो हुआ है जिस से ऊर्जा ने घर का रुख कर लिया वरना उस ने इस घर को कभी अपना समझ ही नहीं था. वीरा ने खुले दिल से उस का स्वागत किया. बदले में ऊर्जा ने भी एक फीकी मुसकान दे दी.
वीरा ने आते ही उस से कुछ पूछना ठीक नहीं सम?ा. बड़ी मुश्किल से वह लंबे अरसे बाद घर आई थी. कुछ पूछ कर वह उस का मूड खराब नहीं करना चाहती थी.
वीरा उस की हर जरूरत का खयाल रख रही थी. उस की अपनी कोई औलाद नहीं थी. लेदे कर उस के दिवंगत पति ओजस की एकमात्र निशानी ऊर्जा ही थी. 2 दिन तक उन के बीच मौन पसरा रहा. आखिर ऊर्जा की हालत देख कर वीरा ने चुप्पी तोड़ कर बात आगे बढ़ाई, ‘‘कितने दिन की छुट्टी ली है ऊर्जा?’’
‘‘अभी सोचा नहीं. जब तक मन लगेगा तब तक रहूंगी. उस के बाद चली जाऊंगी.’’
‘‘यह तुम्हारा अपना घर है. मैं कब से तुम्हारे आने का इंतजार कर रही थी ऊर्जा. मेरा भी तुम्हारे अलावा कोई नहीं है,’’ वीरा बोली तो ऊर्जा ने पलट कर कोई जवाब नहीं दिया. पहली बार उस की बात सुन कर वह ड्राइंगरूम से उठ कर अपने कमरे में नहीं गई. वरना ओजस के रहते मम्मीपापा के कुछ कहते ही वह उठ कर वहां से चली जाती थी.
इस से वीरा का हौसला कुछ और बढ़ गया. उसी ने बात आगे बढ़ाई, ‘‘कोई परेशानी हो तो कह दो. बता देने से मन हलका हो जाता है.’’
‘‘मैं प्रैगनैंट हूं,’’ ऊर्जा निर्विकार भाव से बोली.
यह सुन कर वीरा के मन में कई सवाल उठ रहे थे लेकिन उस ने कुछ पूछना उचित नहीं सम?ा. उसे अच्छा लगा कि ऊर्जा ने उसे इस लायक तो सम?ा और अपनी स्थिति बता दी.
‘‘तुम्हें आराम करना चाहिए. तनाव बच्चे के लिए अच्छा नहीं होता.’’
‘‘इसी वजह से घर आई हूं.’’
‘‘मैं तुम्हारा पूरा खयाल रखूंगी ऊर्जा. तुम्हें पता भी नहीं लगेगा यह समय कब बीत गया.’’
ऊर्जा को यह सुन कर तसल्ली हुई कि उस के यहां आने से वीरा को कोई परेशानी नहीं है. थोड़ा साहस कर वह बोली, ‘‘मैं ने अभी तक शादी नहीं की है.’’
यह सुन कर वीरा को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. ओजस ने उसे बता दिया था कि ऊर्जा किसी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती है. वह सम?ा गई यह बच्चा उसी का होगा. वह बोली, ‘‘कोई बात नहीं है. जब मरजी हो तब शादी कर लेना. अभी अपना ध्यान सेहत पर दो. अब पहले वाले जमाने नहीं रह गए पहले शादी फिर बच्चा.’’
‘‘जानती हूं तभी इतना बड़ा फैसला ले सकी वरना…’’ कहतेकहते वह रुक गई.
वीरा ने उसे कुरेद कर कुछ नहीं पूछा. इतना वह सम?ा गई कि अपने मन की बात वह धीरेधीरे उसे बता देगी. उसे बस ऊर्जा का विश्वास जीतना था. वीरा के बरताव ने ऊर्जा का दिल काफी हद तक जीत लिया था और उस ने थोड़ाथोड़ा कर सारी बात उसे बता दी.
‘‘तुझे नौकरी नहीं छोड़नी चाहिए थी.’’
‘‘मैं अभी छुट्टी पर हूं.’’
‘‘परिस्थितियों से भाग कर समस्या का समाधान नहीं निकलता ऊर्जा. 10 तरह की नकारात्मक बातें मन में आती हैं.’’
