One-night stand स्कैंडल में फंसेगी पाखी तो गुंडों से सामना करेंगे समर-नंदिनी, क्या करेगी अनुपमा

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा के सेट पर जहां कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है तो वहीं शो के मेकर्स कहानी में नए ट्विस्ट लाने की तैयारी कर रहे हैं. दरअसल, बीते दिनों खबर थी कि अनुपमा के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस रुपाली गांगुली कोरोना को मात दे चुकी हैं, जिसके चलते जल्द ही वह शूटिंग करती नजर आएंगी. हालांकि मेकर्स ने भी शो में अनुपमा की एंट्री के साथ नए ट्विस्ट एंड टर्न्स लाने की तैयारी कर ली हैं, जिसके चलते शो की कहानी नया मोड़ लेती नजर आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

किंजल की प्रैग्नेंसी की खबर से मचा बवाल

सीरियल में अब तक आपने देखा कि जहां किंजल की प्रैग्नेंसी की खबर से सभी घरवाले खुश होते हैं तो वहीं राखी शाह परिवार को बताती है कि किंजल प्रैग्नेंट नही है, जिसके बाद सभी उदास हो जाते हैं. हालांकि अनुपमा वीडियो कौल के जरिए किंजल को दिलासा देती नजर आती है. इसी बीच काव्या, वनराज और अनुपमा के साथ होने के कारण गुस्से में नजर आती है.

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गुंडों से सामना करेंगे समर-नंदिनी

एक तरफ अनुपमा और वनराज घर से दूर हैं तो वहीं आने वाले एपिसोड में उनके बच्चों पर मुसीबत आने वाली है. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में समर-नंदिनी के पीछे गुंडे पड़ जाएंगे. जहां गुंडे दोनों से लूटपाट करने की कोशिश करेंगे. इस बीच गुंडों की नजर नंदिनी की अंगूठी पर पड़ेगी, जो कि समर ने उसे गिफ्ट की है. वहीं नंदिनी अंगूठी देने से साफ इंकार करती दिखेगी, जिसके बाद समर गुंडों से सामना करता दिखेगा.

मुसीबत में फंसेगी पाखी

दूसरी तरफ अपकमिंग एपिसोड में पाखी भी मुसीबत में पड़ती नजर आएगी. दरअसल, बीते एपिसोड में जहां आपने देखा कि पाखी का दोस्त कबीर  उसे अपने घर पर बुलाता है. हालांकि पाखी जाने से मना करते हुए कहती है कि उसकी फैमिली उसे अनुमति नहीं देगी. लेकिन कबीर के मनाने पर वह आने की कोशिश करने के लिए मान जाती है. वहीं खबरों की मानें तो अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि कबीर ने अपने दोस्तों के साथ एक शर्त के बारे में खुलासा करेगा कि वह पाखी जैसी सरल लड़की को कैसे अपने पास बुला सकता है यह साबित करेगा. वहीं अपने दादा से अनुपमा की गैरहाजिरी में अनुमति लेती नजर आएगी, जिसके बाद वह कबीर से मिलेगी. वहीं कबीर के दोस्त उसके साथ कुछ फोटोज ले लेंगे और स्कूल में फैला देंगे, जिसके कारण पाखी की बदनामी होती नजर आएगी. अब देखना होगा कि क्या अनुपमा पाखी को एक बार फिर बचाने में कामयाब होगी.

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रोशेल छाबड़ा से जानें हेयर केयर के बारें में

किसी भी मौसम में हेयर और स्किन केयर एक गंभीर समस्या है, क्योंकि सही केयर से ही आप की खूबसूरती बनी रहती है, जो आज ज़माने की मांग है. इस दिशा में हायजिन रिसर्च इंस्टिट्यूटकीप्रोफेशनल हेड (स्ट्रीक्स प्रोफेशनल) रोशेल छाबड़ा ने बहुत अच्छा काम किया है. उन्होंने ब्यूटी, सैलून और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता को लोगों तक पहुँचाने में सबसे आगे रही है. उन्होंने हर नई उत्पाद को वैज्ञानिक रूप से जांच कर उसे देश-विदेश में लॉन्ग टर्म मार्केटिंग की नीति को भी विकसित किया है.

प्रयोग नई तकनीकों का  

25 साल की इस कैरियर में रोशेल ने हेयर और स्किन केयर क्षेत्र में नयी-नयी तकनीकों से परिचय करवाकर कंपनी को एक नया अकार दिया है. इस बारे में रोशैल का कहना है कि बेसिकली मैं एक फार्मासिस्ट हूं. दवाइयों का क्षेत्र मुझे बहुत पसंद है और मैंने कई तरह के प्रयोग फार्मेसी में किये है, इससे मुझे अच्छे-अच्छे काम मिले, लेकिन मैं उसे छोड़कर फॅमिली बिजनेस में आ गयी.

मुश्किल है हेयर एंड स्किन केयर 

हेयर केयर के बारें में रोशेल कहती है कि हेयर केयर एक मुश्किल काम है, लेकिन थोड़ी सी जानकारी इसके बारें में ले लेना अच्छा होता है. केशों के बारें में रिसर्च से ही पता लग पाता है कि इसे कैसे सम्हाला जाना चाहिए. आजकल ट्रेंड हेयर कलर, हेयर ट्रीटमेंट, हेयर स्ट्रेटनिंग आदि है. ये सब करने के बाद उसकी सही देखभाल जरुरी है, ताकि बालों को किसी प्रकार का डेमेज या साइड इफ़ेक्ट का सामना न करना पड़े. स्किन केयर में भी बहुत सोच कर प्रोडक्ट लेने की जरुरत होती है, क्योंकि स्किन भी बहुत ही सेंसेटिव ऑर्गन है. थोड़ी सी जल्दबाजी इसके लिए घातक होती है.

