बच्चों को चुगलखोर न बनायें 

चुगली की शुरुआत ही किसी मसालेदार या चटपटी  ख़बर से होती है, इसलिए बाल मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चो को ऐसी कोई भी बात बहुत रोचक लगती है वो  इन्हें उच्च श्रेणी की कहानी  मान लेते हैं. आपको यदि आपके बच्चे भी  अपने आसपास की चटपटी ख़बरें, वो भी नमक-मिर्च लगाकर सुना रहे  हों, तो आप एकदम सजग हो जायें.  ये आदत आपके बच्चे के  पूरे व्यक्तित्व को  खराब कर सकती है और उनको कल्पना की ऐसी दुनिया में ले जाएगी जो बहुत ही अवसाद वाली होगी  जहां वास्तविकता तो मुश्किल से  एक प्रतिशत भी नहीं  होगी और मसाला तथा झूठ सौ प्रतिशत.

बच्चे का  नजरिया बिगड़ने लगेगा वो सच को अनदेखा करना सीख जायेगा चुगलखोरी उसको बेसिर पैर की  बातें बनाना सिखा देगी. यह बहुत ही  जोखिम भरा स्वभाव है जो बच्चे में तब ही विकसित होता है जब माता पिता उसमें रूचि लेते  हैं, क्योंकि इनके द्वारा बताई जानेवाली ख़बरों का अंदाज बहुत ही रोचक होता है भले ही आधार ख़ुद बच्चे को  भी मालूम नहीं होता. ऐसी बातों को अहमियत न दें वरना बच्चे का सोचने का  तरीका बेढंगा  होगा और भविष्य अंधकारमय .बालमन बहुत ही उत्सुक हुआ करता है.अक्सर बच्चों की आदत होती ही  है वे अपने तथा औरों के घर की बातें आते-जाते कान लगाकर  सुनने की कोशिश करते हैं. ऐसे में कोशिश कीजिए कि आप जब भी कोई ऐसी बात कर रहे हों तो सामान्य बनकर करें ताकि बच्चे में कान लगाने वाली आदत विकसित न हो एक घटना सबके लिए सबक है. मीता का अपनी भावनाओं पर कभी कोई काबू नहीं है इसलिए वो तैश  मे आकर बगैर कुछ सोचे समझे अडो़स -पड़ोस, नाते रि-श्तेदार सबकी बातें बच्चों के सामने बेहिचक कर देती थी.मीता की  बातें सुनकर उसके बच्चों के मन मे भी संबंधित व्यक्ति के लिए बहुत ही गलत भावना पैदा होने लगी. और एक दिन इसी बात पर किसी पारिवारिक उत्सव मे मीता के बच्चों ने उस रिश्तेदार की  बहुत सारी चुगली  खुलेआम कर दी.

ये भी पढ़ें- न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

मीता और वहां उपस्थित  बाकी सब भी  हक्के -बक्के से  रह गये कि बच्चों के  मुख से ऐसी बातें आखिर निकलीं भी तो कैसे ? और बाद मे हरेक ने  इसके लिए सिर्फ मीता को ही जिम्मेदार ठहराया.और वहां पर बहुत बड़ा हंगामा हुआ.

अच्छा माहौल था पर रंग मे भंग पड़ गया. मीता को बहुत शर्मिंदा होकर वापस लौटना पड़ा. आखिर गलती तो उसी की  थी. उसने बच्चों मे नफरत का  बीज बो दिया था.

मीता जैसी गलती  बहुत सारी मां कर देती हैं. किसी से नाराज होकर अपना मन हलका करना हो तो यह नहीं सोचती कि बच्चे तो बिलकुल अबोध है उन पर इसका गलत असर पडे़गा. मन मे जब गुस्से का  जहर भरा हुआ होता है तब कुछ भी समझ नहीं आता कि क्या बोलें और क्या नहीं. पर यह तो हमारे हाथ मे ही है कि किसी भी तरह की चुगली आदि से बच्चों को दूर ही रखें वो हमारा भविष्य हैं.किसी ने कहा  है कि “निंदा रस में बड़ा मजा आता है, परंतु यह निंदा रस आप के अंदर तो नकारात्मकता भरता ही है, कई बार दूसरों के सामने भी आप की स्थिति को खराब कर देता है. कहा जाता है कि दीवारों के भी कान होते हैं, इसलिए आज आप के द्वारा दूसरों के बारे में कही गई बात कभी न कभी सामने वाले के पास पहुंच ही जाएगी. ऐसे में आप के संबंध बिगड़ते देर नहीं लगेगी.”

हमको अपना जीवन सहजता से जीना चाहिए हर इंसान मे कुछ न कुछ कमी तो होती ही है कमी की  तरफ ध्यान देते रहेंगे तो बार बार चुगली  करने का  ही मन होगा और कभी न कभी वो बात अपने बच्चों के  सामने भी कह देंगे बस वहीं से बच्चों की  आदत भी वैसे ही ढलने लगेगी.जब भी किसी से नाराजगी हो तो उसी समय अपनी दो चार खराब आदतें भी याद कर लेनी चाहिए ताकि हम संतुलित होकर रहे और  कम से कम हमारे मुंह से गलत बात निकलकर बच्चों के कान मे तो नहीं जायेगी.

बच्चे अपनी मां की  विचारधारा से बहुत प्रभावित रहते हैं. वो वैसे ही बनना चाहते हैं जैसी उनकी मां है . अगर वो बार- बार अपनी मां को चुगली करते हुए सुनेंगे तो खुद भी वैसे ही बनना चाहेंगे.अगर ऐसा हुआ तो बहुत मुश्किल होगी.चुगली, पर निंदा, दूसरों के चटपटे  किस्से, फालतू गपशप मे बहुत रस आता है और फोन वगैरह पर यह सब बार बार बच्चों के सामने दोहराया जाता है तो हौले हौले वो भी स्कूल कालोनी आदि मे हर किसी मे अनुकरणीय बातों की बजाय हमेशा कुछ  चटपटे से किस्से् खोजने लगते हैं यही उनका सबसे पसंदीदा काम बन जाता है.

अब दुष्परिणाम यह होता है कि बच्चों की सोच संकुचित होने लगती है. उनका विकास अवरूद्ध होता है जो बहुत ही घातक है.

केवल जीवन जी लेना ही सब कुछ नहीं होता है इससे भी महत्वपूर्ण होता है अच्छी विचारधारा का पालन करना इसको अपनी नियमित आदत बनाना. दिमाग को खूबसूरत सोचने के  लिए यथासंभव प्रेरित करना चाहिए यह बहुत आसान है और बडा ही लाभदायक भी. चुगली करने वाले व्यक्ति के मन में चुगली के साथ-साथ झूठ बोलना, बुराई करना, मतभेद करवाना, निंदा करना आदि अनेक बुरी आदतें भी जन्म ले लेती है.इससे वह इन सब से बच नहीं पाता और समय के साथ-साथ अपना अस्तित्व खो बैठता है. न तो वह भरोसे के  काबिल रहता है न किसी मान सम्मान के.

ये भी पढ़ें- Love Marriage: आसान है निभाना

हर किसी का जीवन एक ही तरह से नही गुजरता है, इसलिए कहीं किसी के  निजी जीवन मे  कुछ

अटपटा है तो  एक व्यक्ति की बात मसालेदार बनाकर उसको अन्य लोगों  तक फैलाना और  उनके मध्य मनमुटाव पैदा करने के उद्देश्य से कहना बहुत ही विस्फोटक काम है.

आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चों  में अपने परिवार के  किसी सदस्य की  बोली के अंदाज़ मे ही चुगली करने की बुरी आदत हौले हौले बनती रहती है. यह आदत बालक को समाज और व्यक्तित्व से पूर्णतया अलग कर देती है.

किसी की  निजी बातें आखिर इस तरह मजे लेकर  करनी ही क्यों हैं यह मानवीयता  नहीं है और यह आदत बहुत ही  गंदी भी  है, इससे बचकर रहना ही आपके लिए श्रेष्ठ है.

