सुमित औफिस से लौटा तो सुधा किचन में व्यस्त दिखी. उस ने पूछा, ‘‘क्या बात है, आज तो बाहर तक खुशबू आ रही है?’’

सुधा मुसकराई, ‘‘जल्दी से फ्रैश हो जाओ, गैस्ट आ रहे हैं.’’

‘‘कौन?’’

‘‘बराबर वाले फ्लैट में जो किराएदार आए हैं, मैं ने उन्हें डिनर पर बुलाया है.’’

‘‘अच्छा, कौन हैं?’’

‘‘एक सिंगल वूमन है और उस की 10 साल की 1 बेटी

भी है.’’

‘‘ठीक है,’’ कह कर सुमित फ्रैश होने लगा. दोनों की 20 वर्षीय बेटी तनु और 17 वर्षीय बेटा राहुल भी अपनी बुक्स समेट कर डिनर के लिए तैयार थे.

सुधा ने तनु के साथ मिल कर डिनर टेबल पर लगाया. तभी घंटी की आवाज सुनाई दी. सुधा ने दरवाजा खोला और फिर मुसकराते हुए बोली, ‘‘आओ अनीता, हैलो बेटा, अंदर आओ.’’

अनीता अपनी बेटी रिनी के साथ अंदर आई. सुधा ने अपने परिवार से उन का परिचय करवाया. सुमित उसे देखता ही रह गया. जींसटौप, कंधों तक लहराते बाल, सलीके से किया गया मेकअप... बहुत स्मार्ट थी अनीता. रिनी तनु और राहुल को हैलो दीदी, हैलो भैया कहती उन से बातें करने लगी. तनु और राहुल उस की बातों का आनंद उठाने लगे. सुमित अनीता के रूपसौंदर्य में घिर बैठा रहा. उस का अनीता के चेहरे से नजरें हटाने का मन नहीं कर रहा था. अनीता और सुधा बातों में व्यस्त थीं. सुमित कनखियों से अनीता को निहार रहा था. सुंदर गोरा चेहरा, खूबसूरत हाथपैर, उन पर लगी आकर्षक नेलपौलिश, हाथ में महंगा फोन, कान व गले में डायमंड सैट. वाह, क्या बात है, सुमित ने उसे मन ही मन खूब सराहा. फिर उन की बातों की तरफ कान लगा दिए. वह दवाओं की एक मल्टीनैशनल कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर थी. यहां मुंबई में इस फ्लैट में वह अपनी बेटी के साथ रहेगी. औफिस के कुछ सहकर्मियों ने उसे यह फ्लैट दिलवाया है. इस सोसाइटी में उस का अच्छा फ्रैंड सर्कल है.

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