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करनी पड़ती है शोध 

रोशेल ने हमेशा ब्यूटी में नयी-नयी तकनीकों का प्रयोग किया है, जिसके रिजल्ट सबको पसंद आते है. वह कहती है कि इस काम के लिए मैंने बहुत शोध किये है. विदेशों में क्या नया हो रहा है, उसकी जानकारी लेनी पड़ती है. अधिकतर नयी और बाहर की कंपनियों के प्रोडक्ट महंगे होते है, लेकिन मेरी कंपनी एफोर्डेबल प्राइस में इंटरनेशनल उपकरण से सबको परिचय करवाती है. अधिकतर प्रोडक्ट बनाने से पहले ट्रेंड देखकर उसे इन हाउस विकसित कर मार्केट में उतारा जाता है. लोग इसे पसंद करते है. इसके अलावा कुछ इंटरनेशनल स्टाइलिस्ट के साथ मैं जुडी हूं, जो हमें नयी प्रोडक्ट के बारे में जानकारी देते है. रिसर्च एंड डेवलपमेंट की  टीम इसमें बहुत अच्छा काम करती है. कोई प्रोडक्ट जो विदेशों में लौंच किये जाते है, वह उनके हेयर और स्किन के अनुसार होता है,जो हमारे हेयर और स्किन के लिए ठीक नहीं होता. मै इंडियन हेयर और उसके टेक्सचर को जानती हूं. बालों पर कितनी मात्रा में प्रोडक्ट लगानी है, ताकि बाल ख़राब न हो. इस पर पूरा शोध करना पड़ता है. एक प्रोडक्ट को मार्केट में लाने में डेढ़ से दो साल लगते है.

समाधान हेयर फॉल का 

हेयरफॉल की समस्या हर जगह है, जिसकी वजह जलवायु, किसी प्रकार की बीमारी, खान-पान आदि सब जिम्मेदार होते है. इसे समझना बहुत मुश्किल होता है. रोशैल आगे कहती है कि हेयर क्वालिटी भारतीयों की बहुत अच्छी है. विदेशो में हेयर क्वालिटी बहुत फाइन होती है. यहाँ केश जेनिटीकलि बहुत थिक है. इसकी वजह नानी या दादी के नुस्खे, जो बचपन से हेयर के लिए प्रयोग किये जाते है. ये सारी चीजे बालों को मजबूत बनाती है, जिससे किसी प्रकार की ट्रीटमेंट करने पर भी हेयर सह सकती है.

काम के साथ पारिवारिक सामंजस्य  

काम के साथ परिवार को रोशेल बहुत अच्छी तरह से सम्हालती है. उनके हिसाब से, किसी भी व्यक्ति को कुछ अलग करने के लिए डिसिप्लिन और प्लानिंग दोनों सही से करना पड़ता है. कुछ भी नामुमकिन नहीं. रोशैल हर दिन सुबह पूरे दिन की प्लानिंग करती है. इससे काम पूरा होने के साथ-साथ अधिक एफर्ट भी लगाने की जरुरत नहीं होती.

नहीं कोई मुश्किल 

ब्यूटी में मुश्किलों के बारें में रोशेल कहती है कि इसमें कठिनाई अधिक नहीं आती, क्योंकि किसी ब्यूटी प्रोडक्ट को सामने वाले को समझाना आसान होता है. वर्कवाइज भी कोई समस्या मुझे नहीं रही. कोरोना के शुरुआत में किसी को पता नहीं चला था कि ये कैसा वायरस है. इसलिए मैंने एक्सपर्ट और डॉक्टर्स से टाईअप किया और जानकारी ली कि कैसे इस समय काम के साथ-साथ शारीरिक रूप से फिट रहा जाय. कोरोना पीरियड में सैलून में जाना, सबसे अंत में आता है, क्योंकि लोग इसमें सुरक्षा को अधिक देखते है. अभी भी सेमी लॉकडाउन में फिर से सैलून बंद हो गया है, लेकिन मैंने वेबिनार के जरिये हेयर और स्किन केयर के बारें में जानकारी दी और कईयों को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट भी दिया, ताकि लोग घर बैठकर परेशान न हो. इससे सैलून खुलने के बाद उन्हें हेल्थ एंड हायजिन के बारें में पूरी जानकारी होगी, उन्हें काम मिलना आसान होगा.

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हेयर केयर करने के कुछ टिप्स 

रोशेल आगे कहती है कि हेयर फॉल एक आम समस्या है, पहले इसके गिरने की वजह के बारें में थोड़ी जानकारी लेनी चाहिए, इससे बचने के कुछ तरीके निम्न है,

  • हेयर फॉल के कई कारण हो सकते है, मसलन कोई बीमारी, अधिक क्रेश डाइट लेना, केशों को सही पोषण का न मिलना, बहुत अधिक ट्रीटमेंट बालों पर करवाना,
  • ट्रीटमेंट के बाद हेयर का पूरा ध्यान न रखना,जिससे बाल झड़ने लगते है,
  • अधिक ब्लो ड्राई और हीट ट्रीटमेंट से भी बाल कमजोर हो जाते है,
  • अधिक स्ट्रेस लेने से भी बाल झड़ने लगते है,
  • पर्यावरण प्रदूषण से भी हेयर और स्किन ख़राब होते रहते है,
  • हेयर फॉल कम करने के लिए योगा, मैडिटेशन, जरुरत के अनुसार सप्लीमेंट लेना,
  • बालों में तेल लगाना, हेयर के लिए अच्छी प्रोडक्ट का प्रयोग करना,
  • साधारण केशों में माइल्ड शैम्पू सबसे अधिक अच्छा रहता है.