‘‘आप जानती हैं मैं ने कभी किसी के जज्बातों की परवाह नहीं की न ही मेरा रिश्तों
में कोई विश्वास रहा. मैं इतना ही सम?ा पाई हूं अपने शरीर के किसी हिस्से को बारबार काट
कर फेंकना कहां की बुद्धिमानी है? विचारों की स्वतंत्रता और स्वच्छंदता तभी तक सुकून देती है जब तक वह दिल पर असर न डाले. एक ही घटना के बारबार होने से मुझे सोचने पर मजबूर होना पड़ा है. मैं अब यह काम नहीं करना चाहती.’’
‘‘तुम ने जो सोचा वह अपने हिसाब से बिलकुल ठीक है. इस समय ऐसी बातें सोचने से तुम्हारी सेहत पर बुरा असर पड़ेगा. तुम खुश रहो मैं इतना ही चाहती हूं,’’ वीरा ने उसे सांत्वना दी तो ऊर्जा को अच्छा लगा.
जब वह छोटी थी तब भी वीरा ने उस के पास आने की बहुत कोशिश की लेकिन उस ने उस की भावनाओं को कभी कोई महत्त्व नहीं दिया था. पापा के साथ किसी और औरत को देखने की वह कल्पना भी नहीं करना चाहती थी. वीरा को देख कर उसे बड़ा अटपटा लगता था. वह पापा की पत्नी जरूर थी लेकिन उस की मम्मी नहीं. उस ने अपने व्यवहार से कभी उसे मम्मी बनने का मौका ही नहीं दिया.
पापा के चले जाने के बाद ऊर्जा पहली बार वीरा के इतने नजदीक आई थी. उसे लगा वह एक भली औरत है. उसी की भूल थी जो वह उसे गलत सम?ाती रही. ऊर्जा के फैसले के खिलाफ उस ने एक शब्द भी नहीं कहा और उस की हर बात को जायज ठहराते हुए ऐसी हालत में उस का साथ दे रही थी.
घर पर ऊर्जा को पापा की बहुत याद आ रही थी. वह एक अच्छे इंसान थे. अपना अकेलापन दूर करने के लिए वीरा को उन्होंने अपना जीवनसाथी बनाया था. इस में कोई बुराई भी नहीं थी. वे चाहते तो किसी से भी अपनी शारीरिक जरूरत पूरी कर सकते थे. उन के मन में स्त्री
के लिए सम्मान था इसीलिए उन्होंने अपनी सहकर्मी वीरा को घर की इज्जत बना कर उसे अपनाया था. दोनों खुश थे. ऊर्जा को ही यह सब पसंद नहीं था और यहीं से उस के विचारों में बगावत शुरू हो गई. तब उसे लग रहा था शायद पापा को दुखी करने के लिए उस ने यह कदम उठाया था.
ऊर्जा बड़ी देर से पापा की तसवीर देख रही थी. वीरा उसे सम?ाते हुए बोली, ‘‘बीती बातें याद करने से कोई फायदा नहीं. आने वाले भविष्य की ओर देखो ऊर्जा. जो बीत गया उसे लौटाया नहीं जा सकता. ओजस तुम्हें बहुत याद करते थे. वे हर समय तुम्हारी चिंता करते थे और तुम्हें अपने पास रखना चाहते थे.’’
उस के पास कहने के लिए कुछ बचा भी नहीं था. वीरा उसे हर समय चिंता में डूबे देखती. एक दिन उस ने साहस कर के पूछ लिया, ‘‘तुम अपने इस फैसले से खुश तो हो ऊर्जा? अभी भी समय है तुम इस बारे में एक बार फिर सोच सकती हो.’’
‘‘मैं ने बहुत सोचसमझ कर ही यह फैसला लिया है. मैं सिंगल मदर बनूंगी और बच्चे को पालपोस कर बड़ा करूंगी.’’
‘‘तुम्हारे विचार बहुत अच्छे हैं लेकिन कभी उस बच्चे की नजरिए से भी सोचना जिस के मन में दुनिया देखने के बाद कई प्रश्न खड़े होंगे,’’ वीरा बोली.
उस की बात सुन कर ऊर्जा चौंक गई. उस ने अभी इस दृष्टिकोण से कुछ सोचा ही नहीं था. वीरा ने यह कह कर उसे ?ाक?ार दिया.