मुंह से निकली हुई बात बहुत लंबा सफर तय करती है.दिमाग की  ऊर्जा को सही जगह पर लगाना चाहिए.

नकारात्मक बातों से इस पर बहुत दबाव पड़ता है.

बच्चों को प्रगति करते हुए देखना चाहते हैं तो घर पर किसी की  भी चुगली  मत कीजिये. मन मे शीतलता, स्फूर्ति, गतिशीलता वाली बातें ही साझा करें. सोचिये  क्या हमारे देश को शिवाजी, ध्रुव, आरूणि,

प्रहलाद जैसे बालक मिलते अगर वहां भी चुगलियों का  सिलसिला चल रहा होता.कुदरती तौर पर बच्चे सचमुच बहुत ही संवेदनशील होते है, कोमल हृदय के  होते हैं.आपके मुँह से बार बार  चुगली, निंदा आदि से उनको अनावश्यक तनाव हो सकता है और उनकी पढ़ाई मे बाधा आ सकती है. अपनी जुबान को बेवजह  खराब न करें. आत्मविश्वास ही दिमाग की  खुराक है और  चुगली नहीं बल्कि सहयोग, सामूहिकता, सबके साथ निरंतर प्रसन्नता  ही इसकी असली  सुगंध है.

ये भी पढ़ें- 9 टिप्स: जौइंट फैमिली में कैसे जोड़ें रिश्तों के तार

प्रेशर कुकर इस्तेमाल करने का सही तरीका जानती हैं आप

खाना बनाने में प्रेशर कुकर का इस्तेमाल करना आम बात है. खाना बनाने के बर्तनों में प्रेशर कुकर सबसे महत्वपूर्ण बर्तन है, जिसका ढक्कन बंद करने के बाद आपको न तो चम्मच हिलाने की जरूरत पड़ती है और न ही बार-बार यह देख‍ना पड़ता है कि खाना पका या नहीं. बस सीटी के हिसाब से अंदाजा लग जाता है कि खाना तैयार है. लेकिन क्या आपको आपके कुकर का सही इस्तेमाल करना आता है. अगर नहीं तो हम आपकी मुश्किल आसान कर देते हैं और आपको बताते हैं कुकर के इस्तेमाल का सही तरीका.

1. कुकर को जबरदस्ती न खोलें

प्रेशर कुकर में खाना पकाते समय इसमें भाप बन जाता है. जब गैस को बंद किया जाता है उसके बाद भी कुछ देर तक भाप कुकर में ही रहती है लेकिन कई लोग इसमें से प्रेशर निकलने का इंतजार नहीं करते और इसे जबरदस्ती खोलने की कोशिश करते हैं जिससे कई बार कुकर फट सकता है. ऐसे में हमेशा अच्छे से भाप निकलने के बाद ही इसे खोंले.

2. पानी के बिना कुकर का इस्तेमाल

प्रेशर कुकर में कुछ भी पकाते समय इस बात को ध्यान रखें कि इसमें थोड़ा बहुत पानी जरूर हो. इसके अलावा कुकर पानी से बिल्कुल ऊपर तक न भरें, क्योंकि भाप को जमा होने के लिए जगह की जरूरत होती है. ज्यादा पानी होने की वजह से कुकर फट सकता है.

ये भी पढ़ें- 18 TIPS: ऐसे चुनें ताजा सब्जी

3. प्रेशर कुकर में दरार

कुकर जब काफी पुराना हो जाता है तो उसमें दरारें या गढ्ढे पड़ जाते हैं जिसे इस्तेमाल करने से नुकसान हो सकता है. इसके लिए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कुकर अच्छी तरह साफ हो और उसमें कोई दरार न हो.

4. बंद करने का तरीका

कुकर को हमेशा सही तरीके से बंद करें जिससे भाप सही तरीके से बन जाए और खाना भी अच्छे से पके. कई कुकर की रबड़ खराब होती है जिससे उसमें खाना पकाने में बहुत समय लगता है. ऐसे में नया कुकर लें नहीं तो उसकी रबड़ बदलवाएं.

5. कुकर से पानी बाहर आना

कई बार ऐसा होता है कि प्रेशर कुकर से पानी बाहर निकल आता है और यह इतना गर्म होता है कि शरीर पर पड़े इसके छींटों से त्वचा लाल हो जाती है. इसकी वजह प्रेशर कुकर में पानी की मात्रा का अनुपात सही नहीं होना होता है. खाने की तुलना में पानी ज्यादा हो तो कुकर से पानी बाहर निकलता है. ऐसा करने से खाना भी स्वादहीन हो जाता है. इससे बचने के लिए पानी की मात्रा का सही अंदाजा लगाना सीखें.

6. हर चीज कुकर में उबालने की नहीं होती

कई लोग हर चीज प्रेशर कुकर में ही उबालते हैं. जबकि हर चीज का अपना रूप और पकने का अपना तरीका होता है. कुकर में अनाज और कुछ सब्जियों को तो उबाला जा सकता है, लेकिन हर चीज को नहीं.

7. मसालों का गलत इस्तेमाल

प्रेशर कुकर में खाना बनाने के दौरान लोग मसालों के इस्तेमाल पर ध्यान नहीं देते. अगर आप चाहते हैं कि आपका खाना स्वादिष्ट बने तो ताजी सब्ज‍ियों और ताजे मसालों का इस्तेमाल करें. अगर ये संभव न हो तो खड़े मसालों का प्रयोग करें.

ये भी पढ़ें- Summer Special: खूबसूरत वादियों और वाइल्डलाइफ का अद्भुत मेल है उत्तराखंड

8. प्याज लहसुन के इस्तेमाल में रखें खास ख्याल

कई बार लोग प्रेशर कुकर में खाना बनाने के दौरान कच्चा प्याज, लहसुन और अदरक यूं ही डाल देते हैं. लेकिन इससे खाने का स्वाद नहीं आता. कुकर में खाना बनाने के दौरान प्याज, लहसुन और अदरक को पहले किसी फ्राइंग पैन में भून लेना बेहतर रहेगा. ऐसा करने से इन चीजों की महक व स्वाद बरकरार रहेंगे.

जानें कैसा था प्राची तेहलान का नैटबौल की पूर्व कप्तान से एक्ट्रेस तक का सफर

आकर्षक, आत्मविश्वास से भरपूर,  5 फुट 9 इंच लंबी, खूबसूरत प्राची तेहलान इंडियन नैटबौल की पूर्व कप्तान होने के साथसाथ जानीमानी अदाकारा भी हैं. उन की कप्तानी में 2011 में भारतीय टीम ने दक्षिण एशियाई बीच खेलों में अपना पहला पदक जीता था. 2016 में प्राची तेहलान ‘दीया और बाती हम’ सीरियल से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा. इस के बाद उन्होंने कई साउथ की और पंजाबी फिल्में कीं.

हाल ही में प्राची को अपनी पहली फिल्म ‘ममंगम’ के लिए कलाभवन मणि मैमोरियल अवार्ड्स 2021 के तहत बैस्ट ऐक्ट्रैस का  अवार्ड मिला.

उन से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश पेश हैं:

खिलाड़ी से ऐक्ट्रैस कैसे बनीं?

मैं उस वक्त दिल्ली में काम कर रही थी. तभी मुझे एक बहुत बड़े प्रोडक्शन हाउस से औफर आया. यह वही प्रोडक्शन हाउस था, जिन का स्टार प्लस पर आने वाला प्राइम टाइम शो ‘दीया और बाती हम’ था. उन्होंने मुझे फेसबुक से कौंटैक्ट किया और कहा कि हम आप को इस सीरियल में मौका देना चाहते हैं. मगर शर्त यह है कि आप को 3 दिन के अंदर ही मुंबई शिफ्ट होना होगा.