इसके अलावा रोशेल ने कई प्रोडक्ट्स और फंकी हेयर कलर्स लॉन्च किये है, जो पिंक, वायलेट, ब्लू और ग्रीन है. ये कलर सभी उम्र की महिलाओं को सूट करता है और आज की मध्यम उम्र की महिलाएं हमेशा कुछ नया ट्राय करन चाहती है, जो उनकी खूबसूरती के साथ-साथ आत्मविश्वास को भी बढाती है. इसके अलावा रोशैल नई-नई स्टाइलिंग को भी प्रमोट करती है, जो महिलाओं को बहुत अच्छा लगता है.

महिलाओं के लिए रोशेल का मेसेज है कि महिलाएं परिवार के साथ काम करती है. काम करते हुए भी खुद की देखभाल करना कभी न भूले. साथ ही परिवार के साथ अपनी समस्या को खुलकर बोले, इससे कभी-कभी अच्छा समाधान मिल जाता है. खुद को कभी किसी से कम न समझे.

सिर्फ गाइनेकोलोजिस्ट से नहीं, जनरल फिजीशियन से भी मिलना है जरूरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों महिलाओं के संबंध में एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कही है. अपनी नियमित ब्रीफिंग के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता ने इस साल की शुरुआत में कहा कि महिलाओं को सिर्फ स्त्री रोग विशेषज्ञों तक ही अपनी स्वास्थ्य संबंधी जांच के लिए सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उन्हें साल में कम से कम दो बार किसी जनरल फिजीशियन से भी कंसल्ट करना चाहिए. क्योंकि आधुनिक चमक दमक और प्रोफेशनलिज्म के चलते भले स्त्रियों के लिए महिला रोग विशेषज्ञ महत्वपूर्ण हों, लेकिन जनरल फिजीशियन की भी नजरों से उनके स्वास्थ्य को गुजरना चाहिए, जिससे वो कई ऐसी चीजें पकड़ सकते हैं जो फोक्स्ड स्त्री रोग विशेषज्ञ शायद न पकड़ सकें.

वास्तव में, जीवन के हर पड़ाव पर सालाना शारीरिक जांच करवाते रहना बहुत जरूरी है, इसके लिए बूढ़ा होना कोई शर्त नहीं है. सालाना शारीरिक जांच पर इसलिए जोर होना चाहिए क्योंकि इससे आपका चिकित्सक आपको बता सकेगा कि आपकी शारीरिक गतिविधियां सामान्य रूप से चल रही हैं या नहीं, साथ ही आप उसके साथ अपनी लाइफस्टाइल हैबिट्स यानी आदतों पर भी विचार-विमर्श कर पाएंगी. इसमें आपको वजन घटाने-बढ़ाने संबंधी सलाह दी जा सकती है, स्क्रीनिंग टेस्ट किए जा सकेंगे और आपकी प्रतिरक्षा क्षमता को भी नापा जा सकेगा.

वैसे तो हर चिकित्सक की जांच करने का अपना तरीका होता है, पर आमतौर पर शारीरिक जांच में शामिल होता हैः

– महत्वपूर्ण संकेत मूल्यांकन (रक्तचाप, तापमान, हृदय गति, श्वसन दर)

– फैमिली हिस्ट्री देखी जाती है, न्यूरोलॉजिकल, त्वचा संबंधी, सिर और गर्दन, हाथ-पैर और स्तनों (महिलाओं के लिए) की जांच की जाती है.

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आपका डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट करने की भी सलाह दे सकता है, जिसके माध्यम से एनीमिया, किडनी या लिवर की बीमारियां, डायबीटिज और हाईकोलेस्ट्रॉल के बारे में समय रहते पता चल सकता है. आपकी उम्र के मुताबिक कोलोनोस्कोपी और मैमोग्राम जैसी स्क्रीनिंग भी करवाई जा सकती है. ये डॉक्टर्स हाई ब्लडप्रेशर, अस्थमा और हाईकोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सक्षम होते हंे और इन बीमारियों से संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सकों से को-ऑर्डिनेट भी करते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाओं के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञों की उपयोगिता नहीं है. निश्चित रूप से है और हर महिला को अपने स्त्रीरोग विशेषज्ञ से नियमित रूप से मिलते रहना चाहिए. ताकि आपकी इन समस्याओं पर स्त्री रोग विशेषज्ञ बारीक नजर रख सके.

-प्रजनन संबंधी समस्याएं

-जन्म नियंत्रण

-कैंसर की रोकथाम

-यौन संक्रमण से बचाव

-पेल्विक जांच, पैप स्मीयर, मासिक स्राव नियमितता

स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि प्रत्येक स्त्री को क्लीनिकल ब्रेस्ट जांच और पेल्विक जांच करवाते ही रहना चाहिए. पेल्विक जांच से उसे मालूम हो सकेगा कि उसका गर्भाशय और अंडाशय स्वस्थ तरीके से काम कर रहे हैं. यदि उसे गर्भनिरोधक की आवश्यकता है, तो उसके विकल्पों की भी चर्चा की जा सकती है. अगर वह मां बनना चाहती है, तो आनुवंशिक परीक्षण और प्रसवपूर्व विटामिन्स के बारे में बात की जा सकती है. यदि किसी महिला के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री है और वह इसके बारे में चिंतित है तो उसकी स्क्रीनिंग का इंतजाम किया जा सकता है. अपने डॉक्टर के पास जाने से पहले-

– अपनी पिछली मेडिकल और सर्जिकल हिस्ट्री अपने साथ रखें.

