इनसान की चमड़ी भी उस की जिंदगी में कितनी अहमियत रखती है... काली चमड़ी... गोरी चमड़ी... मोटी चमड़ी... महीन चमड़ी... खूबसूरत और बदसूरत चमड़ी...

खूबसूरत... हां... सुषेन भी तो खूबसूरत था... बांका और सजीला नौजवान... सुषेन 20 साल पहले की यादों में डूबने लगा था.

कालेज में बीएससी करते समय बहुत सी लड़कियां सुषेन की दीवानी थीं, क्योंकि वह दिखने में तो हैंडसम था ही, साथ ही साथ विज्ञान के प्रैक्टिकल करने में भी उसे महारत हासिल थी.

पर सुषेन के दिल में तो किसी और ही लड़की का राज था और वह लड़की थी एमएससी फाइनल में पढ़ने वाली सुरभि.

सुरभि और सुषेन दोनों अकसर लाइब्रेरी में मिलते थे और वहीं दोनों की आंखें मिलीं, बातें हुईं और 2 जवान दिलों में प्यार होते देर नहीं लगी. दोनों ने महसूस किया कि वे एकदूसरे को जाननेपहचानने लगे हैं और दोनों के विचार भी आपस में मिलते हैं. यकीनन वे एकदूसरे के लिए बने हैं, इसलिए सुषेन और सुरभि ने एकदूसरे से शादी का वादा भी कर डाला.

सुरभि के घर वालों को इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं थी और सुषेन ने भी बगैर यह सोचे ही हामी भर दी थी कि क्या उस के घर वाले उस से उम्र में 2 साल बड़ी लड़की से शादी करने की इजाजत देंगे?

और वही हुआ भी. सुषेन के घर वालों को उस की उम्र से बड़ी लड़की से शादी कर लेने पर घोर एतराज हुआ, पर शायद सुषेन मन ही मन ठान चुका था कि उसे अपने आगे की जिंदगी कैसे और किस के साथ गुजारनी है,
इसलिए उस ने पहले अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी लगने के बाद सुरभि के साथ ब्याह भी रचा लिया.

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