ये भी पढ़ें- ‘सीरत-कार्तिक’ की जिंदगी में ‘Ranveer’ बने करण कुंद्रा की एंट्री से भड़के फैंस तो एक्टर ने दिया ये जवाब

मेरे लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था, क्योंकि अपना शहर और जौब छोड़ कर अचानक नए शहर में जा कर नए क्षेत्र में काम शुरू करना कठिन था. मगर मैं ने सोचा कि मुझे एक नया मौका मिल रहा है, इसलिए ट्राई करना तो बनता ही है. पेरैंट्स की भी सपोर्ट मेरे साथ थी और सब से बड़ी बात यह कि मुंबई में मेरी मौसी रहती थीं. इसलिए मेरे लिए यह फैसला लेना कठिन नहीं था. मैं ने उसी वक्त मुंबई शिफ्ट किया और मौसी के यहां रह कर ‘दीया और बाती हम’ शो के साथ ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत की.

इस के बाद मैं ने 2 पंजाबी फिल्में कीं और फिर स्टार प्लस के ही एक और शो ‘इक्यावन’ में काम किया. फिर मुझे सुपरस्टार ममूटी के साथ मलयालम फिल्म करने का मौका मिला. इस तरह अचानक मेरी जिंदगी की दिशा बदली और मैं खिलाड़ी से ऐक्ट्रैस बन गई.

आप की लंबी हाइट ने सफलता की राह में कैसे आप का साथ दिया?

मैं ने जीवन में जो भी सफलता पाई वह मुख्यतया अपनी हाइट की वजह से ही पाई है. भले ही वह बास्केटबौल और नैटबौल खेलना हो या फिर ‘दीया और बाती’ में मौका मिलना, दरअसल ‘दीया और बाती’ में एक लंबी लड़की की जरूरत थी. तभी मुझे वहां मौका दिया गया और मैं ऐक्ट्रैस बन पाई.

क्या भारतीय खिलाडि़यों को विदेशियों की तुलना में कम सहूलियत मिलती है?

जी हां भारतीय खिलाडि़यों को हर तरह से बहुत कम सहूलियत मिलती है. भले ही वह इंफ्रास्ट्रक्चर की बात हो, फैसिलिटीज हो या फिर जौब औपर्च्यूनिटी की बात, हर तरीके से पिछड़े  हुए हैं. पिछले दिनों कौमनवैल्थ गेम्स से पहले  मैं 21 दिनों के लिए आस्ट्रेलिया गई थी. वहां  पर आस्ट्रेलियन इंस्टिट्यूट औफ स्पोर्ट्स में  रुकना हुआ.

अगर हम उस की तुलना अपनी ‘स्पोर्ट्स अथौरिटी औफ इंडिया’ से करें तो हमें पता चलेगा कि कितना बड़ा अंतर है. वहां सारी सैवन स्टार फैसिलिटीज, बेहतरीन सैनिटाइजेशन, वैल इक्यूपिड और प्लान्ड कमरे, कैफेटेरिया, डाइट सबकुछ था. विदेशों में खिलाडि़यों को बहुत अच्छी फैसिलिटीज मिलती है पर भारत में वह नहीं मिल पाता.

हाल ही में आप के साथ कुछ लड़कों  द्वारा बदतमीजी की जाने की घटना सामने  आई. महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में क्या कहना चाहेंगी?

उस रात मैं पति के साथ एक फैमिली गैटटुगैदर से वापस आ रही थी. रास्ते में 4 युवकों ने हमारी कार का पीछा करना शुरू किया और हमारे पीछेपीछे सोसाइटी में भी घुस गए. मेरा मानना है कि दिल्ली बहुत असुरक्षित है. लोग गाडि़यों में दारू पीते हैं, छेड़खानी करते हैं. कैपिटल हो कर भी दिल्ली में कुछ लोग पता नहीं क्यों इतने गंदे हैं जबकि मुंबई में माहौल बहुत अच्छा है. कोई लड़का किसी लड़की को घूर कर देखने की भी हिम्मत नहीं करता. दिल्ली और मुंबई के लोगों की सोच में 10 साल का फर्क है.

आप खुद को खिलाड़ी देखना ज्यादा पसंद करती हैं या ऐक्ट्रैस?

मैं खुद को खिलाड़ी देखना ज्यादा पसंद करती हूं. स्पोर्ट्स के जरीए ही मेरी जिंदगी का आधार तैयार हुआ. मैं जब ऐक्ट्रैस के तौर पर काम करती हूं तो भी मेरा स्पोर्ट्स पर्सन होना काफी हैल्पफुल होता है.

कोरोना से आप ने क्या सीखा?

कोरोना ने हमें सिखाया कि जिंदगी बहुत अनिश्चित है. जिंदगी में महत्त्वपूर्ण क्या है, इस बात को समझना जरूरी है. हमें ऐंबिशियस होना चाहिए. काम करना भी जरूरी है. मगर जीवन में बैलेंस रखना भी बहुत जरूरी है. हम जिंदगी में बस दौड़े जा रहे थे. कंपीटिशन में उलझे हुए थे. मगर हमें यह समझना जरूरी है कि अपनों के साथ समय बिताना, खूबसूरत यादें सजाना और खुश रहना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है.

स्त्रियों की स्थिति मजबूत करने के लिए सब से जरूरी क्या है?

सब से जरूरी यह है कि स्त्रियां सैल्फ डिफैंस करना सीखें. वे शिक्षित हों और यहां के सिस्टम को दुरुस्त किया जाए ताकि लोग गलत करने से पहले 10 बार सोचें. लड़कियों को बाहर निकलने से पहले यह न सोचना पड़े कि कहीं कोई दुर्घटना न घट जाए.

Summer Special: फैमिली के लिए बनाएं ड्राई फ्रूट्स मैंगो लस्सी

फलों का राजा कहा जाने वाला आम हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. गर्मियों के मौसम में ये आपको हर मार्केट में आसानी से मिल जाएगे. यह हमें कई बीमारियों से बचाता है.

आपने आम से संबंधित कई तरह की रेसिपी बनाई और खाई होगी, लेकिन हम आपको ऐसे रेसिपी के बारे में बता रहे हैं जो स्वाद में बेमिसाल होने के साथ-साथ सेहतमंद भी है. तो  फिर देर किस बात की. बनाइए ड्राई फूट्स मैंगो लस्सी..

सामग्री

1. एक कप दही

2. एक आम छिला कटा हुआ

3. तीन चमम्च चीनी

4.  5-6 पिस्ता

5. गुलाब जल कुछ बूंद

6. आवश्कतानुसार आइस क्यूब

ऐसे बनाएं ड्राई फूट्स मैंगो लस्सी

सबसे पहले बादाम और पिस्ता ग्राइंडर में डालकर पाउडर बना लें. इसे एक बाउल में निकाल लें. इसके बाद इसमें दही, आम, चीनी और गुलाब जल डालकर चलाएं. जब ये अच्छी तरह से मैश हो जाए तो इसे एक पैन में छान लें. और पिर एक गिलास में कुछ आइस क्यूब, ड्राई फ्रूट्स का पाउडर डालकर इसे डालें. आपकी ड्राई फ्रूट्स मैंगो लस्सी बनकर तैयार है.

शादी की शॉपिंग में बिजी हुईं राहुल वैद्य की गर्लफ्रैंड! वीडियो में दिखाई लहंगों की झलक

कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ (Bigg Boss 14) में अपने प्यार का इजहार करने वाले सिंगर राहुल वैद्य (Rahul Vaidya) अपनी गर्लफ्रेंड और एक्ट्रेस दिशा परमार संग जल्द शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. वहीं सोशलमीडिया में शादी की फोटो को लेकर राहुल और दिशा काफी सुर्खियों में छा गए हैं, जिसके बाद अब दिशा परमार ने अपने कुछ वेडिंग लुक शेयर किए हैं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. दरअसल, एक्ट्रेस दिशा परमार ने 29 सेकंड का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने प्री वेडिंग से लेकर वेडिंग डे तक के कुछ खास लुक्स दिखाए हैं. आइए आपको दिखाते दिशा परमार के वेडिंग लुक्स…

1. Purple लहंगें में गिराई बिजलियां

purple

29 सेकंड की वीडियो में दिशा परमार ने 4 लहंगो की झलक दिखाई, जिनमें पहला लहंगा है मिरर वर्क और पर्ल वर्क वाला पर्पल कलर का लहंगा. इस लहंगे साथ दिशा ने पर्ल ज्वैलरी कैरी की थी, जो उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था.