-कौन-कौन से टीके, कब-कब लगे, आपके पास इसकी जानकारी होनी चाहिए.

– आपने अपना आखिरी मेमोग्राम और कोलोनोस्कोपी कब करवाई थी (यदि आपकी उम्र के अनुसार आवश्यक है तो)

-यदि किसी मैमोग्राम या एक्स-रे में कोई असामान्यता दिखाई पड़ी हो, तो वह भी साथ रखें.

– अपने डॉक्टर से यदि आपको कुछ सवाल पूछने हैं, तो उन्हें कागज पर लिखकर रखें.

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10 टिप्स: नाक के आसपास होने वाले पिगमेंटेशन से बचें ऐसे

नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन सबसे कॉमन प्रोब्लेम्स में से आते है जिसका सामना लगभग हर किसी को करना पड़ता है. इसके होने का सबसे मुख्य कारण है नाक का सूरज की किरणों की चपेट में ज्यादा आना. इनसे बचने के उपाय बता रही हैं दादू मेडिकल सेंटर की डर्मेटोलॉजिस्ट और संस्थापक और अध्यक्ष, डॉ निवेदिता दादू

नाक हमारे शरीर का वो हिस्सा है जो सबसे ज्यादा सूरज की किरणों से प्रभावित होता है. नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन के कई सारे कारण हो सकते है. जैसे हार्मोनल चेंज, हार्मोनल ट्रीटमेंट, अनेक तरह के स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना और मेलानिन जो स्किन के कलर में बदलाव के लिए कारक होता है.

1. नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन को रोकने के लिए आप अपने डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह पर अनेक तरह के क्रीम्स जैसे – हाइड्रोक्विनोन, ट्रेटीनोइन. इन्हे ट्रिपल क्रीम भी कहते है.

2. ऐसे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिसमें एजेलिक एसिड और कोजिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो. यह स्किन के डार्क एरिया को लाईट करने में मदद करते है.

3. अपने डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह पर आप अनेक तरह के मॉडर्न ट्रीटमेंट जैसे माइक्रोडर्माब्रेशन, केमिकल पील, लेज़र ट्रीटमेंट और लाईट थेरपी का इस्तेमाल कर सकते है. यह नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन को कम करने में मदद करता है.

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4. नाक के आस पास होने वाले डार्क पिगमेंटेशन को कम करने के लिए आप कम से कम सूरज की किरणों की चपेट में आए. और जब भी बाहर निकलें तो सनस्क्रीन लगा कर ही निकलें.

5. इसके लिए आप विटामिन ई और आलमंड ऑयल का भी इस्तेमाल कर सकते है. विटामिन ई में स्किन को लाईट करने की प्रॉपर्टीज होती है. जो डार्क स्पॉट्स और पिगमेंटेशन को कम करने के लिए सबसे कारगर है. इसके लिए एक स्पून आलमंड ऑयल में दो टेबल स्पून विटामिन ई मिक्स करें, और एक अच्छा सा सॉल्यूशन बना लें. इस सॉल्यूशन को नाक पर लगा कर रात भर के लिए छोड़ दें. फिर सुबह ठंडे पानी से इसे धो लें.

6. विटामिन ई में कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट होते है, जो स्किन में मौजुद फ्री रेडिकल्स और डार्क पैचेज को कम करने के लिए बहुत फायदे मंद है. यह स्किन के डैमेज्ड और डेड सेल्स को भी ठीक करने में मदद करता है.और स्किन को ग्लोइंग और क्लियर करता है. इसके लिए स्किन और खासकर नाक पर जहां पिगमेंटेशन की समस्या है वहां विटामिन ई को लगा कर रात भर के लिए छोड़ दें.और सुबह उठ कर ठंडे पानी से धो लें.

7. नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन को कम करने के लिए आप हल्दी और निम्बू के मास्क को भी लगा सकते है.इसके लिए हल्दी में नींबू के रस को डालें, और इन दोनो को अच्छे से मिक्स करके एक अच्छा सा पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को नाकों में लगाए. जब यह पेस्ट सुख जाए तो इसे ठंडे पानी से धोएं.

8. नाक के आस पास होने पिगमेंटेशन को कम करने का सबसे अच्छा उपाय है, अपने स्किन को हाइड्रेट रखें.

9. पिगमेंटेशन को कम करने के लिए आप एक नियमित स्किनकेयर रूटीन अपनाए. नियमित रूप से स्किन को एक्सफोलिएट करें जिससे स्किन में मौजूद डेड सेल्स निकल जायेंगे. एक अच्छे से टोनर और क्लिंजर का इस्तेमाल करें.

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10. नाक के आस पास के स्किन पर पिगमेंटेशन हो जाते है. यह एक प्रकार से ड्राई स्किन होते है. इस पिगमेंटेशन को कम करने के लिए स्किन को दिन में कम से कम दो बार मॉइश्चराइज करें. यह स्कीन को हाइड्रेट करता है. मसाज के लिए आप आलमंड ऑयल का भी उपयोग कर सकते है.

Fashion Tips: ब्लैक एंक्लेट का बढ़ता क्रेज 

एंक्लेट ,  जिसे एंकल चैन के नाम से जाना जाता है. पैरों की सुंदरता को बढ़ाने का काम करता है.  पिछले कुछ समय से ये काफी चलन में है. खासकर के ब्लैक एंक्लेट. क्योंकि ये हर ड्रैस पर मैच करने के साथसाथ रायल लुक जो देती है. तभी तो चाहे बात हो यंग गर्ल्स की या फिर महिलाओं की हर कोई इसे पहन कर खुद को स्टाइलिश दिखाना चाहता है. आजकल दोनों पैरों में पहनने से ज्यादा एक पैर में एंक्लेट पहनने का चलन चल गया है. जो आपके स्टाइल में चारचांद लगाने का काम करता है. मार्केट में आपको डिफरेंट लुक व स्टाइल में  एंकलेट्स मिल जाएंगी, जिन्हें आप अपनी पसंद के हिसाब से खरीद सकती हैं. तो जानते हैं स्टाइलिश ब्लैक एंकलेट्स के बारे में.