ऊर्जा सोचने लगी अपनी मम्मी के चले जाने के बाद वह पापा के साथ वीरा को देख तक न सकी थी. कितना बुरा लगता था पापा के साथ उन्हें हंसतेबोलते देख कर. भविष्य में अगर कभी उस ने शादी करने का फैसला लिया तो क्या आने वाला मेहमान उस के नए जीवनसाथी को स्वीकार कर पाएगा. यह यक्ष प्रश्न उस के सामने खड़ा था जिसे चाह कर भी अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रही थी.
3 महीने पूरे होने में अभी 1 हफ्ता बाकी था और वह अपनेआप से लड़ रही थी कि अपने या बच्चे में से किस के दृष्टिकोण से जिंदगी को देखे.
ऊर्जा के इस तरह घर से चले जाने पर जय को घर में खालीपन लगने लगा था. वह मानसिक रूप से पहले से ही तैयार था कि एक न एक दिन ऊर्जा उसे छोड़ कर चली जाएगी. वह अपनेआप को ऊर्जा के बगैर रहने के लिए तैयार करने लगा. जीवन का जो सुख उसे चाहिए था वह उस ने ऊर्जा के साथ भरपूर भोगा था. वह किसी नए रिश्ते में बंध कर अपनी आजादी खत्म नहीं करना चाहता था. उस ने 1-2 बार ऊर्जा से बात करने की कोशिश की लेकिन उस ने उस का नंबर ब्लौक कर दिया था .वह स्क्रीन पर भी उस के संपर्क में नहीं आना चाहती थी.
3 साल में क्या कुछ नहीं किया था उसने जय के लिए. उस की हर इच्छा का मान किया लेकिन उस ने उसे एक मशीन समझ लिया था जिस में आधुनिकता और खुलेपन के नाम पर भावनाएं नहीं रह गई थीं. यह चौथी बार था जब जय उसे अबौर्शन कराने के लिए कह रहा था. ऐसी परिस्थिति आने पर हर बार वह उसे दोषी करार कर देता और खुद जिम्मेदारी लेने से बच जाता.
कुछ हफ्तों बाद जय को उस की कमी खलने लगी.
वह कई मामलों में जिद्दी थी लेकिन उस की हर इच्छा का बहुत खयाल रखती थी. वह अब उस के बारे में सोचने पर मजबूर हो गया था. उसे घर के हर हिस्से में ऊर्जा की उपस्थिति महसूस होती. उसे लगने लगा कि ऊर्जा ही नहीं वह भी दिल की गहराइयों से उसे चाहने लगा.
यह बात उस का दिमाग उस वक्त स्वीकार नहीं कर सका था. आंखों के आगे से भौतिकवाद और आधुनिकता का परदा हटते ही जय को बहुत कुछ दिखाई देने लगा. वह उस से मिलने के लिए बेचैन था.
एक दिन वह हिम्मत कर ऊर्जा से मिलने उस के घर आ गया. उस समय ऊर्जा डाक्टर के पास अपनी दुविधा ले कर गई हुई थी. अचानक जय को घर पर देख कर वीरा चौंक गई. ऊर्जा ने उसे काफी कुछ उस के बारे में बता दिया था.
‘‘ऊर्जा कहां है आंटी? मैं उस से मिलना चाहता हूं.’’
‘‘वह घर पर नहीं है कुछ देर बाद आ जाएगी,’’ सही बात छिपा कर वीरा बोली.
‘‘मैं ने ऊर्जा को बहुत हर्ट किया है. उसी की माफी मांगने आया हूं.’’
‘‘ऐसा क्यों कह रहे हो? आजकल के नौजवान इसी तरह के रिश्तों को तवज्जो दे रहे
हैं. इस में माफी जैसे शब्दों की कोई जगह नहीं होती.’’
‘‘मानता हूं हम ने नए रिश्ते की शुरुआत अपनी शारीरिक जरूरत को पूरा करने के लिए
की थी. ऊर्जा कब मु?ा से प्यार करने लगी कह नहीं सकता. वह अब इस जरूरत को एक पवित्र रिश्ते का नाम देना चाहती थी. मैं ही इस के लिए तैयार नहीं था.