ये भी पढ़ें- Yeh Rishta… में एक बार फिर दुल्हन बनेंगी Shivangi Joshi, ब्राइडल लुक हुआ वायरलॉ

2. पिंक लहंगे में लग रही थीं कमाल

pink-legenga

पिंक कलर के लहंगे में दिशा परमार बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इस लुक के साथ चेन वाली ज्वैलरी काफी ट्रैंडी साबित हो रही थी, जो वेडिंग कलेक्शन के लिए परफेक्ट लुक है.

3. बनारसी कौम्बिनेशन है परफेक्ट 

orange

बनारसी दुपट्टे और साड़ियां इन दिनों ट्रैंड में हैं. वहीं औरेंज कलर के लहंगे के साथ बनारसी दुपट्टा दिशा परमार के लुक को ट्रैंडी बना रहा था. इस लुक के साथ गोल्ड के झुपके काफी खूबसूरत लग रहे थे.

ये भी पढ़ें- इंडियन से लेकर वेस्टर्न, हर लुक में खूबसूरत लगती हैं ‘इमली’ की ‘मालिनी’, देखें फोटोज

4. ब्राइडल लुक में दिखीं खूबसूरत

 

bridal-lehenga

दिशा परमार ने अपने ब्राइडल लुक की झलक भी सोशलमीडिया के जरिए दिखाई. हालांकि ये लुक्स एक फोटोशूट के लिए किए गए थे. लेकिन इन सभी लुक में दिशा किसी नई नवेली दुल्हन से खूबसूरत लग रही थी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by DP (@dishaparmar)

शादी की वायरल फोटोज में लगी थीं खूबसूरत

 

View this post on Instagram

 

A post shared by DP (@dishaparmar)

हाल ही में सोशलमीडिया पर राहुल वैद्य और गर्लफ्रेंड दिशा परमार की एक शादी की फोटो वायरल हुई थी, जिसमें दोनों दुल्हा-दुल्हन बने हुए थे. हालांकि ये फोटो दोनों के अपकमिंग सौंग की थी.

उस रात अचानक: क्या गुंजन साबित कर पाई?

Serial Story: उस रात अचानक– भाग 1

रोज की तरह आज भी दोनों पतिपत्नी प्रशांत और गुंजन रात का खाना खाने के बाद टहलने के लिए घर से निकल पड़े थे.

प्रशांत एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है और गुंजन एक ट्रैवल एंड टूर कंपनी में काम करती है. दोनों अच्छाखासा वेतन पाते हैं. सुखसुविधा के हर साजोसामान से घर भरा पड़ा है. दफ्तर दोनों ही अपनीअपनी कार से आतेजाते हैं.

शरीर का थोड़ाबहुत व्यायाम हो जाए और पतिपत्नी को परस्पर एकदूसरे से बातचीत का अवसर मिल जाए, इस उद्देश्य से दोनों रोज ही घर से लंबी सैर के लिए निकलते हैं.

प्रशांत को पान खाने का भी शौक था. शहर की चर्चित पान की दुकान, आपस में बातचीत करते कब करीब आ जाती, उन्हें पता ही नहीं चलता था. पति के साथ गुंजन भी गुलकंद वाला मीठा पान खाने की आदी हो गई थी.

दोनों के विवाह को साढ़े 3 साल हो चुके हैं. प्रशांत के मातापिता घर में नन्हे बच्चे की किलकारियां सुनने को बेचैन हैं किंतु वे दोनों अपने ही कैरियर में व्यस्त, ऊंचाइयों को छूने की महत्त्वाकांक्षा मन में पाले हुए हैं.

प्रशांत पिछले कुछ अरसे से गुंजन को अपनी नौकरी बदलने के लिए जबतब कह देता, ‘‘अब हमें अपने परिवार की योजना बनानी चाहिए…तुम यह भागदौड़ वाली नौकरी छोड़ दो. इस में काफी समय खर्च करना पड़ता है. कहीं किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाने की नौकरी का प्रयास करो. यू नो, टीचिंग लाइन में माहौल भी अच्छा…सभ्य मिलता है और छुट्टियां भी काफी मिल जाती हैं.’’

प्रशांत की इस सलाह का आशय गुंजन भलीभांति जानती है.

‘‘यह भी अच्छी नौकरी है…और फिर मेरी रुचि का काम भी है. दूसरी नौकरी क्या आसानी से मिल जाएगी? लगीलगाई बढि़या नौकरी छोड़ कर दूसरी नौकरी की तलाश के लिए भागदौड़ करना क्या सही होगा?’’ गुंजन के सवाल पर पुन: प्रशांत ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा, ‘‘लेकिन गुंजन, सारा दिन पुरुष ग्राहकों के साथ डील करना…’’

ये भी पढ़ें- निडर रोशनी की जगमग: भाग्यश्री को किस पुरुष के साथ देखा राधिका ने

प्रशांत के मन की बात भांप कर गुंजन बीच में ही बात काटती हुई बोली, ‘‘अच्छा ठीक है. इस बारे में सोचूंगी.’’

इनसान की प्रकृति भी विचित्र होती है. जीवनसाथी के रूप में उसे एक पढ़ीलिखी आधुनिका पत्नी की भी कामना होती है और साथ ही वह नौकरीपेशा, अच्छा वेतन पाने वाली पत्नी की भी उम्मीद करता है और वह यह भी चाहता है कि उस की पत्नी घरपरिवार का पूरा खयाल रखे, घर के हर सदस्य की जरूरत पर तुरंत हाजिर हो.

किंतु इनसान के भीतर की परंपरा- वादी सोच औरत को अपने कार्यक्षेत्र में पुरुष सहकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करने को भी सहजता से पचा नहीं पाती.

प्रशांत की ठेठ पुरुषवादी मान- सिकता गुंजन के व्यावसायिक संबंधों को ले कर जबतब सचेत हो जाती.

जब कभी गुंजन कार्य की अधिकता के चलते घर देर से वापस आती तो प्रशांत के दिल व दिमाग पर संदेह का कीड़ा कुलबुलाने लगता.

गुंजन के समक्ष उस की वाणी तो मौन रहती किंतु आंखों और चेहरे के अप्रिय भाव कई सवाल पूछते प्रतीत होते थे.

गुंजन के नाम कोई भी पत्र आता तो प्रशांत पहले पढ़ता. उस के फोन काल्स के बारे में जानने को उत्सुक रहता. आफिस के मामलों में गुंजन से कैफियत मांगता रहता.

ऐसे मौकों पर गुंजन तिलमिला कर रह जाया करती थी. वह सोचती थी कि आज के दौर में व्यक्ति को खुले दिमाग का अवश्य होना चाहिए. पर प्रत्यक्ष वह प्रशांत के हर प्रश्न का सटीक उत्तर दे कर उन की जिज्ञासाएं शांत कर देती थी और अपनी मधुर खिलखिलाहट से वातावरण को हलकाफुलका बना देती थी.

‘‘प्रशांत, तुम इतने पजेसिव हो… शक्की हो…’’ उस के घुंघराले बालों में प्यार से उंगलियां फेरती वह कह उठती थी.

‘‘डियर, सभी मर्द ऐसे ही होते हैं,’’ प्रशांत उसे बांहों में भींच कह उठता था. तब गुंजन का तनमन खिल उठता था.