1 ब्लैक बीड्स एंक्लेट 

चाहे बात हो ब्लैक बीड्स वाले मंगलसूत्र की या फिर एंक्लेट की, अपने शानदार लुक के काऱण हमेशा ट्रेंड में रहती है. ये मेटल से बनी होती है. आप इसे डेली में भी वियर कर सकती  हैं.  साथ ही ये वेस्टर्न वियर के साथ भी काफी होट  लुक देती है. इसमें बीड्स के साथसाथ किसी किसी एंक्लेट में छोटा सा लटकन भी लगा होता है. जो एंक्लेट को थोड़ा ट्रेडिशनल टच देने का काम करता है. लेकिन अगर आप सिंपल लुक चाहती हैं तो सिर्फ प्लैन  ब्लैक बीड्स वाली एंक्लेट टाई कर सकती हैं.

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2 थ्रेड एंक्लेट 

 

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इसे ब्लैक थ्रेड से डिज़ाइन किया जाता है. फिर बीच में नोट स्टाइल देते हुए उसमें बीचबीच में  सिंगल छोटे सिल्वर बीड्स लगाए जाते हैं , जो पैरों को और खूबसूरत लुक देने का काम करते हैं. ये जितना दोनों पैरों में अट्रैक्टिव लगता है , उतना ही एक पैर में.  ये  कैप्री , मिनी ड्रैस  व एंकल लेंथ ड्रेसेस पर काफी जंचता है.

3 वेलवेट एंक्लेट 

इसमें वेलवेट की पतली सी स्ट्रिप से एंक्लेट को डिज़ाइन किया जाता है. फिर उस पर छोटे छोटे स्टड्स लगाकर उसे लवली लुक दिया जाता है. इसे आप अपनी फेवरेट ड्रैस के साथ भी वियर कर सकती हैं या फिर रोजाना भी.  ब्लैक  कलर में ही नहीं बल्कि हर कलर में डिज़ाइन की जाती हैं. लेकिन ब्लैक का कनैक्शन रायल लुक से है, इसलिए ये हर किसी भी फेवरेट लिस्ट में शामिल हो गया है.

4 हार्ट डिज़ाइन एंक्लेट 

इसमें मोटे ब्लैक थ्रेड के कार्नर पर हार्ट शेप का लौक लगाया जाता है. जो लौक का काम करने के साथसाथ एंक्लेट को होट लुक देने का काम करता है. इसे आप अपने पार्टनर के साथ डेट के दौरान भी पहन कर उन्हें अपने दिल का हाल बता सकती हैं . या फिर आप उन्हें कहें कि ये दिल सिर्फ तुम्हारा है और तुम्हारे लिए ही धड़कता है.

5 फ्लोरल डिज़ाइन 

 

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फ्लोरल डिज़ाइन अधिकांश लड़कियों व महिलाओं की चोइज होता है. तभी तो वे कभी फ्लोरल प्रिंट का टॉप पसंद करती हैं तो कभी ड्रैस. उनकी इसी पसंद को देखते हुए आजकल मार्केट में ब्लैक फ्लोरल डिज़ाइन की एंक्लेट आने लगी हैं . जिसे वेलवेट व एम्बोइडरी से बनाया जाता है और आखिर में स्टोन्स से सजाया जाता है. जिसे देखकर बस देखने वाले देखते ही रह जाते हैं. अकसर इस तरह की एंक्लेट को कुछ यूनिक टाई करने वाली गर्ल्स ज्यादा टाई करती हैं.

6 क्रिस्टल एंक्लेट 

ये एंक्लेट भले ही थोड़ा सिंपल लुक देती है, लेकिन जब आप इसे पहनती हैं तो आपकी नजर खुद आपके पैरों पर से नहीं हटती है.  छोटे छोटे ब्लैक बीड्स से बनी होने के साथ इसे स्टाइलिश लुक देने के लिए इसके कॉर्नर्स पर सिल्वर सर्कुलर लोक्स लगाए जाते हैं. एंक्लेट में ये ऐसा डिज़ाइन है , जो हर किसी की नजरों में चढ़ जाता है.

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7 शेल्स स्टाइल एंक्लेट

इसमें थ्रेड की डोर पर थोड़ीथोड़ी जगह पर शेल्स लगाए जाते हैं , जो ड्रोप इफेक्ट देने के साथ एलिगेंट लुक देने का काम करते हैं. ये ट्रेडिशनल ड्रेसेज पर भी काफी जंचता है. इस डिज़ाइन में आपको डिफरेंट कलर ओप्शन्स चूज़ करने की चॉइस भी होती है. और काफी सस्ते भी होते हैं , जिसे हर कोई अफोर्ड कर सकता है.

8 फंकी स्टाइल 

 

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अगर आप फंकी चीजें टाई करना पसंद करती हैं तो एंक्लेट में आपके लिए ढेरों ऑप्शंस हैं.  जैसे आप डिस्को , पार्टीज के लिए लैस वाली, फंकी फैब्रिक से बनी ब्लैक एंक्लेट जरूर टाई करें. उसके साथ अटैच आपको ऑक्सिडिसेस फन पेंडैंटस मिल जाएंगे. जो आपके पार्टी के चार्म को और बढ़ाने का काम करेंगे.