‘‘मेरा मन इसे स्वीकार नहीं कर रहा था. रिश्ते में हम बड़ी उम्र में भी बंध सकते हैं. अगर हमें जवानी अपनी शर्तों पर खुशीखुशी
जीने के लिए मिलती है तो हम बेकार के पचड़े
में क्यों पड़े? यही सोच कर मैं ने उस की बात नहीं मानी.’’
‘‘नए जमाने की हवा ही कुछ ऐसी है. उस में जज्बातों के लिए जगह ही नहीं रही. तुम दोनों अपनीअपनी जगह सही हो. जिसे जो ठीक लगे वही करो. इस में बड़ों की रजामंदी कोई माने नहीं रखती,’’ वीरा बोली.
तभी ऊर्जा घर लौट आई. जय को ड्राइंगरूम में देख कर उस से कुछ पूछते नहीं बना.
‘‘कैसी हो ऊर्जा?’’
‘‘अच्छीभली हूं. तुम कैसे हो जय?’’
‘‘तुम्हारे बिना कैसा हो सकता हूं?’’ जय बोला तो ऊर्जा चौंक गई. वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि शरीर के स्तर पर जीने वाला इंसान कभी दिल की बात भी सुन सकता है.
‘‘मैं ने तुम से कई बार बात करने की कोशिश की. तुम ने मुझे मोबाइल के साथसाथ अपनी जिंदगी से भी डिलीट कर दिया.’’
‘‘जब तुम्हें मेरी जरूरत ही नहीं रही तो फोन पर नंबर रख कर क्या करती. तुम्हारे लिए मैं एक औरत होने के अलावा और कोई माने नहीं रखती जो तुम्हारी शारीरिक जरूरत पूरी कर सके.’’
‘‘ऐसा कह कर मुझे शर्मिंदा मत करो.
मुझे अपनी गलती का एहसास है. जानता हूं हमारे रिश्ते की शुरुआत चाहे जैसे भी हुई लेकिन अब हम एकदूसरे को प्यार करते हैं और एकदूसरे के बगैर नहीं रह सकते,’’ जय बोला तो ऊर्जा की आंखों की कोरों पर आंसू की 2 बूंदें आ कर टिक गईं.
जय ने बड़ी सावधानी से अपनी उंगलियों की पोरों से उन्हें पोंछ कर उसे अपने आलिंगन में ले लिया. ऊर्जा ने भी उस का विरोध नहीं किया. उन्हें बातें करते देख वीरा रसोई में आ गई थी. आवाज की तीव्रता धीरेधीरे कम हो कर मौन में बदल गई थी. वह समझ गई दोनों के बीच समझौता हो गया है. वे बड़ी देर तक एकदूसरे के आगोश में खोए रहे. दिल की बात आंखों से बहते आंसू बयां कर रहे थे.
तभी वीरा के आने की आहट पा कर वे दोनों एकदूसरे से अलग हो गए.
जय बोला, ‘‘आंटी मैं ऊर्जा से शादी करना चाहता हूं. आप को कोई आपत्ति तो नहीं है?’’
‘‘यह कह कर तुम ने मु?ो जो खुशी दी है उसे मैं बयां नहीं कर सकती लेकिन इस के लिए तुम्हें ऊर्जा से अनुमति लेनी होगी.’’
‘‘ऊर्जा तुम मुझ से शादी के लिए तैयार हो?’’ घुटने के बल जमीन पर बैठ कर जय उसे प्रपोज करते हुए बोला.
उस ने सिर झुका कर अपनी सहमति दे दी.
‘‘मैं आज ही कोर्ट में शादी के लिए ऐप्लिकेशन दे दूंगा. तुम मेरे साथ चलने की तैयारी करो ऊर्जा.’’
ऊर्जा ने यह सुन कर वीरा की ओर देखा.
‘‘अब तो दुलहन की विदाई शादी के बाद ही होगी जय. तब तक तुम्हें इंतजार करना होगा.’’
यह सुन कर ऊर्जा के चेहरे पर मुसकान खिल गई और गाल शर्म से लाल हो गए.
खुशी के इस मौके पर आज पहली बार ऊर्जा अपनत्व से भर कर वीरा के गले लग गई. यह देख कर उस की आंखें भर आईं. वीरा को इतने वर्षों बाद आज बेटी के साथ दामाद भी मिल गया था.