दोनों टहलते बातें करते जा रहे थे. तभी प्रशांत का मोबाइल बज उठा और वह फोन पर बात करता चला जा रहा था.

पति के पीछेपीछे चलती गुंजन पति के साथ कदम मिला कर चल नहीं पा रही थी क्योंकि जल्दबाजी में आज वह पुरानी चप्पल पहन आई थी. दौड़ कर पति के साथ कदम मिलाने के प्रयास में ठोकर खा कर गिरने को ही थी कि उस की चप्पल टूट गई थी.

प्रशांत अभी भी कान पर मोबाइल लगाए अपनी ही धुन में आगे निकल चुका था.

गुंजन ने पति को पुकारना चाहा किंतु पलक झपकते ही उस की आंखों के सामने काला अंधकार छा गया था. गुंजन के चेहरे को किसी ने कपड़े से कस कर ढांप दिया था और जबरदस्ती खींच कर कार में बिठा कार दौड़ा दी थी.

गुंजन ने हाथपैर मारने का बहुतेरा प्रयास किया किंतु सब व्यर्थ, उस के हाथपैरों को भी बांध दिया गया था.

लाचार और भयभीत गुंजन का दम घुटने लगा था. बेबस छटपटाहट से वह कुछ ही देर में सुधबुध खो बैठी थी.

ये भी पढ़ें- विश्वासघात: क्यों लोग करते हैं बुढ़ापे में इमोशन के साथ खिलवाड़

उधर प्रशांत स्तब्ध खड़ा गुंजन को यहांवहां देख रहा था. परेशान हो कर दौड़ता हुआ घर वापस आया पर वहां भी गुंजन को न पा कर उस के हाथों के तोते उड़ गए थे. वह अनजानी आशंका से भयभीत हो पुन: उसी रास्ते पर दौड़ कर आया और राह चलते लोगों, आसपास की दुकानों पर पूछताछ करने लगा. किंतु कोई लाभ न हुआ.

घर वापस आ कर परिचितों, रिश्तेदारों तथा मित्रों से फोन पर पूछताछ करने के बाद भी उसे निराशा ही हाथ लगी.

सारी रात आंखों ही आंखों में कट गई. पौ फटते ही अचानक फोन की घंटी बज उठी. प्रशांत ने लपक कर फोन का रिसीवर कान से लगाया और परेशान हो उठा.

गुंजन के अपहरण की जानकारी देते हुए अपहरणकर्ताओं ने फिरौती के रूप में एक बड़ी रकम की मांग की थी. साथ ही सख्त शब्दों में धमकी दी गई थी कि अपहरण की भनक या जानकारी पुलिस को नहीं लगनी चाहिए वरना पत्नी से हाथ धोना पड़ेगा.

पूरा घर सहम गया था. चुपचाप पुलिस को सूचना देते ही पुलिस तुरंत सक्रियता से छानबीन में जुट गई थी.

अपहरणकर्ता गुंजन को ले तुरंत शहर से सटे एक गांव में आए थे जहां एक छुटभैये गुंडा नेता की आलीशान कोठी निर्माणाधीन थी. उस कोठी के ही एक खास कोने में गुंजन को ला कर रख दिया गया था.

आगे पढ़ें- गुंजन को वहीं छिपा कर अपहरणकर्ता…

ये भी पढ़ें- वॉचपार्टी: कैसा तूफान मचा गई थी शोभा और विनय की जिंदगी में एक पार्टी

Serial Story: उस रात अचानक– भाग 2

उस निर्माणाधीन कोठी की हिफाजत और देखभाल के लिए नेता का एक खास कृपापात्र, जो दूर के रिश्ते में नेता का साला लगता था, रात में सोने के लिए आता था. कभीकभार उस के साथ पत्नी और बच्चे भी आ जाते थे.

गुंजन को वहीं छिपा कर अपहरणकर्ता खुद निडरता से फिरौती की रकम के लिए फोन करने के बाद उस के मिलने की प्रतीक्षा में थे. कोठी के मालिक का उन लोगों पर वरदहस्त था. अपहरणकर्ता इसलिए भी निश्ंिचत थे कि बंधी हुई बेबस चिडि़या आखिर यहां से कैसे कहीं भाग जाएगी? इसी सोच के चलते वे गुंजन की तरफ से लापरवाह थे.

प्रशांत दुखी- परेशान मन से पत्नी की सकुशल वापसी की प्रतीक्षा कर रहा था.

रात बीतने का एक प्रहर अभी शेष था, तभी गुंजन ने घर के मुख्यद्वार की घंटी बजा दी. प्रशांत ने दरवाजा खोला, बदहवास गुंजन को एकाएक सामने खड़ा देख वह दंग रह गया था. आश्चर्य मिश्रित हर्ष से उस का चेहरा खिल गया था.

गुंजन की रुलाई फूट पड़ी थी. डरीसहमी गुंजन पति के चौड़े सीने से लग रोतीबिसूरती बोली, ‘‘प्रशांत, उन अपहरणकर्ताओं ने मेरे खूबसूरत कंगन और कानों के कीमती ‘टौप्स’ निकाल लिए.’’

प्रशांत ने पत्नी की आंखों में झांका, ‘‘सिर्फ कंगन और कानों के झुमके ही गए?’’

ये भी पढ़ें- हीरोइन: कमला के नौकरी ना छोड़ने के पीछे क्या थी वजह

‘‘वह तो अच्छा हुआ उस दिन मैं ने अपना मंगलसूत्र गले से उतार कर सोनार को बनने के लिए दे दिया था क्योंकि उस की लडि़यों के मोती निकल गए थे,’’ गुंजन अपनी ही रौ में बोल रही थी, ‘‘गले में पहना होता तो वे निर्दयी उसे भी उतार लेते,’’ गुंजन ने सरलता से पति को देखते व्यथित मन से कहा.

किंतु प्रशांत की आंखों में उभरे विचित्र भावों को देख वह चौंक गई थी. सासससुर की आंखों में भी प्रश्नों की जिज्ञासाएं थीं.

केस खुदबखुद सुलझ गया था. पुलिस ने भी राहत की सांस ली.

गुंजन ने अपनी स्वयं घर वापसी की घटना घर के सदस्यों को कह सुनाई थी.

‘‘रात को उस खंडहरनुमा कोठी में एक महिला ने मुझे वहां बंधा हुआ देखा. पहले तो वह हैरान हुई फिर उस ने शायद किसी से फोन पर बात की और कुछ ही देर बाद मुझे बंधन से मुक्त कर तुरंत वहां से भगा दिया. उस ने ही मुझे पैसे भी दिए ताकि मैं घर वापस जा सकूं…मेरी आपबीती सुन कर उस महिला ने मुझे बताया था कि कोठी के मालिक उस के रिश्तेदार हैं…उस ने मुझे हिदायत दी कि मैं इस घटना का जिक्र किसी से न करूं…उस महिला ने वहां से भागने में मेरी मदद करते हुए कहा था, ‘तुम यहां बंधी रही हो, इस बात का जिक्र कहीं न करना…चुनावों का वक्त है…कोठी के मालिक की साख पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए… चुनावों का माहौल न होता तो तुम यहां से जा नहीं सकती थीं. इस वक्त चुनाव की चिंता है, उन्हें बस…’’’

गुंजन की सकुशल वापसी से सासससुर खुश थे…

‘‘बेटा, पुलिस की मदद से बहू के गहने तो उन लुटेरों से वापस ले लो…’’

गुंजन की सास को बहू के गहनों की चिंता सता रही थी किंतु गुंजन को गहनों से अधिक अपनी घरवापसी प्रिय लग रही थी.

गुंजन तो उम्मीद ही छोड़ चुकी थी उस अंधेरे नरक से वापसी की. उन बदमाशों की कैद में क्याक्या अनर्गल विचार…कैसीकैसी आशंकाएं उठती थीं उस के मन में. याद कर वह सिहर उठी थी.