न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

प्यार, रोमांस फिर शादी ये चलन सदियों से चला आ रहा है. दो युगलों के बीच प्यार एक पराकाष्ठा को पार तब करता है जब दोनों का मिलन आत्मा से होता है. प्यार का समागम आत्मा और शरीर दोनों से ही होता है. जब नवविवाहिता आती है तो धारणा यह बनती है कि अब दोनों का शारीरिक मिलन तय है, पर यह गलत है. हालांकि, शारीरिक मिलन यानि कि सेक्स जीवन का एक आधार है एक नई पीढ़ी को तैयार करने का. पर नवविवाहित जोड़ों को सेक्स से संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है. या यूं कहें कि कुछ मतभेद जो उनके दिलों में कई सवाल बनकर खड़े हो जाते हैं. सेक्स से जुड़े वो कौन-से मतभेद हैं जो उनको एक-दूसरे के करीब नहीं आने देते –

  • सेक्स से जुड़ा संदेह
  • गर्भ निरोधकों का प्रयोग
  • पराकाष्ठा का अभाव
  • कुछ मिथक
  • संचार का अभाव

सेक्स से जुड़ा संदेह

सेक्स से जुड़ा सबसे बड़ा मतभेद तो संदेह होता है. जिनकी नई शादी हुई होती है उनके लिए सब कुछ नया-नया होता है. वह अपने आपको असहज महसूस करते हैं. उन्हें संदेह रहता है कि क्या वह अपने जीवनसाथी को संतुष्ट कर सकेंगे. शादी के बाद कुछ व्यक्ति अपने आपको नियंत्रण कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं. इसीलिए उन्हें डाउट रहता है. शादी के बाद वह दिन में कई बार सेक्स करना पसंद करते हैं. दोनों ही युगल यह सोचकर सुख का आनंद नहीं ले पाते कि कहीं उनका साथी उनके बारे में क्या सोच रहा होगा. वो असहज फील करते हैं. हालांकि एक समय बाद  वह यह सोचकर सहज हो जाते हैं कि दोनों के लिए सेक्स वास्तव में कितना सामान्य है. एक दूसरे के प्रति वह जरूरतमंद महसूस कर सकता है.

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गर्भ निरोधकों का प्रयोग

गर्भ निरोधक का यूज करने से व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है. लेकिन मतभेद के चलते कुछ लोग इसका प्रयोग नहीं कर पाते हैं. जैसे ही बात इंटीमेट होने की आती है तो पुरूषों में अनुभवहीनता दिखाई देने लगती है. यही कारण है कि लाख कंडोम या निरोधक के विज्ञापन होने का बाद भी उन्हें इसका यूज नहीं पता होता है. ऐसे पुरुष उस क्षण असहज हो जाते हैं, जब उन्हें अपना इरेक्शन खोना पड़ता है. उनकी पत्नी उस समय यह नहीं समझ पाती कि इस स्थिति का जवाब उन्हें कैसे देना है. इसलिए वह अपने आपको बहुत अपमानजनक अहसास करते हैं.

पराकाष्ठा का अभाव

सेक्स करते समय जुनून का अभाव आपको गिल्ट फील कराती है. पुरूषों को जब समय से पहले इजेक्यूलेशन होता है या महिला को जोश से पहले ही फॉल हो जाता है तो इसके अभाव से सेक्स लाइफ में तनाव आने लगती है. सेक्स में जब तक बहुत अधिक प्लैज़र न मिले तो तब तक आप उसका आनंद नहीं ले सकते हैं. मिलन आप दोनों का मन और तन दोनों से ही हो और जब हो तब मन एकाग्रचित हो. ऐसी स्थिति में आप उसका सुख ले पाएंगे, और आपका सेक्स से जुड़ा मतभेद दूर हो जाएगा.

कुछ मिथक

सेक्स से जुड़ा मिथ ये भी है कि अगर फर्स्ट नाइट में महिला को ब्लड आ जाए तो यह उसकी वर्जिनिटी को दर्शाता है. अगर ऐसी स्थिति में वह अंतरंग नहीं होती है तो पुरूष उसे अस्वीकार कर देगा. जिसकी वजह से शादी में समस्याएं आती हैं. इसके अतिरिक्त यदि कोई पुरुष महिला को संतुष्ट करने में सक्षम नहीं है, तो वह भी उन पर अत्यधिक दबाव बनाते हुए हंसी का पात्र बन जाता है. ऐसा सिर्फ मिथक है.

संचार का अभाव

इंटीमेट होना ही काफी नहीं है अगर दोनों के बीच किसी तरह का कोई संवाद न हो तो. संवाद होने से परस्परता बनी रहती है. और सेक्स का उतना ही बुखार चढ़ता है. ऐसा करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यौन सुख और सेक्स की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन वह इसमें असफल रहते हैं. जोड़ों को यह जानना बहुत जरूरी है कि यह हमेशा एक समान नहीं रहता है. इसलिए संचार करते रहें.

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हालांकि, अब इन मतभेदों पर जल्दी कोई विश्वास नहीं करता है, क्योंकि इंटरनेट की दुनिया ने आज के युवा पीढ़ी को सजग ही नहीं बल्कि जागरुक भी बनाया है. फिर भी कुछ अपवाद अगर रह जाते हैं तो उन्हें उसी तरह से समझाया जा सकता है जिस तरह से वो समझना चाहें.

Summer Special: इस सीजन आप बनाएं मैंगो स्मूदी

आम का सीजन आ चुका है. ऐसे में इससे बनी एक से एक डिश सभी को पसंद आती हैं. तो आज जानिए, मैंगो स्मूदी बनाने का आसान तरीका.

हमें चाहिए

आम – 1 मीडियम साइज

ताजा गाढ़ा दही – 1 कप

पिस्ता  – 2 (पतले कटे हुए)

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चीनी – 4 छोटी चम्मच

बनाने का तरीका

आम को छीलकर उसका पल्प निकाल लें और गुठली हटा दें. इसके बाद आम के पल्प को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. मिक्सर जार में आम के टुकड़े, चीनी और दही डाल दें और अच्छे से ब्लेंड कर लें. इसके बाद इसमें कुछ बर्फ के टुकड़े डाल दें और एक बार फिर से अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें. आम की ठंडी-ठंडी स्मूदी तैयार हैं. गिलासों में डाल कर कटे पिस्तों से सजाकर सर्व करें.

सफेदा आम या कोई भी ऐसा आम लें, जिसमें रेशे न हों. चीनी की जगह शहद, ब्राउन शुगर या खांड़ भी डाल सकती हैं.

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18 TIPS: ऐसे चुनें ताजा सब्जी

सब्जियों की हर घर में सुबहशाम दोनों वक्त जरूरत पड़ती है. इन का दाम भी बढ़ता रहता है. ऐसे में यदि इन्हें खरीदते समय सावधानी न बरती जाए तो न इन्हें बनाने में मजा आएगा और न ही खाने में. आप के पैसे बरबाद होंगे वह अलग. इसलिए सब्जी खरीदते समय इन बातों पर गौर फरमाना न भूलें:

1. कई दुकानदार ऊंचे प्लेटफौर्म पर सब्जियां सजा कर रखते हैं और वे सब्जी छांटने नहीं देते. ऐसे में उन विक्रेताओं से सब्जी खरीदें जो जमीन पर बैठ कर या फिर ठेले पर सब्जी बेच रहे हों और छांटने देते हों. छांट कर लेने से सड़ीगली या खराब सब्जी की आशंका नहीं रहेगी.

2. कुछ विक्रेता पत्तेदार सब्जियों का वजन बढ़ाने के लिए दिनभर उन पर पानी छिड़कते रहते हैं. पूछने पर कहेंगे कि पत्ते मुरझा न जाएं, इसलिए पानी का छिड़काव करते हैं, जबकि उन का असली मकसद सब्जी का भार बढ़ाना होता है.

3. सब्जी खरीदते समय तोल पर भी नजर रखें. कुछ सब्जी बेचने वाले कम तोलते हैं. इलैक्ट्रौनिक कांटे वाले से ही सब्जी लें या फिर जहां बांट का इस्तेमाल होता हो उस तराजू पर तुलवाएं. बांट की जगह पत्थर के टुकड़े से तोलने वाले बेईमानी करते हैं. उन के तराजू को भी चैक कर लें कि दोनों पलड़े समान तो हैं.

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4. सब्जी खरीदते समय एक ही दुकान से सारी सब्जियां न खरीदें. जहां सब्जी अच्छी व ताजी हो, वहीं से खरीदें. इस से आप का कुछ समय तो अधिक लगेगा, लेकिन खरीदने के बाद आप को पछतावा नहीं होगा.

5. सब्जी वाला भी जानता है कि ग्राहक मोलभाव करते हैं, इसलिए पहले ही ज्यादा भाव बताता है. आप को भाव तय कर के ही सब्जी खरीदनी चाहिए. दुकानदार हर ग्राहक से अलगअलग दाम वसूलता है. यह ग्राहक की चतुराई है कि वह भाव कम कराए. हां, कुछ दुकानदार ऐसे भी होते हैं जिन के यहां मोलभाव नहीं होता. सभी के लिए एक ही भाव रहता है. वहां से खरीदने में ठगे जाने की बात नहीं होगी. वैसे बुद्धिमानी इसी में है कि 2-4 दुकानों पर जा कर भाव पूछ लिया जाए.

6. कुछ महिलाएं जब सब्जी खरीदने जाती हैं, तो कार से नीचे तक नहीं उतरतीं. न तो वे सब्जी की क्वालिटी देखती हैं और न ही कीमत. बस कार में बैठीबैठी ही सब्जियों का और्डर दे देती हैं.

7. फूलगोभी खरीदते समय ध्यान रहे कि वह एकदम सफेद और सख्त हो. छितरी हुई गोभी अच्छी नहीं होती. यह भी देख लें कि उस में कीड़े तो नहीं लगे हैं. उस की खुशबू भी अच्छी होनी चाहिए. गंदे पानी की फूलगोभी में दुर्गंध आती है.

8. पत्तागोभी या बंदगोभी खरीदते समय देख लें कि वह हरी हो. उसे दबा कर देखें. वह कठोर होनी चाहिए न कि पोली. अच्छी पत्तागोेभी आकार में छोटी, मगर वजन में भारी होती है जबकि पोलीगोभी आकार में बड़ी और वजन में कम होती है. गोभी में छेद नहीं होना चाहिए. छेद होने का मतलब भीतर कीड़े होना है.

9. ब्रोकली एक तरह की फूलगोभी ही है, जिस का रंग हरा होता है. उसे खरीदते समय फूलगोभी जैसी सावधानी बरतनी चाहिए.

10. लौकी लेनी हो तो बहुत पतली या बहुत मोटी न लें. मध्यम आकार की सीधी या हलकी मुड़ी लौकी लें. पूरी लौकी ऊपर से हरी हो. उस का कोई हिस्सा सफेद या पीला नजर नहीं आना चाहिए. अधिक पकी लौकी के बीज कड़े होते हैं और वह मुलायम भी नहीं निकलती. ताजा लौकी पर हलके रोएं भी होते हैं और उस का डंठल भी हरा होता है.