भयंकर अट्टहास के साथ गुंजन ने उन बदमाशों के गंदे इरादे भी सुने थे, ‘‘यार, अब की बड़ा हाथ मारा है. कमाई तो अच्छी होगी ही…फिर इतनी खूबसूरत, जवान, ऐसा गदराया जिस्म है कि बस… खूब मजा आएगा,’’ यह कह कर उन्होंने गुंजन के जिस्म पर हाथ फेरा तो वह कसमसा उठी थी. हाथपैर बंधे थे, आंखें भी ढंकी थीं.

अपने समीप उन बदमाशों की पगध्वनि सुन कर गुंजन सहम गई थी और अपने सर्वनाश की कल्पना कर उस ने आंखें जोर से भींच लीं.

‘‘अरे, मजे फिर ले लेना. इस काम के लिए तुम्हें रोकूंगा भी नहीं, लेकिन इस के घर वाले ने पुलिस को इत्तला कर दी है इसलिए आज की रात तो पहले हमें अपनी जान बचानी है. कल जैसा जी में आए करना,’’ तीनों की सम्मिलित हंसी गूंज गई थी.

और उसी रात गुंजन उस अजनबी औरत के कारण घर वापस आ सकी थी.

गुंजन सहीसलामत अपने घर वापस आने पर खुश थी लेकिन घर का माहौल जैसे उसे कुछ बदलाबदला लग रहा था.

ये भी पढ़ें- मैट्रिमोनियल: क्यों पंकज को दाल में कुछ काला आ रहा था नजर

प्रशांत का बदला व्यवहार उसे बेचैन कर रहा था. वह गुंजन से कुछ खिंचाखिंचा रहने लगा. गुंजन का बिना फिरौती दिए खुद ही घर वापस आ जाना उसे अस्वाभाविक लग रहा था. ‘सिर्फ जेवर ले कर ही अपहरणकर्ता खुश हो गए…क्या गुंजन उन के पास सहीसलामत रही होगी?’

प्रशांत के प्यार की गरमाहट समाप्त होती जा रही थी. दिनप्रतिदिन प्रशांत की उदासीनता और उपेक्षा से गुंजन दुखी और निराश रहने लगी थी.

इसी बीच दफ्तर के काम के दौरान उसे जबरदस्त चक्कर आ गया था. सिर घूम गया था. ‘शायद खानेपीने की लापरवाही से ऐसा हो,’ यह सोच कर वह कैंटीन की ओर बढ़ गई. किंतु जैसे ही कौर उठा कर मुंह में डाला तो उबकाई का उसे एहसास हुआ और वह उलटी के लिए टायलेट की ओर भागी. इस के बाद तो गुंजन निढाल सी हो गई और आफिस से छुट्टी ले डाक्टर के पास चली गई.

गुंजन का शक सही निकला. लेडी डाक्टर ने उसे गर्भवती होने की खुशखबरी सुनाई. गुंजन का तनमन खिल उठा. वह प्रशांत को यह खुशखबरी सुनाने को आतुर थी.

‘अब प्रशांत का व्यवहार भी उस के साथ अच्छा हो जाएगा, यह जान कर कि वह पिता बनने वाला है, खुश होगा,’ गुंजन मन ही मन विचार करती घर पहुंच गई थी.           –क्रमश:        

ये भी पढ़ें- फैसला: अवंतिका और आदित्य के बीच ऐसा क्या हुआ था?

Serial Story: उस रात अचानक– भाग 3

पूर्व कथा

सुखसुविधा के हर साजोसामान के साथ प्रशांत और गुंजन खुशहाल जिंदगी जी रहे थे. इच्छा थी तो उन्हें एक संतान की. अचानक एक रात घर से बाहर टहलने के दौरान गुंजन का अपहरण हो जाता है. अपहरणकर्ता फिरौती में भारी रकम की मांग करते हैं. उधर, एक दिन अनजान महिला बंधी गुंजन की रस्सी खोल उसे अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुटकारा दिला देती है. रात बीतने का एक प्रहर अभी शेष है कि घंटी टनटनाती है. परेशान प्रशांत डरडर कर दरवाजा खोलता है, गुंजन को देख आश्चर्यमिश्रित हर्ष से उस का चेहरा खिल जाता है और डरीसहमी गुंजन पति के चौड़े सीने से लग रोतीबिसूरती बोलती है, ‘‘प्रशांत, अपहरणकर्ताओं ने मेरे खूबसूरत कंगन और कानों के कीमती टौप्स निकाल लिए…’’  गुंजन की सकुशल वापसी से सासससुर खुश थे. सास को बहू के गहनों की चिंता सता रही थी जबकि गुंजन को गहनों से अधिक अपनी घरवापसी प्रिय लग रही थी. वहीं, प्रशांत का बदलाबदला व्यवहार उसे बेचैन कर रहा था. वह गुंजन से कुछ खिंचाखिंचा रह रहा था. अपहरणकर्ताओं को फिरौती पहुंचाए बिना ही गुंजन का घर वापस आ जाना उसे अस्वाभाविक लग रहा था. ‘सिर्फ जेवर ले कर ही अपहरणकर्ता खुश हो गए…क्या गुंजन उन के पास सहीसलामत रही होगी?’ गुंजन के प्रति प्रशांत के प्यार की गरमाहट समाप्त होती जा रही थी. प्रशांत द्वारा उपेक्षित गुंजन दुखी और निराश रहने लगती है. इसी बीच, एक दिन आफिस में काम के दौरान गुंजन को उबकाई का एहसास हुआ और वह उलटी के लिए टायलेट की ओर भागी. अस्वस्थ महसूस करने पर वह आफिस से छुट्टी ले कर सीधे डाक्टर के पास गई. लेडी डाक्टर ने उसे गर्भवती होने की खुशखबरी दी. खुशी से दीवानी गुंजन यह खुशखबरी प्रशांत को सुनाने को आतुर हो जाती है. ‘अब प्रशांत का व्यवहार अच्छा हो जाएगा. यह जान कर कि वह पिता बनने वाला है, खुश होगा,’ मन ही मन ऐसा सोचती गुंजन घर पहुंचती है…

अब आगे…

गुंजन की आशा के विपरीत प्रशांत पिता बनने की बात जान कर स्तब्ध रह गया. उस के विचित्र हावभाव उस के भीतर छिपी बेचैनी को बयान कर रहे थे.

‘‘तुम तो कहती थीं कि उन बदमाशों ने तुम्हारे साथ कोई बदतमीजी नहीं की… तो फिर…’’ कह कर उस ने गुंजन का हाथ जोर से झटक दिया था और फिर अंटशंट बकना शुरू कर दिया था.

प्रशांत ने गुंजन से और अधिक दूरी बना ली थी. वह पति के समीप जाने को होती तो प्रशांत गुंजन पर कठोर नजर फेंक कर उस के समीप से हट जाता. और एक दिन प्रशांत के मन में छिपी बेचैनी उस के अधरों तक आ ही गई जब उस ने कड़े लहजे में कहा,  ‘उन डकैतों का बच्चा यहां इस घर में नहीं पलेगा.’

ये भी पढे़ं- तिलांजलि: क्यों धरा को साथ ले जाने से कतरा रहा था अंबर

गुंजन यह सुन कर अवाक् रह गई थी. पत्नी से दूरी बनाता प्रशांत इन दिनों किसी अन्य स्त्री के समीप जा रहा था. गुंजन दिल पर पत्थर रख चुपचाप बरदाश्त कर रही थी.

प्रशांत के मन में चल रही उथलपुथल का वाणी से खुलासा आज हो गया था. वह गुंजन के साथ संबंध तोड़ देना चाहता था. प्रशांत की इच्छा को अपनी नियति मान गुंजन छटपटा कर रह गई थी और आखिर में उसे मायके लौट आना पड़ा था.

समय गुजरता गया और वह एक स्वस्थ व सुंदर शिशु की मां बन गई. पुत्र को आंचल में समेट फूली नहीं समाई थी. किंतु प्रशांत की अनुपस्थिति एक टीस बन कर उसे तड़पा गई थी.

इस के कुछ माह बाद ही प्रशांत ने गुंजन को तलाक दे दिया और फिर दोनों नदी की 2 धाराओं की तरह अपनीअपनी राह बह चले.

रात्रि को प्राय: गुंजन को प्रशांत की यादें सतातीं और वह उस के साथ के लिए तड़प उठती तो कभी मन में प्रतिहिंसा की ज्वाला भड़क उठती.

समय सरकता जा रहा था. गुंजन अपनी नौकरी और पुत्र की परवरिश में व्यस्त थी. नौकरी में उस की लगन और काम के प्रति निष्ठा से उसे तरक्की मिलती जा रही थी.

पुत्र अभिराम भी दिन पर दिन बड़ा हो रहा था और उस के नैननक्श और चेहरा हूबहू अपने पिता प्रशांत पर जा रहे थे.

बेटे का चेहरा देख गुंजन के मन में उम्मीद का दीया जल उठता कि काश, प्रशांत एक बार अपने बेटे को देख लेता तो उस का संदेह पल भर में ही दूर हो जाता.

किंतु प्रशांत से संपर्क टूटे तो अरसा बीत चुका था. मेधावी अभिराम स्कूलकालेज और विश्वविद्यालय की हर परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास करता इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में आ गया था. उच्च श्रेणी के इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ाई करता अभिराम स्कालर था.

उस के कालेज में छात्रों की प्लेसमेंट के लिए विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियां आनी शुरू हो गई थीं. कंपनियों के रिकू्रट आफिसर, मानव संसाधन अधिकारी और प्रबंध निदेशक की टीम सभी छात्रों की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार लेने के लिए छात्रों के चयन में जुटने शुरू हो गए थे.

अभिराम भी किसी उच्च स्तरीय कंपनी में नौकरी पाने के लिए परीक्षा की तैयारी में व्यस्त था. रात में सोने से पहले उस ने अपनी मां गुंजन से कहा था, ‘‘मम्मी, कल सुबह मुझे कालेज 7 बजे से पहले पहुंचना है और रात को भी देर हो जाएगी घर वापस आने में…पता नहीं कब तक इंटरव्यू चलते रहें.’’

अगले दिन अभिराम लिखित परीक्षा देने में व्यस्त हो गया और एक के बाद एक चरण पार करता हुआ वह अब साक्षात्कार के लिए अपना नाम पुकारे जाने की प्रतीक्षा में था.

अपना नंबर आया जान कर अभिराम ने आत्मविश्वास के साथ कमरे में प्रवेश किया. इंटरव्यू लेने के लिए 6 सदस्यों की टीम भीतर मौजूद थी. सभी की दृष्टि अभिराम के चेहरे पर जमी थी. अभिराम को अपलक निहारते और ‘प्रबंध निदेशक’ के चेहरे की समानता को देख टीम के दूसरे सदस्य चकित थे.

अभिराम कुछ असहज हो उठा. उस के माथे पर पसीने की बूंदें चमक उठी थीं. ‘‘तुम्हारा नाम अभिराम प्रशांत दीक्षित है…क्या तुम्हारे 2 नाम हैं?’’ एच.आर. अधिकारी उस के बायोडाटा को देख बोला.

‘‘सर, मेरा नाम अभिराम और पिता का नाम प्रशांत दीक्षित है.’’

रिकू्रट अफसर एकदूसरे को हैरानी से देख रहे थे. मानो कह रहे हों कि चेहरे के साथसाथ नाम में भी समानता है. हमारे एम.डी. का नाम भी प्रशांत दीक्षित है.

‘‘क्या करते हैं तुम्हारे पिता?’’ प्रबंध निदेशक ने अभिराम की फाइल को सरसरी नजर से देखते हुए पूछा.

‘‘सर, अपने पिता के बारे में मैं अधिक नहीं जानता,’’ इतना कह कर अभिराम सकपका गया फिर संभल कर बोला, ‘‘सर, मेरे मातापिता वर्षों पहले एकदूसरे से अलग हो गए थे. मैं अपने पिता के बारे में कुछ नहीं जानता क्योंकि होश संभालने के बाद उन्हें कभी देखा ही नहीं.’’

‘‘तुम्हारी मां?’’ एम.डी. दीक्षित के सवाल में जिज्ञासा थी. किंतु व्यक्तिगत प्रश्न पूछने पर एच.आर. अधिकारी और रिकू्रट अफसर ने शिष्टतापूर्ण आपत्ति जताई, ‘‘सर, व्यक्तिगत प्रश्न का नौकरी से क्या लेनादेना. छात्र की योग्यता से संबंधित प्रश्न पूछने ही बेहतर होंगे,’’ एम.डी. के कान में फुसफुसाते एच.आर. ने कहा.

‘‘मुझे कुछ नहीं पूछना. आप लोग जो चाहें पूछ लें.’’ प्रबंध निदेशक ने टीम से आग्रह किया और स्वयं उठ कर रेस्ट रूम में चले गए.

अभिराम ने सभी प्रश्नों का शालीनता से जवाब दिया और धन्यवाद तथा अभिवादन करता बाहर आ गया था. टीम के सभी सदस्य प्रबंध निदेशक से सवाल कर रहे थे, ‘‘सर, यह लड़का क्या आप की रिश्तेदारी में है? इस की शक्लसूरत और उपनाम आप से मेल खाते हैं.’’

‘‘हमें तो यों आभास हो रहा था कि आप का युवा संस्करण ही हमारे समक्ष बैठा था,’’ मानव संसाधन अधिकारी ने मुसकराते हुए कहा.

सहायक टीम की बातें सुन प्रबंध निदेशक दीक्षित के तेजस्वी चेहरे का ओज बुझ गया था, लेकिन अभिराम का चयन एक प्रथम श्रेणी की बहुराष्ट्रीय कंपनी में हो गया था और अपने मित्रों के साथ वह खुशी के उन पलों का आनंद ले रहा था.

ये भी पढ़ें- अनोखी जोड़ी: क्या एक-दूसरे के लिए बने थे विशाल और अवंतिका?

मम्मी को पहले खबर दे दूं. यह सोच कर अभिराम ने तुरंत फोन कर मां को अपने चयन की सूचना दी. ‘‘मम्मी, हम सब दोस्त सेलीबे्रट कर रहे हैं. आप खाना खा लेना,’’ उस का स्वर अचानक थम गया क्योंकि सामने एम.डी. दीक्षित खड़े थे.

वह अपलक अपनी प्रतिमूर्ति को देख रहे थे. मन में कई सारे सवाल उठ रहे थे पर उन में इतनी शक्ति नहीं थी कि वे अभिराम से कुछ पूछते, अत: बिना कुछ कहे वे अपने रूम की ओर बढ़ गए. पूरे दिन की थकावट के बाद भी नींद उन की आंखों से कोसों दूर थी. रात भर करवटें बदलते रहे.

अगले दिन सुबह अभिराम के घर जाने के लिए निकल पड़े थे. घर का पता अभिराम की बायोडाटा फाइल से नोट कर लिया था.

रास्ते भर विचारों में लीन रहे. उन की 2 बेटियां हैं लेकिन पुत्र की इच्छा उन्हें बेचैन किए रखती है. अभिराम को देख कर उन की इच्छा और अधिक बलवती हो उठी है.

अभिराम के घर पहुंच कर प्रशांत दीक्षित ने दरवाजे पर लगी घंटी को कांपते हाथों से बजा दिया था पर यह करते समय उन के कदम लड़खड़ा गए थे. दरवाजा गुंजन ने खोला था. दोनों एकदूसरे को अपलक देखते रह गए थे. प्रशांत के अधर कांपे किंतु बोल नहीं फूट सके.