11. गिलकी खरीदते समय उस के किनारे देखें. ताजा गिलकी के किनारे पर फूल दिखेंगे. ताजा गिलकी पर हलके रोएं होते हैं. वह मुलायम भी होती है. यदि गिलकी पर काले दागधब्बे हैं तो इस का मतलब वह बासी है. गिलकी में छेद नहीं होने चाहिए और अधिक पतली या अधिक मोटी भी न लें.

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12. तुरई खरीदते समय उस का एक किनारा तोड़ कर चख लें, क्योंकि उस के कड़वी निकलने की आशंका रहती है. बिना चखे यदि आप ने खरीदी और सब्जी बनाई, तो एक भी तुरई कड़वी होने पर पूरी सब्जी कड़वी हो जाएगी. तुरई थोड़ी गूदे वाली यानी मोटी लें. एकदम पतली या बहुत मोटी तुरई अच्छी नहीं रहती.

13. ग्वारफली छोटी, मुलायम तथा हरी होनी चाहिए. कड़क या बीजों वाली ग्वारफली न खरीदें. फलियों को मोड़ कर देखें. यदि आसानी से मुड़ जाएं तो ताजा हैं और मोड़ने पर टूटने लगें तो वे बासी हैं.

14.  चवला फली कई किस्मों की आती है. यदि केवल दाने की सब्जी बनानी हो तो भरे हुए दाने वाली फली चुनें. यदि उसे छिलके सहित काट कर बनाना हो तो नर्म या पतले छिलके वाली फली लें. दोनों ही स्थिति में उन का ताजा होना बहुत जरूरी है.

15. परवल खरीदते समय यह ध्यान रखें कि उन्हें भरवां बनाना है या कटवा कर. यदि भरवां बनाना हो तो मध्यम आकार के परवल खरीदें अन्यथा बड़े आकार के भी चल सकते हैं. उन के बीज अधिक पके नहीं होने चाहिए.

16. तिंदूरी भी परवल जैसी दिखती है पर आकार में उस से छोटी होती है तथा भीतर से ठोस. हरी तथा कड़क तिंदूरी ही खरीदें और वह ऊपर से लाल न हो.

17. भरवां टिंडे बनाने हों तो एकजैसे मध्यम या छोटे आकार के खरीदें. यदि काट कर बनाने हों तो बड़े टिंडे खरीदें. वे ऊपर से हरे होने चाहिए तथा रोएंदार होने चाहिए. यदि वे चिकने हैं तो भीतर से कड़क निकलेंगे. यदि टिंडे अधिक पके होंगे तो खाते समय उन के बीज मुंह में आएंगे.

18. बैगन कई प्रकार के आते हैं. लंबे, गोल, हरे आदि. यदि भरवां बैगन बनाने हों तो गोल और छोटे आकार के खरीदें. यदि भरता बनाना हो तो गोल व बड़े आकार के बैगन खरीदें. काट कर सब्जी बनानी हो तो लंबे आकार के बैगन खरीदें. बैगन चिकने व चमकदार हों. भीतर से मुलायम तथा कम से कम बीज वाले हों. आड़ेतिरछे या मुड़े बैगन न लें. यह देख लें कि उन में छेद न हों वरना भीतर कीड़े हो सकते हैं. ताजे बैगन के किनारे और डंठल हरे होंगे.

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जानें क्या है सतावरी लैक्टेशन सप्लीमेंट, जो नेचुरल तरीके से बढ़ाए मां का दूध

मां का दूध बच्चे के लिए सबकुछ होता है. जिससे उसकी पोषण संबंधी दिक्कतों को पूरा किया जाता है. इतना ही नहीं स्तनपान मां और बच्चों के बीच घनिष्ठता भी पैदा करता है. लेकिन यह तभी संभव है जब मां अपने बच्चे को सही मात्रा में दूध पिलाए.

कई बार अनेक कारणों से मां के स्तन में भरपूर मात्रा में दूध नहीं आ पाता है. जिसके कारण मां चाहकर भी दूध पिलाने में सक्षम नहीं हो पाती है. इसके लिए मां कई तरह कि कोशिश करती है लेकिन बहुत छोटा बच्चा बहुत मुश्किल से ही ऊपरी दूध पी पाता है.  क्योंकि यह दूध भारी होता है.

ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि मां अपने लैक्टेशन को आयुर्वेदिक तरीके से बढ़ाए जैसे Zandu का Striveda Satavari Lactation इसमें सतावरी जड़ी बूटी शामिल है जो मां के दूध को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाता है. यह दूध की क्वालिटी को बढ़ाने के साथ- साथ बच्चों के विकास के लिए भी सहायक होता है.

मां के दूध को बढ़ाता है सातावरी जड़ी बूटी वाला लैक्टेशन सप्लीमेंट

क्या है सतावरी 

आपको बता दें कि सतावरी गैलेक्टोगैंग जड़ीबूटी है.जो मां के हार्मोनल बैंलेंस को ठीक करती है. यह सौ प्रतिशत शाकाहारी है. लोग इससे न जाने कितने वर्षों से जुड़े हुए हैं और इसके लड्डू और मीठी खिचड़ी बनाते हैं जो मां के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है.

साथ ही इसमें मेथी दाना, सौफ, डेट्स, कोलियस ऐमबोइनईकस और मिल्क थीसल जैसे कई लाभकारी तत्व मौजूद हैं. आप इसे टेबलेट या पाउडर किसी भी फार्म में ले सकती हैं.

तो अपने बच्चे की सेहत के साथ मत कीजिए किसी भी तरह का समझौता और नेचुरल तरीके से ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए लीजिए सतावरी जड़ी बूटी वाला नेचुरल लैक्टेशन सप्लीमेंट.

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खामोश दोस्त: क्या उस लड़के को जान पाई माही?

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