गुंजन की आंखों में आश्चर्यमिश्रित हर्ष के भाव थे. शायद अपनी वर्षों की अभिलाषा के पूरे होने के मौके की यह खुशी थी.

कब से गुंजन को प्रशांत के पदचापों की प्रतीक्षा थी. कब से उस की राह देखती यही सोचती आई थी कि एक बार प्रशांत से अवश्य उस का सामना हो जाए.

बिना किसी भूमिका के उस के अधरों पर प्रश्न आ गया, ‘‘आज यहां की याद कैसे आ गई?’’

गुंजन के स्वर में छिपे व्यंग्य को समझ प्रशांत सकपका गया था.

‘‘कल मैं अपने बेटे से मिला. अभिराम को देख कर मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो गया. कितना होनहार है मेरा बेटा,’’ प्रशांत भावावेश में बोल रहा था.

‘‘आप का पुत्र? आज वह आप का पुत्र कैसे हो गया?’’ गुंजन का स्वर ऊंचा हो गया था.

अतीत में जिस पुरुष को कसमें खाखा कर मैं विश्वास दिलाती रह गई थी अपने गर्भ में पल रहे शिशु के पिता होने का और वह निर्दयी विश्वास नहीं कर सका था. संदेह के कीड़े ने उस का विवेक हर लिया था. वह आज कैसे उसे अपना बेटा कह सकता है.

गुंजन के मन में तभी से पति के प्रति कहीं न कहीं प्रतिहिंसा की ज्वाला धधक रही थी और आज प्रशांत के मुख से पुत्रमोह की बातें सुन, गुंजन के तनबदन में आग लग गई थी.

‘‘अभिराम, सिर्फ और सिर्फ मेरा पुत्र है, मैं ही उस की मां हूं और मैं ही पिता भी हूं.’’

आज वह प्रशांत के सामने भावनाओं में बह कर दुर्बल हरगिज नहीं बनना चाहती थी. आज वह अपने मन की भड़ास निकाल लेना चाहती थी.

‘‘आप बहुत पहले ही अपने संदेह और बेबुनियाद शक के कारण अपनी पत्नी और अजन्मे शिशु को त्याग चुके हैं. अब वह सिर्फ मेरा पुत्र है.

‘‘बेहतर होगा अब आप यहां से चले जाएं और हमें हमारे हाल पर छोड़ दें. अब अभिराम बड़ा हो गया है. आप की सचाई जान कर उसे बहुत दुख होगा. आप का अपना एक परिवार है, उसे संभालिए.’’

‘‘मुझे माफ कर दो, गुंजन,’’ प्रशांत के स्वर में पश्चात्ताप और निराशा स्पष्ट थी.

‘‘मैं कौन होती हूं क्षमा करने वाली,’’ धीमे स्वर में बोली गुंजन अचानक उग्र हो उठी, ‘‘अगर आप के बेटे की शक्लसूरत आप पर न होती तो क्या वह आप का बेटा न होता. जरूरी नहीं कि बच्चों की शक्लसूरत हूबहू मातापिता से मिलने लगे. तो क्या ऐसी स्थिति में उन के जन्म पर संदेह करना होगा?

‘‘कुदरत ने मेरी सचाई को सही साबित करने के लिए ही शायद मेरे बेटे के चेहरे को हूबहू उस के पिता से मिला दिया है. किंतु प्रशांत दीक्षित, तलाक के बाद अब हमारे रास्ते अलग हैं. आप जा सकते हैं.’’

प्रशांत निढाल सा लड़खड़ाते कदमों को जबरदस्ती खींचता घर से बाहर आ गया था. प्रशांत के विदा होते ही गुंजन की आंखों से आंसू बह निकले थे. जिस पति को देखने, मिलने के लिए वह वर्षों से बेचैन थी वही आज उस के सामने खड़ा गिड़गिड़ा रहा था. किंतु आज उस के प्रति गुंजन की भावनाएं वर्षों पहले वाली नहीं थीं.

ये भी पढ़ें- आसान किस्त: क्या बदल पाई सुहासिनी की संकीर्ण सोच

गुंजन के भीतर धधकती वर्षों की प्रतिहिंसा की ज्वाला धीरेधीरे शांत हो चली थी. शायद उसे अपनी बेगुनाही का सुबूत मिल गया था.

‘सीरत-कार्तिक’ की जिंदगी में ‘Ranveer’ बने करण कुंद्रा की एंट्री से भड़के फैंस तो एक्टर ने दिया ये जवाब

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में सीरत और कार्तिक शादी की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं. वहीं इस बीच सीरत के पुराने प्यार रणबीर यानी करण कुंद्रा की भी धमाकेदार एंट्री हो चुकी है. हालांकि मोहसिन खान (Mohsin Khan) और शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) के फैंस को करण कुंद्रा की एंट्री खास पसंद नहीं आ रही है, जिसके चलते वह उन्हें ट्रोल करने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं. इसी बीच ट्रोलर्स को जवाब देते हुए करण कुंद्रा ने भी अपना रिएक्शन शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

रोल के कारण ट्रोल हो रहे हैं करण

दरअसल, करण कुंद्रा ने ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में रणवीर बनकर एंट्री मारी है, जिसकी वजह से सीरत और कार्तिक के बीच दूरियां आती नजर आने वाली हैं. हालांकि इसके कारण करण कुंद्रा को फैंस बुरा भला कहते नजर आ रहे हैं. वहीं करण कुंद्रा ने भी ट्रोलर्स को तगड़ा जवाब दिया है. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में करण कुंद्रा ने कहा, ‘मैं एक कलाकार हूं. अगर मैं अपनी जॉब अच्छे से करता हूं तो ये जरूर होगा. ये रिश्ता क्या कहलाता है के फैंस और मेरे फैंस सोशल मीडिया पर मेरा स्वागत भी कर रहे हैं. मेरे फैंस काफी एक्साइटेड हैं कि वो मुझे अब हर दिन देख सकेंगे.’

मोहसिन-शिवांगी के फैंस के लिए कही ये बात

 

View this post on Instagram

 

A post shared by darshnii💕💕 (@doli1_56)

करण कुंद्रा ने आगे कहा है कि, ‘शिवांगी और मोहसिन के फैंस भी मुझे मैसेज करते हैं और वो मुझे मैसेज करके पूछते हैं कि आखिर इस शो में आकर मैं क्या करूंगा? लोग अभी से काफी नफरत करने लगे हैं. मुझे इन चीजों से फर्क नहीं पड़ता है. मोहसिन और शिवांगी काफी पॉपुलर है और ऐसा होना तो तय ही था. ये रिश्ता क्या कहलाता है काफी पॉपुलर है और टीआरपी के मामले में भी इसका कोई जवाब नहीं है. मेरे लिए एक शानदार अवसर है.’

किरदार को लेकर कही ये बात

सीरियल में अपने रोल को लेकर करण कुंद्रा ने कहा, ‘रणवीर काफी अच्छा किरदार है…वो राजस्थानी है और उसका एक पास्ट है. रणवीर ऐसा शख्स है, जिससे लोग प्यार करने लगेंगे. वो कोई दिक्कत पैदा करने नहीं आया है. वो दिल का बहुत अच्छा है. मैं इस किरदार को कैमियो नहीं कहूंगा लेकिन मुझे नहीं लगता है कि ये किरदार ज्यादा खींचा जाएगा.’

ये भी पढ़ें- 19 साल बाद Rubina Dilaik के साथ कमबैक करेंगे कसौटी के ‘अनुराग’, इतना बदल गया है लुक

सीरियल के ट्रैक की बात करें तो हाल ही में एक प्रोमो रिलीज किया गया था, जिसमें सीरत और कार्तिक की सगाई के दौरान रणवीर की एंट्री होती हैं, जिसके बाद सीरत सगाई छोड़कर रणवीर के पास जाती हुई नजर आती है. वहीं फैंस भी इस प्रोमो को देखने के बाद आने वाले एपिसोड्स का इंतजार कर रहे हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें